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भोपाल से ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर अंग प्रतिरोपण के लिए इंदौर पहुंचाया गया गुर्दा
16-Apr-2024 10:33 AM
भोपाल से ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर अंग प्रतिरोपण के लिए इंदौर पहुंचाया गया गुर्दा

इंदौर, 16 अप्रैल। मध्यप्रदेश में एक शिक्षक की मृत्यु के बाद अंगदान से हासिल गुर्दे को ‘‘ग्रीन कॉरिडोर’’ बनाकर भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर इंदौर पहुंचाया गया, जहां एक अस्पताल में भर्ती मरीज को वह गुर्दा प्रतिरोपित किया गया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

"ग्रीन कॉरिडोर" बनाने के दौरान पुलिस की मदद से सड़क पर यातायात को इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि अंगदान से मिला अंग कम से कम समय में जरूरतमंद मरीज तक पहुंच सके।

राज्यस्तरीय अंगदान प्राधिकार समिति के सदस्य डॉ. राकेश भार्गव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सागर जिले के एक शासकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हरिशंकर ढिमोले (56) को ‘ब्रेन हेमरेज’ के बाद 12 अप्रैल को भोपाल के बंसल हॉस्पिटल लाया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्हें दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि शोक में डूबे होने के बावजूद ढिमोले के परिजन उनके मरणोपरांत अंगदान के लिए राजी हो गए और शल्य चिकित्सकों ने सोमवार को ऑपरेशन करके उनके दोनों गुर्दे निकाल लिए।

भार्गव ने बताया कि इनमें से एक गुर्दा भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में एक जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रतिरोपित किया गया, जबकि दूसरे गुर्दे को ग्रीन कॉरिडोर बनाक इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल भेजा गया, जहां भर्ती मरीज में उसे प्रतिरोपित किया गया।

चोइथराम हॉस्पिटल के उप निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. अमित भट्ट ने बताया,"ग्रीन कॉरिडोर बनाए जाने के चलते अंगदान से मिले गुर्दे को भोपाल से इंदौर लाने में महज दो घंटे 45 मिनट लगे, जबकि आमतौर पर दोनों शहरों के बीच का फासला साढ़े तीन से चार घंटे में तय होता है।’’

भट्ट ने बताया कि इस गुर्दे को चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती एक जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रतिरोपित किया गया।

ढिमोले के बेटे हिमांशु ने कहा,"मेरे पिता के मरणोपरांत अंगदान से दो मरीजों को नयी जिंदगी मिलने की राह आसान हुई है। यह हमारे परिवार के लिए गर्व का विषय है। इस अहसास को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।" (भाषा)

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