ताजा खबर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अप्रैल । वन विभाग को बार नवापारा अभ्यारण्य में आए बाघ की तलाश है। वह पूरे परिक्षेत्र में 64 ट्रेसिंग कैमरों से उस पर निगेहबानी कर रहा है। यह फुल ग्रोन बाघ 9 मार्च से अप्रैल के पहले सप्ताह तक नजर आता रहा। इसके बाद मौसम की खराबी की वजह से ओझल है। अब चूंकि मौसम खुल गया है तो वन अमला उम्मीद से है।
वन विभाग के बार इलाके के सूत्रों ने बताया कि कुछ दिन पहले यह बाघ वेटनरी डॉक्टर, महावत जैसे कर्मियों ने देखा था। इनकी सूचना पर वन विभाग ने अपने सभी 64 कैमरों को सक्रिय कर ट्रेस करना शुरू किया । उस आधार पर सूत्रों ने बताया कि बार के भीतर एक नाले के पास बाघ का मल और जंगली सुअर को खाने के भी सुबूत मिले हैं। तो कुछ जानकार ग्रामीणों ने बरबसपुर के एक तालाब के पास गाय और सक्ती घाट में भैंस को मारने का भी दावा किया है। लेकिन जन हानि नहीं की है।
इसके लोकेशन पर नजर रखने वाले वरिष्ठ अफसरों ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि यह सीमावर्ती ओड़िशा के सोनेबेड़ा के जंगल से देवभोग,उदंती,छुरा,फिंगेश्वर के पहाड़ी रास्ते से बार में प्रवेश किया है । नौ मार्च के आसपास यह एक गांव के पास दिया। वह अमले ने बहुत करीब से वीडियो भी बनाया है। जो वायरल है।लेकिन कुछ दिनों से इसके ओझल होने की भी खबर है। इसके पीछे की वजह मौसम को बताया गया है । अब चूंकि मौसम खुल गया है तो उम्मीद है यह वापस नजर आए । वन अफसरों का दावा है कि यदि यह बार में है तो वह कहीं नहीं जाएगा। यहीं का होकर रह जाएगा । क्योंकि बार अभ्यारण्य का वातावरण और भीतर की सुविधाएं खासकर पानी को लेकर, उसके माकूल है। भोजन के लिए जंगली सुअर आदि पर्याप्त है। इसलिए वन विभाग का कहना है कि इसलिए इसे ट्रेस करना भी जरूरी है। अब तक तो किसी कैमरे में नहीं दिखा ,लेकिन डॉक्टर, महावत ने खुली आंखों से देखा है।
इसकी वापसी या मौजूदगी का एक कारण यह भी
वन अफसरों का कहना है कि मौसम खुलने पर इस बाघ के बार में वापसी या होने पर बाहर निकलने के पीछे एक अहम कारण भी है। इस अभ्यारण्य में विभाग ने पिछले वर्ष अप्रैल में एक बाघिन को छोड़ा था। जो एक वर्ष पूरे हो चुके है। यह आदमखोर बाघिन को सूरजपुर के जंगल से ट्रैंकुलाइज़ कर रायपुर लाया गया था। जंगल सफारी नवा रायपुर में इलाज के बाद 28 अप्रैल 23 को छोड़ा था। आठ माह तक कॉलर कैमरे से नजर रखने के बाद विभाग ने हाल में ही कॉलर कैमरा निकाल दिया गया । इस बाघिन से मैटिंग के लिए भी वह बाघ मार्च में आया हो या लौट सकता है।
पहले बाघिन और अब बाघ के होने की पुष्टि होने पर बार को टाइगर रिजर्व की कवायद शुरू होने को लेकर वन अफसरों के दावे प्रतिदावे हैं। कुछ वर्ष पहले भाजपा शासन काल में घासीदास अभ्यारण्य में भी बाघ दिखने पर टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी की गई थी। लेकिन गोंगपा और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने वनवासियों को एकजुट कर विरोध करवाया था। वन्य प्राणी विंग के लोगों का कहना है कि पहले लोकेट हो जाए तो आगे विचार किया जाएगा। जबकि अरणय के आला अफसर इसे जानवरों का रूटीन विचरण मान रहे हैं ।