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नयी दिल्ली, 19 अप्रैल। उच्चतम न्यायालय ने सरोगेसी कानून के उस प्रावधान के खिलाफ एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा, जो विवाहित जोड़ों को पहला बच्चा स्वस्थ होने पर सरोगेसी के माध्यम से दूसरा बच्चा पैदा करने से रोकता है।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(तीन)(सी)(दो) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक दंपति द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।
सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(तीन)(सी)(दो) के प्रावधान के तहत सरोगेसी (किराये की कोख) के माध्यम से बच्चा पैदा करने की इच्छा रखने वाले जोड़ों को पात्रता प्रमाणपत्र लेना होता है। इस प्रमाणपत्र में दर्ज होता कि उनकी कोई जीवित संतान (जैविक रूप से या गोद लेने के माध्यम से या किराए की कोख से) नहीं है।
दंपति ने संबंधित प्रावधान को ‘‘तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और बिना किसी वाजिब सिद्धांत के’’ बताया है। उन्होंने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत प्रदत्त महिला के प्रजनन अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
दंपति की याचिका में कहा गया है कि पत्नी को पहला बच्चा होने के बाद दूसरे बच्चे को जन्म देना उसके लिए जीवन का खतरा है इसलिए सरोगेसी ही आखिरी विकल्प है। (भाषा)