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-प्रभाकर मणि तिवारी
पश्चिम बंगाल सरकार उन करीब 26 हजार शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को अप्रैल के वेतन का भुगतान करेगी जिनकी नौकरियां कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से छिन गई हैं.
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि श्रम कानून के तहत यह फैसला किया गया है. उस अधिकारी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामले विचाराधीन रहने तक उन लोगों का वेतन बंद नहीं किया जाएगा.
राज्य सरकार के अलावा स्कूल सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं.
शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिन 25,753 लोगों की नौकरियां गई हैं उन्होंने अप्रैल महीने में काम किया है. श्रम कानून के मुताबिक काम के एवज में पारिश्रमिक का भुगतान करना अनिवार्य है.
सरकार ने इसी कानून के तहत उनको अप्रैल के वेतन का भुगतान करने का फैसला किया है. ध्यान रहे कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को वर्ष 2016 की पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए 25,753 शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का निर्देश दिया था.
इमेज कैप्शन,कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद धरने पर बैठे प्रभावित शिक्षक
अदालत ने स्कूल सेवा आयोग को लोकसभा चुनाव खत्म होने के 15 दिनों के भीतर नए सिरे से इन खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने को भी कहा है.
इनमें से जिन लोगों ने पैनल की मियाद खत्म होने के बाद या परीक्षा में कोरी उत्तर पुस्तिकाएं जमा कर नौकरी हासिल की है उनको चार सप्ताह के भीतर 12 फीसदी सालाना सूद के साथ वेतन लौटने का भी आदेश दिया गया है.
हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच जारी रखेगी और वह अतिरिक्त पदों के सृजन में शामिल लोगों से भी पूछताछ कर सकती है.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि करीब पांच हजार लोगों पर घोटाले का आरोप है. लेकिन उसकी सजा बाकी 20 हजार लोगों को क्यों दी जानी चाहिए? पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करना कहां तक उचित है?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए पीड़ितों के साथ खड़े होने का एलान किया है. (bbc.com/hindi)