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‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
बिलासपुर, 30 अप्रैल। बस्तर के एक ग्रामीण की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। उसका बेटा शव को गांव ले जाकर अपनी जमीन पर पिता का अंतिम संस्कार करना चाहता था लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस ने तनाव की आशंका से अनुमति नहीं दी। हाईकोर्ट ने उसे अंतिम संस्कार की अनुमति दी है, साथ ही पुलिस को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है।
याचिका के मुताबिक बस्तर जिले के छिंदबहार के ईश्वर कोर्राम का 25 अप्रैल को इलाज के दौरान अस्पाल में निधन हो गया। ईश्वर का पुत्र सार्तिक कोर्राम पिता का का शव गांव ले जाकर अंतिम संस्कार करना चाहता था। सार्तिक को परपा पुलिस ने यह कहते हुए गांव जाने की अनुमति नहीं दी कि छिंदबहार में ईसाई धर्म के लोगों के अंतिम संस्कार के लिए कोई स्थान निर्धारित नहीं है। अगले दिन 26 अप्रैल को सार्तिक ने बस्तर के कलेक्टर और एसपी को भी अभ्यावेदन दिया और शव को गांव ले जाने की अनुमति मांगी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ईश्वर कोर्राम का शव मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर की मर्च्युरी में पड़ा रहा।
अंततः सार्तिक ने हाईकोर्ट की शरण ली। एडवोकेट प्रवीण कुमार तुलस्यान और करण कुमार बहरानी के जरिये मामले में अर्जेंट हियरिंग का अनुरोध किया गया। जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की एकल पीठ ने अवकाश के दिन शनिवार शाम को मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि, अपने पिता के शव का अंतिम संस्कार करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसका मौलिक अधिकार है। यह भी कहा गया कि वह अपने पिता का अंतिम संस्कार गांव की अपनी जमीन पर ही करना चाहता है।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता सार्तिक को गांव की अपनी जमीन पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी। हाईकोर्ट ने मेडिकल कालेज, जगदलपुर को याचिकाकर्ता को उसके पिता का शव सौंपने और बस्तर पुलिस को आवेदक और उसके परिवार को उचित सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।