विचार / लेख

आपका अकेलापन, कैसा अकेलापन?
22-Jun-2024 7:38 PM
आपका अकेलापन, कैसा अकेलापन?

-सनियारा खान
अकेलापन एक ऐसी चीज़ है जो किसी के लिए मनचाही है, तो किसी के लिए अनचाही। अगर आप ख़ुद के साथ अकेले भी खुश रहने का हुनर रखते है तो अकेलापन आप के लिए स्वर्ग है। और अगर आप अकेले रहने में डरते है तो यही अकेलेपन आपके लिए नर्क बन  जाता है।

अभी अभी असम के एक आई पी एस अधिकारी के बारे में जान कर यही लगा कि अकेलापन किसी को किस हद तक डरा सकता है! 

असम के गृह सचिव शिलादित्य चेतिया की पत्नी गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। पिछले एक महीने से उन्हें एक निजी अस्पताल में रखा गया था। उनके पति छुट्टी ले कर अपनी पत्नी की देखभाल कर रहे थे। क्योंकि इस काम के लिए उनका अपना कोई और नहीं था। माता पिता का पहले ही देहांत हो चुका था और उनके कोई बच्चे भी नहीं थे। एक बहन है जो आयरलैंड में रहती है। श्री चेतिया ने जैसे अस्पताल को ही अपना घर बना लिया था। वे सबको यही कहते थे कि उनकी पत्नी जल्दी ठीक हो जाएगी। हालाँकि उनकी पत्नी की हालत दिन ब दिन खराब हो रही थी। मंगलवार को वे अस्पताल में ही थे जब उनकी पत्नी की मृत्यु हुई। उन्होंने पत्नी के कमरे से सभी को ये कह कर बाहर जाने कहा कि उन्हें पत्नी के साथ कुछ देर अकेले रहना है और उनके लिए प्रार्थना करनी है। फिर उन्होंने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। 

ऐसा लगता है कि वे पहले से ही तय कर चुके थे कि पत्नी अगर जि़ंदा नहीं बची तो वे भी जि़ंदा नहीं रहेंगे। ये शायद उनके अकेले रह जाने का डर ही था, जिसके कारण उन्होंने ये घातक कदम उठाया। ये कदम गलत है या सही है वह एक अलग सवाल है। अभी तो हम अकेलापन किसी को किस हद तक डरा सकता है, इस बात को लेकर बात कर रहे हैं। वैसे अकेलेपन का कोई एक कारण नहीं है। जिंदगी में अचानक आए बदलाव, किसी अपने से अलग होना या फिर वित्तीय आपदा भी अकेलापन ला सकते हैं। इस हालत में उदासी, खालीपन और बेबसी महसूस होती है। 

कई बार ऐसे लोगों को लगता है कि उन्हें आस पास के लोग हमेशा गलत समझते हैं। उम्र बढऩे के साथ साथ कई लोग खुद को अकेला पाते हैं। उनको लगने लगता है कि उन्हें दूसरे लोग कम सम्मान देते हैं, उनकी बातें नहीं सुनी जाती हैं, और वे अपने अनुभव किसी को बाट नहीं पा रहे हैं। इसी तरह युवा वर्ग में भी बहुतों को लगता है कि समाज तो दूर की बात है, उनके माता पिता भी उन्हें समझ नहीं पाते हैं। तभी तो हर साल अलग अलग कारणों से ना जाने कितने बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं।

यूएस के 19 वें सर्जन जनरल डा. विवेक मूर्ति ने अकेलेपन को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में प्रस्तुत कर एक पुस्तक लिखी है। Together_ The Healing Power Of Human Connection In A Sometimes Lonely World इस पुस्तक में लेखक ने तर्क दिया है कि दुनिया की बढ़ती हुई जटिलता ने इंसान को ज़्यादा अकेला कर दिया है। हम सभी एक दूसरे को साथ लेकर इस अलगाववाद से लड़ सकते हैं। दोस्त, परिवार और समाज के साथ चल कर ही यह संभव  हो सकता है।

हमें इसी बात को लेकर एक और पहलू पर भी विचार करना चाहिए। हाल ही की एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार बताया गया है कि अकेले रहने की आदत के भी अनेक फ़ायदे हैं। जो लोग अपनी मर्जी से अकेले रहना चाहते हैं वे खुद को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। हर इंसान को कभी न कभी एकांत की जरूरत होती है। हर अकेले रहने वाले इंसान को डिप्रेशन के शिकार मान लेना गलत है। अकेले रहना और रह कर बहुत कुछ सीखना भी जीने का एक ज़रूरी अंग है। एक स्टडी ये भी कहती है कि जो लोग अकेले रहना पसंद करते हैं वे कई बार मानसिक और भावनात्मक रूप से औरों से मज़बूत होते हैं। क्योंकि उनको अपने विचारों को लेकर सोचने के लिए समय मिलता है। वे अपने शौक को ज़्यादा निखार सकते हैं, और हर पसंदीदा काम ज़्यादा एकाग्रता से कर पाते हैं। इस तरह वे लोग खुद को ले कर  आज़ादी भी महसूस करते हैं।

अंत में शायद ये कहना सही होगा कि जो अकेलापन आपको खुशी दे उसे आप साथ लेकर चले। लेकिन अगर आपका अकेलापन आपको भारी लगता है तो उसको लेकर बात कीजिए, दोस्त बनाएं और पीछे छूट चुके किसी शौक को फिर से जि़ंदा करें, कुछ नहीं तो एक सामाजिक कार्यकर्ता बन कर भी अपना अकेलापन कम कर सकते है। सब से बड़ी बात तो ये है कि किसी और से कोई उम्मीद न रख कर खुद के अंदर ही खुद के लिए उम्मीद का एक दिया जलाए रखिए।

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