विचार / लेख

बेगुनाह छात्रों की बलि न चढ़े
25-Jun-2024 8:42 PM
बेगुनाह छात्रों की बलि न चढ़े

- डॉ. संजय शुक्ला
 नीट-यूजी प्रश्नपत्र लीक मामले पर देश का सियासत इन दिनों सरगर्म है, इस मसले पर रोज एक नया खुलासा हो रहा है। इस मामले में जहां सियासत का बाजार गर्म है वहीं सुप्रीम कोर्ट से विभिन्न राज्यों के हाईकोर्ट में इस मसले पर लगातार याचिकाएं दायर हो रही है।कांग्रेस की अगुवाई वाली इंडिया गठबंधन के लिए यह सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार बन चुका है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने संसद के वर्तमान सत्र के मद्देनजर विपक्ष के हथियार को भोथरा करने के लिए जहां इस मामले के सीबीआई जांच की घोषणा कर दी है वहीं परीक्षा आयोजित करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी 'एनटीए' के महानिदेशक को भी हटा दिया है। हालांकि एनटीए महानिदेशक को हटाने और उनकी जगह एक रिटायर्ड नौकरशाह को यह कुर्सी देने पर भी लोगों की त्योरियां चढ़ी हुई है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी काफी गंभीर है तथा  गड़बडिय़ों के मद्देनजर अदालत ने परीक्षा की शुचिता प्रभावित होने जैसी गंभीर टिप्पणी किया है। 

बहरहाल उच्चतम न्यायालय ने अनेक परीक्षार्थियों और अभिभावकों द्वारा नीट - यूजी को रद्द करने और काउंसलिंग रोकने संबंधी दायर याचिका पर फिलहाल इंकार करते हुए सरकार और एनटीए  से याचिका पर जवाब मांगते हुए मामले की सुनवाई 8 जुलाई को निश्चित किया है। इस बीच सुप्रीम अदालत ने कहा है कि परीक्षा में यदि 0.001 फीसदी भी गलती हुआ है तो एनटीए उसे माने और सुधार करे। दूसरी ओर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे पर देशव्यापी धरना- प्रदर्शन के लिए उतर चुके हैं और लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है जो फिलहाल हालिया संसद सत्र तक जारी रहने की संभावना है। दरअसल विपक्ष नीट को रद्द कर फिर से यह परीक्षा आयोजित करने पर अड़ी हुई है तो केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले और सीबीआई जांच की दलील दे रही है। इस बीच तमाम राजनीतिक विरोध प्रदर्शन और मुकदमेबाजी के बीच सीबीआई ने नीट में कथित अनियमितताओं के संबंध में आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच व छापेमारी का सिलसिला तेज कर दिया है। गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई जांच के पहले बिहार, गुजरात और झारखंड पुलिस के एस?आईटी ने पेपर लीक से जुड़े 25 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। 

इस बीच नीट परिणाम पर जारी सियासी घमासान और मुकदमेबाजी के बीच इस परीक्षा में सफल हुए हजारों अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। बिलाशक इस परीक्षा के पेपर लीक से लेकर जिस तरह से अनियमितताओं की खबरें रोज-ब- रोज सामने आ रहे हैं उससे यह सही है कि यह ‘नीट’ पूरी तरह से ‘क्लीन’ नहीं है। शुरूआती जानकारी के मुताबिक मुख्य रूप से उपरोक्त तीन राज्यों में नीट के क्वेश्चन पेपर लीक मामले के सबूत मिल रहे हैं जिसमें इस अपराध पर संलिप्त आरोपियों और छात्रों की गिरफ्तारियां हुई है। 

एनटीए के मुताबिक फिलहाल इस मामले में बिहार और गुजरात के कुल 110 परीक्षार्थियों को परीक्षा से अपात्र ‘डिबार’ कर दिया गया है। गौरतलब है कि नीट - यूजी परीक्षा बीते 5 म?ई को विभिन्न राज्यों के 571 शहरों में 4,750 केंद्रों सहित विदेश के 14 शहरों में आयोजित की गई थी जिसमें 24 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। अहम सवाल यह कि तीन राज्यों बिहार, झारखंड और गुजरात में हुए पेपर लीक कांड के चलते पूरी  परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगाना कहां तक उचित है? दरअसल हिंदी में एक कहावत है ‘गेहूं के साथ घुन पिसना’ लेकिन इस मसले में यही लग रहा है कि पूरी परीक्षा प्रणाली में लगे घुन की वजह से यदि यह परीक्षा रद्द होती है तब यह ‘घुन के साथ गेहूं पिसने’ वाली बात होगी क्योंकि इस फैसले से उन हजारों लगनशील और मेधावी छात्रों के मेहनत पर पानी फिरेगा जो अपनी काबिलियत के बलबूते परीक्षा में खरे उतरे हैं।

अलबत्ता विपक्षी दलों और कुछ अभिभावकों व परीक्षार्थियों के फिर से नीट आयोजित करने के मांग के परिप्रेक्ष्य में विचारणीय है कि किसी भी परीक्षा में परीक्षार्थी की सफलता उसके मेहनत, लगनशीलता और ईमानदारी पर निर्भर करता है।आम अभिभावक आज भी अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर ही बनाने की सपना संजोता है। आमतौर पर हर पालक अपने सपनों को पूरा करने और बच्चे के सुरक्षित भविष्य के लिए अपने खर्चे में कटौती कर अथवा कर्ज लेकर बच्चे को अपने से दूर पराए शहर में महंगे कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला दिलाता है। कोचिंग में दाखिला लेने वाले अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता के अपेक्षाओं को पूरा करने अनजान शहर में एक नहीं बल्कि क?ई साल कड़ी मेहनत करते हैं। इन परिस्थितियों में जिन बच्चों ने ईमानदारी और कड़े मेहनत के बलबूते यदि इस परीक्षा में सफलता पाई है तब भला चंद लोगों के काले करतूतों का खामियाजा वे भला क्यों भोगें? क्या परीक्षा रद्द करने का फैसला उन अभिभावकों के सपनों को चकनाचूर नहीं करेगा जिन्हें इस रिजल्ट से अपने सपने साकार होने का सुकून पाया है? 

क्या रि-नीट का फैसला उन मेधावी, ईमानदार और गरीब छात्रों के साथ अन्याय नहीं होगा जो इस परिणाम के बाद मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का बाट जोह रहे हैं और जिनके मन में डॉक्टर का तमगा मिलने का ख्वाब पल रहा है? देश के कोचिंग हब राजस्थान के कोटा शहर में कोचिंग ले रहे छात्रों के खुदकुशी के बढ़ते आंकड़े यह बताते हैं कि आज हर बच्चा अपने पालकों के अपेक्षाओं के बोझ तले इतना दबा हुआ है कि उसके मन में नीट या जेईई जैसे प्रतियोगी परीक्षा क्रैक नहीं कर पाने की भय या ग्लानि में मौत को गले लगाने के लिए विवश हो रहा है। इन आत्महत्याओं के मद्देनजर यह भी  विचारणीय है कि आज जिस परीक्षार्थी ने मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लायक अंक बटोरे हैं यदि वह रि-नीट में आशातीत सफलता प्राप्त नहीं करता और मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए वंचित हो जाता है तब यदि वह किसी आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर होता है तब इसका जवाबदेह कौन होगा? गौरतलब है कि नीट जैसे कड़े इम्तिहान में हजारों गरीब और सामान्य आर्थिक स्थिति के बच्चे भी शामिल होते हैं जिनके लिए इस परीक्षा के पढ़ाई खर्च उठाना टेढ़ी खीर होता है। 

बहरहाल सुप्रीम कोर्ट और सियासी दलों के नीट में हुई कथित धांधलियों के मद्देनजर उन हजारों निर्दोष अभ्यर्थियों के बारे में भी गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए जिन्होंने वर्षों की कड़ी मेहनत और लगन से इस परीक्षा में सफलता पाई है और जिनकी संलिप्तता इस मामले में नहीं है। 

विडंबना यह है कि देश की मीडिया और सियासत इस मामले में निरपराध बच्चों के मामले में लगभग संवेदनहीन रुख अपना रही है जबकि अधिकांश अभ्यर्थियों ने अपने मेधा और मेहनत के बलबूते इस परीक्षा में सफलता अर्जित किया है। अलबत्ता यह कोई पहला मामला नहीं है जब देश में प्रोफेशनल कोर्सेज और नौकरियों के लिए ली जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हों या अन्य धांधलियां हुई हों। कालांतर में भी देश में मेडिकल कॉलेजों के लिए हुए दाखिला परीक्षाओं में अनेक घोटाले हुए हैं जिसके मामले आज भी अदालतों में फैसलों के लिए तारीख मांग रहे हैं तो दूसरी ओर इन धांधलियों के बलबूते मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्र अब डॉक्टर बन चुके हैं। देश आज भी मध्यप्रदेश में 2009 में हुआ व्यापम घोटाले को नहीं भूला है, इसके छत्तीसगढ़ में 2011का पीएमटी पर्चा लीक कांड, उत्तरप्रदेश में 2021 का आयुष घोटाला इन परीक्षाओं की पवित्रता की पोल खोल रहे हैं।

दरअसल इन धांधलियों के मूल में मुख्य रूप से राजनीतिक हस्तक्षेप, कोचिंग माफियाओं की बढ़ती पहुंच और धनबल का बढ़ता प्रभाव ही जिम्मेदार है जिसके चलते आज भी इन घोटालों में शामिल बड़ी मछलियां आजाद हैं। जानकारी के मुताबिक भारत में पिछले सात वर्षों में 15 राज्यों में 70 से अधिक परीक्षाओं के क्वेश्चन पेपर लीक हुए हैं इनमें नौकरी, दाखिला और बोर्ड परीक्षाएं शामिल हैं। इस अनियमितताओं और धांधलियों के चलते लगभग 1.7 करोड़ अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं। केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितताओं और धांधलियों के रोकथाम के लिए पिछले 21 जून को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 अधिसूचित किया है। इस कानून का उद्देश्य संघ और राज्य लोक सेवा आयोगों, कर्मचारी चयन आयोगों, मेडिकल, इंजीनियरिंग और विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए ली जाने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षाओं सहित राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा आयोजित कम्प्यूटर आधारित परीक्षाओं में धोखाधड़ी और अनियमितताओं पर अंकुश लगाना है। इस कानून के तहत दोषी व्यक्ति या सिंडिकेट में शामिल लोगों को न्यूनतम तीन से अधिकतम दस साल के कारावास का प्रावधान है। 

कानून के अंतर्गत सेवा प्रदाता कंपनियों के परीक्षाओं में अनियमितताओं और धांधलियों में संलिप्त पाए जाने पर एक करोड़ जुर्माना और परीक्षा का लागत वसूलने का भी प्रावधान है। अलबत्ता यह कानून 21 जून 2024 से प्रभावी हुआ है लिहाजा नीट 2024 में यदि किसी भी प्रकार की अनियमितता या धांधली साबित होती है तब इस कानून प्रावधान लागू होंगे यानि इस परीक्षा कानून के लिए भी यह अग्निपरीक्षा होगी। बहरहाल इसमें दोराय नहीं कि हर प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता और पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए आखिरकार यह देश के युवाओं से जुड़ा मुद्दा है जो हमारे भविष्य हैं। नीट - यूजी रिजल्ट पर मचे घमासान के बीच यह भी आवश्यक है कि इस मुद्दे पर किसी भी अदालती या सरकारी फैसलों में उन बेगुनाह छात्रों के पक्ष पर भी विचार होना चाहिए जिन्होंने इस परीक्षा में ईमानदारी, मेहनत, मेधा और लगन के बलबूते सफलता पाई है तभी समावेशी न्याय होगा।

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