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कमल के रेशे से धागे के उत्पादन पर एक महीने के प्रशिक्षण सत्र का कलिंगा विश्वविद्यालय में उद्घाटन
25-Aug-2024 12:37 PM
कमल के रेशे से धागे के उत्पादन पर एक महीने के प्रशिक्षण सत्र का कलिंगा विश्वविद्यालय में उद्घाटन

 उन्नत भारत अभियान को समर्थित-डॉ. गांधी 

रायपुर, 25 अगस्त। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के सहयोग से कमल के रेशे से धागे के उत्पादन पर केंद्रित एक महीने के प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन किया। नया रायपुर के कोटनी गांव के सामुदायिक भवन में आयोजित इस कार्य का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को कमल के धागे के उत्पादन के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना है। 

विश्वविद्यालय ने बताया कि कमल का धागा एक अद्वितीय, हस्तनिर्मित, गैर-मशीनीकृत रेशा है, जो अंतर्राष्ट्रीय फैशन बाजार में अत्यंत लोकप्रिय हो रहा है। उन्नत भारत अभियान, ग्रामीण विकास में परिवर्तनकारी बदलाव के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है। 

विश्वविद्यालय ने बताया कि यूबीए के प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत समर्थित यह परियोजना ग्रामीण उत्थान और हथकरघा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के सृजन के लिए समर्पित है। कमल के रेशे से धागा बनाने में अभिनव प्रयोग, उद्योग में एक महत्वपूर्ण सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। कमल के धागे के उत्पादन की प्रक्रिया पूरी तरह से मानवकृत है, इसमें कोई मशीनरी शामिल नहीं है। 

विश्वविद्यालय ने बताया कि परिणामी धागा नाजुक, हल्का और हवादार है, जो केवल 130 ग्राम धागे से लगभग 2 मीटर कपड़ा देता है। लोरो पियाना और गुच्ची जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध फैशन ब्रांड पहले से ही इस कपड़े की क्षमता को पहचान चुके हैं और इसे एक विशेष एक्वा फैब्रिक के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।  इस परियोजना का उद्देश्य कमल फाइबर धागे को छत्तीसगढ़ राज्य के एक प्रमुख उत्पाद के रूप में स्थापित करना है, जो कमल कि खेती के लिए तालाबों और आर्द्रभूमि से समृद्ध राज्य है। डॉ. संदीप गांधी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में कमल के धागे की बढ़ती मांग पर जोर दिया।
 

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