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PHOTO CREDIT ISABEL INFANTES
नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली अयोध्या और राम पर अपने ही देश में घिरे
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपने एक विवादित बयान के कारण निशाने पर हैं. नेपाली सोशल मीडिया में बहुत से लोग उनके बयान का ना सिर्फ़ मज़ाक बना रहे हैं बल्कि लिख रहे हैं कि 'उन्हें ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए' था.
सोमवार को केपी शर्मा ओली ने कहा था कि 'भगवान राम का जन्म नेपाल में हुआ था.'
अपने सरकारी आवास पर कवि भानुभक्त के जन्मदिन पर हुए समारोह में केपी शर्मा ओली ने यह बयान दिया.
नेपाल के प्रधानमंत्री का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और नेपाल के बीच पहले से तनाव चल रहा है.
प्रधानमन्त्री ओली भन्छन्ः भारतले खडा गरेको अयोध्या नक्कली हो, राम पनि नेपाली नै हुन्https://t.co/BjIvxpfreC@nepalkhabar pic.twitter.com/YLi5sv6iJj
— Nepalkhabar (@nepalkhabar) July 13, 2020
ओली ने दावा किया कि 'असली अयोध्या - जिसका प्रसिद्ध हिन्दू महाकाव्य रामायण में वर्णन है - वो नेपाल के बीरगंज के पास एक गाँव है. वहीं भगवान राम का जन्म हुआ था. भगवान राम भारत के नहीं, बल्कि नेपाल के राजकुमार थे.'
नेपाल में कुछ लोग उनकी इस टिप्पणी का समर्थन भी कर रहे हैं, मगर इस बयान का मज़ाक उड़ाने वालों की संख्या ज़्यादा दिखाई पड़ती है.
नेपाल में किसने क्या कहा?
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टाराई ने ओली के बयान पर व्यंग्य किया है.
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है, "आदि-कवि ओली द्वारा रचित कल युग की नई रामायण सुनिए, सीधे बैकुंठ धाम का यात्रा करिए."
आधी-कवि ओलीकृत कलीयुगीन नयाँ रामायण श्रवण गरौं! सिधै बैकुण्ठधामको यात्रा गरौं ! https://t.co/yDepnuFCFY
— Baburam Bhattarai (@brb1954) July 13, 2020
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के चेयरमैन और नेपाल के पूर्व उप-प्रधानमंत्री कमल थापा ने पीएम ओली के बयान की कड़ी आलोचना की है.
उन्होंने लिखा है, "किसी भी प्रधानमंत्री के लिए इस तरह का आधारहीन और अप्रामाणित बयान देना उचित नहीं है. ऐसा लगता है कि पीएम ओली भारत और नेपाल के रिश्ते और बिगाड़ना चाहते हैं जबकि उन्हें तनाव कम करने के लिए काम करना चाहिए."
प्रमको स्तरबाट यस्ता उटपट्यांग,अपुष्ट र अप्रमाणित कुरा आउनु सर्वथा उपयुक्त छैन।भारतसंग सम्बन्ध सुधार्ने भन्दा बिगार्ने तर्फ प्रमको ध्यान गए जस्तो लाग्छ।नक्सा प्रकाशित गरेर अतिक्रमित भूमी फिर्ताल्याउने प्रयास गर्न छाडेर दुई देशको सम्बन्धमा अनाबश्यक विवाद सिर्जना गर्नु राम्रो होईन https://t.co/jzP5hcH4qu
— Kamal Thapa (@KTnepal) July 13, 2020
नेपाली लेखक और पूर्व विदेश मंत्री रमेश नाथ पांडे ने ट्वीट किया है, "धर्म राजनीति और कूटनीति से ऊपर है. यह एक बड़ा भावनात्मक विषय है. अबूझ भाव और ऐसी बयानबाज़ी से आप केवल शर्मिंदगी महसूस करते हैं. और अगर असली अयोध्या बीरगंज के पास है तो फिर सरयू नदी कहाँ है?"
Religion is above politics & diplomacy. Its a highly emotive issue. Ridiculous statements only cause embarrassment. If Ayodhya is near Birgunj, where is the Sarayu river ?
— Ramesh Nath Pandey (@rameshnathpande) July 13, 2020
ओली के बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उनके पूर्व प्रेस सलाहकार और नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर कुंदन आर्यल ने भी ट्वीट किया है.
उन्होंने लिखा है, "ओली ने ये क्या कह दिया? क्या वो भारतीय टीवी चैनलों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.
Religion is above politics & diplomacy. Its a highly emotive issue. Ridiculous statements only cause embarrassment. If Ayodhya is near Birgunj, where is the Sarayu river ?
— Ramesh Nath Pandey (@rameshnathpande) July 13, 2020
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के उप-प्रमुख बिष्णु रिजल ने लिखा है, "यह कहना एक बड़ा भ्रम है कि कोई व्यक्ति अप्रमाणिक, पौराणिक और विवादास्पद बातें कहकर विद्वान बन जाता है. यह ना केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि 'रहस्यमय' भी है कि कैसे विरोध और उकसावे के लिए रोज़ नए मसाले डाले जा रहे हैं."
पदमा बसेर बेतुकका र असान्दर्भिक कुरा बोल्दा राष्ट्रकै शीर झुक्छ ।अप्रमाणित, पौराणिक र विवादास्पद कुरा बोलेर विद्वान भइन्छ भन्नु ठूलो भ्रम हो । फुकीफुकी पाइला चालेर भूमि फिर्ता ल्याउनुपर्ने बेलामा विरोध र उत्तेजनाका लागि एकपछि अर्को मसला दिइनु दुर्भाग्यपूर्ण मात्र होइन, रहस्यमय छ।
— Bishnu Rijal (@bishnurijal1) July 13, 2020
नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार अमित ढकाल ने भी पीएम ओली के बयान पर चुटकी ली है.
उन्होंने ट्वीट किया है, "श्रीलंका द्वीप नेपाल के कोशी में है. वहाँ हनुमान नगर भी है जिसका निर्माण वानर-सेना ने किया होगा, जब वो पुल बनाने के लिए एकत्र हुए होंगे."
श्रीलंका टापू कोशीमा छँदैछ। छेवैमा हनुमान नगर पनि छ, वानर सेनाले पुल हाल्दा बसालेको!
— Ameet Dhakal (@ameetdhakal) July 13, 2020
नेपाल के नेशनल प्लानिंग कमीशन के पूर्व उपाध्यक्ष स्वर्णिम वागले ने लिखा है, "हे राम! पीएम ओली ने भारतीय मीडिया के लिए यह अच्छा मसाला दिया है."
हे राम !!
— Swarnim Waglé (@SwarnimWagle) July 13, 2020
भोलिको भारतीय समाचार: "Oli disavows Ayodhya's Ram, declares him to be Nepali from Birgunj"https://t.co/5yjwKznChp
नेपाल के लेखक और जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक कनक मणि दीक्षित ने ट्वीट किया है, "भगवान राम का जन्म कहाँ हुआ और अयोध्या कहाँ है, ऐसी पौराणिक बातों पर विवाद खड़ा करना पीएम ओली की मूर्खतापूर्ण कोशिश है. अभी तो सिर्फ़ भारत सरकार के मन में मौजूदा स्थिति के कारण कड़वाहट है. इससे लोगों में भी फूट पैदा हो सकती है."
वरिष्ठ पत्रकार धरूबा एच अधिकारी ने भी इस बारे में ट्वीट किया है.It was folly for PM Oli to wade in and raise controversy on the placement of Ayodhya, home of the mythological Lord Ram. This creates a schism with a section of India's population when earlier it was only with the Indian Government.https://t.co/GlwJ7qY4Jn
— Kanak Mani Dixit (@KanakManiDixit) July 13, 2020
उन्होंने लिखा है, "ओली की पार्टी का नाम है कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल. नाम में 'कम्युनिस्ट' लगा है. कम्युनिज़म यानी साम्यवाद धर्म को नहीं मानता. ओली ने जब शपथ ली थी तो उन्होंने भगवान का नाम लेने से मना कर दिया था. जब पीएम मोदी ने जनकपुर में पूजा की, तो ओली ने नहीं की. लेकिन ऐसे समय ओली को राम और अयोध्या की चिंता हो रही है. हैरानी की बात है."
भारत-नेपाल तनाव
भारत और नेपाल में पिछले कुछ महीने से तनाव चल रहा है. नेपाल ने 20 मई को अपना नया नक्शा जारी किया था जिसमें लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना इलाक़ा दिखाया था.
ये तीनों इलाक़े अभी भारत में हैं लेकिन नेपाल दावा करता है कि ये उसका इलाक़ा है.
इसके बाद से दोनों देशों में तनाव बढ़ता गया. हालांकि इससे पहले भारत ने पिछले साल नवंबर में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद अपना नक्शा अपडेट किया था. इस नक्शे में ये तीनों इलाक़े थे.
भारत का कहना है कि उसने किसी नए इलाक़े को नक्शे में शामिल नहीं किया है बल्कि ये तीनों इलाक़े पहले से ही हैं.
पिछले दिनों भारतीय मीडिया की भूमिका को लेकर भी नेपाल में कड़ी नाराज़गी जताई गई थी.
कई भारतीय चैनलों ने प्रधानमंत्री केपी ओली और चीनी राजदूत होउ यांकी को लेकर सनसनीख़ेज़ दावे किए.
कुछ चैनलों ने यह स्टोरी चलाई कि ओली को हनी ट्रैप में फंसा दिया गया है.
नेपाल ने इन रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई और केबल ऑपरेटरों से कहा कि ऐसे भारतीय न्यूज़ चैनलों को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए प्रसारण से रोके.
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने कहा कि उन्होंने भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य को भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराने के लिए कहा है.
नीलांबर ने कहा कि भारतीय मीडिया नेपाल और भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और ख़राब कर रहा है.
हालांकि चीन की राजदूत की सक्रियता को लेकर नेपाल में विरोध भी दर्ज हुआ है.
नेपाल में विपक्ष से लेकर मीडिया तक में सवाल उठा कि घरेलू राजनीति में किसी राजदूत की ऐसी सक्रियता ठीक नहीं है. मुलाक़ातों का यह दौर पिछले ढाई महीने से चल रहा है. (www.bbc.com)