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आज सुबह राज्यसभा सदस्य और मध्यप्रदेश के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने अखबार की यह कतरन ट्विटर पर पोस्ट की थी और उन्हें यह भ्रम हो गया था कि यह छत्तीसगढ़ का मामला है। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस ट्वीट में टैग किया और लिखा- कोरोना की आंच में अधिवक्ता समुदाय झुलस रहा है| इसकी तपिश अब उनके चूल्हों तक पहुँचने लगी है| आपकी संवेदनशीलता से सभी परिचित है. अधिवक्ता समुदाय को आपसे बड़ी उम्मीदें है| अनुरोध है कि इस गंभीर विषय पर त्वरित कदम उठाकर अधिवक्ता समुदाय के हितों की रक्षा करें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 जुलाई। बेरोजगारी में बांस की टोकनी बनाकर बेच रहे तमिलनाडु के एक अधिवक्ता की सराहना करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन ने 10 हजार रुपये का चेक उपहारस्वरूप भेजा है।
तंजावूर, तमिलनाडु के अधिवक्ता के. उत्थमकुमारन् की कहानी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था कि कोविड-19 के बाद लॉकडाउन होने के बाद अधिवक्ता ने अपने पारम्परिक व्यवसाय को अपनाने में कोई झिझक महसूस नहीं की और खर्च चलाने के लिये बांस की टोकनी बनाकर बेचना शुरू कर दिया।
अधिवक्ता उत्थमकुमारन् को पत्र में चीफ जस्टिस मेनन ने लिखा कि वे इस राशि को वह अनुदान, सहयोग या सहानुभूति के रूप में न लें बल्कि उपहार समझें। इसे श्रम के प्रति सम्मान की सराहना समझें। आपका यह कदम वकीलों की बिरादरी को सकारात्मक रहने के लिये प्रेरणा देता है और बताता है कि हर सूर्यास्त के बाद सूर्योदय ही होता है।
ज्ञात हो कि इस समय छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में आर्थिक संकट से घिरे अधिवक्ताओं की कुछ याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। अधिवक्ता संदीप दुबे, अधिवक्ता आनंद मोहन तिवारी, राजेश केशरवानी आदि के मामलों की सुनवाई करते हुए उन्होंने इस घटना का जिक्र अपने आदेश में 18 जून को किया था।