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![भारतीय सेना ने दिया पाकिस्तानी मेजर की कब्र को सम्मान भारतीय सेना ने दिया पाकिस्तानी मेजर की कब्र को सम्मान](https://dailychhattisgarh.com/2020/article/1602832498w.jpg)
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
भारतीय सेना ने उसके खिलाफ चार युद्ध लडऩे वाली पाकिस्तानी सेना के एक मृत अधिकारी की कब्र का जीर्णोद्धार किया है। पाकिस्तानी सेना के एक अलंकृत मेजर की यह कब्र कश्मीर के नौगाम सेक्टर में है।
भारतीय सेना ने दावा किया है कि उसने कश्मीर में पाकिस्तानी सेना के एक अलंकृत अधिकारी की टूटी हुई कब्र की मरम्मत कर उसे फिर से पहले जैसा बनवा दिया है। यह जानकारी सेना के श्रीनगर स्थित चिनार कोर इकाई ने दी। सेना के अनुसार नौगाम सेक्टर में स्थित यह कब्र पाकिस्तानी सेना के मेजर मोहम्मद शाबिर खान की है, जिन्हें पाकिस्तान में सितार-ए-जुर्रत की उपाधि से नवाजा गया था।
कब्र पर लिखी जानकारी के मुताबिक, मेजर खान पांच मई 1972 को भारतीय सेना के नौ सिख रेजिमेंट द्वारा किए गए एक जवाबी हमले में मारे गए थे। उनकी कब्र की मरम्मत की जानकारी देते हुए चिनार कोर ने ट्वीट किया, एक सिपाही, चाहे वो किसी भी देश का हो, शहादत के बाद आदर और सम्मान का हकदार होता है।
सितारा-ए-जुर्रत पाकिस्तान का तीसरा सबसे प्रतिष्ठित सैन्य पुरस्कार है, जो बहादुरी या लड़ाई में विशिष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है। पाकिस्तान ने अभी तक इस अधिकारी की कब्र के कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा मरम्मत किए जाने की पुष्टि नहीं की है. दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के खिलाफ कम से कम चार युद्ध और कई छोटी लड़ाइयां लड़ चुकी हैं। 1972 दोनों देशों के बीच तुलनात्मक रूप से शांति का साल था।
1971 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें भारतीय सेना विजयी रही थी और भारतीय सेना और सरकार की कोशिशों की वजह से पूर्वी पाकिस्तान की जगह एक नए देश बांग्लादेश की स्थापना हुई थी। 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसे शिमला समझौते के नाम से जाना जाता है। इसी समझौते के तहत दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा पर सहमति हुई थी।
हालांकि यह समझौता दोनों देशों के बीच लंबे समय तक शांति और मैत्री की स्थापना सुनिश्चित कर पाया। दोनों देशों के आपसी रिश्ते जल्द ही बिगडऩे लगे और 1999 में एक बार फिर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ, जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है।