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बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा से भारत-ब्रिटेन रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा
16-Dec-2020 3:40 PM
बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा से भारत-ब्रिटेन रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन होंगे भारत के अगले गणतंत्र दिवस समारोह पर मुख्य अतिथि. क्या इस यात्रा से महामारी की वजह से भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे दोनों देशों के रिश्तों में एक नई ऊर्जा आएगी?

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 26 जनवरी 2021 को होने वाले भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. जॉनसन भारत की स्वतंत्रता के बाद उसके गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने वाले सिर्फ दूसरे ब्रिटिश नेता बनेंगे. 1993 में जॉन मेजर मुख्य अतिथि बने थे.

ये जॉनसन की बतौर प्रधानमंत्री पहली विदेश यात्रा होगी. यह यात्रा ब्रेक्सिट के कुछ ही हफ्तों बाद होगी और यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद नई संधियां तलाशते ब्रिटेन के लिए भी अहम होगी. जॉनसन के कार्यालय ने मंगलवार 15 दिसंबर को कहा कि यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री भारत को अगले जी7 शिखर सम्मलेन में भाग लेने का न्योता भी देंगे, जिसकी मेजबानी ब्रिटेन करेगा. दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के अलावा सम्मलेन में शामिल होने वाला भारत तीसरा अतिथि देश होगा. 

जॉनसन की भारत यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत करना, निवेश बढ़ाना और रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है. जॉनसन ने एक बयान में कहा, "इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है और वह यूके के लिए एक अत्यावश्यक सहयोगी बनता जा रहा है. दोनों देश रोजगार और विकास को बढ़ाने, सुरक्षा के प्रति साझा खतरों का सामना करने और हमारे घर की रक्षा करने के लिए मिल कर काम कर रहे हैं."

भारत का दवा उद्योग दुनिया की आधी से ज्यादा वैक्सीन सप्लाई कर रहा है. ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड/ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कम से कम एक अरब खुराकें पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही हैं. यूके को भारत से एक करोड़ से भी ज्यादा फेस मास्क और पेरासिटामोल के 30 लाख पैकेट मिले हैं.

जॉनसन को यात्रा पर आने का निमंत्रण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था. यात्रा की घोषणा भी ऐसे समय में हुई है जब ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब भारत में हैं. मंगलवार को राब ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक प्रेस वार्ता में कहा, "दोनों देशों के बीच और गहरे व्यापारिक रिश्तों की संभावना है और मुझे लगता है कि हमारी अर्थव्यवस्था इसकी अनुमति देती है. हम अपने व्यापार मंत्रियों को यह करने के लिए कहना चाहेंगे और फिर देखना चाहेंगे कि क्या हासिल किया जा सकता है."

राब ने यह भी कहा कि ब्रिटेन ने अभी तक "सिर्फ यूरोप पर अपना ध्यान केंद्रित रखने में बहुत अदूरदर्शिता दिखाई थी" लेकिन अब वह और दूर भी देख सकता है. इस संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा, "निश्चय ही अगर आप भारत और इंडो-पैसिफिक इलाके को देखें और एक लंबी अवधि के बारे में सोचें तो आप महसूस करेंगे कि यह पर विकास के अवसर होंगे."

जयशंकर ने भी कहा कि दोनों देशों का अपने व्यापारिक रिश्तों को आगे बढ़ाने के प्रति "बहुत गंभीर इरादा है." जॉनसन के कार्यालय ने बताया कि दोनों देशों के व्यापार और निवेश-संबंधी रिश्ते बढ़ रहे हैं और इस समय इनका मूल्य 32 अरब डॉलर है. इससे पांच लाख लोगों को रोजगार भी मिलता है. उनके कार्यालय ने करना वायरस महामारी के दौरान दोनों देशों के बीच हुए सहयोग पर भी ध्यान दिलाया.

भारत का दवा उद्योग दुनिया की आधी से ज्यादा वैक्सीन सप्लाई कर रहा है. ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड/ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कम से कम एक अरब खुराकें पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही हैं. जॉनसन के कार्यालय ने यह भी बताया कि इस बीच यूके को भारत से एक करोड़ से भी ज्यादा फेस मास्क और पेरासिटामोल के 30 लाख पैकेट मिले हैं.

सीके/एए (एएफपी)

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