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कहानी एक 'आदमख़ोर पुलिस वाले' की जिसे अदालत ने बरी कर दिया था
30-Dec-2020 9:40 AM
कहानी एक 'आदमख़ोर पुलिस वाले' की जिसे अदालत ने बरी कर दिया था

 जब से इंटरनेट हमारे घरों में दाख़िल हुआ है, एक छोटी सी बात कई घरों में बहुत से परिवारों के साथ हो रही है. कैथलीन मैंगन वैल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उनके पति इंटरनेट पर वक़्त गुज़ारा करते थे और ये बात कैथलीन को कहीं खटक रही थी. एक रोज़ कैथलीन का कम्प्यूटर ख़राब हो गया तो वो अपने पति का सिस्टम इस्तेमाल करने लगीं.

कैथलीन को लगता था कि उनके पति का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा है. अपने इस शक को दूर करने के लिए कैथलीन ने अपने पति के कम्प्यूटर में एक ऐसा सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल कर दिया जिससे वे उन पर नज़र रख सकती थीं. लेकिन इस जासूसी की वजह से जो बात उनके सामने आने वाली थी, इसका उन्हें दूर-दूर तक अंदाज़ा नहीं था.

कैथलीन के पति इंटरनेट पर यंत्रणा और यौन हमले का शिकार होती महिलाओं की तस्वीरें खोज रहे थे. इतना ही नहीं, वो शख़्स जिसे कैथलीन अपना पति मानती थीं, वो इंटरनेट पर 'किसी महिला को किडनैप करने', 'इंसानी गोश्त को पकाने की रेसिपी' और 'गोरे लोगों की ग़ुलामी' खोज रहा था.

अजीब तरह की यौन इच्छाओं को स्पेस देने वाले एक वेब फ़ोरम पर कैथलीन के पति ने 'गर्लमीट हंटर' यूज़रनेम से इंसानी गोश्त खाने और किसी पर यौन हमला करने से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में बहुत विस्तार से पोस्ट किए थे.

इससे भी बदतर बात ये थी कि उनके पति अन्य पुरुषों के साथ इंटरनेट पर चैट करते थे कि अपने जानने वाली औरतों को वो कब, कहां और कैसे किडनैप करेंगे, उसका क़त्ल करेंगे और फिर उसे खा लेंगे. इन औरतों में कैथलिन के ज़िक्र के साथ-साथ उसके कॉलेज की दोस्तों से लेकर पास में रहने वाली एक किशोर उम्र की लड़की तक शामिल थी.

गिलबर्टो वैले की कहानी

आख़िरकार, अक्टूबर 2012 में उनके पति को गिरफ़्तार कर लिया गया. फ़रवरी, 2013 में जब कैथलीन के पति पर मुक़दमे की सुनवाई हो रही थी तो उन्होंने अपनी गवाही में रोते हुए कहा, "वो मेरा पैर बांध कर मेरा गला काट देना चाहते थे ताकि जब ख़ून का फ़व्वारा फूटे तो वो इसका मज़ा उठा सके."

इन लोगों पर पागलपन की हद तक एक तरह का यौन जुनून छाया हुआ था, जिनमें कैथलिन के पति भी शामिल थे. वे इंटरनेट पर दो महिलाओं का एक-दूसरे के सामने ही रेप करने की बात कर रहे थे ताकि दोनों का डर ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ जाए. इतना ही नहीं, उनका इरादा दोनों महिलाओं को 'तंदूर में 30 मिनट तक पकाने' का भी था ताकि उनका दर्द लंबे समय तक बना रहे.

कैथलिन की गवाही सुनने के बाद उनके पति गिलबर्टो वैले भी रो पड़े. लेकिन इस कहानी के दुनिया के सामने आने और खेल ख़त्म होने से पहले तक गिलबर्टो वैले न्यूयॉर्क पुलिस के एक ऐसे अधिकारी थे जिनके पास मनोविज्ञान की डिग्री थी. 28 साल के गिलबर्टो के घर कुछ महीने पहले ही बेटी ने जन्म लिया था.

गिलबर्टो पर इंटरनेट पर महिलाओं के अपहरण, बलात्कार, हत्या और इंसानी गोश्त खाने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया था. उन पर कई महिलाओं के पते और फ़ोन नंबर प्राप्त करने के लिए सरकारी डेटाबेस के इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था. सबूत इतने मज़बूत थे कि उन्हें नकारा नहीं जा सकता था.

गिलबर्टो की हक़ीक़त जानने के बाद कैथलिन डर कर अपने अपने माता-पिता के घर भाग गईं, जहां से उन्होंने एफ़बीआई से संपर्क किया और फिर उन्हें अपने लैपटॉप और घर के दूसरे कंप्यूटर तक एक्सेस दी. अभियोजन पक्ष ने कई दलीलें दीं. प्रॉसीक्यूशन जब अपनी बात रख रहा था तो रैंडल डब्ल्यू जैक्सन नाम के एक वकील का हवाला दिया गया.

मुक़दमा और सबूत

इस वकील से गिलबर्टो ने एक बातचीत में एक जानने वाली महिला के बारे में कहा था कि वो उसे ओवन में रखने की योजना बना रहा है. डार्क वेब पर गिलबर्टो की गतिविधियों का ज़िक्र आया तो ये बात सामने आई कि उसने अपराध के हर बारीक ब्योरे के बारे में वहां पर ज़िक्र कर रखा है.

बचाव पक्ष के वकील ने गिलबर्टो के ख़िलाफ़ पेश किए गए सबूतों की वास्तविकता पर एतराज़ नहीं जताया. इसके विपरीत, उन्होंने स्वीकार किया कि ये बातें किसी डरावनी फ़िल्म की तरह ही चौंकाने वाली और भयानक थीं.

हालांकि गिलबर्टो की पैरवी कर रहीं वकील जूलिया एल. गैटो ने कहा कि उनके मुवक्किल और हॉरर फ़िल्म में एक चीज़ कॉमन है, "वे विशुद्ध रूप से कपोल कल्पना है, जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नही है. ये दहला देने वाली फ़ैंटसी है."

एटॉर्नी जूलिया ने गिलबर्टो के मुक़दमे को मौलिक अधिकारों से जोड़ते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को सोचने का अधिकार है, अपनी बात कहने का हक़ है और यहां तक कि कल्पनाओं में आने वाली अंधकारपूर्ण विचारों को लिखने का भी अधिकार है.

इस मुक़दमे का एक दूसरा पहलू ये भी था कि गिलबर्टो के ख़िलाफ़ जो भी सबूत सामने रखे गए थे, उन सब के बावजूद एक भी ऐसा साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका जिससे ये साबित होता हो कि उन्होंने उन महिलाओं को ज़रा सा भी नुक़सान पहुँचाया हो.

'आदमख़ोर पुलिसवाला'

मीडिया ने गिलबर्टो को 'आदमख़ोर पुलिसवाला' क़रार दिया था. ये मुक़दमा लॉ स्कूल में अब केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाता है. कौन से विचार 'सामान्य' हैं और कौन से 'ख़तरनाक'? इसकी क़ानूनी हद क्या है? गिलबर्टो के केस में ये सारे हैरान कर देने वाले सवाल सामने आए.

अपराध की रोकथाम के नाम पर दख़ल देने का सही समय कब है? क्या इच्छाएँ और फ़ैटेसी अपराध हो सकती हैं? गिलबर्टो का मुक़दमा देख रहे जूरी के मुताबिक़, इसका जवाब हां था. गिलबर्टो को 'अपहरण की साज़िश' और 'सरकारी डेटाबेस के बेजा इस्तेमाल' का दोषी पाया गया था.

उन्होंने इंटरनेट पर जो कुछ भी लिखा, उसमें से उन्होंने कुछ भी नहीं किया था, लेकिन इसके बावजूद ये सब लिखने के लिए उन्हें जेल भेजा गया था. लेकिन क्या ये उन लेखकों पर लागू नहीं होती हैं, जो ऐसी किताबें, फ़िल्में और टीवी शो की स्क्रिप्ट लिखते हैं और जो बेहद कामयाब भी होती हैं.

ये सच है कि इन लेखकों के विपरीत गिलबर्टो और जिन लोगों के साथ उन्होंने ये विचार व्यक्त किए थे, उनकी स्थिति अलग थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि गिलबर्टो इस तरह की यौन उत्तेजना की स्थिति में थे, जिस वजह से उन्होंने ऐसी स्थिति की कल्पना की थी.

लेकिन गिलबर्टो को दोषी पाया गया, न केवल अपने विचारों को लिखने के लिए, बल्कि अन्य लोगों के साथ अपराध की साज़िश रचने और उसे ईमेल पर दूसरे लोगों के साथ शेयर करने के लिए. उन्होंने जो किया वो 'अपराध की शुरुआती अवस्था' थी.

'होमिसाइडल आइडिएशन'

अमेरिका में जहां उन पर मुक़दमा चला, ये वो अपराध होते हैं जो दरअसल हुए ही नहीं होते हैं या जिन्हें अंजाम नहीं दिया गया होता है. लेकिन क्या वे वास्तव में ऐसा करते? जो करने की वे योजना बना रहे थे? क्या इससे कोई फ़र्क़ पड़ता है? ये बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि नरभक्षी इच्छाएं इतनी सामान्य नहीं हैं जितना किसी के क़त्ल करने की ख्वाहिश होती है.

मनोविज्ञान में इसे 'होमिसाइडल आइडिएशन' कहा जाता है और कई वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च किया है. एक रिसर्च में पाया गया कि 73 फ़ीसद पुरुषों और 66 फ़ीसद महिलाओं के मन में किसी की जान लेने का विचार आया. नतीजों की पुष्टि के लिए जब ये प्रयोग दोहराया गया तो लगभग वही नतीजे रहे. 79 फ़ीसद पुरुषों और 58 फ़ीसद महिलाओं ने ये बात मानी.

इस स्टडी में भाग लेने वाले प्रतिभागी किसको मारना चाहते थे? पुरुषों के मन में अपने सहकर्मियों या अजनबियों को मारने का ख़्याल अधिक आया था जबकि महिलाएं किन्हीं वजहों से परिवार के किसी सदस्य को लेकर ज़्यादा आशंकित थीं.

लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्रिमिनल साइकोलॉजी की जानकार जूलिया शॉ कहती हैं, "कुछ विकासवादी मनोवैज्ञानिकों का मानना ​​है कि इस तरह के विचार अलग-अलग रूप ले सकते हैं. ऐसी इच्छाएं वास्तव में काल्पनिक योजना बनाने की हमारी क्षमता से पैदा होती हैं. ये हमें ख़ुद से सवाल पूछने की अनुमति देता है. अगर मैंने कुछ बहुत ग़लत किया तो क्या होगा?"

"जब हम मानसिक रूप से इस स्थिति का पूर्वाभ्यास करते हैं, तो हम महसूस करते हैं कि किसी को मारना शायद ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम वास्तव में करना चाहते हैं या जिसके परिणाम को हम जी सकते हैं."

फ़ैसले के ख़िलाफ़ फ़ैसला

ये अच्छे विचार नहीं हैं, लेकिन 'डुइंग ईविल' नाम की किताब की लेखक जूलिया शॉ कहती हैं, "जो लोग आने वाले कल के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होते, उनके भावनात्मक होने की अधिक संभावना होती है और फिर वे इस पर जीवन भर पछतावा करते हैं."

इसलिए बुरी इच्छाओं के बारे में सोचते रहना अच्छा हो सकता है. लेकिन इसकी लक्ष्मण रेखा क्या होनी चाहिए? गिलबर्टो की अपील की सुनवाई करने वाले एक जज ने कहा, "गिलबर्टो जहां पाए गए, यक़ीनन वो जगह तो उसकी लक्ष्मण रेखा नहीं हो सकती." ट्रायल कोर्ट के जजमेंट के 21 महीने बाद अपील कोर्ट में पिछले फ़ैसले को पलट दिया गया.

जज पॉल गार्डेफ़ ने फ़ैसला सुनाया, "गिलबर्टो अपनी पत्नी, यूनिवर्सिटी के पुराने दोस्तों और परिचितों के बारे में जिस तरह के विचार रखते थे, वो उनके वास्तव में एक बीमार दिमाग़ को दिखलाते हैं लेकिन ये उन्हें दोषी ठहराने का ठोस आधार नहीं हो सकता."

गिलबर्टो के ख़िलाफ़ साज़िश रचने के जितने पुख़्ता सबूत थे, उसके बावजूद जज पॉल गार्डेफ़ ने ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को ग़लत ठहराया. अपने फैसले में उन्होंने एक स्थिति का हवाला दिया जिसमें गिलबर्टो ने कथित तौर पर साल 2012 की शुरुआत में एक ही सोमवार को तीन महिलाओं का अपहरण करने के लिए अपने ऑनलाइन दोस्तों के साथ 'सहमति' जताई थी.

इनमें एक महिला न्यूयॉर्क शहर में, एक पाकिस्तान में और एक ओहियो में थी. जज पॉल गार्डेफ़ ने कहा, "कोई जूरी ये निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है कि गिलबर्टो वास्तव में एक ही तारीख़ पर ये सब कुछ कैसे अंजाम दे सकता है."

गिलबर्टो की वकील जूलिया साल 2014 की जुलाई के महीने में ये मुक़दमा जीतने के बाद अदालत से ये कहते हुए बाहर निकलीं कि "गिलबर्टो केवल अपनी अपरंपरागत सोच के लिए दोषी हैं. हम किसी के विचारों की पुलिसिंग नहीं कर सकते. सरकार को हमारे दिमाग़ों में नहीं झांकना चाहिए."

साल 2016 में आई किताब 'रॉ डील, द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ एनवाईपीडीस कैनिबल कॉप' को गिलबर्टो ने ब्रायन व्हाइटनी के साथ मिल कर लिखा था. किताब के प्रकाशक 'वाइल्ड ब्लू प्रेस' ने किताब छापने की वजह बताई. इसमें लिखा गया कि लेखक की कल्पना में महिलाओं के साथ जैसा बर्ताव होता है, जनता के बहुमत की तरह, वो भी इस बात को नापसंद करते हैं.

किताब के अग्रलेख में लिखा गया है, "लेकिन यह सोचना भी महत्वपूर्ण है कि जब कोई विचार अपनी हद को पार करता है और अपराध बन जाता है? तो इसके बारे में सोचा जाना चाहिए...."

इस किताब के बाद गिलबर्टो ने चार उपन्यास लिखे हैं और अब वह उन चीज़ों को बेचकर पैसा कमा रहा है जो वह गुप्त रूप से लिखा करते थे. (bbc)  

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