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अफगानिस्तान: अमेरिकी सैनिकों पर हमले के लिए चीन का पैसा!
01-Jan-2021 1:40 PM
अफगानिस्तान: अमेरिकी सैनिकों पर हमले के लिए चीन का पैसा!

ऐसी खबरें हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को इस महीने की शुरूआत में चीन की सौगातों के बारे में जानकारी दी गई. इससे पहले अफगान चरमपंथियों को अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ हमले के लिए पैसे देने के आरोप रूस पर लगे थे.
  डॉयचे वैले पर शामिल शम्स का लिखा-

अमेरिकी खुफिया विभाग के अधिकारियों ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को बताया है कि चीन ने अफगान चरमपंथियों को अमेरिकी सैनिकों पर हमले के लिए पैसे देने की पेशकश की है. न्यूज वेबसाइट एक्सियोस और टीवी नेटवर्क सीएनएन ने इस बात की खबर दी है. एक्सियोस के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप को चीन की सौगातों के मुद्दे पर 17 दिसंबर को बताया गया. साथ ही यह भी बताया गया कि कि अमेरिकी अधिकारी इस तरह के दावों की पुष्टि करने की कोशिश कर रहे हैं.

इस साल की शुरुआत में अमेरिकी सैनिकों के लिए रूसी सौगातों की खबर भी आई थी और तब इसकी अमेरिकी अधिकारियों ने कड़ी आलोचना की थी. हालांकि ट्रंप ने उन खबरों को "फेक न्यूज" कह कर खारिज कर दिया. यह अभी साफ नहीं है कि नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को चीन के बारे में पता चली इस खबर के बारे में बताया गया है या नहीं.

चीन का 'इरादा'
चीन के सुदूर शिनजियांग इलाके की सीमा का छोटा सा हिस्सा अफगानिस्तान से लगता है. चीन लंबे समय से शिनजियांग में चल रहे चरमपंथी गुटों के साथ अफगानिस्तान के कथित संपर्कों को लेकर चिंता जताता रहा है. शिनजियांग में तुर्क भाषा बोलने वाले उइगुर मुसलमानों का बसेरा है.

चीन उन चार देशों की चौकड़ी का हिस्सा है जो अफगानिस्तान में सहयोग के लिए बनाई गई है. इनमें अफगानिस्तान के अलावा चीन, पाकिस्तान और अमेरिका हैं. इस चौकड़ी को अफगानिस्तान में 19 साल से चली आ रही जंग को खत्म करने के लिए खड़ा किया गया है. हालांकि इस समूह को अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिल सकी है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान चरमपंथियों को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं तो चीन और अमेरिका में आपसी भरोसे की कमी है.

काबुल में सुरक्षा विशेषज्ञ जाविद कोहिस्तानी ने डीडब्ल्यू से कहा कि चीन अफगानिस्तान से नाटो और अमेरिकी सैनिकों को बाहर निकालना चाहता है ताकि वह इलाके में अपने आर्थिक प्रभाव का विस्तार कर सके. इसी साल नवंबर में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने अगले साल 15 जनवरी तक 2000 सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की थी.

उधर नाटो अफगानिस्तान से जल्दबाजी में फौज हटाने के हक में नहीं है. नाटो का कहना है, "बहुत जल्दी में वहां से निकलना या फिर बिना आपस में सहयोग किए निकलने की कीमत बहुत भारी हो सकती है."
 

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