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![बांग्लादेश में शेख मुजीबउर रहमान की तस्वीर को नुक़सान पहुँचाने पर गिरफ़्तारी बांग्लादेश में शेख मुजीबउर रहमान की तस्वीर को नुक़सान पहुँचाने पर गिरफ़्तारी](https://dailychhattisgarh.com/2020/article/1609577057ujib_with_bbc.jpg)
बांग्लादेश की पुलिस ने बंगबंधु शेख मुजीबउर रहमान की दीवार में लगी तस्वीर को नुक़सान पहुँचाने पर एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया है.
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार यह घटना पीरगंज कस्बे में शुक्रवार की शाम क़रीब चार बजे हुई थी.
गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति का नाम नूर आलम है जिसकी उम्र क़रीब 42 साल है.
पीरगंज पुलिस स्टेशन प्रभारी (ओसी) प्रदीप कुमार रॉय ने कहा है कि नूर आलम ने तस्वीर पर ईंट से हमला किया था.
इससे पहले भी बांग्लादेश के संस्थापक और वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता मुजीबउर रहमान की मूर्ति को लेकर विवाद हो चुका है.
शेख हसीना ने बांग्लादेश के विजय दिवस पर एक वर्चुअल मीटिंग को संबोधित करते हुए इसका ज़िक्र किया था. शेख हसीना ने कहा था कि बंगबंधु शेख मुजीबउर रहमान की मूर्ति को लेकर जानबूझकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है.
प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि बांग्लादेश बनाने में सभी धर्मों के लोगों ने अपने ख़ून का बलिदान दिया है और किसी के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा.
शेख मुजीबउर रहमान की मूर्ति को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक समूह हिफ़ाजत-ए-इस्लाम के नेता ममुनुल हक़ ने शेख हसीना से कहा कि वो मुजीबउर रहमान की मूर्ति लगाने की योजना को रोक दें. मुजीबउर रहमान की 1975 में परिवार के कई सदस्यों के साथ हत्या कर दी गई थी.
4 दिसंबर को ढाका में बैतुल मुकर्रम मस्जिद के बाहर लोगों ने शेख मुजीबउर की मूर्ति लगाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और बांग्लादेश में सभी मानव मूर्तियों को तोड़े जाने की मांग की
रहमान की मूर्ति लगाने की आलोचना करते हुए ममुनुल हक़ ने कहा था कि मूर्ति लगाना बांग्लादेश के राष्ट्रपिता का अपमान है क्योंकि वो मुसलमान थे और इस्लाम में किसी भी तरह की मूर्ति लगाने की मनाही है. बात यहीं तक नहीं थमी.
हक़ के बाद हिफ़ाजत-ए-इस्लाम के प्रमुख जुनैद अहमद बाबूनगरी ने धमकी दी थी कि बांग्लादेश में कोई भी पार्टी मूर्ति खड़ी करेगी तो उसे तोड़ दिया जाएगा.
शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने कहा है कि बंगबंधु की मूर्ति लगाने का विरोध करना देशद्रोह है. मूर्ति विवाद में हिफ़ाजत-ए-इस्लाम के ख़िलाफ़ बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन हुआ था.
हिफ़ाजत-ए-इस्लाम को बने एक दशक से भी कम वक़्त हुआ है. यह 2013 में अस्तित्व में आया. इसका मुख्यालय ढाका के बदले तटीय शहर चटग्राम में है. यहां सैकड़ों की संख्या मदरसा हैं और हजारों की तादाद में मुस्लिम बच्चे यहां पढ़ाई करते हैं.
पाँच मई, 2013 को हिफ़ाजत-ए-इस्लाम ने ढाका के मोतीझील जिले को 12 घंटों तक अपने नियंत्रण में ले लिया था. मोतीझील को बांग्लादेश का वित्तीय ज़िला भी कहा जाता है.
हिफ़ाजत-ए-इस्लाम के लोग एक ब्लॉगर को फांसी देने की मांग कर रहे थे. उस ब्लॉगर पर ईशनिंदा का आरोप था. पुलिस पूरे इलाक़े को देर रात हिफ़ाजत-ए-इस्लाम से मुक्त करा पाई थी. जमकर हिंसा हुई थी और इसमें इस इस्लामिक धड़े के 39 कार्यकर्ताओं की मौत हुई थी. (bbc.com)