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माउंट एवरेस्ट के कचरे को कला में बदलकर दुनिया का ध्यान खींचेगा नेपाल
21-Jan-2021 3:51 PM
माउंट एवरेस्ट के कचरे को कला में बदलकर दुनिया का ध्यान खींचेगा नेपाल

माउंट एवरेस्ट से इकट्ठा किए गए कचरे को नेपाल कला में बदलकर उसे पास की एक गैलरी में प्रदर्शित करने की योजना बना रहा है. इसका मकसद दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को कचरे के अंबार से बचाना है.

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माउंट एवरेस्ट से जमा किए गए कचरे को कला में तब्दील कर दुनिया के सामने एक आर्ट गैलरी के जरिए प्रदर्शित किया जाएगा ताकि दुनिया के सबसे ऊंच पर्वत को डंपिंग साइट बनने से बचाने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके. पर्वत पर चढ़ाई करने वाले अपने पीछे कचरा छोड़कर चले जाते हैं. इस्तेमाल किए हुए ऑक्सीजन सिलेंडर, फटे हुए टेंट, रस्सी, टूटी हुई सीढ़ियां, बोतल और प्लास्टिक को पर्वतारोही और ट्रैकर अपने पीछे ही छोड़कर चले जाते हैं.  8,848.86 मीटर ऊंची चोटी और आस पास के क्षेत्र में इस तरह का कचरा फैला रहता है.

सगरमाथा नेक्स्ट केंद्र के परियोजना निदेशक और सह-संस्थापक टॉमी गुस्टाफसन के मुताबिक विदेशी और स्थानीय कलाकारों को कचरे को कला में तब्दील करना सिखाया जाएगा. गुस्टाफसन ने रॉयटर्स को बताया, "हम दिखाना चाहते हैं कि आप कैसे ठोस कचरे को कला के अनमोल टुकड़ों में बदल सकते हैं और रोजगार और आय पैदा कर सकते हैं." उन्होंने कहा, "इसके जरिए हम कचरे के बारे में लोगों की धारणाओं को बदलने और इसे प्रबंधित करने की उम्मीद करते हैं."

यह केंद्र स्यांगबोचे में 3,780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यह एवरेस्ट बेस कैंप के मुख्य मार्ग पर है और यहां पहुंचने में लुक्ला से दो दिन पैदल सफर करना पड़ता है. गुस्टाफसन कहते हैं कि यह कला केंद्र वसंत ऋतु में स्थानीय लोगों के लिए खोला जाएगा, कोरोना वायरस के कारण लगी पाबंदियों की वजह से यहां आने वालों की संख्या सीमित होगी. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए उत्पादों और कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा. स्मृति चिह्न की बिक्री से होने वाली आय का इस्तेमाल क्षेत्र के संरक्षण के लिए होगा. 

पहाड़ और चढ़ाई वाले रास्ते, घरों और चाय की दुकानों से कचरे को इकट्ठा करने का काम स्थानीय पर्यावरण समूह, सगरमाथा प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा किया जाता जाता है, लेकिन एक ऐसे क्षेत्र में काम करना बड़ी चुनौती है जहां कोई सड़क नहीं है. आम तौर पर कचरे को खुले गड्ढों में डाल दिया या फिर जलाया जाता है जिससे वायु और जल प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी भी प्रदूषित होती है.

योजना में शामिल इको हिमल समूह के पिंजो शेरपा के मुताबिक "कैरी मी बैक" पहल के तहत पर्यटक और गाइड को एक किलो कचरा लुक्ला एयरपोर्ट तक वापस ले जाने के लिए अनुरोध किया जाएगा. यहां से कचरे को काठमांडू तक ले जाया जाएगा. साल 2019 में 60 हजार से अधिक ट्रेकर्स, पर्वतारोहियों और गाइडों ने क्षेत्र का दौरा किया था. शेरपा कहते हैं, "अगर हम पर्यटकों को इसमें शामिल करते हैं तो भारी मात्रा में कचरे का प्रबंधन कर सकते हैं."

एए/सीके (रॉयटर्स)
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