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म्यांमार तख़्तापलट: फ़ेसबुक पर सैन्य शासकों ने लगाई पाबंदी
04-Feb-2021 7:31 PM
म्यांमार तख़्तापलट: फ़ेसबुक पर सैन्य शासकों ने लगाई पाबंदी

म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार का तख़्तापलट किए जाने के कुछ दिन बाद यहां सैन्य शासकों ने फ़ेसबुक पर रोक लगा दी है.

अधिकारियों ने कहा है कि 'सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म फ़ेसबुक को देश में 'स्थिरता' बनाये रखने के लिए बंद किया गया है.'

सोमवार को म्यांमार में तख़्तापलट के बाद अधिकांश लोगों ने फ़ेसबुक के माध्यम से ही अपना विरोध दर्ज कराया था.

म्यांमार के सूचना मंत्रालय ने कहा है कि "फ़ेसबुक पर फ़िलहाल 7 फ़रवरी तक के लिए रोक लगाई गई है." हालांकि, म्यांमार के कुछ इलाक़ों में अब भी लोग आंशिक रूप से फ़ेसबुक का इस्तेमाल कर पा रहे हैं.

म्यांमार की क़रीब आधी आबादी फ़ेसबुक का इस्तेमाल करती है और इसी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की मदद से सामाजिक कार्यकर्ता लोगों से इस तख़्तापलट के बारे में बात कर रहे थे.

म्यांमार में फ़ेसबुक बिना किसी अतिरिक्त डेटा शुल्क के अपना ऐप इस्तेमाल करने की अनुमति देता है, ताकि लोगों को फ़ेसबुक इस्तेमाल करने के लिए महंगे मोबाइल डेटा का इस्तेमाल ना करना पड़े.

फ़ेसबुक ने आधिकारिक तौर पर म्यांमार के सैन्य शासकों द्वारा लगाई गई पाबंदी की पुष्टि की है.

कंपनी का कहना है कि "हम म्यांमार के सैन्य अधिकारियों से कनेक्टिविटी बहाल करने का आग्रह करते हैं, ताकि लोग अपने परिजनों और दोस्तों से बात कर सकें और महत्वपूर्ण जानकारियाँ हासिल कर सकें."

सड़कों पर क्या हो रहा है?
म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर, मांडले से मिल रहीं रिपोर्ट्स के अनुसार, शहर में कुछ जगहों पर छोटे पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं जिसके बाद कुछ लोगों की गिरफ़्तारियाँ भी हुई हैं.

वहीं म्यांमार के मुख्य शहर, यंगून के निवासियों ने 'विरोध की निशानी' के तौर पर दूसरी रात भी बर्तन बजाये और लोकतंत्र सरकार की बहाली की मांग की.

म्यांमार के कम से कम 70 सांसद जो इस वक़्त एक सरकारी विश्राम गृह में मौजूद हैं, उन्होंने इमारत खाली करने से इनकार कर दिया है. ये सभी म्यांमार की सर्वोच्च नेता रहीं आंग सान सू ची की नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी के सांसद हैं.

सोमवार सुबह म्यांमार की सेना ने सू ची समेत उनकी सरकार के बड़े नेताओं को गिरफ़्तार करके तख़्तापलट की घोषणा कर दी थी.

तख़्तापलट के बाद वहाँ की पुलिस ने सू ची पर कई आरोप लगाये हैं. पुलिस के दस्तावेज़ों के अनुसार, सू ची को 15 फ़रवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. साथ ही अपदस्त राष्ट्रपति विन मिन पर भी कई आरोप लगाये गए हैं. पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में ले लिया है.

हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सू ची को गिरफ़्तार करने के बाद कहाँ रखा गया है. कुछ ख़बरें हैं, जिनमें दावा किया गया है कि सू ची को राजधानी नेपीडाव में स्थित उनके घर में ही नज़रबंद कर दिया गया है.

म्यांमार के सभी प्रमुख शहरों में सड़कें वीरान हैं. शहरों में कर्फ़्यू लगाया गया है, इस वजह से कहीं भी बड़े प्रदर्शन नहीं देखे गये हैं.

मगर अस्पतालों में इस तख़्तापलट का विरोध देखने को मिल रहा है. कई बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों ने काम छोड़ दिया है या फिर वो सांकेतिक ढंग से इसका विरोध कर रहे हैं.

यह अस्वीकार्य है- संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने विश्व समुदाय से अपील की है कि वो सोमवार को म्यांमार में हुए तख़्तापलट को नाकाम करें.

उन्होंने कहा कि चुनाव के नतीजों को पलटना 'अस्वीकार्य' है और तख़्तापलट करने वाले नेताओं को यह समझना चाहिए कि देश को चलाने का यह कोई तरीक़ा नहीं है.

दुनिया के सात अमीर मुल्कों ने म्यांमार में तख़्तापलट को लेकर 'गंभीर चिंता' ज़ाहिर की है और वहाँ गणतंत्र की बहाली की माँग की है.

जी7 देशों (कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका) ने एक बयान जारी कर कहा है, "हम म्यांमार के सेना से अपील करते हैं कि वो तुरंत आपातकाल ख़त्म करें और गणतांत्रिक रूप से चुनी सरकार को बहाल करें. साथ ही वो मानवाधिकार का सम्मान करें और जिन नेताओं को हिरासत में लिया गया है उन्हें रिहा करें."

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस घटना पर बयान जारी करने को लेकर चर्चा कर रही है, लेकिन ऐसा अनुमान है कि तख़्तापलट करने के किसी भी बयान को चीन रोक सकता है.

पश्चिम के अधिकांश देशों ने म्यांमार में हुए तख़्तापलट की आलोचना की है. लेकिन चीन का मत है कि अगर म्यांमार पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा कड़े प्रतिबंध लगाये गए तो स्थिति और बिगड़ेगी.

म्यांमार को अंतरराष्ट्रीय स्तर के दवाब से बचाने के लिए चीन पहले भी कोशिश करता रहा है. वो ना केवल म्यांमार का मित्र देश है, बल्कि आर्थिक तौर पर म्यांमार को बेहद अहम मानता है.

अल्पसंख्यक रोहिंग्या पर हमलों और उनके पलायन को लेकर रूस और चीन ने पहले भी संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार का बचाव किया था. चीन का कहना है कि उसे उम्मीद है सभी पक्ष आपसी सहमति से मामले को सुलझा लेंगे.

आंग सान सू ची पर लगे आरोप कितने गंभीर?
कोर्ट के समक्ष पुलिस ने 'फ़र्स्ट इनिशियल रिपोर्ट' यानी प्राथमिक रिपोर्ट के नाम से एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें आंग सान सू ची पर लगाये गए आरोपों के बारे में लिखा गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, सू ची पर ग़ैर-क़ानूनी तरीके से वॉकी-टॉकी जैसे दूरसंचार यंत्रों का आयात करने का आरोप है. नेपीडाव में उनके घर से म्यांमार पुलिस को ये यंत्र मिले हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें कस्टडी में लेकर, गवाहों से पूछताछ की जाएगी, सबूत जुटाये जाएंगे और उनसे पूछताछ करने के बाद क़ानूनी राय ली जाएगी.

विन मिन पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत आरोप लगाये गए हैं. उन पर कोविड-19 महामारी के दौरान लगाई गई पाबंदियों का उल्लंघन कर 220 गाड़ियों के काफ़िले के साथ अपने समर्थकों से मिलने जाने का आरोप है.

कौन हैं आंग सान सू ची?
आंग सान सू ची म्यांमार की आज़ादी के नायक रहे जनरल आंग सान की बेटी हैं.
1948 में ब्रिटिश राज से आज़ादी से पहले ही जनरल आंग सान की हत्या कर दी गई थी. सू ची उस वक़्त सिर्फ दो साल की थीं.
1990 के दशक में सू ची को दुनिया भर में मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली महिला के रूप में देखा गया जिन्होंने म्यांमार के सैन्य शासकों को चुनौती देने के लिए अपनी आज़ादी त्याग दी.
1989 से 2010 तक सू ची ने लगभग 15 साल नज़रबंदी में गुज़ारे.
साल 1991 में नजरबंदी के दौरान ही सू ची को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया.
साल 2015 के नवंबर महीने में सू ची के नेतृत्व में नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने एकतरफा चुनाव जीत लिया. ये म्यांमार के इतिहास में 25 सालों में हुआ पहला चुनाव था जिसमें लोगों ने खुलकर हिस्सा लिया.
म्यांमार की स्टेट काउंसलर बनने के बाद से आंग सान सू ची ने म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में जो रवैया अपनाया उसकी काफ़ी आलोचना हुई. लाखों रोहिंग्या ने म्यांमार से पलायन कर बांग्लादेश में शरण ली. (bbc.com)

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