अंतरराष्ट्रीय
आर्कटिक में हजारों टन डीजल लीक करने वाली रूसी कंपनी पर 2 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया है. बीते कुछ सालों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली बेहद ताकतवर कंपनियां भी बच नहीं पा रही हैं.
डॉयचे वैले पर ओंकार सिंह जनौटी का लिखा-
रूस के दुर्गम इलाके साइबेरिया में मई 2020 में अचानक बड़ी संख्या में मछलियां मरने लगीं. आबोहवा में डीजल की बदबू फैल गई. जांच में पता चला कि यह डीजल है, जो दुनिया में पैलाडियम और निकेल की सबसे बड़ी कंपनी नोरिलस्क निकेल(नोरनिकेल) के एक स्टोरेज टैंक से लीक हुआ है. 21,000 टन डीजल के इस रिसाव को रूस के इतिहास की सबसे बड़ी पर्यावरणीय आपदा कहा जाता है.
हादसे ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी बहुत नाराज किया. अब 54 अरब डॉलर मार्केट वैल्यू वाली कंपनी नोरनिकेल पर रूस की एक अदालत ने दो अरब डॉलर का जुर्माना लगाया है. अदालत का कहना है कि यह कार्रवाई पर्यावरण को ठेंगा दिखाने वाली कंपनियों के लिए एक संदेश है.
आधुनिकीकरण का दबाव
कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए रूस की उप प्रधानमत्री विक्टोरिया अब्राह्मशेंको ने कहा, "इस फैसले के बाद बड़े और जोखिम भरे कारखाने के मालिकों का व्यवहार बदलना चाहिए, उन्हें ये देखना चाहिए कि वे अपने प्रोडक्शन को कैसे आधुनिक बना सकते हैं." डिप्टी पीएम ने कहा, "आधुनिकीकरण करना 146 अरब रूबल (दो अरब डॉलर) के हर्जाने के मुकाबले काफी सस्ता है."
आम तौर पर नोरनिकेल के नाम से विख्यात ये कंपनी दुनिया में पैलाडियम और निकेल की सबसे बड़ी उत्पादक है. कंपनी लंबे समय से साइबेरियाई आर्कटिक इलाके में सल्फर डायऑक्साइड का उत्सर्जन करने के लिए भी बदनाम हैं.
पर्यावरण को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता
हाल के हफ्तों में यह दूसरा बड़ा मामला है जब पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने के कारण किसी दिग्गज कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया गया है. जनवरी के आखिर में नीदरलैंड्स की एक अदालत ने भी अपने ही देश की पेट्रोलियम कंपनी रॉयल डच शेल को नाइजीरिया के किसानों को हर्जाना देने का आदेश दिया. नाइजर डेल्टा में तेल निकालने समय शेल की पाइलपाइन से तेल लीक हुआ. स्थानीय किसानों ने आरोप लगाया कि इस रिसाव के कारण उनकी जमीन बंजर हो गई. 2008 में शेल पर मुकदमा किया गया. चार गरीब किसान बनाम दिग्गज शेल का यह मुकदमा कई अदालतों से गुजरता हुआ आखिरकार हॉलैंड पहुंचा. और आखिरकार 13 साल बाद शेल को चार किसानों को हर्जाना देने को कहा गया.
बीते कुछ सालों को देखें तो पता चलता है कि अब सरकारें भी ऐसे हादसों को गंभीरता से ले रही हैं. 2010 में मेक्सिको की खाड़ी में 49 लाख बैरल कच्चा तेल लीक करने वाली कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) पर अमेरिकी सरकार ने 5.7 अरब डॉलर का जुर्माना ठोंका. दुनिया भर में अब कई पर्यावरण संगठन आबोहवा को नुकसान पहुंचाने वाली कंपनियों के खिलाफ मिलकर मुकदमे लड़ रहे हैं. नीदरलैंड्स की अदालत के फैसले के बाद फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ ने कहा कि यह वैश्विक स्तर पर कंपनियों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक बड़ी जीत है.