अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान को बाइडन के आने से फ़ायदा होगा या नुक़सान
06-Feb-2021 10:18 AM
पाकिस्तान को बाइडन के आने से फ़ायदा होगा या नुक़सान

-अमृता शर्मा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर फिर से विचार कर रहे हैं.

जो बाइडन के साथ पाकिस्तान के पुराने संबंध रह चुके हैं क्योंकि बाइडन पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में उप-राष्ट्रपति थे. साल 2008 में उन्हें गै़र-सैन्य सहायता के लिए पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े सम्मान हिलाल-ए-पाकिस्तान से नवाज़ा गया था.

पाकिस्तान के कई लोगों का मानना है कि बाइडन का रुख़ पाकिस्तान के प्रति ट्रंप की तुलना में नरम रहेगा.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने उम्मीदें ज़ाहिर करते हुए कहा था कि बाइडन प्रशासन 'नई नीतियों और पॉलिसी गाइडलाइन" के साथ काम करेगा.

हालांकि अगले चार वर्षों में जो दो क्षेत्र द्विपक्षीय संबंध बनाने में मदद कर सकते हैं, वो हैं - अफ़ग़ानिस्तान में शांति को लेकर पाकिस्तान का रोल, भारत और चीन से पाकिस्तान के संबंध.

अफ़ग़ानिस्तान में शांति की प्रक्रिया
अफ़ग़ानिस्तान की शांति प्रक्रिया से अमेरिकी सैनिकों के वापस लौटने के बाद पाकिस्तान वहाँ अपनी अहम भूमिका देख रहा है.

चूंकि बाइडन प्रशासन पाकिस्तान से अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद करेगा, इसलिए दोहा में चल रही अंतर-अफगान वार्ता में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर बात हो सकती है.

पाकिस्तान की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में "अफ़ग़ान शांति व्यवस्था पर अमेरिका-पाकिस्तान सहयोग को जारी रखने के महत्व" पर ज़ोर दिया था.

विदेश मंत्री कुरैशी ने यह भी कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति पाकिस्तान और अमेरिका के बीच "मूलभूत अभिसरण" है.

ट्रंप से अलग होगा बाइडन का रवैया
हालांकि पाकिस्तान में इस बात को लेकर चिंता है कि ट्रंप युग के कुछ समझौतों पर अमेरिकी प्रशासन फिर से विचार कर सकता है. इसी कारण से पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने वार्ता पक्षों से "निरंतर प्रतिबद्धता और ज़िम्मेदारी दिखाने" का आग्रह किया था.

विश्लेषक सलमान ग़नी ने 24 जनवरी को उर्दू टीवी चैनल दुनिया न्यूज़ पर कहा कि पाकिस्तान के लिए "नई स्थिति अच्छी ख़बर नहीं है"

26 जनवरी को लोकप्रिय अख़बार डॉन के एक संपादकीय में कहा गया, "अफ़ग़ानिस्तान दोनों देशों के लिए मायने रखता है क्योंकि पाकिस्तान और अमेरिका, दोनों वहां शांति चाहते हैं."

2018 में जब ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान से सुरक्षा मदद वापस लेने का फ़ैसला किया, तो रिश्तों में थोड़ी खटास आई. ट्रंप ने 33 अरब डॉलर की मदद वापस लेते वक्त पाकिस्तान पर "झूठ और धोखे" का आरोप लगाया था.

हालांकि, 19 जनवरी को नए अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल लॉयड जे ऑस्टिन ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के क़दमों की सराहना की, लेकिन यह भी जोड़ा कि अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव बनाना जारी रखेगा ताकि वो अपने क्षेत्र का इस्तेमाल चरमपंथियों के लिए सुरक्षित आश्रय के रूप में न होने दे.

लेकिन 2002 में हुई अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या के मुख्य संदिग्ध उमर सईद की सज़ा पर रोक लगाने के पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के 28 जनवरी के फ़ैसले पर अमेरिका ने "नाराज़गी" जताई और संबंधों में फिर बाधा उत्पन्न हुई.

इस क़दम का असर आगामी फ़ैइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) प्लेनरी मीटिंग पर भी पड़ने की आशंका है, जहाँ अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्था आतंकी गतिविधियों के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के क़दमों की समीक्षा करेगी.

भारत और चीन को लेकर विदेश नीति
पाकिस्तान के भारत और चीन के साथ रिश्तों का असर भी अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते पर पड़ेगा.

अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस द्वारा भारत प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर भारत की आलोचना करना पाकिस्तान के लिए उम्मीद की किरण हो सकती है.


26 जनवरी को डॉन के संपादकीय में लिखा गया, "पाकिस्तान को सतर्क और यथार्थवादी बने रहना चाहिए क्योंकि नए अमेरिकी प्रशासन से उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वो भारत में कश्मीरियों के साथ हो रहे क्रूर व्यवहार को लेकर भारत के ख़िलाफ़ कोई क़दम उठाएगा."

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन के साथ पाकिस्तान के मज़बूत संबंधों के चलते अमेरिकी से अच्छे रिश्ते बनाना मुश्किल हो सकता है.

पूर्व राजनयिक मलिहा लोधी ने 23 जनवरी को दुनिया न्यूज़ टीवी को बताया, "अगर चीन-अमेरिका संबंध अच्छे होते हैं, तो पाकिस्तान के लिए ये अच्छा होगा."

हालांकि, अन्य विशेषज्ञों की राय अलग है.

डॉन ने एक अर्थशास्त्री के हवाले से लिखा," यह स्पष्ट है कि अब पाकिस्तान को रणनीतिक साझेदार के रूप में अमेरिका और चीन के बीच चयन करना है."

आर्थिक बदलाव
पाकिस्तान अमेरिका की नई सरकार के साथ रिश्ते बनाने के लिए उत्सुक है.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बाइडन को दिए बधाई संदेश में लिखा था कि वो, "पाकिस्तान-अमेरिका के बीच व्यापार और आर्थिक क्षेत्र में बेहतर साझेदारी" की ओर देख रहे हैं.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के "भू राजनीतिक स्थिति से भू-आर्थिक स्थिति की ओर बढ़ते क़दम" को रेखांकित किया था. लेकिन व्यापार से जुड़े जानकार मानते हैं कि अमेरिका की पाकिस्तान को लेकर नीतियों में बहुत बड़ा बदलाव नहीं आएगा.

डॉन अख़बार में जानकार एजाज़ हैदर ने लिखा, "रिश्ते किस तरफ़ और कैसे जाएंगे, ये इस पर निर्भर करेगा कि अमेरिका को पाकिस्तान की ज़रूरत कब है."

पाकिस्तान बिज़नेस काउंसिल के एहसान ए मलिक ने एक अख़बार में लिखा, "किसी तरह की ट्रेड डील अमेरिका की ओर से होती नहीं दिख रही है."

दोनों देशों का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों को एक-दूसरे से कितना फ़ायदा होने वाला है. इसके लिए पाकिस्तान को आगे बढ़कर काम कोशिश करनी होगी. (bbc.com)

एजाज़ हैदर के मुताबिक़, "पाकिस्तान को ऐसे क्षेत्र तलाशने होंगे जहां दोनों देश मिलकर काम कर सकें और एक एक्शन प्लान बनाया जा सकें."

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news