खेल

चेन्नई टेस्ट: टीम इंडिया इन 5 कारणों से हारी
09-Feb-2021 4:33 PM
चेन्नई टेस्ट: टीम इंडिया इन 5 कारणों से हारी

BCCI

-आदेश कुमार गुप्त

ऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर ज़ोरदार प्रदर्शन करने के बाद घरेलू मैदान पर पहले ही टेस्ट में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा है.

इंग्लैंड के ख़िलाफ़ चेन्नई टेस्ट में जीत के लिए 420 रनों का पीछा करते हुए विराट कोहली की टीम महज़ 192 रनों पर सिमट गई. टीम की ओर से कप्तान विराट कोहली ही थोड़ा बहुत संघर्ष दिखा सके लेकिन उनकी 72 रन की पारी खेल को तीसरे सेशन तक ले जाने में भी नाकाम रही.

ऐसे में सवाल यही उठता है कि आख़िरकार ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से टेस्ट सिरीज़ जीतने वाली भारतीय टीम अपनी ही ज़मीन पर इंग्लैंड से पहला टेस्ट मैच खेलते हुए क्यों लड़खड़ा गई? इसके कई कारण हैं.

भारतीय टीम चयन पर सवाल
चेन्नई में जब भारतीय टीम मैदान में उतरी तो टीम की कमान अनियमित लेकिन कामयाब कप्तान अजिंक्य रहाणे की जगह नियमित कप्तान विराट कोहली के हाथों में थी जो पितृत्व अवकाश के बाद टीम में वापसी कर रहे थे.

उनकी कप्तानी में भारत ने एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट मैच में दूसरी पारी में महज़ 36 रन पर सिमटकर शर्मनाक हार का सामना किया था. उसके बाद अजिंक्य रहाणे ने युवा खिलाड़ियों शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज, शार्दुल ठाकुर, वाशिंगटन सुंदर और नवदीप सैनी जैसे अपेक्षाकृत कम अनुभवी चेहरों के दम पर सिरीज़ का परिणाम बदल दिया.


BCCI

चेन्नई में जब भारतीय टीम का ऐलान हुआ तो सभी हैरान रह गए क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में तीन मैच में तेरह विकेट लेने वाले तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज की जगह टीम में ईशांत शर्मा ने ली. वह अपना 98वां मैच खेलने उतरे और अपने टेस्ट करियर के 300 विकेट पूरे करने में सफल भी रहे, लेकिन एक गेंदबाज़ के तौर पर अपनी छाप नहीं छोड़ सके.

ईशांत शर्मा के अलावा दूसरे गेंदबाज़ों में जसप्रीत बुमराह और तीन स्पिनर आर अश्विन, वॉशिंगटन सुंदर और अपना दूसरा ही मैच खेल रहे शाहबाज़ नदीम शामिल थे. तमाम क्रिकेट पंडित हैरान थे कि मोहम्मद सिराज और कुलदीप यादव क्यों टीम में नहीं है.

अगर सिराज ने ऑस्ट्रेलिया में दमदार गेंदबाज़ की थी तो इसे इत्तफ़ाक़ ही कहा जा सकता है कि ख़ब्बू चाइनामैन स्पिनर कुलदीप यादव ने भी अपना पिछला मैच साल 2019 में ऑस्ट्रेलिया के ही ख़िलाफ़ उसी की ज़मीन पर सिडनी में सिरीज़ के आख़िरी टेस्ट मैच में पांच विकेट हासिल किए थे.

उसके बाद से कुलदीप यादव लगातार टीम के साथ हैं लेकिन उन्हें टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा नहीं मिला. हो सकता है मोहम्मद सिराज और कुलदीप यादव के रहते भी परिणाम यही रहता लेकिन पहली नज़र में तो यह सही नहीं लग रहा है. शाहबाज़ नदीम ने दो विकेट के लिए 167 और आर अश्विन ने तीन विकेट के लिए 146 रन ख़र्च किए यानी दो गेंदबाज़ों ने ही तीन सौ से ज़्यादा रन लुटा दिए.

BCCI

इंग्लैंड ने ज़ोरदार खिलाड़ियों को आजमाया
दूसरी तरफ़ इंग्लैंड ने जब चेन्नई टेस्ट के लिए अपनी टीम घोषित की थी तो बेहद अनुभवी ऑफ स्पिनर मोईन अली टीम से बाहर थे. शायद पिछले दिनों कोविड का शिकार होने के बाद उनकी फ़िटनेस पर सवाल थे लेकिन जैक लीच और डोमिनिक बैस ने उनकी कमी इंग्लैंड को खलने नहीं दी.

तेज़ गेंदबाज़ी में इंग्लैंड ने स्टुअर्ट ब्रॉड की जगह जेम्स एंडरसन और जोफ्रा आर्चर को मौक़ा दिया. चेन्नई टेस्ट से पहले 606 विकेट अपने नाम कर चुके एंडरसन ने दिखाया कि क्यों वह स्विंग के बादशाह हैं. पहली पारी में तो एंडरसन और जोफ्रा आर्चर ने दो- दो विकेट बांटे लेकिन दूसरी पारी में तो एंडरसन ने गेंदबाज़ी का पाठ भारतीय बल्लेबाज़ों को पढ़ाया.

दूसरी पारी में उन्होंने शुभमन गिल, अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत का शिकार मनचाहे अंदाज़ में किया, ख़ासकर शुभमन गिल को तो संभलने और समझने तक का मौक़ा नही मिला. ऑफ़ स्पिनर बैस ने पहली पारी में चेतेश्वर पुजारा, कप्तान विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत के विकेट झटककर अपना दमख़म दिखाया.


BCCI

जो रूट ने जमाई चेन्नई में जीत की जड़
इंग्लैंड के कप्तान जो रूट ने भारत आने से पहले ही ख़तरे की घंटी बजा दी थी. उन्होंने श्रीलंका के ख़िलाफ़ 228 और 186 रन जैसी बड़ी पारियों सहित 426 रन बनाए. इसी ज़बरदस्त फ़ॉर्म को बरक़रार रखते हुए उन्होंने अपने सौंवे टेस्ट मैच में पहली पारी में 218 रन बनाकर लगातार तीसरे टेस्ट मैच में शतकीय पारी खेली.

अपने टेस्ट करियर के 98-99 और सौंवे टेस्ट मैच में शतक बनाने वाले वह दुनिया के इकलौते बल्लेबाज़ हैं. उन्होंने भारत के ख़िलाफ़ ही अपने टेस्ट करियर का पहला और पचासवाँ टेस्ट मैच भी खेला था. वह सौंवे टेस्ट मैच में दोहरा शतक जमाने वाले पहले क्रिकेटर भी हैं. उनके दोहरे शतक की बदौलत इंग्लैंड पहली पारी में 578 रन जैसा विशाल स्कोर खड़ा करने में कामयाब रहा.

इसके जवाब में भारत की पहली पारी 337 रन पर सिमट गई. जो रूट चाहते तो भारत को फ़ॉलोऑन भी दे सकते थे लेकिन उन्हें पता था कि चेन्नई के टूटते विकेट पर चौथी पारी में खेलना आसान नहीं होगा. हॉलाकि उनके इस निर्णय को साहसिक नहीं माना गया लेकिन यह समझदारी भरा ज़रूर था जिसमें इंग्लैंड की हार का ख़तरा कम था.


BCCI

टॉस का बॉस बनना इंग्लैंड को रास आया
चेन्नई का विकेट टेस्ट क्रिकेट में तीसरे दिन इतना टूट जाता है कि खिलाड़ी उसे अखाड़ा विकेट कहते हैं. इसी चेन्नई के विकेट पर अपने पिछले दौरे में साल 2016 में इंग्लैंड भारत से एक पारी और 75 रन से हारा था. वर्तमान कप्तान जो रूट भी उसी टीम का हिस्सा थे, लिहाज़ा रूट को हार के दर्द का पता था.

टॉस जीतना इंग्लैंड के पक्ष में गया लेकिन वहां ढाई दिन इंग्लैंड ने पहली पारी में शानदार बल्लेबाज़ी कर इसे सोने पर सुहागा भी साबित किया. रूट का दोहरा शतक तो क़ाबिलेतारीफ है ही लेकिन उनकी डोमिनिक सिबले के साथ तीसरे विकेट के लिए दो सौ रनों की साझेदारी ने भी मैच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सिबले ने बेहतरीन 87 रन बनाए तो बेन स्टोक्स ने भी 82 रन बनाकर विशाल स्कोर में अपना योगदान दिया. बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में अपनी छाप छोड़ने वाली इंग्लैंड की टीम ने अगर भारत को पहली पारी में 337 रन पर रोका तो इसका श्रेय उनकी शानदार फ़ील्डिंग को भी जाता है. ख़ुद कप्तान जो रूट ने कवर में थोड़ा आगे खड़े होते हुए अजिंक्य रहाणे का कैच अपने बायीं और गिरते हुए लपका.

भारतीय बल्लेबाज़ों की नाकामी
इंग्लैंड के पहली पारी में बनाए गए 578 रन के जवाब में भारत की सलामी जोड़ी रोहित शर्मा और शुभमन गिल जमकर नहीं खेल सकी. रोहित शर्मा केवल छह और शुभमन गिल 29 रन बना सके. इसके बाद अजिंक्य रहाणे भी केवल एक रन और कप्तान विराट कोहली 11 रन बनाकर पैवेलियन लौट गए.

वह तो ऋषभ पंत ने 91, चेतेश्वर पुजारा ने 73 और वाशिंगटन सुंदर ने नाबाद 85 रन बनाकर भारत को सम्मानजनक 337 रन तक पहुंचाया. पहली पारी के आधार पर 241 रन से पिछड़ने के बाद भारत के पास हारने या मैच को ड्रॉ कराने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं था.

चेन्नई जैसे टूटे विकेट पर जीत के लिए 420 रन बनाना असंभव ही था. दूसरी पारी में भी रोहित शर्मा नाकाम रहे तो रही सही कसर चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत ने आयाराम गयाराम साबित होकर पूरी कर दी.

शुभमन गिल ने अर्धशतक ज़रूर जमाया लेकिन उससे भारत की मुश्किलें कम नहीं हुईं. कप्तान विराट कोहली ने भी एक छोर संभाला लेकिन दूसरे छोर पर उनका साथ देने के लिए बेहतरीन साथी पहले ही उनका साथ छोड़ चुके थे. आख़िरकार विराट कोहली भी 72 रन बनाकर स्टोक्स का शिकार हो गए.

भारत और इंग्लैंड के बीच चार टेस्ट मैचों की सिरीज़ का दूसरा टेस्ट मैच चेन्नई में ही 13 फरवरी से खेला जाएगा. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत अब ऑस्ट्रेलिया दौरे की ही तरह पहला मैच हारकर सिरीज़ में वापसी और जीत की राह पकड़ सकेगा.

वैसे इससे पहले भारत अपनी ही ज़मीन पर आख़िरी बार इंग्लैंड के ही हाथों साल 2012 में टेस्ट सिरीज़ हारा था. ख़ैर अभी तो यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि सिरीज़ किसके पक्ष में रहेगी लेकिन इतना तो तय है कि जो रूट की कप्तानी में खेल रही इस इंग्लैंड की टीम से पार पाने के लिए भारतीय खिलाड़ियों को नाकों चने चबाने पड़ेंगे. (bbc.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news