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अश्विन और अक्षर पटेल की कामयाबी की वजह स्पिन या रफ़्तार?
17-Feb-2021 10:10 AM
अश्विन और अक्षर पटेल की कामयाबी की वजह स्पिन या रफ़्तार?

-मनोज चतुर्वेदी

चेन्नई के चेपक मैदान पर टीम इंडिया को दूसरा टेस्ट जिताने में सबसे अहम भूमिका स्पिन तिकड़ी रविचंद्रन अश्विन, अक्षर पटेल और कुलदीप यादव की रही.

इस तिकड़ी ने दूसरे टेस्ट में 20 में से 17 विकेट निकाले. दूसरी पारी में तो भारत के स्पिनरों ने इंग्लैंड की पारी के सभी 10 विकेट झटक लिए.

वहीं इस टेस्ट में इंग्लैंड के स्पिनरों ने भी कमाल का प्रदर्शन किया. जैक लीच और मोईन अली ने मिलकर भारत की दोनों पारियों में कुल 14 विकेट चटकाए. अगर जो रूट की टीम के स्पिन को शामिल कर लें तो 15 विकेट इंग्लिश स्पिनरों ने भी निकाले.

ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब दोनों टीमों के स्पिनरों को कामयाबी मिल रही थी तो फिर इंग्लैंड ये मैच महज़ चार दिनों के अंदर इतने विशाल अंतर से कैसे हार गया?

दरअसल भारतीय स्पिनरों ने इंग्लैंड के स्पिनरों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा तेज़ी और विविधता से गेंदबाज़ी की. क्रिकेट के खेल में स्पिन गेंदबाज़ों को हालात के हिसाब से गेंदबाज़ी की गति में परिवर्तन करना होता है.

भारतीय स्पिन गेंदबाज़ों में रविचंद्रन अश्विन को इस कला का माहिर माना जाता है. वह हालात के हिसाब से 80 से लेकर 90 कि.मी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाज़ी करते हैं. असल में विकेट अच्छा और तेज़ होने पर कम गति से गेंद फेंकने की ज़रूरत होती है, जबकि टर्निंग विकेट पर ज़्यादा तेज़ी से गेंद डालने की ज़रूरत होती है.

चेन्नई टेस्ट इंग्लैंड के दोनों स्पिनर जैक लीच और मोईन अली ने भी भारतीय स्पिनरों के आसपास की गति से गेंदबाज़ी की पर वह भारतीय गेंदबाज़ों की तरह गति में बदलाव करके बल्लेबाज़ों को उनकी तरह परेशान नहीं कर सके.

यही वो पहलू था जिसका फ़ायदा उठाते हुए भारतीय गेंदबाज़ों ने इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को विकेट पर टिकने नहीं दिया. टर्निंग विकेट आमतौर पर थोड़े धीमे भी होते हैं, इसलिए गेंद को ज़्यादा गति से डाला जाता है ताकि बल्लेबाज़ को प्रतिक्रिया के लिए कम से कम समय मिले. इस तरह की स्थिति में बल्लेबाज़ से ग़लती होने की आशंका ज़्यादा हो जाती है.

छह से आठ इंच टप्पे का रहा फ़र्क
भारतीय टीम के अपने समय के दिग्गज स्पिनर मनिंदर सिंह ने बताया, "दोनों टीमों के स्पिनरों के टप्पे ने भी फ़र्क पैदा किया. भारतीय स्पिनर घरेलू विकेट के बारे में अच्छे से जानते हैं. इसलिए उन्हें पता है कि किस लेंग्थ और गति से गेंदबाज़ी की जाए. उन्हें मालूम था टर्निंग विकेट पर सामान्य से छह से आठ इंच टप्पा आगे रखने पर बल्लेबाज़ को ज़्यादा परेशान किया जा सकता है."

"वहीं भारतीय स्पिनरों ने जिस जगह गेंद डाली, उससे छह से आठ इंच पीछे इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने टप्पा डाला, क्योंकि वह अपने यहां अच्छे विकेट पर खेलने के कारण इस तरह गेंदबाज़ी करने के आदी थे."

मनिंदर सिंह इस अंतर को समझाते हैं, "टर्निंग विकेट पर गेंदबाज़ी करने की एक आर्ट होती है. इस आर्ट में इंग्लैंड के स्पिनर माहिर नहीं हैं. इंग्लैंड के स्पिनर आमतौर पर अच्छे विकेट पर खेलते हैं. वहां यदि आप गेंद का टप्पा आगे डालेंगे तो बल्लेबाज़ चौका लगा देगा, इसलिए वह गेंद को थोड़ा पीछे रखने के आदि होते हैं."

"वहीं भारत में टर्निंग विकेट पर टप्पे को थोड़ा आगे रखना होता है ताकि बल्लेबाज़ को परेशान किया जा सके. यह बदलाव फटाफट करना आसान नहीं है."

अक्षर की गति ने रोके स्वीप शॉट
अक्षर पटेल ने टेस्ट की दूसरी पारी में पांच विकेट निकालकर डेब्यू टेस्ट को यादगार बनाया. संजय मांजरेकर अक्षर की कामयाबी की सबसे बड़ी वजह उनकी लंबाई और 90 कि.मी. प्रति घंटे की गति से गेंद फेंकना मानते हैं.

यह सही है कि इंग्लैंड के बल्लेबाज़ आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के विकेट पर रन बनाने के लिए स्वीप शॉट का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अक्षर के अच्छी गति का इस्तेमाल करने से उनका स्वीप शॉट खेलना मुश्किल हो गया.

वहीं अश्विन इतने चतुर गेंदबाज़ हैं कि उनके सामने ऐसी लिबर्टी लेना कतई आसान नहीं है. भारतीय स्पिन गेंदबाज़ों में कुलदीप यादव कलाई से स्पिन कराने वाले गेंदबाज़ हैं और उनकी गति काफी कम है. इस कारण उन्हें खेलने में बल्लेबाज़ों को ज़्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी. हालांकि वह कम गेंदबाज़ी करके भी दो विकेट लेने में सफल हो गए.

अक्षर की टीम में जगह पक्का करना मुश्किल
चेन्नई टेस्ट में शानदार प्रदर्शन करने वाले अक्षर पटेल क्या भारतीय टीम के स्थाई सदस्य बन सकेंगे? मुझे लगता है कि उनके लिए टेस्ट टीम में स्थान बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी.

रविंद्र जडेजा के चोटिल होने की वजह से अक्षर पटेल को मौका मिला है. फिट होते ही जडेजा का टीम में लौटना पक्का है. इसकी प्रमुख वजह ये है कि जडेजा सिर्फ अनुभवी लेफ्ट आर्म स्पिनर ही नहीं, बल्कि बेहतरीन बल्लेबाज़ और बेजोड़ फील्डर भी हैं.

हां, इतना ज़रूर है कि जडेजा की तरह अक्षर पटेल की गेंदों को खेलते समय बल्लेबाज़ को इस बात के लिए सतर्क रहना पड़ता है कि गेंद टर्न होगी या सीधी आएगी और यह पहचान करना ही बल्लेबाज़ों की असली परीक्षा भी साबित हो रही है.

पहले टेस्ट में शानदार प्रदर्शन के बाद भी अक्षर पटेल की दावेदारी पर मनिंदर सिंह ने कहा, "अक्षर पटेल के इस प्रदर्शन से यह माना जा सकता है कि टीम को रविंद्र जडेजा का एक अच्छा विकल्प मिल गया है. लेकिन अभी उन्हें अपनी टेस्ट काबिलियत साबित करने के लिए लंबा सफ़र तय करना होगा. वह सौभाग्याली हैं कि टर्निंग ट्रैक पर टेस्ट करियर शुरू करने को मिला है. पर आगे वह बल्लेबाज़ी के अनुकूल विकेट पर किस तरह की गेंदबाज़ी करते हैं, इस पर उनका भविष्य बहुत कुछ निर्भर करेगा."

भारत और इंग्लैंड के स्पिनरों की सफलता में एक प्रमुख अंतर दोनों टीमों की बल्लबाज़ी क्षमता का भी है. भारतीय बल्लेबाज़ टर्निंग विकेट पर खेलते समय गेंद के टप्पे तक जाकर खेलने में विश्वास रखते हैं. लेकिन इंग्लैंड के बल्लेबाज़ इस तरह नहीं खेलते हैं.

इसका फ़ायदा भी भारतीय बल्लेबाज़ों ने उठाया और रोहित शर्मा के अलावा सबको चौंकाते हुए आर. अश्विन ने भी शतकीय पारी खेली. जबकि इंग्लैंड की टीम दोनों पारियों को मिलाकर भी 300 का आंकड़ा पार नहीं कर सकी.

इंग्लैंड को इस मैच में अपने सर्वश्रेष्ठ स्पिनर डॉम बैस की कमी भी खली. टीम ने अपने रोटेशन पॉलिसी की तहत उन्हें यहां आराम दिया जबकि वे जानते थे कि पहले टेस्ट को जीतने के बाद वह दूसरे टेस्ट में भी जीतते तो उनके अपने घर में होने वाली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में खेलने की संभावनाएं बढ़ जातीं.

इसी पॉलिसी के तहत दूसरे टेस्ट में शानदार गेंदबाज़ी करने वाले मोईन अली इंग्लैंड लौट चुके हैं. लिहाज़ा इस सिरीज़ में इंग्लैंड की टीम की मुश्किलें अभी कम नहीं होंगी, बल्कि बढ़ेंगी. (bbc.com)

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