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नेपाल में बिप्लब देब के बयान से भड़के लोग, बताया हिंदूवादी एजेंडा
17-Feb-2021 2:19 PM
नेपाल में बिप्लब देब के बयान से भड़के लोग, बताया हिंदूवादी एजेंडा

-रजनीश कुमार

रविवार को अगरतला में बिप्लब कुमाब देब ने पार्टी के एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह का हवाला देते हुए कहा था कि बीजेपी न केवल भारत के सभी राज्यों में, बल्कि नेपाल और श्रीलंका में भी सरकार बनाना चाहती है.

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बिप्लब कुमार देब ने कहा था कि तब अमित शाह पार्टी प्रमुख थे और उसी दौरान उन्होंने अपनी योजना के बारे में बताया था कि पार्टी विदेशों में भी अपना विस्तार करेगी.

उन्होंने कहा था, ''गृह मंत्री जी तब राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. मैंने एक बैठक में कहा कि अध्यक्ष जी बहुत स्टेट हमलोग के पास हो गया है. अब तो अच्छा हो गया है. इस पर अध्यक्ष जी ने कहा- अरे काहे अच्छा हो गया है. अभी तो श्रीलंका बाक़ी है. नेपाल बाक़ी है. मतलब उस आदमी को...बोलता है कि देश का तो कर ही लेंगे...श्रीलंका है...नेपाल है...वहाँ भी तो पार्टी को लेकर जाना है. वहाँ भी जीतना है.''

औपचारिक आपत्ति
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा है कि इस मामले में नेपाल ने भारत सरकार के समक्ष औपचारिक आपत्ति दर्ज करा दी है.

नेपाली मीडिया के अनुसार भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य ने सरकार के समक्ष औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली के प्रेस सलाहकार सुदन ज्ञवाली ने बीबीसी से कहा कि दिल्ली के नेपाली दूतावास ने भारत सरकार के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (प्रचंड गुट) के केंद्रीय और नेपाली प्रवास समन्वय समिति के अध्यक्ष युवराज चौंलगाईं ने बीबीसी से कहा कि बिप्लब देब की यह टिप्पणी नेपाल की संप्रभुता का अपमान है.

युवराज कहते हैं, ''भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी से पता चलता है कि भारत का शासक वर्ग नेपाल को लेकर क्या सोच रखता है. आप ये कैसे कह सकते हैं? नेपाल एक संप्रभु देश है और उसके बारे में उसी सम्मान के साथ कोई टिप्पणी होनी चाहिए.''

युवराज कहते हैं, ''नेपाल को लेकर बीजेपी में इतना आत्मविश्वास कहाँ से आता है, ये सोचने की बात है. इन्हें लगता है कि नेपाल में हिंदू आबादी बहुसंख्यक है, तो कुछ भी बोल दो. हमारी आबादी में भले बहुसंख्यक हिंदू हैं, लेकिन इससे हमारी संप्रभुता का सम्मान कम नहीं हो जाता है. दुनिया में कई मुस्लिम बहुल देश हैं, लेकिन वहाँ तो कोई बड़ा मुस्लिम बहुल देश छोटे मु्स्लिम बहुल देश की संप्रभुता का अपमान नहीं करता. मेरा मानना है कि नेपाल की सरकार को और कड़ी आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी.''

नेपाली मीडिया में भी चर्चा
बिप्लब देब का यह बयान नेपाली मीडिया में छाया रहा. नेपाली अख़बार नया पत्रिका ने 15 फ़रवरी को अपनी रिपोर्ट में लिखा, ''क्या भाजपा की यह गोपनीय योजना बाहर आ गई है? नेपाल में आरएसएस अपना विस्तार पहले से ही कर रहा है. ऐसे में बीजेपी के मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी सुनियोजित है या संयोग? वीरगंज में आरएसएस का एक सम्मेलन हुआ था. इस सम्मेलन का उद्घाटन आरसएस के राष्ट्रीय संह-संचालक कल्याण तिमिल्सिनाले ने किया था. इसमें धर्मांतरण को लेकर चिंता जताई गई थी और वीरगंज बाज़ार से आरएसएस के स्वयंसेवकों ने एक मार्च भी निकाला था.''

बिप्लब देव की टिप्पणी पर रूस में नेपाल के राजदूत रहे हिरण्य लाल श्रेष्ठ कहते हैं कि यह आरएसएस और बीजेपी की मौलिक सोच है. वे कहते हैं, ''सरदार पटेल की तरह ये भी भारत का विस्तार चाहते हैं. ये पूरे साउथ एशिया में हिंदू धर्म का प्रभाव चाहते हैं. लेकिन इन्हें पता होना चाहिए कि धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है ना कि स्टेट का. किसी की संप्रभुता छोटी या बड़ी नहीं होती है. सबकी संप्रभुता का सम्मान उसी रूप में होना चाहिए.''

श्रेष्ठ कहते हैं, ''आरएसएस का प्लान है कि वो नेपाल में भी अपना प्रभाव भारत की तरह ही बनाए. तराई के इलाक़े में ऐसी कोशिश की भी जा रही है. हम भारत और नेपाल में आम लोगों के बीच मज़बूत संबंध चाहते हैं, लेकिन शासक वर्ग की अधिनायकवादी सोच से परे. आरएसएस वाले भारत का विस्तार पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश तक करना चाहते हैं, लेकिन इन्हें सपने से बाहर निकलना चाहिए.''

बिप्लब देब की इस टिप्पणी को भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी बकवास बताया है. कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, ''इन जैसे लोगों के बेवकूफ़ी भरे बयानों की वजह से आज भारत के पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते सबसे ख़राब दौर में पहुँच चुके हैं. आपलोग इन बेवकूफ़ी भरे बयानों से लोगों को सिर्फ़ मूर्ख बना सकते हैं.''

सीपीआईएम नेता और पूर्व सांसद जितेंद्र चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री को लोकतंत्र और संविधान की समझ नहीं है. उन्होंने कहा है कि इस तरह की टिप्पणी किसी दूसरे देश के हस्तक्षेप की तरह देखी जाएगी.

बाबूराम भट्टराई की जनता समाजवादी पार्टी के नेता राजकिशोर यादव कहते हैं कि बिप्लब देब की टिप्पणी से कोई भी नेपाली ख़ुश नहीं हुआ होगा. वे कहते हैं, ''इस तरह की टिप्पणी से भारत नेपाल संबंध ख़राब ही होंगे. ये फालतू की टिप्पणी करते रहे हैं और कहते हैं कि नेपाल में भारत विरोधी भावना बढ़ रही है.''

नेपाल में कई लोग मानते हैं कि नरेंद्र मोदी जब 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने, तो वे नेपाल में भी काफ़ी लोकप्रिय थे लेकिन 2015 में नाकेबंदी के बाद से भारत और बीजेपी दोनों की छवि नेपाल में ख़राब हुई है.

एक नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि अच्छा हुआ कि 2015 में नाकेबंदी भारत ने लगा दी नहीं दी, नहीं तो मोदी नेपाल में भी बड़े नेता बन जाते.

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नेपाल पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से हिंदू राष्ट्र बनाए रखने को लेकर भी दवाब रहा है.

26 मई 2006 को बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा था, ''नेपाल की मौलिक पहचान एक हिंदू राष्ट्र की है और इस पहचान को मिटने नहीं देना चाहिए. बीजेपी इस बात से ख़ुश नहीं होगी कि नेपाल अपनी मौलिक पहचान माओवादियों के दबाव में खो दे.'' (bbc.com)

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