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जमैका में गर्भपात के पक्ष में जोर पकड़ रही है मुहिम
20-Feb-2021 12:35 PM
जमैका में गर्भपात के पक्ष में जोर पकड़ रही है मुहिम

कैरिबियाई द्वीप देश जमैका में डेढ़ सौ साल पुराने गर्भपात विरोधी कानून को बदलने की मांग पुरजोर हो उठी है. संसद में इस पर वोटिंग कराने की तैयारी है. लेकिन ईसाई धार्मिक समूहों ने मुहिम को रोकने का बीड़ा उठा लिया है.

    (dw.com)

20 साल की त्रिशाना (बदला हुआ नाम) के बॉयफ्रेंड ने ऐन सेक्स के बीच कंडोम निकाल दिया जिसका नतीजा हुआ अनचाहा गर्भ. अगर गर्भपात कराते पकड़ी जाती तो त्रिशाना को जिंदगी जेल में काटनी पड़ जाती. उसका गायनोकलोजिस्ट 300 डॉलर में बच्चा गिराने को तैयार हो गया था, हालांकि वो भी अगर पकड़ा जाता तो उसे तीन साल की सजा हो सकती थी. त्रिशाना ने बताया, "वो मेरा सही फैसला था. हूं तो मैं अभी 20 साल की ही.” उसने अपना असली नाम नहीं बताया लेकिन वो अपनी दास्तान पिछले महीने लॉन्च हुई "अबॉर्शन जमैका” नाम की वेबसाइट को बताना चाहती हैं. जमैका उन देशों में एक है जहां प्रजनन अधिकारों के निषेध से जुड़े दुनिया के सबसे सख्त कानून लागू हैं. ऐसे में "अबोर्शन जमैका” मुहिम के युवा एक्टिविस्ट, महिलाओं और लड़कियों से अपने गर्भपात से जुड़े अनुभवों को शेयर करने की अपील कर रहे हैं. यह मुहिम गर्भपात को अपराध की श्रेणी से हटाने का दबाव बनाने के लिए चलाई जा रही है.

सालों पुराने कानून को बदलने की लड़ाई
जमैका में 157 साल पुराने इस प्रतिबंध को लेकर बहस तब शुरू हुई जब पिछले साल दिसबंर में लातिन अमेरिकी मित्र देश अर्जेंटीना ने गर्भपात को कानूनी रूप देने का फैसला किया. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बीडेन ने भी दुनिया भर में गर्भपात सेवाओं के लिए अरबों डॉलर की फंडिंग जारी करने का ऐतिहासिक फैसला किया है. सेंटर-राइट जमैका लेबर पार्टी की सांसद जुलियन कुथबेर्ट-फ्लिन ने 2018 में कानून को बदलने का एक प्रस्ताव पेश किया था और एक संसदीय समिति ने पिछले साल इस पर सजग मतदान कराने की सिफारिश की थी. लेकिन चुनावों के भंग होने से पहले संसद के एजेंडे में यह मुद्दा रखा ही नहीं गया.  

पूर्व ओलम्पियन के तौर पर मशहूर और अब स्वास्थ्य उप-मंत्री बन चुकी कुथबेर्ट-फ्लिन का कहना है कि 1864 के ऐक्ट में संशोधन के लिए वे स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर एक पॉलिसी तैयार कर रही हैं. फिर इस पर संसद में चर्चा के बाद वोटिंग कराई जाएगी. सितंबर में भारी मतों से जीत दर्ज कर संसद पहुंची कुथबेर्ट-फ्लिन ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "और भी सांसद हैं जो इस कानून को वापस लिए जाने के पक्ष में हैं. मैं मानती हूं कि हमारी दलीलों के समर्थन में बहुत से लोग हैं जो महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के खिलाफ इस निरंकुश कानून को बदलना चाहते हैं.”

कुथबेर्ट-फ्लिन को भी महज 19 साल की उम्र में गर्भपात कराना पड़ा था. उस समय वे ब्रेन ट्युमर से भी पीड़ित थी. कैरेबियन पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (कैपरी) नाम के एक थिंकटैंक के मुताबिक जमैका में हर साल करीब 22 हजार महिलाएं गर्भपात कराती हैं, और चोरी छिपे ये काम करने और खुद से ही दवा के इस्तेमाल का सबसे बड़ा जोखिम गरीब महिलाओं को भुगतना होता है. 

बहुत गहरे राज
अपनी स्थापना के एक महीने के भीतर "अबोर्शन जमैका" वेबसाइट ने 30 कहानियां छाप दी हैं. मुहिम का जन्म "रीबेल वुमेन लिस्ट" नाम के एक बुक क्लब से हुआ जो लेखकों की मुलाकातों, संवादों, योगाभ्यासों और नेटफ्लिक्स देखने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से सक्रिय रहा है. वेबसाइट के मुताबिक, "ये कहानियां हम एक कान से दूसरे कान तक पहुंचाएंगे, अपने सपोर्ट सिस्टम के बीच इन्हें फैलाएंगे - वे मददगार लोग, जो करीबी दोस्त हो सकते हैं, बहन, पार्टनर या मां हो सकती हैं - वैसे लोग जिनसे हम अपने सबसे गहरे राज साझा करते हैं.” वेबसाइट का कहना है कि गर्भपात को "एक हेल्थकेयर जरूरत” की तरह देखा जाना चाहिए, "हम किसी को क्या देते लेकिन एक एक कहानी पर हमने ध्यान दिया, उसे सुना और उनके अनुभवों पर खामोशी लादने की कोशिश नहीं की.”

वेबसाइट में सुरक्षित गर्भपात के विभिन्न तरीकों के बारे में सूचना के लिंक दिए गए हैं. गर्भपात करा चुकी दोस्त हों या अपराध की श्रेणी से इसे निकालने का समर्थन कर रहे लोकल एडवोकेसी समूह, उन सबकी किस तरह मदद कर सकते हैं, ये भी वेबसाइट में दर्ज है. अबॉर्शन जमैका ने पुरानी पीढ़ी के अनुभवों के ऑडियो शेयर करने की योजना भी बनाई है.

वेबसाइट की संस्थापक 27 साल की झेराना पैटमोर हैं. उन्होंने अबोर्शन मोनोलॉग्स के नाम से 2018 में ब्लॉग लिखा था. 74 साल की पामेला अपने गर्भपात की दास्तान को वेबसाइट में देना चाहती है. उनका कहना है, "इस बारे में ज्यादा लोग बात नहीं करते हैं और मैं बहुत मजबूती से ये बात मानती हूं कि औरतों को अपने शरीर से जुड़े फैसले खुद करने में समर्थ होना चाहिए.” कुछ कहानियां ग्राफिक रूप में हैं - तकलीफ और दर्द को बयान करतीं, संक्शन की आवाजें और खून का रिसाव - इन घटनाओं में औरतों और लड़कियों का अफसोस और अकेलापन दर्ज है. इनमें एक 16 साल की लड़की की दास्तान भी है जिसे हाईस्कूल पास करने से एक दिन पहले ही गर्भपात कराना पड़ा था. पैटमोर कहती हैं, "अगर हम इन औरतों और बच्चियों की व्यथा समझ सकें, तो हम बहस का रुख मोड़ सकते है.”

पूरी तरह वर्जित
दुनिया में 26 देश ऐसे हैं जहां किसी भी हाल में गर्भपात की अनुमति नहीं है, फिर चाहे मां या बच्चे की जान पर ही खतरा क्यों ना हो. यानी यहां गर्भवती होने के बाद महिला का अपने शरीर पर कोई हक ही नहीं रह जाता. दुनिया की कुल पांच फीसदी यानी नौ करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें इराक, मिस्र, सूरीनाम और फिलीपींस शामिल हैं.

अजन्मे बच्चों की लड़ाई का ‘धर्म‘
कुथबेर्ट-फ्लिन का मानना है कि इस बारे में लोगों की राय धीरे धीरे बदलने लगी है, संसद में महिलाओं के पास रिकॉर्ड 29 प्रतिशत सीटे हैं. कई पुरुष सांसदो ने भी सुधार के लिए समर्थन का संकेत दिया है. इनमें विपक्ष की ओर से स्वास्थ्य मामलो के प्रवक्ता मोराइस गाय भी शामिल हैं जो खुद एक डॉक्टर भी हैं. कुथबेर्ट-फ्लिन का कहना है, "औरतें घरों में मर रही हैं और हमें पता ही नहीं चलता है.” वे बताती हैं कि कैसे बहुत ज्यादा खून बह जाने से उनकी एक सहयोगी की मौत हो गई थी.

इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई बयान नहीं मिला है. स्वास्थ्य मंत्री क्रिस्टोफर टुफ्टोन ने कहा है कि वे संसद में सजग मतदान का समर्थन करेंगे. उनके मुताबिक, "यह एक महत्त्वपूर्ण जन स्वास्थ्य मुद्दा है और इसके लिए उतने ही व्यापक रिस्पॉन्स की जरूरत है.” जमैका प्रमुख रूप से प्रोटेस्टेंट ईसाई देश है और उसके धार्मिक नेता अबॉर्शन के सख्त खिलाफ हैं. एक ईसाई युवा समूह, लव मार्च मूवमेंट ने संसद में मतदान को रद्द करने की मांग के साथ एक अपील जारी की है जिस पर सहमति के 13 हजार हस्ताक्षर जमा हो गए हैं.

जमैका कॉज संस्था के चेयरमैन पादरी आल्विन बाइली का कहना है, "मैं मानता हूं कि गर्भपात कराना गलत है और किसी को भी इसकी इजाजत नहीं मिलनी चाहिए. हम लोग अजन्मे बच्चे को आवाज और पहचान और जीने का मौका देने के लिए जो भी बन पड़ेगा करने के लिए तैयार हैं.”
एसजे/आईबी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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