अंतरराष्ट्रीय
जर्मनी की सत्ताधारी सीडीयू पार्टी के युवा सांसद मार्क हाउप्टमन ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद इस्तीफा दे दिया है. एक हफ्ते में वो सत्ताधारी गठबंधन के तीसरे सांसद हैं जिन्हें इस तरह के आरोपों में इस्तीफा देना पड़ा.
जर्मनी के दो प्रमुख राज्यों में प्रांतीय चुनावों से ठीक पहले चांसलर अंगेला मैर्कल की पार्टी सीडीयू के एक और सांसद को इस्तीफा देना पड़ा है. युवा सांसद मार्क हाउप्टमन ने लॉबिइंग के आरोपों में दबाव बढ़ने के बाद गुरुवार को इस्तीफा दे दिया. इससे पहले उन्हीं की पार्टी के निकोलास लोएबल और बावेरियाई सहयोगी पार्टी सीएसयू के गेयॉर्ग नुइसलाइन को महामारी के दौर में मास्क से जुड़े कारोबारी सौदों के चलते इस्तीफा देना पड़ा.
हाउप्टमान की विदाई एक स्थानीय अखबार में अजरबाइजानी, ताइवानी और वियतनामी पर्यटन के बारे में छपे विज्ञापन की वजह से हुई है. जुडथुरिंगर कूरियर नाम का यह अखबार खुद सांसद हाउप्टमान चलवाते हैं. जर्मन समाचार पत्रिका श्पीगेल ने एक रिपोर्ट छापी है कि उन पर इन विज्ञापनों के बदले विदेशी एजेंसियों से रिश्वत लेने के आरोप हैं. हाउप्टमान ने डी वेल्ट अखबार से बातचीत में कहा है कि वह संदेह को कड़ाई से खारिज करते हैं और रिपोर्ट में बातों को "गलत तरीके से दिखाया" गया है. हाउप्टमान का कहना है, "मैंने किसी भी वक्त इन विज्ञापनों के प्रभाव में आ कर राजनीतिक फैसले नहीं लिए. मैं इन्हें काफी महत्व देता हूं. मैंने कोई पैसा नहीं लिया और मेरे राजनीतिक फैसलों पर किसी का असर नहीं है." उन्होंने इस पूरे मामले पर हैरानी जताते हुए कहा, "मेरे प्रति निजी शत्रुता अपने चरम पर पहुंच गई है."
लोकप्रिय युवा चेहरा
अपनी वेबसाइट पर हाउप्टमान ने बताया है कि उन्होंने थुरिंगिया की येना यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान और इंटरकल्चरल कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने सीडीयू के स्टाइपेंड पर जापान की ओसाका और अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में भी कुछ पढ़ाई की है. उन्होंने यूरोपीय संसद, बीजिंग में सीडीयू के कोनराड आडेनावर फाउंडेशन के अलावा थुरिंगिया के परिवहन मंत्रालय में काम किया है और साथ ही वह जर्मन संसद में सीडीयू-सीएसयू के सांसदों के एक समूह के चेयरमैन भी रहे हैं.
37 साल के हाउप्टमान ने राजनीति की सीढ़ी तेजी से चढ़ी है और वो ऑस्ट्रिया के युवा चांसलर सेबास्टियन कुर्त्स के भी बड़े समर्थक माने जाते हैं. मार्क हाउप्टमन के अखबार ने जानकारी दी है कि अपने संसदीय कामों की वजह से विदेश यात्राओं के जरिए उन्होंने अच्छे संपर्क बनाए हैं जिसका फायदा थुरिंगिया की मध्यम आकार वाले उद्योगों को खूब मिला है. हाउप्टमान भारत के साथ ही इसी तरह के संबंध विकसित करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने भारत के उद्योग जगत के साथ मिल कर कई कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई है. इसमें इंडोजर्मन बिजनेस डायलॉग सबसे प्रमुख है.
सत्ताधारी पार्टी की मुश्किल
इसी हफ्ते सत्ताधारी गठबंधन के दो और सांसदों को महामारी के दौरान मास्क की खरीदारी से जुड़े विवाद के सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा. इनमें एक हैं निकोलास लोएबल. आरोप है कि उनकी कंपनी ने मास्क की खरीदारी का सौदा कराने के बदले ढाई लाख यूरोप का कमीशन हासिल किया. इसी तरह सीएसयू के सांसद गेयॉर्ग नुइसलाइन पर भी मास्क सप्लायर के लिए लॉबिइंग करने के बदले 660,000 यूरोप की रकम कमाने का आरोप है.
एक हफ्ते में तीन लोगों के इस्तीफे से जर्मनी की सत्ता के गलियारे में हलचल तेज हो गई है. शुक्रवार की शाम तक सीडीयू-सीएसयू ने संसद के 245 सदस्यों को यह लिख कर देने के लिए कहा था कि महामारी के दौर में किसी तरह के कारोबार से उन लोगों ने कोई फायदा नहीं उठाया. हालांकि हाउप्टमान मास्क की खरीदारी को लेकर चल रहे स्कैंडल में तो शामिल नहीं हैं लेकिन मैर्कल की पार्टी पर लॉबिइंग के संपर्कों को लेकर दबाव बढ़ गया है. सत्ताधारी गठबंधन में शामिल एसपीडी के उपाध्यक्ष राल्फ स्टेगनर ने राजनेताओं के लिए स्पष्ट आचार संहिता की अपनी मांग दोहराई है. उनका कहना है कि जर्मनी को केंद्रीय और प्रांतीय स्तर पर पैसे देकर की जाने वाली लॉबिइंग पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.
मंगलवार को डीडब्ल्यू के साथ एक इंटरव्यू में सीएसयू के सांसद मिषाएल फ्रीजर ने कहा कि वो नुइसलाइन और लोएबेल के आगे इस मामले के बढ़ने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. फ्रीजर ने कहा, "मैं जर्मनी को तो कोई नुकसान नहीं देख रहा हूं लेकिन राजनीति का नुकसान बहुत बड़ा है." इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संसद को इस तरह के मामलों के लिए अपने नियमों को बेहतर बनाने की जरूरत है.
एनआर/एमजे (डीपीए, एएफपी)