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नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत' कार्यक्रम को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत छोटी विनिर्माण इकाइयों को कर्ज देने में बैंकों के असहयोग के रूप में एक बड़ी बाधा का सामना करना पड़ रहा है।
कार्यान्वयन एजेंसी खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) में भावी उद्यमियों की ओर से ऐसी शिकायतों की झड़ी लग गई है, जिसमें उनके ऋण आवेदनों पर बैंकों की निष्क्रियता या असहयोग का आरोप लगाया गया है।
ऐसी शिकायतों के बाद केवीआईसी के चेयरमैन विनय सक्सेना ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है, "बैंकों की ओर से इस तरह की उदासीनता देश में स्थायी रोजगार पैदा करने के केंद्र के प्रयासों को पटरी से उतार सकती है।"
राजस्थान के जयपुर में शिवा उद्योग की मालिक सुनैना माथुर ने सात अक्टूबर को सक्सेना को पत्र लिखकर बैंक अधिकारियों की अदासीनता के बारे में शिकायत की, जिसके बाद सक्सेना ने वित्तमंत्री को इस तरह की शिकायतों से अवगत कराया है।
माथुर ने अपनी शिकायत में सक्सेना को बताया कि समयबद्ध भुगतान की गारंटी के साथ सरकार के एक पुष्ट आदेश के बावजूद, उनकी इकाई को 50 लाख रुपये का अल्पावधि कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने में बैंक अधिकारी उदासीन बने हुए हैं।
जयपुर स्थित शिवा उद्योग को केवीआईसी से इस साल 27 अगस्त को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को 40,000 किलोग्राम सरसों का तेल उपलब्ध कराने के आदेश मिले हैं।
27 अगस्त को केवीआईसी ने घोषणा की है कि उसे 1.73 करोड़ रुपये मूल्य की 1,200 क्विंटल कच्छी घानी सरसों तेल की आपूर्ति के लिए आईटीबीपी से पहला ऑर्डर मिला है।
आईटीबीपी एक अर्धसैनिक बल है, जो गृह मंत्रालय की ओर से नियुक्त नोडल एजेंसी है। केवीआईसी और आईटीबीपी ने एक वर्ष के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे आगे नवीनीकृत किया जाएगा।
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), जयपुर की ओर से दिखाई गई उदासीनता के बारे में आईएएनएस से बात करते हुए माथुर ने कहा कि वहां उनका ऋण खाता है।
उन्होंने कहा, "आईटीबीपी को 40,000 किलोग्राम सरसों का तेल देने के लिए केवीआईसी से 57.6 लाख रुपये का ऑर्डर मिला है। हमने 31 अगस्त को पीएनबी शाखा से संपर्क किया, जो पहले युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया था, जहां कच्चे माल की खरीद के लिए अल्पकालिक कार्य ऋण के लिए हमारा बैंक खाता है।"
उन्होंने कहा कि शाखा प्रबंधक अरुण रछोया के निर्देश पर, उन्हें दो सितंबर को केवीआईसी से जारी एक पत्र भी मिला कि सरकार से सरकार के आदेश (गर्वमेंट टू गर्वमेंट ऑर्डर) के लिए भुगतान सीधे पीएनबी ऋण खाते में प्रेषित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वह सात सितंबर को झालाना संस्थागत क्षेत्र में सहायक महाप्रबंधक के.सी. मंगल से भी मिली थीं, जिन्होंने कहा था कि उनके ऋण अनुरोध को अनुमोदन के लिए प्रधान कार्यालय (हेथ ऑफिस) को भेजा जाना है।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उनकी फर्म के ऋण अनुरोध को हेड ऑफिस के साथ कभी साझा ही नहीं किया गया था।
शिवा उद्योग की संचालक ने कहा, "क्योंकि यह एक सरकार का ऑर्डर था। अगर समय पर यह ऑर्डर पूरा नहीं हुआ तो ब्लैकलिस्ट में डाले जाने का दबाव था। इसलिए मुझे ऑर्डर के मुताबिक कच्चा माल खरीदने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से पैसे की व्यवस्था करनी पड़ी।"
आईएएनएस ने मंगल से संपर्क करने की कोशिश की, जिन्होंने जयपुर में पीएनबी के महाप्रबंधक देशराज मीणा से संपर्क करने के लिए कहा।
शिवा उद्योग से ऋण के अनुरोध के बारे में पूछे जाने पर मीणा ने आईएएनएस से कहा, "मैं उस ऋण अनुरोध के विवरण की जांच करूंगा।"
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने कहा, "बैंक अधिकारियों की इस तरह की उदासीनता देश में स्थायी रोजगार पैदा करने के सरकार के प्रयासों को पटरी से उतार सकती है।"
उन्होंने कहा कि केवीआईसी को पीएमईजीपी इकाइयों को ऋण देने में बैंक अधिकारियों के असहयोग से संबंधित कई शिकायतें मिली हैं। सक्सेना ने कहा, "इस मामले को वित्तमंत्री के पास ले जाया गया है।"
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रेमडेसिवीर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) समेत चार दवाओं को कोरोना वायरस संक्रमित मरीज़ों के इलाज में बहुत कम प्रभावी बताया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 के इलाज में चार ख़ास दवाएं कितनी कारगर हैं इसे लेकर विस्तृत परीक्षण किया था.
रेमडेसिवीर वो पहली दवा थी जिसे कोरोना वायरस के इलाज के लिए सबसे पहले इस्तेमाल किया गया था. ये दवा हाल में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में भी इस्तेमाल हुई थी.
रेमडेसिवीर की निर्माता कंपनी गिलिएड ने डब्ल्यूएचओ के अध्ययन में आए परिणामों को खारिज किया है.
गिलिएड ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि अध्ययन के निष्कर्ष दूसरे अध्ययनों से मेल नहीं खाते और इन परिणामों की समीक्षा किया जाना बाकी है.
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ का अध्ययन
डब्ल्यूएचओ ने सॉलिडैरिटी ट्रॉयल के दौरान कुल चार दवाओं का परीक्षण किया. जिनमें रेमडेसिवीर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, ऑटो-इम्यून ड्रग इंटरफ़ेरॉन और एचआईवी की दवाओं का संयोजन लोपिनावीर और रिटोनावीर शामिल हैं.
ब्रिटेन में कोविड-19 के गंभीर मरीज़ों के इलाज में इस्तेमाल हो रहे कम कीमत वाले स्टेरॉइड डेक्सामेथासोन को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया है.
30 अलग-अलग देशों के 500 अस्पतालों में 11,266 व्यस्क मरीज़ों इन चार दवाओं का परीक्षण किया गया था.
डब्ल्यूएचओ के नतीजों में पाया गया है कि ये दवाएं मरीजों की जान बचाने और संक्रमण के दिनों को कम करने में भी कारगर साबित नहीं हुई हैं. हालांकि, इन नतीज़ों की अभी समीक्षा किया जाना बाकी है.
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने बुधवार को कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनावीर और रिटोनावीर दवाओं का परीक्षण जून में ही रोक दिया गया था क्योंकि वो पहले ही अप्रभावी साबित हो गई थीं. हालांकि, अन्य दवाओं पर परीक्षण जारी रखे गए थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के नतीजे पिछले महीने गिलिएड के अध्ययन में आए नतीज़ों से बिल्कुल अलग हैं. गिलिएड ने कहा था कि प्लेसेबो दिए जाने वाले मरीज़ों की तुलना में रेमडेसिवीर से कोरोना वायरस से ठीक होने का समय पांच दिन कम हो जाता है. गिलिएड के परीक्षण में 1000 मरीज़ शामिल थे.
गिलिएड की प्रतिक्रिया
गिलिएड सांइसेज़ ने डब्ल्यूएचओ के नतीजों को खारिज करते हुए कहा है, ''ये डाटा असंगत लग रहा है. रेमडेसिवीर के फायदे कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके आक्समिक और नियंत्रित अध्ययनों से मिले ज़्यादा ठोस प्रमाणों से प्रमाणित होते हैं.''
''हमें चिंता है कि ये ओपन (खुले) लेबल वाला वैश्विक परीक्षण प्राप्त डेटा कठोर समीक्षा से नहीं गुजरा है जो कि इस तरह की उपयोगी वैज्ञानिक चर्चा के लिए ज़रूरी है.''
अमरीका में एक मई से आपातकालीन स्थिति में रेमडेसिवीर के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. इसके बाद कई और देशों में भी इसके इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी गई थी.
वहीं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए डॉक्टर के निर्देश पर इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, ये कितनी कारगर है इसका भी अब तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है.
इन नतीजों को देखते हुए डॉक्टर स्वामीनाथन कहती हैं, ''हम मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ और कुछ नई एंटी-वायरल दवाओं पर विचार कर रहे हैं जो पिछले कुछ महीनों में विकसित की गई हैं.'' (bbc)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार को एक ऐसा फॉर्मूला बताया है, जो सूखे और बाढ़ दोनों की समस्या से निजात दिला सकता है। यह फॉर्मूला है स्टेट वाटर ग्रिड निर्माण का। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में कहा है कि, "वाटर ग्रिड के निर्माण से बाढ़ के संकट से न केवल राज्य को निजात दिलाई जा सकती है, बल्कि सूखे की समस्या और किसानों की आत्महत्या की घटनाओं को भी रोका जा सकता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके कैबिनेट सहयोगियों और एनसीपी नेता और सांसद शरद पवार को पत्र लिखकर राज्य में स्टेट वाटर ग्रिड के निर्माण के लिए डीपीआर बनाने का सुझाव दिया है। कहा है कि इससे सरकार को सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बढ़ाने और बाढ़ संकट के प्रबंधन में मदद मिलेगी।
नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का ध्यान, हर साल महाराष्ट्र में बाढ़ से भारी जानमाल के नुकसान की तरफ दिलाया है। उन्होंने कहा है कि बाढ़ जैसी आपदा से निपटने के लिए तत्काल प्रभाव से ठोस कदम उठाने की जरूरत है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ एक गंभीर मुद्दा है। केंद्रीय मंत्री ने महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रीय पावर ग्रिड और राजमार्ग ग्रिड की तर्ज पर राज्य जल ग्रिड के गठन की महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने का सुझाव दिया है। राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में एक नदी बेसिन से दूसरे नदी बेसिन में बाढ़ के पानी को मोड़ने से पानी की कमी वाले इलाकों को राहत मिल सकती है। नितिन गडकरी ने कहा है कि बाढ़ के पानी से सिंचाई की सुविधा बढ़ने से किसानों की आत्महत्याएं रोकने में मदद मिलेगी। फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा, जिससे गांव की और देश की अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर | किसी भी चीज की कोई हद होती है! यही अभिव्यक्ति है बॉलीवुड की और उन लोगों की जो हाल के दिनों में छोटे पर्दे पर हो रहे मीडिया ट्रायल से आजिज आ चुके हैं। कुछ टीवी चैनलों ने अपने घटिया स्वार्थ के लिए बॉलीवुड को बदनाम करके रख दिया। नशेड़ियों का अड्डा करार देकर बॉलीवुड को देश की सबसे गंदी इंडस्ट्री करार दे दिया। बकवास ‘सबूतों’ के आधार पर फिल्मी हस्तियों की प्रतिष्ठा धूल में मिला दी।
सवाल यह उठता है कि सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद टीवी चैनलों ने अभूतपूर्व तरीके से गर्त में पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था, कोविड-19 से निपटने में सरकार की विफलता और चीन से लगती सीमा पर लगभग छह दशकों के सबसे बड़े खतरे की ओर से लोगों का ध्यान हटाने का काम क्या स्वयं अपने आप हाथ में ले लिया?
मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने 8 अक्तूबर को यह खुलासा किया कि रिपब्लिक टीवी तथा दो अन्य टीवी चैनल टीआरपी डाटा को प्रभावित कर रहे थे और इसके लिए उन्होंने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) की ओर से खास घरों में लगाए गए मीटरों में ही सेंध लगा दी थी। इस मामले में टीआरपी के इस पूरे खेल की बारीकियों को समझना जरूरी है। किसी कार्यक्रम की लोकप्रियता का स्वाभाविक तौर पर सीधा संबंध विज्ञापन दर से होता है। चूंकि सभी चैनल दावा करते हैं कि उनके कार्यक्रम को सबसे ज्यादा लोग देख रहे हैं इसलिए वास्तविकता का पता निष्पक्ष तरीके से लगाना जरूरी हो जाता है।
वर्ष 2015 तक टैम (टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट) नाम की निजी कंपनी का इस काम पर एकाधिकार था। वही दुनिया और विज्ञापनदाताओं को बताती थी कि किस चैनल को कब कितने लोग देखते हैं। इसमें दो अंतरराष्ट्रीय मीडिया दिग्गजों- एसी नील्सन और कंतार की आधी-आधी की भागीदारी थी। टैम ने खास तौर से शहरी इलाकों के 8,000 घरों में ‘पीपुल्स मीटर’ लगाए। तब 12 करोड़ घरों में टीवी सेट होते थे और टैम के डाटाबेस पर इस कारण सवाल उठे कि इसका सैंपल साइज काफी छोटा है और उसकी रेटिंग में ग्रामीण इलाकों को तो पूरी तरह से नजरअंदाज ही कर दिया गया। लेकिन टैम को सबसे अधिक इस बात के लिए कठघरे में रखा गया कि उसने किन घरों में ये मीटर लगा रखे हैं, इसको लेकर उसने जरूरी गोपनीयता नहीं बरती। जाहिर-सी बात है कि ऐसे में कोई भी टीवी कंपनी इन घरों से संपर्क करके इन्हें प्रभावित कर सकती थी। भारत के एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल ने इन कारणों से टैम के खिलाफ अमेरिका की अदालत में केस कर दिया। उस व्यवस्था में कुछ को शर्तिया फायदा तो बाकी को हानि हुई होगी।
यही व्यवस्था सालों-साल चलती रही और फिर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने देश के शीर्ष चैनल्स को मिल-बैठकर अपनी खुद की रेटिंग प्रक्रिया तय करने को प्रेरित किया और इस तरह मौजूदा समय के बार्क की स्थापना हुई। वर्ष 2015 के मध्य से बार्क ने कंप्यूटर से बिना किसी क्रम के चुने गए घरों में अपना खुद का ‘गोपनीय’ बार-ओ-मीटर लगाना शुरू किया। इसके बारे में आम तौर पर यही माना जाता रहा कि यह काफी हद तक पारदर्शी और निष्पक्ष व्यवस्था है क्योंकि यह काम परस्पर प्रतिद्वंद्वी कंपनियां और पैनी नजर रखने वाले विज्ञापनदाता कर रहे थे। बार्क ने 44 हजार घरों में यह मीटर लगा रखा है और टैम के मुकाबले इसका सैंपल साइज निश्चित तौर पर काफी बड़ा है लेकिन टीवी वाले 20 करोड़ घरों को देखते हुए इसे अपर्याप्त ही कहा जा सकता है।
अब एक स्वाभाविक-सा सवाल। अगर बार्क की रेटिंग प्रक्रिया इतनी ही निष्पक्ष थी तो फिर यह टीआरपी स्कैम आखिर हुआ कैसे? दरअसल, इसका अंतिम पड़ाव सबसे कमजोर है। बार्क इन घरों तक लोगों को भेजता है और यह काम आउटसोर्स कर दिया गया है। मुंबई पुलिस का कहना है कि कुछ लोगों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया और तीन निजी चैनलों की ओर से बार-ओ-मीटर वाले कुछ घरों को घूस देकर मिला लिया और इस तरह इन चैनलों की टीआरपी अस्वाभाविक रूप से अधिक हो गई।
खेल एकदम से गंदा हो गया और शालीनता को ताक पर रख दिया गया जब चीख–चिल्लाकर किसी भी बात को सनसनीखेज बनाने के लिए जाने जाने वाले एंकरों ने सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को दुर्भाग्यपूर्ण अंदाज में भुनाना शुरू किया। सबसे पहले कोशिश हुई कि मामले को हत्या के तौर पर स्थापित कर दिया जाए लेकिन जब इस कहानी को आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया तो हत्या के लिए उकसाने के फंडे को आजमाया गया और जब यह भी औंधे मुंह गिर गया तो पूरे मामले को ड्रग्स का मोड़ दे दिया गया। नार्कोटिक्स विभाग के अतिसक्रिय लोग एक अकेली औरत पर टूट पड़े।
आखिरकार बॉलीवुड के चंद बोल्ड लोगों ने इंडस्ट्री को बेवजह बदनाम करने की इस मुहिम के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। यह उम्मीद जगाने वाली पहल है और यकीनन इस बात का उदाहरण भी है कि देश का हौसला अभी जिंदा है और चंद स्वार्थ प्रेरित न्यूज चैनल इस पर ग्रहण बनकर हावी नहीं हो सकते। (navjivan)
भुवनेश्वर, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| ओडिशा के एक एनजीओ 'जिंदगी फाउंडेशन' ने गरीब परिवार से आने वाले 19 मेडिकल छात्रों की जिंदगी संवारने में अहम भूमिका निभाई है। दरअसल इन छात्रों ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में इस एनजीओ के सहयोग से सफलता हासिल की है। न तो गरीबी और न ही कोरोनावायरस इन छात्रों को उनके लक्ष्य से दूर कर सकी।
जिंदगी कार्यक्रम शिक्षाविद अजय बहादुर सिंह चलाते हैं, जो खुद एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वित्तीय समस्या के चलते उन्हें हार माननी पड़ी।
सिह ने 2017 में जिंदगी फाउंडेशन का गठन किया था, जिसके तहत ओडिशा में गरीब तबके से आने वाले छात्रों को मुफ्त कोचिंग के साथ ही रहने, व स्टडी मैटिरियल की सुविधा प्रदान की जाती है।
इस परीक्षा में सत्यजीत साहू ने सफलता हासिल की है, जिनके पिता साइकिल पर सब्जी बेचा करते हैं। साहूल ने परीक्षा मं 619 अंक हासिल किए हैं।
वहीं सुभेंदु परिदा अपने माता-पिता के साथ इडली-वड़ा बेचा करते हैं। उन्होंने परीक्षा में 619 अंक लाकर सफलता अर्जित की है। इसी प्रकार कई गरीब छात्रों ने डॉक्टर बनने के अपने सपने को साकार किया है।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली को निर्विरोध रूप से दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) का अध्यक्ष चुना गया है। रोहन इस पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार थे। इस पद के एकमात्र अन्य उम्मीदवार सुनील कुमार गोयल ने नामांकन दाखिल करने के बाद वापस ले लिया था।
बाकी छह पदों के लिए चुनाव पांच से आठ नवंबर के बीच होंगे। पांच से आठ नवंबर के बीच अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और चार निदेशकों के पद के चुनाव होने हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और 14 साल तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली का अध्यक्ष चुना जाना तय था। उनके नाम को लेकर सभी वर्गों में सर्वसम्मति थी।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोविड-19 महामारी से संबंधित प्रमुख प्राथमिकताओं पर चर्चा के लिए आयोजित ग्रैंड चैलेंजेस एनुअल मीटिंग 2020 में रविवार को दुनिया भर के प्रख्यात वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को संबोधित करेंगे। बैठक में महामारी के बाद दुनिया में सतत विकास लक्ष्यों में तेजी लाने और कोविड -19 चुनौतियों का प्रबंधन करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए आयोजित की जा रही है।
ग्रैंड चैलेंज इंडिया कृषि, पोषण, स्वच्छता, मातृत्व और बाल स्वास्थ्य से लेकर संक्रामक रोगों तक स्वास्थ्य और विकासात्मक प्राथमिकताओं के रेंज में काम करती है।
प्रधानमंत्री शाम 7.30 बजे ग्रैंड चैलेंज एनुअल मीटिंग 2020 के उद्घाटन समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य भाषण देंगे। यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शनिवार को दी।
पिछले 15 सालों से ग्रैंड चैलेंजेस एनुअल मीटिंग ने स्वास्थ्य और विकास में सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय इनोवेशन सहयोग को बढ़ावा दिया है।
ग्रैंड चैलेंजेस एनुअल मीटिंग 2020 वर्चुअल तौर पर 19-21 अक्टूबर को आयोजित होगी, जिसमें वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने में गहन वैज्ञानिक सहयोग का आह्वान करते हुए नीति निमार्ताओं और वैज्ञानिकों को एक साथ लाया गया है।
पीएमओ ने कहा, "वैश्विक नेताओं, दुनिया भर के प्रख्यात वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस वार्षिक बैठक में शामिल होंगे, जो महामारी के बाद की दुनिया में सतत विकास लक्ष्यों में प्रगति को गति देने के लिए महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगे और कोविड-19 का प्रबंधन करने के लिए चुनौतियों का समाधान करने पर विस्तार से चर्चा करेंगे।"
इस वार्षिक बैठक में 40 देशों के लगभग 1,600 लोग भाग लेंगे।
ग्रैंड चैलेंजेस एनुअल मीटिंग 2020 का आयोजन बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलोजी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और नीति आयोज के साथ-साथ ग्रैंड चैलेंजेस कनाडा, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट एंड वेलकम द्वारा किया जाएगा।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे पर फिर सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने अनुच्छेद 370 बहाली की मांग उठाई तो भाजपा ने करारा निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कांग्रेस पर अलगाववादियों की भाषा बोलने का आरोप लगाया है। जावडेकर ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि, "अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को वापस लेने की बात बिहार बिधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में वह लिखकर दिखाएं।" जावडेकर ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे चीन और पाकिस्तान की प्रशंसा करते हैं।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शनिवार को कहा, "जो लोग मांग कर रहे हैं कि धारा 370 खत्म करने का फैसला गलत था, इसलिए कांग्रेस वापस लेगी। क्या कांग्रेस बिहार चुनाव के घोषणापत्र में यह कहेगी? 370 हटाने के फैसले का जम्मू कश्मीर सहित पूरे देश की जनता ने स्वागत किया। एक साल में जम्मू कश्मीर में कितनी तरक्की हुई, यह सभी ने देखा है। फिर भी जो थोड़े अलगाववादी हैं, उनके सुर में सुर मिलाकर कांग्रेस बोल रही है।"
प्रकाश जावडेकर ने कहा कि, "कांग्रेस अब एक संकीर्ण पार्टी बन चुकी है। इसलिए वह देश की जनता की भावनाओं के खिलाफ भूमिका ले रही है।" केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी पाकिस्तान की प्रशंसा करते हैं। किसी भी विषय पर इनको, चीन की प्रशंसा करना अच्छा लगता है। यही कांग्रेस का रूप है।"
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर बोले, "धारा 370 को लेकर संविधान ने भी कहा था कि थोड़े समय में यह चली जाएगी। लेकिन 70 साल रही। धारा 370 हटाने से अलगाववाद खत्म हुआ। वहां दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, ओबीसी सभी समुदायों को आरक्षण का लाभ मिला। देश में जनता के हितों के अनेक कानून कश्मीर में लागू हुए। ये फायदा होकर भी आज कांग्रेस इसके खिलाफ बोल रही है।"
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, "बिहार चुनाव के मौके पर कांग्रेस अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ बोल रही है। मैं चुनौती देता हूं कि पार्टी अपने बिहार के घोषणापत्र में यह लिखकर दिखाए। यह जानबूझकर समाज तोड़ने और वोट बटोरने का राजनीति है। इसकी हम भर्त्सना करते हैं।"
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन, दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस वक्तव्य का स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में उच्च कट-ऑफ के कारण दिल्ली के अधिकांश छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाने पर चिंता जताई है। डीटीए ने कहा, "दिल्ली में नए कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित करना तभी संभव है, जब दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम 1922 में संशोधन हो। इसके लिए दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने राष्ट्रपति व केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर डीयू अधिनियम 1922 में संशोधन करने की मांग की है।"
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रभारी और दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, "संसद में एक प्रस्ताव पारित कर डीयू अधिनियम 1922 में संशोधन किया जाए। अंग्रेजों द्वारा बनाया गया यह कानून पिछले 98 वर्षो से चला आ रहा है। हमें अपने संविधान व भारतीय परिवेश के अनुसार इसमें संशोधन कर अधिनियम बनाने चाहिए।"
पत्र में डीटीए ने कहा, "राजधानी दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) की स्थापना आजादी से पहले सन् 1922 में हुई थी। उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था। उन्होंने ही दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम 1922 में बनाया था और तभी से यह अधिनियम लागू है। इस अधिनियम में स्पष्ट लिखा है कि अगर कोई नया कॉलेज दिल्ली में खुलेगा तो वह सिर्फ दिल्ली विश्वविद्यालय से ही एफिलिएशन ले सकता है।"
प्रोफेसर सुमन ने राष्ट्रपति और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में कहा, "30 वर्षो से एक भी नया कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से नहीं खोला गया है। दिल्ली में दिनों दिन बढ़ती छात्रों के प्रवेश की समस्या को देखते हुए दिल्ली सरकार यहां नए कॉलेज खोलना चाहती है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय एक्ट सेक्शन-5 (2) के तहत कोई नया कॉलेज खुलेगा तो वह दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत ही आएगा। इसके लिए कोई नया विश्वविद्यालय व कॉलेज खोलने का प्रावधान नहीं है।"
उन्होंने बताया कि सन् 1998 में एक संशोधन करके कहा गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय का एफिलिएशन हो सकता है, जबकि उस विश्वविद्यालय में सिर्फ प्रोफेशनल कोर्स होते हैं, ग्रेजुएशन नहीं होता है, इसलिए जरूरी है कि अंग्रेजों के इस कानून को बदला जाए, जिससे उच्च शिक्षा सभी लोगों तक पहुंच सके।
दिल्ली में हर साल लगभग 2.5 लाख छात्र 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं और उनमें से केवल 1.25 लाख छात्रों को ही दिल्ली के कॉलेजों में प्रवेश मिल पाता है। इसमें भी सर्वाधिक छात्र एसओएल और नॉन कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड (महिला) में प्रवेश लेती हैं। बोर्ड में तो दिल्ली की ही छात्राओं को प्रवेश दिया जाता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों की हाई कट-ऑफ के कारण 80, 70, 60 फीसदी अंक पाए छात्रों को उनके मनपसंद कॉलेज और कोर्सिज में प्रवेश ही नहीं मिल पाता है।
डीटीए के मुताबिक, प्रतिभाशाली छात्र कॉलेज में प्रवेश न मिल पाने से उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में सीटों की कमी है और छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में ईडब्ल्यूएस आरक्षण से कुछ सीटों में इजाफा जरूर हुआ है, लेकिन जिस तेजी से छात्रों की संख्या बढ़ रही है, उसी अनुपात में नए कॉलेज भी खोले जाने चाहिए। प्रतिभाशाली छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित न होना पड़े।
नयी दिल्ली 17 अक्टूबर(वार्ता)। निर्यात कारोबारियों के संगठन भारतीय निर्यातक महासंघ (फियो) ने पंजाब में किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और राज्य में रेल और सड़क मार्ग पर फंसे माल की निकासी करानी चाहिए।
फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने शनिवार को कहा कि सरकार को किसानों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए बात करनी चाहिए और रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग को खाली कराना चाहिए। इससे विरोध प्रदर्शन में फंसी माल गाड़ियां और ट्रक राज्य से बाहर आ सकेंगे।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके कारण राज्य में रेल और सड़क मार्ग बंद हैं। माल से लदे ट्रक और मालगाड़ियां जहां - तहां रुक गई हैं। इसके कारण माल का निर्यात नहीं हो पा रहा है।इसका विरोध प्रदर्शनों का असर न केवल घरेलू उद्योग पर पड़ रहा है बल्कि निर्यातकों को भी आपूर्ति करने में परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महमारी के कारण उद्योग पहले ही गहरे दबाव में हैं। विरोध प्रदर्शन के कारण आपूर्ति बाधित हो रही है।सरकार को इस संबंध में तुरंत कदम उठाने चाहिए।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर | नीट परीक्षा में शत-प्रतिशत अंक हासिल करने वाली उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की आकांक्षा सिंह ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता व ईश्वर को दिया है। नीट परीक्षा स्थगित करने की इच्छा रखने वाले छात्रों के विपरीत, आकांक्षा का मानना है कि लॉकडाउन की अवधि ने उन्हें तैयारी करने के लिए अतिरिक्त समय दिया। आकांक्षा पहले सिविल सर्विस में अपना भविष्य तलाशना चाहती थीं। उन्होंने कहा, "मैं 8वीं तक आईएएस बनने का सोचती थी। फिर दिल्ली का एम्स अस्पताल मेरे लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया। इसके बाद से मैंने नीट की तैयारी की शुरू की।"
आकांक्षा के पिता वायुसेना से रिटायर्ड हैं। उनकी मां रुचि सिंह गांव के प्राथमिक स्कूल की अध्यापिका हैं। 10वीं तक कुशीनगर में पढ़ाई कर चुकीं आकांक्षा ने अपनी सफलता का श्रेय ईश्वर और माता-पिता को दिया। उन्होंने 11 व 12 की पढ़ाई दिल्ली के प्रगति पब्लिक स्कूल में से की है। आकांक्षा को पढ़ने के साथ ही गाने सुनना भी पसंद है।
आकांक्षा ने आईएएनएस से कहा, "मैं डॉक्टर बनना चाहती थी। इसके लिए कक्षा 10 पास करने के बाद, मैं प्लस 2 के लिए दिल्ली आ गई और यहां एक कोचिंग भी ज्वाइन कर ली।"
नीट परीक्षा देने के बाद 17 वर्षीय आकांक्षा को उम्मीद थी कि उनका स्कोर 720 में से 700 के आसपास रहेगा। हालांकि आकांक्षा को उम्मीद से बेहतर नतीजे हासिल हुए और उन्होंने 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं।
अपने परीक्षा परिणाम पर संतोष जाहिर करते हुए आकांक्षा ने कहा, "मैंने रोजाना 10 से 12 घंटे अध्ययन किया और अपने संस्थान की अध्ययन सामग्री का अनुसरण किया। इसके अलावा, मैंने ऑनलाइन कक्षाएं भी लीं। प्रेरित महसूस करने के लिए मैंने सार्वजनिक मोटिवेशनल वीडियो भी देखे।"
आकांक्षा का उद्देश्य न्यूरोसर्जरी पर शोध करना है। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "एमबीबीएस पूरा करने के बाद, मैंने बाद में अनुसंधान करने और चिकित्सा का अभ्यास करने की योजना बनाई।"
कोरोना काल ने आकांक्षा को चिकित्सकों की भूमिका और उनके महत्व से भी रूबरू कराया है। आकांक्षा ने कहा, "कोरोना के इस संकट में जिस तरह से डॉक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर प्रदर्शन किया है, वह मेरे जैसे हजारों लोगों के लिए प्रेरणा है। इसने मुझे एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के महत्व और जिम्मेदारी का एहसास कराया है।"
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने शुक्रवार को नीट 2020 परीक्षा का रिजल्ट जारी किया है। नीट का रिजल्ट एनटीए की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया गया है। रिजल्ट के साथ एनटीए ने फाइनल प्रश्नोत्तर भी जारी कर दिए हैं। इस परीक्षा में दिल्ली से आकांक्षा सिंह और ओडिशा के शोएब आफताब ने 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं।(आईएएनएस)
नयी दिल्ली,17 अक्टूबर (वार्ता) । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला जारी रखते हुए शनिवार को 'वैश्विक भूख सूचकांक ' 2020 को लेकर निशाना साधा और कहा कि भारत का ग़रीब भूखा है क्योंकि सरकार सिर्फ़ अपने कुछ ख़ास ‘मित्रों’ की जेबें भरने में लगी है।
शुक्रवार को जारी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 के 117 देशों में भारत का 94 वां स्थान है जबकि इंडोनेशिया, पाकिस्तान, नेपाल और बंगलादेश इसकी तुलना में कहीं बेहतर पायदान पर हैं। श्री गांधी ने इस संबंध में प्रकाशित एक ग्राफ को अपने ट्विटर पर साझा किया और केंद्र सरकार पर हमला करते हुए लिखा ,"भारत का ग़रीब भूखा है क्योंकि सरकार सिर्फ़ अपने कुछ ख़ास ‘मित्रों’ की जेबें भरने में लगी है।"
सूचकांक के अनुसार इंडोनेशिया 70,नेपाल 73,बंगलादेश 75 और पाकिस्तान 88 वें पायदान पर है।
श्री गांधी ने कल कोरोना से अर्थव्यवस्था को लगे झटकों को लेकर केंद्र पर हमला बोला था। उन्होंने एक ग्राफिक्स साझा करते हुए मोदी सरकार पर तंज कसा ," भाजपा सरकार की एक और ठोस उपलब्धि , पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी भारत से बेहतर ढंग से कोविड का प्रबंध किया है।"
वायनाड से सांसद श्री गांधी ने दो दिन पहले ट्वीट करके कहा था कि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी )के आधार पर बंगलादेश जल्द ही भारत को पछाड़ देगा। इसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों का हवाला दिया था। सरकार के सूत्रों ने इस पर जबाव देते हुए श्री गांधी के दावों को गलत बताया था।
मैसूरु, 17 अक्टूबर | देश-दुनिया में मशहूर मैसूर का 10 दिनी दशहरा उत्सव शनिवार को कोविड -19 महामारी के बीच शुरू हुआ, हालांकि उत्सव से हमेशा की तरह रहने वाली भव्यता नदारद रही। दशहरा कर्नाटक के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और इसे 'नाडा हब्बा' (राज्य त्योहार) माना जाता है।
उत्सव की शुरूआत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च, बेंगलुरु के निदेशक डॉ.सी.एन.मंजूनाथ और मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने चामुंडी पहाड़ी के ऊपर से मैसूरु राजघरानों के प्रमुख देवता चामुंडेश्वरी की मूर्ति पर फूलों की वर्षा करके की।
बता दें कि राज्य सरकार हर साल दशहरा उत्सव के लिए विभिन्न क्षेत्रों से एक प्रमुख व्यक्तित्व को आमंत्रित करती है। इस साल राज्य सरकार ने डॉक्टरों की सेवा और फ्रंटलाइन कोविड-19 योद्धाओं के प्रतिनिधि के तौर पर डॉ.मंजूनाथ को चुना।
डॉ.मंजूनाथ पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के दामाद हैं लेकिन इतने प्रभावशाली परिवार से होने के बाद भी उनकी छवि गरीब लोगों के बीच 'लोगों के डॉक्टर' की है।
इस समारोह के लिए डॉ. मंजूनाथ के साथ राज्य सरकार ने 6 कोविद योद्धाओं को भी चुना है।
बता दें कि मैसूरु में बड़ी संख्या में कोविड मामले दर्ज हुए हैं और सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए दशहरा के दौरान सभी मानदंडों का सख्ती से पालन करने पर जोर दे रही है।
मैसूरु प्रशासन ने अधिकांश समारोहों में लोगों को प्रतिबंधित कर दिया है और लाइव टेलीकास्ट की व्यवस्था की है। इसके अलावा उत्सव के 10 वें दिन विजयादशमी को निकलने वाली देवी चामुंडेश्वरी की 'जंबो सवारी' को केवल महल परिसर तक ही सीमित कर दिया है। महल में भी शाही परिवार ने समारोहों को सादगी से आयोजित करने का फैसला किया है।
त्योहार के दौरान शाही महल और मैसूरु शहर के कई हिस्सों को शाम के समय हजारों बल्बों से रोशन किया जाएगा।
इस उत्सव की शुरूआत सबसे पहले मैसूर में वाडियार के राजा, राजा वाडियार प्रथम ने वर्ष 1610 में की थी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर| गूगल ने कहा है कि साइबर सुरक्षा खतरे जैसे डिस्ट्रीब्यूटेड डिनाइल-ऑफ-सर्विस (डीडीओएस) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह हर आकार के व्यवसाय और उपयोगकर्ता के भरोसे को नुकसान पहुंचा रहे हैं। टेक दिग्गज ने खुलासा किया है कि उसके बुनियादी ढांचे ने सितंबर 2017 में ऊंची बैंडविथ वाले 2.5 टीबीपीएस डीडॉस के हमले को नाकाम किया था।
गूगल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, "हमारे हजारों आईपी को एक साथ निशाना बनाने के बावजूद हमले का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।"
हमलावर ने चकमा देने के लिए कई नेटवर्क का उपयोग करके 167 एमबीपीएस (प्रति सेकंड लाखों पैकेट) से 1,80,000 सीएलएडीएपी, डीएनएस और एसएमटीपी सर्वरों को उजागर किया था।
कंपनी ने आगे कहा, "यह हमलावरों के अच्छी तरह से साधन संपन्न होने की बात को दशार्ता है क्योंकि यह हमला, एक साल पहले मिराई बॉटनेट पर हुए 623 जीबीपीएस की तुलना में 4 गुना बड़ा था। यह अब तक का सबसे उंची -बैंडविड्थ का हमला था।"
डीडॉस हमला बेवजह का ट्रैफिक बढ़ाकर पीड़ित की सेवा को बाधित करती है। हालांकि यह हमला उपयोगकर्ता के डेटा को उजागर नहीं करता है और समझौता करने के लिए भी नहीं कहता है। लेकिन यदि सिस्टम में आई रुकावट को जल्दी नहीं हटाया जाता तो यह उपयोगकर्ताके विश्वास को खोने का कारण बनता है।
गूगल ने यह भी कहा कि हमलावर सिस्टम को बाधित करने के लिए लगातार नई तकनीकें विकसित कर रहे हैं।
गूगल ने कहा, "हम भविष्य में होने वाले हमलों के अपेक्षित आकार का अनुमान लगा सकते हैं। लिहाजा हमें अप्रत्याशित चीजों के लिए तैयार रहना जरूरी है।"
कंपनी ने हाल ही में 'क्लाउड आर्मर मैनेज्ड प्रोटेक्शन' की घोषणा की है जो उपयोगकर्ताओं को अपनी तैनाती को सरल बनाने, लागतों का प्रबंधन करने और एप्लिकेशन की सुरक्षा के जोखिम को कम करने में सक्षम बनाता है।
गूगल ने कहा कि यह इंटरनेट समुदाय के दूसरे लोगों के साथ काम कर रहा है ताकि वह उस इंफ्रास्ट्रक्चर की पहचान करके खत्म कर सके, जिनके जरिए ये हमले किए गए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को कहा कि दिल्ली की एक अदालत ने आईएसआईएस साजिश मामले में पहले दोषी ठहराए जा चुके 15 लोगों को शुक्रवार को 5 से 10 वर्षो की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। मामला सीरिया स्थित आईएस मीडिया प्रमुख युसूफ-अल-हिंदी की ओर से भारतीय मुस्लिम युवाओं के संगठन में भर्ती से जुड़ा हुआ है। दरअसल यूसुफ मुस्लिम युवाओं को आतंकी संगठन के लिए चुनना चाहता था और उनसे भारत में आतंकवादी गतिविधि करवाना चाहता था।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने शनिवार को बताया, "दिल्ली की एक कोर्ट ने शुक्रवार को आईएसआईएस साजिश मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ सजा की घोषणा की है।"
एनआईए की विशेष कोर्ट ने नफीस खान को 1,03,000 रुपये के जुर्माने के साथ 10 वर्ष का कठोर कारावास, मुदब्बीर मुस्ताक शेख को 65,000 जुर्माने के साथ सात वर्ष का कठोर कारावास, अबु अनस को 48,000 जुर्माने के साथ सात साल, मुफ्ती अब्दुस सामी को 50,000 रुपये जुर्माने के साथ सात साल, अजहर खान को 58,000 रुपये के जुर्माने के साथ छह वर्ष की सजा और अमजद खान को 78,000 रुपये के जुर्माने के साथ छह वर्ष की कठोर सजा सुनाई है।
वहीं एनआईए कोर्ट ने मोहम्मद शरीफ मोईनुदीन, आसिफ अली, मोहम्मद हुसैन, सैयद मुजाहिद, नजमुल हुडा, मोहम्मद अब्दुल्ला, मोहम्मद अलीम, मोहम्मद अफजल, सोहेल अहमद को पांच वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है और प्रत्येक पर 38,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनआईए ने 9 दिसंबर 2015 को कई धाराओं में मामला दर्ज किया था, जिसके तहत आईएसआईएस की योजना भारत में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मुस्लिम युवकों की भर्ती कर यहां अपना बेस स्थापित करना और आतंकवाद फैलाना था।
जांच के दौरान, कई शहरों में छापे मारे गए और 19 आरोपियों को पकड़ा गया था।
अधिकारी ने कहा, "जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि आरोपी व्यक्तियों ने जुनूद-उल-खलीफा-फील-हिंद नाम का संगठन बनाया था, जिसका काम आईएसआईएस के लिए मुस्लिम युवकों को भर्ती करना और भारत में आतंकवाद फैलाना था। आईएस यह काम सीरिया में मौजूद युसूफ-अल हिंदी ऊर्फ शफी अरमर ऊर्फ अंजान भाई के जरिए करवाना चाहता था जो कथित रूप से आईएसआईएस का मीडिया चीफ था।"(आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (नीट) 2020 में 100 प्रतिशत स्कोर करके इतिहास रचने वाले ओडिशा के सोएब आफताब ने शनिवार को कहा कि कोविड -19 महामारी उनके लिए एक आशीर्वाद के रूप में आई। उन्होंने महामारी के इस समय का पूरा इस्तेमाल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में किया। शोएब ने आईएएनएस को बताया, "महामारी के कारण लोगों को भारी नुकसान हुआ। लेकिन मैंने इस समय का उपयोग अपने लाभ के लिए किया और अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान दिया। बाहर न जा पाने के कारण बचे समय में मैंने ढेर सारे ऑनलाइन टेस्ट दिए।"
राउरकेला के 18 वर्षीय शोएब नीट में 720 में स 720 अंक हासिल करने वाले पहले छात्र बने हैं। इसके अलावा नीट में पहले स्थान पर आने वाले ओडिशा के पहले छात्र भी बन गए हैं।
एक व्यवसायी और एक गृहिणी के बेटे शोएब अपने परिवार में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले पहले सदस्य हैं। उन्होंने कहा, "मैंने राउरकेला में 10वीं तक की पढ़ाई की। कक्षा 9-10 में डॉक्टर बनने का फैसला किया और फिर इसके बाद अपने पिता से कोटा कोचिंग लगाने के लिए कहा। उन्होंने मुझे ऐलन में एडमिशन लेने में मदद की।"
उनकी मां अपने बेटे के सपने में मदद करने के लिए ओडिशा से राजस्थान के कोटा गईं। शोएब ने कहा, वह पढ़ाई में अच्छा था लेकिन असाधारण रूप से अच्छा नहीं था।
उन्होंने कहा कि कोचिंग और स्कूल के अलावा उन्होंने 3 घंटे सेल्फ-स्टडी की। छुट्टियों में रोजाना 13-14 घंटे पढ़ाई की।
अब वह नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्रवेश पाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "मैं रिसर्च प्रोग्राम के कारण एम्स में प्रवेश लेना चाहता हूं। साथ ही एमबीबीएस के बाद मैं कार्डियोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल करना चाहता हूं।"
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर| भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि कार्यालय कार्यकर्ता को संस्कार भी देता है। अगर कार्यालय किसी नेता के घर से चलता है तो संगठन-पार्टी व्यक्ति की हो जाती है। आपने देखा होगा कि अन्य पार्टियां परिवार की पार्टी बन गई हैं, भाजपा में पार्टी ही परिवार है।
भाजपा अध्यक्ष ने शनिवार को वर्चुअल माध्यम से उत्तराखंड के नए भाजपा कार्यालय का शिलान्यास करते हुए कहा कि आने वाले 50 साल तक यह कार्यालय बहुत ही उपयुक्त बनेगा। कार्यालय हमारे काम को स्थायित्व देता है, एक वातावरण और एक विचार भी देता है।
जेपी नड्डा ने कहा, "घर में भी आप पुस्तक पढ़ सकते हैं, लेकिन कभी आप पार्टी की लाइब्रेरी में पुस्तक पढ़ेंगे तो आप कार्यकर्ता को प्रेरणा देते हैं कि अध्ययन भी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता का बहुत बड़ा आयाम है।"
भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी और संगठन संचालने के लिए 'पांच क' की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता, कार्यक्रम, कोष, कार्यकारणी और कार्यालय का महत्व होता है। नड्डा ने उत्तराखंड की प्रदेश इकाई से कहा, "आपने कार्यकर्ता का निर्माण किया, कार्यक्रमों की झड़ी लगाई, कार्यकारणी के माध्यम से संगठन को एक चालना दी, कोष की भी चिंता की और अब एक भव्य कार्यालय बना रहें है इसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूं।"
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा को दूसरे दलों से अलग बताया। उन्होंने कहा कि सभी दल की पार्टियां परिवार बन गई हैं और परिवार में सीमित हो गई हैं। कोई भाई-बहन तो कोई मां-बेटे को बचाने में लगा हुआ है। सभी राजनीतिक दल एक छोटे से परिवार के लिए सीमित होकर रह गए हैं। (आईएएनएस)
पटना, 17 अक्टूबर| राजनीतिक दलों के इस दावे के बावजूद कि बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में विकास मुख्य मुद्दा होगा, जातिगत राजनीति का निर्णायक भूमिका निभाना जारी है। पार्टियां किसी विशेष क्षेत्र में जाति के प्रभुत्व के आधार पर उम्मीदवारों का चयन कर रही हैं और यह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) की उम्मीदवार सूची में भी नजर आई है।
पार्टी ने शुक्रवार रात पहले और दूसरे चरण के लिए 37 उम्मीदवारों की सूची जारी की, और उनमें से 18 कोइरी जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं और दो कुर्मी जाति से हैं।
दोनों जातियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है।
हालांकि, आरएलएसपी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को कुमार के कोइरी-कुर्मी (केके) फार्मूले में घुसपैठ करने की अपनी क्षमता के कारण हमेशा नीतीश कुमार के लिए एक चुनौती माना जाता है। 'केके' फॉमूर्ला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण के समान है।
यह कुशवाहा को बिहार में एक प्रमुख नेता बनाता है और वह नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक सीट लेने में भी कामयाब रहे।
कोइरी और कुर्मी के अलावा, आरएलएसपी ने चार मुस्लिम, तीन यादव, तीन राजपूत, एक भूमिहार उम्मीदवार को, पासवान समुदाय से तीन को, दो दलितों को और एक कायस्थ नेता को टिकट दिया है।
आरएलएसपी, ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) की छत्रछाया में बिहार की 104 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसके अन्य गठबंधन सहयोगी बहुजन समाज पार्टी 80 सीटों पर, एआईएमआईएम 24 पर, समाजवादी जनता दल 25 पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पांच पर और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट पांच सीटों पर लड़ रहे हैं।
बसपा प्रमुख मायावती के 23 अक्टूबर से बिहार में दो रैलियों को संबोधित करने की उम्मीद है।
बिहार विधानसभा का चुनाव तीन चरणों में 28 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को और तीसरा 7 नवंबर को होगा। नतीजे 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। (आईएएनएस)
फिरोजाबाद, 17 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में भाजपा नेता दयाशंकर की शुक्रवार देर रात गोलीमार कर हत्या कर दी गई। इस मामले मुख्य आरोपी समेत तीन लोग हिरासत में लिए गए हैं।
पुलिस अधीक्षक सच्चिदानंद पटेल ने बताया कि फिरोजाबाद के नारखी थाना क्षेत्र के नगला बीच चौकी का मामला है। मृतक डीके गुप्ता अपनी दुकान बंद कर रहे थे। उसी बीच मोटर साइकिल सवार ने इन फायरिंग कर दी। गोली लगने के बाद परिवार वाले अस्पताल ले गए जहां उनकी मृत्यु हो गई। इस मामले में परिजनों ने तीन लोगों के खिलाफ तहरीर दी। जिसमें तत्काल एफआईआर कराया गया। रातभर टीम लगाकर पुलिस ने हिरासत में लिया है। मुख्य आरोपी वीरेश तोमर व अन्य लोगों से पूछताछ की जा रही है। मुख्य आरोपी कोई ग्रुप से जुड़ा है। लेकिन आरोपी के डायरेक्ट भाजपा का सदस्य होंने की कोई बात पता नहीं चली है। पुरानी रंजिष भी बतायी जा रही है। फेसबुक से आपसी मतभेद बताया जा रहा है। सभी बिन्दुओं पर जांच की जा रही है। आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के फीरोजाबाद जिले में शुक्रवार रात भाजपा नेता दयाशंकर अपनी परचून की दुकान पर बैठे थे, तभी बाइक पर आए तीन युवकों में से एक ने उन पर फायर झोंक दिए। आगरा में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। घटना के बाद गुस्साए लोगों ने जाम लगा दिया, शव के पोस्ट मार्टम को भेजे जाने एवं तहरीर दर्ज होने के बाद खुल गया। एसपी सिटी समेत बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गया था। हत्या के पीछे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता मानी जा रही है।
यह घटना टूंडला विधानसभा क्षेत्र की है। दयाशंकर गुप्ता नगला बीच कस्बे के भाजपा मंडल उपाध्यक्ष हैं। नगला बीच कस्बा में चैराहे पर उनकी परचून की दुकान है। शुक्रवार रात वह अपनी दुकान पर बैठे थे। तभी एक बाइक उनकी दुकान के सामने आकर रुकी। बाइक सवार तीन में से एक युवक दुकान पर पहुंचा। उसने दयाशंकर पर दो फायर झोंक दिए। इसके बाद तीनों युवक भाग गए।
उधर, गुस्साए लोगों ने जाम लगा दिया। कई थानों का फोर्स लेकर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने जैसे-तैसे जाम खुलवाया। परिजनों ने बताया कि उपचुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी के नामांकन से वापस लौटने के बाद दयाशंकर अपनी दुकान पर बैठे थे। दुकान बंद करते समय हमलावरों ने वारदात को अंजाम दिया। (आईएएनएस)
बलिया, 17 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुए गोलीकांड में जहां एक ओर विपक्ष सरकार को घेर रहा है। इस मामले में भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के बयान ने सरकार को सकते में डाल रखा है। अब इस गोलीकांड के मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें उसने सफाई देकर अपने को बेकसूर बताया है।
बलियाकांड के आरोपी धीरेंद्र ने वीडियो में पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया। आरोपी ने कहा कि अधिकारियों को पत्र देकर कहा था कि बिना सुरक्षा के बैठक करना ठीक नहीं है। अधिकारियों ने प्रधान से पैसा लेकर बैठक कराई।
इसके साथ ही धीरेंद्र प्रताप सिंह ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उचित होनी चाहिए। अपने बयान में धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि कल राशन की दुकानों का आवंटन होता था और इसी वजह से कई अधिकारी मौके पर आवंटन प्रक्रिया के लिए आए हुए थे। मैंने भी इसी मामले को लेकर एसडीएम और बीडीओ से मुलाकात की थी।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि उसने अधिकारियों को अवगत कराया था कि क्षेत्र में चीजें काफी खराब थीं। इसके साथ ही उसने एसडीएम, बीडीओ और अन्य अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं। धीरेंद्र प्रताप का आरोप है कि वे लोग आवंटन प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे थे।
उसने कहा, "मुझे नहीं पता कि किसने गोली चलाई। मैं अपने परिवार को बचाने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहा था। वे वहीं खड़े रहे और देखते रहे। मैं एक सैनिक हूं। मैंने हमेशा अपने देश की सेवा करने में विश्वास किया है। मैं मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच के लिए आग्रह करता हूं।"
धीरेंद्र ने कहा कि मैंने बैठक के लिए पर्याप्त सुरक्षाबल के लिए अनुरोध किया था। इसकी अनदेखी के लिए स्थानीय अधिकारी और पुलिस दोषी है। उसने कहा, "मेरे वृद्ध पिता कल हंगामे में गिर गए। मेरे परिवार को लाठियों से पीटा गया। मुझे वीडियो में पिटते हुए देखा गया। मैं एक राजपूत हूं। मैंने गर्व से 18 साल तक सेना की सेवा की। मैं खुद को मुक्त करने और भागने में कामयाब रहा। वे मुझे वहां पीट-पीटकर मारना चाहते थे।"
धीरेंद्र ने कहा कि बैठक के लिए बहुत सारे शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। मैंने पहले ही उन्हें आगाह कर दिया था कि हिंसा होने वाली हैं। लेकिन वे बैठक करते रहे। अधिकारी हिंसा में शामिल थे। उन्होंने पैसे ले लिए।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के दुर्जनपुर में गुरुवार को अफसरों के सामने ग्रामीण की हत्या का आरोपी धीरेंद्र सिंह की पुलिस को तीसरे दिन भी तलाश है। अब पुलिस ने आरोपी पर 50 हजार का इनाम घोषित किया है। इसके साथ आजमगढ़ रेंज के डीआईजी सुभाष चंद दुबे ने 6 नामजद फरार आरोपियों पर भी 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर| देश में कोविड-19 के मामलों में गिरावट आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 62,211 नए मामले और 837 मौतें दर्ज हुई हैं। इसके साथ ही देश में कोरोना के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 74,32,680 हो गई है। शुक्रवार के 63,371 मामलों और 895 मौतों की संख्या की तुलना में शनिवार को ग्राफ नीचे आया। इसके अलावा भारत में मामलों की संख्या दोगुनी होने का समय भी तेजी से बढ़कर 70.4 दिन हो गया है। यह रोजाना सामने आने वाले नए मामलों की संख्या में गिरावट को दर्शाता है।
शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अब तक कुल 65,24,595 लोगों को छुट्टी दी जा चुकी है और वर्तमान में 7,95,087 सक्रिय मामले हैं। वहीं कुल 1,12,998 लोग महामारी से जंग हार गए हैं। देश में अब रिकवरी दर 87.78 प्रतिशत है और मृत्यु दर 1.52 प्रतिशत है।
देश में सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में कुल 15,76,062 मामले हैं और 41,502 मौतें दर्ज हो चुकी हैं। इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली का स्थान है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में शुक्रवार को 9,99,090 नमूनों की जांच की गई, जिसके साथ ही अब तक कुल 9,32,54,017 नूमनों की जांच हो चुकी है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 17 अक्टूबर | कोलकाता के गणेश चंद्र एवेन्यू में शुक्रवार रात एक बहुमंजिला आवासीय इमारत में आग लग गई। यह जानकारी अग्निशमन विभाग के सूत्रों से मिली। घटनास्थल पर पहुंचे पश्चिम बंगाल के अग्निशमन सेवा मंत्री सुजीत बोस ने कहा कि इमारत से अधिकांश निवासियों को निकाला गया और अग्निशमन दल के अधिकारी इमारत में गहन तलाशी अभियान चला रहे थे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोई अपार्टमेंट के किसी फ्लैट में फंसा तो नहीं रह गया।
बोस ने कहा, "हम गहन बचाव अभियान चला रहे हैं। हम अभी भी इमारत के अंदर फंसे कुल लोगों की संख्या नहीं बता सकते हैं। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या कोई अभी भी इमारत की ऊपरी मंजिलों में फंसा है या नहीं।"
पुलिस सूत्रों ने कहा कि हादसे में अब तक करीब दो लोगों के मारे जाने की आशंका है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एक बुजुर्ग महिला वाशरूम के अंदर फंसी रह गई, जिससे उनकी मौत हो गई, जबकि एक युवा आग फैलने के कारण डर से इमारत की छत से कूद गया।
इमारत के अंदर फंसे निवासियों को बचाने के लिए करीब 10 फायर टेंडर और एक हाइड्रोलिक सीढ़ी का इस्तेमाल किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ लोग अभी भी इमारत के अंदर फंसे हुए हैं, जिनके लिए बचाव अभियान चलाया जा रहा है।(आईएएनएस)
नयी दिल्ली 17 अक्टूबर (वार्ता) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की धारा 37ए के तहत द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सांसद गौतम सीगामणि की 8.6 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।
ईडी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी।
जब्त की गयी संपत्ति में कृषि योग्य भूमि, तमिलनाडु में व्यावसायिक तथा रिहायशी इमारतों के अलावा बैंक खातों और शेयर के रूप में मौजूद संपत्ति शामिल है।
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक इस संबंध में उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना ही श्री सीगामणि ने अवैध रूप से विदेशी मुद्रा हासिल की है। द्रमुक नेता ने फेमा कानून की धारा चार का उल्लंघन किया है। जांच में यह पता चला है कि मार्च 2008 में श्री सीगामणि ने एक भारतीय नागरिक के रूप में रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना ही जकार्ता की कंपनी एक्सल मेगिंडो में 2,45,000 शेयर खरीदने के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर और संयुक्त अरब अमीरात की यूनिवर्सल बिजनेस में 55 हजार अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था। द्रमुक नेता ने फेमा कानून की धारा चार का उल्लंघन किया है।
मुंबई, 17 अक्टूबर | भारतीय जनता पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के खिलाफ ड्रग्स मामले की जांच का मुद्दा गर्माने लगा है। इस पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शुक्रवार को कहा कि अगर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) इस मामले की जांच नहीं करती है, तो फिर मुंबई पुलिस इसकी जांच करेगी। देशमुख ने कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत के नेतृत्व में एक कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को यह आश्वासन दिया, जो इस मामले में उनसे उचित कदम उठाने की अपील करने के लिए मिला था।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति (एमपीसीसी) ने शुक्रवार को राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख से कथित 'बॉलीवुड और भाजपा ड्रग संबंधों' की जांच के लिए आग्रह किया, जिसके बाद देशमुख के तीखे तेवर देखने को मिले।
देशमुख ने मुंबई के पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को प्राथमिकता के आधार पर इस मामले में एनसीबी के उप निदेशक के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश जारी किए। इसके साथ ही देशमुख ने कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को सूचित किया कि यदि एनसीबी जवाब नहीं देती है, तो मुंबई पुलिस खुद मामले की जांच करेगी।
मीडिया को संबोधित करते हुए, सावंत ने राजू वाघमारे और रत्नाकर सिंह के साथ कहा कि यह बड़ा संयोग रहा कि अभिनेता बॉलीवुड विवेक ओबेरॉय के घर पर कर्नाटक पुलिस ने छापा मारा और उसी दिन बायोपिक 'पीएम नरेंद्र मोदी' को फिर से जारी किया गया।
उन्होंने कहा, बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले की जांच तीन केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई, लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया। एनसीबी की जांच ड्रग्स एंगल पर की गई, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके, लेकिन यह भी एक हद तक कम हो गई है।
सावंत ने दावा किया कि ओबेरॉय के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और अतीत में वह पार्टी के स्टार प्रचारक रहे हैं।
दरअसल बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय की पत्नी प्रियंका अल्वा के भाई आदित्य को बेंगलुरू पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा द्वारा ड्रग्स की जांच में आरोपी के रूप में नामित किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख से भाजपा के कथित ड्रग लिंक की जांच की मांग की है।(आईएएनएस)
पटना , 17 अक्टूबर | केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को कांग्रेस पर दरभंगा से जाले विधानसभा सीट से मोहम्मद अली जिन्ना के 'समर्थक' को टिकट देने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने जाले से मशकूर अहमद उस्मानी को प्रत्याशी बनाया है। सिंह ने कहा कि कांग्रेस और महागठबंधन में शामिल दल जो लबादा ओढ़े थे, वह आज उतर गया। आज उनकी हकीकत सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के नेताओं को अब स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
सिंह ने मीडिया के खबरों का उल्लेख करते हुए कहा कि उस्मानी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के जब अध्यक्ष थे तब वहां जिन्ना की तस्वीर लगने का उनपर आरोप लगाया गया था। उस्मानी पर जिन्ना का महिमामंडन का आरोप भी लगा था। इसके बाद वहां जमकर हंगामा हुआ था।
सिंह ने कहा कि महागठबंधन के नेताओं को अब बताना चाहिए कि वे गांधी के साथ है या देश तोड़ने वाले जिन्ना के साथ हैं। उन्होंने बिना किसी के नाम लिए हुए कहा कि जो लोग राज्य में सत्ता संभालने का सपना देख रहे हैं उन्हें खुलकर इस विषय में अपनी बात रखनी चाहिए।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद के शासनकाल में यहां सिमी का कार्यालय खुल गया था।
उन्होंने कहा, ''मैं पहले भी कहता रहा हूं रोपे पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए। अब स्थिति सबके सामने हैं। आखिर महागठबंधन के दल बिहार को देश को क्या बनाना चाहते हैं।''
इधर, उस्मानी को टिकट दिए जाने पर जाले के कांग्रेसी नेताओं ने भी विरोध किया है। कांग्रेस के नेता ऋषि मिश्रा ने उस्मानी को टिकट दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की। कांग्रेस नेता ऋषि मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने जिन्ना के अनुयायी उस्मानी को टिकट दे दिया, जिसे मिथिला के लेाग कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
इधर, उस्मानी ने इन आरोपों पर बहुत कुछ तो नहीं कहा। उन्होंने कहा, ''जो कुछ था वह लोगों के बीच है, 'पब्लिक डोमेन' में है। भाजपा के लोगों के पास कोई मुद्दा नहीं है, तो यह मुददा बनाया जा रहा है।"(आईएएनएस)