राष्ट्रीय
नयी दिल्ली 13 सितंबर (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के मामलोें में लगातार हो रही वृद्धि से शनिवार देर रात तक इस महामारी के सक्रिय मामले 14 हजार से अधिक बढ़कर 9.72 लाख के पार पहुंच गये हैं।
देश में कोरोना के कुल सक्रिय मामले 9,72,444 हो गये हैं और इनमें से 75 फीसदी से अधिक मामले नौ सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से हैं। कुल सक्रिय मामलों में महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का योगदान 50 फीसदी है।
महाराष्ट्र इस सूची में 2,79,768 मामलों के साथ शीर्ष पर है। उसके बाद कर्नाटक में 97,815 मामले और आंध्र प्रदेश में 95,733 सक्रिय मामले हैं।
विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार देर रात तक संक्रमण के 77,817 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 47,35,196 हो गयी है। इस दौरान कोरोना मुक्त लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है और 62,238 मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त लोगों की संख्या 36,83,676 हो गयी है। इसी अवधि में 919 मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 78,422 हो गयी है।
विश्व में कोरोना की स्थिति की बात करें तो अमेरिका में इस वायरस के संक्रमितों की सबसे अधिक संख्या 64.46 लाख के पार पहुंच गयी है और अब तक 1.93 लाख से अधिक लोगों की इससे जान जा चुकी है। इसके बाद भारत का स्थान है।
अब तीसरे नंबर पर स्थित ब्राजील में अब तक 42.82 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं जबकि 1.30 लाख से अधिक के लोगों की मौत हो गयी है। मौत के मामले में ब्राजील अब भी दूसरे स्थान पर है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार स्वस्थ होने वाले मरीजों की तुलना में नये मामलों में वृद्धि होने से सक्रिय मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है।
देश में सक्रिय मामले 20.52 प्रतिशत और रोग मुक्त होने वालों की दर 77.80 प्रतिशत है जबकि मृतकों की दर 1.65 फीसदी है।
महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के रिकॉर्ड 22,084 नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 10,37,765 हो गयी है। राज्य में इस दौरान नये मामलों की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या में गिरावट दर्ज की गयी तथा इस दौरान 13,489 और मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 7,28,512 हो गयी है। राज्य में 391 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 29,115 हो गयी है।
चिंता की बात यह है कि राज्य में कोरोना वायरस के सक्रिय मामलों की संख्या आज 8,202 बढ़कर 2,79,768 हो गयी है।
नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस ने ठगों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो क्रेडिट कार्ड के रिवार्ड पॉइंट के बदले उपहार देने के बहाने पूरे भारत में ठगी करने का काम करते थे। इस मामले से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, आरोपियों की पहचान मनीष गुप्ता, अभिषेक और आशिष के रूप में हुई।
पुलिस ने आरोपी व्यक्तियों के खातों से 6 लाख रुपये भी जब्त किए हैं, इसके अलावा पांच मोबाइल फोन, दो कॉर्डलेस टेलीफोन, 4 लैपटॉप, 12 फर्जी सिम कार्ड, 6 एटीएम कार्ड और आठ फर्जी बैंक खातों का विवरण भी बरामद किया।
दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी अतुल ठाकुर ने कहा, "मनीष कॉल सेंटर में काम करता था, जहां से उसके दिमाग में टेली-कॉलिंग के माध्यम से मासूस लोगों को ठगने का विचार आया। 2017 में वह अन्य दो लोगों के संपर्क में आया, जो वेबसाइट डिजाइनिंग का काम करते थे और दोनो के पास मौजूदा ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड डेटा भी थे। फिर सभी ने मिलकर मासूम लोगों के साथ धोखाधड़ी की साजिश रची।"
गाजीपुर,13 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में मुख्तार अंसारी और उसके परिजनों पर लगातार शिकंजा कस रहा है। करोड़ों रुपये की जमीन से कब्जा हटवाने के बाद प्रशासन ने अब उनकी पत्नी और सालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की है। पुलिस ने मुख्तार की पत्नी आफसा अंसारी और साले सरजील रजा और अनवर शहजाद पर गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस अधीक्षक डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि मुख्तार अंसारी की पत्नी और दो सालों के खिलाफ पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की है। इसमें मुख्तार अंसारी की पत्नी आफसा अंसारी व उनके साले सरजील रजा और अनवर शहजाद को नामजद किया है। शहर कोतवाली में एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शहर कोतवाली के छावनी लाइन स्थित भूमि गाटा संख्या 162 जो कि जिलाधिकारी गाजीपुर के आदेशानुसार कुर्क शुदा जमीन है, इन लोगों ने उस पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। इसके अलावा थाना कोतवाली मौजा बवेरी में भूमि आराजी नंबर 598 कुर्क शुदा जमीन पर अवैध कब्जा किया है। साथ ही आरोपी सरजील रजा और अनवर शहजाद ने सरकारी ठेका हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज पेश किए।
नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)| दागी छवि के उम्मीदवारों की ओर से अखबारों और टीवी चैनलों पर अपने आपराधिक ब्यौरे का विज्ञापन देने से जुड़े चुनाव आयोग के नए दिशा-निदेर्शो पर सवाल उठे हैं। इस मामले के याचिकाकर्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने शनिवार को चुनाव आयोग को मेल भेजकर दिशा-निदेर्शो में कई तरह की खामियां बताई हैं। कहा है कि जिस तरह से चुनाव आयोग ने शुक्रवार को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उससे दागी उम्मीदवार और उन्हें चुनाव मैदान में उतारने वाले राजनीतिक दल काट खोज लेंगे। जिससे सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की ओर से 2018 में दिए गए निर्णय की मंशा प्रभावित होगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया कि विज्ञापन प्रकाशित कराने का अधिकार संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी को दिया जाए, क्योंकि उम्मीदवार इसमें चालाकी दिखाएंगे।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस को बताया कि, " चुनाव आयोग ने नामांकन के बाद तीन-तीन बार टीवी चैनलों और अखबारों में उम्मीदवारों की ओर से अपने आपराधिक ब्यौरे का विज्ञापन देने की जो गाइडलाइंस जारी की है, उसमें कई चीजें अस्पष्ट हैं। मसलन, आयोग के निर्देश में अखबारों की प्रसार संख्या और टीवी चैनल की दर्शक संख्या के बारे में कोई शर्त नहीं लगाई गई है। इसके अलावा टीवी चैनलों पर किस समय विज्ञापन चलना चाहिए, इसका भी समय नहीं दिया गया है। ऐसे में दागी उम्मीदवार चालाकी दिखाते हुए बेहद कम प्रसार संख्या वाले उन अखबारों में विज्ञापन छपवाएंगे, जिसे कोई जानता भी नहीं होगा। टीवी चैनलों पर देर रात विज्ञापन चलवाएंगे, जिस वक्त अधिकांश लोग टीवी नहीं देखते। जिससे प्रत्याशियों की छवि के बारे में जनता जागरूक नहीं हो सकेगी। "
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि, " 25 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चुनाव आयोग को उम्मीदवारों के आपराधिक ब्यौरे के प्रकाशन का आदेश दिया था। जिस पर 10 अक्टूबर 2018 को चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों के प्रकाशन के लिए कहा था। लेकिन चौंकाने वाली बात रही कि चुनाव चिन्ह और आदर्श आचार संहिता के नियमों में परिवर्तन किए बगैर जारी इस निर्देश की कोई कानूनी वैधता नहीं रही। "
"स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में अक्टूबर 2018 के बाद से अब तक हुए चुनावों में प्रत्याशियों ने कम प्रसार वाले अखबारों और कम दर्शक वाले टीवी चैनलों में विज्ञापन चलवाए। वहीं अखबारों में बहुत बारीक अक्षरों में अपने ऊपर दर्ज मुकदमों की जानकारी दी। वहीं राजनीतिक दलों ने कोर्ट और आयोग के निर्देशों के बावजूद आपराधिक छवि वाले अपने प्रत्याशियों की जानकारी वेबसाइट पर नहीं उपलब्ध कराई। बावजूद इसके आयोग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। "
भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मंशा के अनुरूप कई कदम उठाने के लिए चुनाव आयोग को सुझाव दिए हैं। कहा है कि, "प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को क्षेत्र में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाले अखबारों और अधिक दर्शक वाले टीवी चैनलों पर ही विज्ञापन देने की शर्त लगाई जाए। शाम पांच से नौ बजे के बीच सबसे ज्यादा टीवी चैनल लोग देखते हैं। ऐसे में टीवी चैनलों पर इसी समय विज्ञापनों को देना अनिवार्य किया जाए। प्रत्याशियों की ओर से दिए गए अखबारों के विज्ञापन मोटे अक्षरों में हैं, जिसमें सिर्फ धाराएं ही नहीं बल्कि हत्या, लूट, बलात्कार आदि अपराध का भी जिक्र हो। प्रत्याशी की ओर से नामांकन दाखिल करने के दौरान दिए गए आपराधिक ब्यौरे को 24 घंटे के अंदर संबंधित राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उपलब्ध कराएं।"
बता दें कि दागी उम्मीदवारों के मीडिया में विज्ञापन जारी कराने संबंधी याचिका अश्विनी उपाध्याय ने ही दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था।
कोलकाता, 13 सितम्बर (आईएएनएस)| हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आई बांग्लादेशी सेना के निर्वासित पूर्व मेजर डेलवर हुसैन की ऑनलाइन लाइव वीडियो फुटेज ने हंगामा मचा दिया है। लोगों ने उनकी हिंदू विरोधी बात पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हुसैन ने इस्लामिक कट्टरपंथी की तरह बांग्लादेश में रहने वाली हिंदू आबादी को खुले तौर पर धमकी दी है। उन्होने मुस्लिम युवाओं को और अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बांग्लादेश की धरती से 15 से 20 लाख हिंदुओं को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है।
अल्लाह के नाम पर शपथ लेते हुए उन्होने कहा है कि देश से लक्षित लोगों को बेदखल किए जाने के बाद 15 से 20 लाख नौकरी खाली हो जाएंगी।
रिपोर्टों के अनुसार, हुसैन विदेश में रहते हैं और विपक्षी बीएनपी-जेईएल (जमात-ए-इस्लामी) गठबंधन के साथ संबंध रखते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में पूर्व मेजर के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वह बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में प्रवेश करने के लिए हिंदू विरोधी भावनाओं को भुनाने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व मेजर ने अपनी 33 मिनट की वीडियो में हिंदुओं के प्रति जहर उगलते हुए कहा, "मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि 'बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय' या 'भारत-प्रेमी बांग्लादेशियों' की सूची तैयार करें। मैं जल्द ही एक वेबसाइट विकसित करूंगा जहां आप सभी चुपके से उन नामों को भेज सकेंगे। मैं पुलिस और बांग्लादेश सेना को नामों की सूची सौंपूंगा। जल्द ही ऐसा समय आएगा, जब इन हिंदुओं को वापस भारत भेज दिया जाएगा।"
हुसैन की इस वीडियो पर अकेले फेसबुक पर ही हजारों टिप्पणियां की गई हैं और साथ ही इसे 1,700 से अधिक बार शेयर भी किया गया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
उन्होंने भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश का असली दुश्मन करार देते हुए बांग्लादेशी उद्योगपतियों के बारे में भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उद्योगपति विनम्र हैं, जो भारतीयों का सम्मान करते हैं और उन्हें नौकरी देते हैं।
कट्टरपंथी इस्लामी भावनाओं को प्रोत्साहित करते हुए हुसैन ने सवाल करते हुए पूछा, "इन उद्योगपतियों का मानना है कि भारतीयों के बिना वे बांग्लादेश में व्यापार करने में सक्षम नहीं होंगे। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या भारतीयों ने अपना व्यवसाय विकसित किया है? क्या उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय विकसित किया है। फिर भारतीयों के प्रति यह नरम रवैया क्यों?"
हुसैन ने कहा कि अगर इन व्यवसायियों ने अपना रवैया नहीं बदला तो उसे अपने ऑपरेशन को हवा देनी होगी। उन्होने कहा, "बहुत हुआ। बांग्लादेश के गरीब लोगों को क्रोध से भर दिया गया है। उनके पास उपभोग करने के लिए भोजन नहीं है। इसलिए, इन भारतीयों को वापस भेजें और शिक्षित बांग्लादेशियों को उन पदों पर नियुक्त करें।"
हुसैन ने मीडिया संगठनों के एक हिस्से को 'राष्ट्र-विरोधी' करार देते हुए उन्हें 'खतरनाक' बताया।
हुसैन ने कहा कि कई 'देशभक्त' पत्रकारों ने अपने इस्लामी झुकाव के कारण देश छोड़ दिया है। उन्होने कुछ बांग्लादेशियों के नाम भी रखे। हुसैन ने बांग्लादेश मीडिया के उस हिस्से को निशाना बनाया, जो पड़ोसी राष्ट्र की सकारात्मक छवि रखता है। उन्होने मांग की कि निर्वासन में रहे सभी पत्रकारों को बांग्लादेश वापस लाया जाए और उन्हें देश में मीडिया का काम देखने की जिम्मेदारी दी जाए।
इसके अलावा हुसैन ने बांग्लादेश के लोगों से उदार मीडिया संगठनों का बहिष्कार करने का आग्रह भी किया।
नयी दिल्ली, 13 सितंबर (वार्ता) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी जूलियो रिबेरो ने दिल्ली दंगे की जांच पर गंभीर सवाल उठाते हुए शनिवार को कहा कि पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रही है।
श्री रिबेरो ने इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक ईमेल किया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि श्री रिबेरो के नाम से पुलिस आयुक्त को एक ईमेल आया जिसकी सत्यता की जांच की जा रही है।
मुम्बई के पूर्व पुलिस आयुक्त श्री रिबेरो ने दिल्ली पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव से दिल्ली दंगों के मामले में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज 753 प्राथमिकी की निष्पक्ष जांच करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस नफरत फैलाने के लिए भाषण देने वालों के खिलाफ आपराधिक संज्ञान लेने में जानबूझकर विफल रही है जबकि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है।
पद्मभूषण से सम्मानित श्री रिबेरो ने कहा भाजपा के नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ कार्रवाई न करना उनके जैसे लोगों के लिए हैरान करने वाला है। दूसरी तरफ धर्म के आधार पर भेदभाव करने का विरोध करने वाली महिलाओं को बहुत अपमानित किया गया और महीनों तक जेल में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और प्रो. अपूर्वानंद जैसे सच्चे देशभक्तों को आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए दिल्ली पुलिस का इतना सूक्ष्म प्रयास चिंतनीय है। हम भारतीय पुलिस सेवा के लोगों से यह उम्मीद है संविधान का सम्मान और कानून की रक्षा जाति, पंथ और राजनीतिक संबद्धता से ऊपर उठकर करें।
नयी दिल्ली, 13 सितंबर (वार्ता) कांग्रेस संगठन का पुनर्गठन करने के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने पुत्र राहुल गांधी के साथ इलाज के लिए अमेरिका रवाना हो गई हैं।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख एवं नवनियुक्त महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि श्रीमती गांधी स्वास्थ्य के नियमित परीक्षण के लिए अमेरिका गयी है।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आज रूटीन मेडिकल चेकअप कराने के लिए अमेरिका रवाना हुई हैं। उनकी यात्रा को महामारी की वजह से पहले स्थगित किया गया था। उनकी यात्रा में उनके साथ राहुल गांधी भी हैं। हम सभी उनकी चिंता करने और शुभकामनाएं देने के लिए आपका आभार व्यक्त करते है।"
श्रीमती गांधी और राहुल गांधी लोकसभा के सदस्य हैं और सोमवार से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है। यह सत्र एक अक्टूबर तक चलेगा और कांग्रेस के इन दोनों शीर्ष नेताओं के इस सत्र में शामिल होने की संभावना कम है।
नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)| वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को एक याचिका दायर करते हुए मांग की कि आपराधिक अवमानना मामलों में सजा के खिलाफ उन्हें अपील का अधिकार मिले और मामले की सुनवाई एक बड़ी व अलग पीठ करे। यह याचिका उनकी वकील कामिनी जायसवाल के माध्यम से याचिका दायर की गई है। भूषण ने शीर्ष अदालत से निर्देश जारी करने का आग्रह किया है कि याचिकाकर्ता सहित आपराधिक अवमानना के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को एक बड़ी और अलग पीठ द्वारा सुनवाई के लिए अंतर-अदालत में अपील का अधिकार होना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत को मूल आपराधिक अवमानना मामलों में सजा के खिलाफ अंतर-अदालत में अपील के लिए नियम और दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए।
इस याचिका में कहा गया है कि अपील का अधिकार संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत इसकी गारंटी भी है।
शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ दो ट्वीट करने के लिए दोषी ठहराया था और उन पर एक रुपये का जुर्माना लगाया था।
फैसले के अनुसार, 15 सितंबर तक जुर्माना नहीं दिए जाने की स्थिति में भूषण को तीन महीने की जेल हो सकती है और तीन साल के लिए उन्हें वकालत से निलंबित भी किया जा सकता है।
भूषण ने यह कहते हुए पीछे हटने या माफी मांगने से इनकार कर दिया था कि यह उनकी अंतरात्मा और न्यायालय की अवमानना होगी।
पटना, 12 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। इन सबके बीच जनता दल (सेक्युलर) ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एच़ डी़ देवगौड़ा इसी महीने पटना में एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर अपने मुद्दों को जनता के समक्ष रखेंगे।
पार्टी ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, "बिहार को एक नये विचार और दिशा की जरूरत है। कोरोना और बाढ़ ने बिहार सरकार की नाकामियों को उजागर किया है। लोगों को बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। महामारी और बाढ़ की दोहरी मार झेल रही बिहार की जनता के प्रति मेरी पूरी संवेदना व सहानुभूति है।"
देवगौड़ा ने दावा करते हुए कहा कि बिहार के कई नेता उनके संपर्क में हैं और वे चुनाव में अपनी भूमिका निभाने के लिए जद (एस) में शामिल होंगे।
इस बीच, पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ललित सिंह ने कहा कि तीन ज्वलंत मुद्दों के साथ पार्टी बिहार चुनाव में उतरी है, किसान, मजदूर और छात्र। नीतीश सरकार पर हमलावर होते हुए कहा, "बिहार सरकार ने कोरोना काल में मजदूरों के साथ जो अन्याय किया है उसका जवाब देने का वक्त आ गया है। क्वारंटाइन केंद्रों के नाम पर बिहार में लूट मचाई गई।"
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एच डी कुमारस्वामी ने कहा, "बिहार में विकास की कोई गति नहीं है। इतने वर्षो तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद नीतीश सरकार रोजगार पैदा करने में असफल रही है।"
बिहार जेडीएस के अध्यक्ष हलधर कांत मिश्रा ने कहा कि, "कुछ समय पहले नीतीश कुमार केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा करते थे, अब वो विशेष राज्य का नाम तक नहीं लेते। बिहार में अपराध का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। ऐसे में राज्य की जनता का भरोसा नीतीश सरकार से उठ चुका है। "
--आईएएनएस
रांची, 12 सितंबर (आईएएनएस)| झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव से आगामी बिहार चुनाव के लेकर उनसे मुलाकात की। यह मुलाकात राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आरआईएमएस) के निदेशक के आधिकारिक आवास पर हुई।
लालू को कोरोनावायरस के चलते रिम्स अस्पताल में पेइंग वार्ड में रखा गया है।
सोरेन ने बिहार के पूर्व सीएम से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, "लालू से लंबे समय बाद मुलाकात हुई। हमारी पार्टी राजद के साथ गठबंधन कर बिहार चुनाव लड़ना चाहती है। कौन किस तरह कि भूमिका निभाएगा इसकी जानकारी बाद में दी जाएगी।"
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है, लेकिन पार्टी का फिलहाल बिहार में कोई विधायक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास एक सीट थी।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 12 सितम्बर (आईएएनएस)| अगली बार आप जब भी विमान, हवाईअड्डे में फोटो लें या फिर विमान के लैंडिंग और टेक-ऑफ के समय शानदार तस्वीर अपने फोन में उतारना चाहें, तो आपको सावधान होने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि एयरलाइन के अधिकारी उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, जो इस बाबत नियम तोड़ेंगे। डीजीसीए ने एक नया आदेश पारित किया है, जिसके अंतर्गत इस बाबत नियम का उल्लंघन करने और इसपर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए, एयरलाइनों को उक्त मार्गो पर दो हफ्ते का निलंबन झेलना पड़ सकता है।
डीजीसीए के अनुसार, विमान को संचालित करने की तभी इजाजत दी जाएगी,जब उक्त एयरलाइन कंपनी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करेगा।
डीजीसीए ने इस मामले में लोगों की ओर से उल्लंघन के चलते दिशानिर्देशों को कड़ा किया है। इस लापरवाही से एयरलाइन संचालन में सुरक्षा खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा यह भी देखा गया कि एयरलाइन क्रू मेंबर भी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं। क्रू मेंबरों को परिवार के साथ कॉकपिट में फैमिली पिक्चर लेते देखा गया।
डीजीसीए ने सभी एयरलाइनों, एयरपोर्ट ऑपरेटरों और एएआई को जारी अपने आदेश में कहा, "नियमों के बावजूद, यह देखा गया था कि कई बार, एयलाइंस अपनी तरफ से सतर्कता के आभाव में इन नियमों का पालन करवाने में विफल हो जाते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह की लापरवाही से सुरक्षा के लिए बनाए गए उच्चतम स्तर के मानकों से समझौता करना पड़ता है। इसलिए अब इसकी इजाजत नहीं होगी।"
--आईएएनएस
जयपुर, 12 सितंबर (आईएएनएस)| राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शनिवार को नौकरियों में कमी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर पार्टी के नेता राहुल गांधी की विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि तमाम उद्योगों पर ताला लग जाने से स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने जो कहा, वह बिल्कुल सही है। केंद्र में सत्ता में आने पर भाजपा ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, जबकि इसके विपरीत पिछले कुछ महीनों में करोड़ों नौकरियां चली गई हैं। वेतन में कटौती की जा रही है, चीन लद्दाख में हमारे सीमा क्षेत्रों में घुस आया है। हालांकि, लोगों का ध्यान इन मुद्दों से हटाने के लिए अन्य मुद्दों पर चर्चा की जा रही है।"
उन्होंने कहा कि अगर इन मुद्दों पर कोई कार्रवाई की गई तो पूरा देश भारत सरकार के साथ खड़ा होगा।
राहुल गांधी पहले भारत-चीन सीमा पर चीनी सेना द्वारा घुसपैठ कर कब्जा जमाए जाने, नौकरी में कटौती, बढ़ती बेरोजगारी और सकल घरेलू उत्पाद भारी गिरावट के साथ कई मुद्दों पर ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साध चुके हैं।
--आईएएनएस
श्रीनगर, 12 सितम्बर (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने शनिवार को कहा कि उसने दक्षिण कश्मीर के पंपोर इलाके में आतंकवाद का महिमामंडन करने वाले पोस्टर लगाने और आतंकवादियों के बैनर को प्रदर्शित करने के संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पंपोर में 6 सितंबर को द्रानबल के नदीम अहमद डार, तुलबाग के अहमद सोफी और जलालाबाद के शाकिर अहमद डार ने पोस्टर चिपकाए थे और आतंकवादियों के बैनर लगाए थे।
पुलिस ने कहा, "श्रीनगर के रेनग्रेथ में एक प्रिंटिंग प्रेस 'रैंपेज एडवरटाइजिंग एजेंसी' से एसेसरीज के साथ दो कम्युटर सिस्टम, एक प्रिंटर जब्त किया गया है।"
पुलिस ने मामले के संबंध में एक एफआईआर दर्ज की है और जांच की जा रही है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)| भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने घोषणा की है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन 'कोवैक्सीन' ने जानवरों पर किए गए अध्ययन में सकारात्मक प्रभाव दिखाया है और पुख्ता प्रतिरक्षाएं प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक द्वारा विकसित 'कोवैक्सीन' का परीक्षण पूरे भारत में 12 संस्थानों में किया जा रहा है। यह स्वदेशी वैक्सीन देश में कोरोनावायरस वैक्सीन की दौड़ में सबसे आगे चलने वालों में से एक है।
हैदराबाद स्थित फर्म ने कहा, "भारत बायोटेक गर्व से 'कोवैक्सीन' के पशु अध्ययन परिणामों की घोषणा करता है। यह परिणाम एक लाइव वायरल चैलेंज मॉडल में सुरक्षात्मक प्रभावकारिता प्रदर्शित करते हैं।"
दवा बनाने वाली कंपनी ने कहा, "वैक्सीन उम्मीदवार (ऐसे कैंडिडेट जिन पर परीक्षण किया गया) को मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के तौर पर पाया गया है।"
भारत बायोटेक ने कहा, "परिणामों ने सुरक्षात्मक प्रभाव दिखाया है। इसने सार्स-कोव-2 विशिष्ट आईजीजी को बढ़ाने और एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने, नाक गुहा, गले और बंदरों के फेफड़ों के ऊतकों में वायरस के प्रतिरूप को कम किया है।"
इससे पहले कोरोनावायरस से निजात पाने के लिए 'भारत बायोटेक' द्वारा विकसित की जा रही स्वदेशी 'कोवैक्सीन' को ड्रग रेगुलेटरी की ओर से ट्रायल के दूसरे चरण की मंजूरी दी गई थी।
भारत बायोटेक वर्तमान में देशभर के कई अस्पतालों में कोरोना के मरीजों पर 'कोवैक्सीन' के दूरसे चरण के नैदानिक परीक्षण का आयोजन कर रहा है। इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली और पटना, विशाखापत्तनम में किंग जॉर्ज अस्पताल, हैदराबाद में निजाम का आयुर्विज्ञान संस्थान शामिल है। इसके साथ ही हरियाणा के रोहतक स्थित पीजीआई में भी इसका परीक्षण चल रहा है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 12 सितंबर। ‘मोदी सरकार ने खेत-खलिहान-अनाज मंडियों पर तीन अध्यादेशों का क्रूर प्रहार किया है। ये ‘काले कानून’ देश में खेती व करोड़ों किसान-मजदूर-आढ़ती को खत्म करने की साजिश के दस्तावेज हैं। खेती और किसानी को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का यह सोचा-समझा षडय़ंत्र है।’ यह आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने आज एक लंबा बयान जारी किया है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि अब यह साफ है कि मोदी सरकार पूंजीपति मित्रों के जरिए ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ बना रही है। अन्नदाता किसान व मजदूर की मेहनत को मुट्ठीभर पूंजीपतियों की जंजीरों में जकडऩा चाहती है। किसान को ‘लागत+50 प्रतिशत मुनाफा’ का सपना दिखा सत्ता में आए प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने तीन अध्यादेशों के माध्यम से खेती के खात्मे का पूरा उपन्यास ही लिख दिया। अन्नदाता किसान के वोट से जन्मी मोदी सरकार आज किसानों के लिए भस्मासुर साबित हुई है।
उन्होंने कहा- मोदी सरकार आरंभ से ही है ‘किसान विरोधी’। साल 2014 में सत्ता में आते ही किसानों के भूमि मुआवज़ा कानून को खत्म करने का अध्यादेश लाई थी। तब भी कांग्रेस व किसान के विरोध से मोदी जी ने मुँह की खाई थी।
बयान में आगे कहा गया है- किसान-खेत मजदूर-आढ़ती-अनाज व सब्जी मंडियों को जड़ से खत्म करने के तीन काले कानूनों की सच्चाई इन दस बिंदुओं से उजागर हो जाती है-
1.अनाज मंडी-सब्जी मंडी यानि एपीएमसी को खत्म करने से ‘कृषि उपज खरीद व्यवस्था’ पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न तो ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत। इसका जीता जागता उदाहरण भाजपा शासित बिहार है। साल 2006 में एपीएमसी एक्ट यानि अनाज मंडियों को खत्म कर दिया गया। आज बिहार के किसान की हालत बद से बदतर है। किसान की फसल को दलाल औने-पौने दामों पर खरीदकर दूसरे प्रांतों की मंडियों में मुनाफा कमा एमएसपी पर बेच देते हैं। अगर पूरे देश की कृषि उपज मंडी व्यवस्था ही खत्म हो गई, तो इससे सबसे बड़ा नुकसान किसान-खेत मजदूर को होगा और सबसे बड़ा फायदा मुट्ठीभर पूंजीपतियों को।
2. किसान को खेत के नज़दीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी में उचित दाम किसान के सामूहिक संगठन तथा मंडी में खरीददारों के परस्पर कॉम्पटिशन के आधार पर मिलता है। मंडी में पूर्व निर्धारित ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) किसान की फसल के मूल्य निर्धारण का बेंचमार्क है। यही एक उपाय है, जिससे किसान की उपज की सामूहिक तौर से ‘प्राईस डिस्कवरी’ यानि मूल्य निर्धारण हो पाता है। अनाज-सब्जी मंडी व्यवस्था किसान की फसल की सही कीमत, सही वजन व सही बिक्री की गारंटी है। अगर किसान की फसल को मुट्ठीभर कंपनियां मंडी में सामूहिक खरीद की बजाय उसके खेत से खरीदेंगे, तो फिर मूल्य निर्धारण, वजन व कीमत की सामूहिक मोलभाव की शक्ति खत्म हो जाएगी। स्वाभाविक तौर से इसका नुकसान किसान को होगा।
3. मोदी सरकार का दावा कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, पूरी तरह से सफेद झूठ है। आज भी किसान अपनी फसल किसी भी प्रांत में ले जाकर बेच सकता है। परंतु वास्तविक सत्य क्या है? कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक देश का 86 प्रतिशत किसान 5 एकड़ से कम भूमि का मालिक है। जमीन की औसत मल्कियत 2 एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86 प्रतिशत किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी के अलावा कहीं और ट्रांसपोर्ट कर न ले जा सकता या बेच सकता है। मंडी प्रणाली नष्ट होते ही सीधा प्रहार स्वाभाविक तौर से किसान पर होगा।
4. मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदि की रोजी-रोटी और आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी।
5. अनाज-सब्जी मंडी व्यवस्था खत्म होने के साथ ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी। प्रांत ‘मार्केट फीस’ व ‘ग्रामीण विकास फंड’ के माध्यम से ग्रामीण अंचल का ढांचागत विकास करते हैं व खेती को प्रोत्साहन देते हैं। उदाहरण के तौर पर पंजाब ने इस गेहूं सीजन में 127.45 लाख टन गेहूँ खरीदा। पंजाब को 736 करोड़ रु. मार्केट फीस व इतना ही पैसा ग्रामीण विकास फंड में मिला। आढ़तियों को 613 करोड़ रु. कमीशन मिला। इन सबका भुगतान किसान ने नहीं, बल्कि मंडियों से गेहूँ खरीद करने वाली भारत सरकार की एफसीआई आदि सरकारी एजेंसियों तथा प्राईवेट व्यक्तियों ने किया। मंडी व्यवस्था खत्म होते ही आय का यह स्रोत अपने आप खत्म हो जाएगा।
6. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में ‘शांता कुमार कमेटी’ की रिपोर्ट लागू करना चाहती है, ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना 80,000 से 1 लाख करोड़ की बचत हो। इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत खलिहान पर पड़ेगा।
7. अध्यादेश के माध्यम से किसान को ‘ठेका प्रथा’ में फंसाकर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जाएगा। क्या दो से पाँच एकड़ भूमि का मालिक गरीब किसान बड़ी बड़ी कंपनियों के साथ फसल की खरीद फरोख्त का कॉन्ट्रैक्ट बनाने, समझने व साईन करने में सक्षम है? साफ तौर से जवाब नहीं में है।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अध्यादेश की सबसे बड़ी खामी तो यही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी देना अनिवार्य नहीं। जब मंडी व्यवस्था खत्म होगी तो किसान केवल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर निर्भर हो जाएगा और बड़ी कंपनियां किसान के खेत में उसकी फसल की मनमर्जी की कीमत निर्धारित करेंगी। यह नई जमींदारी प्रथा नहीं तो क्या है? यही नहीं कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से विवाद के समय गरीब किसान को बड़ी कंपनियों के साथ अदालत व अफसरशाही के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। ऐसे में ताकतवर बड़ी कंपनियां स्वाभाविक तौर से अफसरशाही पर असर इस्तेमाल कर तथा कानूनी पेचीदगियों में किसान को उलझाकर उसकी रोजी रोटी पर आक्रमण करेंगी तथा मुनाफा कमाएंगी।
8. कृषि उत्पाद, खाने की चीजों व फल-फूल-सब्जियों की स्टॉक लिमिट को पूरी तरह से हटाकर आखिरकार न किसान को फायदा होगा और न ही उपभोक्ता को। बस चीजों की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वाले मुट्ठीभर लोगों को फायदा होगा। वो सस्ते भाव खरीदकर, कानूनन जमाखोरी कर महंगे दामों पर चीजों को बेच पाएंगे। उदाहरण के तौर पर ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ की रबी 2020-21 की रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया कि सरकार किसानों से दाल खरीदकर स्टॉक करती है और दाल की फसल आने वाली हो, तो उसे खुले बाजार में बेच देती है। इससे किसानों को बाजार भाव नहीं मिल पाता। 2015 में हुआ ढाई लाख करोड़ का दाल घोटाला इसका जीता जागता सबूत है, जब 45 रु. किलो में दाल का आयात कर 200 रु. किलो तक बेचा गया था। जब स्टॉक की सीमा ही खत्म हो जाएगी, तो जमाखोरों और कालाबाजारों को उपभोक्ता को लूटने की पूरी आजादी होगी।
9. अध्यादेशों में न तो खेत मजदूरों के अधिकारों के संरक्षण का कोई प्रावधान है और न ही जमीन जोतने वाले बंटाईदारों या मुजारों के अधिकारों के संरक्षण का। ऐसा लगता है कि उन्हें पूरी तरह से खत्म कर अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।
10. तीनों अध्यादेश ‘संघीय ढांचे’ पर सीधे-सीधे हमला हैं। ‘खेती’ व ‘मंडियां’ संविधान के सातवें शेड्यूल में प्रांतीय अधिकारों के क्षेत्र में आते हैं। परंतु मोदी सरकार ने प्रांतों से राय करना तक उचित नहीं समझा। खेती का संरक्षण और प्रोत्साहन स्वाभाविक तौर से प्रांतों का विषय है, परंतु उनकी कोई राय नहीं ली गई। उल्टा खेत खलिहान व गांव की तरक्की के लिए लगाई गई मार्केट फीस व ग्रामीण विकास फंड को एकतरफ़ा तरीके से खत्म कर दिया गया। यह अपने आप में संविधान की परिपाटी के विरुद्ध है।
महामारी की आड़ में ‘किसानों की आपदा’ को मुट्ठीभर ‘पूंजीपतियों के अवसर’ में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को देश का अन्नदाता किसान व मजदूर कभी नहीं भूलेगा। भाजपा की सात पुश्तों को इस किसान विरोधी दुष्कृत्य के परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
एयरलाइन कंपनियों को कड़ी चेतावनी
नई दिल्ली, 12 सितंबर। इंडिगो की फ्लाइट से चंडीगढ़ से मुंबई जा रही बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की फ्लाइट में फोटोग्राफी के लिए मीडिया कर्मियों के बीच मची अफरा-तफरी और कोरोना प्रोटोकॉल तथा सुरक्षा नियमों का पालन नहीं होने से नाराज विमानन नियामक डीजीसीएम ने इंडिगो को चेतावनी दी है। डीजीसीए ने कहा कि यदि सरकारी नियमों के खिलाफ एयरक्राफ्ट में किसी को भी फोटो लेते हुए पाया गया तो दो हफ्ते के लिए उस रूट पर फ्लाइट के परिचालन को रद्द कर दिया जाएगा।
नागर विमानन महानिदेशालय ने शनिवार को बयान में कहा कि तय नियमों और शर्तों के अधीन आने वाले मामलों को छोडक़र कोई भी व्यक्ति फोटोग्राफ नहीं लेगा।
डीजीसीए ने जोर देते हुए कहा कि अक्सर देखा गया है कि यथोचित प्रयासों में कमी के कारण एयरलाइंस इन नियमों का पालन करने में नाकाम साबित होती हैं। डीजीसीए ने विमान परिचालकों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अब से इस तरह का उल्लंघन होता है तो उस स्थिति में फ्लाइट का परिचालन उस रूट पर अगले 15 दिन के लिए रद्द कर दिया जाएगा। फ्लाइट के परिचालन को तभी बहाल किया जाएगा जब एयरलाइन कंपनी उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सभी जरूरी दंडात्मक कार्रवाई करेगी।
भाषा की खबर के मुताबिक, इससे पहले, डीजीसीए ने इंडिगो को चंडीगढ़-मुंबई की उसकी उड़ान में मीडियाकर्मियों द्वारा सुरक्षा और सामाजिक दूरी के नियमों के कथित उल्लंघन के लिए एक रिपोर्ट सौंपने को कहा था। यह घटना उस वक्त हुई थी, जब उड़ान से कंगना रनौत ने यात्रा की थी। वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने ऐसे कुछ वीडियो देखे हैं जिसमें मीडियाकर्मी बुधवार को 6ई264 उड़ान में एक दूसरे से बहुत सटकर खड़े थे। यह सुरक्षा और सामाजिक दूरी के नियमों के उल्लंघन की तरह है। हमने विमानन कंपनी इंडिगो को इस घटना पर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
इंडिगो ने कहा कि उसने उड़ान के बाद इस मामले का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए जरूरी प्रक्रिया का भी पालन किया।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को समन किया है। घृणा फैलाने वाली सामग्री के खिलाफ नियमों को लागू करने में जानबूझ कर निष्क्रियता बरतने के आरोप वाली शिकायतों का हवाला देते हुए उन्हें समन किया गया है। समिति के मुताबिक, इससे कथित तौर पर दिल्ली में शांति भंग हुई थी। विधायक राघव चड्ढा की अध्यक्षता वाली समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को 15 सितंबर को समिति के सामने उपस्थित होने के लिए नोटिस दिया है। समिति के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि शिकायतकर्ताओं की शिकायतों की जांच की जा सके।
राघव चड्ढा ने कहा, "फेसबुक इंडिया को प्रमुख गवाहों के दिए गए तीखे बयानों के साथ-साथ उनकी तरफ प्रस्तुत की गई सामग्री व रिकॉर्ड में दोषी ठहराए जाने के आधार पर समन जारी किया गया है।"
राघव चड्ढा ने कहा, "गवाहों की तरफ से प्रस्तुत किए गए मजबूत साक्ष्य के संबंध में समिति का मानना है कि फेसबुक को दिल्ली दंगों की जांच में सह-अभियुक्त के रूप में आरोपित किया जाना चाहिए।"
समिति ने अपने अध्यक्ष राघव चड्ढा के माध्यम से अब तक चार अत्यंत महत्वपूर्ण गवाहों की जांच की है, जिनमें प्रख्यात लेखक परांजॉय गुहा ठाकुर्ता व डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता निखिल पाहवा शामिल हैं।
समिति के मुताबिक, परांजॉय गुहा ने स्पष्ट रूप से बयान दिया कि फेसबुक प्लेटफॉर्म उतना नास्तिक और कंटेंट न्यूट्रल नहीं है, जितना कि वह होने का दावा करता है। साथ ही फेसबुक पर एक अपवित्र सांठगांठ का आरोप लगाया गया है।
गवाहों की तरफ से ब्लैक लाइव्स मामले के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश में फेसबुक नीतियों के चयनात्मक कार्यान्वयन की प्रक्रिया पर समिति का ध्यान आकर्षित किया था।
दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा, "उन्हें कई शिकायतें मिली थीं, जिसमें फेसबुक के संबंधित अधिकारियों पर भारत में घृणा फैलाने वाली सामग्री को कथित रूप से जानबूझकर अनदेखी का आरोप है।"
शिकायतों में लगाए गए आरोपों पर सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद दिल्ली विधान सभा की समिति ने इस मुद्दे का त्वरित संज्ञान लिया और कार्यवाही शुरू की। समिति के कामकाज को पारदर्शी बनाने और जनता के विश्वास को स्थापित करने के लिए 15 सितंबर को भी कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम किया जाएगा।
चंडीगढ़, 12 सितंबर (आईएएनएस)| हरियाणा में साल 2014 में परिवार द्वारा दुल्हन की हत्या के मामले में राज्य के एक एक सत्र न्यायालर्य ने सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सिरसा जिले के धरबी गांव की अमनदीप कौर ने अगस्त 2014 में अपने पड़ोसी मनमीत सिंह से परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी कर ली थी। दोषी नवविवाहिता के रिश्तेदार थे।
नवविवाहित दंपत्ति ने अपनी जान का खतरा बताते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी।
पहले आश्रय गृह में रहने के बाद दंपति मनमीत के घर चले गए थे।
उसके बाद सितंबर में अमनदीप का उसके परिवारवालों ने अपहरण कर लिया था और हत्या करने के बाद उसका शव पंजाब के एक गांव में फेंक दिया गया था।
सिरसा के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश चंदर हस ने अमनदीप के भाई करण सिंह, उसके दो चाचा मुख्तयार सिंह और जगतार सिंह और अन्य रिश्तेदारों विकास, बलबीर कौर, प्रिंस रानी और बूटा सिंह को दोषी ठहराया।
नई दिल्ली, 12 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर देशवासियों को कोरोना से बचे रहने की सलाह दी है। उन्होंने शनिवार को नया मंत्र देते हुए कहा कि 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।' प्रधानमंत्री मोदी ने दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी का मंत्र भी न भूलने की सलाह ही।
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं बार-बार कहता हूं। जरूर याद रखिए। मेरी बात आप मानें भी। देखिए, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी, इस मंत्र को भूलना नहीं है। आपका स्वास्थ्य उत्तम रहना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनकर तैयार हुए घरों का उद्घाटन करने के दौरान लोगों को कोरोना से हमेशा सतर्क रहने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को दवाई की बात कहकर संदेश दिया कि जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक लोग अतिरिक्त सावधानियां बरतें।
पीएम मोदी ने आवास योजना के लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, आप सभी साथियों से यही कहूंगा कि ये घर आपके बेहतर भविष्य का नया आधार है। यहां से आप अपने नए जीवन की नई शुरूआत कीजिए। अपने बच्चों को, अपने परिवार को अब आप नई ऊंचाइयों पर लेकर जाइए। आप आगे बढ़ेंगे तो देश भी आगे बढ़ेगा।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)| भारत में शनिवार को एक बार फिर कोविड-19 के मामलों में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है। यहां कोविड-19 के 97,570 ताजा मामले दर्ज किए गए हैं, जिसके साथ देश में संक्रमण के कुल मामले 46,59,984 हो चुकी है। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से मिली।
भारत में सामने आए यह मामले अमेरिका में एक दिन में आने वाले मामलों से दोगुना से भी अधिक है।
पिछले 24 घंटों में यहां 1,201 मौतें दर्ज की गई हैं, जिसके बाद मौतों की कुल संख्या 77,472 हो गई है।
कुल मामलों में से 9,58,316 मामले सक्रिय हैं, वहीं अब तक इससे 36,24,196 लोग उबर चुके हैं। अमेरिका में पहला मामला 21 जनवरी को दर्ज किया गया था, जबकि भारत में 30 जनवरी को किया गया था।
भारत, अमेरिका में सामने आने वाले हर दिन के मामलों के रिकॉर्ड को कई बार तोड़ चुका है। हालांकि अमेरिका ने अभी भी 15 अप्रैल को 2,494 लोगों की मृत्यु का रिकॉर्ड बनाए रखा है।
भारत में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं। मंत्रालय के अनुसार वे सक्रिय मामलों में 60 प्रतिशत से अधिक के भागीदार हैं।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में रिकवरी दर 77.65 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 1.67 प्रतिशत है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में शुक्रवार को एक ही दिन में रिकॉर्ड 10,91,251 टेस्ट हुए हैं और अब तक टेस्ट की कुल संख्या 5,51,89,226 हो गई है।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले गरीब सरकार के पीछे दौड़ता था, अब सरकार लोगों के पास जा रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत मध्यप्रदेश में बने 1.75 लाख घरों में शनिवार को परिवारों के गृहप्रवेश के मौके पर मोदी ने कहा कि अब किसी की इच्छा के अनुसार सूची में नाम जोड़ा या घटाया नहीं जा सकता। चयन से लेकर निर्माण तक वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीका अपनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "पहले जो घर बनते थे, उनमें पारदर्शिता की भी कमी थी, कई गड़बड़ियां भी होती थीं, इसलिए उन घरों की क्वालिटी भी बहुत बेकार होती थी। लाभार्थियों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी लगाने होते थे। पहले जो घर बनते थे, उनमें गृहप्रवेश ही नहीं हो पाता था।"
मोदी ने कहा, "मुझे कई बार लोग पूछते हैं कि घर तो पहले भी गरीबों के लिए बनते थे। वैसे दशकों से गरीबों के लिए घर बनाने की योजनाएं चल रही हैं। लेकिन करोड़ों गरीबों को घर देने का लक्ष्य था, वो कभी पूरा नहीं हो पाया। अब मैटीरियल से लेकर निर्माण तक, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध और उपयोग होने वाले सामानों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। पूरी पारदर्शिता के साथ हर चरण की पूरी मॉनीटरिंग के साथ लाभार्थी खुद अपना घर बनाता है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जैसे इंद्रधनुष में अलग-अलग रंग होते हैं वैसे ही पीएम आवास योजना के अंतर्गत बनने वाले घरों में भी अपने ही रंग हैं। अब गरीब को सिर्फ घर ही नहीं मिल रहा है, बल्कि घर के साथ शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, एलईडी बल्ब, पानी कनेक्शन सब कुछ मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घर की रजिस्ट्री ज्यादातर महिला के नाम पर हो रही है या फिर साझी हो रही है। उन्होंने कहा, "जब गरीब की आय व आत्मविश्वास बढ़ता है तो आत्मनिर्भर भारत का संकल्प भी मजबूत होता है। पहले गांवों की मूलभूत सुविधाओं को विकसित किया गया, अब वहां आधुनिक सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में तेज गति से कार्य होने का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, "सामान्य तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक घर बनाने में औसतन 125 दिन का समय लगता है। कोरोना काल में पीएम आवास योजना के तहत घरों को सिर्फ 45 से 60 दिन में ही बनाकर तैयार कर दिया गया है। आपदा को अवसर में बदलने का ये उत्तम उदाहरण है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पीएम गरीब कल्याण अभियान के तहत घर तो बन ही रहे हैं। हर घर जल पहुंचाने का काम हो, आंगनबाड़ी और पंचायत के भवनों का निर्माण हो, पशुओं के लिए शेड बनाना हो, तालाब और कुएं बनाना हो, गांव के विकास से जुड़े ऐसे अनेक काम तेजी से किए गए हैं।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी समाज में हाशिए पर रहे वर्गो के लिए बेहद साहस और दृढ़ विश्वास के साथ लड़ाई लड़ी। अपने एक बयान में सोनिया गांधी ने कहा, "स्वामी अग्निवेश के निधन से मैं बहुत दुखी हूं। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बेहद साहस और दृढ़ विश्वास के साथ समाज में हाशिए पर रहे वर्गो के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने निडरता से उनके अधिकारों की रक्षा की और उनका भी सामना किया, जो कमजोर वर्ग का शोषण करते हैं, उन्हें दबाते हैं और गरीबों को डराते हैं। अक्सर व्यक्तिगत जोखिम उठाते हुए उन्होंने अपने काम को अंजाम दिया।"
उन्होंने आगे कहा, "स्वामी अग्निवेश कमजोर और निराश्रितों के लिए 'सबसे शक्तिशाली' और 'प्रभावी' आवाज थे।"
स्वामी अग्निवेश ने शुक्रवार शाम को आईएलबीएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। चिकित्सकों ने बताया कि शाम छह बजे के करीब उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।
मूडीज के मुताबिक 11.5 फीसदी गिरेगी जीडीपी
देश एक बेहद आर्थिक संकट के दौर में पहुंच चुका है। पहली तिमाही के अत्यंत निराशाजनक आंकड़े सामने आने के बाद तमाम अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत की विकास दर को लेकर अपने अनुमान बदलना शुरु कर दिए हैं। रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में कम से कम 11.5 फीसदी की गिरावट दर्ज होगी। ध्यान रहे कि इससे पहले मूडीज ने अर्थव्यवस्था में सिर्फ 4 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था, जिसे संशोधित कर 11.5 फीसदी कर दिया है।
मूडीज का कहना है कि भारत के लिए उसका यह अनुमान गिरती विकास दर, जरूरत से ज्यादा कर्ज और कमजोर वित्तीय प्रणाली पर आधारित है। मूडीज के मुताबिक भारत की फाइनेंशियल सिस्टम और अर्थव्यवस्था से देश की वित्तीय मजबूती में और गिरावट आ सकती है, जिससे भारत की वित्तीय साख पर गहरा असर होगा।
गोल्डमैन सैश ने कहा- जीडीपी में आएगी 14.8 फीसदी की कमी
इससे पहले वैश्विक रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैश भी भारत की जीडीपी में भारी गिरावट का अनुमान लगा चुकी है। गोल्डमैन सैश के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 14.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। वहीं फिच ने चालू वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है।
बात घरेलू रेटिंग एजेंसियों की करें तो एचएसबीसी और मार्गन स्टेनले ने जीडीपी में 5 से 7.2 फीसदी तक की गिरावट की बात कही है। वहीं क्रिसिल और इंडिया रेटिंग ने अर्थव्यवस्था में 9 और 11.8 फीसदी की गिरावट की आशंका जताई है।
जुलाई में और गिर गया औद्योगिक उत्पादन
भारत में इस वर्ष जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। आधिकारिक आंकड़ों में शुक्रवार को इसकी पुष्टि हुई है। कोविड-19 महामारी की वजह से भारत के कारखानों के उत्पादन की क्षमता पर साल-दर-साल के आधार पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के हालिया अनुमानों के अनुसार, जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन में 10.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुमान दस्तावेज में कहा गया है कि वर्तमान सूचकांक रीडिंग की तुलना कोविड-19 महामारी से पहले के महीनों से नहीं की जानी चाहिए।
मंत्रालय ने औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की वजह बताते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों तथा देशभर में लागू राष्ट्रव्यापी बंद की वजह से कई औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान मार्च अंत से परिचालन नहीं कर पाए हैं।
आईआईपी के हालिया आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2020 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 11.1 प्रतिशत घटा है, जो कि जून महीने में 15.9 प्रतिशत था। इसी तरह बिजली क्षेत्र का उत्पादन 2.5 प्रतिशत घट गया, जो कि जून में 10.2 प्रतिशत था। वहीं जुलाई, 2019 में इस क्षेत्र का उत्पादन 5.2 प्रतिशत बढ़ा था।
इसके अलावा जुलाई में खनन क्षेत्र के उत्पादन में 13 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 4.9 प्रतिशत बढ़ा था। साल-दर-साल आधार पर डेटा से पता चला है कि प्राथमिक वस्तुओं के विनिर्माण में (माइनस) 10.9 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं पूंजीगत सामान में (माइनस) 22.8 प्रतिशत और मध्यवर्ती माल में (माइनस) 12.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में 23.6 फीसदी कमी
जुलाई में टिकाऊ उपभोक्ता सामान के उत्पादन में भी 23.6 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं एक साल पहले समान महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 2.4 प्रतिशत घटा था। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्रिंसिपल अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मई और जून के महीने में देखी गई तेज रिकवरी अब कुछ हद तक कम होती जा रही है। इसका कारण देश के कई हिस्सों में स्थानीय या आंशिक या सप्ताहांत बंद है, जो अक्सर बिना किसी अग्रिम सूचना के लागू कर दिया जाता है।(navjivan)
लंदन: उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने शुक्रवार को भारत से लाइव वीडियो लिंक के जरिये भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मामले में मोदी की ओर से गवाही दी, जिसको भारत सरकार की ओर से अभियोजन पक्ष ने चुनौती दी. पांच दिन की सुनवाई के अंतिम दिन जस्टिस सैमुअल गूजी ने काटजू की विस्तृत गवाही सुनने के बाद मामले की सुनवाई 3 नवंबर तक स्थगित कर दी. तीन नवंबर को वह भारतीय अधिकारियों द्वारा पेश सबूतों की स्वीकार्यता से संबंधित तथ्यों पर सुनवाई करेंगे.
मोदी पर दो अरब अमेरिकी डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के संबंध में धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोप हैं. काटजू ने लिखित और मौखिक दावे किये हैं कि भारत में न्यायपालिका का अधिकांश हिस्सा भ्रष्ट है और जांच एजेंसियां सरकार की ओर झुकाव रखती हैं, लिहाजा नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा. काटजू के इन दावों पर भारत सरकार की ओर से मुकदमा लड़ रही ब्रिटेन की क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने पलटवार किया.
बैरिस्टर हेलेन मैल्कम ने सवाल किया, ''क्या ऐसा संभव है. आप स्वघोषित गवाह हैं, जो कुछ भी बयान दे सकते हैं.'' इस पर काटजू ने जवाब दिया, ''आप अपने विचार रखने के हकदार हैं.'' मैल्कम ने इस विचाराधीन मामले में ब्रिटेन की अदालत में पेश किये जाने वाले सबूतों के संबंध में इस सप्ताह की शुरुआत में भारत में मीडिया को साक्षात्कार देने के काटजू के फैसले के बारे में भी सवाल किया, जिसपर काटजू ने कहा कि वह केवल पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे और ''राष्ट्रीय महत्व'' के मामलों पर बोलना उनका कर्तव्य है.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने शुक्रवार को भारत से लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मामले में भारत सरकार की याचिका के ख़िलाफ़ गवाही दी.
इकोनॉमिक टाइम्स ने इस ख़बर को तीसरे पन्ने पर प्रमुखता से छापा है.
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार लंदन कोर्ट में चल रही सुनवाई में जस्टिस काटजू ने कहा कि नीरव मोदी को भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई का मौक़ा नहीं मिलेगा.
उनकी गवाही को भारत सरकार की ओर से अभियोजन पक्ष ने चुनौती दी और उनसे जुड़े विवादों पर भी सवाल पूछे.
काटजू ने लंदन कोर्ट में लिखित बयान भी दाखिल किया था जिसमें उन्होंने दावा किया कि अगर नीरव मोदी को भारत वापस भेजा जाता है तो उन्हें बलि का बकरा बना दिया जाएगा.
अख़बार के अनुसार काटजू ने कहा है कि भारतीय न्यायपालिका और सीबीआई में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष राजनीतिक हस्तक्षेप है.
उन्होंने लिखा है कि 'अब तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सिर्फ़ 15 मामलों में ही सज़ा दिलवा पाया है.'
इस बयान में पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा है कि भारत में जांच एजेंसियां अपने राजनीतिक आकाओं के मुताबिक़ ही काम करती हैं. (bbc)
नई दिल्ली, 11 सितम्बर | दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को निर्देश दिया है कि सुनंदा पुष्कर मामले में कथित अपमानजनक प्रसारण पर रोक लगाने संबंधी शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक वह संयम बरते हैं और बयानबाजी पर रोक लगाएं.
लाइव लॉ के अनुसार, गोस्वामी को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करते हुए जस्टिस मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने कहा कि किसी आपराधिक मामले में जांच लंबित होने के दौरान मीडिया को समानांतर सुनवाई करने, किसी को दोषी कहने या निराधार दावे करने से बचना चाहिए.
अदालत ने कहा, ‘जांच और सबूतों की पवित्रता को समझा जाना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए.’
यह आदेश शशि थरूर की उस याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी द्वारा सुनंदा पुष्कर की मौत से जुड़े मामले संबंधी प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी.
याचिका में उन्होंने मांग की है कि गोस्वामी को मौजूदा मामले के लंबित रहने तक सुनंदा पुष्कर की हत्या के संबंध में कोई खबर रिपोर्ट करने या प्रसारित करने पर रोक लगाई जाए और किसी भी तरह से वादी को अपमानित करने या उनकी छवि धूमिल करने पर भी रोक लगाई जाए.
शशि थरूर की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि सुनंदा पुष्कर मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी अर्णब गोस्वामी अपने कार्यक्रम में दावा कर रहे हैं कि उन्हें कोई शक नहीं है सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई थी, जबकि चार्जशीट में हत्या का कोई मामला नहीं है.
सिब्बल ने इस ओर भी इशारा किया कि 1 दिसंबर, 2017 के इस अदालत के अंतिम आदेश के बाद भी गोस्वामी दिल्ली पुलिस की जांच पर भरोसा न होने की बात कहते हुए थरूर के खिलाफ अपमानजनक सामग्री का प्रसारण कर रहे हैं.
1 दिसंबर 2017 के आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट ने गोस्वामी को संयम बरतने और मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह दी थी.
सिब्बल ने कहा, ‘क्या एक सार्वजनिक बहस में किसी व्यक्ति को इस तरह से गाली दी जानी चाहिए? आखिर वह (गोस्वामी) कैसे कह सकते हैं कि हत्या की गई थी जबकि चार्जशीट कुछ और कहती है. जब तक अदालत मामले की सुनवाई कर रही है तब तक यह इस तरह से नहीं चल सकता है.’
अपने पिछले आदेश को संज्ञान में लेते हुए अदालत ने गोस्वामी को लताड़ लगाते हुए कहा, ‘जब चार्जशीट में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है, उसके बाद भी आप क्यों कह रहे हैं हत्या हुई थी. क्या आप मौके पर मौजूद थे या आप एक प्रत्यक्षदर्शी हैं? आपको आपराधिक जांच की पवित्रता और विभिन्न पहलूओं को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए. केवल काटने का निशान होने का यह मतलब हत्या नहीं होता है. आपको पता भी है कि हत्या क्या होता है? हत्या होने का दावा करने से पहले आपको सबसे पहले समझना चाहिए कि हत्या क्या है?’
जब गोस्वामी की वकील मालविका त्रिवेदी ने कहा कि उनके पास एक एम्स डॉक्टर से मिला एक पुख्ता सबूत है, जो पुष्कर की हत्या की ओर इशारा करते हैं.
इस पर अदालत ने कहा, ‘आप सबूत जुटाने के क्षेत्र में काम नहीं कर रही हैं, आपको सबूतों तक पहुंचने का कोई अधिकार नहीं है. क्या आपको पता भी है कि कैसे सबूत इकट्ठा किया जाता है और आपराधिक सुनवाई में पेश किया जाता है? क्या चार्जशीट में जो कहा गया है उसके ऊपर मीडिया एक अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य कर सकता है? मीडिया पर कोई रोक नहीं है लेकिन इसके साथ ही कानून मीडिया ट्रायल पर रोक लगाता है.’
इसके बाद अदालत ने कहा कि जब जांच करने के लिए अधिकृत एक एजेंसी द्वारा चार्जशीट दायर की गई है और उसी का संज्ञान लेते हुए एक सक्षम अदालत प्रथमदृष्टया निष्कर्ष निकालती है कि मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला बनता है और हत्या का मामला नहीं है, तब प्रतिवादी पक्ष द्वारा थरूर द्वारा हत्या किए जाने को लेकर दिए गए बयान इस अदालत के पिछले आदेश के निर्देशों का उल्लंघन हैं.
अदालत ने कहा, ‘प्रेस को ऐसे आपराधिक मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए जिनमें जांच जारी है.’
इसलिए अदालत अर्णब गोस्वामी को निर्देश देती है कि वह अदालत के पिछले आदेश का पालन करें और मामले की अगली सुनवाई तक संयम बरतें.
अदालत ने कहा, ‘इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए वरना परिणाम भुगतने पड़ेंगे.’
बता दें कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मई, 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में अर्णब गोस्वामी और उसी साल शुरू हुए उनके न्यूज़ चैनल रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर किया था.
थरूर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत से जुड़ी ख़बर के प्रसारण के दौरान उनके ख़िलाफ़ मानहानिकारक टिप्पणियां की गईं. इसके लिए थरूर ने दो करोड़ रुपये के मुआवज़े की मांग की है.
थरूर ने यह अनुरोध भी किया था कि जब तक दिल्ली पुलिस की जांच पूरी नहीं हो जाए, चैनल पर उनकी पत्नी की मौत से संंबंधित किसी शो का प्रसारण नहीं हो.
इसके बाद फरवरी 2019 में थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत की जांच से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों की चोरी के आरोप में दिल्ली की एक अदालत ने रिपब्लिक टीवी और गोस्वामी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे. (thewire)