राष्ट्रीय
कोलकाता, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के 'कोरोना समाप्त हो चुका है' बयान पर पलटवार करते हुए, ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को उनपर जमकर हमला बोला। घोष ने यह बयान ऐसे समय दिया है, जब देश में कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, "जब पूरा भारत कोविड-19 महामारी से बिना थके लड़ रहा है, दिलीप घोष घोषणा करते हैं कि कोरोना समाप्त हो चुका है। वह वोट बैंक की राजनीति को मानव जिंदगी से ज्यादा महत्व देते हैं।"
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार, भारत में शुक्रवार को बीते 24 घंटों में 96,551 मामले सामने आए, जो एक दिन में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों के मिलने का मामला है। इस प्रकार अब कुल मामलों की संख्या बढ़कर 45,62,414 हो गई। बीते 24 घंटों में इस महामारी से करीब 1209 लोगों ने अपनी जान गंवा दी, जोकि इस महामारी से एक दिन में मरने वाले सबसे ज्यादा लोगों की संख्या है। वहीं महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 76,271 हो गई है।
घोष ने बुधवार को कहा था कि कोरोना महामारी समाप्त हो गया है और ममता बनर्जी सरकार भाजपा को रैली करने से रोकने के लिए गैरजरूरी लॉकडाउन लगा रही है।
घोष ने कहा था, "कोरोना जा चुका है! दीदी नाटक कर रही है। वह जानबूझकर लॉकडाउन लगा रही है, ताकी भाजपा बंगाल में बैठक और रैलियां न कर सके।"
नई दिल्ली, 11 सितम्बर | देश में हर दिन कोरोना नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है। पिछले कई दिनों से हर दिन देश में कोरोना के 90 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए रहे हैं और एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। बावजूद इसके बीजेपी नेताओं की निगह में कोरोना महामारी भारत को छोड़कर जा चुका है। बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ऐसा ही बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी जा चुकी है।
अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले बंगला बीजेपी के अध्यक्ष ने बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “कोरोना तो जा चुका है। ममता बनर्जी बंगाल में लॉकडाउन लगा रही हैं, ताकि राज्य में बीजेपी सभाएं और रैलियां न कर सके। हमें कोई नहीं रोक सकता है।”
सवाल यह है कि क्या इस महामारी में बीजेपी को रैली और सभाओं की पड़ी है? क्या उसे जनता के स्वास्थ्य से कुछ लेना-देना नहीं हैं? यह सवाल इसलिए है क्योंकि दिलीप घोष का बयान ऐसा समय में आया है जब देश में हर दिन सैकड़ों लोगों की कोरोना वयारस से मौत हो रही है। हजारों लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं और अस्पताल में इलाज कराने के लिए भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में बीजेपी और उसके नेता ऐसा बयान देकर क्या बताना चाहते हैं?
देश में आज कोरोना वायरस ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारा ताजा आकंड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के रिकॉर्ड 96,551 नए केस सामने आए हैं और 1,209 लोगों की मौत हो गई है। देश कोरोना संक्रमितों की खंख्या 45 लाख के पार पहुंच गई है। कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 45,62,415 हो गई है। देश में 9,43,480 सक्रिय मामले हैं। वहीं, 35,42,664 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 76,271 लोगों की मौत हो चुकी है। इन आंकड़ों को देखने के बाद क्या यह कहा जा सकता है कि कोरोनो वायरस जा चुका है? (navjivan)
सुमित कुमार सिंह
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| चीन ने पूर्वी लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 के पास एक सैन्य अड्डा (मिलिट्री बेस) स्थापित किया है। अब फिंगर-4 से आगे भारतीय सेना के जवानों की आवाजाही पूरी तरह से कट गई है।
झील के उत्तरी किनारे को कुल आठ फिंगर्स में विभाजित किया गया है। भारत फिंगर-8 पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का दावा करता है और उसका फिंगर-4 तक के क्षेत्र पर नियंत्रण रहा है। लेकिन चीनी सेना यथास्थिति को स्पष्ट तौर पर बदलने के लिए फिंगर-4 के क्षेत्र में भी शिविर लगा रही है और उसने फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच किलेबंदी की है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने दो महीने पहले ही सचेत कर दिया था कि फिंगर-5 के क्षेत्र में क्रेन, कंक्रीट का मिश्रण करने वाले ट्रक और अन्य भवन निर्माण मशीनरी को देखा गया है। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि चीन सैन्य बैरक और कार्यालय बना रहा है।
सूत्रों ने कहा कि चीन ने इन ठिकानों पर सैकड़ों की संख्या में सैनिकों को तैनात किया है। इसके साथ ही उन्होंने फिंगर-5 पर टैंक, आर्टिलरी गन और अन्य सैन्य हथियार रखे हैं।
फिंगर-8 में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बैरक स्थापित किए हैं और भूमिगत सुरंगों का निर्माण किया है। इसके साथ ही उन्होंने फिंगर-8 पर विशाल सैन्य बुनियादी ढांचा खड़ा किया है।
पिछले साल तक इन विवादित क्षेत्रों में किसी भी सैन्य बुनियादी ढांचे से संबंधित कार्य नहीं किया जा रहा था और भारतीय सेना के जवान क्षेत्र में गश्त करते थे। झील के उत्तरी तट पर फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच आठ किलोमीटर की दूरी पर दोनों सेनाएं नियमित रूप से आमने-सामने हो रही हैं।
भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए अनुपलब्ध थे।
अब भारतीय सेना फिंगर-4 से आगे नहीं बढ़ पा रही है, क्योंकि पीएलए के सैनिकों ने वहां कुछ ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया है। एहतियाती उपाय के रूप में भारतीय सैनिकों ने भी पीएलए के कब्जे वाले स्थानों को देखते हुए कुछ ऊंचाइयों पर अपनी पहुंच स्थापित कर ली है।
सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना की बढ़ी गतिविधियों को देखते हुए, फिंगर-4 से आगे भारतीय सेना के जवानों की आवाजाही पूरी तरह से कट गई है।
भारत और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चार महीने से गतिरोध बना हुआ है। कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
15 जून को गालवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। झड़प में कुछ चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी खबरें हैं, मगर चीन ने अभी तक अपने हताहत हुए जवानों के बारे में चुप्पी साध रखी है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ और विशेष रूप से गलवान घाटी में चीनी आक्रामकता पांच मई से बढ़ना शुरू हुई थी। चीनी सैनिकों ने 17 मई और 18 मई को कुगरांग नाला, गोगरा और पैंगॉन्ग झील के उत्तरी तट के क्षेत्रों में अवैध रूप से अतिक्रमण करने का प्रयास किया था।
मुंबई, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधा है। कांग्रेस महाराष्ट्र में शिव सेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का हिस्सा है। अभिनेत्री ने कहा कि इतिहास आपकी चुप्पी और उदासीनता का फैसला करेगा। कंगना ने ट्विटर पर लिखा, "आप पश्चिम में बड़ी हुई हैं और भारत में रह रही हैं। आप महिलाओं की संघर्ष से वाकिफ होंगी। जब आपकी खुद की सरकार द्वारा महिलाओं का शोषण किया जा रहा है, कानून व्यवस्था का मजाक उड़ाया जा रहा है, ऐसे में आपकी चुप्पी और उदासीन रवैये का फैसला इतिहास करेगा। मैं उम्मीद करती हूं कि आप मामले में हस्तक्षेप करेंगी।"
कंगना ने आगे लिखा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सम्माननीय अध्यक्ष सोनिया गांधी जी एक महिला होने के नाते महाराष्ट्र में आपकी सरकार ने मेरे साथ जिस तरह का बर्ताव किया है, क्या आप उससे खफा नहीं हैं? क्या आप अपनी सरकार से डॉ. अंबेडकर द्वारा हमारे लिए बनाए गए संविधान के सिद्धांतों का पालन करने को नहीं कहेंगी?"
कंगना ने शिवसेना के दिवंगत नेता बाल ठाकरे का उदाहरण पेश कर शिव सेना पर भी तंज कसा है।
वह लिखती हैं, "मेरे पसंदीदा आदर्शो में से महान बाला साहेब ठाकरे का सबसे बड़ा डर यह था कि शिव सेना किसी दिन गठबंधन कर लेगी और कांग्रेस बन जाएगी। मैं जानना चाहती हूं कि आज पार्टी की हालत देख कर उनकी भावना क्या होती?"
बेंगलुरू, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| कर्नाटक के मांड्या जिले के श्री अरकेश्वर मंदिर के प्रांगण में शुक्रवार को तीन पुजारियों की नृशंस हत्या कर दी गई। पुलिस ने इसकी जानकारी दी है।
यह घटना मांड्या में गट्टालु गांव की है, जो बेंगलुरू से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पुलिस ने कहा कि पुजारियों के सिर पत्थरों से कुचल दिए गए हैं। इसके बाद हमलावरों ने मंदिर में मौजूद तीन दानपात्रों को तोड़कर उसमें से पैसे निकालकर भाग खड़े हुए। अपने पीछे ये बस कुछ सिक्के छोड़ गए थे।
पुलिस ने तीन पुजारियों की पहचान गणेश, प्रकाश और आनंद के रूप में की है।
पुलिस के अनुसार, सबसे पहले ग्रामीणों की नजर शवों पर पड़ी। सुबह-सुबह जब उन्होंने मंदिर के दरवाजे को आधा खुला हुआ देखा, तभी उन्हें कुछ गलत होने का शक हुआ।
पुलिस ने बताया, "ग्रामीणों ने परिसर में प्रवेश करते ही पुजारियों के शवों को खून से लथपथ देखा और इसके साथ ही उनकी नजर चारों ओर बिखरे हुए पत्थरों पर भी पड़ी।"
पुलिस ने कहा कि ये पुजारी मंदिर परिसर में देवताओं के साथ-साथ हुंडियों की रक्षा करने के लिए सोते थे।
यह मंदिर मुजराई विभाग (धार्मिक और धर्मार्थ विभाग) के अंतर्गत आता है और अपने संग्रह के चलते यह 'बी' श्रेणी में शुमार है।
पुलिस को शक है कि हमलावर तीन से अधिक हो सकते हैं और वे नकदी और कीमती सामानों को लूटने के मकसद से आए होंगे।
इस बीच, मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने मृतकों के परिवार को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की और कहा कि राज्य सरकार जल्द ही हमलावरों को गिरफ्तार करेगी।
अमरावती, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| अपराध स्थल से जब 'चांस फिंगरप्रिंट्स' विकसित करने की बात आती है तो, आंध्रप्रदेश पुलिस विभाग इसमें सबसे आगे है। साथ ही यह विभाग 'चांस फिंगरप्रिंट्स' मामलों की पहचान करने में भी पहले स्थान पर है। नेशनल क्राइम रिकॉड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) से यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने कहा, "वर्ष 2019-2020 के लिए आंध्रप्रदेश पुलिस अपराध स्थल से 'चांस फिंगरप्रिंट्स' को विकसित करने में प्रथम स्थान पर है। साथ ही 'चांस प्रिंट केसों' की पहचान करने के मामलों में भी पुलिस बल ने सर्वोच्च स्थान हासिल किया है।"
इस वर्ष, दक्षिणी राज्य ने 9,418 चांस फिंगर प्रिंट्स को विकसित किया, जो कि देश में अन्य राज्यों में सबसे ज्यादा है।
एनसीआरबी के अनुसार, फिंगरप्रिंट विशेषज्ञों की मुख्य जवाबदेही अपराध स्थल पर अपराधियों द्वारा छोड़े गए चांस प्रिट्स को विकसित करना है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मौजूदा अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स के डाटा बैंक से इसका मिलान करवाया जा सके।
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| मुंबई में अभिनेत्री कंगना रनौत का दफ्तर तोड़े जाने के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर हमला बोलते हुए कहा है कि दाऊद का घर छोड़ दिया जाता है, लेकिन कंगना का तोड़ दिया जाता है। शुक्रवार को बिहार दौरे के लिए रवाना होने से पहले दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर कोरोना से नहीं बल्कि कंगना से लड़ने का आरोप लगाया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, कंगना कोई बड़ा मुद्दा था नहीं, इस मामले को बड़ा आपने किया है। किसने उसका मकान तोड़ा? आपने तोड़ा। दाऊद के भिंडी बाजार वाले घर को तोड़ने के आदेश के बाद भी एफिडेविट दिया गया कि उसे तोड़ने के लिए मैनपावर नहीं है। दाऊद का घर तो तोड़ने जाते नहीं, कंगना के घर-दफ्तर को तोड़ने जाते हो।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को ऐसा लगता है कि लड़ाई कोरोना से नहीं है बल्कि कंगना से है। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को संबोधित करते हुए कहा, जितनी ताकत आपने कंगना के पीछे लगाई है, उससे ज्यादा कोरोना पर ध्यान देने की जरूरत है।
देवेंद्र फडणवीस ने सीबीआई और एनसीबी की जांच को लेकर कहा कि इससे सुशांत सिंह प्रकरण की सच्चाई सामने आएगी। जिस तरह से ड्रग को लेकर खुलासा हुआ है, उससे पूरे मामले की गहराई तक जाने की जरूरत है।
भुवनेश्वर, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| ओडिशा में पिछले 24 घंटों में एक मंत्री समेत 3,996 लोग कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए जो अब तक के दैनिक मामलों में सबसे ज्यादा है। इसके साथ ही कुल संक्रमितों की संख्या 1,43,117 हो गई है। शुक्रवार को राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने ये जानकारी दी। ओडिशा में फिलहाल 34,458 एक्टिव मामले हैं, जबकि 1,08,001 लोग इस संक्रमण से उबर चुके हैं।
ओडिशा की महिला एवं बाल विकास मंत्री तुकुनी साहू कोरोनावायरस पॉजिटिव पाई गई हैं। साहू ने ट्विटर पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि वो फिलहाल होम आइसोलेशन में हैं और उनकी स्थिति ठीक है। उन्होंने संपर्क में आने वाले सभी लोगों से टेस्ट कराने और अपने-आप को अलग-थलग कर लेने की अपील की।
राज्य में 14 नई मौतों के बाद कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 605 हो गई है। कोरधा जिले में सबसे ज्यादा एक दिन में 5 मौतें दर्ज की गई। इसके बाद पुरी, मयूरभंज, कटक और संभलपुर में भी मौतें हुई हैं।
भोपाल 11 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में ज्यादा बारिश और बाढ़ की वजह से शुरुआती आकलन के मुताबिक लगभग 9 हजार 500 करोड़ की नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री चौहान ने शुक्रवार को निवास पर, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का अवलोकन और अध्ययन करने आए केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों से चर्चा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में बीते पखवाड़े अतिवर्षा से हुई हानि की विस्तृत जानकारी केन्द्र सरकार को दी गई है।
उन्होंने बताया कि, " प्रदेश में फसलें, मकान, पशु हानि के साथ सड़कों की क्षति के कारण व्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। इस स्थिति में लोगों को उनके घरों से रेस्क्यू कर राहत शिविरों में पहुंचाया गया। जनहानि न हो इसके प्रयास किए गए और इसमें सफलता भी मिली। प्रारंभिक तौर पर जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक लगभग साढ़े नौ हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।"
चौहान के मुताबिक, " नुकसान का सर्वे निरंतर जारी है और ज्यादा नुकसान की स्थिति भी सामने आ सकती है। राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों को ज्यादा से ज्यादा सहायता दी है। आगे भी राहत पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। "
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बीमा और राहत राशि से नुकसान की भरपाई की जा रही है।
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि सीहोर, रायसेन, होशंगाबाद, हरदा, देवास समेत इन्दौर, आगर-मालवा, भोपाल और छिंदवाड़ा में औसत से 26 से 39 प्रतिशत तक ज्यादा बारिश अगस्त माह में दर्ज की गई। अतिवर्षा और बाढ़ से 24 जिलों में लगभग 11 लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों का नुकसान हुआ है और करीब 11 लाख 34 हजार किसान प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही लगभग 60 हजार मकान बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए। सरकार ने फौरी राहत के लिए पूरे प्रयास किए हैं। अभी भी लोगों को राहत की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्रीय दल से प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के विस्तृत निरीक्षण और प्रभावित व्यक्तियों से मुलाकात और चर्चा के बाद क्षति की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया है।
लखनऊ, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज करवाई गई है। इस बाबत एफआईआर दुष्कर्म की शिकायत करने वाली महिला के पूर्व वकील दिनेश चंद्र त्रिपाठी की ओर से करवाई गई है। प्रजापति को 2017 में दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और हाल ही मेडिकल ग्राउंड पर वह दो महीने की जमानत पर बाहर आए हैं।
गाजीपुर के एसएचओ ब्रिजेश कुमार सिंह ने कहा कि एफआईआर आपराधिक धमकी और धोखाधड़ी के मामलों में दर्ज कराई गई है।
एफआईआर गाजीपुर पुलिस स्टेशन में गुरुवार को दर्ज कराई गई। त्रिपाठी ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला ने उसे सामूहिक दुष्कर्म मामले में फरवरी 2019 में प्रजापति और अन्य सह आरोपी के पक्ष में शपथपत्र दाखिल करने को कहा था और जब उन्होंने विरोध किया तो, महिला ने उन्हें गंभीर चेतावनी भुगतने की धमकी दी।
त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि 26 मार्च 2019 को, अखबारों में उसके खिलाफ खबर प्रकाशित हुई और उसके बाद मामले के लिए उसने अलग वकील रख लिया।
वकील ने आरोप लगाया कि उसने मामले में अपना पक्ष बदलने के लिए प्रजापति से पैसे, प्लॉट और घर लिए।
त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने महिला को उसके व्यवहार को कानून और न्याय की भावना के विपरीत बताया तो, महिला ने 19 जून में उनके खिलाफ चित्रकूट में मामला दर्ज करवा दिया।
उन्होंने कहा, "पुलिस ने मामले में कुछ भी ठोस नहीं पाया और केस में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी।"
त्रिपाठी ने आरोप लगाया, "प्रजापति के बहकावे में आकर, उसने फिर गौतमपल्ली पुलिस स्टेशन में 7 जुलाई 2019 को मेरे खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करवा दिया। उसने अपनी बेटी को भी प्रजापति के पक्ष में करने के लिए उससे आशियाना क्षेत्र में 1.5 करोड़ रुपये का प्लॉट ले लिया।"
त्रिपाठी ने कहा कि प्रजापति जब जेल में था, तो महिला ने उन्हें प्रजापति से बात करने के लिए कहा।
त्रिपाठी ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए कहा, "प्रजापति ने मुझे बाहर आने के बाद जान से मारने की धमकी दी थी। महिला ने भी प्रजापति के आदमियों से मुझे मरवाने की धमकी दी है। अब जब मैं घर से बाहर जाता हूं और वापस आता हूं, तो अज्ञात बदमाश मेरा पीछा करते हैं।"
भोपाल, 11 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा उप-चुनाव के लिए कांग्रेस ने शुक्रवार को 15 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक के हस्ताक्षर से जारी की गई सूची में 15 उम्मीदवारों के नाम हैं। इस सूची के मुताबिक, दिमनी से रविंद्र सिंह तोमर, अंबाह से सत्य प्रकाश शंखवार, गोहद से मेवाराम जाटव, ग्वालियर से सुनील शर्मा, डबरा से सुरेश राजे, भांडेर से फूल सिंह बरैया, करैरा से प्रागी लाल जाटव, बमौरी से कन्हैयालाल अग्रवाल, अशोकनगर से आशा दोहरे, अनूपपुर से विश्वनाथ सिंह कुंजाम, सांची से मदन लाल चौधरी अहिरवार, आगर-मालवा से विपिन वानखेडे, हाटपिपल्या से राजवीर सिंह बघेल, नेपानगर से रामकिशन पटेल और सांवेर से प्रेमचंद गुड्ड को मैदान में उतारा गया है।
राज्य में कुल 27 विधानसभा क्षेत्रों के लिए उप चुनाव होने वाले हैं, इनमें से 15 स्थानों के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवार तय कर दिए हैं। यह सूची दिल्ली से जारी की गई है।
भाजपा ने अभी तक इस उप-चुनाव के लिए कोई सूची जारी नहीं की है।
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे करीब 48,000 झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को दिल्ली में तीन महीने के भीतर रेलवे पटरियों के पास बसी करीब 48,000 झुग्गी-बस्तियों को हटाने का आदेश दिया था और कहा था कि इस मामले में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
माकन ने एक हस्तक्षेप आवेदन में कहा है कि रेल मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने पहले ही प्रक्रिया की पहचान करने और झुग्गियों को हटाने की पहल की है और दिल्ली में विभिन्न मलिन बस्तियों के लिए 'विध्वंस नोटिस' जारी किए हैं।
उन्होंने कहा, "इसके अलावा, ऐसा करते हुए उन्होंने झुग्गियों को हटाने/ढहाने से पहले झुग्गी बस्तियों के पुनर्वास के संबंध में कानून में प्रदत्त प्रक्रिया को दरकिनार किया है और दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और पुनर्वास नीति, 2015 और प्रोटोकॉल (झुग्गियों को हटाने के लिए) में निर्दिष्ट प्रक्रिया की अनदेखी की है।"
माकन ने जोर देकर कहा कि अगर झुग्गियों के बड़े पैमाने पर विध्वंस की कार्रवाई जारी रहती है, तो इससे लाखों लोगों के प्रभावित होने और कोविड-19 के बीच बेघर होने की संभावना है।
उन्होंने अपने आवेदन में कहा, "बेघर व्यक्तियों को आश्रय और आजीविका की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मजबूर किया जाएगा और वर्तमान में चल रहे कोविड-19 संकट को देखते हुए यह हानिकारक होगा।" उन्होंने शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए इस मामले की लिस्टिंग की मांग की।
माकन की ओर से दलील दी गई है कि 31 अगस्त के आदेश को पारित करते समय शीर्ष अदालत ने सरकारी एजेंसियों (रेलवे, नगर निगम आदि) के लिए तो एक विस्तृत सुनवाई की, मगर अदालत ने झुग्गीवासियों की प्रभावित/कमजोर आबादी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और उन्हें सुनवाई के अवसर से वंचित रखा गया।
माकन ने कहा, "31 अगस्त के आदेश में पारित निर्देशों का शुद्ध प्रभाव न केवल यह है कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को सुनवाई के अवसर से वंचित कर दिया गया है, बल्कि यह आदेश अपने आप में अमानवीय भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, इस आदेश से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित लाखों लोगों के सिर से छत छिन जाएगी। माकन ने आदेश को सार्वजनिक नीति के खिलाफ करार दिया।
याचिका में दलील दी गई कि शीर्ष अदालत का आदेश है कि कोई भी अदालत 48,000 झुग्गियों को हटाने पर रोक लगाने का निर्देश न दे, जो कि न्याय तक पहुंच स्थापित करने के अधिकार में बाधा उत्पन्न करता है।
शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग करते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा है कि अदालत सीधे रेल मंत्रालय और दिल्ली सरकार को निर्माण हटाने से पहले झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए उन्हें दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और पुनर्वास नीति, 2015 और प्रोटोकॉल (झुग्गियों को हटाने के लिए) का पालन करने के लिए निर्देशित करें।
पटना, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार में इस साल होने वाले चुनाव के पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में हलचल तेज है। पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद को पत्र भेजकर पार्टी से इस्तीफा दे चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेजकर कुछ मांगें रखी हैं। इससे पहले लालू प्रसाद ने भी सिंह के इस्तीफे के बाद गुरुवार को उन्हें पत्र लिखा था, लेकिन सिंह ने अब तक उसका कोई जवाब नहीं दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि वैशाली गणतंत्र की जननी है। उन्होंने पत्र में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे 15 अगस्त को पटना में और 26 जनवरी को वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराने का फैसला करें। उन्होंने इसके लिए 2000 के पहले झारखंड बंटवारे का जिक्र करते हुए कहा है कि तब 26 जनवरी को रांची में झंडोत्तोलन होता था।
इसके अलावे उन्होंने मनरेगा से जुडे कार्यो में भी कुछ बदलाव की मांग की है। इसके अलावा, रघुवंश प्रसाद ने भगवान बुद्ध का पवित्र भिक्षापात्र अफगानिस्तान से वैशाली लाने की भी मांग रखी है। सिंह ने पत्र में कहा कि वे इस मुद्दे को लोकसभा में भी उठा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था, कपर्ूी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षो तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं।
उन्होंने पत्र में लोगों से माफी मांगते हुए आगे लिखा था, पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया, क्षमा करें।
सूत्रों का कहना है कि राजद से इस्तीफा दिए जाने के बाद भाजपा और जदयू के कई नेता सिंह से संपर्क में हैं।
इस पत्र के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई है। इसके बाद रााजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने जेल से ही सिंह को पत्र लिखकर 'डैमेज कंट्रेाल' में जुट गए।
लालू प्रसाद ने पत्र में लिखा, आपके द्वारा कथित तौर पर लिखी एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है। मुझे तो विश्वास ही नहीं होता। अभी मेरे, मेरे परिवार और मेरे साथ मिलकर सिंचित राजद परिवार आपको शीघ्र स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है।
पत्र में लालू ने आगे लिखा, चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में मिल-बैठकर ही विचार किया है। आप जल्द स्वस्थ हो जाएं, फिर बैठकर बात करेंगे. आप कहीं नहीं जा रहे हैं। समझ लीजिए।
फिलहाल रघुवंश प्रसाद सिंह स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली एम्स में इलाजरत हैं, जबकि चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू प्रसाद स्वास्थ्य कारणों से रांची के रिम्स में हैं।
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
हरियाणा में पानीपत में एक मुस्लिम मजदूर का हाथ आरा मशीन से काटकर फेंक दिया गया, और फिर उसे मरने के लिए रेल लाईन के पास फेंक दिया। यह घटना 23 अगस्त की है, लेकिन इसकी रिपोर्ट अभी 7 सितंबर को होने के बाद यह मामला सामने आया है।
अगली सुबह जब पटरियों के पास इखलाक को होश आया तो उसने पास से गुजरते किसी से अपील करके अपने घर फोन करवाया और फिर रिश्तेदार और पुलिस ने आकर उसे रोहतक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। अब उसकी हालत ठीक होने पर उसने यह रिपोर्ट दर्ज कराई है।
इसमें एफआईआर से परे सोशल मीडिया पर यह लिखा जा रहा है कि इसके मुस्लिम होने की वजह से, और इसके हाथ पर मुस्लिम धार्मिक संख्या 786 गुदी होने से उसका हाथ काटकर लोग ले गए। अलग-अलग अखबारों में अलग-अलग खबरें हैं, लेकिन उसका हाथ काटकर या तोडक़र ले जाने की खबर कई जगह पर है। यहां की जानकारी जागरण, इंडियाडॉटकॉम, और ट्विटर पोस्ट पर से ली गई है।
अरूल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत ने विघटनकारी अभियानों को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों और राष्ट्रों द्वारा संयुक्त कार्रवाई किए जाने का आह्वान किया है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगियां प्रभावित होती है।
भारत के संयुक्त राष्ट्र के मिशन की काउंसिलर पौलमी त्रिपाठी ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बताया, "गलत सूचना और विघटन के प्रसार को रोकने और तर्क, विज्ञान व सहानुभूति के आधार पर उचित कार्यवाही करने के लिए हमें राज्यों और अन्य हितधारकों सहित प्रौद्योगिकी कंपनियों से भी अधिक सहयोग की आवश्यकता है।"
पौलमी ने गलत सूचनाओं और विघटनकारी अभियानों की भी निंदा कीं जिसने "लाखों की तादात में लोगों की जिंदगी और आजीविका को खतरे में डाल रखा है, फर्जी खबरों और गलत ढंग से बनाए गए वीडियोज से समुदायों में फूट पड़ रही है और बीमारी से निपटने के लिए प्रशासन पर लोगों के भरोसे को भी कम किया है।"
वह आगे कहती हैं, "महामारी के बीच हमें समाज में सूचनाओं को लेकर दुविधा देखने को मिली है। सही सूचना के अभाव में निर्णय लेने में परेशानी होती है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी नहीं लाया जा सकता है। इसलिए हमें सटीक सूचनाओं की पहुंच लोगों तक कराए जाने की आवश्यकता है ताकि सभी स्तरों पर सटीक निर्णय लिए जा सके और महिलाओं व युवाओं को सशक्त बनाया जा सके।"
कोलकाता, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल में नेशनल हाईवे-2 पर शुक्रवार सुबह हुए एक भीषण सड़क हादसे में एक महिला पुलिस अधिकारी, उनके दोस्त और सुरक्षा गार्ड की मौत हो गई। हादसा तब हुआ जब पुलिस अधिकारी की गाड़ी बालू से भरे एक खड़े ट्रक से टकरा गई। देबोश्री चटर्जी, उनके दोस्त तपस बर्मन और ड्राइवर मनोज साहा की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। घटना के बाद उनको अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हुगली जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिस वक्त हादसा हुआ उस समय पुलिस अधिकारी की गाड़ी काफी तेज रफ्तार से चल रही थी और ड्राइवर का गाड़ी से नियंत्रण हट गया। देबोश्री चटर्जी सिलिगुरी से कोलकाता आ रही थी।
घटना के बाद हुगली के एसपी ने चिनसुरा स्थित इमामबारा अस्पताल का दौरा किया जहां तीनों को दुर्घटना के बाद लाया गया था।
देबोश्री चटर्जी ने पुलिस फोर्स सब-इंस्पेक्टर के तौर पर ज्वाइन किया था और कोलकाता पुलिस में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी।
तिरुवनंतपुरम, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| केरल में एक और मंत्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। पिछले सप्ताह राज्य सचिवालय में सीपीआई (एम) की बैठक के बाद मंत्री ई.पी. जयराजन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जयराजन को कुन्नुर के पास एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी पत्नी भी कोरोना से संक्रमित पाई गई हैं।
इससे पहले केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। वो सीपीआई (एम) की बैठक में शामिल हुए थे। उसके बाद से मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और स्वास्थ्य मंत्री शैलजा होम आइसोलेशन में चली गई थी। हालांकि विजयन का टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव आया था।
इसाक फिलहाल अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
पटना, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 'पत्रों' को लेकर राजनीति गर्म है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र लिखकर इस्तीफा दिए जाने के बाद चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद ने जेल से पत्र लिखा। अब इस पत्र को लेकर ही बिहार के मंत्री नीरज कुमार ने सवाल उठाते हुए इसे नियम के विरूद्ध बता दिया है। बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए जेल से लालू प्रसाद के पत्र लिखने को ही जेल मैनुअल का उल्लंघन बताया है।
जदयू नेता ने कहा, सजायाफ्ता लालू प्रसाद का जेल में दरबार लगाने से मन नहीं भरा तो अब फिर जेल मैनुअल की धारा-999 की धज्जी उड़ा दी, जो स्पष्ट कहता है कि कैदी की ओर से राजनीतिक पत्र व्यवहार नहीं किया जा सकता है। फिर जेल अधीक्षक ने इसकी अनुमति कैसे दी? ये गंभीर मामला है, पर जान लें कानून के हाथ लंबे होते हैं।
उल्लेखनीय है कि पार्टी से नाराज चल रहे राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू ने भी जेल से ही रघुवंश को पत्र लिखकर उनको मनाने की कोशिश करते हुए लिख है कि 'आप कहीं नहीं जा रहे हैं।'
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा को स्कूलों की चारदीवारी से बाहर निकालने की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि जब शिक्षा को आस-पास के परिवेश से जोड़ दिया जाता है तो, उसका प्रभाव विद्यार्थी के पूरे जीवन पर पड़ता है, पूरे समाज पर भी पड़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्क (अंक) और मार्कशीट (अंकपत्र) से विद्यार्थियों की प्रतिभा को मापने को अनुचित ठहराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक टेस्ट, एक मार्क्सशीट क्या बच्चों के सीखने की, उनके मानसिक विकास की पैरामीटर (पैमाना) हो सकती है? आज सच्चाई ये है कि मार्क्सशीट, मानसिक प्रैशरशीट बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े। कोशिश ये होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों को मूल्यांकन न किया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, सीख तो बच्चे तब भी कर रहे होते हैं जब वो खेल रहे होते हैं, जब वो परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वो बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से ये नहीं पूछते कि क्या सीखा? वो यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए? हर चीज यहीं आकर अटक जाती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को कोई भी विषय चुनने की आजादी दी गई है। ये सबसे बड़े सुधार में से एक है। अब हमारे युवा को विज्ञान, कला या कॉमर्स के किसी एक ब्रेकैट में ही फिट होने की जरूरत नहीं है। देश के छात्रों की प्रतिभा को अब पूरा मौका मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा व्यवस्था में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे ये प्रयोग, न्यू एज लनिर्ंग का मूलमंत्र होना चाहिए। हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। विद्यार्थी उन हथकरघों में जाकर देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे कारीगरों को बुलाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कितने ही प्रोफेशन हैं जिनके लिए गहरे हुनर की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। अगर विद्यार्थी इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनका सम्मान भी करेंगे। हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें, उन्हें आगे बढ़ाएं।
अयोध्या, 11 सितंबर (आईएएनएस)। अयोध्या के साधु संतों और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने घोषणा की है कि कंगना रनौत प्रकरण के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का 'अयोध्या में स्वागत नहीं है'। हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने रानौत के कार्यालय को बीएमसी द्वारा ध्वस्त किए जाने को लेकर सवाल उठाए और कहा, "उद्धव ठाकरे और शिवसेना का अयोध्या में कोई स्वागत नहीं है। अब अगर वह यहां आते हैं, तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अयोध्या के संतों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "महाराष्ट्र सरकार ने अभिनेत्री के खिलाफ बिना समय बर्बाद किए काम को अंजाम दिया। लेकिन वही सरकार अभी तक पालघर में दो साधुओं के हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकी है।"
विहिप के क्षेत्रीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, "यह बहुत स्पष्ट है कि शिवसेना जानबूझकर अभिनेत्री को निशाना बना रही है क्योंकि वह राष्ट्रवादी ताकतों का समर्थन कर रही है और उसने मुंबई के ड्रग माफिया के खिलाफ आवाज उठाई है।"
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा कंगना रनौत के खिलाफ गलत इरादे से कार्रवाई की गई है।
अयोध्या संत समाज के प्रमुख महंत कन्हैया दास ने महाराष्ट्र सरकार पर उन लोगों को बचाने का भी आरोप लगाया, जो असामाजिक गतिविधियों में शामिल हैं और उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अयोध्या न आने की चेतावनी दी।
महंत कन्हैया दास ने कहा, "अब अयोध्या में उद्धव ठाकरे का स्वागत नहीं है। शिवसेना रनौत पर हमला क्यों कर रही है? हर कोई समझ सकता है। यह कोई रहस्य नहीं है। शिवसेना वह नहीं रही, जो कभी बालासाहेब ठाकरे के अधीन हुआ करती थी।"
उद्धव 24 नवंबर, 2018 को अयोध्या आए थे। इसके बाद पिछले साल 16 जून और फिर महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद इस साल मार्च में अयोध्या आए थे।
मनोज पाठक
रांची (झारखंड), 11 सितम्बर (आईएएनएस)| कोरोना काल में झारखंड के गांवों की महिलाएं तकनीक के सहारे तकदीर बदलने में जुटी हैं। मोबाइल एप्प के जरिए ग्रामीण महिलाएं अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन में बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं।
झारखंड की सखी मंडल की महिलाओं ने तकनीक से आय बढ़ाने के लिए 'सखी बॉस्केट' का प्रयोग कर आज दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। झारखंड के खूंटी जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत स्थित अनिगड़ा दो सखी मंडलों (महिला समूह) की 6 महिला सदस्यों ने ऑनलाइन आर्डर के माध्यम से राशन (रोजमर्रा के घर के सामानों) की होम-डिलीवरी का कार्य शुरू की है।
इस काल में जहां लोग घरों से निकलने से परहेज कर रहे थे, वहीं इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित 'सखी बास्केट' नामक यह दुकान पूरे सतर्कता के साथ लोगों के घर-घर जा कर राशन उपलब्ध करा रहा है। पिछले चार महीने के दौरान 'सखी बास्केट' ने 1,500 से ज्यादा लोगों के घरों तक सामान पहुंचाए हैं।
खूंटी जिले के नेताजी चौक के 4 किलोमीटर के दायरे के लोगों को सखी बास्केट एप्प के माध्यम से आर्डर करने पर 250 रुपये के ऊपर के आर्डर पर मुफ्त डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध है जबकि 250 रूपये से कम के सामान की खरीद पर ग्राहक को 20 रूपये की अतिरिक्त राशि डिलीवरी शुल्क के तौर पर करना पड़ता है।
अनिगड़ा ग्राम सखी मंडल का गठन वर्ष 2017 में हुआ था, इसके तहत रोड-टोली की महिलाएं कृषि के माध्यम से अपना जीविकोपार्जन कर रही थीं। इसी बीच कोरोना काल में हो रही परेशानियों के कारण 6 महिलाओं ने रोजमर्रा के सामानों की 'होम डिलीवरी' करने की योजना बनाई।
इन महिलाओं ने अपने-अपने समूहों से 50-50 हजार रुपये ऋण लेकर थोक भााव में सामान खरीददारी की और फिर क्षेत्र में एक वितरण केंद्र स्थापित किया। शुरूआत के दिनों में इन महिलाओं ने व्हॉटसएप्प के माध्यम से आर्डर लिए और साइकिल से डिलीवरी प्रारंभ किए।
इसके बाद इन महिलाओं ने तकनीक से जुड़े लोगों से संपर्क साधकर गूगल प्ले स्टोर पर एप्प उपलब्ध करवाया और तकनीकी सहायता व स्टॉक के अपडेट के लिए उस एप्प को कंप्यूटर रिलेशनशिप मैनेजमेंट नामक एप्प से जोड़ दिया गया। इस एप्प के माध्यम से ग्राहक अपने सुविधानुसार भाषा का चयन कर के उपलब्ध सामान घर बैठे मंगा रहे हैं और ऑनलाइन पैसों का भुगतान भी कर रहे।
सखी बास्केट का संचालन कर रही मीरा देवी आईएएनएस को बताती हैं, "तालाबंदी के दौरान लोगों में कोरोना का भय था व लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे थे, ऐसे माहौल में हमने जरुरत के सामानों को लोगों के घर तक पहुंचाने की कवायद की।"
वे कहती हैं कि संक्रमण के खतरे के मद्देनजर डिलीवरी बास्केट पर ही बार-कोड लगाया गया है, जिससे नकद न होने की स्थिति में ग्राहक ऑनलाइन भुगतान अंकित खाते में कर सकें।
सखी बास्केट का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा ही किया जा रहा है, मुख्य रूप से मीरा देवी व सरोज देवी इस प्रतिष्ठान की देखभाल करती हैं। सरोज देवी खुद से ही दुकान का लेखा-जोखा संभालती हैं। इन महिलाओं ने अब तक 1,500 घरों में सामानों की डिलीवरी की है तथा अप्रैल माह से अबतक सखी बास्केट के माध्यम से लगभग 5 लाख 72 हजार रुपये का लेन-देन किया जा चुका है।
इधर, सरोज देवी कहती हैं, "हम अभी मुनाफा की ओर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम अपना स्टॉक व ग्राहक वर्धन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, जिससे हम जिले के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी सेवा पहुंचा सकें।"
आईएएनएस को ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के सीईओ राजीव कुमार बताते हैं कि समूह की महिलाएं समूह प्रदत्त बैंक लिंकेज की सुविधा की मदद से कई अभिनव प्रयोग कर रही हैं, जिसमें सरकार भी अपनी मदद दे रही है।
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के 96,551 नए मामलों के साथ जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली, जिससे देश में कुल मामलों की संख्या बढ़कर 45,62,414 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से शुक्रवार को इसका खुलासा हुआ। बीते 24 घंटों में 1,209 मौतें हुईं, जो एक दिन में सबसे ज्यादा मौत होने के आंकड़ें को दर्शाता है। देश में अब तक 76,271 लोग इस बीमारी से अपनी जान गंवा चुके हैं।
कुल मामलों में से, 9,43,480 सक्रिय हैं, जबकि 35,42,663 लोग ठीक हो चुके हैं। कोरोना मामलों में अमेरिका के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। अमेरिका में सबसे अधिक 63,95,904 मामले सामने आ चुके हैं और 1,91,753 लोगों की मौत हो चुकी है।
महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं। मंत्रालय के अनुसार, इन राज्यों में सक्रिय मामलों के 60 प्रतिशत से अधिक मामले हैं।
मंत्रालय के आंकड़ों ने दर्शाया कि रिकवरी दर 77.74 प्रतिशत है, जबकि मत्यु दर 1.68 प्रतिशत हो गई है।
भरतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने गुरुवार को एक ही दिन में रिकॉर्ड 11,63,542 नमूनों के परीक्षण किए, और अब तक कुल 5,40,97,975 नमूनों की जांच हो चुकी है।
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को संयुक्त रूप से लिखा है और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट के सभी नेगेटिव लक्षण वाले मामलों की जांच गोल्ड स्टैंडर्ड आरटी-पीसीआर का इस्तेमाल कर फिर से जांच कराना अनिवार्य है ताकि इस तरह के नेगेटिव लक्षण वाले मामले जांच में छूटे न रह जाए और बीमारी न फैले।
मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया है कि वे ऐसे मामलों के मद्देनजर हर जिले में तत्काल निगरानी तंत्र स्थापित करे।
- नामदेव अंजना
कंगना रनौत और शिवसेना के संजय राउत 3 सितंबर से एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं. दोनों में से कोई भी अपने कदम पीछे नहीं खींचना चाहता है. ऐसे में इस विवाद के राजनीतिक मायने खोजे जाने लगे हैं.
कंगना ने शिवसेना सांसद संजय राउत की आलोचना करते हुए मुंबई को 'पीओके' (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) बता दिया. कंगना के इस बयान ने पिछले एक हफ्ते से चले आ रहे इस विवाद में आग में घी की तरह से काम किया. कंगना और शिवसेना लगातार एक-दूसरे की आलोचना कर रहे हैं.
कांग्रेस और एनसीपी राज्य सरकार में शिवसेना के सहयोगी हैं. ऐसे में उन्होंने इस विवाद में शिवसेना का समर्थन किया है. लेकिन, महाराष्ट्र बीजेपी ने पहले दिन कंगना का समर्थन किया, लेकिन कंगना के पीओके वाले बयान के बाद महाराष्ट्र बीजेपी बैकफुट पर आ गई है.
कंगना के बयानों का समर्थन कर रहे राम कदम ने अचानक से चुप्पी साध ली. हालांकि, महाराष्ट्र के बाहर बीजेपी नेता अभी भी सोशल मीडिया पर कंगना का समर्थन कर रहे हैं. लेकिन, बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई शांत है.
इस विवाद में एक बात से सभी को आश्चर्य हो रहा है कि पिछले एक हफ्ते से शिवसेना कंगना के बयानों को इतनी तवज्जो क्यों दे रही है? इस सवाल का जवाब खोजते हुए हमें कंगना के बयानों से शिवसेना को होने वाले चार संभावित (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष) फ़ायदे दिखाई दिए. इन चारों बिंदुओं को समझते हैं.
1. महाराष्ट्र बीजेपी की नकारात्मक छवि
कंगना ने 3 सितंबर को 'न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की एक ख़बर ट्विटर पर साझा की और संजय राउत की आलोचना की थी. उन्होंने मुंबई की तुलना पीओके से भी कर दी. उस वक्त मुंबई के एमएलए राम कदम, पूर्व प्रवक्ता अवधूत वाघ जैसे बीजेपी के लीडर्स सोशल मीडिया पर कंगना के समर्थन में आ गए.
लेकिन, ट्विटर पर आमची मुंबई हैशटैग वायरल हो गया. राजनीति और मनोरंजन जगत की कई प्रमुख हस्तियों ने कंगना के बयान की निंदा की और मुंबई की तारीफ की. बीजेपी नेता राम कदम ने कंगना की तुलना झांसी की रानी से की और ऐसे में लोगों का रुख बीजेपी के ख़िलाफ़ होना शुरू हो गया.
बीजेपी नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री आशीष शेलार ने तत्काल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और स्पष्ट किया है कि बीजेपी कंगना के कमेंट से सहमत नहीं है. लेकिन, पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा समेत महाराष्ट्र से बाहर के बीजेपी नेता अभी भी कंगना के समर्थन में हैं.
विश्लेषकों का कहना है कि इसकी वजह से महाराष्ट्र बीजेपी की राज्य में एक नकारात्मक छवि बन रही है. अगर बीजेपी की छवि मुंबई में ख़राब होती है तो इससे शिवसेना को फ़ायदा होगा.
चूंकि, मुंबई महानगरपालिका के चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं, ऐसे में कई राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि अगर बीजेपी की यह नकारात्मक छवि बनी रहती है तो इसका फ़ायदा शिवसेना को होगा. बीबीसी मराठी को दिए इंटरव्यू में संजय राउत ने भी यही चीज़ दोहराई है.
राउत ने कहा, "बीजेपी उन्हें सपोर्ट कर रही है. क्यों? दरअसल, किसी भी राजनीतिक नेता को ऐसे शख़्स का सपोर्ट नहीं करना चाहिए जो महाराष्ट्र का सम्मान ना करता हो. अगर बीजेपी अभी राज्य में सत्ता में होती तो तस्वीर कुछ और ही होती. अगर कोई नरेंद्र मोदी साहेब, अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस को किसी चैनल पर कुछ बोलता तो उसे तुरंत जेल में डाल दिया जाता. जिन्होंने योगी आदित्यनाथ के कार्टून बनाए या उनके ख़िलाफ़ कुछ लिखा उन्हें जेल में डाल दिया गया."
वरिष्ठ पत्रकार दीपक भातुसे कहते हैं, "पहले दिन कंगना ने मुंबई की तुलना पीओके से की और फिर राम कदम ने उनका समर्थन किया. बीजेपी को समझ आ गया था कि ट्विटर ट्रेंड पार्टी के ख़िलाफ़ जा रहा है, ऐसे में तत्काल आशीष शेलार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर स्थिति स्पष्ट की. लेकिन, अब शिवसेना इस मसले को भुनाना चाहती है."
अन्य राजनीतिक पार्टियों और विश्लेषकों को भी लगता है कि यह मसला बीजेपी की महाराष्ट्र विरोधी छवि बनाने के लिए गढ़ा जा रहा है.
'द हिंदू' के आलोक देशपांडे कहते हैं, "कंगना की टिप्पणी के बाद शिवसेना कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए. शिवसेना कल तक चुप थी, लेकिन जैसे ही चीजें कंगना के ख़िलाफ़ गईं शिवसेना ने आगे आकर प्रतिक्रिया दी. इससे शिवसेना को राजनीतिक रूप से फ़ायदा हो रहा है."
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत देसाई भी इस राय से सहमति जताते हैं, "कोरोना का संकट राज्य में गहरा रहा है. शिवसेना चीफ़ उद्धव ठाकरे आलोचना का शिकार हो सकते हैं. लेकिन, ऐसी स्थिति में कंगना के विवाद से शिवसेना को मुद्दे से ध्यान भटकाने में मदद मिल रही है."
2. क्या शिवसेना मजबूत हो रही है?
कंगना ने शिवसेना और संजय राउत की बुराई करते-करते मुंबई की आलोचना शुरू कर दी. एक बार उन्होंने पीओके का जिक्र किया और उसके बाद उन्होंने इसे पाकिस्तान कह दिया. इससे मुंबई की अस्मिता का मुद्दा उठ खड़ा हुआ और इससे हमेशा शिवसेना को फ़ायदा हुआ है.
शिवसेना का आधार ही अस्मिता की राजनीति पर टिका है. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा है कि अगर कोई मुंबई को कोस रहा है तो उसे मुंबई में रहने का कोई हक़ नहीं है. राउत ने देशमुख के बयान का समर्थन किया है.
कई सालों से मुंबई यानी शिवसेना का समीकरण लोगों के दिमागों में बना हुआ है. इस छाप से शिवसेना को फ़ायदा आगामी मुंबई नगरपालिका चुनावों में हो सकता है. कंगना मसले पर शिवसेना आक्रामक बनी हुई है, और इससे मुंबई में शिवसेना का समीकरण और मजबूत हो रहा है.
राउत ने बीबीसी को अपने इंटरव्यू में कहा था, "मुंबई उन्हें खिलाती है. मुंबई उन्हें सब कुछ देती है. अगर मुंबई नहीं होती तो हमारे पास मुंबई पुलिस भी नहीं होती. अगर मुंबई में कोई इंडस्ट्री नहीं होती तो लोग मुंबई क्यों आते? इन लोगों को मुंबई का आभार मानना चाहिए."
3. शिवसेना की ख़ासियत है भाषाई और क्षेत्रीय पहचान का मसला
कंगना ने टिप्पणी की, "महाराष्ट्र किसी के बाप का नहीं है. यह उन सभी का है जिन्होंने महाराष्ट्र के गौरव को प्रतिष्ठा दी है."
संजय राउत ने उनके बयान का जवाब ट्विटर पर दिया.
राउत ने ट्वीट किया, "मुंबई मराठी मानुष के पूर्वजों की धरती है. जो इससे सहमत नहीं हैं वे अपने बाप लाकर दिखाएं. शिवसेना सुनिश्चित करेगी कि हम महाराष्ट्र के ऐसे दुश्मनों को एक सबक सिखाएं."
दूसरी ओर, कंगना ने मुंबई की पीओके, पाकिस्तान, बाबर और तालिबान से कर दी.
भाषाई और क्षेत्रीय पहचान महाराष्ट्र में हमेशा से एक संवेदनशील मसला रहा है. ऐसे में कंगना के बयानों ने शिवसेना को इन पर आक्रामक रुख़ अपनाने का मौका दे दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार संजय जोग कहते हैं, "शिवसेना निश्चित तौर पर मुंबई और महाराष्ट्र को लेकर अपनी स्थिति को मज़बूत करने की कोशिश में है. पार्टी इस चीज़ को आक्रामक तरीके से लोगों के बीच ले जाना चाहती है."
संजय राउत कहते हैं कि कोई भी ऐसा बोलने की हिम्मत नहीं कर सकता जब तक कि उसे पीछे से राजनीतिक समर्थन न मिल रहा हो.
उन्होंने कहा, "दिल्ली ने हमेशा से महाराष्ट्र विरोधी स्वरों को समर्थन दिया है. मुंबई के ख़िलाफ़ गुस्सा और नफ़रत नज़र आती है."
4. कोरोना और दूसरे मसलों से ध्यान भटकाने में कामयाब?
महाराष्ट्र आज कोरोना, शिक्षा, रोज़गार, विदर्भ में बाढ़, कोंकण निसर्ग तूफ़ान की वजह से आई तबाही जैसे मसलों से जूझ रहा है. लेकिन, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मीडिया केवल कंगना और शिवसेना पर चर्चा कर रहे हैं. क्या यह मसला केंद्र में रखने से शिवसेना को फ़ायदा होगा?
महाराष्ट्र विधानसभा के मॉनसून सत्र में 7 और 8 सितंबर केवल कंगना और अर्णब गोस्वामी के मसलों पर चर्चा में निकल गए. कोरोना और बाकी मसलों पर कोई चर्चा नहीं हो पाई. मुंबई के साथ ही पुणे भी गंभीर कोरोना संकट से गुजर रहा है.
ऐसी उम्मीद थी कि विधानसभा में इन मसलों पर गंभीर चर्चा होगी. लेकिन, चर्चा कंगना विवाद तक सीमित रह गई.
इस बारे में संजय राउत ने बीबीसी मराठी को बताया, "यह विवाद हम पर थोपा गया है. विपक्षी पार्टी को महाराष्ट्र के अनादर के मसले पर सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए. अगर ऐसा हुआ होता तो यह मसला 10 मिनट से ज्यादा नहीं खिंचता. जब महाराष्ट्र का अपमान हो रहा हो तो विपक्षी पार्टी और अन्य पार्टियां उस वक्त अलग खड़ी नहीं रह सकतीं. हम सब इसी मिट्टी की संतान हैं."
वरिष्ठ पत्रकार दीपक भातुसे कहते हैं, "असेंबली में कोरोना या दूसरे मसलों की उपेक्षा हुई या नहीं, यह अभी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन कंगना और अर्णब से जुड़े विवाद निश्चित तौर पर से असली मसलों से ध्यान हटाते हैं."(bbc)
बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की बेंच ने गुरुवार को कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट इस बात से हैरान है कि टीवी न्यूज चैनलों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की जिसमें अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से जुड़ी कई राहत के साथ मामले की कवरेज में प्रेस को संयम बरतने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भी एक पक्ष बनाया है। चीफ जस्टिस की बेंच ने मंत्रालय को जवाब दाखिल कर यह बताने को कहा है कि खबर प्रसारित करने के मामले में किस हद तक सरकार का नियंत्रण होता है। खास कर ऐसी खबरों के बारे में जिसका व्यापक असर होता है। बेंच ने सुशांत केस की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियों ईडी और एनसीबी को भी पक्ष बनाया है। कोर्ट ने इन एजेंसियों को तब पक्ष बनाया जब एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एजेंसियां जांच संबंधी सूचनाएं प्रेस और जनता को ‘लीक’ कर रही हैं।
ध्यान रहे कि कुछ एक्टिविस्ट्स और 8 रिटायर्ड वरिष्ठ पुलिस अफसरों ने कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि न्यूज चैनल समानांतर जांच चला रहे हैं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एक बेंच ने 3 सितंबर को इन्हीं याचिकाओँ की सुनवाई के बाद सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में कवरेज के दौरान संयम बरतने के अनुरोध वाला एक आदेश जारी किया था।
सुनवाई के दौरान पूर्व पुलिस अधिकारियों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने बेंच से कहा कि आदेश के बावजूद टीवी चैनलों का मुंबई पुलिस के खिलाफ द्वेषपूर्ण अभियान जारी है। साठे ने न्यूज चैनलों के प्रसारण का कुछ मटीरियल भी कोर्ट में पेश किया। इस सिलसिले में कोर्ट ने कहा कि अदालत उम्मीद करती है कि ‘टीवी न्यूज चैनलों को तीन सितंबर वाले आदेश की भावना को ध्यान में रखना चाहिए।
कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, याचिकाकर्ताओं को अपनी शिकायतों के संबंध में प्रिंट मीडिया का नियमन करने वाले वैधानिक निकाय प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और टीवी न्यूज चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) से संपर्क करना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि एनबीएसए कोई वैधानिक निकाय नहीं है। पीठ ने कहा, ‘हमें हैरानी है कि सरकार का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नियंत्रण नहीं है। इसका (टीवी न्यूज चैनलों) ऐसे मामलों में नियमन क्यों नहीं होना चाहिए, जहां इसका व्यापक असर होता है।’ पीठ ने सभी पक्षों को अपने जवाब दो हफ्ते में दाखिल करने को कहा है। साथ ही कहा कि याचिकाएं लंबित रहने तक एनबीएसए ऐसी खबरों के खिलाफ कोई भी शिकायत मिलने पर कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है।(navjivan)
नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| आर्य समाज के जाने-माने नेता स्वामी अग्निवेश की तबियत बिगड़ने के बाद दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। स्वामी अग्निवेश को नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलेरी साइंसेज (आईएलबीएस) में भर्ती कराया गया है। वह लिवर सिरोसिस से पीड़ित हैं और इलाज के दौरान उन्हें मल्टी ऑर्गन फेल्योर की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। अस्पताल की ओर से गुरुवार को यह जानकारी मिली। अस्पताल का कहना कि उनकी कड़ी निगरानी की जा रही है।
आर्य समाज के नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता मंगलवार को आईएलबीएस में भर्ती हुए थे और तब से वह वेंटिलेटर पर हैं। एक विशेषज्ञ टीम उनकी स्थिति की निगरानी कर रही है।
हरियाणा के पूर्व विधायक 80 वर्षीय अग्निवेश ने 1970 में एक राजनीतिक पार्टी आर्य सभा की स्थापना की, जो आर्य समाज के सिद्धांतों पर आधारित थी। वह धर्मों के मामलों में वार्ता के लिए एक वकील भी हैं।
वह सामाजिक सक्रियता के विभिन्न क्षेत्रों में शामिल हैं, जिसमें कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं की मुक्ति के खिलाफ अभियान शामिल हैं। जन लोकपाल विधेयक को लागू करने के लिए 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अभियान के दौरान वह अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी थे।