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-दिलनवाज़ पाशा
"मोदी जी से-योगी जी से जाकर कहना, हम हाथ जोड़कर विनती कर रहे हैं, हमें यहाँ से ना हटाएँ, हमें अपने बिहारी जी के दर्शन करने होते हैं, बुढ़ापे में पैर भी नहीं चलते हैं, हम कहाँ जाएँगे."
ये है मथुरा की एक बुज़ुर्ग महिला राधा रानी तिवारी के शब्द.
बांके बिहारी मंदिर तक जाने वाले गलियों के अधिकतर बाशिंदों की यही भावना है. यहाँ आप किसी बच्चे से बात करें, नौजवान से बात करें, बुज़ुर्ग से बात करें या महिला से बात करें- बस यही शब्द सुनाई देते हैं, "हमें हमारे ठाकुरजी से दूर मत भेजो, हम उनके बिना नहीं रह पाएँगे."
उत्तर प्रदेश सरकार वाराणासी के काशी विश्वनाथ मंदिर की ही तरह वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर तक भी नया कॉरिडोर बनाना चाहती है ताकि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएँ मिले और मंदिर में दर्शन आसानी से हो जाएँ.
सरकार इसके लिए मंदिर के आसपास की पाँच एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण करना चाहती है और यहाँ पर भव्य कॉरिडोर बनाना चाहती है.
ये कॉरिडोर कैसा होगा और कब तक बनकर तैयार होगा, इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार या मथुरा प्रशासन की तरफ़ से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
बांके बिहारी मंदिर
बीबीसी ने मथुरा ज़िलाधिकारी से संपर्क करके इस बारे में और जानकारी हासिल करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं दिया गया.
वहीं ब्रज तीर्थ विकास परिषद उपाध्यक्ष शैलजा कांत मिश्रा कहते हैं, "ये मामला अभी अदालत में है इसलिए बहुत अधिक इस बारे में नहीं कहा जा सकता है."
शैलजा कांत मिश्रा कहते हैं, "बड़ी तादाद में श्रद्धालु वृंदावन आ रहे हैं. सरकार उन्हें सुविधाएँ देना चाहती है, जिसके लिए कॉरिडोर प्रस्तावित है. सरकार वृंदावन की विरासत को बचाते हुए, वहाँ काम कर रहे सेवायतों के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए और आसपास रहने वाले लोगों को हितो को ध्यान में रखते हुए ही काम करेगी."
कुछ दिन पहले नगर निगम ने इलाक़े में पैमाइश की कार्रवाई की थी, जिसके बाद से यहाँ डर, बेचैनी और आक्रोश है.
बीते कई दिनों से यहाँ के बाशिंदे सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं.
20 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी के मौक़े पर बांके बिहारी मंदिर में भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी. इस दौरान मची भगदड़ में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे.
वरिष्ठ पत्रकार और मथुरावासी आनंद शर्मा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की और मंदिर में भीड़ के प्रबंधन को बेहतर किए जाने की मांग की, ताकि आगे जनहानि ना हो.
इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में 27 सितंबर 2022 को पेश शपथ पत्र में बताया कि सरकार मंदिर के बेहतर प्रबंधन के लिए एक नया ट्रस्ट गठित करना चाहती है और यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ देने के लिए बांके बिहारी मंदिर के इर्द-गिर्द कॉरिडोर बनाना चाहती है जो पाँच एकड़ में होगा.
सरकार ने शपथ पत्र में हाई कोर्ट में बताया कि भूमि के अधिग्रहण के लिए श्री बांके बिहारी मंदिर फंड का इस्तेमाल किया जाएगा. वहीं आसपास पार्किंग और अन्य सुविधाओं के विकास पर ख़र्च राज्य सरकार करेगी.
सरकार ने जो नया ट्रस्ट प्रस्तावित किया है, उसके सदस्यों को उत्तर प्रदेश सरकार ही नामांकित करेगी, जिनकी संख्या 11 होगी. इसमें मंदिर के सिर्फ़ दो ही गोस्वामी नामांकित होंगे.
मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़
यही नहीं हादसे के बाद यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह की अध्यक्षता में गठित जाँच समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में मंदिर आने-जाने के लिए कॉरिडोर बनाने की सलाह दी थी.
इस जाँच रिपोर्ट में यमुना पर पुल बनाकर यमुनापार क्षेत्र में व्यापक यात्री सुविधाएँ विकसित करने की सिफ़ारिश भी की गई थी.
इसके अलावा बांके बिहारी मंदिर तक पहुँचने वाली सभी गलियों को 9 मीटर तक चौड़ा करने की सिफ़ारिश भी की गई थी.
आनंद शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंदिर के धनकोष का इस्तेमाल क्षेत्र के विकास के लिए करने का सुझाव भी दिया है.
याचिकाकर्ता आनंद शर्मा ने बीबीसी से कहा, "मंदिर में कुप्रबंधन है, हम चाहते हैं कि ये ठीक हो. जब मंदिर बना था तब इसकी क्षमता सिर्फ़ 400 लोगों की थी, लेकिन अब सप्ताहांत में यहाँ एक लाख से अधिक लोग पहुँचते हैं और यहाँ हमेशा भगदड़ की स्थिति रहती है. मैंने यही मांग की है कि यहाँ व्यवस्था बेहतर हो ताकि लोगों को सुविधाएँ मिलें और जानहानि ना हो."
बांके बिहारी मंदिर
कॉरिडोर का अधिकारिक नक़्शा अभी जारी नहीं किया गया है ना ही इस बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है.
बीबीसी को भरोसेमंद सूत्रों से पता चला है कि पाँच एकड़ में बनने वाले कॉरिडोर में 10 हज़ार तक श्रद्धालुओं के लिए जगह होगी.
यमुना नदी के किनारे रिवर फ़्रंट बनाया जाएगा, जहाँ से मंदिर तक कॉरिडोर होगा.
जिन मकानों को हटाया जाएगा, उन्हें नगर निगम ने चिन्हित कर लिया है.
हालाँकि कॉरिडोर को लेकर कोई भी काम अब अदालत के निर्णय के बाद ही होगा.
बांके बिहारी मंदिर के गोस्वामी, पुरोहित और स्थानीय लोग सरकार के कॉरिडोर बनाने के फ़ैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं.
मंदिर को गोस्वामियों ने अपने ख़ून से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम चिट्ठी लिखकर कॉरिडोर न बनाने की अपील की है.
इसकी वजह बताते हुए पूर्व में मंदिर प्रबंधन से जुड़े रहे और सुप्रीम कोर्ट में मंदिर के ख़ज़ाने की रक्षा के लिए याचिका दायर करने वाले रजत गोस्वामी कहते हैं, "सरकार पाँच एकड़ ज़मीन अधिग्रहित कर रही है और उसका मुआवज़ा मंदिर के फंड से किया जाएगा. हमारा इसे लेकर भी विरोध है. सरकार मंदिर की मौजूदा प्रबंध समिति को भंग करके नई प्रबंध समिति बनाने जा रही है, हम इसका भी विरोध कर रहे हैं."
रजत गोस्वामी कहते हैं कि सरकार मंदिर के ख़ज़ाने को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है."
लेकिन मंदिर से जुड़े लोग इस तर्क को ख़ारिज करते हैं. मंदिर के राजभोग आनंद उत्सव सेवा अधिकारी ज्ञानेंद्र आनंद किशोर गोस्वामी कहते हैं, "काशी में सरकार ने कॉरिडोर बनाया है, कॉरिडोर में सिर्फ़ सेल्फ़ी प्वाइंट बने हैं. भगवान शिव जी का दर्शन आज भी गिनती के लोग ही कर सकते हैं, वहाँ खड़े होने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, आइए दूर से देखिए और चले जाइए. क्या यहाँ भी सेल्फ़ी प्वाइंट बनाना है?"
"सरकार यहाँ की कुंज गलियों के भाव को ख़त्म करना चाहती है, ब्रजवासियों पर कुठारघात कर उन्हें यहाँ से निकालना चाहती है. सरकार ब्रजवासियों के घर तोड़कर उन्हें यहाँ से उखाड़ बाहर फेंकने का प्रवाधान कर रही हैं. यहाँ अनेकों मंदिर हैं, घर-घर में मंदिर हैं, इन मंदिरों को तोड़ने की व्यवस्था सरकार कर रही है."
वृंदावन में लगे पोस्टर
सुमित मिश्रा पैतृक परंपरा से बांके बिहारी मंदिर के पुरोहित हैं. सुमित का घर बिलकुल मंदिर से सटकर बना है.
अपनी बालकनी से मंदिर के शिखर को दिखाते हुए सुमित कहते हैं, "हम सुबह उठते ही बांके बिहारी के शिखर के दर्शन करते हैं, जब सोते हैं तब शिखर के दर्शन करते हैं. हम किसी भी क़ीमत पर अपने बांके बिहारी के इस दर्शन के आनंद को नहीं छोड़ेंगे. यह हमारा जन्माधिकार है जो कोई हमसे नहीं छीन सकता."
कॉरिडोर के लिए कुल कितने घर तोड़े जाएँगे, अभी ये स्पष्ट नहीं है. नगर निगम ने इलाक़े की पैमाइश की है, जिनमें अब तक क़रीब 300 घरों को चिन्हित किया गया है.
जो कॉरिडोर प्रस्तावित है, वो बांके बिहारी मंदिर से युमना तट तक जाएगा.
अपनी छत से यमुना तट दिखाते हुए सुमित कहते हैं, "यहाँ से सिर्फ 200 मीटर दूर यमुना तट है जिसके दूसरे किनारों पर सैकड़ों एकड़ भूमि ख़ाली पड़ी है, वहाँ यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय क्यों नहीं बनाया जा रहा है. वहाँ यात्रियों को रोककर सीमित संख्या में लोगों को यहाँ भेजा जाए. इससे यहाँ की कुंज गलियाँ भी बच जाएँगी और यात्रियों को भी सहूलियत होगी."
बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ़ पतली-पतली गलियाँ हैं. कुछ की चौड़ाई एक मीटर से भी कम है तो कुछ तीन-चार मीटर तक चौड़ी हैं. यहाँ रहने वाले लोगों की आस्था है कि यही वो गलियाँ हैं, जिनमें कभी भगवान कृष्ण खेला करते थे.
इन गलियों में मकानों पर अब लाल निशान लगें हैं जिनसे यहाँ रहने वाले लोगों में बेचैनी और अनिश्चितता है.
अपने घर के बाहर झाँकती एक महिला कहती हैं, "हमें डर है कि हमारा घर भी कहीं कॉरिडोर में ना आ जाए. हम अपना घर दे नहीं सकते क्योंकि बिहारी जी यहाँ से हमारे बहुत पास हैं, यहाँ से उठाकर हमें बाहर पटक देंगे तो हम वहाँ से रोज़ यहाँ कैसे आएँगे?"
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स्थानीय युवा कुंज बिहारी पाठक कहते हैं, "अभी तक नगर निगम प्रशासन या किसी भी सरकारी विभाग ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है. ये नहीं बताया है कि ये निशान किस मक़सद से लगाए गए हैं. सड़कें चौड़ी होंगी, घरों को तोड़ा जाएगा, क्या होगा ये किसी को नहीं पता है. लेकिन हर ब्रजवासी ये चाहता है कि इन कुंज गलियों के अस्तित्व को ना मिटाया जाए. वृंदावन की पहचान इन्हीं गलियों से है. ये गलियाँ नहीं होंगी, तो वृंदावन की अपनी अलग पहचान भी नहीं होगी."
व्यापार मंडल के अध्यक्ष
स्थानीय कारोबारी और बांके बिहारी व्यापारिक एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष अमित गौतम कहते हैं, "ये हेरिटेज़ सिटी है, वृंदावन कुंज गलियों की नगरी है, अगर इसकी पौराणिक छवि को ही नष्ट कर दिया जाएगा, तो यहाँ आने वाले पर्यटक क्या देखने आएँगे, क्या वो इमारतों को या मॉल को देखने आएँगे, उन्हें तो वो कहीं भी देख लेंगे."
कॉरिडोर की ज़द में कई दुकाने भी आएँगी. श्वेता बंसल का परिवार मंदिर के पास कपड़ों की दुकान चलाता है.
श्वेता कहती हैं, "सरकार कह रही है कि मुआवज़ा देंगे, लेकिन हम मुजावज़े को कितने दिन खाएँगे. यहाँ हमारे घर हैं, परिवार हैं, दुकानें हैं, हमारे सपने, हमारी ज़िंदगी इनसे जुड़ी है, उसका क्या होगा. कितनी ही कर्मचारी यहाँ काम करते हैं, उनका क्या होगा?"
वृंदावन में नदी किनारे बैठा साधु
राजधानी दिल्ली से क़रीब 150 किलोमीटर दूर और ब्रज के हृदय में बसा वृंदावन अपनी अलग पहचान रखता है.
यमुना किनारे से बांके बिहारी मंदिर की तरफ़ जाती पतली-पतली गलियों और मंदिर के आसपास की सड़कों पर पूजा सामग्री, मिठाइयों और चाट की दुकाने सजी हैं. यहाँ के अपने अलग रंग हैं.
अधिकतर ट्रैफ़िक को शहर के बाहरी क्षेत्र में रोक दिया जाता है. यहाँ आने वाले श्रद्धालु पैदल मंदिर की तरफ बढ़ते हुए रास्ते में दुकाने पर रुकते हैं, सामान ख़रीदते हैं, चाय पीते हैं और स्थानीय व्यंजनों का आनंद लेते हैं.
रास्ते में जगह-जगह पीले रंग से चेहरे पर राधे-राधे के छापे लगाने वाले बच्चे और महिलाएँ श्रद्धालुओं को रोक लेते हैं और 10 रुपए के बदले छापा लगा देते हैं.
वृंदावन के चारों तरफ़ परिक्रमा मार्ग हैं, जहाँ देशभर से आए कई कृष्ण भक्त नंगे पैर परिक्रमा करते दिख जाते हैं.
कुछ यहाँ की धरती पर माथा टेक-टेक कर तो कुछ यहाँ की मिट्टी को चूम-चूम कर आगे बढ़ते हैं. यहाँ धर्म और आस्था की महिमा और माया नज़र आती है.
भगवान श्री कृष्ण
कुछ श्रद्धालु अकेले अपनी भक्ति में खोए, तो कुछ समूहों में करतल ध्वनि बजाते हुए राधे-राधे कहते हुए आगे बढ़ते हैं.
वृंदावन के लोगों को लगता है कि अगर कॉरिडोर बना, तो यहाँ के ये रंग-रूप और संस्कृति समाप्त हो जाएगी.
वृंदावन की एक गली
सुबह होते ही हज़ारों पर्यटकों की भीड़ बांके बिहारी मंदिर की तरफ़ बढ़ती है. कई गलियों में भीड़ इतनी है कि क़दम रखना मुश्किल है.
दिल्ली से अपने परिवार के साथ आए एक श्रद्धालु सुनील मेहतानी कॉरिडोर के सवाल पर कहते हैं, "हमारी आस्था बनी रहनी चाहिए. अगर मंदिर के अंदर सही दर्शन की व्यवस्था ठीक हो जाए तो भी बेहतर होगा. कॉरिडोर से दर्शन की समस्या ठीक नहीं होगी, कॉरिडोर ना भी बने, तब भी चलेगा लेकिन मंदिर के भीतर व्यवस्था ठीक होनी चाहिए. हम एक नंबर गेट से दाख़िल होते हैं और 5 नंबर से निकलना पड़ता है. जूते उतारने की व्यवस्था नहीं है. मंदिर की व्यवस्था ठीक करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए."
पूनम शिमला से अपने परिवार के साथ वृंदावन आई हैं. वो हर साल यहाँ आती हैं. पूनम कहती हैं, "मुझे वो आनंद नहीं आएगा, जो अभी आता है. गलियों में घूम-घूम कर जाना, छोटी-छोटी दुकानों पर रुकना, सामान ख़रीदना बहुत अच्छा लगता है. अगर विकास ही देखना है तो फिर बड़े-बड़े मॉल में चले जाओ, जो यहाँ का नज़ारा है, वो अलग है, कॉरिडोर बना तो ये वो बात नहीं रह जाएगी. भगवान में हमारी भक्ति है, हम फिर यहाँ आएंगे, लेकिन वो आनंद नहीं आएगा."
हालाँकि सभी की राय एक जैसी नहीं हैं. बैंक से रिटायर और पिछले चार सालों से वृंदावन में बसे खुशीराम बंसल कहते हैं, "मैं 40 सालों से वृंदावन आ रहा हूँ. बैंक से रिटायर होने के बाद यहीं बस गया हूं. रोज़ मंदिर दर्शन करने जाता हूँ. कॉरिडोर बनने से राहत होगी, मैं इसे लेकर बहुत प्रसन्न हूँ. कॉरिडोर बनने के बाद 10 गुणा अधिक लोग वृंदावन आएँगे. सरकार जो घर तोड़ेगी उन्हें मुआवज़ा दे रही है, बहुत अधिक हो हल्ला नहीं होना चाहिए. "
वृंदावन
वृंदावन के नाम को लेकर कई कहानियाँ हैं. कुछ लोग मानते हैं कि एक वृंदा नाम की गोपी थी, जो एक राजा की बेटी थीं, उन्होंने कृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की. उन्हीं के नाम पर इस वन क्षेत्र का नाम वृंदावन हुआ.
संस्कृत में वृंद का अर्थ समूह भी होता है, ऐसे में वनों के समूह को भी वृंदावन कहा गया है. वृंदा का एक और अर्थ होता है तुलसी, इसलिए ये भी माना गया कि ये तुलसी का वन था.
वृंदावन का अर्थ चाहें जैसे भी निकाला जाए, लेकिन इसमें वन यानी जंगल ज़रूर हैं, जो अब वृंदावन में कम ही नज़र आते हैं.
इस्कॉन मंदिर, कृपालु महाराज, नीम करौली बाबा और अन्य धर्मगुरुओं की वजह से भी वृंदावन आस्था का केंद्र बन गया है और बड़ी तादाद में श्रद्धालु यहाँ पहुँच रहे हैं.
इन श्रद्धालुओं के लिए होटल और अन्य सुविधाएँ विकसित करने के लिए नए निर्माण शहर में हो रहे हैं.
वृंदावन अब कंक्रीट का जंगल नज़र आता है, जो अब अपने दायरे के बाहर फैल रहा है. इस तीव्र विकास की सबसे बड़ी क़ीमत यहाँ के जंगलों ने ही चुकाई है.
कपिल देव उपाध्याय
शहर के जाने माने कारोबारी और वृंदावन के तीर्थ पुरोहित कपिल देव उपाध्याय कहते हैं, "स्मृति के रूप में कुछ वन ज़रूर बचे हैं, लेकिन अधिकतर वन अब समाप्त हो गए हैं, वृंदावन की आबादी तेज़ी से बढ़ी है, ऐसे में सबसे बड़ा कुठाराघात वनों पर ही हुआ है."
कपिल देव उपाध्याय कहते हैं, "एक समय था, जब ब्रज में एक कहावत मशहूर थी कि 'बीत गई जनमाष्टमी, पड़न लगी ठंड, भजो राधे घुमंत.' इसका अर्थ था कि जन्माष्टमी तक तो यहाँ तीर्थ यात्री आते थे, उसके बाद ठंड पड़ने लगती थी और यहाँ तीर्थयात्रियों का अकाल पड़ जाता था, तब हम जैसे ब्राह्मण लोग वृंदावन में नहीं ठहरते थे बल्कि घूम-घूमकर जजमानों के पास जाते थे और दक्षिणा मांगते थे, उसी से ही पंडित परिवारों का गुज़ारा होता था. किसी ज़माने में यहाँ हज़ारों में लोग आते थे, अब लाखों-करोड़ों में आ रहे हैं. जिस रफ़्तार से यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, उससे स्थिति विस्फोटक हो गई है."
वृंदवान में जिससे भी बात करो, वो कुंज गलियों की बात ज़रूर करता है. गुंज का अर्थ होता है छाड़ और लताओं से बनीं गलियाँ. बांके बिहारी मंदिर के आसपास रहने वाले लोग तर्क देते हैं कि उन कुंज गलियों को संरक्षित किया जाना चाहिए जहाँ कृष्ण ने लीलाएँ कीं.
विकल्प क्या हैं?
वृदावन में आए श्रद्धालु
सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर जब बनाना शुरू किया, तब वाराणासी में भी विरोध हुआ था. लेकिन आख़िरकार घर और मंदिर तोड़े गए और कॉरिडोर के लिए जगह बनाई गई. वृंदावन में भी बहुत से लोगों को लगता है कि विरोध के बावजूद सरकार कॉरिडोर बना ही लेगी.
इसे समय की आवश्यकता बताते हुए कपिल देव उपाध्याय कहते हैं, "जिस संख्या में यात्री आ रहे हैं, उन्हें मौजूदा मूलभूत ढाँचे से सुविधा नहीं दी जा सकती हैं. ऐसे में दो ही विकल्प बचते हैं, या तो बांके बिहारी की प्रतिमा को वहाँ से कहीं और खुली जगह पर स्थापित किया जाए, या फिर बांके बिहारी मंदिर तक रास्तों का विस्तार किया जाए. विकास की इस प्रक्रिया में टूट फूट होगी, लेकिन दूसरा कोई विकल्प नज़र नहीं आता है."
"बहुत से लोग इससे प्रभावित होंगे, उनकी भावनाओं को समझा जा सकता है, मेरी बहन का भी मकान कॉरिडोर के दायरे में आ रहा है. बहुत से ऐसे लोग हैं, लेकिन बड़े मक़सद के लिए ये त्याग तो करना ही होगा. अन्यथा वृंदावन में हालात अनियंत्रित हो जाएँगे." (bbc.com/hindi)
इस रिपोर्ट में मथुरा से सुरेश सैनी ने सहयोग किया
हैदराबाद, 20 जनवरी। तेलंगाना के खम्मम में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) द्वारा हाल ही में आयोजित एक बैठक का जिक्र करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव तारिक अनवर ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस के बिना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ लड़ने के लिए एक मजबूत विपक्ष नहीं हो सकता है।
बीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर)की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के उनके समकक्ष पिनराई विजयन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव शामिल हुए थे।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अनवर ने कहा, ‘‘खम्मम की बैठक में दो या तीन मुख्यमंत्री आए... कांग्रेस के बिना एक मजबूत विपक्ष नहीं हो सकता है। क्योंकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। हर राज्य में इसकी मौजूदगी है। इन परिस्थितियों में अगर कोई अलग से समूह बनाने की कोशिश करता है, तो मैं समझता हूं कि यह विपक्ष को कमजोर करता है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विचार है कि सभी विपक्षी दल एक साथ आएं और पार्टी इसके लिए लगातार प्रयास करती रहती है।
उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ दल ऐसे भी हैं, जो विपक्ष में होने के बावजूद केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने की कोशिश करते रहते हैं।
अनवर ने आरोप लगाया कि असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की ‘‘बी-टीम’’ के रूप में काम कर रही है जबकि केजरीवाल और ओवैसी का काम उत्तर भारत में धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले आठ साल से केसीआर का राजनीतिक उद्देश्य कांग्रेस पार्टी को कमजोर करना रहा है। कहा गया कि उत्तर में यह काम केजरीवाल को दिया गया और दक्षिण में केसीआर को दिया गया। उनका काम यह सुनिश्चित करना है कि विपक्षी दल कभी एकजुट ना हों।’’
एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में तीसरे मोर्चे के कई उदाहरण हैं लेकिन भाजपा विरोधी मोर्चा सिर्फ एक ही हो सकता है।
केसीआर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी ने 2014 में मौजूदा सरकार को सत्ता सौंपी थी, तब 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष था लेकिन आज यह राज्य पांच लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूब गया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस ने तेलंगाना को एक अलग राज्य बनाने के लिए बहुत बलिदान दिया, हालांकि कई लोग इस फैसले से खुश नहीं थे। (भाषा)
कांग्रेस के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लडऩे आह्वान, प्रदेशभर के दिग्गज नेता पहुंचे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 20 जनवरी। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पहुंचे प्रदेशभर के दिग्गज नेताओं ने जहां आगामी चुनाव को लेकर रोड मैप तैयार किया, वहीं कांग्रेस के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ते हुए छत्तीसगढ़ को कांग्रेस मुक्त कराए जाने का आह्वान किया।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, प्रदेश महामंत्री संगठन पवन साय, केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने प्रदेश के तमाम दिग्गजों पदाधिकारियों के बीच भूपेश सरकार की उपलब्धियों को लेकर पहले मंथन किया। उस मंथन में कुछ भी सामने नहीं आया।
वर्ष 2023 के चुनाव को लेकर प्रदेश कार्यसमिति ने जीत का रोड मैप तैयार किया। बैठक में यह चर्चा हुई कि भूपेश सरकार की नाकामियों को आम जनता तक लेकर जाना है। सभी ने एक स्वर से कहा कि कांग्रेस के कुशासन का खामियाजा छत्तीसगढ़ को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश में शिक्षक अभ्यर्थी, विद्या मितान ,पुलिस अभ्यर्थी, बिजली कर्मचारी सभी अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं।
20 हजार से ज्यादा छत्तीसगढ़ी होने जिनमें अधिकांश युवा थे, निराशा में आत्महत्या कर ली। पिछले 3 वर्ष में छत्तीसगढ़ में 25 हजार से अधिक आदिवासी बच्चों की चिकित्सा और पोषण के अभाव में कोई अकाल मृत्यु के लिए भी कांग्रेसी सीधे तौर पर जिम्मेदार है। कांग्रेस सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से प्रदेश में बनने वाले 16 लाख से अधिक गरीबों का आशियाना छीनने का काम किया है। 24 लाख से अधिक घरों को मोदी जी की नल जल योजना से वंचित रखा गया है। पिछले 4 साल में यहां दुष्कर्म के 6000 से अधिक मामले दर्ज किए गए?। 4000 से ज्यादा नाबालिक के साथ दुष्कर्म 6000 से ज्यादा युवतियों का अपहरण हुआ है।
कार्यसमिति में वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में 36 बड़े वादे किए थे, उसने जनता को भरोसा दिलाया था कि वह सारे वादे पूरे करेगी, लेकिन सत्ता में आने पर कांग्रेस सरकार लगभग सभी वादे से मुकर गई। इस सीजन में ही छत्तीसगढ़ के किसानों का 90 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदने के लिए या कार्यसमिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन करती है। पिछले सत्र में केंद्र की भाजपा सरकार ने इस मद में 51 हजार 563 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रदेश को देकर किसानों को समृद्ध किया है। इसके उलट कथित न्याय योजना के तहत मात्र अंतर की राशि 11 हजार 148 करोड़ रुपए देकर कांग्रेश सरकार ने उसके बहाने प्रदेश पर डेढ़ लाख करोड़ से अधिक का कर्ज लाद दिया है जिसे छत्तीसगढ़ की पीढिय़ों को ही चुकाना होगा।
धर्मांतरण को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई। भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने आरोप लगाते कहा कि कांग्रेस की सरकार में सनातन विरोधी संप्रदाय के तत्वों ने प्रदेश को अपना चारागाह बना लिया है। प्रदेश के विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में मिशनरी लोगों को मतांतरिक करते हुए जनजीवन और उनकी समृद्ध संस्कृति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यही नहीं कांग्रेस की राजनीतिक प्रकृति हमेशा से आरक्षण विरोधी रही है।
कांग्रेस की इन्हीं सब विफलताओं को लेकर भाजपा पदाधिकारियों ने कार्यसमिति की बैठक में आगामी चुनाव को जीतने की रणनीति तय की।
बैठक के जरिए कार्यसमिति ने प्रदेश की जनता से आह्वान किया कि गंगाजल हाथ में लेकर जन घोषणा पत्र जारी करने वाली छत्तीसगढ़ की जनता से किए 36 में से एक भी वादे को ढंग से पूरा करने में विफल रही
कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने कमर कस ले। प्रदेश में लोकतंत्र को कुचलने वाली प्रदेश सरकार के खिलाफ सभी पदाधिकारियों ने जी जान से आर पार की लड़ाई लडऩे व छत्तीसगढ़ को कांग्रेस मुक्त कराने का आह्वान किया।
प्रदेश पदाधिकारियों पर भडक़े नितिन नबीन
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पहुंचे राष्ट्रीय पदाधिकारी नितिन नबीन भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों पर उस समय भडक़ उठे, जब कार्यसमिति की बैठक के बीच कुछ पदाधिकारी मीडिया के साथ वार्ता कर रहे थे।
प्रदेश पदाधिकारियों की यह हरकत नितिन नवीन को नागवार गुजरी उन्होंने सख्त लहजे में प्रदेश पदाधिकारी को फटकार लगाते हुए बैठक के बाद किसी प्रकार की वार्ता करने की हिदायत दी।
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नहीं पहुंचे नेता प्रतिपक्ष
भाजपा ने सरगुजा से मिशन 2023 का आगाज प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से कर दी है,ऐसे में छत्तीसगढ़ शासन में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नहीं पहुंचना चर्चा का विषय बना रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि नारायण चंदेल के बेटे पर एफआईआर हुआ है,जिसके चलते वह बैठक में नहीं आ पाए। श्री चंदेल के नहीं आने पर भाजपा के पदाधिकारी अलग-अलग तर्क दे रहे हैं, कुछ लोग यह भी बता रहे हैं कि 21 जनवरी की बैठक में शायद नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल उपस्थित रहेंगे।
मुंबई, 20 जनवरी। बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मारे गए एक व्यक्ति की मां को मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करने का निर्देश देते हुए कहा है कि हिरासत में मौत सभ्य समाज में सबसे खराब अपराधों में से एक है और पुलिस अधिकारों की आड़ में नागरिकों को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित नहीं कर सकती।
न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और अभय वाघवासे की औरंगाबाद पीठ ने बुधवार को सुनीता कुटे नामक महिला द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके 23-वर्षीय बेटे प्रदीप की मौत सोलापुर से संबद्ध दो पुलिसकर्मियों द्वारा प्रताड़ित करने और मारपीट करने के बाद हुई थी।
सुनीता ने पुलिस से 40 लाख रुपये के मुआवजे और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी।
खंडपीठ ने कहा, "हिरासत में मौत कानून के शासन द्वारा शासित एक सभ्य समाज में शायद सबसे खराब अपराधों में से एक है।"
अदालत ने कहा कि हालांकि, पुलिस के पास लोगों की गतिविधियों और अपराध को नियंत्रित करने की शक्ति है, लेकिन यह अबाध नहीं है।
फैसले में कहा गया है, "उक्त शक्ति के प्रयोग की आड़ में वे (पुलिसकर्मी) किसी नागरिक के साथ अमानवीय तरीके से अत्याचार या व्यवहार नहीं कर सकते।"
अदालत ने कहा, "सरकार अपने नागरिकों की जीवन रक्षक है और अगर उसका कर्मचारी सत्ता की आड़ में अत्याचार करता है, तो उसे ऐसे नागरिक को मुआवजा देना होगा।"
पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में पीड़ित 23 वर्षीय युवक था, जिसकी शादी मृत्यु से ठीक चार महीने पहले हुई थी।
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को पीड़ित की मां को 15,29,600 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। (भाषा)
रायपुर, 20 जनवरी। भारतीय टीम पर हैदराबाद में पहले एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ धीमी ओवर गति के लिये मैच फीस का 60 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया।
मैच रैफरियों के एमिरेट्स आईसीसी एलीट पैनल के जवागल श्रीनाथ ने यह जुर्माना लगाया क्योंकि भारत को बुधवार को श्रृंखला के शुरूआती वनडे में निर्धारित समय में फेंके जाने वाले ओवरों में तीन ओवर पीछे पाया गया।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने एक बयान में कहा, ‘‘न्यूनतम ओवर गति संबंधित उल्लघंन से संबंधित खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ के लिये आईसीसी की आचार संहिता के अनुच्छेद 2.22 के अनुसार निर्धारित समय में टीम के प्रत्येक ओवर विफल होने के लिये खिलाड़ियों की मैच फीस का 20 प्रतिशत (तीन ओवर में 60 प्रतिशत) जुर्माना लगाया गया। ’’
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने उल्लघंन के लिये जुर्माना स्वीकार कर लिया है इसलिये आधिकारिक सुनवाई की जरूरत नहीं पड़ी।
मैदानी अंपायर अनिल चौधरी और नितिन मेनन, तीसरे अंपायर के एन अनंतपद्मनाभन और चौथे अंपायर जयरमन मदनगोपाल ने आरोप तय किये।
शुभमन गिल के शानदार दोहरे शतक की बदौलत भारत ने 12 रन की जीत से तीन मैचों की श्रृंखला में 1-0 से बढ़त बनायी। (भाषा)
सूरत, 20 जनवरी। गुजरात में सूरत शहर के एक जौहरी ने हाल में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत की खुशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 156 ग्राम वजनी सोने की प्रतिमा बनाई है।
आभूषण निर्माता कंपनी ‘राधिका चेन्स’ के मालिक बसंत बोहरा ने कहा कि 18 कैरट के सोने से बनी यह प्रतिमा 156 ग्राम वजनी है? क्योंकि पिछले साल दिसंबर में भाजपा ने गुजरात विधानसभा की 182 में से 156 सीट पर जीत दर्ज की।
कई लोग मोदी की इस प्रतिमा को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं, लेकिन जौहरी ने अभी तक इसे बेचने का फैसला नहीं किया है।
बोहरा ने कहा, ‘‘मैं नरेंद्र मोदी का प्रशंसक हूं और उन्हें सम्मान देने के तौर पर कुछ बनाना चाहता था। हमारे कारखाने में इस प्रतिमा को बनाने में लगभग 20 कारीगरों को लगभग तीन महीने का समय लगा। मैं अंतिम परिणाम से संतुष्ट हूं। इसकी कोई कीमत तय नहीं है, क्योंकि यह अभी बिक्री के लिए नहीं है।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 20 जनवरी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच कांग्रेस ने शुक्रवार को मांग की कि डब्ल्यूएफआई को भंग किया जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने क्या कार्रवाई की, जब 2021 में एक पहलवान ने कथित तौर पर उनके समक्ष मुद्दे उठाए थे।
ओलंपिक खेलों के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता चक्का फेंक खिलाड़ी कृष्णा पूनिया के साथ कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह ‘‘शर्मनाक’’ है कि 72 घंटे बाद भी सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया और सरकार ‘‘स्पष्ट रूप से मौन’’ धारण किए हुए है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पहली और प्रमुख मांग यह है कि महासंघ को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाए।
श्रीनेत ने यहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ब्रज भूषण सिंह को कल ही इस्तीफा दे देना चाहिए था, लेकिन जनहित में सबसे बड़ी मांग हम यह उठाते हैं कि महिलाओं को सुरक्षित माहौल दिए जाने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि भारत के कुछ पदक विजेता एथलीट हैं, जो खुलकर सामने आए हैं और यौन उत्पीड़न के बारे में बात की है।
श्रीनेत ने कहा, ‘‘देश के सामने आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब श्रीमान मोदी को अक्टूबर 2021 में पता चला था कि भारतीय कुश्ती महासंघ में क्या चल रहा है तथा विनेश फोगाट ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री को जानकारी दी थी तो उन्होंने क्या किया, उन्होंने जांच क्यों नहीं करायी?’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या कोई अंतर-विभागीय जांच की गयी, क्या श्री ब्रज भूषण सिंह को बुलाया गया, उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया, आज कई सवाल हैं और हमारी प्रमुख मांग यही है। देश सच जानना चाहता है।’’
राजस्थान से कांग्रेस विधायक पूनिया ने कहा कि महिला एथलीट के लिए पहले से ही बहुत मुश्किलें हैं तथा ऐसे मामलों के सामने आने के साथ ही उनकी मुश्किलें और बढ़ने जा रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं से जुड़ी घटनाएं लगातार सामने आने के कारण भाजपा ने ‘बेटी बचाओ’ नारे की धज्जियां उड़ा दी हैं।
विजेंदर सिंह ने कहा कि वह पहलवानों के प्रति एकजुटता जताने गए थे तथा मामले में फौरन सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान नेताओं को खेल प्रशासन से दूर रखने का विधेयक लाने में नाकाम रहने तथा क्या भाजपा को अब ऐसा करना चाहिए, इस बारे में पूछने पर श्रीनेत ने कहा, ‘‘हम अपना समर्थन देने के लिए तैयार हैं और आपका यह कहना सही है कि तब राजनीतिक सहमति नहीं बन सकी थी।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘आपके (भाजपा) पास बहुमत है...कई खेल संघ हैं, जहां भाजपा नेताओं ने कब्जा जमा लिया है, एक विधेयक लाकर इस पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन यह एक अलग मुद्दा है। जितना कम राजनीतिक हस्तक्षेप होगा, उतना ही बेहतर होगा।’’
गौरतलब है कि जानी-मानी पहलवान विनेश फोगाट ने एक चौंकाने वाले खुलासे में बुधवार को रोते हुए आरोप लगाया कि डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह कई वर्षों से महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहे हैं, लेकिन इस खेल के प्रशासक और भाजपा सांसद ने इन आरोपों को खारिज किया।
विनेश ने दावा किया था कि उन्हें डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के इशारे पर उनके करीबी अधिकारियों से जान से मारने की धमकी मिली थी, क्योंकि उन्होंने तोक्यो ओलंपिक खेलों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उनका ध्यान इन मुद्दों की ओर आकर्षित करने की हिम्मत दिखायी थी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 20 जनवरी। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना को शुक्रवार को इसका कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
केंद्रीय कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने एक अधिसूचना में कहा कि न्यायमूर्ति सबीना 21 जनवरी को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सैयद की सेवानिवृत्ति के बाद पदभार ग्रहण करेंगी।
न्यायमूर्ति सैयद 62 वर्ष की आयु पूरी करने के कारण शुक्रवार को सेवानिवृत्त होंगे।
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 223 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना को हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए नियुक्त किया है। यह नियुक्ति हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सैयद की सेवानिवृत्ति के परिणामस्वरूप 21 जनवरी से प्रभावी होगी।’’ उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयुसीमा 62 वर्ष है। (भाषा)
रायपुर, 20 जनवरी। कल होने वाले मैच से पहले भारतीय खिलाड़ियों ने शुक्रवार शाम प्रैक्टिस किया। पहले वार्म अप और फिर नेट प्रैक्टिस। इस दौरान बालर मो. समी, हार्दिक पंड्या, उफरान खान, कुलदीप यादव की बालिंग पर कप्तान रोहित शर्मा,विराट कोहली,शुभमन गिल ने बैट से हाथ आजमाए।
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अंबिकापुर कार्यसमिति में अरूण साव ने कहा
अंबिकापुर/ रायपुर, 20 जनवरी। प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की दो दिनी बैठक शुक्रवार को अंबिकापुर में प्रारम्भ हुई। इस बैठक में राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा दिल्ली के राष्ट्रीय कार्यसमिति में लिये गये निर्णयों के अनुरूप यहां प्रदेश के लिये रणनीति बनेगी।
सुबह प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक के बाद प्रदेश सहप्रभारी नितिन नबीन, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह व महामंत्री संगठन पवन साय की उपस्थिति में कार्यसमिति शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल नहीं आए।
बैठक में साव ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है। भाजपा आगामी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव और लोक सभा चुनाव यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियों व 15 वर्ष के कार्यकाल में छत्तीसगढ में हुए विकास के साथ नड्डा के संगठन नेतृत्व में लड़ेंगे। और जनता का आशीर्वाद प्राप्त कर प्रचंड बहुमत से जीतेगी।
बैठक में सांसद संतोष पांडे ने राजनीतिक प्रस्ताव रखा जिसका समर्थन प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने किया। आज की बैठक के दो प्रस्ताव पारित किए गये हैं जिसमें राजनीतिक प्रस्ताव में गुजरात चुनाव में अभूतपूर्व विजय और प्रदेश में एक करोड़ टन से अधिक धान ख़रीदने के लिए भी कार्यसमिति ने मोदी का अभिनंदन किया है। बैठक में जी-20 की अध्यक्षता और उसकी एक बैठक छत्तीसगढ़ में होने का अवसर देने के लिए भी राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त किया है।
अमित साहू ने आत्म निर्भर भारत, पुरंदर मिश्रा ने एक भारत श्रेष्ठ भारत, प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने मोर आवास मोर अधिकार विषय पर वृत रखा।
बैठक में भाजपा के वरिष्ठ नेता रामविचार नेताम, नंदकुमार साए, विष्णु देव साय, ननकीराम कवर, रामसेवक पैकरा, धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल राजेश मूणत,प्रेमप्रकाश पांडे, सरगुजा संभाग प्रभारी संजय श्रीवास्तव ,किरण देव, सौरभ सिंह, अखिलेश सोनी, प्रदेश प्रवक्ता अनुराग सिंह देव,केदार गुप्ता,संदीप शर्मा, जिला अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह मेजर अनिल सिंह भैयालाल रजवाड़े, कमलभान सिंह उपस्थित थे।
रायपुर, 20 जनवरी। देशभर में के.वाय.सी अपडेट करने के नाम पर लाखों रूपए की ठगने वाला झारखण्ड का अंतर्राज्यीय ठग सुनील कुमार मण्डल को कबीर नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसने इलाके के अविनाश प्राईड निवासी उमामिश्रा से 2.95 लाख रूपए ठगे थे। वह के.वाय.सी. अपडेट करने एनीडेस्क एप के माध्यम से अलग-अलग तरीकों से लोगों को अपने झांसे में लेकर देशभर में ठगी करता रहा।
पुलिस के मुताबिक श्रीमती उमा मिश्रा को 4 जुलाई 22 को शाम 05.30 बजे उसके मोबाईल नंबर में किसी अज्ञात मोबाईल नम्बर 87570-87202 धारक का फोन आया । उसने कहा कि आपके फोन-पे की केवाईसी नहीं हुई है, इसलिए कल आपके अकाउंट से 2,200/- रूपए कट जाएगा, यदि नहीं कटवाना है तो जैसा बताता हूं, आप करिये कुछ ही मिनट में आपका केवाईसी कंपलीट हो जाएगा। उमा की हां पर उसने अपने सिनियर के काॅल कनेक्ट कर रहा हूं कहकर दूसरे मोबाईल नंबर 9060185892 से काॅल किया। और मोबाईल नम्बर के धारक ने फोन-पे में जाकर उसके बताए अनुसार प्रोसेस किया गया कुछ देर पश्चात् उसके द्वारा केवाईसी वेरिफिकेशन का मैसेज आया या नहीं पूछने पर उमा नहीं आया बताया गया, तो उसने उमा से एटीएम कार्ड को फोन-पे स्केनर से स्केन करने कहा।स्कैन करते ही उमा के स्टेट बैंक अकाउंट नंबर से लगातार पैसे कटने के मैसेज आने लगे। उमा के पूछने पर अज्ञात मोबाईल नम्बर के धारक ने कहा कि किसी टेक्नीकल एरर की वजह से पैसे कटने के मैसेज आ रहे हैं, आपके पैसे वापस आ जाएंगे एवं फोन मत काटिए।इसके बाद उमा को कटे हुए पैसे वापस प्राप्त करने एक एप डाउनलोड करने बोला जिस पर उमा के डाऊनलोड करते ही उसके दूसरे अकाउंट नंबर 10080573891 से भी पैसे कटने शुरू हो गए ।इस तरह से एवं इस तरह से दोनों खातो से कुल 2.95लाख रूपए कट गये। इस रिपोर्ट पर विस्तृत पूछताछ किया कर इनकमिंग कॉल के मोबाईल नंबरों का तकनीकी विश्लेषण करने के साथ ही जिन खातों में रकम स्थानांतरित किए गये थे, उन खातों के संबंध में भी संबंधित बैंकों से दस्तावेज व जानकारी लेकर आरोपी को चिन्हांकित कर झारखण्ड के गोड्डा में लोकेट किया गया। पुलिस गोड्डा पहुंचकर लगातार कैम्प करते हुए आरोपी की पड़ताल की। आरोपी के मोबाईल नंबर फर्जी होने के साथ ही बैंक खातों के पते भी दूसरे स्थानों के थे। आरोपी द्वारा उन मोबाईल नंबरों एवं खातों का उपयोग सिर्फ और सिर्फ ठगी के लिए किया गया था। झारखण्ड पुलिस की मदद से तकनीकी विश्लेषण के आधार पर सुनील कमार मण्डल 22 साल निवासी ग्राम डहरलंगी परसपानी जिला गोड्डा को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 7000/- रूपए जप्त किए गए।
ग्रामीणों ने लगाए कई आरोप
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायगढ़, 20 जनवरी। शुक्रवार की दोपहर रायगढ़ जिले के खरसिया विधानसभा के कुनकुनी में मेसर्स सार स्टील एंड पावर लिमिटेड प्लांट की जनसुनवाई के दौरान हार्ड अटैक से एक किसान की मौत हो गई। किसान कंपनी के जनसुनवाई में आया था।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि मृतक किसान अपने बेटे के साथ पेशी में गया था और लौटते समय उसकी मौत जन सुनवाई स्थल के पास हो गई।
किसान की मौत के बाद जनसुनवाई स्थल पर उनके साथी काफी आक्रोशित हैं और पुलिस व प्रशासन पर उद्योगपतियों का साथ देने का आरोप लगाया है।
जानकारी के अनुसार मृतक किसान का नाम गौरीशंकर पटेल है और वह खरसिया विधानसभा क्षेत्र के ग्राम दर्रामुड़ा का निवासी है, जो अपने गांव वालों के साथ आज सुबह 11 बजे से ही उद्योग की जनसुनवाई में शामिल होने के लिए गया था और जनसुनवाई के दौरान वह कुर्सी पर बैठा हुआ था, उस दौरान अचानक उसे हार्ट अटैक आया और वह गिर गया और उसके गिरते ही पुलिस ने उसे तत्काल उठाकर अस्पताल भेज दिया, जब तक लोग समझ पाते, तब तक पुलिस मृतक किसान को लेकर जा चुकी थी। इसलिये मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ में बढ़ते उद्योगों के चलते प्रदूषण की मार से जिले के लोग खासे परेशान हैं और जनसुनवाई के दौरान विरोध के स्वर भी मुखर करते हैं, लेकिन भारी विरोध के बावजूद जिले में नये उद्योगों की संख्या बढ़ रही है।
जन चेतना मंच व पर्यावरण प्रेमी राजेश त्रिपाठी बताते हैं कि जिले में बढ़ते प्रदूषण से खेत खलिहान तो नष्ट हो ही रहे हैं, साथ ही साथ जलवायु में भी बड़ा परिवर्तन आया है जिससे लोगों में सांस व ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही है।
उन्होंने बताया कि आज भी सार स्टील की जनसुनवाई के दौरान भी खरसिया विधानसभा क्षेत्र के एक दर्जन से भी अधिक गांव के लोग विरोध के लिये जुटे थे और इसी दौरान मृतक गौरीशंकर पटेल भी वहां कुर्सी में बैठकर अपने साथियों के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। इसी दौरान उसे हार्ट अटैक आया और वह कुर्सी से गिर पड़ा। मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों ने जन विरोध को दबाने के लिए तत्काल किसान को वहां से ले गए और अब झूठ बोलकर इसकी मौत को जनसुनवाई से हटकर बता रही है।
पुलिस नहीं दे रही कोई बयान
मृतक किसान गौरीशंकर पटेल खरसिया के ग्राम कुनकुनी स्थित सार स्टील की जनसुनवाई में शामिल होने के लिये गया था, लेकिन उसकी हार्ट अटैक से मौत के बाद खरसिया थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस अधिकारी कोई भी बयान देने का तैयार नही हंै बल्कि वे यह कह रहे हैं कि मृतक गौरीशंकर पटेल अपने बेटे के साथ जनसुनवाई स्थल के पास पहुंचा था, तब उसकी हार्ट अटैक से मौत हुई है। इससे पहले वह पेशी में गया था, जनसुनवाई स्थल में वह गया ही नहीं था। जबकि मौके पर उनके साथियों ने अपने साथी किसान की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि वह उनके सामने ही कुर्सी से गिरा है और उसकी मौत हो गई।
जनसुवाई का विरोध
खरसिया विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कुनकुनी में स्थापित होने जा रहे सार स्टील को लेकर आज जनसुनवाई में सैकड़ों किसानों के साथ-साथ महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और जनसुनवाई के विरोध में अपने स्वर मुखर किये।
बताया जा रहा है कि कुनकुनी में लग रही सार स्टील कंपनी की ईआई रिपोर्ट में तथ्यों को छुपाया गया है, जिसमें पर्यटन स्थल रामझरना व सिंघनपुर गुफा सहित आसपास के कई क्षेत्रों के जिक्र को भी छुपाया गया है। जिसमें प्रदूषण के चलते इन क्षेत्रों का विनाश होने की आशंका है।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 'आतंकवाद' के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते हुए कहा कि दुनिया को उसकी असलियत समझ आ गई है.
उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर में जेपी नड्डा ने कहा, " आज पाकिस्तान अलग-थलग हो चुका है क्योंकि दुनिया को समझ आ गया है कि आतंकवाद की जननी कहां है."
उन्होंने कहा, "दुनिया ये भी समझ चुकी है कि भारत ने किस तरह से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है."
जेपी नड्डा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की विदेश नीति में बदलाव आया है.
नड्डा ने कहा, "आज प्रधानमंत्री जी ने विश्व के पटल पर ये साबित कर दिया है कि भारत न टेररिज़्म करता है और न टेररिज़्म सहन करता है."
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में बदलाव साफ़ दिख रहा है.
नड्डा ने कहा, "अब वो भारत नहीं है जो आपने कुछ समय पहले देखा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़े फ़ैसले लेकर देश की रक्षा-सुरक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का काम किया है." (bbc.com/hindi)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जाति सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार को) बिहार में जाति सर्वे कराने के राज्य सरकार के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया.
नीतीश कुमार ने इस फ़ैसले पर खुशी जाहिर करते हुए, "देखिए, सुप्रीम कोर्ट ने (हमारे) पक्ष में फ़ैसला दिया. ये सभी के हित में है"
उन्होंने कहा, " एक एक चीज की जानकारी होगी तो विकास के काम को आगे बढ़ाने में सुविधा होगी."
वहीं, बिहार उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक तेजस्वी यादव ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक सर्वे नहीं होता है, तब तक ये कैसे पता हो सकता है कि किसी आरक्षण देना है. ये बिहार सरकार की जीत है. " (bbc.com/hindi)
रीपा में तैयार मिलेट कुकीज और नवकलेवा राईस चिप्स का चखा स्वाद, की तारीफ
रायपुर, 20 जनवरी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुश्री शैलजा कुमारी के साथ राजधानी के सेरीखेड़ी स्थित कल्पतरु रूरल इंडस्ट्रियल पार्क पहुंचे। उन्होंने वहां महिला समूहों द्वारा संचालित बेकरी यूनिट, सिलाई यूनिट, नर्सरी, सीएमटीसी, सोलर ड्रायर, सोलर कोल्ड स्टोरेज, हर्बल गुलाल, चाक, फिनायल, सोप और मिक्सचर यूनिट का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने वहां कार्यरत स्व-सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा कर उनके जीवन में आये परिवर्तन की जानकारी ली। उन्होंने महिलाओं के आग्रह पर उनके साथ सेल्फी भी ली। नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री को बेकरी यूनिट में काम कर रही महिलाओं ने बताया कि उनका समूह कोदो, कुटकी और रागी से बिस्कुट और कुकीज बनाने का कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल और सुश्री शैलजा कुमारी ने कोदो से बने बिस्कुट का स्वाद चखा और कुकीज के स्वाद की सराहना की। उन्होंने महिलाओं के आजीविका मूलक कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें बधाई भी दी।
सिलाई मशीन की इकाई में काम करने वाली श्रीमती ईश्वरी डहरिया ने बताया कि उनका समूह कपड़ा निर्माण का कार्य करता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से टी शर्ट सिलाई के लिए आवश्यक मशीन की मांग की। उन्होंने बताया कि उनके समूह को इंटर लॉक सिलाई से कपड़े तैयार करने के कुछ आर्डर मिले थे, लेकिन मशीन नहीं होने से हम लोग यह काम नहीं कर सके। ईश्वरी ने उन्हें बताया कि इस यूनिट में काम कर रही महिलाओं को माह में 7 हजार रुपए की आमदनी होती है। चर्चा के दौरान ईश्वरी ने मुख्यमंत्री श्री बघेल से बीस बड़ी सिलाई मशीन और इंटर लॉक मशीन की मांग करते हुए कहा कि इससे हम लोगों को काफी सहूलियत होगी। मुख्यमंत्री द्वारा मशीन की कीमत पूछने पर उन्होंने बताया कि बड़ी सिलाई मशीन 28 हजार रुपए और इंटर लॉक मशीन 80 हजार रुपए की आती है। मुख्यमंत्री ने मौके पर ही इस केंद्र के लिए बीस बड़ी सिलाई मशीन और इंटर लॉक मशीन देने की घोषणा की। महिलाओं ने इसके लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया। इस पर मुख्यमंत्री ने सहमति जताते हुए अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू को निर्देशित किया।
रीपा के प्रशिक्षण केन्द्र में 16 हजार से अधिक महिलाओं को आयमूलक गतिविधियों का प्रशिक्षण
नर्सरी निर्माण यूनिट की श्रीमती यमुना ध्रुव ने बताया कि वे विगत 5 वर्षों से यहाँ कार्य कर रही हैं। इस इकाई में महिलाएं छोटे पौधे तैयार कर उसका विक्रय निजी नर्सरियों को करती है। जिससे 5 से 6 हजार प्रतिमाह आमदनी होती है। लक्ष्य महिला संगठन द्वारा संचालित प्रशिक्षण केंद्र सीएमटीसी इकाई की अध्यक्ष ने बताया कि यहां अब तक 195 प्रशिक्षण सत्र सम्पादित किये जा चुके हैं, जिससे 16 हजार 6 सौ महिलाओं को विभिन्न आयमूलक गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्य से अब तक 1 करोड़ 20 लाख रुपए की आमदनी हुई है। जिसमें महिलाओं को 30 लाख रुपए का लाभ हुआ है। यहां 40 ट्रेनर प्रशिक्षण देते हैं। महिलाओं ने बताया कि आवासीय प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं के रहने और भोजन की अच्छी व्यवस्था की जाती है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बटन मशरूम को संरक्षित करने के लिए लगाए गए सोलर कोल्ड स्टोरेज यूनिट का निरीक्षण कर उसकी कार्यशैली की जानकारी ली। इस दौरान खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, नान के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, बीओसी के अध्यक्ष सन्नी अग्रवाल भी उपस्थित थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 जनवरी। न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के कप्तान ने नैट प्रैक्टिस के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कल के मैच को लेकर अपनी तैयारी पर चर्चा की। उन्होंने शुरूआत में पत्रकारों का जै-जोहार से अभिवादन किया।
विशुद्ध रूप में हिंदी माध्यम के पत्रकारों को मिचेल सेटनर के जवाब समझ में नहीं आ रहे थे। न्यूजीलैंड की घुमावदार इंग्लिश को समझना वैसे भी थोड़ी मुश्किल है। सभी साथी पत्रकारों का कहना था कि आडियो रिकार्डिंग सुनना होगा आफिस में। एक सवाल के जवाब में सेटनर ने कहा कि आज शाम रात पडऩे वाले ओंस को देखकर कल अंतिम रणनीति बनाई जाएगी। उनका कहना था कि -आल डिपेंड्स इन ड्यू।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 जनवरी। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के लिए कल से ऑनलाइन आवेदन किए जा सकेंगे। 31 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकेंगे। विलंब शुल्क के साथ एक फरवरी से 5 फरवरी तक आवेदन किए जा सकेंगे।
रायपुर के अंतरराष्ट्रीय पदार्पण से पहले विकल्पों पर विचार करेगा भारत
रायपुर, 20 जनवरी । न्यूजीलैंड के खिलाफ शनिवार को यहां होने वाले दूसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में श्रृंखला जीतने की कवायद में जुटे भारत को अपने मध्यक्रम से अधिक रन और डेथ ओवरों में गेंदबाजों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी।
शहर पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबले की मेजबानी कर रहा है और ऐसे में 60 हजार से अधिक दर्शकों के स्टेडियम में आकर मेजबान टीम का हौसला बढ़ाने की उम्मीद है।
न्यूजीलैंड की टीम 350 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए पहले मैच में 131 रन पर छह विकेट गंवाने के बावजूद 206 रन और बनाने में सफल रही थी जो भारत के लिए चिंता का सबब होगा।
मेहमान टीम वापसी करते हुए जोरदार जीत दर्ज करने के करीब थी लेकिन मोहम्मद सिराज ने शानदार गेंदबाजी करते हुए भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
शुभमन गिल ने बल्ले से अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए दोहरा शतक जड़ा और अकेले दम पर भारत को मजबूत स्कोर तक पहुंचाया।
पिछले कुछ समय से प्रभावी प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हार्दिक पंड्या से पारी के अंतिम ओवरों में ताबड़तोड़ रनों की उम्मीद होगी।
बांग्लादेश के खिलाफ दोहरा शतक जडऩे के बाद मध्य क्रम में जगह पाने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज इशान किशन हैदराबाद में पहले वनडे में नाकाम रहने के बाद इस बार मौके का पूरा फायदा उठाना चाहेंगे।
कप्तान रोहित शर्मा अच्छी लय में लग रहे हैं और उन्हें अच्छी शुरुआत भी मिली है लेकिन वह बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे हैं। वह भी एक बड़ी पारी खेलना चाहेंगे।
हालांकि बड़ी चिंता गेंदबाजी विभाग में है। बुधवार को माइकल ब्रेसवेल ने अकेले दम पर न्यूजीलैंड को जीत के करीब पहुंचा दिया था।
भारत ने पहले वनडे में तूफानी गेंदबाज उमरान मलिक की जगह शारदुल ठाकुर को मौका दिया था क्योंकि वह बल्लेबाजी में बेहतर विकल्प हैं। लेकिन प्रबंधन को जल्द ही फैसला करना होगा कि उसे एक ऐसा गेंदबाज चाहिए जो बल्लेबाजी कर पाए या ऐसा विशेषज्ञ गेंदबाज जो अपनी अतिरिक्त गति से विरोधी टीम को ध्वस्त कर सके और साथ ही बीच के ओवरों में भी विकेट हासिल कर सके।
सिराज ने अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया है। मोहम्मद शमी ने नई गेंद से शानदार गेंदबाजी की है लेकिन ब्रेसवेल ने उनके खिलाफ आसानी से रन बटोरे। हार्दिक भी काफी महंगे साबित हुए।
स्पिन विभाग में वाशिंगटन सुंदर के लिए यह भुलाने वाला मुकाबला था जबकि कुलदीप यादव ने प्रभावी गेंदबाजी की। टीम के पास कुलदीप और युजवेंद्र चहल को एक साथ खिलाने का विकल्प भी है लेकिन अभी एक कलाई के स्पिनर और एक अंगुली के स्पिनर को खिलाने को तरजीह दी गई है।
श्रृंखला के पहले मैच में न्यूजीलैंड का कभी हार नहीं मानने का जज्बा दिखा और इससे टीम का मनोबल बढ़ा होगा। ऐसा नियमित रूप से नहीं होता कि सातवें नंबर पर खेलने उतरे ब्रेसवेल और आठवें नंबर पर उतरे मिशेल सेंटनर टीम को हार की कगार से वापसी कराएं।
फिन एलेन ने कुछ अच्छे शॉट लगाए लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल पाए। केन विलियमसन की गैरमौजूदगी में टीम को ऐसा खिलाड़ी चाहिए जो एक छोर संभाले रखे।
हेनरी शिपली, लॉकी फर्ग्युसन और ब्लेयर टिकनर की तेज गेंदबाजी तिकड़ी के खिलाफ गिल ने आसानी से रन जोड़े थे और ये तीनों अपनी गेंदबाजी में अधिक सटीकता लाना चाहेंगे।
यह देखना होगा कि स्पिनर ईश सोढ़ी इस करो या मरो के मुकाबले के लिए पूर्ण फिटनेस हासिल कर पाते हैं या नहीं।
टीम इस प्रकार हैं :
भारत- रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल, इशान किशन, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, सूर्यकुमार यादव, केएस भरत, हार्दिक पंड्या, वाशिंगटन सुंदर, शाहबाज अहमद, शारदुल ठाकुर, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज और उमरान मलिक।
न्यूजीलैंड- टॉम लैथम (कप्तान), फिन एलेन, डग ब्रेसवेल, माइकल ब्रेसवेल, मार्क चैपमैन, डेवोन कॉनवे, जैकब डफी, लॉकी फर्ग्युसन, डेरिल मिशेल, हेनरी निकोल्स, ग्लेन फिलिप्स, मिशेल सेंटनर, हेनरी शिपली, ईश सोढ़ी, और ब्लेयर टिकनर।
समय- मैच दोपहर एक बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 जनवरी। भारतीय क्रिकेट टीम के दशक भर तक स्पीड स्टार रहे तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ कल होने वाले डे-नाइट मैच के रैफरी होंगे। श्रीनाथ भी गुरुवार शाम दोनों टीमों के साथ पहुंचे, लेकिन वे बस में न जाकर कार से होटल पहुंचे।
क्रिकेट में यूं तो अंपायर होते हैं लेकिन जब से डीआरएस लागू हुआ है तीसरे को रैफरी कहा जाता है। हालांकि बोलचाल में कंमेट्रेटर, थर्ड अंपायर ही कहते हैं।
बहरहाल श्रीनाथ, रैफरी के नाते कल टॉस भी कराएंगे। जवागल ने, कपिल देव के बाद भारतीय गेंदबाजी की कमान संभाली। 1991-91 में टेस्ट टीम शामिल होने के बाद दो साल तक मैदान में उतरने का इंतजार करना पड़ा। 1994 में पहला टेस्ट मैच खेला। 03 में रिटायरमेंट की घोषणा कर दी।और पहले कंमेंट्रेटर फिर न्यूट्रल रैफरी पैनल के लिए चुने गए। श्रीनाथ ने वनडे में 319और टेस्ट मैच में 234 विकेट लिए। 1997 में जिंबाब्वे के खिलाफ 157 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फैंक कर स्पीड स्टार बने। 03 विश्व कप से ठीक पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ 7 मैचों में 18 विकेट लिए, जो किसी द्विपक्षीय सीरीज में भारतीय गेंदबाज का रिकार्ड है।
भूतपूर्व छात्र तो बचाएं मैदान
राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज के मैदान पर नगर निगम से जुड़ी एक संस्था, स्मार्टसिटी की तरफ से करोड़ों की लागत का खानपान का बाजार बनाया जा रहा है। यह जगह परंपरागत रूप से खेल का मैदान रही है, और टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग ने इसका चाहे जो इस्तेमाल अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर रखा हो, यहां आज तक मैदान ही चले आ रहा है। अब इस मैदान को काटकर खानपान का बाजार बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह से नाजायज और अनैतिक काम है। पूरा का पूरा कॉलेज ही उच्च शिक्षा विभाग की सम्पत्ति रहता है, इसलिए तकनीकी रूप से इस जमीन को कोई चाहे शिक्षा विभाग की बता दे, लेकिन हकीकत यही है कि यह हमेशा से साईंस कॉलेज का मैदान रहा है, और आज भी यहां सैकड़ों लोग रोज खेलते हैं। सुप्रीम कोर्ट सार्वजनिक जगहों के इस्तेमाल को लेकर बरसों पहले बहुत कड़ा फैसला दे चुका है, और पहली नजर में खेल मैदान का यह बाजारू इस्तेमाल गैरकानूनी दिखता है। मामला अभी हाईकोर्ट में चल रहा है, लेकिन वहां जाने वाले इस इलाके के पिछले विधायक राजेश मूणत ने अपने तर्कों में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को नहीं गिनाया है। लेकिन राजेश मूणत से परे भी शहर के खेल संगठनों के लोगों को इस मामले में अदालत में शामिल होना चाहिए क्योंकि खेल के मैदान को बचाना कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई से परे की बात है, उससे ऊपर की बात है। अभी खेल संगठन चुप हैं। प्रदेश के सबसे बड़े खेल संगठन के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं, जो कि इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं। मुख्यमंत्री के एक सबसे करीबी भूतपूर्व अफसर, विवेक ढांड भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं। कम से कम इन दो लोगों को तो इस मैदान को बचाने की कोशिश करनी चाहिए। स्मार्टसिटी के अफसरों को बहुत खर्चीले काम करने हैं, तो वे मैदान बाग-बगीचे, और तालाबों से परे की जगहें ढूंढें। अभी साल भर के भीतर ही तेलीबांधा तालाब का किनारा ऐसे ही खानपान बाजार के नाम पर खत्म किया गया है, दूसरे मैदानों और बगीचों पर ऐसे ही बाजार खड़े किए गए हैं, और लोगों को शक है कि इनमें चुनिंदा लोगों को जगहें देने, या दूसरों के नाम से खुद ही इन बाजारों पर हमेशा के लिए कब्जा कर लेने का खेल चल रहा है।
नाम में बहुत कुछ रखा है...
कई बार दुकानों, प्रतिष्ठानों के नाम ही ग्राहकों को अपनी ओर खींच लेते हैं। किसी चाय वाले की दुकान में तख्ती मिल सकती है-आदमी साधारण हूं, पर चाय स्पेशल बनाता हूं। या किसी रेस्तरां में लिखा- यहां घर जैसा खाना नहीं मिलता, आप आश्वस्त रहें और भीतर आ जाएं। अब इसी तस्वीर को देखिये, कितने प्यार से बुलाया जा रहा है, जैसे कोई मां अपनी गोद में बिठाकर खाने के बारे में पूछ रही हो।
एक और आईएएस !
चुनावी साल में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले कई विशिष्ट लोग सक्रिय राजनीति में आ सकते हैं। इनमें एक रिटायर्ड आईएएस अफसर के नाम भी चर्चा में है। ये अफसर पिछली सरकार में रिटायर हुए थे, और फिर उच्च संवैधानिक पद पर रहे। कुछ समय पहले इनका कार्यकाल खत्म हुआ। वो अब पद से हटने के बाद सक्रिय राजनीति में आने की सोच रहे हैं। वैसे तो उनका दोनों ही प्रमुख दल, भाजपा, और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से उनका मधुर संबंध हैं, लेकिन वो भाजपा में जाने पर विचार कर रहे हैं।
सुनते हैं कि अफसर की पूर्व सीएम रमन सिंह, अजय चंद्राकर, और अन्य प्रमुख नेताओं से चर्चा हुई है। भाजपा नेता भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द उनकी पार्टी में जॉइनिंग हो जाए। यदि ऐसा होता है तो भाजपा में आने वाले तीसरे आईएएस होंगे। इनमें ओपी चौधरी, और गणेश शंकर मिश्रा पहले से ही सक्रिय हैं, और पार्टी के भीतर उन्हें अहम दायित्व मिला है। सब कुछ अनुकूल रहा, तो किसी बड़े राष्ट्रीय नेता के समक्ष उनका भाजपा प्रवेश हो सकता है।
चुनावी साल और क्रिकेट
भारत-न्यूजीलैंड मैच देखने पास और टिकट के लिए मारामारी है। चूंकि पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच हो रहा है। लोगों में उत्सुकता स्वाभाविक है। टिकट की कालाबाजारी हो रही है। ऐसे में ताकतवर लोगों की डिमांड से बीसीसीआई से जुड़े लोग भी हलाकान हैं। रोज टिकट के लिए बड़े बंगलों से फोन आ रहे हैं। न सिर्फ नेता बल्कि अफसर भी दबाव बनाने में पीछे नहीं हैं।
चर्चा है कि दो बड़े अफसर तो ग्राऊंड, और कानून व्यवस्था के लिए इंतजामों का निरीक्षण करने पहुंचे, और दबाव बनाकर पास-वीवीआईपी टिकट लेकर आ गए। सरकार के एक मंत्री को तो अपने समर्थकों को जवाब देना मुश्किल हो गया है। उन्हें कुछ ही पास दिए गए हैं, लेकिन पूरे विधानसभा क्षेत्र से समर्थक उन पर पास दिलाने के लिए दबाव बना रहे हैं। चुनावी साल है इसलिए समर्थकों को डांट-डपट नहीं पा रहे हैं, और अपना गुस्सा क्रिकेट एसोसिएशन के लोगों पर निकाल रहे हैं।
कोरिया में भाजपा का प्रदर्शन
सन् 2018 के चुनाव में बुरी हार के बाद भाजपा का सोशल मीडिया और विधानसभा में सक्रियता तो देखने को मिली, लेकिन सडक़ पर आंदोलन कम हुए। प्रदेश नेतृत्व और संगठन के प्रभार में परिवर्तन तथा स्मृति ईरानी और अमित शाह जैसे केंद्रीय नेताओं के दौरे के बाद अब पार्टी सडक़ पर खूब दिखाई दे रही है। जो नेता पिछले चुनाव के बाद खामोश बैठे थे, वे अब धरना-प्रदर्शन में दिखने लगे हैं। भाजपा सरकार में जिनका कद ऊंचा था पर हार का सामना करना पड़ा, वे और उनके साथ कार्यकर्ता दोबारा दिखने लगे हैं। जैसे-राजेश मूणत, अमर अग्रवाल आदि।
इधर, बैकुंठपुर में पूर्व मंत्री और भाजपा नेता भैयालाल राजवाड़े समर्थकों के साथ जनपद पंचायत के सीईओ को हटाने की मांग लेकर सडक़ पर उतरे। मीडिया से बात करते समय उन्होंने विधायक अंबिका सिंहदेव के खिलाफ टिप्पणी की।आरोप है कि उन्होंने अभद्र शब्दों का प्रयोग किया। कांग्रेस की शिकायत पर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई। इस एफआईआर के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ सडक़ पर उतर गई।
उन्होंने धर्मांतरण और रासुका को लेकर चल रहे प्रदेशव्यापी विरोध के अलावा एफआईआर के खिलाफ भी प्रदर्शन हुआ। पहली बार हुआ कि कोरिया पैलेस का घेराव करने के लिए कोई भीड़ आमादा थी। कोरिया और एमसीबी की पुलिस ने बड़ी कठिनाई से स्थिति संभाला। कांग्रेस की चुनौती है कि यदि हमारा वीडियो क्लिप टैंपर्ड है तो वही असली वीडियो दिखा दे। कौन सा टेंपर्ड है पता चल जाएगा। अब मूल प्रश्न गौण हो गया है। जनपद पंचायत सीईओ को हटाने की मांग भाजपा के अलावा कांग्रेस भी कर रही थी। अब दोनों दल आमने-सामने हैं और अफसर निश्चिंत।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 20 जनवरी। सीएम भूपेश बघेल की मंशानुरूप जिले के कोकोड़ी में मक्का प्रसंस्करण पर आधारित राज्य का पहला एथेनॉल प्लांट अब मूर्त रूप ले रहा है। उक्त मक्का प्रसंस्करण प्लांट को आगामी जून 2023 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित कर अधिकांश निर्माण कार्यों को दु्रत गति से संचालित किया जा रहा है। शुक्रवार को इस मक्का प्रसंस्करण प्लांट निर्माण में कलेक्टर दीपक सोनी सहित जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारियों तथा पंचायत पदाधिकारियों, पत्रकारों और ग्रामीणों ने स्वस्फूर्त श्रमदान कर इस महत्ती प्लांट के निर्माण में अपना योगदान दिया। इस दौरान सभी ने श्रमिकों के साथ कांक्रीटीकरण एवं रेत-मुरम फिलिंग कर उनका हाथ बंटाया और उत्साहवर्धन किया।
कोकोड़ी स्थित निर्माणाधीन मक्का प्रसंस्करण प्लांट में शुक्रवार को सुबह से ही एक अलग नजारा परिलक्षित हुआ जब कलेक्टर दीपक सोनी, सीईओ जिला पंचायत प्रेम प्रकाश शर्मा सहित जिला प्रशासन के सभी अधिकारी-कर्मचारियों और पंचायत पदाधिकारियों, पत्रकारों एवं ग्रामीणों ने फावड़ा, बेलचा एवं घमेला पकड़ उत्साहपूर्वक श्रमिकों के कार्य में हाथ बंटाकर इन श्रमवीरों की भावनाओं के प्रति धन्यवाद प्रकट किया। इस मौके पर आरंभ में सभी लोगों को सेक्शनवॉर समूह बनाकर उन्हे कार्य आबंटित किया गया और सभी ने पूरे लगन के साथ श्रमदान में सक्रिय सहभागिता निभाया।
जिले के विकास में मील का पत्थर साबित होगा मक्का प्रसंस्करण प्लांट
इस अवसर पर कलेक्टर दीपक सोनी ने कहा कि यह बड़ी खुशी की बात है कि आज सुबह से ही इतनी अधिक संख्या में अधिकारी-कर्मचारी, क्षेत्र के जनप्रतिनिधी, पत्रकार एवं ग्रामीणजन उपस्थित होने सहित उत्साहपूर्वक श्रमदान में योगदान देकर मक्का प्रसंस्करण प्लांट निर्माण में पूरी मेहनत एवं लगन के साथ जुटे इन श्रमिकों के श्रम सहित विकास के अद्याोसंरचना निर्माण को मूर्त रूप देने की भावना को साधुवाद दिया है। जो इस अत्यंत महत्वपूर्ण मक्का प्रसंस्करण प्लांट को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास है। उक्त मक्का प्रसंस्करण प्लांट जिले के मक्का उत्पादक किसानों के आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगा, जिससे करीब 45 हजार किसान सीधे लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही समीपस्थ अन्य जिले के मक्का उत्पादक किसानों के मक्का का प्रसंस्करण किया जायेगा। वहीं इस मक्का प्रसंस्करण प्लांट में क्षेत्र के लगभग 200 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा।
इस दृष्टिकोण से यह मक्का प्रसंस्करण प्लांट जिले के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। राज्य शासन की इसी परिकल्पना के अनुरूप सीएम भूपेश बघेल के निर्देशानुसार इस मक्का प्रसंस्करण प्लांट को आगामी जून 2023 तक पूर्ण करने के लिए जिला प्रशासन कटिबद्ध होकर पहल कर रही है। इस दौरान क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य बालसिंह बघेल एवं जनपद पंचायत सदस्य श्री घुडऩ पोयाम ने मक्का प्रसंस्करण प्लांट के निर्माण को तेजी के साथ संचालित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह महत्वाकांक्षी प्लांट जिले के विकास में महत्ती भूमिका निभायेगा और अधिकाधिक किसानों एवं ग्रामीणों को आजीविका से जोडऩे में सहायक साबित होगा।
इस मौके पर कोकोड़ी के सरपंच ललिता नेताम ने मक्का प्रोसेसिंग प्लांट निर्माण को मूर्त देने के लिए श्रमदान करने वाले सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत प्रेम प्रकाश शर्मा सहित जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, पत्रकारगण और मक्का प्रसंस्करण प्लांट निर्माण से जुड़े एजेंसियों के प्रतिनिधियों के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीणजन मौजूद थे।
सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार के बीच का टकराव कल एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया जब मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपने छांटे गए जजों के नाम पर केन्द्र की आपत्ति को सार्वजनिक किया, और उसका सार्वजनिक रूप से जवाब भी दिया। केन्द्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू पिछले कुछ महीनों से लगातार एक या दूसरी वजह निकालकर सुप्रीम कोर्ट पर हमले कर रहे थे, और सुप्रीम कोर्ट ने उनसे जख्मी होने के बजाय सार्वजनिक रूप से उनका सामना करना तय किया। अदालत से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चन्द्रचूड़ ने जजों के नाम तय करने वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बाकी सदस्यों से चार दिनों तक चर्चा करने के बाद यह फैसला लिया कि उसके भेजे नामों पर केन्द्र की आपत्ति को सार्वजनिक कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की आपत्ति में शामिल खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को भी उजागर कर दिया। यह एक अभूतपूर्व कदम है, और मौजूदा सीजेआई के बाद जो सीजेआई बनेंगे, वे भी इस कॉलेजियम में शामिल थे, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट जजों के बीच एक व्यापक सहमति से की गई आपत्ति माना जाना चाहिए।
केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के भेजे गए नामों पर लंबे समय तक बैठने की आदी रही है, और जिन नामों से वह सहमत नहीं रहती है, उन्हें अंतहीन समय तक रोकते रही है। पिछले कुछ दिनों में कानून मंत्री ने सार्वजनिक रूप से यह कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जजों को लिखा है कि जज छांटने वाले कॉलेजियम में केन्द्र सरकार का प्रतिनिधि भी रहना चाहिए। एक दूसरी बात यहां पर यह भी प्रासंगिक है कि देश के अलग-अलग बहुत से तबकों के जानकार लोग भी यह मानते हैं कि संविधान निर्माताओं की ऐसी कोई सोच नहीं थी कि जजों को छांटने का काम जज ही करें। इस पर केन्द्र सरकार से परे भी कई लोग लिखते और बोलते आए हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जज छांटने के लिए कॉलेजियम की जो व्यवस्था खुद तय कर ली है, वह संविधान की भावना के अनुकूल नहीं है, और इसके लिए कोई दूसरी व्यवस्था होनी चाहिए। इसलिए केन्द्रीय कानून मंत्री की यह ताजा मांग बहुत अटपटी, अनोखी, और अभूतपूर्व नहीं है। लेकिन पिछले काफी समय से केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच जो तनातनी चल रही है, उसे देखते हुए कल का सुप्रीम कोर्ट का जनता की अदालत में जाने का फैसला पूरी तरह से अनोखा और अभूतपूर्व है। खासकर दिल्ली हाईकोर्ट के लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल के नाम को कॉलेजियम ने डेढ़ बरस से भी पहले केन्द्र सरकार को भेजा था, और केन्द्र ने इस नाम पर इसलिए आपत्ति की थी कि सौरभ कृपाल एक स्वघोषित समलैंगिक हैं, और उनका साथी स्विस नागरिक है। केन्द्र की इस आपत्ति पर कॉलेजियम ने कल सार्वजनिक रूप से कहा कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि जज-उम्मीदवार का साथी जो स्विस नागरिक है, हमारे देश के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा क्योंकि उसका मूल देश भारत का एक मित्रराष्ट्र है। कॉलेजियम ने केन्द्र सरकार को यह भी याद दिलाया कि संवैधानिक पदों पर मौजूदा और पिछले कई ऐसे लोग रहे हैं जिनके पति-पत्नी विदेशी नागरिक थे, और हैं।
हम इस बहस के सार्वजनिक होने के पहलू को लेकर खुश हैं। हम बार-बार इसी जगह जजों की नियुक्ति के लिए अमरीकी व्यवस्था का हवाला देते आए हैं जिसमें वहां के सुप्रीम कोर्ट के लिए अमरीकी राष्ट्रपति अपनी पसंद से जज छांटते हैं, लेकिन फिर ऐसे उम्मीदवारों को संसद की एक समिति के सामने लंबी खुली सुनवाई का सामना करना पड़ता है जिसमें उनकी पिछली जिंदगी, पिछले काम, पिछली और मौजूदा सोच, ऐसे हर पहलू पर सवालों का सामना करना पड़ता है, और जवाब देना पड़ता है। इसके बाद संसदीय कमेटी ही ऐसे उम्मीदवार को जज बनाना पसंद या नापसंद करती है। यह खुली सुनवाई अमरीकी टीवी पर भी आती है, और वहां की जनता को यह अच्छी तरह मालूम रहता है कि अगर इस व्यक्ति को जज बनाया गया तो उनकी सोच क्या रहेगी, उनके पहले के फैसले कैसे रहे हैं, वे गर्भपात से लेकर महिला अधिकारों और रंगभेद के मुद्दों पर क्या सोचते रहे हैं। जनता को जजों के इतिहास और उनकी सोच के बारे में सब पता रहे, यह एक अधिक पारदर्शी व्यवस्था है। इस हिसाब से हम सुप्रीम कोर्ट के इस अभूतपूर्व फैसले से सहमत हैं कि जजों के बारे में कॉलेजियम और केन्द्र के बीच जो कुछ चर्चा होती है, वह देश की जनता के सामने रखी जानी चाहिए। हमारे पाठकों को याद होगा कि हमने कुछ हफ्ते पहले ही ठीक यही सिफारिश की थी कि इन बातों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
देश में सूचना का अधिकार लागू है। इसके तहत जनता सरकार और सार्वजनिक संस्थाओं से कई किस्म की जानकारी मांग सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आपको इसकी पहुंच से भी बहुत हद तक बाहर रखा था, इसलिए जनता अदालतों के रहस्य से दूर ही रह जाती है। अब यह वक्त आ गया है कि देश में सूचना पाने के अधिकार को बदलकर सूचना देने की जिम्मेदारी बनाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को भी जनता को यह बताना चाहिए कि किन लोगों के नाम जज बनाने के लिए किस वजह से छांटे गए हैं, और सरकार को भी यह बताना चाहिए कि उसे इनमें से कौन से नाम किस वजह से नामंजूर हैं। इसे कॉलेजियम के एकाधिकार और केन्द्र सरकार के एकाधिकार के खोल से ढांककर नहीं रखना चाहिए। केन्द्र सरकार आज यह मांग कर रही है कि कॉलेजियम में उसका प्रतिनिधि भी होना चाहिए। हमारा मानना है कि जजों के नाम तय करने में सरकार के बजाय संसद का प्रतिनिधि होना बेहतर होगा, और जिस तरह सीबीआई के डायरेक्टर, और कुछ दूसरे लोगों को चुनने के लिए प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता एक कमेटी में होते हैं, उसी तरह संसद की एक कमेटी होनी चाहिए जिसकी कि जजों के चयन में हिस्सेदारी हो। अब हमारी यह भावना किस तरह अमल में आ सकती है, इसके लिए एक संवैधानिक व्यवस्था जरूरी होगी, और देखना होगा कि यह नौबत कैसे लाई जा सकती है। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)
-सुचित्रा मोहंती
नई दिल्ली, 20 जनवरी । दिल्ली हाई कोर्ट जज नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक बार फिर वकील सौरभ कृपाल का नाम आगे कर दिया है जिसके बाद अब ये उम्मीद जताई जा रही है कि भारत को उसका पहला समलैंगिक जज मिल सकता है. वकीलों ने कॉलेजियम के इस फ़ैसले का स्वागत किया है.
बीबीसी को मिले दस्तावेज़ों से पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपने अनुशंसा पत्र में वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफ़ारिश की है.
कॉलेजियम ने लिखा है कि LGBTQI (लेस्बियन, गे, बाईसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर एंड इंटरसेक्स) लोगों के हक़ों की बात करने के मामले में एक वकील के तौर पर उन्होंने जो कुछ किया है वो "मील का पत्थर" है. एक समलैंगिक के रूप में सौरभ कृपाल अपनी पहचान नहीं छिपाई है.
क़ानून के जानकारों ने फिर से सौरभ कृपाल के नाम की सिफ़ारिश करने के फ़ैसले का स्वागत किया है.
दिल्ली हाई कोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 11 नवंबर, 2021 को सौरभ कृपाल के नाम की सिफ़ारिश की थी.
सौरभ कृपाल के नाम पर सरकार ने आपत्ति जताई.
इसके बाद कॉलेजियम ने एक बार फिर सौरभ कृपाल के नाम की सिफ़ारिश की है.
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष एलजीबीटीक्यू मामले में वकीलों की टीम का हिस्सा रहे.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी की देखरेख में सीखा काम.
कॉलेजियम देश के चीफ़ जस्टिस जस्टिस डॉक्टर धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक समिति है. दिल्ली हाई कोर्ट के जज के पद के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने सौरभ कृपाल के नाम के प्रस्ताव पर एक बार फिर हामी भरी है.
बीबीसी ने इस पर वकील सौरभ कृपाल की प्रतिक्रिया जाननी चाही लेकिन उन्होंने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
सरकार की तरफ़ से क्या कहा गया?
भारत में जजों की नियुक्ति के लिए नामों की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम करता है. कॉलेजियम सारे नाम सरकार के पास भेजता है और वो इस पर आख़िरी मुहर लगाती है.
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सौरभ कृपाल के नाम को आगे बढ़ाकर उनके हक़ में सबसे बड़ा कदम उठाया है.
अपने पत्र में कॉलेजियम ने लिखा है कि सरकार ने इससे पहले सौरभ कृपाल के नाम पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि उनके पार्टनर स्विट्ज़रलैंड के नागरिक हैं.
कॉलेजियम का कहना था कि सरकार को ये चिंता है कि देश में समलैंगिक शादियों को अभी मान्यता नहीं मिली है और सौरभ कृपाल "समलैंगिकों के अधिकारों के मुद्दे से जुड़े रहे हैं."
सौरभ कृपाल के मामले में कॉलेजियम का कहना है कि सरकार ये मान कर नहीं चल सकती कि उनके पार्टनर भारत विरोधी हैं. साथ ही स्विट्ज़रलैंड भी दोस्ताना मुल्क है और इससे पहले भी संवैधानिक पदों पर बैठे कई लोगों के पार्टनर दूसरे देशों के नागरिक रहे हैं.
कॉलेजियम ने सरकार को एक बार फिर याद दिलाया है कि हर भारतीय को सेक्स को लेकर अपने रुझान और सम्मान के साथ जीने का हक़ है.
कॉलेजियम ने कहा, "सौरभ कृपाल सेक्स के बारे में अपने रुझान पर खुलकर बात करते हैं, ये उनकी नेक नीयत है और बेंच के लिए वो महत्वपूर्ण साबित होंगे."
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फ़ैसले में समलैंगिक संबंधों को ग़ैरअपराधिक करार दिया था. इस फ़ैसले को LGBTQI समुदाय ने भारी जीत माना था. इस मामले कृपाल सिंह दो याचिकाकर्ताओं के वकील थे.
क्या कहते हैं क़ानून के जानकार?
क़ानून के जानकारों ने सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश के कॉलेजियम के फ़ैसले का स्वागत किया है.
पूर्व एडिशनल सोलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केसी कौशिक कई सालों से सौरभ कृपाल को जानते हैं. बीबीसी से उन्होंने कहा कि सौरभ एक अच्छे वकील हैं और "उन्हें उम्मीद है कि वो एक बेहतरीन जज साबित होंगे."
वो कहते हैं, "ये देश वक्त के साथ विकसित होता गया है. वो एक शानदार वकील है जिन्हें क़ानून की अच्छी समझ है."
वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने कहा "सौरभ अच्छे, समझदार, असाधारण और मेहनती वकील हैं जो पूरी तरह इस पद के हक़दार हैं."
बीबीसी से उन्होंने कहा "अपने पार्टनर का चुनाव करना सौरभ का निजी फ़ैसला है और हाई कोर्ट जज के पद के लिए उनके नाम की सिफ़ारिश में इसकी कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. हमें उनकी योग्यता और काबिलियत के आधार पर ही उन्हें देखना चाहिए."
"सेक्स को लेकर उनके रुझान के आधार पर उनके साथ जज की नियुक्ति में भेदभाव नहीं होना चाहिए. वो लोग जो इस तरह के पदों के लिए योग्य हैं, वो कॉलेजियम की इस सिफ़ारिश को उम्मीद की किरण के तौर पर देखेंगे."
जानीमानी और देश की आला क्रिमिनल वकील कामिनी जायसवाल कहती हैं कि जज के पद के लिए सौरभ उपयुक्त उम्मीदवार हैं.
बीबीसी से उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है, सरकार को उन्हें हाई कोर्ट जज के तौर पर नियुक्त करना होगा. देश का यही क़ानून है. वो इस पद के क़ाबिल हैं, अच्छे और ईमानदार व्यक्ति हैं. मैं उन्हें क़रीब से जानती हूं."
वो कहती हैं, "ये फ़ैसला इस तरह के कई और योग्य लोगों के लिए भी दरवाज़ा खोलने की तरह है. लेकिन सिफ़ारिश का आधार हमेशा इसी तरह होना चाहिए, जज बनने वाले व्यक्ति अच्छा और समझदार वकील हो और ईमानदार व्यक्ति हो."
कौन हैं सौरभ कृपाल
सौरभ कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफ़न कॉलेज से पढ़े हैं. इसके बाद क़ानून की डिग्री के लिए वो छात्रवृत्ति पर ऑक्सफर्ड गए. उन्होंने कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है.
1990 के दशक में भारत लौटने से पहले उन्होंने कुछ वक्त के लिए जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में काम किया. भारत आने के बाद से वो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं.
बीते सालों में संवैधानिक, व्यापारिक, सिविल और क्रिमिनल क़ानून से जुड़े कई मामलों में वो पैरवी कर चुके हैं.
पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ भी सौरभ कृपाल ने बतौर सहायक काम किया है. केसी कौशिक कहते हैं कि इस अनुभव ने उनकी क़ाबिलियत को और निखारा है और क़ानून की उनकी समझ और और बेहतर किया है.
सौरभ कृपाल के पिता भूपिन्दर नाथ कृपाल देश के 31वें चीफ़ जस्टिस थे. वो छह मई 2002 से लेकर सात नवंबर 2002 तक इस पद पर थे.
कॉलेजियम ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपनी सिफ़ारिश में लिखा है, "कृपाल योग्य, ईमानदार और समझदार हैं. उनकी नियुक्ति से दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच की वैल्यू बढ़ेगी और कोर्ट अधिक समावेशी और विविधता को जगह देने वाली जगह बनेगी. उनका व्यवहार हमेशा से संतोषजनक रहा है."
अपने तीन पन्ने के सिफ़ारिश पत्र में कॉलेजियम ने लिखा कि सौरभ कृपाल के पार्टनर दूसरे देश के नागरिक हैं लेकिन पहले ये धारणा बनाने का कोई कारण नहीं है कि वो इस देश के ख़िलाफ़ वैमनस्य का भाव रखेंगे, क्योंकि वो जिस देश से हैं उसके साथ हमारे दोस्ताना संबंध हैं."
कॉलेजियम ने लिखा, "मौजूदा वक्त में और आज से पहले भी संवैधानिक दफ्तरों में अलग-अलग पदों पर ऐसे लोग रहे हैं जिनके पार्टनर दूसरे देशों से हैं. इसलिए ये सिद्धांतों का मामला है, और इस आधार पर सौरभ कृपाल की उम्मीदवारी पर सवाल नहीं खड़े किए जाने चाहिए." (bbc.com/hindi)