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रायपुर, 16 जनवरी। चुनावी वर्ष शुरू होते ही शराबबंदी के अपने वादे पर सरकार ने हलचल बढ़ा दी है। सरकार ने अब शराबबंदी के असर के अध्ययन के लिए गठित समिति ने राज्यों का दौरा करने का फैसला किया है। पहले उन राज्यों में जाएगी जहां अभी शराबबंदी लागू है। कमेटी के अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि, 21 जनवरी को 7 सदस्य टीम गुजरात जाएंगे।समिति में कुंवर सिंह निषाद, एसपी सिंह और जागेश्वर यादव सहित दस सदस्य हैं।
इस पर चर्चा में श्री शर्मा ने कहा, मोदी सरकार ने वन नेशन, वन राशन कार्ड बनाया है।उसी तरह से पूरे देश में शराबबंदी कर दें। जिससे किसी भी राज्य में इल्लीगल तरीके से जहरीली शराब का उपयोग ना हो।
वहीं विधायक सत्यनारायण शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि, शराबबंदी सामाजिक बुराई है, इसको सारे लोग स्वीकार भी करते हैं. जिस घर में शराब हो वह घर कंगाल है, इसके बाद भी लोग शराब पीते हैं. दुर्भाग्य की बात है. इसके लिए जन जागरण के माध्यम से समस्या का समाधान किया जा सकता है. इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है, जिसमें 10 सदस्य हैं. भारतीय जनता पार्टी को हमने कहा कि 2 नाम विधायक का दे दें, उन्होंने 2 नाम नहीं दिए. ताकि एक साथ विचार विमर्श कर सामूहिक रूप से निर्णय लिया जा सके।
कमेटी पहले गुजरात फिर बिहार दौरे पर जाएगी।वहां क्या परिस्थिति है उसका अध्ययन करेंगे। इसका मूल जो निराकरण निकलेगा, जन जागरण के माध्यम से होगा। यह एक ट्राइबल एरिया है, वहां कैसे करेंगे दिक्कत वाली बात यह भी आ रही है।इसमें कई जटिलताएं हैं।वही वरिष्ठ विधायक शर्मा ने सवाल उठाते हुए कहा कि, रमन सिंह 15 साल मुख्यमंत्री रहे अपने कार्यकाल में शराबबंदी क्यों नहीं की? मध्यप्रदेश में उनकी सरकार है, वहां क्यों शराबबंदी नहीं कर लेते? पूरे देश में एक साथ शराबबंदी हो तब इसका बेनिफिट आम जनता को मिलेगा. शराब की इल्लीगल तस्करी नहीं होगी. गुजरात में मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से शराब की तस्करी हो रही है. क्या कोई दावे से कह सकता है कि, गुजरात में शराब उपलब्ध नहीं है. हर जगह शराब उपलब्ध है. यह एक सामाजिक बुराई है इसको एक साथ समाप्त किया जा सकता है.
-मुकर्रम जाह
हैदराबाद रियासत के आख़िरी निज़ाम रहे मीर उस्मान अली ख़ान के पोते मुकर्रम जाह का शनिवार को तुर्की के इस्तांबुल शहर में निधन हो गया. वो 89 साल के थे.
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, मुकर्रम जाह के निधन के साथ भले ही अनौपचारिक ही सही, लेकिन हैदराबाद रियासत का अंत हो गया.
मुकर्रम जाह का पार्थिव शरीर 17 जनवरी को तुर्की से हैदराबाद लाया जाएगा. मुकर्रम जाह के शव को चारमिनार के पास ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में उनके पूर्वजों की क़ब्र के साथ दफ़नाया जाएगा.
साल 1933 में पैदा हुए मुकर्रम जाह तुर्की चले गए थे और वहीं रह रहे थे.
मुकर्रम जाह के परिवार ने कहा है कि उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी जानकारी जल्द ही बताई जाएंगी.
शिक्षा और गरीबों को दवाइयां उपलब्ध कराने के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के मद्देनजर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चेंद्रशेखर राव ने जाह को राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-ख़ाक करने का निर्देश दिया.
मुकर्रम जाह का जन्म मीर हिमायत अली ख़ान उर्फ आज़म जाह बहादुर के घर हुआ था, जो हैदराबाद रियासत के सातवें निज़ाम मीर उस्मान अली खान के पुत्र थे. हैदराबाद रियासत का वर्ष 1948 में भारतीय संघ में विलय हो गया था. (bbc.com/hindi)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को श्रीलंका का दौरा करने वाले हैं. इस दौरे पर भारत का एजेंडा पड़ोसी मुल्क को क़र्ज़ के मुद्दे पर "सकारात्मक" संदेश देने का होगा. अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने श्रीलंका दौरे पर विदेश मंत्री के एजेंडे के बारे में ख़ास ख़बर प्रकाशित की है.
सरकार के सूत्रों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि आर्थिक संकट से निपटने में "श्रीलंका को मदद" देने के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, मुद्रा विनिमय व्यवस्था के साथ ही कर्ज़ के नियम-शर्तों को नया रूप देने पर चर्चा होगी. एस. जयशंकर के दो दिवसीय दौरे पर कुछ घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है.
दरअसल, श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से आर्थिक मदद सुरक्षित करने के साथ ही चीन, जापान और भारत से वित्तीय आश्वासन पाने की कोशिश कर रहा है.
अख़बार ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है, "श्रीलंका की ज़रूरतों पर भारत की तरफ़ से सकारात्मक रुख की उम्मीद है, जैसा उसने पिछले साल किया था." भारत ने बीते साल गंभीर आर्थिक संकट में डूबे श्रीलंका को क़र्ज़, क्रेडिट लाइन सहित कुल 4 अरब डॉलर की सहायता दी थी.
इसके अलावा दो अन्य एमओयू पर चर्चा संभव है. पहला त्रिंकोमाली विकास परियोजना और लंबे समय से लटकी एक क्रॉस-स्ट्रेट ट्रांसमिशन लाइन की योजना, जिसकी मदद से श्रीलंका नेपाल, भूटान और बांग्लादेश देशों के साथ भारत के ऊर्जा ग्रिड तक पहुंच सकेगा.
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हालांकि, कई सूत्रों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि श्रीलंका को मौजूदा वित्तीय संकट में मदद देना एस जयशंकर के दौरे की प्राथमिकता होगी, लेकिन इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की भी उम्मीद है. श्रीलंका में छह महीने पहले सरकार बनी थी. उसके बाद ये एस. जयशंकर का पहला श्रीलंका दौरा है.
इस बीच, राजनयिक सूत्रों ने द हिंदू को बताया कि भारत से "लिखित वित्तीय आश्वासन" के रूप में समर्थन श्रीलंका के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि ये आर्थिक संकट से निपटने के लिए दूसरे लेनदारों से मदद लेने में कारगर होता है.
विदेश मंत्री जयशंकर के दौरा की घोषणा करते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने बीते सप्ताह कहा था कि उनकी सरकार ने 22 विकसित देशों वाले 'पेरिस क्लब' सहित सभी क़र्ज़दाताओं से ऋण के नियम-शर्तों में बदलाव की ज़रूरत पर चर्चा की है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बीते सप्ताह कारोबारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा, "हमारे दो बड़े क़र्ज़दाता जापान और पेरिस क्लब ने मदद के लिए रुचि दिखाई है. हमने भारत और चीन के साथ भी वार्ता शुरू कर दी है. चीन के एक्ज़िम बैंक के साथ हाल ही में चर्चा हुई कि क़र्ज़ के नियमों को किस तरह से बदला जाए. चीन इस पर त्वरित कार्रवाई के लिए तैयार है."
उन्होंने कहा कि श्रीलंका के पास अब 'एकमात्र' विकल्प अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से तीन अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के तौर पर मदद पाना है. इसके अलावा एशिया डिवेलपमेंट बैंक (एडीबी) से भी पैकेज मिलने की उम्मीद है.
ट्रेड यूनियन के साथ एक अन्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति विक्रमसंघे ने कहा, "19 जनवरी को भारत के विदेश मंत्री के श्रीलंका आने की उम्मीद है और इस दौरान हम भारत के साथ ऋण के नियम-शर्तों में बदलाव पर वार्ता जारी रखेंगे."
इससे पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी के अंतरराष्ट्रीय विभाग में उपमंत्री चेन झोऊ ने भी राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से मुलाकात की थी. इस वार्ता के बाद श्रीलंका में चीनी दूतावास ने कहा था कि बातचीत "मैत्रीपूर्ण और लाभदायक" रही. चीन ने विक्रमसिंघे के हवाले से ये लिखा कि क़र्ज़ की शर्तों में बदलाव पर वो चीन से सहयोग को लेकर आशान्वित हैं.
श्रीलंका को आईएमएफ़ से बेलआउट पैकेज मिलने की उम्मीद थी, लेकिन क़र्ज़ की शर्तों पर वार्ता में देरी की वजह से दिसंबर की डेडलाइन भी बीत गई. हालांकि, अब श्रीलंका 2023 के पहली तिमाही में सभी क़र्ज़ देने वाले देशों से वार्ता पूरी करने की कोशिश कर रहा है. (bbc.com/hindi)
नेपाल के पोखरा में रविवार को हुए विमान हादसे में मारे जाने वालों में पांच भारतीय भी थे. इनमें से चार उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर के रहने वाले थे और काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए थे.
रविवार को पोखरा हवाई अड्डे के पास विमान क्रैश होने से 68 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. विमान में 68 यात्री और चालक दल के चार सदस्य सवार थे.
अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने इन पांच में से चार के बारे में जानकारी दी है. रिपोर्ट के अनुसार, येती एयरलाइंस के विमान हादसे में मारे गए पांच भारतीयों में अभिषेक कुशवाहा, विशाल शर्मा, अनिल कुमार राजभर और सोनू जायसवाल शामिल थे. इन सबकी उम्र 25 से 30 साल के बीच बताई जा रही है. ये सभी उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले के निवासी थे. हालांकि, पांचवें मृतक संजय जायसवाल के बारे में कोई ख़ास जानकारी उपलब्ध नहीं है.
गाज़ीपुर ज़िला मैजिस्ट्रेट आर्यका अखौरी ने कहा कि प्रशासन मृतकों के परिवार से संपर्क में है.
अख़बार के अनुसार, इनमें से सोनू जायसवाल का चक जैनब और अलावलपुर में घर था, लेकिन फ़िलहाल वो वाराणसी में रह रहे थे. विशाल शर्मा भी अलावलपुर के रहने वाले थे. वहीं, राजभर चक जैनब गांव के निवासी थे और कुशवाहा गाज़ीपुर के नोनहारा इलाके के धरवा में रहते थे.
सोनू जायसवाल पेशे से व्यवसायी थे. विशाल शर्मा एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे. वहीं राजभर और कुशवाहा मिलकर गाज़ीपुर में एक जन सेवा केंद्र चला रहे थे.
सोनू जायसवाल के पिता राजेंद्र जायसवाल ने अख़बार को बताया कि सोनू और उनकी पत्नी रागिनी तीन बच्चों के साथ हाल ही में वाराणसी शिफ़्ट हुए थे. दोनों का सबसे छोटे बच्चा 18 महीने का है.
राजेंद्र जायसवाल ने कहा, "मुझे पता लगा कि जब हादसा हुआ उस समय सोनू फ़ेसबुक लाइव कर रह थे. सोशल मीडिया पर उसका प्लेन के अंदर का एक वीडियो शेयर हो रहा है. मुझे इसकी जांच करनी होगी."
"शनिवार को मैंने सोनू की पत्नी को फ़ोन कर के बेटे के बारे में पूछा था. उसने बताया कि सोनू सुरक्षित नेपाल पहुंच गए हैं और जल्द ही वापस लौटेंगे."
ऐसा कहा जा रहा है कि ये सभी गाज़ीपुर निवासी काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए थे. राजेंद्र जायसवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "सोनू काफ़ी समय से पशुपतिनाथ जाने की सोच रहे थे. इसलिए अब उसने अपने दोस्तों के साथ प्लान बनाया."
चक जैनब गांव के प्रधान विजय जायसवाल ने अख़बार को बताया कि पीड़ित परिवारों को विमान हादसे की जानकारी मीडिया में आई ख़बरों से मिली. उन्होंने कहा कि जब परिवार ने अपने परिजनों को फ़ोन किया तो सभी चारों के मोबाइल बंद थे. उन्होंने बताया कि ये चारों बस से नेपाल गए थे.
अख़बार ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से लिखा है ये चारों शुक्रवार को काठमांडू पहुंचे थे और पोखरा में पैराग्लाइडिंग करने की योजना बनाई थी. दक्षिणी नेपाल के सरलही ज़िले के निवासी अजय कुमार शाह ने पीटीआई को बताया, "हम सब एक ही वाहन से आए थे. वो लोग पोखरा से गोरखपुर के रास्ते भारत वापस जाने की योजना बना रहे थे." (bbc.com/hindi)
-शारदा उगरा
शुक्रवार की शाम सानिया मिर्ज़ा ने एक भावुक सोशल मीडिया पोस्ट किया. सानिया ने लिखा, 'आंखों में आंसू और दिल में भरे गुबार के बीच वह अपने प्रोफेशनल करियर का फेयरवेल नोट लिख रही हैं.'
अगले कुछ दिनों में ऑस्ट्रेलियन ओपन डबल्स के ड्रॉ जारी होंगे. ये वीमेंस डबल्स में कज़ाख़स्तान की अनाना डानिलिना और मिक्स्ड डबल्स में रोहन बोपन्ना के साथ सानिया मिर्ज़ा के प्रोफ़ेशनल करियर के अंतिम चरण की शुरुआत होगी.
बीते साल जनवरी में, सानिया ने घोषणा की थी कि 2022 उनका अंतिम सत्र होगा लेकिन वह मांसपेशियों की चोट के चलते अंतिम ग्रैंड स्लैम में हिस्सा नहीं ले सकीं.
ऐसे में संन्यास की उनकी योजना कुछ महीनों के लिए टल गई और अब उन्होंने घोषणा की है कि दो टूर्नामेंट में भागीदारी के बाद वह खेल को अलविदा कह देंगी.
सानिया मिर्ज़ा ने लिखा, "पहला ग्रैंड स्लैम खेलने के 18 साल बाद ऑस्ट्रेलियन ओपन उनका आख़िरी ग्रैंड स्लैम होगा."
ऑस्ट्रेलियन ओपन के बाद सानिया मिर्ज़ा 19 से 25 फ़रवरी के बीच 'दुबई ड्यूटी फ्री टेनिस चैंपियनशिप' में भी हिस्सा लेंगी.
मेलबर्न और दुबई, ये टेनिस टुअर के दो केंद्र तो हैं ही साथ ही बीत तीन दशक के दौरान सानिया के खेल करियर को भी दर्शाते हैं.
सानिया मिर्जा को हमलोगों ने 18 साल पहले मेलबर्न में तब देखा था जब 18 साल की उम्र में वो अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही थीं. तीसरे राउंड में सानिया सेरीना विलियम्स को शॉट दर शॉट जवाब दे रही थीं.
उस वक्त ये भी दिखा था कि किसी भी भारतीय महिला की तुलना में उनका फोरहैंड शाट्स ज़्यादा आक्रामक है.
इस्लामोफोबिया के उस दौर में उस युवा मुस्लिम खिलाड़ी को यह मालूम था कि वह क्या हैं और उन्हें क्या पहनना है.
उनकी शार्ट स्कर्ट और बोल्ड संदेशों वाली टी-शर्ट ने कट्टरपंथियों को बेचैन कर दिया था. सानिया शीर्ष स्तर पर टेनिस खेल रही थीं. विजय अमृतराज (सबसे ऊंची 18वीं रैंकिंग) और रमेश कृष्णन (सबसे ऊंची 23वीं रैंकिंग) के बाद भारत की शीर्ष खिलाड़ी बनने का कारनामा भी सानिया ने ही दिखाया था.
रमेश कृष्णन के 22 साल बाद सानिया शीर्ष 30 खिलाड़ियों में जगह बनाने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं. इसके बाद 16 साल बीत चुके हैं और सानिया टेनिस कोर्ट में बनी हुई हैं.
27 अगस्त, 2007 को सानिया दुनिया की 27वीं रैंकिंग की खिलाड़ी बनीं थीं. उन्होंने हैदराबाद में आयोजित डब्ल्यूटीए का ख़िताब जीता था और तीन बार डब्ल्यूटीए के फ़ाइनल तक पहुंचीं.
अगले चार साल तक वो दुनिया की शीर्ष 35 खिलाड़ियों में बनी रहीं और इसके बाद अगले चार साल तक उनकी गिनती दुनिया के शीर्ष 100 खिलाड़ियों में होती रही. लेकिन घुटने और कलाई की चोटों ने उनके सिंगल्स करियर पर विराम लगा दिया. लेकिन इसके बाद डबल्स टेनिस में सानिया ने कहीं ज़्यादा सुर्ख़ियां हासिल कीं.
जीते कई ख़िताब
डबल्स टेनिस में उन्होंने 43 डब्ल्यूटीए ख़िताब हासिल किए और 2015 में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनने की उपलब्धि भी हासिल की. इसमें छह ग्रैंड स्लैम खिताब भी हासिल किए.
सानिया ने तीन ग्रैंड स्लैम मिक्स्ड डबल्स में हासिल किए, जबकि मार्टिना हिंगिस के साथ उन्होंने एक ही साल विंबलडन, यूएस ओपन और ऑस्ट्रेलियन ओपन का ख़िताब जीता.
43 डब्ल्यूटीए ख़िताब जीतने के अलावा सानिया 23 बार डब्ल्यूटीए डबल्स के फ़ाइनल में पहुंचीं. यहां तक कि 2022 में भी चेक गणराज्य की लुसी हर्डेका के साथ क्ले कोर्ट पर दो डब्ल्यूटीए फ़ाइनल में भी उन्होंने हिस्सा लिया.
सानिया अपने करियर का आख़िरी मैच अगले महीने उस दुबई में खेलेंगी और जहां वह अपने बेटे और पति (पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक) के साथ अपना ज़्यादातर समय व्यतीत करती हैं.
मेलबर्न से दुबई तक का सफ़र भले व्यवस्थित दिख रहा हो लेकिन ये सानिया के व्यक्तित्व से पूरी तरह उलट रहा है. क्योंकि करियर में उन्हें समय-समय पर विवादों का सामना भी ख़ूब करना पड़ा.
भारतीय टेनिस की पहली सुपरस्टार
उन्हें भारतीय टेनिस की पहली महिला सुपरस्टार तो कहा गया था लेकिन वास्तविकता यह है कि बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल के साथ सानिया मिर्ज़ा भारतीय खेल जगत की पहली महिला सुपरस्टार थीं.
चूंकि टेनिस कहीं ज़्यादा व्यापक और ग्लैमर वाला अंतरराष्ट्रीय खेल है, इसलिए सायना की तुलना में सानिया की लोकप्रियता ज्यादा बढ़ी.
दो दशक पहले सानिया अपने दौर की भारतीय महिला एथलीटों से काफी अलग थी. वह ना तो संकोची थीं और ना ही डरी सहमी. वह नई सहस्त्राब्दी वाली पीढ़ी की एथलीट थीं, आत्मविश्वास से भरी, स्पष्टता से अपनी बात रखने वाली, निडर और बिंदास.
2005 में इंडिया टुडे पत्रिका के लिए मैंने पहली बार उनका इंटरव्यू किया था.
तब उन्होंने कहा था, "कुछ लोग कहते हैं कि मुस्लिम लड़कियों को मिनी स्कर्ट नहीं पहनना चाहिए, वहीं कुछ लोग कहते हैं कि आप पर समुदाय को गर्व है. मैं उम्मीद करती हूं कि जीवन के दूसरे हिस्से में अल्लाह मुझे माफ़ कर देंगे. लेकिन आपको जो करना है, वह तो करना ही होगा."
सानिया को जो करना था, उसे वो दो दशक के लंबे समय से करती आ रही हैं. खासतौर पर सानिया के तेज़ तर्रार फोरहैंड शॉट्स, जिनकी याद लंबे समय तक बनी रहेगी.
विवादों का साया
भारतीय टेनिस इतिहास में उनके इन शाट्स की छाप अमिट रहेगी. हम लोगों ने सानिया मिर्ज़ा को 'सोसायटी' जैसी मैगज़ीन के पन्नों पर भी देखा है, क्योंकि वह टेनिस खिलाड़ी होने के साथ साथ एक सुपर सेलिब्रेटी भी रही हैं.
लेकिन सानिया मिर्ज़ा अपनी जिस सबसे बड़ी ख़ासियत के चलते याद की जाती रहेंगी, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. शुक्रवार को अपने संन्यास की घोषणा वाले भावुक पोस्ट में भी उन्होंने इसका ज़िक्र किया है.
सानिया जब छह साल की थीं, तब वह हैदराबाद के निज़ाम क्लब कोर्ट के कोच से लड़ गईं थीं. क्योंकि कोच उन्होंने टेनिस के गुर सीखने के लिहाज से कम उम्र का मान रहे थे.
टेनिस कोर्ट में मुक़ाबला करते वक्त सानिया का अंदाज़ एकदम अलग होता था. जब मुक़ाबला बेहद मुश्किल हो जाता, स्कोरलाइन बहुत नज़दीकी होने लगती, यानी जब दबाव बढ़ता तब सानिया अपने बालों को बांधती, अपने हाथों को पैरों के बगल में मारती और कोर्ट में लड़ने के लिए तैयार हो जाती थीं.
वहीं टेनिस कोर्ट के बाहर, वह वैसी महिला रहीं जिन्हें बताया जा रहा था कि कैसे जीना है. जिन्हें बेमतलब कई विवादों का सामना करना पड़ा. जो अविश्वसनीय ढंग से रूढ़िवाद से ऐसे लड़ रही थीं कि उन्हें अंगरक्षकों के साथ चलना पड़ रहा था. लेकिन दो दशक तक सानिया ने तो पीछे हटीं और ना ही रूकीं.
इसलिए जब वह अपना अंतिम मैच खेलेंगी तो उन्हें सबसे ज़्यादा अभिवादन और समर्थन मिलना चाहिए. उन्होंने अपने खेल करियर और जीवन के दौरान, महिला एथलीटों, उनके पुरुष साथियों और करोड़ों लोगों, जिन्होंने उन्हें खेलते और संघर्ष करते देखा, उन सबके लिए सानिया ने भारतीय खेल का नया इतिहास बनाया है. (bbc.com/hindi)
रायपुर, 16 जनवरी। स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर रविवार को प्रमा फाउंडेशन, रायपुर द्वारा आयोजित रक्तदान के कार्यक्रम में संस्था युवा के सदस्यों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। शिविर में सुश्री नंदिनी ठाकुर, चेतना साहू, मनीष साहू ने अपने जीवन का प्रथम बार का रक्तदान किया। अतिथि मलय बनर्जी, सुश्री साक्षी बनर्जी, सुश्री अंजलि सिंह, सी शरद कुमार, अविरल सोनवानी ने भी रक्तदान किया। राजीव कुमार ने 88 वीं बार रक्तदान किया।
रक्तदान शिविर में प्रमा फाउंडेशन के अध्यक्ष गुंजन सिंह, सचिव राजकुमार शर्मा, कार्यक्रम प्रभारी प्रवेश पांडे, वरिष्ठ सदस्य सुश्री उषा साहू, मनीष धुरंधर, गुलशन, सुश्री दीपा, चेतन, नयन ने युवा सदस्यों का शिविर में युवा के सभी सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत किया और संस्था युवा के योगदान की सराहना की।युवा के सुश्री एस जयलक्ष्मी, सुश्री माधुरी चंद्रकार, एवन साहू, जगन्नाथ साहू, विशाल सोना, लोकेश साहू आदि ने रक्तदान शिविर में सक्रिय रूप से भाग लिया।
रायपुर, 16 जनवरी। शहरी स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत हमर क्लिनिक योजना शुरू की गई है। शाहिद वीर नारायण सिंह वार्ड के मौलीमाता मंदिर समीप हमर क्लिनिक भवन का निर्माण किया जाएगा। विधायक एवं गृनिमं अध्यक्ष कुलदीप सिंह जुनेजा ने क्लिनिक भवन निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया। इसके निर्माण में 25 लाख रुपए खर्च होंगे। यह भवन में सैंपल कलेक्शन स्टोर, ओपीडी, रजिस्ट्रेशन चेंबर ,मुफ्त दवाई की सुविधा होगी श्री जुनेजा ने कहा की जनता को बेहतर स्वास्थ्य लाभ देने के लिए हम बाध्य है और आगे भी सुविधा मुहैया कराते रहेंगे उन्होंने कहा की हमने उत्तर विधानसभा में और शासन को प्रस्ताव भेजी है स्वीकृत होते ही जगह चयन प्रक्रिया कर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। मोबाइल मेडिकल यूनिट एवं हमर क्लीनिकों में अब तक घर के पास अपने ही वार्ड में 1 लाख से अधिक लोगों ने मुफ्त जांच एवं दवा की सुविधा प्राप्त की है। इस अवसर पर पूर्व पार्षद ठाकुर राम साहू, पार्षद अमितेश भारद्वाज, वार्ड अध्यक्ष संदीप बारले, वार्ड उपाध्यक मोसिम खान, शिव वर्मा, अल्ताफ अंसारी, केशव पांडे, अमरजीत कौर, नजमा दीदी, गोपाल कुर्रे, संजय सोनी, सेवक महानद, सेवक यादव, राजेंद्र धीवर, देवेंद्र साहु, अनिल कुमार निषाद, धीवेंद्र साकरे प्रमुख रुप से उपस्थित थे।
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
भिलाई नगर, 16 जनवरी। जलेबी चौक के समीप पीपल पेड़ के नीचे सूर्या नगर कैम्प-2 के लड़के गुपचुप खाने पहुंचे। उन्होंने कभी खट्टा पानी तो कभी मीठा पानी, फिर दोनों मिक्स करवा चटखारे लेते हुए 60 रूपये का गुपचुप खाया और जाने लगे। गुपचुप वाले जब पैसे मांगे तो युवकों ने दबंगई दिखाते हुए उसे जमकर पीटा। युवक अपने पास धारदार हथियार भी रखे हुए थे। छावनी पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है।
पुलिस ने बताया कि 18 नंबर रोड जिया मेडिकल के पीछे, केम्प 1 निवासी कमलेश गुप्ता (31 वर्ष) गुपचुप बेचने का काम करता है। मकर संक्रांति की शाम बसंत टाकिज के पास, जलेबी चौक जाने वाले मोड़ पर पीपल पेड़ के नीचे हमेशा की तरह उसने गुपचुप का ठेला लगाया था।
शाम करीब 6:30 बजे दुकान में सूर्या नगर के रहने वाले अमित और गुलफान ने दुकान में आकर गुपचुप खिलाने कहा। दोनों युवक स्वाद अनुसार लगातार गुपचुप खाते रहे और फिर दुकान से जाता देख कमलेश ने उनसे गुपचुप का जब पैसा देने कहा तो दबंग युवकों ने कहा कि हमें जानता नहीं क्या, जो पैसे मांग रहा है। जान से मारने की धमकी दे युवक हाथ मुक्का से कमलेश को पीटने लगे।
अमित ने पास रखे धारदार हथियार से कमलेश के दाएं हाथ पर वार कर दिया। खून निकलता देख दोनों आरोपी वहां से निकल गए। कमलेश के बुलावे पर उसका भाई बिरेन्दर और उसके दोस्त घायल कमलेश को हास्पिटल ले गए और रात में छावनी थाना पहुंच घटना की रिपोर्ट दर्ज करवायी गयी है।
छावनी पुलिस ने इस मामले में अमित और गुलफान के खिलाफ धारा 294, 323, 34 और 506 बी के तहत अपराध दर्ज किया है।
जंगली सूअर के शिकार के लिए बिछाये करंट में युवक की हुई थी मौत
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायगढ़, 16 जनवरी। कापू पुलिस की टीम द्वारा गैर इरादतन हत्या मामले के सभी पांचों आरोपियों को अलग-अलग गांव में दबिश देकर गिरफ्तार किया गया है। आरोपी गिरफ्तारी से बचने अपने रिश्तेदारों के घर शरण लेने की फिराक में थे, जिन्हें अपराध दर्ज के बाद से तत्काल सक्रिय होकर कापू पुलिस की अलग-अलग टीमों द्वारा धर दबोचा गया है। आरोपियों द्वारा अपने गांव के समीप जंगल में जंगली सूअर के शिकार के लिए जे.आई. तार को लोहे की खूंटी गाड़ कर करीब 1 किलोमीटर दायरे में बिछा कर रखा गया था, जिसमें फंसकर गांव के एक युवक की अकाल मौत हुई थी।
पुलिस के मुताबिक 10 जनवरी को थाना कापू में ग्राम गोहेसलार कदमढोढ़ी में रहने वाला जयलाल कुजूर ने सूचना दी कि इसका छोटा भाई नरेश कुजूर (28 वर्ष) रूंवाफूल कसेरडुगरू करीब एक माह पहले से इसके घर में रहकर गांव में मजदूरी काम करता था। दस जनवरी की सुबह करीब 5 बजे दिशा मैदान के लिए अड़हा घुटरा जंगल तरफ निकला था।
थोड़ी देर बाद गांव का पंच नोना कुजूर बताया कि नरेश अड़हा घुटरा जंगल में बरहा (सूअर) मारने के लिए जी.आई. लोहे का तार के करंट में फंस गया और जलकर मर गया है। सूचना पर कापू पुलिस मौके पर जाकर मर्ग जांच कार्यवाही किया गया।
मर्ग जांच पर पाया गया कि 9 जनवरी की रात को गांव के निर्मल एक्का, बाबूलाल एक्का, सुलेन्द्र एक्का, करमसाय कुजूर और भूलन मिंज मिलकर जंगली सुअर का शिकार करने के लिए जी.आई. लोहे तार को अड़हा घुटरा जंगल में करीब 01 कि.मी. तक खूंटी गाड़कर बिछाये थे जिसे 11,000 बोल्टेज बिजली लाईन में जोड दिये थे। प्रवाहित करंट की चपेट में नरेश कुजूर की मृत्यु हो गई। आरोपियों के कृत्य पर कल मर्ग जांच से धारा सदर 304,201,34 भादवि.135 विद्युत अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
आरोपियों को अपने कृत्य पर थाना कापू में अपराध पंजीबद्ध होने का आभास होने से गिरफ्तारी से बचने अपने गांव से फरार होकर अपने-अपने नजदीकी रिश्तेदार के यहां शरण लेने की फिराक में थे। अपराध दर्ज के बाद थाना प्रभारी कापू उपनिरीक्षक बलदेव साय पैकरा तत्काल सक्रिय होकर वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन पर अलग-अलग टीमें बनाकर आरोपियों के संबंध में मुखबिर लगाकर जानकारी प्राप्त किए जिन्हें आस-पास के गांव में दबिश देकर हिरासत में लेने में सफलता मिली है।
अपराधिक कृत्य में शामिल आरोपी निर्मल एक्का 34 वर्ष, बाबूलाल एक्का 40 वर्ष, सुलेन्द्र उर्फ गुड्डा बड़ा 30 वर्ष,करम साय कुजूर 50 वर्ष ,भूलन मिंज 45 वर्ष सभी निवासी कदमढोढ़ी गोहेसहार थाना कापू को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। आरोपियों के मेमोरेंडम पर जंगली सूअर के शिकार के लिए जंगल में बिछाए जी.आई. लोहे का तार एवं विद्युत लाइन में कनेक्शन जोडऩे में प्रयुक्त हुक को जब्त किया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 जनवरी। संपत्तिकर और यूजर चार्ज की हो रही वसूली से राजधानी के असंख्य परिवार त्रस्त हैं। बताया गया कि 10-15 हजार रुपए मासिक में जीविका चलाने वाले परिवारों को 68 से 98 हजार रूपए तक, कर चुकाना पड़ रहा है। जो कभी 4-5 हजार तक पटाया करते थे। चौबे कॉलोनी के पार्षद अमर बंसल ने इस वसूली को डकैती करार दिया है।
बंसल ने कहा कि नगर-निगम के राजस्व अमले की इस वसूली की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। इस वसूली के लिए निगम की ओर से न तो कोई आदेश जारी किया गया है और न ही सरकार की ओर से अधिसूचना। इतनी भारी रकम का टैक्स वाउचर देखकर घर मालिकों के माथे पर बल पड़ रहे हैं। आपत्ति करने पर एक ही जवाब मिलता है कम्प्यूटर में जो एंट्री है उतना ही लिया जा रहा है। ऐसे सैकड़ों लोग अपने पार्षद के पास दौड़ लगा रहे है तो कुछ पार्षद, महापौर के उपकार तले दबे होने से कुछ नहीं कह-कर पा रहे तो कांग्रेस के पार्षद दलीय अनुशासन की वजह से चुप्पी साथे हुए हैं और वार्डवासी परेशान हाल घूम रहे। अंतत: टैक्स पटाना ही पड़ रहा है। क्योंकि निगम के अधिकारी बिना यूजर्स चार्ज के संपत्ति कर लेने से सीधे मना कर रहे हैं।
बता दें कि कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में संपत्ति कर हाफ यूजर्स चार्ज माफ का वादा किया था। महापौर एजाज ढेबर ने भी वसूली बंद करने की बात कही थी लेकिन यह बोली, आदेश में न बदलने से निगम अमला टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने वसूली कर रहा है।
एक अन्य पार्षद ने बताया कि जो पिछले वर्ष तक 5 हजार रुपए पटाता था उसे 90 हजार, 15 हजार वाल को 68 हजार, 4 हजार पटाने वाले को 98 हजार रुपए के टैक्स वाउचर दिए जा रहे हैं। इतनी बड़ी रकम, आखिर 15 हजार के वेतन का घर कहां से पटाएगा। अपने लोगों की इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए एक पार्षद ने इन दिनों सोशल मीडिया कैपेन शुरू किया है।
उनका कहना है कि संपत्ति कर हाफ, यूजर्स चार्ज माफ का वादा केवल धोखा है। इस नाम से डकैती हो रही। लेकिन यह भी तय है कि रायपुर की जनता इस डकैती को कभी नहीं भूलेगी।
बिना अनुमति के शिविरों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 जनवरी। प्रदेश में बिना अनुमति के चिकित्सा शिविरों, और होटल-लॉज में इलाज देने की शिकायतों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। इस सिलसिले में सभी अस्पताल संचालकों को पत्र लिखा गया है, और नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
प्रदेश में बड़े स्तर पर चिकित्सा शिविर प्रतिबंधित हैं। यह भी साफ है कि प्रदेश में प्रैक्टिस के लिए मेडिकल काउंसिल में पंजीयन कराना अनिवार्य है। बावजूद इसके बाहर से डॉक्टर बिना पंजीयन के यहां इलाज कर रहे हैं।
होटल-लॉज में भी मरीज देखे जा रहे हैं। विशेषकर सीमावर्ती जिलों में बाहर से डॉक्टर आकर इलाज कर रहे हैं। यह सब नियमों के खिलाफ है। इस पर रोक लगाने के लिए सभी सीएमओ को पत्र जारी किया गया, और अस्पताल संचालकों भी लिखा गया है।
पत्र में यह कहा गया है कि संज्ञान में आया है कि अधिकांशत: अस्पतालों एवं संस्थानों में बिना अनुमति चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, और छत्तीसगढ़ से बाहर अन्य राज्यों के चिकित्सकों के द्वारा शिविर में सेवाएं ली जा रही हैं। यह राज्य उपचार्यागृह तथा रोगापचार संबंधित स्थापनायें अनुज्ञापन अधिनियम 2010 और नियम 2013 का उल्लंघन हैं।
अस्पताल संचालकों को निर्देशित किया गया है कि संस्था में आयोजित होने वाले शिविर के लिए अनुमति अधोहस्तक्षर्ता कार्यालय से लिया जाना चाहिए, और राज्य के बाहर से आए चिकित्सकों का छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद, छ.ग. आयुष परिषद, छ.ग. डेन्टल काउंसिल, और फिजियोथेरेपी काउंसिल छ.ग. में होना अनिवार्य है। यह चेताया गया कि नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाये जाने पर संस्था के विरूद्ध विधिवत् कार्यवाही हेतु कलेक्टर से अनुशंसा की जावेगी जिसकी समस्त जवाबदेही खुद की होगी।
आईएएस की दबंगई
छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों एक आयोग से आउट होने वाले एक आईएएस अपनी हरकतों के कारण सुर्खियों में थे। कहा जा रहा था कि आयोग से हटने के लिए उन्होंने उटपटांग हरकत का सहारा लिया था, क्योंकि आयोग की पोस्टिंग लूप लाइन मानी जाती है। ऐसा कहकर उनकी बेहूदगी पर परदा डालने की कोशिश करने वालों को पता होना चाहिए कि साहब आदतन बेहूदगीपसंद हैं और जहां भी रहे अपनी हरकतों के कारण चर्चा में रहे। उनके किस्सों की परत धीरे-धीरे खुल रही है।
बताया जा रहा है कि हालिया घटना के आसपास उन्होंने शहर के एक पुराने महाविद्यालय में भी जमकर हंगामा किया। वे यहां से वकालत की परीक्षा दिला रहे हैं। परीक्षा दिलाने पहुंचे आईएएस साहब ने पहले तो स्टॉफ और प्रोफेसर्स पर रौब दिखाना शुरू किया। शिक्षकों को निर्देशित करते हुए परीक्षा देने के लिए अपने लिए अलग कक्ष की व्यवस्था के लिए दबाव बनाया। समझाने-बुझाने पर जब वे नहीं माने तो उन्हें एचओडी के कक्ष में पर्चा लिखने के लिए बिठाया गया। हद तो तब हो गई जब वे महिला एचओडी के सामने किताब खोलकर उत्तर लिखने लगे और वे लगातार सभी को आईएएस हैं, कुछ भी कर सकते हैं, कहकर धमकाते रहे। बताया जा रहा है कि कुछ देर बाद जब इसकी भनक परीक्षा सहप्रभारी को लगी तो उन्होंने उनसे किताब छीनकर उत्तर लिखने को कहा तो वे एकदम से तमतमा गए और धमकाने के अंदाज में कहा कि जानते नहीं हो मैं कौन हूं ? तबादला करवाने की धमकी देते हुए उन्होंने नकल पकडऩे वाले अधिकारी के साथ जमकर बदतमीजी की। हालांकि कुछ देर बाद वे परीक्षा बीच में छोडक़र उत्तर पुस्तिका जमा करके चले तो गए, लेकिन परीक्षा खत्म होने के बाद फिर कॉलेज धमक गए और प्राचार्य से उलझ गए। पिछले कुछ समय से राजधानी के इस महाविद्यालय में हर साल आईएएस-आईपीएस वकालत की पढ़ाई के लिए दाखिला लेते हैं। उनमें कई बड़े नाम भी हैं, कुछ टॉपर भी रहे हैं। कॉलेज भी ऐसे होनहार को एडमिशन देकर गर्व महसूस करता था, लेकिन इस आईएएस की हरकत ने शिक्षा के मंदिर को भी शर्मसार कर दिया है।
ईडी का डर
छत्तीसगढ़ के अफसरों को ईडी का डर जमकर सता रहा है, क्योंकि ईडी आईएएस अफसरों को लगातार निशाना बना रही है। राज्य के चार आईएएस ईडी के शिकंजे में फंस चुके हैं। पहली बार किसी जिले के कलेक्टर के सरकारी आवास तक में कार्रवाई की गई। कहा जा रहा है कि कुछ और अधिकारी निशाने पर हैं। ऐसे में अधिकारियों का चितिंत होना स्वाभाविक है। मजाकिया अंदाज में लोग कहने लगे हैं कि हिन्दी सिनेमा के अमिताभ बच्चन की तरह ईडी के अधिकारी छत्तीसगढ़ में यहां-वहां घूम रहे हैं। खैर, जो भी हो, आईएएस लॉबी सकते में तो है। जैसे-तैसे उनके दिन कट रहे हैं और सब अपने-अपने तरीके से बचने की कोशिश भी कर रहे हैं। चर्चा है कि एक आईएएस अधिकारी ने तो स्वयं के खर्चे पर सुरक्षा कर्मी रख लिए हैं। अब ये ईडी के डर से है या फिर कुछ और कारण से। इस बारे में तो ठीक-ठीक कुछ पता नहीं, लेकिन हालिया छापे के बाद उनके साथ सुरक्षा कर्मी देखकर तो यही काना-फूसी हो रही है कि उनको भी ईडी का डर सता रहा है।
खड़ी कोच में रेस्टॉरेंट
यात्री किराये के अलावा दूसरे साधनों से आमदनी बढ़ाने की रेलवे की नीति के तहत देशभर के कई स्टेशनों में रेल कोच रेस्टॉरेंट चालू किए गए हैं। भोपाल व जबलपुर रेल मंडल मुख्यालय में ये रेस्टॉरेंट पिछले साल से शुरू हो गए हैं। अब छत्तीसगढ़ के दोनों रेलमंडल बिलासपुर व रायपुर के अलावा नागपुर में भी इसकी शुरूआत की जा रही है। ऐसे रेल कोच जो पुराना हो जाने के कारण दौड़ाए नहीं जा सकते, उन्हें प्राय: कबाडिय़ों को बेच दिया जाता है। इनमें कुछ अच्छी हालत के कोच अतिरिक्त साज-सज्जा के बाद रेस्टॉरेंट के रूप में बदल दिए जाएंगे। सीटिंग व्यवस्था में भी थोड़ा बदलाव किया जाएगा। बिलासपुर में स्टेशन के बाहर सिटी बस स्टैंड के पास इसे सबसे पहले चालू करने की योजना पर काम हो रहा है। कोच के भीतर बैठकर चाय-नाश्ते की सुविधा मिलने से यात्रियों को ट्रेन में सफर करने का एहसास होगा।
पंख नहीं लग पाए उड़ान योजना को
मोदी सरकार ने सन् 2017 में उड़ान योजना शुरू की थी, जिसमें छोटे शहरों को सस्ते किराये में हवाई सुविधा का लाभ दिलाने की बात थी। उड़ान का पूरा नाम ही है- उड़े देश का आम नागरिक। मगर यह योजना देशभर में धीमी रफ्तार से चल रही है। पांच सालों में करीब 47 प्रतिशत उड़ानें शुरू हो पाई हैं। बिलासपुर में हाईकोर्ट का दबाव पडऩे के बाद किसी तरह चालू हुआ। दो साल से ज्यादा वक्त बीत चुका। अब तक महानगरों के लिए एक भी सीधी उड़ान शुरू नहीं हुई है। दिल्ली के लिए उपलब्ध फ्लाइट व्हाया जबलपुर, इंदौर और प्रयागराज है। मुंबई, कोलकाता आदि शहरों के लिए तो हैं ही नहीं। इसी तरह जगदलपुर में भी उड़ानों की संख्या बढ़ाने की लगातार मांग हो रही है। यहां एलायंस एयर की केवल एक फ्लाइट चल रही है। दोनों ही जगह रनवे की लंबाई बढ़ाने की मांग है। पर बिलासपुर में अतिरिक्त जमीन सेना के कब्जे में है तो जगदलपुर में डीआरडीओ के। दोनों ही जगह नए टर्मिनल का काम भी प्रस्तावित है। बिलासपुर में तो इसके लिए फंड का आवंटन भी हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह बयान लोग याद करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि हवाई चप्पल वाले भी हवाई जहाज में सफर कर सकेंगे। पर बिलासपुर का ही उदाहरण लें तो ऐसा नहीं है। दिल्ली के लिए रायपुर से लगभग दो गुना किराया बिलासपुर से उडऩे पर लग जाता है। इन दोनों शहरों के अलावा अंबिकापुर और कोरबा में उड़ान लागू करने की योजना थी। दो साल पहले जब 196 नये रूट तय किए गए तो सिर्फ बिलासपुर ही छत्तीसगढ़ के हिस्से में आया था। अंबिकापुर से पटना, वाराणसी, रांची आदि शहरों के लिए फ्लाइट की मांग है। यहां का हवाईअड्डा व्यावसायिक उड़ानों के लिए लगभग तैयार हो चुका है। पर फ्लाइट शुरू होने का कोई संकेत नहीं है।
अधर में स्मार्ट सिटी योजना
केंद्र की मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में घोषित की गई 100 स्मार्ट सिटी परियोजनाएं अब अंतिम सांसें गिन रही हैं। जो प्रोजेक्ट जारी हैं केवल उन्हें पूरा करने कहा गया है। नया टेंडर निकालने से मना किया गया है। छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर और नया रायपुर में यह परियोजना लाई गई थी। अधिकारियों के वर्चस्व, जनप्रतिनिधियों की शून्य भूमिका वाली इस योजना की वैधानिक स्थिति पर सवाल करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की जा चुकी है। रायपुर के नगर निगम आयुक्त ने संकेत भी दे दिया है कि केंद्र ने जून 2023 तक सारा काम समेट लिया जाएगा। एक तरफ नगर-निगम आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, दूसरी तरफ तीनों ही शहरों में स्मार्ट सिटी के नाम पर अनाप-शनाप खर्च किए गए। शहर विकास में असंतुलन साफ दिखाई देता है। अनेक निर्माण कार्य पूरा होने के बाद खंडहर में बदल चुके हैं। विज्ञापनों और इंवेंट्स पर बेतहाशा और बिना मापदंड के खर्च किए गए। खर्च की गई रकम की अब तक ऑडिट भी नहीं कराई गई है। हाईकोर्ट में इस पर भी सवाल उठा तब स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड की तरफ से बताया गया है कि महालेखाकार को खर्च की जांच करने के लिए कहा गया है। लोग कह रहे हैं कि यह एक अव्यावहारिक योजना थी, जिसे खत्म का करने का फैसला ठीक ही है। अच्छा हो, इसकी बजाय केंद्र सीधे नगर-निगम से प्रोजेक्ट मंगाकर राशि आवंटित करे।
आरक्षण, सब धुँधला
आरक्षण विवाद के चलते सरकार के विभागों में नियुक्ति-पदस्थापना के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाए जा रहे हैं। फूड इंस्पेक्टरों की चयन सूची जारी हो गई थी। इसी बीच हाईकोर्ट के आरक्षण पर फैसले के बाद आदेश जारी नहीं हो पाए थे, लेकिन बाद में विधि विभाग के परामर्श के बाद पदस्थापना आदेश जारी हो गए, लेकिन एक निर्माण विभाग में पदस्थापना आदेश को विभागीय सचिव ने यह कहकर रोक दिया कि आरक्षण पर स्थिति साफ होने के बाद ही जारी करना उचित होगा। हाल यह है कि करीब 5 सौ से अधिक इंजीनियरों की पोस्टिंग पिछले 8 महीने से रुकी पड़ी है।
मैच का श्रेय जय या राजीव को ?
श्रेय कोई भी ले या जिस किसी को भी दिया जाए वो बाद में तय कर लें। फिलहाल तो सबके प्रयास से रायपुर, क्रिकेट के अंतरराष्ट्रीय नक्शे में शामिल हो जाएगा 21 तारीख को। बात यही खत्म नहीं हो रही है। मैच के आयोजक मंडल में श्रेय का हार पहनाने, पहनाने की होड़ देखी सुनी जा रही है। भाजपा की विचारधारा के सदस्य पदाधिकारी रायपुर को मैच देने का श्रेय बीसीसीआई के अध्यक्ष जय शाह को दे रहे हैं तो कांग्रेस विचारधारा वाले उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को। राजीव, हाल में छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद, चुने गए हैं, सो वो छत्तीसगढ़ का कर्ज उतार रहे हैं। अध्यक्ष जय शाह, ने पापा के प्लान पर काम करते हुए वेन्यू तय किया हो। जय, महीनों पहले से इस पर काम कर रहे थे, वे स्टेडियम भी देख गए थे जब रायपुर होकर कान्हा किसली अभ्यारण्य गए। श्रेय कोई भी ले छत्तीसगढ़ वासियों को अपने स्टार क्रिकेटर को लाइव देखने का अवसर मिल रहा है।
सुबह 4 बजे घूमने निकले थे, हत्या की आशंका
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 16 जनवरी। आज सुबह किलेपाल के पूर्व सरपंच व भाजपा जिला मंत्री की लाश घर से 2 किमी दूर एक पुलिया के नीचे मिली। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम के साथ ही फोरेंसिक की टीम मौके पर पहुंच जांच में जुट गई है। परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है।
परिजनों ने बताया कि बास्तानार किलेपाल में रहने वाले भाजपा जिला मंत्री व पूर्व सरपंच बुधराम करतम पैदल घर से घूमने के लिए निकले थे। सुबह करीब 9 बजे के लगभग घर से 2 किमी दूर पुल के नीचे उनका शव मिलने की जानकारी लगते ही परिजन के साथ ही भाजपा नेताओं का दल घटनास्थल पहुंचे, जहां शव के सिर में चोट के निशान देखे गए है, जिस पर परिजनों के द्वारा हत्या की आशंका जताई जा रही है, वहीं बुधराम की मौत की जानकारी लगते ही गांव के लोगों का हुजूम उमड़ गया। कांग्रेस के विधायक राजमन बेंजाम के अलावा अन्य जनप्रतिनिधि पहुंचे।
इस मामले में एसडीओपी ऐश्वर्य चंद्राकर ने बताया कि पुलिस को भी यही जानकारी मिली है कि बुधराम करतम पूर्व सरपंच किलेपाल सुबह टहलने निकले थे। मेन रोड पर पुल के नीचे उनका शव मिलने की सूचना पर पुलिस एवं फॉरेंसिक टीम द्वारा मौके पर पहुंच कर बारीकी से जांच कर रहे हैं।
परिजनों से लेकर हर किसी से पूछताछ की जा रही है, मामले में किसी भी प्रकार से कोताही नहीं बरती जाएगी, वहीं थाना कोड़ेनार में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस अधिकारियों द्वारा भी जांच की जा रही है।
सिंहदेव के चुनाव लड़ने का मन नहीं होने के बयान पर गृह मंत्री ने फिर प्रतिक्रिया दी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर 16 जनवरी। प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि यदि पार्टी मेरा टिकट काटेगी तो मेरा समाज और कार्यकर्ता नाराज हो सकते हैं लेकिन यदि मैं खुद चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लूं तो कांग्रेस या किसी अन्य को नुकसान क्यों होगा?
निजी कार्यक्रम में बिलासपुर प्रवास पर आए साहू ने स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के चुनाव लड़ने का मन नहीं होने पर दी गई अपनी प्रतिक्रिया के बाद आए उनके बयान पर बोल रहे थे। इस संबंध में उनसे पत्रकारों ने सवाल किया था।
उल्लेखनीय है सिंहदेव ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि इस बार पहले की तरह चुनाव लड़ने का उनका मन नहीं है। इस बारे में भी अपने समर्थक कार्यकर्ताओं से बात करके ही कोई फैसला करेंगे। उनके इस बयान पर साहू ने कहा था कि कांग्रेस में टिकट के लिए अनेक दावेदार होते हैं, किसी के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से कोई फर्क पार्टी को नहीं पड़ता। सिंहदेव के इस बयान पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि सूर्योदय और सूर्यास्त होता रहेगा। जो आज है कल नहीं रहेगा। मेरे रहने या नहीं रहने से फर्क नहीं पड़ता लेकिन ताम्रध्वज साहू चुनाव नहीं लड़ते हैं तो निश्चित रूप से इसका असर पड़ेगा। अगर साहू चुनाव नहीं लड़ेंगे तो उनके यहां भी 10-20 उम्मीदवार आ जाएंगे। वे साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बेहतर कार्य करने के अलावा सर्व समाज में उनकी लोकप्रिय हैं। साहू ने कहा कि किसी भी विधायक का परफॉर्मेंस खराब नहीं है। टीएस बाबा सहित अन्य कद्दावर नेताओं को मुख्यमंत्री लगातार विधायकों के परफारमेंस के बारे में जानकारी दे रहे हैं। किसी विधायक के काम व्यवहार या दौरे को लेकर कोई शिकायत है तो इसकी जानकारी भी विधायकों को दी गई है। टिकट कटने का भी मसला ऐसा है कि हर बार नए लोगों को भी मौका दिया जाता है। इस बार भी दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री और प्रभारी महासचिव इसे तय करेंगे।
साहू ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में पुलिस अच्छा काम कर रही है। अभी तक कोई ऐसी मशीन नहीं बनी है, जिसमें पुलिस पहले से पता कर ले कि कौन कहां पर चाकू चलाने या मर्डर करने वाला है। गांजा की तस्करी पर मुख्यमंत्री की ओर से व्यक्त की गई चिंता के जवाब में उन्होंने कहा कि लोग कोई न कोई रास्ता निकाल लेते हैं, अब उधर फिर नजर डालेंगे। हालांकि संजू त्रिपाठी हत्याकांड के बारे में पूछे गए सवालों का बिना जवाब दिए साहू उठ गए। इस दौरान कांग्रेस नेत्री आशा सिंह ने गृह मंत्री से शिकायत की कि पुलिस ने उसके बेटे को जबरन फंसा कर जेल में डाल दिया। डॉक्टरों के नाम से फर्जी सील और हस्ताक्षर के सर्टिफिकेट के जरिये बेटे को हत्या के प्रयास का आरोपी बनाया गया। फर्जी डॉक्टरी रिपोर्ट देने वालों पर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है।
उन्होंने आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं करने पर भी कहा कि वह हस्ताक्षर कर देती हैं तो कानून तुरंत लागू हो जाएगा। उन्होंने खुद कहा था कि विधेयक उनके पास जिस दिन आएगा, अगले दिन दस्तखत कर देंगे। हस्ताक्षर नहीं कर वे हमारे बेरोजगार नौजवानों का अहित कर रही हैं।
गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस को लेकर छिड़ी ताजा बहस में दलितों का मुद्दा भी सामने आ रहा है कि किस तरह उन्होंने शूद्रों को प्रताडऩा (ताडऩ या पिटाई) का हकदार लिखा था। अब वह बहस तो बहुत से और लोग आगे बढ़ा रहे हैं, हम भी कल इसी पेज पर उस बारे में लिखा है, लेकिन आज हिन्दुस्तान के शूद्रों के बारे में। विख्यात अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका नेचर ने अभी दुनिया के कुछ देशों के बारे में रिपोर्ट छापी है कि किस तरह वहां पर विशेष दर्जे के लोग प्रमुख विश्वविद्यालयों में अधिकतर सीटों पर काबिज हो जाते हैं। दुनिया के कुछ और देशों के बारे में भी इसमें है, और साथ-साथ हिन्दुस्तान के बारे में भी इसमें एक रिपोर्ट है। भारत में दलित और आदिवासी सबसे ही पिछड़े हुए तबके हैं, और रिजर्वेशन के बावजूद उनकी हालत आज कैसी है, यह इन आंकड़ों से दिखाई पड़ता है। इस पत्रिका की रिपोर्ट बताती है कि देश भर के विश्वविद्यालयों में अगर ग्रेजुएशन तक की गिनती देखें, तो आदिवासी छात्र-छात्राओं की सीटें आधी भी नहीं भरी हैं। इसके बाद देश के आईआईटी में देखें, तो वहां आदिवासी कोटा पीएचडी छात्रों में शायद चौथाई के करीब भरा है, वहां असिस्टेंट प्रोफेसर इस तबके की आरक्षित कुर्सियों पर दो-चार फीसदी ही हैं, और प्रोफेसर हंै ही नहीं। इस पत्रिका में प्रकाशित चार्ट देखकर हम अंदाज से इन आंकड़ों को देख रहे हैं। देश भर में दलित छात्रों की आरक्षित सीटों से अधिक छात्र-छात्राएं ग्रेजुएशन तक हंै। आईआईटी में पीएचडी छात्रों में भी दलितों की संख्या आरक्षित कोटे से कुछ अधिक है। लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर आरक्षित कोटे से करीब एक तिहाई ही हैं, एसोसिएट प्रोफेसर और भी कम हैं, और प्रोफेसर गिनती के हैं। जब देश में हर तरह के छात्र-छात्राओं और प्राध्यापकों को मिला लिया जाए, तो दलित और आदिवासी अपने निर्धारित कोटे से बहुत ही कम हैं, ओबीसी में भी ग्रेजुएशन के छात्रों को छोडक़र बाकी की हालत यही है। लेकिन अनारक्षित वर्ग के प्राध्यापक लगभग सौ फीसदी सीटों पर काबिज हैं, एसोसिएट प्रोफेसर की 90-95 फीसदी सीटों पर अनारक्षित वर्ग के लोग हैं, और सहायक प्राध्यापक की कुर्सियों पर भी 90 फीसदी से अधिक सामान्य वर्ग के लोग हैं। ये सारे आंकड़े 2019-20 तक के हैं, और ये सरकार और आईआईटी जैसे संस्थानों से लिए गए हैं। इस रिपोर्ट के आंकड़े सब कुछ कह रहे हैं, इसलिए हम अपनी अधिक टिप्पणियों के बिना भी इन आंकड़ों को लिखते चले जा रहे हैं। भारत के सबसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थान, आईआईटी में प्रोफेसरों की कुर्सियों पर दलित-आदिवासी तबकों के एक फीसदी से कम प्रोफेसर हैं। इस बारे में इस पत्रिका से एक रिटायर्ड दलित वरिष्ठ प्राध्यापक ने कहा कि यह सोची-समझी नौबत है, वे लोग हम लोगों को कामयाब नहीं होने देना चाहते। ये उच्च शिक्षा संस्थान आरक्षण के नियम नहीं मान रहे, और सरकारें इन पर कुछ नहीं कर रहीं। कुछ प्राध्यापकों का मानना है कि अगर आरक्षित तबकों को उनका जायज हक दिलाना है, तो ऐसे बड़े इंस्टीट्यूट के डायरेक्टरों को जब तक सजा नहीं दी जाएगी, तब तक वंचित तबकों को उनका हक नहीं मिलेगा।
इस रिपोर्ट के आगे के आंकड़े भी दिलचस्प हैं कि देश भर के विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन में दलित और आदिवासी छात्र-छात्राओं की गिनती उनके वर्गों के आरक्षण से कुछ अधिक दिखती है, लेकिन जब बारीकी से देखें तो यह दिखता है कि यह सिर्फ आर्टस् के विषयों में है, दूसरी तरफ इंजीनियरिंग, चिकित्सा, विज्ञान, और टेक्नालॉजी में आदिवासी सीटें खाली पड़ी हैं, और यही हाल दलितों में भी है। मतलब यह है कि गांवों से निकलकर आने वाले दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं को विज्ञान की अच्छी पढ़ाई नहीं मिलती है, इसलिए वे कॉलेज पहुंचकर भी आर्टस् के विषय लेकर पढ़ते हैं। इनके मुकाबले ओबीसी की हालत कुछ बेहतर है जो कि अपने आरक्षित कोटे से अधिक सीटों पर हैं, लेकिन उनकी आबादी शायद सीटों के इस अनुपात से और अधिक मानी जाती है।
तुलसीदास का शूद्रों को लेकर जो लिखा हुआ है, वह आज भी हिन्दू धर्म और समाज के अधिकतर हिस्सों में चले आ रहा नजरिया बना हुआ है। वो जिन तबकों को पिटाई के लायक पाते हैं, उन तबकों की आज भी देश भर में जमकर पिटाई हो रही है। वीडियो-कैमरों के सामने महिलाएं भी पीटी जा रही हैं, दलित तो पीटे ही जा रहे हैं, इनके मुकाबले जानवरों की हालत बेहतर है क्योंकि पशु प्रताडऩा के खिलाफ कड़ा कानून बन गया है। तुलसीदास ने ऐसी बातें लिखते समय यह कल्पना भी नहीं की होगी कि अनपढ़ लोगों के बीच भी मशहूर उनकी रामचरितमानस की उनकी सोच 21वीं सदी में देश की दिग्गज आईआईटी में अमल में आती रहेगी। हिन्दुत्ववादी लोगों के साथ एक बड़ी दिक्कत यह है कि दूसरे धर्म के लोगों के मुकाबले अपनी अधिक आबादी गिनाने के लिए तो वे दलित और आदिवासी तबकों को हिन्दू समुदाय में गिन लेते हैं, लेकिन जैसे ही दूसरे धर्मों के साथ कोई तुलना बंद होती है, तो घर के भीतर वे दलित-आदिवासी तबकों को मारने के लिए अपने चमड़े के बेल्ट उतार लेते हैं, इन तबकों के खानपान से लेकर इनके कामकाज तक को कुचलने की कोशिश करते हैं, और उन्हें एक सवर्ण जीवनशैली का गुलाम बनाने में जुट जाते हैं। यह पाखंड ही लोगों को, दलितों और आदिवासियों को कभी बौद्ध धर्म की तरफ ले जाता है, तो कभी ईसाई धर्म की तरफ। और फिर ऐसे एक-एक मामले को लेकर वे धर्मांतरण का हल्ला बोलने लगते हैं, और जब ऐसा हल्ला बोलने का मौका नहीं मिलता, तो फिर वे अपने घर के भीतर वर्ण व्यवस्था में सबसे नीचे वाले दलित-आदिवासियों को कूटने में लग जाते हैं। लोगों को यह भी सोचना चाहिए कि तुलसी की रामकथा के वानर कौन थे? क्या वे जंगलों में बसे हुए आदिवासी ही नहीं थे जो कि वहां से गुजरते हुए राम के साथ हो गए थे, और जिन्हें सवर्ण, शहरी कथाकारों की कल्पना में वनवासी आदिवासी की जगह बंदर का रूप दे दिया गया था? आज कम से कम यह तो अच्छा हुआ कि बिहार के एक मंत्री ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ करार दिया, तो रामचरितमानस के बचाव में, और उसके खिलाफ लोग टूट पड़े हैं, और ‘वानरों’ से लेकर दलितों तक का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आया है। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)
नई दिल्ली, 16 जनवरी । वायकॉम 18 ने महिला आईपीएल के मीडिया राइट्स हासिल किए हैं. कंपनी ने पांच साल (2023 से 2027 तक) के लिए मीडिया राइट्स 951 करोड़ रुपये में हासिल किए हैं.
बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने इसे महिला क्रिकेट के लिए एक ‘बड़ा कदम’ बताया है.
जय शाह ने ट्विटर पर जानकारी दी है कि हर मैच के ये राशि 7.09 करोड़ रुपये होगी.
निर्णायक कदम
जय शाह ने महिला आईपीएल के लिए दिए गए मीडिया राइट्स को एक नई शुरुआत बताया है.
जय शाह ने ट्विटर पर लिखा, “वेतन समानता के बाद वूमेन आईपीएल के मीडिया राइट्स आज की बिडिंग (बोली) ने एक और इतिहास रचा है. ये भारत में महिला क्रिकेट के लिए एक और बड़ा और निर्णायक कदम है. इसके जरिए सभी उम्र की महिलाओं की भागेदारी सुनिश्चित होगी. ये निश्चित ही एक नई सुबह है.” (bbc.com/hindi)
ग्रामीणों की कलेक्टर से शिकायत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,16 जनवरी। बसना डिप्टी रेंजर के खिलाफ शिकायत लेकर ग्रामीण महासमुंद कलेक्टर से मिले। उनका आरोप है कि वन भूमि पट्टा आवेदन फार्म में हस्ताक्षर करने, नजरी नक्शा के लिए डिप्टी रेंजर प्रति एकड़ 10 हजार की मांग करते हैं।
आवेदक हेमंत कुमार यादव ग्राम भंवरचुवा-मधुबन वन परिक्षेत्र बसना तहसील महासमुंद का मूल निवासी है। ये कक्ष क्रमांक 332 नया बेलटिकरी 75-80 वर्ष से वन भूमि पर खेती किसानी करते आ रहे हैं जिसमें वन भूमि पट्टा के लिए आवेदन दिया है। इनका आरोप है कि वनरक्षक कीर्तनलाल चौहान नया बेलटिकरी ने जमीन को मशीन से नाप जोख किया है।
उन्होंने 2 माह पूर्व ग्राम पंचायत की प्रस्ताव पर 5 अन्य व्यक्तियों का भी पंचनामा किया और सभी कागजात आवेदन फार्म डिप्टी रेंजर रविलाल निर्मलकर को दिया। इस नापजोख में जमीन का रकबा 1 एकड़ 80 डिसमिल बताया गया और 18 हजार रुपए की मांग की गई।
इनका आरोप है कि डिप्टी रेंजर कहते हैं कि हस्ताक्षर और नजरीनक्शा पैसे लेकर बनाउंगा। अगर नहीं दोगे तो आपका कागजात आगे नहीं पढ़ाऊंगा।
ग्रामीणों ने बताया कि उक्त अधिकारी गांव वालों से यही कहते हैं कि शासन का कोई भी ऐसा नियम पट्टा संबंधी नहीं है। जब पैसा दोगे तभी आपका कागजात आगे बढ़ेगा। इसकी शिकायत हेमंत कुमार यादव ने सामान्य वन मंडल अधिकारी को भी लिखित रूप से की है।
-सुचित्र मोहंती
नई दिल्ली, 16 जनवरी । मैरिटल रेप को आपराधिक ठहराए जाने से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी तक केंद्र सरकार का जवाब मांगा है.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसे आपराधिक ठहराए जाने के न्यायिक ही नहीं, समाजिक परिणाम भी होंगे.
चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली पीठ में जस्टिस नरसिम्हा और जेबी पादरीवाला शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई मार्च में करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है वह इस मामले को किसी हाई कोर्ट को ना देकर खुद इस पर सुनवाई करेगी.
इस मामले पर सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि “न्यायिक के साथ साथ इस मामले के सामाजिक परिणाम होंगे. इस मामले पर राज्यों की राय भी चाहते हैं, कुछ महीने पहले हमने राज्यों से उनकी राय मांगी थी.”
सुप्रीम कोर्ट मैरिटल रेप को आपराधिक ठहराए जाने से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इनमें से एक याचिका कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फ़ैसले के खिलाफ़ भी है जिसमें एक व्यक्ति पर अपनी पत्नी का रेप करने और उसे ‘सेक्स स्लेव’ बनाने का आरोप था लेकिन उस लगे रेप के सेक्शन को रद्द कर दिया गया.. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 16 जनवरी । सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट से कहा है कि वो आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में अभियुक्त गंगी रेड्डी की ज़मानत रद्द करने पर पुनर्विचार करे.
सीबीआई ने याचिका दायर कर अभियुक्त की ज़मानत रद्द करने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अभियुक्त की ज़मानत रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस रवि कुमार की दो जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट से मेरिट के आधार पर सीबीआई की याचिका पर नए सिरे से विचार करने को कहा.
साल 2019 में विवेकानंद रेड्डी की उनके घर पर ही चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी.
उनकी बेटी ने पिता की हत्या की जांच की मांग की थी. (bbc.com/hindi)
नेपाल, 16 जनवरी । नेपाल के पोखरा हवाई अड्डे के क़रीब रविवार को एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
हादसे की जगह से अब तक 68 शव बाहर निकाले गए हैं.
72 सीटों वाले इस विमान में 68 यात्री और चालक दल के चार सदस्य थे सवार.
विमान में पांच भारतीय नागरिक भी सवार थे.
विमान में नेपाल के 53, रूस के चार, कोरिया के दो और आयरलैंड, अर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया और फ़्रांस के एक-एक यात्री सवार थे.
नेपाल सरकार ने हादसे की जांच के लिए एक समिति बनाई है.
नेपाल के पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हुए विमान हादसे की जांच के लिए गठित की गई जांच समिति दुर्घटनाग्रस्त हुए यती एयरलाइंस के विमान का ब्लैक बॉक्स के मिलने का इंतज़ार कर रही थी, जो सोमवार की सुबह मिल गया है. ब्लैक बॉक्स दुर्घटना स्थल पर मिला.
नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के प्रवक्ता जगन्नाथ निरौला ने बताया कि हादसे का शिकार हुए यती एयरलाइंस के विमान के मलबे में ब्लैकबॉक्स मिला है.
उन्होंने कहा, ''विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है. विमान का पिछला हिस्सा कल नहीं मिल पाया था, लेकिन सोमवार को उसे ढूंढ लिया गया. ''
इसे विमान हादसे की वजह का पता लगाने में मदद मिलेगी.
अधिकारियों ने बताया कि बचावकर्मी रविवार देर रात तक हादसे में लापता लोगों की तलाश करते रहे, अब तक 68 लोगों के शव बाहर निकाले जा चुके हैं. चार शवों को ढूंढने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.
ब्लैक बॉक्स विमान के पिछले हिस्से में लगा होता है.
जांच समिति के सदस्य सचिव बुद्धिसागर लामिछाने ने बीबीसी नेपाली सेवा से कहा, "ब्लैक बॉक्स बताता है कि हादसे से पहले विमान किस स्थिति में था, विमान के किस हिस्से का क्या संकेत था. क्या हादसा अचानक हुई किसी गड़बड़ी के कारण हुआ? ब्लैक बॉक्स से पता चलेगा कि दुर्घटना के लिए बाहरी कारक ज़िम्मेदार थे या ये आंतरिक कारणों से हुआ."
लामिछाने का कहना है कि विमान के ब्लैक बॉक्स में फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर दोनों होंगे, ऐसे में यह जांच में काफ़ी अहम होगा.
नेपाल में हुए विमान हादसे के बीच ये जानने की कोशिश करते हैं कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है और ये किस तरह काम करता है.
नारंगी रंग का 'ब्लैक बॉक्स'
ब्लैक बॉक्स एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो किसी विमान के पिछले हिस्से में लगा रहता है. विमान दुर्घटना की स्थिति में ये उपकरण बहुत महत्वपू्र्ण होता है.
ख़ास बात ये है कि ब्लैक बॉक्स असल में काले रंग का नहीं होता है. ये गहरे नारंगी रंग का होता है.
इसे नारंगी रंग का इसलिए बनाया जाता है ताकि विमान दुर्घटना की स्थिति में झाड़ियों या कहीं धूल-मिट्टी में गिरने पर भी ये दूर से दिख जाए.
एक दर्जन से अधिक विमान दुर्घटनाओं की जांच में शामिल रहे एयरोनॉटिकल इंजीनियर रतीशचंद्र लाल सुमन ने बीबीसी नेपाली सेवा से बातचीत में कहा, "इसे विमान के पिछले हिस्से में इसलिए लगाया जाता है क्योंकि दुर्घटना की स्थिति में ये सबसे कम क्षतिग्रस्त होने वाला हिस्सा होता है."
आमतौर पर ब्लैक बॉक्स के दो हिस्से होते हैं- फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर. हालांकि, सभी विमानों में ये दो हिस्से हों, ज़रूरी नहीं.
ब्लैक बॉक्स को इस तरह से बनाया जाता है कि ये अत्याधिक ऊंचे तापमान और गहरे पानी के अंदर भी नष्ट न हो पाए.
ब्लैक बॉक्स से आवाज़ और तरंगें निकलती रहती हैं जिससे गहरे पानी में गिरने के बाद भी इसे ढूंढा जा सकता है.
फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर
इसका काम असल में उड़ान के दौरान विमान की सारी तकनीकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करना होता है. इसमें विमान के अन्य उपकरणों की स्थिति, ऊंचाई, दिशा, तापमान, गति, ईंधन की मात्रा, ऑटो-पायलट की स्थित सहित अन्य जानकारी रिकॉर्ड होती है.
रतीशचंद्र सुमन ने कहा, "अगर कोई उपकरण काम नहीं कर रहा है, तो उसे फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर के ज़रिए नोट कर लिया जाता है और उससे विमान के तकनीकी पहलुओं का विश्लेषण किया जाता है."
लेकिन कुछ छोटे और दो इंजन वाले विमानों में ये नहीं होता है. बीते साल दुर्घटनाग्रस्त होने वाले तारा एयर के विमान में ये उपकरण नहीं था.
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर
इस डिवाइस में आमतौर पर 25 घंटे की रिकॉर्डिंग अवधि होती है. इस डिवाइस में चार चैनल होते हैं, जो चार जगहों की वॉयस रिकॉर्ड करते हैं.
रतीशचंद्र सुमन के मुताबिक़, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में पायलट, कॉकपिट, टावर से कम्युनिकेशन और पैसेंजर अनाउंसर की आवाज़ें रिकॉर्ड होती हैं.
किसी दुर्घटना की जांच के दौरान, इसमें रिकॉर्ड हुई आवाज़ों को सुनकर विश्लेषण किया जाता है.
सुमन कहते हैं, "पायलट ने क्या कहा, उसने क्या सुना, क्या कुछ ग़लत था, उसने को-पायलट को सूचित किया या नहीं, यात्रियों और टावर की आवाज़ सुनने के बाद हमें बहुत कुछ पता चल जाएगा."
पहले जाना पड़ता था विदेश
नेपाल के पुराने हवाई जहाज़ों में ऐसी आवाज़ें मैग्नेटिक टेप पर रिकॉर्ड की जाती थीं और सुनने के लिए विदेश जाना पड़ता था.
नागरिक उड्डयन प्राधिकरण की हवाई दुर्घटना जांच शाखा में लंबे समय तक काम करने वाले इंजीनियर सुमन ने कहा कि वो साल 1992 में कॉकनी में दुर्घटनाग्रस्त हुए थाई एयर विमान के सीवीआर के साथ कनाडा गए थे.
उन्होंने कहा, "मैं ख़ुद ब्लैक बॉक्स लेकर कनाडा और फ़्रांस गया हूं, लेकिन अब ज़्यादातर काम नेपाल में होता है."
जांच समिति के सदस्य सचिव लामिछाने ने कहा कि नेपाल में ब्लैक बॉक्स का विश्लेषण किया जाएगा, लेकिन फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर के अध्ययन के लिए कुछ विदेशी विशेषज्ञों की मदद भी ली जाएगी.
लामिछाने ने कहा कि ब्लैक बॉक्स ने कई हवाई दुर्घटनाओं में सच्चाई का पता लगाने में मदद की, जिसमें काठमांडू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ तुर्की के विमान और काठमांडू हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हुआ यूएस बांग्ला एयर भी शामिल है. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 16 जनवरी । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समर्थकों के साथ दिल्ली सरकार के शिक्षकों को फ़िनलैंड जाने से रोकने के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं, ये प्रदर्शन मार्च एलजी के आवास तक किया जाएगा.
दिल्ली सरकार शिक्षकों और स्कूल के प्रिंसिपल्स को प्रशिक्षण के लिए फ़िनलैंड भेज रही थी लेकिन बीते दिनों एलजी वीके सक्सेना ने इस प्रस्तावित दौरे पर रोक लगा दी.
इस मुद्दे पर शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना से मिलने पहुंचे और अपने साथ की किताब ले गए.उन्होंने कहा कि हम एलजी के साथ मिल कर काम करना चाहते हैं.
मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि, “पुलिस, क़ानून और ज़मीन उपराज्यपाल का विषय है और बाकी का अधिकार चुनी हुई सरकार के पास है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आदेश कहता है कि ट्रांसफर्स विषयों पर उपराज्यपाल को निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है, यानी जैस्मीन शाह का दफ्तर सील करना, पीठासीन अधिकारी बनाना, 164 करोड़ की वसूली का आदेश देना और अब शिक्षकों को फ़िनलैंड जाने से रोका ये सब असंवैधानिक है.”
बीते सप्ताह उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेसवार्ता कर कहा कि “एलजी ने कास्ट बेनिफिट एनालिसिस करने का तर्क देकर दिल्ली सरकार के 30 शिक्षकों के फिनलैंड में प्रस्तावित प्रशिक्षण पर रोक लगा दी है.”
-मनोज चतुर्वेदी
भुवनेश्वर, 16 जनवरी । भारत ने विश्व कप हॉकी में इंग्लैंड को गोलरहित ड्रॉ पर रोक कर ग्रुप डी में पहला स्थान बना कर सीधे क्वार्टर फ़ाइनल में स्थान बनाने की संभावनाओं को बरक़रार रखा है.
भारत सीधे क्वार्टर फ़ाइनल में स्थान बनाने के मामले में इसलिए थोड़ी बेहतर स्थिति में है क्योंकि आख़िरी मैच में भारत को वेल्स से और इंग्लैंड को स्पेन से खेलना है.
भारतीय टीम ने आख़िरी दो क्वार्टरों में जिस आक्रामक हॉकी को खेला, उससे वह जीत की हक़दार थी.
पर शायद भाग्य साथ नहीं था. इस कारण ताबड़तोड़ बनाए हमलों को गोल में नहीं बदला जा सका. यह सही है कि भारत को गोल जमाने से रोकने में इंग्लैंड के डिफ़ेंस ने तो अहम भूमिका निभाई ही, पर जब डिफ़ेंस छितरा गया तो भारतीय खिलाड़ी गोल जमाने में सफल नहीं हो सके.
मनप्रीत और हार्दिक रहे मैच के हीरो
भारतीय मिडफ़ील्डर मनप्रीत सिंह और हार्दिक सिंह ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया. भारतीय गोल पर ख़तरा बनने के समय यह दोनों बचाव में मुस्तैद नजर आए.
भारतीय टीम पर एक समय इंग्लैंड टीम दबाव बनाने में सफल हो गई. पर इन मिडफ़ील्डरों की जोड़ी ने अच्छे हमले बनाकर दवाब इंग्लैंड पर बना दिया. भारतीय फ़ॉरवर्डों के निशाने यदि सटीक रहते तो मैच में भारत जीत सकता था.
इंग्लैंड के डिफ़ेंस की तारीफ़ भी करनी होगी. उन्होंने हमलों के समय दिमाग़ को पूरी तरह से ठंडा बनाए रखा और इस कारण उन्हें गेंद को सफ़ाई के साथ क्लियर करने में मदद मिली.
मौके भुनाने में सुधार की ज़रूरत
भारत विश्व कप में इंग्लैंड पर 1994 के बाद विजय नहीं पा सका है, शायद इसका टीम पर मनोवैज्ञानिक दवाब था. पर भारतीय फ़ॉरवर्ड को विपक्षी सर्किल में पहुंचकर थोड़ा संयमित रहने की ज़रूरत है.
आख़िरी समय में सर्किल में हड़बड़ाहट दिखाने की वजह से कुछ नहीं तो दो गोल जमाने से वह चूक गए. इसमें इंग्लैंड के भाग्य की भी भूमिका अहम रही. पर इतना ज़रूर है कि भारत यदि इस बार पोडियम पर चढ़ना चाहता है तो उसे फ़िनिशिंग को सुधारना होगा.
मनदीप ने तीसरे क्वार्टर के आख़िर में और फिर आख़िरी क्वार्टर में दो बार गोल जमाने की स्थिति में पहुंचने के बाद भी जल्दबाज़ी करके मौके बेकार कर दिए.
पहले मौके पर विवेक सागर प्रसाद ने सर्किल में मौजूद मनदीप को पास दिया, वह डिफ़ेंस को छकाने में सफल भी हो गए, लेकिन शॉट को सही दिशा नहीं दे पाने से गेंद गोल के बराबर से बाहर चली गई.
दूसरे मौके पर सर्किल के टॉप पर गेंद मिलने पर उन्होंने अपने पैरों के बीच से आगे खड़े आकाशदीप सिंह को गेंद देने का प्रयास किया पर गेंद सीधे गोलकीपर के पास चली गई.
भारत ने आख़िरी दो क्वार्टर में मूमेंटम प्राप्त किया
भारत ने सही मायनों में दोनों हाफ़ में अलग-अलग तरह का प्रदर्शन किया. पहले दो क्वार्टर में इंग्लैंड ने भारत के मुक़ाबले थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया. पर आख़िरी दो क्वार्टर में खेल पर भारत का दबदबा रहा.
पहले हाफ़ में इंग्लैंड के फ़ॉरवर्ड सेम वार्ड, सेनफ़ोर्ड लियम को रोकने में भारतीय डिफेंस को मुश्किल हो रही थी. लेकिन तीसरे और चौथे क्वार्टर में भारतीय डिफ़ेंस ने उन्हें सर्किल से पहले ही टैकल करने की रणनीति अपनाई.
इसका फ़ायदा टीम को पेनल्टी कॉनर नहीं देने के रूप में मिला.
इंग्लैंड ने पहले दो क्वार्टर में सात पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए तो भारत के रणनीति बदलने पर उनको आख़िरी दो क्वार्टर में सिर्फ़ एक ही पेनल्टी कार्नर मिल सका.
हालांकि यह पेनल्टी कॉर्नर खेल समाप्ति में 20 सेकेंड बाकी रहने पर मिला. इसने भारतीय टीम ही नहीं, बिरसा मुंडा स्टेडियम में मौजूद 20 हज़ार भारतीय समर्थकों की भी धड़कनों को बढ़ा दिया.
इसकी वजह यह थी कि इस पर गोल पड़ जाता तो टीम की सारी मेहनत पर पानी फिर सकता था. लेकिन भारतीय डिफ़ेंस चट्टान की तरह डटा रहा और मैच में इंग्लैंड को एक -एक अंक बांटने को मजबूर कर दिया.
टैकलिंग में दिमाग़ लगाने की ज़रूरत
हमें याद है कि कॉमनवेल्थ गेम्स में आख़िरी क्वार्टर में ग़लत टैकलिंग की वजह से पीला कार्ड दिखाए जाने से भारत के 10 खिलाड़ियों का इंग्लैंड ने फ़ायदा उठाकर 1-4 के स्कोर को 4-4 में बदल दिया था.
भारतीय टीम इस ग़लती से भी सीख लेती नज़र नहीं आई. आख़िरी सात मिनट में पहले अमित रोहिदास और फिर जर्मनप्रीत सिंह ग़लत टैकल की वजह से ग्रीन कार्ड पाकर बाहर चले गए.
इंग्लैंड ने इसका फ़ायदा उठाकर कुछ समय के लिए हमलों का दवाब बनाया, पर भारतीय टीम ने इस दवाब से अपने को तत्काल निकालकर अपने को बचा लिया.
यह सही है कि हमलों के समय हमलावरों को टैकल करना ज़रूरी होता है. लेकिन टैकल करते समय दिमाग़ को थोड़ा ठंडा रखा जाए तो इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता है.
भारत ने हमलावर ढंग से खेल की शुरुआत की और कुछ अच्छे हमले भी बनाए. पर इंग्लैंड कुछ समय तक आक्रामक रुख़ अपनाकर भारत का मूमेंटम तोड़ने में सफल रहा.
इस तरह इंग्लैंड के खिलाड़ी पहले क्वार्टर में ज़्यादातर समय भारत पर दवाब बनाने में सफल रहे. इस दवाब के कारण ही इंग्लैंड को पहले हाफ़ में सात पेनल्टी कॉर्नर मिले. पर वे किसी को भी गोल में बदलने में कामयाब नहीं हो सके.
इंग्लैंड को पेनल्टी कॉर्नर पर गोल से रोकने में भारतीय मिडफ़ील्डर मनप्रीत सिंह ने अहम भूमिका निभाई. आमतौर पर पेनल्टी कॉर्नरों पर चार्ज करने की भूमिका अमित रोहिदास निभाते हैं.
पर इंग्लैंड को मिले पहले चार पेनल्टी कॉर्नरों के समय अमित मैदान में नहीं थे. इस स्थिति में मनप्रीत ने सही लाइन में दौड़कर इंग्लैंड के हर शॉट के मौके पर एंगेल को बंद करके उन्हें गेंद को गोलकीपर तक ही नहीं पहुंचने दिया.
टेक्नॉलजी का टीमों को मिल रहा है लाभ
मौजूदा समय में हर टीम के पेनल्टी कॉर्नर लेने के ढंग का विश्लेषण करके टीमें उतरती हैं. इसकी वजह से चार्ज करने वाले खिलाड़ी को पता रहता है कि शॉट लेने वाला खिलाड़ी क्या करने जा रहा है.
यही वजह है कि पहले हाफ़ में दोनों टीमों को कुल 11 पेनल्टी कॉर्नर मिले, पर एक को भी गोल में नहीं बदला जा सका.
साथ ही दोनों टीमें जानतीं थीं कि जो भी टीम बढ़त बना लेगी,उसका खेल पर दबदबा बन जाएगा. इस कारण ही दोनों टीमों ने डिफ़ेंस पर ज़्यादा ज़ोर दिया. कोई भी टीम पूरी तरह से हमलावर रुख़ अपनाने से बचती रहीं. इसने भी गोल भिदने से बचाए रखा.
दर्शकों का भरपूर सहयोग
इंग्लैंड के कोच पॉल रेविंग्टन ने कहा कि 'भारतीय खिलाड़ियों के पास जब भी गेंद होती थी तो दर्शकों का तेज़ शोर मचता था, इससे किसी भी टीम पर दवाब बन सकता है.
इस स्थिति से बचने के लिए हमने पहले हाफ़ में ज़्यादा गेंद को क़ब्ज़े में रखने का प्रयास किया. पहले हाफ़ में खेल पर 53 प्रतिशत क़ब्ज़ा रखा और टीम को दबाव से बचाया.'
आख़िरी दो क्वार्टरों में इंग्लैंड गेंद को क़ब्ज़े में ज़्यादा नहीं रख सका और भारत के पास ज़्यादा गेंद रहने से दर्शकों ने भरपूर उत्साहवर्धन किया. इस कारण आख़िरी दो क्वार्टर में इंग्लैंड के गोल पर ज़्यादा ख़तरा भी रहा. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 16 जनवरी । पाकिस्तान में इन दिनों सोशल मीडिया पर भारतीय प्रधानमंत्री का एक वीडियो वायरल हो रहा है.
इस वीडियो को पाकिस्तानी पत्रकार इरशाद भाटी ने शेयर करते हुए लिखा है, ''जब दुश्मन मज़ाक उड़ाए और आदर न दे तो ज़िंदा रहने से ज़्यादा अच्छा मर जाना होता है.''
इस वीडियो में नरेंद्र मोदी कह रहे हैं, ''भाइयों-बहनों, हमने पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकाल दी. उसे कटोरा लेकर दुनिया भर में घूमने के लिए हमने मजबूर कर दिया है.''
पाकिस्तानी सांसद और इमरान ख़ान की पार्टी के नेता आज़म ख़ान स्वाति ने पीएम मोदी के इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है, ''देखिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान के बारे में क्या कह रहे हैं. अगर थोड़ी भी इज़्ज़त नहीं बची है तो कोई बात नहीं. पाकिस्तान को बचाने का एक ही उपाय है इमरान ख़ान को वापस लाना.''
पत्रकार नायला इनायत ने भी इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ''पीटीआई वाले वीडियो को शेयर कर रहे हैं कि मोदी शहबाज़ शरीफ़ की सरकार के बारे में कह रहे हैं, लेकिन यह वीडियो 2019 का है और तब इमरान ख़ान ही प्रधानमंत्री थे.''
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने पिछले महीने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ विवादित टिप्पणी की थी.
पीएम नरेंद्र मोदी के इस वीडियो पर भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने अपने वीडियो ब्लॉग में कहा है, ''प्रधानमंत्री मोदी अपने वीडियो क्लिप में कह रहे हैं कि उन्होंने पाकिस्तान को कटोरा लेकर देश दर देश जाने पर मजबूर कर दिया है.
मोदी कह रहे हैं उन्होंने पाकिस्तान को इस मुकाम तक पहुँचा दिया है. ये तो अलग बात है कि पीएम मोदी ने पाकिस्तान को इस हद तक पहँचाने में क्या किया, लेकिन इसके हम ज़्यादा कसूरवार हैं. हर पाकिस्तानी को दुख तो होता है. जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो पाकिस्तान दूसरे देशों की तरफ़ देखने लगता है.''
बिलावल ने पीएम मोदी को 'गुजरात का कसाई' कहा था. अब जब पाकिस्तान का ख़ज़ाना ख़ाली हो गया है और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ विदेशी दौरे कर क़र्ज़ मांगते चल रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान के भीतर एक बहस चल रही है कि पड़ोसी भारत से संबंध ठीक करना ज़रूरी है.
पाकिस्तान में मोदी की तारीफ़
पाकिस्तान के राजनीतिक और रक्षा विश्लेषक शहज़ाद चौधरी ने 13 जनवरी को पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में एक लेख लिखा था.
इस लेख में उन्होंने लिखा है, ''पाकिस्तान में नरेंद्र मोदी तिरस्कृत नाम हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इंडिया को ब्रैंड बनाया है और इससे पहले ऐसा कोई नहीं कर पाया था. सबसे अहम बात यह है कि भारत जो महसूस करता है वो करता है और उस हद तक जाता है. अमेरिका का भारत एक सहयोगी है और हम पाकिस्तानी केवल कोसने में लगे रहते हैं. हम एक भ्रम में रहते हैं और हक़ीक़त से काफ़ी दूर.''
शहज़ाद चौधरी ने लिखा है, ''रूस पर कड़े अमेरिकी प्रतिबंध हैं. लेकिन भारत अपनी शर्तों पर रूस से तेल ख़रीद रहा है. केवल ख़रीद ही नहीं रहा है बल्कि पड़ोसियों को निर्यात भी कर रहा है और डॉलर कमा रहा है.
इसके बावजूद दुनिया के दोनों सैन्य शक्ति रूस और अमेरिका भारत को अपना सहयोगी बता रहे हैं. क्या यह राजनयिक तख़्तापलट नहीं है? इससे यह पता चलता है कि भारत कितना प्रासंगिक है. भारत आज पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है.
भारत दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और ब्रिटेन भारत से पीछे हो गया है. भारत का लक्ष्य 2037 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का है.''
शहज़ाद चौधरी ने लिखा है, ''भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर का है और इस मामले में भी दुनिया भर में चौथे नंबर पर है. पाकिस्तान के पास अभी महज़ 4.5 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा बची है. पिछले तीन दशकों से भारत की अर्थव्यवस्था चीन के बाद सबसे तेज़ी से बढ़ रही है.
1992 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार महज़ 9.2 अरब डॉलर था. यह 2004 में बढ़कर 100 अरब डॉलर हो गया था. 2014 में मनमोहन सिंह जब तक प्रधानमंत्री रहे तब तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 252 अरब डॉलर हो गया था. मोदी के शासन में यह बढ़कर 600 अरब डॉलर हो गया और अर्थव्यवस्था का आकार भी बढ़कर तीन ट्रिलियन डॉलर का हो गया.''
शहज़ाद चौधरी की टिप्पणी पर पाकिस्तान में पक्ष और विपक्ष दोनों से प्रतिक्रिया आ रही है. शहज़ाद चौधरी के लेख को ट्विटर पर शेयर करते हुए थिंक टैंक साउथ एशिया सेंटर के निदेशक उज़ैर यूनुस ने लिखा है, ''भारत से रिश्ते सुधारना वक़्त की ज़रूरत है, लेकिन इस कड़वी सच्चाई को इस्लामाबाद और रावलपिंडी में अनदेखा किया जाएगा.''
वहीं शहज़ाद चौधरी के लेख से असहमति जताते हुए भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने लिखा है, ''मेरा मानना है कि पाकिस्तान से ज़्यादा भारत को कश्मीर और पाकिस्तान के मामले में फिर से सोचने की ज़रूरत है. आज की तारीख़ में भारत ज़्यादा घमंड में है और उसी वजह से पूरा इलाक़ा अस्थिर है. पाकिस्तान को चाहिए कि वह कश्मीर पर अडिग रहे.''
अब्दुल बासित के इस ट्वीट के जवाब में पाकिस्तानी पत्रकार फ़रीहा एम इदरीस ने लिखा है, ''यही सवाल मेरा भी है. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि हमें भारत के साथ संबंधों पर सोचने की ज़रूरत है, लेकिन अचानक पाकिस्तान के लोग इसे क्यों प्रमोट करने लगे हैं?''
इसके जवाब में शहज़ाद चौधरी ने लिखा है, ''तनाव लेने की ज़रूरत नहीं है. ऐसा होने नहीं जा रहा है. हमें वैसे भी यथास्थिति पसंद है. कोई भारत को लेकर नीति बदलने नहीं जा रहा है. हम अपनी चीज़ों को व्यवस्थित नहीं कर सकते हैं. डरने की ज़रूरत नहीं है. इंशाअल्लाह.''
पाकिस्तान की महंगाई कम करने में भारत मददगार
पाकिस्तान में कई लोग मांग कर रहे हैं कि भारत से कारोबारी रिश्ता बहाल करना चाहिए और इससे बढ़ती महंगाई को काबू में किया जा सकता है.
पाकिस्तान में खाने-पीने के सामानों के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं. दाम बढ़ने के पीछे वजहें ट्रांसपोर्टेशन लागत, सामान की उपलब्धि, मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ता गैप और एक्सचेंज रेट हैं.
पाकिस्तान ब्यूरो स्टैटिस्टिक्स यानी पीबीएस के डेटा के अनुसार, 20 किलोग्राम के आटे का पैकेट कराची में तीन हज़ार रुपए में मिल रहा है जबकि इस्लामाबाद में 1300 रुपए में.
पोर्ट सिटी कराची में गेहूं की पैदावार नहीं होती है और यहाँ सिंध से गेहूं आता है जो कि आते-आते बहुत महंगा हो जाता है. इस्लामाबाद में प्याज़ 240-280 रुपए किलो मिल रहा है और बाक़ी शहरों में 180 से 220 रुपए तक.
फ़लाही अंजुमन होलसेल वेजीटेबल मार्केट सुपर हाइवे के अध्यक्ष हाजी शाहजहां ने डॉन से कहा है कि भारत से प्याज़ समेत कई सब्ज़ियां आयात करने की अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वाघा बॉर्डर से आयात बहुत आसान और सस्ता है. हाजी ने कहा कि भारत की तुलना में दूसरे देशों से आयात ट्रांसपोर्टेशन में ज़्यादा ख़र्च के कारण महंगा हो जाता है.
पाकिस्तान के लोग यह दलील भी दे रहे हैं कि भारत और चीन में भी तनाव है, लेकिन भारत ने चीन से व्यापार नहीं बंद किया है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पार कर चुका है.
कूटनीतिक रिश्ता और कारोबार
चीन से सीमा पर तनाव के बीच भारत में भी कुछ राजनीतिक पार्टियां मांग कर रही थीं कि चीन से कारोबारी रिश्ता तोड़ लेना चाहिए.
नीति आयोग के पूर्व चेयरमैन और जाने-माने अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने कहा था कि अगर भारत चीन से कारोबारी रिश्ता ख़त्म करता है तो भारी नुक़सान होगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई से अरविंद पनगढ़िया ने पिछले महीने कहा था, ''इस मोड़ पर चीन के साथ ट्रेड वॉर में जाना भारत की आर्थिक वृद्धि दर को नुक़सान पहुंचाने वाला साबित होगा. यह आर्थिक मोर्चे पर एक नासमझी भरा फ़ैसला होगा.''
पनगढ़िया अभी कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं. उन्होंने कहा था, ''दोनों देश ट्रेड पाबंदी का गेम खेल सकते हैं, लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था 17 ट्रिलियन डॉलर की है और भारत की तीन ट्रिलियन डॉलर की. ऐसे में चीन की चोट ज़्यादा भारी होगी.
जो चीन को सज़ा देने के लिए कारोबार बंद करने की बात कर रहे हैं वो स्थिति को हक़ीक़त में समझ नहीं रहे हैं. चीन से बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की है, लेकिन अमेरिका भी चीन से कारोबारी संबंध तोड़ नहीं पा रहा है.''
पाकिस्तान की दुश्वारी
शहज़ाद चौधरी ने लिखा है, ''पाकिस्तान और भारत के बीच गैप इतना बढ़ चुका है कि बराबरी करना असंभव है. भारत अब दक्षिण एशिया से बाहर के लक्ष्यों को लेकर चल रहा है. भारत की विदेशी नीति अब पाकिस्तान से आगे निकल चुकी है. भारत और चीन के बीच भले ही बाहर से देखने पर तनाव नज़र आता है, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार 100 अरब डॉलर कब का पार हो चुका है और इसे 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है.''
''भारत को कश्मीर में जो करना है, कर रहा है. दूसरी तरफ़ पाकिस्तान भारत से कृत्रिम तनाव कायम रख ख़ुद को दिवालिया नहीं बना सकता. हमें पड़ोसियों की आर्थिक गतिविधियों का फ़ायदा उठाना चाहिए.
अब वक़्त आ गया है कि हम भारत के प्रति अपनी नीति की समीक्षा करें. हमें आर्थिक तरक़्क़ी के लिए भारत और चीन दोनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. अगर हम वक़्त के साथ नहीं बदले तो इतिहास में किसी फ़ुटनोट की तरह रह जाएंगे.''
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ़्ताह इस्माइल ने 14 जनवरी को पाकिस्तान के क़र्ज़ भुगतान पर वहाँ के अंग्रेज़ी अख़बार डॉन में एक लेख लिखा है.
इस लेख की शुरुआत में उन्होंने कहा है, ''पाकिस्तान पर दुनिया का क़र्ज़ क़रीब 100 अरब डॉलर है और इस वित्तीय वर्ष में 21 अरब डॉलर का क़र्ज़ चुकाना है. अगले तीन सालों तक क़रीब 70 अरब डॉलर का क़र्ज़ पाकिस्तान को चुकाना है.
तो अब से चार सालों तक क्या होगा? हमें 90 अरब डॉलर चुकाना है और 10 अरब डॉलर का जुगाड़ हो पाया है. दुर्भाग्य से हमारे पास क़र्ज़ चुकाने के लिए संसाधन नहीं हैं. हम क़र्ज़ लेकर दूसरा क़र्ज़ चुकाने में लगे हैं.''
मिफ़्ताह इस्माइल ने लिखा है, ''पाकिस्तान क़र्ज़ के जाल में अभी फँसता रहेगा. यह तब तक होगा जब तक हमारा निर्यात ज़्यादा नहीं होगा और चालू खाता घाटा कम नहीं होगा. अगर ऐसा होता है तभी यह संभव होगा कि हम बिना क़र्ज़ लिए क़र्ज़ चुका पाएंगे.
लेकिन पाकिस्तान के ये हालात बने कैसे? हम थोड़ा अतीत में जाते हैं. जब पाकिस्तान अल क़ायदा और उसके तालिबान समर्थकों के ख़िलाफ़ युद्ध में शामिल हुआ तो पश्चिम ने हमारा ज़्यादातर विदेशी क़र्ज़ राइट ऑफ़ कर दिया था. ऐसे में हमें क़र्ज़ों के भुगतान का दबाव नहीं रहता था और विदेशी मुद्रा की ज़रूरत उस तरह से नहीं होती थी.''
मिफ़्ताह इस्माइल ने लिखा है, ''2002 के बाद चालू खाता घाटे को पाटने के लिए विदेशी मुद्रा की ज़रूरत बढ़ी. हमारा आयात बढ़ रहा था और उसकी तुलना में निर्यात सिकुड़ता गया.
हमने कभी करंट अकाउंट सरप्लस नहीं रखा. हम एक से क़र्ज़ लेते रहे और उसे चुकाने के लिए दूसरे क़र्ज़ लेने लगे. ऐसे में हमने कभी क़र्ज़ का भुगतान किया ही नहीं बल्कि और बढ़ता गया. जनरल मुशर्रफ़ जब 2007-2008 में सत्ता में थे तो चालू खाता घाटा और बेतहाशा बढ़ा.'' (bbc.com/hindi)