अंतरराष्ट्रीय
लंदन, 6 मई | ब्रिटेन के ईस्ट लंदन इलाके में भारतीय मूल के एक व्यक्ति पर हत्या का आरोप लगा है। पुलिस ने बताया कि वह खुद थाने में आया और बताया कि उसने अपनी 77 वर्षीय पत्नी को मार दिया है। सिंह मंगलवार शाम को ईस्ट लंदन के हॉर्नचर्च इलाके में थाने पहुंचे और खुद को पुलिस को हवाले कर दिया। इसके बाद पुलिस और पारामेडिक की टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि देवी के सिर पर गंभीर चोट थी।
पुलिस के बयान में कहा गया है, कुछ समय बाद मौके पर ही उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसके परिजनों को घटना की जानकारी है और विशेष रूप से प्रशिक्षित अधिकारी उनकी मदद कर रहे हैं।
डेली मेल के अनुसार, हाल में सेवानिवृत्त होने से पहले सिंह और उनकी पत्नी पास के ही रेनहैम इलाके में डाकघर चलाती थीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंह और देवी के एक बेटा और दो बेटी हैं। वे मूल रूप से भारत से हैं, लेकिन 50 साल से ज्यादा समय से ब्रिटेन में रह रहे हैं।
देवी, जिन्हें अगले सप्ताह छुट्टी पर लैंजारोट जाना था, हैवरिंग एशियन सोशल एंड वेलफेयर एसोसिएशन (एचएएसडब्ल्यूए) सामुदायिक केंद्र में नियमित रूप से जाती थीं। वहां उन्होंने योगाभ्यास किया और दोपहर के भोजन के लिए दोस्तों से मिलीं।
देवी की मित्र निर्मला लील ने डेली मेल को बताया, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि ऐसा हुआ है और वह चली गई है। मैंने उसे उसकी मौत से कुछ घंटे पहले देखा था। यह सच नहीं लगता कि मैं उसे दोबारा नहीं देख पाऊंगी।
लील ने कहा कि उसने हत्या से एक दिन पहले देवी से बात की थी और वह अच्छे मूड में लग रही थी।
पुलिस ने सिंह के तीन मंजिल वाले घर की घेराबंदी कर दी है। (आईएएनएस)
लॉस एंजेलिस, 6 मई | अमेरिका में इस सीजन में बच्चों में होने वाले फ्लू से 149 बच्चों की मौत हो गई है। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने सीडीसी के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि इस मौसम में अब तक कम से कम 2.6 करोड़ लोग फ्लू की चपेट में आए हैं। इनमें से 2,90,000 अस्पताल में भर्ती हुए हैं, और ़फ्लू से 19,000 मौतें हुई हैं।
सीडीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि 29 अप्रैल को समाप्त हुए नवीनतम सप्ताह में 900 से अधिक लोगों को फ्लू के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
सीडीसी अनुशंसा करता है कि जब तक फ्लू की लहर जारी रहती है, तब तक छह महीने और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को वार्षिक फ्लू का टीका लगवाना चाहिए। (आईएएनएस
(अदिति खन्ना)
लंदन, 6 मई। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने महाराज चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के उत्सव में एक विशेष संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने एक हजार साल से अधिक पुराने धार्मिक समारोह में सभी धर्मों द्वारा निभाई जाने वाली केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डाला है।
भारतीय मूल के नेता और 10 डाउनिंग स्ट्रीट के पहले हिंदू पदाधिकारी शनिवार को वेस्टमिंस्टर एब्बे में होने वाले समारोह में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। इस अवसर पर वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर हालिया परंपरा को ध्यान में रखते हुए कुलुस्सियों की बाइबिल पुस्तक से पढ़ेंगे।
ब्रिटेन के झंडे को उच्च श्रेणी की ‘रॉयल एयर फोर्स’ (आरएएफ) के जवानों द्वारा एब्बे में ले जाने के दौरान सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी ध्वजवाहकों के एक जुलूस की अगुवाई करेंगे। अक्षता मूर्ति, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं।
सुनक ने ऐतिहासिक घटना की पूर्व संध्या पर एक बयान में कहा, “एब्बे में जहां लगभग एक हजार वर्षों से राजाओं की ताजपोशी होती रही है, हर धर्म के प्रतिनिधि पहली बार केंद्रीय भूमिका निभाएंगे।”
उन्होंने कहा, “महाराज चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला का राज्याभिषेक असाधारण राष्ट्रीय गौरव का क्षण होगा। राष्ट्रमंडल और उससे आगे के दोस्तों के साथ, हम अपने महान राजशाही की स्थायी प्रकृति का जश्न मनाएंगे। कोई अन्य देश ऐसा शानदार प्रदर्शन नहीं कर सकता।”
हालांकि, उन्होंने राज्याभिषेक पर जोर देकर कहा, “जून 1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के बाद 70 वर्षों में पहली बार यह केवल एक चमत्कार नहीं है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और परंपराओं की एक गौरवपूर्ण अभिव्यक्ति है।”(भाषा)
एक अमेरिकी अदालत ने रेप के एक मामले में पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की गवाही का वीडियो जारी किया है.
48 मिनट के इस वीडियो में 76 वर्षीय ट्रंप गलती से रेप का आरोप लगाने वाली ई ज्यां कैरल की तस्वीर को अपनी पूर्व पत्नी मार्ला मेपल्स समझते हुए दिख रहे हैं.
इस वीडियो में ट्रंप कैरल के रेप के आरोपों को नकारते दिख रहे हैं. वो कह रहे हैं के ये मेरा टेप नहीं है.
गुरुवार को कैरल और ट्रंप के वकीलों ने इस मामले पर एक दूसरे से बहस की. ट्रंप इस मुकदमे के दौरान अदालत में मौजूद नहीं थे.
उनके वकीलों ने इस दौरान किसी गवाह को भी नहीं बुलाया था. जज के आदेशों के बाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले साल अक्टूबर में कैमरे पर शपथ लेकर गवाही दी थी.
कैरल ने आरोप लगाया था कि ट्रंप ने 1990 के दशक के मध्य में न्यूयॉर्क सिटी के एक डिपार्टमेंट स्टोर में उनका रेप किया था. ये वीडियो गुरुवार को जजों को दिखाया गया.
एक मीडिया संगठन की ओर से याचिका दायर किए जाने के बाद इसे पहली बार शुक्रवार को सार्वजनिक तौर पर जारी किया गया.
गवाही के दौरान ट्रंप को एक हॉलीवुड टेप दिखाया गया, जिसे 'वॉशिंगटन पोस्ट' ने 2016 में उनके राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान प्रकाशित किया था.
इस टेप में ट्रंप थोड़ी असुविधाजनक स्थिति में बैठे दिख रहे हैं और कह रहे हैं कि जब ''आप स्टार होते हैं'' तो आप औरतों के साथ कुछ भी कर सकते हैं. इस वीडियो में ट्रंप ने कैरल के आरोपों को हास्यास्पद और बेहूदा बताया है. (bbc.com/hindi)
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारतीय मूल की नीरा टंडन को अपनी घरेलू नीति का सलाहकार बनाया है.
टंडन बाइडन को घरेलू नीति बनाने और उन्हें लागू करने में मदद करेंगी. टंडन बाइडन की घरेलू नीति सलाहकार सुजेन राइस की जगह लेंगी.
बाइडन ने उनकी नियुक्ति का एलान करते हुए कहा, ''मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि टंडन मेरी घरेलू नीतियों को आगे बढ़ाने और उन्हें लागू करने में मदद करती रहेंगी.
इनमें इकोनॉमिक मोबिलिटी से लेकर सभी नस्लों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं, आप्रवास और शिक्षा से जुड़े मुद्दे शामिल हैं.
बाइडन ने कहा, ''टंडन अमेरिकी इतिहास में व्हाइट हाउस की तीन अहम नीतियों को लागू करने वाली पहली भारतीय अमेरिकी होंगी.''
टंडन फिलहाल बाइडन की वरिष्ठ सलाहकार और स्टाफ सेक्रेट्री के तौर पर काम कर रही हैं. (bbc.com/hindi)
ब्रिटेन में किंग चार्ल्स तृतीय की आज ताजपोशी होने वाली है. ब्रिटेन में पिछले 70 साल में ये पहला राज्याभिषेक होगा.
समारोह की तैयारियां आख़िरी दौर में हैं. किंग चार्ल्स और क्वीन कंसॉर्ट वेस्टमिंस्टर एबे तक अपनी शाही यात्रा की तैयारी कर रहे हैं.
बारिश होने के आसार के बावजूद शाही यात्रा के रास्ते पर बड़ी तादाद में लोग जुटने लगे हैं.
इसे देखते हुए सेंट्रल लंदन में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त होंगे. लगभग 100 देशों के शासन प्रमुख इस समारोह में शामिल होंगे.
हालांकि राजतंत्र का विरोध करने वालों ने इस दौरान प्रदर्शन करने की अपील भी की है.
राज्याभिषेक समारोह लगभग दो घंटे तक चलेगा और इसमें 2300 मेहमान मौजूद रहेंगे. इनमें ड्यूक ऑफ ससेक्स प्रिंस हैरी शामिल हैं जो शुक्रवार को अमेरिका से यहां पहुंचे.(bbc.com/hindi)
लंदन, 5 मई। अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन शनिवार को वेस्टमिंस्टर एबे में होने वाले महाराजा चार्ल्स तृतीय के ऐतिहासिक राज्याभिषेक समारोह में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को लंदन पहुंचीं। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति ने उनका स्वागत किया।
प्रधानमंत्री आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट पहुंचने पर मूर्ति ने जिल बाइडन का स्वागत किया। जिल के साथ उनकी पोती फिनेगन बाइडन भी आई हैं और वह भी राज्याभिषेक समारोह में शिरकत करेंगी।
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) की खबर के अनुसार बाइडन और मूर्ति के बीच निजी वार्ता हो सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन राज्याभिषेक समारोह में शरीक नहीं होंगे। (भाषा)
क्लिक करें और देखें वीडियो : सुनील का सवाल: राजा-रानी कब तक ढोएं, ब्रिटेन गणतंत्र क्यों न बने?
क्लिक करें और देखें वीडियो : सुनील का सवाल: राजा-रानी कब तक ढोएं, ब्रिटेन गणतंत्र क्यों न बने?
-लॉरेन पॉट्स
6 मई को किंग चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी समारोह दुनिया के सामने वही शाही ठाठ-बाट और तड़क-भड़क पेश करेगा, जिसके लिए ब्रिटेन मशहूर है. लेकिन, किंग की ताजपोशी का ये समारोह, सदियों पुरानी परंपराओं में रचा बसा एक बेहद धार्मिक कार्यक्रम भी होगा.
कई लोगों को लगता है कि 2023 में ऐसे रीति रिवाज बेवक़्त शहनाई बजाने जैसे हैं.
क्या ब्रिटिश किंग की ताजपोशी आज भी उतनी ही अहमियत रखती है, जैसी सदियों पहले हुआ करती थी? और, एक सवाल ये भी है कि क्या ब्रिटेन के किंग को इसकी ज़रूरत है?
शनिवार को होने वाले अपनी तरह के अनोखे राज्याभिषेक समारोह को ब्रिटेन ही नहीं, पूरी दुनिया में करोडों लोग देखेंगे.
हो सकता है कि ब्रिटेन की जनता ऐसे शाही जश्न और समारोहों की आदी हो. उसे इस दौरान दिखने वाली तड़क-भड़क और आडंबर, इसमें उमड़ी भीड़ और सड़कों पर जश्न मनाने की आदत पड़ी हो.
लेकिन, ब्रिटेन ने ताजपोशी का जो पिछला शाही समारोह देखा था, वो 70 बरस पहले हुआ था. तब के मुक़ाबले अबकी बार मामला बिल्कुल अलग है, और किंग की ताजपोशी को लेकर लोगों में उत्सुकता है: क्योंकि, इस दौरान किंग चार्ल्स एक मध्यकालीन शपथ लेंगे.
इस दौरान उन्हें बारहवीं सदी के एक चम्मच से मंत्रों से अभिषिक्त पवित्र तेल लगाया जाएगा. ताजपोशी के इस समारोह में सात सौ साल पुरानी एक कुर्सी भी होगी, जिसमें एक पत्थर भी लगा है. इस पत्थर के बारे में कहा जाता था कि जब इस पत्थर को शाही तख़्त का वाजिब उत्तराधिकारी दिखता था, तो उससे दहाड़ निकलती थी.
कुछ जानकार, समारोह की तुलना शादी के कार्यक्रम से करते हैं. फ़र्क़ बस इतना होता है कि ताजपोशी में जोड़े का ब्याह रचाने के बजाय, राजा या महारानी की शादी उनके देश या सल्तनत से की जाती है.
लंदन के ऐतिहासिक चर्च वेस्टमिंस्टर एबे में जो दो हज़ार लोग किंग चार्ल्स की ताजपोशी के गवाह बनेंगे, उनसे पूछा जाएगा कि क्या वो उन्हें अपने शासक के तौर पर मान्यता देते हैं. उसके बाद ही किंग को ताजपोशी की अंगूठी देकर एक शपथ लेने को कहा जाएगा.
अगर ये सारे रीति रिवाज आपको किसी गुज़रे ज़माने के लगते हैं, तो इसकी वजह यही है कि पिछले लगभग एक हज़ार साल से ब्रिटेन में ताजपोशी समारोहों में शायद ही कोई बड़ा बदलाव आया हो. क़ानून की बात करें, तो इसकी कोई ज़रूरत नहीं है. क्योंकि अपने पूर्ववर्ती के देहांत के बाद क़ानूनी वारिस ख़ुद-ब-ख़ुद किंग या क्वीन बन जाते हैं.
लेकिन, यह कार्यक्रम एक प्रतीकात्मक अहमियत रखता है. किंग्स कॉलेज लंदन में ताजपोशियों पर किए जा रहे रिसर्च के एक प्रोजेक्ट के अगुवा डॉक्टर जॉर्ज ग्रॉस कहते हैं कि ताजपोशी के ज़रिए किंग या महारानी शाही शासक की अपनी ज़िम्मेदारी को लेकर औपचारिक रूप से प्रतिबद्धता जताते हैं.
डॉक्टर जॉर्ज ग्रॉस मानते हैं कि किंग या महारानी अपनी ताजपोशी के वक़्त, जब सार्वजनिक रूप से 'क़ानून की मर्यादा बनाए रखने और दया के साथ इंसाफ़ करने' का वादा करते हैं, तो वो अपने आप में एक अनूठा और ख़ास लम्हा होता है.
वो कहते हैं कि, "आज की अनिश्चितताओं भरी दुनिया में जब नेता अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों को लगातार तोड़ते रहते हैं, तब हमारे किंग को कहना होगा कि 'ये वो बुनियादी बातें हैं, जो अहमियत रखती हैं', तो इस बात से मुझे कोई झटका नहीं लगता."
नए और पुराने दौर का मेल है ताजपोशी?
इसके बाद जो कुछ होता है, वो शायद ताजपोशी समारोह का निचोड़ है: ये बुनियादी तौर पर एक धार्मिक कार्यक्रम होता है. मंत्रों से सिद्ध पवित्र तेल को मध्ययुग के चम्मच में उड़ेलकर सम्राट के सिर, सीने और हाथों पर प्रतीकात्मक क्रॉस का निशान बनाते हुए लगाया जाता है.
डॉक्टर जॉर्ज ग्रॉस कहते हैं कि, ये प्रक्रिया पूरी होने पर 'किंग को लगभग एक पादरी' का दर्जा मिल जाता है. और, इससे किंग के चर्च ऑफ इंग्लैंड के मुखिया बनने का संकेत मिलता है.
संसद के लिए रिसर्च पेपर लिखने वाले डॉक्टर डेविड टॉरंस कहते हैं, "असल में ये इंग्लैंड के चर्च का समारोह है, और किंग को पवित्र तेल लगाना ज़रूरी होता है, क्योंकि इसका मतलब ये होता है कि उनके ऊपर ईश्वर ने कृपा कर दी है."
डेविड टॉरंस ये भी कहते हैं, "लेकिन, इस समारोह के ज़रिए चर्च ऑफ़ इंग्लैंड सबको याद दिलाता है कि कि वो ब्रिटेन का मान्यता प्राप्त चर्च है और किंग उसके सर्वोच्च प्रशासक हैं."
रॉयल स्टडीज़ नेटवर्क की निदेशक डॉक्टर एलेना वूडेकर कहती हैं कि पवित्र तेल लगाने का कार्यक्रम गुप्त रूप से किया जाता है, क्योंकि ये बेहद निजी लम्हा होता है. और, ऐसा करने के व्यवहारिक कारण भी हैं. क्योंकि जब किंग या महारानी के ऊपर पवित्र तेल छिड़का जा रहा होता है, तब वो बेहद कम कपड़ों में होते हैं.
वो कहती हैं कि जब किंग चार्ल्स के ऊपर पवित्र तेल छिड़का जा रहा होगा, तो कैमरों का रुख़ उधर से हट जाने की संभावना है. 1953 में जब महारानी एलिज़ाबेथ की ताजपोशी हुई थी, तब भी ऐसा ही हुआ था. वो पहली ताजपोशी थी, जिसका टीवी पर प्रसारण किया गया था. जब महारानी का शाही लबादा और उनके गहने उतार दिए गए थे, तो कैमरों का रुख़ उनकी ओर से मोड़ दिया गया था.
क्या है पवित्र तेल, जिसे किया जाएगा अभिषेक
किंग चार्ल्स की ताजपोशी के लिए इस बार नए सिरे से पवित्र तेल तैयार किया गया है. जबकि इससे पहले कुछ शासकों ने ताजपोशी के वक़्त पहले का मंत्रसिद्ध पवित्र तेल ही इस्तेमाल कर लिया था. पहले, पवित्र तेल तैयार करने में जानवरों के उत्पाद जैसे कि गंधबिलाव का तेल या स्पर्म व्हेल के पेट से निकाली जाने वाली जड़ी एंबरग्रिस का इस्तेमाल किया जाता था.
लेकिन, जानवरों के प्रति क्रूरता के ख़िलाफ़ संदेश देते हुए, किंग चार्ल्स के ताजपोशी में इस्तेमाल होने वाले पवित्र तेल को जैतून के तेल से तैयार किया गया है. और शायद अन्य धर्मों के प्रति सहमति जताने के लिए वो जैतून इस्तेमाल किए गए हैं, जो यरूशलम के मैरी मैग्डालीन के मठ में उगाए गए थे. ये वही जगह है, जहां किंग चार्ल्स की दादी, प्रिंसेस एलिस दफ़्न हैं.
डॉक्टर एलेना वूडेकर कहती हैं कि इस तेल का चुनाव शायद 'नए दौर की संवेदनाओं का ख़याल' रखते हुए किया गया है. वो कहती हैं कि इस पवित्र तेल में 'परंपरा और निरंतरता के साथ बदलाव के हिसाब से ढल जाने का मेल' दिखता है. वो भी उस मौक़े पर जब कई लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या आज के दौर में भी राजशाही की कोई ज़रूरत है?
ताजपोशी वो मौक़ा है जब किंग चार्ल्स गुज़रे हुए ज़माने की ताक़त का इस्तेमाल करके अपने भविष्य की दशा दिशा तय करेंगे. वेस्टमिंस्टर एबे में ताजपोशी जैसी परंपराएं और सदियों पुराने चम्मच का इस्तेमाल, उन्हें लिए अपनी हैसियत मज़बूत बनाने में मददगार साबित होंगे.
परंपराओं की फ़िक्र?
ग्राहम स्मिथ, ब्रिटेन में रिपब्लिक नाम के एक संगठन के सदस्य हैं. ये संगठन देश के लिए चुने हुए राज्याध्यक्ष बनाने का अभियान चलाता है. ग्राहम स्मिथ सवाल करते हैं कि आज जब ताजपोशी के 'पैमाने, दायरे और रीति रिवाज हर बार बदल जाते हैं', तो क्या वाक़ई इन्हें जारी रखने के लिए परंपरा का हवाला देना एक वाजिब तर्क है?
वो कहते हैं कि, "ज़्यादातर लोगों को याद नहीं है कि पिछली बार क्या हुआ था, तो ज़ाहिर है कि ये कोई ऐसी परंपरा नहीं, जिसका किसी के लिए कोई मतलब है. इसकी कोई संवैधानिक अहमियत नहीं है. इसकी ज़रूरत नहीं है. और, अगर हम समारोह न भी करें, तो भी चार्ल्स हमारे किंग बने रहेंगे."
निश्चित रूप से किसी शाही शासक को राज करने के लिए ताजपोशी की ज़रूरत नहीं होती और एडवर्ड सप्तम जैसे गिने चुने सम्राटों ने बिना ताजपोशी के भी राज किया था. एडवर्ड सप्तम ने तो अपनी मुहब्बत के लिए साल भर के भीतर ही शाही तख़्त को छोड़ भी दिया था.
यूरोप के दूसरे शाही शासकों ने लंबे अर्से पहले ही ताजपोशी के तड़क-भड़क भरे समारोह को तिलांजलि दे दी थी. और, जनता की राय ये इशारा कर रही है कि शायद ब्रिटेन में भी ऐसे आयोजनों को लेकर लोगों की दिलचस्पी कम हो रही है.
हाल ही में किए गए यूगॉव (YouGov Poll) पोल में शामिल 48 फ़ीसद लोगों कहा था कि इस बात की पूरी संभावना है कि वो शायद ताजपोशी का समारोह नहीं देखेंगे.
इसी तरह, महारानी एलिज़ाबेथ के राज-पाट की प्लेटिनम जुबिली के वक़्त किए गए एक और सर्वे में पाया गया था कि ब्रिटेन के दस में से छह लोग राजशाही के समर्थक ज़रूर थे. मगर, ज़्यादातर लोग ये महसूस करते थे कि देश के लिए शाही परिवार अब उतना अहम नहीं रह गया था, जितना 1952 में था.
नेशनल सेक्यूलर सोसाइटी के मुख्य कार्यकारी स्टीफन एवांस कहते हैं कि पिछला ताजपोशी समारोह 1953 में हुआ था. उसके बाद से ब्रिटेन का धार्मिक माहौल 'इतना बदल चुका है कि पहचानना मुश्किल है' ऐसे में, 'इंग्लिश चर्च के इस समारोह से बहुत से लोग जुड़ाव महसूस नहीं कर पाएंगे.'
डॉक्टर डेविड टॉरंस भी इस बात से सहमत हैं. वो कहते हैं कि हो सकता है उस वक़्त ताजपोशी के समारोह के मुख्य पहलुओं से जनता परिचित रही हो. लेकिन, तब की तुलना में शायद आज लोग इस कार्यक्रम के बारे में कम ही जानते हैं.
लेकिन, वो ये भी कहते हैं कि आज ब्रिटेन में धार्मिकता बढ़ रही है. आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि लंदन के गिरजाघरों में भीड़ बढ़ रही है और इन दिनों इंग्लिश चर्च काफ़ी व्यस्त रहने लगे हैं.
डेविड टॉरंस कहते हैं, "जब महारानी का निधन हुआ तो हमने उनके अंतिम संस्कार के दौरान मज़हब का काफ़ी मेल दिखा था. मुझे लगता है कि राजमहल भी जनता के जज़्बात से हैरान रह गया था.... कई लोगों ने इस पर बारीक़ी से ध्यान दिया था. अगर आज ताजपोशी के समारोह को चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की परंपराओं से थोड़ा कम जोड़ने की कोशिश हो रही है, तो हो सकता है कि इसके पीछे यही सोच हो कि आज के ब्रिटेन में दूसरे धर्मों के मानने वाले भी काफ़ी लोग रहते हैं."
इक्कीसवीं सदी में ताजपोशी?
हालांकि, ये बात भी सच है कि ताजपोशी का सबसे ज़रूरी हिस्सा एक धर्म से जुड़ा है.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ मॉडर्न मोनार्की की निदेशक प्रोफ़ेसर एना व्हाइटलॉक कहती हैं, "ताजपोशी समारोह के केंद्र में पवित्र तेल छिड़कना और चर्च ऑफ़ इंग्लैंड को क़ायम रखने की शपथ लेना है. सच तो ये है कि आप ताजपोशी के बुनियादी हिस्सों को नहीं बदल सकते हैं. ये रिवाज़ एक ख़ास पंथ से जुड़े हैं. विविधता भरे नहीं हैं, और इनका ताल्लुक़ उस विशेषाधिकारों से है, जो विविध धर्मों और जातीयताओं वाले आज के ब्रिटेन की पहचान से बिल्कुल अलग है."
प्रोफ़ेसर एना ये मानती हैं कि ताजपोशी को आज के दौर के हिसाब से ढालने की कोशिश की जा रही है. जैसे कि पिछली ताजपोशी की तुलना में इस बार का समारोह कम भव्य होगा, छोटा होगा. इसके लिए नया संगीत तैयार कराया गया है और इसमें बहुत अलग-अलग मेहमान बुलाए गए हैं. हालांकि, वो कहती हैं, "चूंकि आप बुनियादी उसूलों को नहीं बदल सकते, तो ये कोशिश ऊपरी बनावट और श्रृंगार में बदलाव की मालूम होती है."
क्लिक करें और देखें वीडियो : सुनील का सवाल: राजा-रानी कब तक ढोएं, ब्रिटेन गणतंत्र क्यों न बने?
प्रोफ़ेसर एना व्हाइटलॉक का मानना है कि ताजपोशी के समारोह में किसी भी अर्थपूर्ण बदलाव के लिए व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करना होगा. जैसे कि चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की मान्यता ख़त्म करना या फिर राजशाही को लेकर एक जनमत संग्रह कराना. उनका मानना है कि इनमें से कोई भी बात फिलहाल तो नहीं होने जा रही है.
वो कहती हैं, "शाही परिवार की वैधता परंपराओं और निरंतरता पर टिकी है. तो मुझे लगता है कि अगर प्रिंस विलियम ताजपोशी की परंपरा ख़त्म करते हैं, तो लोग कहेंगे कि ये तो कुछ ज़्यादा ही हो गया और इससे राजशाही की संस्था को चोट पहुंचेगी. तो, मुझे नहीं लगता कि अभी हम उस मोड़ पर पहुंच पाए हैं."
लोगों के पास पैसे की तंगी और दूसरी तरफ़ शाही जलसा
डॉक्टर जॉर्ज ग्रॉस मानते हैं कि ताजपोशी के कार्यक्रम को दूसरे तरीक़ों से आधुनिक बनाने की कोशिश हो रही है. इसमें लागत का सवाल भी है.
वो कहते हैं कि आर्थिक तंगी के दौर में ताजपोशी होना कोई नई बात नहीं है. डॉक्टर ग्रॉस इसके लिए किंग जॉर्ज षष्ठम की ताजपोशी की मिसाल देते हैं, जो महान मंदी के दौर में हुई थी.
लेकिन, किंग चार्ल्स की ताजपोशी में उनकी मां के ताजपोशी की तुलना में एक चौथाई मेहमान बुलाने का फ़ैसला, शायद राजमहल की इस कोशिश का नतीजा है कि समारोह का ख़र्च 'वाजिब' रहे.
लेकिन, आज जब ब्रिटेन के लोग पैसे की तंगी का सामना कर रहे हैं, तो आलोचक कहते हैं कि करोड़ों रुपए ख़र्च करके राज्याभिषेक का समारोह आयोजित करना, जनता के पैसे की बर्बादी है.
ब्रिटेन का संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्रालय ये बताने में नाकाम रहा है कि ताजपोशी के समारोह में कितनी रक़म ख़र्च होगी?
लेकिन, ज़ाहिर है कि ये ठाठ-बाट, ये तड़क-भड़क कोई मुफ़्त में तो होने वाला नहीं. मंत्रालय ने तो अब तक ये भी नहीं बताया कि महारानी एलिज़ाबेथ के सरकारी अंतिम संस्कार में कितना पैसा लगा था.
हालांकि, अगर तुलना करें, तो, ख़बरों के मुताबिक़ 2002 में महारानी की मां के अंतिम संस्कार में 54 लाख पाउंड की रक़म ख़र्च हुई थी.
हालांकि, महारानी और उनकी मां दोनों के निधन पर लोगों की जैसी प्रतिक्रिया रही है, उससे लगता है कि राजशाही को लेकर ब्रिटेन की जनता में अभी भी कुछ न कुछ दिलचस्पी ज़रूर है.
पिछले साल सितंबर में जब महारानी का शव अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था, तो लगभग ढाई लाख लोगों ने क़तार लगाकर अपनी बारी आने का इंतज़ार किया था. महारानी की मां के अंतिम दर्शन के लिए भी इतनी ही भीड़ जुटी थी.
ब्रिटेन की 6.7 करोड़ आबादी के लिहाज़ से ये तादाद भले ही कम लगे. लेकिन, शाही परिवार को लेकर ब्रिटेन की दिलचस्पी इस बात से भी समझ सकते हैं कि देश की 40 प्रतिशत जनता ने महारानी एलिज़ाबेथ के अंतिम संस्कार को टीवी पर देखा था.
अब किंग चार्ल्स की ताजपोशी को लेकर भी जनता में उतनी ही दिलचस्पी रहेगी या नहीं, ये देखना बाक़ी है. लेकिन, प्रोफ़ेसर एना व्हाइटलॉक को इसमें संदेह है.
वो कहती हैं , "इसमें कोई शक नहीं कि कुछ लोग ताजपोशी का समारोह देखेंगे, और कहेंगे कि यही शाही ठाठ-बाट और आडंबर है, जो ब्रिटेन सबसे अच्छे से करता है. लेकिन, ये सोचकर एक झटका लगता है कि एक इंसान, जो चुना हुआ नहीं है. जो न तो धार्मिक तौर पर, और न ही जातीयता के लिहाज़ से ब्रिटेन की नुमाइंदगी करता है. वो बस अपनी पैदाइश के इत्तेफ़ाक़ से वहां है, जहां उसका राजतिलक करके हम सबसे ऊपर का दर्जा दिया जा रहा है." (bbc.com/hindi)
लंदन, 5 मई ब्रिटिश एम्पायर मेडल (बीईएम) से सम्मानित भारतवंशी शेफ (खानसामा) मंजू मल्ही शनिवार को यहां होने वाले महाराजा चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला के राज्याभिषेक समारोह में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करने वाले परोपकारी संस्था से जुड़ी मल्ही को कोविड-19 के दौरान लंदन में सामुदायिक सेवा के लिए चार्ल्स की मां, दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा बीईएम से सम्मानित किया गया था।
शेफ मंजू मल्ही और बीईएम से सम्मानित 850 अन्य लोगों को राज्याभिषेक समारोह में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
मल्ही ने कहा, “जब मुझे एहसास हुआ कि यह वास्तव में हो रहा है, तो मेरी खुशी की सीमा नहीं रही। मुझमें ऐसा क्या है जो मैं विश्व के इतिहास में सबसे ऐतिहासिक क्षणों में से एक का हिस्सा बनने जा रही हूं। एब्बे में बैठकर समारोह को देखूंगी।”
उन्होंने कहा, “मैं काफी नर्वस हूं क्योंकि आमतौर पर मैं सिर्फ खाना बनाती हूं और एप्रन पहनती हूं। लेकिन यह लगभग एक शादी की तरह है बल्कि उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है कि मेरे पास सब कुछ तैयार है। मुझे एक चेकलिस्ट बनानी है, जैसे मैं अपनी सामग्रियों के लिए बनाती हूं।”
मल्ही ने ब्रिटिश भारतीय फैशन डिजाइनर गीता हांडा को एक इंडो-वेस्टर्न पोशाक बनाने के लिए चुना है जो उनकी विरासत को दर्शाए और समारोह वाले दिन की थीम से मेल खाए। (भाषा)
वैज्ञानिकों ने पहली बार एक ग्रह को उसके सितारे द्वारा निगल लिए जाने की घटना को देखा. ग्रह ने संघर्ष किया लेकिन सूर्य ने उसे निगल लिया और फिर डकार भी ली.
शायद कभी पृथ्वी के साथ भी ऐसा ही होगा. सूरज उसे निगल जाएगा. वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के इस भविष्य की झलक अंतरिक्ष में देखी जब बूढ़ा हो चुका एक सितारा बृहस्पति जितने विशाल ग्रह को निगल गया. निगलने के बाद उसने कुछ उगला भी जो अलग-अलग तरह के पदार्थ थे.
बुधवार को शोधकर्ताओं ने बताया कि यह सितारा रेड जाइंट यानी लाल दानव बनने के अपने शुरुआती दौर में है. यह चरण किसी भी सितारे की आयु का अंतिम दौर होता है, जब उसकी हाइड्रोजन खत्म हो जाती है और वह फैलना शुरू कर देता है. जैसे-जैसे सितारा बड़ा हुआ, उसका दायरा एक ग्रह तक पहुंच गया और ग्रह उसके भीतर समा गया.
कभी यह सितारा हमारे सूरज के आकार का हुआ करता था और उसका प्रकाश भी सूर्य जैसा ही था. यह सितारा हमारी आकाश गंगा मिल्की वे में पृथ्वी से करीब 12 हजार प्रकाश वर्ष दूर है. एक प्रकाश वर्ष उतनी दूरी होती है, जितनी प्रकाश किरण एक साल में तय कर सकती है. यानी करीब 9.5 खरब किलोमीटर. यह सितारा दस अरब साल यानी सूर्य से करीब दोगुनी उम्र का है.
लाल दानव बन गया था सितारा
लाल दानव बन जाने के बाद सितारे अपने वास्तविक व्यास से सौ गुना ज्यादा फैल सकते हैं और इस दौरान वे आसपास के तमाम ग्रहों को निगल जाते हैं. वैज्ञानिकों ने पहले लाल दानवों को दूसरे सितारे निगलते तो देखा था लेकिन यह पहली बार था कि उन्होंने किसी ग्रह को इस तरह निगले जाते देखा.
एमआईटी कावली इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स में शोधकर्ता डॉ. किशाले डे कहते हैं कि अब से करीब पांच अरब वर्ष बाद सूर्य लाल दानव बनेगा तो बुध, शुक्र और आखिर में पृथ्वी को निगल जाएगा. डे ने इस परिघटना पर एक शोध पत्र लिखा है जिसे नेचर पत्रिका ने प्रकाशित किया है.
इस शोध पत्र में डॉ. डे बताते हैं कि जिस ग्रह को निगला गया, वह ‘हॉट जुपिटर' श्रेणी का ग्रह था. यह हमारे सौर मंडल के ग्रह बृहस्पति जैसा ही था, लेकिन वह अपने सितारे के कहीं ज्यादा करीब था. शायद इसका आकार बृहस्पति से कुछ गुना बड़ा था और यह अपने सितारे की परिक्रमा एक दिन में पूरी कर लेता था. जैसे-जैसे सितारा फैलता गया, ग्रह उसके और करीब होता गया.
ग्रह ने संघर्ष किया
शोधकर्ताओं में शामिल हार्वर्ड-स्मिथोसनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के डॉ. मॉर्गन मैक्लॉयड कहते हैं, "ग्रह टुकड़ों में अपने सितारे के अंदर इस तरह गिरा जैसे उपग्रह पृथ्वी के वातावरण में गिरते हैं. यह जितना गहरा गया, उसके अंदर जाने की रफ्तार उतनी ही ज्यादा बढ़ती गई. इस तरह जो कक्षा करोड़ों, अरबों सालों से टिकी हुई थी, उसी ने उसे सितारे के भीतर धकेल दिया. अचानक सूर्य ने इस सितारे को इतनी तेजी से निगला कि हमें ऊर्जा की लहर नजर आई, जो खाने के बाद ली गई डकार जैसी थी. परिणामस्वरूप गर्मी ने ग्रह को तहस-नहस कर दिया और सब कुछ सितारे के भीतर समा गया.”
शोधकर्ताओं ने उस सितारे के अन्य ग्रहों को देखा तो नहीं है लेकिन वे कहते हैं कि अन्य ग्रह भी मौजूद हो सकते हैं. डॉ. डे बताते हैं, "ऐसा नहीं कि ग्रह ने अपने बचाव में संघर्ष नहीं किया. हमें मिले आंकड़े बताते हैं कि निगले जाने से पहले ग्रह के गुरुत्वाकर्षण ने सितारे की सतह को काटने का प्रयास किया था. लेकिन सितारा हजारों गुना ज्यादा विशाल है और ग्रह ज्यादा कुछ कर नहीं सका.”
डॉ. मैक्लॉयड कहते हैं कि यह सोचना ही विनम्रता से भर देता है कि हमारे ग्रह का भी एक दिन यही हश्र होगा. उन्होंने कहा, "हम इतने छोटे हैं कि पृथ्वी को निगलने के बाद सूर्य डकार तक नहीं लेगा, जैसा कि हमने इस सितारे पर देखा. जब सूर्य पृथ्वी को निगलेगा तो उसे कोई फर्क तक नहीं पड़ेगा.”
वीके/एए (रॉयटर्स)
इस साल मार्च महीने में लगभग दस हजार भारतीयों को अमेरिकी सीमा पार करते हुए पकड़ा गया. अमेरिका में बढ़ते भारतीय अवैध प्रवासी वहां की सरकार के लिए नई समस्या बन गए हैं.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
दस साल पहले जब अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर कोई अवैध प्रवासी पहुंचता था तो यह माना जाता था कि मेक्सिको से होगा. अब ऐसा नहीं है. अब वहां दूसरे कई देशों के लोग पहुंच रहे हैं और यह सरकार के लिए बड़ी समस्या बन गया है.
अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सीमा पार करने की कोशिश करते लोगों में एशिया और दक्षिणी अमेरिका के दर्जनों देशों के लोगों की संख्या मेक्सिको के लोगों से ज्यादा हो गई है. इनमें पेरू, वेनेजुएला, हैती, भारत और रूस के लोगों की भारी तादाद है. 2011 में जहां 85 फीसदी तक लोग मेक्सिको के होते थे, अब वे एक तिहाई से भी कम हो चुके हैं.
11 मई से अमेरिका में नियम 42 खत्म हो जाएगा. इस नियम ने कोविड-19 महामारी के कारण अमेरिका आने वाले शरणार्थियों को कुछ अतिरिक्त अधिकार दिए थे जो 11 मई को खत्म हो जाएंगे. जनवरी में भी बाइडेन सरकार ने शरणार्थी नियमों में कुछ बदलाव किए थे जिसके बाद अवैध प्रवासियों की संख्या कुछ घटी. लेकिन अप्रैल के मध्य से इस संख्या में फिर से बढ़त देखी जा रही है.
नेशनल बॉर्डर पट्रोल काउंसिल के अध्यक्ष ब्रैंडन जड कहते हैं कि औसतन 7,200 प्रवासी रोजाना सीमा पर पहुंच रहे हैं. मार्च में यह संख्या 5,200 हुआ करती थी. अधिकारी कोशिश में हैं कि इन प्रवासियों की जल्द से जल्द जांच की जाए और जो जायज शरणार्थी नहीं हैं, उन्हें फौरन उनके देश लौटा दिया जाए. लेकिन उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर उनके साथ अलग-अलग व्यवहार होता है.
चार देशों के लिए कोटा
इसके लिए अलग-अलग श्रेणियां बनाई गई हैं. मसलन, क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लिए सीएचएनवी श्रेणी है. दिसंबर में जितने लोग अमेरिकी सीमा पर रोके गए, उनमें से 40 फीसदी इन्हीं चार देशों से थे. मार्च में उनकी संख्या सिर्फ 3 प्रतिशत रह गई थी. 5 जनवरी को सरकार ने ऐलान किया कि इन चार देशों से हर महीने अधिकतम 30 हजार लोग सीमा पार कर सकते हैं, बशर्ते उन्होंने ऑनलाइन अर्जी दी हो और उनके पास समुचित धन हो.
अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले इतने ही लोगों को मेक्सिको वापस लेने को भी राजी हो गया था. हालांकि टेक्सस समेत कई अमेरिकी राज्यों ने इस योजना का विरोध किया है. मेक्सिको ने बुधवार को कहा कि वह इन चार देशों के लोगों को अमेरिका से निकाले जाने के बाद वापस लेना जारी रखेगा.
दरअसल, इन देशों के लोगों के लिए हालात अनुकूल हैं क्योंकि इनके देश इन्हें वापस लेने को तैयार नहीं हैं. हालांकि क्यूबा ने सोमवार को कहा था कि वह अब अपने लोगों को वापस ले लेगा. दिसंबर 2020 के बाद अब वह अवैध शरणार्थियों को वापस लेने को राजी हुआ है. लेकिन हैती में हालात गंभीर हैं. वहां हिंसा और अपराध के कारण अवैध शरणार्थियों को विमान से वापस भेजना मुमकिन नहीं हो पा रहा है.
बढ़ते भारतीय शरणार्थी
समस्या अन्य देशों से आ रहे लोगों की ज्यादा है. मार्च में जितने अवैध प्रवासी अमेरिकी सीमा पर पहुंचे उनमें से दो तिहाई अन्य देशों से ही थे. यह चलन पिछले कई साल के चलन से अलग है. जैसे कि भारतीयों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है. हाल ही में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि फरवरी 2019 से मार्च 2023 के बीच 1.19 लाख भारतीय लोग अमेरिका में अवैध रूप से घुसते हुए पकड़े गए. कुछ अधिकारी कहते हैं कि इनमें से अधिकतर गुजराती थे.
जनवरी 2022 में 5,459 भारतीयों को अमेरिकी सीमा पार करते हुए पकड़ा गया था. इनमें से 740 को कनाडा-अमेरिका सीमा पर पकड़ा गया था. जनवरी 2023 में यह संख्या 35.9 फीसदी बढ़कर 7,421 हो गई. कनाडा-अमेरिका सीमा पर ही 2,478 भारतीयों को पकड़ा गया. हालांकि कुल पकड़े गए लोगों में भारतीयों की संख्या दो फीसदी है और बहुत कम लोगों को डिपोर्ट किया गया है.
बड़ी संख्या में लोगों को अमेरिका में मानवीय आधार पर शरण मिल रही है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2017 के बाद से अमेरिका शरणार्थियों के लिए सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है. शायद यही वजह है कि भारतीयों के अमेरिकी सीमा पार करने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस साल मार्च में पकड़े गए भारतीयों की संख्या 9,648 रही. इनमें से कनाडा सीमा पर 2,289 भारतीय पकड़े गए.
माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टिट्यूट के मुताबिक 2021 में 27 लाख से ज्यादा भारतीय अमेरिका में रह रहे थे, जो विदेश में जन्मे लोगों की कुल आबादी का लगभग 6 फीसदी है. 1980 में इनकी संख्या मात्र दो लाख थी. (dw.com)
अल सल्वाडोर में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एल फारो के खोजी पत्रकार और एडिटर-इन-चीफ ऑस्कर मार्टिनेज को फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया है. डॉयचे वेले यह पुरस्कार नौवीं बार प्रदान कर रहा है.
सरकार की खुली आलोचना करने वाला डिजिटल प्लेटफॉर्म एल फारो संगठित अपराध और राजनीति के साथ उसके रिश्तों पर अपने खोजी अनुसंधान के लिए पूरे लैटिन अमेरिका में जाना जाता है. मार्टिनेज को पुरस्कार देने की घोषणा करते हुए डॉयचे वेले के महानिदेशक पीटर लिम्बुर्ग ने कहा, "मध्य अमेरिका निरंकुश शासन की एक नई लहर का सामना कर रहा है और इसके साथ आती है तेजी से सीमित होती प्रेस की स्वतंत्रता.
स्वतंत्र पत्रकारों पर भारी दबाव
अल सल्वाडोर में मीडिया को पहले कभी भी इतना कसकर नियंत्रित नहीं किया गया है. ऑस्कर मार्टिनेज और एल फारो के संपादकीय कर्मचारी साहसपूर्वक उस भारी दबाव का मुकाबला कर रहे हैं, जिसका सामना अल सल्वाडोर के साथ-साथ अन्य मध्य अमेरिकी देशों में पत्रकारों को अपने काम में करना पड़ता है. वे निरंकुश सरकारों और संगठित अपराध की साजिशों का रहस्योद्घाटन करते हैं और बड़े व्यक्तिगत जोखिम उठाकर इसके बारे में लोगों को जानकारी देते हैं.
मार्टिनेज सामयिक विषयों पर शोध करते हैं. उन्होंने सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और पुलिस द्वारा की जाने वाली न्यायेत्तर हत्याओं पर रिपोर्ट की है. एल फारो ने आपराधिक संगठन एमएस-13 (मारा सल्वातृचा) के साथ राष्ट्रपति बुकेले की सरकार की बातचीत का खुलासा किया, जो उत्तर और मध्य अमेरिका में सक्रिय है. एल फारो ने सरकार और संगठन के बीच सजा कम करने, अधिकार क्षेत्र में बदलाव करने और अमेरिका के प्रत्यर्पण संबंधी अनुरोधों को न मानने पर संगठन के साथ सरकारी मिलीभगत को उजागर किया. इन निष्कर्षों की पुष्टि एक अमेरिकी अदालत में एमएस -13 संगठन के सदस्यों पर अभियोग लगाने के साथ हुई थी.
पुरस्कार मध्य अमेरिकी पत्रकारों को समर्पित
ऑस्कर मार्टिनेज ने फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड को उन सभी मध्य अमेरिकी पत्रकारों को समर्पित किया है, जो सच्चाई को सामने लाने के प्रयासों को रोकने से इनकार करते हैं, "मेरा मानना है कि मध्य अमेरिकी पत्रकारों को [सच्चाई] को सामने लाना जारी रखना चाहिए. ऐसा बहुत कुछ है जो शक्तिशाली लोग छिपाना चाहते हैं. पत्रकारों को सत्ता के अंधेरे कोनों और उसके नियंत्रण तंत्र का रहस्योद्घाटन करना होगा. यह अब और भी अपरिहार्य है कि मध्य अमेरिका निरंकुशता की एक नई लहर का सामना कर रहा है. हमें सटीक जानकारी के साथ सरकारी प्रचारों और गलत सूचनाओं का मुकाबला करना होगा.
हाल के वर्षों में, मार्टिनेज और एल फारो में उनके सहयोगियों पर बुकेले सरकार ने भारी दबाव डाला है, जासूसी की है और काम में बाधा डाली है. सुरक्षा कारणों से, डिजिटल प्रकाशन का एक हिस्सा हाल ही में कोस्टा रिका में स्थानांतरित हो गया. मार्टिनेज को भी पिछले दिनों मौत की धमकियों के कारण हड़बड़ी में देश छोड़ना पड़ा था.
डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड
डीडब्ल्यू दुनिया भर में 32 भाषाओं में स्वतंत्र समाचार और जानकारी प्रदान करता है, जिससे लोगों को अपनी स्वतंत्र राय बनाने में मदद मिलती है. लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के अलावा, डीडब्ल्यू विशेष रूप से अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है. मीडिया कवरेज पर सेंसर लगाने वाले देशों में भी लोगों तक पहुंचने के लिए, डीडब्ल्यू बढ़ते पैमाने पर सेंसरशिप को दरकिनार करने के उपायों का उपयोग करता है.
2015 में डॉयचे वेले ने कई क्षेत्रों में सीमित प्रेस स्वतंत्रता पर ध्यान आकर्षित करने और दुनिया भर में पत्रकारों के उत्कृष्ट कार्यों का सम्मान करने के लिए फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड देने की शुरुआत की. पुरस्कार के पिछले विजेताओं में नाइजीरियाई खोजी पत्रकार टोबोर ओवुरी (2021) और यूक्रेनी युद्ध संवाददाता मस्तिस्लाव चेरनोव और एवगेनी मालोलेत्का (2022) शामिल हैं.
डीडब्ल्यू ग्लोबल मीडिया फोरम में होगा पुरस्कार समारोह
फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड ऑस्कर मार्टिनेज को डीडब्ल्यू के अंतर्राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन ग्लोबल मीडिया फोरम के दौरान दिया जाएगा. इस वर्ष के आदर्श वाक्य "विभाजन पर काबू" के तहत, मीडिया और राजनीति के क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ 19 और 20 जून, 2023 को मौजूदा समय के महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रतिभागियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.
अमेरिका में सिगरेट पीने वालों की संख्या लगातार नीचे जा रही है. बीते छह दशकों में यह घट कर लगभग एक चौथाई रह गई है. हालांकि इसी बीच ई-सिगरेट का चलन बढ़ रहा है. ऑस्ट्रेलिया ने तो ई-सिगरेट को कड़े नियमों में बांध दिया है.
अमेरिका में सिगरेट पीने वालों की संख्या पिछले साल रिकॉर्ड स्तर पर नीचे गई है. हर 9 में से एक वयस्क का कहना है कि वह कुछ दिन पहले तक सीगरेट पीता था. इसी बीच इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पीने वालों की संख्या बढ़ गई है. हरेक 17 में से एक ने ई सिगरेट पीने की बात स्वीकार की है. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंट प्रिवेंशन के जुटाये शुरुआती आंकड़ों से ये बात सामने आई है. इस सर्वे में 27,000 वयस्कों ने हिस्सा लिया.
सिगरेट पीने से फेफेड़े के कैंसर, दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा रहता है. लंबे समय से इसे ऐसी मौत के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जिसे रोका जा सकता है. बीते कई दशकों से सिगरेट पीने वालों की संख्या घटती जा रही है. इसके लिए सिगरेट पर टैक्स, तंबाकू की कीमत बढ़ने और धूम्रपान पर प्रतिबंधों और सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीने की रोक को स्वीकार्यता मिलने को जिम्मेदार माना जाता है.
1960 के दशक में अमेरिका के 42 प्रतिशत वयस्क सिगरेट पीते थे. पिछले साल सिगरेट पीने वालों की संख्या घट कर 11 प्रतिशत पर चली आई. इससे पहले 2020 और 2021 में यह 12.5 प्रतिशत थी. सीडीसी के मुताबिक 2020 में अमेरिका के 3.08 करोड़ लोग सिगरेट पी रहे थे. पुरुषों में यह दर 14.1 फीसदी थी और महिलाओं में 11 फीसदी. सर्वेक्षणों के नतीजे कई बार थोड़े बहुत बदलते हैं और उम्मीद की जा रही है कि सीडीसी जल्दी ही अंतिम आंकड़े जारी करेगा.
ई-सिगरेट का इस्तेमाल बढ़ा
इस बीच ई-सिगरेट की इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ गई है. एक साल पहले 4.5 प्रतिशत वयस्क इसका इस्तेमाल कर रहे थे जो अब 6 फीसदी हो गये हैं. ई-सिगरेट का इस्तेमाल बढ़ने से चिंता बढ़ी है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक निकोटिन की आदत के भी सेहत पर कई बुरे प्रभाव हैं. इसमें ब्लेड प्रेशर का बढ़ना और धमनियों का पतला हो जाना भी शामिल है.
कोलोराडो स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन डॉन जोनाथन सामेट का कहना है, "मेरे ख्याल धूम्रपान का नीचे जाना जारी रहेगा, लेकिन निकोटिन की आदत घटेगी, खासतौर से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को देखते हुए, यह साफ नहीं है." सामेट यूएस सर्जन जनरल रिपोर्ट ऑन स्मोकिंग एंड हेल्थ के लिए लगभग चार दशकों से लिखते आ रहे हैं.
अमेरिका के किशोर बच्चों में धूम्रपान और ई-सिगरेट का इस्तेमाल यानी वेपिंग की दर वयस्कों की तुलना में उल्टी है. हाई स्कूल के केवल 2 फीसदी छात्र पारंपरिक सिगरेट पीते हैं, जबकि ई सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले छात्र 14 फीसदी हैं.
वेपिंग के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की मुहिम
बीते सालों में ई सिगरेट का चलन बढ़ रहा है, खासतौर से युवाओं में. इसे देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने इसके खिलाफ एक बड़ा अभियान शुरू किया है, जिसे बीते कई दशकों में देश का सबसे बड़ा धूम्रपान विरोधी सुधार कहा जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया ने एक बार इस्तेमाल होने वाले वेप पर पूरी तह से रोक लगाने का फैसला किया है. बिना डॉक्टर की पर्ची के मिलने वाले सारे वेप का आयात पूरी तरह से बंद किया जा रहा है. इसके साथ ही ई सिगरेट में कितनी निकोटिन हो सकती है, इसकी भी सीमा तय की जा रही है.
ऑस्ट्रेलिया ने पहले भी धूम्रपान के खिलाफ कई बड़े कदम उठाये हैं. इसी तरह का एक कदम 2012 में सिगरेट को सादे पैकेटों में बेचने का भी था. बाद में इसे फ्रांस, ब्रिटेन और कई दूसरे देशों ने भी लागू किया. हालांकि बीते कुछ सालों में रिक्रिएशनल वेपिंग विस्फोटक अंदाज में बढ़ रही है. खासतौर से किशोर इसके लती बन रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर का कहना है, "वेपिंग हाईस्कूलों में लत से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. यह प्राइमरी स्कूलों में भी फैल रहा है."
लोगों को वेपिंग का इस्तेमाल करने से रोका तो नहीं जायेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें डॉक्टर से पर्चा लिखवाना होगा. इसके जरिये यह तय करने की कोशिश की है कि लोग सिर्फ सिगरेट छोड़ने के लिए ही वेपिंग का इस्तेमाल करें. बटलर ने अगले तीन सालों तक हर साल सिगरेट पर पांच फीसदी टैक्स बढ़ाने की भी घोषणा की है. ऑस्ट्रेलिया में सिगरेट की कीमत पहले ही दुनिया में सबसे ज्यादा है. 25 सिगरेट वाले एक पैकेट की कीमत यहां फिलहाल 33 अमेरिकी डॉलर है. टैक्स बढ़ने के बाद यह और महंगी होगी.
एनआर/एसएम (एपी, एएफपी)
न्यूयॉर्क, 5 मई | भारतीय मूल के एक पिकअप ड्राइवर ने न्यूयॉर्क के लॉन्ग आईलैंड में एक कार को टक्कर मार दी जिसमें 14 साल के दो किशोरों की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, ड्राइवर ने शराब पी रखी थी। नासाउ काउंटी पुलिस ने गुरुवार को कहा कि 34 वर्षीय अमनदीप सिंह बुधवार को जेरिको में नॉर्थ ब्रॉडवे पर नॉर्थबाउंड लेन में अपने डॉज रैम पिकअप वैन से दक्षिण की ओर जा रहा था। उसने चार दरवाजे वाली अल्फा रोमियो सेडान में टक्कर मार दी जिसमें चार किशोर सवार थे।
फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, दो किशोरों ड्रू हसेनबेइन और एथन फाल्कोविट्ज की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, 16 और 17 साल के अन्य दो किशोरों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया।
नासाउ काउंटी पुलिस के कैप्टन स्टीफन फिट्जपैट्रिक ने ²श्य के बारे में बताते हुए कहा कि यह शायद सबसे भयावह ²श्यों में से एक है जिसे मैंने लंबे समय में नहीं देखा है।
पुलिस ने कहा कि न्यूयॉर्क के रोसलिन का रहने वाला सिंह शुरुआती टक्कर के बाद घटनास्थल से भाग गया और आगे जाकर एक वॉल्वो को टक्कर मार दी जिसे एक 49 वर्षीय महिला चला रही थी और उनके साथ एक 16 वर्षीय पुरुष यात्री भी था। दोनों पीड़ितों का घटनास्थल पर इलाज कर छोड़ दिया गया।
सिंह को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया और मामूली चोटों के इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया।
उस पर फस्र्ट-डिग्री व्हीकल मैनस्लॉटर, सेकेंड-डिग्री मैनस्लॉटर, एक वाहन दुर्घटना स्थल से भागने, नशे में ड्राइविंग, और सेकेंड-डिग्री हमले के दो मामलों के आरोप लगाए गए हैं।
सिंह को गुरुवार को हेम्पस्टेड में फर्स्ट डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पेश किया गया था।
अभियोजकों के अनुसार, टक्कर के समय सिंह के खून में अल्कोहल की मात्रा कानूनी सीमा से दोगुनी थी।
अदालत को बताया गया कि उसे पहले भी किशोरावस्था में नशे में वाहन चलाने और सामूहिक हमले का दोषी ठहराया गया था।
उसकी अगली सुनवाई 8 मई को निर्धारित है। (आईएएनएस)
मेलबर्न, 5 मई | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा से पहले एक हिंदू मंदिर की दीवार पर उनके खिलाफ नारे लिखने की घटना सामने आई है। मोदी 23 मई को ऑस्ट्रेलिया जाने वाले हैं। ऑस्ट्रेलिया टुडे ने बताया कि पश्चिमी सिडनी के रोजहिल उपनगर में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की सामने की दीवार पर मोदी को आतंकवादी घोषित करो के संदेश के साथ शुक्रवार सुबह स्प्रे-पेंट किया गया था।
मंदिर में नियमित रूप से आने वाली सेजल पटेल ने कहा, आज सुबह जब मैं पूजा के लिए आई तो मैंने सामने की दीवार पर बदसूरत बर्बरता देखी।
मंदिर के अधिकारियों ने गेट पर एक खालिस्तानी झंडा लटका हुआ पाया, और मामले की सूचना न्यू साउथ वेल्स पुलिस को दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों ने मंदिर का दौरा किया। उन्हें हमले का सीसीटीवी फुटेज मुहैया कराया गया है।
इससे पहले मार्च में ब्रिस्बेन में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर की चारदीवारी को तोड़ दिया गया था।
इस साल जनवरी में मेलबर्न में तीन हिंदू मंदिरों को खालिस्तानी समर्थकों द्वारा भारत विरोधी भित्तिचित्रों और भिंडरावाले समर्थक नारों के साथ विरूपित किया गया था। बाद में मंदिर के पुजारियों को 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने के लिए धमकी भरे फोन आए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के कुछ ही दिनों बाद फरवरी में ब्रिस्बेन में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तानी झंडे लगे पाए गए थे।
भारत ने बार-बार ऑस्ट्रेलियाई सरकार के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया है और तेजी से कार्रवाई करते हुए अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के लिए कहा है।
इस वर्ष अपनी भारत यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने मोदी को कड़ी कार्रवाई का आश्वासन देते हुए कहा था कि भारतीय समुदाय की सुरक्षा उनकी सरकार की प्राथमिकता है।
मोदी मई में जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाने वाले हैं, जहां वे सिडनी में 23-24 मई को क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। (आईएएनएस)
ग्वाटेमाला सिटी, 5 मई। ग्वाटेमाला के ‘वोल्कैनो ऑफ फायर’ से लावा और राख निकलने के बाद उसके ढलान वाले क्षेत्र में रह रहे करीब 250 निवासियों को वहां से हटा कर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। इसी ज्वालामुखी में 2018 में हुए भीषण विस्फोट के बाद इसके ढलान में स्थित एक हिस्सा तहस नहस हो गया था।
दमकलकर्मियों ने कहा कि पानीमाचे के निवासियों को सुरक्षित जगह ले जाया गया है।
ग्वाटेमाला की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा कि ज्वालामुखी से राख का गुबार निकल रहा है, जिससे करीब एक लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं।
12,300 फुट ऊंचा यह ‘वोल्कैनो ऑफ फायर’ मध्य अमेरिका के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी में से एक है। 2018 में हुए ज्वालामुखी विस्फोट में 194 लोगों की मौत हुई थी और 234 लोग लापता हो गए थे।
ज्वालामुखी से सबसे बड़ा खतरा राख, चट्टान, मिट्टी और मलबे के मिश्रण वाली लहरें हैं, जो पूरे कस्बों को दफन कर सकती हैं। आपदा एजेंसी का कहना है कि इस तरह की लहरें ज्वालामुखी के किनारों पर सात में से चार गलियों में बह रही हैं।(एपी)
एपी सुरभि मनीषा मनीषा 0505 1029 ग्वाटेमालासिटी
हेग, 5 मई। युद्ध को लेकर यूक्रेन और रूस के बीच बयानबाजी बृहस्पतिवार को भी जारी रही। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने जहां इस बात पर भरोसा जताया कि उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को युद्ध अपराध का दोषी ठहराया जाएगा, वहीं रूस ने आरोप लगाया कि ड्रोन हमले में अमेरिका का हाथ है। रूस इस हमले को पुतिन की हत्या का प्रयास बता रहा है।
फरवरी 2022 में रूस द्वारा युद्ध शुरू करने के बाद से अब तक दोनों देशों के नेता कई मौकों पर एक दूसरे पर निजी हमले कर चुके हैं। हालिया बयानबाजी बुधवार को उस वक्त शुरू हुई जब रूस ने राष्ट्रपति पुतिन को मारने के इरादे से राजधानी मास्को में क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति भवन) पर यूक्रेन की ओर से ड्रोन से हमला किए जाने का दावा किया।
जेलेंस्की ने इस बात से इनकार किया कि कथित ड्रोन हमले में यूक्रेन के सुरक्षा बल का हाथ है। क्रेमलिन ने इसे ‘‘आतंकवादी’’ कृत्य बताते हुए इसका करारा जवाब देने का संकल्प लिया तो क्रेमलिन समर्थकों ने इसके लिए यूक्रेन के शीर्ष नेताओं की हत्या का आह्वान किया।
कथित हमले में वास्तव में क्या हुआ, इसे लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है।
पुतिन के प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को इसमें अमेरिका की मिलीभगत का आरोप लगाया।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि क्रेमलिन इस बात को भलीभांति जानता है कि ‘‘इस तरह की कार्रवाई और आतंकवादी हमले को लेकर फैसले कीव (यूक्रेन की राजधानी) में नहीं लिए जा सकते हैं बल्कि यह फैसला वाशिंगटन में किया गया है।’’
पेस्कोव ने अपने दावे के पक्ष में कोई प्रमाण दिए बिना कहा, ‘‘और कीव वही कर रहा है जो उसे कहा जा रहा है।’’
व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने इस दावे को ‘‘हास्यास्पद’’ बताया है। वहीं जेलेंस्की ने नीदरलैंड में कहा कि उन्हें रूस की इन बातों में ‘‘कोई रूचि’’ नहीं है।
अमेरिका के एक अधिकारी के अनुसार, अमेरिकी खुफिया अधिकारी अब भी यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि ड्रोन वाली घटना के पीछे कौन था और वह विभिन्न संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।
बृहस्पतिवार को नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने इस संवेदनशील मामले पर कहा कि खुफिया अधिकारियों के पास अब तक कोई निश्चित जवाब नहीं है। अधिकारी ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन ‘‘निश्चित रूप से पुतिन के खिलाफ हमले का समर्थन नहीं करेगा।’’
जेलेंस्की के शीर्ष सलाहकार, माईखाइलो पोदोलीक ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि रूस ने कथित ड्रोन हमले की साजिश रची और इसे अंजाम दिया। उन्होंने रूसी सरकारी मीडिया में इसकी रिपोर्टिंग में देरी और ‘‘विभिन्न कोणों से एक ही वीडियो’’ दिखाने का हवाला दिया, जो कथित रूप से देर रात ढाई बजे के हमले के बाद का है।
वाशिंगटन स्थित ‘इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर’ ने भी इसके साक्ष्य देखे।
हेग में, जहां अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय स्थित है, जेलेंस्की ने वैश्विक समुदाय से युद्ध के लिए पुतिन को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया और युद्ध अपराध अदालत के न्यायाधीशों से कहा कि रूस के नेता ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानून की इस राजधानी में अपने आपराधिक कार्यों के लिए सजा पाने के पात्र हैं।’’
मार्च में आईसीसी ने युद्ध अपराधों के लिए पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया था और उन पर यूक्रेन से बच्चों के अपहरण के लिए निजी तौर पर जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था। यह पहली बार था जब वैश्विक अदालत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों में से एक के नेता के खिलाफ वारंट जारी किया था।
एपी सुरभि मनीषा मनीषा 0505 1007 हेग (एपी)
बेलग्रेड, 5 मई। सर्बिया के बेलग्रेड से सटे एक कस्बे में बृहस्पतिवार देर रात हुई गोलीबारी की घटना में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हो गए। सर्बिया में पिछले दो दिनों में गोलीबारी की यह दूसरी घटना है।
सरकारी टेलीविजन ‘आरटीएस’ पर शुक्रवार को प्रसारित खबर के अनुसार, हमलावर ने राजधानी के 50 किलोमीटर दक्षिण में स्थित म्लाडेनोवैक शहर में एक स्वचालित हथियार से अंधाधुंध गोलीबारी की। खबर के अनुसार, पुलिस 21 वर्षीय संदिग्ध हमलावर की तलाश में जुटी है जो हमले के बाद से फरार है।
तत्काल इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है और पुलिस ने कोई बयान जारी नहीं किया है।
इससे पहले बेलग्रेड में बुधवार को 13 वर्षीय लड़के ने अपने पिता की बंदूक का इस्तेमाल कर व्लादिस्लाव रिबनिकर प्राथमिक स्कूल में अंधाधुंध गोलीबारी की थी जिसमें उसके आठ सहपाठी और स्कूल का एक गार्ड मारा गया था।
अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बंदूक नियंत्रण को बढ़ावा देने पर जोर दिया और पुलिस ने नागरिकों से अपने-अपने हथियारों को सुरक्षित जगह पर रखने तथा बच्चों से दूर रखने का अनुरोध किया।
पुलिस ने बुधवार को कहा कि किशोर ने हमले के लिए अपने पिता की बंदूक का इस्तेमाल किया था। वह इसके लिए करीब एक महीने से साजिश रच रहा था।
पुलिस के मुताबिक उसने घटना को अंजाम देने के लिए अपनी कक्षा की तस्वीरें बनाई थीं और उन छात्रों की सूची बनाई थी जिन्हें वह मारना चाहता था।
एपी सुरभि वैभव वैभव 0505 0904 बेलग्रेड (एपी)
अमेरिका ने रूस के उस दावे को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उसने कहा था कि बुधवार को क्रेमलिन पर हुए हमले के पीछे मास्टरमाइंड अमेरिका है.
इससे एक दिन पहले रूस ने यूक्रेन पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हत्या की कोशिश का आरोप लगाया था, लेकिन गुरुवार को पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेन ने ये अमेरिका की मदद से किया है.
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने इसे ‘बेतुका दावा’ बताया है.
वहीं, यूक्रेन ने कहा है कि इस हमले से उसका कोई लेना-देना नहीं है. यूक्रेन का कहना है कि रूस ने ये हमला ख़ुद पर करने का ढोंग रचा है ताकि वो इस बहाने से युद्ध को तीव्र कर सके.
जिस वक्त क्रेमलिन पर ये हमला हुआ उस वक्त पुतिन इमारत में मौजूद नहीं थे.
भले ही रूस की ओर से लगातार हमले जारी हैं और बुधवार को दक्षिण खेरसोन में 21 लोगों की मौत हुई है, लेकिन अब तक रूस की ओर से युद्ध तेज़ करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं.
हालांकि रविवार को कीएव में ड्रोन मार गिराए गए और ये राष्ट्रपति कार्यालय से ज़्यादा दूर नहीं हुआ. कुछ देर बाद यूक्रेन ने माना कि ये उसी के ड्रोन थे जिन्होंने अपना ‘क़ाबू खो दिया था.’ इन्हें नष्ट कर दिया गया ताकि ‘किसी अनहोनी’ से बचा जा सके.
बीते बुधवार को रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव ने बताया कि राष्ट्रपति के आवास- क्रेमलिन पर हमला किया गया है. इसका एक वीडियो भी सामने आया जिसमें क्रेमलिन के गुंबद पर ड्रोन मिसाइल से हमला होता दिख रहा है और इसके बाद धुंए का बड़ा ग़ुबार हवा में फैल जाता है.
गुरुवार को क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बिना सबूत कथित हमले के पीछे ‘निस्संदेह’ अमेरिका का हाथ बताया.
पेस्कोव ने कहा, “इस तरह के हमले की योजना कीएव में नहीं बल्कि वॉशिंगटन में बनाई जाती है.”
इसके जवाब में जॉन किर्बी ने कहा, “पेस्कोव सीधे और साफ़ तौर पर झूठ बोल रहे हैं.” (bbc.com/hindi)
सर्बिया, 4 मई । सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में एक स्कूल में हुई गोलीबारी में नौ लोगों की मौत हो गई है.
मरने वालों में आठ छात्र और एक सिक्योरिटी गार्ड शामिल है. हमलावर नाबालिग़ है और उसी स्कूल में पढ़ता है जहां उसने गोलियां चलाई हैं.
पुलिस के मुताबिक़, हमलावर कई हफ़्तों से इस हमले की योजना बना रहा था और उसके पास एक 'किल लिस्ट' यानी किन लोगों को मारना है, इसकी सूची भी थी.
पुलिस ने 13 साल के इस हमलावर को गिरफ़्तार कर लिया है. ये हमला बेलग्रेड के एक प्राइमरी स्कूल में हुआ था.
हमले में एक टीचर के अलावा छह स्टूडेंट्स घायल हुए हैं. पुलिस ने कहा कि हमले की वजह जानने के लिए जांच जारी है.
कहा जा रहा है कि हमलावर ने अपने पिता की लाइसेंसी बंदूक इस्तेमाल की. साथ ही इन हत्याओं से पहले हमलावर अपने पिता के साथ एक से ज़्यादा बार शूटिंग रेंज में गया था.
हमलावर के माता-पिता को भी गिरफ़्तार कर लिया गया है.
देश के राष्ट्रपति एलेक्ज़ेंडर वूसिक ने इसे आधुनिक इतिहास का सबसे मुश्किल दिन बताया. हमले के बाद देश में तीन दिन के शोक का एलान किया गया है. (bbc.com)
रूस, 4 मई । यूक्रेन की राजधानी कीएव समेत कई शहरों में धमाकों की आवाज़ सुनाई दी है.
ये हमले तब हुए हैं, जब एक दिन पहले ही रूस ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन ने क्रेमलिन पर ड्रोन हमले किए हैं. यूक्रेन ने क्रेमलिन पर हमले के आरोपों को ख़ारिज किया है.
ये हमला ऐसे वक़्त में हुआ था, जब यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की अचानक नीदरलैंड्स के दौरे पर गए हैं.
ज़ेलेंस्की इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट भी जाएंगे, जहां यूक्रेन में वॉर क्राइम के आरोपों को लेकर रूस पर जांच चल रही है.
एक दिन पहले रूस ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन ड्रोन हमले के ज़रिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जान लेना चाहता था. रूस ने कहा है कि उसने क्रेमलिन को निशाना बनाने वाले दो ड्रोन्स को इलेक्ट्रॉनिक रडार के ज़रिए निष्क्रिय कर दिया है.
रूस ने इस हमले को चरपमंथी हमला बताया था.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जे़लेंस्की के प्रवक्ता ने कहा था कि यूक्रेन का फ़ोकस रूसी क़ब्ज़े से अपनी भूमि को छुड़ाना है.
एक अन्य यूक्रेनी अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि रूस ने इस घटना की ज़िम्मेदारी यूक्रेन पर डाली है ताकि वो बड़े स्तर पर हमले कर सके. (bbc.com)
न्यूयॉर्क, 4 मई । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक लेखिका द्वारा उन पर लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों को ‘सबसे हास्यास्पद और घृणित कहानी’ करार दिया।
न्यूयॉर्क में बुधवार को एक वीडियो के माध्यम से ज्यूरी के समक्ष दी गई गवाही में ट्रंप ने दावा किया कि ये आरोप ‘मनगढ़ंत’ हैं और उन्होंने मैनहट्टन के डिपार्टमेंट स्टोर में लेखिका ई. जीन कैरल के साथ कभी कोई यौन दुर्व्यवहार नहीं किया था।
कैरल के वकीलों ने ज्यूरी के सामने ट्रंप की वीडियो गवाही का लगभग 30 मिनट लंबा अंश चलाया। इसमें पूर्व राष्ट्रपति यह कहते नजर आ रहे हैं, “अगर यह (यौन दुर्व्यवहार) हुआ होता, तो बात लंबे समय तक नहीं छिप पाती। बेहद व्यस्त स्टोर के कर्मचारियों और खरीदारों को किसी तरह की हलचल की आवाज सुनाई देती और वे प्राधिकारियों को तुरंत सूचित कर देते।”
ट्रंप पिछले साल अक्टूबर में रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो में यह कहते दिख रहे हैं, “यह सबसे हास्यास्पद और घृणित कहानी है। यह पूरी तरह से मनगढ़ंत है।” यह वीडियो ज्यूरी के प्रत्येक सदस्य के सामने मौजूद स्क्रीन पर प्ले किया गया।
इस बीच, मामले में ट्रंप की पैरवी कर रहे वकीलों ने कहा कि वे किसी भी गवाह को नहीं बुलाएंगे। इसके बाद, न्यायाधीश ने कहा कि मामले में आखिरी बहस संभवत: सोमवार को होगी। मंगलवार को ज्यूरी मामले में विचार-विमर्श शुरू करेगी।
ट्रंप अभी तक सुनवाई में शामिल नहीं हुए हैं। बुधवार को आयरलैंड की यात्रा के दौरान ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने सुना है कि हम न्यूयॉर्क में बहुत अच्छा कर रहे हैं।”
बृहस्पतिवार को मैनहट्टन की संघीय अदालत में ट्रंप की वीडियो गवाही का एक और अंश सुनाए जाने की संभावना है। इसके अलावा, कैरल के वकील तीन और गवाह पेश कर सकते हैं।
कैरल ने मामले में हर्जाने की मांग को लेकर ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। वह पूर्व राष्ट्रपति से इस बयान को वापस लेने की भी मांग कर रही हैं कि कैरल द्वारा लगाए गए आरोप मानहानिकारक हैं। (एपी)
बीजिंग, 3 मई। चीन में मई दिवस की छुट्टी के दौरान एक पेट्रोकेमिकल संयंत्र में हुए विस्फोट में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई। इसी दिन हुए एक विमान हादसे में तीन अन्य लोग मारे गए।
बचावकर्मियों ने उत्तरी प्रांत शानदोंग के लाओशेंग शहर में औद्योगिक क्षेत्र में स्थित 'झोंगहुआ समूह संयंत्र' में सोमवार को हुए विस्फोट में मारे गए नौ श्रमिकों के शव बरामद किए।
औद्योगिक क्षेत्र की प्रबंधन समिति ने बुधवार को एक बयान में कहा कि हादसे के बाद एक व्यक्ति लापता है और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। समिति ने कहा कि विस्फोट के कारणों की जांच के लिए एक अंतर्विभागीय कार्यबल का गठन किया गया है।
वहीं, चीनी मीडिया ने बताया कि मंगलवार की दोपहर, उत्तर-पश्चिमी शहर शियान के बाहर एक यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे तीनों लोगों की मौत हो गई। पीड़ितों की पहचान या दुर्घटना के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
इस बीच, मंगलवार और बुधवार को देश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में भूकंप के दो झटकों से आंशिक क्षति हुई और 10 लोग मामूली रूप से घायल हो गए।
चीन में पांच दिन का मई दिवस अवकाश बुधवार को समाप्त हुआ। इस दौरान लाखों की संख्या में चीनी या तो अपने घर जाते हैं या पर्यटन स्थलों की सैर करते हैं। (एपी)
बेलग्रेड, 3 मई। सर्बिया में एक किशोर ने राजधानी बेलग्रेड के एक स्कूल में बुधवार सुबह गोलीबारी की, जिससे आठ बच्चों और एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई। सर्बिया पुलिस ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
बयान में कहा गया है कि गोलीबारी में एक शिक्षक और छह बच्चे घायल भी हुए हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बयान के अनुसार, पुलिस ने गोलीबारी करने वाले छात्र की पहचान के.के. के रूप में की है। इसमें कहा गया है कि आरोपी किशोर ने अपने पिता की बंदूक से अन्य छात्रों और स्कूल के सुरक्षाकर्मी पर गोलीबारी की।
बयान के मुताबिक, गोलीबारी करने वाले किशोर की उम्र करीब 14 साल है और वह इसी स्कूल में पढ़ता है। उसे स्कूल प्रांगण से गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने कहा कि उसे सुबह आठ बजकर 40 मिनट के आसपास व्लादिस्लाव रिबनिकार प्राइमरी स्कूल में गोलीबारी की सूचना मिली।
गोलीबारी के समय स्कूल में मौजूद एक छात्र ने कहा, “मैंने गोलियों की आवाज सुनी। वह ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहा था। मुझे नहीं पता था कि वहां क्या हो रहा है। हमें फोन पर कुछ संदेश प्राप्त हो रहे थे।”
सर्बिया में सार्वजनिक स्थानों, खासतौर पर स्कूलों में गोलीबारी की घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं। देश में गोलीबारी की पिछली घटना 2013 में हुई थी, जिसमें एक पूर्व सैनिक ने 13 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
स्थानीय मीडिया चैनलों पर प्रसारित फुटेज में स्कूल के बाहर बच्चों को लेकर चिंतित अभिभावकों की भीड़ नजर आई। वहीं, पुलिसकर्मी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सड़क पर खड़े पुलिस वाहन की तरफ ले जाते दिखाई दिए।
व्लादिस्लाव रिबनिकार प्राइमरी स्कूल मध्य बेलग्रेड का एक जाना-माना स्कूल है। पुलिस ने गोलीबारी की घटना के बाद इस स्कूल के आसपास के इलाके को सील कर दिया। सर्बिया में प्राइमरी स्कूलों में कक्षा आठ तक के बच्चे पढ़ते हैं।
गोलीबारी के दौरान स्कूल में मौजूद एक छात्रा ने कहा, “संदिग्ध बहुत शांत और सौम्य स्वभाव का था। वह पढ़ाई में भी अच्छा था, लेकिन हम उसके बारे में ज्यादा नहीं जानते थे।”
छात्रा ने कहा, “वह (संदिग्ध किशोर) दूसरों से ज्यादा घुलता-मिलता नहीं था। मुझे यकीनन ऐसा कुछ होने का अंदेशा नहीं था।”
एक अन्य छात्र ने बताया कि संदिग्ध किशोर ने पहले शिक्षक पर गोली चलाई और फिर छात्रों की तरफ बंदूक घुमा दी, जो जान बचाने के लिए मेज के नीचे छिप गए। (एपी)
ऑस्ट्रेलिया, 3 मई । ऑस्ट्रेलिया में दोस्तों के साथ मछली मारने निकले एक मछुआरे का शव कई दिन बाद एक मगरमच्छ के भीतर मिला है.
65 साल के केविन डारमोडी को आखिरी बार शनिवार को केनेडी बेंड पर देखा गया था.
उत्तरी क्वीन्सलैंड के सुदूर इलाक़े में स्थित इस जगह पर बहुत मगरमच्छ पाए जाते हैं.
पुलिस ने दो दिन की खोजबीन के दौरान दो बड़े मगरमच्छों को मारा, तो उनके भीतर इंसानी शरीर के हिस्से मिले.
केनेडी बेंड से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर 4,1 मीटर और 2.8 मीटर लंबाई के दो मगरमच्छों को सोमवार को मारा गया था.
हालांकि उनमें से केवल एक मगरमच्छ में ही इंसानी शव के अवशेष पाए गए.
वैसे वन्य अधिकारियों का मानना है कि डारमोडी को मारने की घटना में दोनों मगरमच्छ शामिल रहे हैं.
डारमोडी के साथ गए मछुआरों ने हालांकि हमला होते तो नहीं देखा, लेकिन उनकी चिल्लाहट और छपछप की आवाज़ उन्होंने ज़रूर सुनी.
पुलिस ने बताया है कि डारमोडी का 'दुखद अंत' हो गया है.
उनके अनुसार, औपचारिक रूप से पहचान का काम जल्द किया जाएगा.
केप याॅर्क के रहने वाले केविन डारमोडी काफी कुशल मछुआरे माने जाते थे. (bbc.com)