अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी फार्मास्युटिकल फर्म Eli Lilly ने COVID-19 के खिलाफ अपने एंटीबॉडी इलाज का क्लिनिकल ट्रायल रोक दिया है. यह ट्रायल सरकार के समर्थन से आगे बढ़ाया जा रहा था. कंपनी ने बताया है कि सेफ्टी से जुड़ी चिंताओं की वजह से ट्रायल रोका गया है. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी ऐसा ही एक इलाज मिला था.
Eli Lilly की दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के तौर पर पहचाने जाने वाले इलाजों के वर्ग का हिस्सा है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज को कुछ तरह के कैंसर और ऑटोइम्यून बीमारी के इलाज के लिए जाना जाता है.
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इलाज तब से सुर्खियों में हैं, जब हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने COVID-19 के इलाज के लिए बायोटेक फर्म Regeneron की ओर से विकसित एक थेरेपी को क्रेडिट दिया था.(thequint)
संयुक्त राष्ट्र, 14 अक्टूबर | संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारपरिषद (यूएनएचआरसी) में पाकिस्तान और नेपाल को फिर से चुन लिया गया है, वहीं चीन के प्रदर्शन में खासी गिरावट आई और वह छोटे अंतर से एक सीट जीत पाया है।
महासभा में मंगलवार को हुए मतदान में चीन को केवल 139 वोट मिले, जबकि 2016 में उसे 180 वोट मिले थे।
ह्यूमन राइट्स वॉच के यूएन डायरेक्टर लुइस चारबोन्यू ने ट्वीट किया कि यह दिखाता है कि 'कई राज्य चीन में अधिकारों के उल्लंघन के रिकॉर्ड से परेशान हैं।'
वहीं सऊदी अरब को 4 सीटों के लिए हुए चुनाव में हार का सामना करना पड़ा क्योंकि उसे एशियाई और प्रशांत देशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए केवल 90 वोट मिले, जबकि चुनाव जीतने के लिए उसे 97 वोटों की जरूरत थी। सऊदी अरब की लोकप्रियता में भी भारी गिरावट आई है क्योंकि इसने 2016 में 152 वोट हासिल किए थे।
2016 में 112 वोट पाकर दो वोटों से हारने वाले रूस ने अच्छी वापसी करते हुए इस बार 158 वोट हासिल किए। हालांकि इस बार वह तकनीकी रूप से पूर्वी यूरोप की दो में से एक सीट पर निर्विरोध जीत पाई। वहीं दूसरी सीट यूक्रेन ने निर्विरोध जीती।
पाकिस्तान को 169 और नेपाल को 150 वोट मिले। ये दोनों दक्षिण एशियाई देश तीन साल और काम करेंगे।
उज्बेकिस्तान 169 मतों के साथ एशिया प्रशांत क्षेत्र से निर्वाचित चौथा देश रहा।
भारत और बांग्लादेश भी परिषद के सदस्य हैं, वे 2018 में आखिरी बार चुने गए थे और अगले साल के अंत में बाहर होंगे।
जिनेवा आधारित इस 47 सदस्यीय परिषद में फ्रांस, ब्रिटेन, क्यूबा और मैक्सिको भी चुने गए 15 देशों में शामिल रहे।
उइगर मुस्लिम के साथ दुर्व्यवहार और कई देशों-मानवाधिकार समूहों के विरोध के बावजूद चीन छोटे से अंतर से जीतने में कामयाब रहा। इस पर आलोचकों ने 2006 के संकल्प का हवाला दिया। इसमें कहा गया था, "मानवाधिकार परिषद के सदस्य मानव अधिकारों के प्रचार में उच्चतम मानकों को बनाए रखेंगे।"(आईएएनएस)
बता दें कि पिछले ही हफ्ते जर्मनी के नेतृत्व में 39 देशों के एक समूह ने संयुक्त राष्ट्र में चीन की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि "वे शिन्जियांग में मानव अधिकारों की स्थिति और हांगकांग में हुए हाल के घटनाक्रमों को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं।"(आईएएनएस)
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच लड़ाई
येरेवान
आर्मेर्निया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर चल रही लड़ाई में मरने वालों की संख्या 600 के पार पहुंच गई है। रूस के नेतृत्व में संघर्ष विराम की घोषणा के बावजूद चल रही लड़ाई में दोनों देशों के सैनिकों और नागरिकों की मौत हुई है। नागोर्नो-काराबाख के सैन्य अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को उनके 16 सैन्यकर्मी युद्ध में मारे गए। इसके साथ ही 27 सितंबर को शुरू हुई लड़ाई में उसके 532 सैनिकों की मौत हो चुकी है।
अजरबैजान छिपा रहा मौतों की वास्तविक संख्या
अजरबैजान ने हालांकि अपनी सेना को हुए नुकसान की जानकारी नहीं दी है पर दोनों पक्षों की ओर से किए जा रहे दावों के मद्देनजर कुल हताहतों की संख्या बहुत अधिक होने की आशंका है। अजरबैजान ने कहा कि दो हफ्तों की लड़ाई में उसके 42 आम नागरिक मारे गए हैं। नागर्नो-काराबाख के मानवाधिकार लोकपाल अर्तक बेलारयान ने देर सोमवार बताया कि आजरबैजान से अलग हुए इस इलाके में कम से 31 आम नागरिकों की मौत हुई है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं।
शांति समझौते के बावजूद जंग जारी
रूस की मध्यस्थता में हुए शांति समझौते के बावजूद दोनों देशों में जंग जारी है। समझौते के दौरान रूसी विदेश सर्गेई लावरोव ने कहा था कि युद्धबंदियों और अन्य पकड़े गए व्यक्तियों की अदला-बदली के मानवीय उद्देश्य के साथ-साथ सैनिकों के शवों की अदला-बदली पर सहमति के साथ युद्धविराम घोषित किया गया है। डॉक्युमेंट में यह भी कहा गया था कि अजरबैजान और आर्मेनिया नागोर्नो-काराबाख में शांति बहाली पर ओएससीई मिन्स्क समूह के प्रतिनिधियों की मध्यस्थता के साथ व्यावहारिक वार्ता शुरू करने के लिए सहमत हुए हैं।
तुर्की में बने हमलावर ड्रोन विमान कर रहे हमले
बता दें कि रूस और तुर्की में पहले ही लीबिया और सीरिया के गृहयुद्ध में तलवारें खिंची हुई हैं। इसके बाद भी दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बने हुए हैं। तुर्की ने अमेरिका को नाखुश करते हुए रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है। उधर, तुर्की में बने हमलावर ड्रोन विमान नागोरनो-काराबाख में आर्मेनियाई टैंकों का शिकार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस इसे बर्दाश्त नहीं करेगा और सख्त कदम उठा सकता है।
किस मुद्दे को लेकर दोनों देशों में छिड़ी जंग
दोनों देश 4400 वर्ग किलोमीटर में फैले नागोर्नो-काराबाख नाम के हिस्से पर कब्जा करना चाहते हैं। नागोर्नो-काराबाख इलाका अंतरराष्ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्सा है लेकिन उस पर आर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्जा है। 1991 में इस इलाके के लोगों ने खुद को अजरबैजान से स्वतंत्र घोषित करते हुए आर्मेनिया का हिस्सा घोषित कर दिया। उनके इस हरकत को अजरबैजान ने सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच कुछ समय के अंतराल पर अक्सर संघर्ष होते रहते हैं।(navbharattimes)
ब्रासीलिया, 14 अक्टूबर | अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के फार्मास्युटिकल डिवीजन के जेनसेन-सिलेग ने ब्राजील में अस्थायी रूप से कोरोवायरस वैक्सीन के ट्रायल्स रद्द कर दिये हैं। ये बात मंगलवार को देश की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक संस्था ब्राजीलियन हेल्थ सर्विलेंस एजेंसी (अन्विषा) ने कही। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, जेनसेन-सिलेग ने अन्विषा को सूचित किया कि विदेश में एक वॉलेन्टियर को वैक्सीन डोज से विपरीत असर होने के बाद वह अपनी वैक्सीन वैक31518कोव3001 की सुरक्षा और प्रभावकारिता को निर्धारित करने के लिए ट्रायल्स को अस्थायी रूप से निलंबित कर रहा है।
कंपनी ने इस मामले के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी है और वॉलेन्टियर की स्वास्थ्य स्थिति को गोपनीय रखा गया है।
अन्विषा के अनुसार, जब तक कि स्वतंत्र सुरक्षा समिति द्वारा समस्या के कारण की जांच नहीं हो जाती है, तब तक परीक्षण फिर से शुरू नहीं होंगे।
एजेंसी ने कहा, "ब्राजील में चल रही स्टडी में 9 अक्टूबर को पहले वॉलेंटियर को जोड़ा गया था। अब नए वॉलेन्टियर्स को इसमें तभी शामिल किया जा सकता है, जब अन्विषा इसके लिए अनुमति दे। वहीं अन्विषा रिसर्च डेटा और सुरक्षा/लाभ का विश्लेषण करने के आधार पर यह निर्णय लेगी कि प्रक्रिया को जारी रखा जाए या स्थायी तौर पर रद्द कर दिया जाए।"
बता दें कि ब्राजील में ट्रायल्स करने के लिए अन्विषा ने जेनसेन-सिलेग को अगस्त में अनुमति दी थी।(आईएएनएस)
बीजिंग, 13 अक्टूबर| ब्रिटेन में कोरोनावायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार ने चेतावनी का स्तर तीसरी श्रेणी से बढ़ाकर चौथी श्रेणी कर दिया है। 6 करोड़ 78 लाख आबादी वाले ब्रिटेन में कोरोना की स्थिति बिगड़ती जा रही है। वहां अभी तक कोरोनावायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 6 लाख 18 हजार से अधिक हो चुकी है, जबकि मरने वालों की संख्या 42,875 है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच देश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन देशवासियों को संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान वह देशवासियों को दोबारा लॉकडाउन के बारे में जानकारी दे सकते हैं। लोगों से काम पर वापस लौटने का आग्रह करने के कुछ ही हफ्तों बाद, जॉनसन उन्हें घर से काम करने की सलाह देंगे। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से निपटने के लिए पब, बार और रेस्तरां पर नए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
अभी सिंतबर के अंत में, ब्रिटेन के स्कूली बच्चों को पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के एक पत्र के साथ घर भेजा गया। पब्लिक हेल्थ यहां का एक आधिकारिक निकाय है, जिसके पास महामारी से निपटने का प्रभार है। पत्र में बच्चों के माता-पिता से कहा गया कि यदि उनके बच्चों में बुखार, लगातार खांसी या स्वाद और गंध महसूस करने की क्षमता समाप्त होने जैसे लक्षण नहीं हैं, तो वे उनका कोविड-19 परीक्षण न करवाये।
जबकि इस बात के प्रमाण हैं कि बच्चों में कोविड-19 के सामान्य लक्षण थकान और सिरदर्द है। ब्रिटिश सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि संक्रमित होने वाले वयस्कों में 80 प्रतिशत बगैर लक्षण वाले हैं। ऐसे में यह संदेश हैरान करने वाला है। अभी जुलाई में ही ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी, मैट हैन्कॉक ने किसी प्रकार का संदेह होने पर नागरिकों से परीक्षण कराने का आग्रह किया था।
हालांकि, पत्र में लिखे संदेश का कारण स्पष्ट किया गया है कि अनावश्यक परीक्षण होने से कोविड-19 के लक्षण वाला व्यक्ति परीक्षण से वंचित रह सकता है। यह पत्र शासन और विश्वसनीयता की असफलता को रेखांकित करता है। ब्रिटेन में कोरोनावायरस के नए मामले प्रतिदिन कम से कम 6000 बढ़ रहे हैं। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या हर आठ दिन में दोगुनी हो रही है। इसी कारण ब्रिटेन को कोविड-19 महामारी से मरने वालों की दर यूरोप में सबसे ज्यादा रही है।
खैर, ब्रिटिश प्रशासन ने कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए 'छह' का नियम लागू किया है, जिससे पुलिस को छह से अधिक व्यक्तियों वाले किसी कार्यक्रम, चाहे वह कार्यक्रम भीतर हो या बाहर, के खिलाफ कार्रवाई करने और 100 पाउंड का जुमार्ना लगाने का अधिकार मिल गया है। यह नया नियम पुलिस को छह के नियम का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार देगा। हाल में मामलों में बढ़ोतरी ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए ब्रिटेन को और कदम उठाने की जरुरत है। (आईएएनएस)
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
दुबई, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)| संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में फंसे 49 भारतीय कर्मचारियों को स्वदेश वापस लाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में मंगलवार को बताया गया कि ये कर्मचारी दुबई की दो कारपेंटरी कंपनियों में काम करते थे, जो पिछले कुछ समय से काफी परेशानियों का सामना कर रहे थे। यूएई में अधिकारियों की ओर से कर्मचारियों को वापस भारत लाए जाने में मदद की गई। उन्होंने उनके पासपोर्ट और सुरक्षा के तौर पर जमा राशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) सुरक्षित करने में मदद की।
गल्फ न्यूज ने बताया कि दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ट्विटर पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "मजदूर विभिन्न बैचों में भारत में लौट गए हैं।"
प्रेस, सूचना और संस्कृति के वाणिज्यदूत नीरज अग्रवाल ने कहा कि कार्यकर्ता जुलाई में मदद के लिए पहुंच गए थे।
उन्होंने कहा, "उन्हें लगभग छह महीने तक भुगतान नहीं किया गया था, जिसके बाद वे घर लौटने में मदद के लिए वाणिज्य दूतावास पहुंचे।" उन्होंने कहा कि मिशन ने उन्हें खाद्य आपूर्ति भी प्रदान की थी।
हालांकि, श्रमिकों के पासपोर्ट अभी भी कंपनियों के कब्जे में हैं। इस मुद्दे पर किसी भी टिप्पणी के लिए मालिक उपलब्ध नहीं था।
वाणिज्य दूतावास ने कहा कि कंपनियों के पीआरओ से संपर्क किया गया है। दूतावास ने यह भी आश्वासन दिया कि उनके पासपोर्ट और सिक्योरिटी डिपॉजिट को दुबई पुलिस और अदालत के सहयोग से सुरक्षित जमा कर लिया गया है।
इनमें से अधिकांश श्रमिक उत्तर प्रदेश से हैं और ये तीन चरणों या बैचों में वापस लौटे हैं।
गल्फ न्यूज ने अग्रवाल के हवाले से कहा, "अंतिम समूह 10 अक्टूबर को लखनऊ के लिए रवाना किया गया था।"
चूंकि श्रमिकों के वीजा वैध थे, इसलिए उन्हें अधिक समय तक देश में रुकने संबंधी किसी भी जुर्माने का सामना नहीं करना पड़ा।
इस्लामाबाद, 13 अक्टूबर । पाकिस्तान के पूर्व और मौजूदा सांसदों समेत प्रमुख असंतुष्टों ने देश के प्रधानमंत्री इमरान खान को 'सैन्य कठपुतली' करार दिया है। उन्होंने देश में स्थायित्व न होने, असुरक्षा और पड़ोसियों के साथ चलने की अक्षमता के लिये शक्तिशाली सेना को आरोपी ठहराया। पश्तून नेता और पूर्व सेनेटर अफरासियाब खटक ने ‘साउथ एशियन अगेंस्ट टेररिज्म एंड फॉर ह्यूमन राइट्स’ (एसएएटीएच) के पांचवें वार्षिक सम्मेलन में यहां तक दिया कि 'पाकिस्तान में अघोषित मार्शल लॉ लागू है।'
एसएएटीएच लोकतंत्र समर्थक पाकिस्तानियों का एक समूह है जिसकी स्थापना अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और अमेरिका स्थित स्तंभकार डॉ. मोहम्मद तकी ने की थी। एक बयान के मुताबिक पूर्व में एसएएटीएच के वार्षिक सम्मेलन लंदन और वाशिंगटन में हुए थे लेकिन इस बार सम्मेलन में प्रतिभागी डिजिटल तौर पर शामिल हुए। इसमें कहा गया कि प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री खान को एक 'सैन्य कठपुतली' करार दिया।
समूह के सदस्यों में नेता, पत्रकार, ब्लॉगर, सोशल मीडिया कार्यकर्ता और नागरिक संस्थाओं से जुड़े लोग शामिल हैं। इनमें से कई विभिन्न देशों में निर्वासन में रहने को मजबूर हैं। बयान के मुताबिक पाकिस्तानी सुरक्षा सेवाओं ने पूर्व में एसएएटीएच की बैठकों को बाधित करने की कोशिश की और पाकिस्तान में रहने वाले उसके सदस्यों की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध भी लगाया, लेकिन इस साल डिजिटल प्रारूप में होने वाली बैठक में देश में रह रहे कई प्रमुख असंतुष्ट चेहरों ने भी इसमें हिस्सा लिया।
पाकिस्तान से सम्मेलन को डिजिटल रूप से संबोधित करते हुए खटक ने कहा, 'यह पाकिस्तान में सबसे खतरनाक मार्शल लॉ है क्योंकि इसने संवैधानिक संस्थानों को अभद्र और विकृत किया है।' उन्होंने कहा, 'मौजूदा सैन्य व्यवस्था देश के राजनीतिक संस्थानों को सीमित कर रही है और हालात यह हैं कि खुफिया एजेंसियां सांसदों को यह निर्देश दे रही हैं कि सत्र में कब शामिल होना है और कब मतदान नहीं करना है।'
हक्कानी ने कहा कि प्रधानमंत्री खान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए हाल में उनपर और एसएएटीएच पर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने और स्वतंत्रता को दबाने की अपनी नीतियों की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जमीन खो रहा है, न कि मानवाधिकारों के लिये आवाज उठाने वाले कार्यकर्ताओं की वजह से।' सम्मेलन में कई वक्ताओं ने पाकिस्तान में विभिन्न अल्पसंख्यकों को दबाए जाने और अधिकारों से वंचित रखे जाने का मुद्दा भी उठाया। (nbt)
वाशिंगटन, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)| अमेरिका में मत सर्वेक्षण की नई रिपोर्ट से पता चला है कि राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ विस्कॉन्सिन और मिशिगन राज्यों में बड़ी बढ़त मिली है। जबकि 2016 के चुनाव में ट्रंप ने इन दोनों राज्यों में जीत हासिल की थी। द हिल न्यूज वेबसाइट के अनुसार, न्यूयॉर्क टाइम्स-सिएना कॉलेज सर्वे ने सोमवार को जारी अपनी पोल रिपोर्ट में खुलासा किया है कि बाइडन को विस्कॉन्सिन में 10 अंकों और मिशिगन में 8 अंकों का फायदा हुआ है।
इसी बीच रविवार को जारी हुए एक सीबीएस न्यूज-यूगोव ट्रैकिंग पोल में पता चला कि ट्रंप, बाइडेन से मिशिगन और नेवादा दोनों में पीछे चल रहे हैं। इसके अलावा विस्कॉन्सिन के रियलक्लेयर पॉलिटिक्स औसत में बाइडन 5.5 अंक और मिशिगन में 7 अंक से आगे थे।
पिछले हफ्ते रायटर-इप्सोस पोल ने खुलासा किया था कि पूर्व उपराष्ट्रपति ने वर्तमान में पेंसिल्वेनिया में 5 प्रतिशत अंक की बढ़त और विस्कॉन्सिन में 6 प्रतिशत की बढ़त हासिल की है। इन दोनों राज्यों में बाइडन को 50-50 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है, जबकि ट्रंप को पेंसिल्वेनिया में 45 प्रतिशत और विस्कॉन्सिन में 44 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा है।
बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए फ्लोरिडा, एरिजोना, जॉर्जिया, आयोवा, मेन, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, न्यू हैम्पशायर, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन स्विंग स्टेट्स हैं, जहां दोनों ही प्रमुख पार्टियों को लगभग एक जैसा समर्थन हासिल है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से ये राज्य खासे अहम हैं।
काबुल, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)| अफगान शांति प्रक्रिया पर काबुल सरकार और तालिबान के सदस्यों वाली समझौता टीमों के बीच 12 दिनों के अंतराल के बाद फिर से दोहा में बातचीत शुरू हो गई है। टोलो न्यूज ने प्रवक्ता मोहम्मद नईम के हवाले से कहा, "सोमवार की शाम को संपर्क समूहों के बीच एक बैठक हुई और बैठक के दौरान शेष मुद्दों पर चर्चा की गई। साथ ही यह सहमति बनी कि बैठकें जारी रहेंगी।"
सरकार की ओर से बातचीत करने वाली टीम के प्रतिनिधियों ने कहा कि वार्ता के प्रक्रियात्मक नियमों पर अगले दो दिनों में एक समझौता हो सकता है।
बताया गया है कि दोनों पक्षों ने प्रक्रियात्मक नियमों के लिए 20 में से 18 आर्टिकल्स पर सहमति व्यक्त की है, लेकिन वार्ता के लिए धार्मिक आधार और यूएस-तालिबान सौदे के साथ समझौते के दो बिंदु अभी भी अनसुलझे हैं। सरकार ने तालिबान की मांगों को खारिज करते हुए कुछ विकल्प सुझाए हैं।
सूत्रों ने सोमवार को कहा कि अफगानिस्तान के लिए अमेरिकी विशेष दूत जल्माय खलीलजाद ने गतिरोध खत्म करने के लिए रविवार को दोनों पक्षों से बातचीत की थी।
बता दें कि यह अंतर-अफगान वार्ता औपचारिक रूप से 12 सितंबर को शुरू की गई थी, लेकिन अब भी दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत शुरू होनी बाकी है।
इस्लामाबाद, 13 अक्टूबर| पाकिस्तान के विमानन मंत्री गुलाम सरवर खान ने कहा कि न्यूयॉर्क स्थित रूजवेल्ट होटल को बेचने का पाकिस्तान सरकार का कोई इरादा नहीं है। यह पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के स्वामित्व वाला होटल है। डॉन न्यूज ने सोमवार को मंत्री के हवाले से कहा, "मीडिया में प्रसारित सभी खबरें अटकलों और राजनीतिक बिंदुओं से ज्यादा कुछ नहीं हैं।"
खान ने कहा कि होटल के प्रबंधन ने जे.पी. मॉर्गन बैंक से 16 करोड़ डॉलर का कर्ज लिया था और यह अपने राजस्व से इसका नियमित भुगतान कर रहा है। फिलहाल इसकी बकाया राशि 10.5 करोड़ डॉलर है।
हालांकि, कोविड-19 महामारी के बाद होटल वित्तीय संकट में चला गया था, जिससे ऋणदाता को अपनी देनदारियों को किसी अन्य कंपनी को बेचने का बहाना मिल गया। उस फर्म ने अब होटल खरीदने के लिए अपनी जगहें तय की हैं।
खान ने कहा कि इस संपत्ति के अधिग्रहण का भी प्रयास किया गया था, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इससे अपने पैर पीछे खींच लिए और मामले को अपने हाथ में लेने का फैसला किया।
मंत्री ने कहा, "रूजवेल्ट होटल फिलहाल चालू है और कई एयरलाइनों के साथ इस साल दिसंबर तक इसके वैध अनुबंध हैं।"
उन्होंने कहा, "इसके भविष्य के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है और होटल के बोर्ड और पाकिस्तान सरकार द्वारा सामूहिक रूप से सभी निर्णय लिए जा रहे हैं।"
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मैनहट्टन में स्थित 19 मंजिला रूजवेल्ट होटल को 1979 में पीआईए की ओर से साझेदारी में अधिग्रहीत किया गया था।
इसके बाद 1999 में इसने अपने संसाधनों से 100 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली थी। (आईएएनएस)
अतीत शर्मा
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर| सिंध के गोलेरची में जून में एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया था और 100 से अधिक हिंदुओं का धर्मातरण कर उन्हें मुस्लिम बना दिया गया था। करीब एक महीने पहले ही बहावलपुर में फिर से ऐसे ही दृश्य देखे गए।
जुलाई में इस्लामाबाद में निमार्णाधीन श्री कृष्ण मंदिर को तोड़ दिया गया, इसे पाकिस्तानी राजधानी में हिंदुओं का पहला मंदिर कहा जा रहा था। फिर अगस्त में विभाजन के पहले के एक हनुमान मंदिर को कट्टरपंथियों द्वारा मलबे में बदल दिया गया। इस इलाके में दो दर्जन से ज्यादा हिंदुओं के घर थे।
अब सिंध के बाडिन में राम पीर में तोड़फोड़ की गई है। कुल मिलाकर पाकिस्तान में ज्यादातर मंदिर तो नष्ट कर दिए गए हैं और जो सौभाग्य से जीवित बचे हैं, वे कब तक बचे रहेंगे, कोई नहीं जानता।
मानवाधिकारों के सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता पाकिस्तान में जिस तरह से हिंदू, ईसाई, सिख, शिया, अहमदी का सामूहिक धर्मातरण हो रहा है, दुष्कर्म और जबरन विवाह हो रहे हैं, उसे देखकर लगता नहीं कि इस देश में लंबे समय तक कोई धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित रह पाएंगे। पिछले कुछ सालों में यहां असहिष्णुता और दुर्व्यवहार खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है।
पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता अनिला गुलजार कहती हैं, "सिंध में 428 में से केवल 20 मंदिर बचे हैं।" इन हिंदू मंदिर का विध्वंस करने के बाद इस्लामवादी लोग या तो मस्जिदों में बदल देते हैं या पार्किं ग स्थल या किसी अन्य चीज में।
जबकि सिंध में कभी हिंदुओं की बड़ी आबादी हुआ करती थी। 1998 की जनगणना में सिंध की आबादी में लगभग 6.5 प्रतिशत हिंदू थे, लेकिन पिछले कुछ दशकों में यहां बड़े पैमाने पर धर्मातरण हुआ। इमरान सरकार ने तो इन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय इन पर हमले तेज कर दिए हैं।
सितंबर में एक सीनेट समिति ने यह कहकर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के एक बिल को खारिज कर दिया कि इसकी बजाय मुसलमानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बिल पेश किया जाना चाहिए।
धार्मिक मामलों की स्थायी समिति और सीनेटर हाफिज अब्दुल करीम ने कहा, "पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को पहले ही कई अधिकार दिए जा चुके हैं। उपद्रव तब होते हैं, जब कुछ हिंदू लड़कियां इस्लाम अपनाकर मुस्लिम लड़कों से शादी करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है।"
यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, "पाकिस्तान भर में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति नकारात्मक है। यहां जबरन धर्म परिवर्तन हो रहे हैं। ऐसे मामलों के हाई-प्रोफाइल आरोपी बरी हुए हैं। यूएससीआईआरएफ को लगभग 80 व्यक्तियों के बारे में पता है, जिनमें से आधे लोगों को ईश निंदा के लिए आजीवन कारावास या मौत की सजा हुई है।"
लेकिन, क्या वाकई इससे कोई फर्क पड़ा है? नहीं। पाकिस्तानी सरकार को अब देश की छवि को वैश्विक स्तर पर खराब होते देखने की आदत हो गई है। जाहिर है, ऐसी स्थिति सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी आबादी के लिए एक आपदा की तरह है। (आईएएनएस)
सियोल, 13 अक्टूबर| दक्षिण कोरिया में और 22 सैनिक कोरोनावायरस जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं। यूएस फोर्सेज कोरिया ने यह जानकारी मंगलवार को दी। योनहाप न्यूज एजेंसी के रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह के मामलों की संख्या बढ़कर 225 हो गई है। इन मामलों में से अधिक मामले यहां आने के बाद हुए हैं।
यूएसएफके ने एक बयान में कहा कि 22 पॉजिटिव मामलों में से 18 अमेरिकी सरकार की चार्टर्ड फ्लाइट से सियोल के दक्षिण में प्योंगटेक में ओसान एयर बेस पर आए थे, वहीं चार अन्य सैनिक वाणिज्यिक उड़ानों पर इंचियोन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आगमन हुए थे।
यूएसएफके ने अपने बयान में कहा, "क्वारंटाइन रूम और साथ लाए सारे सामान को सैनिटाइज कर दिया गया है।" उन्होंने कहा कि नया आगमन करने वाले व्यक्ति यहां के स्थानीय लोगों के संपर्क में नहीं आए हैं।
कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (केडीसीए) के अनुसार, देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट में 102 नए मामले सामने आए हैं, जिससे यहां मामलों की संख्या बढ़कर 24,805 पहुंच गई है।
देश में कोरोनावायरस से अब तक 434 लोगों की जान जा चुकी है। (आईएएनएस)
बीजिंग, 13 अक्टूबर| वनप्लस के सह-संस्थापक कार्ल पेई ने कथित तौर पर कम्पनी छोड़ दिया है। पेई ने कम्पनी के फ्लैगशिप वनप्लस 8टी सीरीज और नॉर्ड एन10 सीरीज लॉन्च से ठीक पहले कम्पनी छोड़ने का फैसला किया है। टेकक्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक पेई नया वेंचर शुरू करने के लिए कम्पनी छोड़ रहे हैं और अभी उनकी पूंजी जुटाने के लिए निवेशकों से बातचीत चल रही है।
पेई ने ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी दी। वह अब तक वनप्लस नॉर्ड लाइनअप को देख रहे थे और इससे पहले वनप्लस के फ्लैगशिप मॉडल्स उनके पास थे।
वनप्लस 14 अक्टूबर को अपने फ्लैगशिप मॉडल 8जी 5जी का ग्लोबल लॉन्च कर रहा है। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 13 अक्टूबर . जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) के अनुसार, अमेरिका में कोविड-19 के कुल मामले 7,802,281 हो गए हैं, वहीं संक्रमण से 214,045 मौतें दर्ज की गई है।
सीएसएसई ने सोमवार को जानकारी दी कि, कैलिफोर्निया में अब तक कुल 857,563 मामले दर्ज किए गए हैं, जो सभी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, टेक्सास में 820,921 मामले दर्ज किए गए हैं, इसके बाद फ्लोरिडा में 736,024, न्यूयॉर्क में 470,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
सीएसएसई के अनुसार, संक्रमण के 210,000 से अधिक मामलों वाले अन्य राज्यों में जॉर्जिया, इलिनोइस, नोर्थ कैरोलिना, एरिजोना, टेनेसी और न्यू जर्सी शामिल हैं।
कोविड-19 से अमेरिका दुनिया का सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है, जो सबसे ज्यादा मामले और मौतों के साथ शीर्ष पर है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में एक समारोह में कहा, "मैं जम्हूरियत हूं। मुझे पाकिस्तान में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने के बाद चुना गया और मैं पांच इंतखाबी इलाकों से जीता।"
उन्होंने कहा, "हमारे सशस्त्र बलों द्वारा प्रदान किए गए बलिदानों के कारण हम आज सुरक्षित हैं। इसका कारण यह है कि मुझे सेना के साथ कोई समस्या ही नहीं है और सेना ने मेरी सरकार के हर एजेंडे का समर्थन किया है, क्योंकि मेरा रिकॉर्ड साफ है।"
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की आवश्यकताओं के अनुपालन की आड़ में, खान की अगुवाई वाली सरकार ने सितंबर के मध्य में आठ कानून बलपूर्वक लाए गए, जिसके बाद विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर निशाना साधना शुरू किया। खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने यह प्रयास अपने वास्तविक स्वामी खुफिया एजेंसी आईएसआई को खुश करने के लिए किया।
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेतृत्व में विपक्ष ने दावा किया कि उनके सदस्यों ने रहस्यमयी कॉल आने की शिकायत की है, जिनमें उन्हें संसदीय कार्यवाही से दूर रहने के लिए कहा गया था, जिससे संसद के संयुक्त सत्र के माध्यम से इसका मार्ग प्रशस्त हो सके।
खान की परेशानियां खत्म नहीं हुई हैं। दरअसल, 11 पार्टियों के महागठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने 16 अक्टूबर से इमरान खान के खिलाफ राष्ट्रव्यापी रैलियां शुरू करने की योजना बनाई है। खान की अगुवाई वाली सरकार के सामने अब यह बड़ी चुनौती आकर खड़ी हो चुकी है, जिससे पार पाना उसके लिए मुश्किल नजर आ रहा है।
खान के कट्टर प्रतिद्वंद्वी नवाज शरीफ पाकिस्तानी विपक्षी दलों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने लंदन से एक वीडियो लिंक के माध्यम से पिछले महीने कहा था, "अब पाकिस्तान को एफएटीएफ जैसे प्लेटफार्मों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश करने की शर्म से निपटना होगा।"
शरीफ का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा 21 से 23 अक्टूबर के लिए निर्धारित बैठक में ब्लैक लिस्ट होने से बचने की कोशिश कर रहा है।
फरवरी में एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी वित्त पोषण मानदंडों का पालन करने के लिए अतिरिक्त चार महीने का समय मांगा था। हालांकि पाकिस्तान को चेतावनी दी गई थी कि अगर वह मानदंडों को पूरा करने में विफल रहा, तो इसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।
एफएटीएफ ने कहा कि यह चिंतित करनी वाली बात है कि इस्लामाबाद फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत कार्य योजना को पूरा करने में विफल रहा। अगर पाकिस्तान अक्टूबर तक एफएटीएफ के निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, इसके ब्लैक लिस्टेड होने की पूरी संभावना है।(आईएएनएस)
ढाका, 12 अक्टूबर | प्रधानमंत्री शेख हसीना की अध्यक्षता में सोमवार को बांग्लादेश के मंत्रिमंडल ने दुष्कर्म के मामलों में अधिकतम सजा को आजीवन कारावास से बढ़ाकर मृत्युदंड करने वाले कानूनी संशोधन को मंजूरी दे दी है। बीडी न्यूज24 ने कैबिनेट सचिव खंदकर अनवरुल इस्लाम के हवाले से कहा कि चूंकि संसद का सत्र नहीं चल रहा है, लिहाजा महिला एवं बाल अत्याचार निवारण अधिनियम शीर्षक से प्रस्तावित इस संशोधन के लिए अब राष्ट्रपति अब्दुल हमीद द्वारा अध्यादेश जारी करने की संभावना है।
कानून मंत्री अनिसुल हक ने बीडी न्यूज24 को बताया, "अध्यादेश कल जारी किया जाएगा।"
गौरतलब है कि नोआखाली में एक महिला के साथ हुए यौन शोषण और सिलहट के एमसी कॉलेज में एक महिला के साथ हुए दुष्कर्म के बाद ढाका समेत देश के कई हिस्सों में जमकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे थे। इसके बाद इस कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी गई।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले 16 वर्षो में बांग्लादेश में दुष्कर्म के 4,541 मामले दर्ज किए गए और इनमें से केवल 60 मामलों में ही आरोपी को दंडित किया गया। इसी साल यहां कम से कम 889 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ है।
इस क्षेत्र में काम कर रहे कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि कई पीड़िताएं पुलिस से शिकायत नहीं करती हैं।
--आईएएनएस
स्टॉकहोम, 12 अक्टूबर| साल 2020 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार सोमवार को अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल आर. मिलग्रोम और रॉबर्ट बी. विल्सन को ऑक्शन थियोरी में सुधार और ऑक्शन करने के नए आविष्कार के लिए दिया गया। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस के अनुसार, विल्सन को अर्थशास्त्र में इस वर्ष के पुरस्कार से सम्मानित किया है क्योंकि उन्होंने दिखाया कि बोली लगाने वाले अपने सामान्य मूल्य के नीचे बोलियां क्यों लगाते हैं।
मिलग्रोम और विल्सन दोनों स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से हैं। (आईएएनएस)
कराची, 12 अक्टूबर| विपक्षी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने घोषणा की है कि देश के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को 'अस्वस्थ' महसूस होने के बाद यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉन न्यूज के मुताबिक, रविवार को एक ट्वीट में पार्टी ने कहा, "डॉक्टर उनका मेडिकल चेकअप और जरूरी मेडिकल टेस्ट कर रहे हैं।"
जरदारी के लंबे समय के सहयोगी असीम हुसैन ने मीडिया को बताया कि पूर्व राष्ट्रपति को लो शुगर लेवल के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा दायर किए गए भ्रष्टाचार के कई मामलों में नामजद पूर्व नेता, पिछले साल इस्लामाबाद हाईकोर्ट द्वारा चिकित्सा आधार पर दी गई जमानत पर बाहर है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 12 अक्टूबर। ट्विटर ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस ट्वीट को छिपा दिया है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अब वो कोरोना वायरस से इम्यून हैं।
इस संबंध में किए गए उनके पोस्ट को ट्विटर ये कहते हुए छिपा दिया है कि ये पोस्ट कोविड-19 के संबंध में भ्रामक और संभवत: खतरनाक जानकरी देता है और इस कारण ट्विटर के नियमों का उल्लंघन है।
ट्विटर का कहना है कि जनहित में यही होगा कि लोग इसे न देख सकें।
इससे पहले फ़ॉक्स न्यूज़ को फ़ोन पर दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि अब उन्हें कोई संक्रमण नहीं है, उनकी सेहत दुरुस्त है और वो काम पर वापिस लौट सकते हैं।
ट्रंप ने कहा था, ऐसा लग रहा है कि मैं इम्यून हो गया हूं। अब मैं बेसमेंट से निकल सकता हूं जो मैं करने वाला था। क्योंकि आपको देश चलाना है, आपको बेसमेंट से बाहर निकलना ही होगा। और ऐसा लग रहा है कि मैं इम्यून हूं।। शायद लंबे वक्त के लिए या फिर शायद कम वक्त के लिए, या फिर जीवन भर के लिए अभी किसी को नहीं पता।
उन्होंने कहा, व्हाइट हाउस के डॉक्टरों ने कहा है कि ये वायरस मुझसे दूसरों को नहीं फैल सकता।
इससे पहले राष्ट्रपति के निजी डॉक्टर ने कहा था कि राष्ट्रपति से संक्रमण का अब कोई ख़तरा नहीं है।
बीते सप्ताह कोविड-19 के लिए अस्पताल में इलाज के दौरान ट्रंप ने अपने इलाज को लेकर कई तरह के दावे किए थे। उन्होंने दावा किया कि एक एंटीबॉडी दवा है जो इस बीमारी को ठीक कर सकती है और वो इसे जल्द से जल्द सभी नागरिकों को मुफ्त में मुहैय्या कराएंगे। सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप फिर से चुनाव प्रचार शुरू करने वाले हैं।
मेलबर्न, 12 अक्टूबर| एलिस्टर निकोलसन ने आस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (एसीए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के पद से इस्तीफा दे दिया है। वह इस पद पर 2014 से थे। उन्होंने पॉल मार्श का स्थान लिया था। निकोलसन ने एक बयान में कहा, "खिलाड़ियों के समूह का प्रतिनिधित्व करते हुए मैंने काफी अच्छा महसूस किया और मेरे समय में हमने जिस तरह से जो काम किए और जो हासिल किया उस पर मुझे गर्व है।"
उन्होंने कहा, "मैंने काफी मुश्किल मुद्दों को संभाला, लेकिन हमेशा ईमानदारी और बराबरी बनाए रखने की कोशिश की।"
वह इस साल के अंत तक अपना पद छोड़ देंगे। एसीए बोर्ड नए सीईओ की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू करेगी।
एसीए के चेयरमैन ग्रेड डायर ने कहा, "एलिस्टर के मार्गदर्शन में हम काफी पेशेवर बने और हम इस काबिल बन सके कि हम अपने सभी सदस्यों की मदद कर सकें।"
उन्होंने कहा, "अब हम भविष्य में खेल में मजबूती से हिस्सा होने लायक हैं।"
एसीए के बोर्ड सदस्य एलिसा हिली और पैट कमिंस ने भी निकोलसन की तारीफ की. (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 12 अक्टूबर| ट्विटर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस ट्वीट को 'फ्लैग' कर दिया है, जिसमें उन्होंने खुद को कोरोनावायरस से इम्यून बताया था। ट्विटर ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि इस ट्वीट ने उसके प्लेटफॉर्म पर कोरोनावायरस से संबंधित गलत सूचना देकर इसके नियमों का उल्लंघन किया है।
ट्विटर ने रविवार को ट्रंप के ट्वीट को शेयर करने के विकल्पों को डिसेबल कर दिया।
ट्रंप ने ट्वीट में कहा था, "कल व्हाइट हाउस के डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि मैं ठीक हो गया हूं। इसका मतलब है कि मैं इसके संपर्क में नहीं आ सकता (इम्यून हूं), और न ही किसी को संक्रमित कर सकता हूं। यह जानकर बहुत अच्छा लगा।"
वहीं, ट्रंप के फॉलोअर्स के इसे शेयर करने पर लगाम लगाने के लिए ट्विटर ने इस ट्वीट पर चेतावनी देते हुए कहा, "हम इस तरह के ट्वीट को रोकने की कोशिश करते हैं जो ट्विटर के नियमों को तोड़ता है।"
यह पहली बार नहीं है जब ट्विटर ने ट्रंप के विवादित ट्वीट को शेयर करने के विकल्प को डिसेबल किया है। यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पहले भी कई बार अपनी नीतियों का हवाला देते हुए ट्रंप के ट्वीट को डिसेबल कर चुका है।
फॉक्स न्यूज पर एक साक्षात्कार में भी ट्रंप ने कहा, "ऐसा लगता है जैसे मैं इम्यून हूं।"
उन्हंोने कहा, "ऐसा लग रहा है कि मैं इम्यून हूं.. मुझे नहीं पता, शायद एक लंबे समय के लिए, शायद थोड़े समय के लिए। यह जिंदगी भर के लिए हो सकता है। कोई भी वास्तव में नहीं जानता है।"
व्हाइट हाउस के चिकित्सक शॉन कॉनले ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति से अब दूसरों को संक्रमण होने का जोखिम नहीं है। ट्रंप 1 अक्टूबर को कोविड-19 पॉजिटिव निकले थे और बाद में तीन दिनों तक अस्पताल में इलाज कराने के बाद व्हाइट हाउस लौट आए।
हालांकि, कॉनले ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि जब ट्रंप जांच में अंतिम बार कब कोरोना नेगेटिव निकले।
जर्नल नेचर मेडिसिन में सितंबर में प्रकाशित एक स्टडी ने संकेत दिया कि कोरोनोवायरस से ठीक होने का मतलब इसके प्रति जीवनभर के लिए इम्यून होना नहीं है। (आईएएनएस)
रियो डि जेनेरो, 12 अक्टूबर | ब्राजील में कोरोनावायरस से 290 और मरीजों की मौत होने के साथ देश में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 150,488 हो गई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना के 12,345 नए मामले सामने आए, जिससे देश में कुल मामलों की संख्या 5,094,982 तक पहुंच गई।
ब्राजील में कोरोना मृतकों की संख्या ने शनिवार को 150,000 का आंकड़ा पार कर लिया। यह मौतों के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
ब्राजील में 1,037,660 मामलों और 37,256 मौतों के साथ साओ पाउलो बीमारी का केंद्र बना हुआ है, उसके बाद रियो डि जेनेरो हैं, जहां कोरोना के 283,675 मामले हैं और 19,308 मौतें हुई हैं।
ब्राजील ने हाल के हफ्तों में मौतों की औसत संख्या और दैनिक मामलों को कम करने में कामयाबी हासिल की है।(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 12 अक्टूबर | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को दावा किया कि वह अब कोरोनोवायरस से 'इम्यून' (प्रतिरक्षी) हैं, हालांकि मेडिकल रिसर्च ने कहा है कि वायरस से फिर से संक्रमित होना संभव है।
फॉक्स न्यूज पर एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा, "ऐसा लगता है जैसे मैं इम्यून हूं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, "ऐसा लग रहा है कि मैं इम्यून हूं..मुझे नहीं पता, शायद एक लंबे समय के लिए, शायद थोड़े समय के लिए। यह जिंदगी भर के लिए हो सकता है। कोई भी वास्तव में नहीं जानता है।"
व्हाइट हाउस के चिकित्सक शॉन कॉनले ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति से अब दूसरों को संक्रमण होने का जोखिम नहीं है। ट्रंप 1 अक्टूबर को कोविड-19 पॉजिटिव निकले थे और बाद में तीन दिनों तक अस्पताल में इलाज कराने के बाद व्हाइट हाउस लौट आए।
हालांकि, कॉनले ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि जब ट्रंप जांच में अंतिम बार कब कोरोना नेगेटिव निकले थे।
जर्नल नेचर मेडिसिन में सितंबर में प्रकाशित एक स्टडी ने संकेत दिया कि कोरोनोवायरस से ठीक होने का मतलब इसके प्रति जीवनभर के लिए इम्यून होना नहीं है। (आईएएनएस)
- तनवीर मलिक
हाल के वर्षों में पाकिस्तान में नोटों की संख्या बढ़ती दिख रही है. 30 जून, 2020 को समाप्त वित्तीय वर्ष में, वहाँ पिछले आठ वर्षों में नोटों के चलन में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है. केवल एक वित्तीय वर्ष में नोटों की संख्या में 1.1 ट्रिलियन की वृद्धि हुई है.
पाकिस्तान की आर्थिक गति पर नज़र रखने वालों लोगों के अनुसार, यह वृद्धि असामान्य है और अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
उनका कहना है कि अगर नोटों की संख्या बढ़ी है तो इसका मतलब है कि सरकार ने पुराने नोटों को नए नोटों के साथ बदल दिया है. इसके अलावा बड़ी संख्या में नए नोटों की छपाई भी की है.
उनके अनुसार, बाज़ार में नोटों की आपूर्ति और मांग को संतुलित करने के लिए, नए नोटों को सामान्य रूप से छापा जाता है, जिससे कुछ वृद्धि होती है. लेकिन असाधारण वृद्धि का मतलब है कि बहुत सारे नोट छापे गए हैं.
पिछले साल पाकिस्तान में नोट छापने और प्राइज़ बांड के लिए पेपर बनाने वाली 'सिक्योरिटी पेपर्स लिमिटेड' के वित्तीय नतीजों में भी वृद्धि देखने को मिली है. पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी के वित्तीय परिणामों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में इसके लाभ में 60% से भी अधिक वृद्धि हुई है.
याद रहे कि पाकिस्तान में प्रचलन में रहे नोटों की संख्या में वृद्धि ऐसे समय में देखी जा रही है. जब ई-कॉमर्स और डिजिटल लेन देन का चलन भी बढ़ रहा है, ख़ास तौर से ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल लेन देन कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद बढ़ गया है.
वार्षिक आधार पर प्रचलन में रही मुद्रा में वृद्धि
पाकिस्तान में सेंट्रल बैंक की वेबसाइट पर पिछले आठ वित्तीय वर्षों में प्रचलन में रही मुद्रा के आंकड़ों की जानकारी मिलती है. उनके अनुसार, वित्त वर्ष 2012 के अंत में चलन में रही मुद्राओं की संख्या 1.73 ट्रिलियन थी जो अगले वर्ष बढ़कर 1.93 ट्रिलियन हो गई.
वित्तीय वर्ष 2014 के अंत में, यह संख्या बढ़कर 2.17 ट्रिलियन हो गई, फिर अगले वर्ष यह संख्या 2.55 ट्रिलियन तक पहुंच गई.
वित्त वर्ष 2016 में चलन में रही मुद्राओं की संख्या में और भी वृद्धि हुई और यह 3.33 ट्रिलियन पर जा कर बंद हुई.
अगले वर्ष यह बढ़कर 3.91 ट्रिलियन हो गई. वित्त वर्ष 2018 के अंत में, यह संख्या 4.38 ट्रिलियन तक पहुंच गई और अगले वर्ष इसमें बहुत अधिक वृद्धि देखने में आई, जो 4.95 ट्रिलियन के उच्च स्तर पर बंद हुई.
पिछले वित्तीय वर्ष 2020 में इसकी संख्या में असामान्य वृद्धि देखने में आई जब यह 6.14 के स्तर पर बंद हुई.
एकेडी सिक्योरिटीज़ के हेड ऑफ़ रिसर्च फ़रीद आलम के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में होने वाली वृद्धि सबसे अधिक थी.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की तुलना में वर्तमान सरकार में दोगुनी वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार अधिक मुद्रा छाप रही है, जिसके कारण यह वृद्धि देखने में आ रही है.
चलन में रहने वाली मुद्रा में वृद्धि के कारण
पाकिस्तान में पुराने नोटों के बदले नए नोटों में वृद्धि ऐसे समय में देखने को मिल रही है जब सरकार आईएमएफ़ के साथ किये गए एक समझौते के तहत स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान से उधार नहीं ले रही है. और बजट घाटे को पूरा करने के लिए कमर्शियल बैंकों से ओपन मार्केट ऑपरेशन के माध्यम से पैसा इकट्ठा करेगी.
याद रहे कि पहले भी सरकारें स्टेट बैंक (केंद्रीय बैंक) से क़र्ज़ लेती थीं तो स्टेट बैंक नई मुद्रा छाप कर इस ज़रूरत को पूरा करता था. लेकिन अब आईएमएफ़ की शर्त की वजह से स्टेट बैंक से पैसे लेने का रास्ता बंद है.
इस संबंध में मशहूर अर्थशास्त्री डॉक्टर क़ैसर बंगाली ने कहा कि प्रचलन में रहने वाली मुद्रा में भारी वृद्धि इस बात का संकेत है कि बड़ी संख्या में नई मुद्रा छापी गई हैं. उनके अनुसार, ज़ाहिरी तौर पर तो पैसा स्टेट बैंक से नहीं लिया जा रहा है लेकिन पाकिस्तान में सब कुछ पारदर्शी भी नहीं होता है.
उन्होंने बताया कि, "बजट के अवसर पर भी हमने यह सवाल उठाया था कि जब स्टेट बैंक से क़र्ज़ लेना बंद हो गया है तो नए नोटों की संख्या में वृद्धि क्यों हुई."
उन्होंने कहा कि सरकार ने भी अस्पष्ट जवाब देकर मामले को निपटा दिया. क़ैसर बंगाली के अनुसार प्रचलन में रही मुद्रा में बहुत अधिक वृद्धि इस बात का सबूत है कि करंसी नोट बहुत तेज़ी से छापे जा रहे हैं.
आरिफ़ हबीब सिक्योरिटीज़ की एक अर्थशास्त्र विश्लेषक सना तौफ़ीक़ ने इस संबंध में कहा कि पिछले पांच या छह वर्षों से मुद्रा वृद्धि हो रही है.
उन्होंने कहा कि इसमें वृद्धि की असामान्य प्रवृत्ति ऐसे समय में हुई जब सरकार ने पांच साल पहले बैंकों के माध्यम से लेन देन पर टैक्स बढ़ा दिया था. और लोगों ने पैसे बैंकों में जमा करने के बजाय नकद रखना शुरू कर दिया.
सना के अनुसार, मौजूदा सरकार के शासनकाल में आईएमएफ़ से हुए समझौते में टैक्स और राजस्व बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है. और सरकार ने इस संबंध में कई कदम भी उठाए हैं.
हालांकि, इस कारण लोगों ने बैंकों के माध्यम से लेन देन के बजाय नकद जमाख़ोरी का सहारा लिया है. इससे भी नोटों की मांग में वृद्धि हुई. जिसके कारण नोटों की छपाई में भी वृद्धि हुई.
फ़रीद आलम ने कहा कि कमर्शियल बैंकों से पैसा उधार लेना भी कुछ हद तक मुद्रा की छपाई का कारण बन रहा है.
विशेषज्ञों के अनुसार, आईएमएफ़ ने सरकार पर बजट घाटे को कवर करने के लिए स्टेट बैंक से क़र्ज़ लेने के पर रोक लगाई है. लेकिन अन्य ख़र्चों, जैसे कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज के संबंध में नए नोटों के मुद्रण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
नोटों की छपाई से मुद्रास्फ़ीति में कैसे वृद्धि होती है
बड़ी संख्या में नोट छापने से मुद्रास्फ़ीति यानी महंगाई में वृद्धि होती है.
विश्लेषक सना तौफ़ीक़ का कहना है कि अधिक नोट छापने का मतलब है कि लोगों के पास ज़्यादा पैसा आ रहा है. इससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ रही है और वो ज़्यादा पैसा खर्च करेंगे तो, यह चीज़ों की कीमतों के साथ-साथ मुद्रास्फ़ीति दर में भी वृद्धि करता है.
वो बताती हैं कि इस तरह की मुद्रास्फ़ीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज़ दरों को बढ़ाया जाता है.
डॉक्टर क़ैसर बंगाली ने बताया कि वर्तमान सरकार के पहले दो वर्षों में आपूर्ति की समस्याओं के कारण मुद्रास्फ़ीति बढ़ी है. हालांकि प्रचलित मुद्रा में बहुत अधिक वृद्धि से, डिमांड के लिहाज से भी मुद्रास्फ़ीति में वृद्धि का ख़तरा है.
नोटों की संख्या में वृद्धि के नकारात्मक प्रभाव क्या होते हैं?
करंसी नोटों की संख्या में वृद्धि के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बात करते हुए विश्लेषक सना तौफ़ीक़ ने कहा कि ये वृद्धि कालाबाज़ारी को बढ़ाता है.
उन्होंने कहा,"अगर बड़ी संख्या में नोट छप कर जा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि लोग बैंक में जमा करने के बजाय नकदी के रूप में अपने पैसे को बचा रहे हैं. इसे गैर आधिकारिक या ब्लैक इकॉनमी कहा जाता है. "
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में करेंसी नोटों की छपाई से तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग भी बढ़ती है.
वो कहती हैं,"इसका मतलब है कि लोग बैंकों के बजाय पैसा अपने पास रख रहे हैं और यह वही पैसा होता है जो अवैध रूप से स्थानांतरित किया जाता है."
उन्होंने कहा कि अधिक करंसी नोट नकदी जमाख़ोरी का ज़रिया बनता है और पैसे को चंद हाथों तक सीमित करता है.(bbc)
वाशिंगटन, 11 अक्टूबर | डचेस ऑफ ससेक्स मेगन मार्कल ने दावा किया है कि वह पिछले साल 'पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रोल की जाने वाले व्यक्ति' रही थीं। मेट्रो अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर उन्होंने एक पॉडकास्ट में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उन्हें ऑनलाइन इतना अधिक ट्रोल किया गया जिसके साथ जीना लगभग असंभव था।
पॉडकास्ट में मेगन ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि वह पिछले साल सबसे अधिक ट्रोल की गई 'पुरुष या महिला' व्यक्ति थीं।
उन्होंने कहा, "जबकि उस साल 8 महीने तो मैं दिखाई भी नहीं दी थी, बच्चे के कारण मैं मातृत्व अवकाश पर थी। इसके बाद भी जिस तरह ट्रोल किया गया, वह ऐसा था जिसकी कल्पना भी मुश्किल है और उसके साथ जीना लगभग असंभव था। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप 15 साल के हैं या 25 साल के हैं। यदि लोग आपके बारे में ऐसी बातें कह रहे हैं जो सच नहीं हैं, तो यह आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बहुत बुरा है।"
मेट्रो अखबार ने मेगन मार्कल के हवाले से कहा, "हम सभी जानते हैं कि जब हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाया जाता है तो कैसा लगता है, तब लगता है कि सबसे अलग-थलग हो जाएं। इसलिए आप लोग जो कर रहे हैं वह बहुत अहम है।"
मेगन के साथ पॉडकॉस्ट में शामिल हुए हैरी ने कहा, "नफरत करना एक तरह का चलन बन गया है। जैसे हम चिंता करते हैं, एक डाइट लेते हैं, वैसा ही नियम हमारी आंखों और दिमाग के लिए भी लागू होता है कि हम इनके जरिए क्या ले रहे हैं और वह हमें कितना प्रभावित कर रहा है।"
ड्यूक ने आगे कहा, "मैंने इन चीजों को न पढ़ने, न देखने और खुद को इससे दूर करके सकारात्मकता की ओर ध्यान केंद्रित करने का विकल्प चुना है।"
यह कपल अभी लॉस एंजिलिस में रह रहा है। दोनों ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को चुनते हुए चैरिटी प्रोजेक्ट्स पर काम करने का निर्णय लिया है।
--आईएएनएस