अंतरराष्ट्रीय
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि बीते छह महीनों में अफगानिस्तान में तालिबान ने 300 से भी ज्यादा लोगों को सजा के रूप में पीटा है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे यातना के खिलाफ संधिपत्र का उल्लंघन बताया है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में कम से कम 274 पुरुष, 58 महिलाओं और दो लड़कों को सार्वजनिक रूप से फ्लॉगिंग या पीटने की सजा दी गई. सामान्य रूप से हर एक व्यक्ति को 30 से 39 बार पीटा गया.
इस तरह सजा पाने वाले अधिकांश लोगों को जिन 'अपराधों' के लिए सजा दी गई उनमें 'जीना' (विवाहेतर संबंध), घर से भाग जाना, चोरी, समलैंगिकता, शराब पीना, धोखाधड़ी और नशीले पदार्थों की तस्करी शामिल हैं.
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन में मानवाधिकार प्रमुख फियोना फ्रेजर ने बताया कि "शारीरिक दंड यातना के खिलाफ संधिपत्र का उल्लंघन है और यह बंद हो जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र मौत की सजा का मजबूती से विरोध करता है और इस पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र को इस अवधि में मौत की सजा के एक मामले की भी खबर मिली है, जिसमें अदालत की अनुमति से एक व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में मृत्युदंड दिया गया. इस व्यक्ति को 2017 में एक व्यक्ति को चाकू मार कर जान से मार देने का दोषी पाया गया था.
इस्लामी कानून की दुहाई
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के जवाब में तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोषियों को इस्लामी कानून के तहत सजा दी गई है और लोगों के लिए एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए सजाओं की जरूरत है.
मंत्रालय के मुताबिक, "हर राजनीतिक तंत्र के अपने मानक और तरीके होते हैं जो उसे दूसरे तंत्रों से अलग बनाते हैं. इस्लामी अमीरात अपनी सभी गतिविधियां पावन धर्म इस्लाम की रोशनी में निभा रहा है और उसके प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है."
तालिबान ने इस तरह की सजाएं देना करीब दो साल पहले देश में सत्ता में आते ही शुरू कर दिया था, बावजूद इसके कि शुरू में उसने 1990 के दशकों के अपने शासन के मुकाबले ज्यादा नरम शासन का वायदा किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक 'फ्लॉगिंग' का पहला मामला अक्टूबर 2021 में कपीसा राज्य में सामने आया था. उस मामले में एक पुरुष और एक महिला को विवाहेतर संबंध बनाने का दोषी पाया गया था और उन्हें धार्मिक गुरुओं और स्थानीय तालिबान अधिकारियों की मौजूदगी में लोगों के सामने 100-100 बार कोड़े लगाए गए थे.
प्रतिशोध का अधिकार
दिसंबर 2022 में तालिबान के अधिकारियों ने हत्या के दोषी पाए गए एक व्यक्ति को मौत की सजा दे दी थी. फाराह राज्य में तालिबान के आदेश पर सैकड़ों लोगों के सामने मृतक के पिता ने उस व्यक्ति को गोली मार दी थी.
तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के नवंबर में न्यायाधीशों और उनके द्वारा इस्लामी कानून के इस्तेमाल को लेकर तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा की बातों को ट्वीट किया था. उसके बाद से देश में शारीरिक दंड के मामलों में बढ़ोतरी आई है.
पिछले हफ्ते जारी किए गए एक वीडियो मैसेज में तालिबान के उप मुख्य न्यायाधीश अब्दुल मालिक हक्कानी ने यह भी कहा कि तालिबान के सुप्रीम कोर्ट ने सत्ता हासिल करने के बाद प्रतिशोध के 175 फैसलेदिए हैं, जिनमें पीड़ित या उसके रिश्तेदार को अपराध करने वाले को सजा देने का अधिकार दिया जाता है.
हक्कानी के मुताबिक इन 175 फैसलों में 'फ्लॉगिंग' के 79 मामले और पत्थर से मारने के 37 मामले शामिल हैं. 2001 में अमेरिका के हमले के बाद सत्ता से बाहर हो जाने के बाद भी तालिबान ने उन इलाकों में इस तरह की सजा जारी राखी जहां उसका नियंत्रण था.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2010 से अगस्त 2021 के बीच तालिबान ने इस तरह के 182 फैसले दिए, जिनकी वजह से 213 लोगों की मौत हुई और 64 लोग घायल हुए.
सीके/एए (एपी, डीपीए)
गाजा सिटी, 9 मई। इजराइल की सेना ने मंगलवार तड़के गाजा पट्टी में ‘इस्लामिक जिहाद’ संगठन के ठिकानों पर हमले किए। इजराइल की सेना ने यह जानकारी दी। वहीं, संगठन ने कहा कि इस हमले में उसके तीन वरिष्ठ कमांडर और उनके परिवार के सदस्य मारे गए।
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि गाजा शहर में एक अपार्टमेंट की सबसे ऊपरी मंजिल और दक्षिणी शहर राफा में एक घर में विस्फोट हुआ। आतंकवादी प्रशिक्षण स्थलों को निशाना बनाते हुए तड़के हवाई हमले जारी रहे।
फलस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हवाई हमलों में कई लोग मारे गए और घायल हुए लेकिन उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया। इस्लामिक जिहाद ने कहा कि तीन कमांडरों की पत्नियां और उनके कई बच्चे भी मारे गए।
इजराइली सेना ने कहा कि हवाई बमबारी ईरान समर्थित संगठन के तीन वरिष्ठ कमांडरों के आवासों को निशाना बनाकर की गई थी। इजराइली सेना ने कहा कि तीनों इजराइल की ओर हाल में रॉकेट दागने के लिए जिम्मेदार थे।
इस्लामिक जिहाद ने इसकी पुष्टि की और बताया कि हमले में तीन कमांडर मारे गए हैं।
एपी सुरभि प्रशांत प्रशांत 0905 0911 गाजासिटी (एपी)
नयी दिल्ली, 9 मई। फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग के परिदृश्य को स्थिर बताते हुए कहा कि देश में सुदृढ़ वृद्धि परिदृश्य बना हुआ है।
उसने एक बयान में कहा, ‘‘फिच रेटिंग्स ने भारत की दीर्घकालिक विदेशी-मुद्रा जारीकर्ता डिफॉल्ट रेटिंग (आईडीआर) को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ पर रखा है।’’
फिच रेटिंग्स ने कहा कि सॉवरेन रेटिंग के लिए मजबूत वृद्धि क्षमता एक महत्वपूर्ण कारक है।
उसने कहा, ‘‘भारत की रेटिंग अन्य समकक्षों की तुलना में मजबूत वृद्धि परिदृश्य और बाहरी वित्तीय लचीलापन दर्शाती है जिसने भारत को पिछले वर्ष में बड़े बाहरी झटकों से पार पाने में मदद की है।’’
एजेंसी ने अगस्त 2006 से भारत की रेटिंग को ‘‘बीबीबी-’’ पर रखा है जो सबसे कम निवेश ग्रेड रेटिंग है।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां विभिन्न देशों की सरकारों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर ‘सॉवरेन रेटिंग’ तय करती हैं। इसके लिए वह अर्थव्यवस्था, बाजार और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं। रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं?
आमतौर पर पूरी दुनिया में स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी), फिच और मूडीज इन्वेस्टर्स ही सॉवरेन रेटिंग तय करती हैं। (भाषा)
इस्लामाबाद, 9 मई । पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के अध्यक्ष इमरान ख़ान ने पाकिस्तान सेना के मीडिया विंग आईएसपीआर पर पलटवार किया है.
इमरान ख़ान ने कहा कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से संस्थाएं मजबूत होती हैं.
उन्होंने फिर से सेना के वरिष्ठ अधिकारी जनरल फैसल नसीर पर आरोपों को दोहराते हुए कहा कि जब भी जांच होगी मैं साबित कर दूंगा कि यह वही आदमी था जिसने मेरा कत्ल करवाने की कोशिश की.
इमरान ख़ान ने कहा, "आईएसपीआर साहब, मेरी बात गौर से सुनो. इज्जत कौम में हर शहरी की होनी चाहिए. इस वक्त कौम की सबसे बड़ी पार्टी का अध्यक्ष हूं. पचास साल से लोग मुझे जानते हैं. मुझे झूठ बोलने की जरूरत नहीं है. इस आदमी ने दो बार मेरा कत्ल करने की कोशिश की. जब भी जांच होगी मैं साबित करूंगा कि ये वो आदमी थी. और इस आदमी के साथ कई लोग हैं."
ख़ान के आरोपों को आईएसपीआर ने खारिज करते हुए कहा था कि वे अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए पिछले एक साल से सेना और खुफिया अधिकारियों को बदनाम कर रहे हैं. विभाग ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है.
'गुलामी से मौत बेहतर'
इमरान ख़ान ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री होते हुए भी वे एफआईआर दर्ज नहीं करवा पाए.
उन्होंने कहा, "आईएसपीआर साहब जब एक इदारा अपनी काली भेड़ों के खिलाफ एक्शन लेता है तो वो अपनी क्रेडिबिलिटी बेहतर करता है. जो संस्था भ्रष्टाचारियों और गलत काम करने वालों को पकड़ता है तो उसका क्रेडिबिलिटी मजबूत होती है."
इमरान ख़ान ने कहा, "मैं मानसिक रूप से तैयार हूं. अगर आपको जेल में डालना है तो मैं तैयार हूं. ये जो डर्टी हैरी ने प्लान बनाया हुआ है. इसके साथ पूरा टोला है. सबको पता है कौन इसके साथ है. अगर इनके हाथ में मेरी जान जानी है तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं."
उन्होंने कहा, "ये भी हो सकता है कि जो श्रीलंका में जो हालात थे, आज ब्लूमबर्ग कहता है, दुनिया कहती है कि पाकिस्तानी के उससे ज्यादा बुरे हाल हो चुके हैं. अगर ये कौम फट गई तो आपको खुद को छुपाते फिरेंगे."
इमरान ने कहा, "अगर इन चोरों, डाकुओं और इन डफरों की गुलामी करनी पड़े तो मैं अल्लाह से दुआ करता हूं कि मुझे ऊपर ले जाए. इनकी गुलामी से मौत बेहतर है." (bbc.com)
खार्तूम, 9 मई | सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्टिव फोर्स (आरएसएफ) के बीच बातचीत के बावजूद राजधानी खार्तूम में सशस्त्र संघर्ष अभी भी जारी है। एसएएफ कमांडर अब्देल फत्ताह अल-बुरहान ने सोमवार को एक फोन साक्षात्कार में मिस्र के अल काहेरा न्यूज को बताया कि खार्तूम को छोड़कर पूरे सूडान में स्थिति ठीक है।
खार्तूम में स्थायी युद्धविराम पर पहुंचने के बाद हम किसी समझौते पर चर्चा कर सकते हैं। बुरहान को यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि अगर खार्तूम में विभाजन होता है तो युद्ध सूडान के बाकी हिस्सों में फैल सकता है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने सोमवार को एक बयान में एसएएफ के हवाले से कहा, हमारी सेना बाहरी (खार्तूम उत्तर) में विद्रोही मिलिशिया के एक समूह से भिड़ गई और चार सशस्त्र वाहनों को नष्ट कर दिया, जबकि दुश्मन भाग गए।
खार्तूम में मंगलवार को भी सुबह-सुबह गोलियों की आवाज सुनी जा सकती है। खार्तूम में एक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के संवाददाता के अनुसार, सशस्त्र बलों के लड़ाकू विमानों ने शहर के ऊपर उड़ान भरी और आरएसएफ ने जवाब में एंटी-एयरक्राफ्ट गन्स दागीं।
एसएएफ ने आरएसएफ सैनिकों पर बैंकों और दुकानों को लूटने का आरोप लगाया, साथ ही नागरिकों के घरों में धावा बोलने और आवासीय इलाकों में उनकी संपत्तियों को लूटने का आरोप लगाया, जहां आरएसएफ के लड़ाके तैनात हैं।
एसएएफ ने नागरिकों को संघर्ष क्षेत्रों से दूर रहने और किसी भी अज्ञात धातु की वस्तु के पास जाने से बचने की चेतावनी दी, जब तक कि तकनीकी दल उनसे निपटने के लिए नहीं आते।
इस बीच, सऊदी अरब के एक अनाम राजनयिक ने सोमवार को मीडिया को बताया कि जेद्दा में दो युद्धरत पक्षों के बीच बातचीत तीसरे दिन में प्रवेश कर चुकी है, लेकिन कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है।
संघर्ष शुरू होने के बाद से, खार्तूम में युद्धग्रस्त क्षेत्रों को बिजली, पानी की आपूर्ति और संचार से काट दिया गया है। लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं, वे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं और चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
सूडान 15 अप्रैल से राजधानी शहर खार्तूम और अन्य क्षेत्रों में एसएएफ और आरएसएफ के बीच घातक सशस्त्र संघर्ष देख रहा है, दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, हजारों सूडानी नागरिक विस्थापित हो गए हैं या पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।
सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मई की शुरूआत में प्रदान की गई हताहतों की संख्या के अनुसार, संघर्ष में कम से कम 550 लोग मारे गए, और अन्य 4,926 लोग घायल हुए। (आईएएनएस)
इसराइल, 9 मई । इसराइल के युद्धक विमानों ने एक बार फिर से गज़ा पट्टी पर बमबारी की है.
इसराइली सेना ने इस्लामिक जिहाद संगठन के नेताओं को निशाना बनाने के लिए ऑपरेशन शील्ड एंड एरो की शुरुआत की.
सेना के मुताबिक उन्होंने तीन इस्लामिक जिहाद कमांडर को मार दिया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भी इस हमले में तीनों नेता मारे गए हैं.
फ़लस्तीन अधिकारियों ने भी तीन वरिष्ठ कमांडरों के मारे जाने की पुष्टि की है.
इसराइली सेना ने इनकी पहचान खलील बहतीनी, जाहेद अहनम और वेस्ट बैंक में तारेक एज़्ज़दीन के रूप में पहचान की है.
एएफ़पी के पत्रकारों के अनुसार, हवाई हमले, स्थानीय समयानुसार दोपहर 2 बजे के बाद शुरू हुए. (bbc.com)
कनाडा की सरकार ने टोरंटो स्थित एक चीनी राजनयिक को निष्कासित कर दिया है.
चीनी राजनयिक पर संसद के एक सदस्य को डराने-धमकाने की योजना में कथित रूप से शामिल होने का आरोप है.
सांसद माइकल चोंग ने चीन पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया था जिसके बाद चीन कथित रूप से उन्हें और हॉन्ग कॉन्ग में उनके रिश्तेदारों को परेशान करने की कोशिशें कर रहा है.
विदेश मंत्री मेलानी जोली ने सोमवार को एक बयान में कहा कि राजनयिक चाओ वेई की ज़रूरत नहीं है.
कनाडा की राजधानी ओटावा में चीन के दूतावास ने राजनयिक के निष्कासन की निंदा की है.
ग्लोब एंड मेल अख़बार में कनाडा की एक खुफिया रिपोर्ट छपने के बाद सरकार ने यह क़दम उठाया है. रिपोर्ट में राजनयिक चाओ वेई पर 51 साल के माइकल चोंग के बारे में जानकारी जमा करने में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.
कनाडा की जासूसी एजेंसी का मानना है, उन्होंने हॉन्ग कॉन्ग में चोंग के रिश्तेदारों के बारे में जानकारियां भी मांगी थीं.
माइकल चोंग ने 2021 में संसद में एक प्रस्ताव रखा था जिसमें वीगर मुसलमानों के साथ चीनी व्यवहार को नरसंहार बताया गया था. चीन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए चोंग पर प्रतिबंध लगा दिया था.
कनाडा की विदेश मंत्री का कहना है कि देश के आंतरिक मामलों में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि राजनयिक को निष्कासित करने का फैसला काफ़ी सोच समझकर लिया गया है.
जोली ने सोमवार को कहा कि कनाडा "हमारे आंतरिक मामलों में किसी भी प्रकार के विदेशी हस्तक्षेप. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान सेना के मीडिया विंग आईएसपीआर ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के अध्यक्ष इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.
आईएसपीआर का कहना है कि इमरान ख़ान ने बिना किसी सबूत के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के ख़िलाफ़ बेहद ग़ैर ज़िम्मेदाराना और निराधार आरोप लगाए हैं.
बयान में कहा गया है कि पिछले एक साल से पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों के ख़िलाफ़ अपने राजनीतिक हित साधने के लिए सनसनीखेज तरीक़े से प्रचार किया जा रहा है.
इमरान ख़ान ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि पूरे पाकिस्तान को जनरल फैसल नसीर का नाम याद रखना चाहिए, अगर उन्हें कुछ होता है तो इसके लिए फैसल नसीर ज़िम्मेदार होंगे.
नवंबर 2022 में इमरान ख़ान पर हुए जानलेवा हमला हुआ था. हमले के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए भी इमरान ख़ान ने कहा था, "तीन लोगों ने उनकी हत्या की साजिश रची हुई है. इनमें गृह मंत्री सनाउल्लाह खां, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और मेजर जनरल फ़ैसल नसीर शामिल हैं."
मेजर जनरल फ़ैसल कौन हैं?
सेना के अधिकारी फ़ैसल नसीर को हाल ही में मेजर जनरल के पद पर तरक़्क़ी दी गई थी जिसके बाद वह अगस्त में पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई में शामिल हुए हैं.
वह आईएसआई की इंटरनल विंग जिसे आम तौर पर 'पॉलिटिकल विंग' या सिर्फ 'सी-विंग' भी कहा जाता है, उसकी कमान संभाल रहे हैं.
इस पद को आमतौर पर 'डीजी सी' कहा जाता है. ग़ौरतलब है कि इसका मतलब 'काउंटर इंटेलिजेंस' नहीं है बल्कि यह सिर्फ़ एक अक्षर के तौर पर इस्तेमाल होता है. आईएसआई में इसके अलावा डीजी ए, बी आदि जैसे संक्षिप्त अक्षर भी इस्तेमाल होते हैं.
काउंटर इंटेलिजेंस या सीआई ब्यूरो एक अलग निदेशालय है जिसके मातहत राजनीतिक विंग समेत कई विभाग आते हैं. आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद भी बतौर मेजर जनरल इस पद पर तैनात रहे थे.
मेजर जनरल फ़ैसल नसीर ने सेना की पंजाब रेजीमेंट में कमीशन हासिल किया था. अपने करियर के शुरुआती दौर में ही वह कोर ऑफ़ मिलिट्री इंटेलिजेंस में चले गए थे जिसके बाद उनका करियर इंटेलिजेंस असाइनमेंट तक रहा है.
और यही कारण है कि उनके बारे में बहुत अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. वह अपने करियर के दौरान अशांत क्षेत्रों में तैनात रहे और महत्वपूर्ण इंटेलिजेंस आधारित अभियानों का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने पिछले दो दशकों के दौरान मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों को मारा या गिरफ़्तार किया. (bbc.com/hindi)
कीव, 8 मई। यूक्रेन ने कीव के ऊपर ईरान में निर्मित 35 ड्रोन मार गिराए। दूसरी ओर यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रूस के हमलों में चार लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
कीव शहर सैन्य प्रशासन के प्रमुख सेर्ही पोपको के मुताबिक, ड्रोन का मलबा गिरने से राजधानी में पांच लोग घायल हो गए। रात के दौरान तीन घंटे से अधिक समय तक हवाई हमले का अलार्म बजता रहा।
कीव के मेयर विताली क्लित्सको ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में कहा कि ड्रोन का मलबा कीव के पश्चिमी सिवातोशिन्स्की जिले में दो मंजिला इमारत पर गिरा, जबकि शेष मलबा पास में खड़ी एक कार पर गिरा, जिससे उसमें आग लग गई।
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन के उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में 127 ठिकानों पर रूसी गोलाबारी में तीन लोगों की मौत हो गई।
अधिकारियों ने कहा कि रूस के लंबी दूरी के बमवर्षकों ने यूक्रेन के दक्षिणी ओडेसा क्षेत्र में आठ क्रूज मिसाइलें दागीं। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन व्यक्ति घायल हो गए। (एपी)
इस्लामाबाद, 8 मई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद से सार्वजनिक मृत्युदंड देने, कोड़े मारने और पत्थर मारने की सजा के लिए सोमवार को तालिबान की कड़ी आलोचना की गयी और देश के शासकों से इस तरह की गतिविधियों को रोकने को कहा गया।
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीने में ही अफगानिस्तान में सार्वजनिक रूप से 274 पुरुषों, 58 महिलाओं और दो लड़कों को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे गये।
एजेंसी की मानवाधिकार प्रमुख फियोना फ्रेजर ने कहा, ‘‘शारीरिक दंड देना, प्रताड़ना के खिलाफ समझौते का उल्लंघन है और इसे रोका जाना चाहिए।’’
उन्होंने मृत्युदंड पर तत्काल पाबंदी की मांग की।
तालिबान के विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अफगानिस्तान के कानून इस्लामी नियमों और दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं और बड़ी संख्या में अफगान नागरिक इन नियमों को मानते हैं।
उसने एक बयान में कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और इस्लामी कानून के बीच टकराव की स्थिति में सरकार इस्लामी कानून का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
तालिबान ने करीब दो साल पहले अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के कुछ ही समय बाद इस तरह की सजा देना शुरू कर दिया था। जबकि उसने 1990 के दशक के अपने कार्यकाल की तुलना में अधिक उदार नियम अपनाने का वादा किया था।
संयुक्त राष्ट्र की सोमवार को जारी रिपोर्ट में अगस्त 2021 में सत्ता में आने से पहले और बाद, दोनों समय तालिबानी गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के सत्ता में आने के बाद सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने की पहली सजा अक्टूबर 2021 में उत्तरी कापिसा प्रांत में दी गयी। इसके अनुसार इस मामले में व्यभिचार के दोषी एक महिला और पुरुष को मौलवियों और स्थानीय अधिकारियों की मौजूदगी में 100-100 कोड़े मारे गये थे।
तालिबान के ओहदेदारों ने दिसंबर 2022 में हत्या के एक दोषी को मौत की सजा दी। रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद सार्वजनिक मृत्युदंड का यह पहला मामला था।
पीड़ित के पिता की राइफल से ही इस सजा को अंजाम दिया गया और यह मौलवियों तथा तालिबान अधिकारियों के सामने पश्चिमी फराह प्रांत में हुआ।
सरकार के शीर्ष प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि सजा देने का फैसला बहुत सोच-समझकर किया गया और इसे देश की तीन सर्वोच्च अदालतों तथा तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबातुल्ला अखुंदजादा की मंजूरी थी। (एपी)
लंदन, 8 मई। अभिनेत्री सोनम कपूर ने महाराजा चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला की ताजपोशी के समारोह में आयोजित कंसर्ट में राष्ट्रमंडल पर भाषण दिया।
रविवार शाम को विंडसर कैसल में आयोजित इस समारोह में कैटी पेरी और टेक दैट जैसे पॉप सितारों ने प्रस्तुति दीं।
अनामिका खन्ना और एमिला विकस्टीड द्वारा तैयार परिधान पहन कर समारोह में शामिल हुईं सोनम ने अपने भाषण की शुरुआत ‘नमस्ते’ के संबोधन से की।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा राष्ट्रमंडल एक संघ है। हम मिलकर दुनिया की आबादी का एक तिहाई हैं। दुनिया के समुद्री क्षेत्र का एक तिहाई हैं। दुनिया के भूभाग का एक चौथाई हैं।’’
सोनम (37) ने कहा, ‘‘हमारा प्रत्येक देश खास है, हमारे लोग खास हैं। हम अपने इतिहास से सीखते हुए एक होकर खड़े हैं। हम अपनी विविधता और अपने मूल्यों से परिपूर्ण हैं और सभी के लिए एक अधिक शांतिपूर्ण, टिकाऊ और समृद्ध भविष्य बनाने के लिए दृढ़-संकल्पित हैं जहां सभी की बात सुनी जाए।’’
इसके बाद उन्होंने प्रख्यात संगीतकार स्टीव विनवुड के साथ राष्ट्रमंडल के 56 देशों के कलाकारों द्वारा तैयार राष्ट्रमंडल के वर्चुअल गायक मंडल को प्रस्तुत किया।
सोनम राज्याभिषेक समारोह में अपने उद्यमी पति आनंद आहूजा के साथ शामिल हुईं।
आने वाली फिल्म ‘ब्लाइंड’ में काम कर रहीं सोनम ने इंस्टाग्राम पर समारोह की कुछ तस्वीर साझा कीं। (भाषा)
ब्राउंसविले (अमेरिका), 8 मई। अमेरिका के टेक्सास प्रांत में सीमावर्ती शहर ब्राउंसविले में एक एसयूवी चालक ने बस अड्डे पर बस का इंतजार कर रहे लोगों पर अपना वाहन चढ़ा दिया जिसमें कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और दस लोग घायल हो गए।
पुलिस ने यह जानकारी दी।
यह बस अड्डा एक शरणार्थी शिविर के बाहर बना हुआ है। शरणार्थी शिविर ‘बिशप एनरीक सैन पेड्रो ओजानाम सेंटर’ के निदेशक विक्टर माल्डोनाडो ने कहा कि उन्होंने रविवार सुबह दुर्घटना के बारे में सूचना मिलने पर शिविर में लगे निगरानी कैमरे के वीडियो को देखा था।
माल्डोनाडो ने कहा, ‘‘ हमने वीडियो में देखा कि यह एसयूवी एक रेंज रोवर थी और इसने तेज गति से लाल बत्ती को पार किया और बस अड्डे में बैठे लोगों पर यह चढ़ गई।’’
उन्होंने बताया कि बस अड्डे में बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए लोग सड़क किनारे बनी पट्टी पर बैठे हुए थे। इस दुर्घटना में हताहत हुए अधिकतर लोग वेनेजुएला से हैं।
निदेशक के अनुसार वाहन सड़क किनारे बनी पट्टी से टकराने के बाद पलट गया और 200 फुट दूरी तक पहुंच गया। वहां टहल रहे कुछ लोग भी वाहन की चपेट में आ गए।
ब्राउंसविले पुलिस जांचकर्ता मार्टिन सैंडोवल ने कहा कि दुर्घटना सुबह साढ़े आठ बजे हुई और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि चालक ने जानबूझ कर लोगों को निशाना बनाया अथवा यह कोई हादसा था।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि वाहन चालक घायल हो गया है और उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया है।
शरणार्थी शिविर के निदेशक ने बताया कि दुर्घटना के पहले किसी प्रकार की कोई धमकी नहीं मिली, लेकिन बाद में लोगों ने यहां आकर धमकी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग गेट पर आए और उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि ये हमारे कारण हुआ है।’’
एपी शोभना वैभव वैभव 0805 0947 ब्राउंसविले (एपी)
पेरू में ज़मीन से क़रीब 100 मीटर नीचे सोने की खदान में आग लगने से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई है.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक़ खनन कंपनी यानाक्विहुआ ने एक बयान में कहा कि शुक्रवार देर रात या शनिवार तड़के हुई दुर्घटना के बाद कुल 175 श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया है.
बयान में कहा गया है कि मरने वाले 27 लोग एक ठेकेदार के लिए काम करते थे जो खनन का काम करते हैं.
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है. वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि दक्षिण अमेरिका के अरेक्विपा क्षेत्र में मौजूद खदान में आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी.
स्थानीय सरकार ने एक बयान में कहा है कि खदान से नजदीकी पुलिस स्टेशन की दूरी 90 मिनट की है. इतना ही नहीं नजदीकी शहर भी खदान से कई किलोमीटर दूर है. यही वजह है कि आपातकालीन बचाव अभियान को चलाने में मुश्किल आई.
पेरू दुनिया के सबसे बड़े सोने के उत्पादकों में से एक है, जो हर साल 100 टन से ज्यादा सोने का उत्पादन करता है. यह दुनिया के सालाना उत्पादन का चार प्रतिशत है. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 7 मई । पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के मरदान शहर में एक राजनीतिक रैली में दिए गए भाषण से नाराज़ लोगों ने एक शख्स पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उसे बुरी तरह से मारा-पीटा जिससे उसकी मौत हो गई.
मरदान के पुलिस अधिकारी नजीबुर रहमान ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि मौलाना निगार अली नाम के एक व्यक्ति ने एक राजनीतिक पार्टी की रैली में वहां मौजूद एक स्थानीय राजनीतिक नेता के बारे में कुछ शब्द कहे, जिससे वहां के लोग भड़क गए.
पुलिस ने अभी तक इस घटना का मामला दर्ज नहीं किया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वे विभिन्न स्रोतों से घटना में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और जांच के बाद मामला दर्ज किया जाएगा.
बीबीसी संवाददाता अज़ीज़ुल्लाह खान के मुताबिक, मारे गए मौलाना निगार अली स्थानीय मस्जिद के इमाम थे. उनके शव को स्थानीय अस्पताल भेज दिया गया है.
मरदान पुलिस के एक अधिकारी ने पत्रकार मुहम्मद जुबैर खान को बताया कि जब राजनीतिक दल की बैठक में मौलाना निगार अली के भाषण पर रैली में शामिल लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, तो मौके पर मौजूद अधिकारियों ने उन्हें नाराज़ भीड़ से बचाया और पास की एक दुकान में ले गए.
अधिकारी का कहना है कि इस मौके पर विद्वान और नेता भी वहां पहुंचे और बातचीत की प्रक्रिया शुरू की गई जबकि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए और पुलिस बल बुलाया गया.
पुलिस अधिकारी के मुताबिक़ बातचीत की प्रक्रिया चल ही रही थी कि गुस्साई भीड़ ने दुकान पर धावा बोल दिया और मौलाना निगार को जबरदस्ती दुकान से बाहर निकाल लिया और मार-पीट करते हुए अपने साथ ले गए.
उन्होंने कहा कि भारी संख्या में आक्रोशित लोगों के कारण पुलिस उन्हें रोक नहीं पाई. हालांकि, पुलिस 'राजनीतिक दल के अन्य नेताओं को सुरक्षित करने में कामयाब रही.'
पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि भीड़ इतनी गुस्से में थी कि वे शव सौंपने को तैयार नहीं थे, लेकिन पुलिस ने आखिरकार मृतक के शव को अपने संरक्षण में लिया और उसे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया.
खैबर पख्तूनख्वा के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मुहम्मद आजम खान ने मरदान में हुई घटना पर खेद व्यक्त किया और कहा कि राजनीतिक सभाओं को राजनीतिक बयानों तक सीमित रखा जाना चाहिए.
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़, उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक मामलों को धार्मिक रंग देने से बचना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने लोगों से कानून हाथ में लेने से बचने की अपील की, "ऐसे मामलों में कानून को अपना काम करने देना चाहिए. मौजूदा स्थिति में धैर्य की तत्काल आवश्यकता है."
उन्होंने कहा कि घटना के संदर्भ में विद्वानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. उलेमाओं को आगे बढ़कर शांति व्यवस्था और धार्मिक सद्भाव का माहौल बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. (bbc.com)
लाहौर, 7 मई | लाहौर के नवाब टाउन में अज्ञात हमलावरों ने सिख समुदाय के एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी। सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी। 50 वर्षीय परमजीत सिंह पंजवार को बाइक सवार बदमाशों ने गोली मार दी। पुलिस ने बताया कि हमला शनिवार सुबह करीब साढ़े छह बजे हुआ। उस वक्त पंजवार अपने बॉडीगार्ड के साथ सनफ्लॉवर हाउसिंग सोसाइटी स्थित अपने घर के पास मॉर्निग वॉक पर थे।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पंजवार को सिर में गोली लगी। हमले में बॉडीगार्ड भी घायल हो गया और उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, हमले के बाद हमलावर मौके से फरार हो गए।
एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और सबूत इकट्ठा करने के लिए इलाके की घेराबंदी की। पुलिस ने संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए गश्त तेज करने और स्नैप चेकिंग के लिए हाई अलर्ट भी जारी किया है।
डॉन की खबर के मुताबिक, तत्काल किसी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि पंजवार की हत्या के पीछे के मकसद के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी और टीमें सभी संभावित सुरागों पर काम कर रही हैं।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने उन खबरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिनमें कहा गया था कि गोलीबारी में एक शूटर भी घायल हुआ है।
पंजवार के शव को शहर के मुर्दाघर में शिफ्ट कर दिया गया और पुलिस विशेषज्ञ संदिग्धों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपराध स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं। (आईएएनएस)
ऑकलैंड, 7 मई | न्यूजीलैंड में डाउन सिन्ड्रॉम से पीड़ित एक महिला के यौन उत्पीड़न और घातक रूप से उसका गला दबाने के आरोपी भातीय मूल के 33 वर्षीय एक व्यक्ति को 19 साल से ज्यादा की कैद की सजा सुनाई गई है। एनजेड हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, शामल शर्मा को इस सप्ताह ऑकलैंड में हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति एडविन वाइली ने अनिवार्य आजीवन कारावास की न्यूनतम अवधि की कैद की सजा सुनाई। इस दौरान उसने किसी तरह की भावना नहीं दिखाई।
सितंबर 2021 में उसके माउंट अल्बर्ट घर से लगभग एक किलोमीटर दूर 27 वर्षीय लीना झांग हैरप का शव मिलने के दो दिन बाद शर्मा को गिरफ्तार किया गया था।
अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, हैरप जब सुबह अपने घर से टहलने के लिए निकलीं तो रास्ते में उन्हें शर्मा मिला। उसने लगभग दो घंटे तक उसे प्रताड़ित किया और उसका गला घोंटने से पहले उसके चेहरे पर कई वार किए जिससे उसकी मौत हो गई।
अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित के शरीर को झाड़ियों में छिपाने के बाद शर्मा वहां से भाग गया। दो दिन बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
एक पैथोलॉजिस्ट ने बताया कि हैरप को उसके सिर पर 13 चोटें और खरोंचें आईं। साथ ही मस्तिष्क में अंदरूनी आघात भी हुआ, हालांकि यह घातक नहीं था।
सरकारी अभियोजक मैथ्यू नाथन ने अदालत को बताया कि कुछ चोटें इतनी क्रूर थीं कि वे अकेले ही उसकी मृत्यु का कारण बन सकती थीं। उन्होंने शर्मा के सिजोफ्रेनिया से पीड़ित होने की बात स्वीकार की, लेकिन कहा कि हमला यौन इच्छा से प्रेरित था।
उन्होंने न्यायाधीश से कहा, इसमें एक हद तक दूसरों को दर्द देकर खुश होने की प्रवृत्ति है।
अदालत को बताया गया कि घटना के बमुश्किल 24 घंटे पहले शर्मा ने फुटपाथ पर टहल रही एक अजनबी को भी हिंसक तरीके से अपना शिकार बनाया था, जो किसी तरह खुद को बचाने में कामयाब रही और पास के एक घर से पुलिस को बुला लिया।
हैरप की मां ने अदालत के फैसले के बाद कहा, कोई भी सजा काफी लंबी नहीं है, और कोई भी न्याय उस जीवन और प्यार की जगह नहीं ले सकता है जो चला गया है।
स्टफडॉटकोडॉटएनजेड की रिपोर्ट के अनुसार, शर्मा के वकील जोनाथन हडसन ने कहा कि उनका मुवक्किल सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है और आपातकालीन आवास से बेदखल किए जाने के बाद से अपनी कार में रह रहा था।
रिपोर्ट में जस्टिस वायली के हवाले से कहा गया है कि शर्मा के अपराध में एक बेहद कमजोर महिला के खिलाफ - जिसे परिवार ने बच्चे जैसा बताया है - भारी क्रूरता शामिल है। (आईएएनएस)
इंडोनेशिया खुद को इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन के प्रमुख केंद्र रूप में स्थापित करने की कोशिश में लगा है. दूसरी ओर फोल्क्सवैगन जैसी कार बनाने वाली बड़ी कंपनियां इस मौके का फायदा उठाने को उत्सुक दिख रही हैं.
डॉयचे वैले पर डेविड हट की रिपोर्ट-
यूरोपीय संघ और इंडोनेशिया इस साल के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौते की तैयारी में हैं क्योंकि इंडोनेशिया अपने इलेक्ट्रिक कार उद्योग को बढ़ाने की तैयारी में है. करीब 28 करोड़ की आबादी वाला यह देश आधुनिक कारों के निर्माण में जरूरी माने जाने वाले निकेल और दूसरे कच्चे पदार्थों के विशाल भंडार का दावा करता है. हालांकि इंडोनेशिया ने निकेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है और बॉक्साइट के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है. बॉक्साइट एक अयस्क (ore) है जिससे अल्युमिनियम निकाला जाता है.
अपनी खनिज संपदा को चीन या किसी अन्य देश को भेजने की बजाय, इंडोनेशिया अब अपने तटों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की एक सप्लाई चेन खुद बनाना चाहता है और इसके जरिए अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की मंशा रखता है. ऐसा करके इंडोनेशिया खुद को चीन की तुलना में एक वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के तौर पर स्थापित करना चाहता है. ऐसा लगता है कि उसकी यह रणनीति शुरू होने से पहले ही परिणाम देने लगी है. पिछले महीने, इंडोनेशिया के निवेश मंत्री बहलील लाहडालिया ने घोषणा की कि जर्मनी की कार निर्माता कंपनी फॉल्क्सवागन इंडोनेशिया में इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी बनाने के लिए एक माहौल तैयार करने की इच्छुक है.
यह घोषणा हनोवर ट्रेड फेयर के दौरान की गई. तब जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की मुलाकात इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो से हुई थी. उस समय, शॉल्त्स ने विडोडो को बताया कि वो इस समझौते को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं. विडोडो के साथ हुई बैठक के बाद शॉल्त्स ने बताया, "फिलहाल हम चीन से कई महत्वपूर्ण खनिजों का निर्यात करते हैं. यह जानते हुए भी कि कॉपर और निकल जैसी दुर्लभ मृदा धातुएं वहां नहीं मिलतीं, बल्कि इंडोनेशिया जैसे देशों में मिलती हैं.”
फोर्ड और टेस्ला भी इंडोनेशिया में पांव जमाने की फिराक में हैं
दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे ज्यादा आबादी और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होने के बावजूद, इंडोनेशिया के साथ यूरोपीय संघ के व्यापारिक रिश्ते बहुत कम हैं. साल 2021 में दोनों के बीच महज 24.8 बिलियन डॉलर की कीमत के सामानों का व्यापार हुआ. यह व्यापार यूरोपीय संघ और वियतनाम के बीच होने वाले व्यापार के आधे से भी कम है जबकि वियतनाम की आबादी दस करोड़ से भी कम है.
जर्मनी इंडोनेशिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है तो वहीं अमेरिका जैसे उसके प्रतिद्वंद्वी पहले से ही इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. अमेरिका की कार बनाने वाली बड़ी कंपनी फोर्ड पहले ही इंडोनेशिया की कई कंपनियों से साझेदारी कर चुकी है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में दुनिया की अग्रणी कंपनी टेस्ला की इंडोनेशिया की सरकार से बातचीत चल रही है.
दुनिया की सबसे बड़ी रसायन निर्माता कंपनियों में से एक बीएसएफ एसई का मुख्यालय जर्मनी में है. यह कंपनी फ्रांस की मल्टीनेशनल कंपनी एरामे एसए के साथ मिलकर निकल-कोबाल्ट रिफाइनरी में निवेश करना चाह रही है. दक्षिणपूर्व एशिया में यूरोपीय संघ का व्यावसायिक प्रतिनिधत्व करने वाले संगठन के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर क्रिस हम्फ्रे कहते हैं, "मुझे संदेह है कि इस तरह के निवेश की घोषणाएं आगे भी होंगी.”
अरबों की डील की अभी भी पुष्टि नहीं हुई है
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला मुख्य उत्पाद मिक्स्ड हाइड्रॉक्साइड प्रेसिपिटेट यानी एमएचपी है जो कि एक इंटरमीडियेट निकल पदार्थ है. जकार्ता में मौजूद विश्लेषक और रीफॉर्मेसी इन्फॉर्मेशन सर्विसेज कंसल्टेंसी के प्रमुख केविन ओ'रूर्के इसे ‘भविष्य का कच्चा तेल' बताते हैं. ओ'रूर्के कहते हैं, "दोनों पक्षों की इच्छा है कि जर्मनी इंडोनेशिया से एमएचपी मंगाए. दोनों पक्षों के लिए ऐसा करने से चीन पर उनकी निर्भरता कम होगी, जिनकी कंपनियां अभी लगभग संपूर्ण इंडोनेशिया एमएचपी उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं.”
इस साल की शुरुआत में, इंडोनेशियाई अधिकारियों ने कहा था कि बीएएसएफ और एरामे एमएचपी उत्पादन के लिए 2.6 बिलियन डॉलर की साझेदारी की योजना बना रहे हैं. हालांकि किसी भी कंपनी ने इस समझौते की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. एरामे ने कहा था कि यदि इस प्लांट को मंजूरी मिल जाती है तो यह 2026 से काम करना शुरू कर सकता है.
इंडोनेशिया में इस समय जो एमएचपी उत्पादन होता है उस पर पूरी तरह से चीन के स्वामित्व वाली कंपनियों का नियंत्रण है. ये कंपनियां एमएचपी उत्पादन के लिए हाई प्रेशर एसिड लीच यानी एचएपील प्रक्रिया का इस्तेमाल लेटराइट अयस्क से निकल और कोबाल्ट निकालने में करती हैं. ये कंपनियां इस बात का खुलासा कभी नहीं करती हैं कि इस प्रक्रिया में कितना जहरीला कचरा इंडोनेशिया के वायुमंडल में जाता है.
बैटरी की गुणवत्ता पर सवाल
ओ'रूर्के कहते हैं, "यूरोपीय संघ ने इलेक्ट्रिक वाहनों और उनकी बैटरी की सप्लाई में गुणवत्ता को लेकर सही ढंग से आवाज उठाई है, जो कि पर्यावरण के अनुकूल नहीं है, जहरीले कचरे के मामले में भी और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में भी.” हालांकि, समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक शायद बीएएसएफ और एरामे कारखाने भी एचएपीएल प्रक्रियाओं का उपयोग करेंगे. फॉल्क्सवागेन इंडोनेशिया में चीनी कंपनी के साथ मिलकर काम कर सकती है
एमएचपी उत्पादन के कई वैकल्पिक रास्ते भी हैं और ऑस्ट्रेलिया में तो एक कार्बन-निगेटिव उत्पादन श्रृंखला शुरू भी हो चुकी है. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इसमें अभी भी आशंका है कि क्या विदेशी कंपनियां इसी तरह की प्रक्रिया के लिए इंडोनेशिया में निवेश करेंगी? विश्लेषक इस स्वच्छ विकल्प को लेकर इंडोनेशियाई सरकार की प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठाते हैं.
ओ'रूर्के आरोप लगाते हैं, "इंडोनेशिया के नीति निर्माता चीन को गंदा एमएचपी सप्लाई करते रहने में ज्यादा सहूलियत महसूस करते हैं.” और पश्चिमी देशों की कंपनियों को भी इस क्षेत्र में पहले से ही मौजूद चीनी कंपनियों के साथ सहयोग की जरूरत है. इसी महीने इंडोनेशिया के निवेश मंत्री की ओर से जारी बयान के मुताबिक, जर्मनी की कार कंपनी फोल्क्सवागेन बैटरी खनिज का उत्पादन करने वाली चीन की कंपनी झीजियांग होयेऊ कोबाल्ट के साथ साझेदारी कर सकती है. चीन को एमएचपी भेजने वाली यह पहली कंपनी है.
ब्रसेल्स और जकार्ता पर दबाव बढ़ रहा है
जर्मन एसोसिएशन ऑफ द ऑटोमेटिव इंडस्ट्री या वीडीए के एक प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया कि इंडोनेशिया और यूरोपियन संघ के लिए यह बहुत जरूरी था कि दोनों मुक्त व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप दें. उनके मुताबिक, "यह वैश्विक स्तर पर कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला के आवश्यक विस्तार और विविधता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है जो कि इलेक्ट्रोमोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए बहुत जरूरी है. साथ ही वाहनों और उनके पार्ट्स को दोनों इलाकों के लिए बाजार की उपलब्धता भी बढ़ाएगा.”
इंडोनेशिया और यूरोप के कई राजनीतिज्ञ यह बात दोहरा चुके हैं कि वे इस साल के अंत तक इस समझौते को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं. यह समय बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 2024 के चुनाव राष्ट्रपति विडोडो और यूरोपियन आयोग की राष्ट्रपति उर्सुला वॉन डर लेयेन दोनों की देखेंगे, जो दक्षिणपूर्व एशिया में मुक्त व्यापार के प्रबल समर्थक हैं. (dw.com)
कालेहे (कांगो), 7 मई। पूर्वी कांगो में बाढ़ जनित हादसों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 200 से अधिक हो गई है और कई लोग अब भी लापता हैं। दक्षिण कीवू में स्थानीय अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
बाढ़ की वजह से सबसे बुरी तरह प्रभावित कालेहे के प्रशासक थॉमस बाकेंगे ने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि अब तक 203 शव मिले हैं और अन्य का पता लगाने का प्रयास जारी है।
यामुकुबी गांव में बाढ़ के पानी में सैकड़ों घर बह गए हैं, बचावकर्मियों और अन्य लोगों ने शनिवार को शवों की तलाश में मलबे को खोदने का काम किया।
बाढ़ प्रभावित एनौरिते जिकुजुवा ने कहा कि वह अपने सास-ससुर समेत पूरे परिवार को खो चुकी हैं। साथ ही उनके कई पड़ोसी भी मारे गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पूरा गांव जैसे बंजर भूमि में तब्दील हो चुका है। हर जगह सिर्फ पत्थर ही पत्थर हैं और हम ये तक नहीं बता सकते कि हमारी जमीन कहां थी।’’
मलबे में दबे शवों की तलाश में जुटे एक बचावकर्मी मिचाके न्तामाना ने कहा कि ग्रामीण शवों की शिनाख्त करने की कोशिश कर रहे हैं और अपने प्रियजनों का शव मिलने पर उन्हें अपने साथ ले जा रहे हैं।
दक्षिण कीवू के गवर्नर थो न्गवाबिदजे ने बाढ़ से हुई क्षति का जायजा लेने के लिए क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने ट्वीट किया कि प्रांतीय सरकार ने पीड़ितों के लिए चिकित्सा, एवं खाद्य सामग्री की आपूर्ति की है।
प्रभावित इलाकों तक जाने वाली कई मुख्य सड़कें बारिश एवं बाढ़ के कारण बाधित हो गई हैं जिससे राहत सामग्री पहुंचाने में मुश्किल हो रही है।
राष्ट्रपति फेलिक्स शिशेकदी ने पीड़ितों की याद में सोमवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी और केंद्रीय सरकार प्रांतीय सरकार की मदद के लिए दक्षिण कीवू में आपदा प्रबंधन टीम भेज रही है।
एपी सुरभि शोभना शोभना 0705 0840 कालेहे (एपी)
एलेन (अमेरिका), 7 मई। अमेरिका के टेक्सास प्रांत में डलास शहर के एक मॉल में बंदूकधारी ने गोलियां चलाईं जिसमें आठ लोग मारे गए और सात अन्य घायल हो गए। पुलिस की कार्रवाई में हमलावर भी मारा गया। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने हालांकि हताहतों के बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इनमें बच्चे भी शामिल हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने एक पुलिस अधिकारी तथा मॉल के एक सुरक्षाकर्मी को जमीन पर बेसुध पड़े देखा।
एलेन पुलिस ने फेसबुक पर अपने पोस्ट में कहा कि नौ लोगों को अस्पताल ले जाया गया है। डलास इलाके के ‘मेडिकल सिटी हेल्थकेयर’ अस्पताल ने बताया कि पांच से 61 वर्ष के बीच के आठ लोगों का उपचार हो रहा है।
सोशल मीडिया में घटना से कथित तौर पर संबंधित वीडियो सार्वजनिक हुए हैं जिनमें एक व्यक्ति मॉल के बाहर गाड़ी से उतरता दिखाई दे रहा है और अचानक उसने लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
पुलिस विभाग ने फेसबुक पर अपने पोस्ट में लिखा कि एलेन इलाके का एक पुलिस अधिकारी पास ही मौजूद था और उसे दोपहर तीन बजकर 36 मिनट पर घटना की सूचना मिली।
पोस्ट में कहा गया, ‘‘अधिकारी ने तत्काल कार्रवाई की और हमलावर को ढेर कर दिया। इसके बाद उसने अन्य पुलिसकर्मियों को भेजे जाने का अनुरोध किया। एलेन दमकल विभाग ने नौ लोगों को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया। इलाके को अब कोई खतरा नहीं है।’’
एपी शोभना सुरभि सुरभि 0705 0833 एलेन (एपी)
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो में बाढ़ और भूस्खलन के दौरान मरने वालों की संख्या बढ़कर 203 हो गई है.
यहां के दक्षिण किवु प्रांत के कालेहे क्षेत्र में गुरुवार को भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर आ गईं.
भूस्खलन से दो गांवों में घर तबाह हो गए. कांगो के डॉक्टर और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डेनिस मुकवेगे ने कहा कि उन्होंने मदद के लिए एक मेडिकल टीम भेजी है.
दो दिन पहले पड़ोसी देश रवांडा में आई बाढ़ में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि बाढ़, बदलते जलवायु परिवर्तन का उदाहरण हैं. (bbc.com/hindi)
अमेरिका में टेक्सस के एक मॉल में एक बंदूकधारी ने खरीदारी कर रहे नौ लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी है. चश्मदीदों का कहना है कि बंदूकधारी अंधाधुंध लोगों पर फायरिंग कर रहा था.
सुरक्षाकर्मियों ने एलन शहर में स्थित इस मॉल से सैकड़ों लोगों को बाहर निकाला है.
पुलिस का कहना है कि उन्होंने बंदूकधारी को गोली मार दी है. पुलिस का मानना है कि यह काम बंदूकधारी ने अकेले ही किया है.
पीड़ितों में कुछ बच्चे भी बताए जा रहे हैं. कम से कम सात लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, जिसमें से तीन की हालत गंभीर है.
गन वायलेंस आर्काइव के अनुसार अमेरिका में इस साल कम से कम 198 शूटिंग की वारदातें हुई हैं जिसमें चार या उससे अधिक लोगों की मौत या घायल हुए हैं. (bbc.com/hindi)
सूडान की सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के प्रतिनिधि आपस में बातचीत करने के लिए पहली बार सऊदी अरब पहुंचे हुए हैं.
यह बातचीत शनिवार को जेद्दा में शुरू होने वाली थी लेकिन यह बैठक हुई या नहीं या दोनों पक्षों के प्रतिनिधि कौन हैं इस बारे में अभी तक कुछ कहा नहीं जा सकता है.
ये बातचीत अमेरिका और सऊदी अरब की मदद से हो रही है.
हफ्तों पहले संघर्ष शुरू होने के बाद से यहां कई संघर्ष विराम हुए हैं जो प्रभावी नहीं रह सके.
दोनों पक्षों ने कहा कि वे मानवीय संघर्ष विराम पर बातचीत करेंगे जिससे हिंसा और युद्ध प्रभावित लोगों को ज़रूरी मदद मिल सके. उनका कहना है कि इस दौरान संघर्ष खत्म करने को लेकर बातचीत नहीं की जाएगी.
सऊदी विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फरहान ने दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस बातचीत से संघर्ष का अंत होगा और यह सूडान को सुरक्षा और स्थिरता की तरफ वापस ले जाएगी.
सूडान में जारी संघर्ष में अब तक 100 नागरिकों के मरने और क़रीब 1,100 के घायल होने का अनुमान है.
सेना प्रमुख अब्देल फ़तह अल बुरहान और अर्द्धसैनिक बल रएसएफ़ लीडर मोहम्मद हमदान दगालो, हेमेदती.
क्यों शुरू हुआ ताज़ा संघर्ष?
सूडान में नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की माँग को लेकर 2021 से ही संघर्ष चल रहा है. मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल 'आरएसएफ' के विलय को लेकर है.
ताज़ा हिंसा कई दिनों के तनाव के बाद हुई. आरएसएफ के जवानों को अपने लिए ख़तरा मानते हुए सेना ने पिछले सप्ताह इनकी तैनाती को बदलते हुए नई व्यवस्था शुरू की. इसे लेकर आरएसएफ के जवानों में नाराज़गी थी. कुछ उम्मीद थी कि बातचीत से समस्या का हल निकल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं.
फ़िलहाल सॉवरेन काउंसिल के ज़रिए देश को सेना और आरएसएफ चला रहे हैं. लेकिन सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है. वे एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं.
सॉवरेन काउंसिल के डिप्टी और आरएसएफ़ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो यानी हेमेदती देश के दूसरे नंबर के नेता हैं.
क़रीब एक लाख की तादाद वाली रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स के सेना में विलय के बाद बनने वाली नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर सहमति नहीं बन पा रही है.
आरएसएफ़ प्रमुख का कहना है कि सेना के सभी ठिकानों पर कब्ज़ा होने तक उनकी लड़ाई चलती रहेगी. वहीं सेना ने बातचीत की किसी संभावना को नकारते हुए कहा है कि अर्धसैनिक बल आरएसएफ़ के भंग होने तक उनकी कार्रवाई जारी रहेगी.
हालांकि जनरल बुरहान ने पहले कहा था कि प्रस्तावित नागरिक सरकार में एकीकृत सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस विवाद को सुलझाने के लिए वे अपने डिप्टी यानी जनरल हेमेदती से बात करने को तैयार हैं. (bbc.com/hindi)
ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने जान से मारने की धमकी मिलने का आरोप लगाया है. जुबैर ने इस संबंध में पुलिस से शिकायत भी की है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने पुलिस से शिकायत में आरोप लगाया है कि 16 ट्विटर हैंडल उनके घर का पता ऑनलाइन पोस्ट करने के लिए जिम्मेदार हैं. उनकी शिकायत में यह भी कहा गया है कि एक ट्विटर हैंडल @cyber_Huntss ने रमजान के दौरान जानवरों के लिए खाना डिलिवरी करने वाली वेबसाइट के जरिए पोर्क भेजा था.
मोहम्मद जुबैर की शिकायत के बाद पुलिस ने ट्विटर हैंडल @Cyber_Huntss और अन्य अज्ञात आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, आपराधिक धमकी और शांति भंग करने के मामले में एफआईआर दर्ज की है.
फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक 41 वर्षीय मोहम्मद जुबैर ने अप्रैल महीने में डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था "कुछ ट्विटर हैंडल्स ने उनके घर के पते का खुलासा किया और धमकी दी और उनके खिलाफ ट्वीट कर भीड़ द्वारा हिंसा के लिए लोगों को उकसाया गया."
उनकी शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक ट्विटर यूजर @cyber_Huntss ने उन्हें रमजान के महीने के दौरान जानवरों का खाना डिलिवर करने वाली वेबसाइट के जरिए सूअर का मांस भी भेजा था.
9 अप्रैल को @cyber_Huntss ने जुबैर को सूअर के मांस का 400 ग्राम पैकेट भेजने के बारे में ट्वीट किया और जुबैर के घर का पता सार्वजनिक कर दिया. बाद में इस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया.
धर्म के आधार पर आपमानित करने का आरोप
जुबैर ने पुलिस से ऑपइंडिया के पूर्व संपादक अजीत भारती को एफआईआर में नामजद करने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्होंने ट्वीट कर उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. उन्होंने कहा, "भारती एक सीरियल अपराधी है और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए."
जुबैर ने अपनी शिकायत में कहा कि अजीत भारती ने छह मार्च को एक ट्वीट में मेरी धार्मिक पहचान को निशाना बनाया और खतने को लेकर धार्मिक अपमान किया. डीजे हल्ली पुलिस ने इस संबंध में 17 अप्रैल को मामला दर्ज किया था, लेकिन यह मामला गुरुवार को ही सामने आया. पुलिस ने आईपीसी धारा की 505, 153ए, 506 और 504 के तहत मामला दर्ज किया है.
हाल के दिनों में मोहम्मद ज़ुबैर को अक्सर हिंदुत्व समर्थकों से ऑनलाइन धमकियां मिलती रही हैं.
जुबैर के खिलाफ कुल सात मामले
मोहम्मद जुबैर के खिलाफ छह मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं जबकि एक मामला दिल्ली में दर्ज है. दिल्ली में जो मामला दर्ज है उसमें जुबैर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है.
जुबैर को धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने पिछले साल 27 जून को गिरफ्तार किया था. उनके ट्वीट में 1983 की एक हिंदी फिल्म का एक साइनबोर्ड "हनीमून होटल" से बदलकर "हनुमान होटल" कर दिया गया था. यह ट्वीट 2018 में किया गया था.
उस वक्त जुबैर के साथी प्रतीक सिन्हा ने कहा था जुबैर को 2020 से जुड़े एक अलग मामले में पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया था, जिसमें अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी. लेकिन उन्हें इस मामले में बिना किसी अनिवार्य नोटिस के गिरफ्तार कर लिया गया.
जुबैर को पिछले साल 15 जुलाई को 2018 के मामले में जमानत दे दी गई थी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया जा सका क्योंकि तब तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज कर ली थी और पत्रकार को उनकी हिरासत में भेज दिया गया था. इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने जुबैर के खिलाफ छह जांच शुरू की, जिसमें नई प्राथमिकी और पुराने मामले शामिल थे.
आखिरकार 20 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों में जमानत दे दी और वे जेल से बाहर आ गए. (dw.com)
जिंदगी में कभी न कभी आपने देजा वू का अनुभव किया होगा. देजा वू यानी पूर्वानुभव - पहले देखा हुआ. कुछ लोग इसे अलौकिक शक्ति मानते हैं या एक समांतर ब्रह्मांड से इसे जोड़ते हैं. लेकिन ये भुतहा सा अहसास आखिर आता कहां से है?
डॉयचे वैले पर अपर्णा राममूर्ति की रिपोर्ट-
जरा रुकिए, क्या मैं आपसे पहले मिली हूं? आह! क्या मैं पहले यहां आ चुकी हूं? और हां, माफ कीजियेगा अगर आपको लग रहा है कि आप ये सब पहले पढ़ चुके हैं. पक्का देजा वू होगा.
क्या आप कभी नये शहर में गए, और वो शहर आपको पहचाना-परिचित सा लगा हो? या पहली बार किसी व्यक्ति को मिले हों लेकिन लगता हो कि पहले उनसे मिल चुके हैं या उन्हें देखा है? तो आप भी खुद को उन लोगों में शामिल समझिए जिन्होंने देजा वू का अनुभव किया है.
1876 में फ्रांसीसी दार्शनिक और शोधकर्ता एमिले बोराक ने ये शब्द गढ़ा था जिसका मतलब है, "पहले से देखा हुआ." लेकिन बुद्धिजीवियों ने इस परिघटना को प्लेटो के समय से समझने की कोशिश की है. प्लेटो ने ही इसे पूर्वजन्मों के एक प्रमाण के रूप में देखा था.
समकालीन समय में जिगमुंड फ्रायड ने "वर्तमान स्थिति में सुधार की कामना के साथ अवचेतन की फंतासी के पुनःसंग्रहण" के रूप में इसका वर्णन किया था. कार्ल युंग को लगा कि ये सामूहिक अवचेतन से संबंधित है, जबकि आधुनिक हॉलीवुड ने इसे ‘मैट्रिक्स में एक ग्लिच यानी गड़बड़ी' की तरह देखा.
वाशिंगटन डीसी की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में न्यूरोलजी के प्रोफेसर जेम्स जे जिओरडानो कहते हैं, "लेकिन ये कोई अलौकिक अवधारणा नहीं है. देजा वू का अनुभव कतई सामान्य सी बात है."
"देजा वू, किसी खास घटना, गतिविधि, विचार, चिंतन या भावना को दोहराने का, विशुद्ध रूप से एक व्यक्ति का सबजेक्टिव यानी आत्मपरक अनुभव होता है, भले ही वास्तविकता में वो चीज पहले कभी घटित ही न हुई हो."
करीब 90 फीसदी आबादी ने देजा वू का अनुभव किया है. उम्र ढलने के साथ इसकी आवृत्ति भी घटने लगती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों कभी-कभी आपको अचानक ये भुतहा सा अहसास होने लगता है?
विज्ञान का एक वास्तविक रहस्य
जिओरडानो ने डीडब्लू को बताया, "हमारा मस्तिष्क, बुनियादी रूप से दिक्-काल (स्पेस-टाइम) की मशीन की तरह काम करता है. ये हमारे वर्तमान की हर चीज को ग्रहण कर उसे हमारे अतीत की हूबहू या मिलतीजुलती या उलट किसी चीज से जोड़ देता है. इस तरह वो भविष्य के लिए अनिवार्यतः योजना बना पाने में सक्षम होगा. लेकिन ये संभावना भी है कि ये सिग्नल या संकेत घुलमिल जाए या आपस में गुंथ जाएं."
जिओरडानो कहते हैं कि मस्तिष्क के मध्य में स्थित थैलेमस क्षेत्र से इस परिघटना का कोई संबंध हो सकता है. श्रवण, स्वाद, स्पर्श आदि तमाम सूचनाएं आगामी विवेचना और प्रोसेसिंग के लिए थैलेमस से होते हुए ही मस्तिष्क के सेरेब्रल कॉरटेक्स (सबसे बाहरी परत) तक पहुंचनी चाहिए.
वो बताते हैं, "और अगर उन अंतःक्रियाओं की गति थोड़ा अलग होती है, तो हमें ऐसा लगता है कि हम वर्तमान का अनुभव कर रहे हैं, मानो वो हमें याद हो. तो असल में हमारा दिमाग अतीत को वर्तमान समझ बैठता है."
प्रोविडेंस, रोड आइलैंड की ब्राउन यूनिवर्सिटी में माइग्रेन रिसर्च और क्लिनिकल साइंसेस के एसोसिएट प्रोफेसर रोडेरिक स्पीयर्स इस बात से सहमत हैं कि देजा वू क्यों और कैसे घटित होता है, इसके बारे में कोई ठोस व्याख्या नहीं दी जा सकती.
शोधकर्ताओं के लिए भी किसी नतीजे पर पहुंचना मुश्किल रहा है, क्योंकि देजा वू, लैब सेटिंग्स में यानी प्रयोगशाला के दायरे में रिप्रोड्यूस की जा सकने वाली परिघटना नहीं है.
समांतर ब्रह्मांड की खिड़की?
स्पीयर्स कहते हैं कि "इसका अध्ययन मुश्किल है क्योंकि ये स्वतः ही घटित होती है. हम लोग नहीं जानते कि लैब में देजा वू को फिर से कैसे संभव कराएं."
दशकों से, वैज्ञानिक इसके बारे में विभिन्न सिद्धांत पेश करते आए हैं. न्यूरोलॉजिकल नजरिए से एक लोकप्रिय सिद्धांत, दोहरी प्रोसेसिंग का है- जिसमें सूचना मस्तिष्क में स्टोर होकर अलग अलग प्रक्रियाओं के जरिए वापस निकाली जा सकती है.
मिसाल के लिए, आप अपनी बैठक में इस लेख को पढ़ रहे हैं. रसोई से आपकी मां के बनाए खाने की गंध हवा मैं तैर रही है, आपका पालतु जानवर सोफे में पड़ा है, आप अपने मोबाइल फोन पर नोटिफिकेशन की साउंड सुनते हैं, और अपनी देह पर धूप का स्पर्श महसूस करते हैं.
ये तमाम अनुभूतियां प्रोसेसिंग के दौरान जुड़ जाती हैं और एक इकलौती घटना की तरह इंटर्प्रेट की जाती है. डुअल प्रोसेसिंग थ्यरी के मुताबिक, इनमें से किसी भी इनपुट को प्रोसेस करने के दौरान अगर मस्तिष्क में जरा भी देरी होती है तो वो उस अनुभव को दो अलग अलग घटनाओं की तरह इंटर्प्रेट करता है जिससे आपको परिचित या पहचाना सा होने का अहसास होता है.
देजा वू को एक पैरेलल यूनिवर्स यानी समांतर ब्रह्मांड से जोड़ने को लेकर भी अध्ययन हुए हैं. सैद्धांतिक भौतिकविद् डॉ मिशियो काकू मानते हैं कि देजा वू एक तरह से स्मृति का लोचा या झोल है जो तब होता है जब मस्तिष्क में मौजूद स्मृतियों के अंश...उस पर्यावरण में जाने से प्रकाश में आते हैं जो हमारी अनुभव की हुई किसी चीज से मिलताजुलता है."
लेकिन अलग अलग ब्रह्मांडों के बीच फ्लिपिंग की संभावना पर भी उनके पास थ्योरी है. इस बारे में भी थ्योरी है कि क्या देजा वू हमें उन ब्रह्मांडों में हमारी स्थिति के बारे में कुछ बताने की कोशिश कर रहा हो सकता है.
तनाव के लक्षण के रूप में देजा वू
इस बारे में भी अध्ययन हुए हैं कि देजा वू में तनाव भी एक फैक्टर हो सकता है. जिओरडानो समझाते हैं, "मस्तिष्क आराम और स्फूर्ति की अवस्था में बेहतर काम करता है. जब आप बहुत ज्यादा तनाव और दबाव में होते हैं या बहुत ज्यादा चिंता कर रहे होते हैं तो मस्तिष्क थक जाता है. तो ऐसी सूरत में हमारी दिमागी हरकत का पैटर्न थोड़ा सा बदल जाता है. उन बदलावों को देखते हुए, देजा वू की अनुभूति कोई असामान्य बात नहीं."
स्पीयर्स ने ये भी बताया कि कम शिक्षित लोगों की अपेक्षा ज्यादा शिक्षित लोगो में देजा वू को अनुभव करने की प्रवृत्ति ज्यादा देखी जाती है. वो कहते हैं, "ज्यादा सफर करने वाले लोग, अपने सपने याद रख पाने वाले लोग और उदार ख्याल वाले लोग देजा वू का ज्यादा अनुभव कर सकते हैं."
क्या ये अस्वस्थ मस्तिष्क का संकेत है? "बिल्कुल भी नहीं," जिओरडानो कहते हैं. देजा वू हर समय स्वस्थ लोगों में घटित होता रहता है और 15 से 25 की उम्र के बीच सबसे ज्यादा कॉमन है.
लेकिन स्पीयर्स का सुझाव है कि साल में कुछ एक मर्तबा से ज्यादा- जैसे एक महीने में कई बार- अगर इसका अनुभव हो रहा है तो उस व्यक्ति को डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए.
वो ये भी रेखांकित करते हैं कि अगर देजा वू होश खो बैठने से जुड़ा है या असामान्य स्वप्न जैसी स्थिति से जुड़ा है, तो ये व्यक्ति में किसी गंभीर स्थिति का एक लक्षण हो सकता है.
उनके मुताबिक "इन चीजों पर गौर करना चाहिए कि चंद सेंकड से ज्यादा देजा वू का अनुभव हो रहा हो, या वास्तविक या अवास्तविक यानी असली या नकली के बीच भेद कर पाने में मुश्किल आ रही हो. या अचेत या अंजान व्यवहार जैसे बालों पर अंगुली फिराना या अपने हाथ पर चीजें न पकड़ पाना. इनके अलावा, हृदय-गति में तेजी या भय का तीव्र बोध, चिकित्सा आकलन की मांग करता है."
ऐसा इसलिए है क्योंकि दुर्लभ मामलो में, देजा वू, जकड़न या दौरे का एक संकेत है, खासकर मिर्गी के दौरे में. स्पीयर्स कहते हैं, "टेम्पोरल लोब से ही सबसे ज्यादा दौरे उभरते हैं. (यादों और ध्वनियों को प्रोसेस करने वाले मस्तिष्क के इस हिस्से में) ये दौरा तब पड़ता है जब ये लोब जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो उठता है और व्यक्ति अर्धचेतन अवस्था में होता है, पूरी तरह से बेहोश नहीं. ये अवस्था देजा वू का अहसास पैदा कर सकती है."
देजा वू से पैदा अहसास कैसा होता है, इसे लेकर एक व्यापक सहमति बन गई है, इसकी वजूहात को लेकर भी विभिन्न थ्योरियां आ चुकी हैं. लेकिन फिर भी वैज्ञानिकों के पास इस अद्भुत या अनूठी अनुभूति के बारे में अभी भी कोई निश्चित जवाब नहीं है. स्पीयर्स कहते हैं कि इस बारे में "हमारे पास अभी तक ठोस संरचनात्मक व्याख्या नहीं है." (dw.com)
सूडान, 6 मई । शनिवार को सऊदी अरब में सूडान में लड़ रहे दोनों पक्षों की आमने-सामने बात होगी.
सऊदी अरब और अमेरिका ने एक संयुक्त बयान में जेद्दा में सूडान की सेना और के बीच होने जा रही वार्ता का स्वागत किया है.
सूडान की सेना का कहना है कि इस वार्ता का मक़सद ताज़ा संघर्ष से पैदा हुए मानवीय संकट का समाधान खोजना है.
हालांकि अभी तक अर्द्धसैनिक बल आरएसफ़ की तरफ़ से कोई बयान नहीं आया है.
वहीं सेना ने जेद्दा में वार्ता में शामिल होने के लिए अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने की पुष्टि की है.
संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन सूडान में मानवीय संघर्ष विराम की मांग करते हुए दोनों पक्षों पर वार्ता का दबाव बना रहे थे.
सूडान में तीन सप्ताह से जारी भारी हिंसक संघर्ष में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और साढ़े चार लाख से अधिक बेघर हुए हैं.
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि क़रीब 115,000 लोगों ने सूडान के पड़ोसी देशों में शरण ली है.
सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फताह अल बुरहान और अर्द्धसैनिक बल आरएसएफ़ के नेता जनरल मोहम्मद हमदान दागालो के बीच सत्ता को लेकर भीषण संघर्ष चल रहा है.
जनरल बुरहान इस समय सूडान के सैन्य शासक हैं और जनरल दागालो सत्ता में अधिक हिस्सेदारी चाह रहे हैं.
भीषण हिंसा की वजह से मानवाधिकार संगठन प्रभावित लोगों तक मदद नहीं पहुंचा पा रहे हैं.
यूनिसेफ़ के मुताबिक लड़ाई के पहले 11 दिनों में ही कम से कम 190 बच्चे मारे गए थे और 1700 अधिक घायल हो गए थे.
अभी तक दोनों ही पक्षों ने शांति समझौते के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर नहीं की है.
(bbc.com)