खेल
मुंबई, 12 अगस्त | भारतीय फुटबॉल टीम गुरूवार को जारी ताजा फीफा रैकिग में 105वें स्थान पर मौजूद है।
2022 फीफा विश्व कप के पिछले दो क्वालीफाईंग मैचों में अंक हासिल करने की वजह से टीम अपना स्थान बरकरार रखने में कायम रही।
भारत विश्व कप क्वालीफाईंग कार्यक्रम में आगे नहीं बढ़ सकी थी और उसे जून में अफगानिस्तान के खिलाफ 1-1 से ड्रॉ खेलना पड़ा था।
भारतीय टीम ग्रुप ई में तीसरे स्थान पर रही थी। भारत ने 1996 में अपनी सर्वश्रेष्ठ रैकिंग 94 हासिल की थी जबकि मार्च 2015 में वह 173वें स्थान पर थी जो उसकी सबसे निचली रैंकिंग थी।
बेल्जियम रैंकिंग में शीर्ष पर हैं। उसके बाद ब्राजील, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, अर्जेटीना, स्पेन, पुर्तगाल, मेक्सिको और अमेरिका की टीम है।(आईएएनएस)
लंदन, 12 अगस्त | भारत और इंग्लैंड के बीच यहां लॉर्ड्स मैदान पर खेले जा रहे दूसरे टेस्ट के पहले दिन बारिश की छाया पड़ी और समय से पहले लंच की घोषणा की गई। लंच ब्रेक तक टीम इंडिया ने बिना विकेट खोए 46 रन बनाए हैं। भारत की ओर से सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा 66 गेंदों पर छह चौकों की मदद से 35 रन और लोकेश राहुल 46 गेंदों पर 10 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद हैं।
इससे पहले, टॉस में भी बारिश के कारण विलंब हुआ था। इंग्लैंड ने फिर टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लिया।
लंच होने में 40 मिनट का समय शेष था तभी बारिश के कारण मैदान को ढका गया लेकिन कुछ देर बाद लंच की घोषणा की गई।
भारत ने इस मैच के लिए चोटिल शार्दुल ठाकुर की जगह तेज गेंदबाज इशांत शर्मा को टीम में लिया है।(आईएएनएस)
आशीष रे
लंदन, 12 अगस्त | इंग्लैंड के खिलाफ यहां लॉर्ड्स मैदान पर गुरूवार से शुरू हुए दूसरे टेस्ट मुकाबले में भी भारत ने ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन जिनके नाम 413 टेस्ट विकेट हैं, उन्हें नहीं खिलाने का जोखिम उठाया है।
अश्विन को नहीं खिलाने का मतलब है कि भारतीय टीम जो इस मैच में पहले बल्लेबाजी कर रही है वो चौथी पारी में गेंदबाजी करेगी जहां उसके पास स्पिनर के रूप में रवींद्र जडेजा होंगे।
जडेजा भले ही किफायती बने हुए हैं लेकिन विकेट लेने की उनकी क्षमता में संभवत: कंधे के मामले की वजह से हाल के वर्षो में गिरावट देखने को मिली है।
2012 में टेस्ट में डेब्यू करने के बाद से जडेजा का करियर में रिकॉर्ड अच्छा रहा है और उन्होंने 53 टेस्ट मैचों में 42.60 के औसत से 221 विकेट लिए हैं।
अपने पिछले 10 मैचों में उन्होंने 23 विकेट लिए हैं। इंग्लैंड के मौजूदा दौरे पर उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में एक विकेट लिया था, जबकि इंग्लैंड के विरूद्ध मौजूदा सीरीज के पहले मैच में उन्हें कोई विकेट नहीं मिला था।
जडेजा की कैचिंग और फील्डिंग बेहतरीन है और इसमें कोई दो राय नहीं है। वह इंग्लिश वातावरण में एक अच्छे बल्लेबाज हैं। वहीं अश्विन की फील्डिंग औसत है और बल्लेबाजी में उन्होंने इंग्लैंड में इस कदर नहीं खेला है।
शार्दुल ठाकुर जो पहले टेस्ट में शामिल थे और इस मैच में चोट के कारण अनुपलब्ध रहे, उनकी जगह अनुभवी तेज गेंदबाज इशांत शर्मा को लिया गया है। मेहमान टीम ने ग्रीन पिच पर चार विशेषज्ञ गेंदबाजों को लिया है।
2014 में इशांत ने लॉर्ड्स में हुए टेस्ट में 74 रन देकर सात विकेट लिए थे और टीम इंडिया को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
मैच की शुरूआत भले ही बारिश के कारण कुछ देर से हुई लेकिन मौसम का अनुमान अगले पांच दिन के लिए लगभग साफ है।
(सीनियर क्रिकेट लेखक आशीष रे एक ब्रॉडकास्टर हैं और क्रिकेट वर्ल्ड कप : द इंडियन चैलेंज के लेखक हैं।) (आईएएनएस)
लंदन, 12 अगस्त | भारतीय कप्तान विराट कोहली ने ऋषभ पंत का समर्थन करते हुए कहा कि वह भारत और इंग्लैंड के बीच गुरुवार को लॉर्डस में दूसरे टेस्ट से पहले जिस तरह से खेलते आ रहे हैं, उसी तरह से खेलना जारी रखेंगे। 23 वर्षीय पंत ने पहले टेस्ट की पहली पारी में सिर्फ 20 गेंदों पर 25 रन की पारी खेली, जिससे भारत ट्रेंट ब्रिज में पहले टेस्ट में बढ़त हासिल की थी।
कोहली ने प्री-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा , ये उनका स्वाभाविक खेल है, उनके पास स्पष्ट रूप से लंबी पारी खेलने की क्षमता है। वह स्थिति की मांग को समझते हैं। अगर हम खेल बचाने के लिए खेल रहे हैं, तो हम स्पष्ट रूप से चाहते हैं कि वह उस तरह के शॉट खेले। अगर उसको लगता है कि वो खेल को बदल सकता है तो वह मौका लेगा, पंत की टीम में भूमिका है कि वे आक्रमकता से खेले।
कोहली ने आगे कहा, वह ऐसा ही खेलते हैं, वह ऐसे ही है और हम चाहते हैं कि वह ऐसा ही रहें। जाहिर है, टीम ने साफ संदेश दिया है कि हमें परिस्थिति के मुतबिक खेलना है और हर सत्र में यह सुनिश्ििचत करना है कि हम अपने खेल के शीर्ष पर हैं। लेकिन पंत से हम यही उम्मीद करते हैं कि वह एक ऐसी पारी खेलेंगे जो खेल की गति को बदल दे और खेल को हमारी ओर ले जाए। वह इस तरह से खेलना जारी रखेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 11 अगस्त | भारत में भाला फेंक इवेंट अबतक ट्रैक और फील्ड स्पोर्ट में भले ही प्रसिद्ध नहीं रहा हो लेकिन नीरज चोपड़ा के टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के प्रति वर्ष सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस मनाने के फैसले को प्रशंसकों ने सराहा है। प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर एएफआई के फैसले को ग्राउंड ब्रेकिंग करार दिया जबकि अन्य ने कहा कि इससे युवा पीढ़ी को उपलब्धि हासिल करने में मदद मिलेगी।
एक प्रशंसक ने ट्वीट कर कहा, "एएफआई के हर साल देश भर में भाला फेंक प्रतियोगिता कराने का फैसला शानदार है और यह ग्राउंड ब्रेकिंग होगा।"
अन्य प्रशंसक ने लिखा, "यह अच्छा फैसला है और सभी को इसका समर्थन करना चाहिए। इससे युवा पीढ़ी को अधिक उपलब्धि हासिल करने में मदद मिलेगी।"
मंगलवार को एएफआई ने नीरज के सम्मान समारोह के दौरान यह घोषणा की थी कि हर साल सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस मनाया जाएगा और इस दिन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसकी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
एएफआई के प्लानिंग समिति के चैयरमैन ललित भनोत ने कहा था, "हम नीरज की जीत के उपलक्ष्य में हर साल सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस मनाएंगे। हमारे सभी संबंधित इकाईयां इस दिन हर राज्य में भाला फेंक प्रतियोगिता आयोजति करेंगी।"
23 वर्षीय नीरज ने कहा कि वह इस घोषणा से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, "मुझे अच्छा लग रहा है कि एएफआई ने मेरी उपलब्धि को याद रखने के लिए यह फैसला लिया है।"
नीरज ने कहा, "अगर बच्चे भाला हाथ में लेंगे और उन्हें अन्य सुविधाएं मिलेंगी तो मुझे यकीन है कि वह इस खेल को चुनेंगे। मुझे उनका हौसला बढ़ाने पर खुशी मिलेगी और यह सभी भविष्य के पदक विजेता होंगे।" (आईएएनएस)
लंदन, 11 अगस्त | तेज गेंदबाज शार्दुल ठाकुर चोटिल होने की वजह से गुरूवार से यहां इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले दूसरे टेस्ट मैच से बाहर हो गए हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अधिकारी ने बुधवार को मीडिया को बताया कि शार्दुल दूसरे टेस्ट के लिए उपलब्ध नहीं होंगे।
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि शार्दुल तीसरे टेस्ट के लिए उपलब्ध होंगे।
कोहली ने मीडिया से कहा, "हमें जो बताया गया है वो यह है कि शार्दुल तीसरे टेस्ट तक फिट हो जाएंगे। मेरे ख्याल से उनके बाएं हैमिस्ट्रंग में मायोफेशियल स्ट्रेन है।"(आईएएनएस)
चेतन शर्मा
नई दिल्ली, 10 अगस्त | दिल्ली सरकार ने 2020 टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले दिल्ली के पांच एथलीटों के बैनर लगाकर अपना काम तो कर दिया है लेकिन एथलीटों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने हमें ओलंपिक की तैयारी के लिए कभी आर्थिक मदद नहीं दी।
टेबल टेनिस स्टार मनिका बत्रा, शूटर दीपक कुमार और दो 400 मीटर धावक, अमोज जैकब और सार्थक भांबरी के बड़े-बड़े बैनर पूरे दिल्ली में लगाए गए हैं लेकिन एक एथलीट से बात करने पर ऐसा लगता है कि बैनर सिर्फ एक पेंट जॉब हैं, सरकार की कमियों को छुपाने के लिए।
राजौरी गार्डन में रहने वाले 22 वर्षीय भांबरी ने कहा, मैं आपको बता सकता हूं कि दिल्ली सरकार कभी मेरी मदद के लिए नहीं आई। मुझे कभी कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई। पोस्टर लगाए गए हैं, 'दिल्ली बोले जीत के आना', कैसे जीत के आना? (दिल्ली कहती है ओलंपिक में पदक जीतो। इस तरह कैसे जीतें?)
सार्थक ने आगे कहा, मैंने कहीं देखा है कि ओलंपिक के लिए होडिर्ंग और पोस्टर पर करोड़ों खर्च किए गए हैं। यहां तक कि अगर उन्होंने हमें ओलंपिक में जाने से महीनों पहले हमारी तैयारियों के लिए 10-15 प्रतिशत भी दिया, तो हम इसे अपने प्रदर्शन पर अच्छे इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल कर सकते थे।
भांबरी और जैकब 400 मीटर रिले दस्ते के सदस्य थे, जिन्होंने 3:00:25 मिनट के समय के साथ ओलंपिक में एशियाई रिकॉर्ड बनाया, जैकब के साथ, जो मुख्य टीम का हिस्सा थे, दौड़ते समय 44.68 सेकेंड का सर्वश्रेष्ठ भारतीय समय लगाते थे।
दिल्ली सरकार वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी के शीर्ष एथलीटों की वित्तीय सहायता के लिए एक मिशन उत्कृष्टता योजना चला रही है। हालांकि, कई राष्ट्रीय स्पधार्ओं में पदक जीतने वाले प्रदर्शन के बाद भारत की 400 मीटर रिले टीम में जगह बनाने वाले भांबरी ने आरोप लगाया कि उन्हें अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिला है।
भांबरी ने कहा, मिशन एक्सीलेंस उनके पास एक अच्छी योजना है, लेकिन उन्हें वास्तव में इसे संशोधित करने की आवश्यकता है क्योंकि अगर मैं आज ओलंपिक में अच्छा करता हूं और मैं अगले साल एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी करना चाहता हूं, तो मेरे पास 2023 तक कोई फंडिंग नहीं होगी, फिर इसका क्या उपयोग है? मेरे पास राष्ट्रमंडल खेलों के लिए 8-10 महीने बचे हैं लेकिन अगर कोई धन नहीं आने वाला है तो हम कैसे आगे जाएंगे
इससे पहले विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज गौरव बिधूड़ी और पहलवान दिव्या काकरान ने भी शहर सरकार को कोई मदद मुहैया कराने के लिए फटकार लगाई थी।
आईएएनएस ने दिल्ली सरकार के खेल विभाग से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अधिकारी इस मामले पर टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अगस्त | टोक्यो ओलंपिक खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाले भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे चर्चित और भारत में हॉकी की टीम ट्विटर पर सबसे ज्यादा चर्चा में रही। 2016 रियो ओलंपिक की तुलना में इसमें 134 फीसदी का उछाल देखने को मिला। नीरज की सफलता के बाद ओलंपिक के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जश्न मनाने के वीडियो को भारत में सर्वाधिक बार देखा गया।
23 वर्षीय चोपड़ा द्वारा स्वर्ण पदक जीतने के बाद देश के लोगों के समर्थन के लिए आभार व्यक्त करने वाला ट्वीट भी भारत में ओलंपिक वातार्लापों में सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला और री-ट्वीट किया गया ट्वीट था।
भारत में ट्विटर पर हॉकी के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा की गई। हॉकी के अलावा अन्य जिन खेलों की चर्चा में वृद्धि दर्ज की गई उनमें भाला फेंक (प्लस 5631 प्रतिशत) और गोल्फ (प्लस 703 प्रतिशत) हैं। गोल्फ में अदिति अशोक पहली भारतीय महिला गोल्फर थीं जिन्होंने ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था।
तलवारी में भवानी देवी के कारण 1086 प्रतिशत की बढोत्तरी दर्ज की गई।
नीरज जहां भारत में सबसे ज्यादा चर्चित एथलीट रहे तो वहीं मीराबाई चानू दूसरे, पीवी सिंधु तीसरे, लवलीना बोरगोहेन चौथे, बजरंग पुनिया पांचवें और रानी रामपाल छठी सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली खिलाड़ी रहीं।(आईएएनएस)
बेंगलुरू, 10 अगस्त | सेना के जवान से भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) में कोच बने काशीनाथ नाइक ने मंगलवार को एएएफआई अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला के इस बयान का खंडन किया है कि उन्होंने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को कोचिंग नहीं दी है। नाइक ने स्पष्ट किया, मैं अपने शब्दों पर कायम हूं। मैंने 2015 और 2017 के बीच नीरज चोपड़ा को कोचिंग दी। मैं नीरज चोपड़ा के सहायक कोच के रूप में पोलैंड गया था। गैरी कैल्वर्ट मुख्य कोच थे।
नाइक ने कहा, आदिल सुमरिवाला के बयान को जानकर (सुनकर) मुझे बहुत दुख हुआ कि वह मेरे बारे में कुछ नहीं जानते। मैं भाला फेंक के भारतीय इतिहास में 2010 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल करने वाला पहला व्यक्ति हूं।
नाइक ने कहा कि वह 2010 में ढाका में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता थे।
उन्होंने कहा, मैंने 2011 में विश्व सैन्य खेलों में चौथा स्थान हासिल किया था। मुझे कोई प्रचार नहीं चाहिए। मैंने इस बारे में नीरज चोपड़ा से बात की है।
नाइक ने कहा, भारत ओलंपिक में कुश्ती, मुक्केबाजी और अन्य खेलों में स्वर्ण पदक हासिल कर रहा है, एथलेटिक्स में हमें 2021 टोक्यो ओलंपिक तक स्वर्ण पदक के लिए इंतजार करना पड़ा। भारतीय कोचों को नीचा देखा जाता है।
नाइक ने एक दिन पहले ही आईएएनएस से बातचीत मे कहा था कि नीरज चोपड़ा आभार व्यक्त करने के लिए ूउनको को फोन करना नहीं भूले।
नाइक ने आईएएनएस को बताया, रविवार की सुबह नीरज ने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा कि वह मेरे आशीर्वाद से यह उपलब्धि हासिल कर सके हैं।
कारगिल युद्ध से प्रेरित होकर नाइक 2000 में भारतीय सेना में शामिल हुए और भाला फेंक में 14 बार के राष्ट्रीय चैंपियन बने। 2011 में कंधे में चोट लगने के बाद नाइक ने कोचिंग की ओर रुख किया।
नाइक ने कहा, 2015 के बाद से नीरज कभी नहीं बदले हैं। उनकी प्रकृति अभी भी बरकरार है। आज भी, वह सकारात्मक भावना से सुझाव लेते हैं। अधिकांश पदक विजेता कोचों की उपेक्षा करने लगते हैं। लेकिन नीरज ने ऐसा नहीं किया।"
नाइक ने याद किया कि जब चोपड़ा कैंप में शामिल हुए थे, तब उन्हें जिम ट्रेनिंग की जरूरत थी। उसके पास ताकत की कमी थी । चोपड़ा ने एक मिशन के साथ और अनुशासित तरीके से काम किया। वह अभ्यास के दौरान और विशेष रूप से तकनीकों पर प्रशिक्षण के दौरान किसी से बात नहीं करते थे, उनका ध्यान कभी नहीं हटता था।
चोपड़ा अपने प्रारंभिक दिनों से ही आश्वस्त थे और उनकी भावना और आत्मविश्वास के कारण उन्हें राष्ट्रीय शिविर के लिए चुना गया था।
कर्नाटक सरकार ने नाइक की सेवा को मान्यता देते हुए 10 लाख रुपये नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गर्व से कहा कि राज्य ने भी चोपड़ा की उपलब्धि में योगदान दिया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अगस्त | भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने मंगलवार को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के शीर्ष पद के लिए आवेदन मंगाए हैं जिस पद पर फिलहाल भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ हैं। अपनी वेबसाइट पर विज्ञापन देते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने लिखा कि वह एनसीए में हेड ऑफ क्रिकेट पद के लिए आवेदन मांग रहा है।
द्रविड़ भी इस पद के लिए दोबारा आवेदन कर सकते हैं और इसका कार्यकाल दो साल का होगा।
बोर्ड ने विज्ञापन में कहा, "राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी, बैंगलोर में सभी क्रिकेट कोचिंग कार्यक्रमों को चलाने के लिए हेड क्रिकेट एनसीए समग्र रूप से जिम्मेदार होगा। वह अकादमी में प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी क्रिकेटरों की तैयारी, विकास और प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार होंगे।"
द्रविड़ को जुलाई 2019 में एनसीए में हेड ऑफ क्रिकेट नियुक्त किया गया था और इस दौरान कई युवाओं ने बेहतर प्रगति करते हुए इंडियन टीम में जगह बनाई। द्रविड़ को हाल ही में श्रीलंका के खिलाफ सीमित ओवरों की सीरीज के लिए टीम इंडिया का मुख्य कोच बनाया गया था।
मौजूदा भारतीय कोच रवि शास्त्री का कार्यकाल इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले टी20 विश्व कप के बाद खत्म हो रहा है। उनका कार्यकाल आगे बढेगा या नहीं यह टीम के इंग्लैंड में और टी20 विश्व कप में प्रदर्शन पर निर्भर करता है।(आईएएनएस)
हैदराबाद, 10 अगस्त | टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु का कहना है कि मैच के दौरान कठिन परिस्थति से पार पाने के लिए ध्यान लगाने से मदद मिलती है। एक इवेंट में भाग लेने पहुंची सिंधु ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सफलता पाने के लिए कोई जादुई दवाई नहीं होती है।
सिंधु ने कहा, "लोगों को इस बात पर अजीब लगता है कि क्या ध्यान लाने से सफलता मिलती है। मैं सभी को बताना चाहती हूं कि ध्यान लगाना सफलता की दवाई नहीं है लेकिन यह दिमाग को शांत रखने में मदद करता है। इससे मुझे अगले कदम की रणनीति बनाने में भी मदद मिलती है। विशेषकर तनावपूर्ण स्थिति, जैसे महामारी में मेडिटेशन शांत रहने में मददगार साबित होता है।" (आईएएनएस)
मोहम्मद शोएब और अविनाश प्रभाकर
नई दिल्ली, 9 अगस्त | हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को मिला कांस्य पदक स्वर्ण लाने से कम नहीं है क्योंकि इससे लंबे समय की उम्मीद पूरी हुई है।
हरियाणा सरकार 13 अगस्त को अपने एथलीटों के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करेगी जिसमें टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाले और बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों का सम्मान किया जाएगा।
संदीप ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, "हम 13 अगस्त को एक कार्यक्रम आयोजित करेंगे जिसमें हमारे राज्य के एथलीट जो ओलंपिक में गए थे उनका ईनामी राशि और पद से सम्मान किया जाएगा।"
हरियाणा ने पहले ही स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा को छह करोड़ रूपये, रजत पदक जीतने वाले पहलवान रवि दहिया को चार करोड़ रूपये और कांस्य पदक विजेता पुरुष हॉकी टीम में शामिल राज्य के खिलाड़ियों को ढाई-ढाई करोड़ रूपये देने का ऐलान किया था।
इसके अलावा हरियाणा ने भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल राज्य के खिलाड़ियों को 50-50 लाख रूपये देने की घोषणा की है जो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रही थी।
संदीप ने कहा, "हम न सिर्फ बताई गई पॉलिसी के मुताबिक पैसा दे रहे हैं बल्कि पॉलिसी से बाहर भी ईनाम दे रहे हैं। हम सिर्फ विजेताओं का ही सम्मान नहीं कर रहे हैं, हम सभी प्रतिभागियों को सम्मानित करेंगे। हम ओलंपिक के लिए जाने वाले राज्य के सभी खिलाड़ियों को 15-15 लाख रूपये देंगे।"
उन्होंने कहा, "हमारे एथलीटों के लिए, कोविड -19 से पार पाकर और 2020 तथा 2021 के दौरान अपनी तैयारी को जारी रखकर खुद को शिखर पर पहुंचना बड़ी बात है।"
35 वर्षीय पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी ने कहा कि राज्य लंबे समय से खेल में निवेश कर रहा है और आने वाले समय में भी ऐसा करता रहेगा।
संदीप ने कहा, "हरियाणा सभी खेलों में आगे है। इसने हर खेल में सुविधा दी है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इससे अंतत: भारत को लाभ होता है।"
उन्होंने कहा, "जो पदक हमने जीते हैं वो दिख रहे हैं लेकिन जो अप्रत्यक्ष है वो यह कि हरियाणा लंबे समय से क्या कर रहा है। अगर हम नतीजे देखें तो हरियाणा पदक तालिका में सबसे आगे है। खेल राज्य में लगातार विकसित होगा जिससे हमारे पास नए टेलेंट आएंगे।"
संदीप ने भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कांस्य जीतने को स्वर्ण के बराबर ही माना।
संदीप ने कहा, "हम घर में 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में खेले थे। उस वक्त की निराशा अब खत्म हुई है। मेरे लिए यह कांस्य नहीं स्वर्ण है क्योंकि हॉकी टीम ने वो किया है जिसके लिए पूरा देश वर्षो से उम्मीद कर रहा था।" (आईएएनएस)
अनघा पाठक
ओलंपिक खेलों के दौरान आप सबने महसूस किया होगा कि किस तरह से भावनाओं का उफ़ान ज़ोर लगाता है. खिलाड़ी अपने देश की प्रतिष्ठा के लिए हर मुक़ाबले में जी जान लगा देते हैं और जो लोग वहां तक नहीं पहुंचते वे भी टीवी पर नज़रें जमाए होते हैं.
टोक्यो ओलंपिक के दौरान भारतीय खिलाड़ियों के मुक़ाबले के दौरान ऐसा हर भारतीय खेल प्रेमी ने महसूस किया होगा. साथ ही एक सवाल कई भारतीय खेल प्रेमियों के मन में रह रहकर उमड़ा होगा.
अगर गूगल पर ओलंपिक लिखें तो उन सवालों की सूची उभर आती है जिन्हें भारतीय सर्च कर रहे थे. उनमें से एक बड़ा सवाल यही है कि ओलंपिक में अब तक क्रिकेट को क्यों नहीं शामिल किया गया है?
टोक्यो ओलंपिक में इस साल कराटे जैसे कुछ नए खेलों को शामिल किया गया और इसके बाद से ही ओलंपिक खेलों में क्रिकेट की प्रतियोगिताओं की गै़र मौजूदगी की चर्चा शुरू हो गई.
इससे पहले साल 2008 के बीजिंग खेलों में बेसबॉल को शामिल किया गया था. टोक्यो ओलंपिक में उसे एक बार फिर से ओलंपिक का हिस्सा बनाया गया है. यानी ओलंपिक में नए खेलों को शामिल किया जाता रहा है और पुराने खेलों को शामिल रखा जाता रहा है.
यही वजह है कि हाल में हुई घोषणा के मुताबिक ब्रेक डांस को 2024 के पेरिस ओलंपिक खेलों में शामिल किया जाएगा.
कुछ लोगों की माँग तो यहाँ तक है कि चीयरलीडिंग को भी ओलंपिक खेलों का दर्जा मिले. ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में इसे भी ओलंपिक खेलों में शामिल कर लिया जाए.
चीयरलीडिंग, बेसबॉल और स्केट बोर्डिंग या फिर सर्फ़िंग जैसे खेल दुनिया के सभी देशों में नहीं खेले जाते. इनमें से अधिकांश को अमेरिकी खेल माना जाता है.
अगर गिनती के देशों में खेले जाने वाले खेलों को ओलंपिक में जगह मिल सकती है तो फिर क्रिकेट इसमें शामिल क्यों नहीं है?
हालांकि कुछ लोगों की राय यह भी है कि ओलंपिक खेलों में क्रिकेट का नहीं होना अच्छा ही है क्योंकि ओलंपिक के दौरान ही ऐसा मौका आता है जब भारतीय खेल प्रेमियों का ध्यान क्रिकेट से हटकर दूसरे खेलों पर जाता है. एक हद तक ये बात बिल्कुल सही भी है.
वहीं, दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जिनके मुताबिक़ क्रिकेट के ओलंपिक में शामिल रहने पर भारत को निश्चित तौर पर मेडल भी मिलता और इससे क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों तक ले जाने में मदद भी मिलती.
इनमें कौन सी दलील सही है और कौन सी ग़लत, हम इसका आकलन भी नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम आपको बताएंगे कि क्या कभी क्रिकेट ओलंपिक खेलों का हिस्सा था?
अगर हां तो कब और अगर नहीं तो अब तक क्यों नहीं हिस्सा बन सका? साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने को लेकर कितनी गंभीर कोशिशें हुई हैं.
पहले ओलंपिक खेल में क्रिकेट
जब ओलंपिक खेलों का आयोजन पहली बार 1896 में हुआ था तब उसमें क्रिकेट भी शामिल था, लेकिन कोई टीम ही हिस्सा लेने के लिए मौजूद नहीं थी इसलिए उसे रद्द करना पड़ा.
चार साल बाद 1900 के ओलंपिक खेलों में भी क्रिकेट शामिल था. यह ओलंपिक फ़्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ था. ओलंपिक के इतिहास में क्रिकेट मुक़ाबलों का आयोजन महज एक बार हुआ है, वो भी इसी ओलंपिक के दौरान.
कितनी हैरानी की बात है कि जिस फ्ऱांस में ओलंपिक खेलों में क्रिकेट मैच का आयोजन हो चुका है, उस फ्ऱांस का मौजूदा समय में क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है.
पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों में 19 खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ था, उनमें क्रिकेट भी शामिल था. मुक़ाबले में चार टीमें शामिल थीं- नीदरलैंड्स, बेल्जियम, ब्रिटेन और फ़्रांस. चौंकिए नहीं, फ़्रांस की टीम भी ओलंपिक में क्रिकेट का मुक़ाबला खेल चुकी है.
मुक़ाबला शुरू होने से पहले अचानक बेल्जियम और नीदरलैंड्स ने अपना नाम वापस ले लिया. यानी मुक़ाबले में महज दो टीमें बचीं- ब्रिटेन और फ़्रांस. इन दोनों के बीच केवल एक मुक़ाबला खेला गया और उसे ही फ़ाइनल घोषित किया गया.
इस मुक़ाबले के नियम भी कुछ अलग थे. इन क्रिकेट टीमों के खिलाड़ियों की संख्या 11 न होकर 12 थी. आपको यह भी ध्यान होगा कि उस समय में केवल टेस्ट क्रिकेट यानी पांच दिनों तक चलने वाले मुक़ाबले होते थे, लेकिन ओलंपिक में इसका आयोजन महज़ दो दिनों तक चलने वाले मैच के तौर पर किया गया था.
इसके लिए ब्रिटेन ने अपनी नेशनल टीम नहीं भेजी थी बल्कि ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए स्थानीय क्लब स्तर की टीम भेजी गई थी. फ्ऱांस की टीम भी पेरिस में रहने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को शामिल करते हुए बनाई गई थी.
दो दिन चलने वाले मुक़ाबले में ब्रिटेन ने फ्ऱांस को हरा दिया था. यह भी अचरज की बात है कि इस मुक़ाबले की विजेता टीम को गोल्ड मेडल नहीं मिला था. बल्कि ब्रिटिश टीम को सिल्वर मेडल मिला था और फ़्रांसीसी टीम को ब्रॉन्ज़ मेडल दिया गया था.
दोनों टीमों को स्मृति चिन्ह के तौर पर आइफ़िल टावर की तस्वीर दी गई थी. लेकिन सबसे रोचक बात यह थी कि इन दोनों टीमों को नहीं मालूम था कि वे ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं.
दोनों टीमों को मुक़ाबले में उतरते वक्त यह मालूम था कि वैश्विक मेले के दौरान एक मैच में वे हिस्सा ले रहे हैं. दरअसल ओलंपिक खेलों के आयोजन के वक्त ही पेरिस में वैश्विक मेले का आयोजन भी चल रहा था.
ओलंपिक खेलों के आधिकारिक आंकड़ों में भी इस मुक़ाबले को 12 साल बाद शामिल किया गया और तब दोनों टीमों को गोल्ड और सिल्वर मेडल दिया गया.
पेरिस ओलंपिक खेलों में यह भी तय किया गया कि सेंट लुई में होने वाले तीसरे ओलंपिक खेलों के दौरान भी क्रिकेट शामिल होगा. मगर एक बार फिर इसमें शिरकत करने वाले देश नहीं मिले और इसके चलते क्रिकेट प्रतियोगिता को शामिल करने की योजना रद्द करनी पड़ी. उसके बाद अब तक ओलंपिक खेलों में क्रिकेट शामिल नहीं हो पाया.
लेकिन ऐसा क्यों हुआ, इसके बारे में खेल पत्रकार शरद कद्रेकर ने बताया, "जब आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत हुई थी, तब उन लोगों ने पांच दिनों के मैचों के आयोजन के लिए जगह नहीं बनाई. उन दिनों केवल टेस्ट मैचों का चलन था. ओलंपिक में इतने लंबे मैच कराने के लिए व्यवस्था करना मुश्किल था. यह भी आशंका जताई गई थी कि ज़्यादा टीमों के हिस्सा लेने से यह और भी लंबा चलेगा. इसी वजह से ओलंपिक खेलों से क्रिकेट बाहर रहा."
ओलंपिक में कोई नया खेल कैसे शामिल होता है?
क्रिकेट को फ़ॉलो करने वाले लोगों की संख्या एक अरब से ज़्यादा है, लेकिन यह अभी कुछ ही देशों में लोकप्रिय है. ज़्यादातर क्रिकेट फ़ैंस भारतीय उपमहाद्वीप के देश भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में मौजूद हैं.
भारत में क्रिकेट एक 'धर्म की तरह' है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केवल 10-11 देशों को टेस्ट क्रिकेट खेलने का दर्जा मिला हुआ है. इसका मतलब है कि इन्हीं देशों में क्रिकेट खेला जाता है.
क्या आने वाले दिनों में क्रिकेट ओलंपिक का हिस्सा बन सकता है. इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि ओलंपिक खेलों में किसी नए खेल को कैसे शामिल किया जाता है?
हम जानते हैं कि हाल के दिनों में, बेसबॉल, स्केट बोर्डिंग और सर्फ़िंग को ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया है.
पहले ओलंपिक में किसी भी खेल को शामिल करने का फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) करती थी. लेकिन अब आईओसी ने ओलंपिक में किसी नए खेल को शामिल करने की ज़िम्मेदारी मेजबान देश के ओलंपिक आयोजन समिति को दे दी है.
यह बदलाव ओलंपिक 2020 एजेंडे के लागू होने के बाद किया गया है. इसका उद्देश्य ज़्यादा से ज़्यादा लोगों, ख़ासकर युवाओं तक पहुंचना है. टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति ने नए खेलों को टोक्यो ओलंपिक में शामिल करने का प्रस्ताव 2015 में दिया था.
आईओसी ने इस प्रस्ताव को 2016 में स्वीकार कर लिया था.
तब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने कहा था, "हम खेल को युवाओं तक ले जाना चाहते हैं. युवाओं के पास अब कहीं ज़्यादा विकल्प मौजूद हैं, लिहाज़ा हम ये उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि वे अपने आप हमारे पास आएंगे. हमें उनके पास जाना होगा. इसको ध्यान में रखते हुए जापान में लोकप्रिय पांच स्थापित और उभरते हुए खेलों को शामिल कर रहे हैं जो टोक्यो ओलंपिक की लेगेसी को बढ़ाएगा."
हालांकि मेज़बान देश की आयोजन समिति किन खेलों को शामिल करने पर विचार कर सकती है, इसको लेकर कुछ प्रावधान हैं.
पहली शर्त तो यही है कि उस खेल की प्रतियोगिताओं को आयोजित करने के लिए मेजबान देश के पास पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए. इसके साथ ही मेज़बान देश में उस खेल को लेकर एक संस्कृति होनी चाहिए. इससे यह भी स्पष्ट है कि कोई खेल जो एक ओलंपिक में शामिल है ज़रूरी नहीं है कि वो अगले ओलंपिक खेलों में भी शामिल रहे.
क्या क्रिकेट को दूसरा मौका मिला मिलेगा?
2024 में ओलंपिक खेलों का आयोजन पेरिस में होना है और इसके बाद 2028 का ओलंपिक लॉस एंजेलिस में होगा. अमेरिका और फ़्रांस, दोनों देश क्रिकेट नहीं खेलते हैं.
इन दोनों देशों में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय भी नहीं है. ऐसे में इन देशों में क्रिकेट के लिए ज़रूरी बुनियादी सुविधाएं और स्टेडियम का अभाव भी है.
इसलिए ये दोनों देश ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करें, इसकी संभावना ना के बराबर ही है.
दूसरा रास्ता क्या हो सकता है?
इसके अलावा एक विकल्प यह हो सकता है कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) इस मामले में पहल करे. इसके लिए उसे क्रिकेट खेलने वाले देशों के बोर्ड का समर्थन हासिल करना होगा.
इन लोगों को आपस में फ़ंड जमा करके ओलंपिक खेलों की मेज़बानी कर रहे देशों को मुहैया करानी होगी ताकि वह क्रिकेट से जुड़ी सुविधाओं की व्यवस्था कर सके.
क्रिकेट बोर्ड को यह रकम जुटाने के लिए अपनी सरकारों से पैसा मांगना होगा और यह कोई आसान रास्ता नहीं है.
आईसीसी की कोशिश
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल, 2028 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल कराने के लिए प्रयास कर रहा है. इसके लिए क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ानी होगी और आईसीसी ने इस उद्देश्य के तहत एक ओलंपिक कमेटी भी बनाई है.
पिछले साल अक्टूबर में आईसीसी ने सदस्य देशों से पूछा था कि अगर ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल किया जाता है तो वे अपने देश की सरकार से कितनी वित्तीय सहायता हासिल कर सकते हैं.
आईसीसी ने अपने सदस्य क्रिकेट बोर्डों को सवालों की एक सूची भेजी थी.
वैसे आईसीसी ने ऐसी कोशिशें पहले भी की हैं, लेकिन उसमें कोई कामयाबी नहीं मिली. पर लॉस एंजेलिस ओलंपिक खेलों के लिए आईसीसी एक बार फिर कोशिशों में जुटा है.
आईसीसी का मानना है कि ओलंपिक खेलों में क्रिकेट के शामिल होने से विश्व भर में क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ेगी. सबसे अहम बात यह है कि इससे क्रिकेट देखने वाले दर्शकों की संख्या भी बढ़ेगी.
ऐसी ख़बरें भी आई हैं कि आईसीसी ने इस दिशा में एक प्रस्ताव भी तैयार किया है.
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि 'अगर ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल किया जाता है तो ओलंपिक आंदोलन को अपने प्रशंसकों से जोड़ने के लिहाज़ से यह बेजोड़ मौका उपलब्ध कराएगा क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी संख्या में क्रिकेट फ़ैंस मौजूद हैं.'
आईसीसी के मुताबिक भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे ज़्यादा क्रिकेट फ़ैंस मौजूद हैं.
इस प्रस्ताव के मुताबिक़ दुनिया भर में एक अरब से ज़्यादा क्रिकेट फ़ैंस मौजूद हैं. इनमें 92 प्रतिशत फ़ैंस भारतीय उपमहाद्वीप के देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका) में मौजूद हैं. ऐसे में क्रिकेट की लोकप्रियता से लॉस एंजेलिस ओलंपिक को भी फ़ायदा होगा.
क्या बीसीसीआई की दिलचस्पी ओलंपिक में नहीं है?
खेल पत्रकार शरद कद्रेकर का कहना है कि ऐसा नहीं है.
उन्होंने बताया, "क्रिकेट में मेडल से ज़्यादा भूमिका आर्थिक हितों की होती है. अगर क्रिकेट ओलंपिक में शामिल होता है तो क्रिकेट बोर्ड की ताक़त कम होगी. मसलन, ओलंपिक मैचों के प्रसारण का अधिकार उनके पास नहीं रहेगा, इससे उनकी आमदनी कम होगी.''
''इतना ही नहीं, क्रिकेट मैचों के आयोजन के लिए निवेश भी करना होगा. इसके अलावा ओलंपिक खेलों का आयोजन किसी दूसरी सिरीज़ के शिड्यूल से टकरा सकता है. यही वजह है कि अगर ओलंपिक में क्रिकेट शामिल भी होता है तो भी बीसीसीआई अपनी बी या सी या डी टीम ही ओलंपिक खेलों में भेजेगी."
कद्रेकर के मुताबिक़ क्रिकेट का अपना शिड्यूल होता है, इसके अपने प्रायोजक और प्रसारण अधिकार होते हैं. आयोजकों की आमदनी होती है, ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए बीसीसीआई इन सबको छोड़ने की इच्छुक शायद नहीं होगी.
बीसीसीसीआई ही नहीं, दूसरे दो सबसे बड़े क्रिकेट बोर्ड- इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने भी कभी ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल किए जाने का प्रयास नहीं किया है.
बीसीसीआई की तरह ही ये क्रिकेट बोर्ड अपने आर्थिक हितों को तरजीह दे रहे हैं, लेकिन इस स्थिति में बदलाव हो सकता है.
शरद कद्रेकर ने बताया, "इन देशों की दिलचस्पी ओलंपिक मेडल में हो सकती है. यही वजह है कि ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल कराने का भाव इन देशों में बढ़ रहा है. अगर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने की मांग करेंगे तो आईसीसी को अपने प्रयासों में मदद मिलेगी. ऐसी स्थिति में बीसीसीआई को कोई और रास्ता तलाशना होगा."
बीसीसीआई ओलंपिक को लेकर संतुलित स्टैंड लेता आया है. ना तो बीसीसीआई ने अब तक ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है और ना ही आधिकारिक तौर पर इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है.
हालांकि बीसीसीआई ने यह ज़रूर कहा है कि अगर लॉस एंजेलिस ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल किया जाता है तो वो अपनी पुरुष और महिला टीम को भेजने के लिए तैयार है.
बीसीसीआई ने टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों के लिए भारतीय ओलंपिक संघ को 10 करोड़ रुपये की मदद दी थी.
बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने एक बयान में कहा है, "बीसीसीआई ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले सभी एथलीटों की मदद के लिए अपनी और से बेहतरीन कोशिश करेगा. भारतीय ओलंपिक संघ और भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय के अनुरोध पर ओलंपिक एथलीटों के लिए 10 करोड़ रुपये देने का फ़ैसला बोर्ड ने लिया है."
क्या बड़े खेल आयोजनों में क्रिकेट शामिल रहा है?
राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल और ओलंपिक ही दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन माने जाते हैं. इन आयोजनों में एक ही वक्त में काफ़ी मुक़ाबले चल रहे होते हैं. ये किसी भी खेल के विश्व कप से बेहद अलग होते हैं.
क्रिकेट एक बार कॉमनवेल्थ खेलों में भी शामिल रहा है. 1998 के कुआलालंपुर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट भी शामिल था. अजय जडेजा, सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण, हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम में शामिल थे. लेकिन इसी दौरान एक दूसरी भारतीय टीम पाकिस्तान में सिरीज़ खेल रही थी.
हालांकि दोनों जगहों पर टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. भारत की ओर से स्टार खिलाड़ी कुआलालंपुर में खेल रहे थे, लेकिन भारतीय टीम क्वार्टर फ़ाइनल में अपना मुक़ाबला हार गई थी. वहीं पाकिस्तान में भी टीम को सिरीज़ में क़रारी हार का सामना करना पड़ा था. इस कॉमनवेल्थ खेलों में क्रिकेट का गोल्ड मेडल साउथ अफ़्रीका को मिला था.
इसके बाद कॉमनवेल्थ खेलों में क्रिकेट कभी नहीं खेला गया. वैसे, इंग्लैंड के बर्मिंघम में आयोजित होने वाले 2022 कॉमनवेल्थ खेलों में अपनी महिला क्रिकेट टीम को भेजने की सहमति बीसीसीआई दे चुकी है.
जहां तक एशियाई खेलों की बात है, क्रिकेट 2010 और 2014 के एशियाई खेलों में शामिल था, लेकिन इन दोनों आयोजनों में भारतीय टीम ने हिस्सा नहीं लिया था.
2010 के एशियाई खेलों में क्रिकेट का गोल्ड मेडल बांग्लादेश ने जीता था जबकि 2014 में श्रीलंका ने गोल्ड मेडल हासिल किया था.
ओलंपिक में क्रिकेट का कौन सा फ़ॉर्मेट सबसे बेहतर होगा?
मौजूदा समय में क्रिकेट के तीन प्रारूप हैं- टेस्ट, वनडे और टी-20 क्रिकेट. इनमें से कौन सा प्रारूप ओलंपिक के लिए सबसे बेहतर साबित होगा?
शरद कद्रेकर कहते हैं, "टेस्ट मैचों का आयोजन तो असंभव ही है. ऐसे बड़े खेल आयोजनों में वनडे क्रिकेट मैच को शामिल करना भी बहुत मुश्किल है. इसके आयोजन के लिए समय के साथ-साथ आधारभूत सुविधाएं जुटाने की चुनौती होती है."
ऐसे में टी-20 प्रारूप ही ओलंपिक खेलों में जगह बना सकता है. आईसीसी इसी प्रारूप के लिए कोशिश कर रही है. हाल के दिनों में एक और प्रारूप का चलन शुरू हुआ है, जिसे हंड्रेड कहा जा रहा है.
हंड्रेड का कांसेप्ट इंग्लैंड में शुरू हुआ है. इसका पहला टूर्नामेंट अभी-अभी ही इंग्लैंड में खेला गया है. हंड्रेड का मतलब 100 गेंदों के मुक़ाबले से है. इसमें टी-20 से प्रति पारी 20 गेंद कम होती हैं.
इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड ने कहा है कि उन्होंने युवाओं और दूसरे लोगों को आकर्षित करने के लिए इस प्रारूप की शुरुआत की है. इस सिरीज़ के लिए इंग्लैंड के आठ शहरों की महिला और पुरुष टीमों के बीच मुक़ाबला हुआ. इस टूर्नामेंट के नियम भी क्रिकेट के नियमों से थोड़े अलग हैं.
कई लोगों का मानना है कि क्रिकेट के इस फ़ॉर्मेट से महिलाएं क्रिकेट में पुरुषों की बराबरी के स्तर पर आ पाएंगी. इस टूर्नामेंट के दौरान महिला खिलाड़ियों के मैचों को पुरुष खिलाड़ियों के मैच जितनी प्राथमिकता मिली. महिलाओं को पुरुषों जितनी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई और अवॉर्ड की राशि भी दोनों के लिए बराबर है.
लेकिन कई लोगों का मानना है कि इस प्रारूप को ओलंपिक में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. कुछ सीनियर क्रिकेटरों ने भी आपत्ति जताते हुए कहा है कि तीन प्रारूप के होते चौथे की क्या ज़रूरत है?
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर इयन चैपल ने कहा, "क्रिकेट की दुनिया में सबसे लोकप्रिय खेल टी-20 में से 20 गेंद कम करके ये लोग क्या हासिल कर लेंगे, यह मैं नहीं समझ पा रहा हूं."
क्रिकेटर क्या सोचते हैं?
मौजूदा क्रिकेट खिलाड़ी क्रिकेट के ओलंपिक में शामिल किए जाने के मुद्दे पर ज़्यादा नहीं बोलते, लेकिन पूर्व क्रिकेटरों में इस मुद्दे पर मिली-जुली राय देखने को मिली है.
भारत के पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने बीबीसी के कार्यक्रम 'स्टंप्ड' में कहा था कि ''क्रिकेट को ओलंपिक खेलों में शामिल करने से क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ेगी. टी-20 सबसे लोकप्रिय प्रारूप है. जो लोग क्रिकेट को फ़ॉलो नहीं करते हैं वे भी इस प्रारूप को समझते हैं."
वहीं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान सलमान बट्ट के मुताबिक ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल कराने की इतनी कोशिशें क्यों हो रही हैं.
अपने यूट्यूब चैनल पर उन्होंने कहा, "क्रिकेट को ओलंपिक में होना चाहिए, यह कहना काफ़ी उलझन में डालने वाला है. इस पर इतना ज़ोर क्यों है? क्या दुनिया क्रिकेट के बारे में नहीं जानती है? कुछ लोग कह रहे हैं कि 10 ओवरों का मैच होना चाहिए, कुछ हंड्रेड की बात कर रहे हैं. लेकिन क्यों? दूसरे खेलों के लिए ज़्यादा कोशिश होनी चाहिए."
ज़ाहिर है कि जब-जब ओलंपिक का आयोजन होता है तब ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल करने की चर्चा ज़ोर-शोर से उठती है और ओलंपिक का आयोजन ख़त्म होते ही ये चर्चा भी ख़त्म हो जाती है.
लेकिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को उस दिन का इंतज़ार है जब विराट कोहली, रोहित शर्मा या फिर कोई अन्य क्रिकेटर ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भारतीय झंडा लेकर दूसरे खिलाड़ियों के साथ मार्च करता नज़र आए और भारत के लिए मेडल जीते. (bbc.com)
नई दिल्ली. टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया. उन्होंने भारत को एथलेटिक्स में पहला ओलंपिक मेडल दिलाया. पूरा देश उनके गोल्ड का जश्न मना रहा है. उनके सबसे खास दोस्त लंबी कूद के भारतीय खिलाड़ी तेजस्विन शंकर भी इस पल काफी भावुक हैं. जब उन्होंने नीरज के गले में गोल्ड देखा तो वह अपने दोस्त के सामने अपने आंसूओं को छिपाने की कोशिश करते नजर आए.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जब भारतीय महिला हॉकी टीम के साइंटिफिक सलाहकार और अच्छे दोस्त वेन लोम्बार्ड का उनके पास वीडियो कॉल आया, उस समय वो नींद में थे. शंकर के कहा कि उन्होंने वीडियो कॉल उठाया और देखा कि नीरज के गले में मेडल है. वह पल उन्हें एक सपना लगा और तुरंत बाथरूम में जाकर चेहरा धोया और चेहरे पर टेलकम पाउडर लगाया.
शंकर ने बताया कि उस समय उनकी आंखों में आंसू थे और वह टेलकम पाउडर की मदद से उसे छुपाने की कोशिश कर रहे थे. शंकर ने बताया कि वो नीरज के साथ बैंगलोर में एक कमरे में 15 दिन रह चुके हैं. भारतीय खिलाड़ी ने बताया कि नीरज भले ही अब ओलंपिक चैंपियन बन गए हैं, लेकिन उन्हें अभी भी नीरज के साथ एक कमरे में रहने में डर लगता है.
उनके अनुसार नीरज थोड़े अव्यवस्थित हैं. उनके कमरे में घुसते ही उनके कपड़े बेड पर सूखते मिलेंगे. जुराबे कमरे के बीच में मिलेंगे. शंकर ने कहा कि हालांकि उन्होंने नीरज से इस बारे में कुछ नहीं कहा, क्योंकि उनके साथ एक कमरे में रहना बहुत बड़ी बात है.
नॉटिंघम, 8 अगस्त| इंग्लैंड के खिलाफ यहां ट्रेंट ब्रिज में खेले गए पहले टेस्ट मुकाबले के पांचवें और आखिरी दिन का खेल बारिश के कारण बाधित रहने की वजह से मैच ड्रॉ पर समाप्त होने के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा है कि टीम को पता था कि आज उनके पास जीतने का अवसर है। इंग्लैंड ने भारत को 209 रनों का लक्ष्य दिया था और टीम इंडिया ने चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक एक विकेट पर 52 रन बनाए थे तथा उसे जीत के लिए और 157 रनों की जरूरत थी। लेकिन पांचवें दिन का खेल बारिश की भेंट चढ़ गया और भारत की जीतने की संभावना धूमिल हो गई।
कोहली ने कहा, "हमने तीसरे और चौथे दिन बारिश की उम्मीद की थी लेकिन बारिश पांचवें दिन हुई। हम यहां खेलने का आनंद ले रहे थे। हम मजबूत शुरुआत करना चाहते थे। पांचवें दिन हमें पता था कि हमारे पास मौका है। हमें लगा कि हमने मैच में पकड़ बना ली है। पहली पारी में बढ़त लेना महत्वपूर्ण था, लेकिन शर्म की बात है कि हम पांचवें दिन मैच को खत्म नहीं कर सके।"
उन्होंने कहा, "हम सिर्फ मैच बचाने के लिए नहीं खेलना चाहते थे। हमारा लक्ष्य इसे जीतना था। हमने जो बढ़त ली थी वो काफी महत्वपूर्ण थी। पिच की स्थिति और तेजी देखी जा सकती थी, लेकिन इस टीम ने लय बनाए रखी। भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज हमेशा ब्लॉकबस्टर होती है और हम अगले टेस्ट के लिए तैयार हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 अगस्त | भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा को जर्मन कोच क्लाउस बारतोनिएट्ज के साथ ट्रेनिंग कराने का फैसला लाभदायक रहा जिन्होंने नीरज को टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण दिलाने में अहम भूमिका निभाई। एएफआई ने रविवार को ट्वीट कर कहा, "नीरज को नया ओलंपिक चैंपियन बनाने के लिए धन्यवाद किंग क्लाउस।"
इसके जवाब में क्लाउस ने कहा, "मुझे नीरज के लिए बहुत खुशी की अनुभूति हो रही है कि उन्होंने कांस्य नहीं, बल्कि स्वर्ण जीता है। वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक एथलीट हैं।"
नवंबर 2019 में एएफआई ने टोक्यो 2020 को ध्यान में रखते हुए दक्षिण अफ्रीका में हुए एथलेटिक्स सेंट्रल नॉर्थ ईस्ट मीटिंग से पहले क्लाउस को नीरज का कोच बनाया था।
नीरज ने कोहनी की कोच से उबरने के बाद सर्किठ में बेहतरीन तरीके से वापसी की थी और दक्षिण अफ्रीका में 87.86 मीटर का थ्रो कर टोक्यो के लिए क्वालीफाई किया था।(आईएएनएस)
टोक्यो, 8 अगस्त | अमेरिका ने रविवार को यहां महिला वॉलीबॉल फाइनल में ब्राजील को 3-0 से हराकर अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। बीजिंग 2008 और लंदन 2012 में लगातार दो बार ओलंपिक फाइनल में ब्राजील से हारने वाली अमेरिकी महिलाओं को आखिरकार ब्राजील को 25-21, 25-20 और 25-14 से हराकर पहली बार ताज पहनने का गौरव हासिल किया।
एंड्रिया ड्रूज 15 अंकों के साथ अमेरिका की सबसे सफल खिलाड़ी रहीं जबकि इसके अलावा मिशेल बार्टश-हैकले और लार्सन ने क्रमश: 14 और 12 अंक जोड़े।
तंदरा कैक्सेटा के बिना खेलना, जिन्हें संभावित डोपिंग रोधी नियम के उल्लंघन के लिए अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था, ब्राजील का नेतृत्व फर्नांडा रोड्रिग्स ने किया। फर्नाडा ने सबसे अधिक 11 अंक जुटाए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 अगस्त | टोक्यो ओलंपिक 2020 में एक स्वप्निल अभियान के बाद भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों ने अपनी सर्वोच्च एफआईएच विश्व रैंकिंग हासिल कर ली है। भारतीय पुरुष हॉaकी टीम, जिसने टोक्यो में कांस्य पदक जीतकर 41 साल के पदक के सूखे को समाप्त किया, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया के बाद अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ की विश्व रैंकिंग में क्रमश: तीसरे स्थान पर पहुंच गई जबकि, भारतीय महिला हॉकी टीम नवीनतम एफआएच विश्व रैंकिंग के अनुसार 8वें स्थान पर पहुंच गई है।
इस उपलब्धि से पहले, मनप्रीत सिंह की अगुवाई वाली टीम की करियर-उच्च रैंकिंग नंबर-4 थी, जिसे उन्होंने मार्च 2020 में एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2020 के दूसरे संस्करण के पहले तीन राउंड में अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर हासिल किया था।
दूसरी ओर, भारतीय महिला टीम की अब तक की सर्वोच्च विश्व रैंकिंग 9वीं थी, जिसे उन्होंने चार दशकों में विटैलिटी हॉकी महिला विश्व कप लंदन 2018 में अपना सर्वश्रेष्ठ फिनिश (क्वार्टर फाइनल) कर पूरा किया था। विश्व कप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने के बाद, भारतीय टीम शीर्ष क्रम की एशियाई टीम बन गई और जकार्ता पालेमबांग 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक हासिल किया।
दोनों टीमों ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में अपने शानदार प्रदर्शन के बाद अपनी सर्वोच्च रैंकिंग हासिल की। मनप्रीत एंड कंपनी पूल ए में ग्रुप चरण के पांच मैचों में से चार मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही और क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराया लेकिन सेमीफाइनल में बेल्जियम से 5-2 से हार गई। उसने हालांकि ओलंपिक खेलों में ऐतिहासिक कांस्य पदक हासिल करने के लिए जर्मनी पर 5-4 से जीत की।
महिला टीम को शुरूआती मैचों में तीन हार का सामना करना पड़ा था। यकीनन सबसे बड़ा उलटफेर उस समय हुआ जब वह क्वार्टर फाइनल में पहुंची और विश्व नंबर 3 ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराया। रानी एंड कंपनी क्रमश: अर्जेंटीना और ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ सेमीफाइनल और कांस्य पदक प्ले-ऑफ मैच दोनों हार गई।
इस तरह, 2020 के टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने से भारत की महिला हॉकी टीम विश्व रैंकिंग में 8वें स्थान पर पहुंच गई। (आईएएनएस)
टोक्यो, 8 अगस्त| अमेरिकी महिला बास्केंटबॉल टीम ने रविवार को मेजबान जापान को हराते हुए टोक्यो ओलंपिक का स्वर्ण पदक जीत लिया है। यह अमेरिका के लिए लगातार सातवां ओलंपिक खिताब है। अमेरिका के पुरुषों ने भी इस साल ओलंपिक गोल्ड जीता है।
साएतामा सुपर एरेना में हुए फाइनल मुकाबले का अंतिम स्कोर 90-75 से अमेरिका के पक्ष में रहा। जिसमें ब्रिटनी ग्रिनर ने 30 अंक बनाए। ब्रेना स्टीवर्ट ने 14 अंक बनाए जबकि एजा विल्सन के खाते में 19 अंक आए।
जापान के लिए माकी तागादी ने 17 तथा नाको मोतोहाशी ने 16 अंक जुटाए।
अमेरिकी टीम 1996 से लगातार ओलंपिक चैम्पियन रही है। इससे पहले 1984 और 1988 में भी उसके नाम स्वर्ण था। 1976 में उसने रजत और 1992 में कांस्य जीता था। अमेरिका ने 1980 के मास्को ओलंपिक का बहिष्कार किया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 अगस्त| भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने ओलंपिक इतिहास में भारत का पहला एथलेटिक्स स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा को एक करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की है। इसने चल रहे टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के लिए 1.25 करोड़ रुपये का अलग पुरस्कार भी रखा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने रजत पदक विजेताओं, पहलवान रवि दहिया और भारोत्तोलक मीराबाई चानू को 50 लाख रुपये और व्यक्तिगत कांस्य पदक विजेताओं, शटलर पीवी सिंधु, मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन और पहलवान बजरंग पुनिया को 25 लाख रुपये के नकद पुरस्कार की भी घोषणा की।
बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने अपने निजी ट्विटर हैंडल से इसकी घोषणा की।
टोक्यो 2020 खेलों में सात पदकों की दौड़ खेलों में भारत द्वारा सर्वश्रेष्ठ है, 2012 के लंदन ओलंपिक खेलों में छह पदकों की दौड़ को पार करते हुए 2016 के रियो ओलंपिक खेलों में भारत केवल दो पदक ही हासिल कर पाया था। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 7 अगस्त| हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा को छह करोड़ रुपये का नकद इनाम और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। हरियाणा के पानीपत जिले के स्टार एथलीट ने भाला फेंक में 87.58 मीटर के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीतने के बाद इतिहास रच दिया, वह अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय बने।
चोपड़ा को उनकी जीत के लिए बधाई देते हुए खट्टर ने कहा कि उन्होंने न केवल पदक जीता, बल्कि पूरे देश का दिल भी जीता।
उन्होंने कहा, देश इस पल का लंबे समय से इंतजार कर रहा था और पूरे देश को उन पर गर्व है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी नीरज को टोक्यो में ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, सोना! नीरज चोपड़ा..आपने इतिहास रचा है और पूरे देश को गौरवान्वित किया है।
उन्होंने कहा, आपका 87.58 मीटर विनिंग थ्रो आज ट्रैक एंड फील्ड क्षेत्र के दिग्गजों का हिस्सा होगा। भारत आपका ऋणी है! जय हिंद।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक में अपने ऐतिहासिक प्रदर्शन से पूरे देश को गौरवान्वित किया है।
भारत को ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में 13 साल बाद दूसरा स्वर्ण मिला है, जो पूरे देश के लिए गर्व की बात है। यह देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि यह ओलंपिक एथलेटिक्स में भारत का पहला स्वर्ण पदक है। नीरज की उपलब्धि होगी देश के युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने ट्वीट किया, क्या शानदार जीत है! नीरज चोपड़ा ने हाल ही में एथलेटिक्स में भारत के लिए पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता है। पूरा देश उत्साहित है! इस ऐतिहासिक जीत पर नीरज को बधाई। आपने हर भारतीय को प्रेरित किया है। धन्यवाद ।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी चोपड़ा को ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी।
इंस्टाग्राम पर लेते हुए, राहुल गांधी ने कहा, नीरज चोपड़ा एक धनुष ले लो! आज आपके लिए एक अरब दिल धड़कते हैं और हम में से प्रत्येक को अधिक गर्व नहीं हो सकता है।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, नीरज चोपड़ा सोना लेकर आए। क्या शानदार प्रदर्शन है। इतिहास रचा गया है। भारत को आप पर गर्व है। बधाई।
अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी हरियाणा की स्टार एथलीट की जमकर तारीफ की।
उन्होंने कहा, मैं ट्रैक और फील्ड में भारत के लिए पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने के लिए गोल्डन बॉय, नीरज चोपड़ा को बधाई देने में देश के साथ शामिल हूं। मैं उनके कोच, परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों को भी विशेष बधाई देती हूं। (आईएएनएस)
इंफाल, 7 अगस्त | भारतीय सेना ने शनिवार को मणिपुर में ओलंपिक रजत पदक विजेता भारोत्तोलक मीराबाई चानू को सम्मानित किया। रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी। एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि सेना के स्पीयर कोर के रेड शील्ड डिवीजन ने इंफाल पश्चिम जिले के लीमाखोंग सैन्य स्टेशन में एक समारोह में चानू को सम्मानित किया।
रेड शील्ड डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल नवीन सचदेवा ने डिवीजन के अन्य अधिकारियों और सैनिकों और उनके परिवारों के साथ चानू (27) को बधाई दी और प्रशंसा के प्रतीक के रूप में उन्हें एक स्मृति चिन्ह भेंट किया।
प्रवक्ता ने कहा कि सैनिकों के साथ बातचीत के दौरान, स्टार भारोत्तोलक ने ओलंपिक पोडियम तक अपनी यात्रा साझा की और युवा सैनिकों और बच्चों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ बड़ी आकांक्षा रखने का आह्वान किया।
24 जुलाई को महिलाओं के 49 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीतने वाली चानू इंफाल से करीब 25 किलोमीटर दूर इंफाल पूर्वी जिले के नोंगपोक काकचिंग गांव की रहने वाली हैं।
27 जुलाई को मणिपुर लौटने पर चानू का नायक के रूप में स्वागत किया गया।
गुरुवार को चानू ने आभार व्यक्त करते हुए 150 ट्रक चालकों और सहायकों को एक शर्ट, एक मणिपुरी दुपट्टा और पूरे भोजन के साथ सम्मानित किया।
चानू के गांव से इंफाल तक नदी की रेत ले जाने वाले इन ट्रक ड्राइवरों और हेल्परों ने उन्हें इम्फाल में स्पोर्ट्स एकेडमी में जाने के लिए कई सालों तक लिफ्ट दी।
चानू के बड़े भाई बिनोद मैतेई ने शनिवार को कहा, हर दिन 25 किमी की दूरी तय करने के लिए धन की कमी के कारण, चानू इंफाल जाने वाले ट्रकों के साथ सवारी करती थी जो हमारे गांव की नदी से रेत ले जाते हैं। मेरी बहन ने उनके आभार के रूप में 150 ट्रक ड्राइवरों और सहायकों को कुछ उपहार दिया और दोपहर का भोजन कराया।(आईएएनएस)
वंदना
नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गए हैं.
उन्होंने 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाल दिया.
नीरज ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर, दूसरे में 87.58 और तीसरे प्रयास में 76.79 मीटर जैवलिन फेंका.
इस प्रतिस्पर्धा में दूसरे और तीसरे स्थान पर चेक खिलाड़ी रहे.
नीरज चोपड़ा की इस जीत के साथ ही भारत के टोक्यो ओलंपिक में 7 पदक हो गए हैं और यह किसी एक ओलंपिक खेल में सबसे अधिक पदक लाने का भारत का नया रिकॉर्ड है.
इसके साथ ही नीरज ओलंपिक के व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के लिए गोल्ड जीतने वाले केवल दूसरे खिलाड़ी बने हैं. अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 के 10 मीटर राइफल शूटिंग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था.
पहली बार ओलंपिक में खेल रहे नीरज चोपड़ा क्वॉलिफिकेशन राउंड में दोनों ही ग्रुप में सबसे ऊपर रहे थे. तब 23 वर्षीय इस एथलीट ने 86.65 मीटर भाला फेंका था.
नीरज ने इसी साल मार्च में इंडियन ग्रॉ प्री-3 में 88.07 मीटर जैवलिन थ्रो के साथ अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था.
जून के महीने में पुर्तगाल के लिस्बन शहर में हुए मीटिंग सिडडे डी लिस्बोआ टूर्नामेंट में उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था.
पानीपत के गाँव से शुरू हुई कहानी
अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद विश्व की किसी भी बड़ी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज सिर्फ़ दूसरे भारतीय एथलीट हैं.
नीरज की कहानी शुरू होती है पानीपत के एक छोटे से गाँव से. यहाँ लड़कपन में नीरज भारी भरकम होते थे- क़रीब 80 किलो वज़न वाले. कुर्ता पायजामा पहने नीरज को सब सरपंच कहते थे.
फ़िटनेस ठीक करने के हिसाब से वो पानीपात में स्टेडियम जाने लगे और दूसरों के कहने पर जैवलिन में हाथ आज़माया. और वहीं से सफ़र शुरू हुआ.
बेहतर सुविधाओं की तलाश में नीरज पंचकुला शिफ्ट कर गए और पहली बार उनका सामना राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों से हुआ. उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलने लगीं.
जब राष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगे तो ख़राब क्वॉलिटी वाली जैवलिन की बजाय हाथ में बढ़िया जैलविन आ गई. धीरे-धीरे नीरज के खेल में तब्दीली आ रही थी.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके
जब 2016 में भारत पीवी सिंधु और साक्षी मलिक के मेडल का जश्न मना रहा था तो एथलेक्टिस की दुनिया में कहीं और एक नए सितारे का उदय हो रहा था.
ये वही साल है, जब नीरज ने पोलैंड में U-20 विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता.
जल्द ही ये युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाने लगा. उन्होंने गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 86.47 मीटर के जैवलिन थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता तो 2018 में एशियाई खेलों में 88.07 मीटर तक जैवलिन थ्रो कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था और स्वर्ण पदक भी जीता.
चोट ने मुश्किलों में डाला
लेकिन 2019 नीरज चोपड़ा के लिए बेहद मुश्किलों भरा रहा. कंधे की चोट के कारण वे खेल नहीं पाए और सर्जरी के बाद कई महीने तक आराम करना पड़ा. फिर 2020 आते-आते तो कोरोना के चलते अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ नहीं हो पाईं.
हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब घायल होने की वजह से नीरज को इस कदर परेशानी हुई हो.
2012 में जब वो बास्केटबॉल खेल रहे थे, तो उनकी कलाई टूट गई. वही कलाई जिससे वो थ्रो करते हैं. तब नीरज ने कहा था कि एक बार उन्हें लगा था कि शायद वे न खेल पाएँ.
लेकिन नीरज की मेहनत और उनकी टीम की कोशिश से वो उस पड़ाव को भी पार गए.
आज की तारीख़ में भले उनके पास विदेशी कोच हैं, बायोमैकेनिकल एक्सपर्ट हैं, पर 2015 के आस-पास तक नीरज ने एक तरह से ख़ुद ही अपने आप को ट्रेन किया, जिसमें घायल होने का ज़्यादा ख़तरा बना रहता है. उसके बाद ही उन्हें अच्छे कोच और दूसरी सुविधा मिलने लगी.
खेल के लिए नॉनवेज खाना शुरू किया
रियो ओलंपिक में खेलने से नीरज चूक गए थे क्योंकि उन्होंने क्वॉलिफ़िकेशन मार्क वाला थ्रो जब लगाया तब तक क्वॉलाफ़ाई करने की आख़िरी तारीख़ निकल चुकी थी.
ये नीरज के लिए दिल टूटने वाला अनुभव था. लेकिन टोक्यो में नीरज ने ऐसा नहीं होने दिया.
जैवलिन तो नीरज का पैशन है पर बाइक चलाने का भी नीरज को बहुत शौक है और साथ ही हरियाणवी रागिनियों का भी. पंजाबी गाने और बब्बू मान उनकी प्लेलिस्ट में रहते हैं.कभी शाकाहारी रहे नीरज अब अपने खेल की वजह से नॉनवेज भी खाने लगे हैं.
खाने की बात चली है तो खिलाड़ी को डायट के हिसाब से चलना ही पड़ता है पर गोलगप्पों को वे अपना पंसदीदा जंक फूड मानते हैं.
उनके लंबे बालों की वजह से सोशल मीडिया पर लोग उन्हें मोगली के नाम से भी जानते हैं. शायद लंबे बालों और फुर्तीलेपन की वजह से.
यही फ़ुर्ती नीरज को ओलंपिक तक लेकर आई है. नीरज अभी 23 साल के हैं और उनकी नज़र 2024 के पेरिस ओलंपिक पर है. (bbc.com)
भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia wins bronze) ने इतिहास रच दिया है. पुरुषों की 65 किग्रा फ्रीस्टाइल में 8-0 के बड़े अंतर से उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को हराकर देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है. उनके पदक जीतने के साथ ही जो महाकुंभ में भारत ने छठा पदक जीत लिया है. देखा जाए तो ओलिंपिक में बजरंग का यह पहला मेडल है. सोशल मीडिया पर बजरंग पूनिया को बधाई देने वालों का तांता लग गया है. लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं.
ब्रॉन्ज मेडल मैच में बजरंग ने कजाखिस्तान के पहलवान दौलत नियाजबेकोव (Doulet Niyazbekov) को एकतरफा मुकाबले में पटखती देते हुए उन्हें 8-0 से धूल चटा दी. महाकुंभ में अपनी पिछले मुकाबलों से अलग इस बार बजरंग ने शुरुआत से ही अटैकिंग रणनीति को तरजीह दी और आखिर तक इसका साथ नहींं छोड़ा, जिसका उन्हें पूरा फायदा मिला. बजरंग ने कमाल का परफॉर्मेंस किया और दोनों राउंड में विरोधी पहलवान पर हावी रहे. इस जीत के साथ ही कुश्ती में इस ओलिंपिक में दो मेडल आ गए हैं. बजरंग से पहले रवि दहिया ने सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया है.
-वंदना
उन्होंने 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाल दिया.
नीरज ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर, दूसरे में 87.58 और तीसरे प्रयास में 76.79 मीटर जैवलिन फेंका.
इस प्रतिस्पर्धा में दूसरे और तीसरे स्थान पर चेक खिलाड़ी रहे.
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नीरज चोपड़ा की इस जीत के साथ ही भारत के टोक्यो ओलंपिक में 7 पदक हो गए हैं और यह किसी एक ओलंपिक खेल में सबसे अधिक पदक लाने का भारत का नया रिकॉर्ड है.
इसके साथ ही नीरज ओलंपिक के व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के लिए गोल्ड जीतने वाले केवल दूसरे खिलाड़ी बने हैं. अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 के 10 मीटर राइफल शूटिंग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था.
पहली बार ओलंपिक में खेल रहे नीरज चोपड़ा क्वॉलिफिकेशन राउंड में दोनों ही ग्रुप में सबसे ऊपर रहे थे. तब 23 वर्षीय इस एथलीट ने 86.65 मीटर भाला फेंका था.
नीरज ने इसी साल मार्च में इंडियन ग्रॉ प्री-3 में 88.07 मीटर जैवलिन थ्रो के साथ अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था.
जून के महीने में पुर्तगाल के लिस्बन शहर में हुए मीटिंग सिडडे डी लिस्बोआ टूर्नामेंट में उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था.
पानीपत के गाँव से शुरू हुई कहानी
अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद विश्व की किसी भी बड़ी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज सिर्फ़ दूसरे भारतीय एथलीट हैं.
नीरज की कहानी शुरू होती है पानीपत के एक छोटे से गाँव से. यहाँ लड़कपन में नीरज भारी भरकम होते थे- क़रीब 80 किलो वज़न वाले. कुर्ता पायजामा पहने नीरज को सब सरपंच कहते थे.
फ़िटनेस ठीक करने के हिसाब से वो पानीपात में स्टेडियम जाने लगे और दूसरों के कहने पर जैवलिन में हाथ आज़माया. और वहीं से सफ़र शुरू हुआ.
बेहतर सुविधाओं की तलाश में नीरज पंचकुला शिफ्ट कर गए और पहली बार उनका सामना राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों से हुआ. उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलने लगीं.
जब राष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगे तो ख़राब क्वॉलिटी वाली जैवलिन की बजाय हाथ में बढ़िया जैलविन आ गई. धीरे-धीरे नीरज के खेल में तब्दीली आ रही थी.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके
जब 2016 में भारत पीवी सिंधु और साक्षी मलिक के मेडल का जश्न मना रहा था तो एथलेक्टिस की दुनिया में कहीं और एक नए सितारे का उदय हो रहा था.
ये वही साल है, जब नीरज ने पोलैंड में U-20 विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता.
जल्द ही ये युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाने लगा. उन्होंने गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 86.47 मीटर के जैवलिन थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता तो 2018 में एशियाई खेलों में 88.07 मीटर तक जैवलिन थ्रो कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था और स्वर्ण पदक भी जीता.
चोट ने मुश्किलों में डाला
लेकिन 2019 नीरज चोपड़ा के लिए बेहद मुश्किलों भरा रहा. कंधे की चोट के कारण वे खेल नहीं पाए और सर्जरी के बाद कई महीने तक आराम करना पड़ा. फिर 2020 आते-आते तो कोरोना के चलते अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ नहीं हो पाईं.
हालांकि ये पहली बार नहीं है, जब घायल होने की वजह से नीरज को इस कदर परेशानी हुई हो.
2012 में जब वो बास्केटबॉल खेल रहे थे, तो उनकी कलाई टूट गई. वही कलाई जिससे वो थ्रो करते हैं. तब नीरज ने कहा था कि एक बार उन्हें लगा था कि शायद वे न खेल पाएँ.
लेकिन नीरज की मेहनत और उनकी टीम की कोशिश से वो उस पड़ाव को भी पार गए.
आज की तारीख़ में भले उनके पास विदेशी कोच हैं, बायोमैकेनिकल एक्सपर्ट हैं, पर 2015 के आस-पास तक नीरज ने एक तरह से ख़ुद ही अपने आप को ट्रेन किया, जिसमें घायल होने का ज़्यादा ख़तरा बना रहता है. उसके बाद ही उन्हें अच्छे कोच और दूसरी सुविधा मिलने लगी.
खेल के लिए नॉनवेज खाना शुरू किया
रियो ओलंपिक में खेलने से नीरज चूक गए थे क्योंकि उन्होंने क्वॉलिफ़िकेशन मार्क वाला थ्रो जब लगाया तब तक क्वॉलाफ़ाई करने की आख़िरी तारीख़ निकल चुकी थी.
ये नीरज के लिए दिल टूटने वाला अनुभव था. लेकिन टोक्यो में नीरज ने ऐसा नहीं होने दिया.
जैवलिन तो नीरज का पैशन है पर बाइक चलाने का भी नीरज को बहुत शौक है और साथ ही हरियाणवी रागिनियों का भी. पंजाबी गाने और बब्बू मान उनकी प्लेलिस्ट में रहते हैं.
कभी शाकाहारी रहे नीरज अब अपने खेल की वजह से नॉनवेज भी खाने लगे हैं.
खाने की बात चली है तो खिलाड़ी को डायट के हिसाब से चलना ही पड़ता है पर गोलगप्पों को वे अपना पंसदीदा जंक फूड मानते हैं.
उनके लंबे बालों की वजह से सोशल मीडिया पर लोग उन्हें मोगली के नाम से भी जानते हैं. शायद लंबे बालों और फुर्तीलेपन की वजह से.
यही फ़ुर्ती नीरज को ओलंपिक तक लेकर आई है. नीरज अभी 23 साल के हैं और उनकी नज़र 2024 के पेरिस ओलंपिक पर है. (bbc.com)