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कभी एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील और पक्षी विहार के रूप में मशहूर बेगूसराय जिले की काबर झील रामसर साइट में शामिल होने के बाद भी उपेक्षा का दंश झेल रही है. संरक्षण व विकास नहीं होने से इसका अस्तित्व संकट में है.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
बिहार की राजधानी पटना से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेगूसराय जिले जयमंगला गढ़ में करीब पंद्रह हजार एकड़ में फैली है काबर झील. भौगोलिक शब्दावली के अनुसार यह एक प्रकार की गोखुर झील है, जिसका निर्माण कालांतर में बूढ़ी गंडक नदी के धारा बदले जाने से हुआ है. मौसम के मुताबिक बरसात के दिनों में इसका क्षेत्रफल बढ़ जाता है और गर्मी के दिनों में यह झील महज दो-चार हजार एकड़ में सिमट जाती है. जैविक विविधता वाले इस झील में हजारों तरह के जलीय जीव और पौधे हैं.
अक्टूबर माह से सर्दियों की शुरुआत होते ही यहां करीब 60 तरह के प्रवासी तथा 108 देसी प्रजाति के पक्षी अपना बसेरा बनाते हैं. 20 अक्टूबर, 1989 में बिहार सरकार ने काबर झील को पक्षी अभयारण्य घोषित किया. यहां आने वाले पक्षियों की गणना तो नहीं की गई है, लेकिन अनुमान के आधार पर इनकी संख्या लाखों में बताई गई है. हालांकि, अब यह संख्या हर साल कम होती जा रही है.
2020 में फिर शामिल किया गया रामसर साइट में
विश्व के विभिन्न वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए ईरान के छोटे से शहर रामसर में 1971 में एक कन्वेंशन हुआ था, जिसे रामसर कन्वेंशन कहा जाता है. इस मौके पर गठित अंतरराष्ट्रीय संस्था में उस समय 171 देश शामिल थे. भारत 1981 में इसका सदस्य बना. 2002 के पहले तक काबर झील भी रामसर साइट में शामिल था.
रामसर स्थल के रूप में अधिसूचित करने के बाद ये जगहें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो जाती हैं. वहां पर्यटन का विकास होता है और इसके साथ उसके संरक्षण का काम भी होता है. हालांकि, मानक के अनुसार विकसित नहीं होने तथा कई प्रकार की विसंगतियों के कारण काबर झील को 2002 में रामसर साइट से हटा दिया गया था. 18 साल बाद 2020 में इसे फिर से शामिल किया गया.
दुनिया भर में करीब 2400 ऐसे वेटलैंड हैं, जिनमें 47 भारत में हैं. इनमें काबर झील भी एक है, जो भरतपुर अभयारण्य से तीन गुणा बड़ा है. हालांकि, इससे पहले केंद्र सरकार ने एक्वेटिक इकोसिस्टम संरक्षण की केंद्रीय योजना के तहत देश की एक सौ झीलों में काबर झील को शामिल किया था. इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से 2019 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 32 लाख रुपये से अधिक की राशि भी दी थी. इस पैसे से जलीय व वन्य जीवों के कल्याण के साथ-साथ वेटलैंड प्रबंधन व जल संरक्षण आदि का काम किया जाना था, किंतु इस संबंध में उपलब्धि शून्य रही. अब रामसर साइट में शामिल होने के बाद चर्चा है कि इसके विकास व संरक्षण के लिए लगभग एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की जा रही है.
2019 में पूरी तरह सूख गई थी झील
पर्यावरण विशेषज्ञ अखिलेश सिंह कहते हैं, ‘‘इकोसिस्टम में वेटलैंड को सुरक्षित रखने का प्रयास दुनिया भर में किया जा रहा है. इसकी वजह साफ है, जलवायु संरक्षण तथा इकोसिस्टम का संतुलन बनाए रखने में इनका अहम योगदान होता है. ये वेटलैंड बाढ़, सूखा समेत कई आपदाओं से तो बचाते ही हैं, भोजन व आजीविका भी देते हैं. इसके साथ ही किसी भी अन्य पारिस्थितिकीय तंत्र से अधिक कार्बन को वातावरण से अवशोषित करते हैं.''
दुर्भाग्यपूर्ण है कि काबर झील में पानी की कमी होने लगी है. 2019 के जून माह में तो इस झील में एक बूंद पानी भी नहीं था. काबर नेचर क्लब के संस्थापक व पत्रकार महेश भारती कहते हैं, ‘‘काबर झील के आसपास के इलाके में पहले जमीन के नीचे 15-20 फीट में पानी मिल जाता था, किंतु अब भू-जलस्तर काफी नीचे चला गया है. अब 60-70 फीट पर पानी मिलता है. इकोसिस्टम में आए बदलाव के बुरे प्रभाव का यह एक छोटा सा उदाहरण है.''
क्यों सूख रही है झील
जानकार बताते हैं कि बरसों पहले झील के जो जल स्त्रोत थे, वे गाद भर जाने के कारण पानी पहुंचाने में कामयाब नहीं रहे. फिर बाढ़ के कारण मिट्टी का जमाव यानी सिल्टेशन होने से भी इसकी गहराई कम हो रही है. नतीजतन, झील की जल संग्रहण क्षमता लगातार कम होती जा रही है. इसके साथ-साथ ही यहां यूट्रोफिकेशन भी हो रहा है यानी किसान खेती के दौरान जिस फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करते हैं, वे बारिश के पानी के साथ बहकर जमा होते रहते हैं. इस वजह से वहां जरूरत से अधिक मात्रा में मिनरल समेत अन्य पोषक तत्व जमा हो जाते हैं. जिस कारण वहां खर-पतवार के साथ शैवालों और कवक की बहुतायत हो जाती है. इसके नतीजे में उस इकोसिस्टम के पौधों के लिए ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और वे सूख जाते हैं. यहां की जलीय जैविक व वनस्पति की विविधता पर भी इसका असर पड़ा है. इनकी संख्या में लगातार कमी आती जा रही है और पक्षियों का आकर्षण घट रहा है.
70 के दशक में झील की शोहरत थी
पत्रकार महेश भारती बताते हैं, ‘‘इस पक्षी विहार के बारे में सुनकर 70 के दशक में प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सलीम अली यहां आए थे. शोध करने वालों को यहां साइबेरिया, मंगोलिया, यूक्रेन, तिब्बत व चीन के कुछ हिस्से व ईरान के उत्तरी भाग से आए पक्षी देखने को मिलते थे.''
जब उन देशों में बर्फ गिरने लगती है तो वे यहां का रूख करते हैं और फिर यहां गर्मी शुरू होते लौट जाते हैं. तकरीबन तीन-चार माह तक वे यहां प्रवास करते हैं. पक्षी विहार घोषित किए जाने के बाद से आजतक करीब 30-32 वर्षों में इसका अपेक्षित विकास नहीं हो सका. भारती कहते हैं, ‘‘वोट बैंक की राजनीति के कारण भी इसे ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया है. कोई भी पार्टी आगे नहीं आना चाहती है. तीन-साढ़े तीन लाख वोट का सवाल है.''
विकास की राह में क्या समस्या है
काबर झील की जमीन किसानों की है. गर्मी के दिनों में जब पानी सूख जाता है तो बड़े भूभाग पर किसान खेती करते हैं. 2013 में तत्कालीन जिलाधिकारी मनोज कुमार ने यहां की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी. उन्हें जमीन का मुआवजा भी नहीं मिला है. इससे किसान खासे परेशान हैं. आसपास की करीब पांच लाख की आबादी इस वेटलैंड पर निर्भर है.
बरसात के दिनों में या जब भी पानी जमा रहता है, यहां बड़ी संख्या में मछुआरे मछलियों का शिकार करते हैं. मछली पकड़ने वाले रतन सहनी सदा कहते हैं, ‘‘यहां हम पुश्तों से मछली मारते आ रहे हैं. अगर झील की साफ-सफाई हो जाए तो यह हमारे लिए भी फायदेमंद है. जब यहां हर तरह की व्यवस्था होगी, पहले की तरह पक्षी आने लगेंगे तो लोगों का आना-जाना बढ़ जाएगा. इससे सभी को फायदा होगा.''
सरकारी उपेक्षा के बीच इन दोनों के हितों का टकराव काबर झील के विकास में बड़ी बाधा है. किसान अपनी जमीन का मुआवजा चाहते हैं. पत्रकार महेश भारती कहते हैं, ‘‘किसानों और मछुआरों के हित को ध्यान में रखकर काबर झील के विकास और संरक्षण की योजना बने. राज्य सरकार और जिला प्रशासन को आपसी तालमेल से काम करने की जरूरत है.''
रीजनल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट अभय कुमार द्विवेदी का कहना है, ‘‘किसानों और मछुआरों के हितों का टकराव हमारे लिए समस्या है. इनके मुद्दों को देखने की जरूरत है. इसके लिए जिलाधिकारी से बात हुई है. हम चाहते हैं कि जमीन को नोटिफाई कर लें, ताकि अपनी योजना के अनुसार वहां काम कर सकें. रामसर साइट में उतने ही एरिया को नोटिफाई किया गया है, जितने में हमेशा पानी रहता है.'' पक्षियों का शिकार भी यहां की एक बड़ी समस्या है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारियों व पुलिस से शिकारियों की साठगांठ है, जिस वजह से शिकारी बेदाग बच निकलते हैं.
धार्मिक पर्यटन का भी है केंद्र
काबर झील के बीच में लगभग 181 बीघे जमीन का एक बहुत बड़ा गढ़ है. इसके एक किनारे पर जयमंगला देवी का मंदिर है जो भारत के 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है. यह वाममार्गियों के लिए साधना का केंद्र है. यह एक सिद्ध पीठ भी है और शक्तिपीठ भी. इसे मौर्यकालीन माना जाता है. कहा जाता है कि विष्णुगुप्त और चाणक्य ने अपनी रचनाओं में भी इस गढ़ का जिक्र किया है. यह धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र बन सकता है.
अभय कुमार द्विवेदी कहते हैं, ‘‘रामसर साइट घोषित होने के बाद एक एजेंसी को नए सिरे से मैनेजमेंट प्लान तैयार करने को दिया गया है. इको टूरिज्म के लिहाज से अगल-बगल के गांवों के लोगों को शामिल कर सोशियो-इकोनॉमिक नजरिये से पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना है.''
वहीं, बेगूसराय के पत्रकार राजीव रंजन कहते हैं, ‘‘जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करने की. गाद निकाल कर बूढ़ी गंडक नदी से झील को जोड़ तक जल स्रोत उपलब्ध कराने की व मनमाने तरीके से चल रही आर्थिक क्रियाओं को रोकने की, अन्यथा काबर झील को इतिहास का अध्याय बनने से कोई रोक नहीं सकता.'' (dw.com)
पहली बार एक हिंदी उपन्यास को अनुवाद श्रेणी में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार मिला है. हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूंब ऑफ सैंड’ को यह पुरस्कार मिला है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
‘रेत समाधि' का अंग्रेजी अनुवाद जानीमानी अनुवादक डेजी रॉकवेल ने किया है. यह किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई पहली किताब है जिसने अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है. पुरस्कार में 50 हजार पाउंड यानी लगभग 50 लाख रुपये की राशि दी जाती है, जिसे लेखक और अनुवादक के बीच आधा-आधा बांटा जाएगा.
अनुवादक फ्रैंक वाएन उस निर्णायक मंडल के अध्यक्ष थे, जिसने पुरस्कृत रचना चुनी. वाएन ने कहा कि निर्णायकों ने एक जोश भरी बहस के बाद पूरे उत्साह के साथ ‘टूंब ऑफ सैंड' को पुरस्कार के लिए चुना. ‘रेत समाधि' 80 बरस की उम्र पार कर चुकी एक महिला की कहानी है, जो परंपराओं की बेड़ियां तोड़कर 1947 के बंटवारे के दौरान के अपने अनुभवों का सामना करती है. वाएन ने कहा कि भले ही इस किताब में बेहद दर्दनाक अनुभवों का वर्णन है, लेकिन "यह अद्भुत रूप से प्रफुल्लित कर देने वाली किताब है."
वाएन ने कहा, "यह किताब मातम, खोने और मृत्यु जैसे बेहद गंभीर मुद्दों को उठाती है और आवाजों के शोर को एक समूहगान में तब्दील कर देती है. यह अप्रत्याशित रूप से मजेदार और मजाकिया किताब है."
रेत समाधि ने रचा इतिहास
‘रेत समाधि' के साथ पांच और किताबें इस पुरस्कार के लिए दौड़ में थीं, जिनमें पोलैंड की नोबेल पुरस्कार विजेता ओल्गा तोकारश्चुक के अलावा अर्जेंटीना की क्लाउडिया पिन्योरो और दक्षिण कोरिया के बोरा चुंग भी शामिल हैं. पुरस्कार समारोह लंदन में हुआ.
पुरस्कार स्वीकार करते वक्त लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा, "मैंने कभी बुकर पुरस्कार जीतने की कल्पना भी नहीं की थी. कभी सोचा ही नहीं कि मैं ऐसा भी कुछ कर सकती हूं. यह एक बड़ा सम्मान है. मैं हैरान, प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं."
उन्होंने कहा, "मैं और यह किताब दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा से जुड़े हैं. विश्व साहित्य इन भाषाओं के कुछ अद्भुत लेखकों को जानकर और समृद्ध होगा."
हिंदी में ‘रेत समाधि' को राजकमल प्रकाशन ने छापा है. गीतांजलि श्री लंबे समय से हिंदी लेखन में सक्रिय हैं. उनका पहला उपन्यास 'माई' था जो 1990 के दशक में छपा था. 'हमारा शहर उस बरस' भी उसी दौरान प्रकाशित हुआ. वह 'तिरोहित' 'खाली जगह' के लिए भी चर्चित हो चुकी हैं.
उनके कई कहानी संग्रह भी छप चुके हैं और उनकी रचनाओं का भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन आदि में भी अनुवाद हो चुका है. 'माई' का अंग्रेजी अनुवाद 'क्रॉसवर्ड अवॉर्ड' के लिए भी नामित हुआ था.
इसका अंग्रेज़ी अनुवाद मशहूर अनुवादक डेजी रॉकवेल ने किया है. 50,000 पाउंड यानी करीब 50 लाख रुपये के साहित्यिक पुरस्कार के लिये पांच अन्य किताबों से इसकी प्रतिस्पर्धा हुई. पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बराबर बांटी जाएगी.
अनुवाद की दुनिया में बुकर
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार हर साल ऐसी किताबों को दिया जाता है जो किसी अन्य भाषा से अनुवादित है और युनाइटेड किंग्डम या आयरलैंड में प्रकाशित हुई हो. इस पुरस्कार की स्थापना उन अनुवादकों के काम को सम्मानित करने के लिए की गई थी जो विभिन्न भाषाओं के साहित्य को अंग्रेजी में उपलब्ध करवाते हैं. वाएन ने कहा कि यह पुरस्कार देने का मकसद यह साबित करना भी है कि "अनुवाद में उपलब्ध साहित्य किसी मछली के तेल जैसी चीज नहीं है जो आपके लिए अच्छा होना चाहिए."
‘टूंब ऑफ सैंड' को ब्रिटेन के बहुत छोटे से प्रकाशक ‘एक्सिस प्रेस' ने छापा है. यह प्रकाशन समूह अनुवादक डेब्रा स्मिथ ने स्थापित किया था, जो खुद 2016 में अनुवाद के लिए बुकर पुरस्कार जीत चुकी हैं. उन्होंने हान कंग के उपन्यास ‘द वेजिटेरियन' के लिए यह पुरस्कार जीता था. स्मिथ का कहना है कि उनके प्रकाशन समूह का मकसद एशिया की किताबों को अंग्रेजी में उपलब्ध कराना है.
‘टूंब ऑफ सैंड' अभी अमेरिका में प्रकाशित नहीं हुआ है लेकिन वाएन का कहना है कि बुकर जीतने के बाद पुस्तक के पास अमेरिका से भी कई पेशकश होंगी. उन्होंने कहा, "मैं हैरान रह जाऊंगा अगर अगले हफ्ते तक ब्रिटेन में इस किताब की बिक्री 1,000 प्रतिशत या शायद उससे भी ज्यादा नहीं बढ़ी तो." (dw.com)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस बात के लिए शुक्र जताया है कि कुछ विदेशी कंपनियां उनका देश छोड़ गई हैं. यूक्रेन पर रूस द्वारा सैन्य कार्रवाई किए जाने के बाद से बहुत सी पश्चिमी कंपनियों ने रूस को विदा कह दिया है.
व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि विदेशी कंपनियों का रूस छोड़ना फायदे की बात है. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के रूस छोड़ने से वह खुश हैं क्योंकि इससे स्थानीय उद्योग उनकी जगह ले सकेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि रूस अब भी नई तकनीकें और ऐश ओ आराम की चीजें हासिल करने के रास्ते खोज लेगा.
पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में रूस की ‘सैन्य कार्रवाई' एक ऐतिहासिक घटना है जो रूस के इतिहास को नई दिशा में मोड़ने वाला साबित होगा. उन्होंने कहा कि 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद से अमेरिका ने रूस को शर्मिंदा किया है और रूस की अमेरिका के खिलाफ एक क्रांति है.
‘नाकाम होंगी अमेरिकी कोशिशें'
इस युद्ध के बाद से अमेरिका ने रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की तमाम कोशिशें की हैं. उस पर बेहद कड़े आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध लगाए गए हैं और उसके उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिक्री को मुश्किल बना दिया है. अमेरिका ने रूस का तेल खरीदना भी बंद कर दिया है. हालांकि इस वजह से दुनिया में भी आर्थिक संकट पैदा हो गया है क्योंकि सप्लाई चेन बाधित हुई है. इसके अलावा रूस से आने वाले उत्पाद जैसे कि अनाज, खाने का तेल, खाद और ईंधन की कीमतें भी आसमान पर हैं.
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद से ही बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने रूस छोड़ना शुरू कर दिया था. इनमें बीपी से लेकर मैकडॉनल्ड्स तक हर क्षेत्र की मल्टिनेशनल कंपनियां शामिल हैं. इस वजह से रूस की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है. वहां हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और लोगों के लिए सामान खरीदना भी मुश्किल हुआ है. कहा जा रहा है कि देश इस वक्त 1991 में सोवियत संघ के बिखरने के बाद से सबसे ज्यादा उथल-पुथल से गुजर रहा है.
किंतु, पुतिन ने इसके लिए ईश्वर का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, "कई बार जब आप देखते हैं कि कौन छोड़कर गया तो कहते हैं कि शायद खुदा का शुक्र है. हम उन जगहों को भर देंगे. हमारे उद्योग, हमारे उत्पादक, वे बड़े होने लगे हैं. और वे उन जगहों को सुरक्षित रूप से धारण कर लेंगे, जो हमारी साझीदारों द्वारा तैयार की जा रही है."
‘बदल गया है आर्थिक सत्ता का केंद्र'
पुतिन एक वीडियो लिंक द्वारा सोवियत संघ में शामिल रहे पूर्व सदस्य देशों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मर्सिडीज बेंज जैसी लग्जरी चीजें अब भी रूस में उपलब्ध होंगी, बस थोड़ी ज्यादा महंगी होंगी. उन्होंने कहा, "ये चीजें उन लोगों के लिए थोड़ी ज्यादा महंगी होंगी. लेकिन ये वो लोग हैं जो मर्सिडीज 600एस पहले से ही चलाते रहे हैं और आगे भी चलाते रहेंगे. मैं आपको भरोसा दिला सकता हूं कि वे लोग कहीं ना कहीं से, किसी ना किसी देश से उन्हें ले ही आएंगे."
पुतिन ने कहा कि रूस को जिस चीज की अब भी सबसे ज्यादा जरूरत होगी, वह है आधुनिक तकनीकें, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं के पास उपलब्ध हैं. लेकिन उन्होंने इसका रास्ता खोजने की भी बात कही. पुतिन ने कहा, "हम अपने आप को इन चीजों से अलग नहीं कर लेंगे. वे हमें थोड़ा दबाना चाहते हैं, लेकिन आधुनिक दौर में ऐसा करना पूरी तरह असंभव है."
हालांकि रूसी राष्ट्रपति ने यह नहीं बताया कि पश्चिमी देशों की तकनीकों और सॉफ्टवेयर आदि को वह किस तरह हासिल करेंगे. लेकिन उन्होंने वादा किया पश्चिमी देशों की रूस को अलग-थलग करने की कोशिशें विफल होंगी. उन्होंने कहा कि विकसित देश महंगाई के बुरे दौर से गुजर रहे हैं, उनकी सप्लाई चेन टूट गई है और वहां खाद्य संकट पैदा हो गया है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक सत्ता का केंद्र एशिया की ओर चला गया है.
20 साल में सबसे ज्यादा महंगाई
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश संकट को ठीकठाक संभाल रहा है और अब पश्चिमी देशों को छोड़कर चीन और भारत जैसी अन्य ताकतों की ओर जा रहा है. उन्होंने कहा, "जाहिर है, हमारे उद्योगपतियों को दिक्कत हो रही है, खासतौर पर सप्लाई चेन और परिवहन आदि को लेकर. फिर भी, सब कुछ ठीक किया जा सकता है. हर चीज नए तरीके से बनाई जा सकती है. हो सकता कुछ चरणों में नुकसान भी हो, लेकिन यह हमें मजबूत होने में मदद ही करेगा. और हर हालत में हम नई क्षमताएं हासिल कर रहे हैं. हम अपने आर्थिक, वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों पर ध्यान दे रहे हैं."
रूस के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को ही ब्याजदर को 11 फीसदी घटा दिया था और यह भी कहा था कि आने वाले दिनों में और कटौती की जा सकती है. देश में महंगाई इस वक्त 20 साल से ज्यादा समय के सर्वोच्च स्तर पर है. पुतिन का कहना है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो के विस्तार के जरिए धमकाने की कोशिश कर रहा था और उसने यह कार्रवाई अपनी रक्षा में की है. यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों का कहना है कि रूस के डर बेबुनियाद हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
आईएएस दंपति के दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में कुत्ता टहलाने की एक अखबार की रिपोर्ट के बाद दोनों का तबादला कर दिया गया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि आईएएस अपने कुत्ते के साथ टहलने जाते थे जिस वजह से गार्ड को खिलाड़ियों को 7 बजे तक स्टेडियम खाली करने को कहा जाता था. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि किस तरह से दिल्ली के प्रधान सचिव (राजस्व) संजीव खिरवार अपने कुत्ते को घुमाने के लिए त्यागराज स्टेडियम आते हैं और उनके आने के पहले ही स्टेडियम को खाली करा लिया जाता है. अखबार ने बताया था कि खिलाड़ियों और ट्रेनरों को सात बजे तक स्टेडियम को छोड़ने को कह दिया जाता था. वहां तैनात सुरक्षाकर्मी उन्हें निकलने के लिए कहते थे.
खिलाड़ी और कोच ने अखबार को बताया था कि उन्हें ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है. अखबार को एक कोच ने कहा था कि वह पहले रात करीब 8.30 बजे रात तक ट्रेनिंग लेते थे, लेकिन अब उन्हें शाम 7 बजे ही मैदान से बाहर निकलने को कहा जाता है ताकि अधिकारी अपने कुत्ते के टहला सके. इसकी वजह से उनकी ट्रेनिंग बाधित होती है.
गुरुवार को जब अखबार ने अपनी रिपोर्ट छापी तो कई ट्विटर यूजर्स ने अधिकारी के इस रवैय की आलोचना की. इसके बाद दिल्ली की सरकार ने राज्य सरकार के तहत आने वाले सभी सरकारी सुविधाओं को खिलाड़ियों के लिए रात 10 बजे तक खुला रहने का निर्देश दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "मेरे संज्ञान में आया है कि गर्मी के कारण खिलाड़ियों को परेशानी हो रही है और स्टेडियम शाम छह या सात बजे तक बंद हो जाते हैं. हम निर्देश जारी कर रहे हैं कि सभी खेल सुविधाएं रात 10 बजे तक खुली रहें ताकि खिलाड़ी उनका उपयोग कर सकें."
आईएएस दंपति का तबादला, रिपोर्ट तलब
गृह मंत्रालय ने गुरुवार शाम एक आदेश जारी करके खिरवार का तबादला कर उन्हें लद्दाख भेज दिया है. वहीं उनकी पत्नी आईएएस अधिकारी रिंकू दुग्गा को अरुणाचल प्रदेश भेजा गया है. दोनों ही 1994 बैच के जॉइंट यूटी काडर के अधिकारी हैं. खिरवार दिल्ली सरकार में प्रधान सचिव (राजस्व) के पद पर तैनात थे. खिरवार दिल्ली के साथ-साथ गोवा, अंडमान निकोबार, अरुणाचल प्रदेश और भारत सरकार में भी अहम पदों पर रहे हैं.
खिरवार ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया था लेकिन माना था कि वे अपने कुत्ते के साथ टहलने स्टेडियम जाते हैं. लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार किया था कि उनके जाने से खिलाड़ियों की प्रैक्टिस में दिक्कत आती है. उन्होंने कहा, "मैं कभी भी किसी एथलीट को उनका स्टेडियम छोड़ने के लिए नहीं कहूंगा. यहां तक कि अगर मैं जाता हूं, तो मैं स्टेडियम के बंद होने के बाद जाता हूं."
इंडियन एक्सप्रेस ने खिरवार, एक महिला और ट्रैक पर चलते हुए कुत्ते की तस्वीर भी छापी थी. व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पदों का दुरुपयोग करने वाले भारतीय अधिकारियों की कहानियां नियमित रूप से दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में जनता के गुस्से को भड़काती हैं.
स्टेडियम में एक ट्रेनी एथलीट के माता-पिता ने इस रवैये को "अस्वीकार्य" बताया है. इस स्टेडियम का इस्तेमाल राष्ट्रीय और राज्य के एथलीटों और फुटबॉलरों द्वारा किया जाता है.
अब दोनों के ट्रांसफर पर भी सवाल उठने लगे हैं. टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने सवाल किया है कि ठीक से काम नहीं करने वाले अधिकारी का अरुणाचल प्रदेश क्यों तबादला किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उत्तर पूर्व से फर्जी प्रेम करती है और क्षेत्र का इस्तेमाल डंप के तौर पर करती है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी खिरवार के लद्दाख तबादले को लेकर सवाल किया है कि लोग लद्दाख को सजा वाली पोस्टिंग क्यों कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "एक तो यह बहुत मेहमाननवाजी वाले लोगों के साथ एक खूबसूरत जगह है और यहां घूमने के लिए कुछ आश्चर्यजनक जगहें हैं और दूसरी बात यह है कि वहां के लोगों के लिए हतोत्साहित करने जैसा कि वहां अधिकारियों को सजा के लिए भेजा जाता है.
सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर शुक्रवार को आईएएस के पद के दुरुपयोग को लेकर हैशटैग ट्रेंड करता रहा. (dw.com)
चेन्नई, 27 मई युवा भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा को शुक्रवार को मेल्टवाटर चैंपियन्स शतरंज टूर चेसेबल मास्टर्स 2020 आनलाइन टूर्नामेंट के फाइनल में कड़े मुकाबले में टाईब्रेकर में दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी डिंग लिरेन के खिलाफ शिकस्त का सामना करना पड़ा।
चेन्नई के 16 साल के प्रज्ञानानंदा ने वापसी करते हुए पहला सेट गंवाने के बाद दूसरा सेट जीत लिया लेकिन इसके बाद वह दो बाजी के ब्लिट्ज टाईब्रेकर में हार गए।
पहला सेट 1.5-2.5 से गंवाने वाले भारतीय ग्रैंडमास्टर ने वापसी करते हुए दूसरा सेट 2.5-1.5 से जीता जिसके कारण नजीजे के लिए ब्लिट्ज टाईब्रेकर का सहारा लेना पड़ा।
लिरेन ने इसके बाद अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए दूसरी टाईब्रेकर बाजी में प्रज्ञानानंदा को हरा दिया। टाईब्रेकर की पहली बाजी ड्रॉ रही थी लेकिन चीन के खिलाड़ी ने अगली बाजी 49 चाल में जीतकर प्रज्ञानानंदा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
इससे पहले मुकाबले को टाईब्रेक में खींचने के लिए प्रज्ञानानंदा को दूसरा सेट जीतना जरूरी था और उन्होंने महत्वपूर्ण जीत दूसरी बाजी में 79 चाल में दर्ज की।
दूसरे सेट की अन्य बाजी बराबरी पर छूटी जिससे मुकाबले के नतीजे के लिए टाईब्रेक का सहारा लिया गया।
प्रज्ञानानंदा सेमीफाइनल में नीदरलैंड के स्टार खिलाड़ी अनीष गिरी को हराकर मेल्टवाटर चैंपियन्स शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने वाहले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे।
टूर्नामेंट के शुरुआती चरण में प्रज्ञानानंदा ने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को दूसरी बार हराया और फिर क्वार्टर फाइनल में चीन के वेई यी को शिकस्त दी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 मई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुजरात जाएंगे जहां वह एक नवनिर्मित अस्पताल का दौरा करेंगे, सहकारी संस्थाओं के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे और नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह जानकारी दी। एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री राजकोट के अत्कोट में नवनिर्मित ‘मातुश्री के डी पी मल्टीस्पेश्यालिटी हॉस्पिटल’ जाएंगे। वह एक कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे।
बयान के अनुसार अपराह्न चार बजे प्रधानमंत्री ‘सहकार से समृद्धि’ विषय पर विभिन्न सहकारी संस्थाओं के प्रमुखों के सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम गांधीनगर में महात्मा मंदिर में आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कलोल में आईएफएफसीओ में निर्मित नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन भी करेंगे।
बयान में कहा गया है कि गुजरात का सहकारी क्षेत्र पूरे देश के लिए आदर्श रहा है। राज्य के सहकारी क्षेत्र की 84,000 से अधिक सोसायटी में करीब 231 लाख सदस्य हैं।
गुजरात में सहकारी आंदोलन को और मजबूत करने के लिए ‘‘सहकार से समृद्धि’’ सम्मेलन गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आयोजित किया जा रहा है जिसमें विभिन्न सहकारी संस्थाओं के प्रमुख हिस्सा लेंगे। बयान में कहा गया कि राज्य की सहकारी संस्थाओं के सात हजार से अधिक प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि उत्पादन बढ़ाने और आमदनी बढ़ाने में किसानों की मदद के वास्ते प्रधानमंत्री कलोल में आईएफएफसीओ में 175 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन भी करेंगे।
प्रधानमंत्री राजकोट में नवनिर्मित ‘मातुश्री के डी पी मल्टीस्पेश्यालिटी हॉस्पिटल’ जाएंगे। इसका संचालन श्री पटेल सेवा समाज करता है। इससे क्षेत्र के लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 मई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल और मक्कड़ मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल में शुक्रवार सुबह आग लगने की दो घटनाएं सामने आईं। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि दोनों घटनाओं में फिलहाल किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है।
अधिकारियों के मुताबिक, पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित मक्कड़ मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल की छत पर सुबह करीब 8.10 बजे आग लगने की सूचना मिली, जिसके बाद दमकल विभाग की चार गाड़ियों को फौरन मौके पर रवाना किया गया। उन्होंने बताया कि आग पर कुछ ही देर में काबू पा लिया गया।
दिल्ली के अग्निशमन विभाग के अनुसार, सफदरजंग अस्पताल में सुबह 8.45 बजे आग लगने की सूचना मिली। अधिकारियों के मुताबिक, अस्पताल की एक इमारत की दूसरी मंजिल पर लिफ्ट के स्टेबलाइजर में आग लग गई थी।
उन्होंने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही दमकल की सात से आठ गाड़ियों को तुरंत मौके पर भेजा गया और थोड़ी ही देर में आग पर काबू पा लिया गया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 मई राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को सुबह न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 25.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने दिन में गरज के साथ छीटें पड़ने और आसमान में बादल छाए रहने की संभावना जताई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है।
मौसम विभाग ने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे हवा में सापेक्षिक आर्द्रता 66 प्रतिशत दर्ज की गई।
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार, दिल्ली में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 176 दर्ज किया गया जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है।
गौरतलब है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 मई भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 2,710 नए मामले सामने आने से देश में अब तक संक्रमित हो चुके मरीजों की संख्या बढ़कर 4,31,47,530 हो गई। वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या 15,814 पर पहुंच गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शुक्रवार सुबह आठ बजे अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक, 14 और संक्रमितों के दम तोड़ने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,24,539 हो गई है।
मंत्रालय ने बताया कि संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या कुल मामलों का 0.04 फीसदी है, जबकि संक्रमण से मुक्त होने वालों की राष्ट्रीय दर 98.75 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 400 की वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रालय के मुताबिक, दैनिक संक्रमण दर 0.58 फीसदी, जबकि साप्ताहिक संक्रमण दर 0.52 प्रतिशत है। वहीं, देश में अब तक 4,26,07,177 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं, जबकि कोविड-19 मृत्यु दर 1.22 फीसदी है।
आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रव्यापी कोविड रोधी टीकाकरण अभियान के तहत देशभर में अब तक टीके की 192.97 करोड़ से ज्यादा खुराक लगाई जा चुकी हैं।
गौरतलब है कि देश में सात अगस्त 2020 को कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर 2020 को 90 लाख के पार चले गए थे।
देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गए थे। पिछले साल चार मई को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। इस साल 26 जनवरी को मामले चार करोड़ के पार हो गए थे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 मई कांग्रेस ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पार्टी ने आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान को भी याद किया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने शांति वन जाकर नेहरू की समाधि पर पुष्प अर्पित किए।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नेहरू को याद करते हुए ट्वीट किया, "निधन के 58 वर्ष के बाद भी पंडित जवाहलाल नेहरू के विचार, राजनीति और हमारे देश के लिए उनका दृष्टिकोण उतना ही प्रासंगिक है, जितना पहले रहा है। कामना है कि भारत के इस अमर सपूत के मूल्य हमारे कदमों और विवेक का मार्गदर्शन करते रहें।"
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "आधुनिक स्वतंत्र भारत के निर्माता और भारत को वैज्ञानिक, आर्थिक, औद्योगिक व विभिन्न क्षेत्रों में आगे ले जाने वाले भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन।"
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी नेहरू को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए उनके योगदान को याद किया।
गौरतलब है कि नेहरू अगस्त 1947 में देश के आजाद होने के बाद से 27 मई 1964 को अपने निधन तक प्रधानमंत्री रहे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 मई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी।
नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने अगस्त 1947 से मई 1964 तक देश की कमान संभाली थी। 27 मई 1964 को उनका निधन हो गया था।
मोदी ने ट्वीट किया, “पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि।” (भाषा)
बस्तर में अफसरों के साथ चर्चा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 मई। सीएम भूपेश बघेल ने शुक्रवार को बस्तर में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक में कहा कि लोगों की आय में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। आय बढ़ी तो लोगों के जेब में पैसा आया है, यही कारण है कि साढ़े तीन साल में नक्सली कम हुए। अब भर्ती तक नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सब ग्रामीणों को काम मिलेगा तो नक्सली भर्ती बन्द होगी, नक्सली अपने-आप खत्म होंगे।
समीक्षा बैठक में सीएम ने कहा हमें मूलरूप से नाला पर काम करना जरूरी है, खेती का समय आ रहा है। पानी की जरूरत सभी को है, यदि पानी की कमी रही तो जानवर शहरों का रुख करते हैं, पक्षी पलायन करते हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों की आय में जबरदस्त वृद्धि दर्ज हुई है। हमारी नीतियों का लाभ मिल रहा है। खेती के प्रति आकर्षण बढ़ गया है तो पानी की जरूरत बढ़ी है। पानी की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए पानी को सहेजने की जरूरत है। फारेस्ट एरिया में नरवा नालों में स्टाप डेम का विकास जरूरी है। नदी नालों में जल का स्तर कम हो गया है इसलिए हमें प्राथमिकता के साथ जल संरक्षण के कार्य करने हैं।
सीएम ने कहा कि नरवा के कामों की मॉनिटरिंग कलेक्टर करें, चाहे वे वन क्षेत्रों में भी हों। जमीन एवं वनों के वास्तविक स्वामी आदिवासी हैं, वन विभाग की जिम्मेदारी प्रबंधक की है।
उन्होंने कहा कि उपलब्ध चीजों का वैल्यू एडिशन करते जाएं, आय बढ़ेगी। सभी विभागों का उद्देश्य सभी को काम मिले, यह होना चाहिए। लोगों को रोजगार से जोड़े, कृषि कार्य में संलग्न करें, वनोपज संग्रहण, वनोपज का वैल्यू एडिशन करें, इससे लोग प्रोत्साहित होंगे।
सीएम ने कहा कि पानी की प्रबंध पहली आवश्यकता है। स्थानीय किसानों को तिलहन फसल लगाने के लिए प्रेरित करें। साढ़े तीन साल में बड़ा बदलाव आया है। लोगों का बढ़ा है विश्वास। राजस्व प्रकरणों के निराकरण हेतु शिविर लगाएं।
उन्होंने अफसरों को निर्देश दिया कि वे सरकार के फैसलों की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों को दें। सभी अधिकारी-कर्मचारी दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करें। आप सभी के सहयोग हम साढ़े तीन वर्षों में लोंगो का विश्वास जितने में सफल हुए हैं।
सीएम ने कहा कि भेंट-मुलाकात में सबसे ज्यादा डिमांड सहकारी बैंक की आ रही है। बैंकिंग काम तेजी से करें। बैंक की मांग लगभग सभी जगह है, जहां घोषणा हुई है, वहां बैंक खोलें। हाट बाजार क्लिनिक को और मजबूत करें, बारिश में जल आधारित बीमारियों के बढऩे की आशंका रहती है, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग सजगता काम करे।
मां के पास ही रहेगी बेटी, पिता को नियमित मिलने की इजाजत दी हाईकोर्ट ने
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 27 मई। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भिलाई के एक कारोबारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि वह अपनी मां के साथ अलग रह रही 9 साल की बेटी से नियमित रूप से मिल सकेगा और दादा दादी के साथ भी समय गुजारने का मौका दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा पति-पत्नी में अलगाव के बाद सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को होती है जो माता-पिता का एक साथ प्यार पाने से वंचित हो जाते हैं।
भिलाई के निमिश अग्रवाल और रूही के बीच सन 2007 में विवाह हुआ था। जनवरी 2012 में उनसे एक बेटी पैदा हुई। कुछ समय बाद दोनों के बीच संबंध बिगड़ गए और पत्नी बेटी के साथ अपने मायके आ गई। उसने पति और ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज करा दिया, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा।
इसके बाद निमिष अग्रवाल ने बेटी की उचित देखभाल के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद दायर कर अपने साथ रखने की इजाजत मांगी। पत्नी ने इसका विरोध किया। फैमिली कोर्ट ने बच्ची को पिता के संरक्षण में देने से मना कर दिया। इस पर बेटी के पिता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने पिता को अपनी बेटी से मिलने का अधिकार दिया है, साथ ही पिता के माध्यम से वह अपने दादा-दादी से भी मिल सकेगी।
आदेश में यह बताया गया है कि पिता का बच्ची के साथ मुलाकात किस तरह होगी। प्रत्येक शनिवार और रविवार को 1 घंटे के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बच्ची से पिता और उसके दादा-दादी बात कर सकेंगे। प्रत्येक 15 दिन में शनिवार को पिता अपनी बच्ची को दिनभर अपने पास रख सकेंगे। बच्ची को लेकर उसकी मां दुर्गे फैमिली कोर्ट में सुबह पहुंचेगी और फैमिली कोर्ट में ही शाम को पिता को अपनी बेटी को उसकी मां के पास छोड़ना होगा। इसके अलावा दशहरा, दिवाली, होली और अन्य त्योहारों में भी बच्ची से पिता मिल सकेगा और साथ ले जा सकेगा।
बिलासपुर, 27 मई। गुरुवार को हिर्री थाने के बेलमुंडी गांव में एक के बाद एक तीन ट्रकों की आपस में भिड़ंत हो गई। यह राहत की बात रही कि इसमें किसी भी ड्राइवर या राहगीर को चोट नहीं पहुंची, पर आपस में फंसी ट्रकों में एक भुने हुए चने की बोरियों से भरा था। एक्सीडेंट का नजारा देखने पहुंची भीड़ में इसकी बोरियों को उठा-उठाकर भागने की होड़ लग गई। इस दौरान सूचना मिलने पर हिर्री थाने से पुलिस भी पहुंच गई थी, मगर वह भी इन तमाशबीनों को नहीं रोक पाई।
-सुचित्र मोहंती
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश दिया है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे. इससे सेक्स वर्कर्स के जीवन और सम्मान पर प्रभाव पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को दिए गए आदेश में पुलिस को निर्देश दिया कि उसे सहमति से यौन संबंध बनाने वाली सेक्स वर्कर्स के ख़िलाफ़ न तो हस्तक्षेप करना चाहिए और ना ही आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए. सेक्स वर्कर्स के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव न करके उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की जिस पीठ ने ये ऐतिहासिक आदेश किया उसकी अध्यक्षता जस्टिस एल नागेश्वर राव कर रहे थे.
पीठ में जिसमें जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ए एस बोपन्ना शामिल थे.
दरअसल साल 2011 में कोलकाता में एक सेक्स वर्कर के संबंध में आपराधिक शिकायत दर्ज हुई थी. इस शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था जिसके बाद ये आदेश पारित किया गया है.
वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर इस मामले से जुड़े हैं. वे इस मामले में दरबार महिला समन्वय समिति की तरफ से प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उन्होंने बीबीसी को बताया कि यह सर्वोच्च न्यायालय का एक अच्छा आदेश है. पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्कर्स को लेकर इतना बड़ा आदेश पारित किया है.
पुलिस नहीं कर सकती गिरफ़्तार
आनंद ग्रोवर ने बताया, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सेक्स वर्कर्स कम्युनिटी के बीच एक बहुत अच्छा संदेश भेजा है. अब सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए ना कि अपराधियों या गैर नागरिकों की तरह. उन्हें राशन कार्ड, पहचान पत्र और आधार कार्ड दिए जाने के अधिकार दिए गए हैं."
ग्रोवर ने यह भी कहा कि अगर यौनकर्मी अपनी मर्ज़ी से किसी सेक्सुअल एक्टिविटी में शामिल हैं और पुलिस छापेमारी होती है तो ऐसी स्थिति में पुलिस किसी भी सेक्स वर्कर को गिरफ़्तार नहीं कर सकती है. इसके लिए सेक्स वर्कर पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. वे अपराधी नहीं हैं."
ग्रोवर कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक पेशे के रूप में यौनकर्मियों पर कुछ नहीं कहता, मामला पूरे देश में यौनकर्मियों की गरिमा और उनके साथ होने वाला व्यवहार की बात करता है."
भारत की एक और प्रसिद्ध कानूनी विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल ने बीबीसी से कहा, ''सेक्स वर्कर्स को हर समय अपराधियों के रूप में नहीं माना जा सकता है. वे आखिरकार इंसान हैं. सेक्स वर्कर्स को जीने के लिए सम्मान दिया जाना एक बड़ी बात है. आखिरकार हमें ये समझने की ज़रूरत है कि उनके पास करने के लिए कुछ नहीं है. वे इसे अपनी पसंद से नहीं करतीं. उन्हें इस पेशे में धकेल दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश सेक्स वर्कर्स के बीच सम्मान को बढ़ाता है."
जायसवाल कहती हैं कि सरकार को अब सेक्स वर्कर्स को अपना जीवन चलाने के लिए सुरक्षा, खाना, शेल्टर जैसी सुविधाएं देनी चाहिए ताकि उन्हें इस पेशे में रहने के लिए मजबूर न किया जा सके. सेक्स वर्कर्स को किसी तरह का सिक्योरिटी नंबर भी दिया जाना चाहिए."
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसके लिए पुलिस को संवेदनशील और जवाबदेह बनाना होगा. इसके साथ ही पुरुषों को भी इस मुद्दे पर ठीक से संवेदनशील होना चाहिए.
महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर मुखर रहने वालीं वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ वृंदा ग्रोवर कहती हैं, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सेक्स वर्कर्स को नागरिक के रूप में मान्यता दी है, जिनकी गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए. इसके लिए उन्हें कानून का संरक्षण दिया जाना चाहिए जो सख्ती से लागू हो."
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को देखने के लिए एक कमेटी बनाई थी.
19 मई, 2022 को पैनल की सिफारिशों को अच्छी तरह से देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया. इस पैनल में प्रदीप घोष अध्यक्ष थे. उनके साथ वरिष्ठ वकील जयंत भूषण, उषा बहुउद्देशीय सहकारी समिति, भारत सरकार और अन्य संबंधित पार्टियां शामिल थीं.
सेक्स वर्कर्स के लिए अनुकूल परिस्थितियां जो सम्मान के साथ इस पेशे में रहना चाहती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इन सिफारिशों को मंज़ूरी दे दी है और कहा है कि अपनी मर्ज़ी से सेक्स का काम करने वाली सेक्स वर्कर्स को पुलिस गिरफ़्तार नहीं कर सकती.
जस्टिस एल नागेश्वर राव अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने अपने आदेश में कहा, "जब यह साफ हो कि सेक्स वर्कर वयस्क है और अपनी इच्छा से कर रही है तो पुलिस को हस्तक्षेप करने या कोई आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए."
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि केंद्र और राज्यों को कानूनों में सुधार के लिए सेक्स वर्कर्स या उनके प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए.
अदालत ने कहा, "सेक्स वर्कर के बच्चे को केवल इस आधार पर मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए कि वह देह व्यापार में है. गरिमा से जीवन जीना सेक्स वर्कर्स के साथ साथ उनके बच्चों का भी अधिकार है."
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नाबालिग वेश्यालय में या सेक्स वर्कर के साथ रहती है तो ये नहीं मानकर चलना चाहिए कि उसकी की तस्करी की गई है.
सेक्स वर्कर और उनके बच्चे
अदालत ने आदेश दिया कि अगर सेक्स वर्कर का दावा है कि, वह उसका बेटा या बेटी है तो सच पता करने के लिए टेस्ट किया जा सकता है. अगर सेक्स वर्कर का दावा सही है तो नाबालिग को जबरन अलग नहीं किया जाना चाहिए.
अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि अगर सेक्स वर्कर खासकर किसी ऐसे अपराध को लेकर शिकायत दर्ज करवाए जो यौन उत्पीड़न से जुड़ा हो तो उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. यौन उत्पीड़न की शिकार सेक्स वर्कर्स को तुरंत चिकित्सा और कानूनी देखभाल समेत हर सुविधा दी जानी चाहिए.
अदालत ने पुलिस को संवेदनशील होने की अपील करते हुए कहा कि ये देखा गया है कि सेक्स वर्कर्स के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है. ऐसा लगता है कि वे एक ऐसा वर्ग हैं जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है.
अदालत ने कहा कि मीडिया को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि गिरफ्तारी या छापेमारी के दौरान किसी सेक्स वर्कर की पहचान उजागर न करे. चाहे इसमें आरोपी हो या पीड़ित. ऐसी किसी भी तस्वीर को प्रकाशित या प्रसारित न करें जिससे उनकी पहचान का पता लग जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा के लिए सेक्स वर्कर जो कंडोम इस्तेमाल करती हैं, पुलिस को उन्हें अपराध के सबूत के तौर पर नहीं लेना चाहिए.
बीबीसी ने कई बार स्पेशल सीपी क्राइम रवींद्र यादव, सुमन नलवा समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से इस मुद्दे को लेकर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
नहीं बन रहे आधार कार्ड
आनंद ग्रोवर ने कोर्ट में ये भी बात रखी कि सेक्स वर्कर्स के आधार कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं क्योंकि वे अपना निवास पते का प्रमाण पेश नहीं कर पा रही हैं. इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया.
सुप्रीम कोर्ट ने यूआईडीएआई को नोटिस जारी कर इस संबंध में घर का पता ना होने की स्थिति में उसे खत्म करने के संबंध में उनके सुझाव मांगे थे ताकि सेक्स वर्कर्स को आसानी से आधार कार्ड जारी किए जा सकें.
यूआईडीएआई ने अपने हलफनामे में ये प्रस्तावित किया था कि जो सेक्स वर्कर राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की सूची में हैं और वे आधार कार्ड के लिए आवेदन करती हैं लेकिन उनके पास निवास प्रमाण नहीं है तो उन्हें आधार कार्ड जारी किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सेक्स वर्कर का आधार कार्ड बनाया जा रहा है तो उनके आधार कार्ड पर किसी भी तरह से ऐसे चिह्नित नहीं किया जा सकता जिससे पता लगे कि वे सेक्स वर्कर हैं. (bbc.com)
-Taran Deol
दुनिया के कई हिस्सों में दिख रहा अर्थोपॉक्सवायरस का संक्रमण, एशिया में बफेलोपॉक्स और पूर्वी और मध्य अफ्रीका में मंकीपॉक्स के मामले बढ़े
1980 में दुनिया में चेचक का खात्मा किया जाना, निश्चित तौर पर चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के इतिहास में एक मील का पत्थर था। इसके पीछे व्यापक तौर पर किए जाने वाले टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका थी, जो बाद में जारी नहीं रह सका।
अब जबकि चेचक, इतिहास की चीज हो चुकी है, इसके टीके के विकास के चिंताजनक परिणाम निकले हैं। जीनोम डाटा ने यह दर्शाया है कि किस तरह भारत में चेचक के टीके का उत्पादन करने के लिए भैंसों को दिया जाने वाला जीवित वायरस समय के साथ उनमें बफेलोपॉक्स के रूप में विकसित हुआ। वैश्विक स्तर पर 1934 में भारत में बफेलोपॉक्स का पहला मामला दर्ज किया गया था।
इस वायरस के पहले नमूने को 1967 में अलग किया गया था। उसी साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पशुजनित रोगों पर संयुक्त विशेषज्ञ समिति ने इसे एक महत्वपूर्ण पशुजन्य रोग घोषित किया था।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (एनसीबीआई) में प्रकाशित 2020 के एक अध्ययन में पाया गया कि उसके चार दशक बाद यह बीमारी ‘ उभरती हुई संक्रामक पशुजन्य बीमारी बन गई, जिससे दूध का काम करने वाले लोग प्रभावित होते थे।’ घरेलू भैंसों, उनके समूहों और गायों में होने वाली इस बीमारी का शिकार लोगों में मृत्यु-दर काफी ज्यादा यानी 80 फीसदी थी।
कई अध्ययनों में यह पाया गया कि किस तरह भारत के अलग-अलग हिस्सों में बफेलोपॉक्स के मध्यम और गंभीर केस दर्ज किए गए। दिसंबर 1985 और फरवरी 1987 के बीच, महाराष्ट्र के पांच जिलों से बफेलोपॉक्स के केस सामने आए।
1992 से 1996 के बीच राज्य के तीन जिलों से इसके कुछ केस सामने आए। 2008-2009 में, सोलापुर जिले में मनुष्यों में सात और भैंस में बफेलोपॉक्स का एक और कोल्हापुर जिले में मनुष्यों में 14 केस पाए गए। 2018 में इसी राज्य के धुले जिले में 28 लोगों में यह पाया गया, इनमें ज्यादातर दूधिए थे, जिनका भैंसों के साथ निकट संपर्क रहता था।
बारह भैंसों और चार गायों में भी बफेलोपॉक्स का वायरस पाया गया था। अगस्त 2020 में क्लिनिकल डर्मेटोलॉजी रिव्यू में प्रकाशित अध्ययन ( जिसमें धुले जिले में केस पाए गए थे ) के लेखकों के मुताबिक, ‘हाल के रुझान बताते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में बफेलोपॉक्स के शिकार लोगों की बढ़ती संख्या दर्ज की जा रही है, लेकिन लोगों में इस बीमारी के निदान, उपचार और इससे बचावों के उपायों को लेकर जागरुकता बहुत कम है।’
धुले जिले के 28 केसों में 23 लोग 15 से 40 की उम्र के बीच के थे, तीन लोग ऐसे थे, जिनकी उम्र 40 से ज्यादा थी, जबकि दो 15 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे थे, जिनका दूध के काम से या संक्रमित भैसों से कोई सीधा सपंर्क नहीं था। ऐसे बच्चों में बफेलोपॉक्स का होना, जिनका दूध से कोई सीधा संपर्क नहीं था, इस बीमारी का एक असामान्य गुण था।
इसके अलावा त्वचा, आंखों व चेहरों पर घावों का उभरना और बढ़ना भी अजीब था, क्योंकि इसमें आमतौर पर, घाव हाथों और अग्रभागों पर दिखाई देते हैं। अध्ययन के लेखकों के मुताबिक, ‘संक्रमित परिवार के सदस्यों या अन्य करीबी संपर्कों के माध्यम से और अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों में आंखों और चेहरे पर घावों का होना, वायरस के बढ़ी त्रीवता का संकेत हो सकता है।’
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ‘पशुजन्य संक्रमणों का केवल यह मतलब नहीं हैं कि बफेलोपॉक्स का वायरस, पशुओं से इंसानों में पहुंच सकता है। इसका अर्थ यह है कि ऐसा संक्रमण प्रयोगशाला में संक्रमित पशुओं से या सुईं आदि से होने वाली असावधानी से भी हो सकता है।’
डब्ल्यूएचओ ने सितंबर 2020 में भारत में एक वैक्सीनिया वायरस का मामला तब दर्ज किया था, जब एक जैव-सुरक्षा स्तर 2 (बीएसएल -2) प्रयोगशाला में काम कर रहे एक डॉक्टरेट छात्र ने प्रयोगशाला में हुई दुर्घटना के बाद अपने हाथ पर एक छोटे से दाने की सूचना दी थी।
वैक्सीनिया वायरस (वीएसीवी) ऑर्थोपॉक्सवायरस परिवार से संबंधित है, जो बफेलोपॉक्स का करीबी वैरिएंट है। डॉक्टरेट छात्र ने चेचक का टीका नहीं लगवाया था, क्योंकि 1970 के दशक के अंत तक यह बंद कर दिया गया था। उसके शरीर में सूजन और दर्द बढ़ता गया और नौंवे दिन उसे बुखार आ गया जबकि दाने उसके हाथ के अग्रभाग तक फैल गए थे।
दसवें दिन उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और एंटीवायरल कोर्स पूरा होने के बाद 14वें दिन उसे छुट्टी दी गई। प्रयोगशाला में हुई दुर्घटना के बाद बफेलोपॉक्स का एक और केस 2014 में हरियाणा के हिसार में दर्ज किया गया था।
विशेषज्ञों ने चेतवानी दी है कि वीएसीवी से संबंधित वायरस मनुष्यों और इंसानों में फिर से उभर रहे हैं। उन्होंने 2019 में एनसीबीआई में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें बताया गया कि बफेलोपॉक्स के भारत में फैलने की आशंका है।
अध्ययन में इसे जैव-सुरक्षा जोखिम समूह-2 के तहत वर्गीकृत किया गया है यानी इसमें व्यक्तिगत जोखिम मध्यम-स्तर का है जबकि सामुदायिक जोखिम कम स्तर का। जीका वायरस, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस, रूबेला और चिकनपॉक्स अन्य बीमारियां हैं, जिन्हें एक ही समूह में वर्गीकृत किया गया है।
भारत में बफेलोपॉक्स का बढ़ता संक्रमण, विकासपरक जीव-विज्ञान को समझने की बढ़ती जरूरत बताता है। एनसीबीआई में अगस्त 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन में दलील दी गई है कि इसका संक्रमण, ‘यह भी दर्शाता है कि मानव-जाति अप्रत्याशित स्रोतों से होने वाले वायरल रोगजनकों के उभरने और उनके दोबारा उभरने के प्रति कितनी ज्यादा संवेदनशील है।
अर्थोपोक्सवाइरस ( एक विषाणु ) का संक्रमण, दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ रहा है। बफेलोपॉक्स, एशिया में बढ़ रहा है तो मंकीपॉक्स, पूर्वी और मध्य अफ्रीका में और नॉवेल आर्थोपॉक्स जार्जिया, अलास्का और इटली में। इसंका मौजूदा प्रकोप भौगोलिक तौर पर पांच दशकों में सबसे ज्यादा व्यापक है। इसका उभरना ज्यादा बड़ी खतरे की घंटी इसलिए है क्योंकि दुनिया की बड़ी आबादी इसके टीके के प्रति उदासीन है। (downtoearth.org.in/hindistory)
-Bhagirath Srivas
चारे की महंगाई से डेरी फार्म बंद होने की कगार पर, पशुपालक ने औने पौने दाम पर बेची दूधारू गाय, पांच महीने में हो चुका है करीब 3 लाख का घाटा
मंगतराम ने 15 साल पहले जब हीरो होंडा कंपनी की नौकरी छोड़कर डेरी फार्मिंग का काम शुरू किया तब उन्हें बड़ी उम्मीदें थीं। शुरू में डेरी फार्मिंग से अच्छी कमाई हुई तो उन्होंने वेटरिनरी डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर ली। उन्हें लगता था कि डेरी फार्मिंग में ही भविष्य है और यह पढ़ाई उनके दूध के व्यापार में सहायक होगी और इससे वह पशुओं की देखभाल बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
मंगतराम ने शुरुआत में दो भैंस से दूध का काम शुरू और अगले साल भैंस हटाकर वह गीर, सहीवाल, राठी, थारपारकर नस्ल की गायों को ले आए और साल दर साल उनकी संख्या बढ़ाते रहे। उनकी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 2021 के अंत में उन्हें महसूस होने लगा कि पशुपालन का काम अब फायदे का सौदा नहीं है। चारे की अचानक बढ़ी कीमत ने उन्हें पशुपालन का कारोबार समेटने पर मजबूर कर दिया। फरवरी-मार्च 2022 तक आते-आते उन्होंने अपनी 39 दूधारू गायों को धीरे-धीरे कम करना शुरू कर दिया। अप्रैल के आखिरी तक डेरी फार्म से 28 गाय कम कर दीं। उनकी दूधारू गाय का बाजार भाव 80-90 हजार रुपए है लेकिन अधिकांश गाय उन्होंने किसी को 5 हजार तो किसी को 7 हजार में दे दी। उन्होंने 10 गाय राजस्थान के घुमंतू राइका समुदाय को मुफ्त में दे दी। मौजूदा समय में उनके पास 7 वयस्क गाय, 2 बछड़े और 2 बैल ही बचे हैं।
गुड़गांव जिले के मानेसर तहसील के लोकरा गांव में रहने वाले मंगतराम बताते हैं कि चारे के आसमान छूते भाव के बीच पशुओं को खिलाना असंभव होता जा रहा है। इस साल उन्होंने 1,500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर भूसा खरीदा है। पिछले साल उन्हें यही भूसा करीब 425 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर मिला था। यानी एक साल के भीतर भूसे का भाव 3 गुणा से अधिक बढ़ चुका है। मंगतराम के अनुसार एक गाय औसतन 5 किलो सूखा चारा, 6 किलो पशु आहार (एनिमल फीड) और 10 किलो हरा चारा खाती है। 15 रुपए किलो प्रति किलो सूखा चारा, 6 रुपए प्रति किलो फीड और 4 रुपए प्रति किलो हरे चारे के भाव के अनुसार एक गाय प्रतिदिन औसतन 260 रुपए की खुराक खा रही है। इसमें लेबर चार्ज और दवाइयों का खर्च शामिल नहीं है जिसका प्रति गाय मासिक खर्च करीब 2,000 रुपए है। एक गाय के प्रतिदिन के इस खर्च को अगर हम साल में बदलें तो पाएंगे कि केवल चारे और फीड पर करीब 95 रुपए खर्च हो रहा है। इसके अतिरिक्त दवाओं और लेबर चार्ज के रूप में 24 हजार रुपए का खर्च है। यानी एक गाय पर साल का खर्च करीब 1 लाख 19 हजार रुपए है।
मंगतराम एक गाय से हासिल दूध का गणित समझाते हुए बताते हैं कि प्रति गाय साल में 2,500-3,000 लीटर दूध देती है। साल में दो से तीन महीने सूखे रहते हैं और इस दौरान गाय दूध नहीं देती। मंगतराम से हरियाणा की सहकारी समिति वीटा 25-26 रुपए के भाव पर दूध खरीदती है। साल में एक गाय को दूध बेचने पर उन्हें 62,500-65,000 रुपए मिलते हैं। अगर साल में गाय पर खर्च और दूध बेचने के प्राप्त आय का हिसाब लगाएं तो पाएंगे कि मौजूदा स्थिति में मंगतराम को हर साल एक गाय से 54,000 रुपए का घाटा हो रहा है। मंगतराम के बताते हैं कि उनके लिए यह घाटा सहना असंभव हो रहा है। लागत और आय के बीच अंतर बढ़ने के कारण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 बीच उन्हें 2.5 से 3 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है।
मंगतराम को भविष्य में चारे के सस्ता होने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं कि उनके गांव में ही 70 प्रतिशत जमीन पर सरसों और शेष 30 प्रतिशत पर गेहूं की बुवाई हुई है। गेहूं का रकबा घटने और सरसों का भाव अधिक होने पर भूसे की कीमत आने वाले 5 वर्षों में कम नहीं होगी। गौरतलब है कि सूखे चारा का सबसे बड़ा स्रोत गेहूं की फसल से निकलने वाला भूसा होता है और इस साल गेहूं का रकबा कम होने से हरियाणा समेत दूसरे कई राज्यों में भूसे के भाव आसमान छू रहे हैं। मंगतराम आने गांव के उदाहरण से समझाते हैं कि एक साल पहले तक गांव में 450 गाय थीं लेकिन मौजूदा समय में चारे की किल्लत के चलते लोगों ने करीब 300 गाय बेच दीं हैं। अब गांव में लगभग 150 गाय ही हैं।
भविष्य से स्थितियां अनुकूल न होने के अंदेशे को देखते हुए मंगतराम अपनी बची खुची गाय को भी बेचने की योजना बना रहे हैं और डेरी फार्मिंग का काम पूरी तरह बंद करने की सोच रहे हैं। डेरी फार्म में उन्होंने विदेशी नस्ल की कुत्ते रखने शुरू कर दिए हैं और डॉग फार्मिंग को अपनाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि कुत्तों के पिल्ले बेचने में गाय पालने से बेहतर आमदनी होगी। (downtoearth.org.in)
ग्रेटर नोएडा (उप्र), 27 मई। गौतमबुद्ध नगर जिले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बृहस्पतिवार को अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। प्राधिकरण ने धूम मानिकपुर गांव में बसाई गई चार अवैध कालोनियों को ध्वस्त कर करीब 50 हजार वर्ग मीटर जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया। इसकी कीमत करीब 100 रुपये आंकी गई है।
अधिकारियों ने बताया कि गांव धूम मानिकपुर में अवैध रूप से बने लेविस ग्रीन, रमेश एंक्लेव, पृथ्वी रेजीडेंसी और राजश्री एंक्लेव नाम से कॉलोनी बसाई जा रही थी।
उन्होंने बताया कि सूचना मिलने पर प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक की तरफ से निर्माण हटाने के लिए नोटिस जारी किया गया।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को महाप्रबंधक परियोजना एके अरोड़ा, उप महाप्रबंधक केआर वर्मा, वरिष्ठ प्रबंधक श्यौदान सिंह की टीम ने प्राधिकरण व स्थानीय पुलिस और पीएसी की मौजूदगी में अतिक्रमण को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की।
अधिकारियों ने बताया कि पांच बुल्डोजर से तीन घंटे तक चली कार्रवाई के बाद इस जमीन को खाली करा लिया गया। दादरी बाइपास पर स्थित यह जमीन प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में आती है, जिसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपये आंकी गई है।
प्राधिकरण के सीईओ सुरेन्द्र सिंह ने चेतावनी दी है कि प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया में किसी भी व्यक्ति ने अवैध कब्जा करने की कोशिश की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीईओ ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान जारी रखने के निर्देश भी दिए हैं। (भाषा)
कोटा, 27 मई। राजस्थान में झालावाड़ जिले के खानपुर कस्बे में बृहस्पतिवार को पुलिस पर कथित रूप से पथराव करने के आरोप में एक स्थानीय कांग्रेस नेता के कम से कम 80 समर्थकों को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि हालांकि, इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ है।
पुलिस ने बताया कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और स्थानीय नेता सुरेश गुर्जर के करीब 300 से 400 समर्थकों ने बृहस्पतिवार सुबह स्थानीय थाने के सामने प्रदर्शन कर गुर्जर के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने और खानपुर के एक पुलिस अधिकारी को पुलिस लाइन भेजने की मांग की।
बाद में प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और उन्होंने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हल्के बल का प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
उन्होंने बताया कि गुर्जर मौके से गायब हो गये।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को गुर्जर पर सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया था। (भाषा)
लखनऊ, 27 मई । इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने पीलीभीत में वर्ष 1991 में 10 सिखों की कथित फर्जी मुठभेड़ में हुई हत्या के मामले में दोषी करार दिये गये पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
इसके साथ ही अदालत ने उनकी अपीलों पर अंतिम सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तिथि नियत की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार कुछ सिख तीर्थयात्री 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत से एक बस से तीर्थयात्रा के लिए जा रहे थे। उक्त बस में बच्चे और महिलाएं भी थीं। इस बस को रोक कर 11 लोगों को उतार लिया गया। उन्होंने बताया कि आरोप है कि इनमें से 10 लोगों की पीलीभीत के न्योरिया, बिलसांदा और पूरनपुर थानाक्षेत्रों के क्रमशः धमेला कुंआ, फगुनिया घाट व पट्टाभोजी इलाके में कथित मुठभेड़ दिखाकर हत्या कर दी गई। आरोप है कि 11वां शख्स एक बच्चा था जिसका अब तक कोई पता नहीं चला।
इस मामले की विवेचना पहले पुलिस ने की,और मामले में अंतिम रिर्पोट जमा की। हालांकि, बाद में एक अर्जी पर उच्चतम न्यायालय ने प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंप दी ।
सीबीआई ने विवेचना के बाद 57 अभियुक्तों को आरोपित किया। विचारण के दौरान दस अभियुक्तों की मौत हो गयी। सीबीआई की लखनऊ स्थित विशेष अदालत ने चार अप्रैल 2016 को मामले में 47 अभियुक्तों को घटना में दोषी करार दिया और उम्र कैद की सजा सुनायी।
इस फैसले के खिलाफ दोषी करार दिए गए सभी आरोपियों ने उच्च न्यायालय में अलग-अलग अपील दाखिल की। अपील के साथ ही दोषियों ने जमानत अर्जी भी दी और अपील विचाराधीन रहने के दौरान जमानत की गुहार लगाई।
उच्च न्यायालय ने 12 अभियुक्तों को उम्र या गंभीर बीमारी के आधार पर पहले ही जमानत दे दी थी। शेष की जमानत अर्जी पर सुनवायी करते हुए उच्च न्यायालय ने उन्हें खारिज कर दिया है और उनकी अपील को अंतिम सुनवायी के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
अपीलकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि मारे गए 10 सिखों में से बलजीत सिंह उर्फ पप्पू, जसवंत सिंह उर्फ ब्लिजी, हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटा तथा सुरजान सिंह उर्फ बिट्टू खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट के आतंकी थे, इसके साथ ही उन पर हत्या, डकैती, अपहरण व पुलिस पर हमले जैसे जघन्य अपराध के मामले दर्ज थे।
इस बिंदु पर अदालत ने अपने आदेश में कहा है मृतकों में से कुछ यदि असमाजिक गतिविधियों में शामिल भी थे, व उनका आपराधिक इतिहास था, तब भी विधि की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए था व इस प्रकार के बर्बर और अमानवीय हत्याएं उन्हें आतंकी बताकर नहीं करनी चाहिए थी। (भाषा)
मछलीपटनम (आंध्र प्रदेश), 27 मई। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में बृहस्पतिवार को एक सड़क हादसे में चार लोगों की जान चली गई और सात अन्य घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि एक ऑटो रिक्शा ने एक अन्य वाहन से आगे निकलने का प्रयास किया और इस चक्कर में वह पलट गया जिससे उसमें सवार चार लोगों की मौत हो गई।
अवनीगड्डा के डीएसपी महबूब बाशा के अनुसार, घटना के समय ऑटो रिक्शा में कुल 20 लोग सवार थे जो एक शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे। (भाषा)
जयपुर, 27 मई। हिंदूवादी संगठन महाराणा प्रताप सेना ने अजमेर स्थित हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, पूर्व में मंदिर होने का दावा करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे करवाने की मांग की है।
महाराणा प्रताप सेना के राजवर्धन सिंह परमार ने दावा किया कि दरगाह की दीवारों व खिडकियों में हिन्दू धर्म से संबंधित चिह्न है। परमार ने कहा कि उनकी मांग है कि एएसआई द्वारा दरगाह का सर्वे करवाया जाये।
वहीं, दरगाह की खादिमों की कमेटी ने दावे को खारिज करते हुए कहा कि वहां इस तरह का कोई चिह्न नहीं है।
परमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ‘‘ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पूर्व में एक प्राचीन मंदिर था। उसकी दीवारों और खिड़कियों पर स्वास्तिक के चिह्न है। हमारी मांग है कि दरगाह की एएसआई से सर्वे करवाया जाये।’’
खादिम कमेटी अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोईन चिश्ती ने कहा कि दावा निराधार है क्योंकि दरगाह में इस तरह के चिह्न नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों समाज हिन्दू और मुस्लिम के करोड़ो लोग दरगाह में आते हैं।
उन्होंने कहा कि ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि दरगाह में कहीं भी स्वास्तिक चिह्न नहीं है। दरगाह 850 वर्षो से है। इस तरह का कोई प्रश्न आज तक उठा ही नहीं हैं। आज देश में एक विशेष तरह का माहौल है जो पहले कभी नहीं था।’’
उन्होंने कहा कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सवाल उठाने का मतलब उन करोड़ो लोगो की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है, जो अपने-अपने धर्म को मानने वाले हैं और यहां आते हैं।
चिश्ती ने कहा कि ऐसे सभी तत्वों को जवाब देना सरकार का काम है।
कमेटी के सचिव वाहिद हुसैन चिश्ती ने कहा कि यह सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाडने की कोशिश है। (भाषा)
जयपुर, 27 मई। राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों की नाराजगी का एक और मामला बृहस्पतिवार को तब सामने आया जब खेलमंत्री अशोक चांदना ने सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय के आला अधिकारी के प्रति अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उन्हें मंत्री पद से मुक्त करने तक का आग्रह कर दिया।
चांदना ने बृहस्पतिवार रात मुख्यमंत्री गहलोत को संबोधित करते हुए ट्वीट किया,‘‘माननीय मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है की मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज (प्रभार) कुलदीप रांका जी को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वो ही सभी विभागों के मंत्री है।’’
रांका मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव हैं।
चांदना से इस बारे में संपर्क नहीं हो सका।
सूचना व जनसंपर्क राज्यमंत्री चांदना का यह ट्वीट उस समय सामने आया है जब पिछले हफ्ते ही सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक और युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश घोघरा ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री गहलोत को भेजा है। विधायक ने डूंगरपुर जिले में उनपर हंगामा करने का मुकदमा दर्ज होने के बाद यह कदम उठाया।
उल्लेखनीय है कि राज्य से राज्यसभा की चार सीटों के लिए अगले महीने चुनाव होने जा रहे हैं और इससे पहले कांग्रेस एकजुट दिखाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बृहस्पतिवार दिन में भी ही कहा था कि ‘‘कांग्रेस एक है और एकजुट है राज्यसभा की चार में से तीन सीटें जीतेगी।’’
वहीं मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने चांदना के ट्वीट को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस पर निशाना साधा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने चांदना के ट्वीट को पुन: ट्वीट करते हुए लिखा,‘‘जहाज डूब रहा है… 2023 के रुझान आने शुरू।’’
पूनियां ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘यह अशोक गहलोत सरकार के शासन और पार्टी आलाकमान की कमजोरी का एक उदाहरण है। यह सरकार पर नौकरशाही के असर को भी दिखाता है।’’ (भाषा)
चेन्नई, 26 मई। भारतीय नौसेना के दूसरे सर्वेक्षण पोत ‘निर्देशक’ को बृहस्पतिवार को यहां एल एंड टी कत्तुपल्ली में जलावतरित किया गया।
पूर्वी नौसैनिक कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल विश्वजीत दासगुप्ता की पत्नी सरबनी दासगुप्ता ने इस पोत का जलावतरण किया। ‘निर्देशक’ दूसरा सर्वेक्षण पोत है और दो अन्य भी 2023 और 2024 में तैयार हो जाएंगे।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि चारों सर्वेक्षण पोत भारतीय नौसेना की हाइड्रोग्राफिक और गहरे महासागर की खोज की क्षमता में वृद्धि करेंगे। (भाषा)
कानपुर (उप्र) 27 मई। उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित बिकरू गांव में करीब दो साल पहले हुए नरसंहार की पुलिस द्वारा की गई विभागीय जांच में छापेमारी से पहले ही सूचना गैंगस्टर विकास दुबे को लीक करने में दो पुलिस कर्मियों की कथित संलिप्तता पाई गई जिन्हें अब बर्खास्त कर दिया गया है।
अपर पुलिस आयुक्त (अपराध और मुख्यालय), सुरेशराव ए कुलकर्णी ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “चौबेपुर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन थाना प्रभारी विनय तिवारी और उप-निरीक्षक केके शर्मा को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।” उन्होंने बताया कि दोनों को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापे के बारे में जानकारी लीक करने का दोषी पाया गया था।
कुलकर्णी ने बताया कि लीक सूचना के आधार पर दुबे ने अपने गुर्गों की मदद से बिकरू गांव में पुलिस पार्टी पर घात लगाकर हमला किया था जिसमें एक पुलिस क्षेत्राधिकारी (डिप्टी एसपी) सहित आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गयी थी।
उन्होंने बताया कि दो जुलाई 2020 की रात इस घटना को अंजाम देने के बाद दुबे अपने गुर्गों के साथ मौके से फरार हो गया था। कुछ दिनों बाद, विनय तिवारी और केके शर्मा को गैंगस्टर के घर पर पुलिस छापे में कथित ढिलाई के लिए निलंबित कर दिया गया था।
अधिकारी ने बताया कि जांच में पाया गया कि तिवारी और शर्मा के सहयोगियों पर जब घात लगाकर हमला किया गया था, तो इस घटना में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। इसके अलावा दोनों पर घटनास्थल से भागने का आरोप भी लगाया गया था।
प्रारंभिक जांच के दौरान पता चला कि थाना प्रभारी विनय तिवारी और एसआई केके शर्मा ने विकास दुबे को छापेमारी की जानकारी लीक की थी।
इस बात की जानकारी होने के बाद दोनों को जेल भेज दिया गया था।
गौरतलब है कि दो-तीन जुलाई 2020 की दरमयिानी रात कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी एवं दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पकड़ने उसके गांव पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था जिसमें एक क्षेत्राधिकारी, थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिस कर्मी मारे गये थे।
मुठभेड़ में पांच पुलिसकर्मी, एक होमगार्ड और एक आम नागरिक घायल हो गये थे। बाद में दुबे को 10 जुलाई 2020 को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। (भाषा)