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भोपाल, 8 जून| उत्तराखंड में जो बस र्दुघटना हुई, उसमें 25 पर्यटकों की मौत हो गई। ये घटना काफी दर्दनाक और दुखद थी इसने हर किसी को परेशान कर दिया। पर्यटकों की मौत ने मध्य प्रदेश सरकार को राज्य में सड़क सुरक्षा के मुद्दों पर गौर करने के लिए प्रेरित किया है। मध्यप्रदेश सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं, विशेषकर यात्री बसों पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय पैनल गठित करने का निर्णय लिया है।
इस समिति में तीन कैबिनेट मंत्री होंगे जिनमें गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत और अरविंद सिंह भदौरिया शामिल हैं। इन्हें सड़क सुरक्षा के लिए की गई गतिविधियों की समीक्षा करने का काम सौंपा जाएगा।
समिति राज्य में सड़क हादसों के कारणों की समीक्षा करने के अलावा इस उद्देश्य के लिए अपनाए जाने वाले आवश्यक उपायों की भी तलाश करेगी।
उत्तराखंड बस हादसे पर चर्चा के दौरान यह फैसला लिया गया।
मध्य प्रदेश के कम से कम 25 लोगों की मौत रविवार को गहरी खाई में बस के गिरने से हो गई। हादसे में मरने वाले सभी लोग मध्य प्रदेश के पन्ना-छतरपुर जिले के रहने वाले थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कैबिनेट मंत्रियों के साथ चर्चा के दौरान उत्तराखंड में बस दुर्घटना पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने दुर्घटनाओं के कारणों की जांच करने की आवश्यकता पर बल दिया और सुधार के लिए सुझाव भी मांगे।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों- बैतूल, खंडवा, रीवा और पन्ना में हाल ही में हुई सड़क दुर्घटनाओं के कारणों का विश्लेषण करने की आवश्यकता भी व्यक्त की।
इसके बाद, उन्होंने राज्य में सड़क सुरक्षा के मुद्दों पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन मंत्रियों का एक पैनल गठित करने का निर्देश दिया।
हाल ही में रीवा जिले में मंगलवार को एक बस दुर्घटना की घटना हुई, जहां लगभग 30 यात्रियों को ले जा रही एक बस पलट गई, जिसमें 15 से अधिक लोग घायल हो गए। (आईएएनएस)
रांची, 8 जून| चुनाव प्रचार के दौरान गढ़वा टाउन हॉल मैदान में बगैर इजाजत के हेलीकॉप्टर लैंड कराने के मामले में राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर पलामू जिला एमपी एमएलए कोर्ट ने छह हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने बुधवार सुबह इस मामले में सुनवाई करते हुए जुर्माने के बाद उन्हें बरी कर दिया। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बुधवार सुबह 8:30 बजे एमपी एमएलए कोर्ट के स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सतीश कुमार मुंडा की अदालत में पेश हुए। करीब 28 मिनट तक वे कोर्ट में उपस्थित रहे।
बताते चलें कि वर्ष 2009 में आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गढ़वा में मामला दर्ज कराया गया था। गढ़वा के टाउन हॉल में चुनावी सभा के दौरान उन्होंने बिना इजाजत हेलकॉप्टर को लैंड कर दिया था, जिससे अफरा तफरी का माहौल हो गया था।
इस मामले में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव की ओर से दलील दी गई थी कि पायलट रास्ता भटक गया था और इस वजह से हेलीकॉप्टर गलत जगह पर लैंड हुआ था। अदालत ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए उन्हें आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी माना। बुधवार को लालू प्रसाद यादव ने अदालत में इस मामले को लेकर खेद जताया। लालू प्रसाद यादव के वकील पप्पू सिंह ने बताया कि बुधवार को अदालत ने उन पर छह हजार रुपए का जुर्माना लगाने के बाद इस केस को खत्म कर दिया है। (आईएएनएस)
भोपाल, 8 जून| मध्य प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नामांकन भरने का दौर पूरा हो चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे - भाजपा के विधायक राहुल लोधी की पत्नी उमिता ने टीकमगढ़ जिले से जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए नामांकन किया है। इस पर उमा भारती ने दो-टूक कह दिया है कि पार्टी इस पर नियमानुसार फैसला करे। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बुधवार को ट्वीट कर लिखा, मैंने अभी सवेरे मध्य प्रदेश के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में अपने बड़े भाई के बेटे खरगापुर विधायक राहुल सिंह लोधी की जीवनसंगिनी उमिता सिंह लोधी के द्वारा जिला पंचायत सदस्य के चुनाव का फॉर्म भरने का समाचार पढा तथा अपने साथ उमिता का फोटो भी देखा।
उन्होने आगे लिखा है, उमिता एक उच्च शिक्षित बुद्धिमान महिला है, मैंने ही उसे राहुल के लिए पसंद किया था तथा मैं उसकी निजता का सम्मान करती हूं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी के अनुशासन और नीति को लेकर लिखा है, भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन का पालन करना भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता का कर्तव्य है। मुझे तो यह भी नहीं पता कि उमिता सिंह लोधी पार्टी की सदस्य हैं या नहीं। इसलिए भाजपा उमिता की उम्मीदवारी के संबंध में अपने नियम के अनुसार ही फैसला ले। (आईएएनएस)
रायपुर, 9 जून। शहर में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के पुलिस एक्शन मोड में आ गयी है।शहर में गैंगवार की आशंका के चलते शहर के गैंगस्टरों की धरपकड़ शुरू।
गुढ़ियारी थाना पुलिस ने शहर में जुए सट्टे का पर्याय बन चुके निगरानी गैंगस्टर मंजीत सिंह को गिरफ्तार किया है।
शहर में जुए सट्टे में वर्चस्व को लेकर हुए विवादों में चली गोलियों में प्रत्यक्ष रूप से रहा है शामिल। शहर में दहशत फैलाने के लिए चाकू रखकर घूमते हुए पुलिस ने दबोचा। गैंग के बाकी गैंगस्टर फरार।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल पर कार्रवाई मुस्लिम देशों की तीखी प्रतिक्रिया बाद की है.
ओवैसी ने कहा कि जब अपने मुल्क के मुसलमान इस मुद्दे पर आवाज़ उठा रहे थे तो बीजेपी ने अनसुना कर दिया था. ओवैसी ने महाराष्ट्र के लातूर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ''10 दिन के बाद मोदी को ख़्याल आया. हम बोलते रहे लेकिन टस से मस नहीं हुए. हरकत में तब आए जब क़तर, बहरीन, सऊदी और यूएई में कुछ होता है.''
''तब प्रधानमंत्री को लगता है कि गड़बड़ हो गई. मैं तो उन्हें चाय भी नहीं पिला सकता. आपको मालूम है कि 40 फ़ीसदी तेल और 50 फ़ीसदी गैस इन देशों से आता है. 80 लाख लोग खाड़ी के देशों में काम कर रहे हैं. 55 फ़ीसदी रेमिटेंस वहाँ से आता है. देश के प्रधानमंत्री को भारत के मुसलमानों की तकलीफ़ दिखाई नहीं देती. देश के प्रधानमंत्री 20 करोड़ मुसलमानों की तकलीफ़ नहीं समझेंगे तो किसकी समझेंगे. मोदी को समझ में आया कि सऊदी, तुर्की, बहरीन और क़तर में क्या होगा तब नींद खुली. मैं बार-बार कह रहा था कि आप सबके प्रधानमंत्री हैं लेकिन आप हरकत में सऊदी, क़तर और बहरीन के बोलने पर आए. भारत की कितनी बदनामी हुई है. हम मुसलमान अपना सियासी हक़ हासिल करेंगे.'' (bbc.com)
पैग़ंबर मोहम्मद पर टीवी डिबेट के दौरान की गई टिप्पणी से नाराज़ इस्लामिक देशों के बयान और उसके बाद बीजेपी की कार्रवाई को लेकर राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है,"मोदी सरकार अरब देशों के सामने खड़ी नहीं हो सकती. भारत सरकार ने इसराइल के ख़िलाफ़ और आतंकवादी हमास के पक्ष में मतदान किया था. अफ़गानिस्तान संकट के समय भारत सरकार क़तर से गुहार लगा रही थी कि वो तालिबान के साथ भारत को भी एक पार्टी बनाए. दुबई को काले धन का अड्डा माना जाता है और उसका बीसीसीआई पर नियंत्रण है. और चाहिए?"
नूपुर शर्मा ने एक न्यूज़ चैनल पर डिबेट शो में पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. नूपुर शर्मा के अलावा बीजेपी के एक और प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल ने भी पैग़ंबर को लेकर आपत्तिजनक ट्वीट किया था.
इन दोनों की टिप्पणी को लेकर अरब के इस्लामिक देशों से तीखी प्रतिक्रिया आई. क़तर ने तो भारत से माफ़ी मांगने के लिए कहा. विवाद बढ़ता देख बीजेपी ने कहा कि यह पार्टी की राय नहीं है और नूपुर शर्मा को निलंबित किया और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से बाहर कर दिया गया. (bbc.com)
भारत के केंद्रीय बैंक रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बुधवार को एक बार फिर से रेपो दर में इज़ाफ़ा किया है. इससे ईएमआई चुकाने वालों पर बोझ बढ़ेगा.
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 4.90% कर दिया है.
इसकी घोषणा आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की.
इसके पहले 4 मई को अचानक रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने इसे 40 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लिया था.
माना जा रहा है कि बढ़ती महँगाई को काबू में करने के लिए ये फैसला लिया गया है. शक्तिकांत दास ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ी है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि स्टैंडिग डिपोजिट फैसिलिटी(एसडीएफ़ रेट) को 4.65% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ़ रेट) और बैंक रेट को 5.15% तक एडजस्ट किया गया है.
शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई दर इस साल दिसंबर महीने तक 6 फ़ीसदी तक रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि प्रोविज़नल अनुमानों के अनुसार, 2021-22 में भारत की जीडीपी विकास दर 8.7% रहने का अनुमान है और 2021-22 में रियल जीडीपी का स्तर महामारी से पहले यानी 2019-20 के स्तर से अधिक हुआ है. (bbc.com)
सुरेंद्रनगर (गुजरात), 8 जून। गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में एक खेत में दो साल का बच्चा गहरे बोरवेल में गिर गया था, जिसे करीब 40 मिनट बाद बाहर निकाला गया। बच्चे की हालत अब स्थिर है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि घटना मंगलवार रात करीब आठ बजे हुई, जब शिवम दूदापुर गांव के एक खेत में खेल रहा था। उसके माता-पिता उस खेत में मजदूरी करते हैं।
ध्रंगध्रा प्रशासन के अधिकारी एम. पी. पटेल ने पत्रकारों को बताया कि बच्चा बोरवेल में गिर गया था और 20-25 फुट की गहराई में जाकर फंस गया था। जिला प्रशासन को इसकी सूचना मिलते ही, स्थानीय आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ और अहमदाबाद में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल को इसकी जानकारी दी गई।
स्थानीय प्रशासन ने सेना, अहमदाबाद नगर निगम और पुलिस से भी मदद मांगी।
अधिकारी ने बताया कि इसके बाद सेना, पुलिस, जिला प्रशासन के कर्मचारी और ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे, उन्होंने मिलकर बचाव अभियान चलाया और रात करीब पौने 11 बजे बच्चे को बोरवेल से बाहर निकाला जा सका।
उन्होंने बताया कि बच्चे को पहले ध्रंगध्रा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए जिले के सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। बच्चे की हालत अब स्थिर है।
उन्होंने कहा, ‘‘ सेना, पुलिस और अन्य अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बाद 40 मिनट में बच्चे को बोरवेल से बाहर निकाल लिया गया।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 8 जून। भारत में एक दिन में कोविड-19 के 5,233 नए मामले सामने आने से कोरोना वायरस से अब तक संक्रमित हो चुके लोगों की संख्या बढ़कर 4,31,90,282 हो गई। वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 28,857 पर पहुंच गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार सुबह आठ बजे जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 5,233 नए मामले सामने आए हैं जबकि सात और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,24,715 हो गई है।
मंत्रालय ने बताया कि उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 28,857 हो गई जो कुल मामलों का 0.07 प्रतिशत है। कोविड-19 से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर 98.72 प्रतिशत है।
पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 1,881 की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं, मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.72 प्रतिशत है। मंत्रालय के मुताबिक दैनिक संक्रमण दर 1.67 प्रतिशत है जबकि साप्ताहिक संक्रमण दर 1.12 प्रतिशत दर्ज की गई। स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 4,26,36,710 हो गई है जबकि मृत्यु दर 1.21 प्रतिशत है।
देश में अब तक कोविड-19 रोधी टीके की 194.43 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है।
गौरतलब है कि देश में सात अगस्त 2020 को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे।
देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गए थे। पिछले साल चार मई को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। इस साल 26 जनवरी को मामले चार करोड़ के पार हो गए थे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 8 जून। पश्चिमोत्तर भारत एवं मध्य भारत मंगलवार को लू की चपेट में रहे तथा 46.6 डिग्री सेल्सियस के साथ उत्तर प्रदेश का बांदा सबसे गर्म स्थान रहा। शुक्रवार तक ऐसी गर्मी से किसी राहत के आसार नहीं हैं।
राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कम से कम 37 शहरों एवं नगरों में अधिकतम तापमान 44 डिग्री के ऊपर रहा।
इस बीच दक्षिण पश्चिम मानसून तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकाल एवं बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पश्चिम एवं पश्चिम मध्य हिस्सों में आगे बढ़ा।
मानसून के कम से कम अगले एक सप्ताह में कमजोर रहने के आसार हैं और 15 जून के उपरांत उसके रफ्तार पकड़ने के बाद अच्छी वर्षा की संभावना है।
दिल्ली के आधार स्टेशन, सफदरजंग स्थित वेधशाला, में अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री ज्यादा है।
मौसम कार्यालय ने कहा कि अगले दो-तीन दिनों तक पश्चिमोत्तर एवं मध्य भारत में अधिकतम तामपान में किसी बड़े बदलाव की कोई गुजाइंश नहीं है तथा उसके बाद पारा दो से तीन डिग्री तक लुढक सकता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा, ‘‘जम्मू संभाग, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाण-दिल्ली और पूर्वी मध्यप्रदेश में 7-9 जून के दौरान अलग अलग स्थानों पर लू की आशंका है।’’
उसने कहा कि उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम मध्यप्रदेश में बुधवार को लू का अहसास हो सकता है जबकि अरब सागर से दक्षिण प्रायद्वीप भारत की ओर पछुआ हवा चलने के कारण कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप में अगले पांच दिनों तक गरज के बौछारें/ आसमान में बिजली चमक सकती है। (भाषा)
नोएडा, 8 जून (भाषा)। उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक के अवैध ट्विन टावरों को गिराने की संभावित तारीख 28 अगस्त से घटाकर 21 अगस्त कर दी गई है।
उच्चतम न्यायालय ने इन टावरों को 22 मई तक गिराने का निर्देश दिया था लेकिन टावरों को ढहाने की तैयारी कर रही एडिफाईस एजेंसी ने शीर्ष अदालत से तारीख आगे बढ़ाने का आग्रह किया था। न्यायालय ने इसे 28 अगस्त तक बढ़ा दिया था।
नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, “टावर को गिराने की संभावित तारीख अब 21 अगस्त कर दी गई है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा 28 अगस्त तक है। बफर अवधि बनाने के लिए निर्णय लिया गया है ताकि किसी भी हालत में 28 अगस्त तक काम पूरा हो सके।”
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि सुपरटेक द्वारा विध्वंस कार्य के काम पर लगाई निजी एजेंसी, एडिफाइस इंजीनियरिंग ने मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण को कार्य प्रगति और इसकी तैयारी के बारे में प्रस्तुति दी।
नयी दिल्ली, 8 जून (भाषा)। पश्चिम दिल्ली के रन्होला इलाके में अपनी महिला मित्र पर चाकू से कथित रूप से हमला करने के बाद 30 वर्षीय एक व्यक्ति ने तेजाब पी लिया। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार इस व्यक्ति का हाल में एक अन्य महिला से शादी हुई थी जिसके बाद उसकी प्रेमिका उसकी अनदेखी करने लगी थी और इसी बात से वह नाराज हो गया।
पुलिस ने बताया कि घायल महिला को एक नर्सिंग होम में ले जाया गया और उसी दिन उसे छुट्टी दे दी गयी। पुलिस के अनुसार इस व्यक्ति का दीनदयाल अस्पताल में इलाज चल रहा है।
एक अधिकारी के अनुसार पुलिस को दिये बयान में घायल महिला ने बताया कि वह नवीन कुमार नामक इस व्यक्ति के साथ तीन सालों से प्रेम संबंध में थी और जब कुमार की शादी हो गयी तब उस महिला ने उसके साथ रिश्ता खत्म कर लेने को कहा लेकिन कुमार इस रिश्ते को बनाये रखने की जिद की।
अधिकारी के मुताबिक प्रेमिका पूरी तरह संबंध खत्म कर लेना चाहती थी इसलिए उसने उसकी अनदेखी शुरू कर दी , उसने उसका फोन उठाना बंद कर दिया।
पुलिस के अनुसार कुमार उसकी अनदेखी करने को लेकर प्रेमिका पर हमला करने की फिराक में लग गया और जब वह शुक्रवार को जब कंप्यूटर क्लास करने जा रही थी तब कुमार ने उसका पीछा कर पहले बहस की और फिर चाकू घोंप दिया।
पबजी गेम के आदी नाबालिग बेटे ने मां साधना सिंह (40) की गोली मारकर हत्या कर दी। उसके शव केसाथ दो दिन व तीन रात तक घर में रहा। छोटी बहन को धमकी दी कि अगर पुलिस या किसी को बताया तो उसे भी मार देगा। मंगलवार को बदबू फैलने लगी तो कहानी गढ़ी और पिता को सूचना दी। जिसपर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं नाबालिग बेटे से पूछताछ की तो सारी हकीकत सामने आ गई। पुलिस के मुताबिक पति सेना में सुबेदार मेजर (जेसीओ) के पद पर आसनसोल में तैनात हैं। उनको सूचना दी गई है, रास्ते में हैं।
मूलरुप से वाराणसी के रहने वाले नवीन सिंह सेना में सुबेदार मेजर (जेसीओ) के पद पर तैनात है। वर्तमान में उनकी तैनाती पश्चिम बंगाल के आसनसोल में हैं। उनका परिवार लखनऊ के पीजीआई के पंचमखेड़ा स्थित जमुनापुरम कालोनी में रहता है। एडीसीपी पूर्वी कासिम आब्दी के मुताबिक नवीन के परिवार में पत्नी साधना सिंह, 16 साल का बेटा और 9 साल की बेटी है। तीनों पीजीआई में निर्मित मकान में रहते हैं। शनिवार रात को साधना दोनों बच्चों के साथ कमरे में सो रही थी। रात करीब 3 बजे बेटे ने पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से सिर में गोली मार दी। जिससे साधना की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं छोटी बहन को धमकी देकर दूसरे कमरे में लेकर गया। जहां पर दोनों सो गये। सुबह उठने केबाद बहन को दोबारा धमकी दी। कहा कि पुलिस या किसी को बताया तो उसे भी जान से मार देगा।
पकड़े जाने के डर से पिता को दी सूचना
पुलिस के मुताबिक शनिवार रात को मां की हत्या करने के बाद आरोपी दो दिन व तीन रात तक घर में बहन के साथ पड़ा रहा। इस दौरान वह बार-बार उस कमरे में जाता था। जहां पर मां का शव पड़ा था। उस कमरे में रुम फ्रेशनर मारकर बदबू को भगाने की कोशिश करता। मंगलवार रात करीब 9 बजे बदबू तेज हुई तो उसे डर लगने लगा। उसने आसनसोल में तैनात पिता को कॉल कर सूचना दी कि मां को किसी ने मार दिया। हम दोनों को कमरे में बंद कर दिया था। किसी तरह बाहर निकले है। इस पर पिता नवीन सिंह ने पड़ोसी दिनेश तिवारी को कॉल कर घर पर वारदात होने की जानकारी दी। दिनेश जब नवीन के घर पर पहुंचे तो वहां दोनों बच्चे बरामदे में थे। उन्होंने पूछताछ की तो बताया कि किसी ने मां को मार दिया है। जब दिनेश कमरे में गये तो वहां बदबू से खड़ा नहीं हो सके। इस पर उन्होंने तत्काल पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों बच्चों को बाहर ले गई। वहीं कमरे को सील कर दिया। शव की पड़ताल शुरू कर दी।
बेड पर खून से लथपथ शव व पिस्तौल मिली
एडीसीपी पूर्वी के मुताबिक साधना का शव जिस बेड पर पड़ा था। वहीं पर नवीन का लाइसेंसी पिस्तौल भी पड़ा था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं पिस्तौल को फोरेंसिक यूनिट को सुपुर्द कर दिया। फोरेंसिक यूनिट ने मौके से कई साक्ष्य जुटाए। पुलिस के मुताबिक हत्या शनिवार रात में की गई थी। बदबू दूर करने के लिए रुम फ्रेशनर व डिओड्रेंट का इस्तेमाल किया जा रहा था।
शनिवार को मां ने पीटा था, इसी की थी नाराजगी
पुलिस के मुताबिक मौके पर पड़ताल करने के बाद पुलिस ने नवीन के नाबालिग बेटे से पूछताछ की। वहीं बेटी से महिला पुलिसकर्मियों ने पूछताछ किया। इस दौरान पूरा मामला खुलकर सामने आ गया। नाबालिग बेटे ने पुलिस के सामने कुबूल किया कि वह पबजी गेम खेलता था। जिसके लिए उसकी पिटाई भी होती थी। शनिवार को घर में 10 हजार रुपये गायब हो गये थे। जिस पर मां ने नाराजगी जाहिर की। इन रुपये के चोरी करने का आरोप लगाते हुए पिटाई थी। नाबालिग बेटे ने पुलिस को बताया कि घर में कोई भी गलत काम होता था तो उस का सारा आरोप उसी पर लगता था। फिर पिटाई होती थी। इसी नाराजगी में उसने मां की हत्या कर दी है।
पबजी गेम व इंस्ट्राग्राम का आदी है
पुलिस के मुताबिक नवीन का नाबालिग बेटा तेलीबाग स्थित एपीएस स्कूल में 10वीं का छात्र है। वह पबजी गेम का आदी है। इस बात की जानकारी होने पर मां अक्सर उस पर नाराज होती थी। लेकिन नाबालिग बेटे को मां के नाराजगी का कोई फर्क नहीं पड़ता। ज्यादा नाराज होने पर उसकी पिटाई कर दी जाती थी। वहीं वह इंस्ट्राग्राम का भी आदी था। उसने अपना प्रोफाइल बना रखा था। इन बातों की पुष्टि उसके मोबाइल से हो गई है। पुलिस ने मोबाइल को कब्जे में ले लिया है। फिलहाल पुलिस इस मामले में नाबालिग बेटे से पूछताछ कर रही है। वहीं पिता के आने का इंतजार किया जा रहा है। (amarujala.com)
नागपुर, 8 जून। महाराष्ट्र के नागपुर के यशोधरा नगर इलाके में 19 साल के एक किशोर ने कुछ घरेलू मामले में पिता के साथ बहस हो जाने के बाद कथित रूप से आत्महत्या कर ली। पुलिस ने इसकी जानकारी दी ।
पुलिस ने बताया कि यह घटना सोमवार को हुई और उसके परिजन पुलिस को सूचना दिये बगैर ही शव को दफनाने के लिये ले जा रहे थे ।
उन्होंने बताया, ‘‘लेकिन पुलिस को सूचना मिल गयी और शव को पोस्टमार्टम के लिये मायो अस्पताल भेज दिया गया है। हमने इस संबंध में दुर्घटनावश हुयी मौत का मामला दर्ज किया है और हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि उसने आखिर आत्महत्य क्यों की। (भाषा)
रायपुर, 8 जून। बुधवार को सुबह राजनांदगांव सबसे ज्यादा चार शहरों में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर के साथ दिन चढ़ रहा है।। रायपुर समेत बलौदा बाजार में 46 डिग्री दर्ज किया गया। बस्तर और दंतेवाड़ा को सभी जिलों में कुछ ठंडक है। यहां पारा 24-24 डिग्री पर है।
अखिल भारतीय विष विज्ञान संस्थान 42 बस्तियों तक हानिकारक रसायनों के पहुंचने की पुष्टि कर चुका है।
भोपाल गैस त्रासदी को करीब 38 साल बीत चुके हैं और इसके बावजूद अभी तक लोग जहरीले रासायनों की चपेट में आने की आशंका से डर रहे हैं। पुराने जेपी नगर में यूनियन कार्बाइड (अब डाउ केमिकल्स) कारखाने के आस-पास बसी 29 बस्तियों पर अब नया खतरा मंडरा रहा है। संभावना ट्रस्ट क्लीनिक ने यह दावा किया है कि कारखाने में पड़े सैकड़ों टन जहरीला कचरे का रिसाव भू-जल में हो रहा है।
इस दावे के बाद बस्तियों के नागरिक डरे हुए हैं। संभावना ट्रस्ट ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह दावा किया कि उन्होंने अपने प्रयोगशाला में भू-जल नमूनों की जांच के बाद पाया है कि कारखाने के खतरनाक कचरे में पाए जाने वाले हानिकारक रसायन इन बस्तियों के भू-जल तक पहुंच गया है। इस रसायन का नाम आर्गनोक्लोरीन है।
हालांकि इस दावे से अलग मप्र का गैस राहत विभाग कुछ और कह रहा है। वह इस दावे को नहीं मान रहा है। विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि उनके पास कोई आधिकारक और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर की गई जांच रिपोर्ट नहीं है इसलिए नागरिकों को परेशान होने की जरुरत नहीं है।
दावा करने वाली ट्रस्ट की लेबोरेटरी टेक्नीशियन महेंद्र कुमारी सोनी, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता दीपा मंडराई, सामुदायिक शोध सहायक चंद्रशेखर साहू व राधेलाल नापित बताते हैं कि ये सभी 29 बस्तियां नई है। इन्हें नई इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि पूर्व में कारखाना के आसपास बसी 42 बस्तियों के भूजल स्त्रोतों में हानिकारक रसायन मिल चुके हैं। इसकी आधिकारिक पुष्टि अखिल भारतीय विषविज्ञान संस्थान पूर्व में ही कर चुका है। ये 42 बस्तियां, इन्हीं 29 बस्तियों से लगी हुई है।
सरकार ने इन बस्तियों में खतरा को भांपते हुए, यहां के नल, जल स्त्रोतों पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही इन क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक नागरिकों के पास नलजल योजना के तहत कनेक्शन दिए गए हैं। इन्हें भूजल स्त्रोतों से पानी पीने पर मनाही है।
रसायन से यह हो सकता है नुकसान
दावा किया गया है कि यह आर्गनोक्लोरीन विषाक्तता पैदा करता है। कैंसर व जन्मजात विकृति ला सकता है। मस्तिष्क, जिगर और गुर्दे के साथ रोग प्रतिरोधक, अन्तःश्रावी प्रजनन, एवं अन्य तंत्रों को नुकसान पहुंचाते हैं। शोधकर्मी चंद्रशेखर साहू ने बताया कि एक कॉलोनी के नमूने को अलग-अलग जांचा गया है। दोनों में उक्त रसायन के होने की पुष्टि हुई है। शोधकर्मी राधेलाल नापित ने कहा कि यूनियन कार्बाइड के लापरवाही से फेंके गए जहरीले कचरे के कारण आसपास की बस्तियों में यह रसायन फैला है।
ये हैं 29 बस्तियां, जिनमें मिले हानिकारक रसायन
संभावना ट्रस्ट की ओर किए गए दावे के अनुसार गुरुनानक कालोनी, काजी कैंप, रेलवे स्टेशन, पश्चिम मध्य रेलवे, देवकी नगर, हनीफ कालोनी, कांग्रेस नगर, करारिया फार्म, इंडस, दीनदयाल नगर, कृष्णा नगर, इब्राहिमगंज, फिजा कालोनी, मुरली नगर, विश्वकर्मा नगर, श्रद्धा नगर, पन्ना नगर, शहीद कालोनी, रुसल्ली, सबरी नगर, राजेंद्र नगर, हरसिद्धि कैंपस, कैलाश नगर, सूर्या नगर, प्रेम नगर गणेश नगर, शाहजहांनाबाद, हाउसिंग बोर्ड कालोनी करोंद, सिंधी कालोनी के भूजल में आर्गनोक्लोरीन रसायन मिला है। ट्रस्ट द्वारा उक्त दावे के बाद गैस राहत विभाग के संचालक बसंत कुर्रे का कहना है कि विभाग से पूछकर जांच नहीं की गई है। हमारे पास कोई रिपोर्ट भी नहीं है और न ही किसी ने दी है। जब कोई रिपोर्ट मिलेगी तो उस पर नियमानुसार संज्ञान लेंगे। वैसे किसी बस्ती में हानिकारक रसायन मिलने की पुष्टि संबंधी दस्तावेज किसी ने नहीं बताएं हैं।
सरकार आखिरकार क्यों नहीं हटा पा रही जहरीला कचरा
बेशक जहरीले कचरे को हटाने की कवायद तो की गई, लेकिन पूरे मन से प्रयास नहीं किए गए। यदि होते तो अब तक कचरा नष्ट कर दिया गया होता, जो कि नहीं किया है। पूर्व में सरकारें कह चुकी हैं कि इस कारखाने के अंदर 340 टन जहरीला कचरा पड़ा है, जिसका वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत निपटान किया जाना है। हालांकि कचरे की मात्रा को लेकर जानकार सहमत नहीं है, बार—बार कहते रहे हैं कि यह 20 हजार टन से अधिक कचरा है, जो कारखाना परिसर के अंदर जमीन के नीचे दबाया गया है। तीन वर्ष पहले इस कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया इंदौर के पीथमपुर में शुरू की थी। तब 10 टन कचरा भी नष्ट किया था। इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई थी, फिर सरकार ने गुजरात की एक कंपनी को कचरा नष्ट करने के लिए तैयार किया था। इसी बीच कोरोना महामारी आ गई। इस तरह कचरा नष्ट नहीं हो पाया है। आगे भी कोई रास्ता निकलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है, क्योंकि 2022 का लगभग आधा समय निकल चुका है। वर्ष 2023 में मप्र के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं।
38 साल से भुगत रहे
38 वर्ष पहले 1984 में 2 व 3 दिसंबर की दर्मियानी रात इसी जेपी नगर के यूनियन काबाईड कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनाट गैस 'मिक' के रिसाव ने हजारों नागरिकों को मौत की नींद सुला दिया था। साथ लाखों लोग जन्मजात बीमारियों से पीड़ित हो गए थे। इनमें से हजारों लोग आज भी उन बीमारियों से लड़ रहे हैं। (www.downtoearth.org.in)
-अभिजीत श्रीवास्तव
अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को गुजरात का दौरा किया. उन्होंने बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले मेहसाणा में तिरंगा रैली की.
इस दौरान केजरीवाल ने कहा, "बीस दिन की परिवर्तन यात्रा में मैंने हज़ारों लोगों से बात की है. गुजरात बदलाव की मांग कर रहा है. बीजेपी से और बीजेपी की बहन कांग्रेस से गुजरात के लोग तंग आ चुके हैं."
उन्होंने कहा, "हम जहां कहीं भी गए, सभी को पता है दिल्ली में कितने अच्छे-अच्छे काम हुए हैं. गुजरात में लोग बीजेपी से डरते हैं. अब बीजेपी से डरने की ज़रूरत नहीं है. अब गुजरात बदलने वाला है. भारतीय जनता पार्टी की एक ही दवाई है- आम आदमी पार्टी. बीजेपी वाले केवल आम आदमी पार्टी से डरते हैं और किसी से नहीं डरते."
गुजरात: क्या यहां भी कांग्रेस को पंजाब वाला झटका लगने वाला है?
दो दिन पहले ही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वडोदरा में कहा कि आम आदमी पार्टी गुजरात की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
सिसोदिया ने कहा, "हम गुजरात में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. अब, गुजरात के लोगों को फ़ैसला करना है. अभी तक गुजरात के लोगों के पास कोई विकल्प नहीं था, लेकिन अब उनके पास एक विकल्प है."
पिछले कुछ दिनों में केजरीवाल ने गुजरात के कई दौरे किए हैं. केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 2 अप्रैल को गुजरात में रोड शो किया था. सोमवार यानी 6 जून को मेहसाणा में तिरंगा यात्रा से पहले भी केजरीवाल 1 मई और 11 मई को गुजरात गए थे. तब उन्होंने भरूच और राजकोट में रैली भी की थी.
गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2017 के चुनाव में गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पहली बार चुनाव में उतरी थी लेकिन वो कोई सीट नहीं जीत सकी थी. इस बार पार्टी फिर वहां मुक़ाबला करने उतरी है, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी बदली हुई नज़र आती है.
उधर पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 2012 की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया था और बीजेपी की सीटें पहली बार 100 से कम हो गई थीं. हालांकि कांग्रेस को तब बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं मिला था. लेकिन उसके बाद से कांग्रेस की हालत गुजरात में पस्त है.
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा है?
पिछले चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ी थीं. 2012 में कांग्रेस ने जहां 61 सीटें जीती थीं वहीं 2017 में उसने 182 में से 77 सीटें जीती थीं वहीं बीजेपी की सीटें 115 से घट कर 99 रह गई थीं.
भले ही 2017 के चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ी थी लेकिन बीते पांच साल के घटनाक्रमों को देखते हुए जानकार आगामी चुनाव में कांग्रेस को कमज़ोर मान रहे हैं और आम आदमी पार्टी को उभरते हुए विकल्प के तौर पर देख रहे हैं.
बीते पांच सालों में कांग्रेस गुजरात में कमज़ोर हुई या मजबूत?
2017 में चुनाव से पहले कांग्रेस के 15 विधायक उसका साथ छोड़ कर चले गए थे. उसमें शंकर सिंह वाघेला भी शामिल थे. बाद में राज्यसभा के चुनाव में अहमद पटेल को भी बहुत कड़े मुक़ाबले का सामना करना पड़ा था और वे बहुत क़रीबी अंतर से जीते थे.
2017 के बाद सात सीटों पर उपचुनाव हुआ उसमें से चार में बीजेपी को और तीन पर कांग्रेस को जीत मिली. 2020 में आठ सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें सभी सीटें बीजेपी ने जीतीं. और फिलहाल बीजेपी के विधायकों की संख्या 111 हो गई है.
साथ ही एक बार फिर, जैसे-जैसे चुनाव का समय नज़दीक आता जा रहा है कांग्रेस के कई पुराने साथी उसका साथ छोड़ते जा रहे हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2017 से अब तक 13 पूर्व और मौजूदा विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं. जिसमें सबसे ताज़ा नाम हार्दिक पटेल का है.
कांग्रेस बनाम आप
इस दौरान पिछले साल फरवरी में आम आदमी पार्टी को सूरत नगर निगम में अप्रत्याशित सफलता मिली थी. तब वहां आम आदमी पार्टी 27 सीटें जीतीं थीं.
सूरत नगर निगम में 120 सीटें हैं और कांग्रेस तब वहां अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. इसके अलावा जामनगर, राजकोट, वडोदरा, भावनगर और अहमदाबाद मेंभी बीजेपी बड़े अंतर से जीत गई थी. यह देखा गया है कि 2017 के चुनाव के बाद से गुजरात में कांग्रेस का कद लगातार घटता जा रहा है. तो क्या गुजरात में आम आदमी पार्टी इस चुनाव में एक विकल्प बनती दिख रही है?
वरिष्ठ पत्रकार अजय उमठ का कहना है कि, "ये कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि आम आदमी पार्टी इस बार के चुनाव में कोई बड़ी कामयाबी हासिल करेगी, लेकिन बीजेपी के पक्के वोट बैंक में वो सेंध लगा पाएगी इसकी कम ही गुंजाइश है."
वहीं वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता कहते हैं, "पिछला चुनाव देखें तो तब कांग्रेस के पास हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवाणी की तिकड़ी थी. युवा नेताओं की तिकड़ी उभरती दिख रही थी. उससे युवा नेताओं को उत्साह मिला था और ये संभावना दिख रही थी कि कांग्रेस जीत कर सरकार बनाएगी लेकिन आख़िरी फेज़ के चुनाव में सूरत में बीजेपी ने अधिकांश सीटें जीतीं और सरकार बनाई. हालांकि वो पहली बार 100 से कम सीटें जीते थे."
वे कहते हैं, "अब न तो जिग्नेश हैं न ही अल्पेश और न ही हार्दिक. हार्दिक तो हाल ही में छोड़ कर गए हैं. कई और नेता गए हैं. भरत सिंह सोलंकी का भी एक विवादित वीडियो सामने आया था. कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं दिख रही, कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं. पार्टी में कहीं कोई उत्साह नहीं दिख रहा, तो कांग्रेस समर्थकों को कहीं से कोई संभावना नहीं दिख रही है. ऐसे में कई लोगों को ये लग सकता है कि आम आदमी पार्टी ही बीजेपी के सामने बेहतर विकल्प हो सकती है."
शरद गुप्ता कहते हैं, "कांग्रेस का क़िला कमज़ोर है और ये भी नहीं दिख रहा कि वो अपने पैरों पर दोबारा खड़ा होना चाहती है. लीडरशिप में कमी है, ऐसे में आम आदमी पार्टी को यहां एक वैक्यूम यानी खालीपन दिख रहा है."
वे कहते हैं, "यही उन्होंने गोवा में किया और अब उन्हें हिमाचल और गुजरात में भी ऐसा ही दिख रहा है. ख़ास तौर पर सूरत में नगर निगम चुनाव में मिली 27 सीटों पर जीत से आम आदमी पार्टी को उत्साह मिला है."
वहीं अजय उमठ कहते हैं, "बेशक उनके प्रत्याशी सूरत नगर निगम के चुनाव में जीते लेकिन बाद में उनमें से कई पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए थे और रही बात विधानसभा चुनाव में उनके जीत की तो आम आदमी पार्टी संगठनात्मक रूप से गुजरात में मजबूत नहीं है."
"आप के गुजरात की सत्ता में आने के आसार न के बराबर"
अजय उमठ कहते हैं कि भले ही सूरत के निकाय चुनाव में उसने कामयाबी हासिल की है लेकिन इस साल के चुनाव में वो कोई करिश्मा कर पाएगी उसके फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहे.
इसके पीछे वे पार्टी के पास दो सबसे बड़ी कमी को गिनाते हैं.
वे कहते हैं, "आम आदमी पार्टी निश्चित रूप से अपनी पहचान बनाना चाहती है लेकिन उसके पास गुजरात में कोई बड़ा चेहरा नहीं है. पंजाब में आम आदमी पार्टी के पास भगवंत मान थे, दिल्ली में ख़ुद अरविंद केजरीवाल चेहरा हैं लेकिन गुजरात में सबसे बड़ी कमी उसी चेहरे की है."
दूसरी सबसे बड़ी कमी वो आम आदमी पार्टी के पास संगठन के अभाव को बताते हैं. उनका कहना है कि "बीजपी की तरह पार्टी के पास कोई संगठन नहीं है और चूंकि चुनाव इसी साल के अंत में होना है और एक संगठन खड़ा करने के लिए पार्टी के पास समय कम है. लिहाजा यह चुनाव जीत पाना पार्टी के लिए मुश्किल होगा."
अजय उमठ साफ़ तौर पर कहते हैं, "गुजरात में आगामी चुनाव में आम आदमी पार्टी सत्ता में आएगी इसके न के बराबर आसार हैं."
गुजरात में गांव के दलित, आदिवासी और ओबीसी कांग्रेस के वोट बैंक माने जाते हैं. जबकि शहरी इलाकों में इन पर बीजेपी की पकड़ मज़बूत मानी जाती है. फिर आम आदमी पार्टी की नज़र इनमें से किस वर्ग पर है? वो शहरी इलाक़ों पर ज़ोर देना चाहती है या गांव के इलाक़ों पर या वो कांग्रेस और बीजेपी दोनों के ही वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है?
वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता कहते हैं, "पिछले तीन चार महीनों में बीजेपी के शीर्ष नेता, चाहे वो प्रधानमंत्री हों या गृह मंत्री हों या बीजेपी अध्यक्ष हों उनके गुजरात और हिमाचल के दौरे बहुत ज़्यादा बढ़ गए हैं."
वे कहते हैं, "उसका कारण कांग्रेस नहीं है, क्योंकि कांग्रेस कहीं दिखाई नहीं दे रही है तो वो उसके डर से जा नहीं रहे हैं. अगर इतनी मेहनत वो कर रहे हैं तो वो आम आदमी पार्टी से लड़ने के लिए कर रहे हैं. इसके पीछे उन्हें कहीं न कहीं ये डर है कि शहरी क्षेत्र में आम आदमी पार्टी कहीं उनके वोट बैंक में सेंध न लगा सके. तो वो विकल्प के रूप में तो ज़रूर ही उभर रही है."
वे कहते हैं, "कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी के समर्थकों के लिए भी वो एक विकल्प के तौर पर वहां दिखेगी."
यानी कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि गुजरात में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में मुख्य विपक्ष बनने की होड़ लगेगी. (bbc.com)
-चंदन शर्मा
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2021 की सिविल सेवा परीक्षा के नतीजों में इस साल 685 उम्मीदवार सफल हुए हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की श्रुति शर्मा टॉपर बनीं हैं.
राजस्थान के रवि कुमार सिहाग 18वीं रैंक के साथ इस बार हिंदी मीडियम से परीक्षा देने वालों में टॉपर बने हैं. 22वीं रैंक लाने वाले सुनील कुमार धनवंता हिंदी मीडियम के दूसरे टॉपर हैं.
सात साल के बाद हिंदी माध्यम का कोई छात्र यूपीएससी पास करने वाले शीर्ष 25 उम्मीदवारों में जगह बना पाया है. इससे पहले सिविल सेवा की 2014 की परीक्षा में निशांत कुमार जैन 13वें स्थान पर रहे थे.
क्या यूपीएससी पैटर्न में 2013 में हुए बदलाव के बाद, हिंदी माध्यम में परीक्षा देने वालों के लिए बेहतरीन प्रदर्शन है?
हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को इस परीक्षा की तैयारी कराने वाली एक कोचिंग संस्था से जुड़े कमलदेव सिंह बताते हैं, "केवल टॉप 25 में हिंदी मीडियम के दो सफल उम्मीदवारों को देखकर अभी से इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि इस बार के नतीजे हिंदी मीडियम वालों के लिए पिछले 9 सालों में सबसे बेहतर हैं या नहीं."
कमलदेव सिंह कहते हैं कि यूपीएससी इस बात की जानकारी नहीं देती कि सफल उम्मीदवारों ने किसी मीडियम में परीक्षा दी थी, इसलिए इस प्रश्न का सीधा-सटीक उत्तर मिलना भी संभव नहीं है.
एक अन्य कोचिंग संस्था से जुड़े धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, "ऐसा लग रहा है कि इस बार के परिणाम, बदलाव के बाद के सालों में बेहतर है, लेकिन यह अपवाद भी हो सकता है, क्योंकि 2020 और 2021 में तो हिंदी मीडियम का एक भी कैंडिडेट टॉप 100 में नहीं था और उसके पहले के तीन चार सालों के हालात भी ऐसे ही थे."
कैसे पता चलती है हिंदी माध्यम से सफल उम्मीदवारों की संख्या?
यूपीएससी के नए पैटर्न के ख़िलाफ़ आंदोलन करने वालों में शामिल रही शालिनी सोमचंद्र कहती हैं कि "हिंदी मीडियम में यूपीएससी परीक्षा देने वालों की संख्या का अंदाज़ा यूपीएससी की वार्षिक रिपोर्ट और लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) के आंकड़ों से मिलता है."
उनके अनुसार, कोचिंग संस्थानों के सर्वे से भी इन आंकड़ों की सच्चाई का एक अनुमान मिल जाता है.
धर्मेंद्र कुमार बताते हैं, "मेन्स का सिलेबस बदलने के पहले, टॉप 100 में हिंदी के 10-12 कैंडिडेट होते थे. लेकिन नए सिलेबस पर 2013 में परीक्षा होने के बाद 2014 में जब परिणाम आया तो हिंदी मीडियम का जनरल कैटेगरी से एक भी कैंडिडेट आईएएस नहीं बन सका. उस बार हिंदी मीडियम का टॉपर 107 रैंक का था जबकि कुल सिलेक्शन क़रीब 25 ही लोगों का हुआ."
हालांकि 2014 की परीक्षा में हिंदी मीडियम के प्रदर्शन में सुधार दिखा और क़रीब पाँच प्रतिशत कैंडिडेट इसमें सफल हुए. उस साल हिंदी मीडियम के टॉपर की रैंक 13वीं थी.
LBSNAA की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, 2015 और 2016 की परीक्षा में हिंदी मीडियम वालों की सफलता दर लगभग 4-5 प्रतिशत रही, लेकिन 2017 और 2018 की परीक्षा में ये आंकड़ा फिर से 2-3 प्रतिशत के बीच पहुंच गया.
2017 की परीक्षा के जो नतीज़े 2018 में आए उनमें हिंदी मीडियम का टॉप रैंक 337 रहा. इस वजह से सामान्य श्रेणी के तहत हिंदी मीडियम से परीक्षा देनेवाला एक भी कैंडिडेट आईएएस, आईपीएस या आईआरएस नहीं बन सका.
LBSNAA की वेबसाइट पर 2019 और 2020 के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. यूपीएससी की वार्षिक रिपोर्ट में मेन्स लिखने वालों के आंकड़ों को देखकर पता चलता है कि 2015 के बाद से हिंदी मीडियम से मेन्स लिखने वालों का जो आंकड़ा गिर रहा है, वह 2019 और 2020 में भी गिरता ही गया है.
साल 2015 में हिंदी मीडियम से मेन्स लिखने वालों की संख्या 2,439 थी जो 2019 में घटकर 571 और 2020 में 486 रह गई.
इस साल हिंदी मीडियम से परीक्षा पास करने वालों का सटीक आंकड़ा फ़िलहाल मिलना संभव नहीं.
जानकार उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार 50 से 60 लोग हिंदी मीडियम से सिलेक्ट हुए होंगे लेकिन ये भी पैटर्न में बदलाव से पहले की तुलना में कम है.
कब-कब हुए विवादास्पद बदलाव?
2010 में खन्ना समिति की सिफ़ारिश के बाद 2011 से पीटी का पुराना पैटर्न बदलकर दूसरे पेपर के रूप में CSAT को लाया गया. लेकिन इसे लेकर पूरे देश में काफ़ी विरोध और विवाद हुआ, जो छिटपुट रूप में अभी भी जारी है.
2014 में तो इसके ख़िलाफ़ जमकर विरोध प्रदर्शन होने के बाद यूपीएससी ने बासवान समिति बनाई, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद 2015 से इसे क्वालिफाईंग बना दिया गया. पीटी के इस पेपर में अब किसी कैंडिडेट को कुल 200 अंकों में से केवल 66 अंक ही लाने होते हैं.
इसके बावजूद अब भी कई लोग इसे पूरी तरह हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. यूपीएससी ने पीटी का पैटर्न बदलने के दो साल बाद यानी 2013 में मेन्स के पैटर्न और सिलेबस को भी बदल दिया.
उसी साल से तुरंत प्रभाव से लागू किए गए इस बदलाव की ख़ासियत यह रही कि इसमें चुने जा सकने वाले वैकल्पिक विषय को दो (चार पेपर) से घटाकर एक (दो पेपर) कर दिया गया. इसके साथ ही, सामान्य अध्ययन के पेपरों को दो से बढ़ाकर चार कर दिया गया. निबंध और दो अनिवार्य भाषाओं के कुल तीन पेपर पहले की ही तरह बने रहे.
ख़राब प्रदर्शन की वजह
इस बारे में हिंदी मीडियम की यूपीएससी की कोचिंग चलाने वालों की राय एक जैसी नहीं है. किसी के अनुसार यह यूपीएससी की नीति और परीक्षा पैटर्न के चलते हुआ है, तो कोई इसे छात्रों की विफलता क़रार देते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो इसके लिए सरकार की नाकामी और देश के सिस्टम की विफलता को ज़िम्मेदार मानते हैं.
रेलवे बोर्ड के पूर्व एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर प्रेमपाल शर्मा हिंदी मीडियम के ख़राब प्रदर्शन की वज़ह अंग्रेज़ी के बढ़ते दबदबे को मानते हैं.
उनका कहना है, "देश की सत्ता में बैठे एलीट लोग शिक्षा और भाषा को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. उनकी यह चुप्पी बताती है कि अंग्रेज़ी के दबदबे को बढ़ाने में उनकी सहमति है. यह उनके हित में भी है."
हालांकि सिविल सर्विसज़ के छात्रों को राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले मृत्युजंय कुमार इससे सहमत नहीं हैं.
वो कहते हैं, "आज के दौर में जब किसी अधिकारी से अपेक्षा की जाती है कि वे दुनिया को जानें और उनसे इन्टरैक्ट करें तो इसके लिए अंग्रेज़ी जानना तो ज़रूरी ही है. छात्रों को इन बातों में ज़्यादा वक़्त गंवाने के बजाय अंग्रेज़ी पर काम करने पर लगाना चाहिए."
वो कहते हैं, "2011 में CSAT आने से पहले क़रीब चार से पांच हज़ार छात्र हिंदी मीडियम से मेन्स की परीक्षा देते थे, लेकिन 2015 में CSAT की परीक्षा से अंग्रेज़ी के हटने के बाद भी यह आंकड़ा घटकर केवल पांच से छह सौ रह गया है. इसकी वजह अंग्रेज़ी नहीं हिंदी का ख़राब और मशीनी अनुवाद है."
वो कहते हैं, "एक या दो साल पहले सिविल डिसोबिडिएंस मूवमेंट का अनुवाद असहयोग आंदोलन किया गया था. इंप्लीकेशन का अनुवाद उलझन, लैंड रिफ़ॉर्म का अनुवाद आर्थिक सुधार किया गया था. दिक्कत यह है कि निर्देश में लिखा होता है कि किसी ग़लती की सूरत में अंग्रेज़ी टेक्स्ट ही मान्य होगा. लेकिन यूपीएससी ऐसा कहकर अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती."
'असल समस्या अभी भी CSAT ही है'
शालिनी सोमचंद्र का कहना है कि जब से CSAT और मेन्स का नया पैटर्न आया है तब से मानविकी और कला के साथ-साथ ग्रामीण बैकग्राउंड के विद्यार्थियों के लिए इस परीक्षा में आगे बढ़ना मुश्किल हो गया है.
वे कहती हैं कि CSAT को यह कहकर लाया गया था कि इससे सभी बैकग्राउंड के छात्रों के लिए एक समान स्तर तैयार हो सकेगा, पर हुआ इसका ठीक उल्टा.
वे कहती हैं, "2011 के पहले की तुलना में अब केवल 10 फ़ीसदी हिंदी मीडियम के विद्यार्थी ही पीटी क्वालिफ़ाई कर पा रहे हैं."
यही बात कमलदेव सिंह भी कहते हैं. वे कहते हैं, "मेन्स के सिलेबस मटीरियल की कमी 2015 या 2016 तक समस्या की वजह बनी, लेकिन पीटी की समस्या अब भी बनी हुई है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं."
उनके अनुसार, पैराग्राफ़ के जटिल अनुवाद, गणित और रीज़निंग के चलते जो इन चीज़ों में सहज नहीं हैं, उनके लिए CSAT का पेपर क्वालिफ़ाइंग होते हुए भी आसान नहीं रह गया.
उनका कहना है कि यदि पीटी पास करने वालों की संख्या बढ़ेगी तो हिंदी मीडियम का प्रदर्शन भी सुधर जाएगा.
और क्या हैं दिक्क़तें?
हिंदी में परीक्षा देने वालों के ख़राब प्रदर्शन देश की शिक्षा व्यवस्था, अंग्रेज़ी को लेकर सरकारों की नीति, और देवनागरी लिपि को लिखने में अंग्रेज़ी की तुलना में ज़्यादा वक़्त लगने आदि को भी माना जा सकता है.
प्रेमपाल शर्मा कहते हैं कि भाषा का न केवल संस्कृति के साथ संबंध गहरा संबंध होता है, बल्कि यह किसी की आर्थिक हैसियत से भी गहराई से जुड़ी होती है. वह कहते हैं इसी से तकनीक की उपलब्धता भी निर्धारित होती है.
वे कहते हैं, "इसके लिए सरकार को सहानुभूति वाला रवैया अपनाकर अनुकूल रुख़ अपनाना होगा, क्योंकि हर जाति और धर्म की तरह हर भाषा में प्रतिभा समान रूप से पाई जाती है. हमें उन पर भरोसा करके सही नीति के ज़रिए उनका विकास करना होगा, नहीं तो अंगेज़ी की ज़रूरत बताते-बताते एक दिन हमारी भाषा इतनी दरिद्र हो जाएगी कि वैश्वीकरण के चक्कर में हम बिखर जाएंगे."
कैसे होती है सिविल सेवा परीक्षा?
भारत की शासन व्यवस्था चलाने के लिए ब्यूरोक्रेसी की क़रीब 50 सेवाएं हैं. इनमें से लगभग आधे यानी 24 के लिए चयन सिविल सेवा परीक्षा के ज़रिए ही होता है.
इस परीक्षा के ज़रिए तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से दो यानी आईएएस और आईपीएस का चयन किया जाता है. वहीं भारतीय राजस्व सेवा (इनकम टैक्स), भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम एंड एक्साइज़ ड्यूटी), भारतीय रेल की चार सेवाओं सहित कुल 22 केंद्रीय सेवाओं के लिए अफ़सरों का चयन इसी परीक्षा से होता है.
इस परीक्षा के कुल तीन चरण होते हैं. पहले चरण की परीक्षा को प्रारंभिक परीक्षा (PT) कहा जाता है, जो अगले चरण तक पहुंचने का पासपोर्ट मात्र है. इसका मतलब यह हुआ कि बिना इसे पास किए उम्मीदवार अगले चरण की परीक्षा नहीं दे सकते, पर इसके अंक आगे की परीक्षाओं में हासिल अंकों के साथ नहीं जुड़ते.
पीटी में ऑब्जेक्टिव पेपर के ज़रिए उम्मीदवारों की तथ्यों की जानकारी को जांचा जाता है. इसके लिए सामान्य अध्ययन (GS) और (CSAT) के कुल दो पेपर की परीक्षा देनी होती है.
पीटी में CSAT (सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट) के पेपर को क्वालिफ़ाई करना ज़रूरी होता है, लेकिन सफलता केवल जीएस के पेपर पर निर्भर करती है.
दूसरे चरण की परीक्षा को मुख्य परीक्षा या मेन्स एक्ज़ामिनेशन कहा जाता है, जो सब्जेक्टिव होता है यानी यह परीक्षा लिखित होती है. इसमें कुल नौ पेपर की परीक्षा देनी होती है, जिसमें से मातृभाषा और अंग्रेज़ी के पेपर में केवल पास करना होता है. सफलता के लिए बाक़ी सात पेपर के अंक ही मायने रखते हैं.
इन सात पेपर में से चार सामान्य अध्ययन के होते हैं. एक पेपर निबंध का होता है और दो पेपर किसी चुने हुए वैकल्पिक विषय के होते हैं. ये सभी सातों पेपर 250-250 अंकों के होते हैं. इस तरह मेन्स परीक्षा में कुल 1,750 अंकों की होती है.
तीसरे और अंतिम चरण की परीक्षा में कैंडिडेट का साक्षात्कार या इंटरव्यू होता है, जो दिल्ली के यूपीएससी मुख्यालय में लिया जाता है. इंटरव्यू कुल 275 अंकों का होता है और इसके भी अंक अंतिम चयन में जोड़े जाते हैं.
इस तरह, इस परीक्षा के ज़रिए ब्यूरोक्रेसी का हिस्सा बनने के लिए किसी को 2,025 अंकों में से अधिक से अधिक अंक लाने की कोशिश करनी होती है. इस बार की टॉपर श्रुति शर्मा को मेन्स में 932 अंक तो इंटरव्यू में 173 अंक मिले यानी कुल 1,105 अंक (54.57 प्रतिशत) लाकर उन्होंने नंबर एक रैंक हासिल की. (bbc.com)
-रिचर्ड महापात्रा
विश्व बैंक का अनुमान है कि 2022 में वैश्विक विकास दर घटकर 2.9 फीसदी रह जाएगी, जो 2021 में 5.7 प्रतिशत थी, जबकि विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति आय महामारी-पूर्व स्तर से लगभग 5 फीसदी कम थी।
विश्व बैंक ने 7 जून को जारी अपने "ग्लोबल इकोनॉमिक्स प्रॉस्पेक्ट्स" में बिना किसी अनिश्चित शब्दों के "स्टैगफलेशन" यानी मुद्रास्फीतिजनित मंदी की चेतावनी दी है। अर्थव्यवस्था में यह अवधारणा उच्च महंगाई, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था में ठहराव के तौर पर परिभाषित की जाती है।
दुनिया अभी भी कोरोना महामारी के कारण 1970 के दशक के बाद आई सबसे ज्यादा खराब मंदी से उबर नहीं पाई है। वहीं, अर्थव्यवस्था में मौजूदा मंदी 80 साल में सबसे तेज है।
रूस-यूक्रेन युद्ध ने उच्च खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति और व्यवधान आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ अर्थव्यवस्थाओं को और बाधित कर दिया है । 1970 के दशक के बाद पहली बार दुनिया मुद्रास्फीतिजनित मंदी (स्टैगफ्लेशन) का सामना कर रही है।
कई देश एक और मंदी को टाल सकते थे, लेकिन मुद्रास्फीति जनित मंदी आने वाले वर्षों तक जारी रहेगी। विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा “यूक्रेन में युद्ध, चीन में तालाबंदी, आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान और मुद्रास्फीतिजनित मंदी का खतरा विकास को प्रभावित कर रहा है। कई देशों के लिए, मंदी से बचना मुश्किल होगा।” रिपोर्ट में कहा गया है कि यह "मध्यम और निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए संभावित रूप से हानिकारक परिणामों के साथ" आता है।
वैश्विक आर्थिक विकास 2022 में तेजी से गिरकर 2.9 प्रतिशत हो जाएगा जो 2021 के 5.1 फीसदी था। जनवरी, 2022 में विश्व बैंक ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से पहले 2022 में आर्थिक विकास दर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। आर्थिक विकास में ठहराव (स्टैगफ्लेशन) 2024 तक जारी रहेगा।
पूर्वानुमान कहता है "महामारी और युद्ध से नुकसान के परिणामस्वरूप, इस वर्ष विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्रति व्यक्ति आय का स्तर इसकी पूर्व-महामारी प्रवृत्ति से लगभग 5 प्रतिशत कम होगा।" इस रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में 40 प्रतिशत प्रति व्यक्ति आय में इस तरह की गिरावट की सूचना देंगे।
1970 के दशक की गतिरोध ने अभी भी दुनिया को परेशान किया है। उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए, देशों ने ब्याज दरों में भारी वृद्धि की। इससे बदले में अर्थव्यवस्था में ठहराव आया और देशों पर कर्ज का बोझ भी बढ़ा। इनसे विकासशील देशों में आर्थिक पतन की एक श्रृंखला शुरू हुई, और इसके बाद के दशक को विकास के मामले में "खोया हुआ दशक" के रूप में जाना जाता है। यह अंततः 1982 में वैश्विक मंदी का कारण बना।
नवीनतम "ग्लोबल इकोनॉमिक्स प्रॉस्पेक्ट्स" ने मौजूदा स्थिति की तुलना 1970 के दशक से की है, जो मुद्रास्फीतिजनित मंदी की ओर ले जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है, "मुद्रास्फीति का खतरा आज काफी है।"
पहला संकेत वर्तमान में कम आर्थिक विकास का है: 2021 और 2024 के बीच, वैश्विक विकास में 2.7 प्रतिशत अंक की कमी का अनुमान है। यह "1976 और 1979 के बीच की मंदी के दोगुने" से अधिक है। इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि 2030 को समाप्त होने वाला वर्तमान दशक सबसे धीमी विकास दर अवधियों में से एक होगा।
दूसरा संकेत उच्च मुद्रास्फीति का है। रिपोर्ट में कहा गया है, "महंगाई अब कई देशों में कई दशक के उच्च स्तर पर चल रही है और आपूर्ति धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है, एक जोखिम है कि मुद्रास्फीति वर्तमान में अनुमानित से अधिक समय तक रहेगी।" बैंक का अनुमान है कि केवल 2024 के अंत तक मुद्रास्फीति की दर 2019 के स्तर (2.3 प्रतिशत) तक कम हो जाएगी, लेकिन इसमें एक चेतावनी भी नत्थी है कि : अनिश्चितताओं में इसके और बढ़ने की भी अधिक संभावना है।
हालांकि, कुछ अन्य आर्थिक संकेतक हैं जो विश्व बैंक का कहना है कि आशा की पेशकश करते हैं। जैसे, डॉलर 1970 के दशक की तुलना में अधिक मजबूत है; तेल की कीमतें अभी भी उतनी नहीं हैं जितनी 1970 के दशक में थीं; और दुनिया उस अवधि की तुलना में अधिक मुक्त अर्थव्यवस्था है। (downtoearth.org.in)
लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 2009 के आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन मामले में पलामू कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद 6000 रुपये का फाइन लेकर उन्हें छोड़ दिया। इससे पहले आरजेडी सुप्रीमो खुद कोर्ट में हाजिर होने के लिए पहुंचे।
पलामू: चुनाव प्रचार में अनियमितता के एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर जुर्माना लगाया गया है। याचिका पर सुनवाई के बाद पलामू कोर्ट ने उन पर 6000 रुपये का जुर्माना लगाया है। लालू प्रसाद यादव के वकील धीरेंद्र सिंह ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि कोर्ट ने सभी बातों को सुना और सभी याचिका को देखते हुए 6,000 का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने लालू यादव को मामले में जुर्माना लगाकर बरी कर दिया है। अब उन्हें दोबारा कोर्ट में पेश होने की जरुरत नहीं है।
लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 2009 के आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन मामले में पलामू कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट में पेशी के बाद लालू यादव के वकील धीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अदालत ने सभी बातों को सुना और याचिका को देखते हुए 6000 रुपये का फाइन लेकर उन्हें छोड़ दिया। इससे पहले आरजेडी सुप्रीमो खुद कोर्ट में हाजिर होने के लिए पहुंचे।
साल 2009 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव आरजेडी के प्रत्याशी गिरिनाथ सिंह के प्रचार में हेलिकॉप्टर से गढ़वा पहुंचे थे। उनकी स्कूल के मैदान में सभा होनी थी। हेलिकॉप्टर को लैंड कराने के लिए अलग से हेलिपैड बनाया गया था। लेकिन पायलट ने हेलिकॉप्टर को हेलिपैड के बजाय सभा स्थल पर लैंड करा दिया। इससे सभा स्थल पर अफरातफरी मच गई थी। लालू यादव सोमवार को ही पलामू पहुंचे थे। वह पलामू के सर्किट हाउस में रुके हुए थे। बताया जा रहा है कि बुधवार को लालू यादव पटना लौट जाएंगे। (navbharattimes.indiatimes.com)
रायपुर। गोलबाजार स्थित होटल सिटी पैलेस के मालिक सुभाष सोनी आधी रात को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले मंगलवार शाम को ही उसके खिलाफ होटल में नाबालिग को नग्न कर बंद कमरे में मारपीट करने के आरोप में जेजे एक्ट और SCST एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था।एक नाबालिग पिटाई से बचने के लिए होटल के दूसरे माले से कूदने से हुआ था घायल।
गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के 4 ग्रामीण गिरफ्तार
बैकुंठपुर, 8 जून। गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में बाघ की मौत जहर देने से हुई थी। डॉग स्क्वॉड की मदद से वन विभाग ने इसमें शामिल चार ग्रामीणों को गिरफ्तार किया है। बाघ ने ग्रामीणों की भैंस का शिकार किया था, जिसका बदला लेने के लिए उन्होंने मृत भैंस में जहर मिलाया था। इसे खाने से बाघ की मौत हो गई।
ज्ञात हो कि बीते रविवार को एक खाई में बाघ को मृत स्थिति में पाया गया था। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद यह अंदाजा लगाया गया था कि उसकी मौत जहर खाने से हुई है। मंगलवार को वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ की। मालूम हुआ कि बाघ ने एक भैंस का शिकार किया था। स्निफर डॉग ने जैसे ही भैंस को सूंघा, वह दौड़ते हुए पास के संलगवांखुर्द गांव में एक ग्रामीण के घर में घुस गया। पूछताछ से पता चला कि गांव के प्रेमसाय, बुद्धेश्वर, रामबदन और सुमेर राय ने शिकार का बदला लेने के लिए 5 जून की शाम को अपने मृत भैंस के शरीर पर जहर मिला दिया था। 5 जून की रात टाइगर भैंस को खाने पहुंचा था, तब जहर की वजह से उसकी मौत हो गई। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बाघ की मौत खाई में गिरने की वजह से हुई है।
रायपुर, 8 जून। गरियाबंद जिले के उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में एक तेंदुए का लगभग पांच दिन पुराना शव मिला है। उसके शरीर के कई अंग गायब है जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसका शिकार किया गया है।
सोमवार की शाम ओडिशा सीमा के पास दक्षिण उदंती रेंज में तेंदुआ का शव सड़ी-गली अवस्था में मिला। वन विभाग के कर्मचारियों ने शव की स्थिति को देखकर अनुमान लगाया कि यह कम से कम चार-पांच दिन पुराना है। तेंदुए की उम्र लगभग 5 साल है और उसके पंजे और दांत गायब हैं। अवैध शिकार की आशंका पर वन कर्मचारियों ने इंद्रागांव में कुछ ग्रामीणों के घर छापा मारा। उनके पास से हिरण, भालू, और मोर के शरीर के अंग, बिजली के तार, धनुष-बाण और अन्य हथियार मिले। उनके पास तेंदुए के शरीर का कोई अंग नहीं मिला। शिकारी की तलाश की जा रही है।
बीते मार्च महीने में भी उदंती सीता नगर टाइगर रिजर्व के पास एक तेंदुआ मृत पाया गया था।
बीते रविवार को गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व कोरिया में एक बाघ को जहर देकर मार डाला गया था।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 जून। छत्तीसगढ़ से एक और आईएएस अफसर कैडर छोड़ने जा रही हैं। यह अफसर दो वर्ष पहले ही छत्तीसगढ़ आईं थीं। 2020 बैच की श्वेता सुमन ने तमिलनाडु कैडर चुना है। विविहोपरांत कामन कैडर के तहत चुना है। उनके पति तमिलनाडु कैडर में आईएएस हैं। श्वेता, आईएएस अकादमी मसूरी में सेकंड फेज ट्रेनिंग के लिए रिलीव हो गई है। उसके बाद वह सीधे चेन्नई में ज्वाइन करेंगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 जून। राज्य में आज रात 09.00 बजे तक 10 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 3 बस्तर जिले से हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इन आंकड़ों के मुताबिक आज रात तक किसी भी जिले में 5 से अधिक कोरोना पॉजिटिव नहीं मिले हैं। आज कुल 23 जिलों मेें एक भी पॉजिटिव नहीं मिले हैं।
आज कोई मौत नहीं हुई है।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 2, राजनांदगांव 0, बालोद 0, बेमेतरा 0, कबीरधाम 0, रायपुर 2, धमतरी 0, बलौदाबाजार 0, महासमुंद 0, गरियाबंद 0, बिलासपुर 2, रायगढ़ 2, कोरबा 4, जांजगीर-चांपा 0, मुंगेली 0, जीपीएम 0, सरगुजा 0, कोरिया 0, सूरजपुर 0, बलरामपुर 0, जशपुर 1, बस्तर 3, कोंडागांव 0, दंतेवाड़ा 0, सुकमा 0, कांकेर 0, नारायणपुर 0, बीजापुर 0, अन्य राज्य 0 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।