विधानसभा
स्पीकर के यह कहते ही कि जांच आप कराएंगे या मैं, मंत्री अकबर ने जांच की घोषणा की
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। कोरोनाकाल में जांजगीर-चांपा समेत अन्य जिलों में डीएमएफ फंड से वेंटिलेटर और सीटी स्कैन मशीनें खरीदे जाने का मामला बुधवार को विधानसभा में उठा। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पीकर चरणदास महंत ने मंत्री से पूछा आप जांच कराएंगे या मैं। इसके बाद प्रश्न का उत्तर दे रहे मंत्री मोहम्मद अकबर ने जांच की घोषणा की। अकबर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की अनुपस्थिति में जवाब दे रहे थे।
प्रश्नकाल में यह मामला उठाते हुए भाजपा के सौरभ सिंह ने जांजगीर-चांपा से डीएमएफ से 5 करोड़ 57 लाख रूपए की राशि से वेंटिलेटर खरीदे गए वह भी केवल दो सप्लायरों से लिए गए, जो भंडार क्रय नियम का सीधा-सीधा उल्लंघन है। उन्होंने दोनों फर्मों के नाम खरीदी की प्रक्रिया, और प्राप्त वेंटिलेटर की संख्या पूछा। मंत्री अकबर ने बताया कि श्रेयस कॉर्पोरेशन रायगढ़, और मल्टी इंटरनेशनल रायपुर से कोटेशन के आधार पर खरीदी की गई है। इनसे कुल 28 वेंटिलेटर 5.45 करोड़ में खरीदे गए। सौरभ सिंह ने कहा पिछले सत्र में 7 खरीदे जाने की जानकारी दी गई थ।
उन्होंने कहा यह आपदा को अवसर में बदलकर पैसे के दुरूपयोग का सबसे बड़ा उदाहरण है। सिंगल कोटेशन में खरीदी की गई है। एक ही कंपनी से तीन अलग-अलग रेट पर खरीदा गया। क्या इसकी जांच कराएंगे। मंत्री अकबर ने कहा कि तीन कंपनी के 2 सप्लायर से खरीदा गया है। इनके ब्रांड अलग है, और इनकी कंपनियां भी अलग है। स्पीकर महंत ने कहा 28 खरीदे गए हैं बताया जा रहा है। इनमें से पांच हंै बाकी वेंटिलेटर कहां हैं। आप जांच कराएंगे या मैं करा दूं। मंत्री अकबर ने कहा कि कोरोनाकाल में भंडार क्रय नियम को शिथिल कर कोटेशन के आधार पर खरीदी की गई है। फिर भी विधायक को संदेह है तो जांच करा लेंगे।
32 स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल खुलेंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मार्च। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, स्कूल शिक्षा और सहकारिता विभाग के मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2022-23 हेतु 38 हजार 231 करोड़ 65 लाख 55 हजार रूपए की अनुदान मांगे सर्व सम्मति से पारित की गई। इनमें आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के लिए 32341 करोड़ 55 लाख 74 हजार रूपए, स्कूल शिक्षा विभाग के लिए 5632 करोड़ 50 लाख 90 हजार रूपए और सहकारिता विभाग के लिए 257 करोड़ 58 लाख 91 हजार रूपए की राशि शामिल हैं। अनुदान मांगों की चर्चा में सदस्यगण श्री नारायण चंदेल, श्री शैलेष पाण्डेय, डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, श्रीमती संगीता सिन्हा, श्री अजय चन्द्राकर, श्री केशव चन्द्रा और श्री पुन्नूलाल मोहले ने भाग लिया।
मंत्री डॉ. टेकाम ने अनुदान मांगों पर चर्चा में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सदस्यों द्वारा जो बहुमूल्य सुझाव दिए गए हैं उन्हें विभागों की योजनाओं के क्रियान्वयन में शामिल किया जाएगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मार्च। वर्ष 2022-22 में मंत्री रविंद्र चौबे को अपने विभागों में खर्च करने 8834 करोड़ रुपए का बजट पारित कर दिया गया। ये अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित की गईं।
इनमें राज्य विधान सभा के लिए 69 करोड़ 43 लाख 60 हजार रूपए, कृषि के लिए 5306 करोड़ 59 लाख 32 हजार रूपए, पशुपालन विभाग से संबंधित व्यय के लिए 468 करोड़ 88 लाख सात हजार रूपए, मछलीपालन के लिए 83 करोड़ 82 लाख 56 हजार रूपए, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा से संबंधित व्यय के लिए 272 करोड़ 12 हजार रूपए, जल संसाधन विभाग के लिए 1182 करोड़ 59 लाख 73 हजार रूपए, लघु सिंचाई निर्माण कार्य के लिए 759 करोड़ 65 लाख 33 हजार रूपए, जल संसाधन विभाग से संबंधित नाबार्ड से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 689 करोड़ 71 लाख रूपए तथा जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए दो करोड़ रूपए की अनुदान मांगे शामिल हैं।
अनुदान मांगों पर चर्चा में विधायक बृजमोहन अग्रवाल, मोहन मरकाम, अजय चन्द्राकर, शैलेष पाण्डेय, सौरभ सिंह, दलेश्वर साहू, धरमजीत सिंह, प्रकाश शक्राजीत नायक, पुन्नुलाल मोहिले, केशव चन्द्रा, धरमलाल कौशिक, लक्ष्मी ध्रुव और इंदु बंजारे ने भाग लिया।
वनमंत्री ने सदन में दी जानकारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मार्च। मंगलवार को विधानसभा में लेंटाना का मामला फिर उठा। स्पीकर चरणदास महंत ने वन मंत्री अकबर से कहा कि मैंने पिछले हफ्ते ही कहा था कि लेंटाना के बारे में कोई वन अफसर आकर जानकारी दे, लेकिन अब तक कोई नहीं पहुंचा है।
प्रश्नकाल में कांग्रेस के संतराम नेताम ने यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में चारामा, सरोना, और नरहरपुर वनमंडल में लेंटाना उन्मूलन पर 2.21 करोड़ खर्च करना बताया गया है। मेरा प्रश्न है किस महीने में लेंटाना कराना उचित होता है। इन प्रश्नों के जवाब में वन मंत्री ने बताया कि लेंटाना खरपतवार को कहा जाता है। जो 2 सौ तरह के छोटे-छोटे पौधे होते हैं। यह अंग्रेजों के द्वारा घेरे बंदी के लिए लाया गया था। जो अब पूरे प्रदेश में फैल गया है। लेंटाना उन्मूलन के लिए अगस्त से अक्टूबर के महीने उचित होते हैं। इस पर नेताम ने कहा कि करोड़ों खर्च किए जाते हैं क्या लेंटाना की सुरक्षा के लिए कोई उपाए किए गए हैं। वन मंत्री ने कहा कि लेंटाना की सुरक्षा या देखभाल की जरूरत नहीं क्योंकि हम इसका उन्मूलन करते हैं।
भाजपा विधायकों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मार्च। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने वन विभाग द्वारा बुलाए गए टेंडर में अनियमितता और इसके दोषी अफसरों पर अब तक कार्रवाई न होने को लेकर वनमंत्री मोहम्मद अकबर को घेरा। मंत्री को घोषणा करनी पड़ी कि नोटिस का जवाब मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रश्नकाल में कौशिक ने कहा कि वन विभाग ने वर्ष 2019-20 में निर्माण कार्य से संबंधित 37 टेंडर बुलाए थे। इनमें से 33 निविदाओं में अनियमितता पाई गई। इसके लिए 6 आईएफएस, और 3 राज्य वन सेवा के अफसर को दोषी पाया गया था, लेकिन इन पर अब तक कार्रवाई नहीं की गई। मैंने तीसरी बार यह प्रश्न लगाया है। कार्रवाई कब तक होगी। वन मंत्री ने स्वीकार किया कि टेंडर में अनियमितता पाई गई है। इसके दोषियों को शोकाज नोटिस दी गई है। उनका उत्तर आना बाकी है। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा। कौशिक ने अध्यक्ष बताया कि अफसरों ने टेंडर के नियम अनुसार 30 दिन के बदले 21 दिन कर दिया था। इस पर वन मंत्री ने कहा यह कार्रवाई भी किसी शिकायत पर नहीं हुई है। बल्कि एपीसीसीएफ ने अपनी जांच में पकड़ा था, और नोटिस दी गई है। दोषी अफसरों को 15 दिन पहले दोबारा नोटिस दी गई है। नेता प्रतिपक्ष ने पूछा कि क्या जवाब एक का भी नहीं आया है। उन्होंने कहा कि जब भंडार क्रय नियम का पालन ही नहीं हो रहा, तो इसे समाप्त कर दें। कौशिक ने यह भी कहा कि यह गड़बड़ी बीजापुर, जगदलपुर, धमतरी, बलरामपुर समेत पूरे प्रदेश में की गई है। यदि नियम है, तो उनका पालन होना चाहिए। इसलिए पूछ रहा हूं कब तक कार्रवाई करेंगे। मंत्री अकबर ने कहा कि अफसरों के जवाब मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नियमों का पालन भी कराएंगे। भाजपा के अजय चंद्राकर ने सवाल उठाया कि 37 में से 33 निविदा गलत हुए हैं। क्या किसी चहेते को काम देने के लिए ऐसा किया गया। वहीं शिवरतन शर्मा ने कहा कि विधानसभा में प्रश्न लगने के लिए नोटिस जारी की गई है। दोनों नोटिस की डेट बताई जाए। मंत्री अकबर ने उपलब्ध कराने की बात कहीं।
जंगलों में बनाए जा रहे तालाब को लेकर ननकी ने वनमंत्री को घेरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मार्च। भाजपा के ननकीराम कंवर ने वॉटर रिचार्जिंग के नाम पर जंगलों में बनाए जा रहे तालाबों की गहराई को लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर को घेरा। अपने तारांकित प्रश्न में कंवर ने मंत्री से पूछा कि जंगल के भीतर तालाब किस मकसद से बनाए जा रहे हैं। बोलते हैं कि इन्हें हाथियों के तैरने के लिए बनाया जा रहा है। लेकिन भैंसा भी नहीं धो सकते। गहरे बनाए जाने की जरूरत है। अपने जवाब में वन मंत्री ने कहा इन तालाबों का निर्माण वॉटर रिचार्जिंग के लिए किया जा रहा है। ताकि वन्य प्राणियों को पानी मिलता रहे। कंवर ने कहा कि वे उरगा जंगल गए थे। जहां तालाब तो है, लेकिन पानी नहीं। इसके निर्माण में लगे मजदूरों को पेमेंट नहीं हुआ है। पेमेंट में बहुत घपला हो रहा है। इसकी जांच की जरूरत है। मंत्री अकबर ने जांच कराने की घोषणा की।
जांजगीर-चांपा में डीएमएफ फंड के खर्च में अनियमितता का मामला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 मार्च। जांजगीर-चांपा समेत प्रदेश के कई जिलों में डीएमएफ राशि के खर्च को लेकर बसपा, और भाजपा के विधायकों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर कई सवाल दागे। इस पर सीएम ने कहा-सारी बातें वेग में की जा रही है। शिकायत नहीं मिली है, शिकायत मिलते ही जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
मंगलवार को प्रश्नकाल में बसपा के केशव चंद्रा ने यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जिले में 112.73 करोड़ की राशि डीएमएफ में जमा हुई थी, और इससे कराए गए कार्यों की सूची में लंबी है। क्या यह राशि शासी परिषद की अनुमोदन से खर्च की गई है। चंद्रा ने कहा इस राशि से प्रशिक्षण के नाम पर 16 करोड़ की बड़ी राशि खर्च की गई है। केवल खर्च दिख रहा है, काम नहीं। उन्होंने यह भी पूछा क्या 2019 के बाद डीएमएफ राशि का ऑडिट कराया गया है। सीएम बघेल ने कहा कि अभी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिली तो जांच कराएंगे, कार्रवाई भी होगी। केशव चंद्रा ने आरोप लगाया कि किसी का अनुमोदन नहीं लिया गया, कौन ठेकेदार है क्या काम किया है यह भी पता नहीं। करोड़ों की राशि का बंदरबांट हुआ है। इसलिए सदन में कह रहा हूं। इसे ही शिकायत मानकर कार्रवाई करें। मैंने कलेक्टर को कई बार शिकायत की थी, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ क्योंकि सकल कर्म वहीं हुआ है। सीएम बघेल ने कहा यह शिकायत नहीं है। आप जनरल बात कह रहे हैं जो वेग में है। सभी काम गाइडलाइन के अनुसार ही कराए जाते हैं। इसलिए कहीं गड़बड़ है, तो शिकायत करिए जांच कराएंगे। केशव चंद्रा ने कहा कि मैं स्वयं व्यक्तिगत रूप से आपको (बघेल) शिकायत करूंगा।
भाजपा के नारायण चंदेल ने 16 करोड़ के प्रशिक्षण की अनुमति देने वाले अफसर का नाम पूछा, तो सौरभ सिंह ने डीएमएफ गाइडलाइन के अनुसार हर वर्ष तैयार होने वाले ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की। उन्होंने कहा प्रदेश के किसी भी जिले में ऑडिट नहीं हुआ है। सीएम बघेल ने कहा कि इसकी जानकारी अलग से दे दूंगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च। विधानसभा में आज गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के विभागों के लिए 11,143 करोड़ 37 लाख 42 हजार रूपए की अनुदान मांगे सर्वसम्मति से पारित की गई। इनमें लोक निर्माण विभाग अंतर्गत सड़के और पुल के लिए 2 हजार 605 करोड़ 76 लाख 67 हजार रूपए, भवनों के लिए 1503 करोड़ 50 लाख 86 हजार रूपए, लोक निर्माण विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 940 करोड़ 15 लाख 3 हजार रूपए तथा पुलिस के लिए 5 हजार 665 करोड़ 78 लाख 22 हजार रूपए, गृह विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए 85 करोड़ 67 लाख 96 हजार रूपए शामिल हैं।
अनुदान मांगों की चर्चा में सदस्यगण शिवरतन शर्मा, मोहन मरकाम, अजय चन्द्राकर, आशीष छाबड़ा, धरमजीत सिंह, सरिता सिन्हा, ननकी राम कंवर, केशव प्रसाद चन्द्राकर, भुनेश्वर बघेल, नारायण चंदेल, रामकुमार यादव, इन्दु बंजारे और डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी ने भाग लिया।
गृह मंत्री श्री साहू ने अनुदान मांगों की चर्चा के जवाब देते हुए सदन में कहा कि यह बजट गढ़बों नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना का बजट है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सभी वर्गों के विकास के लिए बजट प्रावधान किया गया है। उन्होंने सदन में कहा कि हमारी सरकार बनने के पहले साल ही सही मायने में काम करने का मौका मिला। उसके बाद कोरोना महामारी के कारण कुछ विकास कार्य अवश्य प्रभावित हुए हैं। राज्य सरकार कोरोना महामारी की चुनौतीपूर्ण समय का सामना करते हुए सर्वप्रथम लोगों की जान बचाने का काम किया। हमारी सरकार ने चाहे अस्पतालों में अच्छी व्यवस्था करने की बात हो, प्रवासी मजदूरों को लाने-लेजाने, उनकी भोजन व्यवस्था, सुरक्षा सहित अन्य जनहित के कार्यों को प्राथमिकता से किया।
श्री साहू ने सदन में कहा कि जवाहर सेतु योजना सरकार की घोषणा पत्र का हिस्सा है। इसके तहत राज्य के सभी पहुंचविहीन गांवों को कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए सभी नदियों और नालों में पुलों का निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत 84 पुल कार्यों के लिए 568 करोड़ रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें 9 कार्य पूर्ण एवं 61 कार्य प्रगति पर तथा 12 कार्य निविदा स्तर पर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के तहत जनसामान्य की सुविधा के लिए प्रदेश के सभी शासकीय भवनों, चिकित्सालय, स्कूल-कॉलेज, पंचायत भवन, उचित मूल्य की दुकान, आंगनबाड़ी सहित अन्य शासकीय शैक्षणिक संस्थानों के भवन हाट बाजार, शमशान घाट, मेला स्थल एवं धान संग्रहण केन्द्रों को मुख्य मार्ग से बारहमासी पक्की सड़क से जोड़ने काम किया जा रहा है। अब तक कुल 726 किलोमीटर लम्बाई के 4142 मार्ग के लिए 495 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं। इनमें 1125 मार्ग पूर्ण कर लिया गया है एवं 856 मार्ग प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि बस्तर एवं आदिवासी बहुल क्षेत्र का विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विकास हेतु निरंतर सड़कों के निर्माण एवं उन्नयन का कार्य किया जा रहा है।
मंत्री श्री साहू ने कहा कि लोक निर्माण विभाग अंतर्गत सड़कों के सुदृढ़ीकरण एवं नवीनीकरण एवं पुल-पुलिया आदि निर्माण कार्यों के लिए 6638 करोड़ 18 लाख 36 हजार रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बेरोजगार इंजीनियरों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है। जिससे शिक्षित बेरोजगार इंजीनियरों को डिप्लोमा, डिग्री और मास्टर डिग्री के आधार पर उन्हें 15 हजार, 25 हजार और 50 हजार रूपए मासिक मानदेय उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
धान खरीदी, मिलिंग के लिए उठाव, और सूखत को लेकर विपक्ष ने मंत्री टेकाम को घेरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च। इस साल हुई धान खरीदी, और मिलिंग के लिए उठाव को लेकर समूचे विपक्ष ने सहकारिता विभाग को जमकर घेरा। विपक्ष के धर्मजीत सिंह ने यहां तक कह दिया कि इस विभाग का मालिक कोई है। तो भाजपा के अजय चंद्राकर ने कहा भगवान मालिक है। मंत्री ने इससे इंकार करते हुए कहा भगवान नहीं सरकार मालिक है।
भाजपा के शिवरतन शर्मा ने यह मामला प्रश्नकाल में उठाया। उन्होंने मंत्री से पूछा कि इस साल हुई धान खरीदी के बाद मिलिंग और सुखत के क्या नियम हैं। सहकारिता मंत्री प्रेमसाय टेकाम ने कहा कि खरीदी केन्द्रों से जल्द उठाने का नियम है। इस साल हमने 93.5 लाख टन धान खरीदा है, और इसमें से अब तक 95 प्रतिशत तक धान का उठाव हो चुका है। शिवरतन शर्मा ने मंत्री पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 3 दिन के अंदर उठाव के नियम हैं। ऐसा नहीं हो रहा है इससे सुखत बढ़ती जा रही है, और समितियों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने प्रश्न किया कि अब तक कितना नुकसान हुआ है, और समितियों को इसकी भरपाई कौन करेगा। मंत्री टेकाम ने जवाब दिया कि 3 प्रतिशत सुखत होने पर समितियों को एक मुश्त भरपाई के लिए 218 करोड़ रूपए सरकार ने दिए हैं। उससे ऊपर का लॉस सरकार वहन करेगी। शिवरतन शर्मा ने कहा समितियों को अब तक एक पैसा नहीं दिया गया है। इसके चलते कर्मचारियों का वेतन भी नहीं मिल पा रहा है। मंत्री का जवाब था कि पूर्व के वर्षों में हुए नुकसान की भरपाई करते हुए 115 करोड़ बैंक के जरिए सीधे समितियों को दिए जाएंगे।
शिवरतन ने फिर प्रश्न किया इस साल अब तक कितना धान मिलिंग के लिए उठाव हो चुका है। सहकारिता मंत्री ने कहा मिलर्स ने 70 लाख टन उठाव कर लिया है, और 22.69 लाख टन परिवहन किया जा रहा है। 5 लाख टन का उठाव बाकी है। शिवरतन ने आरोप लगाया। इससे समितियों को नुकसान होने वाला है। जोगी कांग्रेस के धर्मजीत सिंह ने कहा कि धान उठाव हर साल की समस्या हो गई है। इससे जुड़े सवाल के जवाब कभी कृषि मंत्री, कभी सहकारिता मंत्री, कभी खाद्य मंत्री इसलिए पहले बताए इस विभाग का मालिक कौन है। इस पर अजय चंद्राकर ने चुटकी ली कि भगवान मालिक है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बताया कि चित्रकोट से लगे सुकमा जिले के ग्राम पंचायतों के बंदोबस्त पर रोक लगाई गई है। इसके हटते ही बंदोबस्त किया जाएगा। कांग्रेस के राजमन बेंजाम ने यह प्रश्न उठाते हुए बंदोबस्त पूरा होने की अवधि पूछी। मंत्री अग्रवाल ने कहा फिलहाल बंदोबस्त की प्रक्रिया प्रतिबंधित है। हटते ही जल्द करा ली जाएगी। इस पर स्पीकर चरणदास महंत ने प्रतिबंध का कारण पूछा, और नए विधायकों को सीख दी कि अपने वरिष्ठ विधायकों से चर्चा कर यह सीखें कि मंत्री को कैसे फंसाना है। मंत्री अग्रवाल ने जवाब दिया कि बंदोबस्त पर प्रतिबंध सन 2000 से है। पहली बार 1930 में बंदोबस्त हुआ था, जो 1990 में पुन: शुरू हुआ। उसके बाद राज्य गठन के बाद से प्रतिबंध है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च। नया रायपुर के किसान आंदोलन व किसान की मौत के मामले में सोमवार को विधानसभा में भाजपा ने अपने स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा को लेकर जमकर हंगामा किया।
इसके चलते सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। यह मामला भाजपा विधायक बृजमोहन, शिवरतन शर्मा, धर्मजीत सिंग ने उठाया मामला। उनका कहना था कि हजारों किसानों का छत्तीसगढ़ में हजारों किसानों की मौतें हो रही हैं। नया रायुपर में सिया राम के मौत के लिए जवाबदार कौन है? 27 गांव के किसान 70 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।
किसानों को राहुल गांधी से मिलने नही दिया गया, लाठी चार्ज कर पुलिस ने बेरहमी से पीटा। विपक्ष का आरोप था कि मौत पर उत्तर प्रदेश के किसानों को 50 लाख, और छत्तीसगढ़ के किसानों को 4 लाख। यह भी कहा कि पंजाब और दिल्ली के किसान आंदोलन में टेंट लगवाए गए, और छत्तीसगढ़ से चावल भेज रहे हो। यही है किसान हितैषी सरकार का चेहरा। इस हंगामे के बीच स्पीकर महंत ने सदन की कार्रवाई पांच मिनट के लिे स्थगित कर दी।
9 साल बाद आई विस में रिपोर्ट, 10 बिन्दुओं पर सुझाव भी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च। नौ साल पहले बीजापुर के एडसमेटा में मुठभेड़ प्रकरण की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन सोमवार को विधानसभा में पेश किया गया। घटना में 9 लोगों के अलावा सीआरपीएफ के एक जवान की भी मृत्यु हुई थी। आयोग ने माना है कि सुरक्षा बलों द्वारा गोलीबारी आत्मरक्षा में नहीं की गई थी बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि उनके द्वारा गोलीबारी पहचानने में हुई गलती, तथा घबराहट के कारण हुई थी। प्रतिवेदन में यह भी कहा गया कि यदि बेहतर खुफिया जानकारी दी गई होती, तथा वे उचित सावधानी बरतते तो संभवत: गोलीबारी को टाला जा सकता था। आयोग ने दस बिन्दुओं पर सुझाव भी दिए।
जस्टिस वीके अग्रवाल की एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन सीएम भूपेश बघेल ने विधानसभा के पटल पर रखा। यह घटना 17 और 18 मई 2013 की दरमियानी रात को बीजापुर जिले के जगरगुंडा के ग्राम एडसमेटा में हुई थी। इस घटना में सुरक्षा बल की गोली से 8 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। 5 व्यक्ति घायल हो गए, और घायल हुए व्यक्तियों में से एक की बाद में मृत्यु हो गई। घटना में सीआरपीएफ के एक सदस्य की भी मृत्यु हुई।
गृह विभाग के पालन प्रतिवेदन में यह बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 6 सितंबर 2019 को प्रकरण सीबीआई जबलपुर को सौंप दिया गया। सीबीआई प्रकरण की विवेचना कर रही है।
आयोग ने जांच के बिंदु तय किए थे उनमें नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी? घटना कब और किन परिस्थितियों में घटित हुई? सहित आयोग ने 7 बिन्दुओं पर जांच की, और भविष्य को लेकर सुझाव भी दिए। 99 पेज के प्रतिवेदन में यह उल्लेखित है कि सुरक्षा बलों ने आग के आसपास लोगों के जमाव को देखा, संभवत: उन्होंने उन्हें नक्सल संगठन का सदस्य मान लिया। जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने और तथाकथित आत्मरक्षा में गोलियां चलानी शुरू कर दी। यद्यपि जैसा कि पहले भी विचार किया जा चुका है। प्रस्तुता सुरक्षा बलों के सदस्यों की जान को कोई खतरा नहीं था, क्योंकि यह संतोषजनक रूप से सुस्थापित नहीं किया गया है कि जमाव के सदस्यों ने सुरक्षा बलों के संचालन दल पर हमला किया या उन पर गोलियां चलाना प्रारंभ किया।
प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि जैसा कि पहले भी गौर किया गया है तथा माना गया है कि सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी आत्मरक्षा में नहीं की गई थी। बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि उनके द्वारा गोलीबारी उनसे पहचानने में हुई गलती तथा घबराहट के कारण हुई थी। जैसा की पहले इस बात पर गौर किया जा चुका है, कि यदि सुरक्षा बल आत्मरक्षा के पर्याप्त उपकरणों से सुसज्जित होते तथा उन्हें बेहतर यह जानकारी दी गई होती तो तथा यदि वे सावधानी बरतते, तो गोलीबारी को टाला जा सकता था।
आयोग ने अपने प्रतिवेदन में सुझाव दिए हैं कि सुरक्षा बलों को ऐसे मोड्यूल निर्मित तथा निरूपित कर बेहतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए कि सुरक्षा कर्मी न केवल बस्तर की सामाजिक स्थितियों तथा धार्मिक त्योहारों से परिचित हो, बल्कि वहां के पहाड़ी तथा अन्य वन क्षेत्रों से भी परिचित हो। अन्य सुझावों में यह भी कहा गया है कि इलाके में ऐसी घटनाओं की तीव्रता को देखते हुए खुफिया तंत्र को और अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनाया जाना चाहिए। जिसके पास सुरक्षा बलों द्वारा संपूर्ण प्रस्तावित अभियान के संबंध में जानकारी समय से पहले एकत्रित कर प्रदान करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार रहे। ऐसी खुफिया जानकारी संभवत: समय पूर्व किए गए वृहद सर्वेक्षण से एकत्रित की जा सकती है। बस्तर के ग्रामीण और अंदुरूनी इलाकों में सामान्य विकास, और विशेषकर सडक़ों की संयोजकता में युद्ध स्तर में सुझाव किया जाना चाहिए। पालन प्रतिवेदन में गृहविभाग ने सरकार द्वारा सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण और खुफिया तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी दी।