राष्ट्रीय
जबलपुर, 29 सितंबर मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने छात्राओं के लिए मासिक धर्म अवकाश की शुरुआत की है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
प्रभारी कुलपति डॉ. शैलेश एन हाडली ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विद्यार्थी बार एसोसिएशन समेत कई छात्राएं पिछले साल से मासिक धर्म अवकाश की मांग कर रही थीं।
उन्होंने कहा, "इसके मद्देनजर, छात्र कल्याण डीन सहित हमने इस सेमेस्टर से (मासिक धर्म) छुट्टी देने का फैसला किया है। ये छुट्टियां विद्यार्थियों को प्रत्येक सेमेस्टर में सांस्कृतिक और अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दी जाने वाली छह छुट्टियों का हिस्सा होंगी। छात्राएं ये छुट्टियां ले सकती हैं।"
उन्होंने कहा कि यह कदम छात्राओं के जीवन में बेहतरी लाने के प्रयासों का हिस्सा है। (भाषा)
क्योंझर (ओडिशा), 29 सितंबर ओडिशा के क्योंझर जिले में शुक्रवार को एक मोटरसाइकिल और एक वैन की आमने-सामने की टक्कर में एक दंपति और उनके दामाद की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह घटना आनंदपुर इलाके में पद्मपुर गेट के पास हुई।
उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान सहदेव बहेरा (46), उनकी पत्नी चांदनी (40) और उनके 22 वर्षीय दामाद अभिराम बहेरा के तौर पर हुई है।
उन्होंने बताया कि दुर्घटना दोपहर के आसपास हुई जब वे आनंदपुर जा रहे थे।
उन्होंने कहा, "उनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई और दो अन्य को आनंदपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।" (भाषा)
बेंगलुरु, 30 सितंबर बेंगलुरु पुलिस ने 854 करोड़ रुपये के साइबर धोखाधड़ी घोटाले का पर्दाफाश कर एक निवेश योजना की आड़ में देशभर से हजारों लोगों को ठगने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया है।
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि ठगी की कुल रकम में से पांच करोड़ रुपये जब्त कर लिए गए हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, गिरोह ने पीड़ितों को व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जरिये अपने जाल में फंसाया। शुरुआत में उन्हें यह कहकर 1,000 रुपये से 10,000 रुपये का निवेश करने के लिए कहा गया कि इससे उन्हें हर दिन 1,000 रुपये से 5,000 रुपये का मुनाफा होगा।
अधिकारी के अनुसार, हजारों पीड़ितों ने एक लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये या उससे अधिक राशि निवेश की।
उन्होंने बताया कि पीड़ितों द्वारा निवेश की गई धनराशि ऑनलाइन भुगतान के जरिये विभिन्न बैंक खातों में भेजी गई और निवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब पीड़ित धनराशि निकालने की कोशिश करते, तो उन्हें कभी वापस पैसा नहीं मिलता।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि धनराशि मिलने के बाद आरोपी उसे धन शोधन से जुड़े खातों में भेज देते।
उन्होंने बताया कि कुल 854 करोड़ रुपये की धनराशि क्रिप्टो करेंसी (बाइनेंस), पेमेंट गेटवे, गेमिंग ऐप के जरिये विभिन्न ऑनलाइन भुगतान माध्यमों में भेजी गई। (भाषा)
भोपाल, 30 सितंबर मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया है कि अगर राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सत्ता बरकरार रहती है, तो पार्टी प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी देगी।
मुख्यमंत्री की यह घोषणा विपक्षी दल कांग्रेस की लगातार इस आलोचना के बीच आई है कि चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बेरोजगारी के मुद्दे से निपटने में विफल रही है।
चौहान ने कहा, ‘‘मैं (राज्य के लोगों के) जीवन की कठिनाइयों को दूर कर दूंगा। अगर मैं दोबारा सत्ता में आया, तो हर परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार दिया जाएगा, ताकि उन्हें पलायन न करना पड़े। चाहे वह स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हो या उद्यम क्रांति योजना या सरकारी नौकरियों के माध्यम से, हर परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी।'
चौहान शुक्रवार को आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले में एक रैली को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वह मध्य प्रदेश की धरती की पूजा करने और जनता की सेवा करने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं तथा लोगों के जीवन को बदलने के लिए दिन-रात काम किया है।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के बारे में पूछे जाने पर, प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि ऐसे बयान केवल युवाओं को गुमराह करने के लिए दिए जा रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, 'शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पिछले 18 वर्षों में बेरोजगारों को नौकरी देने में विफल रही है। वह भविष्य में नौकरियां कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?...वह फिर से बेरोजगार युवाओं को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।'
मध्य प्रदेश में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 30 सितंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने देश के 112 जिलों में 25 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी बदल दी और इसकी सफलता अब आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम का आधार बनेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भारत मंडपम में आकांक्षी ब्लॉक के लिए सप्ताह भर चलने वाले विशिष्ट कार्यक्रम ‘संकल्प सप्ताह’ की शुरुआत करते हुए यह टिप्पणी की।
उन्होंने जमीनी स्तर पर विकास के लिए संसाधनों के अधिकतम उपयोग और जन भागीदारी की महत्ता पर जोर दिया।
मोदी ने कहा, ‘‘आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने देश के 112 जिलों में 25 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी बदल दी है। उनके जीवन की गुणवत्ता में बदलाव आया है।’’
उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता अब आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम का आधार बनेगी।
मोदी ने कहा, ‘‘बहुत कम लोगों को इतने लंबे वक्त तक सरकार चलाने का मौका मिलता है, जैसा कि मुझे मिला है। और मैं अनुभव से यह कहता हूं कि केवल बजट से बदलाव नहीं आता, अगर हम संसाधनों और अभिसारिता का अधिकतम उपयोग करें, तो ब्लॉक के लिए किसी नयी निधि के बिना भी काम किया जा सकता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुशासन की पूर्व शर्त संसाधनों का अधिकतम उपयोग है।
उन्होंने संसाधनों के समान वितरण पर भी जोर दिया।
‘संकल्प सप्ताह’ का संबंध आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन से है। प्रधानमंत्री ने सात जनवरी को इस देशव्यापी कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ब्लॉक स्तर पर शासन में सुधार लाना है। इसे देश के 329 जिलों के 500 आकांक्षी ब्लॉक में लागू किया जा रहा है।
तीन से नौ अक्टूबर तक चलने वाले ‘संकल्प सप्ताह’ का हर दिन एक विशिष्ट विकास थीम के लिए समर्पित है, जिस पर सभी आकांक्षी ब्लॉक काम करेंगे।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पहले छह दिन की थीम क्रमशः ‘संपूर्ण स्वास्थ्य’, ‘सुपोषित परिवार’, ‘स्वच्छता’, ‘कृषि’, ‘शिक्षा’ और ‘समृद्धि दिवस’ है। इसके आखिरी दिन नौ अक्टूबर को ‘संकल्प सप्ताह समावेश समारोह’ के रूप में पूरे सप्ताह किए गए काम का जश्न मनाया जाएगा। (भाषा)
भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में इस सप्ताह नए सिरे से हिंसा भड़क गई है. पिछले दिनों एक युवती समेत दो छात्रों की हत्या के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया उसके बाद से ही हालात दोबारा बिगड़ गए.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
इंटरनेट से पाबंदी हटते ही बीती जुलाई से लापता इन छात्रों की हत्या के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. उसके बाद फिर बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी. हालात बेकाबू होते देख कर सरकार को कर्फ्यू के साथ ही इंटरनेट सेवाओं पर दोबारा पाबंदी लगानी पड़ी. हिंसक भीड़ मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह के पैतृक घर पर हमले की भी नाकाम कोशिश कर चुकी है.
इस बीच, राज्य का दौरा करने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट में इस हिंसा के लिए केंद्र और राज्य सरकार के रवैए को जिम्मेदार ठहराया है. अशांति के बीच ही सरकार ने राज्य के कुकी बहुल पर्वतीय इलाकों में विवादास्पद आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट यानी एएफएसपीए कानून की मियाद छह महीने के लिए बढ़ा दी है.
हिंसा का ताजा मामला
लंबी चुप्पी के बाद राज्य में हिंसा नए सिरे से क्यों भड़क उठी? हालात सामान्य होते देख कर सरकार ने महीनों बाद इस सप्ताह इंटरनेट पर लगी पाबंदी हटा ली थी. लेकिन उसके दो दिन बाद ही 25 सितंबर को 20 साल के एक युवक और 17 साल की एक युवती के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. इंफाल के रहने वाले इन दोनों छात्रों को आखिरी बार छह जुलाई को एक साथ देखा गया था. इस वीडियो के सामने आते ही छात्र और युवा उबल पड़े और सड़कों पर उतर कर हिंसक प्रदर्शन करने लगे.
मणिपुर पुलिस ने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि यह दोनों छात्र कुकी बहुल इलाके में फंस गए होंगे. उसके बाद अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई होगी. जांच से यह भी पता चला है कि दोनों के लापता होने के एक दिन बाद सात जुलाई को युवक के मोबाइल में नया सिम लगाया गया. वह फोन कुकी बहुल लामदान इलाके में सक्रिय हुआ था.
उसके बाद छात्रों और युवकों का आंदोलन लगातार तेज होता रहा है. हिंसा पर उतारू लोगों ने बीजेपी के एक दफ्तर में आग लगा दी और पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष ए. शारदा देवी समेत कई नेताओं के घरों पर हमले किए. इसके बाद मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह के पैतृक आवास में भी आग लगाने की कोशिश की गई. लेकिन पुलिस ने उसे नाकाम कर दिया. सुरक्षाबलों के साथ भिड़ंत में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. भीड़ ने पुलिस की कई गाड़ियों में आग लगा दी और पुलिस वालों से हथियार छीन लिए.
सीबीआई से जांच
गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने छात्रों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और आम लोगों से सरकार के प्रति भरोसा रखने की अपील की. सिंह का कहना है, "सोशल मीडिया पर वायरल दोनों छात्रों के शवों की तस्वीरों ने लोगों में भारी नाराजगी पैदा कर दी और वह सड़कों पर उतर आए."
इंफाल के तमाम स्कूलों और कॉलेजों के छात्र सड़कों पर उतर कर हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग में प्रदर्शन करने लगे. इसी दौरान राजधानी के कई इलाकों में सुरक्षाबलों के साथ उनकी झड़पें हुईं.
मुख्यमंत्री ने छात्रों की भीड़ से निपटने में सुरक्षाबलों को बेहद संयम बरतने का निर्देश दिया है. सरकार ने आम लोगों में बढ़ती नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस मामले की सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया. इसके बाद तुरंत ही स्पेशल डायरेक्टर अजय भटनागर के नेतृत्व में सीबीआई की एक टीम इंफाल पहुंच गई है. हालात बिगड़ते देख कर केंद्र सरकार ने श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राकेश बलवाल को तुरंत मणिपुर भेज दिया है. बलवाल का तबादला मणिपुर कैडर में कर दिया गया है. पुलवामा हमले की जांच उनके ही नेतृत्व में हुई थी.
एएफएसपीए की मियाद बढ़ी
इसी बीच, केंद्र सरकार ने मणिपुर के कुकी बहुल पर्वतीय इलाकों में विवादास्पद एफएसपीए कानून की मियाद छह महीने के लिए बढ़ा दी है. सरकार की दलील है कि इसके नहीं होने से उग्रवाद विरोधी अभियान प्रभावित होगा. हालांकि सरकार के इस फैसले से कुकी समेत तमाम आदिवासियों की नाराजगी और बढ़ गई है. आदिवासियों के संगठन जोमी काउंसिल ने सरकार के इस फैसले के प्रति कड़ा विरोध जताया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे एक ज्ञापन में संगठन ने इसे एक पक्षपाती और भेदभावपूर्ण कदम बताया है.
इस बीच, बीते महीने राज्य का दौरा करने वाली भाकपा (माले) की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने दिल्ली में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोनों तबकों यानी मैतेई और कुकी जनजाति के लोग मानते हैं कि राज्य की जातीय हिंसा को बढ़ावा देने और इसे लंबे समय तक जारी रखने में केंद्र व राज्य सरकार की भूमिका अहम रही है.
इसमें कहा गया है कि मैतेई तबके के लोग इस हिंसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार मानते हैं तो कुकी तबके के लोग राज्य सरकार को. इस आठ सदस्यीय टीम ने बीते 10 से 14 अगस्त के बीच राज्य का दौरा किया था और दोनों तबके के लोगों से मुलाकात की थी. (dw.com)
गुजरात की जेल में बंद एक कैदी को अधिकारियों की लापरवाही के कारण तीन साल अधिक बिताने पड़े. जेल अधिकारी ईमेल के साथ भेजे गए जमानत के आदेश खोल नहीं पाए.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
27 साल के चंदनजी ठाकोर को गुजरात हाई कोर्ट ने 29 सितंबर 2020 में राहत दी. हत्या के मामले में अदालत ने उनकी सजा निलंबित कर दी. हाई कोर्ट ने पाया कि मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट, यह साबित नहीं करती कि मृत्यु आरोपी के हमलों से ही हुई है.
निचली अदालत ने ठाकोर को हत्या का दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. यही सजा 2020 में निलंबित कर दी गई थी और जमानत के आदेश जारी किए गए थे.
लेकिन आदेश वाला ईमेल साबरमती जेल के अधिकारी नहीं खोल पाए जिस कारण ठाकोर को तीन साल तक अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में ही रहना पड़ा.
तीन साल सलाखों में बंद रहा पीड़ित
जमानत के बाद भी जब ठाकोर को जेल से रिहा नहीं किया गया तो उन्होंने दोबारा हाई कोर्ट का रुख किया है. फिर जाकर पता चला कि हाई कोर्ट ने तो रिहाई का आदेश दे दिया था और मेहसाणा की सत्र अदालत और जेल अधिकारियों ने इस पर गौर नहीं किया. जेल अधिकारियों ने हाई कोर्ट को बताया कि वे 2020 में रजिस्ट्री द्वारा उन्हें ईमेल किए गए जमानत के आदेश में अटैच फाइल को खोलने में असमर्थ थे. इसलिए उस व्यक्ति को रिहा नहीं किया जा सका.
हाई कोर्ट के जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे की बेंच ने कहा, "आवेदक की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, जो जेल अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस अदालत के आदेश के बावजूद जेल में है...हम लगभग तीन वर्षों तक जेल में उसकी अवैध कैद के लिए मुआवजा देने के इच्छुक हैं."
गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 14 दिनों के भीतर एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. इस मामले में हाई कोर्ट ने पाया कि अदालत की रजिस्ट्री ने जेल अधिकारियों को कैदी की नियमित जमानत पर रिहाई के आदेश के बारे में सूचित कर दिया था.
हाई कोर्ट ने कहा आंखें खोलने वाला मामला
हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि मौजूदा मामला "आंखें खोलने वाला है." जानकार इस तरह के मामले को अधिकारियों की घोर लापरवाही बताते हैं और कहते हैं दोषी अधिकारियों को सस्पेंड कर देना चाहिए.
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने डीडब्ल्यू से कहा, "यह लापरवाही नहीं यह तो एक तरह का अपराध है, किसी की जिंदगी के आपने तीन साल खत्म कर दिए. ऐसे दोषी लोगों से हर्जाना वसूला जाना चाहिए और उनकी सैलरी से पैसे काट कर उस व्यक्ति को बतौर हर्जाना दिया जाना चाहिए."
साथ ही वे कहते हैं कि जिन लोगों ने लापरवाही बरती है उनके खिलाफ विभागीय जांच होना चाहिए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा होना चाहिए. विक्रम सिंह कहते हैं, "रिहाई के आदेश के बाद जेल में एक मिनट भी किसी भी शख्स को गुजारना भारी पड़ता है, और उस शख्स ने तो तीन साल ज्यादा गुजार दिए. मैं समझता हूं कि अगर वह नौकरीपेशा होता तो इन तीन सालों में कितना पैसा कमा लिए होता, वही हर्जाना इन जेल अधिकारियों और कर्मचारियों से सूद के साथ वसूल करके उस पीड़ित को दिया जाना चाहिए."
ठोकोर पांच साल की सजा काट चुके हैं और उन्हें 21 सितंबर 2023 को रिहा कर दिया गया था. हाई कोर्ट ने साथ ही जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि ऐसे कैदियों का डाटा इकट्ठा करें जिन्हें जमानत तो मिल गई है लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया है.
देश की अदालतें अब ऑनलाइन हो गईं हैं और कई बार आदेश ईमेल के जरिए जारी किए जाते हैं. इससे समय तो बचता ही है साथ ही सरकारी खर्च में कटौती भी होती है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की नीतियों रहीं हैं कि ज्यादा से ज्यादा काम को इलेक्ट्रॉनिकली किया जाए. कोरोना काल के बाद से सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक डिजिटल सुनवाई पर जोर देते आए हैं. इससे सुनवाई का समय बचता है और जज और वकील डिजिटली रूप से आसानी से केस में शामिल हो पाते हैं.
भारतीय जेलों की हालत बुरी
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 के मुताबिक देश की जेलों में क्षमता से 30 प्रतिशत ज्यादा कैदी हैं. कैदियों में दो-तिहाई से अधिक (77.1 प्रतिशत) जांच या सुनवाई पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं.
संसद के मानसून सत्र में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक जवाब में कहा कि देश की अलग-अलग अदालतों में लंबित मामले पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर गए हैं. कानून मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट, 25 हाई कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में 5.02 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.
मेघवाल के मुताबिक, "इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम (आईसीएमआईएस) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इसी साल 1 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं." उन्होंने कहा, "नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 14 जुलाई तक हाई कोर्ट में 60,62,953 और जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4,41,35,357 मामले लंबित हैं."
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड की रिपोर्ट कहती है कि देश में लंबित मामलों में 61,57,268 ऐसे हैं जिनमें वकील पेश नहीं हो रहे हैं और 8,82,000 मामलों में वाद और प्रतिवाद करने वाले पक्षों ने कोर्ट आना ही छोड़ दिया है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि 66,58,131 मामले ऐसे हैं जिनमें आरोपी या गवाहों की पेशी नहीं होने के कारण मामले की सुनवाई रुकी हुई है. इनमें से 36 लाख से अधिक मामलों में आरोपी जमानत लेकर फरार हैं. (dw.com)
प्राकृतिक विपदाओं के बाद मृतक की पहचान का अक्सर एक ही तरीका होता है, और वो है डीएनए, फिंगर प्रिंट और डेंटल रिकॉर्ड. जैसा कि लीबिया में आई बाढ़ या हवाई की जंगल की आग के मृतकों की पहचान के मामलों में देखा गया था.
डॉयचे वैले पर कार्ला ब्लाइकर की रिपोर्ट-
खराब हालात के बीच, हवाई से एक अच्छी खबर निकल कर आई थी. अधिकारियों ने 8 अगस्त 2023 को माउई द्वीप पर भड़की जंगल की आग से मरने वालों की सूची को अपडेट किया था. नयी लिस्ट में अग्निकांड के शिकार लोगों की संख्या में कमी आई थी. शुरू में अधिकारियों ने कहा था कि कम से कम 115 लोग मारे गए थे. अब उनका कहना है कि सिर्फ 97 लोगों की मौत हुई थी.
संख्या में यह अंतर कैसे आया?
लाहाइना कस्बे में भड़की आग ने अपने रास्ते में आई हर चीज को निगल लिया था. कई मामलों में चिकित्सकों और पुलिस बल के पास मृतकों की पहचान के लिए सिर्फ अवशेष और हड्डियां ही बची रह गई थी. कुछ मामलों में उन्हें लगा कि उनके पास दो लोगों के डीएनए सैंपल थे लेकिन बाद में एक ही व्यक्ति के नमूने निकले. कुछ अवशेष पहले इंसानों के समझे गए थे लेकिन वे पालतू जानवरों के थे.
पाकिस्तान में बाढ़ के एक साल बाद भी मदद के इंतजार में बच्चे
माउई काउंटी फिशियन्स कोरोनर जेरेमी श्टुअल्पनागेल ने एसोसिएटड प्रेस को बताया, "जब आग भड़की तो लोग एक साथ भागे, वे झुंड बनाकर भागे. वे उन पलों में एक दूसरे को पकड़े हुए थे. उनमें से कुछ ने अपने पालतू जानवर भी पकड़े हुए थे."
हवाई की खबर बाहर आने के कुछ दिन बाद, अधिकारियों ने मध्य सितंबर में लीबिया में आई बाढ़ में मरने वाले लोगों की संख्या के अपने आकलन में भारी कटौती कर दी.
पहले लीबिया में मरने वालों की संख्या 11,300 होने का अनुमान लगाया गया था. 18 सितंबर को मानवाधिकार मामलों के समन्वय के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने कहा कि मरने वालों की संख्या 3958 थी.
शुरुआती संख्या लीबिया स्थित रेड क्रेसेंट की ओर से जारी की गई थी जबकि कम आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन से जारी हुआ.
मारे गए लोगों को अपनी पहचान वापस मिली
प्राकृतिक विपदाओंके मृतकों की पहचान में मदद करने वाली, कनाडा स्थिति परामर्शदाता कंपनी फॉरेन्सिक्स गार्जियंस की निदेशक मेगन बासेनडेल ने कहा कि इस किस्म का गड़बड़झाला आम बात है.
एक ईमेल के जरिए उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "आपात स्थितियों के फौरन बाद पूरी सूचना नहीं मिल पाती या उसकी पूरी जांच नहीं हो पाती है, अवशेषों को वास्तव में एक समुचित विश्लेषण अवस्था से गुजारा जाना चाहिए. उसके बाद ही वस्तुस्थिति को समझा जा सकता है. फील्ड से हासिल सूचना जरूरी है लेकिन फोरेंसिक विश्लेषण प्रक्रिया ठोस संख्या तक पहुंचने के लिहाज से अनिवार्य है."
जब कभी कुदरती आफत आती है या किसी युद्ध क्षेत्र में सामूहिक कब्र मिलती है, तो बड़ी संख्या में मृतकों की पहचान के लिए फोरेंसिक वैज्ञानिकों को बुलाया जाता है.
लीबिया में तबाही मचाने वाली बाढ़ सरीखी आपदाएं, अपने पीछे अक्सर बिल्कुल पहचान में नहीं आने वाली लाशें छोड़ जाती हैं या फिर आगजनी में सिर्फ राख और अवशेष बचते हैं. जानकारों को अपनी फोरेंसिक झोली में से हर उपाय का इस्तेमाल करना होता है कि आखिर मृतक कौन थे. यह असाधारण रूप से महत्वपूर्ण कार्य है.
जर्मनी में हाले के यूनिवर्सिटी अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन संस्थान के निदेशक रुडिगर लेसिग कहते हैं, "अगर प्राकृतिक विपदा में आपके परिवार का कोई सदस्य लापता हो गया तो आप निश्चित रूप से उसके बारे में जानने को व्याकुल होंगे. इस काम का यही मकसद है. जो लोग मारे गए उन्हें उनकी पहचान वापस मिल सके."
फिंगरप्रिंट, डीएनए नमूने और डेंटल प्रोफाइल
शिनाख्त का काम दो तरीकों से पूरा होता है. एक समूह पहचान की निशानियों से जुड़ा हैः जैसे, मेरे दोस्त के बाल लाल हैं. मेरे पिता ने सोने की अंगूठी पहनते हैं, मेरी बेटी के दाएं कंधे पर हमिंग बर्ड का टैटू बना है.
लेकिन प्राकृतिक आपदा में क्षत-विक्षत लाशों के मामलों में ये कथित सेकेंडरी आइडेन्टफाइर्स मददगार नहीं होते. यहां तक कि मेडिकल सूचना ( मेरी मां की देह पर सी-सेक्शन का निशान है) भी उपयोगी नहीं होती क्योंकि अकसर अग्निकांड में पूरा शरीर ही राख हो जाता है.
यहां पर काम आते हैं प्राथमिक निशान यानी मुख्य निशानदेही जैसे कि डीएनए, अंगुलियों के निशान और डेंटल प्रोफाइल. फोरेंसिक जानकार आपदा वाली जगहों से तमाम इंसानी अवशेष जमा करते हैं और फिर उन नमूनों की तुलना परिजनों को सौंपे डीएनए नमूनों या डेंटल रिकॉर्डो से की जाती है. ये पहचानें तब भी काम आती हैं जब सामान्य निशानदेही किसी काम की नहीं रह जाती.
इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस में फोरेंसिक की डिप्टी हेड जेन टेलर ने डीडब्ल्यू को बताया, "अधिकांश मामलों में एक नमूना उठा सकने लायक पर्याप्त सामग्री बची रह जाती है. आपको हड्डी के भीतर देखना होगा. आपके मोलर दांत भी डीएनए के अच्छे स्रोत होते हैं. ऐसी कोई जगह जहां आंतरिक संरचना बची रह जाए."
एक लंबी और विकट प्रक्रिया
लेसिग ने डीडब्ल्यू को बताया कि किसी शरीर से मुख्य निशानदेही का नमूना निकालने में करीब एक घंटा लग जाता है. इसमें वो समय शामिल नहीं जो आपदा स्थल तक जाने में लगता है जहां तक पहुंचना दुष्कर होता है. और अगर विशेषज्ञ सिर्फ अवशेष जमा कर पाएं और उन्हें ये तय करना हो कि उनमें से कौनसे अवशेष एक ही देह के हैं तो ये प्रक्रिया लंबी खिंच जाती है.
शिनाख्त का काम तब और मुश्किल हो जाता है जब समूचे शहर का बुनियादी ढांचा ही तहसनहस हो उठा हो जैसे कि डेंटिस्टो के क्लिनिक. इसका मतलब तुलनात्मक सामग्री के तौर पर तमाम डेंटल रिकॉर्ड भी नहीं बच पाते. तुलना के लिए परिजनों से हासिल डीएनए नमूनों की कमी भी प्रक्रिया को पेचीदा बनाती है.
बासेनडेल ने अपने ईमेल में लिखा, "अगर एक ही परिवार के बहुत से लोग जान गंवा देते हैं, तो ऐसे लोगों को ढूंढना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाती है जो लापता लोगों के बारे में जानकारी दे सकें."
नतीजे खुशगवार ना हो तो भी परिवार अहसानमंद
दिसंबर 2004 में हिंद महासागर में सुनामी के बाद, लेसिग और टेलर दोनों, विशेषज्ञों की उस अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा थे जो थाईलैंड में मारे गए 5000 से ज्यादा लोगों की शिनाख्त के लिए बनाई गई थी. जितने मृतकों की शिनाख्त संभव थी, वो पूरी करने में टीम को करीब 12 महीने लग गए.
टेलर के मुताबिक, "परिवारों को याद दिलाना जरूरी है कि यह एक लंबी प्रक्रिया होती है."
उसी दौरान, मृतक के परिजन भी अपने प्रियजनों की तलाश में किसी किस्म की जल्दबाजी नहीं चाहते. टेलर के मुताबिक, "परिवारों के लिए ये असाधारण रूप से महत्वपूर्ण है कि पहचान के काम में हर संभव कोशिश की जाए ताकि वे जान सकें कि उनके परिवार के सदस्य के साथ क्या हुआ और अगर मुमकिन हो पाए तो उसके अवशेष उन्हें मिल जाएं."
अगर किसी मां, भाई या बेटी की तलाश खुशगवार नहीं भी निकलती है तो मृतक के परिजन जान लेते हैं कि वो नहीं रहे और तलाश का काम तत्काल बंद कर दिया जाता है.
लेसिग ने खुद इसका अनुभव कियाः सूनामी के बाद थाईलैंड से वापसी की उड़ान के दौरान परिजन उनके पास आए और उन्हें उनके काम के लिए शुक्रिया कहा.
लेसिग कहते हैं, "आप यकीन नहीं करेंगे कि परिजन कितने अहसानमंद होते हैं, भले ही सूचना बुरी हो. क्योंकि कम से कम वे जान पाते हैं कि उनके प्रियजन की पहचान कर ली गई है और वे उसे दफना सकते हैं. दुख का सामना ऐसे ही करना होता है." (dw.com)
बेंगलुरु, 30 सितंबर । कर्नाटक के दावणगेरे जिले के एक हिंदू कार्यकर्ता शिवाजी राव जाधव को 15 से ज्यादा कन्नड़ लेखकों और विचारकों को धमकी भरे पत्र भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
जाधव को सिटी सेंट्रल क्राइम ब्रांच (सीसीबी) के अधिकारियों ने जिले से गिरफ्तार किया था।
आरोपी पिछले दो सालों से धमकी भरे पत्र लिख रहा था, जिसके चलते लक्षित लेखकों ने त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए कई बार मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से मुलाकात की।
पत्रों में जाधव ने के. वीरभद्रप्पा, बी.एल. वेणु, बंजगेरे जयप्रकाश, बी.टी. ललिता नाइक, वसुंधरा भूपति समेत पीड़ितों को हिंदुत्व के खिलाफ जाने की धमकी देते हुए कहा कि उन्हें अपने आखिरी दिन गिन लेने चाहिए।
मामला स्पेशल विंग सीसीबी को सौंप दिया गया था और फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) के एक्सपर्ट्स ने पाया था कि सभी पत्र एक ही व्यक्ति द्वारा लिखे गए थे लेकिन विभिन्न जिलों और तालुकों से पोस्ट किए गए थे।
पत्रों के चलते, राज्य के गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने पुलिस को लेखकों को उचित सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था।
अपना अपराध कबूल करते हुए, जाधव ने दावा किया कि उन्होंने लेखकों और विचारकों को उनके हिंदू विरोधी रुख के कारण धमकी दी थी।
पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया और पूछताछ के लिए 10 दिन की हिरासत में ले लिया।
कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश और कार्यकर्ता-लेखक प्रोफेसर एमएम कलबुर्गी की हत्या के बाद इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया गया। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 30 सितंबर टेक दिग्गज गूगल ने जीमेल में अपने क्लाइंट-साइड एन्क्रिप्शन को ग्लोबल लेवल पर एंड्रॉइड और आईओएस मोबाइल डिवाइस तक विस्तारित किया है।
इस साल की शुरुआत में वेब पर जीमेल के लिए क्लाइंट-साइड एन्क्रिप्शन शुरू करने के बाद, अब एंड्रॉइड और आईओएस बिजनेस यूजर्स सीधे अपने डिवाइस से एन्क्रिप्टेड मैसेज को पढ़ और लिख सकते हैं।
कंपनी ने शुक्रवार देर रात एक अपडेट में कहा, "यह आपके यूजर्स को मोबाइल डिवाइस पर कहीं से भी आपके सबसे सेंसिटिव डेटा के साथ काम करने की अनुमति देता है।"
जीमेल मोबाइल ऐप मूल रूप से एन्क्रिप्टेड मेल का समर्थन करते हैं, इसलिए यूजर्स को अपने एन्क्रिप्टेड मैसेज तक पहुंचने के लिए कई ऐप डाउनलोड करने या बाहरी पोर्टल पर नेविगेट करने की आवश्यकता नहीं होती है।
टेक जायंट ने बताया, "जबकि वर्कस्पेस सुरक्षित-दर-डिजाइन क्रिप्टोग्राफिक लाइब्रेरीज का उपयोग करके आराम और पारगमन में डेटा को एन्क्रिप्ट करता है, क्लाइंट-साइड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि एन्क्रिप्शन कुंजी और आपके डेटा तक पहुंच पर आपका एकमात्र नियंत्रण है।
जबकि वर्कस्पेस सुरक्षित-दर-डिज़ाइन क्रिप्टोग्राफिक लाइब्रेरीज का उपयोग करके रेस्ट और ट्रांजिट में डेटा को एन्क्रिप्ट करता है, क्लाइंट-साइड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि एन्क्रिप्शन की और आपके डेटा एक्सेस पर आपका एकमात्र नियंत्रण है।"
क्लाइंट-साइड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि ईमेल बॉडी में सेंसिटिव डेटा और अटैचमेंट गूगल सर्वर के लिए समझ से बाहर हैं और आप उन कुंजियों तक पहुंचने के लिए एन्क्रिप्शन की और आइडेंटिटी सर्विस पर नियंत्रण बनाए रखते हैं।
किसी भी मैसेज में क्लाइंट-साइड एन्क्रिप्शन जोड़ने के लिए, लॉक आइकन पर क्लिक करें और अतिरिक्त एन्क्रिप्शन का चयन करें, और अपना मैसेज लिखें और सामान्य रूप से अटैचमेंट्स जोड़ें।
यह फीचर गूगल वर्कस्पेस एंटरप्राइज प्लस, एजुकेशन प्लस और एजुकेशन स्टैंडर्ड कस्टमर्स के लिए उपलब्ध है। (आईएएनएस)।
मुजफ्फरपुर, 30 सितंबर । महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन अधिनियम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिल गई है। अब यह अधिनियम कानून बन गया है। इस बीच, राजद के नेता और बिहार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इस आरक्षण को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के नाम पर लिपस्टिक और बॉब कट वाली विधायिकाओं में आ जाएंगी।
सिद्दीकी राजद अति पिछड़ा प्रकोष्ठ की तरफ से मुजफ्फरपुर में शुक्रवार को आयोजित अति पिछड़ा सामाजिक जागरूकता सम्मेलन में भाग ले रहे थे। उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यदि देना है, तो पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा महिलाओं को आरक्षण दें।
उन्होंने कहा कि अत्यंत पिछड़ा का भी कोटा तय कर दीजिए ,तब तो ठीक है, वरना, महिला के नाम पर बॉब कट और लिपिस्टिक वाली आ जायेंगी। उन्होंने लोगों को सावधान करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में नौकरी में आपकी महिलाओं को कुछ नहीं मिलेगा। राजद नेता ने इसके लिए लोगों से गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने की भी अपील की।
सिद्दीकी ने लोगों को कम से कम लोकसभा चुनाव तक टीवी और सोशल मीडिया से दूर रहने की भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि टीवी और सोशल मीडिया से दूरी बनाइए और संकल्प लीजिए कि कम से कम लोक सभा चुनाव तक इसे नहीं देखें। (आईएएनएस)।
सोल, 30 सितंबर । दक्षिण कोरिया में स्पष्ट रूप से गर्मी से संबंधित मौतों की संख्या 2023 में हर साल लगभग चौगुनी हो गई। देश असामान्य गर्मी की लहर की चपेट में था।
कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी के अनुसार, इस साल शुक्रवार तक कुल 32 लोगों की मौत गर्मी से संबंधित बीमारी से हुई, जबकि एक साल पहले नौ लोगों की मौत हुई थी।
समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल का आंकड़ा 2018 के बाद से सबसे बड़ा है, जब देश में गर्मी से संबंधित 48 मौतें हुई थीं।
दक्षिण कोरिया ने 2011 में संबंधित डेटा संकलित करना शुरू किया।
मौसम एजेंसी के अनुसार, इस गर्मी में देश भीषण गर्मी की चपेट में था, जून से अगस्त तक औसत राष्ट्रीय तापमान 24.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो अब तक का चौथा उच्चतम स्तर है।
आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल गर्मी से संबंधित बीमारियों से पीड़ित सभी मरीजों में 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 29.5 प्रतिशत लोग शामिल हैं, इसके बाद 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग 21.3 प्रतिशत हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने 20 मई से गर्मी-संबंधित बीमारी निगरानी प्रणाली संचालित की है, जो शनिवार को समाप्त होनी है। (आईएएनएस)।
नोएडा, 30 सितंबर । दो हजार रुपए के नोट को बैंकों में बदलने का आज आखिरी दिन है। यदि आपके पास भी दो हजार के नोट है, तो जल्दी करें और तुरंत उन्हें बैंक या एटीएम के माध्यम से जमा करा दें। दो हजार के नोटों को जमा करने के लिए बैंक में शाम 4 बजे तक और एटीएम के माध्यम से रात 12 बजे तक का समय दिया गया है।
बैंक अधिकारियों के अनुसार गौतमबुद्ध नगर के बैंकों को दो हजार के नोटों को बदलने का जो लक्ष्य दिया गया था। वह अंतिम तिथि से एक सप्ताह पहले ही बैंकों ने पूरा कर लिया है। गौरतलब है की बीते 23 मई को दो हजार के नोटों को बदलने की घोषणा की गई थी। इसके बाद से लगातार बैंकों और एटीएम के माध्यम से इन नोटों को बदलने की प्रक्रिया चल रही थी। 30 सितंबर को दो हजार के नोट बदलने का अंतिम दिन है। शनिवार को बैंकों में शाम 4 बजे तक और एटीएम के माध्यम से रात 12 बजे तक दो हजार के नोट बदलने की सुविधा दी जाएगी।
बैंक अधिकारियों के अनुसार बैंकों को शाम 7 बजे तक करेंसी अधिकारियों के बैंकों को शाम 7 बजे तक करेंसी चेस्ट में जमा करानी होगी। इसके अलावा सभी एटीएम के पैसे अगले दिन तक जमा कराने होंगे। अधिकारियों के अनुसार नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 35 बैंकों की लगभग 570 शाखाएं संचालित की जा रही है, वहीं 820 एटीएम मशीन संचालित है।
नोट बदलने की घोषणा होने के बाद से ही इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बैंकों में 600 अतिरिक्त कर्मचारियों को लगाया गया था। जिले को मिला लक्ष्य अंतिम तारीख से सप्ताह भर पहले ही पूरा कर लिया गया है। इसके बाद भी लोगों ने लगभग 20 करोड़ से अधिक रुपए बैंकों में जमा कराए है। सितंबर माह में बैंकों में एक दिन में औसतन 18 से 20 करोड़ रुपए तक लोगों ने जमा कराए हैं। (आईएएनएस)।
केटीआर हैदराबाद, 30 सितंबर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव ने शनिवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार फंडिंग के लिए बेंगलुरु के बिल्डरों पर 'चुनाव टैक्स' लगा रही है।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "जाहिर तौर पर कर्नाटक की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना कांग्रेस को फंड देने के लिए बेंगलुरु के बिल्डरों पर प्रति वर्ग फुट 500 रुपये का "राजनीतिक चुनाव कर" लगाना शुरू कर दिया है।" "पुरानी आदत मुशकिल से जाती है। सबसे पुरानी पार्टी की घोटालों की समृद्ध विरासत है और इसीलिए इसे "स्कैमग्रेस" नाम दिया गया है, चाहे वे कितना भी पैसा खर्च करें, तेलंगाना के लोगों को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है।
केटीआर ने दो दिन पहले एक सार्वजनिक बैठक में आरोप लगाया था कि कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्नाटक और छत्तीसगढ़ से पैसा ले रही है और तेलंगाना में खर्च कर रही है। बीआरएस नेता ने 17 सितंबर को हैदराबाद में अपनी छह गारंटियों का खुलासा करने के बाद से कांग्रेस पर हमले तेज कर दिया है।
केटीआर ने टिप्पणी की कि कांग्रेस, जिसके पास खुद कोई वारंटी नहीं है, गारंटी दे रही है। उन्होंने एक बैठक में कहा, "अपने 65 साल के शासन में कांग्रेस पार्टी ने न तो पीने का पानी, बिजली, न ही पेंशन दी और न ही गरीबों की मदद की।"
केटीआर ने कांग्रेस द्वारा दी गई छह गारंटी का मजाक उड़ाया। “अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो छह चीजें होंगी, किसानों को बिजली आपूर्ति की समस्याओं से जूझना पड़ेगा, लोग पीने के पानी के लिए लड़ना शुरू कर देंगे, किसानों को उर्वरकों के लिए कतारों में खड़ा होना पड़ेगा, राज्य हर बार एक नया मुख्यमंत्री देखेगा। अगले वर्ष, ग्राम पंचायतें बस्तियां बन जाएंगी, और लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तक पहुंच नहीं मिलेगी। ”
उन्होंने यह आरोप लगाते हुए कि कहा कि कांग्रेस पार्टी के वादे केवल वोटों के लिए हैं। बीआरएस नेता ने कहा कि कांग्रेस राजस्थान, कर्नाटक या छत्तीसगढ़ में 4,000 रुपये पेंशन नहीं दे सकी, लेकिन उन्होंने तेलंगाना में इसका वादा किया। हर बैठक में केटीआर लोगों से कह रहे हैं कि अगर बीजेपी और कांग्रेस नेता पैसे दे रहे हैं, तो ले लें लेकिन वोट केवल बीआरएस को दें। (आईएएनएस)।
बिजनौर 30 सितंबर । उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना थाना प्रभारी की सरकारी जीप शुक्रवार देर रात राष्ट्रीय राजमार्ग 74 पर मंझेड़ चौकी के पास अनियंत्रित होकर पलट गई। इसमें थाना प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।
नैनीताल हाई कोर्ट के जज को एस्कॉर्ट करते समय शुक्रवार की रात राष्ट्रीय राजमार्ग 74 पर मंझेड़ा पुलिस चौकी के पास नगीना थाना प्रभारी की सरकारी जीप अनियंत्रित होकर पलट गई। हादसे में एसएचओ रविंद्र वशिष्ठ , चालक अंकित सोलानिया और कांस्टेबल सूरज गंभीर रूप से घायल हो गए। तीनों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगीना भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों ने सभी घायलों को मुरादाबाद के लिए रेफर किया गया है।
हादसे की जानकारी मिलने के बाद अपर पुलिस अधीक्षक धर्म सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक (देहात) राम अर्ज , उपजिलाधिकारी मोहित कुमार, सीओ शुभ सूचित, धामपुर थाना प्रभारी किरण पाल सिंह आदि मौके पर पहुंचे और सभी का हालचाल जाना।
नगीना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी ने बताया कि नगीना एसएचओ रविंद्र वशिष्ठ के बाएं हाथ में फ्रैक्चर है। कांस्टेबल सूरज की कमर और चालक अंकित सोलानिया के दोनों हाथों में चोट है। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें मुरादाबाद हायर सेंटर भेजा गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया की नैनीताल हाईकोर्ट के जज देहरादून से नैनीताल जा रहे थे। टीम उनको एस्कॉर्ट कर रही थी। इसी दौरान हादसा हुआ। (आईएएनएस)।
बिजनौर 30 सितंबर । उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना थाना प्रभारी की सरकारी जीप शुक्रवार देर रात राष्ट्रीय राजमार्ग 74 पर मंझेड़ चौकी के पास अनियंत्रित होकर पलट गई। इसमें थाना प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।
नैनीताल हाई कोर्ट के जज को एस्कॉर्ट करते समय शुक्रवार की रात राष्ट्रीय राजमार्ग 74 पर मंझेड़ा पुलिस चौकी के पास नगीना थाना प्रभारी की सरकारी जीप अनियंत्रित होकर पलट गई। हादसे में एसएचओ रविंद्र वशिष्ठ , चालक अंकित सोलानिया और कांस्टेबल सूरज गंभीर रूप से घायल हो गए। तीनों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगीना भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों ने सभी घायलों को मुरादाबाद के लिए रेफर किया गया है।
हादसे की जानकारी मिलने के बाद अपर पुलिस अधीक्षक धर्म सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक (देहात) राम अर्ज , उपजिलाधिकारी मोहित कुमार, सीओ शुभ सूचित, धामपुर थाना प्रभारी किरण पाल सिंह आदि मौके पर पहुंचे और सभी का हालचाल जाना।
नगीना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी ने बताया कि नगीना एसएचओ रविंद्र वशिष्ठ के बाएं हाथ में फ्रैक्चर है। कांस्टेबल सूरज की कमर और चालक अंकित सोलानिया के दोनों हाथों में चोट है। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें मुरादाबाद हायर सेंटर भेजा गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया की नैनीताल हाईकोर्ट के जज देहरादून से नैनीताल जा रहे थे। टीम उनको एस्कॉर्ट कर रही थी। इसी दौरान हादसा हुआ। (आईएएनएस)।
मैनपुरी, 29 सितंबर । उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान बड़ा हादसा हुआ। विसर्जन के बाद नहाने गए तीन युवकों की डूबने से मौत हो गई। वहीं एक अन्य अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।
घटना गुरुवार देर शाम बिधूना स्थित मार्कंडेय कुंड की है। मैनपुरी के पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार के मुताबिक, "गणेश प्रतिमा विसर्जित करने के बाद पांच युवक तालाब में नहाने लगे। नहाते-नहाते वे सभी तालाब की मध्य गहराई तक पहुंच गए और डूबने लगे।
स्थानीय लोगों ने उन्हें डूबते देखा तो चिल्लाना शुरू कर दिया। उनमें से कुछ तैराक कूद पड़े और एक युवक को बाहर निकालने में कामयाब रहे। बाद में चार अन्य को बाहर निकाला गया और उन्हें एम्बुलेंस से मेडिकल कॉलेज सैफई ले जाया गया।''
उनमें से तीन की पहचान बिजेंद्र शाक्य, अतुल नाई और आर्यन के रूप में हुई, जिनकी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि चौथे अजय कुमार की हालत गंभीर बनी हुई है।
पुलिस ने बताया कि सूचना मिलने पर वे घटना स्थल पर पहुंचे। मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच चल रही है। (आईएएनएस)।
पुणे, 29 सितंबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन यह सुनिश्चित करने के लिए एहतियाती कदम उठाएगा कि राजस्थान तथा मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में उसके सहयोगियों के बीच कोई विवाद न हो।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने के लिए बनाए गए ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) में 24 से अधिक विपक्षी दल शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल में स्पष्ट टकराव के बारे में बारामती में पत्रकारों से बातचीत में पवार ने कहा कि वहां निकट भविष्य में अभी कोई चुनाव नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब चुनाव नजदीक आते हैं तो इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच मतभेदों से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि, हम गठबंधन से निष्पक्ष नेताओं को भेजकर मुद्दों को हल कर लेंगे।’’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में कुछ सीटों पर दावा जताया है।
पवार ने कहा कि कुछ महीनों में चार से पांच राज्यों में चुनाव होने हैं और उनके लिए वह ज्यादा महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘इंडिया गठबंधन देखेगा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में गठबंधन के सहयोगी दल कैसे मिलकर काम करते हैं। मुंबई लौटने के बाद, मैं कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं से बातचीत करूंगा और हम यह सुनिश्चित करने के लिए एहतियात बरतेंगे कि इन राज्यों में गठबंधन के साझेदारों के बीच कोई विवाद न हो।’’
राकांपा प्रमुख ने कहा कि यह प्रक्रिया अगले आठ से 10 दिन में शुरू होगी।
छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन मंचों को आगामी आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप 2023 का अनधिकृत प्रसारण करने से रोकने का आदेश दिया है।
अदालत ने ‘डिज्नी प्लस हॉटस्टार’ का संचालन करने वाले ‘स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘नोवी डिजिटल एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ के मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
वादी ने कहा कि उनके पास विशेष वैश्विक मीडिया अधिकार हैं, जिनमें पांच अक्टूबर से 19 नवंबर तक होने वाले विश्व कप जैसे आईसीसी के विभिन्न आयोजनों के टेलीविजन और डिजिटल अधिकार शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल आयोजनों में से एक होने के कारण इस बात की आशंका है कि बड़ी संख्या में वेबसाइट विश्व कप से जुड़ी सामग्री का अनधिकृत प्रसारण करेंगी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि विश्व कप क्रिकेट मैच ‘‘खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में, निस्संदेह बेहद लोकप्रिय है’’ और आशंका है कि अतीत में भी चोरी की सामग्री दिखा चुकीं वेबसाइट अनधिकृत ‘स्ट्रीमिंग’ कर सकती हैं।
अदालत ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘इन उल्लंघनकर्ता वेबसाइट को वादी पक्ष की अनुमति या लाइसेंस के बिना क्रिकेट मैच कार्यक्रमों के किसी भी हिस्से का सार्वजनिक प्रसारण करने से रोकने की आवश्यकता है।’’
उसने कहा, ‘‘इसी के अनुसार, बचाव संख्या प्रतिवादी संख्या एक से नौ (मुख्य रूप से अवैध और चोरी की सामग्री प्रसारित करने वाली वेबसाइट) को आईसीसी विश्व कप क्रिकेट मैचों के किसी भी हिस्से को इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल मंचों पर किसी भी तरह से प्रसारित करने, उसकी स्क्रीनिंग करने या उसे उपलब्ध कराने से अंतरिम आदेश के जरिए रोका जाता है।’’
अदालत ने कहा कि यदि इस स्तर पर रोक नहीं लगाई जाती है तो इससे वादी पक्ष को अपूरणीय क्षति होगी।
अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इन वेबसाइट को ब्लॉक करने एवं निलंबित करने का निर्देश दिया और स्पष्ट किया कि यदि किसी और उल्लंघनकर्ता वेबसाइट का पता चलता है, तो वादी पक्ष दूरसंचार विभाग, इलेक्ट्रॉनिकी मंत्रालय और इंटरनेट सेवा प्रदाता को उसकी जानकारी मुहैया करा सकता है, ताकि उसे ‘ब्लॉक’ करने के आदेश दिए जा सकें। (भाषा)
मैनपुरी/लखनऊ (उप्र), 29 सितंबर मैनपुरी में कथित तौर पर उपचार में लापरवाही बरतने के कारण एक नाबालिग छात्रा की मौत होने और उसके शव को अस्पताल से बाहर फेंकने के मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित राधा स्वामी अस्पताल को ‘सील’ कर उसके लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है।
यह कार्रवाई स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग संभाल रहे राज्य के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर की गयी।
पाठक ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘राधा स्वामी अस्पताल, मैनपुरी में शव को बाइक पर रखने संबंधी मामले के संज्ञान में आते ही मुख्य चिकित्साधिकारी, मैनपुरी को इस संबंध में तत्काल कठोर कार्रवाई किये जाने के आदेश दिये गये हैं। इस संबंध में नोडल अधिकारी की प्राथमिक जांच की रिपोर्ट के क्रम में करहल रोड पर स्थित उक्त राधास्वामी अस्पताल को सील कर दिया गया है।’’
इसी पोस्ट में पाठक ने कहा, ‘‘अस्पताल प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए उक्त अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, घिरोर में भर्ती करा दिया गया है एवं अस्पताल का लाइसेंस निलम्बित करते हुए मामले की विस्तृत जांच के लिए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति गठित कर दी गयी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी से एक सप्ताह के अन्दर रिपोर्ट मांगी गयी है। अस्पताल का पंजीकरण रद्द करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराये जाने की भी कार्रवाई की जायेगी। किसी भी दशा में ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जायेंगी। दोषियों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई की जायेगी।’’
मैनपुरी से मिली खबर के अनुसार, उपचार में लापरवाही के कारण बालिका की मौत के मामले में उप मुख्यमंत्री के आदेश पर राधा स्वामी अस्पताल को ‘सील’ कर दिया गया है और उसका पंजीकरण भी रद्द कर दिया गया है।
घटना के संदर्भ में परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, घिरोर थाना क्षेत्र के ओय निवासी गिरीश चंद्र की पुत्री भारती (17) कक्षा 12वीं की छात्रा थी। मंगलवार को उसे तेज बुखार आया था। परिजनों ने उसे घिरोर के राधा स्वामी अस्पताल में भर्ती कराया और वहां उपचार शुरू हुआ।
परिजनों के अनुसार, अस्पताल में इलाज में लापरवाही के कारण भारती की मौत हो गयी और अस्पताल संचालकों ने परिजनों को जानकारी दिये बिना भारती को निकालकर सड़क पर रख दिया।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित हुआ, जिसमें दो लोग छात्रा को मोटरसाइकिल पर रखते हुए दिख रहे हैं, जिसके बाद छात्रा बाइक पर ही लुढ़क जाती है। वीडियो में किसी की आवाज सुनाई देती है कि ‘‘तुमने पेशेंट को बाहर निकालकर डाल दिया’’। वीडियो में किसी को यह भी कहते सुना जा सकता है कि ‘‘रुको वीडियो बनाते हैं’’।
इसके बाद वीडियो में एक महिला छात्रा को पकड़कर फफक फफक कर रोती हुई और ‘‘लल्ली-लल्ली’’ (बेटी-बेटी) कहते सुनी जा सकती है। 58 सेकेंड के इस वीडियो के आखिरी दृश्य में महिला के साथ एक पुरुष भी छात्रा के शव को बाइक से उतारते दिख रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आरसी गुप्ता ने बताया कि अस्पताल का पंजीकरण निरस्त कर उसे सील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कुछ मरीज भी वहां भर्ती थे, जिन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया है।
उन्होंने कहा कि तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है, जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी।
अमेठी में इलाज में कथित लापरवाही के कारण एक महिला की मौत के बाद संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित कर दिया और फिर उसके बाद अमेठी जिले में ही एक और निजी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर उसकी सारी सेवाओं पर रोक लगा दी गयी।
जिले के मुसाफिरखाना में जनता अस्पताल में भर्ती एक महिला की प्रसव के दौरान मौत के मामले में अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को जनता अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर उसे ‘सीज’ कर दिया, यानी अस्पताल पर नोटिस चस्पा दिया गया है और अब यह प्रशासन के अधीन है तथा अस्पताल का कोई व्यक्ति इसमें गतिविधि नहीं कर सकता है।
इससे पहले 17 सितंबर को जिले के संजय गांधी अस्पताल को 22 वर्षीय विवाहिता की मौत के बाद ‘सीज’ कर दिया गया था। (भाषा)
बलिया (उप्र), 29 सितंबर बलिया जिला मुख्यालय के शहर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में पत्नी से विवाद के बाद एक युवक ने अपनी कथित प्रेमिका के सामने खुद को अवैध तमंचे से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
शहर क्षेत्र के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) वैभव पाण्डेय ने बताया कि बलिया शहर कोतवाली क्षेत्र के जमुआ गोपालपुर गांव में बृहस्पतिवार को रात्रि लगभग साढ़े नौ बजे सोनू (30) ने अपनी प्रेमिका के सामने खुद को अवैध तमंचे से गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
उन्होंने बताया कि बलिया शहर कोतवाली क्षेत्र के जमुआ गांव का निवासी सोनू शादीशुदा था और पत्नी के साथ उसके संबंध ठीक नहीं थे।
सीओ ने बताया कि बृहस्पतिवार को रात्रि सोनू अपनी कार से प्रेमिका के साथ जमुआ गोपालपुर गांव गया हुआ था। इसी दौरान वीडियो कॉलिंग पर पत्नी से उसकी बातचीत हुई तथा इसके बाद ही उसने आवेश में आकर गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद सोनू की प्रेमिका की हालत बिगड़ गई। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची तथा दोनों को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने सोनू को मृत घोषित कर दिया। सीओ ने कहा कि पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की छानबीन की जा रही है। (भाषा)
इंदौर (मध्यप्रदेश), 29 सितंबर उज्जैन में 12 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार की जघन्य घटना को लेकर मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पर हमला जारी रखते हुए कांग्रेस महासचिव और मध्यप्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को दावा किया कि दुष्कर्म के दौरान दलित समुदाय की इस किशोरी से दिल्ली के निर्भया कांड से भी ज्यादा दरिंदगी की गई।
सुरजेवाला, इंदौर के शासकीय महाराजा तुकोजीराव होलकर महिला चिकित्सालय पहुंचे जहां बलात्कार पीड़ित लड़की पिछले तीन दिन से भर्ती है और उसकी जटिल सर्जरी की गई है।
कांग्रेस महासचिव ने संवाददाताओं को बताया कि प्रदेश सरकार के फैसले के तहत उन्हें अस्पताल में लड़की से मुलाकात की इजाजत नहीं दी गई और उन्होंने उसका इलाज कर रहे चिकित्सकों से उसकी खैरियत पूछी।
सुरजेवाला ने कहा कि चिकित्सकों ने लड़की की सर्जरी की है, लेकिन उसके टांके खुलने में संभवत: एक महीना लगेगा। उन्होंने कहा, ‘‘इससे आप समझ सकते हैं कि सतना के एक दलित परिवार की इस लड़की से दिल्ली के निर्भया कांड से भी ज्यादा दरिंदगी की गई है और दुष्कर्म से उसके गुप्तांगों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा है।’’
सुरजेवाला ने कहा कि मामले को रफा-दफा करने की कथित साजिश के तहत प्रदेश सरकार कहती रही कि बलात्कार पीड़ित लड़की उत्तर प्रदेश की रहने वाली एक भिखारी है, पर अब यह बात सामने आ चुकी है कि वह विद्यालय की छात्रा है और सतना में रहने वाले एक दलित परिवार से ताल्लुक रखती है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, "मुझे चिकित्सकों ने बताया है कि लड़की को जब भी होश आता है, तो वह अपने विद्यालय की यूनिफॉर्म मांगती है।"
उन्होंने दावा किया कि इस लड़की को सतना से उज्जैन लाकर उसके साथ बलात्कार किया गया।
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मामले में "रहस्यमयी और षड़यंत्रकारी" चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बलात्कार पीड़ित लड़की का कुशलक्षेम जानने के लिए चौहान एक बार भी अस्पताल नहीं आए। मुख्यमंत्री इस मामले में लापता और खामोश क्यों हैं?"
कांग्रेस महासचिव ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "सचाई यह है कि राज्य में दलितों और आदिवासियों की संज्ञा अब इंसान के बराबर नहीं रही। इन वर्गों के लोगों पर सबसे ज्यादा अत्याचार भाजपा शासन में हो रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पीड़ित लड़की के परिवार को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का निर्णय किया है और पार्टी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के किसी बड़े अस्पताल में पीड़ित के नि:शुल्क इलाज के लिए भी तैयार है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 29 सितंबर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि पिछले नौ साल में संघीय ढांचे में निर्णायक नीतियां, राजनीतिक स्थिरता, लोकतंत्र और सामूहिक रूप से काम करने की भावना देखी गयी जिसने देश को ‘‘नीतिगत पंगुता’’ से बाहर निकाला है।
गृह मंत्री ने ‘चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ के 118वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि 2004 से 2014 के कालखंड ने ‘‘देश को हिलाकर रख दिया’’ जो राजनीतिक अस्थिरता का ‘‘आखिरी कालखंड’’ भी था।
शाह ने कहा कि पिछले नौ वर्षों ने काम का नतीजा देखा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था को भी एक नयी दिशा मिली है।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले नौ वर्ष राजनीतिक स्थिरता और निर्णायक नीति निर्माण के रहे हैं...इस अवधि के दौरान हमारा सकल घरेलू उत्पाद 2030 अरब डॉलर से बढ़कर 3750 अरब डॉलर हो गया है जो लगभग दोगुना है। प्रति व्यक्ति आय 2013-14 में 68,000 रुपये बढ़कर 1.80 लाख रुपये पहुंच गयी है।’’ (भाषा)
नई दिल्ली, 29 सितंबर । कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को मनरेगा की सामाजिक लेखा परीक्षा इकाई की फंडिंग में देरी को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह योजना को चक्रव्यूह में फंसाकर योजनाबद्ध तरीके से इच्छामृत्यु देने के अलावा और कुछ नहीं है।
एक्स, पूर्व में ट्विटर पर एक पोस्ट में, रमेश ने कहा, "ग्राम सभा द्वारा सामाजिक ऑडिट जवाबदेही लागू करने, पारदर्शिता बढ़ाने के लिए और मूल रूप से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का एक अनिवार्य हिस्सा है। वे । प्रत्येक राज्य में एक स्वतंत्र सामाजिक ऑडिट है, जिसे केंद्र द्वारा सीधे वित्त पोषित किया जाता है, ताकि इसकी स्वायत्तता को संरक्षित किया जा सके। हाल ही में इस फंडिंग में अत्यधिक देरी हो रही है।''
"परिणामस्वरूप, सामाजिक ऑडिट समय पर नहीं हो पाता है, और सामाजिक ऑडिट प्रक्रिया से समझौता हो जाता है, जिसे बाद में मोदी सरकार द्वारा राज्यों को धन देने से इनकार करने के लिए एक बहाने के रूप में उपयोग किया जाता है, जो बदले में वेतन भुगतान आदि को प्रभावित करता है।''
राज्यसभा सांसद ने कहा, ''यह और कुछ नहीं, बल्कि मनरेगा को चक्रव्यूह में फंसाकर योजनाबद्ध इच्छामृत्यु है।'' रमेश ने एक समाचार रिपोर्ट संलग्न करते हुए कहा। कांग्रेस महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना को लेकर सरकार की आलोचना करती रही है। (आईएएनएस)।
मुजफ्फरपुर, 29 सितंबर । रेल यात्रा के दौरान छेड़खानी के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन जब छेड़खानी का आरोप किसी रेलकर्मी पर ही लगे तो फिर इसे क्या कहेंगे। ऐसा ही एक मामला जालंधर-सहरसा गरीबरथ एक्सप्रेस में सामने आया है, जहां एक रेल सफाईकर्मी पर ट्रेन से यात्रा कर रही एक छात्रा से छेड़खानी करने का आरोप है।
मुजफ्फरपुर रेल पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
बताया जाता है कि लुधियाना में नर्सिंग की पढ़ाई कर रही एक छात्रा गरीबरथ एक्सप्रेस से अपने घर मोतिहारी आ रही थी। इस दौरान वह बीच में ऊपर वाले बर्थ से नीचे उतरकर अपना मोबाइल चार्ज करने लगी।
इसी बीच एक युवक आकर वहीं बैठ गया और छात्रा से मोबाइल नंबर मांगने लगा।
आरोप है कि जब उसने मना किया तो युवक छात्रा को परेशान करने लगा। रात में युवक छात्रा के शरीर को भी किसी बहाने 'टच ' करता रहा।
गुरुवार सुबह छपरा स्टेशन के पास युवक लड़की के और नजदीक पहुंचने की कोशिश करने लगा। डरी सहमी छात्रा दूसरे कोच में चली गई, लेकिन वहां भी यह युवक पहुंच गया।
बाद में छात्रा ने एक-दो यात्रियों को इस विषय में बताया। इस बीच, एक पुलिसवाले ने युवक की हरकत को भांप लिया, उसके बाद उन्होंने मुजफ्फरपुर रेल एसपी कंट्रोल को खबर दी।
उधर, कंट्रोल से उसको पकड़कर रखने को कहा गया। कुछ यात्रियों के सहयोग से उसे पकड़ लिया गया।
मुजफ्फरपुर जंक्शन पर आने के साथ युवक को गिरफ्तार कर लिया गया।
युवक की पहचान रेल सफाईकर्मी सौरभ के रूप में की गई, जो आगरा का रहने वाला बताया जाता है। यह अनुबंध पर रेलवे में कार्यरत है।
मुजफ्फरपुर के रेल एसपी कुमार आशीष ने बताया कि छात्रा के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की छानबीन की जा रही है। (आईएएनएस)