राष्ट्रीय
भोपाल, 3 अक्टूबर विपक्षी गठबंधन ‘ इंडिया’ की प्रमुख घटक आम आदमी पार्टी (आप) ने मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 29 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची जारी की है।
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के इस कदम ने मप्र चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘ इंडिया’ के एकजुट होकर काम करने की संभावनाओं को और कम कर दिया है।
कुल मिलाकर आप ने मप्र में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए दो सूचियों के माध्यम से 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इससे पहले पिछले माह की शुरुआत में दस उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गई थी।
उम्मीदवारों की दूसरी सूची में भाजपा की पूर्व विधायक ममता मीणा का नाम शामिल है। मीणा गुना जिले की चाचौड़ा सीट से भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद पिछले महीने आप में शामिल हो गयी थीं। आप ने उन्हें चाचौड़ा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है।
सोमवार रात आप के ‘एक्स’ अकाउंट से जारी सूची में तीन अनुसूचित जनजाति (एसटी) और चार अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षित सीटों के लिए भी उम्मीदवारों की घोषणा की गई।
आप ने भोपाल शहर से दो उम्मीदवारों की भी घोषणा की, जिसमें मोहम्मद सऊद (भोपाल उत्तर) और रईसा बेगम मलिक (नरेला) शामिल हैं।
इंदौर जिले से तीन उम्मीदवार घोषित किये गये - सुनील चौधरी (महू), अनुराग यादव (इंदौर-1) और पीयूष जोशी (इंदौर-4)। सूची में रमणी देवी जाटव (भांडेर), राहुल कुशवाह (भिंड), सतेंद्र भदोरिया (मेहगांव), चाहत मणि पांडे (दमोह), चंदा किन्नर (मलहरा), भेरू सिंह अनारे (गंधवानी), अनूप गोयल (शिवपुरी), सुनील गौर (सिवनी-मालवा), आनंद सिंह (बरगी), पंकज पाठक (पनागर) और विजय मोहन पाल्हा (पाटन) के नाम शामिल हैं।
दिल्ली और पंजाब में सत्तारुढ़ आप ने नान सिंह नावड़े (सेंधवा), दिलीप सिंह गुड्डू (देवतालाब), वरुण अंबेडकर (मनगवां), उमेश त्रिपाठी (मऊगंज), वरुण गुर्जर खटीक (रायगांव), उषा कोल (मानपुर), रतिभान साकेत (देवसर), आनंद मंगल सिंह (सीधी), अमित भटनागर (बिजावर), भागीरथ पटेल (छतरपुर), सुबोध स्वामी (नागदा-खाचरौद) और दीपक सिंह पटेल (रीवा) को भी मैदान में उतारा है।
मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने अब तक तीन अलग-अलग सूचियों में 79 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने अब तक उम्मीदवारों की कोई सूची जारी नहीं की है।
विपक्षी गठबंधन ‘ इंडिया ’ के दो प्रमुख सदस्य आप और कांग्रेस ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे मप्र चुनाव में गठबंधन सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
पिछले महीने दिल्ली में एक बैठक के बाद, इंडिया गठबंधन ने अक्टूबर के पहले सप्ताह में भोपाल में एक संयुक्त रैली की घोषणा की थी, लेकिन मप्र कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने बाद में कहा कि इसे रद्द कर दिया गया है।
वर्ष 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 114 सीटें जीती थीं और गठबंधन सरकार बनाई थी। भाजपा ने 109 सीटें जीती थीं। मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई, जिसके बाद भाजपा सत्ता में लौट आई और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने। (भाषा)
लखनऊ, 3 अक्टूबर । बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के मामले में अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जन भावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार कर जातीय जनगणना अविलम्ब शुरू करा देना चाहिए।
बसपा मुखिया मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में हैं तथा उस पर गहन चर्चाएं जारी हैं। कुछ पार्टियाँ इससे असहज ज़रूर हैं किन्तु बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लम्बे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है।
उन्होंने आगे लिखा कि बीएसपी को प्रसन्नता है कि देश की राजनीति उपेक्षित ’बहुजन समाज’ के पक्ष में इस कारण नया करवट ले रही है, जिसका नतीजा है कि एससी/एसटी आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने तथा घोर ओबीसी व मंडल विरोधी जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिन्तित नजर आने लगे हैं।
मायावती ने कहा कि यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जन भावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार करके जातीय जनगणना/सर्वे अविलम्ब शुरू करा देना चाहिए, किन्तु इसका सही समाधान तभी होगा जब केन्द्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी।
गौरतलब हो कि बिहार सरकार ने सोमवार को जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए। गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने यह रिपोर्ट जारी की।
अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने बताया कि जातिगत सर्वे के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ के करीब है। रिपोर्ट के अनुसार अति पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं। (आईएएनएस)।
एक वक्त था जब भारत में देसी निजी कंपनियों के रॉकेट अंतरिक्ष में भेजने की व्यवस्था ही नहीं थी. अब निजी कंपनियां तेजी से पांव पसार रही हैं.
जब भारतीय उद्यमी अवैस अहमद ने 2019 में बेंगलुरू में अपनी उपग्रह सैटेलाइट स्टार्टअप कंपनी शुरू की, तो उनके देश भारत में अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए नहीं खोला गया था. अहमद की कंपनी पिक्सल अंतरिक्ष से तस्वीरें लेने वाले कई उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर चुकी है.
21 साल की उम्र में अपनी कंपनी शुरू करने वाले अहमद बताते हैं, "जब हमने शुरुआत की तो कहीं कोई मदद नहीं थी. कोई गति नहीं थी.” अब हालात एकदम अलग हैं. भारत में अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र आसमान में ऊंची उड़ान भर रहा है और तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष उद्योग का हिस्सा बन रहा है.
तेजी से बढ़ता उद्योग
भारत में 190 स्टार्टअप कंपनियां हैं जो अंतरिक्ष उद्योग में काम कर रही हैं. एक साल में इनकी संख्या दोगुनी हो चुकी है. कंसल्टेंसी कंपनी डेलॉइट के मुताबिक 2021 और 2022 के बीच निजी अंतरिक्ष उद्योग में निवेश 77 फीसदी बढ़ा है.
अहमद कहते हैं, "बहुत सारे निवेशक इस तरफ देखने को भी राजी नहीं थे क्योंकि अंतरिक्ष तकनीक में खतरा बहुत था. अब आप देख सकते हैं कि एक के बाद एक कंपनियां भारत में निवेश पा रही हैं. लगातार नयी कंपनियां शुरू हो रही हैं.”
पिक्सल के पास फोटोग्राफी की ऐसी तकनीक है कि उसके उपग्रह आसमान से अत्यधिक साफ तस्वीरें ले सकते हैं और वे बारीकियां भी पकड़ सकते हैं जो आम कैमरे से ली गईं तस्वीरों में नहीं होतीं. इसी तकनीक के आधार पर पिक्सल उपग्रह बनाती है. कंपनी का कहना है कि उसका मिशन है "पृथ्वी के लिए एक हेल्थ मॉनिटर बनाना, जो बाढ़, जंगलों की आग और मीथेन लीक जैसे जलवायु संकटों का पता लगा सके.”
जब पिक्सल को मना कर दिया गया
शुरुआत में पिक्सल ने अपने उपग्रह भेजने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के रॉकेट इस्तेमाल करने चाहे थे. अहमद बताते हैं, "मैं इसरो में लॉन्च बुक करना चाहता था. मुझे याद है कि इसरो में किसी से मेरी बात हो रही थी और उन्होंने मुझसे कहा कि उनके पास तो भारतीय उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने की कोई प्रक्रिया ही नहीं है. (उन्होंने कहा कि) अगर आप विदेशी कंपनी होते तो हमारे पास प्रक्रिया है. मुझे तो यह बात समझ ही नहीं आयी थी.”
पिक्सल ने इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ बुकिंग की और दो उपग्रह अंतरिक्ष को भेजे. पिक्सल ने अपने निवेशकों से 7.1 करोड़ डॉलर जुटाये हैं. इनमें से लगभग आधे गूगल के हैं. इस धन से कंपनी अगले साल छह नये उपग्रह अंतरिक्ष में भेज पाएगी. कंपनी को अमेरिका में एक जासूसी एजेंसी नेशनल रीकनेसांस ऑफिस (एनआरओ) से भी ठेका मिला है.
फ्रांस के नेशनल साइंटिफिक रिसर्च सेंटर में काम करने वालीं और भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की विशेषज्ञ इजाबेला सावरबेस-वर्जर बताती हैं कि 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने से पहले "भारत में हर गतिविधि इसरो की निगरानी में होती थी.”
सीमित संसाधनों के बावजूद भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. अगस्त में ही उसने चंद्रमा के दक्षिणी धुर्व पर एक रोवर उतारा, जो आज तक कोई नहीं कर पाया था. इसके अलावा इसरो ने पिछले महीने की शुरुआत में ही सूर्य अनुसंधान अभियान भेजा है जो सौर मंडल के केंद्र में जा रहा है. अगले साल उसकी यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजने की योजना है.
यह सब इसरो ने हासिल किया है. अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार होने से पहले निजी कंपनियां इसरो के सप्लायर्स के तौर पर ही काम कर सकती थीं. सावरबेस-वर्जर कहती हैं, "वह अब संभव नहीं था क्योंकि करने को बहुत कुछ है.”
ग्लोबल इकोनॉमी में हिस्सा
अंतरिक्ष उद्योग के क्षेत्र में सुधारों को और विस्तार देने के लिए भारत ने अप्रैल में अपनी अंतरिक्ष नीति का ऐलान किया. इस नीति में इसरो के कार्यक्षेत्र को अनुसंधान और विकास तक ही सीमित कर दिया गया है ताकि "वैश्विक अंतरिक्ष आर्थिकी में निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ायी जा सके.”
भारत का कहना है कि 386 अरब डॉलर की वैश्विक अंतरिक्ष इकोनॉमी में उसका हिस्सा महज दो फीसदी का है. 2030 तक वह इस हिस्से को नौ फीसदी तक बढ़ाना चाहता है. 2040 तक वैश्विक स्तर पर इस बाजार के एक खरब डॉलर को पार कर जाने की संभावना है.
इस संभावना का फायदा उठाने के लिए भारत में हाल के सालों में तेजी से निजी कंपनियां उभरी हैं. इनमें स्काईरूट एयरोस्पेस भी शामिल है जिसने देश का पहला निजी रॉकेट अंतरिक्ष में भेजा. एक अन्य कंपनी ध्रुव स्पेस छोटे-छोटे उपग्रह बना रही है जबकि बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस प्रोपल्सन सिस्टम बनाती है.
सावरबेस-वर्जर कहती हैं, "क्या वाकई इससे एक सक्रिय और ओद्यौगिक स्तर का लाभदायक ढांचा तैयार होगा? संभव है, लेकिन उसकी कुछ सीमाएं भी होंगी.”
वीके/एए (एएफपी)
डीडब्ल्यू की मुलाकात एक ऐसे युवा से हुई जो एक सफल इंजीनियर बनने के अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए कोटा चला गया है.
डॉयचे वैले पर आदिल भट की रिपोर्ट-
शाकिब खान (पहचान छुपाने के लिए बदला हुआ नाम) की हर सुबह, असफलता के बार-बार आने वाले बुरे सपनों की यादों से शुरू होती है. वह हर वक्त चिंता और भय का अनुभव करता है. 20 वर्षीय इस छात्र का सपना है कि वो भारत के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में प्रवेश पा जाए. उनके माता-पिता लंबे समय से चाहते थे कि वह एक सफल इंजीनियर बने.
तीन साल पहले, शाकिब भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश से कोटा चला गया, जो राजस्थान में निजी कोचिंग संस्थानों का एक बड़ा केंद्र है. इस शहर में देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की उम्मीद कर रहे युवाओं को कोचिंग संस्थानों के जरिए मार्गदर्शन मिलता है.
यहां रहना काफी खर्चीला है और शाकिब के माता-पिता को भी कोटा में उसके निजी कोचिंग का खर्च उठाने के लिए रिश्तेदारों से पैसे उधार लेने पड़े.
छात्रों की आत्महत्याएं क्यों बढ़ रही हैं?
शाकिब आईटीटी की प्रवेश परीक्षा के अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाया जिसके बाद से रातों की नींद हराम है. कमजोर मनोबल के कारण वो अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में भी सोचता है. लेकिन नियमित दवा लेने के बाद अब वो थोड़ा बेहतर तरीके से इन परिस्थितियों का सामना करने लगा है.
आईआईटी में जगह पक्की करने के लिए अब वह दूसरी कोशिश कर रहा है. एक बार फिर प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए भारी दबाव है. डीडब्ल्यू से बातचीत में शाकिब कहता है, "जब आप उदास महसूस करते हैं तो उन क्षणों में आपके पास कोई भावनात्मक समर्थन नहीं होता. मैं दिन-रात रोता रहता था. माता-पिता की ओर से प्रदर्शन करने का अत्यधिक दबाव और अपेक्षाएं होती हैं और यह आपको अंदर से मार देती है. कभी-कभी आप इसे और अधिक नहीं झेल सकते और आप टूट जाते हैं.”
कोटा शहर में यहएक चिंताजनक प्रवृत्ति देखी जा रही है क्योंकि छात्र अत्यधिक दबाव, भयंकर प्रतिस्पर्धा और उस सहानुभूति की कमी से जूझ रहे हैं जो विफलता को मनोवैज्ञानिक हताशा में बदल देती है. कोटा में इस साल अब तक कम से कम 23 छात्रों ने आत्महत्या की है. पिछले महीने तो दो बच्चों ने एक ही दिन आत्महत्या की.
आत्महत्या को कैसे रोका जाए
आगे की आत्महत्याओं को रोकने के लिए, राजस्थान पुलिस ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी चंद्रासिल ठाकुर की अध्यक्षता में एक छात्र इकाई स्थापित करने के लिए 11 अधिकारियों की एक विशेष टीम बनाई है. वे और उनकी टीम उन छात्रों की मदद करने के लिए हॉस्टल और कोचिंग सेंटरों का दौरा करते हैं जो अतिसंवेदनशील होते हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में ठाकुर ने बताया, "हमने ऐसे कई मामलों को रोका है जहां छात्रों ने अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं. हम तुरंत उनके छात्रावासों में जाते हैं, उनके माता-पिता को सूचित करते हैं और उनकी काउंसिलिंग शुरू करते हैं.” टीम ने एक हेल्पलाइन भी खोली है जहां छात्र पहुंच सकते हैं और लोगों से बात कर सकते हैं.
ठाकुर बताते हैं कि उनके पास मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान छात्रों के हर दिन कम से कम 10 कॉल्स आते हैं. कई कोचिंग सेंटरों ने मानसिक स्वास्थ्य संकट को दूर करने के प्रयास में योग कक्षाएं और संगीत समारोह जैसी आकर्षक और आरामदायक गतिविधियां भी शुरू की हैं.
शिक्षक, छात्रावास मालिक और डॉक्टर भी संकट महसूस कर रहे ऐसे छात्रों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
जानलेवा दबाव
भारत में दुनिया की सबसे अधिक युवा आत्महत्या दर है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, साल 2020 में हर 42 मिनट में एक छात्र ने आत्महत्या की. उसी साल, पूरे भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के छात्रों की 11,396 आत्महत्याएं दर्ज की गईं.
कोटा मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर विनोद दरिया कोचिंग संस्थानों में प्रशिक्षित काउंसलर की कमी से चिंतित हैं. वो कहते हैं कि छात्र साथियों और माता-पिता के दबाव से पीड़ित होते हैं. डॉक्टर दरिया कहते हैं, "बड़ी संख्या में छात्र कम आय वाले परिवारों से आते हैं, जिन पर माता-पिता की उम्मीदों का बोझ होता है कि वे डॉक्टर या इंजीनियर बनेंगे. यह उन पर भारी पड़ता है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है.”
डॉक्टर दरिया अपने अस्पताल में, नियमित रूप से उन छात्रों से मिलते हैं जो तीव्र तनाव और अवसाद यानी डिप्रेशन से पीड़ित हैं. वो कहते हैं, "मैं हर दिन दर्जनों छात्रों को देखता हूं और उनमें से 4 फीसद अवसाद से पीड़ित पाए जाते हैं. और दुखद बात यह है कि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की कमी के कारण कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं. ऐसे कुछ मामले हैं जहां छात्रों को मनोचिकित्सकों से गंभीर मदद की जरूरत होती है.”
डरे हुए मां-बाप कोटा चले गए
हाल ही में छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाओं के कारण, चिंतित कई माता-पिता अपने बच्चों की मदद के लिए खुद भी कोटा चले गए हैं. लेकिन शाकिब की मां, शाहजहां खान और कई अन्य माता-पिता, कोटा जाने का जोखिम नहीं उठा सकते. हाल ही में आत्महत्या के बढ़ते मामलों के बीच शाहजहां खान भी अपने बेटे के लिए चिंतित हैं और शाकिब की स्थिति को जांचने के लिए वो दिन में पांच बार उसे फोन करती हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "मेरे दिमाग में एक अजीब और लगातार डर बना रहता है. मैं उससे कहती रहती हूं कि वो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे और नतीजों की चिंता न करे.”
(dw.com)
बेंगलुरु, 3 अक्टूबर बेंगलुरु में मंगलवार को एनआईसीई रोड पर एक ट्रक से टक्कर के बाद कार में आग लग गई, जिसमें एक महिला और उसकी छोटी बेटी जिंदा जल गईं, वहीं पिता और एक अन्य बेटी गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
मृतक की पहचान सिंधु और उसकी दो साल की बेटी के रूप में हुई है।
पुलिस के मुताबिक, घटना सोमपुरा के पास हुई, जब महेंद्रन बी अपनी पत्नी सिंधु और दो बेटियों के साथ कार से मैसूरु रोड से कनकपुरा रोड की ओर जा रहे थे।
सुबह लगभग 4 बजे महेंद्रन ने कार पर नियंत्रण खो दिया और यह एक ट्रक से टकरा गई। देखते ही देखते कार में आग लग गई।
महेद्रन और उनकी बड़ी बेटी भागने में सफल रहे, जबकि सिंधु और दूसरी बेटी कार में फंस गईं और जल गईं। टक्कर के बाद ट्रक चालक भी नियंत्रण खो बैठा और वाहन सड़क किनारे पलट गया।
महेंद्रन ने परिवार के साथ नागासांद्रा जाने के लिए कार किराए पर ली थी।
वह तमिलनाडु के रहने वाले हैं और बेंगलुरु में राममूर्ति नगर के पास विजिनापुरा में रहते हैं।
शवों को केआईएमएस अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है। तलघट्टपुरा ट्रैफिक पुलिस मौके पर पहुंच गई है और मामले की जांच कर रही है।
पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि महेद्रन को गाड़ी चलाते समय झपकी आ गई थी, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई। पुलिस ने कहा कि दुर्घटना का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। (आईएएनएस)।
महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक सरकारी अस्पताल में 24 घंटे के भीतर 24 मरीजों की मौत से हड़कंप मच गया है. मरने वालों में 12 नवजात भी शामिल थे.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में शनिवार और रविवार के बीच 24 घंटों के भीतर 12 नवजात शिशुओं समेत 24 लोगों की मौत हुई. सरकारी अस्पताल के डीन ने कहा कि 24 मौतों में से 12 वयस्क "विभिन्न बीमारियों, ज्यादातर सांप के काटने" से पीड़ित थे." उन्होंने कहा, "पिछले 24 घंटों में छह लड़कियां और छह लड़कों की मौत हो गई. 12 वयस्कों की भी विभिन्न बीमारियों के कारण मौत हुई जिनमें से ज्यादातर सांप के काटने से थे."
डीन का कहना है कि विभिन्न कर्मचारियों के ट्रांसफर के कारण उन्हें कुछ कठिनाई का सामना करना पड़ा रहा था. साथ ही डीन का कहना है कि यह एक देखभाल केंद्र है लेकिन मरीज विभिन्न इलाकों से यहां आते हैं, क्योंकि यह 70-80 किलोमीटर के दायरे में एकमात्र देखभाल केंद्र है.
उन्होंने कहा कि कुछ दिन मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और इससे बजट की समस्या पैदा हो जाती है.
अस्पताल में दवा का संकट
डीन ने बताया कि, "एक इंस्टीट्यूट हैफकिन है. हमें उनसे दवाएं खरीदनी थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लेकिन हमने स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदीं और मरीजों को मुहैया कराईं."
डीन के दावों का खंडन करते हुए कि दवा और धन की कमी थी, अस्पताल ने एक बयान में कहा, "अस्पताल में आवश्यक दवाएं उपलब्ध हैं. अस्पताल के पास 12 करोड़ रुपये का फंड है. इस वित्तीय वर्ष के लिए 4 करोड़ स्वीकृत कर दिया गया है. अन्य मरीजों की जरूरत के मुताबिक इलाज किया जा रहा है."
इन मौतों को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई में पत्रकारों से कहा कि अस्पताल में क्या हुआ, इसके बारे में अधिक जानकारी मांगी जाएगी और कार्रवाई की जाएगी.
विपक्ष के निशाने पर शिंदे सरकार
दूसरी ओर महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने समाचार एजेंसी को बताया कि मौतों की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है.
महाराष्ट्र में विपक्ष ने राज्य में एकनाथ शिंदे सरकार पर चौतरफा हमला करते हुए कहा, "ट्रिपल इंजन सरकार (बीजेपी, एकनाथ शिंदे सेना और एनसीपी के अजीत पवार गुट की) को जिम्मेदारी लेनी चाहिए."
एनसीपी के शरद पवार ने कहा कि यह घटना सरकारी प्रणालियों की विफलता को उजागर करती है और भविष्य में मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रतिक्रिया का आह्वान किया.
पवार ने एक्स पर लिखा, "नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 12 नवजात शिशुओं सहित 24 लोगों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना सचमुच चौंकाने वाली है." (dw.com)
देवरिया (यूपी), 3 अक्टूबर । देवरिया जिले में सोमवार को हुए नरसंहार का एकमात्र जीवित बचा आठ साल का लड़का बेहद सदमे में है। कक्षा तीन के छात्र का गंभीर हालत में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लड़के को गंभीर चोटें आई हैं, लेकिन उसके महत्वपूर्ण अंग सुरक्षित हैं। वह अभी भी इस सदमे से उबर नहीं पाया है। अस्पताल में लड़के की देखभाल कर रहे स्थानीय निवासी विकेश बाबू ने कहा, "वह इस भयानक कृत्य से जीवित बचा एकमात्र व्यक्ति है।"
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब लड़के को अस्पताल लाया गया तो वह अर्धबेहोशी की हालत में था। जब डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा रहे थे, तो वह बार-बार "पापा" कहता रहा।
पुलिस अधिकारी ने कहा, हमले के दिन लड़के का परिवार सुबह नाश्ते की तैयारी कर रहा था। इसी बीच अचानक लड़के के पिता सत्य प्रकाश मदद के लिए चिल्लाने लगे। लड़के की सबसे बड़ी बहन 18 वर्षीय सलोनी उसकी मदद के लिए दौड़ी, लेकिन बाद में वह भी मदद के लिए चिल्लाने लगी। इसके बाद, उसकी मां किरण दौड़ीं। बाद में, 15 वर्षीय गांधी और 10 वर्षीय नंदिनी, जो बाहर पिछवाड़े में खेल रहे थे, वे भी घटनास्थल पर पहुंचे और उन पर भी हमला किया गया।
जब किरण ने अपने बच्चों को बचाने की कोशिश की, तो उस पर पीछे से किसी कठोर वस्तु से वार किया गया और वह गिर पड़ी। मदद के लिए चीख-पुकार सुनकर जब स्थानीय लोग इकट्ठा होने लगे तो हमलावर भाग गए।
पीड़ितों के एक रिश्तेदार ने कहा कि लड़के को यह बताकर सांत्वना दी गई कि उसके माता-पिता और भाई-बहन जीवित हैं और दूसरे अस्पताल में हैं।
इस बीच, छह मृतकों के शवों के किए गए पोस्टमाॅर्टम से अपराध की भीषण प्रकृति का पता चला। पुलिस सूत्रों ने कहा कि सत्य प्रकाश दुबे को बहुत नजदीक से सीने पर गोली लगी है।
एक अधिकारी ने कहा, "इससे उनकी छाती के दाहिनी ओर कालापन आ गया और उनकी मौत हो गई।" मृतकों में से एक प्रेम यादव की खोपड़ी टूटी हुई पाई गई, इसके अलावा उसके शरीर पर 10 गंभीर चोटें थीं, जो किसी भारी वस्तु से आई प्रतीत होती हैं।
अधिकारी ने कहा कि अन्य मृतकों, किरण, गांधी और नंदिनी को कई चोटें आईं, जबकि सलोनी की गर्दन को तेज धार वाले हथियार से काटा गया था। दुबे के आवास पर अपराध स्थल का दौरा करने वाले एक फोरेंसिक अधिकारी ने कहा कि मुख्य दरवाजे पर जबरन प्रवेश के निशान दिखाई दे रहे थे।
उन्होंने कहा, ''घर खून के धब्बों से बिखरा हुआ था।'' पुलिस ने सत्य प्रकाश की बड़ी बेटी निशा दुबे की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की है। उन्होंने कहा कि प्रेम यादव के परिवार की ओर से अभी तक शिकायत नहीं मिली है।
शांतिनिकेतन को भले बीते महीने यूनेस्को की हेरिटेज सूची में शामिल कर लिया गया हो, बीते कुछ वर्षों से जारी विवाद कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर की ओर से शांतिनिकेतन में स्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय का पीछा नहीं छोड़ रहा है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के साथ जमीन के मालिकाना हक पर लंबे समय से विवाद चल ही रहा है. इस बीच, ताजा मामले में एक सड़क के मालिकाना हक को लेकर विवि प्रबंधन और राज्य सरकार में ठन गई है.
सरकार ने बेहतर कनेक्टिविटी के लिए 2020 में इस सड़क का अधिग्रहण कर लिया था. अब बीते एक सप्ताह में प्रबंधन ने सरकार को दो-दो पत्र भेज कर इस सड़क का कब्जा विवि को लौटाने की मांग की है. दूसरी ओर, स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर इस सड़क को विश्वभारती को नहीं लौटाने का अनुरोध किया है. उनकी दलील है कि प्रबंधन अक्सर मनमानी तरीके से इस सड़क पर यातायात रोक देता है. इससे आम लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है.
वर्ष 1921 में स्थापित विश्वभारती पश्चिम बंगाल का इकलौता केंद्रीय विश्वविद्यालय है. अपने पठन-पाठन और माहौल के लिए दुनिया भर में मशहूर इस विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए देश-विदेश के छात्र यहां आते रहे हैं. लेकिन हाल के कुछ वर्षो में यह अपनी गुणवत्ता या पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि तमाम विवादों के कारण ही सुर्खियों में रहा है. इनमें छात्राओं के यौन और मानसिक उत्पीड़न के आरोप, गौशाला की स्थापना और अमर्त्य सेन के साथ जमीन के मालिकाना हक पर विवाद शामिल हैं.
अमर्त्य सेन के साथ विवाद
इस साल की शुरुआत में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के साथ जमीन के एक टुकड़े के मालिकाना हक पर विवाद के कारण विश्वभारती लगातार सुर्खियों में रहा है. दरअसल, विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में अमर्त्य सेन के पास 1.38 एकड़ जमीन का एक प्लाट है. उस पर उनका प्रतीची नामक मकान भी है. प्रबंधन का दावा है कि दरअसल सेन की जमीन सिर्फ 1.25 एकड़ है. उन्होंने 0.13 एकड़ पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. लेकिन सेन का दावा है कि यह जमीन उनके पिता ने बाजार से खरीदी थी. इसलिए पिता की जमीन अब उनके नाम हस्तांतरित की जानी चाहिए.
इस विवाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सेन का समर्थन किया है और उनको जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई है. वैसे भी, बीते कुछ वर्षों से प्रबंधन और सरकार टकराव की राह पर चल रहे हैं. फिलहाल यह विवाद अदालत में विचाराधीन है.
शांतिनिकेतन का ताजा विवाद
ताजा विवाद शांतिनिकेतन और श्रीनिकेतन को जोड़ने वाली करीब तीन किमी लंबी सड़क को लेकर पैदा हुआ है. राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में विवि के तत्कालीन वाइस-चांसलर स्वपन दत्त के अनुरोध पर यह सड़क विश्वभारती को सौंपी थी. लेकिन मौजूदा वीसी विद्युत चक्रवर्ती और मुख्यमंत्री के बीच टकराव तेज होने के बाद सरकार ने वर्ष 2021 में यह सड़क दोबारा कब्जे में लेकर इसे पीडब्ल्यूडी को सौंप दिया. इसी सड़क के किनारे अमर्त्य सेन समेत कई विशिष्ट लोगों के मकान हैं.
वहां रहने वालों ने मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र में आरोप लगाया था कि प्रबंधन मनमाने तरीके से अक्सर उस सड़क को बंद कर देता है. इससे उनको आवाजाही में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. उसी के बाद मुख्यमंत्री ने उस सड़क का कब्जा वापस लेने का फैसला किया.
अब शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किए जाने के बाद प्रबंधन बीते दस दिनों में मुख्यमंत्री को दो-दो पत्र भेज कर यह सड़क वापस करने की मांग कर चुका है. वाइस-चांसलर विद्युत चक्रवर्ती कहते हैं, "शांतिनिकेतन को 17 सितंबर को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया गया है. इस सड़क के दोनों किनारों पर ऐतिहासिक भवन हैं. भारी वाहनों की आवाजाही से उनको नुकसान पहुंचने का अंदेशा है. इसलिए वह सड़क दोबारा विश्वभारती को सौंप दी जानी चाहिए. इससे उन भवनों को संरक्षण में सहायता मिलेगी."
लेकिन वीसी के पत्र के अगले दिन ही शांतिनिकेतन के छह विशिष्ट नागरिकों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर उस सड़क को दोबारा विश्वभारती को नहीं सौंपने की अपील की है.
इतिहास से जुड़ा शांतिनिकेतन
शांतिनिकेतन का नाम बंगाल के इतिहास और संस्कृति से काफी गहरे ढंग से जुड़ा है. इस शहर की स्थापना कविगुरु रवींद्रनाथ के पिता महर्षि देवेंद्र नाथ टैगोर ने 1863 में की थी. तब इसका नाम भुवनडांगा था जो रायपुर के जमींदार भुवन मोहन सिन्हा की जमींदारी का हिस्सा था. देवेंद्रनाथ ने यहां शांतिनिकेतन नामक एक आश्रम की स्थापना की थी. उसी के बाद यह इलाका शांतिनिकेतन के नाम से जाना जाने लगा.
वर्ष 1901 में शांतिनिकेतन में पहली बार एक स्कूल खोला गया था. इसके 20 साल बाद वर्ष 1921 में यहां विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी. वर्ष 1951 में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था.
अब इस शहर को विश्व धरोहरों की सूची में जगह मिलने के बाद स्थानीय लोगों में प्रसन्नता है. विश्वभारती के वाइस-चांसलर विद्युत चक्रवर्ती कहते हैं, "इस धरोहर की देख-रेख के लिए हम जल्दी ही एक विरासत समिति का गठन करेंगे. अब इस धरोहर को बचाने के लिए सबको अहम जिम्मेदारी निभानी होगी." (dw.com)
विशाखापत्तनम, 3 अक्टूबर । आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक दुकान मालिक को एक करोड़ रुपये से अधिक का बिजली बिल आया। बिल देख कर दुकान मालिक हैरान रह गया।
कोट्टुरु शहर में आभूषण की एक छोटी सी दुकान के मालिक जी. अशोक को 2 सितंबर से 2 अक्टूबर तक खपत की गई बिजली के लिए 1,01,56,116 रुपये का बिल मिला।
पलकोंडा रोड पर दुर्गा ज्वैलर्स का मालिक बिजली कर्मचारियों द्वारा जारी किए गए बिल को देखकर हैरान रह गया।
अशोक ने बताया कि उन्हें औसतन 7,000 से 8,000 रुपये का मासिक बिल आता है। उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों से बिल के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस पर गौर करेंगे और नया बिल जारी करेंगे। (आईएएनएस)।
एफएसएसएआई ने फूड वेंडर्स से अपील की है कि वे खाने की चीजों को अखबारों पर ना परोसे. खाने के लिए अखबार का इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने पूरे भारत में उपभोक्ताओं और खाद्य विक्रेताओं से आग्रह किया कि वे खाने की चीजों की पैकिंग, परोसने और भंडारण के लिए अखबारों का इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें. एफएसएसएआई का कहना है कि अखबारों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं.
एफएसएसएआई के मुख्य कार्याधिकारी जी कमलावर्धन राव ने भोजन को लपेटने या पैकेजिंग करने के लिए अखबारों के इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की और और इस चलन से जुड़े महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में भी बताया.
सड़क किनारे खाना और नाश्ता बेचने वाले अक्सर अखबार के पन्नों का इस्तेमाल इसे परोसने के लिए करते हैं. इसके अलावा रोटी या पराठे को लपेटकर इसे पैक करने के लिए भी अखबार का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है.
अखबार में खाना लपेटना हानिकारक
एफएसएसएआई के मुताबिक प्रिंटिंग स्याही में "विभिन्न बायोएक्टिव सामग्रियां" होती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं. राव ने कहा, "समाचार पत्रों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में ज्ञात नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों वाले विभिन्न बायोएक्टिव मैटेरियल होते हैं, जो भोजन को दूषित कर सकते हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं."
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि स्याही में सीसा और भारी धातुओं जैसे रसायन हो सकते हैं जो परोसे गए या अखबार में लपेटे गए भोजन के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.
एफएसएसएआई ने चेतावनी दी, "इसके अलावा, वितरण के दौरान अखबारों को अक्सर विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे वे बैक्टीरिया, वायरस या अन्य रोगजनकों द्वारा संदूषित हो सकते हैं, जो भोजन में ट्रांसफर हो सकते हैं और संभावित रूप से खाद्य जनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं."
बीमारियों का कारण बन सकते हैं अखबार
एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) नियम, 2018 को अधिसूचित किया है जो भोजन के स्टोरेज और लपेटने के लिए अखबार या इसी तरह की सामग्री के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है.
इस नियम के मुताबिक उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को खाद्य वस्तुओं को ढकने या परोसने के लिए अखबार के पन्नों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. यही नहीं नियम कहता है कि समोसा या पकौड़े जैसे तले हुए खाद्य पदार्थों से अतिरिक्त तेल सोखने के लिए अखबारों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
लेकिन पूरे देश में लाखों स्ट्रीट फूड वेंडर्स इस नियम की धज्जियां उड़ाते दिख जाएंगे.
एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर दिन अखबारों की 22 करोड़ कॉपियां प्रिंट होती हैं. इनमें से लाखों कॉपियां खाना, चाट, पकौड़े, रोटी और स्नैक्स परोसने या पैक करने में इस्तेमाल होती हैं.
एफएसएसएआई का कहना है कि गरम पराठे, समोसे, कचौड़ी और पकौड़े जैसी चीजें अखबार पर रखने से उसकी स्याही लग जाती है और खाने के साथ ही शरीर में चली जाती है, जिससे इंसान को कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. (dw.com)
नई दिल्ली,3 अक्टूबर । भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने बिहार की नीतीश-तेजस्वी सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए इसे फेक और पिछड़े व अति-पिछड़े समाज के साथ बेईमानी करार दिया है।
मालवीय ने जातीय सर्वे के आंकड़ों को शेयर करते हुए एक्स पर पोस्ट कर कहा," अगर बिहार के जातीय सर्वे के आंकड़ों को गौर से देखें तो बिहार की जातीय गणना का योग 100 प्रतिशत दिखाया गया है। उसी तरह सभी धर्मों के लोगों का योग भी 100 प्रतिशत है। इसका मतलब यह हुआ कि या तो यह सर्वे भ्रामक है, ग़लत है या फिर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने लगभग सभी अल्पसंख्यकों को पिछड़ा या अति पिछड़ा वर्ग में शामिल करके हिंदू समाज के वंचित वर्ग के साथ अन्याय किया है! "
मालवीय ने आगे कहा कि,"बाबा साहेब ने कहा था कि धर्म के आधार पर कोई आरक्षण नहीं हो सकता है। मंडल कमीशन ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पिछड़े हिंदू समाज से धर्मांतरण करके अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल हुये लोगों को ही सिर्फ़ आरक्षण का लाभ मिलेगा, सभी अल्पसंख्यकों को नहीं। यह सर्वे फ़ेक है और पिछड़े व अति-पिछड़े समाज के साथ बेईमानी भी। " (आईएएनएस) ।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर । दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने मंगलवार को मीडिया आउटलेट न्यूज़क्लिक के पत्रकारों और कर्मचारियों के घरों पर इन आरोपों के सिलसिले में छापेमारी की कि संगठन को चीन से फंडिंग मिलती है। हालांकि, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
छापेमारी के दौरान स्पेशल सेल ने कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत, लैपटॉप, मोबाइल फोन भी जब्त किए और हार्ड डिस्क के डेटा डंप भी लिए।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने जिन पत्रकारों पर छापा मारा उनमें न्यूज़क्लिक के अभिसार शर्मा भी शामिल हैं। शर्मा ने मंगलवार को एक्स पर लिखा, "दिल्ली पुलिस मेरे घर पर पहुंची। मेरा लैपटॉप और फोन छीन लिया।"
वेब पोर्टल की एक अन्य पत्रकार भाषा सिंह ने ट्वीट किया, "आखिरकार इस फोन से आखिरी ट्वीट हुआ। दिल्ली पुलिस ने मेरा फोन जब्त कर लिया।"
सूत्रों के मुताबिक, स्पेशल सेल ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है। (आईएएनएस)।
पटना, 3 अक्टूबर । बिहार सोमवार को जाति-आधारित सर्वेक्षण का आंकड़ा जारी करने वाला देश का पहला राज्य बन गया, लेकिन राज्य के ट्रांसजेंडर समुदाय ने सर्वे रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है।
ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने बिहार सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट को फर्जी करार दिया और दावा किया कि गणना प्रक्रिया के दौरान उनसे ब्योरा नहीं लिया गया।
इससे पहले राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी दावा किया था कि मतगणना के दौरान उनकी जाति और अन्य विवरण पूछने के लिए कोई भी उनके पास नहीं पहुंचा।
रेशमा ने कहा, ”रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार का दावा है कि ट्रांसजेंडर लोगों की आबादी केवल 825 है, जबकि 2011 की जनगणना में हमारी आबादी 42,000 से अधिक थी। सर्वेक्षण अधिकारियों ने बिहार में सभी ट्रांसजेंडरों की पहचान नहीं की। मेरी तो गिनती भी नहीं हुई, किसी ने मुझसे मेरी जाति के बारे में नहीं पूछा।”
उन्होंने कहा, “तीसरे लिंग का उल्लेख कॉलम संख्या 22 में किया गया है, जो कहता है कि कुल जनसंख्या सिर्फ 825 है और प्रतिशत 0.0006 है। ये बिल्कुल फर्जी है। यदि वे वास्तविक संख्या जानना चाहते हैं, तो उन्हें पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन और टोल प्लाजा पर जाना चाहिए।“
रेशमा ने कहा, "चूंकि उन्होंने मेरा सर्वेक्षण नहीं किया है, इसलिए मैंने पहले ही पटना उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दी है। बिहार सरकार ने हमारे साथ अन्याय किया है।"
उन्होंने कहा, ”ट्रांसजेंडर लोग शुभ अवसरों पर लोगों को आशीर्वाद देते हैं, लेकिन अगर उनके साथ अन्याय होता है, तो वे शाप देते हैं। (आईएएनएस)।
हैदराबाद, 3 अक्टूबर । हैदराबाद के एक निजी स्कूल में एक किंडरगार्टन छात्र की सोमवार को उस समय मौत हो गई, जब एक शिक्षक ने कथित तौर पर होमवर्क नहीं करने पर उसे बेरहमी से पीटा।
5 वर्षीय हेमंत की पिटाई शनिवार को हुई थी। वह स्कूल में बेहोश होर गिर गया था। उसे अस्पताल में भर्ती कहाया गया, जहां इलाज के दौरान सोमवार को उसने दम तोड़ दिया।
लड़के के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों ने शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सोमवार को स्कूल के सामने हेमंत के शव के साथ विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
उधर, रामनाथपुर क्षेत्र के विवेक नगर के एक स्कूल में यूकेजी के एक छात्र को कथित तौर पर होमवर्क नहीं करने पर एक शिक्षक ने स्लेट से उसके सिर पर हमला कर दिया। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर । दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए मोहम्मद शाहनवाज आलम को गिरफ्तार कर लिया है, जिसे शफी उज्जमा के नाम से भी जाना जाता है, जो राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में अपने दो साथियों के साथ.शामिल था।
वे आईएस मॉड्यूल के भेष में पाकिस्तानी आईएसआई प्रायोजित मॉड्यूल के समर्थन से दिल्ली में आतंकी हमलों की रच रहे थे।
आईएस ऑपरेटिव शाहनवाज (31) को दिल्ली के जैतपुर से गिरफ्तार किया गया, जबकि उसके सहयोगी मोहम्मद रिजवान अशरफ (28) और मोहम्मद अरशद वारसी (29) को उत्तर प्रदेश के लखनऊ और मुरादाबाद से गिरफ्तार किया गया।
अधिकारियों ने आगे कहा कि स्पेशल सेल के समय पर हस्तक्षेप से दिल्ली में एक बड़ा आतंकी हमला टल गया।
विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष सेल), एचजीएस धालीवाल ने खुलासा किया कि विश्वसनीय जानकारी से संकेत मिलता है कि अपनी भूमिका को छिपाने और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा जांच से बचने की कोशिश करते हुए भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आईएसआई ने भारत-केंद्रित आईएस का मुखौटा बनाया।
धालीवाल ने कहा, "उन्होंने पाकिस्तान स्थित और संरक्षित आतंकवादियों का उपयोग करके ऐसा किया, जो भारत से भगोड़े थे, यानी फरहतुल्ला गोरी और उसके दामाद शाहिद फैसल, जो अक्षरधाम मंदिर हमले के मामले में शामिल थे और पाकिस्तान में छिपे हुए थे।''
धालीवाल ने कहा, "पाकिस्तान आईएसआई ने इस नेटवर्क को "घरेलू" और "स्वयं कट्टरपंथी नेटवर्क" के रूप में पेश करने के लिए आपराधिक गतिविधियों (माल-ए-ग़नीमत) के जरिए धन इकट्ठा करने पर ध्यान केंद्रित किया।
विश्वसनीय स्रोतों और तकनीकी साधनों से प्राप्त सुरागों के बाद पुलिस ने यूपी, उत्तराखंड, झारखंड और महाराष्ट्र में कनेक्शन वाले एक ऐसे मॉड्यूल की पहचान की।
धालीवाल ने कहा, "इस जानकारी को विकसित करते समय दो आईएस गुर्गों, इमरान खान और यूनुस साकी को पुणे, महाराष्ट्र में पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।"
हालांकि गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक शाहनवाज पुलिस हिरासत से भागने में सफल रहा। बाद में मामले को आगे की जांच के लिए एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया, जिसने बाद में फरार आतंकवादी शाहनवाज और तीन अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए 3 लाख रुपये का इनाम रखा।
धालीवाल ने कहा, "विशिष्ट जानकारी से संकेत मिलता है कि शाहनवाज दिल्ली से रिजवान अली के साथ जा रहा था और वे अपने सहयोगियों के साथ, दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे।”
सूत्रों के मुताबिक, फरार आरोपी शाहनवाज आलम और रिजवान अली के संपर्कों और समर्थकों पर मैनुअल और तकनीकी निगरानी की गई।
धालीवाल ने कहा, "1 अक्टूबर को विश्वसनीय जानकारी के आधार पर केंद्रीय खुफिया एजेंसी और संबंधित राज्य पुलिस की सहायता से तीन राज्यों (दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड) में समन्वित कई छापे मारे गए।"
पूछताछ के दौरान दिल्ली से गिरफ्तार किए गए मोहम्मद अरशद वारसी ने खुलासा किया कि शाहनवाज आलम उसे जानता था और शाहनवाज और अन्य के साथ दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश में भागीदार था। .
धालीवाल ने कहा, "उन्होंने यह भी खुलासा किया कि शाहनवाज आलम ने हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक खरीदे थे और अपनी आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली में एक कमरा किराए पर लिया था।"
मौजूदा मामले में मोहम्मद रिजवान अशरफ को भी लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।
उसने खुलासा किया कि वह आईएसआईएस का सदस्य है और एक विदेशी-आधारित हैंडलर और इस मॉड्यूल के बाकी सदस्यों के संपर्क में है।
उन्होंने आगे कहा कि शाहनवाज आलम और रिजवान ने उनके माध्यम से आईएस में शामिल होने की प्रतिज्ञा ('बैथ') ली थी।
इसके बाद रविवार रात दिल्ली में छापेमारी की गई और पुलिस टीम के साथ थोड़ी झड़प के बाद आरोपी शाहनवाज आलम को किराए के मकान से गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस ने सात जिंदा कारतूसों के साथ एक .32 बोर पिस्तौल, रसायनों से भरे प्लास्टिक के कनस्तर, एसिड वाली कांच की बोतलें, छोटे आकार की स्टील की गेंदें, माचिस की डिब्बियां, लोहे के पाइप, इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीन, थर्मामीटर, सर्जिकल दस्ताने, विभिन्न रंगीन पाउडर भी बरामद किए हैं। बिजली के टेप, एक रिमोट चाबी, कनेक्टर्स के साथ दो नौ वोल्ट की बैटरी, एक टाइमर घड़ी और भारत के भौगोलिक मानचित्र बरामद किए।
झारखंड का मूल निवासी शाहनवाज के पास बी.टेक. की डिग्री है। साल 2016 में उसने एनआईटी-नागपुर से माइनिंग में बी.टेक. किया और एसएससी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए नवंबर 2016 में दिल्ली आया। वह अबुल फजल एन्क्लेव में रहने लगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता राहुल गांधी ने सोमवार को महात्मा गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।
खड़गे राजघाट पर महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचे। एक्स पर एक पोस्ट में, खड़गे ने कहा, "आप मुझे बेड़ियों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, आप इस शरीर को नष्ट भी कर सकते हैं, लेकिन आप मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते': महात्मा गांधी।" "पूरे विश्व को सत्य, अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाले और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार और आदर्श आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं।" खड़गे ने कहा, सत्य, अहिंसा, शांति और समानता जैसे उनके विचारों को आज चुनौती दी जा रही है, लेकिन हम बापू द्वारा सिखाए गए मूल्यों का पालन करके इससे लड़ रहे हैं।''
राहुल गांधी ने एक्स पर की गई पोस्ट में कहा, ''सत्य, अहिंसा और सद्भाव का मार्ग, भारत को एकजुट करने का मार्ग, महात्मा गांधी ने दिखाया था। बापू को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।" उन्होंने देश के लिए उनके योगदान को याद करते हुए महात्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए अपनी भारत जोड़ो यात्रा और बापू के जीवन से एक मिनट से अधिक का वीडियो भी संलग्न किया। वीडियो में राहुल गांधी ने कहा, " भारत जोड़ो यात्रा के पीछे का विचार महात्मा गांधी का था। यह मार्ग महात्मा गांधी जी ने भारत को दिया था। उन्होंने भारत को एकजुट करने का काम किया था। एक बहादुर आदमी, एक सरल आदमी, एक विनम्र, लेकिन एक ऐसा व्यक्ति, जो भविष्य में विश्वास करता था, जो भारत में विश्वास करता था।"
उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा का प्रचार किया और सत्य की खोज की। गांधीजी दूरदर्शी थे, आधुनिक खुले विचारों वाला। गांधीजी ने पृथ्वी पर सबसे बड़ी ताकत का सामना किया, क्योंकि उन्होंने सत्य का पालन किया और वह विनम्र थे। (आईएएनएस)।
2 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में सोमवार को एक बड़ी वारदात हो गई। यहां रुद्रपुर के पास एक गांव में जमीन विवाद के चलते छह लोगों की हत्या हो गई है।
क्षेत्राधिकारी जिलाजीत ने बताया कि जनपद देवरिया के रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के फतेहपुर गांव में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। इसमें छह लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। मामले की जांच की जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। मृतकों में पूर्व जिला पंचायत सदस्य भी शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार गांव में एक व्यक्ति से भूमि विवाद काफी लंबे समय से चल रहा था। पुलिस छानबीन में जुटी है। घटना को लेकर पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। घटनास्थल पर चीख-पुकार मची है। गांव में तनाव का माहौल है। घटना की सूचना पर मौके पर पीएसी भेजी गई है। जिले के सारे आलाधिकारी मौके पर मौजूद हैं। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर । एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने मोस्ट वांटेड आतंकवादी शाहनवाज उर्फ शफी उज्जमा को गिरफ्तार कर लिया है। वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की सूची में था। दिल्ली पुलिस के शीर्ष सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी ।
सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने कुछ अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है। एनआईए ने पुणे आईएसआईएस मामले में शामिल होने के कारण मोहम्मद शाहनवाज आलम उर्फ उज्जमा या अब्दुल्ला को पकड़ने के लिए 3 लाख रुपये का इनाम रखा था।
इंजीनियर के तौर पर काम करने वाला शाहनवाज दिल्ली का रहने वाला है और पुणे में पुलिस हिरासत से भागने में कामयाब हो गया था. इसके बाद से वह राष्ट्रीय राजधानी में रह रहा था । 30 सितंबर को, एनआईए ने मध्य दिल्ली में इस्लामिक स्टेट से जुड़े तीन संदिग्धों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान शुरू किया था।
सूत्र बताते हैं कि एनआईए का मिशन उज्जमा, रिजवान अब्दुल हाजी अली और अब्दुल्ला फैयाज शेख का पता लगाने पर केंद्रित है, इन सभी की पुणे आईएसआईएस मॉड्यूल मामले के संबंध में तलाश की जा रही है। (आईएएनएस)।
हैदराबाद/विशाखापत्तनम, 2 अक्टूबर । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कई स्थानों पर संदिग्ध माओवादी समर्थकों पर छापे मारे।
एनआईए अधिकारियों ने नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं और अमर बंधु मित्रुला संघम, कुला निर्मुला समिति, चैतन्य महिला संघम जैसे संगठनों के नेताओं, उनके रिश्तेदारों और उनके साथ निकटता से जुड़े लोगों के घरों पर सुबह-सुबह तलाशी शुरू की।
अधिकारी उनसे उनकी गतिविधियों और माओवादियों के साथ उनके कथित संबंधों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। उन्हें सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस दिया गया था, इसमें उन्हें एजेंसी के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था। केंद्रीय एजेंसी हैदराबाद में कार्यकर्ता भवानी और वकील सुरेश के घरों पर तलाशी ले रही है। आंध्र प्रदेश में, विजयवाड़ा, पोन्नुरु, मंगलागिरी, बापटला, नेल्लोर, अमादलावलसा और अनंतपुर जैसे विभिन्न स्थानों पर तलाशी जारी है।
एनआईए अधिकारी पोन्नूरू में प्रमुख चिकित्सक और गुंटूर जिला नागरिक स्वतंत्रता समिति के अध्यक्ष राजा राव के घर की तलाशी ले रहे हैं। उनके मित्र टी. सुब्बा राव, जो प्रजा तंत्र पार्टी चलाते हैं, के आवास पर भी तलाशी चल रही है।
नेल्लोर में येल्लांकी वेंकटेश्वरलू, तिरूपति में क्रांति चैतन्य और तिरूपति में कवली बलैया के घरों पर भी तलाशी ली गई। बलैया की बेटी पद्मा और दामाद शेखर पर पूर्व मुख्यमंत्री एन. जनार्दन रेड्डी पर बम हमले का आरोप है।
इसी तरह एनआईए अधिकारी प्रकाशम जिले में डी. वेंकट राव, संथामागुलुरु में श्रीनिवास राव, राजमुंदरी में नज़र, श्रीकाकुलम में कृष्णैया और अनंतपुर में श्रीरामुलु के घरों पर भी तलाशी ले रहे हैं। (आईएएनएस)।
चंडीगढ़, 2 अक्टूबर । एक बड़ी घटना में, पंजाब के जालंधर शहर के पास एक गांव में सोमवार को तीन नाबालिग बहनों के शव एक ट्रंक में पाए गए।
पुलिस को शक है कि चार से नौ साल की उम्र के बच्चियों की हत्या उनके प्रवासी श्रमिक पिता ने की है, जिन्होंने रविवार रात पुलिस में उनके घर से लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
यह अपराध मकसूदन पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले कानपुर गांव में हुआ है।
घर के मालिक ने पुलिस को बताया कि हत्या का संदिग्ध आरोपी शराब पीने का आदी था। मकान मालिक ने घर खाली करने के लिए भी उसे कहा था।
जब पड़ोसियों ने उसके घर में पड़े ट्रंक को खोला तो शव मिले। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और पुलिस ने पति-पत्नी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
इस बारे में और ब्यौरे की प्रतीक्षा है। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर । अमेरिका और फ्रांस के राजदूतों ने सोमवार को महात्मा गांधी को उनकी 154वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
"महात्मा गांधी के जन्मदिन पर, मैं उनकी स्थायी विरासत से बहुत प्रभावित हूं। अहिंसा का उनका संदेश दुनिया भर में समानता और न्याय के लिए आशा की किरण बना हुआ है।"
अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने एक्स पर पोस्ट किया, "डॉ मार्टिन लूथर किंग और अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन पर गांधी का गहरा प्रभाव हमें उनके आदर्शों की शक्ति की याद दिलाता है।"
फ्रांसीसी दूतावास ने भी राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दी।
"गांधी जयंती पर, नामित राजदूत थिएरी माथौ और दूतावास में हर कोई महात्मा और शांति, सहिष्णुता और अहिंसा के मूल्यों को श्रद्धांजलि दे रहा है, जिनका उन्होंने दृढ़ता से पालन किया।''
दूतावास ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "फ्रांस में गांधीजी की बहुत प्रशंसा की जाती है, जैसा कि स्ट्रासबर्ग और वोरियल की मूर्तियों में दिखता है।" (आईएएनएस)।
पटना 2 अक्टूबर | पटना के परसा थाना अंतर्गत खैरताली गांव में रविवार देर शाम छापेमारी करने गए दो सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों पर लोगों के एक समूह ने हमला किया। हमले में सौरव कुमार और संतोष नाम के दो सब-इंस्पेक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस दो नामजद और 31 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
यह घटना तब शुरू हुई, जब एक व्यक्ति ने अपनी बेटी के अपहरण की प्राथमिकी दर्ज कराई। वह नियमित रूप से पुलिस स्टेशन जा रहा था और पुलिस से उसकी तलाश करने की अपील कर रहा था। उनकी शिकायत के बाद दो सब इंस्पेक्टर सौरव कुमार और संतोष कुमार सिविल ड्रेस में शिकायतकर्ता के साथ गांव गए। शिकायतकर्ता ने संदिग्ध का घर दिखाया और उसके घर गया।
पुलिस आरोपी बबन पासवान और उसके बेटे शाहिल पासवान को पकड़ने में कामयाब रही। इसकी जानकारी होने पर उनके जानने वाले लगभग तीन दर्जन लोग वहां इकट्ठा हो गए और दोनों पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की।
सौरव और संतोष दोनों कह रहे थे कि वे सब इंस्पेक्टर हैं और परसा थाने से आये हैं, लेकिन आरोपित उनकी बात नहीं सुन रहे थे। जब घटना की सूचना परसा थाने को दी गई, तो थानेदार बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और सब इंस्पेक्टरों को बचाया।
पटना के परसा पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने कहा, "हमने बबन पासवान, शाहिल पासवान और 31 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है।" (आईएएनएस)|
कोलकाता, 2 अक्टूबर । पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के बोलपुर में आलीशान तृणमूल कांग्रेस पार्टी कार्यालय ईडी की जांच के दायरे में आ गया है। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी महंगे संगमरमर के फर्श, झूठी छत और उच्च-स्तरीय सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित कार्यालय भवन की शानदार सजावट के पीछे धन के स्रोतों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि ईडी के अधिकारियों ने इन कनेक्शनों में पूछताछ के लिए चालू सप्ताह के दौरान बोलपुर नगर पालिका के पार्षद सिबनाथ रॉय सहित चार लोगों को नई दिल्ली स्थित एजेंसी के राष्ट्रीय मुख्यालय में बुलाया है। इस संबंध में ईडी द्वारा तलब किए गए सभी चार व्यक्ति पार्टी के कद्दावर नेता और बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल के बेहद करीबी विश्वासपात्र माने जाते हैं, जो वर्तमान में पशु-तस्करी मामले में नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। उनकी बेटी सुकन्या मंडल भी वहां न्यायिक हिरासत में हैं।
रॉय ने पुष्टि की है कि उन्हें केंद्रीय एजेंसी से नोटिस मिला है, लेकिन उन्होंने नई दिल्ली पहुंचने और इस संबंध में उनकी पूछताछ का सामना करने के लिए कुछ समय मांगा है। “मैं ईडी के नोटिस से बचने का कोई प्रयास नहीं कर रहा हूं और मुझे वास्तव में जांच की प्रक्रिया में पूरा सहयोग करना है। केवल एक चीज यह है कि मुझे इस मामले में राष्ट्रीय राजधानी में पेश होने के लिए कुछ और समय चाहिए।”
सूत्रों ने कहा कि इन चार लोगों को नई दिल्ली में बुलाने का कारण यह है कि पशु-तस्करी मामले से संबंधित सभी फाइलें पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के आसनसोल में सीबीआई की एक विशेष अदालत से नई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई हैं। इस संबंध में सभी फाइलें ईडी के नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में स्थानांतरित कर दी गई हैं। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर । भाजपा ने विपक्षी दलों के 'आईएनडीआईए' गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों पर प्रहार करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 'घमंडिया फाइल्स' की एक नई सीरीज शुरू की है। इस सीरीज के तहत भाजपा ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तीसरा एपिसोड जारी कर 1990 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर निहत्थे कारसेवकों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी 'आईएनडीआईए' गठबंधन में शामिल दलों से सवाल पूछा है कि क्या आज समाजवादी पार्टी या गठबंधन का कोई भी दल इस बात का जवाब दे सकता है कि सपा सरकार के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां क्यों चलवाई थी ?
भाजपा ने तीसरे एपिसोड का वीडियो रिलीज करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लिखा, "घमंडिया फाइल्स के तीसरे एपिसोड में देखिए...1990 में राम कार्य के लिए अयोध्या जा रहे निहत्थे कारसेवकों पर समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने चलाई थी अंधाधुंध गोलियां। क्या घमंडिया गठबंधन देगा जवाब की क्यों चलवाई थी गोलियां ?"
'घमंडिया फाइल्स' सीरीज के तीसरे एपिसोड में भाजपा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 4 मिनट और 7 सेकंड का वीडियो जारी कर राम मंदिर आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बयानों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया है कि अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश लखनऊ में बैठे मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने दिया।
वीडियो में कहा गया है कि 48 घंटे के अंदर मुलायम सिंह यादव के आदेश पर निहत्थे कारसेवकों पर दो बार गोलियां बरसाई गई, नियोजित तरीके से की गई गोलीबारी में किसी के सिर पर गोली मारी गई तो किसी के गर्दन पर। लेकिन मुलायम सिंह यादव को इस घटना पर कभी भी अफसोस नहीं हुआ। जिस समाजवादी पार्टी का इतिहास राम भक्तों पर गोलियां चलवाने का रहा हो, आज वह घमंडिया गठबंधन के साथ है। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर । भाजपा ने विपक्षी दलों के 'आईएनडीआईए' गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों पर प्रहार करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 'घमंडिया फाइल्स' की एक नई सीरीज शुरू की है। इस सीरीज के तहत भाजपा ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तीसरा एपिसोड जारी कर 1990 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर निहत्थे कारसेवकों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी 'आईएनडीआईए' गठबंधन में शामिल दलों से सवाल पूछा है कि क्या आज समाजवादी पार्टी या गठबंधन का कोई भी दल इस बात का जवाब दे सकता है कि सपा सरकार के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां क्यों चलवाई थी ?
भाजपा ने तीसरे एपिसोड का वीडियो रिलीज करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लिखा, "घमंडिया फाइल्स के तीसरे एपिसोड में देखिए...1990 में राम कार्य के लिए अयोध्या जा रहे निहत्थे कारसेवकों पर समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने चलाई थी अंधाधुंध गोलियां। क्या घमंडिया गठबंधन देगा जवाब की क्यों चलवाई थी गोलियां ?"
'घमंडिया फाइल्स' सीरीज के तीसरे एपिसोड में भाजपा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 4 मिनट और 7 सेकंड का वीडियो जारी कर राम मंदिर आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बयानों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया है कि अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश लखनऊ में बैठे मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने दिया।
वीडियो में कहा गया है कि 48 घंटे के अंदर मुलायम सिंह यादव के आदेश पर निहत्थे कारसेवकों पर दो बार गोलियां बरसाई गई, नियोजित तरीके से की गई गोलीबारी में किसी के सिर पर गोली मारी गई तो किसी के गर्दन पर। लेकिन मुलायम सिंह यादव को इस घटना पर कभी भी अफसोस नहीं हुआ। जिस समाजवादी पार्टी का इतिहास राम भक्तों पर गोलियां चलवाने का रहा हो, आज वह घमंडिया गठबंधन के साथ है। (आईएएनएस)।