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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 8 जुलाई। कोरबा वन मंडल के कुदमुरा रेंज में पिछले 25 दिनों से बीमार चल रहे हाथी की मौत हो गई। बीमार हाथी का उपचार वन विभाग द्वारा किया जा रहा था जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी।
मिली जानकारी के मुताबिक बुधवार की शाम उसकी अचानक तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई है। उल्लेखनीय है कि वन विभाग व पशु चिकित्सकों की टीम बीमार हाथी को खड़ा करने व स्वस्थ करने की दिशा पर लगातार प्रयास कर रहे थे लेकिन बीमार हाथी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था जिससे उसकी दिन-ब-दिन तबीयत बिगड़ती ही जा रही थी। हाथी को बाहर ले जाकर इलाज कराने की भी कवायद चल रही थी। लेकिन उसका स्वास्थ ठीक नहीं हो पा रहा था। जिसकी वजह से उसे बाहर ले जाया जा नहीं सकता था। उसे स्पर्श चिकित्सा से इलाज कराने अंबिकापुर ले जाने की तैयारी चल रही थी। अपने पैर पर हाथी खड़ा नहीं हो पा रहा था जिसकी वजह से उसका स्वास्थ लगातार बिगड़ रहा था। वन विभाग ने इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी है। कल मृत हाथी का पोस्टमार्टम किया जायेगा उसके बाद मौत की असली वजह सामने आएगी।
1971 से बीच के करीब पौने छह साल को छोडक़र मैं दिल्ली में ही रहता आया हूँँ तो यह कहना भी अब बेईमानी सा लगता है कि मैं मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र का हूँ, जहाँ जीवन के शुरू के इक्कीस साल बीते थे। वहाँ अब भी साल मेंं एक या दो बार जाता हूँ। एक तरह से मेरी मातृभाषा मालवी है। मेरी माँ कठिनाई से और जरूरी होने पर थोड़ी-बहुत हिन्दी बोल लेती थी। पास पड़ोस के और बुजुर्ग भी मालवी बोलते थे। गालियाँ भी मालवी में देते थे। यह हो नहीं सकता कि कोई दिनभर मालवी बोले और गालियाँ हिंदी मेंं दे। गेल्या, गेलचोदा, लाकड़ा पड़्या आदि-आदि गालियाँ औरतों के मुँह से झरा करती थीं। पुरुषों की गालियाँ छोडि़ए।मेरी सास के लिए भी मालवी में बोलना ही सहज था। उन्हें गाली देते कभी नहीं देखा। उनकी हिंदी मेरी माँ से काफी बेहतर थी। हिंदी बोलते समय उनकी स्वाभाविकता नष्ट हो जाती थी। पत्नी तो खैर अच्छी हिंदी बोलती हैंं मगर उसमें मालवी शब्द भी टपकते रहते हैं। मैं थोड़ा होशियार बंदा हूँ, हिंदी में मालवी अक्सर मिक्स नहीं करता। हाँ सचेत होकर करूँ तो अलग बात है पर मालवियों की तरह मैं को में, और को ओर निकल ही जाता है। इस पर मेरी एक कविता भी है।
हम लोगों में अपनी भाषा-बोली के प्रति वैसा प्रेम नहीं है, जैसे हमारे पड़ोस के राज्य राजस्थान के मारवाडिय़ों-मेवाडिय़ों में पाया जाता है या अवधी, भोजपुरी, मैथिली आदि बोलने वालों में मिलता है। मालवा के सभी लोग मालवी भी नहीं बोलते। मराठीभाषियों, कायस्थों, मुसलमानों, बोहरों, सिंधियों में ऐसा शायद ही कोई परिवार हो, जो घर में या बाहर मालवी बोलता हो। हाँ ग्रामीण इलाकों की बोलचाल की भाषा अभी भी मालवी है।अब तो लगभग सभी शहरों-कस्बों के मध्यवर्गीय-निम्न मध्यवर्गीय परिवारों में मालवी छोड़ हिंदी ही बोली जाती है। हाँ विशेष अवसरों पर खानपान में आज भी मालवीपन बचा है। दाल-बाटी, दाल-बाफले बनते रहते हैं। शादी के अवसर पर एक बार दाल-बाफले की रसोई जरूर बनती है और गेहूँ से बने लड्डू भी। उनका अपना स्वाद और रस है। हाँ बरसात के इन दिनों में भजिये(पकोड़े) तथा गुलगुले बना करते थे। बरसात के इन्हीं दिनों में पानी के हलके से छींटे से भीगी ज्वार ले जाकर धानी सिंकवा कर गरम खाई जाती थी। गेहूँ की भी धानी सिंकवा कर उसमें गुड़ मिला कर खाने का अपना आनंद था। अब इनमें से बहुत सी चीजें हो सकता है, अप्रासंगिक हो गई हों। लेकिन दैनिक उपयोग में हमारी भी प्रिय सेव का स्थान यथावत सुरक्षित है।
स्कूल, कॉलेज में हिंदी में पढ़ाई होती थी और मित्रों के बीच भी अमूमन हिंदी का ही व्यवहार था। एक मित्र कथाकार ने कुछ साल पहले एक अंग्रेजी पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में कहा था कि उनकी बोली-भाषा तो फलां है और उन्हें हिंदी सीखने के लिए भी उतना ही प्रयत्न करना पड़ा, जितना कि अंग्रेजी सीखने के लिए। सौभाग्यवश मेरे जैसे लोगों के साथ आपकी ही तरह ऐसी समस्या नहीं रही। उनका केस स्पेशल रहा होगा। वैसे सीखने को तो अभी भी हिंदी सीखने का क्रम चलता रहता है। लेखक को अपनी भाषा के साथ भी खासकर लिखित अभिव्यक्ति के लिए मेहनत करनी होती है, सही शब्द,सही वाक्य बनाने के लिए जूझना पड़ता है मगर जो भाषा आप बचपन से इस्तेमाल करते हैं और जो बाद के वर्षों में सीखते हैं और जिसका घर-परिवार से लेकर बाजार में अमूमन इस्तेमाल नहीं होता,दोनों में जमीन-आसमान का फर्क होता है। यह जरूर है कि अपनी मातृभाषा सरीखी होते हुए मालवी से अब मेरा जीवंत संपर्क नहीं रहा क्योंकि मालवा जाकर भी आप और दूसरे भी हिंदी में ही बात करते हैं। टेलीफोन-मोबाइल पर भी इसी भाषा में बात होती है।
है तो मालवी भी मीठी भाषा। दूसरी भाषा- बोलियों के साथ भी ऐसा होगा मगर मुझे लगता है कि मालवियों में एक स्वाभाविक व्यंग्य-बोध होता है। थोड़ा-बहुत उसका असर मुझ पर भी है। इसमें मुझे लगता है, मेरी नहीं, मालवा अंचल की खूबी है। शरद जोशी भी इसी अंचल से थे और भी कई व्यंग्यकार। और हाँ उस समय आकाशवाणी से शाम सात बजे कृषि का एक कार्यक्रम आता था। उसके दो पात्र थे-नंदा जी और भैरा जी। नंदाजी हिंदी में ज्ञान देते थे, किसान भैरा जी मालवी में उनसे बात करते थे।अपना कृषि से तो क्या वास्ता था मगर इन दो पात्रों के संवाद सुनना अच्छा लगता था।
बचपन में एक कहावत सुनी-पढ़ी थी-मालव धरती गहन गंभीर, डग-डग रोटी, पग-पग नीर, हालांकि उज्जैन में क्षिप्रा गर्मियों में सूख जाती है और 12 साल बाद लगने वाले सिंहस्थ में क्षिप्रा नहाने का पुण्य कमानेवाले, नर्मदा के पानी में नहाने का ही पुण्य प्राप्त कर पाते हैं। वैसे नर्मदा ज्यादा बड़ी और ज्यादा प्रसिद्ध और पवित्र मानी जाने वाली नदी है तो वे घाटे की बजाय फायदे में रहते हैं। मेरे कस्बे की चीलर नदी छोटी और स्थानीय-सी है।कभी उसमें भी पानी होता था। महादेव घाट, छोटा पुल, बादशाही पुल और किले के परकोटे से नदी देखने का अपना ही आनंद था (एक बार गहरे पानी में चला गया तो डूबने ही वाला था कि किसी ने ऐन मौके पर बचा लिया।)। अब बाँध बनने के बाद नदी की विकल स्मृति ही बची है।महादेव घाट अब वीरान नजर आता है। उस कस्बे का सौंदर्य इस तरह मर चुका है। हाँ यह सही है कि मालवा की भूमि उर्वरा है। शायद ही वहाँँ के मजदूरों को कहीं बाहर मजदूरी करने जाना पड़ता हो। अभाव और गरीबी है मगर भुखमरी शायद अब भी नहीं है।
शायद अब भी मालवी में कवि सम्मेलनी कविता लिखी जाती होगी। उस समय बालकवि बैरागी, गिरवर सिंह भंवर, सुल्तान मामा, भावसार बा, पुखराज पांडे, हरीश निगम, मदनमोहन व्यास आदि कवि सम्मेलनों के मशहूर कवि थे। एक और पुराने कवि थे, जिन्हें देखा-सुना तो नहीं मगर उनकी एक कविता की दो पंक्तियाँ आज भी मुझे याद हैं :
क्यों सा ब कय्यांड़ी (किधर)?
अय्यांड़ी (इधर) ने वंय्याड़ी (उधर)
म्हारी तो हूदी-हट (सीधी) हट चली री हे गाड़ी।
हाँ शायद स्वभाव से हम अंय्याड़ी-वंय्याड़ी वाले नहीं हैंं। सीधी-सट गाड़ी चलाते हैं, भले ही सामने गड्ढा आ जाए और उसमें गिर जाएँ। कोई परवाह नहीं, कपड़े झाड़ कर फिर उठ खड़े हो जाते हैं। घर आकर घाव पर पहले लाल रंग का टिंचर (हम टिंक्चर का क् खा जाते थे) लगाते थे, अब डेटाल लगा लेते हैं।
-विष्णु नागर
107 डिस्चार्ज किए गए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई (रात 8.05 बजे)। प्रदेश में आज रात 65 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं जिनमें रायपुर 13, जगदलपुर 12, नारायणपुर 10, राजनांदगांव 8, दुर्ग 5, दंतेवाड़ा 4, कोरबा 3, बेमेतरा, सरगुजा, कोरिया 2-2, बालोद, गरियाबंद, सुकमा, कांकेर से 1-1 पॉजिटिव मिले हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि बीती रात 11 नए कोरोना पॉजिअिव मिले थे जिनमें नारायणपुर 7, और सरगुजा से 4 थे।
राज्य में आज अलग-अलग जिलों से कुल 107 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किए गए हैं।
3 गांवों के 200 ग्रामीण पहुंचे थे जनअदालत में, दवाब में किया रिहा
आजाद सक्सेना
किरंदुल, 8 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। नक्सलियों ने मंगलवार को ग्रामीणों के दबाव में जवान के पिता समेत 5 ग्रामीणों को रिहा किया। बताया जाता है कि गुमियापाल, आलनार, तेनेली गांव के 200 ग्रामीण जनअदालत में रिहाई कराने पहुंचे थे। सोमवार रात को दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल से 15 किमी की दूर गुमियापाल गांव से नक्सलियों ने सिपाही के पिता का अपहरण कर लिया था।
दंतेवाड़ा जिले के धुर नक्सल प्रभावित गांव गुमियापाल में नदी नाला पार कर ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता संवाददाता पहुंचे और नक्सलियों द्वारा रिहा किए गए सिपाही के पिता लछु तेलाम से बातचीत की। लछु तेलाम ने बताया कि रात नक्सली चेहरे पर कपड़ा बांध कर आये और मेरी बेटी के कमरे का दरवाजा तोडऩे लगे जब वो दरवाजा खोली तो उसका मोबाइल छीन लिया और मुझको साथ चलने कहा। मेरी पत्नी मुझको छोडऩे की मिन्नत करती रही और कुछ दूर पीछे गई पर वो एक न माने और मुझको अपने साथ ले गए। नक्सली लीडर कमलेश और राजे द्वारा उनको पूरी रात पैदल चलाकर बंगपाली के जंगलों में ले जाया गया था। जहां उनको जान से मारने की धमकी दी गई। नक्सल लीडर का कहना था कि तुम्हारा बेटा अजय तेलाम पुलिस में चले गया है और वह गद्दार बन कर गांव के लोगों को जेल भेज रहा है और मरवा रहा है। उसको घर वापस बुलाओ नहीं तो तुमको भी जान से मार देंगे।
लछु ने बताया कि गुमियापाल गांव से मेरे अलावा तीन और लोगों को नक्सली ले गए थे जो शासकीय उचित मूल्य के राशन की दुकान चलाते हैं और एक ग्रामीण को आलनार से भी ले गए थे, ऐसे पांच लोगों का अपहरण नक्सलियों ने किया था। बेंगपल्ली की पहाडिय़ों में मंगलवार दोपहर 3 गुमियापाल, आलनार, तेनाली गांव के 200 ग्रामीणों द्वारा जनअदालत में हम लोगों को छोडऩे के लिए कहा गया।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (वार्ता)। देश के अग्रणी वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने छोटी अवधि के लिए ऋण लेने वाले ग्राहकों को बुधवार को राहत देते हुए एमसीएलआर में 0.05 से 0.10 फीसदी का कटौती का ऐलान किया है।
बैंक की तरफ से जारी बयान के अनुसार नयी दरें 10 जुलाई से लागू होंगी। बैंक ने कहा कि देश के बैंकिंग तंत्र में उसका एमसीएलआर सबसे कम है। एसबीआई के इस निर्णय के बाद तीन माह के कर्ज पर एमसीएलआर घटकर 6.65 फीसदी रह गया है।
एमसीएलआर की दरें घटने का मतलब है कि अब बैंक के गृह ऋण की ईएमआई कम हो जाएगी किंतु यह कटौती सिर्फ तीन माह के लिए है,ऐसे में इसका लाभ केवल उन्हीं ग्राहकों को मिलेगा, जिनके गृह ऋण की पुन: निर्धारण तिथि जुलाई अथवा अगस्त माह में आती है। इससे पहले 10 जून को भी बैंक ने दरें 0.25 फीसदी घटकर सात प्रतिशत की थीं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 22 मई को रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती कर इसे चार प्रतिशत कर दिया था। एमसीएलआर वह दर होती है जिससे नीचे कोई भी बैंक लोन नहीं दे सकता है। बैंक की छह माह की अवधि के लिए वर्तमान में एमसीएलआर 6.95 प्रतिशत है। बैंक ने लगातार 14 वीं बार एमसीएलआर कम किया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 जुलाई। राजनांदगांव जिले में कोरोना के एकमुश्त 10 नए मरीज मिलने के बाद कोरोनाग्रस्त इलाको को कंटेनमेंट जोन में बदल दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार आज दोपहर को जारी मेडिकल रिपोर्ट में राजनांदगांव शहर के पेन्ड्री समेत डोंगरगढ के भीतरी वार्ड तथा पैरामिलिट्री आईटीबीपी में कोरोना के पाजिटिव केस मिले हैं। बताया जाता है कि आज राजनांदगांव शहर में एक व पेन्ड्री 2 सहित डोंगरगढ में 4 तथा आईटीबीपी में 3 कोरोना के नए मरीज मिले हैं। बताया जाता है कि दो दिन बाद मिले कोरोना मरीजों को राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज लाया गया है।
सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि राजनांदगांव शहर के कोरोना प्रभावित इलाकों में लगातार लोगों की जांच की जा रही हैं। डोंगरगढ़ के भीतरी वार्डो को सेनेटाईज किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार आईटीबीपी के संक्रमित जवान हाल ही में अवकाश के बाद वापस डयूटी में वापस लौटे हैं। सोमनी के क्वारंटीन सेंटर में जवानों की लगातार जांच के बीच जवान कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं।
कॉलेज शिक्षकों को आना ही होगा-राज्य
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। केन्द्र सरकार ने स्कूल-कॉलेजों, और कोचिंग संस्थानों को 31 तक बंद करने के आदेश दिए हैं। स्कूल हो या कॉलेज स्टाफ को वर्क फ्राम होम के निर्देश जारी किए हैं, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने राजपत्रित अधिकारियों को कार्यदिवस पर शतप्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है।
उच्च शिक्षा आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा का आदेश केन्द्र सरकार के दिशा निर्देश के ठीक विपरीत है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सचिव सुश्री अनिता करवल ने 6 जुलाई को सभी मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अनलॉक गाइडलाइन-2 का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। पत्र में यह कहा कि 31 जुलाई तक सभी स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। यथासंभव स्कूल-कॉलेज स्टाफ को भी घर पर रहकर ही काम करने की सुविधा देने के लिए कहा गया है।
केन्द्र की गाइडलाइन के खिलाफ उच्च शिक्षा आयुक्त के आदेश को लेकर हलचल मची हुई है। उच्च शिक्षा आयुक्त ने सभी विवि के कुलसचिव और महाविद्यालय के प्राचार्यों को लिखे पत्र में यह कहा गया कि विवि एवं महाविद्यालयों में शासकीय कार्य संचालन की दृष्टि से केवल कार्यालय प्रारंभ किया जाना है। इस अवधि में किसी भी प्रकार के अकादमिक गतिविधियां विवि और कार्यालयों द्वारा संचालित नहीं की जाए।
यह कहा गया है कि कार्यालय में राजपत्रित अधिकारियों की कार्य दिवस में शतप्रतिशत उपस्थिति होगी और अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति एक तिहाई होगी। राजपत्रित अधिकारियों की श्रेणी में सभी प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापक आ जाते हैं ऐेसे में तकरीबन सभी प्राचार्यों द्वारा शिक्षण कार्य से जुड़े सारे स्टाफ को बुलाया जा रहा है। उच्च शिक्षा आयुक्त के आदेश को लेकर शिकवा-शिकायत भी हुई है। बहरहाल, इसको लेकर राज्य सरकार से नया आदेश जारी होने की भी उम्मीद जताई जा रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 8 जुलाई। कैश वैन लूटपाट के अपराध के विवेचनाक्रम में मुख्य आरोपी सुधीर सिंह के भाई वरूण सिंह को 6 जुलाई को कोतरा रोड पुलिस पूछताछ के लिए थाने लाई थी। वरुण सिंह से पूछताछ में उसके तथा उसके साथी रजनीश कुमार पांडे की भी अपराध में संलिप्तता की जानकारी मिली जिस पर लूटपाट के अपराध में दोनों को देर रात्रि गिरफ्तार कर आज न्यायालय पेश कर 2 दिन का पुलिस रिमांड लिया गया है।
रायगढ़ एसपी संतोष के सिंह ने बताया- इस प्रकार पहले गिरफ्तार आरोपी सुधीर सिंह एवं पिंटू वर्मा समेत सहित कुल 4 आरोपियों का पुलिस रिमांड लेकर गहन पूछताछ कर रही है।
6 जुलाई को गिरफ्तार आरोपी वरुण सिंह पिता झूलन सिंह उम्र 31 वर्ष ग्राम खम्हौरी जिला सिवान बिहार हाल मुकाम सूर्या कांप्लेक्स पतरापाली थाना कोतरारोड, रजनीश कुमार पांडे पिता राकेश कुमार पांडे उम्र 20 साल ग्राम सभा थाना दरौंदा जिला सिवान बिहार हाल मुकाम सूर्या कांप्लेक्स पतरापाली कोतरारोड है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। प्रदेश में आज शाम करीब सवा 5 बजे तक 36 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसमें अकेले बस्तर से 20, रायपुर से 5, नांदगांव से 4, कोरबा से 3, कोरिया-बेमेतरा से 2-2 शामिल हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि ये सभी मरीज आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। इन मरीजों के संपर्क में आने वालों की पहचान भी की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि रायपुर जिले के 5 मरीजों की पहचान दोपहर करीब 3 बजे कर ली गई थी। इसके बाद 11 और की पहचान हुई थी। अब 20 की पहचान कर ली गई है। इस तरह आज दोपहर करीब 3 बजे से शाम सवा 5 बजे तक प्रदेश में 36 नए पॉजिटिव मिले हैं। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश के नारायणपुर समेत और कुछ जिलों से रिपोर्ट आनी बाकी है। आने वाली रिपोर्ट में और कुछ नए पॉजिटिव मिल सकते हैं।
डीकेएस में भर्ती 3 मरीज पॉजिटिव
रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती 3 मरीज आज शाम कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। ये मरीज रायगढ़, दुर्ग और गरियाबंद के बताए जा रहे हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि की है।
-विष्णु राजगड़िआ
धनबाद से चिंताजनक खबर सामने आई है। 55 पत्रकारों की टेस्ट रिपोर्ट में 23 कोरोना पॉजिटिव मिले।
कोरोना के 97-98 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो जाते हैं। इसलिए पेनिक न हों, सिर्फ डॉक्टरों की सलाह पर अमल करें, समय का सदुपयोग करते हुए एकांतवास का आनंद लें। अस्पताल की व्यवस्था की चिंता बाद में कर लीजिएगा, अभी सकारात्मक मूड में रहकर इलाज पर ध्यान दें। जल्द ही सब स्वस्थ हो जाएंगे। मेरे कई परिचित लोग आसानी से ठीक हो चुके हैं।
जिन पत्रकारों का टेस्ट हुआ उनमें ज्यादातर असिम्प्टोमिक थे। लिहाजा, इस प्रकरण का मतलब समझना भी जरूरी है।
1. जिनलोगों की टेस्टिंग करेंगे, उनमें कोरोना पॉजिटिव लोग मिलेंगे। अगर टेस्टिंग ही नहीं करेंगे, तो पता ही नहीं चलेगा।
2. मार्च के महीने में दिल्ली में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिला। तब उस कार्यक्रम में शामिल लोगों की देश भर के खोज कर टेस्टिंग की गई। इससे काफी लोग कोरोना पॉजिटिव निकले। ऐसे लोगों को खोजकर उनका इलाज करना सही निर्णय था। लेकिन इसके नाम पर मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना या उन्हें कोरोना बम बताना गलत था।
3. तब्लीगी जमात के लोगों को मरीज के तौर पर सहानुभूति देने के बदले कोरोना फैलाने वाले अपराधी के रूप में पेश किया गया। ऐसे में अब अन्य मरीजों के लिए भी अस्पताल में किसी बेहतर व्यवस्था का दबाव नहीं होगा। उस वक्त की मीडिया खबरों का आत्मावलोकन जरूरी है।
4. अन्य मामलों में भी अगर इसी तरह सबकी खोजकर कांटेक्ट ट्रेसिंग जांच होती, तो हिन्दू लोग भी कोरोना पॉजिटिव पाए जाते। उनका भी इलाज होता, स्वस्थ होते। ऐसे तो बिना टेस्ट बिना इलाज कोई मर जाए तो पता ही नहीं चलेगा कि कोरोना हुआ।
5. दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने देश भर में सर्वाधिक टेस्ट करके सारे मामले खोज निकाले। इसके कारण वहां ज्यादा केस मिले। जबकि यूपी, बिहार जैसे राज्यों में 'नो टेस्ट, नो कोरोना' की पॉलिसी अपनाई गई। समाज अंदर से बीमार होता रहा, बीजेपी चुनाव प्रचार में लगी रही।
6. दिल्ली में सर्वाधिक टेस्टिंग हो रही है। भक्तों को भ्रम है कि ऐसा अमित शाह के कारण हुआ। जबकि अमित शाह ने जिस दिन दिल्ली में बैठक की, उस दिन तक भी दिल्ली की टेस्टिंग राष्ट्रीय औसत से 3.5 गुना ज्यादा थी। यूपी से 8 गुना और बिहार से 16 गुना ज्यादा।
7. अगर अमित शाह ने दिल्ली में टेस्ट बढ़ाए, तो यूपी बिहार हरियाणा में क्यों नहीं बढ़ाते?
8. दिल्ली में असिम्प्टोमिक मरीजों के लिए होम आइसोलेशन का अच्छा प्रयोग हुआ है। केजरीवाल ने जब इसकी शुरुआत की, तो भक्तों ने काफी गाली दी थी। लेकिन अब तक के अनुभव बताते हैं, कि बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आइसोलेशन सबसे अच्छा विकल्प है। क्या झारखंड में इस पर विचार होगा?
9. दिल्ली ने प्लाज्मा थेरेपी का भी अच्छा प्रयोग किया, जिसका मजाक उड़ाया गया। अब उसकी सफलता साफ दिख रही है। क्या झारखंड इस पर विचार करेगा?
10. कोरोना पॉजिटिव पाए गए सभी लोगों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग हो। सबने पिछले 15 दिन में जिनसे मुलाकात की हो, सबकी कोविड जांच हो। परिवार के सदस्यों की भी।
11. क्या आरोग्य सेतु ऐप्प का कोई उपयोग दिखा है? अगर हां, तो उसके बारे में जानने की दिलचस्पी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। प्रदेश में आज शाम करीब साढ़े 4 बजे 11 और नए पॉजिटिव मिले हैं। इसके पहले रायपुर से 5 नए पॉजिटिव की पहचान की गई थी। इस तरह आज शाम साढ़े 4 बजे तक प्रदेश में 16 नए पॉजिटिव सामने आए हैं। फिलहाल सामने आए मरीज अलग-अलग जिलों के बताए जा रहे हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि सभी मरीजों तक हेल्थ टीम पहुंच कर उन्हें आसपास अस्पतालों में भर्ती कराने की तैयारी में लगी है। नए मरीजों के संपर्क में आने वालों की भी पहचान की जा रही है।
मुंगेली में लगातार दूसरे दिन हत्या
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 8 जुलाई। मुंगेली जिले के पथरिया में जुआ खेलने के बाद हुए विवाद के बाद शराब के नशे में एक युवक ने अपने साथी की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी। आरोपी युवक ने वारदात के बाद थाने जाकर आत्मसमर्पण भी कर दिया। मुंगेली जिले में दो दिनों में हत्या की यह दूसरी वारदात है।
घटना 7 जुलाई की रात की है। आरोपी दुर्गेश श्रीवास तीन चार साथियों के साथ जुआ खेल रहा था। इस दौरान सभी शराब भी पी रहे थे। जुआ खेल रहे हरिशंकर जायसवाल के साथ उसका इसी बीच विवाद हो गया और दुर्गेश को हरिशंकर ने थप्पड़ मार दिया। इससे उत्तेजित दुर्गेश वहां कुल्हाड़ी लेकर पहुंच गया। उसने हरिशंकर पर लगातार वार कर उसकी हत्या कर दी। मौके पर ही हरिशंकर की मौत हो गई। घटना के बाद आरोपी दुर्गेश खुद ही पथरिया थाने पहुंच गया और उसने अपना अपराध कबूल कर लिया। एसडीओपी नवनीत छाबड़ा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत अपराध दर्ज किया गया है और आगे जांच की जा रही है।
मुंगेली जिले के लोरमी थाने के अंतर्गत ग्राम हरनाचाका में 6 जुलाई की रात भी एक हत्या हुई थी। इसके बाद 7 जुलाई को पथरिया में यह घटना हुई है। दोनों ही घटनाओं में आरोपियों ने शराब पीकर अपराध को अंजाम दिया और घटना के बाद थाने में आत्म-समर्पण कर दिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 8 जुलाई। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) की ओर से यह ऐलान जरूर कर दिया गया है कि मरवाही से अमित जोगी चुनाव लड़ेंगे, लेकिन जाति छानबीन समिति में की गई शिकायतों की नये सिरे से हो रही जांच उनकी उम्मीदवारी की राह में रोड़ा बन सकती है।
गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही की जिला स्तरीय छानबीन समिति ने अमित जोगी के विरुद्ध प्राप्त दो शिकायतों पर जांच शुरू कर दी है। समिति की ओर से समीरा पैकरा और संतकुमार नेताम की ओर से दिये गये आवेदनों पर जांच के लिये 10 जुलाई को अमित जोगी को अपना पक्ष रखने के लिये कहा है। अमित जोगी ने कहा है कि उन्हें ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है पर जांच के लिये जो भी कार्रवाई होगी उसमें वे पक्ष रखेंगे।
ज्ञात हो कि अजित जोगी के निधन के बाद मरवाही सीट खाली हुई है, जहां सितम्बर माह में चुनाव हो सकता है। राज्य की उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने स्व. अजीत जोगी के कंवर आदिवासी जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था। इसके विरुद्ध उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। कोर्ट ने पुलिस में दर्ज एफआईआर तथा समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने के लिये कहा था। हालांकि उन्होंने जाति प्रमाण पत्र पर समिति की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया है।
हाल ही में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर ने कई दिनों से चल रही अटकल पर विराम देते हुए बताया था कि मरवाही उप-चुनाव में अमित जोगी ही उम्मीदवार होंगे।
इसी बीच जोगी की जाति को लेकर विगत कई वर्षों से अदालतों में लड़ाई लड़ रहे संतकुमार नेताम ने शासन को आवेदन दिया है कि अमित जोगी का कंवर जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाये क्योंकि वे इसका इस्तेमाल मरवाही विधानसभा चुनाव में कर सकते हैं।
बिलासपुर में 5 नये कंटेनमेंट जोन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 8 जुलाई। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। सबसे बड़ी बात है कि इनमें से अनेक वे लोग हैं जिनका बाहर के प्रवास का कोई ब्योरा नहीं है। दफ्तर और व्यवसाय के काम से निकले लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं जिनमें कई अधिकारी, कर्मचारी भी शामिल हैं।
जिला प्रशासन ने आज जिन इलाकों को कंटेन्मेन्ट जोन घोषित किया है उनमें नगर निगम सीमा के भीतर के तखतपुर तहसील की सागर होम्स कॉलोनी, अमेरी का पन्नानगर, रायपुर रोड स्थित अभिलाषा परिसर के ईडब्ल्यूएस ब्लॉक नंबर 30 तथा चिंगराजपारा इलाका शामिल है। कंटेनमेंट जोन में लोगों को घरों से निकलना प्रतिबंधित किया गया है। उन्हें आवश्यक सामग्री की आपूर्ति घर पहुंचाकर की गई जायेगी। कंटेनमेन्ट जोन के तीन किलोमीटर का एरिया बफर जोन भी घोषित किया गया है जहां दुकानें बंद रहेंगी।
मंगलवार को 9 कोरोना पॉजिटिव मरीजों का पता चलने के बाद जिले में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 243 पहुंच चुकी हैं जिनमें 63 केस अब भी एक्टिव हैं। इनमें से 35 मरीजों का इलाज बिलासपुर के कोविड अस्पताल में तथा 28 का रायपुर एम्स में चल रहा है। जिले में अब तक तीन कोरोना पीडि़तों की मौत भी हो चुकी है।
अधिकारी, कर्मचारी, ठेकेदार चपेट में
महाधिवक्ता कार्यालय के पीआरओ को कोरोना संक्रमित पाये जाने के बाद कार्यालय के अन्य सभी लोगों का कोरोना टेस्ट कराया गया था। इसके बाद दो लिपिक, एक भृत्य और एक सुरक्षा प्रहरी को भी कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। सहायक श्रमायुक्त कार्यालय की महिला अधिकारी भी कोरोना संक्रमित पाई गई हैं। इस कार्यालय के भी सभी स्टाफ का टेस्ट कराया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के एक ठेकेदार को कोरोना संक्रमित पाया गया है, जिसके बाद विभाग के संभाग क्रमांक 1 और 2 को बंद कर दिया गया ह । ठेकेदार की मां को भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 8 जुलाई। चकरभाठा एयरपोर्ट में 27 करोड़ रुपये की लागत से वे सभी निर्माण पूरे कर लिये गये हैं, जिसके नहीं होने के कारण 3सी कैटेगरी की उड़ान यहां से शुरू नही हो पा रही थी। विधायक शैलेष पांडेय तथा जिले के अन्य विधायकों की विधानसभा में की गई मांग के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस राशि की स्वीकृति दी थी।
विधायक पांडेय ने आज बिलासपुर एयरपोर्ट का मुआयना किया। इसका निरीक्षण अभी एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा किया जाना है जिसके बाद केन्द्र व राज्य सरकार के मंत्रालयों की अनुमति से हवाई सेवा शुरू हो सकती है। पांडेय ने स्वयं केन्द्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी से मिलकर बिलासपुर से हवाई सेवा शीघ्र शुरू करने की मांग की थी। बिलासपुर के सभी वर्गों व राजनीतिक दलों की मांग यहां से 3सी कैटेगरी विमान सेवा शुरू करने की थी।
26 फरवरी 1957, समय- सुबह के लगभग 10 बजे। स्थान-गांव येरामरस। चार महीने पहले अस्तित्व में आए कर्नाटक राज्य के जिला मुख्यालय रायचूर से 7 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव।
स्कूल के हेडमास्टर अपने दफ्तर में व्यस्त थे जब कुछ लोगों की पदचाप सुनकर उन्होंने नजऱ ऊपर की। सामने पंडित जवाहरलाल नेहरू खड़े थे। कुछ क्षण अविश्वास के बीत जाने के बाद जब पुष्टि हो गई कि ये सचमुच देश के प्रधानमंत्री और करोड़ों लोगों के हीरो नेहरू ही हैं तो हेडमास्टर लगभग अचेत हो गए। नेहरूजी को कुर्सी दी गई। बात फैलते समय नहीं लगा और स्कूल के बच्चे और शिक्षक झुंड के रूप में उन्हें घेरकर खड़े हो गए। नेहरूजी ने बच्चों के साथ वार्तालाप प्रारंभ किया।
ठीक उसी समय पूर्वी मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) में रायपुर में नेहरूजी की अगवानी करने के लिए लोग बेसब्र हो रहे थे। इस समय नेहरूजी को रायपुर में होना चाहिए था।
1957 में देश में दूसरा आम चुनाव हुआ था और इसी सिलसिले में नेहरूजी दक्षिण भारत में चुनाव प्रचार के लिए गए थे। उस दिन के तय कार्यक्रम के अनुसार पंडित नेहरू को सुबह मैंगलोर से अपनी यात्रा शुरू कर जबलपुर पंहुचना था। बीच में विमान को रायपुर में उतरना था ईंधन लेने के लिए। साथ में पंडितजी का भी भोजन रायपुर में ही होना था।
रायपुर के माना ऐरोड्रोम में हल्के पीले रंग का एक दुमंजिला भवन था जिसकी छत पर सिग्नल रिसीव करने के लिए उपकरण लगे थे। भवन अब भी है। रायपुर में उन दिनों व्यवसायिक हवाई सेवा शुरू नहीं हुई थी। यह भवन मुख्य रूप से ऐरोड्रोम का कंट्रोल रूम (या टावर) था जिसका उपयोग फ्लाईंग क्लब की गतिविधियों के संचालन के लिए भी किया जाता था। इसी भवन के निचली फ्लोर के कमरों का मौके-बेमौके पंहुचे किसी वीआईपी के लिए भी उपयोग हो जाता था।
नेहरूजी के लिए 26 फरवरी 1957 के दोपहर के भोजन की व्यवस्था इन्ही कमरों में की गई थी।
मध्यप्रदेश में उन दिनों सब कुछ बहुत व्यवस्थित नहीं था। कर्नाटक की ही तरह नया मध्यप्रदेश भी 1 नवम्बर 1956 को अस्तित्व में आया था। चार महीने भी पूरे नहीं हुए थे। पहले दो महीने मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल की मृत्यु 31 दिसम्बर के दिन हो गई थी। जनवरी का माह भगवंत राव मंडलोई ने कार्यकारी मुख्यमंत्री के रूप में बिताया। 31 जनवरी को दिल्ली से आकर डॉ. कैलाश नाथ काटजू ने मुख्यमंत्री पद संभाला किन्तु मध्यप्रदेश उनके लिए बहुत परिचित स्थान नहीं था। पुरानी राजधानी नागपुर की अपेक्षा भोपाल के साथ आवागमन कठिन होने के कारण दूरी का अहसास अधिक था।
जब नेहरूजी के कार्यक्रम की जानकारी भोपाल पंहुची तो डॉ. काटजू ने तत्काल रायपुर में प्रधानमंत्री के आवभगत और भोजन की जिम्मेदारी अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी राजा नरेशचन्द्र सिंहजी को सौंप दी। राजा साहब छत्तीसगढ़ के थे और और उनके पिता सारंगढ़ के राजा जवाहिर सिंह नेहरूजी के घनिष्ठ मित्र भी रह चुके थे और यह बात डॉ. काटजू को ज्ञात थी।
जिम्मेदारी मिलने के बाद राजा साहब ने वही किया जो उन्हें जानने वालों को उनसे अपेक्षा थी। बिलासपुर सर्किट हाऊस के खानसामा श्री बेनेट को इस अवसर पर भोजन तैयार करने के लिए रायपुर बुला लिया गया। सारंगढ़ के गिरिविलास महल से एक ट्रक में भरकर कॉकरी, कटलरी और अन्य सामग्रियों के साथ स्टाफ को बुलवा लिया गया।
रायपुर में पंडितजी के भोजन की तैयारी तो पूरी हो गई लेकिन पंडित नेहरू के पंहुचने का नियत समय पार हो चुका था और कुछ अता-पता नहीं मिलने से चिंता भी फैलने लगी थी। फोन पर सम्पर्क आसान नहीं था। फिर भी इतना पता चल चुका था कि सुबह साढ़े आठ बजे प्रधानमंत्री का विमान मैंगलोर से उड़ चुका था।
रायपुर में चिंता में डूबे लोगों को यह जानने का कोई साधन नहीं था कि ठीक उसी समय नेहरूजी मौत के मुंह से निकलकर कर्नाटक के रायचूर के पास येरामरस गांव में बच्चों के साथ बातचीत में समय व्यतीत कर रहे थे।
पंडितजी की यात्रा मेघदूत नामक विमान में शुरू हुई थी। यह दरअसल ‘इल्यूशिन आई एल-14’ विमान था जिसे रूसी प्रधानमंत्री बुल्गानिन ने भारतीय प्रधानमंत्री को दिसम्बर 1953 में भेंट के रूप में दिया था। नेहरूजी ने ही इसका नामकरण मेघदूत किया था।
उस दिन हवा में लगभग आधा घंटा ही बीता था कि एक एंजिन से धुंआ निकलना शुरू हुआ जो देखते देखते आग की लपटों में तब्दील हो गया। खतरा यह था कि आग की लपटें यदि फ्यूल टैंक को गर्म कर देतीं तो पलक झपकते विमान स्वाहा हो जाता।
उन दिनों प्रधानमंत्री के साथ यात्रा करने वालों की संख्या बहुत नहीं होती थी। उनके सुरक्षा अधिकारी, कार्यालयीन सहायक और एक निजी अनुचर- शायद हरि नाम था। उस दिन विदेश मंत्रालय में उपसचिव जगत मेहता (जो आगे चलकर विदेश सचिव बने) और समाचार एजेंसी पी.टी.आई. के संवाददाता बी.आर.वत्स भी साथ थे। इनके अलावा एक फ्लाईट इंजीनियर और नेविगेटर थे। पायलट थे एयर फोर्स के एक एंग्लो-इंडियन स्चड्रन लीडर आर.ए. रफस।
पारसी सुरक्षा अधिकारी श्री के.एफ. रुस्तमजी (पद्मविभूषण) मध्यप्रदेश कैडर के पुलिस अधिकारी थे और 1971 में बांग्लादेश के आजादी के आंदोलन में पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली विद्रोहियों को ट्रेनिंग देकर मुक्ति वाहिनी नाम की सशस्त्र प्रतिरोध सेना खड़ी करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे सीमा सुरक्षा दल-बी.एस.एफ.-के प्रथम मुखिया थे। श्री रुस्तमजी ने अपनी डायरी (आय वॉज नेहरूज़ शैडो) में लिखा कि जब विमान में आग लगने और उस कारण एक एंजिन के नष्ट हो जाने की सूचना देने वे पंडित नेहरू के पास पहुंचे तब वे वी.के. कृष्णा मेनन का भाषण पढ़ रहे थे (श्री मेनन संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय दल के नेता थे और ठीक एक महिना पहले कश्मीर के विषय में भारत का पक्ष रखते हुए उन्होंने आठ घंटे का धुआंधार भाषण दिया था। बीच में वे एक बार बेहोश हुए और लौटकर अपना भाषण जारी रखा था। उनका बनाया आठ घंटे का रिकॉर्ड अब तक टूटा नहीं)।
एंजिन फेल होने की सूचना पा कर नेहरू जी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आयी और उन्होंने कहा- ‘डोन्ट वरी, रफस विल मैनेज’। उन्हें अपने पायलट की काबिलियत पर पूरा यकीं था।
विमान में बीत रहा एक एक क्षण घातक था। नेविगेटर ने रजिस्टर देख कर बताया कि बीस किलोमीटर पर रायचूर के पास 1942 की निर्मित एक हवाई पट्टी है किन्तु दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से उसके उपयोग की कोई जानकारी नहीं है। पायलट ने कहा हम उतरने का प्रयास कर सकते हैं किन्तु पास से देखने पर यदि हवाई पट्टी लैन्ड करने लायक नहीं मिली तो एक एंजिन के दम पर विमान को दोबारा ऊपर ले जाना संभव नहीं होगा। उस समय सुरक्षा अधिकारी एक संभावना को ले कर बेहद परेशान थे। उनका आंकलन था कि एंजिन में लगी आग यदि जानबूझ कर किसी षड्यंत्र, किसी ‘सैबटाज’ का नतीजा थी तो प्रबल संभावना थी कि दूसरा एंजिन भी शीघ्र फेल होगा।
अंतत: निर्णय लिया गया कि जो भी हो रायचूर की इस पट्टी पर उतरना ही है।
विमान के रुकने पर दरवाजा खुला तो देखा सामने एक व्यक्ति हाथ में डण्डा लिए खड़ा था। विस्मित व्यक्ति गांव का चौकीदार था। नेहरूजी ने नीचे उतरकर एंजिन का मुआयना किया, पायलट का धन्यवाद ज्ञापित किया और पथ-प्रदर्शक चौकीदार के साथ स्कूल पंहुचे थे। चौकीदार की साइकिल चलाते हुए रुस्तमजी पास के रेलवे स्टेशन पंहुचे और वहां से रायचूर के कलेक्टर को सूचना दी। दो घंटे के बाद हैदराबाद से एयरफोर्स के दो डकोटा विमान आए जिनमें नेहरूजी और साथी विलम्ब से रायपुर पंहुचे।
भोजन के बाद नेहरूजी ने श्री बेनेट को बुला कर स्वादिष्ट भोजन के लिए धन्यवाद कहा और धीरे से श्री रुस्तमजी से पूछा ‘टिप दी?’। नेहरू जी के अपने स्टाफ को ये स्थायी आदेश थे कि जहाँ भी वे भोजन करें, शेफ को बुलाकर उनसे भेंट कराई जाए और उनके निजी खाते से टिप दी जाए।
रायपुर में इस दौरान किसी को एक्सीडेंट की जानकारी नहीं हो पाई थी। किन्तु रायपुर से उड़ कर जब तक उनका विमान जबलपुर पंहुचा, पी.टी.आई. वाले वत्सजी की खबर पहुंच चुकी थी। एक अखबार ने अपना एक विशेष संस्करण छाप दिया था। कहना न होगा विमान तल में उस दिन अपेक्षा से कहीं अधिक भीड़ इकट्ठा थी।
इस कथा का उत्तर काण्ड
पायलट कैप्टन रफस ने जिस त्वरित निर्णय क्षमता और धैर्य का परिचय देते हुए बिना जमीनी सहायता के, उबड़-खाबड़ पट्टी पर कुशलता से विमान को लैन्ड कराया उसके कारण बाद में उन्हें अशोक चक्र प्रदान किया गया।
यह विमान रूसी प्रधानमंत्री बुल्गानिन ने भेंट किया था। दुर्घटना के कारण उन्होंने बहुत लज्जित महसूस किया और भारत को एक और विमान भेंट करने की पेशकश की। पंडित नेहरू रूसियों को और अधिक असुविधाजनक स्थिति में नहीं डालना चाहते थे। उन्होंने पेशकश स्वीकार कर ली।
दुर्घटनाग्रस्त विमान रायचूर हवाई पट्टी पर एक सप्ताह खड़ा रहा। नए बने कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के दूर-दराज इलाकों से हजारों लोग इस बीच इस विमान का दर्शन करने पंहुचे।
-डॉ. परिवेश मिश्रा,
गिरिविलास पैलेस, सारंगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। राजधानी रायपुर के कबीर नगर में एक मजदूर युवक ने पारिवारिक रिश्तों को शर्मसार करते हुए अपनी भाभी के साथ बलात्कार किया। घटना के बाद से आरोपी युवक फरार है, जांच जारी है।
पुलिस के मुताबिक कबीरनगर का शिवा उर्फ बुद्धू सोना(25)यहां अपने मां-बाप के साथ रहकर मजदूरी करता है, लेकिन कल वह यहां अपने बड़े भाई के घर गया था। इस दौरान घर में उसकी भाभी अकेली थी। उसका भाई कहीं काम पर गया था और बच्चे आसपास खेलने गए थे। इस दौरान उसने मौके का फायदा उठाकर डराते-धमकाते हुए अपनी भाभी के साथ बलात्कार किया। इसके बाद वह फरार हो गया।
दूसरी तरफ पीडि़त महिला ने शाम-रात को पति के घर लौटने पर उसे घटना की जानकारी दी। इसके बाद वह अपने पति के साथ मिलकर अपने देवर के खिलाफ कबीरनगर पुलिस में शिकायत दर्ज करायी। पुलिस बलात्कार का मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश में लगी है। फिलहाल वह पुलिस पकड़ से बाहर है। पुलिस का कहना है कि आरोपी का अपने भाई के घर लगातार आना-जाना लगा रहता था। इस दौरान उसने घटना को अंजाम दिया। आरोपी जल्द पकड़ लिया जाएगा। जांच जारी है।
फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज, गिरफ्तारी नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। राजधानी रायपुर के रावांभाठा स्थित इंडियन इस्पात फैक्ट्री में बीती शाम गर्म लोहे की चपेट में आकर 13 मजदूर झुलस गए। इसमें तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। सभी मजदूरों का यहां एक निजी अस्पताल में इलाज जारी है। दूसरी तरफ पुलिस फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर जांच में लगी है, फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
पुलिस के मुताबिक इंडियन इस्पात फैक्ट्री में शाम क्रेन ऑपरेटर समेत 13 मजदूर काम पर लगे थे, तभी भट्टी से गर्म लोहा ले जाने वाला लेडल टूटकर नीचे गिर गया। इससे चारों तरफ आग फैल गई और यहां काम करने वाले सभी 13 मजदूर उसकी चपेट में आकर झुलस गए। घटना के बाद यहां अफरा-तफरी मच गई। कुछ समय बाद इन सभी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सभी का इलाज जारी है।
हादसे में क्रेन ऑपरेटर कृष्णा राय, प्रकाश दास और श्रीनिवास राय की हालत गंभीर बताई जा रही है। खमतराई पुलिस मौके पर पहुंच कर जांच में लगी है। फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पुलिस का कहना है कि हादसे के समय अधिकांश मजदूरों की छुट्टी हो गई गई थी। बस, इतने ही मजदूर काम पर लगे थे। यह हादसा फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा मशीनों का सही रख-रखाव न करने की वजह से हुआ है। उसके खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर लिया गया है, जांच जारी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। रायपुर जिले में आज दोपहर करीब 3 बजे 5 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसमें बेबीलॉन इन से 2 और मठपुरैना, बिरगांव व बेंद्री अभनपुर से 1-1 मरीज शामिल हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इन सभी मरीजों को भर्ती कराने की तैयारी चल रही है। दूसरी तरफ उनके संपर्क में आने वालों की पहचान की जा रही है। जांच जारी है।
कारोबार प्रभावित होने से एकजुट हो रहे व्यापारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 जुलाई। शहर के व्यापारिक क्षेत्र गंज लाईन इलाके में करीब एक माह से बंद कारोबार को चालू करने की मांग व्यापारियों द्वारा की जा रही है। गंज लाईन क्षेत्र को प्रशासन ने पिछले माह लखोली में कोरोना मरीजों के सर्वाधिक मामले सामने आने के बाद कंटेनमेंट जोन में बदल दिया था। गंज लाइन इलाके में भी दर्जनभर से ज्यादा मामले मिले थे। जिसके चलते शहर के इस इलाके को प्रशासन ने सील कर दिया था।
बुधवार को व्यापारियों ने प्रशासन से गंज चौक से मठपारा रोड को खोलने की मांग करते ज्ञापन सौंपा। इस दौरान वार्ड नं. 31 के पार्षद गप्पू सोनकर ने प्रशासन से मांग करते कहा कि पिछले 20 से 25 दिनों से यहां व्यापारी, मुक्तिधाम और इस क्षेत्र में आने-जाने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि केस निकला है सेठी नगर में तो उक्त क्षेत्र को बंद कर लखोली और गंज चौक को खोलना चाहिए। जिससे व्यापारियों और मुक्तिधाम तथा एम्बुलेंस को इस क्षेत्र में आवागमन होना चाहिए। गंज चौक निवासी आशीष गुप्ता ने शासन प्रशासन से मांग करते कहा कि इस बेरीकेट्स को जल्द से जल्द हटाया जाए, ताकि सबका व्यापार चालू हो सके। आज 20 से 25 दिन में एक केस नहीं आने के कारण भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे परेशानी हो रही है। इस क्षेत्र में कृषि संबंधी दुकानें ज्यादा है। जिससे किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
लखोली क्षेत्र से मजदूरों को प्रतिबंध
क्षेत्र के व्यापारियों ने कंटेनमेंट जोन गंज चौक से लखोली नाका मठपारा रोड खोलने की मांग प्रशासन से की। सूचना मिलने पर एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर व्यापारियों को समझाईश दी। एसडीएम ने व्यापारियों को चेतावनी देते कहा कि हॉटस्पॉट लखोली क्षेत्र के लोगों को काम पर नहीं बुलाने तथा उक्त क्षेत्र के व्यक्ति मिलने पर धारा 188 का मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान प्रशासन की ओर से एसडीएम, तहसीलदार और नगर निगम आयुक्त तथा व्यापारीगण शामिल थे।
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
बिहार की राजधानी पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी निवास पर वेंटिलेटरयुक्त एक अस्पताल शुरू किया जा रहा है क्योंकि उनकी भतीजी कोरोना पॉजिटिव निकली है। इसके लिए पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से उपकरण पहुंचे हैं, और डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। यह अस्पताल तब शुरू किया जा रहा है जब उनकी भतीजी को सोमवार शाम एम्स में भर्ती किया जा चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जांच में कोरोना निगेटिव निकले हैं, लेकिन मुख्यमंत्री निवास पर मेडिकल कॉलेज के दो-दो प्राध्यापकों और नर्स की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। तीनों शिफ्ट में एक-एक डॉक्टर मेडिसिन विभाग के और एनस्थिसिया विभाग के रहेंगे, और दिन में नर्सें रहेंगी।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 8 जुलाई। जिले के गुरूर थाना क्षेत्र अंतर्गत आज सुबह ग्राम बिच्छी बाहरा में एक 15 वर्षीय नाबालिग छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या कारणों का पता नहीं चल पाया है। मृतक नवोदय विद्यालय का छात्र था। उक्त घटना के बाद से परिजन सदमे में हैं।
पुलिस के अनुसार घटना के दौरान मृतक मनीष मंडावी के पिता दरवेश मंडावी गुरुर आया था और माता तरुणा बाई खेत गई हुई थी और नाबालिग घर में अपने हॉल में टीवी के समीप ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर रहा था। इसी दरमियान उसने अचानक टीवी के समीप फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक नाबालिग दुर्ग जिले के बोराई नवोदय विद्यालय में छात्र था। सूचना मिलते ही पुलिस मामले की जांच शुरू कर दी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। राज्य शासन द्वारा नए सिरे से जिलों के प्रभारी सचिवों की नियुक्ति की गई है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मंत्रालय महानदी भवन से जारी आदेश के अनुसार प्रभारी सचिवों को माह में कम से कम एक बार अपने प्रभार जिले का भ्रमण कर राज्य शासन द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रभारी सचिव हर जिले के भ्रमण के संबंध में संक्षिप्त ब्यौरा प्रतिमाह मुख्य सचिव को प्रस्तुत करेंगे।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु पिल्ले को जिला धमतरी, प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ को जिला सरगुजा तथा बलरामपुर और प्रमुख सचिव डॉ. मनिन्दर कौर द्विवेदी को महासमुन्द तथा गरियाबंद जिले का प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है। सचिव डॉ. एम गीता को जिला बेमेतरा तथा कबीरधाम, श्रीमती निहारिका बारिक को जिला बिलासपुर, सोनमणि बोरा को जिला बस्तर, डीडी सिंह को जिला दंतेवाड़ा, टीसी महावर को जिला गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही, सुश्री रीता शांडिल्य को जिला मुंगेली, परदेशी सिद्धार्थ कोमल को जिला दुर्ग, अविनाश चंपावत को जिला बलौदाबाजार-भाटापारा तथा रायपुर, निरंजन दास को जिला जांजगीर-चांपा, प्रसन्ना आर को जिला राजनांदगांव, उमेश अग्रवाल को जिला बालोद, अंबलगन पी. को जिला कोरबा, श्रीमती अलरमेलमंगई डी. को जिला रायगढ़, धनंजय देवांगन को जिला कांकेर का प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है।
इसी प्रकार संचालक पी. दयानंद को जिला सूरजपुर, नीरज बंसोड को जिला सुकमा, संयुक्त सचिव नरेन्द्र दुग्गा को जिला कोरिया, सुश्री प्रियंका शुक्ला को जिला नारायणपुर तथा कोण्डागांव, आयुक्त डॉ. तंबोली अय्याज फकीर भाई को जिला बीजापुर और संयुक्त सचिव भोस्कर विलास संदीपान को जिला जशपुर का प्रभारी सचिव बनाया गया हैै।
इस्लामाबाद, 8 जुलाई। पाकिस्तान सरकार ने फर्जी लाइसेंस की मदद से देश की विभिन्न एयरलाइंस में कार्यरत 28 पायलटों को बर्खास्त कर दिया है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार मंगलवार को प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में फर्जी लाइसेंस की मदद से एयरलाइंस में सेवा देने वाले पायलटों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि एक अन्य कदम के तहत पाकिस्तान नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने दो महिला पायलटों सहित 34 और पायलटों के लाइसेंस निलंबित कर दिए है। निलंबित पायलटों के लाइसेंसों की जांच के बाद मंत्रिमंडल इस पर निर्णय लेगा।
इससे पहले जून में, देश के नागरिक उड्डयन विभाग ने सरकारी विमानन कंपनी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस, एयरब्ल्यू और सीरीन एयर सहित कई एयरलाइंस के 160 पायलटों के लाइसेंस को संदिग्ध घोषित करते हुए जांच प्रक्रिया पूरी होने तक एयरलाइंस के प्रबंधन को उन्हें हटाने के निर्देश दिए थे।
पाकिस्तान के कराची में हाल ही में हुए विमान हादसे की जांच प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों को पायलटों के संदिग्ध रिकार्ड मिलने के बाद नागरिक उड्डयन विभाग की तथ्यान्वेषी कमेटी उनके लाइसेंस में जांच कर रही है। इस घटना में चालक दल के सदस्यों सहित 97 लोग मारे गए थे। (वार्ता)
नई दिल्ली, 8 जुलाई। दर्शकों के बिना क्रिकेट मैच की कुछ महीने पहले तक कल्पना तक नहीं की जा सकती थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते अब यह एक हकीकत बन गया है।
इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच बुधवार से शुरू हो रहे टेस्ट मैच से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी हो रही है। करीब चार महीने बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शुरू हो रहा है। यह मैच खाली स्टेडियम में बिना दर्शकों के खेला जाएगा। टेस्ट क्रिकेट के 143 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा।
इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की टीमें जब मैदान में पहुंचेंगी तो उनका स्वागत करने के लिए स्टैंड में दर्शक मौजूद नहीं होंगे। बेशक, खिलाड़ी भी मैदान पर दर्शकों के जोश, पोस्टर्स और स्लोगन को मिस करेंगे। क्रिकेट के खेल में रोमांच बनाए रखने के लिए इन सबका अहम किरदार होता है।
बंद दरवाजों में खेली जाने वाली इस सीरीज में अंपायर्स, खिलाड़ी, रेफरी होंगे, लेकिन अपने पसंदीदा खिलाडिय़ों की हौसला अफजाई के लिए दर्शक नहीं होंगे। खिलाडिय़ों को गेंद चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल की इजाजत नहीं होगी। अगर कोई ऐसा करता है तो अंपायर दो बार चेतावनी देगा और तीसरी बार ऐसा करने पर टीम पर पांच रन की पेनल्टी लगाई जाएगी। ट्रैवलिंग के नियम बहुत सख्त हैं इसलिए टेस्ट सीरीज में न्यट्रल अंपायर नहीं होंगे। स्थानीय अंपायर ही करेंगे अंपायरिंग। (navbharattimes.indiatimes.com)