अंतरराष्ट्रीय
चीन में पांच महीने से भी ज़्यादा वक़्त बाद कोरोना संक्रमण के एक दिन में सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि कोरोना की अगली लहर से बचने के लिए चीन के चार शहरों में लॉकडाउन लागू है, टेस्टिंग बढ़ा दी गई है और दूसरे कदम भी उठाए जा रहे हैं.
ज़्यादातर नए मामले राजधानी बिजिंग के नज़दीक मिले हैं. बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ उत्तरपूर्वी चीन के एक प्रांत में भी मामलों में तेज़ बढ़ोतरी देखी गई है. मामले बढ़ने के बीच 28 मिलियन से ज़्यादा लोगों को होम क्वारंटीन में डाल दिया गया है.
नेशनल हेल्थ कमिशन ने एक बयान में कहा कि चीन में कुल 115 नए मामलों की पुष्टि हुई है, इसके मुक़ाबले एक दिन पहले 55 मामले दर्ज किए गए थे. 30 जुलाई के बाद एक दिन में ये सबसे ज़्यादा बढ़त है.
कमिशन ने बताया कि 107 मामले लोकल इंफेक्शन थे. 90 मामले बिजिंग से लगने वाले हिबे प्रांत में दर्ज किए गए, वहीं उत्तरपूर्वी हेलुंगजांग प्रांत में 16 नए मामले सामने आए.
हिबे के तीन शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है, वहीं बिजिंग शहर के प्रशासन ने स्क्रीनिंग और दूसरे एहतियाती कदम उठाना शुरू कर दिया है ताकि अन्य क्लस्टर बनने से रोका जा सके.
हेलुंगजांग प्रांत ने बुधवार को कोविड-19 इमरजेंसी घोषित कर दी. प्रांतीय राजधानी हार्बिन की सीमा से लगने वाले सूहुआ शहर ने अपने 5.2 मिलियन नागरिकों के लिए लॉकडाउन लगा दिया है. (bbc.com)
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हत्या की दोषी लीजा मोंटगोमेरी की मौत की सजा पर रोक लगाने वाले एक आदेश को पलट दिया, जिसके बाद सात दशक में पहली बार दोषी महिला को मौत की सजा हो गई. मोंटगोमेरी ने जघन्य अपराध को अंजाम दिया था.
1953 के बाद पहली बार अमेरिका में किसी महिला कैदी को मृत्युदंड दिया गया है. जिस महिला कैदी को मौत की सजा दी गई उसका नाम लीजा मोंटगोमेरी है. मोंटगोमेरी की सजा पर ऐन वक्त पर 8वें सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने रोक लगा दी थी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलट दिया और मंगलवार को मौत की सजा हुई. अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक मोंटगोमेरी को इंडियाना के तेर्रे हाउते की जेल में स्थानीय समय रात 1:31 बजे मृत घोषित किया गया.
इससे पहले डॉक्टरों का कहना था कि मोंटगोमेरी का ब्रेन डैमेज है और वह मानसिक रूप से बीमार है. 52 वर्षीय मोंटगोमेरी को मृत्युदंड देने को लेकर कई कई संघीय अदालतों में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोंटगोमेरी के वकील केली हेनरी ने सजा को "क्रूरतापूर्ण, गैर-कानून और सत्ता की शक्ति का अनावश्यक इस्तेमाल" बताया था. उन्होंने एक बयान में कहा, "मोंटगोमेरी के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कोई भी विवाद नहीं खड़ा कर सकता. पहली बार जेल के डॉक्टरों ने बीमारी का पता लगाया था और इलाज किया था."
मोंटगोमेरी 2007 में 23 वर्षीय बॉबी जो स्टिनेट की हत्या और अपहरण की दोषी पाई गई थी. उसने बॉबी जो कि आठ महीने की गर्भवती थी, उसका पेट चीर कर बच्ची का अपहरण कर लिया था.
मोंटगोमेरी का जघन्य अपराध
16 दिसंबर 2004 को मोंटगोमेरी ने उत्तर पश्चिमी मिसूरी के स्किडमोर में बॉबी जो स्टिनेट के घर में घुसकर रस्सी से उनका गला घोंटकर हत्या कर दी, गर्भवती स्टिनेट का किचन में इस्तेमाल होने वाले चाकू से पेट चीर डाला और बच्ची को लेकर वहां से फरार हो गई. बच्ची को अपना बताने के इरादे से वह वहां से लेकर भाग गई थी. मोंटगोमेरी के वकील लंबे समय से उसको मौत की सजा का विरोध करते रहे हैं.
मोंटगोमेरी को मौत की सजा ऐसे समय में दी गई जब दो और मामलों में कोर्ट ने कैदी के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण मौत की सजा पर रोक लगा दी. अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन मौत की सजा के खिलाफ हैं. ये मृत्युदंड बाइडेन के उदघाटन से पहले दिए जा रहे हैं. ट्रंप के शासन के दौरान 10 संघीय कैदियों को मृत्युदंड मिल चुका है.
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी)
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 13 जनवरी (आईएएनएस)| अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइक पेंस द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 25वें संशोधन का इस्तेमाल कर पद से हटाने के लिए मना करने के बाद ट्रंप के दूसरे महाभियोग के लिए मंच तैयार हो चुका है। प्रतिनिधि सभा ने उन्हें कार्रवाई करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था।
मंगलवार को ट्रंप से मिले पेंस ने स्पीकर नैन्सी पेलोसी को लिखा कि वह ट्रंप को एक संवैधानिक कदम के माध्यम से हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं करेंगे, जिन्होंने ट्रंप को हटाने के लिए 24 घंटे का नोटिस दिया था और ऐसा न करने पर महाभियोग के लिए तैयार रहने के लिए कहा था।
सदन को बुधवार को ट्रंप के महाभियोग की उम्मीद है क्योंकि पेंस और कैबिनेट को इसके प्रस्ताव का पालन करने और संविधान के 25 वें संशोधन के तहत कार्य करने के लिए सहमत होने की संभावना नहीं है जो ट्रंप को व्हाइट हाउस से बाहर करने के लिए बहुमत देता है।
इस बीच ट्रंप ने कहा, "यह महाभियोग जबरदस्त गुस्सा पैदा कर रहा है, और आप यह कर रहे हैं, और यह वास्तव में एक भयानक चीज है जो वे कर रहे हैं।"
ट्रंप के महाभियोग के मसौदे में अमेरिका की सरकार के खिलाफ हिंसा को उकसाने का आरोप है, जो उनके समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल में किए हमले से संबधित है।
ट्रंप ने जोर देकर कहा था कि चुनाव एक धोखाधड़ी था, उनकी बयानबाजी ने कैपिटल पर पिछले बुधवार को उनके समर्थकों को भेजा था, जिन्होंने जमकर उत्पात मचाया, जब कांग्रेस जो बाइडेन के इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों को प्रमाणित करने की प्रक्रिया में थी।
हमले में एक पुलिस अधिकारी सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी।
ज़ुबैर अहमद
पिछले सप्ताह अमेरिकी संसद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा ग़ैर क़ानूनी और जबरन प्रवेश के बाद ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने राष्ट्रपति ट्रंप पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. इनके साथ इनके 70,000 समर्थकों के एकाउंट्स भी निलंबित कर दिए गए हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार बिना सबूत के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन की 3 नवंबर की चुनावी जीत की वैधता को चुनौती देते रहे हैं. पिछले बुधवार को उनके एक भाषण के बाद उनके समर्थक अमेरिकी संसद की इमारत में घुस आए. उस समय वहां सीनेट और हाउस में अधिवेशन जारी था जिसमें जो बाइडन की जीत की पुष्टि होनी थी, जो महज़ एक औपचारिकता थी. लेकिन इस भीड़ द्वारा हिंसा के कारण सदस्यों को इमारत से निकाल कर सुरक्षित जगह पर पहुँचाना पड़ा.
इस हिंसा में पांच लोगों की मृत्यु हो गयी. सियासी नेताओं ने ट्रंप के भड़काऊ भाषण को इस हिंसा का ज़िम्मेदार ठहराया. लेकिन टेक्सास में अपने ताज़ा बयान में राष्ट्रपति ने बुधवार को भड़काऊ भाषण देने के इलज़ाम को ग़लत बताते हुए कहा कि उनका 'बयान मुनासिब था.'
राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबंध पर क़ानूनी विशेषज्ञ इस बहस में जुटे हैं कि क्या ये क़दम ग़ैर क़ानूनी है? स्वयं राष्ट्रपति के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने ट्विटर पर लगी पाबंदी के बाद कहा, "फ्री-स्पीच अब अमेरिका में मौजूद नहीं है."
लेकिन दूसरी तरफ़ उनके समर्थक इस बात के लिए उत्साहित हैं कि उनका अपना एक अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो जिसमें वो आज़ादी से अपने विचार शेयर कर सकें. ख़ुद राष्ट्रपति ने कहा है कि वो एक नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शुरू करने का इरादा रखते हैं.
लेकिन एक नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाना कितना आसान है? या फिर क्या ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का कोई विकल्प है, जिसकी पहुँच इन्हीं प्लेटफॉर्म जैसी हो और वो दुनिया भर में इन्हीं की तरह लोकप्रिय हों?
नया प्लेटफॉर्म बनाना कितना आसान?
ये सवाल हर उस व्यक्ति के दिमाग़ में होगा जो अपने विचार के प्रचार के लिए इन फ्री सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का रोज़ इस्तेमाल करते हैं लेकिन उन्हें डर लगा रहता है कि उनके विचारों के कारण कहीं उनपर पाबंदी न लग जाए.
न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के योगेश शर्मा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने के क्षेत्र में काम करते हैं और अमेरिका में डिमांड में हैं.
इससे पहले कि वो हमारे सवाल का जवाब देते, वो कहते हैं "ज़रा सोचिये अगर फ़ेसबुक और ट्विटर न हो तो बीजेपी भक्त और ट्रोल कहाँ जायेंगे?".
उनके मुताबिक़ वो नया प्लेटफॉर्म खोलने की कोशिश करेंगे, क्योंकि उनके अनुसार ये बहुत मुश्किल काम नहीं है.
सैद्धांतिक रूप से अगर आपके पास पर्याप्त पूँजी हो, टेक्नोलॉजी हो और फॉलोवर्स हों तो एक नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाना आसान होना चाहिए.
योगेश शर्मा कहते हैं, "देखिये, अपना सोशल प्लेटफॉर्म बनाना मुश्किल नहीं है. संभावित रूप से एक साथ 70 मिलियन समर्थक (ट्रंप के) एक नए प्लेटफॉर्म से जुड़ सकते हैं. इस बड़े नंबर को हलके में नहीं लेना चाहिए. इसलिए ऑडियंस या स्वीकृति का कोई मुद्दा नहीं है."
इस तर्क को आगे ले जाने की कोशिश में वो कहते हैं, "प्रचारकों, मुल्लाओं और ढोंगी बाबाओं के लिए मंच हमेशा उपलब्ध होता है या नया प्लेटफॉर्म बनाया जा सकता है".
योगेश आगे कहते हैं, "हाल ही में फ्लोरिडा के एक प्रसिद्ध हेयरड्रेसर ने एक नया प्लेटफॉर्म बनाने के लिए मुझसे संपर्क किया. एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने के लिए आपको एक अच्छा बुनियादी ढाँचा, नवीनतम टेक्नोलॉजी और ढेर सारी पूँजी की आवश्यकता है. संक्षेप में, मैं इस तरह के प्लेटफॉर्म का निर्माण कर सकता हूं और दर्शक भी हासिल कर सकता हूँ चाहे वो अमेरिका हो या कहीं और."
सैद्धांतिक रूप से नया प्लेटफॉर्म बनाना आसान तो है लेकिन वास्तविकता ये है कि स्थापित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कोई नया प्लेटफॉर्म मुक़ाबला नहीं कर सकता.
अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डंकन फर्गुसन अपने एक लेख में लिखते हैं, "ज़मीनी हकीक़त ये है कि स्थापित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अमेज़न जैसी कंपनियों के दायरे में रह कर कुछ नया काम करना असंभव है. आप की नई कंपनी जैसे ही अच्छा करने लगेगी वो आपको खरीद लेंगे. ये वो शार्क हैं जो छोटी मछलियों को देखते ही निगल लेते हैं."
ज़रा इस ज़मीनी हक़ीक़त पर ग़ौर कीजिए - हर महीने फ़ेसबुक के 2.3 अरब यूज़र हैं, यूट्यूब के 1.9 अरब यूज़र, व्हाट्सऐप के 1.5 अरब यूज़र, मैसेंजर के 1.3 अरब यूज़र और इंस्टाग्राम के 1 अरब यूज़र.
इनके सामने किसी नए प्लेटफॉर्म का टिकना लगभग असंभव है. ये सारे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अमेरिका के सिलिकन वैली में स्थित हैं, यहीं इनका जन्म हुआ और यहीं ये पनप रहे हैं. इनकी पहुँच और इनके फॉलोअर्स दुनिया भर में हैं.
इनके बीच एक चीनी प्लेटफॉर्म वीचैट ही टिक पाया है जिसके हर महीने यूज़र 1 अरब से अधिक हैं. ट्विटर 12 वें पायदान पर है जिसकी पहुँच हर महीने 33 करोड़ से थोड़ा ज़्यादा है.
पार्लर का गठन, लेकिन उदय से पहले पतन?
कंज़र्वेटिव लोगों (रुढ़िवादियों) के बीच लोकप्रिय सोशल मीडिया नेटवर्क पार्लर (Parler) इस बात का जीता जागता सबूत है कि सिलिकन वैली के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सामने टिकना कितना कठिन है.
इस प्लेटफॉर्म को अब एपल, गूगल और अमेज़न ने प्रतिबंधित लगा दिया है, इन कंपनियों का इल्ज़ाम है कि पार्लर ने ऐसी पोस्टों को जगह दी है जो हिंसा को स्पष्ट रूप से प्रोत्साहित करती हैं और उकसाती हैं.
इन कंपनियों का इलज़ाम है कि पार्लर ने ऐसी पोस्टों को जगह दी है जो हिंसा को स्पष्ट रूप से प्रोत्साहित करती हैं और उकसाती हैं.
पार्लर को 2018 में लॉन्च किया गया था और कंपनी के अनुसार इसके 3 मिलियन एक्टिव यूज़र हैं, जिनमें भारी संख्या उन लोगों की है जो राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थक हैं. कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके फॉलोवर्स की संख्या 16 मिलियन है. राष्ट्रपति ट्रंप के परिवार के कुछ सदस्य भी इसके मेंबर हैं.
कनाडा के शहर वेंकुअर से भारतीय मूल के सौरभ वर्मा ने फ़ोन पर बताया कि अमेरिका के 'टेक एको सिस्टम' में एक ऐसे नए प्लेटफॉर्म का लॉन्च होना मुश्किल है जिसके फॉलोवर्स दक्षिण पंक्ति या ट्रंप समर्थक हों."
वो कहते हैं, "देखिये बुनियादी तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सियासी नहीं आर्थिक फायदे के लिए वजूद में आयी हैं. इनका ख़ास मक़सद पैसे कमाना है. लेकिन पिछले कुछ सालों में विभाजित करने वाली शख्सियतों और तत्वों के कारण ये प्लेटफॉर्म वैचारिक युद्ध का अखाड़ा बन गए हैं. ये सियासी हो गए हैं. सिलिकन वैली में पनपे प्लेटफॉर्म को शुरू करने वाले लोग युवा पीढ़ी के हैं और वो अक्सर लिबरल विचारधारा के होते हैं. यही कारण है कि वो दक्षिणपंथी तत्वों के ख़िलाफ़ होते हैं. ऐसे में दक्षिण पंथी वाले पार्लर जैसे प्लेटफॉर्म को वो केवल सह सकते हैं मगर इसे आगे नहीं बढ़ने देंगे."
शायद इसीलिए पार्लर Parler को ऐपल, गूगल और अमेज़न ने प्रतिबंधित कर दिया है. अमेज़न के क़दम से पार्लर को सबसे अधिक झटका लगा है क्योंकि वह अमेज़न का क्लाउड सर्वर पर चलता था. अब पार्लर ने अमेज़न के ख़िलाफ़ मुक़दमा कर दिया है.
पार्लर का इलज़ाम है कि अमेज़न को चाहिए था कि पाबंदी लगाने से पहले वो कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक़ एक महीने का नोटिस जारी करे. लेकिन पाबंदी अचानक लगाई गई. पार्लर के अनुसार ऐमेज़ॉन का फैसला इसके लिए इसे "मौत का झटका" देने जैसा है.
इन दिनों पार्लर की वेबसाइट डाउन है और इस ऐप को गूगल के प्लेस्टोर या एप्पल के ऐप स्टोर से डाउनलोड भी नहीं किया जा सकता.
लेकिन सौरभ वर्मा के अनुसार पार्लर या कोई भी नया प्लेटफॉर्म अगर चाहे तो चीन या रूस के एको सिस्टम में रह कर लॉन्च कर सकता है. "सिलिकन वैली में अगर आपको लोग टिकने नहीं देना चाहते हैं तो आप चीन और रूस जा कर एक नया प्लेटफॉर्म शुरू कर सकते हैं. मगर इसमें सिक्योरिटी और डाटा की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है और अगर सर्वर आपका चीन में है तो पश्चिमी देश के फॉलोवर आप से जुड़ना नहीं चाहेंगे."
मौजूदा प्लेटफॉर्म में कोई विकल्प है?
अब सवाल ये है कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने समर्थकों तक पैग़ाम पहुंचाने के लिए किस प्लेटफॉर्म का सहारा लें? रोज़ दो-तीन ट्वीट करने वाला आदमी अब क्या करे?
बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बाद अब ट्विच, रेडिट और टिक टॉक जैसे प्लेटफॉर्म ने भी राष्ट्रपति पर शिकंजा कसा है और उनके अकाउंट को निलंबित कर दिया है. अब वो कहाँ जायेंगे?
एक संभावना है कि ट्रंप गैब (Gab) से जुड़ सकते हैं. ये ट्विटर की तरह एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जो अमेरिका में दक्षिणपंथियों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है. अमरीकी संसद में हिंसा के बाद से इसका दावा है कि इसने छह लाख नए यूज़र बनाए हैं.
रॉयटर्स समाचार एजेंसी के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप अपने कार्यकाल के आख़िरी कुछ दिन संचार के अधिक परंपरागत तरीकों, मेनस्ट्रीम ट्रेडिशनल मीडिया या छोटे दक्षिणपंथी ऑनलाइन चैनलों का सहारा लेने पर मजबूर हो सकते हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थक फेसबुक-स्टाइल के प्लेटफॉर्म मीवी (MeWe) से भी तेज़ी से जुड़ रहे हैं लेकिन ये अब भी काफ़ी छोटा प्लेटफॉर्म है जिसे अमेरिका से बाहर शायद ही कोई जानता हो.
योगेश शर्मा के विचार में राष्ट्रपति ट्रंप जिस प्लेटफॉर्म को साइन अप करेंगे उस प्लेटफॉर्म के फॉलोवर्स की संख्या बढ़ेगी, अगर उनके सात करोड़ से अधिक समर्थक किसी प्लेटफॉर्म से जुड़ जाएँ तो एक विज्ञापनदाता के लिए अच्छी खबर होगी लेकिन किसी भी ऐसे प्लेटफॉर्म को पहले सिलिकन वैली की बड़ी कंपनियों के शिकंजे से निकलना पड़ेगा और कनाडा में सौरभ वर्मा के अनुसार ये सब से कठिन काम होगा. (bbc.com)
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ ने कहा है कि ईरान आतंकवादी संगठन अल कायदा से संबंध रखता है. ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने इसका खंडन किया है. पोम्पेओ ने अपने आरोप के लिए कोई सबूत नहीं पेश किए.
माइक पोम्पेओ ने मंगलवार को कहा कि आतंकी संगठन अल कायदा ने ईरान में अपना नया ठिकाना स्थापित किया है और वहां अपनी पैठ मजबूत कर ली है. उन्होंने दावा किया कि आतंकी संगठन देश के अंदर तक घुस गया जिससे अमेरिका के लिए उसके सदस्यों को निशाना बनाना कठिन हो गया है. पोम्पेओ ने अपना दावा न्यूयॉर्क टाइम्स की उस रिपोर्ट पर किया है, जिसमें कहा गया था कि अल कायदा का शीर्ष नेता अबु मोहम्मद अल-मसरी ईरान में इस्राएल के ऑपरेशन के दौरान अगस्त 2020 में मारा गया था. ईरान ने बाद में इस रिपोर्ट का खंडन किया था. वॉशिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पोम्पेओ ने कहा, "ईरान में अल-मसरी की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि आज हम यहां खड़े हैं...अल कायदा के पास नया अड्डा है, यह इस्लामिक गणराज्य ईरान है." उन्होंने अपना दावा बिना किसी पुख्ता सबूत के किया. उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा ईरान वास्तव में एक नया अफगानिस्तान है...अल कायदा के लिए प्रमुख भौगोलिक केंद्र के रूप में. अफगानिस्तान में अल कायदा के सदस्य पहाड़ों में छिपते थे लेकिन अल कायदा आज उसके उलट ईरानी प्रशासन की कड़ी सुरक्षा में गतिविधियों को अंजाम दे रहा है." उन्होंने कहा, "तेहरान आतंकी संगठन के बडे़ नेताओं को पनाहगाह दे रहा है...उसने अल कायदा को दुनिया भर में संबंध स्थापित करने के लिए धन जुटाने की अनुमति दी है ताकि वह उन सभी कार्यों को अंजाम दे सके जो वे अफगानिस्तान और पाकिस्तान में करते थे."
ईरान ने अल कायदा से संबंध से इनकार किया
ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने पोम्पेओ के इस आरोप पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने दावों को "काल्पनिक डिक्लासिफिकेशन" और "युद्ध को भड़काने वाला झूठ" करार दिया. ईरान एक शिया बहुल देश है और ईरान को अल कायदा जैसे आतंकी संगठन के वैचारिक रूप से विरोधी माना जाता है. अल कायदा इस्लाम के सुन्नी मान्यताओं का पालन करता है और पारंपरिक रूप से ईरान के कट्टर दुश्मन सऊदी अरब द्वारा कथित समर्थित है.
आखिरी दिनों में उथल पुथल करना चाहता है ट्रंप प्रशासन
क्विंसी इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के उपाध्यक्ष ट्रिता पारसी ने पोम्पेओ के आरोप के बारे में डीडब्ल्यू से बात की और आरोप को अविश्वसनीय माना. उन्होंने कहा ट्रंप प्रशासन ईरान पर बहुत दबाव डाल रहा है. उन्होंने सवाल किया कि अगर सबूत मौजूद थे तो पहले क्यों नहीं ट्रंप प्रशासन सामने आया. पारसी ने यह भी रेखांकित किया कि यह दावा किया जा रहा है कि ईरान अल कायदा का नया ठिकाना बन गया है, इस तरह से ट्रंप के सत्ता के आखिरी दिनों में प्रशासन ईरान पर हमला करने की इजाजत दे देगा.
2002 का एक कानून अमेरिकी सरकार को अल कायदा के खिलाफ कांग्रेस की मंजूरी के बिना सैन्य अभियान चलाने की अनुमति देता है.
एए/सीके (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 13 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थक भीड़ द्वारा अमेरिका के कैपिटल हिल पर 6 जनवरी को किए गए घातक हमले के एक हफ्ते से भी कम समय बाद फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) पहले से ही 100,000 से अधिक डिजिटल मीडिया फुटेज को देख रही है। हमले में एक पुलिस अधिकारी सहित 5 लोगों की मौत हो गई थी।
अमेरिकी न्याय विभाग ने देशद्रोह के आरोपों की संभावना की जांच करने के लिए एक स्ट्राइक फोर्स बनाया है, जिसमें 20 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। अधिकारी धन उपलब्ध कराए जाने और मूवमेंट की जांच कर रहे हैं, जिसके कारण हमला हुआ।
जैसा कि चौंकाने वाले नए सबूत सामने आए हैं, एफबीआई ने पहले ही 170 मामलों को खोल दिया है और हजारों गवाहों के बयान दर्ज कर रही है।
डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया के लिए कार्यवाहक अमेरिकी अटॉर्नी माइकल शेरविन ने 6 जनवरी के हमले के बाद पहली बार देश को संबोधित किया।
उनकी टिप्पणी इस बात पर अभी तक काफी पुख्ता विवरण प्रस्तुत करती है कि उस दिन दोपहर के लगभग क्या हुआ था, जब कांग्रेस अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन के जीत को प्रमाणित करने के लिए जुटी थी।
ब्रीफिंग के अंश हमें बताते हैं कि चीजें कहां खड़ी हैं।
शेरविन ने कहा, "हमने पहले से ही 170 से अधिक सब्जेक्ट फाइलों को खोल दिया है, जिसका अर्थ है कि इन व्यक्तियों को संभावित व्यक्तियों के रूप में पहचाना गया है जिन्होंने कैपिटल ग्राउंड के अंदर और बाहर अपराध किया। 170 मामले पहले ही खुल चुके हैं और मुझे आशा है कि यह आगामी सप्ताहों में सैकड़ों में बढ़ने वाला है। अगले आने वाले हफ्तों में, मुझे फिर से संख्या सैकड़ों में बढ़ने का संदेह है।"
उन्होंने कहा, "आपराधिक आचरण की सीमा वास्तव में है। हम कैपिटल में साधारण ट्रेसपास से लेकर मेल की चोरी, डिजिटल उपकरणों की चोरी तक सब कुछ देख रहे हैं ।"
शेरविन ने कहा, "इन मामलों में इस जांच का दायरा और पैमाना वास्तव में न केवल एफबीआई के इतिहास में अप्रत्याशित है, बल्कि संभवत: डीओजे के इतिहास में भी है जिसमें अनिवार्य रूप से कैपिटल ग्राउंड के बाहर और अंदर एक अपराध स्थल है जिसमें हमारे पास वास्तव में हजारों संभावित गवाह हैं और एक ऐसा परि²श्य है जिसमें हमारे पास सैकड़ों आपराधिक मामले होंगे। यह रातोंरात हल होने वाले नहीं हैं। यह आगामी हफ्तों, आगामी महीनों के भीतर हल होने वाला नहीं है। यह एक दीर्घकालिक जांच होने जा रही है।"
उन्होंने कहा कि हमें डिजिटल मीडिया के 100,000 से अधिक तस्वीरें प्राप्त हुई हैं, जो जांच में मदद करेंगी।
श्ेरविन ने कहा कि जब आपराधिक आचरण होता है तो हम स्पष्ट रूप से लोगों को जल्द से जल्द आरोप पत्र दाखिल करने की कोशिश करते हैं। इसलिए जब इन प्रदर्शनकारियों ने कैपिटल को छोड़ दिया, तो संघीय कानून प्रवर्तन द्वारा माचिर्ंग आदेश इन व्यक्तियों को जितनी जल्दी हो सके खोजने और आरोप लगाने के लिए था। यह केवल शुरूआत है। इसलिए इन आपराधिक आरोपों को दायर किए जाने के बाद, जो कि संयुक्त राज्य भर में कानून प्रवर्तन को डलास से अरकांसस से नैशविले से क्लीवलैंड, जैक्सनविले तक लोगों को गिरफ्तार करने की अनुमति देता है। जो कि पिछले कुछ दिनों में हुआ है। यह वास्तव में काफी अविश्वसनीय है।
नई दिल्ली, 13 जनवरी। टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने ई-लनिर्ंग प्लेटफॉर्म खान एकेडमी को 5 लाख डॉलर का दान दिया है। खान एकेडमी के संस्थापक साल खान ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि वह खुशी से फुले नहीं समा रहे हैं और मस्क फाउंडेशन के हर सदस्य और एलन मस्क का धन्यवाद अदा करते हैं।
उन्होंने कहा, "खान अकादमी के लिए, उनके विश्वसनीय उदार समर्थन के लिए, उन्होंने हाल ही में खान एकेडमी को 50 लाख डॉलर का दान दिया है।"
उन्होंने आगे लिखा, "यह हमें सभी प्रकार की कंटेंट में तेजी लाने और दुनिया भर के लाखों छात्रों को एकजुट करने की अनुमति देने जा रहा है।"
खान एकेडमी में 12 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं और 2 से 3 करोड़ छात्र हर महीने मंच का उपयोग कर रहे हैं।
सल खान ने कहा, "हमारे पास सीखने के लगभग 20 करोड़ घंटे हैं। मैं इस तरह के निवेश को एक बहुराष्ट्रीय संस्था बनाने में सक्षम होने के तौर पर देखता हूं, ताकि भविष्य में पैदा होने वाले एलन मस्क अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकें।"
चूंकि भारत सहित विश्व भर में लाखों बच्चे घर से ऑनलाइन स्कूल की कक्षाएं लेते हैं, इसलिए निजी शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ सरकार के पास 6 करोड़ से अधिक कॉलेज छात्रों और दुनिया भर में 150 करोड़ स्कूली छात्रों को ऑनलाइन ई-लनिर्ंग की पेशकश करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है।
खान एकेडमी की स्थापना 2008 में अमेरिका में एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में की गई थी। यह ऑनलाइन टूल की तरह है जो छात्रों को वीडियो के रूप में छोटे पाठ पेश कर शिक्षित करने में मदद करता है। (आईएएनएस)
लंदन, 13 जनवरी | गायिका से डिजाइनर बनीं विक्टोरिया बेकहम का कहना है कि लोकप्रिय बैंड स्पाइस गर्ल्स से दूर होने की प्रेरणा उन्हें मशहूर अंग्रेजी गायक-गीतकार एल्टन जॉन से मिली है। 46 वर्षीय स्टार ने इस गर्ल बैंड के सदस्य के तौर पर खासी प्रसिद्धि पाई। लेकिन पिछले कुछ सालों में उन्होंने फिर से इस बैंड से जुड़ने की योजनाओं को अस्वीकार कर दिया है। फीमेल फर्स्ट डॉट को डॉट यूके की रिपोर्ट के मुताबिक, अब उन्होंने ब्रिटेन की वोग पत्रिका में अपने भविष्य को लेकर लिखे गए एक पत्र में इसके कारण का खुलासा किया है।
उन्होंने कहा, "सालों पहले की बात है, जब लास वेगस में स्टेज पर प्रिय मित्र एल्टन जॉन को देखा। वे 'टिनी डांसर' परफॉर्म कर रहे थे। आप महसूस करेंगे कि यह उनके लिए ऑक्सीजन की तरह था। उन्हें ऐसे देखना मेरे लिए जिंदगी बदलने वाला क्षण था। जब गाना और डांस करना आपके लिए एक मजे का काम हो, ना कि यह आपका जुनून हो। उस दिन, अपने सपनों को उजागर करने के लिए अपनी खोज शुरू की। यह स्पाइस गर्ल से दूर होने का समय था। पहली बार, आप अपने आप को बाहर निकाल रहे थे और यह भयानक था। इसे बंद करना डरावना था क्योंकि यह ऐसा चैप्टर था जो आपको परिभाषित करता है।"
विक्टोरिया ने बैंड छोड़ने के बाद अपना खुद का फैशन साम्राज्य और ब्यूटी ब्रांड शुरू किया। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि उनके कई प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं।
उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा, "मुझे पता है कि आप अभी भी खुद को रीइन्वेंट कर हैं, नई चुनौतियों का सामना करने जा रहे हैं। आप हमेशा अपने रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए पारंपरिक ज्ञान से हटकर देखते हैं। सबसे पहले, यह जुनून फैशन में मिला, और हाल ही में ब्यूटी में मिला। अब आगे क्या आता है, इसे जानने के लिए मैं बहुत बेसब्र हूं।" (आईएएनएस)
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कुर्सी से हटाने की डेमोक्रेट्स की कोशिशों को अब उनके ही कुछ साथी रिपब्लिकन्स का साथ मिलने लगा है.
प्रतिनिधि सभी की तीसरी सबसे वरिष्ठ रिपब्लिकन लिज़ चेनी ने कहा है कि वो बीते हफ़्ते की यूएस कैपिटल पर हुई हिंसा को देखते हुए ट्रंप पर महाभियोग चलाने के लिए मतदान करेंगी.
पूर्व उप-राष्ट्रपति डिक चेनी की बेटी लिज़ चेनी ने महाभियोग का समर्थन करने की बात कही. रिचर्ड निक्सन के वक़्त के बाद से ये पहली बार है जब राष्ट्रपति की ख़ुद की पार्टी के किसी नेता ने ऐसा किया हो.
लिज़ चेनी ने एक बयान में कहा, “इससे पहले अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने अपने ऑफ़िस और संविधान की शपथ से इतना बड़ा विश्वासघात नहीं किया है.”
महाभियोग: ट्रंप के ख़िलाफ़ होने लगे अपनी ही पार्टी के लोग
लिज़ ने साथ ही कहा कि ट्रंप ने “भीड़ को बुलाया, उन्हें इकट्ठा किया, इस हमले को हवा दी.”
हाउस के दो अन्य रिपब्लिकन सदस्यों, जॉन काटको और एडम किंज़िनर ने कहा कि वो भी महाभियोग के लिए मतदान करेंगे.
इससे पहले राष्ट्रपति ने अपने समर्थकों के हमले की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था.
20 जनवरी को डेमोक्रेट जो बाइडन उनकी जगह ले लेंगे.
हाउस ने बुधवार को मतदान करने की योजना बनाई है, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ विद्रोह भड़काने के आरोप लगाए जाएंगे. इसके बाद वो ऐसे दूसरे अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाएंगे, जिनके ख़िलाफ़ दो बार महाभियोग चलाया गया. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 13 जनवरी | वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 9.1 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है, जबकि संक्रमण से हुई मौतें 19.6 लाख से अधिक हो गई हैं। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने बुधवार को दी। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बुधवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान में वैश्विक मामले और मृत्यु दर क्रमश: 91,573,149 और 1,961,987 है।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका दुनिया का सबसे अधिक कोविड प्रभावित देश है, जहां 22,836,244 मामले और 380,651 मौतें दर्ज की गई हैं।
संक्रमण के मामलों के हिसाब से भारत 10,479,179 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में संक्रमण से मरने वालों की संख्या 151,327 है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, दस लाख से अधिक पुष्ट मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (8,195,637), रूस (3,412,390), ब्रिटेन (3,173,274), फ्रांस (2,864,360), तुर्की (2,346,285), इटली (2,303,263), स्पेन (2,137,220), जर्मनी (1,957,898), कोलम्बिया (1,816,082), अर्जेंटीना (1,744,704), मेक्सिको (1,556,028), पोलैंड (1,395,779), ईरान (1,299,022), दक्षिण अफ्रीका (1,259,748), यूक्रेन (1,160,243) और पेरू (1,037,350) हैं।
संक्रमण से हुई मौतों के मामले में वर्तमान में ब्राजील 204,690 आंकड़ों के साथ दूसरे स्थान पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मौतें दर्ज करने वाले अन्य देश मेक्सिको (135,682), ब्रिटेन (83,342), इटली (79,819), फ्रांस (68,939), रूस (61,908), ईरान (56,360), स्पेन (52,683), कोलंबिया (46,782), अर्जेंटीना (44,848), जर्मनी (42,259), पेरू (38,335), दक्षिण अफ्रीका (33,334), पोलैंड (31,593), इंडोनेशिया (24,645), तुर्की (23,152), यूक्रेन (20,915) और बेल्जियम (20,122) हैं।
--आईएएनएस
जकार्ता, 13 जनवरी | इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के तट पर पानी में डूबे श्रीविजय एयर बोइंग 737-500 विमान का ब्लैक बॉक्स गोताखोरों ने ढूंढ निकाला है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ब्लैक बॉक्स मंगलवार को जकार्ता खाड़ी के लांकांग द्वीप और लाकी द्वीप के बीच सीफ्लोर पर मिला। अब ब्लैक बॉक्स को तंजुंग प्रोक के जकार्ता समुद्री बंदरगाह से एक जहाज से ले जाया जा रहा है।
बता दें कि जकार्ता के सोएकार्नो-हट्टा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पश्चिम कालीमंतन प्रांत के पोंटियानक शहर के लिए उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद ही एसजे -182 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
इस विमान को खोजने के मिशन में 3,600 लोग शामिल हुए। साथ ही 54 जहाज और 13 विमान और हेलीकॉप्टर भी शामिल किए गए।
--आईएएनएस
अमेरिकी संसद पर अपने समर्थकों के हमले के ठीक पहले दिए भाषण का राष्ट्रपति ट्रंप ने बचाव किया है.
एंड्रयू एयरफ़ोर्स बेस पर पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, "आपको हमेशा हिंसा से बचना चाहिए. हमें बहुत समर्थन है, शायद ऐसा समर्थन है जैसा इससे पहले किसी ने देखा नहीं होगा."
लेकिन पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि संसद भवन में जो कुछ हुआ उसमें उनकी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी कितनी थी, तो उनका जवाब था, अगर आप मेरा भाषण सुनेंगे और कई लोगों ने सुना है और मैंने अख़बारों और टीवी में देखा है. इसका आकलन किया गया है और लोगों को लगता है कि मैंने जो भी कहा था वो बिल्कुल वाजिब था.
ट्रंप ने आगे कहा, वरिष्ठ नेताओं समेत कई लोगों ने कहा है कि पुलिस हिरासत में जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शन और दंगे वाशिंगटन में हुए दंगों से ज़्यादा चिंताजनक थे.
ट्रंप के भाषण के बाद जब उनके समर्थकों ने पुलिस पर हमले शुरू कर दिए थे उससे दो घंटे पहले ट्रंप ने भीड़ से कहा था, ''हमलोग जहन्नम की तरह लड़ते हैं. और अगर आप जहन्नम की तरह नहीं लड़ते हैं तो फिर आप इस देश को नहीं बचा पाएंगे.''
डेमोक्रैट्स का कहना है कि ट्रंप के शब्द बग़ावत की एक कोशिश थी. (बीबीसी)
जर्मनी के डॉयचे बैंक ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी कंपनियों से व्यापारिक रिश्ता ख़त्म करने की घोषणा की है.
डॉयचे बैंक ट्रंप की कंपनियों के लोन का एक बहुत बड़ा स्रोत है और बैंक का यह फ़ैसला ट्रंप के व्यापार के लिए बहुत बड़ा धक्का हो सकता है.
डॉयचे बैंक ने ऐसे समय में यह फ़ैसला किया है जब कई दूसरे संगठन भी ट्रंप से अपने रिश्ते ख़त्म करक रहे हैं.
ट्विटर से लेकर प्रोफ़ेशनल गोल्फ़र्स एसोसिएशन तक सभी ने ट्रंप से संबंध तोड़ लिया है. इन सभी कंपनियों ने ट्रंप ब्रैंड को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
बैंक ने इस बारे में आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि बैंक अब ट्रंप के साथ कोई भी बिज़नेस नहीं करेगा.
90 के दशक में जब ट्रंप दिवालिया होने के कगार पर थे तो डॉयचे बैंक अकेला बैंक था जिसने ट्रंप को लोन दिया था.
ट्रंप समूह को अभी डॉयचे बैंक को अगले कुछ सालों में 34 करोड़ डॉलर का लोन चुकाना है.
ट्रंप समूह के एक और बैंकर सिग्नेचर बैंक ने कहा है कि वो ट्रंप के दो निजी बैंक खाते को बंद कर रहा है. (बीबीसी)
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स में इस समय राष्ट्रपति ट्रंप को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पर बहस जारी है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि ट्रंप ने 'पूरे प्रचार-प्रसार के साथ और खुल कर उस भीड़ को उकसाया' था जिसने पिछले हफ़्ते अमेरिकी संसद पर हमला किया था.
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि उप-राष्ट्रपति माइक पेन्स को राष्ट्रपति की ज़िम्मेदारी संभाल लेनी चाहिए.
डेमोक्रैट्स जिनका फ़िलहाल सदन में बहुमत है, वो पेन्स से आग्रह कर रहे हैं कि वो 'फ़ौरन' संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप को इस पद के अयोग्य घोषित करें.
25वें संशोधन के तहत उप-राष्ट्रपति को राष्ट्रपति बनने का अधिकार होता है जब राष्ट्रपति अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ होते हैं, मिसाल के तौर पर अगर वो शारीरिक या मानसिक बीमारी के कारण अयोग्य हो जाते हैं.
सदन में इस समय 25वें संशोधन के सेक्शन चार पर बहस हो रही है जो उप-राष्ट्रपति को अधिकार देता है कि वो कैबिनेट की बहुमत के साथ मिलकर राष्ट्रपति को अपने ज़िम्मेदारी निभाने के अयोग्य घोषित कर सकते हैं.
उप-राष्ट्रपति को संसद अध्यक्ष और ऊपरी सदन सीनेट के पीठासीन अधिकारी को एक पत्र लिखकर बताना होगा कि राष्ट्रपति शाषण करने के लिए योग्य नहीं हैं या अपने पद की ज़िम्मेदारी को निभाने के अयोग्य हैं.
ऐसा करने के बाद उप-राष्ट्रपति तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति बन जाएंगे.
इन सबके बीच राष्ट्रपति को लिखित जवाब देने का मौक़ा दिया जाता है और अगर वो इस निर्णय को चुनौती देते हैं तो फिर यह संसद को तय करना होता है.
सीनेट और निचले सदन में राष्ट्रपति को हटाने के किसी प्रस्ताव को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की ज़रूरत होती है. लेकिन जब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकलता है तब तक उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति की जगह पर काम करते रहेंगे. (बीबीसी)
लिस्बन, 12 जनवरी | पुर्तगाल के राष्ट्रपति मारसेलो रेबेलो डी सूजा कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसके साथ ही वह कोरोना संक्रमित होने वाले विश्व के शीर्ष नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, "सोमवार रात को जारी बयान में, पुर्तगाल प्रसिडेंसी ने कहा कि मारसेलो रेबेलो डी सूजा कल नेगेटिव पाए गए थे और आज का भी एंटीजेन टेस्ट नेगेटिव आया था। लेकिन आज पीसीआर टेस्ट में वह पॉजिटिव पाए गए।"
बयान में बताया कि है कि डी सूजा बेलम प्रसेडिंशियल पैलेस में काम करते रहेंगे और आवासीय क्षेत्र में आइसोलेशन में रहेंगे।(आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 12 जनवरी | पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हिमस्खलन की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई। दरअसल ये लोग जिस वाहन से यात्रा कर रहे थे, वह हिमस्खलन की चपेट में आकर दब गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया कि यह हादसा सोमवार को मानसेहरा जिले में हुआ।
लोग जिले में स्थित अपने एक गांव जा रहे थे, लेकिन हिमस्खलन की चपेट में आने से उनका वाहन बर्फ के नीचे दब गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बचाव दल सोमवार देर रात तक ही शव बरामद कर पाए।
हिमस्खलन से यातायात भी प्रभावित हो गया। हालांकि यातायात पुलिस ने बाद में क्षेत्र से बर्फ हटा दिया, उसके बाद ही यातायात सामान्य हो सका। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 12 जनवरी | अमेरिका ने क्यूबा को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की सूची में डाल दिया है, एक ऐसा कदम जो हवाना के साथ संबंधों को फिर से बहाल करने में आगामी जो बाइडेन प्रशासन के प्रयासों को बाधित कर सकता है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, विदेश विभाग ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उसने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिए आतंकवादियों की मदद करने के कारण क्यूबा को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की सूची में डाल दिया है।
अमेरिकी मीडिया ने बताया कि निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पद छोड़ने से पहले क्यूबा को सूची में वापस डालने पर विचार किया था।
30 दिसंबर, 2020 को एक ट्वीट में, क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिग्ज ने कहा, "मैं फ्लोरिडा में क्यूबा विरोधी अल्पसंख्यक को खुश करने के लिए आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की सूची में क्यूबा को शामिल करने के लिए विदेश मंत्री पोम्पियो के पैंतरेबाजी की निंदा करता हूं।"
क्यूबा को 1982 में आतंकवाद प्रायोजित देशों की सूची में डाला गया था और 2015 में इसे सूची से हटा दिया गया था लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसे फिर से सूची में डाल दिया।
मार्च 2016 में, बराक ओबामा 1928 के बाद से क्यूबा के दौरे पर जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जिन्होंने दिसंबर 2014 में शुरू हुए द्विपक्षीय संबंधों को गर्मजोशी से शुरू करते हुए 54 साल की दुश्मनी का अंत किया था।
लेकिन 2014 में ट्रंप के पद संभालने के बाद क्यूबा और अमेरिका के बीच तनाव फिर से बढ़ गया। (आईएएनएस)
एफ़बीआई ने चेतावनी दी है कि जो बाइडन के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह से पहले पूरे अमेरिका में हथियारबंद प्रदर्शन हो सकते हैं.
ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि हथियारबंद समूह 20 जनवरी को बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह से पहले सभी 50 राज्यों की कैपिटल और वाशिंगटन डीसी में इकट्ठा होने की योजना बना रहे हैं.
शपथ ग्रहण समारोह के लिए कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की जा रही है. सोमवार को बाइडन ने पत्रकारों से कहा कि वो अमेरिकी कैपिटल के बाहर शपथ ग्रहण करने से डरेंगे नहीं.
संभावना है कि अब भी बाइडन और कमला हैरिस बिल्डिंग के बाहर ही शपथ ले सकते हैं. उनका शपथ ग्रहण समारोह उस घटना के दो हफ्ते बाद होगा जब चुनाव नतीजों के विरोध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक यूएस कैपिटल की इमारत में घुस आए थे. इस घटना में हिंसा हुई और कुछ लोगों की जान भी चली गई थी.
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के कार्यकारी प्रमुख चैड वुल्फ ने सोमवार को कहा कि उन्होंने यूएस सीक्रेट सर्विस को बुधवार के समारोह के लिए छह दिन पहले विशेष अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है.
अधिकारियों के मुताबिक़, समारोह को मद्देनज़र 15,000 राष्ट्रीय गार्ड के बलों को तैनात किया जा सकता है. (bbc.com)
20 जनवरी को जो बाइडेन प्रशासन के उद्घाटन के पहले वाशिंगटन में और ज्यादा हिंसा भड़कने की आशंका जताई जा रही है. उदघाटन के पहले अमेरिका के एक्टिंग होमलैंड सुरक्षा के सचिव चैड वूल्फ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा
होमलैंड सुरक्षा विभाग के मुखिया के रूप में वूल्फ को ही उदघाटन के दिन सुरक्षा के इंतजाम की देखरेख करनी थी. विभाग कई कानून प्रवर्तन एजेंसियों का निरीक्षण करता है, जिनमें व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सीक्रेट सर्विस भी शामिल है.
वूल्फ का कहना था कि वो कार्य-विधि संबंधी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी के प्रशासक पीट गैनोर का नाम अगले सचिव के लिए मनोनीत किया. लेकिन इसके बावजूद उदघाटन के पहले और उसके दौरान राजधानी की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल शांत नहीं हुए.
एफबीआई की एक आतंरिक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आने वाले सप्ताहांत और 20 जनवरी के बीच राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक हथियारों के साथ सभी 50 राज्यों में प्रदर्शन कर सकते हैं. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने "कोलंबिया जिले में आपात काल की घोषणा कर दी है और 59वें राष्ट्रपति के उदघाटन की वजह से 11 जनवरी से 24 जनवरी, 2021 तक लागू आपात काल को देखते हुए जिले के प्रयासों में केंद्र की तरफ से मदद के भी आदेश दिए हैं."
व्हाइट हाउस के अनुसार यह आदेश होमलैंड सुरक्षा विभाग को "लोगों की जान और संपत्ति की रक्षा के लिए और जन स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में कदम उठाने और कोलंबिया जिले में दुर्घटना के खतरे को कम करने या उससे बचने के लिए कदम उठाने को" अधिकृत करता है.
इस बीच फेडरल और वॉशिंगटन प्रशासन दोनों ही स्तरों पर अधिकारी पिछले बुधवार कैपिटल हिल पर हुए घटनाक्रम के लिए एक दूसरे पर उंगलियां उठा रहे हैं. पेंटागन ने सोमवार को कहा कि उसने शपथ समारोह के लिए नैशनल गार्ड्स के 15,000 सैनिकों को तैनात करने की अनुमति दे दी है.
रक्षा विभाग के नैशनल गार्ड ब्यूरो के प्रमुख जनरल डेनियल होकान्सन ने बताया कि 6,200 सैनिक पहले से वॉशिंगटन में तैनात हैं और आने वाले सप्ताहांत तक 10,000 और सैनिक तैनात किए जाने की योजना है. उन्होंने यह भी बताया कि उदघाटन के दिन तक 5,000 और सैनिक तैनात किए जा सकते हैं. उनके पास दंगा-विरोधी उपकरण और हथियार भी होंगे लेकिन अभी तक उन्हें राजधानी की सड़कों पर हथियार उठाने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है.
उदघाटन की तैयारियां तेजी से हो रही हैं. बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह से पहले कैपिटल के मैदानों के चारों तरफ सुरक्षा बाड़ खड़ी कर दी गई है. देश के नागरिकों से अपील की गई है कि वो समारोह को देखने के लिए वॉशिंगटन ना आएं, और वर्चुअल तरीके से ही समारोह को देखें.
सीके/एए (एएफपी)
वाशिंगटन, 12 जनवरी| अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहला डोज लेने के चार हफ्ते बाद कोविड-19 वैक्सीन का दूसरा डोज लिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बाइडेन को सोमवार को उनके गृह राज्य, डेलावेयर के नेवार्क में एक अस्पताल में फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन का दूसरा डोज दिया गया, जहां (डेलावेयर) उनका ट्रांजिशन हेडक्वार्टर स्थित है।
उन्होंने 21 दिसंबर, 2020 को पहला डोज लिया था।
एक छोटी आस्तीन वाली पोलो शर्ट पहने बाइडेन ने अमेरिकियों से मास्क पहनना जारी रखने का आग्रह किया।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, "दोस्तों, मैंने बस अभी कोविड-19 वैक्सीन का दूसरा डोज लिया और पहले डोज की तरह यह सुरक्षित, त्वरित और दर्द रहित था।
बाइडेन ने कहा, "मैं सभी से आग्रह करता हूं कि अपनी बारी आने पर टीकाकरण करवाएं। क्योंकि केवल एक साथ हम जिंदगियां बचा सकते हैं और इस वायरस को हरा सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि टीका हर अमेरिकी को जल्दी, समान रूप से और निशुल्क वितरित किया जाए।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, देश अभी भी दुनिया भर में कोरोना मामलों में बड़े अंतर से आगे है। अमेरिका में अब तक 22,612,384 मामले सामने आ चुके हैं।
वहीं, मरने वालों की संख्या बढ़कर 376,051 हो चुकी है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 12 जनवरी | 20 जनवरी को राष्ट्रपति चुने गए जो बाइडेन के पद ग्रहण करने के मौके पर फेसबुक ने अपने सभी प्लेटफार्मों पर ऐसे कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिसमें 'स्टॉप द स्टील' (चोरी करना बंद करो) के वाक्यांश का उपयोग किया गया हो। इससे पहले नवंबर में कंपनी ने 'स्टॉप द स्टील' ग्रुप को हटा दिया था। फेसबुक में इंटीग्रिटी के वाइस प्रेसिडेंट गाय रोसेन ने सोमवार को एक बयान में कहा, "हम अगले 2 हफ्तों को एक प्रमुख नागरिक समारोह के रूप में मान रहे हैं। हम अब फेसबुक और इंस्टाग्राम से हमारी कोऑर्डिनेटिंग हार्म पॉलिसी के तहत 'स्टॉप द स्टील' वाक्यांश वाले कंटेंट को हटा रहे हैं।"
फेसबुक में ग्लोबल पॉलिसी की वाइस प्रेसिडेंट मोनिका बिकर्ट ने कहा, "हमने नवंबर में स्टॉप द स्टील के मूल ग्रुप को हटा दिया था और अभी भी ऐसे पेज, ग्रुप और इवेंट्स को हटाने का काम जारी है जो हमारी किसी भी नीति का उल्लंघन करते हैं, जिसमें हिंसा भी शामिल है।"
कंपनी ट्रंप समर्थकों द्वारा की गई हिंसा को देखते हुए अतिरिक्त कदम उठा रही है। फेसबुक ने कहा कि वह अपने इंटीग्रिटी ऑपरेशंस सेंटर को कम से कम 22 जनवरी तक चालू रखेगा ताकि किसी भी तरह के खतरे की रियल टाइम मॉनीटरिंग की जा सके।
राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को अनिश्चितकालीन समय तक बंद रखने के अलावा भी, फेसबुक राजनीति या चुनावों को लेकर अमेरिका में सभी विज्ञापनों को फिलहाल रोक रही है। फेसबुक ने कहा है, "इसका मतलब है कि हम राष्ट्रपति ट्रंप समेत किसी भी राजनेता के विज्ञापन को अनुमति नहीं दे रहे हैं। साथ ही जो बाइडेन के पदभार ग्रहण करते ही हम लेबल में बाइडेन को मौजूदा प्रेसिडेंट लिखेंगे।"
20 जनवरी को यूएस कैपिटल में बाइडेन के शपथ ग्रहण के पूरे उद्घाटन कार्यक्रम का लाइव वीडियो भी फेसबुक पर चलेगा। (आईएएनएस)
जर्मनी में 2,50,000 से ज्यादा लोगों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं है. बिना कागजों के इन्हें वापस भी नहीं भेजा जा सकता. नागरिकता का पता लगाने के लिए जर्मनी दूसरे देशों के दूतावासों को पैसा देता है.
नवंबर 2020 की बात है. एमादू जब अपने कमरे पर लौटा तो एक चिट्ठी को देख कर डर से कांपने लगा. चिट्ठी में लिखा था कि उसे अपने देश गिनी के कॉन्सुलेट में पेश होना है. एमादू शरणार्थियों के लिए बनाए गए एक अस्थाई बसेरे में रहता है. डीडब्ल्यू से बात करते हुए उसने कहा कि चिट्ठी देखते ही वह उसका मतलब समझ गया था, "क्योंकि मेरे पास कागज नहीं हैं. इसलिए जर्मन अधिकारी मुझे वहां भेजना चाह रहे हैं, ताकि मुझे कागज मिल जाएं और वे मुझे यहां से डिपोर्ट कर दें. लेकिन क्यों? मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है." एमादू इनका असली नाम नहीं है. क्योंकि ये अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहते, इसलिए हमने इनका नाम बदल दिया है.
एमादू की असायलम की अर्जी रद्द कर दी गई थी. और अब गिनी के कॉन्सुलेट में जाते हुए उसे डर लग रहा है, "मुझे लगता है कि अब मुझे यहां से जाना पड़ेगा. अपने इस कमरे को, अपने दोस्तों को पीछे छोड़ना पड़ेगा, लगता है जैसे मेरे लिए अब कुछ बचा ही नहीं है. बस अब जर्मनी की जेल, फिर कोनाक्री की और उसके बाद मौत." यह कहते हुए एमादू का गला भर आता है.
जर्मनी में इसे "एम्बेसी हियरिंग" का नाम दिया जा रहा है और ये देश भर में हो रही हैं. अधिकारियों को इन लोगों पर जिस देश के होने का शक होता है, उस देश के दूतावास को जर्मनी पैसे देता है ताकि वे उन्हें बुला कर पूछताछ कर सकें. इनमें सबसे ज्यादा अफ्रीकी देशों के लोग हैं. 2019 और 2020 में नाइजीरिया के 1,100 और घाना के 370 लोगों को इस तरह से बुलाया गया. साथ ही गाम्बिया के 146 और गिनी के 126 लोगों को भी बुलाया गया. जर्मनी की लेफ्ट पार्टी की सांसद उला येल्पके की मांग पर जर्मन सरकार ने ये आंकड़े जारी किए हैं.
सरकार का दावा है कि यह कानूनी भी है और अनिवार्य भी. डॉयचे वेले ने जब इस बारे में पूछा तो गृह मंत्रालय ने बयान दिया, "लोगों की नागरिकता का पता लगाने के लिए ये 'हियरिंग' अहम हैं ताकि तय किया जा सके कि किसे देश छोड़ने के लिए कहना है. कागजात तभी बनाए जा सकते हैं, जब उनकी राष्ट्रीयता का पता लगाया जा सके. जर्मनी में इस तरह की सुनवाइयां सालों से होती आई हैं, ये कानूनी हैं और इनकी उपयोगिता सिद्ध की जा चुकी है." गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने अपने जवाब में लिखा है कि यूरोपीय संघ के अन्य देशों में भी इस तरह की प्रक्रियाएं होती हैं.
अफ्रीकी देशों पर दबाव
जर्मन काउंसिल ऑन फौरन रिलेशंस के अनुसार 2020 में देश में करीब ढाई लाख लोग गैरकानूनी रूप से रह रहे थे. 2018 में गृह मंत्रालय का भार संभालते हुए गृह मंत्री होर्स्ट जेहोफर ने कहा था कि वे इस संख्या को कम करेंगे और 2019 में करीब 22 हजार लोगों को डिपोर्ट भी किया गया.
जर्मन अधिकारियों का कहना है कि असायलम ना मिलने के मामले में देशों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने लोगों को वापस लें और इसके लिए जरूर दस्तावेज भी जल्द से जल्द तैयार करें. अधिकारियों का आरोप है कि अफ्रीकी देश इस काम में काफी ढील दे रहे हैं और कागज तैयार करने में लंबा वक्त लगा रहे हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के हर अफ्रीका दौरे में यह मुद्दा उठता रहा है और अफ्रीकी सरकारें भी लगातार आरोप लगाती रही हैं कि जर्मनी उन पर दबाव बना रहा है.
जल गया ग्रीस का रिफ्यूजी कैंप
देश में विपक्षी दल भी इसकी आलोचना करते रहे हैं. लेफ्ट पार्टी की उला येल्पके ने डीडब्यलू से इस बारे में कहा, "इस प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं होती है और लोग अकसर अपने अधिकारों के उल्लंघन की शिकायत करते हैं." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि जर्मन अधिकारी किस तरह से लोगों की नागरिकता के बारे में पता लगाते हैं. उन्होंने ऐसे भी मामले बताए जब सिएरा लियोन के व्यक्ति को नाइजीरिया भेज दिया गया था.
गृह मंत्रालय ऐसे आरोपों का खंडन करता है. मंत्रलाय की प्रवक्ता का कहना है, "लोगों को तभी किसी देश भेजा जाता है जब उनकी नागरिकता की ठीक तरह से पुष्टि हो जाती है. साथ ही वे चाहें तो वकील के जरिए फैसले को चुनौती दे सकते हैं.
जिंदगियों के साथ खिलवाड़
2018 में जर्मन सरकार ने एमादू के देश गिनी के साथ एक करार किया था जिसके तहत गिनी के नागरिकों को जर्मनी से डिपोर्ट करने की प्रक्रिया को तेज किया जाना था. अक्टूबर 2020 तक इस समझौते के तहत 40 लोगों को वापस भेजा जा चुका है, लेकिन यह देश बुरे दौर से गुजर रहा है. राष्ट्रपति अल्फा कोंडे ने पिछले साल मार्च में संविधान में बदलाव किए हैं और लगातार तीसरी बार देश के राष्ट्रपति बने हैं.
येल्पके कहती हैं, "पिछले महीनों और सालों में वहां नागरिक मारे जा रहे हैं या उन्हें जबरन कैद में डाला जा रहा है. उस देश में लोगों को डिपोर्ट करने का मतलब होगा उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना, उनकी जान को खतरे में डालना."
एमादू का कहना है कि गिनी के एक प्रभावशाली कमांडर के बेटे ने सालों तक उसे प्रताड़ित किया और जब उसने इसकी शिकायत की तो उसे जेल में डाल दिया गया. जेल में उसके साथ बुरा बर्ताव किया गया और वहां से निकलने के बाद भी उसकी जान पर हमेशा खतरा रहा. यह भी एक वजह है कि वह अपने देश की कॉन्सुलेट में जाने से डर रहा है, "मुझे उन पर भरोसा नहीं है. मुझे उनसे डर लगता है. वो लोग सरकार के साथ मिले हुए हैं."
रिपोर्ट: डानिएल पेल्स/आईबी
बीते हफ़्ते कैपिटल बिल्डिंग की हिंसा में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के किरदार को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी ने अमेरिकी संसद में थोड़ी देर पहले उनके ख़िलाफ़ दो महाभियोग प्रस्ताव पेश किये हैं.
इसमें ट्रंप पर विद्रोह को भड़काने का आरोप लगाया गया है और दावा किया गया है कि अमेरिकी संसद में हिंसा को ट्रंप ने सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया.
सीनेट की स्पीकर नैंसी पेलोसी सहित उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के कई दूसरे नेता राष्ट्रपति ट्रंप को इससे पहले व्हाइट हाउस से बाहर करना चाहते हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप को सत्ता से हटाने का एक तरीक़ा महाभियोग का इस्तेमाल है, जिस पर सीनेट की स्पीकर नैंसी पेलोसी का ज़ोर अधिक है.
डेमोक्रेट बुधवार को अमरीकी संसद में हमले और इसके अंदर ज़बरदस्ती घुसने वाले दंगाइयों को कथित रूप से उकसाने पर राष्ट्रपति के विरोध में महाभियोग या 25वें संशोधन के इस्तेमाल से उन्हें उनके पद से हटाना चाहते हैं.
महाभियोग कैसे होगा?
क्या राष्ट्रपति ट्रंप इतिहास में दो बार महाभियोग के दायरे में आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हो सकते हैं?
अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ में डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत हासिल है. पार्टी के सदस्य इसी पर काम कर रहे हैं.
जो दो महाभियोग प्रस्ताव पेश किए गए हैं उनमें से एक डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य इलहान उमर द्वारा तैयार किया गया है. तो दूसरा इसी पार्टी के जेमी रस्किन ने तैयार किया है.
अगर हाउस में वोट हुआ तो?
राष्ट्रपति को हाउस में महाभियोग करने के लिए बहुमत चाहिए. हाउस में बहुमत डेमोक्रेटिक पार्टी को हासिल है.
इस लिए इसमें कोई बाधा नहीं होनी चाहिए. ऐसा संभव है कि ट्रंप की रिपब्लिक पार्टी के कुछ सदस्य भी इस मोशन के पक्ष में वोट दें.
पिछली बार जब राष्ट्रपति ट्रंप को महाभियोग का सामना करना पड़ा था तो पूरी प्रक्रिया में महीनों का समय लग गया था.
इस बार समय कुछ दिनों का है, बल्कि इसी हफ्ते करना होगा. अब जबकि प्रस्ताव पेश किया जा चुका है, लिहाजा जल्द ही इस पर चर्चा और वोटिंग की उम्मीद है.
सीनेट का दो तिहाई बहुमत ज़रूरी
अमेरिकी संविधान के मुताबिक़ सीनेट को राष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए मुक़दमा चलाने और दोषी ठहराने के लिए वोटिंग कराना आवश्यक है.
और राष्ट्रपति दोषी ठहराने के लिए और उन्हें उनके पद से हटाने के लिए दो-तिहाई सीनेटरों की सहमति ज़रूरी होगी.
इसका मतलब ये हुआ कि रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों की अच्छी खासी संख्या को राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ वोट देने की ज़रूरत पड़ेगी.
इस समय सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत हासिल है लेकिन केवल दो सीटें की. सवाल ये है कि क्या रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर्स राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट देंगे?
फ़िलहाल इसकी उम्मीद कम है.
ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट
राष्ट्रपति ट्रंप के सहयोगी और रिपब्लिकन पार्टी के एक अहम नेता सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने राष्ट्रपति से नाता तोड़ लिया है.
लेकिन इसके बावजूद उनका कहना है कि वो उन्हें पद से हटाने का समर्थन नहीं करेंगे.
साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के हारे उम्मीदवार सीनेटर मिट रोमनी पिछली बार रिपब्लिकन पार्टी के ऐसे अकेले सदस्य थे जिन्होंने ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट दिया था.
लेकिन इस बार उनका कहना है कि महाभियोग से कोई फ़ायदा नहीं क्योंकि समय बहुत कम है.
लेकिन एक ओर उनकी पार्टी के ही एक और सीनेटर ने कहा है कि वो ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट देंगे.
हकीक़त तो ये है कि रिपब्लिकन पार्टी के अधिकतर सीनेटर्स ने अब तक अपनी राय सामने नहीं रखी है.
तो ट्रंप के लिए इसका क्या मतलब है?
शिकागो यूनिवर्सिटी में अमेरिकी कानून और संविधान के विशेषज्ञ डॉक्टर इब्राहिम गिंसबर्ग बीबीसी से एक बातचीत में कहते हैं, "इसका मतलब ये है कि महाभियोग पिछली बार की तरह ही नाकाम हो सकता है. पिछली बार की तुलना में इस बार ट्रंप के ख़िलाफ़ कुछ रिपब्लिकन सिनेटर्स खुलकर सामने आए हैं लेकिन अधिकतर लोग उनके ख़िलाफ़ अब भी जाने को तैयार नहीं हैं."
पद से हटने के बाद भी ट्रंप पर शामत आ सकती है
प्रोफ़ेसर गिंसबर्ग के अनुसार संविधान के हिसाब से ट्रंप के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी उन्हें महाभियोग के लिए दोषी ठहराया जा सकता है और उन्हें राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. जब बाइडन शपथ लेंगे तो डेमोक्रेट सीनेटर्स सीनेट में बहुमत में होंगे. उस समय ये काम शायद थोड़ा आसान हो.
लेकिन प्रो गिंसबर्ग पूछते हैं कि बाइडन सीनेट में ट्रायल आयोजित करवाना पसंद करेंगे या अपने चुनावी वादों पर अमल करना?
वो कहते हैं कि महामारी से लड़ना उनकी प्राथमिकता होगी.
दूसरी तरफ़, सीनेट में बहुमत हासिल करने के बाद भी, डेमोक्रेटिक पार्टी को कम से कम 16 रिपब्लिकन सीनेटर्स का समर्थन चाहिए. क्या ये हो सकता है? इस समय ये कहना मुश्किल है.
25वाँ संशोधन
लेकिन स्पीकर नैंसी पेलोसी की कोशिश होगी कि महाभियोग तक नौबत ही न पहुंचे और उपराष्ट्रपति माइक पेंस 25वाँ संशोधन का इस्तेमाल करके ट्रंप को 20 जनवरी से पहले उन्हें उनके पद से हटा दें और खुद कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाएँ.
स्पीकर पेलोसी और सीनेट और डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता चक शूमर ने उपराष्ट्रपति माइक पेंस और ट्रंप की कैबिनेट से आग्रह किया है कि राष्ट्रपति को 'विद्रोह के लिए उकसाने' के लिए उनके पद से हटाया जाए. ऐसा करने के लिए माइक पेंस को 25वें संशोधन का इस्तेमाल करना होगा.
25वाँ संशोधन उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने की उस समय अनुमति देता है जब एक राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को जारी रखने में असमर्थ होता है, जब वो शारीरिक या मानसिक बीमारी के कारण अपने काम से असमर्थ हो जाता है.
लेकिन इसके लिए उपराष्ट्रपति पेंस और कम से कम आठ कैबिनेट सदस्यों की रज़ामंदी की ज़रूरत होगी, जिसकी फ़िलहाल संभावना कम है.
प्रोफ़ेसर गिंसबर्ग के अनुसार डेमोक्रेटिक पार्टी की इस बात का ख्याल रखना पड़ेगा कि सार्वजनिक रूप से ट्रंप के समर्थकों और अमेरिकी नागरिकों को ऐसा न लगे कि सब राष्ट्रपति के पीछे पड़े हैं. वे कहते हैं, "अगर ऐसा हुआ तो ट्रंप के प्रति हमदर्दी बढ़ सकती है जिसका फायदा वो अगले चुनाव में उठाना चाहेंगे." (बीबीसी)
कैथोलिक चर्च में महिलाओं को पादरी बनाना या पादरी जैसी भूमिकाएं मिलनी चाहिए या नहीं इस पर विवाद चल रहा है. पारंपरिक रूप से ये पद महिलाओं के लिए उपलब्ध नहीं रहे हैं. क्या पोप फ्रांसिस ये सूरत बदल सकते हैं?
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पोप फ्रांसिस ने रोमन कैथोलिक चर्च के नियमों को बदल कर महिलाओं को कई नई जिम्मेदारियां दी हैं लेकिन यह भी कहा है कि वो अभी भी पादरी नहीं बन सकती हैं. पोप ने चर्च के नियम बदल कर महिलाओं को गॉस्पेल पढ़ने की और चर्च के आल्टर पर बतौर मिनिस्टर सेवाएं देने की अनुमति दे दी है.
इससे पहले यह भूमिकाएं पुरुषों तक ही सीमित थीं, हालांकि कभी कभी नियमों से छूट दे दी जाती थी. अब दुनिया के कई हिस्सों में महिलाएं इन भूमिकाओं को निभाती हैं. पोप का कहना है कि वो ये बदलाव चर्च में महिलाओं के "बहुमूल्य योगदान" को और सम्मान देने के लिए कर रहे हैं. उनका कहना था कि बैप्टाइज किए हुए सभी कैथोलिक ईसाईयों की चर्च के मिशन में एक भूमिका है.
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने में पादरी बनने जैसी चर्च की नियुक्तियों और योग्य जन-साधारण के लिए उपलब्ध भूमिकाओं में अंतर समझना होगा. वैटिकन पादरी बनना सिर्फ पुरुषों के लिए आरक्षित रखता है. ये बदलाव ऐसे समय पर आए हैं जब पोप पर दबाव बढ़ रहा है कि वो महिलाओं को कम से कम डेकन या छोटा पादरी बनने की अनुमति दें.
डेकन भी वैटिकन द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और पादरियों की कई जिम्मेदारियां वो भी निभा सकते हैं. इनमें शादियां, बपतिस्मा और अंतिम संस्कार कराना शामिल है. इस समय पादरी बनना सिर्फ पुरुषों के लिए संभव है. महिलाएं डेकन बन सकती हैं या नहीं इसका अध्ययन करने के लिए पोप ने इससे पहले विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी.
अब इसी उद्देश्य के लिए पोप ने एक और समिति का गठन किया है. महिलाओं को डेकन बनाने के समर्थक कहते हैं कि ऐसा करने से चर्च के प्रशासन में महिलाओं को ज्यादा अवसर मिलेंगे और इसके साथ दुनिया के कई कोनों में पादरियों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा. इसका विरोध करने वाले कहते हैं कि इसकी अनुमति देने से महिलाओं के पादरी बनने का रास्ता भी खुल जाएगा.
सीके/एए (एपी)
लॉस एंजेलिस, 11 जनवरी | हॉलीवुड स्टार अर्नोल्ड श्वार्जनेगर ने अमेरिका में कैपिटल हिल पर हुए हमले की निंदा की है और डोनाल्ड ट्रंप को अब तक का सबसे खराब राष्ट्रपति कहा है। कैलिफोर्निया के पूर्व गवर्नर ने कैपिटल हिल पर हमला करने वाली भीड़ की तुलना नाजियों से भी की। सात मिनट के वीडियो में, जिसे श्वार्जनेगर के ट्विटर अकाउंट पर रविवार रात पोस्ट किया गया था, अभिनेता ने इस घटना की तुलना 1938 के क्रिस्तालनाट से की।
उन्होंने कहा, " इस देश में एक अप्रवासी के रूप में, मैं अपने साथी अमेरिकियों और दुनिया भर के हमारे दोस्तों के लिए हाल के दिनों की घटनाओं के बारे में कुछ शब्द कहना चाहूंगा। मैं ऑस्ट्रिया में पला-बढ़ा।"
श्वार्जनेगर ने कहा कि मैं क्रिस्तालनाट या ब्रोकन ग्लास से बहुत परिचित हूं। यह 1938 में नाजियों द्वारा यहूदियों के खिलाफ बरपाई गई कहर की रात थी। बुधवार को ब्रोकन ग्लास यहां अमेरिका में देखने को मिला। लेकिन भीड़ ने न सिर्फ कैपिटल की खिड़कियों को चकनाचूर कर दिया, बिल्क हमारे विचारों को भी चकनाचूर कर दिया।
अभिनेता ने कहा, "उन्होंने न केवल अमेरिकी लोकतंत्र को बनाए रखने वाली इमारत के दरवाजे ही नहीं तोड़े, बल्कि उन सिद्धांतों को रौंद दिया, जिन पर हमारे देश की नींव पड़ी।"
श्वार्जनेगर ने कहा, "मैं द्वितीय विश्व युद्ध के दो साल बाद 1947 में पैदा हुआ था। मैं बड़ा होकर, उन लोगों से घिरा हुआ था जो इतिहास में सबसे बुरे शासन में अपनी भागीदारी पर खुद को अपराधी महसूस कर टूट से चुके थे।"
श्वार्जनेगर ने कहा, "मैंने इसे कभी भी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया क्योंकि यह एक दर्दनाक स्मृति है। लेकिन मेरे पिता सप्ताह में एक या दो बार घर आते थे और वह चिल्लाकर हमें पीटते थे और मेरी मां डर जाती थीं।"
'टर्मिनेटर' स्टार ने कहा, "मैंने उन्हें इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं माना, क्योंकि हमारा पड़ोसी भी परिवार के साथ ऐसा ही कर रहा था, और उसका अगला पड़ोसी भी ऐसा ही करता था। मैंने इसे अपने कानों से सुना और अपनी आंखों से देखा।"
उन्होंने याद किया कि कैसे युद्ध की दर्दनाक यादों से उनके पिता और पड़ोसी जूझ रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह सब झूठ और असहिष्णुता के साथ शुरू हुआ। यूरोप से होने के नाते मैंने पहली बार देखा कि चीजें कैसे नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं।
शवार्जनेगर ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने एक निष्पक्ष चुनाव के परिणामों को पलटने की मांग की। उन्होंने झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करके तख्तापलट करना चाहा। मेरे पिता और हमारे पड़ोसियों को भी झूठ के साथ गुमराह किया गया था और मुझे पता है कि इस तरह के झूठ कहां लेकर जाते हैं।"
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप एक विफल नेता हैं। वह इतिहास में अब तक के सबसे खराब राष्ट्रपति के रूप जाने जाएंगे। अच्छी बात यह है कि वह जल्द ही एक पुराने ट्वीट की तरह अप्रासंगिक हो जाएंगे।"
अभिनेता ने कहा कि जो ड्रामा हुआ उससे अब हमें उबरने की जरूरत है। हमें न सिर्फ एक रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स के रूप में बल्कि एक अमेरिकी के रूप में इन सबसे उबरने की जरूरत है।
उन्होंने वीडियो का अंत नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को शुभकामनाएं देते हुए की।
श्वार्जनेगर ने कहा, "नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन जो लोग हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उनसे इसकी रक्षा के लिए हम आज, कल और हमेशा आपके साथ खड़े रहेंगे।" (आईएएनएस)