अंतरराष्ट्रीय
नीदरलैंड्स में प्रधानमंत्री रुटे सरकार ने इस्तीफा दे दिया है. संसदीय जांच में पता चला कि सरकारी घोटाले में हजारों परिवारों पर गलत रूप से धोखाधड़ी का आरोप लगा कर बच्चों के लिए मिलने वाला भत्ता लौटाने पर मजबूर किया गया.
डॉयचेवैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
प्रधानमंत्री मार्क रुटे और उनके सभी मंत्रियों ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया है. इसकी वजह सरकार द्वारा बच्चों का ख्याल रखने के लिए दी जाने वाली माली मदद में हुआ एक घोटाला है. अब 17 मार्च को देश में चुनाव होंगे जिसके बाद नए गठबंधन का फैसला होगा. तब तक रुटे सरकार बतौर केयरटेकर भार संभालेगी.
पिछले महीने एक संसदीय जांच में पता चला था कि लगभग 10,000 परिवारों पर अनुचित रूप से धोखाधड़ी का आरोप लगा कर उन्हें सब्सिडी में हासिल किए हजारों यूरो सरकार को वापस देने पर मजबूर किया गया.
इसकी वजह से उन परिवारों की वित्तीय परिस्थितियों पर असर पड़ा और वे बेरोजगारी, दिवालियापन और यहां तक की तलाक की कगार तक पहुंच गए. रिपोर्ट में लगभग एक दशक तक चलने वाले इस घोटाले और उसके नतीजों को "अभूतपूर्व अन्याय" बताया गया. इस सप्ताह सरकार पर इस घोटाले को लेकर दबाव बढ़ गया. रुटे के गठबंधन के साझेदारों ने कहा कि सरकार के इस्तीफा देने की जरूरत पर गंभीरता से विचार होना चाहिए.
विपक्ष में बैठी लेबर पार्टी के नेता ने गुरुवार को पूरे मामले में उनकी भूमिका को लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. रुटे ने गुरुवार देर रात को अपनी पार्टी के मंत्रियों के साथ बैठक की और उसके बाद पत्रकारों को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि शुक्रवार सुबह कैबिनेट की निर्धारित बैठक में उनकी सरकार के भविष्य का फैसला हो जाएगा. सत्तारुढ़ गठबंधन में शामिल दूसरी पार्टियों के मंत्रियों ने कहा कि उन्होंने अपना मत बना लिया है, लेकिन इसके आगे और कुछ कहने से इनकार कर दिया.
2012 के बाद देश में सरकार गिरने का यह पहला मौका है. उस समय रुटे ने पहली बार अपनी सरकार बनाई थी जो आर्थिक संकट के दौरान खर्च कम करने के कठिन उपायों पर मतभेदों को लेकर गिर गई थी. ताजा संकट ऐसे समय में आया है जब देश अगले संसदीय चुनावों से बस दो महीने दूर है. 17 मार्च को देश में संसदीय चुनाव होने हैं.
इस समय नीदरलैंड्स में कोरोना महामारी के समय की अभी तक की सबसे कठोर तालाबंदी लागू है. फिर भी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और रुटे और भी कड़े प्रतिबंधों पर विचार कर रहे हैं. गुरुवार को उनके इस्तीफे के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में रुटे ने कहा था कि अगर उनके मंत्रिमंडल को कार्यवाहक स्थिति में भी डाल दिया गया तो भी वे और उनके मंत्री कोविड-19 संकट के प्रबंधन के लिए पूरी तरह से सक्षम रहेंगे.(dw.com)
उत्तर कोरिया ने पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ अपने नए हथियारों की परेड कराई है. परमाणु कार्यक्रमों से दूर जाने की दुनिया की मांग को अनदेखा कर किम जोंग उन अपनी सैन्य ताकतों को बढ़ाने में जुटे हैं.
सरकारी मीडिया का कहना है कि गुरुवार की रात सत्ताधारी पार्टी की एक अहम बैठक के बाद हुई सैन्य परेड में देश के नेता किम जोंग उन ने प्रमुख रूप से हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने परमाणु हथियार और मिसाइल कार्यक्रमों को जितना संभव है उतना बढ़ाने की शपथ ली. उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को कई एशियाई देश और अमेरिका इलाके के लिए खतरे के रूप में देखते हैं. उत्तर कोरिया इसे अमेरिकी खतरे से लड़ने का सामान मानता है.
आठ दिनों तक चली वर्कर्स पार्टी की बैठक के दौरान किम जोंग उन ने देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की योजना भी पेश की. अमेरिकी प्रतिबंधों और परमाणु कार्यक्रमों ने देश की अर्थव्यवस्था का बुरा हाल कर रखा है. महामारी से पीड़ित होने के कारण सीमा पर तालाबंदी है और प्राकृतिक आपदाओं ने उत्तर कोरिया की फसलें भी चौपट कर दी हैं.
नाकाम हुई कूटनीति
आर्थिक दिक्कतों के कारण किम जोंग उन के पास दिखाने के लिए अमेरिका के साथ ट्रंप के दौर में चली अपनी कूटनीति का कोई बेहतर नतीजा नहीं है. यह कूटनीति वैसे भी दो मुलाकातों के बाद नाकाम हो गई. उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार कार्यक्रम छोड़ने के बदले प्रतिबंधों से छूट मिलने की बात थी लेकिन कुछ मुद्दों पर असहमति के कारण यह संभव नहीं हो सका. इसकी वजह से 9 साल के शासन में किम जोंग उन को कठिन वक्त का सामना करना पड़ा है.
परेड के दौरान दिए किम जोंग उन के बयानों का एक मकसद अमेरिका में आने वाल बाइडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ाना हो सकात है. बाइडेन उत्तर कोरियाई नेता को "ठग" कह चुके हैं और वो उत्तर कोरिया की परमाणु क्षमताओं पर सार्थक रोक नहीं लगा पाने के लिए ट्रंप की आलोचना करते रहे हैं. किम जोंग उन ने बाचीत से इनकार नहीं किया है लेकिन कहा है कि द्विपक्षीय संबंध इस बात पर निर्भर करेंगे कि अमेरिका उत्तर कोरिया के प्रति अपनी खराब नीतियां छोड़ता है या नहीं.
उत्तर कोरिया के सरकारी टीवी चैनल ने शुक्रवार को परेड की तस्वीरें दिखाईं जिनमें हजारों आम लोग और सैनिक आतिशबाजी के बीच किम जोंग उन को एक इमारत से निकाल कर किम जोंग इल चौराहे पर बने मंच आते दिखे. फर की काली टोपी और चमड़े का कोट पहने किम जोंग उन ने मुस्कुराते हुए हाथ हिला कर जनता और सैनिकों का अभिवादन किया. सरकारी मीडिया में आई खबरें और वीडियो से ऐसा लगता है कि इस दौरान किम जोंग उन ने कोई भाषण नहीं दिया. इस दौरान सैन्य विमानों ने डार्क स्काई के फॉर्मेशन में वर्कर्स पार्टी का प्रतीक चिन्ह आसमान में बनाते हुए उड़ान भरी. हाथ में झंडे लेकर खड़े लोगों ने कोराना वायरस के खिलाफ घरेलू अभियान के बावजूद कोई मास्क नहीं पहन रखा था.
कैसे कैसे हथियार
परेड में देश के कई बेहद उन्नत हथियारों की नुमाइश हुई जिनमें पनडुब्बी से दागी जाने में सक्षम मिसाइलें सबसे प्रमुख थीं. समाचार एजेंसी केसीएनए ने इसे "दुनिया का सबसे ताकतवर हथियार" कहा है. उत्तर कोरिया ने जिस हथियार का पहले परीक्षण किया था उसकी तुलना में यह बड़ा दिखाई दे रहा था. इसके अलावा भी उत्तर कोरिया ने ठोस ईंधन से चलने वाले कई हथियार परेड में दिखाए जिन्हें मोबाइल या फिर लैंड लॉन्चर से दागा जा सकता है. इन हथियारों से उत्तर कोरिया जापान और दक्षिण कोरिया में हमले कर सकता है जिनमें अमेरिकी सेना के अड्डे भी शामिल हैं.
सरकारी मीडिया में जारी तस्वीरों में ऐसी कोई नहीं है जिनसे कि इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की पहचान की जा सके. इससे पहले अक्टूबर में भी सेना की एक परेड हुई थी जिसे अब तक की सबसे बड़ा कहा जाता है. इसमें उत्तर कोरिया ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का भी प्रदर्शन किया था. उत्तर कोरिया ने 2017 में ऐसी मिसाइलों का परीक्षण किया था जो अमेरिका तक मार करने में सक्षम हैं. वह कई सालों से ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलों को तैयार करने की कोशिश में है जिन्हें पनडुब्बी से दागा जा सके. इन मिसाइलों को लेकर उसके पड़ोसी देशों में काफी चिंता है क्योंकि पानी के भीतर से दागे जाने के कारण इन्हें लक्ष्य पर गिरने से पहले पता लगा कर खत्म करना बहुत मुश्किल होगा. हालांकि कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ये हथियार महज दिखावे के साबित हो सकते हैं. उनके मुताबिक इनके परीक्षण और तैनाती से पहले इन्हें और ज्यादा विकसित करने की जरूरत होगी.
उत्तर कोरिया इन हथियारों के अलावा जासूसी के उपग्रह और ध्वनि की गति से तेज चलने वाले हथियारों के निर्माण की तैयारी में भी जुटा है. अभी यह साफ नहीं है कि वह उन्हें स्वतंत्र रूप से विकसित कर रहा है या फिर उसे दूसरे देशों से भी मदद मिल रही है.
वाशिंगटन, 15 जनवरी | अमेरिका में 6 जनवरी को कैपिटल हिल हमले में शामिल, एक शख्स जिसने अपने चेहरे को नीले और लाल रंग से रंगा हुआ था और फर वाला हैट पहन रखा था, ने निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उसे क्षमा करने की अपील की है। हिंसा के दौरान जैकब एंथनी चैंसली की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो गई, जो कि ट्रंप द्वारा 2020 परिणाम के खिलाफ स्टैंड लेने के लिए लोगों से अपील करने के बाद हुई थी।
हिल न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, चैंसली ने 9 जनवरी को अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उसने कई आरोपों का सामना किया, जिनमें जानबूझकर किसी भी प्रतिबंधित इमारत या मैदान में बिना किसी कानूनी अधिकार के प्रवेश करना और कैपिटल ग्राउंड पर हिंसक प्रवेश और अव्यवस्थित आचरण शामिल हैं।
क्षमा के लिए एक दलील देते हुए, चैंसली के वकील अल्बर्ट वॉटकिंस ने गुरुवार को एक स्थानीय समाचार आउटलेट को बताया कि "राष्ट्रपति के शब्दों और निमंत्रण का अर्थ कुछ तो अर्थ होगा।"
यह कहते हुए कि चैंसली 6 जनवरी की हिंसा में शामिल नहीं था, वाटकिंस ने कहा कि शांतिपूर्ण और कॉम्प्लीएंट फैशन को देखते हुए, जिसमें चैंसली ने खुद को शामिल किया, राष्ट्रपति के लिए यह उचित और सम्मानजनक होगा कि चैंसली और अन्य समान विचारधारा वाले, शांतिपूर्ण व्यक्यिों को क्षमा कर दें।
दंगों के ठीक तुरंत बाद, चैंसली ने एनबीसी न्यूज को बताया कि उसने कुछ गलत नहीं किया था। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 15 जनवरी | पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री शफकत महमूद ने शुक्रवार को इस बात की पुष्टि की है कि योजनानुसार कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाएं 18 जनवरी से शुरू होंगी, जबकि देशभर के विद्यालयों में प्राइमरी की कक्षाएं 1 फरवरी से शुरू होंगी। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल कमांड एंड ऑपरेशन सेंटर (एनसीओसी) की एक बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि 1 से 8वीं तक की कक्षाएं 1 फरवरी से शुरू होंगी।
उन्होंने आगे कहा कि देश में स्वास्थ्य स्थिति की समीक्षा करने के बाद प्राइमरी कक्षाओं को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
4 जनवरी को शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित मंत्रियों ने चरणबद्ध तरीके से शैक्षिक गतिविधियों को पुन: शुरू करने का ऐलान किया था। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 15 जनवरी | मलेशियाई अधिकारियों ने शुक्रवार को कुआलालंपुर हवाई अड्डे पर पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के एक विमान को जब्त कर लिया। ऐसा विमान के लीज के बकाये का भुगतान नहीं करने की वजह से किया गया। जियो न्यूज की रिपोर्ट ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा, "एक स्थानीय मलेशियाई अदालत के आदेश पर पीआईए विमान को जब्त कर लिया गया।"
पीआईए ने 2015 में एक वियतनामी कंपनी से जब्त बोइंग -777 सहित दो विमान किराए पर लिए थे।
विमान को तब जब्त किया गया, जब यात्री इसमें पहले ही सवार हो चुके थे।
सूत्रों ने कहा कि विमान का 18 सदस्यीय स्टाफ भी जब्ती के कारण कुआलालंपुर में फंसा हुआ है, और अब प्रोटोकॉल के अनुसार 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहना होगा।
एक ट्विटर पोस्ट में, पीआईए ने कहा, "यात्रियों की देखभाल की जा रही है और उनकी यात्रा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया है।" (आईएएनएस)
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर की योजना पेश की है. इसे वैक्सीन के प्रसार और महामारी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों को राहत देने में खर्च किया जाएगा.
इस योजना को "अमेरिकन रेस्क्यू प्लान" कहा जा रहा है. जो बाइडेन ने अपने 100 दिन के कार्यकाल में 10 कोरड़ वैक्सीन लगाने का लक्ष्य तय किया है और यह प्रस्ताव उसे पूरा करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा. इसके सात ही वसंत का मौसम आने तक अमेरिका के सारे स्कूलों को खोलने की दिशा में भी अहम प्रगति इसी योजना का हिस्सा है.
इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने के लिए दूसरे दौर की मदद और स्वास्थ्य सेवाओं को महामारी से जूझने में ज्यादा सक्षम बनाना भी योजना में शामिल है. बाइडेन ने गुरुवार को देश को संबोधित करते हुए कहा, "इस वक्त इसके लिए काम करना ना सिर्फ आर्थिक रूप से अनिवार्यता है बल्कि यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है." इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी योजना पर अमल "इतना आसन नहीं होगा."
बाइडेन ने ज्यादातर अमेरिकी लोगों को 1400 डॉलर का चेक देने का प्रस्ताव रखा है. यह हाल ही में प्रस्तावित 600 डॉलर के चेक से अलग होगा यानी कुल मिला कर लोगों को 2000 डॉलर की रकम मिलेगी जिसकी मांग बाइडेन कर रहे हैं. इसके साथ ही बेरोजगारी भत्ते को तात्कालिक रूप से थोड़ा बढ़ाया जाएगा. साथ ही नौकरी से हटाने और प्रतिष्ठानों को समय से पहले बंद करने पर लगी रोक सितंबर तक के लिए बढ़ाई जाएगी. दिसंबर में प्रस्तावित डेमोक्रैटिक नीति में सुझाए रास्तों पर चलते हुए देश में न्यूनतम मजदूरी 15 डॉलर प्रति घंटे की जा रही है और साथ ही कामगारों के लिए वेतन सही छुट्टी की संख्या और बच्चों वाले परिवारों के लिए टैक्स में छूट भी बढ़ेगी. महिलाओं के लिए काम पर जाना आसान होगा जिससे अर्थव्यवस्था के सुधार में मदद मिलेगी.
संसद से पास कराने की कवायद
आर्थिक रूप से लुभावना दिख रहा प्रस्ताव राजनीतिक रूप से कैसे आगे बढ़ेगा फिलहाल यह साफ नहीं है. संयुक्त बयान में संसद के निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी और सीनेट में डेमोक्रैटिक नेता चक शुमर ने बाइडेन की उदार प्राथमिकताओं के लिए तारीफ की है. उन्होंने यह भी कहा है कि वे अगले बुधवार को बाइडेन के शपथ ग्रहण के बाद संसद में इसे तेजी से पास कराने के लिए काम करेंगे.
हालांकि संसद के दोनों सदनों में डेमोक्रैटिक पार्टी के पास मामूली बढ़त है और रिपब्लिकन पार्टी कई मुद्दों पर उन्हें घेरने की कोशिश करेगी. इनमें न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने से लेकर राज्यों को ज्यादा धन देने जैसे मुद्दे हैं. इसके साथ ही इसमें व्यापार को दायित्व से मिलने वाली सुरक्षा को बढ़ाने जैसी उनकी प्राथामिकताओं को शामिल कराना भी होगा.
टेक्सस के रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कॉर्निन ने ट्वीट किया है, "याद रखिए कि दोनों दलों ने 900 अरब डॉलर के राहत बिल को महज 18 दिन पहले ही कानून के रूप में पारित किया है." हालांकि बाइडेन का कहना है कि वह केवल शुरुआती भुगतान था. इसके साथ ही बाइडेन ने अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई और बड़े उपायों का अगले महीने एलान करने का वादा किया है. बाइडेन का कहना है, "गंभीर मानवीय संकट साफ तौर पर दिख रहा है और बर्बाद करने के लिए वक्त नहीं है. हमें काम करना है और तुरंत काम करना है." बाइडेन लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि वे उनकी उम्मीदें पूरी करने में सफल होंगे. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि इन सारे कदमों के बावजूद वक्त लगेगा.
पैसा कहां से आएगा
जो बाइडेन के राहत बिल के लिए पैसा कर्ज लेकर दिया जाएगा. महामारी का सामना करने के उपायों के कारण सरकार पर पहले से ही हजारों अरब डॉलर का कर्ज चढ़ चुका है. बाइडेन के सहयोगियों का कहना है कि अतिरिक्त खर्चों और कर्ज के जरिए वे अर्थव्यवस्था को गहरे दलदल में उतरने से बचा लेंगे. कर्ज पर ब्याज की दर कम है इसलिए उसका बोझ संभाला जा सकता है. बाइडेन लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि अर्थव्यवस्था का उपचार बहुत जटिल रूप में कोरोना वायरस पर नियंत्रण से जुड़ा है.
उनकी यह सोच अमेरिका के सबसे मजबूत व्यापार संघ यूएस चेम्बर ऑफ कॉमर्स की सोच से मेल खाती है जो पारंपरिक रूप से डेमोक्रैटिक पार्टी की विरोधी रही है. गुरुवार को चेम्बर की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "हमारी अर्थव्यवस्था को बहाल करने से पहले हमें निश्चित रूप से कोविड को हटाना होगा और इसके लिए टीकाकरण के काम को बहुत तेजी से लागू करना होगा." चेम्बर ने बाइडेन के बयान का स्वागत किया है. हालांकि इस पर समर्थन की मुहर नहीं लगाई है.
कहां खर्च होगा पैसा
बाइडेन ने योजना ऐसे वक्त में पेश की है जब विभाजित देश कोरोना संकट के भयानक दौर से गुजर रहा है. अब तक अमेरिका में कोविड की चपेट में आ कर 385,000 से ज्यादा लोग मर चुके हैं. गुरुवार को सरकार के आंकड़ों में बताया गया कि इस सप्ताह बेरोजगारी भत्ता मांगने वालों की संख्या में 965,000 का इजाफा हुआ. यह संख्या बता रही है कि संक्रमण में तेजी आ रही है और ऐसे में व्यापारी लोगों की नौकरी से छुट्टी कर रहे हैं. बाइडेन की योजना में 400 अरब डॉलर की रकम सीधे कोविड से लड़ने में जाएगी जबकि बाकी पैसा राज्यों और स्थानीय प्रशासन को मदद देने और आर्थिक राहत के उपायों में खर्च होंगे.
कोविड के लिए खर्च होने वाले पैसे में करीब 20 अरब डॉलर की रकम तो केवल टीकाकरण को ज्यादा मजबूती से फैलाने पर खर्च होगी. इनमें से 8 अरब डॉलर की रकम के लिए संसद पहले ही मंजूरी दे चुकी है. बाइडेन ने बड़े पैमाने पर टीकाकरण के केंद्र खोलने की योजना बनाई है. साथ ही दूरदराज के इलाकों के लिए मोबाइल टीकाकरण केंद्र बनाए जाएंगे. अमेरिका में अब तक वैक्सीन की 3 करोड़ डोज पहुंच चुकी हैं. देश के 1.1 करोड़ लोगों को वैक्सीन की दो में से एक डोज दी जा चुकी है. योजना में एक बड़ी रकम टेस्ट की सुविधा बढ़ाने पर भी खर्च होगी.
एनआर/आईबी (एपी)
दुबई, 15 जनवरी| दुबई में रहने वाली एक 15 वर्षीय भारतीय लड़की ने एक अभियान शुरू किया है जिसके माध्यम से उसने चार वर्षों से अधिक समय में 25 टन से अधिक ई-कचरे को रीसाइकल के लिए इकट्ठा करने में मदद की है। एक मीडिया रिपोर्ट में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई। गल्फ न्यूज ने बताया कि जीईएमएस मॉडर्न एकेडमी की 10वीं कक्षा की छात्रा रीवा तुलपुले के मुताबिक, कई लोग पुराने उपकरण ऐसे ही फेंक देते हैं क्योंकि उन्हें रिसाइकल करने के विकल्पों की जानकारी नहीं होती है।
इसलिए, वह एकत्रित चीजों को सौंपने के लिए दुबई स्थित एनवायरोसर्व के साथ संपर्क में आई, जो दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स रिसाइकिलर्स और प्रोसेसर में से एक है, जिसमें 2,000 से अधिक टूटे हुए लैपटॉप, टैब, मोबाइल फोन, प्रिंटर और कीबोर्ड शामिल थे।
उसके अभियान, वीकेयरडीएक्सबी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने के बाद स्वयंसेवकों को सूचीबद्ध किया है।
गल्फ न्यूज ने किशोरी के हवाले से कहा, "जब हम घर से जा रहे थे, मैंने अपनी मां से पूछा था कि हम उन वस्तुओं का निपटान क्यों नहीं कर सकते हैं जिनकी हमें जरूरत नहीं है। उन्होंने मुझे बताया कि इनसे एक विशेष तरीके से निपटने की जरूरत है लेकिन हमें अच्छे से पता नहीं था कि कैसे किया जाय। इससे मुझे उत्सुकता हुई और मैंने इसमें कुछ रिसर्च करने का फैसला किया।" (आईएएनएस)
जकार्ता, 15 जनवरी| इंडोनेशिया के पश्चिम सुलावेसी प्रांत में शुक्रवार को रिक्टर पैमाने पर 6.2 तीव्रता का भूकंप आने के बाद कम से कम 35 लोग मारे गए। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने यह जानाकरी दी। पश्चिम सुलावेसी प्रांतीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रमुख डारनो माजिद ने कहा, "मजेने जिले में नौ लोगों की मौत हो गई और मामजु जिले में 26 अन्य लोगों की मौत हो गई। कुल 35 लोगों की मौत हुई है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, 637 लोग घायल हुए और करीब 15,000 लोगों को 10 इवैक्युशन पोस्ट पर पहुंचाया गया।
भूकंप से बिजली, संचार, और सड़कें कटने के अलावा लगभग 300 घरों, होटलों, सरकारी भवनों, अस्पतालों और छोटे बाजारों को भी नुकसान पहुंचा है।
भूकंप बीती रात 2.28 बजे आया।
गुरुवार को, 5.9 तीव्रता के भूकंप के झटके उसी स्थान पर दोपहर 2.35 बजे महसूस किए गए थे।
मौसम विज्ञान, क्लाइमेटोलॉजी और भूभौतिकी एजेंसी ने उल्लेख किया कि गुरुवार से एक ही स्थान पर 28 बार भूकंप आए। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 15 जनवरी | न्यूयॉर्क राज्य के एक गांव में एक भारतीय मूल के व्यक्ति ने अपनी बेटी और सास की हत्या करने के बाद खुदकुशी कर ली। मीडिया रिपोर्टों में पुलिस के हवाले से यह जानकारी दी गई। रिपोर्टों के मुताबिक, 57 वर्षीय भूपिंदर सिंह ने अपनी 14 वर्षीय बेटी जसलीन कौर और अपनी सास मंजीत कौर की बुधवार की रात राज्य की राजधानी एल्बनी के पास कैसलटन ऑन हडसन में अपने घर में गोली मारकर हत्या करने के बाद खुदकुशी कर ली।
सीबीएस6 टीवी के मुताबिक, उसकी पत्नी 40 वर्षीय रशपाल कौर को हाथ में गोली लगी थी, लेकिन वह बचने में कामयाब रही।
एक पड़ोसी, जिम लंडस्ट्रॉम ने द एल्बनी टाइम्स-यूनियन अखबार को बताया कि घर पर शायद लड़ाई-झगड़ा हुआ था।
लंडस्ट्रॉम ने अखबार को बताया कि रशपाल कौर उन्हें और उनकी पत्नी को बताती थी कि "मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। वह मुझे कहीं जाने नहीं देते और मैं अपनी कार नहीं ड्राइव कर सकती।"
अखबार ने कहा कि पेय बेचने वाले एक स्टोर के मालिक 57 वर्षीय भूपिंदर सिंह पर 2016 में दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था, लेकिन अगले साल उनके मुकदमे के बाद उन्हें बरी कर दिया गया था।
अखबार ने कहा कि जसलीन कौर की मौत काफी दुख भरी है और स्थानीय स्कूलों के अधीक्षक जेसन शेवर ने एक बयान में कहा कि "शब्द इस समय हमें महसूस होने वाले सदमे, दर्द और शोक को व्यक्त नहीं कर सकते हैं। हम सभी एक तेजतर्रार युवा लड़की की मौत के दुख से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।" (आईएएनएस)
गूगल ने ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि उसने कर्ज देने वाले कुछ ऐप्स को उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन करने पर प्ले स्टोर से हटा दिया है. भारत में कुछ लोन ऐप्स बिना नियामक की मंजूरी के कर्ज दे रहे थे.
गूगल में उत्पाद, एंड्रॉयड सुरक्षा और गोपनीयता की उपाध्यक्ष सुजैन फ्रे ने ब्लॉग पोस्ट में लिखा, "हमने भारत में उपयोगकर्ताओं और सरकारी एजेंसियों द्वारा दिए गए फीडबैक के बाद सैकड़ों निजी लोन देने वाले ऐप्स की समीक्षा की है." हाल ही में रॉयटर्स द्वारा जांच में पाया गया था कि कम से कम 10 ऋण देने वाले ऐप्स ने गूगल के नियमों का उल्लंघन किया है. गूगल के नियम के मुताबिक प्ले स्टोर पर ऐसे किसी लोन देने वाले ऐप को नहीं डाला जा सकता है जो 60 दिन से कम का लोन देते हैं या फिर वे नियमित नहीं हैं.
जांच में यह भी बात सामने आई थी कि ऋण देने वाले ऐप्स ने कर्जदारों की सुरक्षा के लिए बनाए गए आरबीआई के नियमों को अनदेखा किया. गूगल ने उन ऐप्स की संख्या के बारे में विस्तार से नहीं बताया जो प्ले स्टोर से हटाए गए हैं. बिना किसी पूर्व सूचना के गूगल ने इन ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाया है. गूगल ने कंपनियों से संपर्क किया है और उन्हें स्पष्ट करने के लिए कहा है कि क्या वे नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं. गूगल ने कहा कि अगर वे नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं तो उन्हें प्ले स्टोर से हटा दिया जाएगा. कंपनियों को भेजे ईमेल में गूगल ने लिखा, "हम आपको इस ईमेल के मिलने के पांच दिनों के भीतर पुष्टि करने के लिए कहते हैं कि क्या आपको आरबीआई से एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) के रूप में मान्यता प्राप्त है या ऐसी सेवाओं की पेशकश करने के लिए सरकारी कानून के तहत पंजीकृत हैं, या किसी पंजीकृत एनबीएफसी या बैंक के नामित एजेंट के रूप में आपके ऐप पर सेवाएं दी जा रही हैं."
कंपनियों को भेजे ईमेल को रॉयटर्स ने देखा है. इस ईमेल में लिखा है, "अगर हमें इस ईमेल के पांच दिनों के भीतर आपसे यह पुष्टि नहीं मिलती है तो आपका ऐप गूगल प्ले से हटा दिया जा सकता है."
लोन ऐप वाले करते हैं परेशान!
फटाफट लोन देने देने वाले ऐप्स उस वक्त अधिकारियों की नजरों में आए जब उनके एजेंट द्वारा कर्जदारों को परेशान किया गया और कुछ कर्जदारों ने बेइज्जत होने के बाद खुदकुशी भी कर ली. आरोप है कि ऐप्स के एजेंट कर्ज वसूली करने के लिए गैर कानूनी तरीके अपनाते और कर्जदार को परेशान करते हैं और उन्हें पैसे लौटाने के लिए धमकी तक दे डालते. रॉयटर्स ने कम से कम 50 कर्ज देने वाले ऐप्स की समीक्षा की है, उसने पाया कि सभी ऐप्स कर्जदारों को फोन कॉन्टैक्ट तक पहुंच की इजाजत मांगते हैं, कर्जदारों का आरोप है कि इसका इस्तेमाल लोन चुकाने में देरी या भुगतान में चूक करने पर कर्ज वसूलने वाले एजेंट द्वारा किया जाता है.
गूगल का कहना है कि डेवलपर्स को केवल उन अनुमतियों का इस्तेमाल करना चाहिए जो मौजूदा सुविधाओं और सेवाओं को लागू करने के लिए जरूरी हैं.
इस बीच आरबीआई ने इस तरह के लोन देने वाले डिजिटल ऐप पर लगाम कसने के लिए एक वर्किंग समूह का गठन किया है. यह समूह इस तरह के ऐप के कामकाज के तरीकों की जांच करेगा. समूह को जांच के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया है और इसके बाद वह अपनी रिपोर्ट आरबीआई को सौपेंगा.
लोन ऐप के एजेंटों द्वारा कथित तौर पर परेशान किए जाने के बाद तेलगाना में ही कम से कम छह लोगों ने खुदकुशी कर ली है. तेलंगाना पुलिस ने अब तक फटाफट लोन देने वाले ऐप्स से जुड़े चार चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
डॉनल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में चीनी कंपनियों के खिलाफ अपने अभियान का और विस्तार कर दिया है. रक्षा विभाग ने शाओमी समेत नौ और चीनी कंपनियों को चीनी सेना से संबंध रखने के संदेह में ब्लैकलिस्ट कर दिया है.
नौ कंपनियों की इस नई सूची में चीन की तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय तेल कंपनी चाइना नेशनल ऑफशोर ऑयल कॉर्प (सीएनओओसी) और हवाई जहाज बनाने वाली सरकारी कंपनी कमर्शियल एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना भी शामिल हैं. इस कार्रवाई के बाद अब अमेरिकी निवेशकों को इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी खत्म कर लेनी होगी.
ट्रंप प्रशासन ने नवंबर 2020 में एक आदेश निकाला था जिसके तहत अमेरिकी निवेशकों के लिए नवंबर 2021 तक इस तरह ब्लैकलिस्ट की गई सभी चीनी कंपनियों में से अपनी हिस्सेदारी को खत्म करना अनिवार्य कर दिया गया था. सीएनओओसी को अलग से एक आर्थिक ब्लैकलिस्ट में भी डाल दिया गया है, जिसकी वजह से अमेरिकी कंपनियां अब सरकार की अनुमति के बिना उस कंपनी को ना कुछ निर्यात कर पाएंगी और ना प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण.
दिसंबर 2020 में ही ट्रंप प्रशासन ने 60 चीनी कंपनियों को इस सूची में डाला था. शाओमी ने तुरंत टिप्पणी के लिए किए गए अनुरोध पर प्रतिक्रिया नहीं दी. मार्केट रिसर्च कंपनी गार्टनर की जानकारी के अनुसार शाओमी ने 2020 की तीसरी तिमाही में एप्पल को पीछे छोड़ दिया था और बिक्री के लिहाज से दुनिया की तीसरे नंबर की स्मार्टफोन कंपनी बन गई थी. हुआवे को जब अमेरिका ने ब्लैकलिस्ट किया था उसके बाद से कंपनी की बिक्री को नुकसान पहुंचा है.
सरकार के कदम के बाद गूगल ने भी हुआवे के स्मार्टफोनों को आवश्यक सुविधाएं देना बंद कर दिया था. इससे भी हुआवे को बहुत नुकसान पहुंचा था. इस से शाओमी का मार्केट शेयर बढ़ा था लेकिन अब उसके खिलाफ भी कार्रवाई कर दी गई है तो अब देखना होगा कि उसका क्या हाल होता है.
सीएनओओसी विवादित दक्षिणी चीन सागर में ऑफशोर ड्रिलिंग में शामिल रही है, जहां बीजिंग के वियतनाम, फिलीपींस, ब्रूनेई, ताइवान और मलेशिया के साथ विवाद हैं. अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने एक बयान में कहा, "दक्षिण चीन सागर में चीन के लापरवाह व्यवहार, लड़ने को तैयार आचरण और अपनी सैन्य जरूरतों के लिए संवेदनशील बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी को हासिल करने की कोशिशें अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सुरक्षा के लिए खतरा हैं"
रॉस ने यह भी कहा, "सीएनओओसी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के लिए एक गुंडे की तरह काम करता है, चीन के पड़ोसी देशों को डराता है और चीनी सेना हानिकारक उद्देश्यों के लिए इस सरकारी-नागरिक-सैन्य मिलीभगत का लाभ उठा रही है." सीएनओओसी ने भी तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की.
रॉस ने बताया कि चीन की सरकारी कंपनी स्काईरिजों को भी आर्थिक ब्लैकलिस्ट में जोड़ा जा चुका है क्योंकि कंपनी "विदेशी सैन्य प्रौद्योगिकी को हासिल करके उससे स्थानीय रूप देने की कोशिश कर रही थी." बीजिंग स्काईरिजों एविएशन की स्थापना उद्योगपति वांग जिंग ने की थी और 2017 में जब इसने यूक्रेन के सैन्य विमान इंजन बनाने वाली कंपनी मोटर सिच को खरीदने की कोशिश की तब अमेरिका ने इसकी आलोचना की थी. अमेरिका को चिंता थी कि विकसित एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी अंत में सेना के हाथों में चली जाएगी.
सीके/एए (एपी)
इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर शुक्रवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इस भूकंप से अब तक कई लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों घायल बताए जा रहे हैं. वीडियो में लोग भागते हुए और मलबे के नीचे दबे दिखे रहे हैं.
रिक्टर पैमाने पर 6.2 तीव्रता वाले भूकंप ने कई मकानों को जमींदोज़ कर दिया और सैकड़ों लोग घायल हो गए. भूकंप का केंद्र जमीन के 10 किलोमीटर नीचे बताया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि भूकंप इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर शुक्रवार रात 1.28 बजे आया जिसमें कई मकान तबाह हो गए, मलबे के नीचे बड़ी संख्या में लोग दब गए. गवर्नर के सचिव मोहम्मद इदरीस ने बताया कि दो अस्पताल और प्रांतीय सरकार के दफ्तर की इमारतें भी भूकंप की चपेट में आई हैं. इदरीस ने समाचार चैनलों से कहा, "अब तक हम छह लोगों की मौत की पुष्टि कर सकते हैं. हम लोगों को सुरक्षित निकाल कर गवर्नर के दफ्तर की इमारत में पहुंचा रहे हैं." इदरीस ने कहा, "हम लोग मलबे में दबे लोगों की आवाज सुन सकते हैं, लेकिन वे हिल नहीं पा रहे हैं." राष्ट्रीय खोज और बचाव एजेंसी के मुताबिक 600 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें करीब 200 लोग गंभीर रूप से घायल हैं.
हजारों बेघर
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन का कहना है कि भूकंप के कारण 2,000 लोग बेघर हो गए हैं और भूकंप के बाद कम से कम तीन भूस्खलन हुए. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ने एक वीडियो जारी किया जिसमें एक छोटी बच्ची मलबे के नीचे दबी हुई है और दर्द से कराह रही है. वह मदद की गुहार लगाती दिख रही है. वीडियो में एक शख्स की आवाज सुनाई दे रही और वह कह रहा है, "वहां चार लोग हैं लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास भारी उपकरण मौजूद नहीं है." एक और वीडियो क्लिप में एक महिला बच्ची की ओर इशारा कर बता रही है कि "मेरी बच्ची वहां है."
भूकंप का केंद्र मजाने जिले से 6 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है. भूकंप के झटके रात 1.28 बजे महसूस किए गए. इससे पहले गुरुवार को इसी इलाके में 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था.
इंडोनेशिया 17,000 द्वीपों का देश है और वहां करीब 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं. यह प्रशांत में रिंग ऑफ फायर पर स्थित है जो भौगोलिक अस्थिरता वाला बड़ा इलाका है. यहां टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से नियमित भूकंप आते रहते हैं और ज्वालामुखी भी सक्रिय रहता है.
एए/सीके (रॉयटर्स, डीपीए)
जर्मन शहर कोएथेन में चोरों ने सिटी रजिस्ट्रेशन ऑफिस से 750 किलो का सेफ चुराया जिसमें सैकड़ों आईडी और पासपोर्ट रखे थे. चोर दो फिंगर प्रिंट स्कैनर भी साथ ले गए.
कोएथेन जर्मनी का छोटा सा शहर है जहां मात्रा 27 हजार लोग रहते हैं. इस शहर का नाम वैसे तो जर्मनी के मशहूर संगीतकार योहान सेबास्टियान बाख के कारण दुनिया भर में पहुंचा लेकिन फिलहाल यह एक अनोखी चोरी के लिए सुर्खियों में बना हुआ है. इस तरह की चोरी आम तौर पर सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिलती है.
शहर के डिप्टी मेयर ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा, "सैकड़ों नए आइडेंटिटी कार्ड और पासपोर्ट चुरा लिए गए हैं." लोगों को आश्वासन दिया गया है कि चोरी हुए आईडी की चिप को डिसेबल कर दिया गया है. दरअसल जर्मनी में सभी नागरिकों के पास क्रेडिट कार्ड के आकार का एक आईडी कार्ड होता है. इसमें उनका नाम, पता, उम्र लिखे होते हैं. साथ ही इसके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी होती है जिसमें व्यक्ति का बायोमेट्रिक डाटा जैसे फिंगरप्रिंट की जानकारी मौजूद होती है.
यूरोपीय संघ के अंदर लोग इसी आईडी के साथ एक देश से दूसरे देश जा सकते हैं. उनके लिए पासपोर्ट दिखाना अनिवार्य नहीं होता. एयरपोर्ट पर सीधे इस आईडी को स्कैन किया जा सकता है.
आईडी कार्ड में लगी होती है इलेक्ट्रॉनिक चिप
चोरी हुए सेफ में ऐसे कितने आईडी रखे थे, इसकी ठीक जानकारी तो नहीं दी गई है लेकिन इस संख्या को "सैकड़ों" में बताया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि चोरी हुए हर आईडी की जानकारी सिस्टम में दर्ज कर ली गई है. इन सब को कैंसल कर दिया गया और अब इनकी जगह नए आईडी जारी किए जाएंगे.
कोएथेन के मेयर बेर्न्ड हाउशिल्ड ने प्रभावित लोगों को चिट्ठी लिख कर उनसे माफी मांगी है और आने वाले दिनों में उन्हें चौकस रहने को कहा है क्योंकि कुछ यूनिफॉर्म भी चोरी हुई हैं. इतना ही नहीं, चोर अपने साथ दो फिंगर प्रिंट स्कैनर और एक ऐसा प्रिंटर भी ले गए हैं जिसका इस्तेमाल वीजा जैसे दस्तावेज प्रिंट करने के लिए होता है.
हैरानी की बात यह है कि यहां ना ही सर्वेलेंस सिस्टम काम कर रहा था और ना ही सेफ की दिशा में कोई सीसीटीवी कैमरा लगा था. हाउशील्ड ने माना की सुरक्षा के बंदोबस्त ठीक नहीं थे लेकिन यह भी कहा कि कभी इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी थी.
जर्मनी के पासपोर्ट को दुनिया का सबसे मजबूत पासपोर्ट माना जाता है. इस पासपोर्ट के साथ आप बिना वीजा के दुनिया के 134 देशों में जा सकते हैं. ऐसे में यह घटना ना केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय तौर पर भी सुरक्षा में सेंध लगाने वाली है.
आईबी/एनआर (डीपीए)
बांग्लादेश में नौ आतंकवादियों ने एक सरकारी कार्यक्रम का फायदा उठाते हुए आत्मसमर्पण कर दिया है. कार्यक्रम के तहत सरकार ने उन्हें नकद धनराशि के अलावा और भी मदद दी है.
ये नौ आतंकवादी दो प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश और अंसार अल-इस्लाम के सदस्य थे. गुरुवार को ढाका में आत्मसमर्पण करने के बाद गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने उनका फूलों से स्वागत किया और उन्हें उनके परिवारों को सौंप दिया. इस मौके पर एक बयान में खान ने कहा, "जिन्होंने गलत रास्ता अपना लिया था वो आज अपनी पुरानी जिंदगी की तरफ वापस लौट आए हैं और उनके ऐसा करने से उनके माता-पिता के चेहरों पर मुस्कुराहट लौट आई है."
गृह मंत्री ने दूसरे चरमपंथियों को भी इस अवसर का फायदा उठाने को कहा. समर्पण करने वाले सभी पूर्व आतंकवादियों की उम्र 18 से 34 साल के बीच है. जेएमबी और अंसार में शामिल होने की वजह से सब अपने अपने परिवारों से जुदा हो गए थे. दोनों संगठनों पर बांग्लादेश में हुए कई आतंकी हमलों को कराने का आरोप है.
आतंकवादियों को कट्टरपंथ से बाहर निकालने और उनके पुनर्वासन के लिए सरकार ने यह कार्यक्रम शुरू किया था. कार्यक्रम के मुखिया कर्नल तुफैल मुस्तफा सरवर ने बताया इस कार्यक्रम के तहत जिंदगी फिर से शुरू करने के लिए नकद धनराशि और मदद दी जाती है.
उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने समर्पण किया है उनमें से सिर्फ एक के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज है, लेकिन शेष सभी आतंकी संगठनों से गहराई से जुड़े हुए थे. उन्होंने यह भी बताया कि सभी पर निगरानी रखी गई और उन्हें धीरे धीरे इस मुकाम तक लाया गया. कर्नल सरवर ने यह जानकारी भी दी कि उन सभी को या तो सोशल मीडिया या उनके दोस्तों के जरिए कट्टरपंथी बनाया गया था.
उन्हें वापस लाने के लिए गुप्तचर संस्थाओं के सदस्य आतंकवादियों का भेष बना कर उनसे मिले, दोस्ती की और धीरे धीरे उन्हें आतंकवाद का रास्ता छोड़ने के लिए मना लिया. कर्नल सरवर का कहना है कि ये उन्हें "रोशनी" की तरफ वापस लाने की पहली सीढ़ी है.
सीके/एए (डीपीए)
जनरल मोटर्स ने कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो 2021 में एक ऐसी कार को पेश किया है जो बिना ड्राइवर के खुद से उड़ेगी और लैंड भी करेगी. भविष्य की जरूरतों को देखते हुए कंपनी ने इस तरह के कॉन्सेप्ट को पेश किया है.
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो (सीईएस) 2021 में जनरल मोटर्स ने भविष्य की खुद से उड़ने और उतरने वाली कॉन्सेप्ट कार को पेश किया. इस कॉन्सेप्ट कार का नाम कैडिलैक है. कोरोना महामारी की वजह से इस साल सीईएस का आयोजन वर्चुअल तरीके से हो रहा है. कैडिलैक अपने यात्री को सीधे हवा में ले जा सकती है और फिर जमीन पर उतार सकती है, यह सब कुछ बिना ड्राइवर के मुमकिन है. जनरल मोटर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस सिद्धांत को "व्यक्तिगत परिवहन के भविष्य को फिर से परिभाषित करने वाला" बताया है. उड़ने वाली कार कैडिलैक में एक यात्री सफर कर सकता है, तकनीकी रूप से यह सीधे जमीन से ऊपर उड़ान भर सकती है और एक छत से दूसरी छत पर सफर कर सकेगी.
कार की रफ्तार 88.5 किलोमीटर तक जा सकती है. कार पूरी तरह से खुद से चलने वाली और इलेक्ट्रिक है, जिसमें 90 किलोवॉट का मोटर लगा है. उड़ने वाली कैडिलैक को कंपनी की मुख्य कार्यकारी मैरी बर्रा ने एक वीडियो के जरिए पेश किया. कंपनी ने परिवार के लिए अनुकूल एक इलेक्ट्रिक वाहन भी पेश किया.
उड़ने वाली कार की खासियत
मैरी बर्रा ने पिछले साल बताया था कि उनकी कंपनी हवाई परिवहन के रूप में इस तरह के वैकल्पिक परिवहन साधनों पर काम कर रही है. जनरल मोटर्स के डिजाइन प्रमुख माइक सिमकोय के मुताबिक, "वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल) भविष्य के लिए जनरल मोटर्स की दृष्टि की कुंजी है." उड़ने वाली कैडिलैक की बॉडी बहुत हल्की है, इसमें जीएम अल्टियम बैटरी पैक है और इसमें चार रोटर लगाए गए हैं. कार के आगे और पीछे स्लाइडिंग दरवाजे लगे हुए हैं. कार में बायोमीट्रिक सेंसर, वॉयस कंट्रोल और हाथ के इशारे समझने वाली विशेषता दी गई है. कार के वीडियो को पेश करने के दौरान बताया गया कि यह जल्द ही आने वाली है. कंपनी ने उड़ने वाली कैडिलैक के बारे में और अधिक बताने से मना किया है.
उबर, टोयोटा, ह्यूंडई समेत अन्य कंपनियां भी उड़ने वाली कारों पर काम कर रही हैं. कुछ स्टार्टअप भी इस तरह की कार पर काम कर रही है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
वाशिंगटन, 15 जनवरी | वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 9.3 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि संक्रमण से होने वाली मौतें 19.9 लाख से अधिक हो गई हैं। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने दी।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने शुक्रवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान वैश्विक मामलों और मृत्यु दर क्रमश: 93,051,654 और 1,991,997 है।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका कोविड से सर्वाधिक प्रभावित देश है, यहां कुल 23,308,712 मामले और 388,529 मौतें दर्ज की गई हैं।
Information courtesy Worldometer
संक्रमण के मामलों के हिसाब से भारत 10,512,093 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में कोविड से मरने वालों की संख्या बढ़कर 151,727 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, दस लाख से अधिक पुष्ट मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (8,324,294), रूस (3,459,237), ब्रिटेन (3,269,757), फ्रांस (2,909,879), तुर्की (2,364,801), इटली (2,336,279), स्पेन (2,211,967), जर्मनी (2,004,011), कोलम्बिया (1,849,101), अर्जेंटीना (1,770,715), मेक्सिको (1,571,901), पोलैंड (1,414,362), ईरान (1,311,810), दक्षिण अफ्रीका (1,296,806), यूक्रेन (1,175,343) और पेरू (1,040,231) हैं।
कोविड से हुई मौतों के मामले में ब्राजील 207,095 आंकड़ों के साथ दूसरे नंबर पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मृत्यु वाले अन्य देश मेक्सिको (136,917), ब्रिटेन (86,163), इटली (80,848), फ्रांस (69,452), रूस (63,016), ईरान (56,538), स्पेन (53,079), कोलंबिया (47,491), अर्जेंटीना (45,125), जर्मनी (44,672), पेरू (38,399), दक्षिण अफ्रीका (35,852), पोलैंड (32,456), इंडोनेशिया (25,246), तुर्की (23,495), यूक्रेन (21,300) और बेल्जियम (20,250) है। (आईएएनएस)
गाजा, 15 जनवरी | यूएन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी' (यूएनआरडब्ल्यूए) ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए अमेरिकी वित्तीय सहायता को बहाल करने को लेकर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यालय से संपर्क किया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, यूएनआरडब्ल्यूए के कमिश्नर-जनरल फिलिप लजारिनी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम नए अमेरिकी प्रशासन के साथ संबंधों को फिर से शुरू करने को लेकर आशान्वित हैं।"
उन्होंने कहा कि जैसे ही नया प्रशसान 20 जनवरी को कार्यभार संभालेगा, एजेंसी अगले चरण के दौरान अपनी पिछली स्थिति को बहाल करने के लिए अमेरिकी वित्तीय आवंटन के लिए तत्पर है।
लजारिनी ने कॉन्फ्रेंस में आगे कहा कि यूएनआरडब्ल्यूए फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए सभी सेवाओं और रोजगार कार्यक्रमों को जारी रखेगा।
एजेंसी के अधिकारियों ने बार-बार घोषणा की है कि यह एक गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है, जो तब शुरू हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 की शुरुआत में 36 करोड़ डॉलर में कटौती करने का फैसला किया, जो यूएनअरडब्ल्यूए के बजट का 30 प्रतिशत था।
यूएनआरडब्ल्यू 56 लाख फिलिस्तीनी शरणार्थियों को मानवीय सेवाएं प्रदान करता है।
वॉशिंगटन, 15 जनवरी| अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस बात का खुलासा किया है कि कोविड-19 के प्रकोप से प्रभावित साल 2020 सबसे अधिक गर्म साल भी रहा। इसने साल 2016 के रिकॉर्ड को एक डिग्री के दसवें हिस्से की अधिकता के साथ तोड़ दिया है। हालांकि इसकी कई सारी वजहें भी हैं, जिनमें से एक है ऑस्ट्रेलिया, साइबेरिया और अमेरिकी वेस्ट कोस्ट के जंगलों में लगी भीषण आग और भीषण चक्रवाती अटलांटिक तूफान के दौरान इस आग के जलने का समय भी काफी लंबा रहा।
अमेरिका में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में एक शोध मौसम विज्ञानी लेस्ली ओट ने कहा, "अब तक हमने जलवायु परिवर्तन के जिन गंभीर प्रभावों की भविष्यवाणी की है, यह साल उसी का एक उदाहरण रहा है।"
हालांकि इसके लिए सिर्फ जंगलों में लगी आग को ही दोषी ठहराया जाना उचित नहीं है बल्कि मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन भी धरती को गर्म करने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।
न्यूयॉर्क सिटी में नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के निदेशक और जलवायु वैज्ञानिक गेविन श्मिट ने कहा, "धरती की सामान्य प्रक्रियाएं यही है कि इंसानी गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित कार्बन-डाई-ऑक्साइड का शोषण कर लिया जाए, लेकिन हम जिस अधिक मात्रा में पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड को छोड़ रहे हैं, उस पर काबू पाना अब पेड़-पौधों व समंदर के वश में नहीं हो पा रहा है।"
नासा के मुताबिक, आज से करीब 250 साल पहले हुई औद्योगिक क्रांति के बाद से कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर करीब-करीब 50 फीसदी तक बढ़ गया है। वातावरण में मीथेन की मात्रा दोगुनी से अधिक हो गई है। नतीजतन इस दौरान धरती एक डिग्री सेल्सियस और ज्यादा गर्म हो गई है।
जलवायु विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि चूंकि धरती गर्म हो रही है, ऐसे में गर्म हवा के थपेड़ों और सूखे में और इजाफा हो सकता है, जंगलों में आग लगने की संख्याओं में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है, साल में औसत से अधिक गंभीर तूफानों के आने की आशंका भी बनी हुई है। (आईएएनएस)
हांगकांग, 15 जनवरी | कोविड-19 महामारी के कारणों का अध्ययन करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम गुरुवार को वुहान पहुंची है। चीन ने इस 13 सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय टीम के दो सदस्यों को महामारी के केंद्र (एपिसेंटर) वुहान की यात्रा करने पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि सिंगापुर में कोरोनावायरस एंटीबॉडी परीक्षण में असफल होने के बाद सदस्यों पर यात्रा की रोक लगाई गई है।
इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया था कि 13 वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने कोविड-19 के कारणों का पता लगाने के लिए वुहान पहुंची है, जहां से वायरस की उत्पत्ति हुई थी।
विशेषज्ञों को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए दो सप्ताह के क्वांरटीन प्रोटोकॉल के दौरान तुरंत अपना काम शुरू करना था।
बाद में डब्ल्यूएचओ ने एक अलग ट्वीट में कहा कि आईजीएम एंटीबॉडी के लिए पॉजिटिव परीक्षण किए जाने के बाद उस टीम के दो सदस्य सिंगापुर में ही हैं।
आईजीएम एंटीबॉडी एक कोरोनोवायरस संक्रमण के शुरूआती संभावित संकेतों में से हैं।
डब्लूएचओ ने एक ट्वीट में बताया है कि दो वैज्ञानिक अभी भी कोविड-19 परीक्षण पूरा करने के लिए सिंगापुर में ही हैं।
गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि देश महामारी की रोकथाम के नियमों और आवश्यकताओं का कड़ाई से पालन करेगा और डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों के लिए समान समर्थन और सुविधाएं प्रदान करेगा, जो वायरस के मूल स्थान का पता लगाने के लिए चीन पहुंचे हैं।
शुरूआती आनाकानी के बाद और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए चीन ने डब्ल्यूएचओ की टीम को अपने यहां आने की अनुमति दी है। बीजिंग पर यह आरोप है कि उसके वुहान शहर स्थित लैब से ही वैश्विक महामारी का कारण बनने वाला कोविड-19 वायरस पैदा हुआ और यहीं से पूरी दुनिया में फैल गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले यह आरोप लगाया था और इसे चीनी वायरस करार दिया था।
--आईएएनएस
न्यूयॉर्क, 15 जनवरी | नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ सोनिया अग्रवाल को जलवायु नीति और नवाचार के लिए अपनी वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नामित किया। सोनिया बाइडेन प्रशासन में शामिल कई प्रमुख भारतीय अमेरिकी चेहरों में से एक हैं।
बाइडेन की ट्रांजिशन टीम के अनुसार, बाइडेन जिन दिनों उप राष्ट्रपति थे, उन दिनों सोनिया अग्रवाल ने ऊर्जा नवाचार के लिए 200 बिजली नीति विशेषज्ञों को एकजुट किया था और अमेरिका की बिजली योजना का नेतृत्व किया था।
उन्होंने जलवायु और ऊर्जा नीतियों के पर्यावरण, आर्थिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए ऊर्जा नीति सिम्युलेटर विकसित करने वाली टीम को भी निर्देशित किया था।
ओहियो में जन्मीं सोनिया अग्रवाल ने सिविल इंजीनियरिंग में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में मास्टर्स कोर्स किया है।
बाइडेन प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों के लिए नामित भारतीय अमेरिकियों में से एक कमला हैरिस, अगले बुधवार को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। नीरा टंडन कैबिनेट रैंक के साथ प्रबंधन और बजट के कार्यालय की निदेशक होंगी। विवेक मूर्ति सर्जन जनरल, वेदांत पटेल सहायक प्रेस सचिव, विनय रेड्डी भाषण लेखन निदेशक और गौतम राघवन राष्ट्रपति के कार्मिक कार्यालय के उप निदेशक होंगे।
अन्य लोगों में : अतुल गवांडे और सेलीन गौंडर, कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य, भरत राममूर्ति राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के उपनिदेशक, सबरीना सिंह, कमला हैरिस के लिए उप प्रेस सचिव, माला अदिगा प्रथम महिला बनने वाली जिल बाइडेन के लिए नीति निदेशक रहेंगी।
शपथ ग्रहण समारोह आयोजन समिति के कार्यकारी निदेशक माजू वर्गीज बनाए गए हैं।
शक्तिशाली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में नामांकित व्यक्ति हैं तरुण छाबरा, प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वरिष्ठ निदेशक हैं; सुमोना गुहा, दक्षिण एशिया के लिए वरिष्ठ निदेशक और शांति कलाथिल, लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए समन्वयक।
--आईएएनएस
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चार सालों तक अमेरिकी सियासत में छाये रहे. उनके सामने कोई न टिक सका और वो सुर्ख़ियों में बने रहे. लेकिन बुधवार को अमेरिकी हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्स द्वारा महाभियोग किये जाने के बाद वाशिंगटन के पत्रकार कहते हैं कि व्हाइट हाउस में एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है.
ट्विटर उनका पसंदीदा सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म था जिसके ज़रिए राष्ट्रपति अपने करोड़ों समर्थकों से संपर्क में रहते थे. लेकिन इस प्लेटफ़ॉर्म से वो बाहर कर दिए गए हैं. फ़ेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने भी उनके अकाउंट को निलंबित कर दिया है. उनके कई क़रीबी साथियों ने उनका साथ छोड़ दिया है. राष्ट्रपति पद के शीर्ष पर पहुँच कर भी वो बहुत अकेला महसूस कर रहे होंगे. उनकी विरासत ध्वस्त होती नज़र आती है.
क्या ये उनके सियासी भविष्य का अंत है? क्या उनके पीछे दृढ़ विश्वास के साथ खड़ी रिपब्लिकन पार्टी उनसे अपना दामन छुड़ाने के कगार पर है? क्या वो रिपब्लिकन पार्टी के लिए इसके गले का फंदा बन गए हैं? और सब से अहम, क्या रिपब्लिकन पार्टी इस संकट से जल्द निकल सकेगी या ट्रंप अगले चुनाव में भी पार्टी की तरफ़ से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार होंगे?
biden kamla
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के एक आम नागरिक हो जाएंगे. अगर उन्हें अमेरिकी सीनेट ने हिंसा भड़काने का दोषी ठहराया और उनके ख़िलाफ़ दो-तिहाई वोट पड़े तो आगे वो न तो 2024 का चुनाव लड़ सकते हैं और न ही कोई सरकारी पद हासिल कर सकते हैं. पूर्व राष्ट्रपति को दिए जाने वाले विशेषाधिकार से भी वो वंचित हो जाएंगे.
छह जनवरी को ट्रंप के समर्थकों द्वारा अमेरिकी संसद पर हमले के बाद कुछ रिपब्लिकन पार्टी के लीडर उनके ख़िलाफ़ हो गए हैं. कम से कम हाउस के 10 सदस्यों ने उनके ख़िलाफ़ वोट भी दिया.
लेकिन बी. जे. रुदेल के अनुसार राष्ट्रपति का मृत्यु लेख लिखना अभी मूर्खता होगी.
वो कहते हैं, "उदाहरण के तौर पर पिछले साल उन्होंने पत्रकार बॉब वुडवर्ड से स्वीकार किया था कि कोरोना महामारी कितनी घातक साबित होगी लेकिन दूसरे जब ये कहते थे तो राष्ट्रपति उन्हें फ़ेक न्यूज़ फैलाने वाला कहते थे. नतीजा क्या हुआ? बॉब वुडवर्ड का इंटरव्यू सितंबर में आया जिसके बाद उनकी लोकप्रियता 92 प्रतिशत से बढ़ कर 94 प्रतिशत हो गयी."
लेकिन मुंबई में स्थित विदेश नीतियों के थिंक टैंक गेटवे हाउस से जुड़े भारत के पूर्व राजनयिक राजीव भाटिया कहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी पार्टी को लेकर फ़िलहाल अनिश्चितता बनी हुई है.
बीबीसी से बातें करते हुए उन्होंने कहा कि ट्रंप का भविष्य पार्टी क्या रुख़ लेती है इस पर निर्भर करेगा.
nancy pelosi
वो कहते हैं, "उनका भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि रिपब्लिकन पार्टी के लोग क्या चाहते हैं. ये अभी स्पष्ट नहीं है. एक तरफ़ तो ये कहा जा रहा है कि दल एकता बनाएगा और ट्रंप के साथ जुड़ा रहेगा और उनके ख़िलाफ़ सीनेट के ट्रायल में जो दो-तिहाई बहुमत चाहिए वो नहीं मिल सकेगा. दूसरी तरफ़ रिपब्लिकन पार्टी में भी दो ख़ेमों की बात कही जा रही. एक ख़ेमा जो ट्रंप के साथ रहेगा और दूसरा उनके साथ नहीं रहेगा. अब आगे क्या होगा इसके लिए तो हमें इंतज़ार करना पड़ेगा."
अमेरिकी सीनेट में 100 सदस्य होते हैं जिनमे 51 सदस्य डेमोक्रैटिक पार्टी के हैं और 49 रिपब्लिकन पार्टी के. सीनेट में होने वाले मुक़दमे में रिपब्लिकन पार्टी के 17 सदस्य ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट देंगे तब ही दो-तिहाई बहुमत हासिल हो सकेगा. मुक़दमा अब 20 जनवरी के बाद ही शुरू हो सकेगा जब ट्रंप राष्ट्रपति पद से हट चुके होंगे. राजीव भाटिया कहते हैं कि रिपब्लिकन पार्टी की अंदरूनी राजनीति क्या रुख़ लेती है इस पर ही ये तय हो सकेगा कि ट्रंप को लेकर चलेंगे या उन्हें छोड़ देंगे.
राजीव भाटिया के अनुसार दो घटनाएँ ऐसी हुई हैं जो ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी दोनों के लिए नकारात्मक साबित हुई हैं.
वो कहते हैं, "एक तो ये कि ट्रंप ने जो लगातार चुनाव की वैधता को लेकर सवाल खड़े किये वो हर स्टेज पर ख़ारिज होते रहे, चुनावी अधिकारियों के स्तर पर, राज्य सरकारों के स्तर पर और अदालतों के स्तर पर ये ख़ारिज होते रहे. और दूसरा छह जनवरी की कांग्रेस की इमारत के भीतर हुई हिंसा उससे पार्टी को धक्का लगा है और ट्रंप को भी. उसी दिन घटना से पहले हाउस में रिपब्लिकन पार्टी के कई सदस्य ये कह रहे थे कि चुनावी नतीजे को न माना जाए लेकिन घटना के बाद ऐसे सदस्यों की संख्या थोड़ी रह गयी. इन दोनों घटनाओं से रिपब्लिकन पार्टी और ट्रंप दोनों को धक्का लगा है. ट्रंप के लिए इससे बड़ी क्या बेइज़्ज़ती हो सकती है कि उनके काल के आख़िरी हफ़्ते में वो अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए जिनके ख़िलाफ़ दो बार महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ."
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप की हालत एक ऐसे मुक्केबाज़ जैसी है जिसके क़दम डगमगा रहे हैं. एक ज़ोरदार मुक्का लगा तो वो नॉक आउट हो सकते हैं. लेकिन कई मुक्केबाज़ इस बुरी तरह से पिटने के बाद भी मुक़ाबला जीत जाते हैं.
अगर सीनेट द्वारा उनपर आने वाले चुनाव में हिस्सा लेने पर पाबंदी न भी लगाई जाए तो ये तय है कि पार्टी के अंदर उनका असर कम हुआ है. लेकिन ये याद रखना ज़रूरी है कि पार्टी में छह जनवरी से पहले उनकी लोकप्रियता 87 प्रतिशत थी. इसके अलावा उनके समर्थकों की संख्या करोड़ों में है जो उनका साथ नहीं छोड़ने वाले हैं. ये भी याद रखने की बात है कि उन्हें चुनाव में साढ़े सात करोड़ के क़रीब वोट मिले हैं.
बी जे रुदेल कहते हैं कि उनके समर्थक उनके सच्चे भक्त हैं और उन्हें ये विश्वास है कि ट्रंप ही चुनाव जीते थे. वो आगे भी ट्रंप के साथ बने रहेंगे.
लेकिन कुछ दूसरे विशेषज्ञ ये मानते हैं कि ट्रंप उतने ताक़तवर हैं नहीं जितना कि लोग उनके बारे में गुमान करते हैं. उनका तर्क है कि ऐसा कम ही होता है कि वर्तमान राष्ट्रपति अगला चुनाव हार जाए. वो चुनाव हार गए और फिर उनके काल में सीनेट और हाउस दोनों में रिपब्लिकन पार्टी ने अपना बहुमत गंवाया. उनके ख़िलाफ़ ये रिकॉर्ड जीत दिलाने वाले किसी उम्मीदवार का नहीं है.
इसलिए अब कई वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक पार्टी को सलाह दे रहे हैं कि वो ट्रंप से दूरी बना लें.
सियासी विश्लेषक कीथ नौगटन "द हिल" नामक एक पत्रिका में एक लेख में लिखते हैं कि रिपब्लिकन पार्टी को चाहिए कि वो ट्रंप से नाता तोड़े और रिपब्लिकन पार्टी के नए वोटरों पर ध्यान दे.
वो लिखते हैं, "ट्रंप अब चुनाव नहीं जीत सकते (2024 का चुनाव). छह जनवरी की घटना काफ़ी घातक साबित हुई है उनके सियासी करियर के लिए. पार्टी को उनके बग़ैर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए."
लेकिन फ़िलहाल ट्रंप को कोई भी पूरी तरह से ख़ारिज करने के लिए तैयार नहीं है. इस संभावना से पूरी तरह से कोई भी इंकार करने को तैयार नहीं कि 2024 के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार वो नहीं होंगे. पार्टी में दूसरे संभावित उम्मीदवार, जैसे कि, निक्की हेली, टेड क्रूज़ और जोश हॉली ऐसे नेता हैं जिनका वोटरों में आधार कम है और पार्टी के अंदर ट्रंप की तुलना में उनकी लोकप्रियता काफ़ी कम है.
इस समय ट्रंप के पास सबसे बड़ी सियासी पूँजी उनके समर्थकों का एक बहुत बड़ा बेस का होना है. पहले वो ट्विटर या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म द्वारा इन समर्थकों से बातें करते थे. अब आने वाले कुछ हफ़्तों और महीनों में ये स्पष्ट हो सकेगा कि वो उन समर्थकों से किस माध्यम से बातें करेंगे. एक सुझाव है कि वो ट्विटर की तरह एक नया प्लेटफ़ॉर्म बनाएँगे और दूसरा सुझाव है कि वो अपना एक टीवी चैनल शुरू करेंगे.
सबकी राय यही है कि ट्रंप मुसीबत में ज़रूर हैं लेकिन वो मैदान से बाहर नहीं हुए हैं. (बीबीसी)
ब्रिटेन में मौसम भले ही सर्द हो लेकिन ब्रेक्जिट के बाद स्कॉटलैंड की आजादी की मांग को लेकर माहौल गर्माने लगा है. स्कॉटलैंड में आजादी के लिए फिर से जनमत संग्रह की मांग उठ रही है.
डॉयचे वैले पर स्वाति बक्षी का लिखा -
एक तरफ ईयू से विदाई के बाद स्कॉटलैंड से समुद्री भोजन के निर्यात से जुड़ी दिक्कतों ने सिर उठाया है तो दूसरी ओर आजाद स्कॉटलैंड की समर्थक स्कॉटिश नैशनल पार्टी (एसएनपी) ने ब्रिटिश सरकार पर राजनैतिक दबाव बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. ब्रेक्जिट के बाद पहले हफ्ते में स्कॉटलैंड से ईयू जाने वाले समुद्री खाद्यों से भरे ट्रकों को सीमाएं पार करने में हुई भारी दिक्कतों की वजह से कई निर्यातकों का व्यापार डूब जाने की आशंका जताई जा रही है.
ब्रिटिश संसद में एसएनपी के नेता इयन ब्लैकफर्ड ने रविवार को कहा कि ब्रेक्जिट की वजह से होने वाले जबरदस्त आर्थिक नुकसान और व्यापार से जुड़ी परेशानियों को देखते हुए स्कॉटलैंड ब्रिटेन से बड़े मुआवजे का हकदार है. ब्रेक्जिट को एक "गैरजरूरी आर्थिक बर्बरता” की संज्ञा देते हुए ब्लैकफर्ड ने कहा, "अब यह बिल्कुल साफ हो चुका है कि स्कॉटलैंड के हितों की रक्षा और यूरोप में उसकी जगह सुनिश्चित करने के लिए आजादी ही एकमात्र रास्ता है.”
स्कॉटलैंड की फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्जन तो आजादी के मसले पर दोबारा जनमत संग्रह कराए जाने को लगातार हवा देती रही हैं. सवाल यह है कि क्या अब ब्रिटेन स्कॉटलैंड की आजादी के लिए तेज होती आवाजों को अनसुना करना जारी रख सकता है.
ब्रेक्जिट के बाद व्यापारिक दिक्कतें
ईयू के एकल बाजार और कस्टम यूनियन से बाहर निकलने के बाद पहले हफ्ते स्कॉटलैंड के समुद्री खाद्य उद्योग में अफरा-तफरी का माहौल रहा. बदली औपचारिक परिस्थितियों से व्यापारिक गतिविधियां खासी प्रभावित रहीं. खासकर मछली और दूसरे समुद्री खाद्य पदार्थों के निर्यातकों को कागजाती जरूरतों से उपजी उलझनें और आईटी से जुड़ी दिक्कतें झेलनी पड़ीं जिसके चलते ट्रक चालक घंटों तक फंसे रहे.
इससे ना सिर्फ सामान को यूरोपीय बाजारों में पहुंचाने में देरी हुई बल्कि कुछ कंपनियों ने सामान की डिलीवरी ही रद्द कर दी. निर्यातकों के लिए असमंजस और अनिश्चितता के इस माहौल का असर स्कॉटलैंड के घरेलू बाजार पर भी दिखाई दिया. खाद्य उद्योग से जुड़ी एक प्रतिनिधि संस्था स्कॉटलैंड फूड ऐंड ड्रिंक के सीईओ जेम्स विदर्स ने सोमवार को ट्वीट करके कहा कि ब्रेक्जिट के बाद पैदा हुई अड़चनों के चलते घरेलू बाजार में समुद्री खाद्य पदार्थों की कीमतें 80 फीसदी तक गिर गईं.
यूरोपीय बंधन से आजादी
पांच दशक तक यूरोपीय संघ का हिस्सा रहने के बाद ब्रिटेन आजादी की एक नई राह पर है. पांच दशक के निकट आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समन्वय के बाद अब ब्रिटेन सारे फैसले अकेले ले सकेगा.
खाद्य उद्योग से जुड़े तीन संगठनों- स्कॉटलैंड फूड ऐंड ड्रिंक, सीफूड स्कॉटलैंड और स्कॉटिश सामन प्रड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन ने बीते शुक्रवार ही अपने संयुक्त बयान में कहा था कि ब्रिटेन को ब्रसेल्स के साथ मिलकर यूरोपियन यूनियन को होने वाले निर्यात के लिए नियम-कायदों को हल्का करने के लिए काम करना चाहिए.
उलझनों का यह माहौल सिर्फ स्कॉटलैंड तक सीमित हो ऐसा नही है. ब्रिटेन से उत्तरी आयरलैंड भेजे जाने वाले सामान की चेकिंग के तरीके और औपचारिक कागजों की बदली जरूरतों के मद्देनजर, प्रमुख रीटेलर मार्क्स ऐंड स्पेंसर ने उत्तरी आयरलैंड के अपने सभी स्टोर में सैकड़ों प्रकार का सामान ना भेजने का फैसला किया ताकि अड़चनों के चलते सामान खराब ना हो.
कुल मिलाकर पहला हफ्ता स्कॉटलैंड के लिए उलझनें और चिंताएं लेकर आया. जाहिर है एसएनपी इस मौके पर ब्रिटिश सरकार की आलोचना और स्कॉटलैंड की आजादी की बात दोहराने से नहीं चूंकी.
जनमत संग्रह की मांग और आजादी की आस
सितंबर 2014 में स्कॉटलैंड ने यूनाइटेड किंगडम से आजादी के मामले पर जनमत संग्रह करवाया गया था जिसके हक में 45 फीसदी लोगों ने वोट किया जबकि 55 फीसदी ने इसे नकार दिया था. लेकिन यूरोपियन यूनियन से बाहर आने के मामले पर यूनाइटेड किंगडम में हुए जनमत संग्रह ने इस मसले को नया मोड़ दे दिया. जून 2016 में ब्रेक्जिट के लिए हुए जनमत संग्रह में स्कॉटलैंड की जनता ने 32 फीसदी के मुकाबले 68 फीसदी वोटों के साथ ईयू में बने रहने के लिए वोट किया था लेकिन ब्रिटेन की विदाई तय होने के साथ ही स्कॉटलैंड की आजादी का मसला जोर पकड़ने लगा.
स्कॉटलैंड की फर्स्ट मिनिस्टर एसएनपी नेता निकोला स्टर्जन ने इसे स्कॉटलैंड की मर्जी के खिलाफ बताते हुए आजादी के लिए फिर से जनमत संग्रह की मांग उठाई. साल 2017 में लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 के तहत ईयू से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले स्टर्जन ने स्कॉटलैंड में फिर से जनमत संग्रह की औपचारिक इजाजत मांगी जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने अस्वीकार कर दिया. तब से लेकर अब तक स्टर्जन कई मौकों पर यह मांग उठाती रही हैं जिसे बॉरिस जॉनसन भी यह कहकर दरकिनार करते रहे हैं कि ऐसा मौका पीढ़ियों में एक बार आता है और वह मौका 2014 में निकल चुका है.
यूरोप और यूरोपीय संघ में क्या फर्क है
देश
ब्रिटेन के निकलने के बाद यूरोपीय संघ में 27 सदस्य बचेंगे जबकि यूरोपीय महाद्वीप में कुल देशों की संख्या लगभग 50 है. वैसे पूर्वी यूरोप के कई देश यूरोपीय संघ का हिस्सा बनना चाहते हैं.
हालांकि ब्रेक्जिट के बाद इस मांग को नया बल मिलता दिख रहा है और यह मसला ज्यादा अहम इसलिए भी है क्योंकि मई 2021 में स्कॉटलैंड के संसदीय चुनाव हैं. एडिनबरा में रहने वाले कॉलिन बर्नेट लघु कथाकार हैं और क्वीन मार्गरेट यूनिवर्सिटी में समाज-शास्त्र के छात्र रहे हैं. कॉलिन कहते हैं कि 2014 में उन्होने स्कॉटलैंड की आजादी के लिए वोट दिया था क्योंकि वो एक ऐसे देश में रहना चाहेंगे जिसकी अपनी राजनैतिक और सांस्कृतिक पहचान हो.
कॉलिन स्कॉटलैंड की आजादी को वहां की जनता से जोड़ते हुए कहते हैं कि "अगर आप ब्रिटेन और अमेरिका की तरफ देखें तो वहां का कामकाजी तबका दक्षिणपंथी पार्टियों के राजनैतिक अजेंडे का शिकार है जबकि स्कॉटलैंड में ऐसा नहीं है. यहां लोग इस बात को समझने लगे हैं कि अगर वे एक होकर काम करें तो स्कॉटलैंड के भविष्य निर्माण में भूमिका निभा सकते हैं." कॉलिन का कहना है कि आजाद स्कॉटलैंड में कामगार वर्ग की अहम भूमिका होगी जो ब्रिटेन में नहीं है. वहां सरकार पर अमीरों और रसूखदारों का प्रभाव है.
कॉलिन उस शिक्षित युवा वर्ग के नजरिए की एक बानगी पेश करते हैं जिसका मानना है कि ब्रिटेन ने उनके देश की इच्छाओं की अनदेखी करते हुए ईयू का साथ छोड़ दिया. हालांकि जानकारों की राय यही है कि स्कॉटलैंड और यूरोपीय यूनियन का रिश्ता गहरा है और आजादी की बहस को यूरोपियन यूनियन में वापसी के मुद्दे से अलग करके नहीं देखा जा सकता. दोनों आपस में जुड़े हुए हैं. साथ ही यह बात सिर्फ दोबारा जनमत संग्रह करवाए जाने और ब्रिटिश सरकार की रजामंदी की नहीं है. इसमें अहम बात स्कॉटलैंड और ब्रिटेन के बीच एक साझेदारी व दोनों तरफ के हितों और संबंधों की रक्षा की है.
यूरोपीय यूनियन में वापसी का इरादा
ब्रेक्जिट जनमत संग्रह में स्कॉटलैंड की जनता के ईयू में बने रहने के लिए दिए गए वोट के बाद इस बात में कोई शक नहीं कि स्कॉटलैंड ईयू से रिश्ते तोड़ने के हक में ना था और ना ही है. इसी कारण आजाद स्कॉटलैंड के यूरोपियन यूनियन में वापस लौटने की इच्छा और अपनी भूमिका नए सिरे से परिभाषित करने का इरादा आजादी की इस पूरी बहस का अटूट हिस्सा है.
यूनाइटेड किंगडम (यूके)
असल में इसका पूरा नाम यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉदर्न आयरलैंड है. यूके में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स आते हैं. इन चारों के समूह को ही यूके कहा जाता है.
एडिनबरा स्थित थिंक टैंक यूरो मर्चेंट्स के संस्थापक व राजनीतिक विश्लेषक ऐंथनी सैलेमोन कहते हैं, "जहां पिछले सालों में ब्रिटेन का सारा ध्यान ईयू से संबंध तोड़ने के सवाल पर लगा रहा, वहीं स्कॉटलैंड आज भी यूरोप के साथ खड़ा है. आजाद स्कॉटलैंड की वैश्विक भूमिका और उसकी पहचान में यूरोप के साथ संबंधों की अहम भूमिका होगी. हालांकि स्कॉटलैंड एक छोटा देश है लेकिन ईयू का हिस्सा बनकर उसके लिए मुमकिन होगा कि उसकी भी आवाज सुनी जाए और वह अपनी भूमिका सफलतापूर्वक निभा सके.”
ब्रेक्जिट को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पिछले चार साल में जिस तरह की उठा-पटक हुई और दरारें उभर कर सामने आईं, उसके बाद स्कॉटलैंड और ब्रिटेन के बीच सांस्कृतिक-वैचारिक अंतर की बात और ज्यादा महत्वपूर्ण बनकर सामने आई है. सैलेमोन का कहना है, "स्कॉटलैंड बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दिलचस्पी रखता है और वैश्विक तंत्र के जरिए काम करना चाहता है लेकिन ब्रेक्जिट के दौरान ब्रिटेन ने दिखा दिया कि उसका नजरिया स्कॉटलैंड से अलग है. ये स्कॉटिश लोगों के लिए अहमियत रखता है. यूरोपियन यूनियन में वापसी की इच्छा यह भी जताती है कि स्कॉटलैंड सहयोग में यकीन रखता है और उसका 47 बरस का यूरोपीय इतिहास भी है.”
इन दलीलों से स्कॉटलैंड की यूरोपियन यूनियन में वापसी का इरादा और आधार मजबूत नजर आता है. हालांकि यह रास्ता भी आसान नहीं होगा क्योंकि इसके कई राजनीतिक पड़ाव होंगे जिनकी कोई योजना या खाका फिलहाल मौजूद नहीं है. साथ ही यह डर तो बरकरार ही है कि स्कॉटलैंड की आजादी का रास्ता साफ होने से यूनाइटेड किंगडम का अस्तित्व कमजोर होगा.
डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच के लिए महामारी के ग्राउंड जीरो यानी वुहान में विशेषज्ञों का एक दल भेजा है. दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस का पहला मामला वुहान में ही सामने आया था.
डब्लूएचओ की जांच टीम का चीन दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब देश ने आठ महीने में पहली बार कोरोना वायरस से पहली मौत दर्ज की है. दुनिया भर में कोरोना वायरस के नए रूप को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. विश्व भर में कोरोना वायरस मामलों की कुल संख्या 9.2 करोड़ से अधिक हो गई है और अब तक करीब 20 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. दुनिया के कई देश कोरोना की दूसरी या तीसरी लहर की चपेट में हैं. महामारी के कारण ना केवल जान का नुकसान हो रहा है बल्कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं भी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं.
चीन के वुहान में गुरुवार को शोधकर्ताओं की एक वैश्विक टीम पहुंची जो यह जांच करेगी कि कोरोना वायरस कैसे फैला. शुरूआत में तो चीन अपने यहां जांच करने के लिए टीम को नहीं आने देना चाह रहा था लेकिन वैश्विक दबाव के बाद उसे सहमति देनी पड़ी. डब्लूएचओ ने 10 सदस्यीय टीम को बीजिंग की मंजूरी मिलने के बाद भेजा है, महीनों तक शी जिनपिंग की सरकार ने जांच दल को आने से रोकने के तमाम कूटनीतिक हथकंडे अपनाए, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने सार्वजनिक तौर पर चीन की इसके लिए आलोचना भी की थी.
चीन में जांच दल को मिलेंगे सबूत?
वैज्ञानिकों को शक है कि चीन के इसी प्रांत से चमगादड़ या अन्य जानवरों से वायरस इंसानों तक फैला जिसके कारण लाखों लोग मारे जा चुके हैं. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी उन आरोपों से चिढ़ गई जिसमें कहा गया कि उसने बीमारी को फैलने दिया. इसके बदले पार्टी का कहना है कि वायरस विदेश से आया था, मुमकिन हो आयात किए हुए समुद्री भोजन से, लेकिन वैज्ञानिक इसे मानने से इनकार करते आए हैं.
डब्लूएचओ की अंतरराष्ट्रीय टीम में वायरस एक्सपर्ट के अलावा अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं, ये एक्सपर्ट अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, रूस, नीदरलैंड्स, कतर और विएतनाम के हैं. चीनी सरकार के प्रवक्ता ने इस हफ्ते कहा था कि टीम को चीनी वैज्ञानिकों के साथ विचार आदान प्रदान करने का मौका मिलेगा, लेकिन उसने संकेत नहीं दिया कि उन्हें सबूत जुटाने की इजाजत होगी या नहीं.
चीन के चैनल सीजीटीएन की एक पोस्ट में कहा है टीम को दो हफ्ते के लिए क्वारंटीन में जाना होगा और इसी के साथ उनके गले के स्वॉब की जांच होगी. क्वारंटीन में रहने के दौरान डब्लूएचओ की टीम के सदस्य चीनी विशेषज्ञों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साथ काम कर सकेंगे. ताइवान के चांग गुंग यूनिवर्सिटी में उभरते वायरल संक्रमण अनुसंधान केंद्र के निदेशक शिन-रु-शी कहते हैं, "सरकार को बहुत पारदर्शी और सहयोगी होना चाहिए."
चीनी सरकार ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर भ्रम पैदा करने की कोशिश की, उसने साजिश के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया जिसके बहुत कम सबूत थे, जैसे कि वायरस खराब समुद्री भोजन से फैला होगा. हालांकि अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और एजेंसियों इन सिद्धांतों को खारिज कर दिया. चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अधिकारी मी फेंग ने बुधवार को कहा था, "डब्ल्यूएचओ को अन्य स्थानों पर भी इसी तरह की जांच करने की आवश्यकता है."
एक सप्ताह पहले डब्ल्यूएचओ टीम के सदस्य चीन रवाना होने के लिए तैयार थे लेकिन चीन ने ऐन वक्त पर उन्हें वैध वीजा नहीं दिया.
जारी है कोरोना का कहर
जॉन होप्किंस यूनिवर्सिटी की तालिका के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस मामलों की कुल संख्या 9.2 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या 19.7 लाख से अधिक हो गई हैं. अभी भी अमेरिका दुनिया का सबसे अधिक प्रभावित देश है, जहां संक्रमण के 23,067,796 मामले और 3,84,604 मौतें दर्ज की गईं हैं. संक्रमण के मामलों के हिसाब से भारत 1,05,12,093 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर आता है, जबकि देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 1,51,529 हो गई है. भारत में इस बीमारी से ठीक होने वाली की दर 96.51 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 1.44 प्रतिशत है.
एए/सीके (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)
टोक्यो, 14 जनवरी | जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा है कि देश में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के मद्देनजर बाहरी देश के नागरिकों को यहां प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश बाहरी देश से आने वाले लोगों के प्रवेश पर दिसंबर में ही अंकुश लगा दिया गया था, लेकिन व्यापार के चलते आने वाले कुछ लोगों सहित स्टूडेंट्स प्रोग्राम की वजह से आने वाले नागरिकों को कड़े प्रतिबंधों के तहत छूट दी गई थी।
प्रधानमंत्री ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, सभी अनिवासी विदेशी नागरिकों के लिए जापान की सीमाओं को 7 फरवरी तक बंद रखा जाएगा क्योंकि ग्रेटर टोक्यो सहित अन्य क्षेत्रों में आपातकाल घोषित हैं।
प्रधानमंत्री ने एक टीवी शो में हाल ही में कहा था कि जापान कुछ देशों के कारोबारियों के लिए अपने दरवाजे खुले रखेगा, बशर्ते ऐसा करने की वजह से ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना की नई किस्म का वायरस न फैलें। (आईएएनएस)
अपना कार्यकाल खत्म होने के कुछ ही दिन पहले डॉनल्ड ट्रंप दो बार महाभियोग लगाए जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं. संभव है कि उन पर अमेरिकी संसद में मुकदमा उनके पद छोड़ने के बाद भी चलता रहेगा.
इसके पहले तीन बार और महाभियोग लाए जा चुके हैं जो पूर्व राष्ट्रपति एंड्रू जॉनसन, बिल क्लिंटन और खुद ट्रंप के खिलाफ थे. लेकिन तीनों मौकों पर महाभियोग प्रस्ताव लाने के बाद संसद में जांच और सुनवाई के बाद प्रस्ताव पर मतदान होने में महीनों लग गए. लेकिन इस बार ट्रंप से प्रोत्साहन पा कर उनके समर्थकों द्वारा कैपिटल पर हमले के बाद महाभियोग लाने में सिर्फ एक हफ्ता लगा.
डेमोक्रैट सांसदों के अलावा 10 रिपब्लिकन सांसदों ने भी सिर्फ एक आरोप पर ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए मत डाला. यह आरोप था "विद्रोह के लिए उकसाना". सीनेट में बहुसंख्यक पक्ष के निर्गामी नेता मिच मैककॉनेल ने कहा है कि सीनेट जल्द से जल्द करने पर भी अगले मंगलवार से पहले सुनवाई शुरू नहीं कर पाएगी. उसके अगले दिन ही जो बाइडेन को राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी है.
इस समय यह स्पष्ट नहीं है कि यह सुनवाई कैसे आगे बढ़ेगी और सीनेट में कोई भी रिपब्लिकन सांसद ट्रंप को दोषी ठहराए जाने के पक्ष में अपना मत डालेगा या नहीं. सुनवाई तो ट्रंप के पद छोड़ने से पहले नहीं ही हो पाएगी, लेकिन फिर भी उसका यह असर जरूर हो सकता है कि ट्रंप दोबारा कभी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ ना पाएं.
सीनेट भेजा जाना
सीनेट में महाभियोग पर मतदान होने के बाद हाउस के स्पीकर प्रस्ताव के अनुच्छेद या अनुच्छेदों को सीनेट में या तो तुरंत भेज सकती हैं या थोड़ा इंतजार कर सकती हैं. स्पीकर नैंसी पेलोसी ने अभी तक नहीं कहा है कि वो कब भेजेंगी लेकिन उनके कॉकस के कई डेमोक्रैट सांसद उन्हें तुरंत भेजने के लिए कह चुके हैं. पेलोसी ने महाभियोग के लिए नौ मैनेजर नियुक्त किए हैं जो ट्रंप के खिलाफ सीनेट के मुकदमे में जिरह करेंगे. इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि वो उन्हें जल्द ही भेजेंगी. एक बार अनुच्छेद सीनेट पहुंच गए तो फिर वहां बहुसंख्यक पक्ष के नेता को सुनवाई की प्रक्रिया तुरंत शुरू करनी होगी.
सीनेट का शिड्यूल
सीनेट के कार्यक्रम के अनुसार उसका सत्र 19 जनवरी से पहले शुरू नहीं होगा जो कि सीनेट में नेता के रूप में मैककॉनेल का आखिरी दिन हो सकता है. उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के शपथ लेने के बाद वो सीनेट की अध्यक्ष बन जाएंगी. उसके बाद जॉर्जिया के दो डेमोक्रेट्रिक सीनेटर भी शपथ लेंगे और उसके बाद सीनेट में डेमोक्रेटों के नेता चक शूमर अपना पद ग्रहण कर लेंगे और फैसला करेंगे कि मुकदमा कैसे आगे बढ़ेगा. मैककॉनेल कह चुके हैं कि वो मुकदमे को शुरू करने के लिए सीनेट को आपात आधार पर वापस नहीं बुलाएंगे. उन्होंने बताया कि सीनेट में पिछले तीनों मौकों पर सुनवाई 83, 37 और 21 दिनों तक चली थी.
मैककॉनेल पर निगाहें
एक रिपब्लिकन रणनीतिकार ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि मैककॉनेल मानते हैं कि ट्रंप ने महाभियोग के लायक अपराध किए हैं और वो यह भी मानते हैं कि यह महाभियोग अभियान रिपब्लिकन पार्टी पर ट्रंप की पकड़ को कमजोर करने का भी एक अवसर है.
अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर रणनीतिकार ने यह भी बताया कि मैककॉनेल ने बीते सप्ताहांत पर पार्टी के प्रमुख डोनरों को बताया कि ट्रंप को लेकर उनका धीरज खत्म हो चुका है. मैककॉनेल की पत्नी ट्रंप के मंत्रिमंडल में यातायात विभाग की सचिव थीं लेकिन उन्होंने कैपिटल पर हमले के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि इस तरह के संकेत देने के बावजूद मैककॉनेल सार्वजनिक रूप से शांत हैं. उनके कार्यालय ने उनके सहयोगियों के लिए बुधवार को एक नोट जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि, "उन्होंने अभी तक इस बारे में फैसला नहीं लिया है कि वो किस पक्ष में मतदान करेंगे."
सीनेट की राजनीति
अगर मैककॉनेल ट्रंप को दोषी ठहराए जाने के पक्ष में मत डालते हैं तो दूसरे रिपब्लिकन भी ऐसा ही करेंगे. लेकिन किसी भी रिपब्लिकन सीनेटर ने यह नहीं कहा है कि वो किस तरफ मत डालेंगे. सीनेट के दो-तिहाई सदस्यों के मतदान की आवश्यकता है. हालांकि कुछ रिपब्लिकनों ने ट्रंप को इस्तीफा देने को कहा है. इनमें पेंसिल्वेनिया के सीनेटर पैट टूमी और अलास्का के सीनेटर लीजा मुर्कोव्स्की शामिल हैं. कुछ सीनेटर उनके पक्ष में भी बोल रहे हैं. 2019 में हाउस में हर रिपब्लिकन सांसद ने ट्रंप के महाभियोग के खिलाफ मतदान किया था.
ट्रंप का भविष्य
अगर सीनेट ट्रंप को दोषी साबित करने में सफल हो जाती है, तो उसके बाद सांसद ट्रंप को भविष्य में दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने के सवाल पर एक और मतदान करा सकते हैं. बुधवार को शूमर ने इस बात की पुष्टि की. महाभियोग कर हटाए गए फेडरल न्यायाधीशों के संबंध में सीनेट को उन्हें दोबारा किसी भी फेडरल पद पर नियुक्ति से प्रतिबंधित करने के लिए दूसरा मतदान कराना पड़ा है. हालांकि जहां उन्हें दोषी ठहराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है, भविष्य के लिए प्रतिबंध लगाने के लिए सिर्फ बहुमत की आवश्यकता होगी.
सीके/एए (एपी)