अंतरराष्ट्रीय
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सात देशों ने बकाया राशि का भुगतान नहीं करके मतदान करने का अधिकार खो दिया है. इन देशों में ईरान का नाम भी शामिल है. इस बात की जानकारी सोमवार को महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दी है. गुटेरेस ने महासभा के अध्यक्ष और तुर्की के वोलकन बोजकिर को लिखे खत में कहा है, इन देशों में ईरान के अलावा नाइजर, लीबया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो ब्राजाविले, दक्षिण सूडान और जिम्बाब्वे का नाम शामिल है.
खत में ये भी कहा गया है कि जिस बकाया राशि का भुगतान करना है, उसमें कमी करने के लिए ये देश अभी कितना भुगतान कर सकते हैं, इस बारे में बताया गया है. ताकि इन्हें मतदान करने का अधिकार वापस मिल सके. अकेले ईरान को ही 16.2 मिलियन डॉलर (1.62 करोड़ डॉलर) का भुगतान करना है.
संयुक्त राष्ट्र का सालाना बजट 3.2 बिलियन डॉलर का है. इसके अलावा शांति कायम रखने संबंधिक ऑपरेशंस के लिए बजट अलग है और कुल बजट 6.5 बिलियन डॉलर बनता है. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, उन देशों के मतदान के अधिकार को निलंबित कर दिया जाता है, जिनका बकाया, योगदान वाली राशि का आधा या उससे अधिक हो जाता है. (tv9hindi.com)
-विनीत खरे
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की राजधानी इन दिनों युद्ध क्षेत्र जैसी लगती है. नए राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटों पहले अमेरिका में एक अभूतपूर्व स्थिति बनी हुई है.
ना सिर्फ़ वॉशिंगटन, बल्कि सभी 50 राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
कई लोगों को डोनाल्ड ट्रंप समर्थक समर्थकों की ओर से की गई कैपिटल हिल हिंसा को दोहराए जाने का डर सता रहा है.
कैपिटल की ओर जाने वाले सड़कों पर हज़ारों की तादाद में सुरक्षाकर्मी गश्त लगा रहे हैं. शहरों में जगह-जगह रोड ब्लॉक लगाए गए हैं. चेहरों को ढँके हथियारबंद सुरक्षाकर्मी गाड़ियों की जाँच कर रहे हैं और ट्रैफ़िक को रास्ता भी दिखा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो नेशनल गार्ड्स के 25 हज़ार जवानों की शहर में तैनाती की गई है.
इस बीच कई सुरक्षाकर्मियों की जाँच भी हो रही है, जिन पर शक है कि उन्होंने 6 जनवरी को हुए कैपिटल हिल हिंसा में उपद्रवियों का साथ दिया था.
मीडिया रिपोर्ट्स में हथियारबंद हमले की आशंका भी जताई जा रही है.
पुलिस की गाड़ी सड़कों पर गश्त लगा रही है और हेलिकॉप्टर से गतिविधियों पर पर नज़र रखी जा रही है.
कई मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं और बड़े क्षेत्र में गाड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कैपिटल कॉम्प्लेक्स को जनता के लिए बंद कर दिया गया है और 20 जनवरी को जनता कैपिटल ग्राउंड नहीं जा सकेगी.
कैपिटल पुलिस ने अपने बयान में कहा है, "कोई भी अगर ग़ैरक़ानूनी रूप से कैपिटल ग्राउंड पर लगे फ़ेंस (एक तरह का बैरिकेड) को पार करके या किसी अन्य ग़ैरकानूनी तरीक़े से घुसने की कोशिश करता है, तो उस पर बल प्रयोग होगा और गिरफ्तारी भी होगी."
वॉशिंगटन को दूसरे शहरों से जोड़ने वाले ब्रिजों को और पास में स्थित वर्जिनिया को भी बंद रखा जाएगा.
क्रिस अकोस्टा नाम के एक स्थानीय निवासी कहते हैं, "ऐसा लग रहा है जैसे एक फ़िल्म चल रही है. सभी लोग नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की तैयारियों में लगे हैं और सड़कें पूरी तरह वीरान हैं."
जरमैन ब्रायंट कहते हैं, "मुझे लगता है ये पहला वर्चुअल शपथ ग्रहण समारोह होगा. आमतौर पर जब भी शपथ ग्रहण होता रहा है, तो वॉशिंगटन का माहौल ख़ुशनुमा रहा है लेकिन अभी तो लगता है जैसे ये एक भूतिया शहर हो."
ब्रायंट की बात कई मायनों में सही है. आमतौर पर शपथ ग्रहण समारोह पर समर्थक और विरोधी एकता का प्रदर्शन करते हुए एक साथ आते हैं और माहौल उत्सव जैसा होता है.
इससे पहले कभी भी ऐसे वक्त में राजधानी का दिल माना जाने वाला कैपिटल हिल का क्षेत्र इतना वीरान नहीं रहा. इसका मतलब साफ़ है कि हर बार की तरह इस आयोजन में समर्थकों की वो भीड़ नहीं नज़र आएगी, जो हर बार दिखती रही है.
जानकारों को इस बात की भी चिंता सता रही है कि वॉशिंगटन में भारी सुरक्षा बल की तैनाती तो कर दी गई है, लेकिन बाक़ी 50 राज्यों की सुरक्षा का क्या होगा?
एक भी हमला देशभर में बैठे ट्रंप समर्थकों के लिए उकसावे की तरह होगा.
बीते दो सप्ताह में क्या-क्या हुआ
बीते दो सप्ताह में अमेरिका की राजनीति तेज़ी के साथ बदली है. मैं 6 जनवरी को वॉशिंगटन के उसी इलाक़े में था, जब ट्रंप समर्थक आक्रामक हो गए थे.
इसके बाद, उनमें से सैकड़ों ने कैपिटल हिल की सुरक्षा को तोड़ते हुए अंदर दाखिल होकर हिंसा की, जिसकी तस्वीरें अमेरिकी मीडिया ने ख़ूब दिखाईं और जिसे देखकर रिपब्लिकन भी इसके विरोध में खड़े हुए.
दो बार महाभियोग झेलने वाले ट्रंप का चुनाव नतीजों को मानने से इनकार करना और इसमें बिना सबूत धोखाधड़ी का आरोप लगाना 6 जनवरी को हुई हिंसा का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है.
इस घटना के एक दिन बाद भी मैंने देखा कि कैसे एक व्यक्ति बैरिकेड को लांघने की कोशिश कर रहा था. अब हालात ये हैं कि वॉशिंगटन के कई रास्तों पर बाड़े लगा दिए गए हैं और सुप्रीम कोर्ट की भी घेराबंदी कर दी गई है.
वॉशिंगटन की मेयर मुरिल बौज़र, मैरीलैंड के गवर्नर लैरी होगन और वर्जीनिया के गवर्नर राल्फ नॉर्थम ने मिलकर एक साझा बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है- बीते दिनों हुई हिंसा और कोविड-19 महामारी को देखते हुए. हम अमेरिकावासियों से अपील करते हैं कि वे शपथ ग्रहण समारोह के लिए वॉशिंगटन ना आएँ, बल्कि इस समरोह में वर्चुअली ही शामिल हों.''
वर्जीनिया और मैरीलैंड राज्यों की सीमा वॉशिंगटन से जुड़ी हुई है.
कोरोना वायरस का ख़तरा भी बड़ा होता जा रहा है, अमेरिका में लगभग 400,000 लोगों की वायरस के कारण मौत हो गई है.
रोग नियंत्रण निदेशक के मुताबिक़ फरवरी के मध्य तक यह संख्या 5 लाख के आँकड़े को पार कर जाएगी.
घरेलू आतंकवादी?
कैपिटल हिल की हिंसा ने घरेलू आंतकवादियों को लेकर जारी बहस को और बढ़ा दिया है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि दक्षिणपंथी उग्रवाद और श्वेत वर्चस्ववादियों के ख़तरों पर कार्रवाई करने में पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों की रफ़्तार धीमी है.
डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी की एक रिपोर्ट कहती है- श्वेत वर्चस्ववादी चरमपंथी देश के सामने लगातार सबसे बड़ा ख़तरा बने रहेंगे.
नव निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने कैपिटल हिल हमले के बाद कहा था, ''उन्हें प्रदर्शनकारी ना कहें, वो एक दंगाई भीड़ थी, देशद्रोही और घरेलू आतंकवादी, "हालाँकि दोनों पार्टियों वाली कांग्रेस रिसर्च के मुताबिक़ ''एफ़बीआई औपचारिक तौर पर किसी भी संस्था को 'घरेलू आतंकवादी' नहीं मानती.''
कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद कांग्रेस इससे जुड़े क़ानून और नीतियों में बदलाव के बारे में विचार कर सकती है और इस तरह के घरेलू आतंकवाद को एक संघीय अपराध की श्रेणी में ला सकती है. (bbc.com)
जो बाइडन जल्द ही अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे. इसे अमेरिका में इनॉगरेशन डे भी कहते हैं. इसके बाद ही वो आधिकारिक रूप से व्हाइट हाउस में अपना कामकाज संभालेंगे.
एक राजनीतिक समारोह में 20 जनवरी को जो बाइडन और उप राष्ट्रपति के तौर पर चुनी गईं कमला हैरिस अपने पद की शपथ लेंगी.
कोविड-19 की वजह से समारोह में कुछ बदलाव किए हैं. मेहमानों की सूची छोटी की गई है और सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए काफ़ी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. शपथ ग्रहण समारोह के बारे में आइए जानते हैं सब कुछ.
इनॉगरेशन क्या है?
इनॉगरेशन एक औपचारिक समारोह है. इसके पूरा होते ही राष्ट्रपति के कार्यकाल की शुरुआत हो जाती है. यह समारोह वॉशिंगटन डीसी में होता है. समारोह के एकमात्र ज़रूरी हिस्से के तौर पर राष्ट्रपति अपने पद की शपथ लेते हैं.
इस पद की शपथ लेते हुए वह कहते हैं, "मैं पूरी निष्ठा से यह शपथ लेता हूँ कि अपनी पूरी ईमानदारी से अमेरिका के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी निभाऊंगा. मैं अपनी पूरी क्षमता के साथ अमेरिका के संविधान का संरक्षण, सुरक्षा और बचाव करूँगा."
इन शब्दों को पूरा करते ही जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बन जाएँगे. साथ ही इनॉगरेशन भी पूरा हो जाएगा.
कमला हैरिस भी शपथ लेते ही उप राष्ट्रपति बन जाएँगीं. अमूमन नव निर्वाचित उप राष्ट्रपति को नव निर्वाचित राष्ट्रपति से पहले शपथ दिलाई जाती है.
biden harrris courtsey social media
बाइडन का इनॉगरेशन कब होगा?
अमेरिकी संविधान के हिसाब से इनॉगरेशन का दिन 20 जनवरी को तय है.
शुरुआती भाषण का समय अमूमन सुबह 11.30 (अमेरिकी समय के हिसाब से) होता है. इसलिए जो बाइडन और कमला हैरिस का शपथ ग्रहण दोपहर बारह बजे के आसपास होगा.
उसी दिन बाद में जो बाइडन व्हाइट हाउस में जाएँगे. अगले चार साल के लिए यही उनका आवास होगा.
शपथ ग्रहण समारोह में सुरक्षा बंदोबस्त कैसा होगा?
राष्ट्रपति पद के लिए इनॉगरेशन कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं. 6 जनवरी के उपद्रवियों के कैपिटल हिल में घुस जाने की घटना को देखते हुए तो और ज़्यादा पुख़्ता इंतजाम होंगे. इस दौरान वहाँ नेशनल गार्ड के 10 हजार सैनिक तैनात रहेंगे.
ज़रूरत पड़ी तो अतिरिक्त 5 हज़ार सैनिक उपलब्ध कराए जा सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप के इनॉगरेशन में आठ हज़ार सैनिक तैनात थे.
जब बाइडन शपथ लेंगे, तब वाशिंगटन डीसी में इमरजेंसी लगी होगी. हाल में हुए उपद्रव और अराजकता को देखते हुए मेयर म्यूरियल बोअर ने वहाँ इमरजेंसी लगाने के आदेश दिए हैं.
जो बाइडन ने रिपोर्टरों से कहा है कि वह अपनी हिफ़ाज़त या इनॉगरेशन को लेकर चिंतिंत नहीं हैं. लेकिन बाइडन के इनॉगरेशन कमेटी की सदस्य सीनेटर एमी क्लोबाशर ने कहा कि उन्हें लगता है कि सुरक्षा को लेकर बड़े बदलाव हो सकते हैं. 6 जनवरी को जब उपद्रवी कैपिटल हिल में घुस आए थे, उस वक़्त वे वहीं थीं.
क्या ट्रंप शपथ ग्रहण समारोह में आएँगे?
पद छोड़ने वाले राष्ट्रपति के लिए अगले नेतृत्व को शपथ लेते देखना अब रिवाज बन चुका है. हालाँकि ऐसे पूर्व राष्ट्रपतियों के लिए यह थोड़ा असहज होता होगा, लेकिन इस बार कुछ दूसरे तरह की असहजता होगी, क्योंकि पद छोड़ने वाले राष्ट्रपति ट्रंप इसमें नहीं होंगे.
ट्रंप ने पिछले दिनों ट्वीट करके कहा था, ''जो लोग यह पूछ रहे हैं, उन्हें मैं बता दूँ कि 20 तारीख़ को इनॉगरेशन में मैं नहीं आऊँगा."
ट्रंप ने इसके पहले कहा था कि वह नए प्रशासन को व्यवस्थित तरीक़े से सत्ता का हस्तांतरण कर देंगे. ऐसा करके उन्होंने पहली बार सार्वजनिक तौर पर यह माना वह बाइडन से रेस हार गए हैं.
ट्रंप के समर्थक उनसे एक क़दम आगे बढ़े हुए दिख रहे हैं. वे ट्रंप के लिए वर्चुअल 'सेकेंड इनॉगरेशन' की योजना बना रहे हैं. जिस दिन और जिस वक़्त बाइडन शपथ लेंगे, ठीक उसी वक़्त ट्रंप के समर्थक ट्रंप के लिए भी वर्चुअल शपथ कार्यक्रम का आयोजन करेंगे. लगभग 68 हज़ार लोगों ने फ़ेसबुक पर कहा है कि वे ट्रंप के समर्थन में इस ऑनलाइन इवेंट में शिरकत करेंगे.
जब ट्रंप ने शपथ ली थी, तो हिलेरी क्लिंटन अपने पति और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ इनॉगरेशन के साथ मौजूद थीं. राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार और ट्रंप के साथ एक तीखे चुनावी अभियान के महज दो महीने के बाद वह इस समारोह में मौजूद थीं.
अमेरिका के इतिहास में अब तक सिर्फ़ तीन राष्ट्रपतियों जॉन एडम्स, जॉन क्विंसी और एंड्रयू जॉनसन ने अपने उत्तराधिकारी के इनॉगरेशन से ख़ुद को दूर रखा है. पिछले एक सौ साल में तो किसी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया है.
अगर सामान्य हालात होते, तो शायद वॉशिंगटन में लाखों लोग इनॉगरेशन का जश्न मनाने उमड़ आते. शहर भर जाता . होटलों में जगह नहीं होती. जब 2009 में ओबामा पहली बार राष्ट्रपति बने थे, तो राजधानी में 20 लाख लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था. लेकिन लगता है कि इस बार उत्सव इतना बड़ा नहीं होगा. ख़ुद बाइडन की टीम ने कहा कि समारोह सीमित होंगे.
टीम ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों से राजधानी न आने के लिए कहा है. कैपिटल हिल पर हमले के बाद प्रशासन ने लोगों से कई बार यह अपील दोहराई है.
बाइडन और हैरिस यूएस कैपिटल के सामने ही शपथ लेंगे. (यह परंपरा राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 1981 में शुरू की थी) . सामने नेशनल मॉल है. लेकिन शपथ ग्रहण को देखने के लिए परेड रूट से सटा कर बनाए गए स्टैंड हटाए जा रहे हैं.
पहले आधिकारिक समारोह देखने के लिए दो लाख टिकट जारी होते थे. लेकिन इस बार पूरे अमेरिका में कोरोना संक्रमण को देखते हुए सिर्फ़ एक हजार टिकट ही जारी होंगे.
इस साल भी पास-इन रिव्यू समारोह होगा. यह शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण का एक पारंपरिक हिस्सा है, जिसमें नए कमांडर इन चीफ सैनिक टुकड़ियों का जायजा लेते हैं. लेकिन आयोजकों का कहना है कि अब पेन्सिलवेनिया एवेन्यू से व्हाइट हाउस तक सामान्य परेड की जगह पूरे अमेरिका में वे वर्चुअल परेड का आयोजन करेंगे.
इसके बाद सेना के सदस्य बाइडन और हैरिस को व्हाइट हाउस में ले जाएँगे. उनके साथ बैंड और ड्रम बजाने वाली टुकड़ी भी होगी.
इनॉगरेशन का टिकट कैसे मिलेगा?
स्टेज के सामने बैठने और खड़े होने और परेड रूट से लगे इलाक़े में बैठने के लिए टिकट लेने की ज़रूरत होती है. लेकिन बाक़ी का नेशनल मॉल आम लोगों के लिए खुला होता है.
अगर आप इनॉगरेशन समारोह को नज़दीक से देखना चाहते हैं, तो आपको पहले अपने स्थानीय प्रतिनिधि से बात करनी होगी.
इनॉगरल बॉल्स और समारोह से जुड़े अन्य कार्यक्रमों के लिए अलग से टिकट लेने की ज़रूरत पड़ती है. सीनेटरों और कांग्रेस के सदस्य इस समारोह की देखरेख में लगे होते हैं. हरेक को कुछ फ़्री टिकट दिए जाते हैं, जो वे लोगों को बाँट सकते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से एक प्रतिनिधि के साथ एक मेहमान आ सकता है.
बाइडन ने अभी यह नहीं बताया है कि उनके शपथ ग्रहण समारोह के बाद उनके साथ स्टेज पर कौन स्टार होगा. हालाँकि यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी कोई बड़ा स्टार परफॉर्म करेगा.
हाल के वर्षों में हर राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में देश के पसंदीदा कलाकारों ने अपना प्रदर्शन किया है. 2009 में आर्था फ्रैंकलिन ने बराक ओबामा के इनॉगरेशन कार्यक्रम में My Country 'Tis of Thee. गाया था. साथ में बेयॉन्से भी थीं, जिन्होंने इनगॉरल बॉल में अपना मशहूर गाना 'एट लास्ट' गाया था.
2013 में बराक ओबामा ने केली क्लार्कसन और जेनिफर हडसन को आमंत्रित किया था. बेयॉन्से इस बार फिर आ रही हैं, लेकिन इस बार वह राष्ट्रीय गान गाएँगीं.
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप को कलाकारों को बुलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. एल्टन जॉन ने परफॉर्म करने से मना कर दिया था. ऐसी खबरें थीं कि सेलिन डियोन, किस और गार्थ ब्रुक्स ने भी परफॉर्म करने से इनकार कर दिया था. आखिर में रॉकेट्स, कंट्री आर्टिस्ट ली ग्रीनवुड और बैंड-3 डोर्स इनॉगरेशन में आने के लिए राज़ी हुए थे.
जनवरी में ही इनॉगरेशन क्यों होता है?
ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ़ जनवरी में ही इनॉगरेशन होना है. संविधान में पहले 4 मार्च को नए नेताओं के शपथ लेने के दिन के तौर पर तय किया गया था. नवंबर के चार महीने के बाद शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने का फ़ैसला तय किया गया था.
उस वक़्त के हिसाब से यह ठीक था, क्योंकि राजधानी तक चुनाव नतीजे पहुँचने में इतना समय लग जाता था. लेकिन नए राष्ट्रपति के शपथ लेने और पूर्व राष्ट्रपति के बने रहने का चार महीने का यह समय काफ़ी लंबा था. यहाँ इसे Lame duck Period कहा गया.
लेकिन आधुनिक तकनीकों की वजह से वोटों की गिनती तेज़ हो गई. नतीजे जल्दी आने लगे. इसलिए चार महीने की यह अवधि बदल दी गई. इसके लिए 20वाँ संशोधन किया गया, जिसे 1933 में पारित किया गया. इसके मुताबिक़, 20 जनवरी को ही नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण का दिन तय हुआ. (bbc.com)
वाशिंगटन, 19 जनवरी | वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 9.55 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि संक्रमण से हुई मौतों की संख्या 20.3 लाख से अधिक हो गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने मंगलवार को दी। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने मंगलवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि, वर्तमान में दुनियाभर में संक्रमण के कुल मामले और मौतें क्रमश: 95,530,563 और 2,039,283 हैं।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक कोविड प्रभावित देश है, जहां संक्रमण के 24,073,555 मामले और 398,977 मौतें दर्ज की गई हैं।
संक्रमण के मामलों में भारत 10,571,773 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि देश में कोविड से मौतों का आंकड़ा 152,419 हो गया है।
सीएसएसई के अनुसार, दस लाख से अधिक मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (8,511,770), रूस (3,552,888), ब्रिटेन (3,443,350), फ्रांस (2,972,889), तुर्की (2,392,963), इटली (2,390,102), स्पेन (2,336,451), जर्मनी (2,059,382), कोलम्बिया (1,923,132), अर्जेंटीना (1,807,428), मैक्सिको (1,641,428), पोलैंड (1,438,914), दक्षिण अफ्रीका (1,346,936), ईरान (1,336,217), यूक्रेन (1,201,894) और पेरू (1,060,567) हैं।
वर्तमान में ब्राजील 210,299 मौतों के साथ अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मौत दर्ज करने वाले देश मेक्सिको (140,704), ब्रिटेन (90,031), इटली (82,554), फ्रांस (70,826), रूस (65,059), ईरान (56,886), स्पेन (53,769), कोलंबिया (49,004), जर्मनी (47,263), अर्जेंटीना (45,832), पेरू (38,770), दक्षिण अफ्रीका (37,449), पोलैंड (33,407), इंडोनेशिया (26,282), तुर्की (24,161), यूक्रेन (21,847) और बेल्जियम (20,435) हैं।
--आईएएनएस
अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक़, एक शख़्स महामारी में यात्रा करने से इतना डर गया कि वो तीन महीने तक शिकागो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के एक सुरक्षित क्षेत्र में बिना किसी को बताए रहता रहा.
36 वर्षीय आदित्य सिंह को शनिवार को तब गिरफ़्तार किया गया जब एयरलाइन स्टाफ ने उनसे अपनी पहचान बताने के लिए कहा.
आदित्य ने जवाब में एक बैज की ओर इशारा किया, लेकिन ये बैज एक ऑपरेशन मैनेजर का था. उस मैनेजर ने अक्टूबर में अपना बैज खोने की शिकायत दर्ज कराई थी.
पुलिस के मुताबिक़, आदित्य सिंह 19 अक्टूबर को एक विमान में लॉस एंजीलिस से ओ'हारे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचे थे.
शिकागो ट्रिब्यून के अनुसार, एसिस्टेंट स्टेट अटॉर्नी कैथलीन हेगर्टी ने कहा कि आदित्य को हवाई अड्डे पर कथित तौर पर एक बैज मिला और “वो कोविड की वजह से घर जाने से डर रहे थे.”
उन्होंने जज से कहा कि आदित्य दूसरे यात्रियों से मिले खाने और पैसों से अपना गुज़ारा कर रहे थे.
कुक काउंटी की न्यायाधीश सुज़ाना ओर्टिज़ ने मामले पर हैरानी जताई.
उन्होंने रविवार को आरोपों को रेखांकित करने वाली अभियोजक से कहा, "अगर मैं आपको ठीक से समझ रही हूं तो आप कह रही हैं कि एक अनधिकृत, ग़ैर-कर्मचारी व्यक्ति 19 अक्टूबर 2020 से 16 से 2021 के बीच ओ'हारे हवाई अड्डे टर्मिनल के एक सुरक्षित हिस्से में कथित तौर पर रह रहा था, और किसी को पता नहीं चला? मैं आपको सही से समझना चाहती हूं."
असिस्टेंट पब्लिक डिफेंडर कर्टनी स्मॉलवुड के अनुसार, आदित्य सिंह लॉस एंजिल्स के एक उपनगर में रहते हैं और उनका कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड नहीं है. ये स्पष्ट नहीं है कि वो शिकागो क्यों आए थे.
शहर के हवाई अड्डों की देखरेख
उनपर एक हवाई अड्डे के प्रतिबंधित क्षेत्र में ग़लत तरीक़े से घुसने और चोरी का आरोप लगाया गया है. उन्हें ज़मानत के लिए 1,000 डॉलर भरने होंगे. तब तक के लिए उनपर हवाई अड्डे में घुसने पर रोक लगा दी गई है.
जज ओर्टिज़ ने कहा, "अदालत इन तथ्यों और परिस्थितियों को चौंकाने वाला मानती है कि इतने वक़्त तक ये होता रहा."
"लोगों की सुरक्षित यात्रा के लिए एयरपोर्ट का पूरी तरह से सुरक्षित होना ज़रूरी है, इसलिए मुझे लगता है कि ऐसे कथित कामों से वो शख़्स समुदाय के लिए ख़तरा बन गया."
शहर के हवाई अड्डों की देखरेख करने वाले शिकागो विमानन विभाग ने एक बयान में कहा, "ये घटना जांच के दायरे में है, हालांकि हमने पाया कि इस सज्जन ने हवाई अड्डे या यात्रा करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए किसी तरह का ख़तरा पैदा नहीं किया." (bbc)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रॉस एडहॉनम गीब्रिएसुस ने कहा है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन आने से इसे पाने के लिए होड़ मची है लेकिन इस होड़ में दुनिया के ग़रीब देशों के पिछड़ने का डर है.
सोवमार देर शाम जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि एक तरफ जब कोरोना वैक्सीन हमारे लिए उम्मीद ले कर आई है वहीं दूसरी तरफ इसके कारण पैदा होने वाला असल ख़तरा भी सामने आ रहा है. दुनिया के अमीर देशों और ग़रीब देशों के बीच असामनता की दीवार है जो इसके वितरण में बड़ी रुकावट साबित हो सकती है.
उन्होंने कहा, “ये अच्छी बात है कि सरकारें अपने स्वास्थ्यकर्मियों और बूढ़ों को पहले वैक्सीन देना चाहती है. लेकिन ये सही नहीं है कि अमीर देशों के युवाओं और स्वस्थ वयस्कों को वैक्सीन की खुराक ग़रीब मुल्कों में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मियों और बूढ़ों से पहले मिले.”
उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में कम से कम 49 अमीर मुल्कों में जहां लोगों को वैक्सीन की 3.9 करोड़ खुराक दी गई है, वहीं ग़रीब मुल्कों में इसकी केवल 25 खुराक ही लोगों को मिली है.
उन्होंने कहा कि ये आंकड़ा बताता है कि विश्व एक भयावह नैतिक विफलता के कगार पर है और इसकी क़ीमत दुनिया के सबसे गरीब देशों के लोगों को चुकानी पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि वैक्सीन के वितरण में समानता लाना न केवल देशों की नैतिक जिम्मेदारी है बल्कि ये रणनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण होगा.
उन्होंने कहा कि वैक्सीन पाने की होड़ के कारण दुनिया के ग़रीब ख़तरे में होंगे और इससे महामारी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हो सकेगी. उन्होंने सभी मुल्कों से अपील की की साल के पहले सौ दिनों के भीतर दुनिया के सभी स्वास्थ्यकर्मियों और बूढ़ों को कोरोना की वैक्सीन दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि बीते कई महीनों से संगठन सभी मुल्कों में समान रूप से वैक्सीन पहुंचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है. संगठन ने पांच उत्पादकों से वैक्सीन की 2 अरब खुराक सुरक्षित कर ली है और उसे वैक्सीन की और एक अरब खुराक भी मिलने वाली है. संगठन फरवरी में लोगों को वैक्सीन देना शुरू करेगा. (बीबीसी)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 18 जनवरी | अमेरिका की नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ओकलैंड, कैलिफोर्निया, अर्बाना शैम्पेन, इलिनॉय, बर्कले, क्यूबेक, कनाडा, वाशिंगटन, डी.सी. के बाद दो बार कैलिफोर्निया का सफर कर चुकी हैं, और अब व्हाइट हाउस पहुंचने जा रही हैं।
जब कमला हैरिस आखिरकार देश के बेहद प्रभावशाली ओहदे पर पहुंची हैं तो यह अमेरिका में उनके लंबे सफर का एक परमोत्कर्ष है।
कमला हैरिस ने अपने संस्मरण 'द ट्रथ्स वी होल्ड' में लिखा है, "मैं 12 साल की थी और फरवरी में कैलिफोर्निया से दूर स्कूल के साल के मध्य में, 12 फीट बर्फ से ढके एक फ्रांसीसी भाषी विदेशी शहर में जाने का विचार परेशान कर देने वाला था।"
अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में हैरिस का आगमन पहियों की कहानी है, जो रुक-रुक कर चलती है, और नई दिशाओं में निकलती है। सबसे पहले, उनके माता-पिता अकादमिक उपलब्धि की तलाश में आए और फिर हैरिस ने अपने राजनीतिक करियर में चार चांद लगाया।
उन्होंने 2019 के एक साक्षात्कार के दौरान पत्रकार डैना गुडइयर को बताया था, "मेरे बचपन की बहुत ज्वलंत स्मृति मेफ्लावर ट्रक थी।" मेफ्लावर अमेरिका की सबसे बड़ी पूर्ण सेवा वाली मूविंग कंपनियों में से एक है।
हैरिस ने गुडइयर से कहा, "हम बहुत आगे बढ़ गए।"
लेकिन अमेरिकी शहरों के बीच हैरिस की यात्रा लगभग एक महिला यात्री के बाद आता है और हैं उनकी मां श्यामला गोपालन, जो तमिलनाडु की हैं।
जब श्यामला 1958 में अमेरिका आई थीं तो तब वह 19 साल की थीं और अपने परिवार से विदेश में पढ़ने जाने वाली पहली शख्स थीं। उन्होंने एक ऐसी यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था, एक ऐसे देश में थीं, जहां पहले वह कभी नहीं गई थीं।
कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस का भी कुछ ऐसा ही सफर रहा था। वर्ष 1961 में कमला के माता-पिता से मुलाकात हुई और 1963 में शादी हुई।
कुल मिलाकर कमला हैरिस की कहानी एक मंजी हुई यात्री की है।
जब वह उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी, तब यह उनकी मां की मातृभूमि मद्रास और पिता की मातृभूमि ब्राउन्स टाउन (जमैका) के लिए एक सर्वश्रेष्ठ उपहार होगा। (आईएएनएस)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 18 जनवरी | अमेरिका के निर्वतमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन अमेरिकी राष्ट्रपतियों में शामिल हो रहे हैं, जो नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगे। इसके साथ ही वह एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने प्रतिद्वंद्वी की जीत को स्वीकार नहीं करते हुए भीड़ को कैपिटल हिल पर हमला करने के लिए उकसाया और इतना ही नहीं वह अमेरिकी इतिहास में दो बार महाभियोग का सामना करने वाले भी पहले राष्ट्रपति हैं।
1801 में जॉन एडम्स अपने उत्तराधिकारी थॉमस जेफरसन के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए थे।
1829 में, व्यक्तिगत अपमान के साथ एक कड़वी लड़ाई लड़ने के बाद, जॉन क्विंसी एडम्स ने एंड्रयू जैक्सन के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया था।
जब शपथ ग्रहण समारोह से पहले जैक्सन की पत्नी की मृत्यु हो गई, तो भावी राष्ट्रपति ने अपने विरोधी पर तनाव को बढ़ाने का आरोप लगाया।
1869 में, जॉनसन ने खुद को यूलेसीस एस ग्रांट के शपथ समारोह से अनुपस्थित कर दिया और व्हाइट हाउस में रहकर अंतिम मिनट के कानून पर हस्ताक्षर करने में मशगूल रहे। ग्रांट ने इस समारोह के लिए व्हाइट हाउस से कैपिटल के लिए जॉनसन के साथ जाने से इनकार कर दिया।
रिचर्ड निक्सन ने जेराल्ड फोर्ड के शपथ ग्रहण से पहले व्हाइट हाउस के लॉन से एक हेलीकॉप्टर में उड़ान भरी।
ट्रंप की अनुपस्थिति को लेकर कोई हैरानी नहीं है क्योंकि उन्होंने चुनाव परिणामों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
वहीं, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि वह ट्रंप के दूर रहने से खुश हैं।
जब उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस से यह सवाल किया जाता है तो वह आमतौर मुस्कुराहट या हंसी के साथ पल्ला झाड़ लेती हैं। (आईएएनएस)
सऊदी अरब चाहता है कि उसके यहां रहने वाले लगभग 54 हजार रोहिंग्या लोगों को बांग्लादेश वापस ले ले. बांग्लादेश अगर इसके लिए राजी होता है तो उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
डॉयचे वैले पर जोबैर अहमद की रिपोर्ट
डीडब्ल्यू के साथ एक हालिया इंटरव्यू में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा था कि बांग्लादेश सऊदी अरब में रहने वाले कुछ रोहिंग्या लोगों को कानूनी दस्तावेज मुहैया करा सकता है.
रोहिंग्या मुसलमानों का संबंध म्यांमार के पश्चिमी प्रांत रखाइन से है. लेकिन म्यांमार उन्हें अपना नागरिक नहीं मानता. अपने साथ भेदभाव और दमन से बचने के लिए बहुत से रोहिंग्या लोगों ने दूसरे देशों में शरण ली है. इनमें सबसे ज्यादा लोग बांग्लादेश में रहते हैं.
लगभग 40 साल पहले सऊदी अरब ने दसियों हजार रोहिंग्या लोगों को लिया था. सितंबर 2020 में सऊदी अरब ने कहा था, "अगर बांग्लादेश इन शरणार्थियों को अपना पासपोर्ट जारी करता है तो इससे बहुत मदद होगी क्योंकि सऊदी अरब नागरिकता विहीन लोगों को अपने यहां नहीं रखता."
सऊदी अरब में रहने वालो रोहिंग्या लोगों के पास किसी देश की नागरिकता नहीं है. यहां तक कि शरणार्थियों के जो बच्चे सऊदी अरब में पैदा हुआ हैं और अरबी भाषा बोलते हैं, उन्हें भी सऊदी अरब की नागरिकता नहीं दी गई है.
बांग्लादेश भी रोहिंग्या लोगों को अपना नागरिक नहीं मानता है. इसलिए कई विशेषज्ञ कहते हैं कि विदेश मंत्री मोमेन का यह बयान उनके देश को मुश्किल में डाल सकता है कि बांग्लादेश कुछ रोहिंग्या को पासपोर्ट दे सकता है. इससे रोहिंग्या लोगों की वापसी के लिए म्यांमार से होने वाली वार्ता पर असर पड़ सकता है.
इनका कोई देश नहीं
रोहिंग्या लोगों का कोई देश नहीं है. यानी उनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है. रहते वो म्यामांर में हैं, लेकिन वह उन्हें सिर्फ गैरकानूनी बांग्लादेशी प्रवासी मानता है.
मोमेन ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा था, "हमने इस बारे में सऊदी अधिकारियों से बात की है और उन्हें भरोसा दिलाया है कि हम उन लोगों के पासपोर्ट रिन्यू कर देंगे जो बांग्लादेश से सऊदी अरब गए."
विदेश मंत्री ने बताया कि बहुत सारे रोहिंग्या लोगों ने बांग्लादेशी अधिकारियों को रिश्वत देकर पासपोर्ट हासिल किए थे. उन्होंने कहा, "2001, 2002 और 2006 में बहुत से रोहिंग्या लोग बांग्लादेशी पासपोर्ट पर सऊदी अरब गए. कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने उन्हें ये पासपोर्ट जारी किए."
लेकिन बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने साफ कहा कि उनका देश इन शरणार्थियों के बच्चों की कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा. उन्होंने कहा, "ये रोहिंग्या 1970 के दशक से बांग्लादेश में नहीं रह रहे हैं. उनके बच्चों की पैदाइश और परवरिश दूसरे देशों में हुई. उन्हें बांग्लादेश के बारे में कुछ नहीं पता. उनकी परवरिश अरब लोगों की तरह हुई है."
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन
बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने कुछ लोगों को पासपोर्ट देने की बात कही
मोमेन का कहना है कि सऊदी अरब सारे रोहिंग्या लोगों को वापस नहीं भेजना चाहता, "जिन लोगों को सऊदी नागरिकता मिल गई है, वे वहीं रहेंगे."
सऊदी अरब में लगभग तीन लाख रोहिंग्या लोगों को पहले ही वर्क परमिट मिल गया है. जिन 54 लोगों को सऊदी अरब वापस भेजना चाहता है, उनमें से ज्यादातर के पास बांग्लादेश से सऊदी अरब आते हुए बांग्लादेशी पासपोर्ट था या फिर उन्हें सऊदी अरब में मौजूद बांग्लादेशी कंसुलेट से पासपोर्ट मिला.
कौन ले जिम्मेदारी?
ढाका स्थित रिफ्यूजी एंड माइग्रेटरी मूवमेंट नाम की संस्था के कार्यकारी निदेशक सीआर अबरार कहते हैं कि अगर इन लोगों के पास बांग्लादेशी पासपोर्ट हैं तो उनकी जिम्मेदारी बांग्लादेश को लेनी चाहिए. लेकिन शरणार्थियों की वापसी के लिए जिस तरह से सऊदी अरब बांग्लादेश पर दबाव बना रहा है, वह उसकी भी निंदा करते हैं.
वह कहते हैं, "बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत नहीं है. फिर भी उसने इन लोगों को लेकर बहुत हिम्मत दिखाई है. सऊदी अरब को बांग्लादेश पर और दबाव नहीं डालना चाहिए."
अबरार कहते हैं कि रोहिंग्या लोग आर्थिक कारणों से प्रवासी नहीं बने हैं, "वे एक प्रताड़ित समुदाय हैं. सऊदी अरब को यह बात समझनी चाहिए."
अबरार कहते हैं कि अगर बांग्लादेश सऊदी अरब से रोहिंग्या लोगों को ले लेता है तो इससे इन शरणार्थियों की वापसी के लिए म्यांमार से हो रही बातचीत में बांग्लादेश का रुख कमजोर होगा. उनका मानना है, "म्यांमार इस बात का फायदा उठाने की कोशिश करेगा और बांग्लादेश पर दबाव डालेगा कि वह और ज्यादा रोहिंग्या लोगों को अपनी नागरिकता दे."
अमेरिका की इलिनॉय स्टेट यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र पढ़ाने वाले अली रियाज कहते हैं कि यह बांग्लादेश के लिए एक मुश्किल परिस्थिति है. लेकिन वह इस बात को नहीं मानते कि सऊदी अरब वाले मुद्दे की वजह से म्यांमार के साथ होने वाली वार्ता में बांग्लादेश के रुख पर कोई असर होगा.
रियाज ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "ये दोनों अलग अलग मुद्दे हैं. कुछ रोहिंग्या लोगों को नागरिकता देने का यह मतलब नहीं है कि बांग्लादेश सारे रोहिंग्या लोगों को अपना लेगा."
रविवार 17 जनवरी तक देश में 2,24,301 प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को कोविड-19 के खिलाफ टीका लग चुका लग था. उत्तर प्रदेश में टीका लेने के बाद एक सरकारी अस्पताल के कर्मचारी की मृत्यु हो गई है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि दुष्प्रभाव के अधिकतर मामले दर्द, सूजन, हल्का बुखार, बदन-दर्द, मतली, चक्कर आना और त्वचा पर दाने आना जैसी एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाओं तक सीमित है. हालांकि जिन 447 लोगों को दुष्प्रभाव हुए उनमें से तीन को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ गई. बाद में उनमें से दो को अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई, लेकिन एक व्यक्ति अभी भी ऋषिकेश एम्स अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी है.
लेकिन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक सरकारी अस्पताल के एक कर्मचारी की टीका लगने के 24 घंटों बाद मृत्यु हो गई. जिले के मुख्य मेडिकल अधिकारी (सीएमओ) ने कहा है कि 46-वर्षीय अस्पताल कर्मचारी महिपाल सिंह की मृत्यु का टीके से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने बताया कि महिपाल को शनिवार को टीका लगाया गया था और रविवार को उन्हें सांस फूलने और सीने में जकड़न की शिकायत हुई और कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई.
मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार सीएमओ ने कहा है कि महिपाल के निधन का कोविड-19 के टीके से कोई संबंध लग नहीं रहा है और आगे की जानकारी उनकी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने पर दी जाएगी. इसके अलावा भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को लेकर विवाद बना हुआ है. मीडिया में आई रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि कोवैक्सिन लेने से पहले जिस स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर करना पड़ता है उस पर स्पष्ट लिखा हुआ है कि यह एक क्लीनिकल ट्रायल है और इसी वजह से लोगों में इस टीके को लेकर संशय बना हुआ है.
केंद्र सरकार के अस्पतालों में इस समय कोवैक्सिन ही दी जा रही है. दिल्ली स्थित केंद्रीय अस्पताल राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन ने अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को चिट्ठी लिख कर कहा है कि चूंकि कोवैक्सिन का परीक्षण अभी तक पूरा नहीं हुआ है और इस वजह से उसे लेने को लेकर अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों को इस टीके को लेकर आशंकाएं हैं.
इसलिए उन्होंने मांग की है कि उन्हें कोवैक्सिन की जगह सीरम इंस्टीट्यूट का टीका कोविशील्ड दिया जाए. हालांकि उनकी इस मांग पर अस्पताल ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. देश में टीकाकरण तय कार्यक्रम के तहत आगे बढ़ रहा है. सभी राज्यों को सप्ताह में कम से कम चार दिन टीकाकरण करने के लिए कहा गया है, ताकि अस्पतालों की सेवाएं भी बाधित ना हों.
सूमी खान
ढाका, 18 जनवरी | बांग्लादेश की सरकार ने मार्च, 2020 के बाद से अलग-अलग समयों पर 23 बेलआउट पैकेजों को लॉन्च किया है ताकि कोविड-19 की वजह से हुई कमजोर आर्थिक स्थिति को थोड़ा बल मिल सके।
वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, रविवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाशिए पर रह रहे ग्रामीणों की जिंदगी में सुधार लाने के मकसद से दो नई योजनाओं को मंजूरी दे दी, जिनकी कीमत 2,700 करोड़ टका आंकी जा रही है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार ने अभी तक इन सभी संगठनों और एजेंसियों के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले ऋण पर ब्याज दरों पर कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन लाभार्थियों को कम ब्याज पर ऋण मुहैया कराया जाएगा।
धनराशि को जारी करने से पहले वित्त विभाग द्वारा उनकी मौजूदा दरों की चर्चा और समीक्षा की जाएगी और इस पर कोई ठोस फैसला लिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि नए पैकेजों का कार्यान्वयन जल्द ही शुरू होगा।
वित्तीय सहायता की कुल राशि इस वक्त 124,053 करोड़ टका है यानि कि देश के सकल घरेलू उत्पाद का 4.44 प्रतिशत।
मंत्रालय द्वारा हाल ही में आयोजित बैठकों में इन प्रोत्साहन पैकेजों के समग्र पहलुओं पर चर्चा की गई और तमाम हितधारकों की सिफारिशों के बाद ही इन नई योजनाओं को मंजूरी दी गई है।
इस चर्चा में व्यापारिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और बैंकों के प्रतिनिधियों, विकास भागीदारों और एजेंसियों ने सरकारी और अर्ध-सरकारी एजेंसियों के माध्यम से कुटीर, लघु और मध्यम उद्योगों (एसएमई) में धनराशि के विस्तार का सुझाव दिया।
इस बयान में आगे कहा गया कि उन्होंने हाशिए पर रह रहे लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने और गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करने के लिए भी कदम उठाने की बात कही है।
1,500 करोड़ टका के इस पैकेज के तहत सरकार विभिन्न सरकारी और अर्ध-सरकारी एजेंसियों के माध्यम से सूक्ष्म और कुटीर उद्यमियों को ऋण देगी, जिनमें एसएमई फाउंडेशन, बांग्लादेश स्मॉल एंड कॉटेज इंडस्ट्रीज कॉपोर्रेशन और बांग्लादेश एनजीओ फाउंडेशन शामिल होंगे ताकि महामारी के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गति लाई जा सके।
300 करोड़ टका की धनराशि एसएमई फाउंडेशन को प्रदान किए जाएंगे ताकि वे कुटीर उद्योगों में अपने परिचालन का विस्तार कर सके और साथ ही इसके माध्यम से महिला उद्यमियों की भी मदद की जाएगी।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, एसएमई फाउंडेशन द्वारा छोटे व्यवसायों और उद्यमियों के बीच ऋण का प्रसार किया जाएगा ताकि महामारी की वजह से पैदा हुई आर्थिक मंदी की स्थिति का भली-भांति सामना किया जा सके।
इसके अलावा, पैकेज के तहत बांग्लादेश लघु और कुटीर उद्योग निगम को 100 करोड़ रुपये मिलेंगे। देश भर में छोटे-छोटे प्रयासों का समर्थन करने के लिए स्थापित राज्य द्वारा संचालित यह निगम अपने मौजूदा क्रेडिट कार्यक्रमों के तहत अपने यहां के छोटे उद्यमियों और औद्योगिक इकाइयों को ऋण प्रदान करेगा।
पैकेज में व्यवसाय के ²ष्टिकोण से महिलाओं को भी वित्तीय सहायता दी जाएगी, जो आर्थिक मंदी की वजह से काफी प्रभावित हुई हैं।
महिलाओं के उपक्रमों का समर्थन करने और महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए एक सरकारी पहल के तहत जोइता फाउंडेशन को 50 करोड़ टका मिलेंगे। ऋण प्रदान करने के अलावा फाउंडेशन द्वारा महिला उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके अलावा, सामाजिक विकास फाउंडेशन पल्ली दोरिद्रो विमोचन फाउंडेशन और बांग्लादेश पल्ली डेवलपमेंट बोर्ड को भी क्रमश: 300-300 करोड़ टका दिए जाएंगे और स्मॉल फार्मस डेवलपमेंट फाउंडेशन को 100 करोड़ टका मिलेगा।
मार्च 2020 में, सरकार ने देश में महामारी के शुरू होने के बाद से कुटीर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए 20,000 करोड़ टका के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। हालांकि, बड़े औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों की तुलना में यहां ऋणों के वितरण की दर कम थी।
1,200 करोड़ टका पैकेज के तहत गरीबी से प्रभावित देश के 150 उप-जिलाओं में सुविधाहीन बुजुर्गों, विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को सहायता के रूप में धनराशि प्रदान की जाएगी। लाभार्थियों को एक महीने में 500 टका का भत्ता मिलेगा। पैकेज को वित्तीय वर्ष 2021-2022 में लागू किया जाएगा। (आईएएनएस)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 18 जनवरी (आईएएनएस)| कमला देवी हैरिस, विवेक मूर्ति, गौतम राघवन, माला अडिगा, विनय रेड्डी, भरत राममूर्ति, नीरा टंडन, सेलिन गाउंडर, अतुल गवांडे कुछ ऐसे भारतीय अमेरिकी नाम हैं जो अब किसी भी समय की तुलना में वहाइट हाउस के गलियारे में ज्यादा मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।
अब तक, लगभग दो दर्जन भारतीय-अमेरिकियों को बाइडेन-हैरिस ए-टीम में ज्यादा प्रभावशाली पदों पर नियुक्त या नामित किया गया है।
रिपब्लिकन सीनेटर डेविड पेरड्यू, निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी, ने कमला हैरिस को कह-मह-मह-लाह या काह-माह-लाहऔर कमला-माला-माला कहा! उन्होंने कुछ ऐसा बोलकर 3 नवंबर, 2020 के चुनाव से पहले कमला हैरिस का मजाक उड़ाया था।
जैसा कि पेरड्यू ने खुद का एक तमाशा बनाया था, बहुत कम ही उन्हें या ट्रंप को पता था कि दो दर्जन भारतीय नाम 2021 में व्हाइट हाउस में अपनी जगह बनाएंगे।
6 जनवरी तक, जिस दिन एक हिंसक समर्थक ट्रंप भीड़ ने वाशिंगटन डीसी में कैपिटल बिल्डिंग पर हमला किया, हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी के सहयोगियों ने जॉर्जिया सीनेट की दोनों सीटों पर जीत हासिल कर ली थी, जिसने अमेरिका के शक्ति संतुलन को बदल दिया।
जब हैरिस और बाइडेन शपथ लेंगे तो वे चिकित्सा, अर्थशास्त्र, डिजिटल संचार और स्टोरी टेलिंग सहित विषय वस्तु विशेषज्ञता के एक विस्तृत आर्क के पार भारतीय-अमेरिकी सफलता की कहानियों के व्हाइट हाउस में आने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
इन नामों में गौतम राघवन, विवेक मूर्ति, माला अडिगा, विनय रेड्डी, भारत राममूर्ति, नीरा टंडन, सेलीन गाउंडर शामिल हैं।
हैरिस ने अपना नाम अमेरिका को समझाने में बहुत समय बिताया है। जिसका अर्थ कमल का फूल होता है।
कमला, देवी लक्ष्मी के 108 नामों में से एक है, जो भारतीय हिंदू संस्कृति में धन, समृद्धि और सौभाग्य की शक्ति है।
आईएएनएस के साथ हालिया बातचीत में, राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और एएपीआई डेटा के संस्थापक कार्तिक रामकृष्णन ने 'बहुत ही विशेष तमिल ब्राह्मण अनुभव' की ओर इशारा किया, जिसकी झलक कमला हैरिस में देखने को मिलती है।
अगस्त 2020 में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन के दौरान, कमला हैरिस ने इन शब्दों में खुद को अमेरिकी जनता के समक्ष पेश किया था, "एक और महिला है, जिसका नाम ज्ञात नहीं है, जिसकी कहानी साझा नहीं की गई है। एक अन्य महिला जिसके कंधे पर मैं खड़ी हूं और वह मेरी मां-श्यामला गोपालन हैरिस हैं।"
हालांकि, समानांतर में, सांस्कृतिक परिवर्तन की एक विधि के रूप में परिवर्तनों को नाम देने के लिए अमेरिका कोई अजनबी नहीं है।
जिस किसी ने भी कमला के नाम का मजाक उड़ाना अच्छा विचार समझा, उसका यह मिथक वह वर्ष 2020 में टूट गया।
चीन के ताज़ा सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से सिर्फ़ चीन ने ही साल 2020 में बढ़ोतरी दर्ज की है.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चीन की जीडीपी की विकास दर 2.3 फ़ीसदी रही है. साल के आखिरी तिमाही में ये दर 6.5 फीसदी रही वहीं तीसरी तिमाही में ये दर 4.9 फीसदी थी.
कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की परिस्थिति में 2020 के शुरूआती तीन महीने में चीन की अर्थव्यस्था 6.8 फीसदी तक गिर गई थी.
वायरस के लिए कंटेनमेंट ज़ोन तय करने और आपातकालीन सहायताओं के कारण चीन का व्यापार और अर्थव्यवस्था फिर से एक बार पटरी पर लौटने लगी थी.
हालांकि कोविड-19 का असर अब तक बरक़रार है, देशभर में लगे शटडाउन और बंद पड़े कई मैन्युफ़ैक्चरिंग प्लांट ने अर्थव्यवस्था को धीमी विकास दर की ओर धकेल दिया है. वर्तमान जीडीपी के आंकड़े बीते 40 साल में चीन की सबसे धीमी विकास-दर दर्शाते हैं.
सोमवार को सामने आए आंकड़ों के मुताबिक़ चौथी तिमाही में चीन के औद्योगिक उत्पादन में 7.3 फीसदी की बढ़त और रिटेल सेक्टर में 4.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है.
कई विश्लेषकों के मत हैं कि साल 2021 में अर्थव्यस्था और तेज़ी से आगे बढ़ेगी लेकिन इसके विपरीत चीन के सांख्यिकी ब्यूरो ने टिप्पणी की है कि "विदेश और देश में भयानक और जटिल परिस्थितियां पैदा हुई है, महामारी का 'बड़ा असर' पड़ा है."
गुरुवार को सामने आए आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर महीने में चीन के निर्यात में उम्मीद से अधिक वृद्धि हुई क्योंकि दुनिया भर में कोरोनो वायरस के प्रकोप के दौरान ने चीनी सामानों की मांग को बढ़ी है. इसके अलावा चीन ने 2020 में कच्चे तेल, तांबा, लौह अयस्क और कोयले की रिकॉर्ड खरीदारी की है.
जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में चीनी मुद्रा युआन के मज़बूत होने के बावजूद चीनी सामान की बिक्री बढ़ी है. युआन के मज़बूती से निर्यात महंगा हो जाता है.
इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट में बतौर प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट काम करने वाली यूए सू कहती हैं, "जीडीपी के आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था अब सामान्य हो रही है. अभी भी चीन के उत्तरी प्रांतों में कोरोना के नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं जिससे अर्थव्यवस्था को मामूली झटका लग सकता है, लेकिन उम्मीद यही है कि अर्थव्यवस्था के सुधरने की गति बरकरार रहेगी."
बीते महीने चीन के नेताओं ने एक एजेंडा बैठक में तय किया था कि इस साल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी नीतियों का समर्थन किया जाएगा और चीन किसी भी तरह के अचानक नीतियों के परिवर्तन से बचेगा.
चीन की अर्थव्यवस्था में ऐसे वक़्त में बढ़त देखी जा रही है, जब दुनिया के बाक़ी देश कमज़ोर मांग, लाखों नौकरियां जाने और बंद होते कारोबारों से जूझ रहे हैं.
एक कठोर लॉकडाउन की वजह से 2020 की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में 6.8 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई, इसके बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था का इंजन अब फिर से रफ़्तार पकड़ने लगा है.
लेकिन हमें चीन के डेटा को लेकर हमेशा चौकसी बरतनी चाहिए. चीन की अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझने के लिए हमें आंकड़ों के बजाए डेटा के कर्व को देखना चाहिए. ये आंकड़े दिखाते हैं कि शहरों में कठोर और तुरंत लॉकडाउन लगाने की चीन की रणनीति ने काम किया. सरकार के नेतृत्व में निवेश और चीनी सामानों के लिए वैश्विक मांग पैदा करने के कदम ने तेज़ रिकवरी और निर्यात बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई.
हालांकि चीन की ये सालाना वृद्धि दर 40 से भी ज़्यादा सालों में सबसे कम रही है. एक तरफ वायरस के दोबारा पैर पसारने की चिंताओं ने चीनी ग्रोथ की भविष्य की तस्वीर को धुंधला कर दिया है और उपभोक्ता मांग अब भी कमज़ोर है, तो दूसरी तरफ चीन अमेरिका के साथ अपने तल्ख़ रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहा है. हालांकि ऐसा लगता नहीं है कि अमेरिका का नया प्रशासन चीन पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुक़ाबले नरम रवैया अपनाएगा.
इसमें कोई शक नहीं है कि ये सभी चुनौतियां 2021 में चीन के विकास पर असर डालेंगी, लेकिन संभावना है कि चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तो बेहतर स्थिति में ही होगा. (bbc.com)
जकार्ता, 18 जनवरी | इंडोनेशिया में आए एक शक्तिशाली भूकंप और बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 96 हो गई है और इस वक्त करीब 70,000 लोग विस्थापित हुए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है। एजेंसी के एक प्रवक्ता रादित्य जाति ने कहा कि पश्चिम सुलावेसी प्रांत में 14 व 15 जनवरी को 6.2 तीव्रता के भूकंप और 5.9-तीव्रता के इसके आफ्टरशॉक के बाद कुल 81 लोगों ने अपनी जानें गंवाई हैं।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच दक्षिण कालिमंतान में 14 जनवरी को बाढ़ आने के चलते 15 लोगों की मौत हो चुकी है।
जाति ने कहा कि भूकंप आने की वजह से करीब 28,000 लोगों को दक्षिणी सुलावेसी प्रांत के शहर मामुजू और मैजेने जिले में बने 25 शिविरों में विस्थापित होना पड़ा, जबकि बाढ़ के चलते लगभग 40,000 निवासियों को दक्षिणी कालिमंतान प्रांत में मजबूरन विस्थापित होना पड़ा।
उन्होंने आगे बताया कि भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए घरों की संख्या जिले में 1,150 हो गई है और पांच विद्यालयों को भी नुकसान पहुंचा है। शहर और जिले में भूंकप के फिर से आने की आशंका बनी हुई है।
एजेंसी के प्रमुख डॉनी मोनाडरे के मुताबिक, "लोगों को प्रभावित इलाकों से बाहर निकालने की प्रक्रिया में कोविड-19 के फैलने की आशंका को ध्यान में रखते हुए रैपिड टेस्ट कराए जा रहे हैं और विस्थापित लोगों के लिए बने शिविर भी एक-दूसरे से दूर-दूर बनाए गए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "ये पीड़ित किसी भी तरह से कोविड-19 वायरस की चपेट में न आए, यह सुनिश्चित करने के लिए एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था होगी।"
जाति ने यह भी बताया, इस बीच, दक्षिण कालिमंतान प्रांत में आए बाढ़ की वजह से करीब-करीब 25,000 मकान ढ़ह गए हैं।
उन्होंने कहा कि 14 जनवरी से एक आपातकालीन स्थिति घोषित की गई है और जोखिम के होने की भविष्यवाणी की गई है। (आईएएनएस)
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक अलेक्सी नावाल्नी को रूस लौटते ही गिरफ्तार कर लिया गया है. उनकी गिरफ्तारी की वैश्विक नेताओं ने आलोचना की है. अमेरिका ने नावाल्नी की गिरफ्तारी को विरोधियों को चुप कराने वाला कदम बताया.
मॉस्को एयरपोर्ट पर विपक्षी नेता नावाल्नी को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वे कई महीनों बाद अपना इलाज कराकर जर्मनी से लौटे थे. नावाल्नी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कटु आलोचक माना जाता है. पिछले साल 20 अगस्त को उनकी विमान यात्रा के दौरान तबियत बिगड़ गई थी और विमान की आपात लैंडिंग करानी पड़ी थी. बाद में पता चला कि उन्हें जहर दिया गया था. नावाल्नी का इलाज जर्मनी में चल रहा था. नावाल्नी के साथ हुई घटना के बाद पश्चिमी देशों ने इसकी कड़े शब्दों में आलोचना की थी. नावाल्नी का कहना था उन्हें नर्व एजेंट देने का आदेश पुतिन ने दिया था.
अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों, कनाडा की सरकार और अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के एक वरिष्ठ सहयोगी ने नावाल्नी की तत्काल रिहाई का आग्रह किया है. अधिकार समूहों ने भी रिहाई की मांग की है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आरोप लगाया है कि रूसी सरकार नावाल्नी को चुप कराने के लिए "अथक अभियान" चला रही है. यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने ट्विटर पर लिखा कि नावाल्नी की गिरफ्तारी "अस्वीकार्य" है जबकि फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि गिरफ्तारी "गंभीर चिंता" का विषय है. बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने कहा, नावाल्नी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए और उनपर हमले के अपराधियों को पकड़कर सजा दी जानी चाहिए."
गिरफ्तारी की आलोचना
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ ने कहा है कि अमेरिका इसकी "कड़ी निंदा" करता और उन्होंने गिरफ्तारी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा रूसी सरकार की आलोचना करने वाली आवाजों को दबाने का यह ताजा प्रयास है. रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखरोवा ने पलटवार करते हुए फेसबुक पोस्ट में लिखा कि विदेशी नेता "अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करें" और "अपने देश की समस्याओं से निपटें."
एएफपी के मुताबिक 44 साल के नावाल्नी जब बर्लिन की फ्लाइट से मॉस्को पहुंचे तो उनका सामना पासपोर्ट कंट्रोल के पास वर्दी वाले पुलिसकर्मयिों से हुआ. उन्होंने अपनी पत्नी युलिया को गले लगाया, जो जर्मनी से उनके साथ यात्रा कर आई थीं. वहां से पुलिस नावाल्नी को लेकर चली गई. उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें एयरपोर्ट के नजदीक एक पुलिस स्टेशन में रखा गया. नावाल्नी की वकील ओल्गा मिखाइलोवा ने कहा कि उन्हें बिना कोई कारण हिरासत में लिया गया और उन्हें साथ जाने नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, "अभी जो भी हो रहा है वह कानून के खिलाफ हो रहा है."
क्रेमलिन के आलोचक
रूस की एफएसआईएन जेल सेवा ने एक बयान में कहा है कि उसने नावाल्नी को 2014 के धोखाधड़ी के निलंबति जेल की सजा के उल्लंघन के मामले में हिरासत में लिया है और कोर्ट का फैसला आने तक उन्हें हिरासत में रखा जाएगा. नावाल्नी धोखाधड़ी के एक मामले में दोषी हैं. एफएसआईएन जेल सेवा ने पहले कहा था कि अगर नावाल्नी शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा, जेल सेवा ने उन्हें कार्यालय में उपस्थिति दर्ज करने को कहा था. शेरमेटयेवो एयरपोर्ट पर हिरासत में लिए जाने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए नावाल्नी ने कहा था कि उन्हें गिरफ्तारी से डर नहीं लगता. उन्होंने कहा, "मुझे खौफ नहीं है...क्योंकि मुझे पता है कि मैं सही हूं, मुझे पता है कि मेरे खिलाफ आपराधिक मामले गढ़े गए हैं."
नावाल्नी के विमान को आखिरी समय में मॉस्को के वुनकोव एयरपोर्ट से शेरमेटयेवो एयरपोर्ट के लिए मोड़ दिया गया. नावाल्नी ने अपने समर्थकों को वुनकोव एयरपोर्ट पर जुटने के लिए कहा था. माना जा रहा है कि प्रशासन के इस फैसले के पीछे पत्रकारों और नावाल्नी के समर्थकों को मिलने से रोकना था. नावाल्नी का इलाज बर्लिन के शारिटे अस्पताल में नोविचोक नाम के नर्व एजेंट (जहर) के लिए चल रहा था. उन्होंने जर्मनी में पांच महीने बिताए और उसके बाद वे रूस लौट थे. जहर देने के लिए उन्होंने क्रेमलिन को जिम्मेदार ठहराया था. मॉस्को नावाल्नी को जहर दिए जाने के आरोपों से इनकार करता आया है, इसके बजाय वह पश्चिमी समर्थित साजिश के आरोपों को दोहराता आया है और हमले की जांच करने से इनकार कर चुका है.
एए/सीके (एएफपी, डीपीए)
सैन फ्रांसिस्को, 18 जनवरी | कैलिफोर्निया काउंटी में 32,904 मामले और 418 नई मौतें सामने आने के बाद राज्य में कुल मामलों की संख्या 29,51,682 और मौतें 33,391 पर पहुंच गई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार तक बे एरिया में कुल मामलों की संख्या 3,34,505 थी और 3,342 लोगों की मौत हो चुकी थी। वहीं सांता क्लारा काउंटी में 1,060 मौतें और 91,466 मामले दर्ज हुए हैं। सैन फ्रांसिस्को में शनिवार को वायरस से 13 लोगों की मौत होने के बाद कुल मौतों की संख्या 254 हो गई थी, यहां अब तक 28,221 मामले दर्ज हो चुके हैं।
कॉन्ट्रा कोस्टा काउंटी में 446 मौतों के साथ, अब तक 51,573 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। शनिवार को भी यहां 946 मामले सामने आए। सैन मेटो काउंटी के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि यहां 554 नए मामलों के बाद कुल मामले 31,204 हो गए हैं। अल्मेडा काउंटी में शनिवार को 919 नए मामले सामने आए और 2 नई मौतें हुईं, अब यहां कुल 65,679 मामले और 757 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।
नॉर्थ बे के सोनोमा, सोलानो, मारिन और नपा काउंटियों में शनिवार को कोई नई मौत नहीं हुई, लेकिन 383 नए मामले आए। अब यहां कुल मामलों की संख्या 66,362 और मौतों की संख्या 531 है।
कैलिफोर्निया के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बे एरिया क्षेत्र में अब आईसीयू की उपलब्धता का प्रतिशत 3.4 प्रतिशत है। (आईएएनएस)
जकार्ता, 18 जनवरी (आईएएनएस)| इंडोनेशिया में आए एक शक्तिशाली भूकंप और बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 96 हो गई है और इस वक्त करीब 70,000 लोग विस्थापित हुए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है। एजेंसी के एक प्रवक्ता रादित्य जाति ने कहा कि पश्चिम सुलावेसी प्रांत में 14 व 15 जनवरी को 6.2 तीव्रता के भूकंप और 5.9-तीव्रता के इसके आफ्टरशॉक के बाद कुल 81 लोगों ने अपनी जानें गंवाई हैं।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच दक्षिण कालिमंतान में 14 जनवरी को बाढ़ आने के चलते 15 लोगों की मौत हो चुकी है।
जाति ने कहा कि भूकंप आने की वजह से करीब 28,000 लोगों को दक्षिणी सुलावेसी प्रांत के शहर मामुजू और मैजेने जिले में बने 25 शिविरों में विस्थापित होना पड़ा, जबकि बाढ़ के चलते लगभग 40,000 निवासियों को दक्षिणी कालिमंतान प्रांत में मजबूरन विस्थापित होना पड़ा।
उन्होंने आगे बताया कि भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए घरों की संख्या जिले में 1,150 हो गई है और पांच विद्यालयों को भी नुकसान पहुंचा है। शहर और जिले में भूंकप के फिर से आने की आशंका बनी हुई है।
एजेंसी के प्रमुख डॉनी मोनाडरे के मुताबिक, "लोगों को प्रभावित इलाकों से बाहर निकालने की प्रक्रिया में कोविड-19 के फैलने की आशंका को ध्यान में रखते हुए रैपिड टेस्ट कराए जा रहे हैं और विस्थापित लोगों के लिए बने शिविर भी एक-दूसरे से दूर-दूर बनाए गए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "ये पीड़ित किसी भी तरह से कोविड-19 वायरस की चपेट में न आए, यह सुनिश्चित करने के लिए एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था होगी।"
जाति ने यह भी बताया, इस बीच, दक्षिण कालिमंतान प्रांत में आए बाढ़ की वजह से करीब-करीब 25,000 मकान ढ़ह गए हैं।
उन्होंने कहा कि 14 जनवरी से एक आपातकालीन स्थिति घोषित की गई है और जोखिम के होने की भविष्यवाणी की गई है।
वो 3 जनवरी 2020 का दिन था. सुपापोर्ण वकाराप्लेसादी डिलीवरी मिलने का इंतजार कर रहीं थीं. दुनियाभर में ख़बर फैल चुकी थी कि चीन के वुहान में रहस्यमयी वायरस की वजह से लोगों में सांस लेने की बीमारी फैल रही है.
चीन में नव वर्ष की छुट्टियां होने वाली थीं और बहुत से चीनी पर्यटक जश्न मनाने के लिए थाइलैंड आने वाले थे. सावधानी बरत रही थाइलैंड सरकार ने वुहान से आने वाले पर्यटकों को एयरपोर्ट पर स्क्रीन करना शुरू कर दिया था. उनसे लिए गए सैंपल को चुनिंदा लैब में भेजा जा रहा था.
सुपापोर्ण की लैब भी इनमें शामिल थी. उनका काम था सैंपल को प्रोसेस करना और समस्या का पता लगाना.
सुपापोर्ण एक सुपर वायरस हंटर हैं. वो बैंकॉक में थाई रेड क्रॉस इमरजिंग इंफेक्सियस डिसीज़ हेल्थ सेंटर चलाती हैं. वो बीते सालों से प्रेडिक्ट कार्यक्रम से जुड़ी हैं जिसका काम भविष्य की महामारियों का पता लगाना और उन्हें रोकना है.
उनकी टीम ने कई प्रजातियों के सैंपल लिए हैं लेकिन उनका मुख्य काम चमगादड़ों पर ही है. माना जाता है कि चमगादड़ों में कई तरह के कोरोना वायरस रहते हैं.
उनकी टीम ने कुछ ही दिन में वायरस का पता लगा लिया और चीन के बाहर कोरोना संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि की.
उन्हें पता चला कि ये नया वायरस अब तक इंसानों में नहीं था और ये उन कोरोना वायरस से मिलता जुलता हो सकता है जो उन्होंने पहले ही चमगादड़ों में खोजे थे.
इतनी जल्दी मिली जानकारी की वजह से सरकार संक्रमितों को क्वारंटीन कर पाई और आम लोगों को सही सलाह दे पाई.
थाइलैंड की आबादी क़रीब सात करोड़ है. इसके बावजूद 3 जनवरी 2021 तक थाइलैंड में कोरोना संक्रमण के सिर्फ़ 8955 मामले सामने आए हैं और यहां इस संक्रमण की वजह से सिर्फ़ 65 मौतें ही हुई हैं.
अगला बड़ा ख़तरा?
दुनिया कोरोना संक्रमण के जाल से निकलने की कोशिश कर रही है और उधर सुपापोर्ण और उनकी टीम अगली महामारी की तैयारियां कर रहे हैं.
एशिया में संक्रामक रोक अधिक संख्या में हैं. गर्म वातावरण की वजह से यहां जीवों की प्रजातियां भी ज़्यादा हैं जिसका एक मतलब ये भी है कि यहां पैथोजेन (रोगज़नक़) भी बड़ी तादाद में हैं और इसी वजह से यहाँ नए वायरस के सामने आने का ख़तरा भी अधिक रहता है. बढ़ती आबादी और इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते संपर्क से जानवरों से वायरस के इंसानों में आने का ख़तरा भी बढ़ा है.
सुपापोर्ण और उनकी टीम ने बड़ी तादाद में चमगादड़ों पर परीक्षण किए हैं. उन्होंने हज़ारों चमगादड़ों के सैंपल लिए हैं. इस दौरान उन्होंने कई वायरस भी खोजे हैं. इनमें से अधिकतर कोरोना वायरस हैं. कुछ ऐसे ख़तरनाक रोग भी हैं जो जानवरों से इंसानों में आ सकते हैं.
इनमें निपाह वायरस भी शामिल है. फ्रुट बैट्स या चमगादड़ों में ये प्राकृतिक तौर पर मिलता है.
सुपापोर्ण कहती हैं, 'सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि इसका कोई इलाज नहीं है.'
सुपापोर्ण के मुताबिक इस वायरस से संक्रमित लोगों में 40 से 75 फ़ीसदी तक की मौत हो जाती है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि संक्रमण कहाँ फैला है.
निपाह के ख़तरे को लेकर सिर्फ़ सुपापोर्ण ही चिंतित नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल उन पैथोजेन की समीक्षा करता है जो बड़ी महामारी का कारण बन सकते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि रिसर्च के फंड को सही जगह लगाया जा सके और ख़तरनाक वायरस पर पहले ही शोध किया जा सके.
सबसे ज़्यादा ध्यान उन वायरस पर दिया जाता है जो इंसानों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा ख़तरा होते हैं. जिनमें महामारी बनने की संभावना होती है और जिनका कोई इलाज नहीं होता.
निपाह वायरस डब्ल्यूएचओ के शीर्ष दस वायरस में शामिल है. एशिया में पहले ही वायरस के कई संक्रमण हो चुके हैं, ऐसे में ये भी नहीं कहा जा सकता है ये वायरस की सूची का अंत है.
निपाह के ख़तरनाक होने के कई कारण हैं. इसका इंक्यूबेशन पीरियड (संक्रामक समय) बहुत लंबा है, एक मामले में तो ये 45 दिन था. इसका मतलब ये है कि कई बार संक्रमित व्यक्ति, जिसे शायद पता ही ना हो कि वो संक्रमित है, अनजाने में इसे लोगों में फैला सकता है.
इससे जानवरों की कई प्रजातियां भी संक्रमित हो सकती हैं जिससे इसके और ज्यादा फैलने का ख़तरा बढ़ जाएगा. साथ ही ये वायरस सीधे संपर्क के अलावा दूषित भोजन करने से भी हो सकता है.
निपास से संक्रमित कुछ लोगों में सांस लेने में तकलीफ, खांसी, थकान और दर्द और एनसीफिलाइटिस जैसे लक्षण दिख सकते हैं. एनसीफिलाइटिस होने पर दिमाग में सूजन आने से मौत तक हो सकती है.
ख़तरा हर जगह है
उत्तर पश्चिमी कंबोडिया में सांगके नदी पर बसे बाटमबैंग शहर के एक बाज़ार में महिलाएं फल और सब्ज़ियां बेच रही हैं. पहली नज़र में ये सामान्य बाज़ार ही लगता है लेकिन ध्यान से देखने पर यहां वयारस का ख़तरा मंडराता दिखता है.
ऊपर पेड़ों पर शांति से फ्रूट बैट (चमगादड़) लटक रहे हैं. वो नीचे जा रहे लोगों पर बीट और पेशाब करते हैं. बाज़ार की दुकानों की छतों पर बीट इकट्ठा हो गई है.
वीएसना डांग कहते हैं कि आम लोग और गली के कुत्ते रोजाना यहां से गुजरते हैं और उन पर चमगादड़ के पेशाब के गिरने का ख़तरा बना रहता है.
डांग पनोम पेन में साइंटीफिक रिसर्च लैब के प्रमुख हैं और वो सुपापोर्न की लैब के साथ मिलकर काम करते हैं.
डांग ने कंबोडिया के ऐसे कई इलाकों की पहचान की है जहां जानवर और इंसान चमगादड़ों के सीधे संपर्क में आते हैं. बाटमबैंग बाज़ार उनमें से एक है.
उनकी टीम चमगादड़ों और इंसानों के बीच नज़दीकी संपर्क के हर मौके को वायरस फैलने के मौके के तौर पर देखती है. वो मानते हैं कि इस दौरान संक्रमण के फैलने की संभावना हमेशा बनी रहती है.
डांग कहते हैं, इस तरह का संपर्क वायरस को अपना रूप बदलने का मौका भी दे सकता है और इससे एक नई महामारी की शुरुआत हो सकती है.
ख़तरे के बावजूद चमगादड़ों और इंसानों के करीब आने के मौके के अनगिनत हैं.
डांग कहते हैं कि हम यहां (कंबोडिया) और थाइलैंड में फ्रूट बैट चमगादड़ों पर नजर रखते हैं. बाज़ारों, स्कूलों, धार्मिक स्थलों और अंकोर वाट जैसे पर्यटन स्थलों पर हमारी नज़र रहती है.
डांग कहते हैं, अंकोर वाट में तो चमगादड़ों की बड़ी कॉलोनियां हैं. एक सामान्य वर्ष में 26 लाख से अधिक पर्यटक अंकोर वाट आते हैं.
डांग कहते हैं, ऐसे में सिर्फ़ अंकोर वाट में ही निपाह वायरस के इंसानों में आने के 26 लाख मौके होते हैं. ये सिर्फ एक जगह का आंकड़ा है.
2013 से 2016 के बीच डांग और उनकी टीम ने चमगादड़ों और निपाह वायरस को समझने के लिए चमगादड़ों को जीपीएस डिवाइस के ज़रिए ट्रैक किया था.
उन्होंने कंबोडिया की चमगादड़ों को भारत और बांग्लादेश की चमगादड़ों के साथ तुलनात्मक अध्ययन भी किया.
बांग्लादेश और भारत दोनों में ही निपाह संक्रमण के मामले सामने आए हैं. दोनों ही जगह इस संक्रमण को खजूर का जूस पीने से जोड़कर देखा गया था.
रात में संक्रमित चमगादड़ खजूर के पेड़ पर फल खाने जाते थे और वहीं जूस इकट्ठा करने के लिए रखे गए बर्तन में पेशाब कर देते थे.
इस बात से अनभिज्ञ आसपास के लोग सड़क पर जूस बेच रहे लोगों से जूस पी लेते और संक्रमण उनमें पहुंच जाता.
साल 2001 से 2011 के बीच बांग्लादेश में निपाह संक्रमण के 11 मामले आए जिनमें 196 लोग संक्रमित हुए. इनमें से 150 की मौत हो गई थी.
खजूर का जूस कंबोडिया में भी खासा लोकप्रिय है. डांग और उनकी टीम ने पता लगाया है कि कंबोडिया में चमगादड़ फलों की तलाश में हर रात सौ किलोमीटर तक का सफ़र करते हैं.
वो कहते हैं कि इन इलाक़े के लोगों को सिर्फ़ चमगादड़ों से नज़दीकी संपर्क को लेकर ही नहीं बल्कि उन फलों को खाने को लेकर भी चिंतित होना चाहिए जिन्हें चमगादड़ों ने दूषित किया हो सकता है.
कंबोडिया और थाइलैंड के ग्रामीण इलाक़ों में चमगादड़ों की बीट से खाद भी बनाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में गुआनो कहा जाता है.
ये स्थानीय लोगों के लिए कमाई का एक महत्वपूर्ण ज़रिया भी है. डांग ने ऐसे कई इलाक़ों का पता लगाया है जहां स्थानीय लोग चमगादड़ों को अपने घरों के पास रहने के लिए आकर्षित करते हैं ताकि वो उनकी बीट को खाद के तौर पर बेच सकें.
लेकिन गुआनो बेचने वाले बहुत से लोगों को इससे जुड़े ख़तरों के बारे में कुछ पता नहीं है. डांग कहते हैं कि जिन लोगों को उन्होंने साक्षात्कार किए हैं उनमें से साठ प्रतिशत को नहीं पता है कि चमगादड़ों से बीमारियों हो सकती हैं और उनके संपर्क में आने से ख़तरा हो सकता है.
बाटमबैंग बाज़ार में बतख के अंडे बेच हरहीं सोपोर्ण डेयून से जब चमगादड़ों से जुड़े ख़तरों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि गांव के लोग इनकी कोई परवाह नहीं करते हैं, मैं कभी इनके संपर्क में आने से बीमार नहीं पड़ी हूं.
डांग कहते हैं कि स्थानीय लोगों को चमगादड़ों के बारे में जागरूक करने का अभियान चलाया जाना चाहिए.
supaporn
बदलती हुई दुनिया
मानव इतिहास में ऐसा दौर भी रहा है जब चमगादड़ों से दूर रहना आसान था. लेकिन इंसान दुनिया को बदलता जा रहा है और जानवरों के रहने के ठिकाने नष्ट होते जा रहे हैं. ऐसा करने से नई बीमारियां भी इंसानों में फैल रही हैं.
जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों पर 2020 यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सटर रिव्यू में प्रकाशित एक समीक्षा लेख में लेखिका रीबेका जे व्हाइट और ऑर्ली रेज़गौर ने लिखा था, 'ज़मीनों के इस्तेमाल में हो रहे बदलाव से जानवरों की बीमारियों के इंसानों में आने की दर बढ़ रही है. जंगल काटे जाने, शहरों का विस्तार होने और कृषि का इलाक़ा बढ़ना इसका कारण हैं.'
दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी एशिया प्रशांत क्षेत्र में रहती हैं जहां अब भी बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहहा है. विश्व बैंक के डाटा के मुताबिक साल 2000 से 2010 के बीच पूर्वी एशिया में बीस करोड़ लोग शहरों में आकर बसे.
चमगादड़ों के प्राकृतिक निवास स्थानों के नष्ट होने से पहले भी निपाह संक्रमण हो चुका है. साल 1998 में मलेशिया में हुए निपाह संक्रमण से 100 से ज़्यादा लोग मारे गए थे.
शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि जंगल काटे जाने और प्राकृतिक निवास स्थानों के नष्ट होने की वजह से चमगादड़ फलों के बाग़ानों की तरफ़ गए थे. इनमें सूअर भी पाले जा रहे थे. ये देखा गया है कि चमगादड़ जब तनाव में होते हैं तो वो वायरस छोड़ते हैं.
चमगादड़ों को अपनी जगह छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और जिस नई जगह वो गए वहां उनका संपर्क ऐसे जानवर से हुआ जिसके संपर्क में आमतौर पर वो नहीं रहते थे. इन नई परिस्थितियों में वायरस चमगादड़ों से सूअर में आ गया और फिर सूअर से इंसानों में.
दुनिया भर के 15 प्रतिशत उष्णकटिबंधीय वन एशिया में है लेकिन इस इलाक़े में बड़े पैमाने पर जंगल भी काटे जा रहे हैं. दुनिया में जैव-विविधता को सबसे ज़्यादा नुकसान एशिया में ही हो रहा है. इसकी बड़ी वजह जंगलों को काटा जाना हैं. मलेशिया में ही नारियल की खेती के लिए बड़े पैमाने पर वन काटे जा रहे हैं.
फ्रूट बैट्स आम तौर पर फलों से लदे घने जंगलों में रहते हैं जहां उनके पास खाने के लिए पर्याप्त फल होते हैं. जब उनके घर को नष्ट कर दिया जाता है तो वो अपना पेट भरने के नए तरीके निकालते हैं.
वो घरों में रहने लगते हैं या अंकोर वाट जैसी जगहों में बस जाते हैं.
डांग कहते हैं, जिन चमगादड़ों को हमने रोज़ाना सौ किलोमीटर से अधिक का सफर करते देखा है उनके ऐसा करने का एक कारण ये भी है कि उनके प्राकृतिक निवास स्थानों को नष्ट कर दिया गया.
अब हम ये जानते हैं कि चमगादड़ों में कई भयानक बीमारियों के वायरस होते हैं. जैसे कोविड-19, निपाह, सार्स और इबोला.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्यों न चमगादड़ों से छुटकारा ही पा लिया जाए? लेकिन ऐसा करने से हालात और अधिक खराब ही होंगे.
वन हेल्थ इंस्टीट्यूट लैब से जुड़ीं और प्रेडिक्ट प्रोजेक्ट की लैब निदेशक ट्रेसी गोल्डस्टीन कहती हैं कि चमगादड़ों को मारने के परिणाम भयानक होंगे.
गोल्डस्टीन कहती हैं, 'परिस्थितिक तंत्र में चमगादड़ अहम भूमिका निभाते हैं. वो पांच सौ से अधिक प्रजाति के पेड़ों का पॉलीनेशन (परागण) करते हैं. वे कीड़े खाकर उनकी आबादी को भी नियंत्रित करते हैं. ये मलेरिया जैसी बीमारियों के नियंत्रण में बेहद अहम हैं.'
गोल्डस्टीन के मुताबिक चमगादड़ मानवों के स्वास्थ्य में भी अहम भूमिका निभाते हैं. वो कहती हैं कि यदि चमगादड़ों को मारा गया तो उन पर अपनी आबादी को बढ़ाने का और दबाव आ जाएगा और इससे इंसानों के लिए ख़तरा बढ़ेगा ही.
वो कहती हैं, 'जानवरों के मारने से ख़तरा बढ़ता ही है क्योंकि इससे वायरस छोड़ने वाले जानवरों की संख्या भी बढ़ जाती है.'
डांग की टीम सवालों के जवाब तलाशती है और फिर और सवाल खड़े हो जाते हैं जैसे अभी तक कंबोडिया में निपाह का कोई संक्रमण क्यों नहीं हुआ है? क्या ये सिर्फ़ समय की बात है या फिर कंबोडिया के चमगादड़ मलेशिया के चमगादड़ों से अलग हैं. या कंबोडिया में जो वायरस है वो मलेशिया से अलग है? या फिर जिस तरीके से दोनों देशों में इंसानों का चमगादड़ों से संपर्क है वो अलग है?
डांग की टीम इन सवालों के जवाब तलाशने पर काम कर रही है लेकिन उन्हें अभी जवाब नहीं पता हैं, और डांग की टीम इन सवालों के जवाब की तलाश में अकेले नहीं है. वायरस को पहचानना दुनिया का एक बड़ा साझा प्रयास है जिसमें दुनिया भर के वैज्ञानिक जुटे हैं. बीमारियों को पहचानने की इस कोशिश में सिर्फ़ वैज्ञानिक ही शामिल नहीं है बल्कि आम लोग भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
जब डांग को किसी चमगादड़ के सैंपल में निपाह वायरस मिलता है तो वो उसे डेविड विलियम को भेजते हैं. विलियम ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर डिसीज़ प्रीपेयर्डनेस में इमरजेंसी डिसीज़ लैब के प्रमुख हैं.
निपाह वायरस इतना ख़तरनाक है कि दुनियाभर की सरकारें इसे जैविक हथियार के तौर पर भी देखती हैं. दुनिया के कुछ ही देशों की लैब में इस वायरस को रखने और समझने की अनुमति है.
विलियम की लैब इनमें से एक है. उनकी टीम निपाह वायरस पर दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों में शामिल है. उनके पास ऐसे उपकरण हैं जो अधिकतर लैब में मौजूद नहीं हैं.
वो वायरस के सैंपल से और वायरस पैदा कर लेते हैं और फिर उन पर परीक्षण करके उसे समझते हैं. वो जानने की कोशिश करते हैं कि ये वायरस कैसे फैलता है और किस तरह लोगों को बीमार करता है.
विलियम अपनी लैब में प्राप्त नतीजों को डांग के साथ साझा करते हैं. मैंने विलियम से पूछा कि क्या उनके जैसे लैब का नेटवर्क विकसित करने से इस काम में तेज़ी आएगी तो वो कहते हैं, 'कंबोडिया जैसी जगहों में ऐसी लैब स्थापित करने से निश्चित तौर पर मदद मिलेगी लेकिन इन्हें बनाना और फिर चलाए रखना बहुत महंगा काम है और शायद इसी वजह से हमारी क्षमताएं सीमित हैं.'
हाल के सालों में डांग और सुपापोर्ण जैसे वैज्ञानिकों को काम करने के लिए पर्याप्त फंड भी नहीं मिल पा रहा है.
ट्रंप प्रशासन ने दस सालों के लिए चल रहे प्रेडिक्ट कार्यक्रम को समाप्त होने दिया. हालांकि जो बाइडेन ने इस कार्यक्रम के लिए फिर से फंड जारी करने का भरोसा दिया है.
इसी बीच सुपापोर्ण को एक नए प्रोजेक्ट के लिए फंड मिला है जिसका नाम है थाई वायरोम पोर्जेक्ट. इसके तहत वो सरकार के नेशनल पार्क, वन्यजीव और प्लांट कंज़रवेशन विभाग के साथ मिलकर काम कर रही हैं. इससे सुपापोर्ण बड़े पैमाने पर चमगादड़ों और अन्य जानवरों के सैंपल ले सकेंगी और पता लगा सकेंगी कि उनमें इंसान के लिए ख़तरा हो सकने वाले कौन-कौन से वायरस हैं.
डांग और उनकी टीम पैथोजेन की पहचान के लिए अगली ट्रिप के लिए फंड की तलाश में हैं. वो कंबोडिया में चमगादड़ों पर नज़र रखना जारी रखना चाहते हैं. वो पता लगाना चाहते हैं कि कंबोडिया में अभी तक निपाह संक्रमण का कोई मामला सामने क्यों नहीं आया है.
डांग और उनकी टीम को अभी पैसा नहीं मिला है. वो निपाह वायरस पर नज़रें बनाए रखना चाहते हैं लेकिन पैसों की कमी से इस काम में बाधा आ सकती है. और शायद वो महामारी के ख़तरे को समय रहते ना पहचान पाएं.
डांग कहते हैं, 'लंबे समय के निगरानी कार्यक्रम से हमें मदद मिलती है, हम प्रशासन को सही समय पर जानकारी दे पाते हैं ताकि निरोधात्मक क़दम उठाए जा सकें और बड़े संक्रमण को रोका जा सके.'
वो कहते हैं, बिना प्रशिक्षण के वैज्ञानिकों को नए वायरस की जल्दी पहचान करने में भी दिक्कतें आएंगी.
सुपापोर्ण ने थाइलैंड में कोविड-19 वायरस को बहुत जल्दी पहचान लिया था.
डांग और सुपापोर्ण जैसे वैज्ञानिक जो जानकारियां जुटाते हैं उससे वैक्सीन का काम शुरू करने में भी मदद मिलती है.
जब जून में एक वीडियो कॉल पर मैंने सुपापोर्ण से बात की थी और पूछा था कि क्या उन्हें अपने काम पर गर्व है तो उन्होंने कहा था कि उन्हें अपनी टीम के काम पर बहुत गर्व है.
वो कहती हैं, 'प्रेडिक्ट प्रोजेक्ट जंगली जानवरों में वायरसों की पहचान का एक अभ्यास था. जब मुझे और मेरी टीम को कोरोना वायरस पैथोजन का सैंपल मिला तो हम बहुत हैरान नहीं हुए. रिसर्च प्रोजेक्ट की वजह से हमारे पास पहले से ही पर्याप्त अनुभव था. इसने हमारी क्षमता को बढ़ा दिया था.'
डांग और सुपापोर्ण को उम्मीद है कि निपाह के ख़िलाफ़ लड़ाई में वो मिलकर काम करते रहेंगे. पूर्वी एशिया में निपाह वायरस पर नज़र रखने के लिए दोनों ने एक प्रोजेक्ट का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है. वो इसे कोविड-19 संकट के बाद अमेरिका की डिफेंस थ्रेट रिडक्शन एजेंसी के समक्ष पेश करना चाहते हैं. अमेरिका की ये एजेंसी संक्रामक रोगों से होने वाले ख़तरों पर नज़र रखती है.
सितंबर 2020 में मैंने सुपापोर्ण से पूछा था कि क्या वो अगली महामारी को रोकने में कामयाब हो पाएंगी.
वो सफेद कोट पहने अपनी लैब में बैठी थीं. उन्होंने कोविड-19 के हज़ारों सैंपल का अध्ययन किया था, ये उनकी लैब की क्षमता से अधिक था. इस सबके बावजूद उनके चेहरे पर चौड़ी मुस्कान फैल गई थी.
उन्होंने हंसते हुए कहा था, 'हम कोशिश करेंगे.'
इस रिपोर्ट में कंबोडिया से मोरा पाइसेथ ने सहयोग किया है. (bbc)
वाशिंगटन, 18 जनवरी | वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 9.5 करोड़ से अधिक हो गई है, जबकि संक्रमण से हुई मौतें 20.2 लाख से अधिक हो गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय ने सोमवार को दी।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने सोमवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान वैश्विक मामले और मृत्यु दर क्रमश: 95,003,533 और 2,029,938 है।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक कोविड प्रभावित देश है, जहां 23,928,643 मामले और 397,532 मौतें दर्ज की गई हैं।
संक्रमण के मामलों में भारत 10,557,985 आंकड़ों के साथ दूसरे स्थान पर आता है, जबकि देश में मरने वालों की संख्या 152,274 है।
सीएसएसई के अनुसार, दस लाख से अधिक मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (8,488,099), रूस (3,530,379), ब्रिटेन (3,405,740), फ्रांस (2,969,091), तुर्की (2,387,101), इटली (2,381,277), स्पेन (2,252,164), जर्मनी (2,050,129), कोलम्बिया (1,908,413), अर्जेंटीना (1,799,243), मेक्सिको (1,630,258), पोलैंड (1,435,582), दक्षिण अफ्रीका (1,337,926), ईरान (1,330,411), यूक्रेन (1,198,512) और पेरू (1,060,567) हैं।
संक्रमण से हुई मौतों के मामले में वर्तमान में ब्राजील 209,847 आंकड़ों के साथ दूसरे नंबर पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मौत दर्ज करने वाले देश मेक्सिको (140,241), ब्रिटेन (89,429), इटली (82,177), फ्रांस (70,422), रूस (64,601), ईरान (56,803), स्पेन (53,314), कोलंबिया (48,631), जर्मनी (46,781), अर्जेंटीना (45,407), पेरू (38,770), दक्षिण अफ्रीका (37,105), पोलैंड (33,355), इंडोनेशिया (25,987), तुर्की (23,997), यूक्रेन (21,677) और बेल्जियम (20,396) हैं।
--आईएएनएस
रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी और रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी को रूस पहुँचते ही हिरासत में ले लिया गया.
वो पाँच महीने बाद जर्मनी से मॉस्को पहुँचे थे. पिछले साल उन पर नर्व एजेंट से हमला हुआ था और मरते-मरते बचे थे.
उनका इलाज जर्मनी में हुआ था. 44 साल के नवेलनी को पुलिस अपने साथ पासपोर्ट कंट्रोल से अलग ले गई. बर्लिन से आई नवेलनी की फ्लाइट को मॉस्को के एक एयरपोर्ट से दूसरे एयरपोर्ट पर ले जाया गया. ऐसा भीड़ को देखते हुए किया गया.
कई लोग मानते हैं कि नवेलनी की जान लेने की कोशिश के पीछे रूस की सरकार थी. कुछ खोजी पत्रकारों ने भी इन दावों का समर्थन किया था लेकिन रूस की सरकार ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया था.
हिरासत में लिए जाने से कुछ मिनट पहले नवेलनी ने मॉस्को में शेरेमेत्येवो एयरपोर्ट पर अपने समर्थकों और मीडिया से कहा, ''मुझे पता है कि मैं सही हूँ. मुझे किसी भी चीज़ का डर नहीं है. मेरे ख़िलाफ़ सभी आपराधिक मुक़दमे झूठे हैं.''
मॉस्को पहुँचने पर नवेलनी ने कहा है कि सब कुछ ठीक होगा
नवेलनी के वकीलों को उनके साथ नहीं जाने दिया गया. नवेलनी ने अपनी पत्नी युलिया को किस किया- जो जर्मनी से फ्लाइट में साथ आई थीं. पुलिस अधिकारियों ने लोगों को धमकी दी कि आदेश नहीं माना गया तो बल का इस्तेमाल किया जाएगा. रविवार को एयरपोर्ट पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी.
इससे पहले रविवार को मॉस्को में वनुकोव एयरपोर्ट के भीतर मेटल के बैरिअर लगा दिए गए थे. नवेलनी की फ्लाइट प्लान के मुताबिक़ यहीं लैंड करने वाली थी. रूसी मीडिया के अनुसार कई एक्टिविस्टों को भी हिरासत में लिया गया है.
इनमें नलेवनी के अहम सहयोगी ल्युबोव सोबोल भी शामिल हैं. नवेलनी की प्रवक्ता किरा यार्मिश ने एयरपोर्ट पर पुलिस कार की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी.
नवेलनी का इलाज जर्मनी में हुआ है और अब वो ठीक हो गए हैं. उनके रूस पहुँचने को लेकर समर्थकों में उत्साह था. फ़ेसबुक पर रूसी भाषा में एक पेज भी बना दिया था जिसमें नवेलनी के रूस आने पर उनसे मिलने की अपील की गई थी. कड़ाके की ठंड और कोविड महामारी के बावजूद हज़ारों लोगों ने नवेलनी के मिलने की इच्छा ज़ाहिर की थी.
पिछले साल अगस्त महीने में नवेलनी साइबेरिया में एक फ्लाइट में बेहोश हो गए थे. बाद में पता चला कि उन्हें ज़हर दिया गया था. रूस के अधिकारी नवेलनी को ज़हर देने के आरोपों को ख़ारिज करते रहे हैं. नवेलनी ने दावा किया था कि उन्हें रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आदेश पर ज़हर दिया गया था.
Alexei Navalny photo from his twitter account
नवेलनी को हिरासत में क्यों लिया गया?
रूसी अधिकारियों ने नवेलनी को चेताया था कि दिसंबर में उन्हें हाजिर होना था लेकिन उन्होंने इसकी उपेक्षा की इसलिए आने पर जेल जाना पड़ सकता है. नवेलनी को एक धोखाधड़ी केस में दोषी ठहराया गया है और जेल सर्विस का कहना है कि उन्होंने अपने ऊपर लगी पाबंदियों का उल्लंघन किया है.
नवेलनी हमेशा से कहते आए हैं कि उन पर सारे मुक़दमे राजनीति से प्रेरित हैं. रूसी जांच कमिटी ने भी उनके ख़िलाफ़ धोखाधड़ी के मामले में नया आपराधिक मुक़दमा शुरू किया है. उन पर कई एनजीओ को पैसा ट्रांसफर करने का आरोप है. इनमें उनका एंटी-क्रप्शन फाउंडेशन भी शामिल है.
नवेलनी का कहना है कि ये सब पुतिन करवा रहे हैं क्योंकि उन्हें विपक्ष पंसद नहीं है. बर्लिन एयरपोर्ट पर दुनिया भर के न्यूज़ मीडिया के लोग इकट्ठा थे ताकि नवेलनी को वहाँ से मॉस्को जाते वक़्त कवर किया जा सके. लेकिन रूसी फेडरल टीवी चैनल और न्यूज़ एजेंसियों ने उनकी वापसी को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया.
एलेक्सी नवेलनी ने अपने समर्थकों से रविवार को वनुकोवो एयरपोर्ट पर आकर मिलने की अपील की थी. बड़ी संख्या में भीड़ ऐसा करती भी. नवेलनी के रूस आने पर उनकी सुरक्षा को लेकर भी चिंता थी.
नवेलनी को रूस में पुतिन के लिए चुनौती के तौर पर देखा जाता है. नवेलनी को ज़हर देने के आरोपों पर रूस के अधिकारी सबूत देने की माँग करते रहे हैं. दिसंबर में पुतिन ने कहा था कि नलेवनी कुछ भी नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि अगर रूसी सुरक्षा बल उन्हें ज़िंदा नहीं देखना चाहते तो ऐसा करना कोई मुश्किल काम नहीं था.
नवेलनी को ज़हर दिए जाने के बाद रूस में सड़कों पर कोई विरोध नहीं हुआ था. वो हमले के बाद लंबे समय तक विदेश में रहे इसलिए भी रूस में इसका कोई ख़ास असर नहीं हुआ. हालाँकि नवेलनी हमेशा से लौटने की बात करते रहे जबकि उन्हें पता था कि उनकी जान को ख़तरा है.
Alexei Navalny family from his instagram page
पिछले साल नवेलनी के साथ क्या हुआ था?
पिछले साल अगस्त में रूस के भ्रष्टाचार विरोधी नेता नवेलनी विमान यात्रा के दौरान बीमार पड़ गए थे. उनकी प्रवक्ता किरा यार्मिश के मुताबिक़ विमान को ओम्स्क में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी थी.
उन्होंने इसकी आशंका जताई थी कि उनकी चाय में कुछ मिलाया गया था. जून में संवैधानिक सुधारों पर हुई वोटिंग को उन्होंने बग़ावत कहा था और उसे संविधान का उल्लंघन बताया था. जनमत संग्रह में जीत के बाद पुतिन और दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बने रह सकते हैं.
एंटी करप्शन फ़ाउंडेशन की प्रेस सेक्रेटरी किरा यार्मिश ने ट्वीट में लिखा था- आज सुबह नवेलनी मॉस्को से टॉम्स्क लौट रहे थे. उड़ान के दौरान वो बीमार पड़ गए. विमान ने ओम्स्क में आपातकालीन लैंडिंग की.
उन्होंने संदेह जताया था कि एलेक्सी नवेलनी को चाय में ज़हर दिया गया है क्योंकि सुबह से उन्होंने सिर्फ़ चाय ही पी थी.
यार्मिश ने बताया था कि डॉक्टरों का कहना है कि ज़हरीला पदार्थ गर्म तरल के साथ जल्द ही घुल गया. नवेलनी को सरकारी भ्रष्टाचार को उजागर करने के कारण सुर्ख़ियाँ मिलीं. उन्होंने पुतिन की यूनाइटेड रूस पार्टी को "बदमाशों और चोरों की पार्टी" कहा था. कई बार वो जेल भी गए.
वर्ष 2011 में उन्हें गिरफ़्तार किया गया और 15 दिनों के लिए जेल भेजा गया. उन्होंने पुतिन की पार्टी पर संसदीय चुनाव के दौरान वोटों में धांधली का आरोप लगाया था और विरोध प्रदर्शन भी किया था. इसी के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया था. जुलाई 2013 में कुछ समय के लिए उन्हें जेल भेजा गया था. उन पर गबन के आरोप लगे थे. लेकिन उन्होंने इसे राजनीतिक बताया था.
वर्ष 2018 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने की कोशिश की थी, लेकिन धोखाधड़ी के आरोपों के कारण उन पर रोक लगा दी गई. नवेलनी ने इसे राजनीतिक क़दम बताया था.
जुलाई 2019 में अनाधिकृत रूप से विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने के कारण उन्हें 30 दिन की जेल हुई थी. जेल में ही उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. उस समय भी ये आरोप लगे थे कि उन्हें ज़हर देने की कोशिश हुई थी.
वर्ष 2017 में उन पर हमला हुआ था. उस समय उन पर एंटिसेप्टिक डाई से हमला हुआ था. इस कारण उनकी दाहिनी आँख केमिकल बर्न से प्रभावित हुई थी.
पिछले साल ही उनके एंटी करप्शन फ़ाउंडेशन को विदेशी एजेंट घोषित किया गया था. (bbc)
यरुशलम, 18 जनवरी। इजरायल में कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद साइड इफेक्ट के रूप में कम से कम 13 लोगों का चेहरा पैरालाइसिस हो गया। हालांकि यह पैराइलाइसिस बहुत घातक नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ऐसे लोगों की गिनती अधिक हो सकती है। येरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इन व्यक्तियों को दूसरी खुराक दिया जाए या नहीं, इसके लिए अधिकारियों ने सवाल उठाए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हालांकि दूसरी खुराक की सिफारिश की है।
वैक्सीन लेने के बाद साइड इफेक्ट का सामना करने वाले एक व्यक्ति ने कहा, "कम से कम 28 घंटों तक मैं पैरालाइज्ड चेहरे लेकर घूमता रहा।"
"लेकिन इसके अलावा मुझे कोई अन्य दर्द नहीं था, सिवाय एक मामूली दर्द के जहां इंजेक्शन लगा था, लेकिन इसके अलावा कुछ भी नहीं था। मैं इससे बचने की सलाह नहीं देता हूं, क्योंकि यह महत्वपूर्ण है।"
--आईएएनएस
वाशिंगटन, 17 जनवरी | संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की है कि क्या सरकार और समूहों सहित किसी भी विदेशी ने 6 जनवरी को वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी कैपिटल बिल्डिंग पर हमला करने वाले दंगाइयों को वित्त पोषित किया था। रविवार को प्रकाशित एक न्यूज रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट, जिसमें एक पूर्व और वर्तमान एफबीआई अधिकारी का हवाला दिया गया, ने कहा कि एजेंसी दंगों से पहले "एक फ्रांसीसी नागरिक द्वारा बिटकॉइन में 500,000 डॉलर के भुगतान की जांच कर रही है।"
अधिकारियों ने एनबीसी न्यूज को बताया कि पिछले हफ्ते क्रिप्टोकरंसी ट्रांसफर का विश्लेषण करने वाली कंपनी द्वारा भुगतान का दस्तावेजीकरण किया गया और ऑनलाइन पोस्ट किया गया था।
पिछले सप्ताह एफबीआई, डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी एक संयुक्त चेतावनी में कहा गया है कि चूंकि निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा दंगा किया गया था "रूसी, ईरानी, और चीन के प्रभावशाली लोगों ने प्रेसिडेंशियल ट्रांजिशन के बीच अपने हित में अवसर को भुनाने की कोशिश की है।"
एफबीआई के वर्तमान अधिकारी ने एनबीसी न्यूज को बताया कि एजेंसी को बिटकॉइन ट्रांसफर में रूसी भागीदारी पर संदेह नहीं है, जो फ्रांसीसी कंप्यूटर प्रोग्रामर द्वारा किए गए प्रतीत होते हैं, जिसने 8 दिसंबर, 2020 को खुदकुशी कर ली थी।
एफबीआई और डीएचएस को अभी तक एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट पर टिप्पणी करनी बाकी है। संघीय कानून प्रवर्तन 6 जनवरी के दंगों में शामिल भीड़ के सदस्यों को ट्रैक और आरोपी बनाने की कोशिश कर रहा है।
पिछले हफ्ते, डी.सी. के लिए अमेरिका के कार्यवाहक अटॉर्नी माइकल शेरविन ने कहा था कि अधिकारी जांच को एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादरोधी या काउंटर इटेंलीजेंस ऑपरेशन की तरह देख रहे हैं।
दंगों के दौरान एक पुलिस अधिकारी सहित पांच लोग मारे गए थे। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 17 जनवरी | निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों से विरोध का सामना किए जाने के डर से कुछ ट्विटर कर्मियों ने अपने अकाउंट्स को लॉक कर दिया है और तो और कंपनी की तरफ से कुछ एक्जीक्यूटिव को व्यक्तिगत तौर पर सुरक्षा भी मुहैया कराई गई है। द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के समर्थकों द्वारा टार्गेट किए जा सकने की आशंका से इन्होंने अपने अकाउंट को प्राइवेट कर दिया है और ऑनलाइन मौजूद अपनी जानकारियों को भी मिटा दिया है।
दरअसल कैपिटल बिल्डिंग में ट्रंप के समर्थको द्वारा हिंसा फैलाए जाने के चलते ट्विटर के 350 कर्मियों ने एक आंतरिक याचिका पर हस्ताक्षर करके कंपनी के सीईओ जैक डोर्सी से ट्रंप के अकाउंट को बंद करने का आग्रह किया था। ऐसे में आगे आने वाले समय में हिंसा के भड़कने की आशंका के चलते 8 जनवरी को ट्विटर ने ट्रंप के अकाउंट को स्थायी रूप से बंद कर दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, जैक डोर्सी पहले इस बात से आश्वस्त नहीं थे कि ट्रंप पर अस्थायी निलंबन सही निर्णय है, लेकिन पिछले हफ्ते किए गए ट्वीट्स को देखते हुए डोर्सी ने आखिरकार कहा कि ट्रंप के अकाउंट का निलंबन एक सही निर्णय है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 17 जनवरी | निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय-अमेरिकी राजनयिक उजरा जेया को सिविलियन सिक्योरिटी, डेमोक्रेसी एंड हयूमन राइट्स की अंडर सेक्रेटरी के लिए नामित किया है। जेया ने कथित नस्लीय और सेक्सिस्ट पूर्वाग्रह के विरोध में अपनी स्टेट डिपार्टमेंट की नौकरी छोड़ दी थी। शनिवार रात को जेया ने ट्वीट किया, "एक राजनयिक के रूप में 25 से अधिक सालों में, मैंने सीखा कि अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत हमारे उदाहरण, विविधता और लोकतांत्रिक आदशरें की शक्ति है। मैं इन मूल्यों को बनाए रखूंगी और उनकी रक्षा करूंगी यदि मेरी सिविलियन सिक्योरिटी, डेमोक्रेसी एंड हयूमन राइट्स की अंडर सेक्रेटरी के तौर पर पुष्टि हो जाती है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैंने राष्ट्रपति चुने गए जो बाइडेन का धन्यवाद दिया कि वह अमेरिकी विदेश नीति में लोकतंत्र और मानव अधिकारों को केंद्रित करने के लिए अमेरिकी महिलाओं और पुरुषों के साथ एक बार फिर अमेरिकी लोगों की सेवा करने का अवसर मुझे दिया। इस तरह के सभी स्टार्स नॉमिनी के बीच होना बड़ा सम्मान है।"
जेया को स्टेट डिपार्टमेंट में 2 दशकों से अधिक का अनुभव है। बाइडेन ट्रांजिशन टीम ने उनके नामांकन की घोषणा करते हुए कहा, "जेया 21वीं सदी की चुनौतियों को पूरा करने के हमारे प्रयासों के केंद्र में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए एक चैंपियन होंगी।"
1990 में यूएस फॉरेन सर्विस में शामिल होने वाली जेया ने 2018 में स्टेट डिपार्टमेंट छोड़ दिया था। साथ ही आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन कॉलिन पॉवेल और हिलेरी क्लिंटन जैसे सचिवों के तहत लाए गए अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए प्राप्त किए गए दशकों के लाभ को उलटने पर तुला हुआ है।
जेया ने नई दिल्ली, मस्कट, दमिस्कस, काहिरा और किंग्स्टन जैसी राजधानियों में अमेरिकी राजनयिक के रूप में कार्य किया है।
अब जेया भी बाइडेन प्रशासन में नियुक्त किए गए भारतीय-अमेरिकियों की एक लंबी सूची में शामिल हो गईं हैं।
हाल ही में कश्मीरी मूल के परिवार की बेटी समीरा फाजिली को नेशनल इकानॉमिक काउंसिल का डिप्टी डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। (आईएएनएस)
लॉस एंजेलिस, 17 जनवरी | लॉस एंजेलिस, अमेरिका का पहला ऐसा काउंटी बन गया है, जहां कोविड-19 के मामलों की संख्या दस लाख के पार पहुंच गई है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी सूचना दी है। लॉस एंजेलिस काउंटी डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक, देश के सबसे अधिक आबादी वाले इस कांउटी में एक करोड़ निवासियों का घर है, जहां शनिवार को 14,669 नए मामलों की पुष्टि हुई है और इस दौरान 253 नई मौतें हुई हैं। इन्हे मिलाते हुए संक्रमितों और मृतकों का कुल आंकड़ा क्रमश: 1,003,923 और 13,741 बैठता है।
इस विभाग के दिए बयान के हवाले से सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, इस वक्त काउंटी में 7,597 कोरोना के मरीज अस्पतालों में हैं, जिनमें से 22 प्रतिशत गहन चिकित्सा विभाग में हैं।
विभाग ने कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के पहले मामले की भी पुष्टि की है, जिसे सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया था।
इस संक्रमण की चपेट में आया व्यक्ति एक पुरूष है, जिसने हाल ही में अपना वक्त लॉस एंजेलिस काउंटी में बिताया है, लेकिन अब वह ओरेगन गया हुआ है और वहीं क्वॉरंटाइन में है।
इस बेहद संक्रामक नए वेरिएंट के होने का पता इससे पहले दक्षिणी कैलिफोर्निया के सैन डिएगो और सैन बर्नार्डिनो में लगा। (आईएएनएस)