राष्ट्रीय
बेंगलुरु, 4 फरवरी कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को लुभाने के लिए बांटी जा रही मुफ्त की रेवड़ियों में डिनर सेट, प्रेशर कूकर, डिजिटल घड़ियां और अन्य उपहार शामिल हैं।
कुछ नेताओं को अपने मतदाताओं की तीर्थयात्रा का खर्च उठाते हुए देखा जा रहा है। आंध्र प्रदेश का तिरुपति, कर्नाटक का मंजूनाथ स्वामी मंदिर और महाराष्ट्र का शिरडी मतदाताओं के पसंदीदा तीर्थस्थलों में शामिल है।
हाल में बगलकोट जिले में एक प्रमुख नेता की तस्वीर वाली डिजिटल घड़ियों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
एक निवासी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बेंगलुरु निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं को डिनर सेट बांटे गए हैं।
एक महिला ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, ‘‘मुझे दोपहर को एक कॉल आया और डिनर सेट ले जाने के लिए कहा गया। शुरुआत में मैंने सोचा कि यह कोई मजाक है, लेकिन जब मैं वहां गई तो पाया कि वे सच में डिनर सेट बांट रहे थे।’’
शहर के एक अन्य क्षेत्र में एक पूर्व मंत्री ने कथित तौर पर मतदाताओं के एक वर्ग के जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान किया।
बेंगलुरु में हाल में ट्रक पर लदे प्रेशर कूकर और घरेलू बर्तन भी जब्त किए गए थे।
इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार मीना ने कहा कि आदर्श आचार संहिता उस दिन से लागू होती है, जब चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाती है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले इस तरह की प्रथाओं पर अंकुश लगाने के तरीके भी मौजूद हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आदर्श आचार संहिता चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद से प्रभावी होती है। तब तक हम विचार कर रहे हैं कि हाल में मीडिया में आई खबरों के संदर्भ में हम क्या कर सकते हैं, जिनमें आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक दल और निर्वाचित प्रतिनिधि वोट हासिल करने के लिए विभिन्न लोक-लुभावन गतिविधियों में लिप्त हैं।’’
मीना ने कहा कि उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार दोनों की सभी प्रवर्तन एजेंसियों की बैठक बुलाई थी और उन्हें मौजूदा नियमों के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
मीना ने बताया कि वाणिज्यिक कर विभाग ने चिकमंगलुरु और तुमकुरु में दो गोदाम पर छापा मारा। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न तरीके हैं, जिनके जरिये ये विभाग अपने कानून लागू कर सकते हैं और इन गतिविधियों पर लगाम लगाने में हमारी मदद कर सकते हैं।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित कर्नाटक में इस साल मई तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 4 फरवरी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप रद्द करने के फैसले को लेकर शनिवार को केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी अल्पसंख्यक विरोधी नीति का खुलेआम प्रदर्शन कर रही है।
लोकसभा में इस सप्ताह की शुरुआत में एक सवाल के लिखित जवाब में अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था, ‘‘उच्च शिक्षा के लिए मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप (एमएएनएफ) जैसी विभिन्न फेलोशिप योजनाएं पहले से ही चल रही हैं। इसलिए सरकार ने 2022-23 से एमएएनएफ को रद्द करने का फैसला लिया है।’’
चिदंबरम ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘‘अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप और विदेश में पढ़ने के वास्ते शैक्षिक कर्ज पर दी जाने वाली सब्सिडी रद्द करने के पीछे सरकार का बहाना पूरी तरह से तर्कहीन और मनमाना है।’’
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने पूछा कि ‘‘पहले से ही कई योजनाएं’’ चलने की बात स्वीकार करने के बावजूद क्या अल्पसंख्यक छात्रों के लिए केवल यही फेलोशिप और सब्सिडी थी, जो अन्य योजना के जैसी थी।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘मनरेगा, पीएम-किसान की तरह है। वृद्ध श्रमिकों के मामले में वृद्धावस्था पेंशन मनरेगा की तरह है। कई ऐसी दर्जनों योजनाएं हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अल्पसंख्यक छात्रों का जीवन अधिक मुश्किल बनाने के लिए अधिक तेजी से काम कर रही है।
कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार अपनी अल्पसंख्यक विरोधी नीति का खुलेआम प्रदर्शन कर रही है, मानो कि वह कोई सम्मान की बात हो। शर्मनाक।’’ (भाषा)
भारत में पिछले दिनों सत्ता प्रतिष्ठानों में महिलाओं पर काफी चर्चा रही. ऊंचे पदों पर भारत में बहुत कम महिलाएं हैं. अगले चुनावों से पहले संसद में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित कर दी जाएं, तो एक अच्छी शुरुआत होगी.
डॉयचे वैले पर महेश झा की रिपोर्ट-
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट के साथ जारी विवाद में हाईकोर्ट में किसी महिला के चीफ जस्टिस न होने की शिकायत की है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है, क्योंकि आमतौर पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं. हालांकि, ऐसी नियुक्ति में मुश्किल कहां है, इसका अंदाजा कानून मंत्री को भी होगा. उनकी सरकार भी संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों के आरक्षण का कानून पास नहीं करवा पा रही है, जबकि यह बात 2014 से ही बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्रों में लिखी है. उधर कांग्रेस पहले ही यह बिल ला चुकी है, तो वह विरोध नहीं करेगी. फिर भी अगर यह बिल पेश नहीं किया जा रहा है, तो मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है.
सवाल यह है कि जो बाधाएं बड़ी अदालतों के वरिष्ठ अधिकारियों के दिमाग में हैं, क्या वही बाधाएं सरकार और संसद में काम कर रही हैं? यह स्वीकार करना होगा कि बहुत से दूसरे समाजों की तरह भारतीय समाज भी पुरुष प्रधान है, जो महिलाओं को समानता के मौके देने का विरोध भले न करे, लेकिन उसे हर कदम पर रोकता जरूर है. यह बात घर से बाहर सुरक्षा के सवाल से लेकर पढ़ाई करने और नौकरी में समान मौकों और समानता के सवालों पर हर दिन देखी जा सकती है.
बदलाव के लिए पुरजोर प्रयासों की जरूरत
लैंगिक समानता सिर्फ इसलिए जरूरी नहीं कि संविधान इसकी गारंटी देता है. यह इसलिए भी जरूरी है कि भारत के विकास के 'अमृत काल' में सभी नागरिकों की क्षमताओं का इस्तेमाल किया जा सके. हम घर के आंगन और किचन से लेकर बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में कहीं भी देखें, महिलाओं की कमी हर मोर्चे पर दिखती है. और उन कमियों पर हम ध्यान न भी दें, लेकिन वह विकास को प्रभावित तो करता ही है.
भारत में पुराने समय में भले ही महिलाओं के दमन के उदाहरण मिलें, लेकिन उस समय एक हद तक अपेक्षाकृत समानता इसलिए भी थी, क्योंकि सामाजिक अर्थव्यवस्था में पुरुषों और महिलाओं का योगदान लगभग बराबर था. आधुनिकता ने स्थिति बदल दी है, जहां इंसान मशीनों पर निर्भर होता जा रहा है. ऐसे में देखना जरूरी है कि मशीनें कौन बना रहा है और किसे ध्यान में रखकर बना रहा है. संगीत के यंत्रों को ही ले लीजिए. वे पुरुष संगीतकारों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं और महिलाओं को उनका इस्तेमाल करना है, तो करें या न करें. लेकिन उनके विकास में यदि महिलाओं की भागीदारी होगी, तो वे ग्राहकों के रूप में महिलाओं के बारे में भी सोचेंगी. अब वह किचन हो, खाना बनाने की कोई मशीन, वाद्य यंत्र या फिर कार.
मिसाल हैं स्केंडिनेविया के देश
लैंगिक समानता के मामले में उत्तर यूरोप के देश पूरी दुनिया के लिए मिसाल हैं. लैंगिक बराबरी का मतलब है संसाधनों और अवसरों के मामले में पुरुषों और महिलाओं के लिए बराबर के मौके. यूरोपीय संघ की लैंगिक समानता नीति का मकसद ये है कि लड़के और लड़कियां अपनी विविधता बनाए हुए जिंदगी के अपने चुने रास्ते पर चल सकें और इसके लिए उन्हें बराबर का मौका मिले. फिर भी पुरुषों और महिलाओं की आय का अंतर बना हुआ है.
लैंगिक समानता के मामले में उत्तर यूरोप के देश पूरी दुनिया के लिए मिसाल हैं. लैंगिक समानता के मामले में इलाके के देश सबसे आगे हैं. आइसलैंड पहले नंबर है, लेकिन फिनलैंड और नॉर्वे उसके फौरन बाद हैं. फिनलैंड में महिलाओं की आबादी 28 लाख है, तो पुरुषों की 27.3 लाख. महिलाओं की जीवन दर 84.6 साल है तो पुरुषों की 79 साल. और यूनिवर्सिटी शिक्षा प्राप्त लोगों में लड़कियों की हिस्सेदारी 57.5 प्रतिशत है. यही वजह है कि महिलाओं में बेरोजगारी दर सिर्फ 4.8 प्रतिशत है जबकि पुरुषों में यह 5.5 प्रतिशत है.
सबसे जरूरी है रोल मॉडलों का होना
भारत समेत कई विकासमान देशों में बहुत सारी संरचनाएं पश्चिमी देशों से आ रही हैं, क्योंकि वहीं इनका विकास किया जा रहा है. पश्चिमी देश भी महिलाओं को बराबरी देने के मामले में कोई आदर्श नहीं हैं. यहां अब भी पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन में 20 फीसदी से ज्यादा का अंतर है. उद्यमों और सरकार में उच्च पदों पर महिलाएं नहीं दिखतीं. जर्मनी ने दफ्तरों में समानता आयुक्त का पद बनाकर इस समस्या से निबटने की कोशिश की है. निचले स्तर पर लड़कियों को प्रोत्साहन मिलेगा, तभी वे ऊंचे पदों पर पहुंच पाएंगी. उद्यमों के अधिकारियों के स्तर पर पुरुषों के दबदबे को देखते हुए जर्मनी को 2015 में हिस्सेदारी का कानून बनाना पड़ा. अब उद्यमों में महिला अधिकारियों की संख्या करीब 36 प्रतिशत है. इसके विपरीत निगरानी बोर्ड में सिर्फ 20 प्रतिशत के करीब महिलाएं हैं.
जर्मनी की सरकार हर साल देश के उद्यमों में महिलाओं की स्थिति पर एक रिपोर्ट देती है. जर्मनी ने काफी समय तक यह उम्मीद की थी कि उद्यम स्वैच्छिक रूप से महिलाओं को प्रोत्साहन देंगे और लैंगिक बराबरी लागू करेंगे. लेकिन जर्मनी का अनुभव अलग रहा है. जिन उद्यमों पर कानून लागू होता है, वहां अधिकारी वाले पदों पर महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है, जबकि जिन उद्यमों ने स्वेच्छा से ऐसा करने का बीड़ा उठाया था, वहां ऐसा नहीं हुआ. अब काम के साथ परिवार संभालने वाले रोल मॉडल दिख रहे हैं, तो लड़कियों का हौसला भी बढ़ रहा है.
पुरुषों की मानसिकता में बदलाव जरूरी
समाज में लैंगिक बराबरी के लिए पुरुषों की मानसिकता में बदलाव जरूरी है. लेकिन महिलाओं को भी अपने हकों के लिए लड़ना होगा. यह दो तरह से हो सकता है. एक तो मौजूदा पदों पर बराबरी का हक और आरक्षण की व्यवस्था अपनाकर या फिर नए पद बनाकर. इन दोनों विकल्पों का इस्तेमाल करने की जरूरत है. सरकार में, अधिकारियों के स्तर पर और मंत्रियों के स्तर पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी. स्कैंडिनेवियाई देशों की पहल के बाद अब दूसरे देश भी मंत्रिपरिषद में बराबरी की दिशा में बढ़ रहे हैं.
दूसरा विकल्प नए पदों और रोजगार का सृजन हो. महिलाओं को इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट जैसे विषय पढ़ने और नए उद्यम खोलने, नए रोजगार पैदा करने पर ध्यान देना होगा. आईआईटी ने महिला छात्रों को आकर्षित करने की पहल की है, लेकिन देशभर में फैले दूसरे इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी अधिक लड़कियों को दाखिला देने की पहल करनी होगी. जर्मनी की तरह देश के प्रमुख उद्यम नौकरी के साथ साथ पढ़ाई जैसे कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं. और अगर फैसला लेने वाली जगहों पर बैठे पुरुष यह सोचकर महिलाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं कि उससे पुरुषों को मिलने वाले पदों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, तो उन्हें नए पदों के सृजन की मांग का समर्थन करना चाहिए. अब ये चाहे जजों के पद हों, मंत्रियों के या फिर अधिकारियों के पद हों. (dw.com)
इंसानों में रेबीज को पूरी तरह खत्म कर देने वाला गोवा, भारत का पहला राज्य बन गया है. 2018 से वहां रेबीज का एक भी मामला सामने नहीं आया. गोवा की कामयाबी और इस तरह के अभियान की देशव्यापी जरूरत पर डॉयचे वेले की ये रिपोर्ट.
डॉयचे वैले पर कैथरीन डेविसन की रिपोर्ट-
रेबीज एक पशुजन्य बीमारी है जिसका कोई ज्ञात उपचार नहीं है. संक्रामक बीमारियों में सबसे ज्यादा मृत्यु दर वाली बीमारी भी यही है. मनुष्यों में रेबीज के अधिकांश मामले, पागल कुत्ते के काटने से होते हैं. दुनिया भर में, हर साल करीब 59 हजार लोग इस बीमारी से दम तोड़ देते हैं. इनमें से एक तिहाई से ज्यादा मौतें भारत में होती हैं. 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के घोषित लक्ष्य के अनुरूप, अक्टूबर 2021 में भारत ने 2030 तक देश में रेबीज से होने वाली मौतों को रोकने के लिए एक नयी राष्ट्रीय पहल शुरू की थी.
इस पहल के तहत रोग नियंत्रण के लिए "एक स्वास्थ्य" तरीके पर जोर दिया गया है. इसमें पशु, पर्यावरण और इंसानी सेहत को समग्रता में देखा जाता है, यानी कुत्तों में रेबीज पर काबू पाना, इंसानों में इस बीमारी के कामयाब सफाए के लिए अनिवार्य है. रेबीज बीमारी के जानकार इस बात से सहमत हैं कि 70 फीसदी कुत्तों को टीका लगा देने से हर्ड इम्युनिटी बन जाएगी जिसकी बदौलत बीमारी का फैलना रुक जाएगा.
वैसे तो विज्ञान इस बारे में स्पष्ट है लेकिन भारत जैसे जिन देशों में आवारा कुत्तों की संख्या ज्यादा है, वहां 70 फीसदी टीकाकरण दर हासिल की जा सकेगी या नहीं, इसे लेकर व्यापक स्तर पर आशंकाएं रही हैं. लेकिन गोवा अपने अभियान से ये साबित करने में सफल रहा है कि राज्य स्तर पर बीमारी का सफाया मुमकिन है.
गोवा की कामयाबी की वजहें
गोवा में प्रोजेक्ट की अगुवाई मिशन रेबीज नाम के एनजीओ ने की है. 2014 में ये अभियान शुरू हुआ था, राज्य सरकार से उसे सहायता मिली और कामयाबी के चलते वैश्विक पहचान भी. यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) स्थित गैर लाभकारी संस्था, वर्ल्डवाइड वेटेरिनरी सर्विस की एक पहल के रूप में मिशन रेबीज की स्थापना हुई थी. उसका लक्ष्य है कुत्तों के रेबीज संक्रमण से इंसानी मौतों को रोकना.
मिशन रेबीज में शिक्षा निदेशक डॉ मुरुगन अप्पुपिल्लई, गोवा अभियान की कामयाबी के लिए राज्य सरकार के खुलेपन को भी श्रेय देते हैं. उनका कहना है, "भारत में (किसी अभियान की सफलता के लिए) सरकार के साथ गठजोड़ बहुत महत्वपूर्ण होता है." वे मानते हैं कि गोवा की कामयाबी साबित करती है कि सरकार से लगातार मिलने वाली सहायता और फंडिंग की बदौलत, इंसानों में बीमारी का देशव्यापी सफाया मुमकिन है. वे कहते हैं, "अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति रही, तो हम बहुत ही कम समय में इसे पूरी तरह खत्म कर देंगे."
टीकाकरण अभियान
एनजीओ के अभियान के तहत कुत्तों को टीका लगाने के लिए दूरदराज तक टीमें बनाई गई. ये दल व्यवस्थित तरीके से कस्बों, शहरों और गांवों में जाकर कुत्तों को टीका लगाते हैं. आवारा कुत्तों को बड़े बड़े जालों की मदद से पकड़ा जाता है. पहचान के लिए उनके शरीर पर गैर-टॉक्सिक हरे पेंट से निशान बना दिया जाता है. और टीका लगाकर उन्हें छोड़ दिया जाता है. पूरा हाल एक स्मार्टफोन ऐप में दर्ज किया जाता है. इस ऐप में कुत्तों से जुड़ा तमाम डाटा रहता है कि कुत्ते किन इलाकों में दिखे, टीमों ने किन किन इलाकों का दौरा किया और कितने कुत्तों को टीका लगा.
विज्ञान पत्रिका, नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, इस तरीके से पहली बार 2017 में कुत्तों में 70 फीसदी टीकाकरण दर हासिल कर ली गई. कुत्तों की अनुमानित 1,37,353 आबादी में से 97,277 कुत्तों को टीका लगाया गया. अध्ययन ने ये भी पाया कि प्रोजेक्ट, लागत के लिहाज से भी काफी असरदार रहा. उसने स्वास्थ्य कल्याण से जुड़ी लागत में कटौती कर, न सिर्फ राज्य सरकार का पैसा बचाया बल्कि मौतों से होने वाले आर्थिक नुकसान को भी कम किया.
प्रोग्राम की पूरी अवधि के दौरान, अनुमानित तौर पर 2249 डिसेबिलिटी-एडजस्टड लाइफ इयर्स टाल दिए गए. यानी बीमारी से शरीर और सेहत पर जीवन काल में पड़ने वाले बोझ को कम किया गया. ये लागत 526 डॉलर प्रति डीएएलवाई आती.
जनता को शिक्षित करने की मुहिम
कुत्तों को टीका लगाने के अलावा, इस मुहिम के तहत समाज में बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया जाता है. इसके तहत पूरे गोवा के स्कूलों में शैक्षिक कार्यक्रम चलाए जाते हैं. बच्चों को सिखाया जाता है कि कुत्तों से खुद को कैसे बचाएं, और अगर कोई कुत्ता काट ले तो क्या करें. अभी रेबीज से होने वाली कई मौतों, काटने के बाद किए जाने वाले गलत उपचार से होती हैं.
डब्लूएचओ के मुताबिक, घाव की जगह को लगातार और बहुत अच्छी तरह धोया जाना चाहिए और पीड़ित व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर टीका लग जाना चाहिए ताकि वायरस न पकड़ ले. भारत में रेबीज के 30% से 60% शिकार, 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं.
डॉ अप्पुपिल्लई का कहना है कि टीकाकरण की कोशिशों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा भी जरूरी है. "जागरूकता पैदा करना बहुत बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर रेबीज जैसी बीमारियों में क्योंकि इसमें इंसानी सहायता की बड़ी भारी जरूरत होती है." वो बताते हैं कि कुत्तों की तलाश और आवारा और पालतू कुत्तों को टीका लगाने वाले दस्तों की मदद के रूप में स्थानीय लोगों की भागीदारी अक्सर बहुत जरूरी हो जाती है.
राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई
डॉ अप्पुपिल्लई कहते हैं कि बीमारी के खतरों को लेकर जितना ज्यादा जागरूकता आएगी, उससे राजनीतिक कार्रवाई में और तेजी आएगी. उनके मुताबिक फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर इस चीज की कमी है क्योंकि बीमारी का फैलाव और प्रभाव, ज्यादातर गरीब, देहाती समुदायों में देखा जाता है. उनका कहना है, "जब तक जनता का दबाव नहीं पड़ता, भारत में सरकार काम नहीं करती."
देश भर में रेबीज को लेकर जनजागरूकता बढ़ने लगी है, तभी केरल जैसे राज्यों में सरकार पर कार्रवाई का भारी दबाव बन रहा है जहां हाल में बच्चों को रेबीज के हाई-प्रोफाइल मामलों को लेकर व्यापक स्तर पर जनाक्रोश देखा गया था. राज्य सरकार, गोवा की तर्ज पर मिशन रेबीज के साथ मिलकर अपने यहां भी अभियान छेड़ना चाहती है. डॉ अप्पुपिल्लई को यकीन है कि यही तरीका दूसरे राज्यों में भी कामयाबी से लागू किया जा सकता है जिसका अंतिम लक्ष्य होगा रेबीज का देशव्यापी खात्मा. वे कहते हैं, "निश्चित रूप से ये मुहिम सफल होगी. हम ये पहले कर चुके हैं और कामयाब रहे हैं." (dw.com)
अहवा, 4 फरवरी | ठेकेदार के श्रमिकों के वेतन के लिए अग्रिम 7 लाख रुपये लेकर भाग जाने के बाद महाराष्ट्र के डांग जिले के मालुंगा गांव में एक किसान ने कथित तौर पर 14 आदिवासी मजदूरों को बंधक बना लिया। दो-तीन महीनों से बंधक बनाए गए मजदूरों के परिवारों ने उन्हें बचाने के लिए गुजरात सरकार से मदद मांगी है।
मनमोदी ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच नागिन गावित ने मीडिया को बताया, "कुछ महीने पहले मोटा मलूंगा के 14 मजदूरों को एक ठेकेदार महाराष्ट्र के तामखेड़ा पवार वाडी गांव में खेती के काम के लिए ले गया था। मजदूर किसान योगेश ठेंगिल के खेत में पहुंचे, तो ठेकेदार ने वेतन के नाम पर किसान से 7 लाख रुपये एडवांस ले लिए। इसके बाद ठेकेदार न तो गांव लौटा न ही किसान को एडवांस का पैसा लौटाया।"
गावित ने कहा, " दो महीने से बंधुआ मजदूर सुनील वाघमारे, उशीबेन, मोहनभाई व अन्य अपने रिश्तेदारों को गांव बुलाकर अपनी आपबीती सुना रहे हैं। उन्होंने परिजनों से यहां तक कहा है कि किसान योगेश 7 लाख रुपए वसूलने के लिए हमारी किडनी बेचने की धमकी दे रहा है।"
मामले में किसान योगेश थेंगिल से बात नहीं हो पाई। आईएएनएस प्रतिनिधि ने उनके मोबाइल नंबर पर फोन किया, तो उनके परिवार की एक महिला सदस्य ने कहा, "योगेश अपना सेल फोन घर पर छोड़कर बाहर चला गया है।"
डांग के अतिरिक्त जिला कलेक्टर पद्मराज गामित ने आईएएनएस को बताया, "मजदूरों के परिवार के सदस्यों ने उनसे या अधिकारियों से शिकायत नहीं की है, लेकिन उन्हें मीडिया से आरोपों के बारे में पता चला है, वे इस मामले को देखेंगे और मजदूरों को छुड़ाने के लिए संबंधित अधिकारियों के सामने मामले का उठाएंगे।" (आईएएनएस)|
भारत में बीते पांच वर्षों के दौरान इंजीनियरिंग में स्नातक कार्यक्रम में दाखिलों में गिरावट आई है. यह गिरावट दर्ज करने वाला अकेला अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
ऑल इंडिया हायर एजुकेशन सर्वे की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 के मुकाबले 2020-21 में इंजीनियरिंग में दाखिले में 10 फीसदी गिरावट आई और यह 40.85 लाख से घट कर 36.63 लाख रह गया. यह खुलासा बीते दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) में हुआ है.
यहां तक कि स्नातक स्तर पर अन्य सभी कार्यक्रमों में समग्र प्रवेश संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन इंजीनियरिंग के दाखिले में गिरावट आई है. ये आंकड़ा साल 2019-20 और 2020-21 के बीच इंजीनियरिंग कार्यक्रमों में दाखिला लेने वालों की संख्या में 20 हजार की मामूली बढ़ोतरी दिखाता है, फिर यह पिछले पांच सालों में सबसे कम है.
इंजीनियरिंग से दूर होते छात्र
कुछ साल पहले तक भारत में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्रों के बीच काफी क्रेज था और देश में इंजीनियरिंग के कॉलेज भी खूब खुल रहे थे. पांच साल तक इंजीनियरिंग कार्यक्रम अन्य कार्यक्रमों के मुकाबले तीसरे नंबर पर था. उस समय बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) पहले स्थान और बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) दूसरे स्थान पर था. बीते पांच सालों में नामांकन में गिरावट के साथ बीटेक और बीई कार्यक्रम चौथे स्थान पर पहुंच गया. इसकी जगह बीकॉम ने तीसरा स्थान ले लिया है.
नौकरी की भी चिंता
वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता और औद्योगिक अनुसंधान संस्थान के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक गौहर रजा भी इंजीनियरिंग कार्यक्रमों में छात्रों की संख्या में गिरावट पर चिंता जताते हैं. डीडब्ल्यू से बात करते हुए रजा कहते हैं कि 2014 के बाद से इस सरकार की जो नीतियां रहीं हैं उसमें साफ दिखाई दे रहा था कि इंजीनियरिंग कार्यक्रमपरेशानियों में पड़ने वाला है.
रजा के मुताबिक, "सरकार लगातार जोर देकर कहती रही कि उसका ध्यान विकास पर है जैसे सड़कें बनाना, इमारतें बनाना और इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना और सिविल इंजीनियरिंग के लिए दाखिला बढ़ना चाहिए था, उसमें लोगों को उम्मीद होनी चाहिए थी कि इसमें ज्यादा नौकरियां मिलेंगी. अभी जो बजट पेश हुआ उसमें भी टेक्नोलॉजी की बात की गई है. सरकार टेक्नोलॉजी आधारित विकास की बात कर रही है. लेकिन हमें दूसरी तरफ दिखाई दे रहा है कि इंजीनियरिंग में लोग नहीं जा रहे हैं. इसका मतलब है कि रोजगार के ऊपर जोर नहीं है."
कठिन परीक्षा लेकिन नौकरी का भरोसा नहीं
इंजीनियर कार्यक्रम से छात्रों के दूर जाने के सवाल पर रजा कहते हैं, "साइंस और तकनीक की पढ़ाई करने के बाद छात्रों को कम से कम पांच साल ट्रेन होने में लगता है. लेकिन सरकार की गलत नीतियों की वजह से असर नीचे तक दिखाई दे रहा है. छात्रों के माता-पिता को यह लगने लगा है कि यह रास्ता सही नहीं है. इसलिए वह यहां निवेश नहीं कर रहे हैं."
रजा कहते हैं कि जिस तरह से भारत में छात्रों को साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तैयार किया जा रहा था और उन्हें भरोसा दिलाया जा रहा था वह काम दोबारा करना होगा. वह कहते हैं कि नई पीढ़ी के यकीन को डगमगाने से रोकना होगा और उन्हें भरोसा देना होगा कि इन क्षेत्रों में मौके हैं.
जानकारों का कहना है कि बीटेक और बीई की कठिन परीक्षा देने के बावजूद छात्रों को अच्छी नौकरी के लिए कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. (dw.com)
लखनऊ, 4 फरवरी | भाजपा ने विधान परिषद में पांच में चार सीटें अपने राजनीतिक कौशल से जीतकर सपा के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक सीट पर भाजपा प्रत्याशी जयपाल सिंह व्यस्त ने बड़े अंतर से लगातार तीसरी जीत दर्ज की। वहीं कानपुर में स्नातक एमएलसी चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अरुण पाठक भी अच्छे वोटों से जीते। गोरखपुर में स्नातक एमएलसी चुनाव में भाजपा के देवेंद्र प्रताप ने कीर्तिमान रचते हुए चौथी बार जीत हासिल की है। जबकि कानपुर शिक्षक खंड सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी राज बहादुर सिंह चंदेल ने जीत का परचम लहराया। उन्होंने छठवीं बार जीत दर्ज की। वहीं इलाहाबाद-झांसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के बाबूलाल तिवारी ने जीत हासिल की। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक छह साल पहले परिषद में मात्र नौ सदस्यों के साथ सत्तापक्ष में बैठी भाजपा ने धीरे-धीरे न केवल अपनी संख्या को बढ़ायी, बल्कि सपा, बसपा के साथ परिषद चुनाव में शिक्षक एवं स्नातक खंड के क्षत्रप शर्मा गुट के शिक्षक दल (गैर राजनीतिक) और चंदेल गुट के निर्दलीय समूह को इकाई पर समेट दिया है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक संगठन और सरकार के साझा प्रयास रंग लाए। एमएलसी चुनाव की घोषणा से पहले ही भाजपा ने अपने वोटर बना लिए, जबकि विपक्षी दल इसमें पीछे रहे। इस चुनाव की निगरानी स्वयं महामंत्री संगठन धर्मपाल ने संभाल रखी थी। उनका शिक्षा के क्षेत्र से पुराना नाता रहा है। इसलिए उन्होंने जिन क्षेत्रों में चुनाव था, वहां संगठन के पदाधिकारियों और मंत्रियों की ड्यूटी लगाई। इन लोगों ने वोटरों के साथ सम्मेलन करके भाजपा के पक्ष के माहौल तैयार किया। धर्मपाल ने चुनाव वालों जिलों में खुद प्रवास किया। वोटरों को निकालने और उन्हें जागरूक करने के लिए हर जिलों में संयोजक बनवाएं। बूथ स्तर तक मैनेजमेंट किया गया। सपा मंडल-कमंडल की राजनीति में उलझी रही। उसके उलट भाजपा की तगड़ी व्यू रचना में सपा फंस गई। अपने प्रयोगों के लिए माने जाने वाले धर्मपाल ने पन्ना प्रमुख और संयोजक से लेकर सभी को पूरे चुनाव भर मॉनिटर करते रहे।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि विधान परिषद चुनाव के परिणाम यह स्पष्ट संदेश है कि प्रदेश की महान जनता दंगाइयों, भ्रष्टाचारियों और धार्मिक ग्रन्थों का अपमान करने वालों के साथ नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व वाली डबल इंजन की भाजपा सरकार के साथ है।
गौरतलब है कि परिषद की 100 में से 6 सीटें खाली हैं। भाजपा ने 76 सीटों के साथ दो तिहाई से अधिक सीटों पर कब्जा जमा लिया है। मनोनीत कोटे की छह सीटों पर मनोनयन के बाद भाजपा के सदस्यों की संख्या 82 हो जाएगी, जबकि, सपा के 9 और बसपा का मात्र एक सदस्य है। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस की परिषद में कोई उपस्थिति नहीं है। 9 सदस्यों के साथ इकाई तक सिमटी सपा नेता प्रतिपक्ष की स्थिति में भी नहीं रह गई है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 4 फरवरी | प्रमुख डिजिटल भुगतान कंपनी में फील्ड एग्जिक्यूटिव के तौर पर काम कर रहे दो नाबालिगों को बार कोड के लिए आवेदन करने के बहाने रिक्शा चालकों और सब्जी विक्रेताओं को कथित रूप से ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि दोनों आरोपियों ने पीड़ितों के ई-वॉलेट पोस्टपेड खाते को गुप्त रूप से सक्रिय किया और उनके भुगतान खातों से पैसे निकाल लिए। अपने पुराने दोस्तों की पहचान का इस्तेमाल कर नौकरी पाने वाले आरोपी एक सरकारी स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र हैं।
उत्तर पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी के अनुसार, एक ई-रिक्शा चालक आशीष कुमार द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें उसने कहा था कि दो लड़कों ने उससे 60,000 रुपये की ठगी की है, जो उसके पास आए और उसे आसान ऑनलाइन भुगतान के लिए यूपीआई बार कोड लागू करने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा, लड़कों ने आगे कहा कि यह सेवा मुफ्त है और शिकायतकर्ता के आवेदन का उपयोग करते हुए दोनों ने 60,000 रुपये किसी अन्य खाते में स्थानांतरित कर दिए। पुलिस को इसी तरह के तौर-तरीकों के साथ एक और शिकायत मिली थी और जांच के दौरान मामलों में शामिल दोनों किशोरों को नांगलोई इलाके से पकड़ा गया।
दोनों से पूछताछ करने पर पता चला कि उनमें से एक को बार कोड लगाने के अंशकालिक काम के बारे में पता चला और उसने अपने एक दोस्त की आईडी का उपयोग करके काम करना शुरू कर दिया, जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक थी। डीसीपी ने कहा- एक अन्य किशोर भी उसके साथ जाने लगा। दोनों बेतरतीब जगहों पर जाते थे और सब्जी विक्रेताओं, ऑटो-रिक्शा चालकों आदि के लिए बार कोड स्थापित करते थे। बार कोड स्थापित करने के लिए ग्राहकों के ई-वॉलेट खाते का उपयोग करने की आवश्यकता होती है, वे दोनों ने इन खाताधारकों को धोखा देने का मौका पकड़ा।
उन्होंने कहा, उन्होंने शिकायतकर्ताओं सहित तीन लोगों से क्रमश: 60,000, 8,000 और 8,000 रुपये की ठगी की थी। ये दोनों एक शानदार जीवन शैली और अपनी गर्लफ्रेंड को प्रभावित करने के लिए पैसे खर्च करते थे। (आईएएनएस)|
मुंबई, 4 फरवरी | गायक-अभिनेता गिप्पी ग्रेवाल अपनी पंजाबी फिल्म 'हनीमून' के सिनेमाघरों में 100 दिन पूरे होने से बेहद खुश हैं। फैमिली एंटरटेनर ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है क्योंकि ओटीटी और सिनेमाघरों में कंटेंट की आमद को देखते हुए फिल्मों का इतने लंबे समय तक सिनेमाघरों में बने रहना बहुत दुर्लभ है। गिप्पी ने कहा: यह एक मील का पत्थर है। एक पंजाबी फिल्म को दर्शकों से इतना प्यार मिलना वास्तव में एक आशीर्वाद है, यह वास्तव में हम सभी के लिए एक रोमांचक क्षण है। जब दर्शक इसकी सराहना करते हैं तो प्रयास और कड़ी मेहनत सभी के लायक होती है।
अमरप्रीत जीएस छाबड़ा द्वारा निर्देशित, 'हनीमून' एक रोमांटिक-कॉमेडी है, जो नवविवाहित जोड़े की कहानी है, जिनकी हनीमून की योजना एक पागल रोलर-कोस्टर की सवारी में बदल जाती है। अभिनेत्री जैस्मीन भसीन ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, मैं बेहद खुश हूं कि 'हनीमून' ने सिनेमा में 100 दिन पूरे कर लिए हैं। मुझे इस बात पर गर्व महसूस हो रहा है कि दर्शक अब भी इस फिल्म पर अपना प्यार और समर्थन दिखा रहे हैं। यह पूरी टीम के सामूहिक प्रयास और कड़ी मेहनत के बिना संभव नहीं था इसलिए मैं उनका बहुत आभारी हूं।
निमार्ता भूषण कुमार ने कहा, यह हम सभी के लिए गर्व और उत्साह का क्षण है। 'हनीमून' पंजाबी भाषा की फिल्म होने के कारण 100 दिनों तक सिनेमा में टिकी रही। हमें वास्तव में खुशी है कि देश भर के दर्शकों ने एक फिल्म की इस अजीबोगरीब रोलर-कोस्टर राइड को पसंद किया है और अब भी कर रहे हैं।
'हनीमून' का निर्माण टी-सीरीज फिल्म्स और बवेजा स्टूडियो प्रोडक्शन ने किया है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 4 फरवरी | दिल्ली के एक दुकानदार को एक लाख रुपये की फर्जी लूट की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि आरोपी की पहचान रोहिणी के बुद्ध विहार निवासी 45 वर्षीय नवल कुमार झा के रूप में हुई है, जिसने पुलिस में यह दावा करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि जब वह सामान देने के बाद अपनी खिलौने की दुकान पर लौट रहा था, तो हेलमेट पहने बाइक सवार दो लोगों ने उसके वाहन को रोका और पेपर कटर से उस पर हमला कर दिया।
उत्तर पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी ने कहा कि, मामले की शिकायत झा ने की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें खिलौनों के भुगतान के रूप में एक लाख रुपये मिले थे, जो उन्होंने अपने टेंपो में कंझावला से फिल्मिस्तान के पास एक दुकान पर पहुंचाने थे।
डीसीपी ने कहा, जब झा अंडरपास के पास ओल्ड रोहतक रोड पहुंचे, तो हेलमेट पहने बाइक सवार दो लोगों ने उन्हें रोका और पेपर कटर से हमला कर एक लाख रुपये लूट लिए। जांच के दौरान, पुलिस टीमों ने क्षेत्र में और आसपास के सीसीटीवी कैमरों को खंगाला और शिकायतकर्ता द्वारा कथित तौर पर टेंपो का पीछा करते हुए कोई बाइक नहीं मिली। इस प्रकार, उनका आरोप झूठा पाया गया।
पुलिस ने झा से पूछताछ की और उसने आखिरकार खुलासा किया कि वित्तीय संकट ने उसे इस घटना को अंजाम देने के लिए मजबूर किया। वह एक किराए के घर में रहता है और प्रति माह 4,500 रुपये का भुगतान करता है, लेकिन उसने अपने मकान मालिक को पिछले चार महीनों से भुगतान नहीं किया। झा को अपने वाहन के बीमा की 4,500 रुपये की किश्त भी आने वाले महीने में चुकानी थी और होम क्रेडिट से लिये गये कर्ज की 6,462 रुपये की किस्त भी बकाया थी।
अधिकारी ने कहा, चूंकि उसका व्यवसाय अच्छी स्थिति में नहीं था और बकाये का भुगतान नहीं होने के कारण उसने खुद एक साजिश रची और प्राथमिकी दर्ज कराई। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 4 फरवरी | घरेलू कोयले का उत्पादन जनवरी 2023 के दौरान 13 प्रतिशत बढ़कर 89.96 मिलियन टन हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 79.65 मिलियन टन था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2023 के दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 11.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कैप्टिव खदानों ने क्रमश: 13.93 प्रतिशत और 22.89 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
शीर्ष 37 कोयला उत्पादक खानों में से 28 खानों ने 100 प्रतिशत से अधिक शुष्क ईंधन का उत्पादन किया और तीन खानों का उत्पादन जनवरी 2023 के दौरान 80 से 100 प्रतिशत के बीच रहा। वहीं, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में जनवरी 2023 के दौरान कोयला प्रेषण 8.54 प्रतिशत बढ़कर 75.47 मिलियन टन से 81.91 मिलियन टन हो गया।
जनवरी 2023 के दौरान, सीआईएल, एससीसीएल और कैप्टिव खानों ने क्रमश: 64.45 मिलियन टन, 6.84 मिलियन टन और 10.61 मिलियन टन कोयला भेजकर क्रमश: 6.07 प्रतिशत, 14 प्रतिशत और 21.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। जनवरी 2022 में पंजीकृत 62.70 मिलियन टन की तुलना में जनवरी 2023 के दौरान बिजली उपयोगिताओं का प्रेषण 8.01 प्रतिशत बढ़कर 67.72 मिलियन टन हो गया। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 4 फरवरी | कैलिफोर्निया में पुलिस ने पिछले महीने एक किशोर मां और उसके 10 महीने के बच्चे सहित एक परिवार की चार पीढ़ियों की हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। बीबीसी ने बताया कि यह नरसंहार गोशेन, तुलारे काउंटी में एक निजी आवास में हुआ था। मृतकों की पहचान रोजा पाराज (72), एलादियो पाराज जूनियर (52), जेनिफर अनाला (50), मार्कोस पाराज (19), एलिसा पाराज (16) और निकोलास पाराज (10 माह) के रूप में हुई थी।
शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए तुलारे काउंटी के शेरिफ माइक बॉउड्रीक्स ने कहा कि एंजेल उरियार्टे (35) को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।
शेरिफ ने कहा कि वह घायल हो गया था और वर्तमान में उसकी सर्जरी चल रही है।
इस बीच नोआह डेविड बियर्ड (25) को बिना किसी घटना के हिरासत में ले लिया गया।
हत्याओं के बाद अधिकारियों ने संदिग्धों की गिरफ्तारी की सूचना के लिए 10,000 डॉलर के इनाम की पेशकश की थी। (आईएएनएस)|
जयपुर, 4 फरवरी | राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सोशल मीडिया पर चार माह पुराने एक कार्यक्रम का वीडियो पोस्ट किया। इससे राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर शुरू हो गया। उनके ट्विटर और फेसबुक हैंडल पर शुक्रवार को पोस्ट किया गया वीडियो लगभग चार महीने पहले हैदराबाद में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक का है।
वीडियो फुटेज में वह कहती हैं, कभी-कभी लोग मजाक करते हैं। वे मुझसे कहते हैं कि वसुंधरा राजे हमेशा भगवान पर निर्भर रहती हैं। मैं कहती हूं हां, मुझे भगवान पर भरोसा है।
कांग्रेस पर टिप्पणी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री आगे कहते हैं, भले ही आप दौड़ते रहें और काम करते रहें, काम कभी भी पांच साल में पूरा नहीं होता है। लोग मुझसे पूछते हैं कि आप इतना क्यों करती हैं, आपको आराम से जाना चाहिए। मैं लोगों से कहती हूं कि किसी भी सरकार को कम से कम 5 से 10 साल काम करने के लिए दो। पांच साल कम होता है, यदि आप बहुत जल्द भी करेंगे, तो भी काम पूरा नहीं कर सकते।
हम सारा घर सजाकर छोड़ देते हैं। फिर कांग्रेस आती है। उसे मजा आता है। हमने जो भी काम किया है, फीता काटने का काम कांग्रेस करती है।
गौरतलब है कि राज्य के चुनावी वर्ष में प्रवेश करते ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। (आईएएनएस)|
इस्लामाबाद, 4 फरवरी | अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में गिरावट जारी है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के अनुसार शुक्रवार को ग्रीनबैक इंटरबैंक बाजार में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का मूल्य 276.58 रहा। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के हवाले से बताया कि इसके पहले गुरुवार को बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 271.36 पर बंद हुआ था। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि सप्ताह के अंतिम कार्य दिवस पर स्थानीय मुद्रा में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1.89 प्रतिशत की गिरावट आई।
शिन्हुआ से बात करते हुए एसबीपी के पूर्व गवर्नर रेजा बाकिर ने कहा कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, निर्यात में गिरावट और विदेशों से पाकिस्तानियों द्वारा भेजे जाने वाले धन में गिरावट पाकिस्तान के विदेशी रिजर्व व रुपये के मूल्य को सीधे प्रभावित कर रहा है।
बाकिर ने कहा कि इन सभी कारकों के साथ-साथ वैश्विक मंदी बाजार में नकारात्मक भावनाओं और अनिश्चितता में योगदान दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय मुद्रा में मुक्त गिरावट आई है। (आईएएनएस)|
नोएडा, 4 फरवरी | थाना एक्सप्रेस वे क्षेत्र में सेक्टर-168 स्थित गोल्डन पाम सोसायटी में अपनी महिला मित्र के साथ रहने आये 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने शुक्रवार देर रात 20वी मंजिल की बालकनी से छलांग लगा दी। उसकी मौके पर मौत हो गई। सूचना पर पहुंची एक्सप्रेस-वे कोतवाली पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिये भेज दिया। इस मामले में मृतक के महिला मित्र से पूछताछ की जा रही है। थाना एक्सप्रेस वे प्रभारी सुधीर कुमार ने बताया कि नमन मदान पुत्र अनिल मदान निवासी सेक्टर-15 सोनीपत, वीवान कंपनी बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। सोसायटी में किराए पर फ्लैट लिया था और अपनी महिला मित्र के साथ बृहस्पतिवार शाम करीब पांच बजे ओ टावर के स्टूडियो अपॉर्टमेंट में रुकने के लिए आए थे और शुक्रवार की रात को नमन मदान ने उस कमरे की 20वी मंजिल की बालकनी से कूदकर आत्महत्या कर ली। उसने खुदकुशी क्यों की यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। आशंका है कि युवती से किसी विवाद के बाद युवक ने खुदकुशी की है। पुलिस युवती को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
थाना प्रभारी का कहना है कि प्रारम्भिक पूछताछ से पता चला है कि महिला मित्र भी सोनीपत की रहने वाली है। दोनो बैचमेट हैं। नमन मदान के परिवार वालों को सूचित कर दिया है। पुलिस सभी पहलुओं पर मामले की जांच कर रही है। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 4 फरवरी | ट्विटर के सीईओ एलोन मस्क ने घोषणा की कि माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म अब उन क्रिएटर्स के साथ विज्ञापन राजस्व साझा करेगा, जिन्होंने अपने रिप्लाई थ्रेड्स में दिखाई देने वाले विज्ञापनों के लिए ट्विटर ब्लू वेरिफाइड की सदस्यता ली है। मस्क ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा, ट्विटर आज से क्रिएटर्स के रिप्लाई थ्रेड्स में दिखने वाले विज्ञापनों के लिए एड रेवेन्यू शेयर करेगा। पात्र होने के लिए अकाउंट को ट्विटर ब्लू वेरिफाइड का सब्सक्राइबर होना चाहिए। मस्क के पोस्ट पर कई यूजर्स ने अपने विचार व्यक्त किए।
एक उपयोगकर्ता ने पूछा, ट्विटर/निर्माता राजस्व विभाजन कैसा दिखेगा?, दूसरे ने टिप्पणी की, यह ता*++++++++++++++++++++++++++++र्*क रूप से कैसा दिखेगा? रचनाकारों के लिए एक विज्ञापन मुद्रीकरण डैशबोर्ड?
पिछले साल दिसंबर में ट्विटर ने अपनी ब्लू सेवा के लिए सुविधाओं की सूची को अपडेट किया था, इसमें उल्लेख किया गया था कि सेवा के ग्राहकों को बातचीत में प्राथमिकता वाली रैंकिंग मिलेगी।
अपडेट किए गए पेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि ग्राहक 1080पी रिजॉल्यूशन और 2जीबी फाइल आकार में वेब से 60 मिनट तक के वीडियो अपलोड कर सकते हैं, लेकिन सभी वीडियो को कंपनी के नियमों का पालन करना चाहिए। (आईएएनएस)|
बेंगलुरू, 4 फरवरी | बेंगलुरू में हॉलीवुड फिल्म 'अनाथ' से मिलती-जुलती एक घटना में एक दत्तक पुत्र ने अपनी मां को आग के हवाले कर दिया और अपने पिता को जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की पहचान उत्तम कुमार के रूप में हुई है। पुलिस के मुताबिक, मंजूनाथ और उसकी पत्नी के अपने बच्चे नहीं थे और उन्होंने आरोपी को गोद लिया था।
लेकिन उत्तम कुमार ने अपने माता-पिता का अनादर किया। पुलिस ने बताया कि उसने 2018 में अपनी दत्तक मां को जला दिया था। घटना के बाद उसे जेल भेज दिया गया था और रिहा होने के बाद उसने अपने पिता को जान से मारने की धमकी दी।
मंजूनाथ के पास पांच मकान हैं। उन्होने उसे किराए पर दे रखा है। आरोपी चाहता है कि वह मकानों का किराया उसे दें। मंजूनाथ के मना करने पर उसने जान से मारने की धमकी दी।
पुलिस ने यह भी कहा कि आरोपी किराएदार के पास गया और उसे किराए का भुगतान करने के लिए हथियार दिखाकर धमकाया। पुलिस जब उसे गिरफ्तार करने गई, तो जमकर हंगामा हुआ।
सदाशिवनगर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच जारी है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 4 फरवरी | केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक अस्सिटेंट सब-इंस्पेक्टर ने राष्ट्रीय राजधानी में कथित तौर पर अपनी सर्विस गन से खुद को गोली मार ली। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। घटना शुक्रवार शाम करीब चार बजे की है। मृतक की पहचान 53 वर्षीय राजबीर सिंह के रूप में हुई है।
अधिकारी ने कहा, उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के आवास पर तैनात किया गया था।
अधिकारी ने कहा, कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है और आज पोस्टमॉर्टम किया जाएगा, इसके बाद शव परिवार के सदस्यों को सौंप दिया जाएगा। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 4 फरवरी | अमेरिका की एक अदालत ने एलन मस्क को टेस्ला फंडिंग सिक्योरिटी मामले में बरी कर दिया है। सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, फैसले पर पहुंचने से पहले ज्यूरी सदस्यों ने लगभग दो घंटे तक विचार-विमर्श किया। इस पर क्लास एक्शन में टेस्ला शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व करने वाली फर्म लेवी एंड कोर्सिस्की के पार्टनर निकोलस पोरिट ने निराशा जाहिर की।
मस्क ने खुशी जताते हुए ट्वीट किया कि वह जूरी के फैसले की सराहना करते हैं।
दरअसल, साल 2018 में मस्क ने टेस्ला के प्राइवेटाइजेशन को लेकर ट्वीट किया था।
मस्क ने पहले अमेरिकी अदालत में स्वीकार किया था कि उन्होंने 2018 में टेस्ला को फंडिंग हासिल करने के बारे में ट्वीट करते हुए अपने सलाहकारों और निवेशकों की अनदेखी की।
अगस्त 2018 में, उन्होंने ट्वीट किया था कि वह 420 अमेरीकी डॉलर में टेस्ला को निजी लेने पर विचार कर रहे हैं। उनकी फंडिंग सुरक्षित है।
उन्होंने कहा, शेयरधारक या तो 420 डॉलर पर बेच सकते हैं या शेयर रख सकते हैं और प्राइवेट कर सकते हैं।
अगस्त 2018 के ट्वीट के चलते मस्क और टेस्ला यूएस एसईसी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। (आईएएनएस)|
तिरुवनंतपुरम, 3 फरवरी | प्रसिद्ध लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता अमिताभ घोष ने कहा है कि शोषणकारी अर्थव्यवस्था पिछली शताब्दियों में दुनिया भर में उपनिवेशवाद की पहचान रही। उन्होंने कहा कि वही अर्थशास्त्र झारखंड और ओडिशा की खनिज समृद्ध खदानों में आज भी शासन कर रहा है। घोष ने यहां मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (एमबीआईएफएल) में यह बात कही।
घोष यहां के प्रतिष्ठित सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज में फैकल्टी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि संसाधन लोगों के लिए अभिशाप बन गए हैं। उनकी जमीन शोषक अर्थव्यवस्था के चंगुल में फंस गई है।
खनन कंपनियां झारखंड की यूरेनियम खदानों का उन सभी स्थानीय लोगों की कीमत पर शोषण कर रही हैं, जिनका जीवन उनके पास मौजूद संसाधनों के कारण बर्बाद हो गया है। एक और अच्छा उदाहरण ओडिशा में नियामगिरी है। यह आदिवासियों के लिए पवित्र पर्वत है, लेकिन उन्हें उनकी जमीन से हटा दिया गया है और उनकी भूमि खनन कंपनियों द्वारा जब्त कर ली गई है।
अपनी पुस्तक 'द नटमेग कर्स' की पृष्ठभूमि पेश करते हुए घोष ने कहा कि बांदा द्वीप समूह में 1,621 लोगों का नरसंहार जायफल के व्यापार को नियंत्रित करने के लिए किया गया जो कि एक मूल्यवान वस्तु है, जो केवल उसी इलाके में पैदा होता है। यह बाद में लोगों की गुलामी का कारण बन गया और कई लोगों को बांदा में जायफल के बागानों में काम करने के लिए दक्षिण भारत से लाया गया।
इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जहां वाणिज्यिक हितों के आगे लोग बेबस हो गए।
घोष ने कहा, सौभाग्य से भारत में कुछ वर्षों के लिए हम एक्सट्रा एक्टिविज्म को दूर रखने में सक्षम थे, लेकिन अब यही काफी उग्र हो गया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में एक मॉडल बन गया है।
घोष ने कहा, यह एक ऐसी सोच है जो 17वीं शताब्दी के यूरोपीय ²ष्टिकोण में निहित है कि पृथ्वी एक मशीन है जिसे किसी भी तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका विरोध यूरोप में भी हुआ क्योंकि जमीन को पवित्र मानने वाले लोगों ने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस लड़ाई में महिलाएं सबसे आगे थीं।
इतिहासकार दस्तावेजों पर भरोसा करते हैं लेकिन पेड़, पहाड़ या ज्वालामुखी जैसे प्रकृति के तत्व शायद ही कभी इस इतिहास का हिस्सा रहे हैं। लेकिन इसने मानव जाति के इतिहास में जो भूमिका निभाई वह निर्णायक है। दुनिया भर के एलीट गैर-मानव चीजों को निष्क्रिय मानता है।
यह एक ऐसा ²ष्टिकोण है जिसे एक उपनिवेशवादी संसाधनों के रूप में मानव और गैर-मानव का उपयोग करता है जिसके चलते कुछ प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। (आईएएनएस)
कोलकाता, 3 फरवरी | कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कोलकाता में 2009 में विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकवादी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। जस्टिस देबांगसु बसाक और शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने मार्च 2021 के ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें पाकिस्तानी निवासी शहबाज इस्माइल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
18 मार्च 2009 को कोलकाता पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स के अधिकारियों ने 27 वर्षीय इस्माइल को गिरफ्तार किया, उस समय वह श्रीनगर जाने के लिए कोलकाता में रेलवे टिकट काउंटर से टिकट खरीद रहा था। वह राज्य के मुर्शिदाबाद जिले के निवासी मोहम्मद जमील के फर्जी पहचान के साथ कोलकाता में रह रहा था।
उसके कब्जे से एसटीएफ ने नकली ड्राइविंग लाइसेंस, फर्जी ईपीआईसी कार्ड, बांग्लादेशी सिम कार्ड के साथ एक मोबाइल फोन, विस्फोटक, उसके स्थानीय संपर्कों के नाम और नंबर वाले दस्तावेज और विस्फोटक तैयार करने के तरीके के दस्तावेजों बरामद किए।
उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। जांच के दौरान एसटीएफ के अधिकारियों को पता चला कि इस्माइल को 2007 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में हरकत-उल-मुजाहिदीन के प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षित किया गया था। वहां उसे विस्फोटक बनाने के अलावा एके-47, रॉकेट लॉन्चर और हैंड ग्रेनेड जैसी हाई-एंड ऑटोमैटिक राइफल चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।
मार्च 2021 में, कोलकाता की ट्रायल कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
पटना, 3 फरवरी (आईएएनएस)| बिहार के शिवहर जिले में एक नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। यह घटना जिले के श्यामपुर भटाहा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले एक गांव में गुरुवार को हुई। रिपोर्ट के अनुसार, नाबालिग लड़की जब स्थानीय बाजार से लौट रही थी, तब उसे दो आरोपियों ने रोका और एक सुनसान जगह पर ले गए। जहां उन्होंने उसका बलात्कार किया।
आरोपियों ने कुछ घंटों के बाद पीड़िता को घटना के बारे में किसी को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर छोड़ दिया। हालांकि, पीड़िता ने घर पहुंचने के बाद मां को आपबीती सुनाई। पीड़िता ने अपनी मां के साथ श्यामपुर भटाहा थाने पहुंचकर आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
एक अधिकारी ने कहा कि पीड़िता ने आरोपियों की पहचान की है। इसलिए, हमने आरोपियों के घरों पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हमने पीड़िता की मेडिकल जांच भी कराई, जिसमें बलात्कार की पुष्टि हुई है।
आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामले दर्ज किया गया है और आगे की कार्रवाई के लिए केस को महिला पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया है।
गुवाहाटी, 3 फरवरी असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ व्यापक मुहिम के तहत शुक्रवार को अब तक 1,800 लोगों को गिरफ्तार किया हैं । मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी।
शर्मा ने यहां एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों को बताया कि राज्य भर में शुक्रवार सुबह से मुहिम शुरू की गई और यह अगले तीन से चार दिन तक जारी रहेगी।
राज्य मंत्रिमंडल ने 23 जनवरी को यह फैसला किया था कि बाल विवाह के दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा और साथ ही व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुहिम जारी है और गिरफ्तारी के संदर्भ में शाम तक स्पष्ट तस्वीर सामने आ जाएगी और उन जिलों का भी पता चला जाएगा जहां ऐसे मामले हुए हैं।
अब तक सबसे अधिक 136 गिरफ्तारियां धुबरी से हुई हैं जहां सबसे अधिक 370 मामले दर्ज हुए हैं। इसके बाद बारपेटा में 110 और नागांव में 100 गिरफ्तारियां हुई हैं।
14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और 14-18 साल की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा। अगर लड़के की उम्र भी 14 साल से कम होगी तो उसे सुधार गृह भेजा जाएगा क्योंकि नाबालिगों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता।
शर्मा ने इससे पहले कहा था कि ऐसे विवाह में शामिल पुजारी, काजी और परिवार के सदस्यों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘असम सरकार राज्य में बाल विवाह को खत्म करने के अपने संकल्प के लिए दृढ़ है। असम पुलिस ने राज्य भर में अब तक 4,004 मामले (बाल विवाह के) दर्ज किए हैं और आगामी दिनों में पुलिस की और कार्रवाई होने की उम्मीद है। इन मामलों पर तीन फरवरी से कार्रवाई शुरू होगी। मैं सभी से सहयोग का अनुरोध करता हूं।’’
शर्मा ने राज्यव्यापी पुलिस कार्रवाई पर पुलिस महानिदेशक जी पी सिंह की मौजूदगी में सभी पुलिस अधीक्षकों (एसपी) के साथ डिजिटल बैठक की अध्यक्षता की।
उन्होंने लोगों से ‘‘इस कुरीति से मुक्ति’’ के लिए सहयोग एवं समर्थन की अपील की।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, असम में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर सर्वाधिक है और बाल विवाह इसका प्रमुख कारण रहा है। राज्य में दर्ज विवाह में से 31 प्रतिशत मामले निषिद्ध आयुवर्ग के हैं।
हाल में दर्ज बाल विवाह के 4,004 मामलों में सबसे अधिक धुबरी (370) में दर्ज किए गए हैं। इसके बाद ऐसे मामले होजई (255), उदलगुरी (235), मोरीगांव (224) और कोकराझार (204) में दर्ज किए गए हैं। बराक घाटी के हैलाकांडी जिले में बाल विवाह का सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया जबकि दीमा हसाओ में 24 और कछार में 35 मामले दर्ज किए गए। (भाषा)
नयी दिल्ली, 3 फरवरी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले साल छह मार्च को वित्त विभाग में लेखा सहायकों की भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के छह जिलों में 37 स्थानों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सीबीआई के अधिकारियों ने शुक्रवार सुबह जम्मू में 30 स्थानों पर बिचौलियों और अन्य आरोपियों के परिसरों में छापे मारे। उधमपुर, राजापुरी और डोडा सहित अन्य स्थानों पर भी तलाशी अभियान चल रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) द्वारा आयोजित परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में एक मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने इस मामले में 20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन लोगों में जेकेएसएसबी की पूर्व सदस्य नीलम खजूरिया, सेक्शन ऑफिसर अंजू रैना और करनैल सिंह शामिल हैं, जो उस समय बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय में चिकित्सा अधिकारी थे।
बोर्ड द्वारा परीक्षा छह मार्च, 2022 को आयोजित की गई थी और उसके परिणाम पिछले साल 21 अप्रैल को घोषित किए गए थे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 3 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी के वृत्तचित्र को प्रतिबंधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को केंद्र सरकार से जवाब तलब किया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम एम शाह की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार एन राम, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा और कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया।
पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा की याचिका पर भी नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को प्रतिबंध संबंधी आदेश के मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश भी दिया।
पीठ ने कहा, “हम नोटिस जारी कर रहे हैं। जवाबी हलफनामा तीन हफ्ते के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए। प्रत्युत्तर उसके दो हफ्ते के बाद दिया जाना चाहिए।”
मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। (भाषा)