राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 1 फरवरी | वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को संसद में बजट पेश करते हुए विभिन्न क्षेत्रों के विकास की बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार युवाओं को कृषि क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए कृषि क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए एग्रीकल्चरल एक्सिलेटर फंड की स्थापना की जाएगी। वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने की बात कही। इसके तहत बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी। वित्तमंत्री ने राज्यों के पुराने ऋणों को एक साल और बढ़ाने की बात कही। उन्होंने अपनी सरकार के द्वारा देश भर में स्थापित 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में 38 हजार 800 शिक्षकों व अन्य स्टाफ की नियुक्ति की घोषणा की।
अपने बजट भाषण में वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना को 66 प्रतिशत बढ़ाकर, इसका बजट 79000 करोड़ करने की बात कही। उन्होंने देशभर में विभिन्न स्थानों पर 157 नए नर्सिग कॉलेज खोलने की घोषणा की।
वित्तमंत्री ने बच्चों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करने के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट और चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट को बढ़ावा देने की भी बात कही। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा, 1 फरवरी | ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने तय रिजर्व प्राइस से करीब डेढ़ गुना दामों पर तीन बिल्डर भूखंड बेचने में सफलता पाई है। रिजर्व प्राइस पर इन तीन भूखंडों से करीब 200 करोड़ रुपये मिलने का आकलन था, लेकिन औसतन डेढ़ गुना अधिक रेट पर बिकने से प्राधिकरण को इन तीन भूखंडों से अब 305 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। ये पैसे 90 दिनों में एकमुश्त मिल जाएंगे। ग्रेटर नोएडा में पहली बार बिल्डर भूखंड का आवंटन ई-ऑक्शन के जरिए हुआ है। इससे ग्रेटर नोएडा में आशियाना चाहने वाले खरीदारों का सपना भी पूरा हो सकेगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी की पहल पर बिल्डर विभाग ने 11 भूखंडों की योजना 6 दिसंबर 2022 को निकाली थी। आवेदन करने की अंतिम तिथि 27 दिसंबर थी। इनमें से सेक्टर 10 व सेक्टर 12 के तीन भूखंडों के लिए नौ निविदाएं प्राप्त हुईं। मंगलवार को इनकी बिड खुली। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ अदिति सिंह ने बताया कि सेक्टर 10 (प्लॉट- जीएच 03ए) के 22 हजार वर्ग मीटर के भूखंड के लिए रिजर्व प्राइस के आधार पर 70.84 करोड़ रुपये कीमत मिलने का आकलन था, लेकिन मंगलवार को इस भूखंड के लिए 18 राउंड की बिडिंग हुई। मैसर्स गोल्फ ग्रीन मैनसंस ने सर्वाधिक 127.05 करोड़ रुपये की बिड लगाई। इस तरह ये भूखंड रिजर्व प्राइस से करीब 60 फीसदी अधिक दर पर बिका है। दूसरा भूखंड भी सेक्टर 10 (प्लॉट-जीएच 04ए) में ही 20240 वर्ग मीटर का बिका है। रिजर्व प्राइस से इसकी कीमत 70.84 करोड़ रुपये थी, लेकिन ये 57 प्रतिशत अधिक दर पर 125.38 करोड़ रुपये में बिका है। इस प्लॉट के लिए आयरिश इंफ्रास्ट्रक्च र और अंशु हॉस्पिटल ने ये बिड लगाई है। वहीं, तीसरा भूखंड सेक्टर 12 में जीएच-02सी, 14998 वर्ग मीटर एरिया का बिका है। रिजर्व प्राइस से इसकी कीमत 52.49 करोड़ रुपये तय की गई है, लेकिन यह 53.01 करोड़ रुपये में बिका है। इस भूखंड के लिए सवाना बिल्डर्स कंपनी और एल्डिको इंफ्रास्ट्रक्च र एंड प्रॉपर्टी ने सर्वाधिक बिड लगाई। इन भूखंडों के आवंटन से प्राधिकरण को 90 दिन में करीब 305 करोड़ प्राप्त हो जाएंगे। एसीईओ ने बताया कि 90 दिनों में इन तीनों भूखंडों की पूरी कीमत प्राप्त हो जाएगी। इनका आवंटन पत्र भी तत्काल जारी कर दिया जाएगा। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के मुताबिक भूखंडों का पहली बार ई-ऑक्शन हुआ है। इसके बावजूद रिजर्व प्राइस से डेढ़ गुना अधिक कीमत प्राप्त हुआ है। इसी से पता चलता है कि एनसीआर का सबसे ग्रीन शहर ग्रेटर नोएडा निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है। इंडस्ट्री हो, डाटा सेंटर हो या फिर रिहायशी प्रोजेक्ट, यहां की हर तरह की संपत्ति में लोग निवेश करना चाहते हैं।
सैन फ्रांसिस्को, 1 फरवरी | ट्विटर ने घोषणा की है कि उसने अपने सहयोगी पोस्टिंग फीचर 'कोट्वीट्स' को बंद कर दिया है, जिसका माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पिछले कई महीनों से परीक्षण कर रहा था। प्लेटफॉर्म ने अपने सहायता केंद्र पेज पर कहा, "पिछले कई महीनों से हम कोट्वीट्स का उपयोग करके एक साथ ट्वीट करने के एक नए तरीके का परीक्षण कर रहे हैं। हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि वर्तमान प्रयोग समाप्त हो रहा है।"
"कोट्वीट्स अब मंगलवार, 1/31 से बनाने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। पहले से मौजूद 'कोट्वीट्स' एक और महीने के लिए देखे जा सकेंगे, जिस बिंदु पर वे रीट्वीट पर वापस आ जाएंगे। हम इसके कारण होने वाली किसी भी असुविधा के लिए क्षमा चाहते हैं।"
कोट्वीट्स एक सह-लेखक ट्वीट था जिसे लेखकों की टाइमलाइन और उनके फॉलोअर्स की टाइमलाइन पर एक ही समय पर पोस्ट किया गया था।
उपयोगकर्ता हेडर में दो लेखकों के उपयोगकर्ता नाम और प्रोफाइल छवियों द्वारा 'कोट्वीट्स' की पहचान करने में सक्षम थे।
फीचर ने लेखकों को स्पॉटलाइट साझा करने, नए दर्शकों को शामिल करने के अवसरों को अनलॉक करने और उनकी स्थापित साझेदारी को बढ़ाने की अनुमति दी।
जब पिछले साल जुलाई में लॉन्च किया गया था, तो मंच ने कहा कि, "सीमित समय का यह प्रयोग कनाडा, कोरिया और अमेरिका में चुनिंदा खातों को दूसरे खाते के साथ 'कोट्वीट्स' को आमंत्रण भेजने की अनुमति देता है।" (आईएएनएस)|
बेंगलुरु, 1 फरवरी | मलयालम सुपरस्टार दुलकर सलमान ने सुपरस्टार यश के हावभाव की सराहना की है और कर्नाटक के मैसूरु में शूटिंग के दौरान उनके आतिथ्य के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है। मैसूर रॉकिंग स्टार यश का गृहनगर है। दुलकर ने कहा, "वह सबसे दयालु और सबसे अच्छे मेजबान हैं। उन्होंने मुझे और मेरी टीम के लिए खाना भेजा जब हम दोनों मैसूरु में फिल्म कर रहे थे।"
दुलकर को संबोधित करते हुए, यश ने पोस्ट किया था कि, "अगली बार जब आप मेरे गृहनगर में वापस आएंगे, तो एक देशी व्यंजन आपका इंतजार कर रहा होगा।"
दोनों सुपरस्टार्स के फैन्स एक-दूसरे के लिए दोस्ती, आपसी सम्मान का जश्न मना रहे हैं।
दिवंगत कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार को भी दक्षिण के सुपरस्टारों ने बेंगलुरु और कर्नाटक के अन्य हिस्सों में उनकी मेजबानी करने के लिए सराहा था, जब वह भी ऐसे टीम के लिए खान भेजते थे। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 फरवरी | संसद में बजट पेश होने से पहले कांग्रेस ने रणनीति बनाने के लिए अपने लोकसभा सांसदों की बैठक बुलाई है। यह बैठक लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने बुलाई है।
राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, बजट केवल लेखांकन अभ्यास नहीं है बल्कि भारत के भविष्य के पथ को दर्शाता है। जवाबदेही इसका एक अनिवार्य हिस्सा है। उम्मीद है कि वित्त मंत्री अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर आयकर, एसएफआईपी, ईडी और सेबी द्वारा पूर्ण ऑडिट और जांच की घोषणा करेंगी।
सीतारमण 2023-24 के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण पेश करेंगी।
वह निचले सदन में वित्त विधेयक 2023 पेश करेंगी। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 फरवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए जाने से पहले बजट 2023-24 को मंजूरी दे दी गई। कैबिनेट बैठक से पहले सीतारमण ने राज्य मंत्री पंकज चौधरी और भागवत कराड के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड, राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करने से पहले राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा यह पांचवां बजट पेश किया जा रहा है।
वह संसद में 2023-24 के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण रखेगी।
वित्त मंत्री राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम, 2003, मध्यम अवधि की राजकोषीय नीति सह राजकोषीय नीति रणनीति और मैक्रो-इकोनॉमिक ढांचे पर वक्तव्य भी प्रस्तुत करेंगे। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 फरवरी | दिल्ली पुलिस ने दक्षिण पूर्व दिल्ली के कालकाजी इलाके में 12वीं कक्षा के एक छात्र की चाकू मारकर हत्या करने के आरोप में एक किशोर सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, दोपहर 2.30 बजे सोमवार को कालकाजी थाने में सूचना मिली कि ओखला फेज-2 स्थित जेजेआर कैंप निवासी 18 वर्षीय मोहन नामक युवक के सीने पर चाकू लगने के बाद उसे पूर्णिमा सेठी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
तदनुसार, चोट की गंभीर प्रकृति को देखते हुए डीडी प्रविष्टि के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अधिकारी ने कहा, "युवक को बाद में मृत घोषित कर दिया गया, जिसके बाद प्राथमिकी में धारा 302 जोड़ी गई। मोहन एक स्थानीय सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा का छात्र था।"
जांच के दौरान, पुलिस ने पाया कि 28 जनवरी को गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास मोहन और उसके स्कूल के दोस्तों के बीच दूसरे स्कूल के छात्रों के साथ मामूली हाथापाई हुई थी।
अधिकारी ने कहा है, "सोमवार को, दूसरे स्कूल के छात्रों के एक समूह ने बदला लेने की योजना बनाई और हंसराज सेठी पार्क के पास पहुंचे। जैसे ही मोहन और अन्य छात्र हंसराज सेठी पार्क के पास पहुंचे, उन पर हमला हो गया।"
पीड़ित के सीने में चाकू से वार किया गया।
अधिकारी ने कहा, "मंगलवार को 18 वर्षीय शिवा चौधरी और एक 15 वर्षीय किशोर को पकड़ा गया।" (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 फरवरी | देश के केंद्रीय बजट 2023-24 में गैर-मेट्रो शहरों में खेल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, खेल में लड़कियों की भागीदारी में सुधार और जमीनी स्तर पर युवा खिलाड़ियों में निवेश पर जोर देना चाहिए। यह बात खेल विद्वान और लास्टमैनस्टैंड्स में गुड़गांव इनक्रेडिबल्स टीम के मालिक अमन ढल सरकार से अपनी बजट पूर्व अपेक्षा में कही। उनके अनुसार सरकार को टीयर-3 और 4 शहरों में खेल के विकास के लिए बड़ी धनराशि आवंटित करनी चाहिए और निवेश करना चाहिए, जहां मजबूत बुनियादी ढांचा देश को वैश्विक खेल महाशक्ति बनने के लिए प्रतिभाओं को तैयार करने में मदद कर सकता है।
खेल संस्थान लॉफबोरो यूनिवर्सिटी (यूके) के पूर्व छात्र सलाहकार बोर्ड के सदस्य ने कहा, पिछले साल खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत 974 करोड़ रुपये का बजट दिया गया। आगामी बजट में भारत में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए फिट इंडिया कार्यक्रम जैसी योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए और लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को महिलाओं को खेल में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक समर्पित कोष आवंटित करना चाहिए। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 फरवरी | कांग्रेस पार्टी अन्य दलों के साथ मिलकर बजट सत्र में अदानी, चीन सीमा विवाद और महंगाई का मुद्दा उठाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि इस सत्र के दौरान विपक्ष बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा अदानी समूह, भारत-चीन सीमा पर बढ़ रही चीन की आक्रामकता का मुद्दा उठाएगी। उन राज्यपालों की भूमिका पर बात करेंगे 'जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने की होड़ में हैं'।
गौरतलब है कि अमेरिकी फॉरेंसिक आर्थिक कंपनी हिंडनबर्ग ने पिछले ह़फ्ते अदानी समूह पर आर्थिक अनियमितताओं से जुड़े गंभीर आरोप लगाए थे जिसके बाद से अदानी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
वहीं कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी बुधवार ट्वीट कर कहा, बजट केवल लेखा-जोखा नहीं है बल्कि ये भारत के भविष्य की राह दिखाता है। इसलिए जि़म्मेदारी लेना इसका अहम हिस्सा है। हमें उम्मीद है कि वित्त मंत्री अदानी समूह पर आए हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पूरे ऑडिट और सेबी, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और सीरियन फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस से इसकी जांच की घोषणा करेंगी।
इससे पहले उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण पर कहा था कि ये सरकार के परफॉर्म न कर पाने के बहानों से भरी रिपोर्ट है।
उन्होंने लिखा, आम लोगों के लिए कोई राहत नहीं, कोविड महामारी को जि़म्मेदार ठहराना, महंगाई बढ़ने के लिए रूस यूक्रेन युद्ध को जि़म्मेदार ठहराना और देश के जीडीपी गिरने के लिए वैश्विक मंदी को जि़म्मेदार ठहराना। मोदी सरकार का आर्थिक सर्वे बजट पेश होने से पहले बचने के बहानों की स्क्रिप्ट है। (आईएएनएस)|
हैदराबाद, 1 फरवरी | हैदराबाद के कुकटपल्ली इलाके में एक दंपत्ति ने अपने घर में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। वेंकटराव नगर कॉलोनी में सोमिरेड्डी (65) और मंजुला (58) मृत पाए गए।
बताया जा रहा है कि मंजुला ने खुद को फांसी लगा ली, जबकि सोमीरेड्डी ने कीटनाशक का सेवन किया।
मंगलवार को जब बार-बार फोन करने पर भी कॉल का कोई जवाब नहीं आया, तो मंजुला का भाई वेंकट रेड्डी घर पहुंचा। घर पहुंचने पर घटना का खुलासा हुआ।
वेंकट रेड्डी ने पुलिस को सूचना दी, जिन्होंने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और जांच शुरू कर दी। पुलिस को संदेह है कि दंपत्ति ने खराब स्वास्थ्य के चलते यह खौफनाक कदम उठाया।
दंपति के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा शहर के मियापुर क्षेत्र में अलग रहता है, जबकि छोटा बेटा विदेश में काम करता है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 1 फरवरी | लोकसभा में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 'सही रास्ते पर है और उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रही है।' उन्होंने कहा, "जनभागीदारी के परिणामस्वरूप सुधारों और साउंड पॉलिसियों पर हमारा ध्यान हमें मुश्किल समय में मदद कर रहा है, हमारी बढ़ती वैश्विक प्रोफाइल कई उपलब्धियों के कारण है।"
सीतारमण ने आगे कहा कि सभी व्यय और प्राथमिकता वाले परिवारों को एक साल के लिए मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का पूरा खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 31 जनवरी | नेशनल हाईवे (एनएच) और सड़कों के निर्माण में समय के साथ वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 22 में 10,457 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2016 में 6,061 किलोमीटर का सड़क निर्माण हुआ था।
मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया, वित्त वर्ष 2023 में (अक्टूबर 2022 तक), कुल 4,060 किलोमीटर एनएच और सड़कों का निर्माण किया गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में उपलब्धि का लगभग 91 प्रतिशत था।
इस क्षेत्र में निवेश के लिए कुल बजटीय समर्थन पिछले चार वर्षों में तेजी से बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2023 (31 अक्टूबर, 2022 तक) के दौरान लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों, जिला सड़कों, ग्रामीण सड़कों और शहरी सड़कों के नेटवर्क के रूप में सड़क बुनियादी ढांचा देश की उपभोक्ताओं और व्यवसायों की विविध आबादी के लिए परिवहन और कनेक्टिविटी के एक प्रमुख साधन के रूप में कार्य करता है। सड़कें देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में लास्ट-माइल कनेक्टिविटी के माध्यम से परिवहन के अन्य साधनों की पूरक हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने वित्त वर्ष 22 में न केवल सड़कों के मुद्रीकरण की सुविधा के लिए बल्कि सड़क क्षेत्र में निवेश करने के लिए विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपना इनविट लॉन्च किया। अब तक, एनएचएआई इनविट ने उच्च गुणवत्ता वाले विदेशी और भारतीय संस्थागत निवेशकों (दिसंबर 2022 तक) से 10,200 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 31 जनवरी | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सामाजिक क्षेत्र में सरकारी खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। 4 जनवरी, 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 22 करोड़ लाभार्थियों का सत्यापन किया जा चुका है। देश में 1.54 लाख से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर केंद्र और राज्य सरकार का बजटीय व्यय वित्त वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 22 में 2.2 प्रतिशत तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 1.6 प्रतिशत था।
वित्तीय वर्ष 23 में सामाजिक क्षेत्र का व्यय वित्त वर्ष 2016 में 9.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 21.3 लाख करोड़ रुपये हो गया।
सर्वेक्षण में बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर यूएनडीपी की 2022 की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि 2005-06 और 2019-20 के बीच भारत में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले।
एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम सुशासन के लिए एक टेम्प्लेट के रूप में उभरा है। विशेष रूप से दूरस्थ और कठिन क्षेत्रों में और असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ईश्रम पोर्टल विकसित किया गया है, जो आधार के साथ सत्यापित है।
31 दिसंबर, 2022 तक 28.5 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को ईश्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।
जेएएम (जन-धन, आधार, और मोबाइल) को डीबीटी की शक्ति के साथ मिलाकर व लोगों को सशक्त बनाकर पारदर्शी और जवाबदेह शासन के मार्ग में क्रांति लाते हुए समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाया है।
आधार ने को-विन प्लेटफॉर्म को विकसित करने और 2 बिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक के पारदर्शी प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्तरों से आगे निकल गए हैं। बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.8 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 4.2 प्रतिशत हो गई है।
वित्तीय वर्ष 22 में स्कूलों में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में सुधार और लैंगिक समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा एक से पांच में लड़कियों के साथ-साथ लड़कों के प्राथमिक-नामांकन में सुधार हुआ है।
स्वास्थ्य पर सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों के कारण स्वास्थ्य व्यय के प्रतिशत के रूप में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय वित्त वर्ष 14 में 64.2 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 19 में 48.2 प्रतिशत हो गया।
शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) और नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) में लगातार गिरावट देखी गई है।
6 जनवरी, 2023 तक 220 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन की खुराक दी गई। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 31 जनवरी | देश के कृषि क्षेत्र में छह वर्षों में 4.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर के साथ वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि इसने कृषि और संबद्ध गतिविधियों के क्षेत्र को देश के समग्र विकास व खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाया है। इसके अलावा हाल के वर्षों में देश कृषि उत्पादों के निर्यातक के रूप में उभरा है। इसका निर्यात 2021-22 में 50.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड को छू गया है।
सर्वेक्षण में इस क्षेत्र की वृद्धि और उछाल का श्रेय फसल और पशुधन उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों, मूल्य समर्थन (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के माध्यम से किसानों को रिटर्न की निश्चितता सुनिश्चित करने, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्रित हस्तक्षेपों को दिया गया है। ऋण उपलब्धता, मशीनीकरण की सुविधा और बागवानी और जैविक खेती से भी कृषि क्षेत्र मे उछाल आया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि ये हस्तक्षेप किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी समिति की सिफारिशों के अनुरूप हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार कृषि वर्ष 2018-19 के बाद से खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत के मार्जिन के साथ बढ़ा रही है। दलहन और तिलहन को अपेक्षाकृत अधिक एमएसपी दिया गया, ताकि बदलते आहार पैटर्न के साथ तालमेल बिठाया जा सके और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
सरकार ने 2022-23 में कृषि ऋण प्रवाह में 18.5 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। सरकार ने इस लक्ष्य को हर साल लगातार बढ़ाया और वह पिछले कई सालों से हर साल तय किए गए लक्ष्य को लगातार पार करने में भी सफल रही है। 2021-22 में यह 16.5 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य से करीब 13 फीसदी ज्यादा था।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि यह उपलब्धि इसलिए संभव हुई, क्योंकि सरकार ने प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों पर किसानों को परेशानी मुक्त ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना जो किसी भी समय ऋण प्रदान करती है और संशोधित ब्याज अनुदान योजना, जो रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का अल्पावधि कृषि ऋण प्रदान करती है।
दिसंबर 2022 तक 4,51,672 करोड़ रुपये की केसीसी सीमा के साथ 3.89 करोड़ पात्र किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं। भारत सरकार द्वारा 2018-19 में मत्स्य पालन और पशुपालन किसानों को केसीसी सुविधा का विस्तार करने के साथ, अब 1.0 लाख से अधिक (17 अक्टूबर, 2022 तक) केसीसी मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए और 9.5 लाख (4 नवंबर, 2022 तक) पशुपालन क्षेत्र के लिए स्वीकृत किए गए हैं।
सर्वेक्षण में बताया गया है कि 11.3 करोड़ किसानों को पीएम किसान सम्मान योजना के अप्रैल-जुलाई 2022-23 चक्र के तहत सरकार से आय समर्थन प्राप्त हुआ। इस योजना ने पिछले तीन वर्षों में जरूरतमंद किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता प्रदान की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) द्वारा एक अनुभवजन्य अध्ययन में पाया गया कि इस योजना ने कृषि आदानों को खरीदने के लिए किसानों की तरलता की कमी को दूर करने में मदद की है, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को उनकी जरूरतों को पूरा करने में मदद की है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 31 जनवरी | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कार्य की मासिक मांग में मजबूत कृषि विकास के कारण साल-दर-साल गिरावट आ रही है। 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण में कोविड-19 से वापसी की बात कही गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्तरों से आगे निकल गए हैं, जैसा कि आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष के रोजगार डेटा में देखा गया है।
त्रैमासिक शहरी रोजगार डेटा पूर्व-महामारी के स्तर से परे प्रगति दिखाता है, क्योंकि जुलाई-सितंबर 2019 में बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत से घटकर जुलाई-सितंबर 2022 में 7.2 प्रतिशत हो गई।
रोजगार की बढ़ती औपचारिकता को दर्शाते हुए ईपीएफओ पेरोल में शुद्ध वृद्धि कोविड-19 से तेजी से वापसी के बाद लगातार ऊपर की ओर बढ़ रही है, इसमें अधिकांश हिस्सा युवाओं का है। उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार संगठित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार ने समय के साथ लगातार ऊपर की ओर रुख बनाए रखा है, साथ ही प्रति फैक्ट्री रोजगार भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
छोटे कारखानों की तुलना में 100 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने वाले कारखानों में रोजगार तेजी से बढ़ रहा है, जो विनिर्माण इकाइयों के विस्तार का सुझाव देता है।
श्रम बाजार के आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष दोनों को कवर करने वाले आंकड़ों में रोजगार संकेतकों में व्यापक सुधार देखा जा सकता है। श्रम बाजार शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पूर्व-कोविड स्तरों से आगे निकल गए हैं। बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.8 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 4.2 प्रतिशत हो गई है, और ग्रामीण एफएलएफपीआर में 19.7 प्रतिशत से उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह 2018-19 से 2020-21 में 27.7 प्रतिशत थी।
हाल ही के शहरी रोजगार डेटा पूर्व-महामारी के स्तर से आगे की प्रगति दिखाते हैं, क्योंकि जुलाई-सितंबर 2019 में बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत से घटकर जुलाई-सितंबर 2022 में 7.2 प्रतिशत हो गई।
ईपीएफओ पेरोल में शुद्ध जोड़ लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है, जिसमें अधिकांश हिस्सा युवाओं का है। क्यूईएस के अनुसार वर्ष 2021-22 में नौ प्रमुख क्षेत्रों में रोजगार में 10 लाख की वृद्धि हुई है। एएसआई 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार संगठित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रहा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि रोजगार के स्तर में लगातार वृद्धि को एमएसएमई पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए किए गए कई उपायों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। (आईएएनएस)|
हैदराबाद, 31 जनवरी | तेलंगाना में मंगलवार को एक बस की आरटीसी बस से टक्कर हो जाने से 20 स्कूली बच्चों समेत कम से कम 30 लोग घायल हो गए।
हादसा राजन्ना सिरसिला जिले के येल्लारेड्डीपेट में हुआ।
पुलिस ने कहा कि स्कूल बस में यात्रा कर रहे एक निजी स्कूल के 20 छात्र घायल हो गए। तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) की बस के दस यात्रियों को भी चोटें आईं।
घायल बच्चों को एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया, जबकि टक्कर में घायल बस यात्रियों को सिरसिला के एक सरकारी अस्पताल में ले जाया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कामारेड्डी से सिरसिला जा रही टीएसआरटीसी की बस ने स्कूल बस को पीछे से टक्कर मार दी।
घायल बच्चों के माता-पिता समेत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे और राहत अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
राज्य मंत्री के.टी. रामाराव ने जिला कलेक्टर से फोन पर बात की और उन्हें घायल बच्चों का हर संभव इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 31 जनवरी | कांग्रेस नेता राहुल गांधी श्रीनगर में माता खीर भवानी मंदिर और दरगाह हजरतबल के दर्शन कर दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में समर्थकों ने उनके निवास पर भव्य स्वागत की तैयारी की है। इससे पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा के समापन के बाद मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के दो पवित्र तीर्थस्थलों खीर भवानी और हजरतबल का दौरा किया।
जानकारों ने बताया कि और राहुल गांधी दोनों भाई-बहन सबसे पहले मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के तुल्लामुला इलाके में रागन्या देवी मंदिर गए, जिसे माता खीर भवानी मंदिर के नाम से जाना जाता है। दोनों नेताओं ने कुछ कांग्रेसी नेताओं के साथ श्रीनगर से 28 किलोमीटर दूर शक्तिशाली चिनारों के बीच स्थित मंदिर में पूजा अर्चना की।
बाद में, उन्होंने प्रसिद्ध डल झील के किनारे दरगाह हजरतबल का दौरा किया। इस दरगाह में पैगंबर मोहम्मद का अवशेष है और घाटी में मुसलमानों के बीच इसका गहरा सम्मान है। हालांकि सुरक्षा कारणों से यात्राओं को गुप्त रखा गया।
दिल्ली में मौजूद राहुल गांधी के समर्थक मोहम्मद शमशाद ने बताया कि राहुल गांधी एक लंबी यात्रा कर दिल्ली पहुंचे, ऐसे में उनके आवास पर उनके स्वागत के इंतजार में हैं। (आईएएनएस)|
चेन्नई, 31 जनवरी | देश में सरकारी योजनाओं और वित्तीय समावेशन की पहल के कारण बीमा पैठ में काफी हद तक वृद्धि हुई है। मंगलवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में यह बात कही गई। फसल बीमा के लिए सरकार की प्रमुख पहल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) ने फसल बीमा के लिए प्रीमियम आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
सर्वेक्षण के मुताबिक आयुष्मान भारत (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) (एबी पीएमजेएवाई) का लक्ष्य द्वितीयक और तृतीयक अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है।
महत्वपूर्ण सरकारी पहल, मजबूत जनसांख्यिकीय कारक, एक अनुकूल नियामक वातावरण, विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए), उत्पाद नवाचार बीमा बाजार के विकास में सहायक साबित हो रहे हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार भारत आने वाले दशक में सबसे तेजी से बढ़ते बीमा बाजारों में से एक के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है। सन 2000 से 2020 तक देश में बीमा पैठ 2.7 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गई और 2021 में भी यही बनी रही।
2021 में भारत में जीवन बीमा की पैठ 3.2 प्रतिशत थी, जो उभरते बाजारों से लगभग दोगुनी और वैश्विक औसत से थोड़ी अधिक थी।
हालांकि भारत में अधिकांश जीवन बीमा उत्पाद बचत से जुड़े होते हैं, केवल एक छोटे से सुरक्षा घटक के साथ। इसलिए प्राथमिक कमाने वाले व्यक्ति की असामयिक मृत्यु की स्थिति में परिवारों को एक महत्वपूर्ण वित्तीय अंतर का सामना करना पड़ता है, जैसा कि सर्वेक्षण में कहा गया है।
स्विस रे इंस्टीट्यूट वल्र्ड इंश्योरेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जर्मनी, कनाडा, इटली और दक्षिण कोरिया से आगे भारत के 2032 तक दुनिया के शीर्ष छह बीमा बाजारों में से एक के रूप में उभरने की उम्मीद है।
इसके अलावा गैर-जीवन बीमा क्षेत्र में वृद्धि स्वास्थ्य कवरेज की मांग से प्रेरित होने की संभावना है, क्योंकि लोग कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में अधिक जागरूक हैं और सरकार द्वारा प्रायोजित जन स्वास्थ्य कार्यक्रम (आयुष्मान भारत) से सहयोग प्राप्त कर रहे हैं।
तृतीय पक्ष बीमा भी कई गुना बढ़ जाएगा, क्योंकि भारत का मध्यम वर्ग फैल रहा है और अधिक कारें खरीदता है।
भारत के बीमा बाजार का डिजिटलीकरण टेलीमैटिक्स और ग्राहक जोखिम मूल्यांकन से परे है। हाल के वर्षों में कई डिजिटल प्लेटफॉर्म उभरे हैं, जो बीमा खरीद सहित विभिन्न सेवाओं की पेशकश करते हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि भारत में बीमा घनत्व 2001 में 11.1 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2021 में 91 अमेरिकी डॉलर हो गया है (जीवन बीमा के लिए घनत्व 69 अमेरिकी डॉलर था और गैर-जीवन बीमा 2021 में 22 अमेरिकी डॉलर था)। देश में बीमा बाजार का अपेक्षाकृत तेजी से विस्तार।
वित्तीय वर्ष 22 के दौरान गैर-जीवन बीमाकर्ताओं (भारत के भीतर और बाहर) के सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम में साल-दर-साल 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो मुख्य रूप से स्वास्थ्य और मोटर सेगमेंट द्वारा संचालित है।
वित्त वर्ष 2012 में गैर-जीवन बीमाकतार्ओं के शुद्ध दावे 1.4 लाख करोड़ रुपया था।
वित्त वर्ष 2012 में जीवन बीमा प्रीमियम में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, इसमें नए व्यवसायों का योगदान जीवन बीमाकर्ताओं द्वारा प्राप्त कुल प्रीमियम का 45.5 प्रतिशत था। सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीवन बीमा उद्योग ने वित्त वर्ष 2012 में 5.02 लाख करोड़ रुपये का लाभ दिया, इसमें से 8.3 प्रतिशत लाभ मृत्यु दावों पर था। (आईएएनएस)|
मुंबई, 31 जनवरी अबु धाबी से मुंबई के लिए विस्तार की उड़ान में बिजनेस श्रेणी में प्रवेश करने से रोके जाने पर एक महिला यात्री ने कथित रूप से चालक दल के सदस्य को घूंसा मारा, अन्य विमान कर्मी से झगड़ा किया तथा अमर्यादित व्यवहार किया। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि घटना सोमवार को हुई और विमान के मुंबई में उतरने के बाद चालक दल के सदस्यों ने 45 वर्षीय महिला को सहार पुलिस के सुपुर्द कर दिया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
‘विस्तार’ ने एक बयान में कहा कि महिला यात्री को उसके ‘‘अशिष्ट एवं हिंसक व्यवहार’’ के कारण रोका गया और मानक संचालन प्रक्रिया के तहत घटना के बारे में संबंधित अधिकारियों को सूचित किया गया।
सहार थाने के एक अधिकारी के अनुसार, महिला की पहचान पाओला पेरुशियो के रूप में हुई है जो सोमवार तड़के करीब दो बजे इकॉनोमी क्लास की टिकट के साथ विमान में सवार हुई थी। महिला बाद में बिजनेस क्लास में घुस गई और जब चालक दल के सदस्य ने उसे रोका तो वह कथित रूप से उन्हें अपशब्द कहने लगी।
अधिकारी ने बताया कि चालक दल के सदस्यों ने जब महिला को रोकने की कोशिश की तो उसने दुर्व्यवहार किया और कथित रूप से एक कर्मी के चेहरे पर घूंसा जड़ दिया और दूसरे के चेहरे पर थूक दिया।
उन्होंने बताया कि जब चालक दल के अन्य सदस्य अपने सहयोगी की मदद के लिए पहुंचे तो महिला ने कथित रूप से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए उसी अवस्था में गलियारे में चलने लगे।
अधिकारी ने कहा कि सोमवार सुबह जब विमान यहां पहुंचा तो चालक दल के सदस्यों ने सहार पुलिस से संपर्क किया और महिला को उनके हवाले कर दिया।
महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 (जानबूझकर नुकसान पहुंचाना) और 337 (किसी के जीवन या उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य कर चोट पहुंचाना) एवं विमानन अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने बताया कि महिला को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिसे बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।
‘विस्तार’ ने एक बयान में कहा, ‘‘हमने सूचित किया कि 30 जनवरी को अबु धाबी से मुंबई के लिए उड़ान संख्या यूके-256 में एक अशिष्ट यात्री है। यात्री के लगातार अशिष्ट एवं हिंसक व्यवहार के मद्देनजर विमान के कप्तान ने चेतावनी कार्ड जारी किया और यात्री को रोकने का फैसला किया।’’
विमानन कंपनी ने कहा कि मानक संचालन प्रक्रिया के तहत इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को दी गई। वहीं, हवाईअड्डे पर मौजूद सुरक्षा एजेंसियों को यात्री के पहुंचने पर तत्काल कार्रवाई के लिए सूचित किया गया।
विस्तार ने कहा कि विमान पर अन्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पायलट बार-बार घोषणाएं कर रहे थे। (भाषा)
श्रीनगर, 31 जनवरी कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा ने जम्मू कश्मीर के गांदेरबल जिले में मंगलवार को प्रसिद्ध खीर भवानी मंदिर में दर्शन किए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि राहुल-प्रियंका श्रीनगर से 28 किलोमीटर दूर मध्य कश्मीर के जिले में तुल्लामुला इलाके में स्थित मंदिर पहुंचे।
अधिकारियों ने कहा कि दोनों भाई-बहन ने माता खीर भवानी के नाम से प्रसिद्ध राज्ञा देवी के मंदिर में दर्शन किए। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के अन्य नेता भी थे।
इस मंदिर की कश्मीर पंडितों में काफी मान्यता है, जिनका मानना है कि मंदिर के नीचे मौजूद कुंड के पानी का रंग घाटी में मौजूदा स्थिति का संकेत देता है।
कुंड के पानी के अधिकतर रंग का कोई विशेष महत्व नहीं होता है लेकिन पानी का रंग काला या गहरा हो जाना कश्मीर के लिए बुरे समय का संकेत माना जाता है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 31 जनवरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि भारत ने आतंकवाद को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया, उसे दुनिया भी समझ रही है और इस समस्या के विरुद्ध देश की आवाज़ को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है।
राष्ट्रपति ने बजट सत्र के पहले दिन ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए अपने पारंपरिक अभिभाषण में यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने आतंकवाद को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया है, उसको भी आज दुनिया समझ रही है। इसलिए आतंकवाद के विरुद्ध भारत की आवाज़ को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत में पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति की एक विशेष बैठक आयोजित की गई। इसमें भी भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी भूमिका को स्पष्ट किया। साइबर सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को भी सरकार गंभीरता से पूरे विश्व के सामने रख रही है।’’
उन्होंने कहा कि भारत सरकार का स्पष्ट मानना है कि स्थायी शांति तभी संभव है, जब हम राजनीतिक और रणनीतिक रूप से सशक्त होंगे। इसलिए देश अपनी सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण पर निरंतर बल दे रहा है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘‘सरकार ने देशहित को सदैव सर्वोपरि रखा, नीति-रणनीति में संपूर्ण परिवर्तन की इच्छाशक्ति दिखाई। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर आतंकवाद पर कठोर प्रहार तक, नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक हर दुस्साहस के कड़े जवाब तक... सरकार की पहचान एक निर्णायक सरकार की रही है।’’ (भाषा)
-चंदन कुमार जाजवड़े
बिहार, 31 जनवरी । बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर से पार्टी में दरकिनार किए जाने का आरोप लगाया है.
उन्होंने मंगलवार को पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मुख्यमंत्री ने कहा है कि पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा आए तो हमने उन्हें इज्जत दी और वे मुझसे स्नेह करते हैं. संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मुझे जरूर बनाया गया. तब मुझे भी लगता था मुझे उन दायित्वों का निर्वहन करने का अवसर मिलेगा. मैं कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाऊंगा."
संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद को झुनझुना बताते हुए उन्होंने कहा, "लेकिन मुझे बाद में पता चला कि संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मुझे बनाया गया तो सीधे तौर पर एक झुनझुना मेरे हाथ में थमाया गया है. मैं अध्यक्ष बन गया पर सदस्यों को भी मनोनीत नहीं कर सकता, इसका क्या अर्थ है? मुझसे कभी कोई सुझाव नहीं मांगा गया."
उपेंद्र कुशवाहा ने ये भी कहा कि पार्टी चाहे तो उनसे विधान परिषद की सदस्यता वापस ले सकती है.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "मुझे एक लॉलीपॉप थमाया गया. राज्य सभा की सदस्यता छोड़ने में मुझे एक पल का भी मलाल नहीं होता है, भारत सरकार में मंत्री पद को छोड़ते हुए एक पल का मलाल नहीं होता है तो एमएलसी (विधान परिषद की सदस्यता) कौन सी बड़ी चीज है. मुख्यमंत्री या पार्टी चाहें तो एमएलसी वापस ले सकते हैं."
उन्होंने कहा, "अभी भी हम मुख्यमंत्री जी पर पूरा भरोसा करते हैं. हम उनका आदर करते हैं. आज भी मुख्यमंत्री जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं कि पार्टी और लव कुश समाज को बचा लीजिए. पार्टी में मेरे व्यक्तिगत अपमान का कोई सवाल नहीं है. गांधी जी का सामान भी फेंक दिया गया था. मेरे लिए आम लोगो के हितों की रक्षा ज़्यादा जरूरी है."
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा की नाराज़गी पर कहा था, "क्या आपने कभी किसी राजनीतिक दल के भीतर होने वाली चर्चाओं पर बार-बार बाहर बात करते देखा है? लोगों को पार्टी में मिल कर बात करनी चाहिए. हमारा इतना स्नेह है कि पार्टी से कोई चला भी जाता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता."
उपेंद्र कुशवाहा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बयानबाज़ी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कुशवाहा जल्द ही जेडीयू छोड़कर बीजेपी के साथ जा सकते हैं.
उपेंद्र कुशवाहा क़रीब दो साल पहले ही जेडीयू में शामिल हुए थे. 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब कुशवाहा केंद्र में राज्यमंत्री भी बनाए गए थे. उस वक़्त वे अपनी पार्टी आरएलएसपी को लीड कर रहे थे. बाद में उन्होंने बीजेपी का साथ भी छोड़ दिया और बिहार में विपक्षी महागठबंधन के साथ जुड़ गए. (bbc.com/hindi)
केरल के नीलांबुर में दुनिया का इकलौता टीक म्यूजियम यानि सागौन की लकड़ी का संग्रहालय है. चार साल पहले जीआई टैग मिलने से सैकड़ों साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के जंगल का महत्व और बढ़ा.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
केरल के मल्लापुरम जिले का छोटा-सा कस्बा नीलांबुर टीक यानी सागौन की लकड़ी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां दुनिया का एकमात्र टीक म्यूजियम भी है. नीलांबुर वह जगह है जहां दुनिया में सबसे पहले सागौन के पेड़ लगाए गए थे.
वर्ष 1840 में ब्रिटिश शासनकाल में यहां से सागौन की लकड़ी को इंग्लैंड भेजा जाता था. खासकर इस लकड़ी को इंग्लैंड भेजने के लिए ही इलाके में रेलवे की पटरियां बिछाई गई थीं. नीलांबुर से तमिलनाडु के शोरानुर स्टेशन के बीच चलने वाले पैसेंजर ट्रेन रूट को देश के सबसे सुंदर और हरित रेलवे रूट का दर्जा हासिल है.
अरब सागर के किनारे बसे कालीकट या कोझिकोड से करीब 30 किमी दूर पहाड़ियों की गोद में बसे नीलांबुर में प्रकृति ने खुल कर अपना खजाना लुटाया है. यहां की जलवायु टीक प्लांटेशन के लिए बेहद उपयुक्त है. इसीलिए ब्रिटिश शासकों ने सबसे पहले वर्ष 1840 में यहां टीक प्लांटेशन शुरू किया था.
'पवित्र' कन्निमारि
इस छोटे-से कस्बे में ही कोन्नोलीज प्लाट है जिसे टीक का सबसे पुराना प्लांटेशन कहा जाता है. उस समय मालाबार क्षेत्र के कलेक्टर रहे हेनरी कोन्नोली के नाम पर इसका नामकरण किया गया है. हेनरी ने ही इलाके में टीक के पौधे लगाने की शुरुआत की थी.
चालियार नदी के किनारे 2.31 हेक्टेयर इलाके में फैले कोनोलीज प्लाट में टीक के कई विशाल पेड़ हैं. इसी कस्बे में दुनिया में टीक का सबसे पुराना पेड़ कन्निमारि भी स्थित है. कस्बे में रहने वाले लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं. इसकी भव्यता को देखने के लिए हर साल काफी तादाद में पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
जीआई टैग से मिली संरक्षण में मदद
बेहतरीन क्वालिटी की इमारती लकड़ियों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर नीलांबुर के सागौन को चार साल पहले जीआई टैग मिला था. नीलांबुर टीक हेरिटेज सोसायटी के अब्दुल्लाकुट्टी कहते हैं, "जीआई टैग मिलने से नीलांबुर के सागौन को संरक्षित करने में मदद मिलेगी. कामगारों और व्यापारियों समेत करीब 10 हजार लोग अपनी आजीविका के लिए सागौन पर निर्भर हैं. जीआई टैग से राजस्व बढ़ेगा और फर्जी उत्पादों की बिक्री रुकेगी. नीलांबुर के सागौन अपने विशालकाय आकार, शानदार रंग और टिकाऊपन के लिए मशहूर हैं. इसकी खासियत यह है कि इसमें दीमक नहीं लगते हैं."
नीलांबुर में एक अनूठा म्यूजियम भी है जहां टीक के इतिहास और अब तक के सफर का पूरा ब्योरा दर्ज है. यही वजह है कि यह केरल के दर्शनीय स्थलों में शुमार है. उसके प्रवेशद्वार पर 55 वर्ष पुराने सागौन वृक्ष की जटिल जड़ प्रणाली का शानदार दृश्य है. इस म्यूजियम में 80 से 100 फुट लंबे सागौन के पेड़ों के बारे में विस्तृत जानकारी और उनसे संबंधित ऐतिहासिक तथ्य मौजूद हैं. यह दुनिया में अपनी तरह का पहला और अनूठा म्यूजियम है. रोचक जानकारियों से भरा यह म्यूजियम वर्ष भर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
सैकड़ों साल पुराने सागौन का पेड़
केरल वन अनुसंधान संस्थान परिसर में वर्ष 1995 में स्थापित यह म्यूजियम दो मंजिली इमारत में है. म्यूजियम के निचले तल में संरक्षित कन्निमारि सबसे पुराना सागौन का पेड़ है. यहां सागौन के विभिन्न प्रजाति के पेड़ों का पूरा जीवन चक्र देखा जा सकता है. इसके अलावा यहां 160 वर्ष पुराना विशालकाय सागौन वृक्ष भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इसे कोन्नोली के प्लाट से लाया गया है.
म्यूजियम की निचली मंजिल पर उरू नामक प्राचीन समुद्री पोत का लकड़ी से बना मॉडल और विभिन्न आकारों में सागौन की लकड़ी से बने खंभे देखने को मिलते हैं. यहां सबसे दिलचस्प है नागरामपारा से लाए गए 480 वर्ष पुराने सागौन का पेड़.
नीलांबुर टीक हेरिटेज सोसायटी के अब्दुल्लाकुट्टी कहते हैं, "टीक का इतिहास जानने-समझने के लिए नीलांबुर से बेहतर दुनिया में दूसरी कोई जगह नहीं है. यहां से टीक की लकड़ी को इंग्लैंड भेजने के लिए ही कालीकट से नीलांबुर के बीच रेलवे की पटरियां बिछाई गई थी. आजादी के बाद कुछ साल के लिए इस लाइन पर ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था. लेकिन स्थानीय लोगों की मांग पर इसे दोबारा शुरू किया गया."
सागौन के पेड़ के अलावा इस संग्रहालय में तीन सौ प्रजातियों की तितलियां और विभिन्न प्रकार के छोटे जंतुओं का भी संग्रह है. इसके अलावा सागौन के पेड़ों की कटाई को दर्शाती पेंटिंग्स, खेती में उपयोग होने वाले पारंपरिक औजार और तस्वीरें म्यूजियम को रोचक बनाती हैं. यहां ठोस सागौन लकड़ी से बने कई कलात्मक फर्नीचर और दरवाजे भी रखे हुए हैं. (dw.com)
लद्दाख में रहने वाले जाने-माने शिक्षाविद और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने दावा किया है कि उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया है. ऐसा क्या हुआ कि वांगचुक और सरकार आमने-सामने आ गए?
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
क्या आपने राजकुमार हिरानी की फिल्म थ्री इडियट्स देखी है? उसमें अभिनेता आमिर खान ने एक इनवेंटर का किरदार निभाया था जो भारत के सुदूर उत्तर में लद्दाख में रहता है और बच्चों को पढ़ाता है. यह किरदार जिस शख्सियत से प्रेरित था, उनका नाम है सोनम वांगचुक.
सोनम वांगचुक 2 जनवरी से भूख हड़ताल पर हैं. 18,380 फुट की ऊंचाई पर खारदूंग ला में रहने वाले वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल के ऐलान के दो दिन बाद यू्ट्यब पर एक वीडियो जारी कर कहा है कि प्रशासन ने उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया है. हालांकि प्रशासन ने इस आरोप को गलत बताया है.
पांच दिन का उपवास
वांगचुक ने एक ट्वीट कर एक दस्तावेज साझा किया जिसमें उनके सामने प्रशासन द्वारा रखी गईं कुछ शर्तें हैं. उन्होंने लिखा, "दुनिया के वकील ध्यान दें. जब प्रार्थनाएं और उपवास चल रहे हैं तब लद्दाख यूटी प्रशासन चाहता है कि मैं इस बॉन्ड पर साइन करूं. यह कैसे सही है? क्या मैं चुप हो जाऊं? मुझे गिरफ्तारी से डर नहीं लगता.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग कर किए गए इस ट्वीट के साथ जो बॉन्ड दिया गया है, उसके मुताबिक वांगचुक के सामने शर्त रखी गई है कि वे कोई बयान नहीं देंगे. टिप्पणियां नहीं करेंगे. भाषण नहीं देंगे. लेह जिले में किसी आयोजन में हिस्सा नहीं लेंगे.
बाद में एक यूट्यूब वीडियों में उन्होंने कहा कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है जो असल में "नजरबंदी से ज्यादा बुरा है.” हालांकि लेह की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पीडी नित्या ने इस पर सफाई देते हुए मीडिया को बताया, "उन्हें खारदुंग ला दर्रे में पांच दिन का उपवास करने की इजाजत नहीं दी गई थी क्योंकि वहां तापमान माइनस 40 डिग्री तक गिर जाता है. उन्हें और उनके समर्थकों के लिए वहां जाना बेहद खतरनाक होता और इसलिए उनसे अनुरोध किया गया कि वह अपने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) के परिसर में ही उपवास करें.”
क्या है वांगचुक की मांग?
लेह जिले के आलची के पास उलेयतोकपो में जन्मे 56 वर्षीय वांगचुक सामुदायिक शिक्षा के अपने मॉडल के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं. रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड पा चुके वांगचुक लद्दाख क्षेत्र को विशेष अधिकारों और पर्यावरणीय सुरक्षा की मांग के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वह चाहते हैं कि हिमालयी क्षेत्र को बचाने के लिए लद्दाख को विशेष दर्जे की जरूरत है.
सोमवार को अपने पांच दिन लंबे प्रतीकात्मक उपवास के पूरा होने के मौके पर उन्होंने कहा, "आज मेरे प्रतीकातमक कार्बन न्यूट्रल जलवायु उपवास का अंतिम दिन है. यह उपवास प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करने की एक कोशिश थी ताकि हमारे नेता उन्हें हमारी चिंताओं और मांगों के बारे में बता सकें.”
उन्होंने कहा कि हिमालय और उसके ग्लेशियरों की सुरक्षा किन्हीं कॉरपोरेटर्स को खुश करने से ज्यादा जरूरी होना चाहिए क्योंकि उसका असर पूरे उपमहाद्वीप के लोगों के जीवन पर हो रहा है. उन्होंने कहा, "हिमालय में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार को भविष्योन्मुखी योजना बनानी होगी. संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करना भी इसका हिस्सा है.”
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत जातीय और जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों क अपने-अपने क्षेत्रों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है. फिलहाल भारत के चार राज्य मेघालय असम, मिजोरम और त्रिपुरा के दस जिले इस अनुसूची का हिस्सा हैं. वांगचुक की मांग है कि लद्दाख को भी इस अनुसूची के तहत विशेषाधिकार दिए जाएं.
वांगचुक को समर्थन
पिछले पांच दिन के उपवास के दौरान वांगचुक की मांगों को भारी समर्थन मिला है. भारतीय जना पार्टी को छोड़कर बाकी सभी दलों ने उनकी मांगों का समर्थन किया है. सोमवार को उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह अपने आंदोलन को और तेज करेंगे.
उन्होंने कहा, "यह एक प्रतीकात्मक उपवास था. अगर सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो मैं दस दिन की भूख हड़ताल करूंगा. फिर 15 दिन और उसके बाद अपनी अंतिम सांस तक.”
लद्दाख के लोग लंबे समय से छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग करते रहे हैं. इस मांग के लिए काम रहे संगठन पीपल्स मूवमेंट फॉर सिक्स्थ शेड्यूल की प्रमुख संस्था तुप्स्तान चेवांग ने भी लद्दाख की संस्कृति और पहचान की सुरक्षा में नाकाम रहने के लिए सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया है. (dw.com)
ब्राजील के एक शहर में मछुआरे मछली पकड़ने में डॉल्फिनों की मदद लेते हैं. डॉल्फिन उन्हें बताती हैं कि कहां ज्यादा मछलियां हैं और कब जाल फेंकना है.
ब्राजील में मछुआरों के एक समुदाय ने अनोखे दोस्त बनाए हैं. ये हैं डॉल्फिन. वैसे तो मछली पकड़ने में डॉल्फिनों और मछुआरों के मिलजुलकर काम करने के किस्से सदियों से सुनाए जाते रहे हैं. अब जहां दक्षिणी फ्रांस हैं, रोमन साम्राज्य के वक्त वहां ऐसा होता था. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में भी 19वीं सदी में ऐसा होता था.
इन किस्सों में इंसानों के अनुभव ही सामने आते हैं और डॉल्फिन इस सहयोग पर क्या सोचती या महसूस करती हैं, यह पता नहीं चल पाया. यह भी नहीं पता था कि ये मछलियां क्यों इंसान का सहयोग करती हैं यानी इन्हें क्या लाभ होता है. लेकिन पहली बार वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने में कामयाब हुए हैं कि इस सहयोग का मछलियों को क्या फायदा होता है.
ब्राजील के लगूना शहर में ड्रोन, पानी के अंदर की रिकॉर्डिंग और अन्य कई वैज्ञानिक युक्तियों के इस्तेमाल से विशेषज्ञ यह पता लगाने में कामयाब रहे हैं कि इंसानों और डॉल्फिनों को इस परस्पर सहयोग का क्या लाभ होता है. एक दिलचस्प बात तो यह पता चली है कि दोनों ही एक दूसरे के शरीर की भाषाएं पढ़ने से लाभ उठा रहे हैं.
परस्पर सहयोग
सोमवार को प्रोसीडिंग्स ऑफ द नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह लगूना के मछुआरे डॉल्फिनों की मदद ले रहे हैं. ये मछुआरे मुलेट नाम की प्रवासी मछलियों को पकड़ने में डॉल्फिन मछलियों का सहयोग लेते हैं. यह सहयोग करीब डेढ़ सौ सालों से चल रहा है और इस बारे में पहले भी बहुत कुछ लिखा गया है.
इस बारे में ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की बायलॉजिस्ट और डॉल्फिन विशेषज्ञ स्टेफनी किंग कहती हैं, "यह अध्ययन दिखाता है कि डॉल्फिन और इंसान दोनों ही एक दूसरे के व्यवहार पर ध्यान दे रहे हैं और डॉल्फिन इस बात का इशारा करती हैं कि कब जाल फेंकना है. यह वाकई अविश्वसनीय सहयोग है. डॉल्फिनों के साथ काम करके लोग ज्यादा मछलियां पकड़ते हैं और डॉल्फिनों को भोजन की तलाश में मदद मिलती है.”
डॉल्फिनों की समझदारी और बुद्धिमत्ता पर काफी अध्ययन हो चुके हैं. इंसान की तरह ही वह भी लंबे समय से धरती पर मौजूद सामाजिक प्राणी है. लेकिन मछलियां पकड़ने के मामले में दोनों के पास अलग-अलग क्षमताएं हैं.
कैसे हुआ अध्ययन?
अध्ययन के सह-लेखक मॉरिसियो कैंटर ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में मरीन बायोलॉजी पढ़ाते हैं. लगूना के समुद्र के बारे में वह कहते हैं, "वहां पानी बहुत धुंधला है इसलिए लोग उसके भीतर मछलियों का समूह देख नहीं पाते. तब डॉल्फिन अपनी आवाजों से उन्हें संकेत भेजती हैं कि कहां मछलियां हैं.”
ये डॉल्फिन मछलियों को तट की ओर धकेलती हैं और लोग हाथों में जाल पकड़कर पानी की ओर भागते हैं. कैंटर कहते हैं, "वे डॉल्फिनों के यह बताने का इंतजार करते हैं कि पानी मछलियां किस जगह हैं. सबसे आम संकेत को स्थानीय लोग छलांग कहते हैं.”
इस पूरे व्यवहार को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने सोनार तकनीक व पानी के अंदर आवाजों को रिकॉर्ड करने वाले माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया. इस तरह उन्होंने पता लगाया कि पानी के अंदर डॉल्फिन और मछलियां किस जगह हैं. साथ ही मछुआरों की कलाइयों पर जीपीएस डिवाइस बांधी गईं जिनसे पता चला कि वे अपने जाल कब फेंकते है
आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला कि मछुआरों और डॉल्फिनों के संकेतों में जितना ज्यादा तालमेल था, पकड़ी गई मछलियों की संख्या उतनी ही ज्यादा थी. लेकिन एक सवाल अब भी बाकी था कि इस तालमेल से मछुआरों को क्या मिल रहा था.
कैंटर बताते हैं, "जाल फेंकने से मछलियों के बड़े-बड़े समूह छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाते हैं और डॉल्फिनों के लिए उनका शिकार आसान हो जाता है. कई बार वे जाल के अंदर से भी मछलियों को लपक लेती हैं.”
तरह-तरह की डॉल्फिन
लगूना के लोगों ने डॉल्फिनों को अच्छी, बुरी और सुस्त की श्रेणियों में बांट रखा है जो उनके शिकार करने और ज्यादा सहयोग करने की क्षमता पर आधारित है. कैंटर बताते हैं कि जब वे अच्छी डॉल्फिनों को तट की ओर आते देखते हैं तो खूब उत्साहित हो जाते हैं.
कनाडा के हेलफैक्स में डलहौजी यूनिवर्सिटी के बोरिस वॉर्म कहते हैं कि इन मछुआरों और डॉल्फिनों ने मिल-जुल कर शिकार करने की एक संस्कृति विकसित कर ली है जिससे दोनों को लाभ पहुंच रहा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इसकी शुरुआत कैसे हुई लेकिन यह संस्कृति सौ साल से भी ज्यादा से चली आ रही है और डॉल्फिन व इंसान दोनों ही अपनी-अपनी संतानों को यह सिखाते आ रहे हैं.
लेकिन विशेषज्ञों को चिंता है कि यह अपनी तरह का आखिरी गठजोड़ जो प्रदूषण और औद्योगिक तरीकों से मछली पकड़ने के कारण खतरे में है. इसलिए लोगों के बीच ज्यादा जागरूकता की जरूरत है
वीके/एए (एएफपी)