राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 21 फरवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र कोटा में शुरू किए गए 'सुपोषित मां अभियान' को प्रेरक पहल बताते हुए इसे एक सशक्त समाज की आधारशिला करार दिया है। लोक सभा अध्यक्ष बिरला द्वारा 'सुपोषित मां अभियान' को लेकर किए गए ट्वीट का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, लोकसभा अध्यक्ष की ओर से एक प्रेरक पहल! स्वस्थ मां और शिशु के साथ ही इसमें पूरे परिवार की समृद्धि निहित है और यही तो एक सशक्त समाज की आधारशिला है।
बिरला ने अपने संसदीय क्षेत्र कोटा में इस अभियान की तस्वीरों को शेयर करते हुए ट्वीट किया था, कोटा के रामगंजमंडी क्षेत्र में सुपोषित मां अभियान का शुभारम्भ किया। प्रत्येक मां और शिशु स्वस्थ रहे यह हमारा लक्ष्य है, जिसकी प्राप्ति तक अभियान अनवरत जारी रहेगा। महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे वंचित वर्ग की गर्भवती महिलाओं तक पहुंचने में सेतु की भूमिका निभाएं।
दरअसल, बिरला ने वंचित वर्ग की गर्भवती महिलाओं के लिए यह अभियान चलाया है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को पोषण किट दी जाती है। लगातार 9 माह तक पात्र महिलाओं के घर यह पोषण किट पहुंचाया जाता है। पहले चरण के लिए एक हजार महिलाओं को चिन्हित किया गया था जिसमें से 90 प्रतिशत महिलाओं ने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया था। इस सफलता को देखते हुए दूसरे चरण में तीन हजार महिलाओं को यह पोषण किट दी जा रही है। (आईएएनएस)|
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
असम में बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला कर तीन हजार से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी के बाद असम सरकार ने इस कुरीति के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने और दोषियों पर अंकुश लगाने के लिए बाल पंचायत और ग्रामीण समितियों का गठन किया है.
असम गिरफ्तारियों से प्रभावित महिलाओं के पुनर्वास के उपाय सुझाने के लिए एक समिति का गठन किया है. समाजशास्त्रियों ने बाल विवाह के खिलाफ आक्रामक अभियान के तरीके की आलोचना करते हुए कहा है कि सरकार को इस मामले में मानवीय रवैया अपनाना चाहिए था. लेकिन मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि उनकी सरकार दो साल के भीतर असम को इस सामाजिक बुराई से मुक्त करने के लिए कृतसंकल्प है और ऐसे अभियान जारी रहेंगे.
दूसरी ओर, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) के लंबित मामलों में असम पूर्वोत्तर राज्यों में पहले स्थान पर है. राज्य में दिसंबर 2022 तक 3,881 मामले लंबित थे. अब बाल विवाह के खिलाफ ताजा अभियान के बाद यह आंकड़ा और बढ़ने का अंदेशा है. इस बीच, गौहाटी हाईकोर्ट ने सरकार के इस अभियान पर बेहद तल्ख टिप्पणी की है. गिरफ्तारियों के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि इस अभियान ने लोगों की निजी जिंदगी में तबाही ला दी है. इन मामलों में गिरफ्तार लोगों से हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत ही नहीं है.
बाल विवाह के ऊपर बड़ी कार्रवाई
असम सरकार ने बीते महीने के आखिर में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए एक अहम फैसला किया था. इसके तहत राज्य में 14 वर्ष से कम उम्र की युवतियों के साथ विवाह करने वालों के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज करना और 14 से 18 वर्ष की लड़कियों से शादी करने वालों को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत गिरफ्तार करना शामिल था. सरकार ने कहा था कि बाल विवाह के मामलों में वर-वधू की उम्र 14 वर्ष से कम होने की स्थित में विवाह को अवैध करार देते हुए वर को गिरफ्तारी के बाद जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया जाएगा. बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को अगले दो सप्ताह के भीतर बड़े पैमाने पर राज्यव्यापी अभियान चलाने का निर्देश दिया गया था.
सरकार के इस फैसले पर काफी विवाद हुआ. विपक्षी राजनीतिक दलों ने इसे एक राजनीतिक स्टंट करा दिया तो अल्पसंख्यक संगठनों ने बीजेपी सरकार पर इसके जरिए मुसलमानो को निशाना बनाने का आरोप लगाया. लेकिन सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही. पुलिस ने बाल विवाह के अपराध में अब तक 4,235 मामले दर्ज कर छह हजार से ज्यादा अभियुक्तों की शिनाख्त की है. अब तक 93 महिलाओं समेत 3,047 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
बाल पंचायतों की भूमिका
अब सरकार ने इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए बाल पंचायतों के गठन का फैसला किया है. इसके साथ ही आम लोगों को साथ लेकर गांव-गांव में नियमित अंतराल पर बैठकें भी आयोजित की जाएगी. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा कहते हैं, "बाल पंचायतों से बाल विवाह के खिलाफ पुलिस के मौजूदा अभियान में सहायता मिलेगी. बाल पंचायतों का जिम्मा राज्य में संबंधित जिले के उपायुक्तों को सौंपा गया है. इसके तहत बाल पंचायतें आयोजित कर लोगों और खासकर युवा वर्ग को जागरूक बनाया जाएगा."
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि जिन जिलों में बाल विवाह के मामले ज्यादा हैं, बाल पंचायतें वहां खास ध्यान देंगी. इन पंचायतों के अध्यक्ष नोडल अफसर के तौर पर काम करेंगे और उनको आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही डॉक्टरों व पुलिस का भी सहयोग मिलेगा.
मुख्यमंत्री सरमा का दावा है कि सरकार के अभियान का सकारात्मक असर नजर आने लगा है और राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोग स्वेच्छा से बाल विवाह स्थगित कर रहे हैं.
बड़े पैमाने पर घर के कमाऊ सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद यह सवाल पूछा जा रहा था कि प्रभावित परिवार की रोजी-रोटी कैसे चलेगी? अब सरकार ने जबरन बाल विवाह की शिकार युवतियों को मुआवजा देने के लिए एक समिति का गठन किया है. इस समिति में तीन कैबिनेट मंत्री शामिल हैं. समिति से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है. इसकी समयसीमा 25 फरवरी को है.
पॉक्सो के लंबित मामले
इस बीच, गौहाटी हाईकोर्ट ने इस अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के लिए सरकार को फटकार लगाई है. इस मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत का कहना था, इस अभियान ने लोगों की निजी जिंदगी में तबाही ला दी है. इन मामलों में हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत ही नहीं है. हाईकोर्ट ने इन मामलों में गिरफ्तार लोगों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) और बलात्कार जैसे कड़े कानूनों को लागू करने के लिए भी सरकार की खिंचाई की है.
बाल विवाह के तहत पॉक्सो के तहत बड़े पैमाने पर होने वाली गिरफ्तारियों के बीच यह खबर भी सामने आई है कि पॉक्सो के लंबित मामलों में असम पूर्वोत्तर राज्यों में पहले स्थान पर है. राज्य में दिसंबर 2022 तक 3,881 मामले लंबित थे. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में हाल में यह आंकड़ा पेश किया है. मंत्री ने बताया कि बीते तीन वर्षों के दौरान असम में ऐसे लंबित मामलों की संख्या तीन गुना से ज्यादा हो गई है.अब बाल विवाह के खिलाफ ताजा अभियान के बाद यह आंकड़ा और बढ़ने का अंदेशा है. (dw.com)
भारतीय पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता पर अडानी समूह ने छह अलग-अलग अदालतों में मानहानि के मुकदमे दायर किए हैं. ठाकुरता न तो समूह के खिलाफ कुछ बोल या लिख सकते हैं न ही उनके मालिक गौतम अडानी के खिलाफ.
अडानी समूह पर अमेरिकी फॉरेंसिक फाइनेंशल रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की विस्फोटक रिपोर्ट ने ऐसी तबाही मचाई कि समूह को शेयर बाजार में 120 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा. पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता का कहना है कि कंपनी खुद को समीक्षा से बचाने के लिए लंबे समय से मुकदमेबाजी जैसे हथकंडों का इस्तेमाल करती है.
पिछले महीने हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी ग्रुप के ऊपर कर्ज बहुत ज्यादा है जिसके कारण उसकी कंपनियों की स्थिरता पर संदेह है. यह रिपोर्ट कहती है कि अडानी ग्रुप ने टैक्स हेवन माने जाने वाले देशों का अनुचित इस्तेमाल भी किया है. हिंडनबर्ग ने अडानी पर अपनी रिपोर्ट में ग्रुप की गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
अडानी समूह पर हिंडनबर्ग के आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप ने विदेशों में बनाई अपनी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरिशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हेवन में बनाई गईं कई बेनामी कंपनियां हैं जिनके पास अडानी की कंपनियों में हिस्सेदारी है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि "निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहां तक कि राजनेता प्रतिशोध के डर से बोलने से डरते हैं."
67 वर्षीय पत्रकार ठाकुरता पर छह मानहानि के मुकदमे ठोक दिए गए जिनमें तीन आपराधिक हैं. ये सभी मुकदमे अडानी समूह और उसके अध्यक्ष गौतम अडानी के खिलाफ रिपोर्टों की सीरीज लिखने के बाद दर्ज किए. दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल हो सकती है. एक अदालत ने तो समूह या फिर उसके मालिक के खिलाफ बोलने या लिखने पर रोक लगा दी है.
मुझे चुप रहने का आदेश-ठाकुरता
अब पहली बार ठाकुरता ने मीडिया से इस मुद्दे पर बात की है. समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए ठाकुरता ने कहा, "चुप रहने का आदेश मुझे दिया गया था." वे आगे कहते हैं, "मुझे कहा गया कि मैं गौतम अडानी और उनके कॉरपोरेट समूह की गतिविधियों पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं. इसलिए मैं अदालत की अवमानना नहीं करना चाहता."
ठाकुरता के सहयोगी अबीर दासगुप्ता कहते हैं कानूनी लड़ाई लड़ने के खर्चे और तीन राज्यों में सुनवाई में भाग लेने की आवश्यकता "शारीरिक और मानसिक रूप से हम पर चोट करती हैं." दासगुप्ता पर खुद मानहानि के तीन मुकदमे दर्ज हैं. दासगुप्ता कहते हैं, "यह हमारा समय लेता है, यह हमारे परिवारों को प्रभावित करता है. इस कारण हमारी आय और समय का नुकसान हुआ है."
रिपोर्ट आने के बाद अडानी के शेयरों में भारी गिरावट आई. कभी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति रहे अडानी अमीरों की वैश्विक सूची की लिस्ट में काफी नीचे चले गए.
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों से इनकार किया है और उसे मुकदमे की धमकी दे डाली. सीएनबीसी टीवी 18 के दो पत्रकारों पर अडानी की सहायक कंपनी ने "घोर दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक और झूठी" समाचार रिपोर्ट लिखने का आरोप लगाते हुए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है.
कानून का पालन करता है समूह-अडानी ग्रुप
समूह के एक प्रवक्ता ने एएफपी से कहा, "अडानी समूह प्रेस की स्वतंत्रता में दृढ़ता से विश्वास करता है और सभी कंपनियों की तरह मानहानिकारक, भ्रामक या झूठे बयानों के खिलाफ खुद का बचाव करने का अधिकार रखता है."
प्रवक्ता ने आगे कहा, "पहले भी अडानी ग्रुप ने कई बार उन अधिकारों का इस्तेमाल किया है. समूह ने हमेशा कानून के मुताबिक काम किया है."
हिंडनबर्ग के आरोपों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं, लेकिन कई भारतीय मीडिया चैनलों ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया या फिर खारिज कर दिया या फिर रिपोर्ट के लेखकों की निंदा की.
कई लोगों ने अडानी समूह के इस दावे को दोहराया कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट एक जानबूझकर "भारत पर हमला" थी, एक टेलीविजन पैनलिस्ट ने इसे देश के खिलाफ "वित्तीय आतंकवाद" का कार्य बताया.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह ने 413 पन्नों का जवाब दिया था और आरोपों को खारिज कर दिया था. यहां तक की समूह के अध्यक्ष अडानी ने एक वीडियो बयान भी जारी किया था. अडानी समूह ने रिपोर्ट पर जवाब देते हुए कहा कि यह "भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला है." इसके बाद अडानी समूह अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड का 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ वापस ले लिया था.
एए/सीके (एएफपी)
दक्षिण कन्नड़, (कर्नाटक) 20 फरवरी | कर्नाटक भाजपा के प्रभारी अरुण सिंह को सोमवार को सीने में दर्द के बाद मेंगलुरु के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। सिंह को ए.जे. अस्पताल में समय पर डॉक्टरों ने दवाइयां दी और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
भाजपा नेता चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए कर्नाटक में हैं और पार्टी नेताओं के साथ लगातार काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि व्यस्त राजनीतिक गतिविधि के बाद वह बीमार पड़ गए, उन्होंने कहा कि किसी भी जटिलता के अभाव में उन्हें बाद में छुट्टी दे दी जाएगी।
इस संबंध में अभी पार्टी की ओर से आधिकारिक बयान आना बाकी है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 फरवरी | कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि 95 फीसदी छापे विपक्षी नेताओं, खासकर उनकी पार्टी के नेताओं पर होते हैं। यह प्रतिक्रिया प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कांग्रेस अधिवेशन से पहले छत्तीसगढ़ में छापेमारी के बाद आई है।
खड़गे ने ट्विटर पर कहा, यह बीजेपी की कायरतापूर्ण हरकत है, लेकिन कांग्रेस इन हथकंडों से झुकने वाली नहीं है।
बीजेपी पर 'फेयर एंड लवली' योजना चलाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने कहा कि, जो लोग उनके साथ जुड़ते हैं, वे 'अचानक' ईमानदार हो जाते हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, चाहे वह हिमंत बिस्वा सरमा हों या शुभेंदु अधिकारी।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया, प्रधानमंत्री ने ईडी को वहां नहीं भेजा, जहां इसकी जरूरत है। उनके पास एक उचित योजना है क्योंकि जिनके खिलाफ पूर्व में ईडी ने जांच खोली, तो वे भाजपा में शामिल होने के बाद निर्दोष हो गए।
कांग्रेस अधिवेशन से तीन दिन पहले ईडी ने सोमवार सुबह कोयला खनन मामले में छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर छापेमारी की।
एक सूत्र ने बताया कि सभी ठिकाने कांग्रेस के विभिन्न नेताओं के हैं।
सूत्र ने कहा, राज्य पार्टी कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, राज्य पीआरओ आरपी सिंह, श्रम समिति के अध्यक्ष सुशील सनी अग्रवाल के परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 फरवरी | जनवरी में हर दिन भारतीय बीमा कंपनियों पर 1.6 मिलियन से अधिक साइबर हमलों को रोका गया। सोमवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। बीमा क्षेत्र की 114 वेबसाइटों पर कुल 49,844,877 साइबर हमले दर्ज किए गए।
टीसीजीएफ 2 (टाटा कैपिटल) द्वारा वित्तपोषित एप्लिकेशन सुरक्षा सास कंपनी इंडसफेस की रिपोर्ट के अनुसार, औसतन, बीमा क्षेत्र की एप्लिकेशन्स में से प्रत्येक को 430,000 हमलों का सामना करना पड़ता है, जो सभी उद्योगों में प्रति ऐप 450,000 हमलों के समग्र औसत के करीब है।
रिपोर्ट में यह भी पता चला कि 51 प्रतिशत भारतीय बीमा वेबसाइटों पर डीडीओएस अनुरोधों के साथ हमला किया गया था, जो डीडीओएस अनुरोधों द्वारा हमला किए जाने वाले 30 प्रतिशत साइटों के समग्र औसत से बहुत अधिक है।
डीडीओएस अनुरोध हमलों के अलावा, भारत में बीमा क्षेत्र के लिए अन्य प्रमुख चिंता बॉट हमलों का बढ़ना है।
जनवरी में 6 मिलियन से अधिक ऐसे बॉट हमलों का दस्तावेजीकरण किया गया था।
इंडसफेस के संस्थापक और सीईओ आशीष टंडन ने कहा, "बीमा उद्योग पर बॉट हमलों का बढ़ना चिंता का विषय है क्योंकि ये अधिक परिष्कृत और सर्जिकल होते हैं। भारतीय बीमाकर्ताओं को जिन संभावित जोखिमों का सामना करना पड़ता है, उनमें वित्तीय डेटा और अन्य संवेदनशील जानकारी तक अनधिकृत पहुंच या स्वयं बीमा कंपनी की आंतरिक प्रणाली भी शामिल है।"
हैकर्स द्वारा माउंट किए गए बॉट हमले तीन प्रमुख प्रकार- अकाउंट टेकओवर, कार्ड क्रैकिंग और स्क्रैपिंग के होते हैं।
हैकर आमतौर पर वित्तीय खातों पर कब्जा करने और क्रैकिंग और स्क्रैपिंग के माध्यम से क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी करने के लिए बॉट हमलों का उपयोग करते हैं।
क्रेडिट कार्ड विवरण, बैंकिंग जानकारी और ग्राहकों के व्यक्तिगत डेटा जैसी बड़ी मात्रा में संवेदनशील और आकर्षक जानकारी के अलावा, भारतीय बीमा कंपनियों पर हमले करने वाला अन्य प्रमुख कारक कमजोरियों का बढ़ना है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकांश बीमा कंपनियां डिजिटल रूप से समझदार उपभोक्ताओं को पूरा करने के लिए डिजिटल परिवर्तन की राह पर हैं। इससे आवेदनों की संख्या और हमले की सतह में भी वृद्धि हुई है।"
टंडन ने कहा, "यह ऐपट्राना डब्ल्यूएएपी जैसे समग्र समाधान को अपनाने का समय है, जो वीएपीटी, डब्ल्यूएएफ, एपीआई सुरक्षा, डीडीओएस और बॉट मिटिगेशन और सुरक्षित सीडीएन को एक मंच पर जोड़ता है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 फरवरी | छत्तीसगढ़ में सोमवार को कांग्रेस नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी के बाद पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और ईडी को चेतावनी दी कि 'कांग्रेस की शालीनता को उसकी कमजोरी न समझा जाए।' जयराम रमेश के साथ सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा, "कुछ राज्यों में हमारी भी सरकारें हैं, कुछ राज्यों में सरकारें बनने जा रही हैं और मौसम बदल रहा है.. 2024 भी आ रहा है।"
उन्होंने कहा, "मैं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को एक सुझाव देना चाहता हूं, जो सरकार के हाथों में उपकरण बन गए हैं, कि समय तेजी से बदलता है।"
अधिकारियों और भाजपा को चेतावनी देते हुए खेड़ा ने कहा, "राज्यों में हमारी सरकारें हैं.. हम भी कुछ कर सकते हैं, लेकिन हमारी शालीनता को कमजोरी नहीं समझा जाए।"
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी इन हथकंडों के आगे नहीं झुकेगी और अधिवेशन अपने कार्यक्रम के अनुसार चलेगा।
रायपुर में कांग्रेस के महाधिवेशन से तीन दिन पहले ईडी ने सोमवार को कोयला खनन मामले में छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर छापेमारी की।
एक सूत्र ने बताया कि सभी ठिकाने कांग्रेस के विभिन्न नेताओं के हैं।
सूत्र ने कहा, "राज्य पार्टी कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, राज्य पीआरओ आरपी सिंह, श्रम समिति के अध्यक्ष सुशील सनी अग्रवाल के परिसरों पर छापेमारी की जा रही है।" (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 20 फरवरी | गुवाहाटी में एक महिला ने कथित तौर पर अपने पति और सास की हत्या कर दी, उनके शरीर के अंगों को कुछ दिनों के लिए फ्रीजर में रख दिया और बाद में एक नदी में फेंक दिया। पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह घटना सात महीने पहले शहर के नूनमती इलाके में हुई थी, लेकिन आरोपी महिला द्वारा कथित तौर पर अपराध कबूल करने के बाद सोमवार को मामले का खुलासा हुआ।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, आरोपी बंदना कलिता ने कबूल किया कि उसने 17 अगस्त, 2022 को अपने दो दोस्तों की मदद से अपने पति अमरज्योति डे और सास शंकरी डे की हत्या कर दी।
अधिकारी ने कहा, हत्याओं के बाद, कलिता ने पीड़ितों के शरीर के अंगों को एक रेफ्रिजरेटर में रख दिया और घर छोड़ दिया। वह चार दिन बाद 21 अगस्त को लौटी और शरीर के टुकड़ों को मेघालय की डावकी नदी में फेंक दिया, जो गुवाहाटी से कम से कम 200 किमी की दूरी पर है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, कलिता के पड़ोसियों ने पुष्टि की कि उन्होंने उसे अपने घर की छत पर फर्नीचर जलाते हुए देखा था।
कलिता के दो दोस्तों, अरूप डेका और धनजीत डेका को हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है।
पुलिस ने अभी तक इस घटना पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 20 फरवरी | रायपुर में इस सप्ताह के अंत में होने वाले कांग्रेस पूर्ण सत्र में चुनाव के मामले में केरल में पार्टी के कुल 47 शीर्ष नेताओं को मतदान का अधिकार दिया गया है। ए.के. एंटनी, ओमन चांडी, वायलार रवि और पूर्व राज्यसभा उपसभापति पी.जे. कुरियन जैसे दिग्गज सहित सभी शीर्ष अधिकारी वोट देने के पात्र हैं।
भले ही पार्टी की केरल इकाई ने 100 नेताओं की सूची भेजी थी, एआईसीसी ने इसे घटाकर 63 कर दिया, जिनमें से केवल 47 के पास मतदान का अधिकार है। शेष 16 के पास मतदान का अधिकार नहीं होगा।
मतदान अधिकार रखने वालों में शशि थरूर और राज्य के पार्टी अध्यक्ष के.सुधाकरन, विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन, रमेश चेन्नीथला और कई अन्य पूर्व राज्य मंत्री, सभी कांग्रेस संसद सदस्य और चुनिंदा विधायक शामिल हैं।
हालांकि उम्र संबंधी बीमारियों के कारण एंटनी, चांडी और रवि के वोट डालने के लिए यात्रा करने की संभावना कम है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 फरवरी | उद्धव ठाकरे गुट ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता देने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष ईसीआई के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर की।
सिंघवी ने मंगलवार को संविधान पीठ के समक्ष चल रहे मामलों सहित इसे सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने सिंघवी के उल्लेख की अनुमति नहीं दी, क्योंकि मामला उल्लेख सूची में शामिल नहीं था। प्रधान न्यायाधीश ने सिंघवी से मंगलवार को मामले का उल्लेख करने को कहा।
पिछले हफ्ते, चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना पार्टी का नाम और धनुष और तीर का चुनाव चिह्न् आवंटित किया था।
महाराष्ट्र के सीएम और प्रतिद्वंद्वी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें अदालत को सूचित किया गया था कि ठाकरे गुट ईसीआई के फैसले को चुनौती दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ फिलहाल शिवसेना में दरार से जुड़े मुद्दों पर विचार कर रही है।
17 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2016 के नबाम रेबिया फैसले पर पुनर्विचार के लिए सात जजों की बेंच को तत्काल संदर्भित करने से इनकार कर दिया, जिसने स्पीकर को विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं की जांच करने की शक्ति को प्रतिबंधित कर दिया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि संदर्भ का मुद्दा 21 फरवरी को योग्यता के आधार पर सुनवाई के लिए मामला तय किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि नबाम रेबिया के 2016 के फैसले को एक बड़ी पीठ को सौंपे जाने के सवाल को भावात्मक तरीके से तय नहीं किया जा सकता है, मामले के तथ्यों को अलग तरीके से तय किया जा सकता है। (आईएएनएस)
मुंबई, 20 फरवरी | मूल 'शिवसेना' नाम और 'धनुष-तीर' चिन्ह खोने के चार दिन बाद, शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर टेलीफोन पर चर्चा की। भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष-तीर' चिन्ह देने के फैसले के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहला सीधा संवाद बताया जा रहा है।
हालांकि, दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने बातचीत के विषयों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन समझा जाता है कि पवार ने ठाकरे को बता दिया है कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) उनकी लड़ाई में उनके साथ मजबूती से खड़ा है।
इससे पहले, राकांपा अध्यक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह इस झगड़े में नहीं पड़ेगे। हालांकि ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है और चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की।
एमवीए की सहयोगी कांग्रेस ने भी दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी के नाम-चुनाव चिन्ह को फिर से हासिल करने के लिए ठाकरे के युद्ध में साथ देने का वादा किया है। (आईएएनएस)
समस्तीपुर, 20 फरवरी | बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र में सोमवार को बेलगाम अपराधियों ने पूर्व मुखिया सहित दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी और आराम से चलते बने। हत्या के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है। पुलिस के मुताबिक, विभूतिपुर थाना के सिंघिया बुजुर्ग पंचायत के पूर्व मुखिया सह चिमनी ईंट व्यवसाई सुरेंद्र प्रसाद सिंह अपने एक सहयोगी सत्यनारायण प्रसाद के साथ बाइक पर सवार होकर कहीं जा रहे थे कि मडडीहा स्कूल के पास चार-पांच की संख्या में अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
इस घटना में पूर्व मुखिया सुरेंद्र प्रसाद की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उनका एक सहयोगी सत्यनारायण प्रसाद गंभीर रूप से जख्मी हो गया। आनन फानन में इसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी भी मौत हो गई।
बिभूतिपुर के थाना प्रभारी संदीप पाल ने बताया कि घटना की सूचना मिलने के बाद पहुंची पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। हत्या के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 फरवरी | सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज (रिटायर्ड) जस्टिस ए.के. सीकरी ने कहा कि केवल पर्यावरण की खातिर विकास की बलि नहीं दी जा सकती। हालांकि वर्तमान और भावी पीढ़ियों के हितों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। विकास और पर्यावरण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों से निपटने के दौरान दोनों के बीच मजबूत संतुलन बनाने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि सतत विकास महत्वपूर्ण है, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजना में सुधार करने के लिए कहा जा सकता है और प्रदूषकों को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है।
न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, विकास टिकाऊ होना चाहिए।
उन्होंने कहा, इसका पर्यावरण पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। प्रदूषण फैलाने वाले भुगतान के लिए बाध्य हैं। जब हम पर्यावरण की बात करते हैं तो यह सिर्फ हमारी पीढ़ी के लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी होता है। हमें सावधानी बरतनी होगी। हालांकि, केवल पर्यावरण के लिए, हम विकास का त्याग नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा, पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाना न्यायपालिका का कर्तव्य है। अदालतों को प्रतिकूल प्रभाव के प्रति सचेत रहना चाहिए कि परियोजनाओं के रुकने या देरी से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। परियोजनाओं को केवल मानवता के आधार पर नहीं रोका जा सकता। निर्णय लेते समय न्यायपालिका को इस पर विचार करने की जरूरत है।
पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर न्यायपालिका या नियामक एजेंसियों द्वारा लिए गए निर्णयों के बाद ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां आर्थिक रूप से आशाजनक परियोजनाओं को रोक दिया गया या बंद कर दिया गया। स्टरलाइट कॉपर, गोवा खनन और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे मामलों में फैसलों ने देश की अर्थव्यवस्था पर भारी असर डाला है। 2018 में स्टरलाइट कॉपर के तूतीकोरिन प्लांट के बंद होने के बाद से, जो देश के तांबे के उत्पादन में 40 प्रतिशत का योगदान करता था, भारत धातु का शुद्ध निर्यातक होने के बजाय शुद्ध आयातक बन गया।
न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि अदालतों को रिट याचिका के आधार पर सावधानी पूर्वक निर्णय करने चाहिए। ऐसा इसलिए, मान लीजिए अगर याचिका खारिज हो जाती है, तो परियोजना और अर्थव्यवस्था दोनों को भारी नुकसान होता है।
न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, यदि व्यक्ति अब नुकसान की भरपाई के लिए आता है, तो उस लागत का भुगतान कौन करेगा जो हजारों करोड़ में हो सकती है? आप याचिकाकर्ता को उस राशि का भुगतान करने के लिए नहीं कह सकते, क्योंकि वह भुगतान करने की स्थिति में नहीं होता है।
यह इंगित करते हुए कि जनहित याचिका (पीआईएल) न्यायिक प्रणाली तक पहुंचने में गरीबों की मदद करने के बेहतर तरीका है, इसे नेक विचारों के साथ शुरु किया गया था। न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि जनहित याचिकाएं अब कई मामलों में 'प्रचार हित याचिका' बन गई हैं, जिसका उद्देश्य केवल प्रचार प्राप्त करना है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने बताया कि कुछ तथाकथित लोगों की जनहित याचिका दायर करने की प्रवृत्ति होती है, जो इस आधार पर एक परियोजना को रोकने की मांग करते हैं कि इससे पर्यावरण को कुछ नुकसान हो सकता है। इनमें से कई जनहित याचिकाएं तुच्छ हैं। उनमें से कई उन लोगों द्वारा दायर किए गए हैं जो टेंडर प्राप्त करने में असफल हो गए हैं।
न्यायमूर्ति सीकरी ने इस तरह की जनहित याचिकाओं को दायर करने के पीछे भारत की प्रगति को रोकने की मांग करने वाले विदेशी लोगों की भूमिका से भी इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत का कर्तव्य भूसी से अनाज को अलग करना होता है और अगर अदालत लड़खड़ाती है तो इससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 फरवरी । शिवसेना का चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे समूह को दिए जाने के चुनाव आयोग के फ़ैसले पर प्रतिक्रियाएं आना जारी हैं.
उद्धव ठाकरे ने सामना में लिखी संपादकीय में बीजेपी पर फिर हमला बोला है.
इस संपादकीय को हैडिंग दी गई है- ख़रीद लिया न्याय!
संपादकीय में शिंदे गुट को मिंधे गुट लिखा गया है. मराठी में मिंधे का मतलब होता है- लाचार.
ठाकरे ने लिखा, ''शिंदे गुट से ज़्यादा ख़ुश तो बीजेपी दिख रही है. किसी दुकान से चना-मूंगफली ख़रीद ली गई हो, उस तरह से शिवसेना और चुनाव चिह्न के मामले का फ़ैसला भी ख़रीद लिया गया है.''
ठाकरे ने अपनी संपादकीय में और क्या-क्या आरोप लगाए?
''गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र आए और शिंदे गुट को शिवसेना-धनुष बाण मिलने पर ख़ुशी व्यक्त की. ये चुनाव चिह्न शिंदे को मिला, ये अमित शाह की मेहरबानी से हुआ है. क्या अब यह छिपा है? ये इंसान महाराष्ट्र और मराठी लोगों को शत्रु है.''
''चुनाव आयोग ने भले ही फ़ैसला शिंदे के पक्ष में दिया हो, फिर भी शिवसेना ठाकरे की थी, है, और रहेगी.''
''लाखों शिवसैनिकों ने दिल्ली के चुनाव आयोग के पास अपना शपथपत्र ‘ट्रक’ भरकर भेजा, क्या उसका कोई मूल्य नहीं?''
''बेईमान विधायकों की अयोग्यता के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग को अपना फैसला रोकना चाहिए था.''
''कल कोई अदानी, अंबानी, नीरव मोदी उठेगा और इसी तरह विधायक-सांसद खरीदकर पूरी पार्टी, सरकार पर अपना मालिकाना हक जताएगा. देश की सरकारें रोज पत्ते के बंगले (ताश के महल) की तरह गिराई जाएंगी.''
अमित शाह ने क्या कहा था?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह फिलहाल महाराष्ट्र के दौरे पर हैं.
इस दौरान पुणे के एक कार्यक्रम में शाह ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा था.
शाह ने ये बयान महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में दिया था.
शाह ने कहा था, ''चुनाव आयोग ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है. सत्यमेव जयते के सूत्र को चरितार्थ किया गया है. जो लोग झूठ के आधार पर हुंकार भरते थे, उनको पता चल गया है कि सत्य किसके साथ है.''
''बीते चुनाव में मैं पार्टी का अध्यक्ष था. चुनाव मिलकर लड़े. अपनी फोटो से बड़ी मोदी जी की फोटो लगाई. देवेंद्र जी को नेता मानकर चुनाव लड़े और फिर मुख्यमंत्री बनने के लिए विरोधी विचारधारा के तलवे चाटने लगे. आज उन लोगों को सत्य क्या है, इसका परिचय मिल गया है.''
''चुनाव में जीत होती है, हार होती है. लेकिन जो लोग धोखा देते हैं उन्हें कभी बख़्शना नहीं चाहिए. वरना धोखा करने वालों की हिम्मत बढ़ती है.''
चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के धड़े वाली शिवसेना को असली शिवसेना माना था.
आयोग ने कहा था कि पार्टी का नाम और चिह्न 'धनुष तीर' शिंदे गुट के पास रहेगा.
उद्धव ठाकरे ने इस फ़ैसले को चुनौती देने की बात कही थी.
वहीं रविवार को ठाकरे ने कहा था, ''कल कोई आया था पुणे में. उन्होंने पूछा, क्या कैसे चल रहा है महाराष्ट्र में, तो कहा कि आज बड़ा अच्छा दिन है क्योंकि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न हमने अपने साथ जो गुलाम आए हैं उनको दे दिया. तो व्यक्ति बोले बहुत अच्छा, मोगेम्बो खुश हुआ. ये मोगेम्बो हैं, मिस्टर इंडिया में मोगेम्बो यही चाहता था देश में लोग आपस में लड़ते रहें, वो लड़ाई में व्यस्त रहेंगे तो मैं राज करूंगा. आप हमारी पार्टी में आते हैं तो ही हिंदू हैं वरना आपने हिंदुत्व छोड़ दिया.'' (bbc.com/hindi)
नयी दिल्ली, 19 फरवरी नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि पिछले आठ साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के सुधारों के कारण भारत ऊंची वृद्धि दर की राह पर बना रहेगा। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में देश की अर्थव्यवस्था के छह प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
कुमार ने आगे कहा कि उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ आने वाली मंदी से आने वाले समय में बड़े जोखिम सामने आएंगे।
उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘सरकार ने पिछले आठ साल के दौरान जो सुधार किए हैं उनसे देश के पास ऊंची वृद्धि दर की राह पर बने रहने का अच्छा अवसर है। हम 2023-24 में छह प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने में सफल रहेंगे।’’ कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था के नीचे की ओर जाने को लेकर कई जोखिम हैं। विशेषरूप से अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य इसकी एक प्रमुख वजह है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इन चुनौतियों का सामना सावधानी से तैयार नीतिगत उपायों के जरिये निर्यात के प्रयासों को समर्थन देकर करना होगा। इसके अलावा हमें घरेलू के साथ विदेशी स्रोतों से निजी निवेश का प्रवाह बढ़ाना होगा।’’
भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2023-24 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहेगी। यह संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुरूप ही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आर्थिक समीक्षा 2022-23 में अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया है।
ऊंची महंगाई दर को लेकर सवाल पर कुमार ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही सर्दियों की अच्छी फसल खाद्य कीमतों को कम रखने में मदद करेगी।’’
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। जनवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 6.52 प्रतिशत रही थी।
चीन के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटे पर एक सवाल पर कुमार ने सुझाव दिया कि भारत को चीन के बाजार में अधिक अवसर और पहुंच के लिए उसके साथ फिर से जुड़ना चाहिए। ‘‘कई उत्पाद हैं जो हमारा देश चीन को अधिक मात्रा में निर्यात कर सकता है।’’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 19 फरवरी दक्षिण पश्चिम दिल्ली के बाबा हरिदास नगर में एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक नाबालिग लड़की से कथित तौर पर कई बार दुष्कर्म किया और उसे गर्भवती कर दिया। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़िता दो महीने की गर्भवती है।
अधिकारी ने बताया कि पुलिस पीड़िता की मां के इस दावे की जांच कर रही है कि वह अपनी बेटी को इलाज के लिए इस झोलाछाप डॉक्टर के पास लेकर गई थी।
अधिकारी ने बताया कि पुलिस आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसकी तलाश कर रही है। (भाषा)
मुंबई, 19 फरवरी शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि शिवसेना पार्टी के नाम एवं निशान ‘तीर-धनुष’ को ‘‘खरीदने’’ के लिए अब तक ‘‘2000 करोड़ रुपये का सौदा’’ हुआ है।
हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े के विधायक सदा सर्वांकर ने इस दावे का खंडन किया और सवाल किया, ‘‘क्या संजय राउत खजांची हैं।’’
राउत ने एक ट्वीट में दावा किया कि 2000 करोड़ रुपये का शुरुआती आंकड़ा है और यह बात शत-प्रतिशत सच्ची है। उन्होंने संवाददाताओं से यह भी कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के करीबी एक बिल्डर ने उन्हें यह बात बतायी है।
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि उनके दावे के पक्ष में सबूत हैं जिसे वह शीघ्र ही सामने लायेंगे।
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ धड़े को असली शिवसेना की मान्यता दी थी और उसे चुनाव निशान ‘तीर-धनुष’ आवंटित करने का आदेश दिया था।
पार्टी संगठन पर काबिज होने को लेकर चले लंबे संघर्ष पर 78 पन्नों के अपने आदेश में निर्वाचन आयोग ने उद्धव ठाकरे धड़े को उसे आवंटित किया गया चुनाव निशान ‘जलती मशाल’ महाराष्ट्र में विधानसभा उपचुनाव होने तक रखने की अनुमति दी।
राउत ने रविवार को कहा कि 2000 करोड़ रुपये शिवसेना का नाम ‘‘खरीदने’’ के लिए कोई छोटी रकम नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग का फैसला एक सौदा है।’’
राउत ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे पक्की सूचना मिली है कि शिवसेना का नाम एवं पहचान पाने के लिए 2000 करोड़ रुपये का सौदा हुआ। यह शुरुआती आंकड़ा है तथा शत-प्रतिशत सच्ची बात है। कई बातें शीघ्र ही सामने लायी जाएंगी। इस देश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ।’’
उनसे जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस परोक्ष बयान के बारे में पूछा गया कि कुछ लोग ‘‘विरोधी विचारधारा वालों के तलवे चाट रहे थे’’, तब राउत ने कहा, ‘‘वर्तमान मुख्यमंत्री क्या चाट रहे हैं? शाह क्या कहते हैं, महाराष्ट्र के लोग उसे (उस बात को) भाव नहीं देते? वर्तमान मुख्यमंत्री को छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लेने का अधिकार नहीं है।’’
शाह ने शनिवार को कहा था कि जिन लोगों ने विरोधी विचारधारा के लोगों के ‘‘तलवे चाटना’ पसंद किया था, उन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के धड़े को असली शिवसेना घोषित किए जाने और उसे ‘तीर-धनुष’ चुनाव निशान दिए जाने के बाद पता चल गया है कि सत्य किधर है।
उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर शाह ने फिर कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का पद साझा करने की कोई सहमति नहीं हुई थी।
शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनाव का परिणाम सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था। इसने मुख्यमंत्री पद साझा करने के वादे से भाजपा के पीछे हट जाने का दावा किया था।
बाद में उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एवं कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर महाराष्ट्र विकास आघाड़ी गठबंधन बनाया था जिसने शिंदे के बगावत करने से पहले तक जून 2022 तक महाराष्ट्र में शासन किया। (भाषा)
दमिश्क, 19 फरवरी इजराइल ने बीती रात मध्य दमिश्क के एक रिहायशी इलाके पर हवाई हमले किए, जिनमें कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य घायल हो गए।
सीरिया की सरकारी समाचार एजेंसी ‘सना’ ने कहा कि स्थानीय समयानुसार रात करीब साढ़े 12 बजे राजधानी में धमाकों की तेज आवाज सुनी गई और सीरिया की हवाई रक्षा प्रणाली “दमिश्क के आसपास आसमान में दुश्मन के हमलों का जवाब दे रही है।”
समाचार एजेंसी ने सैन्य सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि हमलों में एक सैनिक सहित पांच लोग मारे गए हैं तथा 15 लोग घायल हुए हैं। इसने कहा कि कई रिहाइशी इमारतें तबाह हो गई हैं।
हमले को लेकर इजराइल का तत्काल कोई बयान नहीं आया है। इजराइली हवाई हमलों में अकसर दमिश्क के आसपास के क्षेत्रों को निशाना बनाया जाता है। छह फरवरी को तुर्किये और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद से ये पहले हमले हैं।
इजराइल ने हाल के वर्षों में सीरिया के सरकार-नियंत्रित हिस्सों में सैकड़ों हमले किए हैं, लेकिन उसने कभी इन हमलों या अभियानों पर बात नहीं की। हालांकि इजराइल यह स्वीकार करता है कि वह ईरान समर्थित आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाता है, जिनमें लेबनान के हिज्बुल्ला जैसे संगठन शामिल हैं। (एपी)
नयी दिल्ली, 19 फरवरी अमेरिकी की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद एक समय देश के सबसे अमीर व्यक्ति रहे गौतम अडाणी के कारोबारी साम्राज्य में उथल-पुथल मची हुई है। हालांकि, रियल एस्टेट क्षेत्र के दिग्गज के. पी. सिंह का मानना है कि अडाणी घटनाक्रम से भारत के प्रति वैश्विक निवेशकों का भरोसा नहीं डिगा है।
उन्होंने इन चर्चाओं को भी खारिज कर दिया कि अडाणी समूह को ‘ऊपर’ के निर्देश के बाद बैंकों ने कर्ज दिया था।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट 24 जनवरी को आई थी। उसके बाद से ही अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त बिकवाली का सिलसिला चल रहा है।
डीएलएफ के मानद चेयरमैन के पी सिंह ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा कि यह केवल एक कॉरपोरेट समूह से संबंधित अस्थायी झटका है और इससे भारत के प्रति निवेशकों का भरोसा कम नहीं हुआ है।
हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वृद्धि के मार्ग पर बने रहने के लिए अडाणी समूह को अपने पूंजी आधार को बढ़ाने और कर्ज को कम करने की जरूरत है।
खरी-खरी बोलने के लिए प्रसिद्ध सिंह ने याद दिलाया कि कैसे जब डेढ़ दशक पहले उनकी रियल एस्टेट फर्म डीएलएफ आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) ला रही थी, कनाडा की एक कंपनी ने एक रिपोर्ट लाने की धमकी की थी। उन्होंने बताया, ‘‘उस समय हमने कनाडा की कंपनी से कहा था कि उसे जो करना है वह करे। कुछ ‘ब्लैकमेलर’ होते हैं, जो बड़ी शेयर बिक्री के समय रिपोर्ट लाते हैं।’’
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) से ठीक पहले आई थी।
अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद से क्या निवेश गंतव्य के रूप में भारत पर असर पड़ेगा, इस सवाल पर सिंह ने इसे पूरी तरह ‘बकवास’ बताया।
उन्होंने कहा कि भारत काफी बड़ा देश है इसलिए यह ‘कहानी’ खत्म हो जाएगी। निवेश पर असर नहीं पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक काफी समझदार व्यक्ति हैं और जबतक वे प्रधानमंत्री रहते हैं, भारत निवेश के लिए आकर्षक स्थल बना रहेगा।
सेब से लेकर हवाई अड्डा क्षेत्र में कार्यरत अडाणी समूह ने इन आरोपों को ‘दुर्भावनापूर्ण’, ‘निराधार’ और ‘भारत पर सुनियोजित हमला’ कहा है।
रिपोर्ट के बाद तीन सप्ताह में अडानी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 125 अरब डॉलर नीचे आ चुका है।
इस तरह की चर्चाओं पर कि बैंकों ने अडाणी समूह को प्रधानमंत्री के कहने पर कर्ज दिया था, सिंह ने कहा, ‘‘मुझे अडाणी के बारे में नहीं पता। यदि किसी को लगता है कि प्रधानमंत्री के कहने पर बैंकर कर्ज दे देंगे, तो वे ‘मूर्खों की दुनिया’ में रह रहे हैं। कोई बैंक अधिकारी ऐसा नहीं करेगा।’’
उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर का उदाहरण देते हुए क्या कोई बैंकर ऐसा काम करेगा जो नियमनों के अनुरूप नहीं हो। कोचर को वीडियोकॉन समूह को कर्ज में अनियमितता के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।
विपक्ष हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आधार पर सरकार पर हमलावर है।
यह विवाद शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री ने एक बार भी अडणी का नाम नहीं लिया है, लेकिन संसद में अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि देश के 140 करोड़ लोगों का ‘आशीर्वाद’ उनके साथ है। (भाषा)
नई दिल्ली, 19 फरवरी । दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो से एक्साइज पॉलिसी केस में रविवार को होने वाली पूछताछ को टालने का आग्रह किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मनीष सिसोदिया ने सीबीआई से कहा है कि वे दिल्ली के बजट को तैयार करने में व्यस्त हैं और इसलिए पूछताछ को फरवरी के आख़िर तक के लिए टाल दिया जाए.
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में चार्जशीट दाखिल किए जाने के लगभग तीन महीने बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए रविवार को बुलाया था.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने इस केस की चार्जशीट में अभियुक्त नहीं बनाया है, हालांकि उनके और अन्य संदिग्ध लोगों के ख़िलाफ़ अभी भी जांच चल रही है.
मनीष सिसोदिया ने संवाददाताओं से कहा, "मैंने सीबीआई को लिखा है और उनसे फरवरी के आख़िरी हफ़्ते तक के लिए मोहलत मांगी है क्योंकि मैं दिल्ली के बजट को अंतिम रूप दे रहा हूं और ये एक अहम वक़्त है. मैंने उनसे कहा है कि मैं फरवरी के आख़िरी हफ़्ते के बाद आऊंगा."
उन्होंने पत्रकारों से कहा, "वित्त मंत्री के रूप में ये मेरी जिम्मेदारी है कि मैं बजट समय पर पेश करूं और मैं इसके लिए दिन रात काम कर रहा हूं." (bbc.com/hindi)
मुंबई, 18 फरवरी वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ और फिल्म ‘रईस’ में काम कर चुके अभिनेता शाहनवाज प्रधान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
अभिनेता यशपाल शर्मा ने यह जानकारी दी।
प्रधान ने शुक्रवार शाम यहां एक पुरस्कार समारोह के दौरान सीने में तेज दर्द की शिकायत की थी जिसके बाद वह बेहोश हो गये थे। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।
प्रधान को तत्काल कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
समारोह में उपस्थित रहे शर्मा ने इस घटनाक्रम की जानकारी इंस्टाग्राम पर साझा की है।
प्रधान ने फिल्म ‘एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’, ‘खुदा हाफिज’, ‘रईस’ और ‘फैंटम’ के अलावा वेब सीरीज ‘द फेमिली मैन’ और ‘होस्टेजेस’ में भी काम किया है।
‘मिर्जापुर’ में प्रधान के साथ काम कर चुके अभिनेता राजेश तैलंग ने ट्वीट कर अभिनेता को श्रद्धांजलि दी। उनके ट्वीट पर अनूप सोनी, रोहिताश गौर समेत अनेक कलाकारों ने प्रधान को श्रद्धांजलि दी। (भाषा)
मुंबई, 18 फरवरी शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के निर्वाचन आयोग (ईसी) के कदम की शनिवार को आलोचना की।
राउत ने निर्वाचन आयोग के इस फैसले को एक तरह की ‘राजनीतिक हिंसा’ करार दिया और कहा कि इसका उद्देश्य पार्टी को खत्म करना है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग से राजनीतिक दल की परिभाषा पूछने की जरूरत है।
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ आवंटित किया। इसे उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। शिवसेना की स्थापना 1966 में बाल ठाकरे की थी।
राउत ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के कंकावली में पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया, ‘‘निर्वाचन आयोग का आदेश शिवसेना को खत्म करने के लिए एक तरह की राजनीतिक हिंसा है और यह भय तथा बदले की भावना से किया गया कृत्य है।’’
उन्होंने शिवसेना का जिक्र करते हुए कहा कि एक पार्टी है जो 50 साल से अधिक पुरानी है, जिसके कुछ विधायक और सांसद दबाव में दल बदलकर चले गए।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता ने निर्वाचन आयोग के फैसले को कानून, संविधान और लोगों की इच्छा का उल्लंघन भी बताया। उन्होंने सरकार को नये सिरे से चुनाव कराने और यह देखने के लिए जनादेश मांगने की चुनौती दी कि शिवसेना किसकी है।
राउत ने कहा, ‘‘पार्टी और लोग उद्धव ठाकरे के साथ हैं और कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।’’
शिंदे ने पिछले साल जून में ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी। (भाषा)
श्योपुर (मप्र), 18 फरवरी भारत में पिछले सात दशक से विलुप्त चीतों को पुन: बसाने की योजना ‘‘चीता प्रोजेक्ट’’ के तहत भारतीय वायुसेना के विमान से दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को शनिवार को कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) लाया गया।
वायुसेना का विमान चीतों को लेकर सुबह करीब दस बजे ग्वालियर हवाई अड्डे पर उतरा, जहां से उन्हें हेलिकॉप्टर से कूनो लाया गया। चीतों को लेकर हेलिकॉप्टर दोपहर के करीब कूनो पहुंचा।
इससे पहले पिछले साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएनपी में एक समारोह में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के पहले जत्थे को बाड़ों में छोड़ा था। शनिवार को लाए गए 12 चीतों जिनमें आठ नर और पांच मादा चीते शामिल हैं, इनको मिलाकर केएनपी में अब कुल 20 चीते हो गए हैं।
परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने पीटीआई-भाषा को बताया कि दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग स्थित ओआर टांबो अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से ये चीते शुक्रवार शाम को भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान से रवाना होकर शनिवार सुबह को ग्वालियर हवाई पट्टी पर उतरे। उसके बाद उन्हें लकड़ी के बक्सों में हेलीकॉप्टरों के जरिए 165 किलोमीटर दूर केएनपी लाया गया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव उन्हें केएनपी में अलग-अलग बाड़ों में छोड़ेंगे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 18 फरवरी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में आरोपपत्र दायर करने के करीब तीन महीने बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को रविवार को पूछताछ के लिए बुलाया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि आरोपपत्र में सिसोदिया को आरोपी नहीं बनाया गया है क्योंकि उनके और अन्य संदिग्धों के खिलाफ जांच अब भी जारी है।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के पास आबकारी विभाग का प्रभार भी है। सिसोदिया से इससे पहले पिछले साल 17 अक्टूबर को पूछताछ हुई थी और मामले में उनके घर एवं बैंक के लॉकरों की तलाशी ली गई थी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को बनाने और इसे लागू करने में बड़ी साजिश तथा मामले में धन कहां से आया कहां गया इस संबंध में आगे की जांच जारी है।’’
सिसोदिया ने ट्वीट करके बताया कि तलाशी के दौरान उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला था और वह जांच में सहयोग करते रहेंगे। उन्होंने लिखा ‘‘सीबीआई ने कल फिर बुलाया है। मेरे खिलाफ इन्होंने सीबीआई, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की पूरी ताकत लगा रखी है, घर पर छापे, बैंक लॉकर तलाशी, कहीं मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला।’’
उन्होंने परोक्ष तौर पर केंद्र की इशारा करते हुए कहा कि सीबीआई को उनके पीछे लगाया गया है क्योंकि ‘‘वे’’ (केंद्र) उन्हें दिल्ली में बच्चों की शिक्षा पर ‘‘अच्छा काम’’ नहीं करने देना चाहता। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने दिल्ली के बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम किया है। वे मुझे रोकना चाहते हैं। मैंने जांच में हमेशा सहयोग किया है और करूंगा।’’
सीबीआई ने कहा है कि जांच एजेंसी अब दिल्ली शराब नीति बनाने और लागू करने में व्यापारियों और नेताओं की उस ‘‘दक्षिण लॉबी’’ के कथित प्रभाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिसने बिचौलियों, शराब व्यापारियों और लोक सेवकों का उपयोग करके इसे अपने पक्ष में किया।
पिछले साल 25 नवंबर को दायर आरोपपत्र में दर्ज सात आरोपियों में गिरफ्तार व्यवसायी विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के नाम शामिल हैं।
आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस प्रदान करने की दिल्ली सरकार की नीति से कुछ डीलरों को लाभ मिला, जिन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी। इस आरोप का आम आदमी पार्टी (आप) ने जोरदार खंडन किया।
सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा था, ‘‘यह भी आरोप लगाया गया है कि अनुमोदन के बिना आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देना, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, एल-1 लाइसेंस का विस्तार आदि सहित अनियमितताएं की गईं।’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह भी आरोप लगाया गया है कि इन कृत्यों से मिले अवैध लाभ को निजी पक्षों ने अपने बहीखातों में गलत प्रविष्टियां दर्ज करके संबंधित लोक सेवकों को पहुंचाया था।’’
हाल में सीबीआई ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान पार्षद (एमएलसी) एवं मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता के एक पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट बुचिबाबू गोरांटला को गिरफ्तार किया।
आरोप है कि बाबू ने दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई में प्राथमिकी में नामित कई आरोपियों से मुलाकात की थी और दक्षिण लॉबी के प्रमुख वार्ताकारों में से एक था, जो 2021-22 के लिए अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति को अपने पक्ष में करना चाहता था।
सीबीआई ने पिछले साल दिसंबर में मामले के सिलसिले में कविता से भी पूछताछ की थी। अपनी जांच के दौरान सीबीआई को सबूत मिले थे कि बाबू ने दक्षिण लॉबी की ओर से काम किया, जिसमें तेलंगाना एमएलसी, युवजन श्रमिक रैतू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और अरबिंदो फार्मा के पी. शरत चंद्र रेड्डी शामिल थे। (भाषा)
पोलैंड में सालों तक पवन ऊर्जा का अनियंत्रित विकास होता रहा. उसकी वजह से जब हालात बिगड़ने लगे तो नए कानून बनाए गए. लेकिन उससे पवन ऊर्जा का विकास रुक गया. अब देश में बामुश्किल ही टरबाइनों का निर्माण हो पा रहा है.
डॉयचे वैले पर अलेक्जांड्रा फेदोर्स्का की रिपोर्ट-
बाल्टिक तट पर बसे चिशोवो गांव में चलने वाली समुद्री बयार और मानुफक्टुरा सिएस्टा कैफे में बिकने वाले स्वादिष्ट चीज केक का लुत्फ उठाने वाले सैलानी जानते हैं कि वो पोलैंड की एक बड़ी प्यारी जगह में हैं. लेकिन कैफे से ऊंची और सड़क से महज 10 फुट दूर, विशाल पवनचक्की सारा मज़ा किरकरा कर देती है.
महज कुछ सौ मीटर के दायरे में, तटीय लैंडस्केप पर जहां तहां, अटपटे ढंग से दर्जन और टरबाइनें खड़ी कर दी गई हैं. ये उन विंड फार्मों का हिस्सा हैं जो 2001 और 2013 में पूरे कर लिए गए थे. लगता है कि सड़कों और मकानों से किसी तरह की दूरी रखने के बारे में जरा भी ध्यान नहीं दिया गया. इन विंड फार्मों का संचालन करने वाली कंपनियों, एनर्जिया इको और एनर्को का दावा है कि उन्हें संबद्ध अधिकारियों की ओर से जरूरी निर्माण परमिट हासिल हुआ है.
टरबाइन निर्माण पर प्रतिबंध
इस किस्म के अनियंत्रित टरबाइन विकास पर रोक लगाने के लिए पोलैंड में सत्ताधारी रूढ़िवादी लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) की सरकार ने 2016 में एक कानून पास किया था जिसके तहत तमाम नयी पवन चक्की प्रोजेक्टों के लिए "10एच नियम" लागू कर दिया गया.
इस कानून के निर्देशानुसार, नजदीकी मकान या संरक्षित क्षेत्र से पवनचक्की की दूरी उसकी ऊंचाई की 10 गुना रखनी होगी. उदाहरण के लिए, अगर पवन चक्की 200 मीटर (656 फुट) ऊंची है तो वो नजदीकी मकान या संरक्षित क्षेत्र से कम से कम दो किलोमीटर दूर बनाई जानी चाहिए.
टरबाइनों के निर्माण पर कानूनी अंकुश
पवन चक्कियों को नापसंद करने वाले या उन्हें स्वास्थ्य या पर्यावरण के लिए नुकसानदायक मानने वाले लोगों ने ऐसे प्रतिबंधों का स्वागत किया है. ऐसे लोग पोलैंड में भी हैं और दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी. लेकिन पवन चक्कियों के संचालक और अक्षय ऊर्जा के समर्थक मानते हैं कि 10एच रूल एक लिहाज से घरेलू पवन ऊर्जा विकास का खात्मा है. पोलैंड के विंड एनर्जी एसोसिएसन के अध्यक्ष यानुश गायोविएत्स्की ने कहा कि कानून की वजह से पोलैंड का सिर्फ 0.28 प्रतिशत इलाका ही टरबाइनों के निर्माण के लिए उपलब्ध है.
पोलैंड के एक थिंक टैंक फोरम इनर्जी से जुड़ीं अलेक्जांड्रा जियादकीविच कहती हैं, "मौजूदा कानून के तहत एक तरह से नयी पवनचक्कियों के निर्माण के लिए कोई जमीन ही नहीं बची है." वो ये भी कहती हैं कि निर्माणाधीन टरबाइनें 10एच कानून के अमल में आने से पहले जारी हुए परमिटों के आधार पर बनाई जा रही हैं, यानी 2016 से पहले. वो कहती हैं, "पोलैंड को नयी ऊर्जा की ओर जाने के लिए बबुत सारी नयी पवनचक्कियां चाहिए और जल्दी से जल्दी चाहिए."
विकास के लिए समझौते का रास्ता
पिछली जनवरी में, संसद में इस कानून के संशोधन के लिए एक बिल भी पेश किया गया था. उम्मीद थी कि ऐसा कोई समझौता निकाल लिया जाएगा जिससे पवनचक्की कंपनियों को मदद मिल सके. संशोधन के तहत, टरबाइनों और मकानों या संरक्षित क्षेत्रों के बीच, कानूनन निर्धारित दूरी को घटाकर 500 मीटर करने का प्रस्ताव था. पोलिश विंड एनर्जी एसोसिएशन के मुताबिक ऐसा हो जाए तो इससे देश के 7 फीसदी भूक्षेत्र में टरबाइनें खड़ी की जा सकेंगी. लेकिन संसद में इस पर कोई सहमति नहीं बनी. अब 700 मीटर दूरी के प्रस्ताव पर चर्चा कराने की योजना है.
अक्षय ऊर्जा निर्माता कंपनी, केयर ग्रुप से जुड़े दामियान बाबका ने बताया कि प्रस्तावित 500 मीटर सीमा के लागू न हो पाने से पवन ऊर्जा उत्पादकों को तगड़ा झटका लगा है. उनकी कंपनी को संशोधन के पास हो जाने की बड़ी उम्मीद थी. बाबका कहते हैं, "700 मीटर की दूरी कुछ प्रोजेक्टों के लिए लागू की जा सकती है लेकिन इससे हरित ऊर्जा उत्पादन क्षमता बहुत ही कम रह जाएगी."
करीब 300 की आबादी वाले खूबसूरत चिशोवो गांव के निवासियों ने पिछली मर्तबा एक संगठन बनाया था. उसका ध्यान पवन ऊर्जा उत्पादन के अनियंत्रित विकास से पड़ने वाले प्रभाव पर था. 1998 से 8.8 फीसदी लोग, गांव छोड़कर जा चुके हैं और जो वहीं रह गए हैं, उन्हें कानून पर सख्ती से अमल के मामले में अधिकारियों पर जरा भी भरोसा नहीं रहा.
उदार, लचीले नियमों का नकारात्मक प्रभाव
चिशोवो में 10एच नियम को भारी समर्थन हासिल है. गांव के लोगों ने इसके सख्त अमल का जोरदार स्वागत भी किया था. गांव ने बाजार उदारीकरण का बुरा पहलू देखा है और नियमों के और लचीले सिस्टम का हाल भी. उदाहरण के लिए, टरबाइनों के ठीक नीचे बहुत सारे अनधिकृत कैंप और झोपड़ियां डाल दी गई. उनके लिए सामने समन्दर का खूबसूरत नजारा बेशक है लेकिन बेकार गंदे पानी के ट्रीटमेंट और कचरा जमा करने का कोई जरिया नहीं.
गांववालों को नहीं पता कि किसने कब क्या बना डाला. वे इतना ही जानते हैं कि वहां रह रहे लोग आगे नहीं बढ़े हैं. लोकल एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यों में से एक बीनर्ट परिवार का घर, एक पवनचक्की से महज 450 मीटर दूर है. बीनर्ट परिवार का मानना है कि टरबाइनों के रोटरों के शोर और उनकी वजह से रोशनी में बदलाव ने उनकी सेहत और तंदुरुस्ती पर खराब असर डाला है.
परिवार के मुखिया माचेइ बीनर्ट पुख्ता तौर पर पोलैंड में अक्षय ऊर्जा के विकास के पक्ष में हैं. उनके परिवार की रिहाइशी और कमर्शियल इमारतों की छतों पर कई सारे सौर पैनल लगे हैं और वे बड़ी मात्रा में सौर ऊर्जा बेचते भी हैं. बीनर्ट कहते हैं, "अक्षय ऊर्जा पर काम चलता रहे, इसके लिए स्पष्ट नियमों की दरकार है, लेकिन टरबाइनों से सीधे तौर पर प्रभावित लोगों के बिना आप वे नियम नहीं बना सकते." (dw.com)