राष्ट्रीय
सुमित कुमार सिंह
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक अधिकारी अजय कुमार बस्सी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ चालबाजी की थी और यहां तक कि पोर्ट ब्लेयर में अपना ट्रांसफर रद्द कराने के लिए शब्दों को भी अलग तरह से पेश किया और इतना ही नहीं, एजेंसी के पूर्व प्रमुख आलोक कुमार वर्मा ने जल्दबाजी में इस बारे में सत्यापित नहीं किया था और मामले को और ज्यादा जटिल बना दिया। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने यह बात कही।
बस्सी ने 24 अक्टूबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में अपने स्थानांतरण आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि उनका तबादला सीबीआई से किया गया था और फिर 9 जनवरी, 2019 को स्थानांतरण का आदेश वापस ले लिया गया था। उन्होंने फिर से दलीली दी कि 9 जनवरी, 2019 को आदेश को नॉन-एस्ट घोषित करते हुए 10 जनवरी, 2019 को एक और आदेश पारित किया गया था।
कैट ने कहा कि तबादला रोकने को लेकर वर्मा को भरोसे में लेने के लिए उन्होंने हेरफेर किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के शब्दों में भी हेरफेर किया और 'हाउएवर वी' की जगह 'ऑनरेबल कोर्ट' कर दिया।
बस्सी के आचरण को गंभीरता से लेते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा, "अगर यह सीबीआई जैसे प्रतिष्ठित संगठन के एक अधिकारी द्वारा हेरफेर का स्तर है, वह भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के संबंध में, तो कोई भी आसानी से मामले की गंभीरता को समझ सकता है।"
ट्रिब्यूनल ने तबादला आदेश रद्द करने के वर्मा के फैसले पर भी सवाल उठाया।
इसने कहा, "अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि सीबीआई जैसे प्रतिष्ठित संगठन का नेतृत्व करने वाले एक अधिकारी ने उसी दिन जल्दबाजी में आकर मामले में कदम उठा लिया।"
बस्सी के आवेदन को खारिज करते हुए, ट्रिब्यूनल ने अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम. नागेश्वर राव की सराहना की, जिन्होंने वर्मा द्वारा लिए गए ट्रांसफर निर्णय को रद्द कर दिया।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि 2018 में सीबीआई में कुछ असाधारण घटनाक्रम हुए हैं। सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा ने अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ कदम उठाए,यहां तक कि एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।
15 अक्टूबर, 2018 को, वर्मा के एक निर्देश पर बस्सी ने एक आरोपी सतीश सना बाबू के बयान के आधार पर अस्थाना और पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिश्वत का मामला दर्ज किया था।
7 मई, 2020 को विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व अधिकारी अस्थाना और कुमार को क्लीन चिट देते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
वो बस्सी ही थे जिन्होंने कुमार को गिरफ्तार किया था।(आईएएनएस)
पटना, 27 अक्टूबर। बिहार विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान पर अब जेडीयू ने खुलकर हमला बोला है। सीएम नीतीश के बेहद करीबी माने जाने वाले जेडीयू नेता संजय कुमार झा ने चिराग को जमूरा करार देते हुए कहा है कि जिस तरह उनकी फिल्में फ्लॉप हुईं हैं, ठीक उसी तरह राजनीति में भी फ्लॉप साबित होंगे।
जेडीयू नेता संजय झा ने चिराग के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि कंगना रनौत ने उन्हीं के साथ काम किया और देखिए आज वह कहां हैं। सुशांत सिंह राजपूत इसी बिहार का बेटा था और उसने बिना किसी पृष्ठभूमि के अपनी मेहनत से बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। चिराग पर निशाना साधते हुए जेडीयू नेता ने कहा, जमूरा होता है ना, जिसे मदारी इशारों पर नचाता है, चिराग वही जमूरा हैं। जिन फिल्मों में उन्होंने काम किया था, उसमें किसका पैसा लगा था।
इससे पहले आज फिर एक बार एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार पर हमला बोला। चिराग ने कहा कि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार एक बार और राज्य के सीएम नहीं बनने जा रहे हैं। सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि चुनाव परिणाम के बाद बिहार में बीजेपी एलजेपी के साथ मिलकर एनडीए की सरकार बनाएगी। उन्होंने अतं में कहा कि एक बात स्पष्ट है कि मौजूदा सीएम दस नवंबर के बाद दोबारा रे प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। (navjivanindia.com)
लखनऊ, 27 अक्टूबर | यूपी की दस सीटों के लिए होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आठों प्रत्याशियों ने मंगलवार को अपना-अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। मंगलवार को ही नामांकन का अंतिम दिन भी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा डॉ. दिनेश शर्मा के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी इस दौरान मौजूद रहे।
इससे पहले समाजवादी पार्टी से प्रोफेसर रामगोपाल यादव तथा बहुजन समाज पार्टी से रामजी गौतम ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री महासचिव तथा केंद्रीय कार्यालय प्रभारी अरुण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर, रिटायर्ड डीजीपी बृजलाल, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के करीबी समाज कल्याण निर्माण निगम के अध्यक्ष बीएल वर्मा, पूर्व मंत्री हरिद्वार दुबे व पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी के साथ औरैया की जुझारू नेता गीता शाक्य ने नामांकन दाखिल किया है। भाजपा ने आठ उम्मीदवार उतारकर मतदान की जंग में सीधे नहीं उतरने का इरादा जाहिर कर दिया है।
यूपी में दस सीटों पर चुनाव प्रस्तावित है, जिसमें भाजपा विधायकों की संख्या आठ प्रत्याशी जिताने की है। सपा तथा बसपा के मैदान में एक-एक उम्मीदवार उतारने के बाद अब कुल 10 प्रत्याशी मैदान में होंगे। ऐसे में कोई और उम्मीदवार मैदान में नहीं आता है तो निर्विरोध निर्वाचन होगा।
उत्तर प्रदेश से दस राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म होने जा रहा है। इन नेताओं में भाजपा के अरुण सिंह, नीरज शेखर, हरदीप सिंह पुरी, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, राम गोपाल यादव, चंद्रपाल सिंह यादव, रवि प्रकाश वर्मा, बसपा के राजाराम, वीर सिंह, कांग्रेस के पीएल पुनिया शामिल हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 27 अक्टूबर| केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले और रायगढ़ से नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी से सांसद सुनील तटकरे मंगलवार को कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। दोनों नेताओं ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से इस बात की पुष्टि की और अपने संपर्क में आए हुए लोगों को टेस्ट करवाने के लिए कहा।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ए (आरपीआई) के अध्यक्ष आठवले ने एक दिन पहले सोमवार को ही मुंबई के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। जिसमें उन्होंने अभिनेत्री पायल घोष, सोनी कनिष्क, वकील नितिन सतपुते, रियल्टर योगेश करकरे और व्यवसायी अंकुश चापेकर औपचारिक को रूप से आरपीआई की सदस्यता दिलाई थी।
65 वर्षीय राज्य मंत्री सुनील तटकरे के पिता अदिति तटकरे ने आश्वासन दिया कि सांसद के स्वास्थ्य की स्थिति ठीक है, लेकिन एहतियात के तौर पर इलाज के लिए उन्हें शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इस हफ्ते, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास सहित कई अन्य हस्तियों पॉजिटिव परिक्षण किया। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 27 अक्टूबर| गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल पर उस समय चप्पल फेंकी गई जब वह करजन में एक चुनावी रैली के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे, हालांकि चप्पल उन्हें नहीं लगी। नितिन पटेल भाजपा उम्मीदवार अक्षय पटेल के लिए प्रचार कर रहे थे, जिन्हें 3 नवंबर को करजन विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। रैली के बाद, वह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बयान दे रहे थे, तभी अचानक उनसे कुछ दूरी पर एक चप्पल आकर गिरी। हालांकि, पटेल बेफिक्र बने रहे और मीडिया से बात करते रहे।
पुलिस ने मामले को संभाल लिया और चप्पल फेंकने वाले की तलाश में जुट गई। (आईएएनएस)
कानपुर (उत्तर प्रदेश), 27 अक्टूबर| भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (आईआईटी-के) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इटली के दो संस्थानों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिसके जरिए ऐतिहासिक स्मारकों की बहाली और संरक्षण का काम किया जाएगा। इस एमओयू के तहत होने वाले कामों का समन्वय आईआईटी-कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मुकेश शर्मा करेंगे। प्रो. शर्मा ने कहा कि ऐतिहासिक स्मारकों के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए एक नेटवर्क बनाने और स्किल्स साझा करने के लिए आईआईटी-कानपुर, वेनिस के काफोस्करी यूनिवर्सिटी, सोप्रिंटेडेंजा ऑकेर्योलॉजिया, बेले एर्टी ऐ पैसेगियो के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है।
उन्होंने आगे कहा, "सभी संस्थानों को वैज्ञानिक अध्ययन और कौशल, नॉलेज, अनुभव का आदान-प्रदान किया जाएगा। शैक्षणिक सामग्री और प्रकाशन, कार्यशालाओं का संचालन, संयुक्त क्षेत्रों के अध्ययन और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए सहयोग करने जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।"
उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक गतिविधि के लिए एक विशेष योजना पर काम किया जाएगा, जो संसाधनों और स्मारकों की जरूरत के मुताबिक संरक्षण की आवश्यकता निर्भर होगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर| चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता कमल नाथ को कहा है कि उन्होंने एक भाजपा महिला उम्मीदवार के संबंध में 'आइटम' जैसे किसी शब्द का इस्तेमाल कर चुनाव प्रचार के नियम का उल्लंघन किया है। आयोग ने उन्हें सलाह देते हुए कहा है कि किसी जनसभा को संबोधित करने के दौरान ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करें, खासकर जब आचार संहिता लागू हो।
डबरा में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी के लिए 'आइटम' शब्द का प्रयोग किए जाने के बाद सोमवार को चुनाव आयोग ने कमलनाथ को एक नोटिस जारी किया। इधर, भाजपा ने भी किसी महिला का अपमान करने के मद्देनजर कांग्रेस की आलोचना की है।
दरअसल, राज्य के कुछ भाजपा नेताओं द्वारा शिकायत किए जाने और राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा नाराजगी जताए जाने के बाद चुनाव आयोग की तरफ से कमलनाथ को नोटिस भेजा गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर| आयकर विभाग ने दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 42 स्थानों पर तलाशी के दौरान 2.3 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और 2.8 करोड़ रुपये के गहने जब्त किए हैं। विभाग ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि कई टीमों ने सोमवार को फर्जी बिलिंग के जरिए बड़ी संख्या में नकदी का प्रवेश संचालन और उत्पादन करने का रैकेट चलाने वाले व्यक्तियों के एक बड़े नेटवर्क को खोजा और जब्ती की कार्रवाई की। इसके लिए विभाग ने दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 42 परिसरों में तलाशी ली।
इसमें कहा गया, "तलाशी में एंट्री ऑपरेटरों, बिचौलियों, नकदी संचालकों, लाभार्थियों, फर्मों और कंपनियों के पूरे नेटवर्क को उजागर करने वाले सबूत जब्त किये। वहीं 500 करोड़ रुपये से अधिक की आवास प्रविष्टियों के सबूत के दस्तावेज पहले ही जब्त किये जा चुके हैं।"
विभाग ने कहा कि कई शेल कंपनियों या फर्मों द्वारा उपयोग किए गए फर्जी बिलों और जारी किए गए असुरक्षित बिलों के बदले में बेहिसाब फंड और नकद धन निकाला गया।
इसमें आगे कहा गया, "खोजे गए व्यक्तियों के पास कई बैंक खाते और लॉकर थे। ये उनके परिवार के सदस्यों और विश्वसनीय कर्मचारियों और शेल कंपनियों के नाम से खोले गए, जो वे डिजिटल मीडिया के जरिए बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से काम चल रहे थे। अब इनकी भी जांच की जा रही है।"
यह भी कहा गया है कि बड़े शहरों में लाभार्थियों ने अचल संपत्तियों में भारी निवेश किया और फिक्सड डिपॉजिट में कई सौ करोड़ रुपये जमा किए।
उन्होंने कहा, "तलाशी के दौरान 17 बैंक लॉकरों में 2.37 करोड़ रुपये की नकदी और 2.89 करोड़ रुपये के आभूषण मिले हैं।" (आईएएनएस)
नोएडा, 27 अक्टूबर| नोएडा पुलिस और बदमाशों के बीच मंगलवार को मुठभेड़ हुई, जिसमें चर्चित अक्षय कालरा हत्याकांड के चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं एक बदमाश कॉम्बिंग के दौरान गिरफ्तार किया गया है। बदमाशों के कब्जे से लूटी गई क्रेटा कार, एक पिस्टल 32 बोर, तीन तमंचे- देशी 315 बोर के और जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं। इस दौरान बदमाश गोली लगने से घायल भी हुए। पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, थाना सेक्टर 58 नोएडा में पुलिस और बदमाशो के बीच हुई मुठभेड मे चर्चित अक्षय कालरा हत्या कांड के मुख्य आरोपी गोली लगने से घायल हो गए हैं, वहीं उनको गिरफ्तार भी कर लिया गया है। एक बदमाश कांबिग के दौरान गिरफ्तार किया गया। उनके पास से लूटी गयी क्रेटा कार, एक पिस्टल 32 बोर के व तीन तमंचे देशी 315 बोर के व जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं। गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को पुलिस आयुक्त द्वारा 1 लाख रुपए पुरस्कार की घोषणा भी की गई है।
नोएडा पुलिस अब अभियुक्तो के आपराधिक इतिहास की और जानकारी निकाल रही है। दरअसल 2 सितंबर को नोएडा सेक्टर-62 में बीटेक छात्र अक्षय कालरा की रात के वक्त हत्या कर क्रेटा कार लूट ली गई थी। जिसके बाद से नोएडा पुलिस इस मामले की जांच करने में जुट गई थी। हालांकि शुरूआत में बदमाशों के कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगे थे, लेकिन इलाके के आस पास के सभी सीसीटीवी कैमरा खंगाले गए वहीं गौतमबुद्धनगर, मेरठ, गाजियाबाद और आस पास के छेत्र में इन बदमाशों की तलाश की जा रही थी।
हालांकि जानकारी के अनुसार बदमाश एक बार फिर किसी घटना को अंजाम देने आए थे, इसी दौरान पुलिस को ये कामयाबी हासिल लगी।(आईएएनएस)
मुंगेर, 27 अक्टूबर (वार्ता) बिहार में मुंगेर जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में मां दुर्गा सहित अन्य प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान हुयी फायरिंग में एक युवक की मौत हो गयी तथा छह अन्य घायल हो गये।
जिला पदाधिकारी राजेश मीणा और पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने मंगलवार को यहां बताया कि दीनदयाल उपाध्याय चौक पर सोमवार की रात मां दुर्गा सहित अन्य प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों की ओर से पुलिस और भीड़ पर हुयी फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई तथा छह अन्य घायल हो गये। उन्होंने बताया कि असामाजिक तत्वों की ओर से किए गए पथराव में संग्रामपुर थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार, कोतवाली थानाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह, कासिम बाजार थानाध्यक्ष शैलेश कुमार और वासुदेवपुर पुलिस आउट पोस्ट के अध्यक्ष सुशील कुमार सहित 20 पुलिसकर्मी भी घायल हो गये।
श्री मीणा और श्रीमती सिंह ने बताया कि घायलों को मुंगेर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मुंगेर शहर में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुंगेर मुख्यालय में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने आज सुबह फ्लैग मार्च किया। असामाजिक तत्व की ओर से पुलिस पर मारपीट का झूठा आरोप लगाकर माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने जिले के नागरिकों से अफवाहों पर ध्यान न देने का अनुरोध किया है। असामाजिक तत्वों के पास से तीन हथियार, गोलियां और खोखा वरामद किया गया है। मामले की छानबीन की जा रही है।
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुए कथित गैंगरेप और मौत के मामले (Hathras Case) में आज 12 बजे सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तय करेगा कि सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करेगा या फिर हाईकोर्ट. अदालत मामले का ट्रायल उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने के मसले पर भी फैसला करेगी. साथ ही कोर्ट पीड़ित परिवार को मुहैया कराई जाने वाली सुरक्षा के बारे में भी फैसला सुनाएगा.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI SA Bobde) एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की बेंच ने एक जनहित याचिका और कार्यकर्ताओं, वकीलों की ओर से दायर कई अन्य हस्तक्षेप याचिकाओं पर 15 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिकाओं में दलील दी गयी थी कि उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है, क्योंकि कथित तौर पर जांच बाधित की गयी.
पीड़त परिवार की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि इस मामले में जांच पूरी होने के बाद सुनवाई को उत्तर प्रदेश के बाहर राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया जाए. उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में चार सवर्णों ने 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था. उपचार के दौरान दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को लड़की की मौत हो गयी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने उत्तर प्रदेश में मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने की आशंका प्रकट की थी.
क्या है पूरा मामला?
हाथरस के एक गांव में दलित लड़की के साथ बीते 14 सितंबर को चार युवकों द्वारा कथित तौर पर गैंगरेप किया गया था. उसकी हालत बिगड़ने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया. परिवार का कहना है पुलिस ने देर रात जबरन लड़की का अंतिम संस्कार करा दिया.
हालांकि, स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने कहा था कि अंतिम संस्कार ‘परिवार की इच्छा के अनुसार किया गया.’ इस घटना को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किये गए और लोगों ने पीड़िता के लिए न्याय की मांग की. फिलहाल इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई की जांच जारी है. (भाषा इनपुट के साथ)
गांधीनगर, 27 अक्टूबर | गुजरात में कांग्रेस ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत को एक भाजपा मंत्री की शिकायत करते हुए पत्र लिखा है। गुजरात के वन और आदिवासी विकास राज्य मंत्री ने एक चुनावी रैली में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मौजूदगी में कहा था कि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने कांग्रेस विधायकों को कम पैसा दिया था। ये दोनों नेता, उम्मीदवार जीतू चौधरी के लिए प्रचार कर रहे थे, जिन्होंने कांग्रेस से पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया था। कांग्रेस ने राज्यपाल के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज की है, और भाजपा सरकार और मंत्री के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
पाटकर ने अपने संबोधन में जनता से कहा था, "जीतूभाई ने कांग्रेस के साथ रहकर बहुत मुश्किलें झेलीं। हम (भाजपा सरकार) उन्हें आपके क्षेत्र के लिए कम धन आवंटित करते थे, क्योंकि हमें शेष राशि संगठन (संगठनात्मक संरचना) को देनी थी। लिहाजा जीतूभाई ने आपके क्षेत्र में जो वादे किए वो पूरे नहीं हो पाए। लेकिन अब जबकि वे भाजपा में हैं, तो उन्हें अधिक धनराशि मिलेगी और वे आपके काम करा पाएंगे।"
कांग्रेस ने राज्यपाल से शिकायत की है कि मंत्री का ऐसा बयान "संविधान की तीसरी अनुसूची के तहत ली गई शपथ के विपरीत पूरी तरह से असंवैधानिक और विपरीत है"। पार्टी ने यह भी लिखा है कि गुजरात सरकार ने भी इसका उल्लंघन किया है क्योंकि मुख्यमंत्री भी वहां मौजूद थे और उन्होंने पाटकर के बयान का खंडन नहीं किया।
विपक्ष के नेता परेश धनानी ने कहा, "मंत्री के संबोधन से मतलब है कि निर्वाचित विधायक यदि वह विपक्षी दल से हैं तो उन्हें उनके संवैधानिक अधिकार नहीं दिए जाएंगे और उनके निर्वाचन क्षेत्रों को उनके लाभों से वंचित किया जाएगा .. और फिर ऐसे विधायकों को लालच दिया जाएगा।"(आईएएनएस)
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर चुनाव के लिए निर्धारित तीन चरणों के मतदान में से पहले चरण के प्रचार का समय समाप्त हो चुका है. इस दौर की 71 सीटों के लिए गुरुवार को वोट डाले जाएँगे.
सत्ता-राजनीति कैसे सर चढ़ कर बोलती है, इसकी साफ़ झलक कोरोना जैसी ख़तरनाक महामारी के बावजूद हो रहे इस चुनाव के जुनूनी प्रचार अभियान में देखी जा सकती है. लगता है संक्रमण का ख़ौफ़ न तो उम्मीदवारों में है और न ही मतदाताओं में.
जबकि संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ ही रही है और इस कारण हो रही मौतें भी नहीं रुक रहीं. हज़ार तक पहुँचे मृतकों की सूची में राज्य सरकार के दो मंत्रियों का शामिल होना और अभी भी सुशील मोदी और मंगल पांडेय समेत कई प्रमुख नेताओं का अस्पताल में इलाज चलना स्थिति की गंभीरता बता रहा है.
ख़ैर, अब आईए नज़र डालें इस चुनाव में अब तक के सियासी उतार-चढ़ाव पर. यहाँ पहले दौर के मतदान से जुड़े क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के दौरान दो पहलू मुख्य रूप से उभर कर सामने आए हैं.
एक ये, कि राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का गठबंधन शुरुआती बेहतर स्थिति से फ़िसल कर कड़ी चुनौती में फँसा है. दूसरा पहलू ये कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वामपंथी दलों (सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई-एमएल) के 'महागठबंधन' में अचानक उछाल देखी जा रही है.
जो मुद्दे, वायदे, विवाद या अंतर्कलह इन दोनों स्थितियों के मुख्य कारण बने हैं, वे बिहार के बदलते सियासी नज़रिए का एक उल्लेखनीय इशारा भी दे रहे हैं. जैसे कि जातीय प्राथमिकता वाली सियासत से अलग रोज़गार जैसे बुनियादी सवाल उभर कर सामने आए हैं.
सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को 'महागठबंधन' से कड़ी चुनौती की जो सबसे बड़ी वजह बनी है, वह है बेरोज़गारी वाले मसले का एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन जाना. और यह एजेंडा सेट कर दिया है आरजेडी के तेजस्वी यादव ने.
तेजस्वी ने घोषणा की है कि अगर उनकी सरकार बनी, तो पहली कैबिनेट बैठक में ही राज्य के दस लाख बेरोज़गारों को स्थायी सरकारी नौकरी दी जाएगी. कैसे दी जाएगी के रास्ते तो उन्होंने बताए, पर इस बाबत अमल को लेकर सवाल भी ख़ूब उठे हैं.
लेकिन, जैसा कि चुनावी माहौल में कोई मुद्दा चल निकलता है, वैसे ही बेरोज़गार युवाओं ने इसे हाथों-हाथ लेकर तेजस्वी की सभाओं में भीड़ बढ़ाई है. उधर, बीजेपी पर इस चुनौती का ऐसा गहरा असर हुआ, कि इस पार्टी ने भी 19 लाख लोगों को विभिन्न महकमों के तहत रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने का एलान कर दिया.
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि जब एक तरफ़ सरकारी नौकरी का वायदा और दूसरी तरफ़ रोज़गार के अवसर का आश्वासन हो, तो ज़ाहिर है कि सरकारी नौकरी ही आकर्षण पैदा करेगी.
सत्ता के ख़िलाफ़ बने स्वाभाविक माहौल
तेजस्वी यादव की सभाओं में लालू यादव के बनाए मुस्लिम- यादव समीकरण से जुड़ी भीड़ के अलावा वे तमाम श्रमिक भी जुटते हैं, जो आरंभिक कोरोना लॉकडाउन में भारी मुसीबतें उठा कर अन्य प्रदेशों से अपने घर तो आए, पर बेरोज़गारी झेलने को विवश हुए.
हालाँकि पिछड़े-दलित वर्ग के उनलोगों का रुझान जेडीयू-बीजेपी की तरफ़ ही दिखता है, जिन्हें केंद्र और बिहार सरकार से मदद के रूप में नक़द राशि के अलावा मुफ़्त अनाज मिले हैं. अति पिछड़ों और महादलित वर्ग से जुड़े मतदाताओं, ख़ासकर महिला वोटरों के बीच नीतीश कुमार का असर अभी भी है.
आरजेडी और वामपंथी दलों द्वारा अबतक के नीतीश और बीजेपी विरोधी आक्रामक प्रचार ने 15 वर्षों की सत्ता के ख़िलाफ़ बने स्वाभाविक माहौल को और ताक़त दे दी है. महागठबंधन की घटक कांग्रेस यहाँ थोड़ी कमज़ोर पड़ी है, क्योंकि टिकट बँटवारे में गड़बड़ी से लेकर सांगठनिक स्तर पर लचर तैयारी को लेकर पार्टी में ही कलह या विवाद जैसी स्थिति बनी.
आप सोच सकते हैं कि काफ़ी दबाव बना कर महागठबंधन में सत्तर सीटों की साझेदारी ले लेने वाली कांग्रेस अगर ठीक-ठीक सीटें जीत पाने में पिछड़ जाएगी, तो सत्ता तक पहुँचने में महागठबंधन को कितनी मुश्किल पेश आएगी! यह आशंका राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए एक बड़ी राहत वाली बात मानी जा रही है.
चिराग़ के निशाने पर नीतीश
अब ज़िक्र लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) से जुड़े उस बड़े विवाद का, जिसने एनडीए को सबसे बड़ी अंदरूनी मुश्किल में डाला है.
एलजेपी के अध्यक्ष चिराग़ पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश के ख़िलाफ़ जो तीखी मुहिम छेड़ी, उसे पहले तो परोक्ष रूप से बीजेपी द्वारा प्रेरित कहा जाने लगा लेकिन, बाद में नीतीश कुमार के रोषपूर्ण दबाव में बीजेपी को सार्वजनिक घोषणा करनी पड़ी कि एलजेपी अब एनडीए का अंग नहीं है.
उधर, चिराग़ पासवान ने प्रधानमंत्री के प्रति अपना अटूट समर्थन ज़ाहिर करते हुए भी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के विरुद्ध डटे रहने और बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने की अपनी ज़िद क़ायम रखी. साथ ही चिराग़ यह भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार को छोड़, किसी अन्य को अगर बीजेपी मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी, तो एलजेपी पूरा सहयोग करेगी.
मतलब, मतदान का पहला दौर आते-आते नीतीश कुमार के सामने बिहार के दो युवा नेताओं की चुनौती, पुराने पार्टनर बीजेपी पर भरोसे का संकट और 15 वर्षों के सत्ता-नेतृत्व से उपजे कई तरह के स्वाभाविक जन-असंतोष वाली विकट स्थितियाँ उपस्थित हैं.
बीजेपी भी इस मुश्किल लपेट से प्रभावित तो है लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान और बिहार के लिए दी गयी कुछ केंद्रीय विशेष सहायता के बूते चुनावी नैया पार लगा लेने की उम्मीद भी उसे है.
दूसरी तरफ़ जो 'महागठबंधन' का हौसला बुलंद होने लगा है, उसके पीछे नीतीश-विरोध की बनती जा रह परिस्थितियाँ और तेजस्वी की सभाओं में उमड़ती भीड़ को ही मुख्य कारण माना जा रहा है. जबकि प्रमुख टेलीविजन चैनलों के सर्वे या ओपिनियन पोल यहाँ एनडीए के सत्ता में बरक़रार रहने की संभावना बता रहे हैं.
यहाँ एक बात की चर्चा ज़रूरी है कि इस चुनाव में यहाँ एनडीए के साथ जुड़े हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम माँझी और विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी से एनडीए को कुछ सीटों पर मदद मिल सकती है.
उधर, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा के साथ बहुजन समाज पार्टी और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी का गठबंधन कुछ सीटों पर 'महागठबंधन' के वोट काटने और कुछ सीटों पर जीत भी दर्ज करने जैसा असर दिखा सकता है.
राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव बिहार के ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जो लोगों की मदद में सक्रिय दिखने और हर मुद्दे पर ख़ूब बोलने के बावजूद अपनी अस्थिर और विवादास्पद छवि से छुटकारा पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. इसलिए यह चुनाव भी उन्हें निराश कर दे, तो आश्चर्य नहीं.
पहले चरण के मतदान तक यहाँ कुल मिलाकर एनडीए और 'महागठबंधन' के बीच कश्मकश से भरी हुई सीधी टक्कर वाली चुनावी तस्वीर उभरती दिखी है.
यह भी लगता है कि पहले दौर का मतदान जो संकेत लेकर आएगा, उससे बाक़ी दो चरणों में दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों के लिए संभावनाओं या आशंकाओं के कुछ और इशारे मिल सकते हैं.
पहले दौर का मतदान जिन विधानसभा क्षेत्रों में होने जा रहा है, वहाँ 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू-आरजेडी वाले तत्कालीन 'महागठबंधन' को 48 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
इनमें 25 पर आरजेडी और 19 पर जेडीयू के उम्मीदवार विजयी हुए थे.
इस बार भी बदले हुए समीकरण के बावजूद 'महागठबंधन' ने उन सीटों पर काफ़ी उम्मीदें लगा रखी हैं. सीपीआई-एमएल के तीन प्रत्याशी इन्हीं इलाक़ों (भोजपुर) में जीते थे.(bbc)
भोपाल, 27 अक्टूबर | मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर अशोकनगर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को चुनाव आयोग के निर्देश पर हटा दिया गया है। आधिकारिक तौर पर सोमवार को दी गई जानकारी में बताया गया है कि अशोकनगर जिले के कलेक्टर अभय कुमार वर्मा को हटाकर उनके स्थान पर प्रियंका दास को पदस्थ किया गया है। एक अन्य आदेश में पुलिस अधीक्षक रघुवंश कुमार सिंह को हटाकर उनके स्थान पर तरुण नायक को पुलिस अधीक्षक अशोकनगर पदस्थ किया गया है।
शासन की ओर से जारी आदेश में अभय कुमार वर्मा की पद-स्थापना अपर सचिव, मध्यप्रदेश शासन और रघुवंश कुमार सिंह को सहायक पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय, भोपाल पदस्थ किया गया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर | भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में आठ और उत्तराखंड की एक राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवारों के नाम सोमवार की रात घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह को यूपी के रास्ते फिर से राज्यसभा भेजने की तैयारी की है। भाजपा की ओर से घोषित सूची के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीटों के लिए हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह, हरिद्वार दुबे, बृजलाल, नीरज शेखर, गीता शाक्य, बीएल वर्मा, और पूर्व विधायक सीमा द्विवेदी को टिकट मिला है। वहीं पार्टी ने उत्तराखंड से भाजपा ने नरेश बंसल को राज्यसभा भेजने की तैयारी है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव है। संख्या बल के हिसाब से भाजपा का नौ सीटें जीतना तय माना जा रहा है। हालांकि पार्टी ने आठ उम्मीदवार ही उतारे हैं।(आईएएनएस)
पटना, 27 अक्टूबर | बिहार चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव प्रचार के लिए 28 अक्टूबर को एकबार फिर बिहार आ रहे हैं। वे इस दिन दो चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने सोमवार को यहां पत्रकारों से कहा कि पार्टी के नेता राहुल गांधी 28 अक्टूबर को बिहार आएंगे। उन्होंने कहा कि गांधी उस दिन 12 बजे दोपहर में वाल्मीकिनगर में एक चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। उसके बाद वे 2.30 बजे दरभंगा के कुशेश्वर स्थान में एक रैली को संबोधित करेंगे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी राहुल शुक्रवार को बिहार में दो चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं।
बिहार में कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों के साथ चुनाव लड़ रही है।
बिहार में विधानसभा की 243 सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव होना है। इसके तहत प्रथम चरण के लिए 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर, दूसरे चरण के लिए तीन नवंबर को 94 सीटों पर और तीसरे चरण के लिए सात नवंबर को 78 सीटों के लिए मतदान होगा, वहीं वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी।(आईएएनएस)
प्रयागराज, 27 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोवध संरक्षण कानून के दुरुपयोग करने और बेसहारा जानवरों की देखभाल की स्थिति पर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने गोवध कानून के तहत जेल में बंद रामू उर्फ रहीमुद्दीन के जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में कही। कोर्ट ने याची की जमानत मंजूर करते हुए उसे निर्धारित प्रक्रिया पूरी कर रिहा करने का आदेश दिया है। रामू के जमानत प्रार्थनापत्र में कहा गया था कि प्राथमिकी में याची के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं है और न ही वह घटनास्थल से पकड़ा गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मांस बरामद होने पर फोरेंसिक लैब में जांच कराए बगैर उसे गोमांस बताकर निर्दोष व्यक्तियों को जेल भेजा जाता है। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में गोवध अधिनियम को सही भावना के साथ लागू करने की जरूरत है।
रामू के जमानत प्रार्थनापत्र में कहा गया था कि प्राथमिकी में याची के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं है। न ही वह घटनास्थल से पकड़ा गया है। पुलिस ने बरामद मांस की वास्तविकता जानने का कोई प्रयास नहीं किया कि वह गाय का मांस ही है या किसी अन्य जानवर का।
इसके अलावा, पुलिस ने बरामद मांस की वास्तविकता जानने का भी कोई प्रयास नहीं किया कि वह गो मांस ही है या किसी अन्य जानवर का। कोर्ट ने कहा कि ज्यादातर मामलों में जब मांस पकड़ा जाता है तो उसे गो मांस बता दिया जाता है। उसे फोरेंसिंक लैब नहीं भेजा जाता और आरोपी को उस अपराध में जेल जाना होता है जिसमें सात साल तक की सजा है और विचारण प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट की अदालत में होता है।
कोर्ट ने कहा कि इसी प्रकार जब कोई गोवंश बरामद किया जाता है तो कोई रिकवरी मेमो तैयार नहीं किया जाता है और किसी को नहीं पता होता है कि बरामदगी के बाद उसे कहां ले जाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि गो संरक्षण गृह और गोशाला वृद्ध और दूध न देने वाले पशुओं को नहीं लेते हैं। उनके मालिक भी उन्हें खिला पाने में सक्षम नहीं है।
पुलिस और स्थानीय लोगों द्वारा पकड़े जाने के डर से वे इन पशुओं को किसी दूसरे राज्य में ले नहीं जा सकते। ऐसे में दूध न देने वाले जानवरों को घूमने के लिए छुट्टा छोड़ दिया जाता है। ऐसे पशु किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। यही नहीं, ये छुट्टा जानवर सड़क और खेत दोनों जगह समाज को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। इन्हें गो सरंक्षण गृह या अपने मालिकों के घर रखने के लिए कोई रास्ता निकालने की जरूरत है।(आईएएनएस)
भोपाल, 27 अक्टूबर | पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है और कहा है कि गद्दारी तो कमल नाथ ने की थी प्रदेश की जनता के साथ, जो वादे करके सत्ता में आए थे, उन्हें पूरा नहीं किया। मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में गोहद, डबरा व पोहरी में जनसभाओं केा संबोधित करते हुए सोमवार को सिंधिया पूरी तरह आक्रामक रहे। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के लोग यह कहते घूम रहे हैं कि सिंधिया और उनके साथी गद्दार हैं। मैं कहना चाहता हूं कि कमलनाथ सुन लो गद्दार तो आप हैं, जो विकास का वादा करके सत्ता में आए थे। कहा था सभी किसानों के कर्जे माफ करेंगे, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देंगे। प्रदेश की जनता से झूठ बोला, वादाखिलाफी की।"
सिंधिया ने कहा कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस को इस क्षेत्र की 34 में से 26 सीटों पर जिताया, जो एक रिकॉर्ड है। लेकिन दिग्विजय सिंह और कमल नाथ की जोड़ी ने इस क्षेत्र के लाखों मतदाताओं के साथ विकास के नाम पर धोखा किया। जब विधायक और जनप्रतिनिधि विकास की कोई बात लेकर कमल नाथ से मिलने जाते थे, तो उनका चेहरा देखकर वल्लभ भवन और सीएम हाउस के दरवाजे बंद कर दिए जाते थे। "यह अपमान मेरा नहीं, यहां के जनप्रतिनिधियों और विधायकों का नहीं, यह इस क्षेत्र की जनता का अपमान था।"
उन्होंने आरोप लगाया कि दिग्विजय-कमल नाथ की जोड़ी ने ग्वालियर चम्बल संभाग की जनता को अपमानित करने का काम किया। "जब मैंने वादे निभाने की बात कही, तो इन्होंने मुझसे भी अहंकार में कहा कि सड़कों पर उतर जाइए। मैंने इनकी सरकार को ही सड़क पर ला दिया। अब प्रदेश की सत्ता विकास और प्रगति के लिए मप्र में भाजपा की सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के हाथों में है।"
वरिष्ठ नेता सिंधिया ने कहा कि 15 साल बाद जब कांग्रेस की सरकार आई, तो सभी ने सोचा कि ये सरकार विकास करेगी, जनता के लिए काम करेगी। लेकिन प्रदेश में उद्योग लगाने की बजाय तबादला उद्योग शुरू कर दिया। वल्लभ भवन में बोलियां लगने लगीं। जनसेवा के केंद्र वल्लभ भवन को लूट खसोट और भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया। पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया और रेत के अवैध उत्खनन तथा शराब का काला धंधा शुरू हो गया।
सिंधिया ने कहा कि एक तरफ कमल नाथ की 15 माह की सरकार का कार्यकाल देखिए और दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान कमल वाली सरकार का कार्यकाल देखिए। उन्होंने देश में चल रहीं कोरोना महामारी के दौरान गरीब, मजदूर, किसानों के लिए योजनाएं बनाकर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर | केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कई परियोजनाओं में देरी के लिए एनएएचआई के आला अफसरों के रवैये पर नाराजगी दिखाई। उन्होंने द्वारका में एनएएचआई के भवन के निर्माण में नौ साल लग जाने पर हैरानी जताते हुए कहा कि इसके लिए जिम्मेदार अफसरों की भवन में फोटो लगनी चाहिए, ताकि लोगों को पता चला कि किन महान हस्तियों के कारण एक भवन बनाने में नौ साल लग गए। गडकरी ने कहा कि इस भवन में हुई देरी पर एक रिसर्च पेपर भी बनना चाहिए।
द्वारका में बने एनएएचआई के नए भवन के वर्चुअल उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री ने कहा, "कोई भी नया काम होने के बाद अभिनंदन करने की परंपरा है। मुझे संकोच हो रहा है, मैं आप लोगों का अभिनंदन कैसे करूं, मुझे शर्म आती है। क्योंकि 2008 में तय हुआ था कि कैसे बिल्डिंग बने। 2011 में टेंडर हुआ। इस काम को पूरा देखने के लिए दो सरकारें और आठ चेयरमैन लगे। तब जाकर ये काम पूरा हुआ है।"
गडकरी ने तंज कसते हुए कहा, "जिन महान हस्तियों की वजह से 2011 से लेकर 2020 तक नौ साल भवन निर्माण संभव हुआ, उन सीजीएम और जीएम के फोटो इस ऑफिस में जरूर लगना चाहिए। ताकि नौ साल की देरी का इतिहास सबके सामने आए।"
केंद्रीय मंत्री ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में लंबे समय से अफसरों के जमे होने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में ऐसे अफसर हैं, जो परियोजनाओं में देरी करते हैं। कई ऐसे अफसर हैं जो निर्णय नहीं करते हैं। कई अफसर 12 से 13 साल से चिपके हुए हैं।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर | दिल्ली में पंजीकृत कुल 1.10 लाख से अधिक वाहनों में से लगभग 83,000 इलेक्ट्रिक वाहन हैं। इनमें भी अधिकांश ई-रिक्शा हैं। दिल्ली सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में दिल्ली में कम से कम 5 लाख इलेक्ट्रिक वाहन को पंजीकृत करना है। इसके लिए सरकार लोगों को इलेक्ट्रॉनिक वाहन खरीदने के लिए प्रेरित करेगी। हालांकि फिलहाल दिल्ली में केवल 900 के आसपास निजी इलेक्ट्रिक कारें और लगभग 3,700 ई-टू-व्हीलर्स ही हैं।
इस वर्ष अप्रैल से लेकर सितंबर तक दिल्ली में अभी तक 2629 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए हैं। इनमें 297 मोटर साइकिल व स्कूटर हैं। 67 कैब और 80 इलेक्ट्रिक कारें भी इस दौरान खरीदी गई हैं। इन वाहनों की खरीद बिना सब्सिडी लिए ही की है।
दिल्ली सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में दिल्ली में कम से कम 5 लाख इलेक्ट्रिक वाहन को पंजीकृत करना है। इसके लिए सरकार लोगों को इलेक्ट्रॉनिक वाहन खरीदने के लिए प्रेरित करेगी।
दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए सरकार जहां एक ओर इन वाहनों पर सब्सिडी दे रही है वहीं दूसरी ओर आधुनिक सुविधाओं से लैस सार्वजनिक चार्जिग स्टेशन भी स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें एक साथ चार वाहनों को 45 से 90 मिनट तक चार्ज किया जा सकता है। इसमें एसयूवी, महिंद्रा, हुंडई, कोना इत्यादि हैवी ड्यूटी वाहनों की भी चार्जिग हो सकती है।
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को कहा, "ई वाहन चार्जिग स्टेशनों की स्थापना के लिए चार्जिग स्टेशनों को चलाने, रखरखाव और अपग्रेड करने के लिए ऊर्जा ऑपरेटर को नियुक्त करने के लिए एक केंद्रीकृत निविदा प्रणाली को अपनाया जाएगा। सार्वजनिक ईवी चार्जिग स्टेशनों की स्थापना के लिए भूमि प्रदाता एजेंसियों को भूमि प्रदान करनी होगी।
परिवहन मंत्री गहलोत के मुताबिक, दिल्ली शहर में चार्जिग स्टेशन स्थापित करने के लिए एक राज्य-वार निविदा को एकीकृत की जाएगी। इसके साथ ही, डीटीएल और दिल्ली डिस्कॉम निविदा प्रक्रिया की प्राथमिकता के लिए साइटों की पहचान करने के लिए भूमि पार्सल का एक संयुक्त सर्वेक्षण भी करेंगे।
ईवी चार्जिग सुविधा का प्रारंभिक शुल्क सीमित अवधि के लिए 10.50 रुपये प्रति यूनिट होगा, जो वर्तमान ऑपरेटिंग ईवी पब्लिक चार्जिग टैरिफ में सबसे कम है। अगले 1 वर्ष के भीतर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में 200 चार्जिग स्टेशन बनाए जाएंगे।
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए टू व्हीलर, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा व मॉल वाहक वाहन खरीदने पर 30 हजार रुपये तक और कार पर 1.5 लाख रुपये तक इंसेंटिव मिलेगा। इसके साथ ही दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर पंजीकरण शुल्क व रोड टैक्स भी नहीं लगेगा।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर | सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली सरकार पर एमसीडी का फंड बकाया होने का दावा कर रही भारतीय जनता पार्टी को आड़े हाथ लिया। आप नेता दुर्गेश पाठक ने साफ किया कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का दिल्ली सरकार पर कोई फंड बकाया नहीं है, बल्कि एमसीडी का भाजपा शासित केंद्र सरकार पर पिछले 10 वर्षो का करीब 12 हजार करोड़ रुपये बकाया है। एमसीडी में बैठी भाजपा के नेता झूठ बोल रहे हैं और डॉक्टरों-नर्सो के वेतन पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार देश के सभी स्थानीय निकायों को हर साल अनुदान देती है, लेकिन 2001 के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम को एक पैसा नहीं दिया है। केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष 1150 करोड़ रुपये एमसीडी को देने चाहिए।
पाठक ने कहा, "सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी कई बार प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्तमंत्री को पत्र लिखकर एमसीडी का रुका पैसा जारी करने की मांग कर चुके हैं। केंद्र में बैठे भाजपा नेताओं से आम आदमी पार्टी मांग करती है कि पिछले 10 वर्षो का रुका हुआ एमसीडी का 12 हजार करोड़ रुपये तत्काल दिया जाए, इन पैसों पर एकसीडी का हक है।"
उन्होंने आगे कहा, "भाजपा पिछले 14 सालों से एमसीडी चला रही है लेकिन इतने सालों में उन्होंने एक बार भी केंद्र सरकार से इन रुपयों की मांग नहीं की। एमसीडी ने एक भी पत्र केंद्र सरकार और केंद्रीय वित्तमंत्री को नहीं लिखा। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से एमसीडी का रुका हुआ पैसा जारी करे, जिससे डॉक्टरों और कर्मचारियों को उनका वेतन मिल सके। केंद्र सरकार अगर यह पैसा दे देती है तो एमसीडी के कर्मचारियों को वेतन भी मिल जाएगा और एमसीडी का घाटा भी पूरा हो जाएगा।"
पाठक ने "14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार देश के सभी नगर निगमों को पैसा (अनुदान) जारी करती है। 14वें वित्त आयोग के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2,87,636 करोड़ रुपयों का देश के नगर निगमों को अनुदान दिया। इस रकम में 488 रुपये प्रति व्यक्ति का अनुपात निकलकर आता है। यानी नगर निगर की जितनी जनसंख्या होगी उसके आधार पर, 488 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से केंद्र सरकार, नगर निगम को पैसे देगी।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर | दिल्ली सरकार के मुताबिक, डॉक्टरों के वेतन के मुद्दे पर एमसीडी की सत्ता में बैठी भाजपा सिर्फ राजनीति कर रही है। दिल्ली नगर निगम के अधीन अस्पतालों के डॉक्टर्स और अन्य कर्मचारी वेतन मिलने में हो रही देरी को लेकर धरने पर बैठे हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को कहा, "मैंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आदेशानुसार वेतन मुद्दे पर बातचीत के लिए दिल्ली एमसीडी के तीनों मेयर को दोपहर 2 बजे मिलने का समय दिया था, लेकिन पूरा दिन गुजर जाने के बाद भी कोई मिलने नहीं आया। एमसीडी अगर डॉक्टर के मुद्दे को लेकर गंभीर होती, तो वो बैठकर बात करती, लेकिन इनका मकसद सिर्फ राजनीति करने का है और इस बात की कोई परवाह नहीं है कि डॉक्टर्स को उनका वेतन मिल रहा है या नहीं।"
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सप्ताह से दिल्ली एमसीडी के अधीन अस्पतालों के डॉक्टर्स और अन्य कर्मचारी अपने वेतन मिलने में हो रही देरी को लेकर धरने पर बैठे हैं। वहीं सोमवार को एमसीडी के मेयर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास के सामने धरने पर बैठ गए और दिल्ली सरकार से पैसे कि मांग करने लगे।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा, "केंद्र सरकार सारे म्युनिसिपल कारपोरेशन को उसके अधिकार क्षेत्र में रहने वाले प्रति व्यक्ति के हिसाब से पैसा देती है, लेकिन वो दिल्ली के म्युनिसिपल कारपोरेशन को कोई पैसा नहीं दे रही है। दिल्ली के मेयर को चाहिए कि वो केंद्र सरकार से माँग करें कि दिल्ली एमसीडी को भी केंद्र सरकार द्वारा उनके हक के अनुदान के बकाया पैसे दिए जाए।"
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली के एमसीडी पर दिल्ली सरकार का हजारों करोड़ बकाया है, जो एमसीडी को चुकता करना है। दिल्ली एमसीडी केंद्र सरकार से पैसे नहीं मांगती है, जबकि केंद्र और एमसीडी दोनों में भाजपा की ही सरकार है।
सतेंद्र जैन ने कहा, "एमसीडी ने पूरी दिल्ली में होर्डिग्स और पोस्टर्स लगाए हुए हैं और इन सब पर मोटा पैसे खर्च करती है। एमसीडी के अन्दर बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है, इनके पास जितना भी पैसा हो, सारा भ्रष्टाचार में खत्म हो जाता है।"
उन्होंने कहा कि एमसीडी अपने सिस्टम को सही से नहीं चला पा रही है। हाउस टैक्स का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर 2500 करोड़ इकठ्ठा करना होता है, तो उसमें से सिर्फ 1000 करोड़ इकठ्ठा करते हैं और बाकी के 1500 करोड़ आपस में बांट लेते हैं। एमसीडी अपना काम सही से नहीं करती है और दिल्ली सरकार से पैसा मांगती है। दिल्ली सरकार को जो भी पैसा देना था, वो पहले ही दिया जा चुका है।
सतेंद्र जैन ने कहा, "इन सारे मुद्दों का हल यही है कि एमसीडी अपना सिस्टम ठीक कर के वहां से भ्रष्टाचार खत्म करे और अगर ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो फिर दिल्ली सरकार के हवाले कर दे। हम सिस्टम ठीक कर के सारे अस्पताल अच्छे से चला भी लेंगे और डॉक्टरों को उनका वेतन भी समय पर देंगे।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर | कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू हुए लॉकडाउन से हर किसी की जीविका पर खासा असर पड़ा। ऐसे में बच्चों और बड़ों की मुस्कुराहट बनने वाले देशभर के सर्कसों के भविष्य पर एक पूर्णविराम लगने का डर बना हुआ है।
महामारी से सर्कस के मालिक, प्रस्तुति देने वाले कलाकार और सर्कस के जानवरों के जीवन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। हालत ये हो चुकी है कि कई सर्कस संचालकों के पास फोन में रिचार्ज कराने तक के पैसे नहीं हैं।
चहरे पर रंग-बिरंगी मुस्कान के साथ हंसाने वाला जोकर, रिंग मास्टर के साथ आग से खेलते शेर, बाघ और हाथी जैसे जानवर, मौत के कुएं में दौड़ती मोटरसाइकिल, एक छोर से दूसरे छोर पर रस्सी से लटकतीं सुंदर लड़कियां शायद अब उतना देखने को न मिले। मौजूदा हालत को नजर में रखते हुए ये कहना मुश्किल नहीं होगा कि नई पीढ़ी के लिए सर्कस अब इतिहास बनने जा रहा है।
एशियाड सर्कस के मैनेजर अनिल कुमार ने आईएएनएस को बताया, "13 मार्च से हमारा सर्कस बंद पड़ा हुआ है। कलाकर अपने घर चले गए हैं, वहीं कुछ अभी भी सर्कस कैंप में ही रह रहे हैं, लेकिन वे दहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं। काम से वापस आने के बाद सर्कस के तंबू में ही आकर सो जाते हैं।"
उन्होंने बताया, "हालात तो हम लोगों की पहले ही बुरी थी, लेकिन महामारी ने सब कुछ खत्म कर दिया। पहले बस हम दो वक्त की रोटी के लिए ही कमा पाते थे, लेकिन अब तो फोन में रिचार्ज कराने तक के पैसे नहीं हैं। जिसकी वजह से फोन भी बंद हो गए हैं।"
पहले देश में करीब 150-200 सर्कस हुआ करते थे, लेकिन सरकारी पाबंदियों के चलते बचे हुए सर्कस भी बंद होने के कगार पर हैं। अब सर्कस चलाने में खास आमदनी नहीं रह गई है। कुछ सर्कस महंगाई की भेंट चढ़ गए तो कुछ सरकार की ओर से लगाई गई विभिन्न पाबंदियों के चलते दम तोड़ रहे हैं।
हालांकि इन सभी सर्कसों की एक एसोसिएशन भी है जो कि दिल्ली में मौजूद है, लेकिन मेंबर्स न होने की वजह से यह एसोसिएशन भी सक्रिय नहीं है।
सर्कस व्यवसायियों की मानें तो कोरोना महामारी के दौरान करीब 10 से 15 सर्कस कंपनी बंद हो गए, वहीं बची हुई अन्य सर्कस कंपनियां भी तंगी से जूझ रही हैं। उनके मुताबिक, सर्कस का बाजार ही अब सिकुड़ गया है। अब सर्कस करना कोई फायदे का व्यापार नहीं रहा। यदि सरकार ने ध्यान न दिया तो जल्द ही सर्कस का नाम किताबों के पन्नों तक सिमट कर रह जाएगा।
हालांकि, मल्टीमीडिया के जोर पकड़ने से भी इन सर्कसों को काफी नुकसान हुआ है, क्योंकि मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध होने की वजह से बच्चे और बढ़े दोनों ही फोन पर समय देने लगे हैं। इस वजह से सर्कसों को देखने के प्रति लोगों की रुचि खत्म होती नजर आ रही है। विडियो, म्यूजिक, गेम, चैटिंग आदि ने लोगों का ध्यान सर्कस से भटका दिया। बच्चे भी ऑनलाइन ही सर्कस देखने में रुचि लेते हैं।
भारत के सबसे लोकप्रिय और पुराने सर्कस में से एक रेम्बो सर्कस कोविड-19 महामारी के चलते काफी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस सर्कस शो के सदस्यों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए शो को डिजिटली आयोजित करना शुरू कर दिया है।
बरोदा निवासी राजेश शाह एक कंसल्टिंग कंपनी चलाते हैं और सर्कस कंपनियों की मदद करते हैं। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "आज सिर्फ 10 बड़े सर्कस है। देश भर के करीब 20 बड़े सर्कसों में से फिलहाल यही 10 सर्कस बचे हुएं हैं। कोरोना की वजह से सभी कलाकार अपने अपने घर वापस चले गए हैं।"
"भविष्य में बहुत मुश्किल होगा इन कलाकारो को वापस सर्कस में बुलाना, क्योंकि ये सभी लोग बहुत मेहनती होते है और कुछ न कुछ नया ढूंढ लेंगे"
वर्ष 1920 में मुंबई से शुरू हुए दी ग्रेट बॉम्बे सर्कस ने बुलंदियों का दौर भी देखा। इसी वर्ष इसने 100 वर्ष का सफर पूरा किया है। लेकिन मौजूदा समय में उसकी हालत खराब है। इस सर्कस को दो भाई पार्टनरशिप में चलाते हैं।
इस सर्कस के मालिक संजीव ने आईएएनएस को बताया, "बीते साथ महीनों में कुछ न होने की वजह से 150 स्टाफ छोड़ कर चले गए हैं। हर दिन 1 लाख रुपये का खर्चा है। बीते 2 सालों में कई सर्कस बंद हो चुके हैं। आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से रिश्तेदारों से भी पैसा उधार लिया है।"
उन्होंने कहा, "इंडियन सर्कस फेडरेशन हम लोगों की एसोसिएशन है, लेकिन वो एक्टिव नहीं है, क्योंकि उसमें मेंबर नहीं हैं। भविष्य में और सर्कस भी बंद होने के कगार पर है।"
संजीव ने आगे कहा, "सरकार को हमारी इंडस्ट्री की आर्थिक मदद करनी होगी। किसी ने नहीं सोचा था कि ये बीमारी इतने लंबे वक्त तक परेशान करेगी। वहीं ऑनलाइन सर्कस दिखाना लंबे वक्त के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि एक ऑनलाइन टिकट में एक साथ पूरा परिवार देख लेगा, जिससे भविष्य में हम लोगों की ही भारी नुकसान होगा।"(आईएएनएस)
जयपुर, 26 अक्टूबर| एक दर्दनाक घटना में, राजस्थान के अलवर जिले में एक शराब ठेकेदार ने सेल्समैन के रूप में काम करने वाले एक दलित युवक को कथित रूप से पांच महीने का अपना बकाया वेतन मांगने पर उसे आगे के हवाले कर दिया। पुलिस ने कहा कि कमल किशोर का अधजला शव बाद में शराब की दुकान में डीप फ्रीजर में मिला।
कमल के भाई रूप सिंह ने खैरथल पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें उसने उल्लेख किया कि शराब ठेकेदार सुभाष और राकेश यादव से बकाया वेतन मांगने पर कमल किशोर को जिंदा जला दिया गया। दोनों फरार हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने सोमवार को ट्वीट किया, "ऐसा लगता है कि हम अफ्रीका में सोमालिया में रह रहे हैं, जहां कोई कानून-व्यवस्था नहीं है। क्या सीएम अशोक गहलोत को अपने पद पर रहने का कोई हक है।" उन्होंने एक हैशटैग क्राइमकैपिटलराजस्थान भी लगाया।
राजस्थान के एक मंदिर के पुजारी को जमीन के विवाद में जिंदा जलाने के बाद अब जिंदा जलाने की ये दूसरी घटना सामने आई है।
पुलिस के अनुसार, अलवर के झड़का गांव के रहने वाले मृतक कमल किशोर (22) की शनिवार की रात कमपुर गांव में जलने से मौत हो गई।
पुलिस ने कहा कि एक फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया। पुलिस ने कहा, "मामले में और सबूत मिलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।"
रूप सिंह ने आरोप लगाया कि कमल किशोर का वेतन पिछले पांच महीनों से बकाया था। वह घर लौट आया, लेकिन शनिवार शाम को, ठेकेदार और उनके साथी उसके घर पहुंचे और कमल किशोर को अपने साथ ले गए।
रूप सिंह के मुताबिक, रात में कमल किशोर के अंदर होने के बावजूद शराब की दुकान में पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई।
रविवार की सुबह, जब दुकान के शटर को तोड़ा गया तो कमल किशोर फ्रीजर के अंदर मृत पाया गया।
पुलिस शव को ऑटोप्सी के लिए खैरथल सैटेलाइट अस्पताल में ले गई। अपराधियों की गिरफ्तारी और न्यायायिक जांच की मांग कर रहे परिजनों ने रविवार शाम तक पोस्टमार्टम नहीं होने दिया था।
दिनभर की मशक्कत, समझाने-बुझाने के बाद आखिरकार पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 26 अक्टूबर| जम्मू एवं कश्मीर संग भारत के विलय वाले दिन (26 अक्टूबर) की 73वीं वर्षगांठ के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थकों द्वारा श्रीनगर में सोमवार को 'तिरंगा रैली' निकाली गई। जम्मू एवं कश्मीर को 26 अक्टूबर, 1947 को भारत में मिलाने का फैसला लिया गया था।
राज्य में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर के टैगोर हॉल से कड़ी सुरक्षा के बीच कार रैली में भाग लेते हुए नारे लगाए।
यह रैली यहां के गुप्कर रोड पर स्थित पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के आवासों के सामने से होकर गुजरी।
भाजपाई नेता अल्ताफ ठाकुर ने कहा, "आज हम जम्मू एवं कश्मीर का भारत में विलय को चिन्हित करते हैं। भारत में सभी जातियों संग समान व्यवहार किया जाता है, हम भारतीय हैं और राष्ट्रीय ध्वज को सलाम करते हैं।"
उन्होंने कहा कि मुख्यधारा की पार्टियों द्वारा किया गया गुप्कर गठबंधन "लोगों को गुमराह करने के लिए किया गया राजवंशीय गठबंधन" था।
इधर, शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि वह तब तक कोई और झंडा नहीं उठाएंगी, जब तक कि जम्मू-कश्मीर राज्य का झंडा वापस नहीं आ जाता। (आईएएनएस)