मनोरंजन
नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर। अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कहा कि शहीदों के लिए केवल गीत गाने से काम नहीं चलेगा और लोगों को आगे आने व “एक मिसाल कायम करने” की जरूरत है कि वे शहीद नायकों और उन सैनिकों के परिवार के सदस्यों के लिए खड़े रहेंगे, जो अपना कर्तव्य निभाते हुए गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
“मां भारती के सपूत” वेबसाइट के उद्घाटन के मौके पर यहां शुक्रवार शाम को राष्ट्रीय समर स्मारक परिसर में बच्चन का रिकॉर्डेड वीडियो संदेश चलाया गया, जिसमें उन्होंने यह बात कही। इस वेबसाइट के जरिए लोग सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष (एएफबीसीडब्ल्यूएफ) में योगदान दे सकते हैं।
इस पहल के 'सद्भावना राजदूत' बच्चन ने कहा कि उन्होंने सैनिकों को अपनी “कर्तव्य राशि” (कर्तव्य की भावना से दी गई धनराशि) की पेशकश की है और लोगों से कोष में योगदान करने का आग्रह किया है।
उन्होंने अपने संदेश में कहा, “देश की रक्षा के लिए, हमारे पास एक सेना, बंदूकें, युद्धपोत, लड़ाकू विमान, मिसाइल होती हैं। लेकिन, एक सैनिक की सुरक्षा के लिए हमें 'मिसाल' (उदाहरण) कायम करने की आवश्यकता है। एक उदाहरण जो हमारे सैनिकों ('मां भारती के सपूत') को आश्वस्त करे कि अगर वे मोर्चे पर शहीद या घायल हो जाते हैं, तो पूरा देश उनके परिवार के सदस्यों की देखभाल के लिए खड़ा होगा। हम सीमा पर नहीं जा सकते, लेकिन अपनी सीमा के भीतर एक सैनिक के परिवार की मदद कर सकते हैं।”
बच्चन ने कहा, “अब शहीदों के लिए केवल गीत गाने से काम नहीं चलेगा। हमें आगे आकर एक सच्चे व अच्छे नागरिक का कर्तव्य निभाना होगा।” (भाषा)
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को हंसल मेहता की फ़िल्म 'फ़राज़' की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है.
हंसल मेहता की 'फ़राज़' साल 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए चरमपंथी हमलों पर आधारित है.
इस मामले में ढाका टेरर अटैक की दो पीड़ितों की माताओं ने फ़िल्म 'फ़राज़' की रिलीज़ रोकने के लिए याचिका दायर की थी.
हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले का निपटारा कर दिया और फिल्म की रिलीज़ पर स्टे देने के अपने पिछले फ़ैसले को भी रद्द कर दिया है.
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि ये फ़िल्म उनकी बेटियों की 'ख़राब छवि' पेश करती है. इससे उनके पुराने जख़्म फिर से कुरेदे जाएंगे और उनकी निजता के अधिकार का भी हनन होता है. उन्होंने अपने मुक़दमे में मानहानि का भी दावा किया था.
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि दोनों पक्षों के तथ्यों और दावों के मद्देनज़र परिस्थितियां बचावकर्ता (हंसल मेहता) के पक्ष में हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि फिल्म बनाने में काफी बड़ी रकम खर्च की जा चुकी है.
"इसलिए याचिकाकर्ता अब किसी रोक के हकदार नहीं है. फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश रद्द किया जाता है. साथ ही याचिका खारिज की जाती है. फिल्म की रिलीज़ होने से यदि याचिकाकर्ता के किसी अधिकार का हनन होता है तो उन्हें मुआवजे का दावा करने का हक होगा."
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 नवंबर तय की है.
33 पन्नों के अपने आदेश में हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि मृतक की निजता के अधिकार पर उनकी माताएं विरासत का दावा नहीं कर सकती हैं. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 14 अक्टूबर | टीवी शो 'उदरियां' की अभिनेत्री प्रियंका चाहर चौधरी 'बिग बॉस 16' के आगामी एपिसोड में टूटती हुई नजर आएंगी, जब होस्ट सलमान खान सह-प्रतियोगी सौंदर्या शर्मा की भद्दी टिप्पणी का खुलासा करेंगे, जो कि प्रियंका को लेकर है। चैनल द्वारा साझा किए गए नवीनतम प्रोमो में, सलमान को प्रियंका को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि सौंदर्या ने कहा था, "अंकित की मां प्रियंका को एक बहु के रुप में इसको पा कर खुदखुशी कर लेंगी।"
बाद में प्रियंका सौंदर्या से कमेंट को लेकर सवाल करती नजर आती हैं।
हालाँकि, सौंदर्या ने भी अपना बचाव करते हुए कहा, "आपको बात करने की अनुमति है। आप उस दिन मेरे लिए व्यक्तिगत हो गए थे।"
इसके बाद, अंकित जो कि प्रियंका के अच्छे दोस्त है, प्रियंका को सांत्वना देते हुए देखा जा सकता है क्योंकि वह टूट जाती है।
कलर्स शो 'बिग बॉस 16'में वर्तमान में अब्दु रोजि़क, टीना दत्ता, साजिद खान, श्रीजिता डे, मान्या सिंह, सुंबुल तौकीर खान, शिव ठाकरे, सौंदर्या शर्मा, शालिन भनोट, गौतम सिंह विग, अर्चना गौतम, एमसी स्टेन, अंकित गुप्ता, प्रियंका चाहर चौधरी, निमृत कौर अहलूवालिया और गोरी नागोरी मौजूद है। (आईएएनएस)|
मुंबई, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| अभिनेत्री मानुषी छिल्लर ने एक्शन स्टार जॉन अब्राहम के साथ अपनी आगामी फिल्म 'तेहरान' की लगातार 15 दिनों तक बैक टू बैक शूटिंग पूरी की। कुछ महीने पहले शुरू हुई इस फिल्म की शूटिंग पूरी तरह से ग्लासगो, मुंबई और दिल्ली में की गई थी। 'तेहरान' का तीसरा शेड्यूल सितंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू हुआ और उन्होंने 15 दिनों की अवधि में शूटिंग की, जिसमें दिल्ली में रात की शूटिंग शामिल थी।
मानुषी कहती हैं, "मैं हर उस प्रोजेक्ट के साथ सीखना और आगे बढ़ना चाहती हूं, जिसे करने का मुझे मौका मिलता है। मैं एक ऐसी अभिनेत्री बनना चाहती हूं, जो अपने शिल्प में दमदार हो और दर्शकों के दिलों और दिमाग को छूने वाली परफॉर्मेंस देने के लिए भरोसेमंद हो। तेहरान ऐसी ही एक फिल्म है।"
वह आगे कहती हैं, "तेहरान के लिए शूटिंग करना एक समृद्ध अनुभव था। मैंने हर एक दिन कुछ नया सीखा! फिल्म के रैप-अप में, मैं केवल रातों की शूटिंग कर रही थी।"
अभिनेत्री ने अपने निर्देशक अरुण गोपालन और निर्माता दिनेश विजन को उनकी ²ष्टि में चमकने के अवसर के लिए धन्यवाद दिया।
एक्शन थ्रिलर, सच्ची घटनाओं से प्रेरित, विज्ञापन फिल्म निर्माता अरुण गोपालन की फीचर निर्देशन की शुरूआत है और दिनेश विजन की मैडॉक फिल्म्स द्वारा निर्मित है। (आईएएनएस)|
मुंबई, 14 अक्टूबर | रियालिटी शो 'बिग बॉस 13' की पूर्व प्रतियोगी दलजीत कौर ने अपने पूर्व पति शालीन भनोट के बारे में कहा है कि वे दोनों अब अच्छे दोस्त नहीं है। शालीन भनोट वर्तमान में रियलिटी शो 'बिग बॉस 16' में दिखाई दे रहे हैं। दरअसल शो के दौरान टीना से बात करते हुए शालीन ने कहा था कि दलजीत और वह तलाक के सात साल बाद भी करीबी दोस्त बने हुए हैं।
टीना ने हाल ही में 'बिग बॉस 16' के एक एपिसोड में शालीन से उनकी पहली शादी के बारे में पूछा। तो कुछ देर बाद बातों बातों में टीना से शालीन ने कहा कि वह अभी भी अपनी पूर्व पत्नी के साथ अच्छे दोस्त हैं। इस बीच शालीन ने दिलजीत का नाम नही लिया।
इसको लेकर दलजीत ने ट्विटर पर लिखा, "नहीं, मैं तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त नहीं हूं। महीने में एक या दो महीने में अपने बच्चे की खातिर मिलना दोस्ती नहीं होता।"
"मैं आपको अपने प्रेम जीवन के लिए शुभकामनाएं देती हूं, लेकिन कृपया मुझे अपनी कल्पना और कहानियों से बाहर रखें। और आप इसे मजाक कह रहे हैं? वास्तव में? टीना आपके लिए कोई कठिन भावना नहीं है।"
आपको बता दें, दलजीत और शालीन ने 2009 में शादी की और 2015 में अलग-अलग रास्ते चले गए। अभिनेत्री ने शालीन पर अपशब्द कहने और यहां तक कि घर छोड़ने की कोशिश करने पर उसे मारने का आरोप लगाया था। (आईएएनएस)|
मुंबई, 13 अक्टूबर। अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा की आगामी फिल्म ‘कोड नेम तिरंगा’ की रिलीज होने वाले पहले दिन की टिकट की कीमत 100 रुपये रखी गई है।
यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज होगी। ‘कोड नेम तिरंगा’ का निर्देशन रिभु दासगुप्ता ने किया है।
फिल्म में परिणीति चोपड़ा को पंजाबी गायक-अभिनेता हार्डी संधू के साथ एक एजेंट की भूमिका में दिखाया गया है।
रिलायंस एंटरटेनमेंट ने अपने आधिकारिक ट्विटर पृष्ठ पर टिकट की कीमत के बारे में जानकारी दी।
निर्माताओं ने ट्वीट किया, ‘‘समूचे भारत में दर्शकों के लिए पहले दिन विशेष पेशकश! शुक्रवार, 14 अक्टूबर को सिनेमाघरों में ‘कोड नेम तिरंगा’ की टिकट केवल 100 रुपये में।’’ (भाषा)
बिग बॉस में फिल्म निर्माता और मीटू के आरोपी साजिद खान की एंट्री को लेकर अभिनेत्रियों समेत अधिकार कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि बिग बॉस ने साजिद खान को दोबारा अपने आपको लॉन्च करने का मंच मुहैया कराया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
बिग बॉस 16 में साजिद खान की एंट्री के साथ ही मीटू आंदोलन के दौरान कई महिलाओं द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामले ताजा हो गए हैं. कई फिल्म अभिनेत्रियों और मॉडल ने साजिद खान पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे और अब उन्होंने सवाल किया है कि क्या बिग बॉस का घर उत्पीड़न करने वालों के लिए है.
इस बीच दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर फिल्म निर्माता और मीटू आरोपी साजिद खान के बिग बॉस में एंट्री पर चिंता जताते हुए सलमान खान की मेजबानी वाले रियलिटी शो से उन्हें हटाने की मांग की है.
साथ ही उन्होंने कहा है, "मैंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को उन्हें तुरंत शो से हटाने, बिग बॉस के खिलाफ कार्रवाई करने और सभी शिकायतों की जांच करने के लिए शिकायत की. मेरी शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. मुझे इस मुद्दे को उठाने पर बलात्कार की धमकी मिल रही है."
साजिद खान के खिलाफ कई महिलाओं ने खुलकर सोशल मीडिया पर विरोध जताया है, जिनमें सोना मोहापात्रा, मंदाना करीमी, देवोलीना भट्टाचार्जी और उर्फी जावेद भी शामिल हैं.
साजिद खान पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के बावजूद उन्हें बिग बॉस में शामिल करने पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. देखना होगा कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए थे उनकी सही तरीके से अब जांच हो पाती है या नहीं. (dw.com)
मुंबई, 13 अक्टूबर | अभिनेत्री पूजा हेगड़े वर्तमान में सलमान खान अभिनीत 'किसी का भाई किसी की जान' की शूटिंग कर रही हैं और उन्होंने मुंबई में फिल्म के सेट पर अपना जन्मदिन मनाया। वो 13 अक्टूबर 1990 को पैदा हुई थी। अपने कामकाजी जन्मदिन के बारे में बात करते हुए, पूजा ने कहा, "मुझे लगता है कि नए साल में कदम रखने का इससे बेहतर तरीका नहीं होगा, जो मुझे पसंद है, शूटिंग करना। साथ ही सेट पर जन्मदिन का अपना मजा होता है। दर्शकों को एक अलग पक्ष दिखाई देगा। मैं इस फिल्म में हूं। मैं इसके रिलीज होने का इंतजार नहीं कर सकती हूं!"
'किसी का भाई किसी की जान' एक एक्शन से भरपूर एंटरटेनर है, जिसका निर्देशन फरहाद सामजी ने किया है, जो इससे पहले अक्षय कुमार और कृति सैनन-स्टारर 'बच्चन पांडे' का निर्देशन कर चुके हैं।
'किसी का भाई किसी की जान' फिल्म में दग्गुबाती वेंकटेश भी मुख्य भूमिका में हैं। सलमान खान फिल्म्स द्वारा निर्मित यह फिल्म 2022 के अंत में रिलीज होगी।
पूजा 'सर्कस' में रणवीर सिंह के साथ, 'एसएसएमबी28' में महेश बाबू के साथ और विजय देवरकोंडा के साथ एक फिल्म में भी दिखाई देंगी। (आईएएनएस)|
मुंबई, 12 अक्टूबर | आयुषी खुराना, जो वर्तमान में टीवी शो 'अजूनी' में मुख्य भूमिका निभा रही हैं, धारावाहिक में अपने लुक के बारे में बात करती हैं और कहती हैं कि पॉप स्टार रिहाना उनकी फैशन आइकन हैं और उन्हें उनका स्टाइल काफी पसंद है।
आयुषी ने अपने करियर की शुरूआत एक स्टाइलिश के रूप में की थी और अपने कमाए हुए पैसों से वह अभिनेत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए मुंबई आ गईं।
वह कहती है, "मुझे लगता है पहनो कुछ भी, पर तुम्हें आराम मिलना चाहिरए। मेरे लिए आरामदायक रहना सबसे पहले है, शैली किसी व्यक्ति के स्वयं को व्यक्त करने के अपने तरीके को संदर्भित करती है। अभिनेत्री बनना हमेशा मेरा सपना रहा है।"
"और स्टाइल सिर्फ एक जुनून है जो एक करियर में विकसित हुआ है। चूंकि मैं एक अभिनेत्री के रूप में शुरूआत नहीं कर सकी, मैंने अपने खचरें का प्रबंधन करने के लिए स्टाईलिंग करना शुरू कर दिया। फिर जैसे ही मेरे पास पैसे इकट्ठा हो गए मैं मुबंई आ गई अपने सपनों को पूरा करने के लिए।"
"रिहाना मेरी फैशन आइकन हैं, मैं उसे पसंद करती हूं। मैंने हमेशा उसे अपनी फैशन प्रेरणा के रूप में देखा है क्योंकि वह किसी भी पोशाक में अच्छी दिख सकती है, लेकिन जब मैं खुद को स्टाइल करती हूं, तो मैं अपने आराम को प्राथमिकता देती हूं चूंकि आराम मेरा नंबर एक फैशन सिद्धांत है, मैं अक्सर चीजों को सरल, स्टाइलिश और बोहेमियन रखने की कोशिश करती हूं।"
फैशन टिप्स के बारें में वह साझा करती है, "मेरे पास कुछ फैशन नियम हैं जिनका मैं पालन करती हूं और अपने अनुयायियों को पालन करने की सलाह देती हूं जैसे- कम खरीदें, मिलाएं और मैच करें, अफसोस को रोकने के लिए कुछ करने की कोशिश करने के बाद ही खरीदें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमेशा अपने लिए कपड़े पहनें और कभी किसी और के लिए नहीं।"
आयुषी ने शो में एक बहादुर और साहसी लड़की अजूनी की भूमिका निभाई है। इसमें शोएब इब्राहिम भी मुख्य भूमिका में हैं।
'अजूनी' स्टार भारत पर प्रसारित होता है। (आईएएनएस)|
मुंबई, 12 अक्टूबर | आयुषी खुराना, जो वर्तमान में टीवी शो 'अजूनी' में मुख्य भूमिका निभा रही हैं, धारावाहिक में अपने लुक के बारे में बात करती हैं और कहती हैं कि पॉप स्टार रिहाना उनकी फैशन आइकन हैं और उन्हें उनका स्टाइल काफी पसंद है।
आयुषी ने अपने करियर की शुरूआत एक स्टाइलिश के रूप में की थी और अपने कमाए हुए पैसों से वह अभिनेत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए मुंबई आ गईं।
वह कहती है, "मुझे लगता है पहनो कुछ भी, पर तुम्हें आराम मिलना चाहिरए। मेरे लिए आरामदायक रहना सबसे पहले है, शैली किसी व्यक्ति के स्वयं को व्यक्त करने के अपने तरीके को संदर्भित करती है। अभिनेत्री बनना हमेशा मेरा सपना रहा है।"
"और स्टाइल सिर्फ एक जुनून है जो एक करियर में विकसित हुआ है। चूंकि मैं एक अभिनेत्री के रूप में शुरूआत नहीं कर सकी, मैंने अपने खचरें का प्रबंधन करने के लिए स्टाईलिंग करना शुरू कर दिया। फिर जैसे ही मेरे पास पैसे इकट्ठा हो गए मैं मुबंई आ गई अपने सपनों को पूरा करने के लिए।"
"रिहाना मेरी फैशन आइकन हैं, मैं उसे पसंद करती हूं। मैंने हमेशा उसे अपनी फैशन प्रेरणा के रूप में देखा है क्योंकि वह किसी भी पोशाक में अच्छी दिख सकती है, लेकिन जब मैं खुद को स्टाइल करती हूं, तो मैं अपने आराम को प्राथमिकता देती हूं चूंकि आराम मेरा नंबर एक फैशन सिद्धांत है, मैं अक्सर चीजों को सरल, स्टाइलिश और बोहेमियन रखने की कोशिश करती हूं।"
फैशन टिप्स के बारें में वह साझा करती है, "मेरे पास कुछ फैशन नियम हैं जिनका मैं पालन करती हूं और अपने अनुयायियों को पालन करने की सलाह देती हूं जैसे- कम खरीदें, मिलाएं और मैच करें, अफसोस को रोकने के लिए कुछ करने की कोशिश करने के बाद ही खरीदें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमेशा अपने लिए कपड़े पहनें और कभी किसी और के लिए नहीं।"
आयुषी ने शो में एक बहादुर और साहसी लड़की अजूनी की भूमिका निभाई है। इसमें शोएब इब्राहिम भी मुख्य भूमिका में हैं।
'अजूनी' स्टार भारत पर प्रसारित होता है। (आईएएनएस)|
मुंबई, 12 अक्टूबर | गायिका नीति मोहन, जो वर्तमान में सिंगिंग रियलिटी शो 'सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स' में युवा प्रतिभाओं को जज करती नजर आ रही हैं, ने अपने सफल करियर का श्रेय अपने पिता बृज मोहन शर्मा को दिया।
जब 'जिया रे' गायिका ने राजेश खन्ना और हेमा मालिनी-स्टारर 'कुदरत' के ट्रैक 'हमें तुमसे प्यार कितना' पर हैदराबाद की 11 वर्षीय देविका शर्मा का प्रदर्शन देखा, तो उन्होंने उसकी प्रशंसा की।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अपनी बेटी को इतना अच्छा प्रदर्शन करते हुए देखना किसी भी पिता के लिए गर्व का क्षण होता है और उसने अपने पिता को याद किया।
गायिका नीति मोहन ने कहा, "मैं आपकी कहानी से जुड़ सकती हूं क्योंकि जैसे आप 3 बहनें हैं, हम भी 4 बहनें हैं। जब हम सभी ने कलाकार बनने का फैसला किया, तो हमारे पिता हमारे सबसे बड़े सपोर्ट सिस्टम थे। आज, जब मैंने आपके पिता को भावुक होते हुए देखा। तुम गा रहे थे, मुझे पता था कि वह कैसा महसूस कर रहे थे।"
उन्होंने कहा कि, हर पिता अपनी बेटी की सफलता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसी तरह, उसके पिता ने भी उस स्तर तक पहुंचने के लिए उसका बहुत समर्थन किया जहां वह अब हैं।
गायिका नीति मोहन ने कहा, "मैं वास्तव में मानता हूं कि हर सफल बेटी के पीछे एक पिता होता है, और मुझे लगता है कि यह विचार मेरे जीवन की कहानी के साथ-साथ आपके जीवन में भी फिट बैठता है। भविष्य में, हम जहां भी पहुंचते हैं, जो कुछ भी करते हैं, यह सब हमारे पिता के आशीर्वाद और उनके आशीर्वाद के कारण होता है। समर्थन। मैं अपने पिता और अन्य सभी पिताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने अपनी बेटियों को उनके सपनों को प्राप्त करने में समर्थन दिया।"
'सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स' को शंकर महादेवन, अनु मलिक, नीति मोहन जज कर रहे हैं और होस्ट भारती सिंह कर रहे हैं।
यह शो जी टीवी पर प्रसारित होता है। (आईएएनएस)|
नंदिनी वेल्लैसामी
तमिल फ़िल्मों के निर्देशक विग्नेश सिवन और एक्ट्रेस नयनतारा की शादी इसी साल जून के महीने में हुई थी
तमिल फ़िल्मों के निर्देशक विग्नेश सिवन और ऐक्ट्रेस नयनतारा की जोड़ी ने नौ अक्टूबर को अपने जुड़वां बच्चों के जन्म का एलान किया है.
सोशल मीडिया पर उन्हें इसके लिए मिल रही शुभकामनाओं के बीच तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों ने नयनतारा के बच्चों के जन्म का ज़िक्र कर दिया.
स्वास्थ्य मंत्री एमए सुब्रमणियन से सवाल पूछा गया कि "क्या नयनतारा और विग्नेश सिवन ने शादी के बाद इतनी जल्दी बच्चा पैदा करके सरोगेसी क़ानून का उल्लंघन किया है?"
इस पर मंत्री ने जवाब दिया, "ये बहस का मुद्दा है. हम मेडिकल सेवा महानिदेशालय के ज़रिए इस मामले की जांच करेंगे."
हालांकि विग्नेश-नयनतारा दंपति ने अभी तक इस पर कुछ नहीं कहा है कि उनके जुड़वां बेटों का जन्म सरोगेसी के ज़रिए हुआ है या फिर सामान्य तरीके से. उनकी शादी इसी साल जून महीने में हुई थी.
इस मामले को लेकर इंटरनेट पर लोग सरोगेसी क़ानून और उससे जुड़े सवालों के बारे में जानकारी खोज रहे हैं तो सोशल मीडिया पर बहस भी की जा रही है.
दूसरी तरफ़, सरोगेसी का अधिकार किन्हें उपलब्ध है और किन्हें नहीं, इस पर भी बात हो रही है.
लोग पूछ रहे हैं कि क्या केवल शादीशुदा जोड़ों को ही सरोगेसी के ज़रिए बच्चा पैदा करने का अधिकार है और क्या समलैंगिक जोड़ों और ट्रांसजेंडर कपल्स को भी ये हक़ हासिल है?
इस क़ानून में किन्हें शामिल किया गया है और किन्हें इसके दायरे से बाहर रखा गया है? क्या सरोगेसी क़ानून में लैंगिक बराबरी का ख़्याल रखा गया है?
सरोगेसी क़ानून क्या है?
सरोगेसी रेगुलेशन बिल 15 जुलाई, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था. संसद ने इसे दिसंबर, 2021 में पारित कर दिया और जनवरी, 2022 में राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद ये लागू हो गया.
ये क़ानून भारत में सरोगेसी के तौर-तरीकों को नियंत्रित करता है. ये क़ानून कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाता है और कहता है कि सरोगेसी का इस्तेमाल नि:स्वार्थ भाव से किया जाना चाहिए.
सरोगेट मां बच्चे को जन्म देने के बाद बच्चे को उसके मां-बाप को सौंप देती है.
सरोगेसी का सहारा तभी लिया जाना चाहिए जब कपल बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हों या उन्हें कोई ऐसी बीमारी हो जो प्रजनन क्षमता से जुड़ी हो.
सरोगेसी क़ानून के अनुसार, कपल की कोई क़रीबी रिश्तेदार ही सरोगेट मां बन सकती है और उनकी उम्र 25 साल से 35 साल के बीच होनी चाहिए.
बच्चा चाहने वाले जोड़े में पति या पत्नी में कोई ऐसी शारीरिक समस्या हो जो उनकी प्रजनन क्षमता से जुड़ी हो तो वे सरोगेसी के ज़रिए संतान पैदा कर सकते हैं.
ऐसे मामलों में पति की उम्र कम से कम 21 वर्ष और पत्नी की उम्र 18 साल की ज़रूर होनी चाहिए.
ग़ैर-सरकारी संस्था डॉक्टर्स एसोसिएशन फ़ॉर सोशल इक्वॉलिटी की सचिव और स्त्रीरोग विशेषज्ञ शांति रवींद्रनाथ कहती हैं, "क़ानून ये नहीं कहता कि किसी कपल की शादीशुदा ज़िंदगी के पांच साल पूरे होने पर ही सरोगेसी की इजाज़त दी जा सकती है."
डॉक्टर शांति कहती हैं, "जब ये क़ानून केवल एक बिल था तब भी इसे लेकर लोगों में मतभेद थे. हमने सरकार को कुछ प्रस्ताव भी भेजे थे. उनमें से एक सुझाव ये था कि सरोगेसी चाह रहे जोड़े की शादीशुदा ज़िंदगी कम से कम पांच साल ज़रूर होनी चाहिए. ये बात बिल में भी थी, लेकिन अगर किसी महिला के यूट्रेस (गर्भाशय) में कुछ समस्या हो तो उसे पांच साल क्यों इंतज़ार करना चाहिए. इसलिए हमने सरकार से वैज्ञानिक नज़रिया अपनाने का आग्रह किया था. इसलिए जब ये बिल पारित हुआ तो इस नियम को हटा दिया गया."
डॉक्टर शांति बताती हैं कि ये क़ानून विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को भी सरोगेसी के ज़रिए मां बनने का विकल्प देता है, बशर्ते उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच हो.
क्या सरोगेसी क़ानून में लैंगिक बराबरी का ख़्याल रखा गया है?
ऐसे सवाल भी उठ रहे हैं कि सरोगेसी क़ानून में क्या लैंगिक बराबरी का ख़्याल रखा गया है? ऐसी दलीलें भी दी जाती रही हैं कि इस क़ानून में व्यापक नज़रिए को अपनाया जाना चाहिए था.
उदाहरण के लिए, ये क़ानून केवल शादीशुदा जोड़ों के बारे में बात करता है. वैसे जोड़े जिन्होंने शादी नहीं की है, लेकिन पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे हैं, इस क़ानून का सहारा नहीं ले सकते हैं.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में अविवाहित महिला को भी गर्भपात कराने का हक़ दिया था. सरोगेसी क़ानून को सुप्रीम कोर्ट के इस ताज़ा फ़ैसले के मद्देनज़र देखा जाना चाहिए.
डॉक्टर शांति कहती हैं, "ऐसे मामलों में, जैसे कि एक अविवाहित महिला को गर्भपात का अधिकार है, ठीक उसी तरह से उसे सरोगेसी के ज़रिए मां बनने का हक़ होना चाहिए. यही वाजिब बात है."
ऐसी मांग भी उठ रही है कि समलैंगिक जोड़ों और ट्रांसजेंडर कपल को भी सरोगेसी क़ानून के तहत अभिभावक बनने का अधिकार होना चाहिए.
इस साल जुलाई में डीएमके सांसद टी थांगपांडियन ने संसद में कहा था, "इस क़ानून के तहत समलैंगिक जोड़ों, ट्रांसवुमन और दूसरे लोगों को भी सरोगेसी का अधिकार होना चाहिए. इस क़ानून के उन प्रावधानों को वापस लिया जाना चाहिए जो समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों के ख़िलाफ़ हैं."
विशेषज्ञों का कहना है कि सरोगेसी का अधिकार सिंगल पुरुषों और तलाकशुदा मर्दों को दिए जाने से ही इस क़ानून में लैंगिक बराबरी की बात हो पाएगी.
ऐसी मांग भी उठती रही है कि जिस तरह से विधवाओं को सरोगेसी का अधिकार है, उसी तरह से विधुर पुरुषों को ये हक़ मिलना चाहिए.
इस क़ानून के लागू होने से पहले साल 2017 में बॉलीवुड ऐक्टर करण जौहर सरोगेसी के ज़रिए जुड़वां बच्चों के पिता बने थे. उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसका एलान भी किया था.
करण जौहर के उदाहरण से सिंगल पुरुषों को इस क़ानून के दायरे में लाने की मांग को समझा जा सकता है.
'कुछ कन्फ़्यूज़न दूर होने चाहिए'
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शांति रवींद्रनाथ कहती हैं, "क़ानून कहता है कि तलाक़शुदा और ऐसी महिलाएं जिनके पति की मौत हो गई है, वे 35 साल की उम्र पूरा होने पर सरोगेसी के ज़रिए मां बन सकती हैं. अगर महिला के पति की मौत बहुत कम उम्र में हो जाए तो उसे क्यों 35 साल की उम्र तक इंतज़ार करना चाहिए?
क़ानून कहता है कि सरोगेट मां कपल की क़रीबी रिश्तेदार होनी चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ़ ये भी कहा गया है कि सरोगेट मां, बच्चा चाह रहे जोड़े की रिश्तेदार हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती है. ये कन्फ़्यूज़ करने वाली बात है. इस पर स्पष्टता होनी चाहिए. अगर सरोगेट मां रिश्तेदार ही हो सकती है तो सरोगेसी के लिए उसके तैयार होने की संभावना बहुत कम है."
डॉक्टर शांति का ये भी कहना है कि इस क़ानून के तहत इतने नियम-क़ायदे बनाए गए हैं कि उनका पालन करना लगभग असंभव हो गया है.
वो कहती हैं, "जिस तरह से लोगों की प्रजनन समस्याएं बढ़ रही हैं, सरोगेसी की मांग भी बढ़ रही है. इसलिए सरोगेसी क़ानून से जुड़े नियमों का सरलीकरण होना चाहिए. चूंकि सरोगेसी से जुड़े नियमों में स्पष्टता का अभाव है, इसलिए भारत में सरोगेसी का सहारा कम ही लोग ले पाते हैं. इसलिए इसका समाधान किया जाना चाहिए और लैंगिक बराबरी को ध्यान रखते हुए इस क़ानून में संशोधन किया जाना चाहिए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 3.9 फ़ीसदी से 16.8 फ़ीसदी जोड़े प्रजनन से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 11 अक्टूबर | मेगास्टार अमिताभ बच्चन, जो आज अपना 80 वां जन्मदिन मना रहे हैं, ने दिग्गज अभिनेत्री और पत्नी जया बच्चन द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए अपने पुश्तैनी घर, अपने पिता, महान कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन को याद किया। जया ने 'कौन बनेगा करोड़पति 14' के बर्थडे स्पेशल एपिसोड के दौरान बिग से पूछा कि अगर उनके पास टाइम मशीन होती तो वह किस साल वापस जाना चाहेंगे और क्यों।
बिग बी ने अपने पिता के साथ अतीत को याद किया। इस दौरान हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता 'मधुशाला' की पंक्तियां बैकग्राउंड में बज रही थी।
'केबीसी 14' के ताजा प्रोमो में बिग बी शो के सेट पर अपने बेटे अभिषेक बच्चन और पत्नी जया से मिल कर भावुक हो गए। जहां दोनों ने उनके साथ अलग-अलग यादें साझा की, वहीं वे उनसे दिलचस्प सवाल भी पूछते नजर आए।
उनकी 1978 की फिल्म 'डॉन' की धुन बजाते हुए एक विशेष ऑर्केस्ट्रा ने बिग बी को चौंका दिया और उन्होंने कहा, "मेरे पास कोई शब्द नहीं है, लेकिन मैं इस दिन को कभी नहीं भूलूंगा।"
'केबीसी 14' सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित होता है। (आईएएनएस)|
तिरुवनंतपुरम, 11 अक्टूबर | अमिताभ बच्चन के 80वें जन्मदिन के मौके पर लोकप्रिय मलयालम अभिनेत्री स्वेता मेनन ने बिग बी के संग की यादें ताजा कीं और बताया कि कैसे उन्होंने एक्टर को एक वक्त पर प्रपोज किया था। मीडिया से बात करते हुए, अभिनेत्री, जो अब मुंबई में रहती है, ने कहा कि यह घटना बचपन में इलाहाबाद में हुई थी।
उन्होंने कहा, "मेरे पिता वायु सेना के अधिकारी थे और एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन, इंदिरा गांधी की अस्थियां विसर्जित करने इलाहाबाद आ रहे हैं। मैंने कहा कि मैं बच्चन से मिलना चाहती हूं और मेरे पिता ने साफ मना कर दिया।"
"फिर जिस दिन वह अवसर आया। हम वायु सेना के क्षेत्र में रह रहे थे। मैं सुबह सुबह उठी और बिना ब्रश किए भाग कर कार्यक्रम स्थल पहुंची। वहां बिल्कुल सन्नाटा था, समारोह चल रहा था। मैं बच्चन साहब के पास पहुंची और उनसे कहा कि 'मुझसे शादी कर लो क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं'।"
मेनन ने कहा, "फिर मैंने अपने पिता की ओर देखा, वह गुस्से में थे और एक पल में, एक और अधिकारी आया और एक पल में मुझे वहां से ले गया।"
वह कहती हैं कि, "साल बीत गए और 1994 में मिस इंडिया प्रतियोगिता जीतने के बाद, परंपरा के अनुसार, विजेता अगले वर्ष अगले विजेता को पास सौंपता है। यह मुंबई में हुआ था। और मैं मंच पर जा रही थी तब मैंने देखा कि बच्चन साहब मेरे बगल में खड़े हैं। उनको देखकर मैं स्तंभ रह गई और फिर मैं नीचे गिर गई इसके बाद अमिताभ जी ने मुझे उठाया। यह मेरे लिए बहुत शानदार पल था।"
मेनन ने बॉलीवुड सहित विभिन्न उद्योगों में काम किया है और वर्तमान में एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स के साथ काम कर रहे हैं। (आईएएनएस)|
-प्रदीप सरदाना
कैसा संयोग है कि रेखा का जन्मदिन 10 अक्तूबर है तो अमिताभ बच्चन की जन्म तिथि 11 अक्तूबर है. रेखा, अमिताभ से 12 साल छोटी हैं.
रेखा 10 अक्तूबर को 68 साल की हो गई हैं तो अमिताभ 11 अक्तूबर को 80 साल के. दोनों ने अंतिम बार 1981 में फ़िल्म 'सिलसिला' में साथ काम किया था. लेकिन 41 बरस बाद भी अमिताभ-रेखा की जोड़ी उतनी ही मशहूर है जितनी 1976 से 1981 के बीच थी.
अमिताभ-रेखा की जोड़ी की लोकप्रियता को आज की युवा पीढ़ी भी अच्छे से महसूस करती है, जिनका तब जन्म भी नहीं हुआ था, जब इन दोनों की फ़िल्में धूम मचाती थीं. आज 40 साल के युवा ही नहीं, 20 साल के युवा और 14 साल के किशोर भी जानते हैं कि अमिताभ-रेखा के मायने क्या हैं.
इन दोनों को परदे की एक बेहद शानदार जोड़ी के रूप में तो जाना ही जाता है. दोनों ने कई यादगार और सफल फ़िल्में साथ कीं, लेकिन इनकी जोड़ी रियल लाइफ़ की अपनी प्रेम कहानी के लिए भी जानी जाती है.
एक ऐसी प्रेम कहानी जो चाहे पूरी तरह खुलकर सामने नहीं आई, लेकिन अमिताभ-रेखा की यह एक ऐसी प्रेम गाथा है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. यह प्रेम कहानी 40-45 साल पहले भी सुर्खियों में थी और आज भी है. तब भी इसकी चर्चा दबे सुरों में होती थी और आज भी. अपने लंबे ख़ामोश सफ़र के बाद आज भी उसकी गूंज बरक़रार है.
यूं फ़िल्म संसार में प्रेम कहानियों की कमी नहीं. रुपहले पर्दे पर प्यार करते-करते कितने ही जोड़े सच में प्यार कर बैठे. लेकिन उनमें से कुछ ही विवाह बंधन में बंधकर जीवन-साथी बन सके, जबकि कुछ की प्रेम कहानियाँ कुछ दूर तक चलकर दम तोड़ गईं. इनमें से कुछ लोग ऐसे भी रहे जो चाहे शादी करके एक नहीं हो सके. लेकिन उसके बावजूद उनकी प्रेम गाथा अमर हो गई.
ऐसी अमर प्रेम कहानियों में जहाँ पहले राज कपूर और नरगिस की प्रेम कहानी थी. वहाँ उसी कड़ी में फिर अमिताभ-रेखा की कहानी आ गई. आज राज कपूर-नरगिस इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन दोनों की प्रेम कहानी आज भी अमर है. ऐसे ही अमिताभ-रेखा की प्रेम कहानी को भी वक्त की परतें बरसों-बरसों तक धुंधला नहीं कर सकेंगी.
अमिताभ और रेखा की पहली मुलाक़ात
यूँ तो अमिताभ की रेखा से पहली मुलाक़ात उनकी जया भादुड़ी से शादी से पहले 1972 में ही हो गई थी. दरअसल, तब एक निर्माता जीएम रोशन और निर्देशक कुंदन कुमार ने अमिताभ-रेखा को लेकर एक फ़िल्म शुरू की थी 'अपने-पराये', लेकिन कुछ दिन की शूटिंग के बाद यह फ़िल्म बंद हो गई.
बाद में अमिताभ बच्चन की जगह संजय ख़ान को रेखा के साथ लेकर यह फ़िल्म 'दुनिया का मेला' नाम से बनकर 1974 में प्रदर्शित होकर फ़्लॉप हो गई.
रेखा और अमिताभ का 1973 में एक बार फिर फ़िल्म 'नमक हराम' के कारण साथ बना, लेकिन इस फ़िल्म में रेखा, अमिताभ की नहीं, राजेश खन्ना की नायिका थीं, इसलिए अमिताभ-रेखा के बीच कोई ख़ास बातचीत नहीं हो पाई. इस तरह तब तक अमिताभ-रेखा एक दूसरे के लिए अनजान से रहे.
अमिताभ बच्चन और रेखा की ज़िंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब सन 1976 में निर्माता टीटू और निर्देशक दुलाल गुहा ने इन दोनों को अपनी फिल्म 'दो अनजाने' में लिया. यहाँ दिलचस्प यह था कि फिल्म में इनके चरित्रों के नाम भी मूलतः अमित और रेखा ही थे. इस फिल्म में रेखा नायिका जरूर थीं, लेकिन उनका रोल नेगेटिव टच वाला था.
रेखा इससे पहले अपनी फिल्मों के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं रहती थीं. हँसते-खेलते और हंसी-मज़ाक के मूड में ही वह काम करती थीं. हालाँकि फिल्मों में काम करने के लिए, दोनों 1969 में ही मुंबई पहुंचे थे, पर रेखा इससे पहले बाल कलाकार के रूप में भी फिल्में कर चुकी थीं. दूसरा 1970 में आई अपनी पहली हिन्दी फिल्म 'सावन भादो' से रेखा हिट हो चुकी थीं.
'सावन भादो' के बाद और 'दो अनजाने' से पहले रेखा अपनी 'एक बेचारा', 'रामपुर का लक्ष्मण', 'कहानी किस्मत की', 'अनोखी अदा', 'धर्मा', 'धर्मात्मा', 'धर्म कर्म', 'कहते हैं मुझको राजा', 'प्राण जाए पर वचन ना जाए' और 'संतान' जैसी फिल्मों से मशहूर हो चुकी थीं.
'दो अनजाने' में अमिताभ के साथ लिए जाने पर रेखा ने सिमी गरेवाल के टीवी शो 'रॉनदेवू' में बताया था, "जब मुझे पता लगा कि अमित जी ने 'दो अनजाने' साइन की है तो मैं थोड़ा डर गई थी. हालाँकि कुछ मामलों में, मैं उनसे सीनियर थी. लेकिन तब वह अपनी फिल्म 'दीवार' से काफी सफल हो गए थे.
तब तक मैं उनके बारे में कुछ खास नहीं जानती थी. क्योंकि हमें कभी बैठकर बात करने का मौका नहीं मिला था. जब 'दो अनजाने' के सेट पर मैंने उनके साथ काम करना शुरू किया तो मैं नर्वस थी. पर मैंने उस दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा. सेट पर होने की अपनी धारणा को बदला. सेट मेरे लिए फिर कभी खेल का मैदान नहीं रहा."
रेखा तब अमिताभ से किस तरह प्रभावित होती हैं, इस पर उन्होंने कहा था, "मैं पहले किसी आम इंसान से कभी प्रभावित नहीं होती थी, लेकिन अमिताभ मेरे लिए कुछ ऐसे इनसान थे, जैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा. मैं यह सोचकर हमेशा उलझी रहती थी कि कैसे एक इंसान में इतनी सारी ख़ूबियाँ हो सकती हैं.
मुझे ऐसा लगता है जब कोई आपको अच्छा लगता है तो उसकी हर बात अच्छी लगती है. जब मैं उनसे मिली तो मुझे लगा कि मैं ऐसे किसी इनसान से पहले नहीं मिली. हम दोनों की तुला राशि है पर कैसे एक इंसान के पास इतनी सारी अच्छाइयाँ हो सकती हैं."
'दो अनजाने' की शूटिंग में अमिताभ का काम करने का अंदाज़ देख रेखा यकायक कैसे बदल गईं. इस पर रेखा का कहना था, "मैं तब अपने संवाद भूल जाती थी. तब उन्होंने मुझसे कहा- सुनिए कम से कम अपने डायलॉग्स तो याद कर लीजिए. मैं उन्हें देखती थी कि कैसे वो बहुत ध्यान और सम्मान के साथ निर्देशक की बात सुनते हैं. मैंने ये भी उनसे सीखा.
मुझे लगा यही वह इंसान है जिससे मुझे बहुत कुछ सीखना है, प्रेरणा लेनी है, वो एक लम्हा मेरी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट रहा. मैं मानती हूँ कि मैं भाग्यशाली रही और बुद्धिमान भी कि मैंने उन्हें अपनी प्रेरणा के लिए चुना. वह एक ऐसे शिखर अभिनेता हैं, जिनके सामने खड़ा होना आसान नहीं."
रेखा की बातों से साफ लगता है कि अमिताभ के अभिनय कौशल, अनुशासन, विनम्र व्यवहार और अपने कार्य के प्रति समर्पण भावना देख ही वह उनसे प्रभावित हो गईं. इतनी प्रभावित कि अमिताभ के प्रति उनकी भावनाएँ प्यार में बदल गईं.
22 साल की रेखा और 34 के अमिताभ
असल में 1976 में जब रेखा,अमिताभ से प्रभावित हुईं तब वह 22 साल की थीं और अमिताभ 34 साल के. इस उम्र में, इन परिस्थितियों में, इन भावनाओं में कोई और भी होता तो ऐसा होना संभव था.
एक बार अपने दौर के नामी हीरो प्रदीप कुमार ने कहा था, "आखिर हम इन्सान ही हैं. फिल्म की शूटिंग के दौरान अगर नायक-नायिका एक-दूसरे को पसंद करते हैं. एक-दूसरे की इज्ज़त करते हैं तो अंतरंग दृश्यों में दोनों भावुक हो ही जाते हैं. बाद में यही सब प्यार में भी बदल सकता है."
इधर, अमिताभ-रेखा की यह प्रेम कहानी भी कुछ ऐसे संकेत देती है कि इसकी शुरुआत चाहे रेखा से हुई, लेकिन अमिताभ भी अपनी युवा अवस्था में उनके मोहपाश से बच नहीं सके.
यह भी एक संयोग है कि मेरी अमिताभ बच्चन से पहली मुलाक़ात 1976 में 'दो अनजाने' के प्रदर्शित होने के बाद, दिल्ली में उनके घर पर हुई थी. मैंने इस फिल्म को पहले नहीं देखा था. लेकिन जब मैं डॉ. हरिवंश राय बच्चन से उनके विलिंग्डन क्रीसेंट स्थित घर में मिलने गया तो उन्होंने मुझसे कहा, "अमित की नई फिल्म 'दो अनजाने' बहुत अच्छी फिल्म है. मौका लगे तो इसे ज़रूर देखना."
इधर, जिन दिनों उनका फिल्म करियर तेजी से शिखर की ओर बढ़ रहा था, उन्हीं दिनों फिल्म पत्रिकाओं में आए दिन ये खबरें सुर्खियों में रहती थीं कि अमिताभ-रेखा के बीच रोमांस चल रहा है. ये दोनों शूटिंग के बाद रेखा की एक दोस्त के घर में अलग से चुपचाप मिलते हैं.
एक दिन मैंने हिम्मत करके बच्चन जी से पूछ ही लिया कि ये अमित जी के बारे में जो खबरें छपती रहती हैं, उनके बारे में उनकी क्या राय है, इस पर वे बोले, "शुरू में हम भी ऐसी खबरों से विचलित हो जाते थे. लेकिन अब हम ऐसी खबरों पर ध्यान नहीं देते. अब हम समझ गए हैं कि कुछ फिल्म पत्रिकाएँ ऐसी ही बेसिर पैर की मसालेदार खबरों, गॉसिप पर चलती हैं."
हालाँकि अमिताभ-रेखा के रोमांस की ख़बरों का बाज़ार 1980 तक तो काफी गरम रहा. जया बच्चन भी इस सबसे काफी परेशान रहीं, यह भी छपता रहा. इसी दौरान जनवरी 1981 में फिल्म 'सिलसिला' की शूटिंग के दौरान दिल्ली के एक फ़ाइव स्टार होटल में, मेरी अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और रेखा तीनों से मुलाक़ात हुई.
मैंने जब जया जी से बात की तो उनके हावभाव में ज़रा भी कहीं नहीं लगा कि वह विचलित हैं, दुखी हैं. मेरे साथ भी उन्होंने एक दम खुश मन से खिलखिलाते हुए बात की.
जया को 'दीदी भाई' कहती रही हैं रेखा
उधर, कुछ देर बाद जब इनकी टीम 'सिलसिला' की आउटडोर शूटिंग के लिए किसी फार्म हाउस के लिए निकल रही थी, तब मैंने रेखा और जया बच्चन को भी बहुत ही सहज भाव से बात करते सुना.
रेखा ने जया से मुखातिब होते हुए जब उन्हें 'दीदी भाई' कहा तो मैं चौंका कि ये क्या कहा. वहाँ किसी से पूछने पर पता चला कि रेखा शुरू से जया को 'दीदी भाई' कहकर बुलाती रही हैं. बाद में शूटिंग यूनिट में से किसी ने बताया रेखा जी, जया जी को उनकी शादी के पहले से जानती हैं.
अमिताभ-रेखा के प्रेम सम्बन्धों की खबरों के तूफान का सिलसिला फिल्म 'सिलसिला' की रिलीज के बाद धीरे-धीरे थमता गया. कुछ बरस बाद रेखा ने दिल्ली के एक उद्योगपति मुकेश गुप्ता से मार्च 1990 में शादी कर ली. लेकिन शादी के बाद मुकेश ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली तो रेखा पर कई तरह के आरोप लगे. उधर रेखा, मुकेश के निधन के बाद जब अपनी माँग में फिर से सिंदूर के साथ प्रकट हुईं तो अमिताभ-रेखा के प्रेम प्रसंगों को फिर हवा मिल गई.
फिल्म 'सिलसिला' की बात करें तो यह फिल्म 14 अगस्त 1981 को प्रदर्शित हुई थी. उम्मीद थी यह फिल्म टिकट खिड़की पर धमाल कर देगी, लेकिन फ़िल्म को दर्शकों ने पसंद नहीं किया जबकि फिल्म का संगीत काफी लोकप्रिय होता गया.
असल में 'सिलसिला' फिल्म में पहले अमिताभ के साथ परवीन बॉबी और स्मिता पाटिल को लिया गया था, लेकिन उन दिनों अमिताभ-रेखा के प्रेम सम्बन्धों के चर्चे हर जुबां पर देखते हुए फ़िल्मकार यश चोपड़ा ने अंतिम क्षणों में अपना निर्णय बदल दिया क्योंकि यह फिल्म भी पति-पत्नी और प्रेयसी की कहानी पर आधारित थी.
यश चोपड़ा ने अमिताभ को जब कहा, "मेरी इच्छा है कि इस फिल्म में तुम्हारे साथ परवीन की जगह रेखा और स्मिता की जगह जया को लिया जाए."
बताते हैं कि यश चोपड़ा की यह बात सुन अमिताभ बच्चन चौंक गए. वह बोले-क्या कह रहे हैं आप. आप क्या समझते हैं कि जया इसके लिए तैयार हो जाएँगी? यश जी ने कहा, 'सब कुछ मुमकिन है. रेखा से मैं बात करता हूँ. जया से पहले तुम बात करो. फिर मैं भी करता हूँ.'
फिर सच में वह हो गया जिसकी उम्मीद नहीं थी. यश चोपड़ा का जादू कुछ ऐसा चला कि कश्मीर में परवीन और स्मिता की जगह रेखा और जया 'सिलसिला' की शूटिंग कर रही थीं.
हालांकि फिल्म से जुड़े एक बेहद खास व्यक्ति ने मुझे तब बताया था कि "जया जी 'सिलसिला' में काम करने के लिए इसी शर्त पर तैयार हुईं हैं कि अमित जी इसके बाद रेखा के साथ कभी कोई फिल्म नहीं करेंगे."
उस बात पर तब तो सहसा विश्वास नहीं हुआ था, लेकिन सच में ऐसा हुआ कि 'सिलसिला' दोनों की एक साथ अंतिम फिल्म साबित हुई. 'सिलसिला' के बाद जहां रेखा लगभग 80 फिल्में कर चुकी हैं. वहाँ अमिताभ 'सिलसिला' के बाद करीब 150 फिल्में कर चुके हैं लेकिन इन दोनों की साथ में तब से अब तक कोई और फिल्म नहीं आई, यानी 'सिलसिला' से सिलसिला टूट गया.
अमिताभ-रेखा की यादगार फिल्में
अमिताभ और रेखा यूँ तो कुल 14 फिल्मों में साथ रहे. 'नमक हराम' में रेखा के नायक राजेश खन्ना थे.
फिल्म 'ईमान धर्म' में भी अमिताभ, शशि कपूर, रेखा और संजीव कुमार थे. लेकिन रेखा के हीरो यहाँ शशि थे, अमिताभ नहीं. अमिताभ की फिल्म 'कसमें वादे' में तो रेखा सिर्फ मेहमान कलाकार थीं.
हास्य कलाकार जगदीप की 'सूरमा भोपाली' में भी अमिताभ और रेखा दोनों मेहमान कलाकार थे.
यूँ 'सिलसिला' के बाद सन 2015 में आई आर बाल्कि की फिल्म 'शमिताभ' में जहाँ अमिताभ मुख्य भूमिका में थे. वहाँ रेखा एक छोटी-सी भूमिका में थीं. अमिताभ-रेखा का साथ में कोई एक दृश्य भी नहीं था.
लेकिन इन फिल्मों के अलावा अमिताभ-रेखा की दस प्रमुख फिल्में हैं. जिनमें 'दो अनजाने' और 'सिलसिला' के अलावा 'खून पसीना', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'मिस्टर नटवारलाल', 'सुहाग' और 'राम बलराम' ऐसी फिल्में हैं जो सफल रहीं, दर्शकों ने पसंद कीं, जिनमें 'मुकद्दर का सिकंदर' तो दोनों के करियर में मील का पत्थर साबित हुई लेकिन इन दोनों की 'आलाप' और 'गंगा की सौगंध' फिल्में सफल नहीं हो सकीं.
सन 2014 में मैंने मुंबई में एक मुलाक़ात के दौरान अमिताभ बच्चन से पूछा था, "आपकी रेखा के साथ पर्दे पर जोड़ी सुपर हिट रही है लेकिन आपकी 1981 के बाद अभी तक कोई और फिल्म नहीं आई?"
इस पर अमिताभ ने बिना कुछ ज्यादा सोचे जवाब दिया, "कोई ऐसी कहानी मिली ही नहीं जिसमें हम दोनों को साथ लेकर काम करने का प्रस्ताव मिला हो. यदि कभी कोई ऐसी कहानी आई, कोई अच्छा प्रस्ताव आया तो उनके साथ फिल्म जरूर करेंगे."
इधर, देखा जाए तो अमिताभ बच्चन ने रेखा के साथ प्रेम सम्बन्धों को कभी स्वीकार नहीं किया, जबकि रेखा विभिन्न मंचों पर कभी हंसी-मज़ाक में, कभी गंभीरता से, कभी दबे रूप से, कभी दर्द भरे गीत-गज़लों से तो कभी किसी और तरह से अपने सम्बन्धों को ज़ाहिर करती रही हैं.
यहाँ तक कि पिछले करीब 42 साल से वह अपनी मांग में सिंदूर और गले में मंगल सूत्र भी पहनती रही हैं. पहली बार 1980 में वह ऋषि कपूर-नीतू सिंह की शादी में जब सिंदूर और मंगलसूत्र के साथ नज़र आईं तो बहुतों को लगा अमिताभ-रेखा ने कहीं गुपचुप शादी तो नहीं कर ली?
सन 1984 में फिल्मफेयर के एक इंटरव्यू में रेखा से जब पूछा गया-अमिताभ ने तो उनके साथ अफेयर की बात को नकारा है?
इस पर रेखा ने जवाब दिया, "ऐसा वह अपनी छवि, अपने परिवार और बच्चों के लिए बोल रहे हैं. मुझे लगता है कि यह अच्छी बात है, लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता. वह मुझसे प्यार करते हैं और मैं उनसे, बस. अगर उन्होंने यह बात मुझे अकेले में कही होती तब मैं निराश होती. मिस्टर बच्चन आज भी पुराने जमाने के हैं. वह किसी को दुख देना नहीं चाहते. तो फिर अपनी पत्नी को दुखी क्यों करेंगे. हम इंसान हैं. एक-दूसरे को चाहते हैं और जैसे हैं वैसे ही स्वीकार करते हैं."
ऐसे ही सिमी गरेवाल ने अपने शो में जब रेखा से पूछा कि '10 फिल्मों में काम करने के दौरान आपको क्या अमिताभ से मोहब्बत हो गई?'
तब रेखा ने कहा था, "यह तो बचकाना सवाल है. मैं आज तक किसी ऐसे आदमी, औरत या बच्चे से नहीं मिली जो उनसे दीवानगी की हद तक मोहब्बत न करता हो. फिर मैं इस बात से इनकार क्यों करूँ कि मैं उनसे प्यार नहीं करती. बेशक करती हूँ. दुनिया का सारा प्यार ले लीजिए और उसमें कुछ और भी जोड़ लीजिए. उतना प्यार मैं उनसे करती हूँ." (bbc.com/hindi)
मुंबई, 10 अक्टूबर | शकील ओ'नील को 'खलीबली' गाने पर डांस कराने के बाद, रणवीर सिंह ने अबू धाबी में एक और बास्केटबॉल स्टार को डांस कराया। रणवीर ने बास्केटबॉल कोर्ट में अपनी फिल्म 'दिल धड़कने दो' के गाने 'गल्लां गुडियां' पर एनबीए स्टार ट्राई यंग को भांगड़ा करा दिया।
रणवीर ने क्लिप के कैप्शन में लिखा, "ट्रे पाजी नाल भांगड़ा ! ये रहा आइस ट्रे, कुछ 'गल्लां गुडियां' के साथ अपने शानदार प्रदर्शन का जश्न मना रहा है!"
बॉलीवुड स्टार को 2021 में एनबीए के लिए भारतीय ब्रांड एंबेसडर के रूप में चुना गया है।
वर्कफ्रंट की बात करें तो, रणवीर अगली बार रोहित शेट्टी की 'सर्कस' और आलिया भट्ट अभिनीत 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में दिखाई देंगे। (आईएएनएस)|
मुंबई, 10 अक्टूबर | बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना बचपन से ही क्रिकेट के दीवाने रहे हैं। वह अपनी वैनिटी वैन में एक क्रिकेट किट रखते हैं ताकि जब भी मौका मिले खेल सकें। खासकर, जब वह एक आउटडोर शेड्यूल की शूटिंग कर रहे होते हैं, तो उन्हें होटल वापस जाने के बजाय स्थानीय क्रू के साथ क्रिकेट खेलने में मजा आता है।
इस तरह से क्रू के साथ खेलने से उन्हें क्रू को बेहतर तरीके से जानने, उनकी भाषा समझने और एक बंधन बनाने का अवसर भी देता है।
खेल के प्रति अपने प्यार के बारे में बात करते हुए, आयुष्मान ने साझा किया, "मैं क्रिकेट के हर पहलू का पूरा आनंद लेता हूं, चाहे वह देखना हो या खेलना।"
"मुझे हमेशा क्रिकेट के प्रति लगाव रहा है। स्कूल में, मैं एक मध्य क्रम का बल्लेबाज हुआ करता था और यहां तक कि जिला स्तर पर एक लेग स्पिनर के रूप में भी खेला था। फिर जब मैंने अपना करियर शुरू किया, तो मुझे अतिरिक्त पारी टी20ए की मेजबानी करने का अवसर मिला। आईपीएल के एक सीजन के लिए और मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आया।"
अभिनेता ने आगे कहा, "अब भी, जब भी सेट पर क्रिकेट खेलने का मौका मिलता है, तो मैं सभी को भाग लेने के लिए प्रेरित करता हूं। जब मैं पिच पर होता हूं तो मैं वास्तव में प्रतिस्पर्धी हो सकता हूं।"
वर्कफ्रंट की बात करें तो, आयुष्मान के पास 'डॉक्टर जी', 'एक्शन हीरो' और 'ड्रीम गर्ल 2' जैसी कई फिल्में हैं। (आईएएनएस)|
चेन्नई, 10 अक्टूबर | निर्देशक विग्नेश शिवन और उनकी पत्नी, अभिनेत्री नयनतारा के जुड़वा बच्चे हुए हैं। इस खुशखबरी की जानकारी कपल ने रविवार को सोशल मीडिया द्वारा दी। इंस्टाग्राम पर शिवन ने घोषणा करते हुए नवजात शिशुओं के पैरों की तस्वीरें साझा कीं।
कैप्शन में उन्होंने लिखा है, "नयन और मैं अम्मा और अप्पा बन गए हैं। हमें जुड़वां बच्चों का आशीर्वाद मिला है। हमारी सभी प्रार्थनाएं, हमारे पूर्वजों का आशीर्वाद, सभी अच्छी अभिव्यक्तियों के साथ मिलकर, हमारे लिए दो धन्य बच्चों के रूप में एक साथ आए हैं।"
"हमारे उइर (जीवन) और उलगम (दुनिया) के लिए आपके सभी आशीर्वादों की आवश्यकता है। जीवन उज्जवल और अधिक सुंदर दिखाई देने लगा, सब भगवान का अशीर्वार्द है।"
उन्होंने एक और पोस्ट साझा किया, जिसमें उनकी हालिया फिल्म 'काथुवाकुला रेंदु काधल' के गीत 'टू टू टू' की एक पंक्ति थी। इसके साथ ही कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'आई लव यू टू। एंड आई लव यू थ्री।' (आईएएनएस)|
1979 में आई फ़िल्म काला पत्थर के प्रचार के लिए खिंचाई गई तस्वीर में अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन 11 अक्तूबर को 80 साल के हो जाएंगे. इस मौक़े पर उनकी पुरानी फ़िल्मों की अनदेखी तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई है. उनकी पुरानी फ़िल्मों को दिखाया भी जा रहा है.
शनिवार (आठ अक्तूबर) से अमिताभ बच्चन की शुरुआती फ़िल्मों का एक अलग फ़िल्म फ़ेस्टिवल भी शुरू हुआ है. एक ग़ैर सरकारी संस्था 'फ़िल्म हेरिटेज फ़ाउंडेशन' अगले चार दिनों तक देश के 17 शहरों के 22 सिनेमाघरों में अमिताभ बच्चन की फ़िल्में प्रदर्शित कर रही है.
कई अवॉर्ड जीत चुके फ़िल्म निर्माता, संग्रहकर्ता और संरक्षणकर्ता शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर के नेतृत्व में इस संस्था ने मुंबई शहर में अमिताभ बच्चन की 60 फ़िल्मों को बचाए रखने में अहम भूमिका निभाई है.
फ़िल्म निर्देशक क्रिस्टोफ़र नोलान के मुताबिक़ इस 'आर्काइव' ने अपनी गुणवत्ता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है.
फ़िल्मों के प्रदर्शन के दौरान अमिताभ बच्चन की 50 तस्वीरें भी दिखाई जाएंगी. ये तस्वीरें लेखक और फ़िल्म इतिहासकार एसएमएम आहूजा के संग्रह से हैं.
आहूजा पिछले तीन दशकों से फ़िल्मों से जुड़ी यादगार चीज़ों का संरक्षण कर रहे हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं जिनमें 'लुकिंग एट बॉलीवुड थ्रू पोस्टर्स' भी शामिल है.
एक नज़र डालते हैं प्रदर्शनी की कुछ दुर्लभ तस्वीरों पर
अमिताभ और जया
अमिताभ बच्चन और उनकी पत्नी जया भादुड़ी की ये तस्वीर फ़िल्म 'अभिमान' की शूटिंग के समय की है. इस फ़िल्म को जाने माने फ़िल्मकार ऋषिकेश मुखर्जी ने निर्देशित किया था.
फ़िल्म में अमिताभ बच्चन एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाते हैं जो अपनी पत्नी की कामयाबी को बर्दाश्त नहीं कर पाता है. फ़िल्म में एक गायिका के तौर पर पत्नी अपने पति से ज़्यादा शोहरत पाने लगती है.
फ़िल्म में अमिताभ की पत्नी का किरदार वास्तविक जीवन में उनकी पत्नी जया भादुड़ी ने निभाया है.
ये फ़िल्म साल 1973 में बच्चन और भादुड़ी की शादी के एक महीने बाद रिलीज़ हुई थी और बॉक्स ऑफ़िस पर कामयाब रही थी.
फ़िल्म आलोचक जय अर्जुन सिंह इसे बच्चन और भादुड़ी की सबसे कामयाब फ़िल्मों में से एक मानते हैं. इस फ़िल्म के गीत भी शानदार थे.
'अभिमान' अमिताभ बच्चन के करियर की शुरुआती कामयाब फ़िल्मों में से एक है.
बॉलीवुड के शीर्ष निर्देशक सुभाष घई ने फ़िल्म 'देवा' के लिए अमिताभ बच्चन का चयन किया था लेकिन इस फ़िल्म को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और इसके कारणों का कभी पता नहीं चला.
ये कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन इस फ़िल्म में एक अपराधी का किरदार निभा रहे थे. कुछ रिपोर्टों के मुताबिक़ इस फ़िल्म के कई सीन और एक डांस नंबर की शूटिंग भी हो गई थी. लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया.
1980 के दशक में इसकी शूटिंग हुई थी. ये तस्वीर उसी समय की है.
इस असफल प्रयोग के बाद अमिताभ बच्चन और सुभाष घई ने कभी भी एक साथ काम नहीं किया.
बाद में एक साक्षात्कार में घई ने कहा था, "मुझे इस बात का अफ़सोस है कि मैं अब तक अमिताभ बच्चन के साथ काम नहीं कर सका हूं. मैं उनके पास देवा फ़िल्म लेकर गया था, ये मेरी ग़लती रही कि वो पूरी नहीं हो सकी. इसके बाद मुझे दोबारा उनके साथ काम करने का मौक़ा नहीं मिला."
घई ने कहा था, "मैंने कई बार उनके साथ फ़िल्म करने का सोचा. लेकिन अमिताभ बच्चन के पास जाने के लिए ऐसी फ़िल्म होनी चाहिए जो उनके रुतबे के अनुसार हो और उसमें उनका रोल भी उसी स्तर का होना चाहिए."
'बंधे हाथ'
विलेन रंजीत के ऊपर चढ़े हुए अमिताभ बच्चन की ये तस्वीर 1973 की फ़िल्म 'बंधे हाथ' की शूटिंग के दौरान की है. पीछे निर्देशक ओपी गोयल खड़े हैं.
अमिताभ बच्चन ने इस थ्रिलर फ़िल्म में एक चोर का डबल रोल किया था. ये उनकी शुरुआती फ़िल्मों में से एक थी और बॉक्स ऑफ़िस पर कुछ ख़ास नहीं कर सकी.
ऋषिकेश मुखर्जी के साथ खूब जमी जोड़ी
अमिताभ बच्चन और अभिनेत्री राखी की ये तस्वीर 1979 में आई फ़िल्म 'जुर्माना' के सेट की है. इस फ़िल्म का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था. दोनों अभिनेताओं के साथ इस तस्वीर में निर्माता देबेश घोष भी दिखाई दे रहे हैं.
फ़िल्म समीक्षक जय अर्जुन सिंह कहते हैं कि इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने एक प्लेबॉय का रोल किया था और ये फ़िल्म कुछ अलग थी जिसे बनने में भी काफ़ी समय लगा था.
'जुर्माना' उन आठ फ़िल्मों में से एक है जिनमें अमिताभ बच्चन और ऋषिकेश मुखर्जी ने साथ काम किया था.
सिंह के मुताबिक़ एक बार अमिताभ बच्चन ने कहा था कि वो मुखर्जी की फ़िल्मों में अपने काम का क्रेडिट तक नहीं लेना चाहते हैं क्योंकि उन फ़िल्मों में उन्होंने सिर्फ़ वही किया जो निर्देशक मुखर्जी उन्हें करने के लिए कह रहे थे.
'मर्द' का 'सुपरमैन'
चर्चित चलचित्रकार जल मिस्त्री (बायें) और अमिताभ बच्चन की ये तस्वीर फ़िल्म 'मर्द' की शूटिंग के दौरान ली गई थी. 1985 में आई इस फ़िल्म के निर्देशक थे मनमोहन देसाई.
निर्देशक मनमोहन देसाई ने अमिताभ बच्चन को फ़िल्मी दुनिया के बाज़ार में एक कामयाब अभिनेता के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी.
'मर्द' फ़िल्म में अमिताभ बच्चन एक स्वतंत्रता सेनानी के बेटे की भूमिका निभाते हैं जो आगे चलकर साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में कूद जाता है.
एक फ़िल्म समीक्षक ने उस समय इस फ़िल्म में अमिताभ के रोल के बारे में लिखा था, "पूरी फ़िल्म पर अमिताभ का एक छत्र प्रभाव अविवादित है. वो एक सुपरमैन हैं जिसके सामने कोई महिला या पुरुष किरदार नहीं टिकता."
हालांकि बहुत से लोग ऐसे भी थे जो फ़िल्म की कामयाबी को लेकर आशंकित थे.
एक फ़िल्म पत्रिका में एक आलोचक ने लिखा था, "मर्द जैसी फ़िल्म भी हिट हो सकती है, यह फ़िल्म देखने वालों की पसंद के बारे में बहुत कुछ कहता है. लेकिन ये साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों में से एक है."
अतिथि भूमिका में अमिताभ
1988 में केतन मेहता निर्देशित फ़िल्म 'हीरो हीरालाल' के सेट पर ली गई अमिताभ बच्चन की यह एक दुर्लभ तस्वीर है.
इस तस्वीर में मेहता (सबसे बायें) अभिनेत्री संजना कपूर (दायें से तीसरी), कॉमेडियन जॉनी लीवर और निर्माता गुल आनंद (सबसे दायें) भी हैं.
इस फ़िल्म के हीरो नसीरूद्दीन शाह थे जो एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर बने थे. उन्हें अभिनेत्री बनने आई रूपा (संजना कपूर) से प्यार हो जाता है.
बच्चन इस फ़िल्म में छोटी सी भूमिका में थे. मेहता और बच्चन ने सिर्फ़ इसी फ़िल्म में एकसाथ काम किया. (bbc.com/hindi)
ईरान में हिजाब के ख़िलाफ़ महिलाओं के विरोध-प्रदर्शन को समर्थन देने के बाद अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ख़ुद ही निशाने पर आ गई हैं. हालांकि कई लोग प्रियंका की प्रशंसा भी कर रहे हैं.
बीते शुक्रवार को प्रियंका चोपड़ा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद हो रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल महिलाओं के नाम एक संदेश लिखा था.
अब सोशल मीडिया पर एक तबक़ा प्रियंका चोपड़ा को 'पाखंडी' कह रहा है तो वहीं एक पक्ष उन्हें ग़लत काम के ख़िलाफ़ खड़ी होने वाली महिला बता रहा है.
लेखक एंड्री बोर्गेस ट्वीट करते हैं कि 'ईरानी महिलाओं के लिए प्रियंका चोपड़ा के बोलने को पूरी तरह सराहा जाना चाहिए लेकिन उसी समय भारत में इसी तरह की दुर्दशा से जूझ रही महिलाओं और ख़ासकर मुस्लिम महिलाओं के लिए न बोलना पाखंड को भी दिखाता है.'
पत्रकार राणा अय्यूब ने ट्वीट किया है कि 'ईरानी महिलाओं को लेकर प्रियंका चोपड़ा की चिंताओं की प्रशंसा की जानी चाहिए लेकिन बिलकिस बानो और मुसलमानों के सरकारी उत्पीड़न ख़ासकर के उनके अपने देश में हाशिए पर पड़ी महिलाओं को लेकर चुप्पी पर उन्हें आत्मविश्लेषण नहीं करना चाहिए?'
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता नाबिया ख़ान ट्वीट करती हैं कि 'प्रियंका चोपड़ा आपका एक्टिविज़म सुविधाजनक है. इसका कोई मतलब नहीं है कि जब आप भारत की हिजाबी महिलाओं की दुर्दशा से नज़र फेर लेती हैं, जिन्हें अपने सिर पर दुपट्टा रखने के लिए पढ़ाई से महरूम कर दिया जाता है और हिंदुत्व के गुंडे और सरकार उनका उत्पीड़न करते हैं. आप एक पाखंडी हैं.'
मुकर्रम नामक एक यूज़र ट्वीट करते हैं कि 'प्रियंका चोपड़ा ने भारत में बलात्कारियों की रिहाई पर चुप्पी बनाए रखी. वो बेहद पाखंडी और अवसरवादी महिला हैं.'
पत्रकार सैयद ज़फर मेहदी ट्वीट करते हैं कि 'प्रियंका चोपड़ा को नरेंद्र मोदी के साथ फोटो खिंचवाने और उन्हें अपनी शादी के रिसेप्शन में आमंत्रित करने पर कोई हिचक नहीं है बावजूद इसके कि बीजेपी सरकार भारत में हिजाब के ख़िलाफ़ क्रूर कार्रवाई कर रही है, लेकिन उनमें सुदूर ईरान में एंटी-हिजाब प्रदर्शनों का समर्थन करने का उतावलापन ज़रूर है.'
प्रियंका की तारीफ़ भी कर रहे हैं लोग
वहीं एक धड़ा वो भी है जो खुलकर ईरान में प्रदर्शनकारी महिलाओं का समर्थन करने पर प्रियंका चोपड़ा की तारीफ़ कर रहा है.
फ़िल्म निर्माता अशोक पंडित ने ट्वीट किया है कि 'महसा अमीनी की मौत के बाद प्रदर्शन कर रहीं ईरानी महिलाओं के समर्थन में आने के लिए प्रियंका चोपड़ा जी को बधाई. आपने एक बार फिर साबित कर दिया कि आप में ग़लत काम के ख़िलाफ़ खड़े होने का जज़्बा है. उम्मीद है कि फ़िल्म और टीवी इंडस्ट्री में आपको लोग फ़ॉलो करेंगे.'
चर्चित लेखक तारिक फ़तेह ने ट्वीट किया है कि 'प्रियंका चोपड़ा सत्य और महिला अधिकारों की तरफ़ हैं. उन पर कोई हमला तभी करेगा जब वो महिलाओं को पूरा इंसान नहीं मानता होगा.'
पहले भी विवादों में रह चुकी हैं प्रियंका
26 फ़रवरी 2019 को बालाकोट में भारतीय वायु सेना की एयर स्ट्राइक के बाद प्रियंका चोपड़ा ने ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने सिर्फ़ जय हिंद लिखा था और साथ में हैशटैक इंडियन आर्म्ड फ़ोर्सेज़ इस्तेमाल किया था.
इसके बाद कई लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रियंका चोपड़ा पर आरोप लगाए कि यूएन की गुडविल ऐम्बैस्डर होते हुए वो युद्ध को बढ़ावा दे रही हैं जबकि उन्हें शांति की अपील करनी चाहिए.
लॉस एंजिलिस में एक इंटरव्यू के दौरान एक पाकिस्तानी महिला ने प्रियंका चोपड़ा पर युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए सवाल पूछा था.
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इस पर प्रियंका चोपड़ा ने जवाब दिया कि उन्हें नहीं लगता है कि इस बारे में बात करने का यह उपयुक्त समय है.
उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ वो बहुत दुर्भाग्यपूर्थ था और वो कभी भी युद्ध समर्थक नहीं रही हैं और न ही उनके बयान में ऐसा कुछ था.
इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि इन सभी सालों में उनका काम ही इसका प्रमाण है और उन्हें नहीं लगता है कि उन्हें ये सब दोहराने की ज़रूरत है.
प्रियंका चोपड़ा ने अब क्या कहा?
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने शुक्रवार को इंस्टाग्राम पर विरोध प्रदर्शनों में अपनी आवाज बुलंद करने वाली महिलाओं के नाम एक संदेश लिखा था.
उन्होंने लिखा था, "ईरान और दुनिया भर में महिलाएं खड़ी हो रही हैं और अपनी आवाज़ उठा रही हैं. महिलाएं सार्वजनिक तौर पर अपने बाल काटने से लेकर कई अलग-अलग तरीकों से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. ये सब महसा अमीनी के लिए हो रहा है. उनकी जान ईरान की मॉरेलिटी पुलिस ने हिजाब ठीक से ना पहनने के कारण ले ली. जिन आवाज़ों को ज़बर्दस्ती दशकों तक चुप रखा जाता है, जब वे बोलती हैं तो ज्वालामुखी की तरह फूटती हैं और उन्हें रोका नहीं जा सकता."
"मैं आपके साहस और जो आप पाना चाहती हैं उसे देखकर हैरान हूँ. पितृसत्तात्मक व्यवस्था को चुनौती देना और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना, अपनी जान जोखिम में डालना आसान नहीं है, लेकिन आप साहसी महिलाएं हैं जो हर दिन ऐसा कर रही हैं. चाहे इसके लिए कितनी भी क़ीमत क्यों ना चुकानी पड़े."
उन्होंने लिखा था, "यह तय करने के लिए कि इस आंदोलन का दूर तक क्या प्रभाव होगा, हमें उनकी आवाज़ों को सुनना चाहिए, मुद्दों को समझना चाहिए और फिर अपनी सामूहिक आवाज़ों के साथ जुड़ना चाहिए. हमें उन सभी को भी शामिल करना चाहिए जो दूसरों को इसमें शामिल करने के लिए प्रभावित कर सकें."
"इस ज़रूरी लड़ाई में अपनी आवाज़ को शामिल करें. जानकारी लेते रहने के साथ मुखर रहें, ताकि इन आवाज़ों को अब चुप रहने के लिए मजबूर न किया जा सके. मैं आपके साथ हूं."
कौन थीं महसा अमीनी?
ईरान में 22 साल की महसा अमीनी को कथित तौर पर हिजाब पहनने के नियम के उल्लंघन के लिए 13 सितंबर को हिरासत में लिया गया था.
तीन दिन बाद कुर्दिस्तान प्रांत के शहर साक़िज़ की रहने वाले कुर्द महिला महसा अमीनी ने तेहरान में एक अस्पताल में दम तोड़ दिया. वे तीन दिनों तक कोमा में रही थीं.
ईरानी अधिकारियों का दावा है कि महसा अमीनी के साथ किसी तरह का अमानवीय व्यवहार नहीं किया गया और कस्टडी में लिए जाने के बाद 'अचानक हार्ट फ़ेलियर' के कारण उनकी मौत हो गई.
लेकिन महसा के पिता अमजद का कहना है कि महसा का 17 साल का भाई आराश वहीं पर था और उसे बताया गया कि पुलिस ने महसा को पीटा था.
वो कहते हैं, "मेरा बेटा उसके साथ था. कुछ चश्मदीदों ने मेरे बेटे को बताया महसा को वैन में और पुलिस स्टेशन में पीटा गया." (bbc.com/hindi)
इला सांकृत्यायन
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर | एक नए युग के परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाना और उन्हें स्वीकार करना कभी भी आसान नहीं होता है, खासकर तब जब कोई नेतृत्व कर रहा हो। दशकों से नए मानक स्थापित करने के लिए बहुमुखी होना और भी कठिन है। लेकिन जब अमिताभ बच्चन सबसे आगे होते हैं, तो किसी को भी आश्वस्त किया जा सकता है कि वह दूसरों के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे और यही उन्होंने छोटे पर्दे पर किया।
अपनी कई फिल्मों से सिल्वर स्क्रीन पर क्रांति लाने वाले 'एंग्री यंग मैन' ने टेलीविजन पर काम कर लोगों की सोच को बदल दिया।
बच्चन साहब 11 अक्टूबर को अपना 80वां जन्मदिन मनाएंगे, तो ऐसे में आइए नजर डालते है उनके कुछ बेहतरीन टीवी शो पर।
1. 'कौन बनेगा करोड़पति'- टेलीविजन यह एक ऐसा माध्यम है जिसे कई फिल्मी सितारे इसमें काम करना नहीं चाहते हैं, क्योंकि यह सिनेमा के बजाय मनोरंजन का एक घरेलू माध्यम है जो दर्शकों को एक बड़ी दुनिया में ले जा सकता है। स्क्रीन पर फ्रेम बदलने के साथ ही लोग उसी भावना से गुजरते हैं। इसे एक आवश्यक कदम कहें या मेगास्टार की किस्मत, बिग बी ने क्विज-आधारित रियलिटी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के मेजबान के रूप में भूमिका निभाई, जो एक ब्रिटिश शो 'हू वांट्स टू बी ए' की तर्ज पर था। यह शो 3 जुलाई 2000 को स्टार प्लस पर शुरू हुआ और भारतीय टेलीविजन का रुख हमेशा के लिए बदल दिया। यह शो हिंदी सिनेमा के शहंशाह को हर भारतीय घर में ले गया। उनके स्टारडम में दर्शक अब मेगास्टार को अपने घरों में आराम से देख सकते थे। बीच में ऐसा भी हुआ कि किसी वजह से बिग बी शो को होस्ट नही कर पाए तो शाहरुख खान ने तीसरा सीजन होस्ट किया परंतु शो की रेटिंग गिरने लगी जिसके बाद फिर से अमिताभ बच्चन ने शो को संभाला और आज तक बिग बी इस शो को होस्ट कर रहें हैं। यह कहना सुरक्षित है कि 'कौन बनेगा करोड़पति' बिग बी का पर्याय बन गया है।
2. 'युद्ध'- बिग बी ने 'युद्ध' के साथ एक काल्पनिक शो में अपनी शुरूआत की, जो एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर मिनी-सीरीज थी, जिसे रिभु दासगुप्ता और दीप्ति कलवानी द्वारा निर्देशित किया गया था, जिसे अनुराग कश्यप द्वारा बनाया गया और बच्चन की प्रोडक्शन कंपनी सरस्वती क्रिएशंस और एंडेमोल इंडिया द्वारा सह-निर्मित किया गया था। श्रृंखला में बच्चन ने एक व्यवसायी के चरित्र को निभाया, जिसके बहुत सारे सपने थे, लेकिन उसके जीवन के कुछ साल बचे हैं क्योंकि उसे एक न्यूरोसाइकोलॉजिकल डिसऑर्डर का पता चला है। शो का प्रीमियर 14 जुलाई 2014 को हुआ था।
3. 'बिग बॉस 3'- सबसे विवादित रियलिटी शो 'बिग बॉस सीजन 3' को मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने होस्ट किया था। यह शो, जिसका प्रीमियर 4 अक्टूबर 2009 को हुआ, 84 दिनों तक प्रसारित हुआ और 26 दिसंबर 2009 को कलर्स पर समाप्त हुआ। विंदू दारा सिंह ने शो जीता जबकि प्रवेश राणा को फस्र्ट रनर-अप घोषित किया गया। शो के अन्य प्रतियोगी गायक और संगीत निर्देशक इस्माइल दरबार, मॉडल और अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा, बॉलीवुड अभिनेत्री पूनम ढिल्लों, शमिता शेट्टी और अन्य थे।
4. 'आज की रात है जिंदगी'- बिग बी द्वारा होस्ट किया गया, यह एक मनोरंजन टॉक शो था जो आम लोगों के इर्द-गिर्द घूमता था, जिन्होंने जीवन में कुछ बड़ा हासिल किया। हर एपिसोड में होस्ट किसी सेलिब्रिटी को गेस्ट के तौर पर इनवाइट करता था। यह 18 अक्टूबर 2015 को स्टार प्लस पर शुरू हुआ और 10 जनवरी 2016 को समाप्त हुआ। यह ब्रिटिश टीवी श्रृंखला 'टुनाइट्स द नाइट' का भारतीय संस्करण था। शो में आने वाले विशिष्ट अतिथि धर्मेंद्र, सनी देओल, शिल्पा शेट्टी, मोहित चौहान, परिणीति चोपड़ा, आलिया भट्ट, मरियम सिद्दीकी और कपिल शर्मा थे।
4. 'एस्ट्रा फोर्स'- खुद को केवल काल्पनिक नाटक और रियलिटी शो तक सीमित नहीं रखते हुए, बिग बी ने एक एनिमेटेड सुपरहीरो, एस्ट्रा के रूप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जो दूर देश से एक पौराणिक नायक था। इस शो के साथ, उन्होंने दर्शकों के एक नए समूह - बच्चों से अपील की। यह 27 नवंबर, 2016 को प्रीमियर हुआ और 18 अगस्त, 2017 तक जारी रहा। यह श्रृंखला बच्चों के लिए रोमांच, लड़ाई, विदेशी लड़ाई और कई अन्य दुश्मनों के सभी तत्वों के साथ पूर्ण मनोरंजन थी। श्रृंखला के लिए, बच्चन ने सीए मीडिया के स्वामित्व वाली ग्राफिक इंडिया के साथ भागीदारी की। डिजनी चैनल इंडिया ने 52-एपिसोड की एनिमेटेड सीरीज का अधिग्रहण किया।
तो इस तरह से अमिताभ बच्चन ने टीवी शोज के जारिए भी अपनी एक अलग छाप छोड़ी। (आईएएनएस)|
विकास दत्ता
अमिताभ बच्चन के हाव-भाव और रंग-ढंग के साथ साथ उनकी आवाज भी उनको एक सफल अभिनेता बनाती है। कई बार फिल्म यह मांग कर सकती है कि कलाकार बिना किसी शब्द के सिर्फ चेहरे के भाव और शरीर की भाषा का इस्तेमाल कर अपनी एक अलग छाप छोड़े। इससे उनकी क्षमता का पता चलता है। ऐसे में अमिताभ बच्चन ने हमेशा ही अपने हुनर से एक शानदार प्रदर्शन देकर सबको खुश किया है।
मनोज कुमार ने अमिताभ से सितंबर 1967 में पहली मुलाकात के बाद उनकी आवाज को 'एक मधुर फुसफुसाहट, जो एक गरजते बादल की तरह है' के रूप में वर्णित किया, जब अमिताभ फिल्म उद्योग में अपनी किस्मत आजमाने के लिए बॉम्बे पहुंचे, और उनके साथ पहली फिल्म 'रेशमा और शेरा' (1971) थी जिसमें उन्होंने बिना संवाद के अभिनय किया था।
निर्देशक और निर्माता सुनील दत्त के अनुसार, उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नरगिस को फोन कर उद्योग में अमिताभ बच्चन के लिए मार्ग प्रशस्त करने को कहा था।
उस वक्त अमिताभ ने 'सात हिंदुस्तानी' में काम किया था और ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा 'भुवन शोम' (1969) में अपनी आवाज दी थी। अमिताभ ने फिल्म में असहाय छोटू के रूप में अपनी छाप छोड़ी। वहीदा रहमान, विनोद खन्ना, राखी, रंजीत, जयंत, के.एन. सिंह, अमरीश पुरी और एक बहुत ही युवा संजय दत्त एक कव्वाली कलाकार की भूमिका निभा रहे थे!
हालांकि, जबकि उनके करियर की अन्य फिल्मों ने उन्हें बोलने से प्रतिबंधित नहीं किया, उन्होंने कुछ अमर ²श्यों को दिखाया, जहाँ उन्होंने अपने अपनी आवाज के बिना कई तरह की भावनाओं को प्रदर्शित किया।
आइए इनमें से कुछ को देखें-
1. 'आनंद (1971)' - एक डॉक्टर की भूमिका निभा रहे हैं, वो बीमार राजेश खन्ना का इलाज करते हैं। उस ²श्य को याद करें जहां खन्ना अपने घर की बालकनी पर हैं, और 'कहीं दूर जब दिन ढल जाए', गाते हैं और उसी समय बच्चन प्रवेश करते हैं, कमरे की बत्ती बुझाते हैं और फिर, खड़े हो जाते हैं, बिना कुछ कहे।
2. 'जंजीर (1973)' - यह वह फिल्म थी जिसने बच्चन को हर घर में पहचान दिलाई और 'एंग्री यंग मैन' शब्द को चलन में ला दिया। जबकि फिल्म के संवाद, विशेष रूप से पुलिस स्टेशन मुठभेड़ को सबने देखा है लेकिन एक ²श्य है जहां इंस्पेक्टर विजय खन्ना थोड़ी तरलता दिखाते हैं और रोमांस पनपता है क्योंकि जया भादुड़ी को सुरक्षा मुहैया करते हैं। खिड़की पर खड़े होकर भोलापन दिखाते हुए गाना सुनते हैं - 'दीवाने है, दीवानों को न घर चाहिए।'
3. 'दीवार (1975)' - जहां 'जंजीर' ने बच्चन को नाम दिया, वहीं 'दीवार' ने उनकी साख को बढ़ा दिया। डायलॉग से भरी फिल्म में फिर से एक ²श्य है, जब बच्चन को उनके गुरु, डावर (इफ्तेहर एक दुर्लभ नकारात्मक भूमिका में) आमंत्रित करते हैं। बच्चेन धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं डेस्क के चारों ओर चलते हैं, और मेज पर पैर रख कर बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह जाते हैं।
4.'शोले (1975)' - जहां बच्चन को उस सीन के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है, जब वो अपने दोस्त वीरू (धर्मेंद्र) के लिए मैचमेकर की भूमिका निभाते हैं, लेकिन फिल्म में कई सीन हैं जिसमें वो बिना किसी शब्द के चुपचाप अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं, शानदार अभिनय से।
5. 'याराना (1981)' - फिल्म में बच्चन को शहर में लाकर पूरा मेकओवर किया जाता है। अपने शिष्टाचार प्रशिक्षक को टंग-ट्विस्टर के साथ चुनौती देते हैं, दोनों हाथों को घुटनों पर थप्पड़ मारते हैं, अपने बाएं कान को दाहिने हाथ से स्पर्श करते हैं, अपने बाएं हाथ का उपयोग अपनी नाक को छूने के लिए करते, हाथों को घुटनों पर फिर से थपथपाते हैं।
6.'कालिया (1981)' - परवीन बाबी को यह सिखाने के बाद कि साड़ी को खुद पर लपेटकर कैसे पहनना है, अमिताभ उसे अपनी भाभी (आशा पारेख) से मिलवाने के लिए घर ले आते हैं। वह तुरंत बाबी को खाना पकाने के काम में लगा देती है और खुद को रसोई में समेट लेती है। बच्चन अंडे को कैसे फोड़ना है, इस बारे में संक्षिप्त निदेशरें के साथ उसकी मदद करने की कोशिश करते हैं।
नयी दिल्ली, 9 अक्टूबर। बेहद खूबसूरत, बिंदास और अपने जमाने की बेहतरीन फिल्म अभिनेत्री, सुलझी हुई निर्माता-निर्देशक और संवेदनशील इंसान के रूप में आशा पारिख ने पिछले 70 साल के अपने फिल्मी सफर में कदम दर कदम सिनेमा को आगे बढ़ते देखा है और वह श्वेत श्याम से रंगीन और फिर तकनीकी रूप से आधुनिक होते सिनेमा के हर दौर की गवाह रही हैं। आशा पारिख को सिनेमा से जुड़े सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ‘दादा साहब फालके’ पुरस्कार से सम्मानित करके हिंदी सिनेमा के साथ उनके जुड़ाव का सम्मान किया गया है।
हिंदी सिनेमा में सफलता के नए आयाम स्थापित करने वाली आशा पारिख का जन्म दो अक्टूबर 1942 को एक गुजराती परिवार में हुआ। उनकी मां सुधा सलमा पारिख मुस्लिम थीं, जबकि पिता बच्चू भाई पारिख गुजरात के बनिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे। आशा की मां ने बहुत छोटी उम्र में ही उन्हें भारतीय शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण दिलाना शुरू कर दिया था और उन्होंने पंडित बंसीलाल भारती सहित कई गुणी गुरुओं से नृत्य की शिक्षा ग्रहण की।
आशा पारिख ने दर्जनों फिल्मों में अभिनय किया और उनकी ढेरों फिल्मों ने लोकप्रियता के रिकॉर्ड बनाए। लोग उनके अभिनय और नृत्य के दीवाने थे तथा एक समय तो ऐसा था कि वह हिंदी सिनेमा में सबसे ज्यादा पैसे लेने वाली अदाकारा हुआ करती थीं। एक के बाद एक उनकी कई फिल्मों की सफलता की वजह से उन्हें ‘जुबली गर्ल’ कहा जाता था।
दस साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में अभिनय की दुनिया में कदम रखने वाली आशा पारिख ने 1995 में अभिनय को अलविदा कह दिया और उसके बाद टेलीविजन धारावाहिकों के निर्माण और निर्देशन में हाथ आजमाया।
इस दौरान वह सिने जगत से जुड़े प्रमुख संगठनों से जुड़ गईं। वह 1994 से वर्ष 2000 तक सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्ष रहीं और 1998 से 2001 तक भारत के केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) की भी अध्यक्ष रहीं।
फिल्मों में अपशब्दों के इस्तेमाल पर सख्त एतराज रखने वाली आशा पारिख द्वारा सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर कुछ फिल्मों को मंजूरी देने से इनकार किए जाने के कारण एक समय फिल्म जगत दो हिस्सों में बंट गया था। कुछ को उनके फैसले पर एतराज था, जबकि कुछ ने इसे सही ठहराया। एक इंटरव्यू के दौरान आशा पारिख ने स्वीकार किया था कि इस तरह के पद और कुछ दें या न दें पर बदनामी जरूर दे देते हैं।
सिनेमा के बीते हुए कल और मौजूदा हालात की तुलना करते हुए आशा बताती हैं कि एक समय कलाकारों के पास वैनिटी वैन नहीं हुआ करती थी। आउटडोर शूटिंग के समय कई बार तो ऐसा होता था कि कपड़े बदलने तक के लिए मुनासिब जगह नहीं मिल पाती थी। आज की फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों को तमाम सुविधाएं हासिल हैं।
उन्हें फिल्मों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर शिकायत है। वह कहती हैं कि महिलाओं को पुरुष अभिनेताओं के मुकाबले कम पैसा दिया जाता है और महिला चरित्रों पर आधारित कहानियां कम लिखी जाती हैं। हालांकि उनके अनुसार हालात कुछ सुधरे हैं और अब फिल्म की हर विधा में ज्यादा महिलाएं आने लगी हैं।
आशा के बारे में एक किस्सा मशहूर है कि उनके करियर के शुरुआती दौर में उन्हें एक फिल्म से यह कहकर निकाल दिया गया था कि उनमें ‘‘स्टार मटीरियल’’ नहीं है, लेकिन आशा पारिख ने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर वह मुकाम हासिल किया कि उनकी सफलता अपने आप में एक मिसाल बन गई। (भाषा)
नयी दिल्ली, 8 अक्टूबर। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत में एक याचिका दायर की गयी है, जिसमें आने वाली फिल्म 'आदिपुरुष' पर रोक का अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म के प्रचार-प्रसार के लिए जारी वीडियो में हिंदू देवी-देवताओं को 'अनुचित' और 'गलत' तरीके से चित्रित किया गया है।
अधिवक्ता राज गौरव की ओर से दायर याचिका सोमवार को वरिष्ठ दीवानी न्यायाधीश अभिषेक कुमार के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गयी है।
याचिका में प्रतिवादियों - निर्माता भूषण कुमार और निर्देशक एवं सह-निर्माता ओम राउत के खिलाफ स्थायी और अनिवार्य व्यादेश (इनजंक्शन) की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि निर्माता-निर्देशक ने महाकाव्य रामायण की मूल बातों में हेरफेर किया है।
याचिका में दावा किया गया है, ‘‘प्रतिवादियों ने अपनी आगामी फिल्म ‘आदिपुरुष’ के टीज़र या प्रचार वीडियो में हिंदू देवताओं भगवान राम और भगवान हनुमान के चित्रण से वादी और अन्य हिंदुओं की धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सभ्यतागत भावनाओं को आहत किया है।’’
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यद्यपि भगवान राम की पारंपरिक छवि एक निर्मल और शांत व्यक्ति की थी, जो क्षमा में विश्वास करते थे, लेकिन प्रचार वीडियो में प्रतिवादियों ने उन्हें चमड़े का पट्टा और चमड़े से बने आधुनिक जूते पहने हुए ‘अत्याचारी, प्रतिशोधी और क्रोधित’ व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित किया है।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि भगवान हनुमान को ‘अत्याचारी तरीके से’ चित्रित किया गया है, उन्हें पूरे शरीर पर चमड़े की पट्टियां पहनाई गयी हैं और उन्हें हनुमान चालीसा के धार्मिक छंदों में किये गये वर्णन से अलग तरीके से दिखाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि अदालत प्रतिवादी को भगवान राम एवं भगवान हनुमान का चित्रण करने से रोकने के लिए फिल्म के वर्तमान स्वरूप में प्रदर्शन पर स्थायी रोक लगाए।
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से फिल्म के प्रचार वीडियो को हटाने का निर्देश देने की भी मांग की है। (भाषा)
जयपुर, 8 अक्टूबर | प्रसिद्ध फिल्म निर्माता इम्तियाज अली ने सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव (आईएसआरएफ) के समापन समारोह में बोलते हुए फारसी सूफी कवि जलालुद्दीन रूमी के प्रसिद्ध दोहे का उपयोग करते हुए कहा, जो आप चाहते हैं वह आपको ढूंढ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय सूफी रंग महोत्सव का समापन शुक्रवार को अजमेर में हुआ। वास्तव में यह शाहरुख खान अभिनीत फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' की टैगलाइन थी, जो अली द्वारा लिखित और निर्देशित एक रोमांटिक फिल्म है। अली ने कहा, सिनेमा आज सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कला रूपों में से एक है, जिसने रहस्यमय संगीत के माध्यम से सूफीवाद के सार्वभौमिक मूल्यों के प्रसार में काफी योगदान दिया है।
अली के संबोधन के बाद प्रशंसित गायक मोहित चौहान ने उनकी फिल्म 'रॉकस्टार' के हिट नंबर 'ओ नादान परिंदे घर आ जा' का गायन किया। यह उत्सव न केवल सूफी कलाकारों और सुलेखकों को, बल्कि लेखकों, पत्रकारों, फिल्म निमार्ताओं और संगीतकारों को भी एक साथ लाया।
अजमेर शरीफ के हाजी सैयद सलमान चिश्ती द्वारा परिकल्पित आईएसआरएफ की मेजबानी और आयोजन पिछले 15 वर्षों से चिश्ती फाउंडेशन द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह में 800 साल पुराने प्रांगण के अंदर किया जा रहा है, जिसे महफिल-ए-समा खाना (आध्यात्मिक ऑडिशन हॉल) के रूप में जाना जाता है। (आईएएनएस)|