अंतरराष्ट्रीय
अरुल लुइस
वाशिंगटन, 17 अक्टूबर| साल 2016 के चुनाव में इस समय तत्कालीन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप हजारों हिन्दू समर्थकों की एक बड़ी रैली को संबोधित कर रहे थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है, बल्कि होने की संभावना भी नहीं है। रिपब्लिकन हिंदू कोऑलिशन (आरएचसी) ने 15 अक्टूबर, 2016 को न्यूजर्सी में उस रैली का आयोजन किया था लेकिन इस साल उन्होंने निर्णय किया है कि जब तक ट्रंप इमीग्रेशन में सुधार करने की गारंटी नहीं देंगे, वो ट्रंप के लिए कोई प्रचार अभियान नहीं करेंगे।
आरएचसी के संस्थापक शलभ कुमार ने आईएएनएस से कहा, "हम अपने समूह के सदस्यों से ट्रंप का समर्थन करने के लिए कहेंगे और हिंदुओं से ट्रंप को वोट देने का आग्रह करेंगे, लेकिन हम 2016 जैसे किसी भी तरह के के प्रचार कार्यक्रम का आयोजन नहीं करेंगे, जिसमें 8,000 लोगों ने हिस्सा लिया था।"
उन्होंने आगे कहा, "पिछली बार हमने 'अबकी बार ट्रम्प सरकार' का नारा दिया था लेकिन इस बार हम राष्ट्रपति के साथ बैठक की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि ग्रीन कार्ड को लेकर स्थिति की स्पष्टता पा सकें।"
उन्होंने बताया कि आरएचसी में लगभग 50,000 सदस्य हैं, जिनमें पूरी दुनिया के हिन्दू शामिल हैं।
जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन कोविड -19 महामारी के कारण बड़ी रैलियां नहीं कर रहे हैं, वहीं ट्रंप अपने लिए एक हिंदू कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं। उन्होंने 'हिन्दू वॉइसेस फॉर ट्रंप' नाम से एक प्रोग्राम लॉन्च किया है, जो अलग से सिखों, मुसलमानों और भारतीय-अमेरिकियों को टारगेट करता है लेकिन उन्होंने हिन्दुओं के लिए कुछ नहीं किया है।
वहीं डेमोक्रेट्स पहली बार राजा कृष्णमूर्ति के प्रतिनिधित्व में 'हिंदूज फॉर बिडेन' के जरिए हिन्दुओं तक पहुंच रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी में हुए इस बदलाव को देखते हुए, कुमार ने चुटकी ली, "हमने कम से कम हिन्दू शब्द को लोकप्रिय बना दिया है।"
कुमार जहां इमिग्रेशन सुधारों के जरिए ग्रीन कार्ड के पुराने मामलों का निपटारा (बैकलॉग) चाहता है। क्योंकि करीब 10 लाख लोगों का ग्रीन कार्ड बनना है और वे बहुत परेशानी में हैं। वहीं ट्रंप योग्यता के आधार पर इमिग्रेशन की बात करते हैं।
रिपब्लिकन सीनेटर माइक ली के अनुमान के अनुसार, बैकलॉग को लेकर स्थिति इतनी खराब है कि कुछ भारतीयों को ग्रीन कार्ड पाने में 195 साल लग सकते हैं। ग्रीन कार्ड स्थायी प्रवासी का दर्जा देता है और इसे पाने वालों को पूरी नागरिकता पाने की सूची में शुमार करता है।
कुमार कहते हैं, "हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इमिग्रेशन के मुद्दे को ध्यान में रखा जाए, चाहे ट्रंप फिर से चुनकर आएं..जैसा कि हम चाहते हैं। लेकिन जमीन पर वास्तविकता को देखते हुए अगर बाइडन राष्ट्रपति बनते हैं तो हम चाहते हैं कि तब भी इस मुद्दे को ध्यान में रखा जाए।" (आईएएनएस)
पेरिस 17 अक्टूबर (स्पूतनिक) फ्रांस की राजधानी पेरिस में शुक्रवार को एक अज्ञात हमलावर ने चाकू से हमला कर एक शिक्षक की हत्या कर दी। हमलावर ने शिक्षक पर चाकू से हमला कर उसका सिर काट दिया।
पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन फिर उन्हें उसे गोली मारनी पड़ी जिसमें वह मारा गया है। हमलावर का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक अज्ञात हमलावर ने कॉन्फलांस-संत-हॉनोरिन इलाके में शिक्षण संस्थान के नजदीक शिक्षक पर हमला कर उसका सिर काट दिया। जिस शिक्षक की हत्या की गयी है वह अपने छात्रों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में पढ़ाया करते थे और उन्होंने छात्रों को पैगम्बर मोहम्मद के काॅर्टून भी दिखाए थे। शिक्षक पर हमला करने वाला व्यक्ति किसी छात्र का ही अभिभावक बताया जा रहा है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने शिक्षक की हत्या को एक आतंकवादी हमला करार दिया है।
श्री मैक्रॉन ने कहा, “ बच्चों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में पढ़ाने के लिए हमारे साथी की हत्या कर दी गयी। हमारा साथी एक आतंकवादी हमले का शिकार हुआ है।”
पेरिस, 17 अक्टूबर | फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पेरिस के उत्तर-पश्चिमी उपनगर में एक शिक्षक का सिर काटे जाने की घटना को 'इस्लामिक आंतकी हमला' कहा है और उन्होंने चरमपंथियों से निपटने के लिए अपनी सरकार द्वारा त्वरित और ठोस कार्रवाई किए जाने का वादा किया।
मैक्रों ने हमले के कुछ घंटों बाद कॉन्फ्लैन्स-सौं-होनोरी मिडल स्कूल का दौरा करने के बाद मीडिया से कहा, "हमारे एक नागरिक की आज हत्या कर दी गई क्योंकि वह छात्रों को अभिव्यक्ति की आजादी सिखा रहा था।"
उन्होंने कहा, "वह एक शिक्षक थे, जिन्हें आतंकवादी ने मार डाला क्योंकि वह आतंकवादी गणतंत्र को नष्ट करना चाहता था .. हमारे बच्चों को स्वतंत्र नागरिक बनाने की संभावना को नष्ट कर देना चाहता था।"
मैक्रों ने जोर देकर कहा कि आतंकवादी फ्रांस को विभाजित नहीं कर पाएंगे।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, पीड़ित एक 47 वर्षीय इतिहास शिक्षक हैं, जिन्होंने कथित तौर पर अपने छात्रों को पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए थे, जिन्हें मुसलमानों द्वारा ईश निंदा के रूप में माना जाता है, और एक आतंकवादी ने चाकू से उनका सिर काट दिया।"
माना जा रहा है कि संदिग्ध हमलावर 18 साल का है, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी ज्ञात नहीं है।
उसे गश्ती पुलिस ने चाकू के साथ देखा था।
उसने कथित तौर पर हमले से पहले 'अल्लाहु अकबर', या कगॉड इज ग्रेटेस्टत चिल्लाया।
आत्मसमर्पण करने से इनकार करने पर अधिकारियों ने उस पर गोली चला दी, जिससे वह मारा गया।
शिक्षा मंत्री जीन-मिशेल ब्लैंकर ने ट्वीट किया, "आज रात, यह गणतंत्र है जिसके सेवक, एक शिक्षक की हत्या के साथ उस पर (गणतंत्र) हमला हुआ है।"
उन्होंने कहा कि एकता और ²ढ़ता ही इस्लामिक आतंकवाद की संकीर्णता का जवाब है।
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भी इस घटना की निंदा की है।(आईएएनएस)
ब्रसेल्स, 17 अक्टूबर | बेल्जियम के प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर डे क्रू ने परामर्श समिति की बैठक के अंत में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू सहित सख्त कदम उठाए जाने की घोषणा की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शुक्रवार को बताया कि क्रू के अनुसार, आधी रात से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगाया जाएगा, जिसकी शुरुआत सोमवार से हो रही है।
महीने भर तक के लिए कैफे और रेस्तरां बंद रहेंगे। प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि एक निष्पक्ष और वित्तीय सहायता योजना इन उपायों के साथ होगी।
रात 8 बजे के बाद शराब की बिक्री नहीं होगी।
बाजार खुले रहेंगे लेकिन 1.5 मीटर की सोशल डिस्टेंसिग को बनाए रखना होगा। मास्क पहनना होगा और हाथ साफ रखना जैसी बातों का भी ध्यान रखना होगा। हालांकि, क्रिसमस मार्केट और फ्ली मार्केट रद्द कर दिए गए हैं।
बेल्जियम में कोरोना के अब तक 191,959 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 10,327 लोग जान गंवा चुके हैं।(आईएएनएस)
लंदन, 16 अक्टूबर | ब्रिटेन के डरहम यूनिवर्सिटी में पिछले कुछ सप्ताह में कोरोनावायरस से छात्र और स्टाफ मेंम्बर समेत लगभग 1,000 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। सिंहुआ न्यूज एजेंसी के रिपोर्ट अनुसार, उत्तरी इंग्लैंड में स्थित विश्वविद्यालय ने गुरुवार को अपने बयान में कहा है कि कोरोनावायरसजांच रिपोर्ट में 958 छात्र और 6 स्टाफ सदस्य पॉजिटिव पाए गए हैं।
स्कूल प्रवक्ता ने कहा, "पिछले एक सप्ताह में कोरोनावायरस से कई छात्र और स्टाफ संक्रमित हुए हैं। यहां रोजाना कम से कम 100-150 पॉजिटिव मामले पाए जा रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "हम लगातार और नियमित रूप से स्थानीय और राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ स्थिति पर निगरानी रखे हुए हैं और जहां आवश्यक हो उचित कार्रवाई कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि सभी संक्रमित कर्मचारी और छात्र एनएचएस द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, होम-आईसोलेशन में हैं और हमारा पूरा समर्थन प्राप्त कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय के 17 कॉलेजों में से दो, सेंट मेरीज और कॉलिंगवुड में 8 अक्टूबर के बाद से नए प्रतिबंध लगाए गए थे ताकि कोरोना प्रसार पर लगाम लगाया जा सके।
विश्वविद्यालय में 20,500 छात्र और 4,000 स्टाफ मेंम्बर हैं।
--आईएएनएस
बीजिंग, 16 अक्टूबर | चीन दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। मिस्र, मैसोपोटामिया और भारत की तरह चीनी इतिहास की जड़ें भी कई हजार साल पुरानी हैं। चीन में एक विशेष और अनोखी संस्कृति पैदा हुई जो सदियों तक सामंती प्रभाव में रही। फिर 20वीं सदी में चीनी समाज ने करवट बदली, और सामंतवाद और उपनिवेशवाद के विरूद्ध जन आंदोलन हुआ। साल 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में नये चीन की स्थापना हुई। साल 1950 से 1970 के दशकों में चीन में समाजवाद और उसके प्रमुख नेताओं- माओ त्सेतुंग और चोऊ एनलाए का बोलबाला रहा, तब बाहरी दुनिया को चीन बंद-बंद और कटा-कटा नजर आता था। लेकिन, साल 1976 में माओ और चाऊ का निधन हो गया और फिर साल 1978 से चीन में सुधारों का दौर शुरू हुआ।
जब चीन में आर्थिक सुधार को लागू किया गया, तब चीन की दिशा और दशा में बड़ा परिवर्तन आया। साल 1980 से चीन के बुद्धिजीवी और अधिकारी नई तरह से सोचने लगे, और देश के विकास में नई रोशनी आने लगी। कहा जाए तो चीनी समाज ने रास्ता बदला और राजनीति से ज्यादा अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण हो गई। तब चीन में अमीर बनने पर जोर दिया जाने लगा। चीन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को अलग रूप देने में काफी हद तक सफलता हासिल की।
बहरहाल, पिछले चार दशक से चीन ने दुनिया के लिए दरवाजे खोल दिये, और विदेशी कंपनियों को पूंजी निवेश करने का न्यौता दिया जाने लगा। नतीजा यह रहा कि चीन एक गरीब और साधनहीन देश से ऊपर उठकर दुनिया की दूसरी बड़ी महाशक्ति बन गया। नई तकनीक, सस्ता श्रम और निर्यात ने चीन में बनी वस्तुओं को दुनिया भर में सस्ता और लोकप्रिय बना दिया।
चीन ने एक बड़ी छलांग लगाई और बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हुआ। इसमें कोई शक नहीं कि इससे चीनी लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठा है। आर्थिक सुधारों से पहले की 'तथाकथित' समाजवादी नीतियां काम नहीं कर रही थीं, लेकिन आज चीन में अधिकतर लोग अच्छा जीवन गुजार रहे हैं। उनके विचारों की पुष्टि आंकड़ों से भी होती है। कोरोना महामारी से कुछ साल पहले से चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 8-9 प्रतिशत के आसपास रही है, जो कि बहुत अच्छी मानी जाती है।
यकीनन, चीन के इस तेज विकास का श्रेय आर्थिक सुधारों को जाना चाहिए। पिछले 40 सालों में चीन में हुए आर्थिक विकास का प्रमुख कारण है कि चीनी सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी ने अलग नीतियां अपनाईं, और सारा जोर आर्थिक प्रगति पर दिया, जिसके चलते चीनी नेताओं की और देश की मानसिकता बदल गई, और नई सदी में चीन आधुनिक और बड़ी महाशक्ति के रूप में उभरा।
अब चीन का दुनिया पर प्रभाव है जो पहले से कहीं अधिक व्यापक, गहरा और दीर्घकालिक है, और दुनिया चीन पर भी अधिक ध्यान दे रही है। चीन ने कम समय में कामयाबी हासिल कर ली, जिसे कुछ विकसित देशों को हासिल करने में कई सौ साल लग गए थे। चीन अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने अपने लगभग 1.4 बिलियन लोगों की भौतिक जरूरतों को पूरा किया, और चौतरफा समृद्धि हासिल की।
आज, चीन विश्व आर्थिक विकास का प्रमुख स्थिरता और प्रेरक बल बन गया है। चीन का विकास एक खतरा या चुनौती के बजाय दुनिया के लिए एक अवसर है। इसने विकास को अन्य विकासशील देशों के लिए अनुभव और सबक की ओर अग्रसर किया है।
-- आईएएनएस
इस्लामाबाद, 16 अक्टूबर| पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक आतंकवादी हमले में आठ सैनिक और सात सिविल सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने सिन्हुआ समाचार एजेंसी को बताया कि यह घटना गुरुवार को ओरमारा इलाके में हुई, जब आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर फ्रंटियर कोर (एफसी) और ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (ओजीडीसीएल) के एक काफिले पर हमला किया और घटनास्थल से भाग गए।
सूत्रों ने बताया, "तीन एफसी वाहनों की सुरक्षा में ओजीडीसीएल के दो वाहन कराची जा रहे थे, जब आतंकवादियों ने उनपर हमला कर दिया।"
हमले के बाद आंतकवादियों ने वाहनों को भी जलाकर नष्ट कर दिया।
अर्धसैनिक बल और पाकिस्तानी नौसेना के जवान हमले की जगह पर पहुंच गए और शवों को पास के नौसैनिक अड्डे पर भेज दिया।
भागने वाले आतंकवादियों को गिरफ्तार करने के लिए क्षेत्र में एक तलाशी अभियान शुरू किया गया है।
प्रांत के कई चरमपंथी संगठनों के गठजोड़ से बने एक गैरकानूनी संगठन बलूच राजी अजोई संगर (बीआरएसी) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
इसी संगठन ने अप्रैल 2019 में इसी इलाके में हमला कर नौसेना के करीब 11 जवानों की जान ले ली थी।
हमले की निंदा करते हुए, प्रधानमंत्री इमरान खान ने घटना की एक रिपोर्ट मांगी है और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि हमले के अपराधियों की पहचान करने और उन्हें न्याय के कठघरे में लाने के लिए हर संभव प्रयास करें। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 16 अक्टूबर | पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) को सूचित किया है कि फर्जी बैंक खातों के मामले में पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। डॉन न्यूज के मुताबिक, हालांकि, हाई कोर्ट ने जरदारी को चिकित्सा कारणों से व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी है।
विपक्षी दलों के पहले शक्ति प्रदर्शन से एक दिन पहले गिरफ्तारी वारंट जारी करने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने गुरुवार को ट्वीट किया, "पंजाब में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के पहले जलसा के लिए जाने के दौरान खबर मिली कि एनएबी ने मेरे पिता के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है जो पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं।"
उन्होंने कहा, "ये रणनीति पीपीपी के लिए नई नहीं है और अब हमें कुछ भी नहीं डिगा सकता।"
जरदारी अपने सहायक निजी सचिव मुश्ताक और जैन मलिक के जॉइंड अकाउंट के माध्यम से बहरिया टाउन से 8.3 अरब पाकिस्तानी रुपये के संदिग्ध लेन-देन से संबंधित मामले में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की मांग कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने 18 जून, 2019 को मामले में जरदारी को गिरफ्तारी पूर्व अंतरिम जमानत दी थी।
अभी जमानत की पुष्टि नहीं हुई है।
अदालत ने सुनवाई को 5 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया और पूर्व राष्ट्रपति की अंतरिम जमानत भी उसी तारीख तक बढ़ा दी गई है।(आईएएनएस)
जर्मनी ने कोरोना के रोज नए हजारों मामलों के सामने आने के बाद नए सख्त नियम लागू किए हैं. जर्मनी में पिछले 24 घंटों में 6,638 नए मामले दर्ज किए गए. फ्रांस ने मामलों को देखते हुए नौ शहरों में रात का कर्फ्यू लगा दिया है.
यूरोपीय देश एक बार फिर कोरोना वायरस के नए मामलों से जूझ रहे हैं. कोरोना के नए मामलों को देखते हुए सरकारें दोबारा सख्त कदम उठाने को मजबूर हुई हैं. पिछले 24 घंटों में जर्मनी में कोविड-19 के 6,638 नए मामले दर्ज किए गए हैं. रोजाना इतने मामले महामारी के शुरू होने के बाद पहली बार दर्ज किए गए हैं. जर्मनी में कोरोना के मामलों में बेतहाशा वृद्धि होने के आसार के बाद देश में चिंता बढ़ गई है.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने बुधवार को 16 राज्यों के साथ बैठक की और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबंधों को और सख्त करने का फैसला लिया. रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट के मुताबिक इससे पहले 28 मार्च को एक दिन में सबसे अधिक 6,294 मामले दर्ज किए गए थे.
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जो कदम उठाए गए हैं उनमें चेहरे पर मास्क लगाना और कितने लोग आपस में मिल सकते हैं, को लेकर नियम शामिल हैं. कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लोगों के मिलने जुलने की संख्या पर संघीय और राज्य सरकारों ने सख्त कदम उठाने को लेकर सहमति जताई है. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उपायों के मुताबिक निजी समारोह में लोगों की संख्या सीमित करना, हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों में बार और रेस्तरां के लिए कर्फ्यू लगाना शामिल है.
जर्मन चांसलर अंगेला मर्केल और 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बुधवार को आठ घंटे की बैठक के बाद इन नियमों पर सहमति व्यक्त की गई है. मैर्केल ने कहा, "मुझे यकीन है कि अब हम जो करेंगे वह इस महामारी के दौर से पार पाने में निर्णायक होगा." उन्होंने आगे कहा, "हम कोरोना के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी के चरण में हैं, रोजाना के आंकड़े यह बताते हैं."
मैर्केल ने देश के युवाओं से अपील की कि वे अभी से पार्टियों से बचें ताकि वे बाद में जीवन का आनंद ले सकें. उन्होंने कहा, "हमें विशेष रूप से युवाओं को कुछ पार्टियों के बिना रहने का आग्रह करना चाहिए ताकि वे आने वाले दिनों में अच्छी जिंदगी जी सकें." बवेरिया राज्य के मुख्यमंत्री मारकुस जोएडर ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया और कहा, "हमने बहुत लंबा सफर तय किया है क्या अभी और बहुत कुछ देखना बाकी है."
जर्मनी में कड़े नियम
जिन क्षेत्रों को हॉटस्पॉट के तौर पर देखा जा रहा वहां सभी कार्यक्रमों में लोगों की संख्या 10 कर दी गई जबकि निजी स्थानों में वाले कार्यक्रम में सिर्फ दो परिवार ही हिस्सा ले पाएंगे. एक हॉटस्पॉट को एक ऐसे क्षेत्र के रूप में परिभाषित जाता है जहां सात दिनों की अवधि में प्रति 1,00,000 लोगों पर 50 नए संक्रमण के मामले दर्ज किए जाते हैं. गैर हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों में होने वाले समारोह के लिए 25 लोगों की संख्या तय की गई और निजी समारोह में केवल 15 लोग ही शामिल हो पाएंगे. हॉटस्पॉट वाले इलाकों में पब और रेस्तरां को रात 11 बजे तक बंद करने होगा. बर्लिन और फ्रैंकफर्ट में यह नियम पहले से ही लागू है.
मास्क को लेकर भी नियम कड़े कर दिए गए हैं. प्रति एक लाख में 35 नए संक्रमण के मामले आने पर सभी सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा. अगर क्षेत्र हॉस्पॉट में तब्दील हो जाता है तो मास्क को लेकर नियम और सख्त कर दिए जाएंगे.
फ्रांस में कर्फ्यू
फ्रांस ने कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच बुधवार रात कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने टीवी पर दिए अपने संबोधन में कहा कि पेरिस और अन्य आठ शहरों में कर्फ्यू लगाया जाएगा. फ्रांस के नौ शहरों में रात 9 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा. यह कर्फ्यू शनिवार से लागू होगा और यह अगले चार हफ्ते तक लागू रहेगा. कर्फ्यू के दौरान लोग घरों से बाहर रेस्तरां में नहीं जा सकेंगे और ना ही किसी के घर पर. माक्रों ने अपने संबोधन में कहा, "हमें अब कदम उठाना होगा. हमें वायरस के प्रसार पर ब्रेक लगाना होगा."
गौरतलब है कि कि फ्रांस में पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 के नए मामलों में तेजी से इजाफा होना शुरू हुआ है जिसके बाद फ्रांस सरकार को कर्फ्यू जैसा कदम उठाना पड़ा है.
एए/सीके (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 16 अक्टूबर| एक नए सर्वे में पता चला है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन को भारतीय-अमेरिकी समुदाय का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। वहीं, पार्टी की उपराष्ट्रपति पद की भारतीय मूल की उम्मीदवार कमला हैरिस ने चुनाव के मद्देनजर जोश और उत्साह बढ़ा दिया है।
अमेरिका में 3 नवंबर को चुनाव है।
गुरुवार को जारी सर्वेक्षण में बताया गया है कि पंजीकृत भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं में से 72 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने बाइडन-हैरिस के समर्थन में मतदान करने की योजना बनाई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को महज 22 प्रतिशत का समर्थन हासिल है।
2016 पोस्ट-इलेक्शन नेशनल एशियन-अमेरिकन सर्वे के अनुसार, 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हिलरी क्लिंटन को मिले 77 प्रतिशत समर्थन के मुकाबले बाइडन को मिल रहे समर्थन में पांच प्रतिशत की कमी देखने को मिल रही है। वहीं, पिछले चुनाव में 16 प्रतिशत की तुलना में ट्रंप के समर्थकों में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कार्नेगी द्वारा प्रकाशित विश्लेषण वाले पेपर के अनुसार, नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच घनिष्ठ संबंध रिपब्लिकन की ओर भारतीय अमेरिकी मतदाताओं को रिझाने में खास कामयाब नहीं रही है।
विश्लेषण में कहा गया कि उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर हैरिस का चयन से 'वोटों की संख्या में बदलाव' कुछ खास नहीं होगा लेकिन इसने डेमोक्रेट्स के अंदर उत्साह जरूर पैदा किया है।
'इंडियन अमेरिकन एटीट्यूड्स सर्वे'(आईएएएस) का आयोजन पिछले महीने पोलिंग ऑर्गनाइजेशन यूजीओवी और कानेर्गी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस और जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और अध्ययन से जुड़े पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में किया गया था।
आईएएएस पोल ने पिछले महीने जारी एशियन अमेरिकन वोटर सर्वे (एएवीएस) में 65 प्रतिशत की तुलना में बाइडन को सात प्रतिशत अधिक समर्थन दिखाया और ट्रंप को एएवीएस में दर्शाए 28 प्रतिशत के मुकाबले 6 प्रतिशत कम समर्थन दर्शाया।
आईएएएस पोल के कानेर्गी विश्लेषण ने कहा कि इसने और एएवीएस दोनों ने दिखाया कि 54 प्रतिशत एशियाई भारतीयों को डेमोक्रेट समर्थक के रूप में पहचाना जाता है, जबकि 57 प्रतिशत इसके सदस्यों के रूप में पंजीकृत हैं, और 16 प्रतिशत रिपब्लिकन के रूप में पहचाने जाते हैं, जिनमें से 13 प्रतिशत पार्टी सदस्य के रूप में पंजीकृत हैं।
39 प्रतिशत से अधिक भारतीय-अमेरिकियों ने बताया कि डेमोक्रेटिक पार्टी भारत-अमेरिका संबंधों पर बेहतर काम करती है, जबकि 18 प्रतिशत ने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी बेहतर है।
विश्लेषण में कहा गया है कि यह डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए उनकी मूल प्राथमिकताओं को अच्छी तरह से दर्शा सकता है।
इसने कहा कि 21 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकियों ने कोविड -19 महामारी प्रभावित अर्थव्यवस्था को शीर्ष मुद्दे के रूप में चुना और स्वास्थ्य संबंधी समस्या 20 प्रतिशत के लिए मुख्य मुद्दा है। (आईएएनएस)
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
भारतीय सेना ने उसके खिलाफ चार युद्ध लडऩे वाली पाकिस्तानी सेना के एक मृत अधिकारी की कब्र का जीर्णोद्धार किया है। पाकिस्तानी सेना के एक अलंकृत मेजर की यह कब्र कश्मीर के नौगाम सेक्टर में है।
भारतीय सेना ने दावा किया है कि उसने कश्मीर में पाकिस्तानी सेना के एक अलंकृत अधिकारी की टूटी हुई कब्र की मरम्मत कर उसे फिर से पहले जैसा बनवा दिया है। यह जानकारी सेना के श्रीनगर स्थित चिनार कोर इकाई ने दी। सेना के अनुसार नौगाम सेक्टर में स्थित यह कब्र पाकिस्तानी सेना के मेजर मोहम्मद शाबिर खान की है, जिन्हें पाकिस्तान में सितार-ए-जुर्रत की उपाधि से नवाजा गया था।
कब्र पर लिखी जानकारी के मुताबिक, मेजर खान पांच मई 1972 को भारतीय सेना के नौ सिख रेजिमेंट द्वारा किए गए एक जवाबी हमले में मारे गए थे। उनकी कब्र की मरम्मत की जानकारी देते हुए चिनार कोर ने ट्वीट किया, एक सिपाही, चाहे वो किसी भी देश का हो, शहादत के बाद आदर और सम्मान का हकदार होता है।
सितारा-ए-जुर्रत पाकिस्तान का तीसरा सबसे प्रतिष्ठित सैन्य पुरस्कार है, जो बहादुरी या लड़ाई में विशिष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है। पाकिस्तान ने अभी तक इस अधिकारी की कब्र के कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा मरम्मत किए जाने की पुष्टि नहीं की है. दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के खिलाफ कम से कम चार युद्ध और कई छोटी लड़ाइयां लड़ चुकी हैं। 1972 दोनों देशों के बीच तुलनात्मक रूप से शांति का साल था।
1971 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें भारतीय सेना विजयी रही थी और भारतीय सेना और सरकार की कोशिशों की वजह से पूर्वी पाकिस्तान की जगह एक नए देश बांग्लादेश की स्थापना हुई थी। 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसे शिमला समझौते के नाम से जाना जाता है। इसी समझौते के तहत दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा पर सहमति हुई थी।
हालांकि यह समझौता दोनों देशों के बीच लंबे समय तक शांति और मैत्री की स्थापना सुनिश्चित कर पाया। दोनों देशों के आपसी रिश्ते जल्द ही बिगडऩे लगे और 1999 में एक बार फिर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ, जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है।
पाकिस्तान में आजकल चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को चीज पिज्जा इकोनॉमिक कॉरिडोर कहा जा रहा है। इसके अलावा पाकिस्तानी सोशल मीडिया में इन दिनों 'बाजवा पापा जॉन पिज्जा' को लेकर खासा मजाक बन रहा है। 'बाजवा पापा जॉन' दरअसल ले.जनरल (रिटायर्ड) आसिम सलीम बाजवा हैं जो पिछले दो महीनों से अरबों डॉलर की धांधली की वजह से सुर्खियों में हैं।
दो दिन पहले ही छोटा बाजवा कहे जाने वाले ले.जनरल (रिटायर्ड) बाजवा ने प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सलाहकार के पद से एक बार फिर इस्तीफा दिया और इस बार इमरान खान के पास इसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। लेकिन वह 62 अरब डॉलर वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के चेयरमैन के पद पर जमे हुए हैं।
बड़े बाजवा यानी पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा यही चाहते थे। पाकिस्तानी आर्मी की निष्ठा और ईमानदारी पर जब उंगली उठ रही हो तब बड़े बाजवा क्या करें? खासकर, जब सारा विपक्ष एकजुट होकर छोटा बाजवा के साथ-साथ इमरान खान से भी इस्तीफे की मांग को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन करने जा रहा हो। छोटा बाजवा ने प्रधानमंत्री के सलाहकार के पद से इस्तीफा दिया है। 11 विपक्षी दलों के संगठन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट का आरोप है कि बाजवा के खानदान की अरबों की कमाई में सीपीईसी का भी पैसा है। पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम, दामाद, भाई और पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ दूसरी पार्टियों के नेताओं को भ्रष्टाचारों के आरोपों में या तो देशद्रोही करार दिया गया है या जेल में बंद कर रखा है। जबकि छोटे बाजवा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
नवाज शरीफ की बेटी और उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग की नेता मरियम नवाज शरीफ का आरोप है कि इमरान खान की हिम्मत नहीं है कि वह भ्रष्टाचार में डूबे जनरलों के खिलाफ कुछ करें। मरियम ने कहा, "सलाहकार के पद से इस्तीफा काफी नहीं, बाजवा को सीपीईसी से भी इस्तीफा देना पड़ेगा। उनके खिलाफ उसी तरह जांच हो जैसा सलूक नवाज शरीफ और दूसरे नेताओं के साथ हो रहा है। इमरान खान को भी इस्तीफा देना पड़ेगा।"
अब तो पाकिस्तान की जनता मानने लगी है उनकी (देशभक्त) फौज भी उतनी ईमानदार नहीं है। उनके रहनुमा जनरलों की करतूतों का रोज खुलासा हो रहा है। बड़े बाजवा ने पाकिस्तानी मीडिया पर तो पाबंदी लगा दी थी लेकिन पाकिस्तान के बाहर से चल रहे डिजिटल मीडिया का क्या करें? छोटे बाजवा ने अपने हलफनामे में कहा था कि उनकी पारिवारिक कंपनी में उनका और उनकी पत्नी का कोई हिस्सा नहीं है। लेकिन बेवसाइट फैक्ट फोकस की ताजा रिपोर्ट में अमेरिकी सरकार के दस्तावेजों के हवाले से कहा गया है कि बाजवा परिवार की कुछ अमेरिकी कंपनियों में ले.जनरल बाजवा की पत्नी फारुख जेबा भी हिस्सेदार हैं।
इसके साथ ही अमेरिका में उनके नाम पर 13 रिहायशी बंगले और दो शॉपिंग मॉल हैं, जिसकी कीमत करीब 60 लाख अमेरिकी डॉलर बताई जा रही है। जाहिर है इतनी बड़ी रकम सिर्फ किसी निवेश से तो कमाई नहीं जा सकती। पाकिस्तानी जानकारों का मानना है कि इसमें सीपीईसी का भी हिस्सा हो सकता है। इतनी धांधलियों के बावजूद क्यों बाजवा अभी तक सीपीईसी में बने हुए हैं? इस सवाल का जवाब बड़े बाजवा यानि पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ही दे सकते हैं, जिन्होंने छोटे बाजवा को सीपीईसी के चेयरमैन के पद पर बिठाया था।
चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का करार चीन और पाकिस्तान के बीच हुआ था और पाकिस्तान की सरकार इसे गेमचेंजर कहती रही है। लेकिन नवाज शरीफ की बर्खास्तगी के बाद जब इमरान खान प्रधानमंत्री बने तबसे पाकिस्तान की सिविल सरकार नहीं, बल्कि पाकिस्तानी आर्मी इस प्रोजेक्ट की कर्ता-धर्ता बन गई। इसके मद्देनजर पाकिस्तानी पार्लियामेंट में सीपीईसी बिल-2020 को कानूनी जामा पहना दिया गया। पाकिस्तानी पार्लियामेंट, सरकार और मीडिया इसके बारे में कोई सवाल नहीं उठा सकती है। एक तरह से कहा जा सकता है कि सीपीईसी का मसला पाकिस्तानी आर्मी और चीन की सरकार के बीच हो गया है। पाकिस्तानी जानकारों को आपत्ति इसी बात से है कि "आखिर यह कैसे हो सकता है..करार दो देशों की सरकारों के बीच हुआ था, आर्मी बीच में कैसे आ गई। कैसे कंट्रोल पाकिस्तान की सरकार के पास नहीं होकर आर्मी चीफ के पास है।"
पिछले साल जब आर्मी चीफ बड़े बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान चीन के बुलावे पर बीजिंग गए थे, तब चीन के विदेशमंत्री ने सीपीईसी प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर दोनों को आड़े हाथों लिया था। इमरान खान के वित्तीय सलाहकार अब्दुल रजाक दाऊद ने उस दौरान बयान दिया था, सीपीईसी भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है, यह पाकिस्तान के हित में नहीं है। चीन को पता है कि बलूचिस्तान में किस तरह विरोध हो रहा है। यह प्रोजेक्ट अगर पूरा भी हो जाता है तो इसका उद्देश्य कभी पूरा नहीं होगा। चाइना को मालूम है कि प्रोजेक्ट पर लगने वाला पैसा तो सिर्फ इसकी सुरक्षा में जा रहा है, निर्माण में नहीं।
यह अलग बात है कि कुछ दिनों बाद रजाक अपने बयान से मुकर गए। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। चीन ने प्रोजेक्ट का जिम्मा बाजवा को सौंप दिया। इमरान देखते रह गए। कर भी क्या सकते थे? विपक्षी दलों के संगठन पीडीएम के मुताबिक इमरान खान तो महज फौज की कठपुतली हैं। चुनावों में धांधली कर उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया है। पाकिस्तान डेमोक्रेटक मूवमेंट ने इमरान खान के इस्तीफे के लेकर आंदोलन छेड़ दिया है। लेकिन उनका रुख पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ थोड़ा नरम है। उनका कहना है कि वो आर्मी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि आर्मी के बाजवा जैसे जनरलों के खिलाफ हैं, जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ जांच हो और जब तक जांच पूरी न हो, उनका पद पर बने रहना पाकिस्तानी आर्मी की छवि के लिए सही नहीं।
उधर पाकिस्तान का 'सभी मौसमों वाला दोस्त' चीन भी इन खबरों से परेशान है। सीपीईसी के पहले चरण का काम ही कई वजहों से रुका पड़ा है और बजट बढ़कर 87 अरब डॉलर तक जा पहुचा है। इसके बाद अभी तीन चरणों का काम बाकी है।
करार के मुताबिक, बजट का 90 फीसद खर्च पाकिस्तान के नाम पर कर्ज है, जो चीन ने देने का वादा किया है। लेकिन अब चीन का हाथ तंग है। पाकिस्तान के खैबर पख्तून राज्य की असेंबली ने भी अपने क्षेत्र में हो रहे सीपीईसी के काम को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पाकिस्तानी मामलों के जनकारों के मुताबिक, यह अरबों डॉलर का प्रोजेक्ट नहीं, खरबों डॉलर का कर्जा होगा जिसे पाकिस्तान को चुकाना है। सीपीईसी का फंदा पाकिस्तान के गले पड़ चुका है जिसे यहां की जनता को चुकाना होगा।
(यह आलेख इंडिया नैरेटिव के सौजन्य से)
--आईएएनएस
वाशिंगटन 16 अक्टूबर (स्पूतनिक) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश के विभिन्न प्रांतों में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कई गवर्नरों की ओर से लगाए गए लॉकडाउन को असंवैधानिक करार दिया है।
श्री ट्रम्प ने गुरुवार को टाउन हॉल की एक बैठक के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा, “ तथ्य यह है कि हम कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं लेकिन विभिन्न प्रांतों के गवर्नर जो कर रहे हैं वह असंवैधानिक है, मैं मानता हूं कि वे राजनीतिक कारणों से ऐसा कर रहे हैं।”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद मास्क पहनने को लेकर उनकी राय में कोई बदलाव नहीं आया है। वह अब भी इस बात पर कायम हैं कि लोग मास्क पहनें अथवा नहीं यह लोगों पर ही निर्भर करना चाहिए।
इसी बीच, राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन ने पुलिस के बजट में कटौती करने के प्रस्ताव को गलत ठहराते हुए कहा है कि पुलिस की संख्या अधिक होने से अपराध कम होगा।
श्री बिडेन ने कहा कि वह एक समूह बनायेंगे पुलिस अधिकारियों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी होंगे जो मिलकर सामुदायिक स्तर पर सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से गंभीर रूप से जूझ रहे अमेरिका में इसके संक्रमण से 2.17 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
अमेरिका में यह महामारी विकराल रूप ले चुकी है और अब तक 79 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2,17,745 पहुंच गयी है जबकि संक्रमितों की संख्या 79 लाख काे पार कर 79,74,502 हो गयी है।
इस्लामाबाद 16 अक्टूबर (स्पूतनिक) पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से में हुए दो अलग-अलग आतंकवादी हमलों में कम से कम 20 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गयी।
पाकिस्तान के दैनिक समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने गुरुवार देर रात अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
रिपोर्ट के मुताबिक पहला हमला पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर जिले में हुआ जबकि दूसरा हमला खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के उत्तरी वज़ीरिस्तान जिले में हुआ। उत्तरी वज़ीरिस्तान के रजमाक क्षेत्र में एक आईईडी विस्फोट हुआ जिसमें एक अधिकारी समेत छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गयी।
जबकि बलूचिस्तान के ओरमारा शहर में आतंकवादियों ने तेल एवं गैस विकास कंपनी लिमिटेड के एक काफिले पर हमला कर दिया जिसमें 14 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गयी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इन हमलों की निंदा करते हुए मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की है।
वाशिंगटन, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| एक नए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाता इस बात से प्रभावित नहीं होंगे कि वे डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन को इसलिए चुनें, क्योंकि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहीं कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं। इसी तरह वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच के रिश्ते से भी अप्रभावित रहेंगे। अमेरिकन बाजार की बुधवार की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन अमेरिकन एटिट्यूड्स सर्वे 2020 (आईएएएस) में इस पर भी फोकस किया गया कि ट्रंप-मोदी की दोस्ती होने के कारण बाइडेन प्रशासन अमेरिका-भारत संबंधों का प्रबंधन कैसे कर पाएगा।
अभी अमेरिका के सभी पंजीकृत मतदाताओं का केवल 1 फीसदी भारतीय-अमेरिकी समुदाय का है।
डेटा में दिखाया गया है कि भारतीय-अमेरिकियों का जुड़ाव डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ है। इसके अलावा भारतीय-अमेरिकी इस चुनावी चक्र में अमेरिका-भारत संबंधों को एक कम प्राथमिकता वाले मुद्दे के रूप में देखते हैं और वे स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था जैसे राष्ट्रीय मुद्दों को अधिक तवज्जो देते हैं।
पोल के अनुसार, 72 प्रतिशत पंजीकृत भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं ने बिडेन को वोट देने की योजना बनाई है, वहीं ट्रंप को केवल 22 प्रतिशत ने। यहां तक कि खुद को निर्दलीय कहने वाले भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं ने भी बाइडेन को ही वोट देने का फैसला किया है।
डॉयचे वैले पर ईशा भाटिया सानन की रिपोर्ट
अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं। चुनाव में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं और ताजा सर्वे के अनुसार अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को डॉनल्ड ट्रंप की तुलना में जो बाइडेन ज्यादा पसंद आ रहे हैं।
ताजा सर्वे के अनुसार अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को ट्रंप की तुलना में जो बाइडेन ज्यादा पसंद आ रहे हैं।
बुधवार को जारी एक सर्वे के अनुसार अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के ज्यादातर लोग जो बाइडेन और कमला हैरिस की जोड़ी को वोट देंगे। 2020 इंडियन अमेरिकन एटीट्यूड सर्वे के अनुसार भारतीय मूल के 72 फीसदी वोटर बाइडेन को वोट देंगे, जबकि सिर्फ 22 फीसदी ही ट्रंप के समर्थन में हैं। बाकी बचे छह फीसदी में से तीन किसी तीसरी पार्टी को वोट करना चाहते हैं, जबकि तीन फीसदी किसी को भी वोट नहीं देना चाहते।
इस सर्वे में कुल 936 लोगों ने हिस्सा लिया। पोलिंग फर्म यूगोव ने 1 से 20 सितंबर के बीच पोलिंग कराई। ये सर्वे अमेरिका की मशहूर जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया और कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ने मिलकर कराया है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार कमला हैरिस का जो बाइडेन का जोड़ीदार होना उन्हें फायदा पहुंचा रहा है। अखबार के अनुसार बाइडेन को फ्लोरिडा, मिशिगन और पेनसिल्वेनिया राज्यों में इसका फायदा मिल सकता है। कमला हैरिस की मां भारतीय थीं और इस वजह से ना केवल अमेरिका में रहने वाले भारतीयों में, बल्कि भारत में भी वे लोकप्रिय हो रही हैं।
कमला हैरिस का जादू
सर्वे के नतीजों में भी यह बताया गया है कि 45 फीसदी लोगों ने यह माना कि वे कमला हैरिस के ही कारण वे नवंबर में वोट डालने जाने वाले हैं। शोध में कहा गया है, इस चुनाव में भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों के लिए अमेरिका और भारत के रिश्ते कम मायने रखते हैं, जबकि राष्ट्रहित के मुद्दे जैसे स्वास्थ्य व्यवस्था और अर्थव्यवस्था लोगों के लिए ज्यादा अहम है। अमेरिका की राजनीति में भारतीय मूल के लोगों का महत्त्व बढ़ रहा है। यह शोध लोगों के रवैयों में विविधता को दिखाता है और एक विस्तृत तस्वीर पेश करता है।
अमेरिका में 3 नवंबर को चुनाव होने हैं। कोरोना महामारी के बीच इस बार चुनावी रैलियां उतनी भव्य नहीं हैं जितनी आम तौर पर अमेरिका में देखी जाती हैं। महामारी को लेकर डॉनल्ड ट्रंप का रुख भी इस चुनाव की दिशा को निर्धारित करेगा। अमेरिका और भारत दोनों ही कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित देश हैं। जहां आधिकारिक रूप से अमेरिका में अब तक 80 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं, वहीं भारत में यह संख्या 73 लाख है। अमेरिका में दो लाख से ज्यादा लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं, वहीं भारत में यह आंकड़ा लगभग आधा है।
अंकारा, 15 अक्टूबर| तुर्की में 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारियों का कोरोनावायरस परीक्षण पॉजिटिव आया है। देश के स्वास्थ्य मंत्री फहार्टिन कोका ने यह जानकारी दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कोका ने बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि अब तक इस घातक वायरस के कारण 107 स्वास्थ्य पेशेवरों की जान जा चुकी है।
कोका ने कहा, "हाल ही में स्वास्थ्य पेशेवरों की मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है।"
बुधवार को तुर्की में 1,671 नए कोविड-19 मामले और 57 मौतें दर्ज की हैं। जिसके बाद यहां मामलों की कुल संख्या 3,40,450 और मृत्यु संख्या 9,014 हो गई है।
तुर्की के स्वास्थ्य पेशेवरों ने पिछले 24 घंटों में 1,15,328 परीक्षण किए, जिसके बाद परीक्षणों की कुल संख्या 11,961,670 हो गई। वहीं अब तक कुल 2,98,368 लोग ठीक हो चुके हैं।
तुर्की में 11 मार्च को पहला मामला दर्ज हुआ था। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 15 अक्टूबर | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन की आलोचना करने वाले न्यूयॉर्क पोस्ट के लेख को प्रतिबंधित करने पर फेसबुक और ट्विटर को फटकार लगाई है। न्यूयॉर्क पोस्ट ने बुधवार को ईमेल्स का हवाला देते हुए खबरों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी, जिन्हें कथित तौर पर बाइडन के बेटे ने भेजा था।
एनपीआर डॉट ओआरजी की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूयॉर्क पोस्ट की खबरों में दावा किया गया है कि उन्हें यह मेल ट्रंप के निजी वकील रूडी गिउलिआनी और ट्रंप के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन से मिले हैं।
क्राउडटेंगल के आंकड़ों के अनुसार, फेसबुक ने इस खबर को फैलने से रोक दिया है, जबकि इसे कुछ ही देर में लगभग 6 लाख बार फेसबुक पर लाइक और शेयर किया गया और इस पर कमेंट किए गए थे।
वहीं ट्विटर ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए उपयोगकर्ताओं को न्यूयॉर्क पोस्ट की स्टोरी के मेल की तस्वीरें या लिंक को पोस्ट करने से रोक दिया। साथ ही हवाला दिया कि "हैकिंग के जरिए प्राप्त की गईं निजी जानकारी वाली सामग्री को साझा करना हमारे नियमों के खिलाफ है।"
ट्विटर ने कहा कि "लेखों में शामिल चित्रों में व्यक्तिगत और निजी जानकारी दी गई है - जैसे ईमेल पते और फोन नंबर आदि। ऐसी जानकारियों को साझा करना हमारे नियमों का उल्लंघन करना है।"
हालांकि, ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने स्वीकार किया कंपनी का इसे प्रतिबंधित करने को लेकर किया गया संवाद सही नहीं था।
उन्होंने ट्वीट किया, "न्यूयॉर्क पोस्ट लेख को लेकर उठाए गए हमारे कदम के बारे में संचार बहुत अच्छा नहीं था। वहीं ट्वीट या डायरेक्ट मैसेज के जरिए यूआरएल साझा करने से रोकना अस्वीकार्य है।"
फेसबुक और ट्विटर की कार्रवाई से अमेरिका में राजनीतिक तूफान मच गया। इसे लेकर ट्रंप ने ट्वीट किया कि यह "इतना भयानक था कि फेसबुक और ट्विटर को इस कहानी पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।"
बता दें कि ट्विटर और फेसबुक चुनाव से संबंधित झूठे दावों और हेरफेर को लेकर खबरें प्रसारित करने को रोकने के लिए खासे आक्रामक तरीके से काम कर रहे हैं।
(आईएएनएस)
बीजिंग, 14 अक्टूबर | अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 13 अक्तूबर को 'विश्व आर्थिक आउटलुक' रिपोर्ट जारी की, जिसमें अनुमान लगाया गया कि वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी, लेकिन चीनी अर्थव्यवस्था में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो दुनिया भर में एक मात्र सक्रिय वृद्धि प्राप्त प्रमुख आर्थिक समुदाय है। रिपोर्ट में कहा गया कि आर्थिक बहाली के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी से धीरे-धीरे निकल आई है। एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में चीन की मदद से वैश्विक व्यापार की बहाली जून महीने से ही शुरू हुई। लेकिन कुछ क्षेत्रों में महामारी के फैलाव की गति तेज हो रही है, कुछ आर्थिक समुदायों ने अगस्त से ही आर्थिक बहाली को धीमा किया।
विस्तृत रूप से देखा जाए, तो इस वर्ष विकसित आर्थिक समुदायों की 5.8 प्रतिशत की गिरावट होगी, उभरते बाजार और विकासशील आर्थिक अर्थव्यवस्थाओं की 3.3 प्रतिशत की कमी आएगी। अमेरिका की 4.3 प्रतिशत, यूरो क्षेत्र की 8.3 प्रतिशत, जापान की 5.3 प्रतिशत की गिरावट होगी। वहीं भारत की अर्थव्यवस्था में 10.3 प्रतिशत की कमी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि चीन दुनिया भर में एक मात्र सक्रिय आर्थिक वृद्धि वाली प्रमुख आर्थिक इकाई है। आईएमएफ के अनुमान के अनुसार, इस वर्ष चीन की आर्थिक वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत होगी, जो गत जून में अनुमान से 0.9 प्रतिशत बढ़ाया गया। आने वाले वर्ष 2021 में चीनी आर्थिक वृद्धि जारी होगी, जो 8.2 प्रतिशत का अनुमान है।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि वैश्विक आर्थिक पुनरुत्थान लम्बा समय होगा, असंतुलित और अनिश्चित भी होगा। उन्होंने दुनिया भर में विभिन्न आर्थिक समुदायों से समय से पहले अपनी राजकोषीय और मौद्रिक सहायता नीतियों को वापस न लेने की अपील की, ताकि लगातार आर्थिक बहाली को सुनिश्चित किया जा सके।
-- आईएएनएस
दुबई, 14 अक्टूबर | सऊदी अरब में रहने वाली दो युवतियों को भारत सरकार की ओर से पासपोर्ट जारी न हो पाने के कारण मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यह युवतियां एक भारतीय मूल के पिता और पाकिस्तानी मूल की मां की संतान हैं। युवतियों का कहना है कि उन्हें निलंबित एनिमेशन में जीवन यापन करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास अपने पैतृक घर जाने के लिए वैध कागजात की कमी है।
युवतियों का कहना है कि वे अपने पैतृक घर इसलिए नहीं जा पा रही हैं, क्योंकि भारत सरकार की ओर से उनके पासपोर्ट जारी नहीं किए गए हैं।
उन्होंने 2011 में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था।
गल्फ न्यूज को लिखे गए एक ईमेल में 28 साल की महरोज और उनसे एक साल छोटी उनकी बहन ने कहा, "हमारा जीवन फंसा हुआ है, हम एक सामान्य काम या एक सामान्य जीवन नहीं जी सकते।"
भारतीय-पाकिस्तानी दंपति की बेटियों ने कहा कि वे एक तरह से 'स्टेटलेस' हैं।
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ईमेल में अपनी कहानी का वर्णन करते हुए महरोज ने लिखा कि उनके पिता भारतीय, जबकि मां पाकिस्तानी हैं।
उन्होंने कहा कि उनका परिवार लगभग 60 वर्षों से दुबई में रह रहा है। महरोज ने लिखा, "मेरे दादा, दादी और पिता अब मर चुके हैं और दुबई में दफन हैं। मेरी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई है, हम तीनों ही दुबई में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं।"
उन्होंने कहा कि जब वह 15 वर्ष की थी, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई।
महरोज ने कहा, "जब हम छोटे थे, हमें अपनी मां के पासपोर्ट पर भारत आने की अनुमति दी गई थी। हमारे पिता जब जीवित थे, तब वे सब कुछ संभाल रहे थे। उनके देहांत के बाद, जब हमने स्कूल खत्म किया तो हमें नए पासपोर्ट बनवाने थे, क्योंकि नियम बदल गए थे।"
उन्होंने कहा कि वे भाई-बहन भारतीय पासपोर्ट पाने के इच्छुक हैं।
महरोज ने कहा, "मेरे दो छोटे भाई-बहनों और मेरे पास पासपोर्ट नहीं हैं, इसलिए हमने भारतीय पासपोर्ट के लिए भारतीय वाणिज्य दूतावास से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि पिता ने हमारे जन्म के एक साल के भीतर हमें पंजीकृत नहीं कराया। वर्षों की कोशिश और अनुरोध के बाद हमें पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास से यह शपथपत्र लाने के लिए कहा गया कि हम पाकिस्तानी पासपोर्ट के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि मामला 2011 में स्वीकार कर लिया गया था और सभी संबंधित दस्तावेज और फॉर्म भर दिए गए थे।
महरोज ने फोन पर बताया, "वाणिज्य दूतावास ने हमें भारत भेजा। इस समय तक, मैं 19 साल की हो गई थी और मेरी बहन 18 साल की होने जा रही थी। भारत में हमारे रिश्तेदारों से संपर्क किया गया, सब कुछ जांचा गया और मेरे भाई को भारतीय पासपोर्ट जारी किया गया, क्योंकि तब उसकी उम्र 18 साल से कम थी। मेरी बहन और मुझे नए फॉर्म भरने के लिए कहा गया था और तब तक हम दोनों ही 18 साल से अधिक की हो चुकी थीं।"
उन्होंने बताया, "इसके बाद इन्हें भारतीय वाणिज्य दूतावास ने भारत भेजा और हमसे कहा कि आप वाणिज्य दूतावास न आएं और हम ईमेल के माध्यम से ही सूचित करेंगे। 2011 से अब तक जब भी हम इसके बारे में पूछते हैं तो भारतीय वाणिज्य दूतावास कहता है कि वे अभी भी भारत के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।"
महरोज ने फोन पर कहा, "अब नौ साल से अधिक समय बीत चुका है। मैं अब 28 साल की हूं और मेरी बहन 27 साल की होने वाली है। हमारा जीवन फंसा (अटका) हुआ है। हम एक सामान्य काम नहीं कर सकते हैं या एक सामान्य जीवन नहीं जी सकते, क्योंकि हम स्टेटलेस हैं।"
उन्होंने कहा कि वे दोनों बहनें स्वतंत्र रूप से घूम नहीं सकतीं, क्योंकि उनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं। महरोज ने कहा, "हमारी शिक्षा प्रभावित हुई है। हम शादी भी नहीं कर सकते।"
महरोज ने कहा, "यह बहुत कष्टप्रद और निराशाजनक है। हमारे पिता और भाई भारतीय हैं। इसलिए हम भारतीय अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे हमें पासपोर्ट जारी करें, ताकि हमारा जीवन आगे बढ़ सके। हम बस उम्मीद करते हैं कि यहां की सरकार भी हमें अपनी स्थिति को सुधारने की अनुमति दें और जल्द से जल्द इसके लिए हमें एक पासपोर्ट जारी करें।"
संपर्क करने पर, दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने गल्फ न्यूज को सूचित किया कि इन युवतियों का अनुरोध अभी भी भारत में गृह मंत्रालय (एमएचए) के पास लंबित है, जो नागरिकता देने के लिए नोडल प्राधिकरण है।
--आईएएनएस
न्यूयॉर्क, 14 अक्टूबर| एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस सार्स-कोव-2 से संक्रमित होने के बाद मरीजों के शरीर में विकसित हुई एंटीबॉडी के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कई महीनों तक बनी रहती है। इस बात का प्रमाण मरीजों के शरीर का बढ़ना है। 'इम्यूनिटी' जर्नल में प्रकाशित तथ्यों को पाने के लिए अमेरिका में भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व वाली शोध टीम ने करीब 6,000 लोगों के नमूने से एंटीबॉडी के प्रोडक्शन का अध्ययन किया।
अमेरिका में एरिजोना विश्वविद्यालय से शोध लेखिका दीपा भट्टाचार्य ने कहा, "हम स्पष्ट रूप से उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडीज को अभी भी सार्स-कोव-2 संक्रमण के पांच से सात महीने बाद प्रोड्यूस होता देख रहे हैं।"
जब एक वायरस पहली बार कोशिकाओं को संक्रमित करता है, तो इम्यूनिटी सिस्टम अल्पकालिक प्लाज्मा कोशिकाएं तैयार करता है, जो वायरस से तुरंत लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं। संक्रमण के 14 दिनों के भीतर रक्त में वह उत्पादित एंटीबॉडी दिखाई देते हैं।
इम्यून प्रतिक्रिया के दूसरे चरण में लंबे समय तक रहने वाले प्लाज्मा कोशिकाओं का निर्माण होता है, जो उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं जो एक स्थायी इम्यूनिटी प्रदान करते हैं।
शोध टीम ने कोविड-19 से संक्रमित होने वाले लोगों पर कई महीनों में एंटीबॉडी के स्तर को ट्रैक किया।
उन्होंने पाया कि सार्स-कोव-2 एंटीबॉडी कम से कम पांच से सात महीनों के लिए रक्त टेस्ट में मौजूद हैं, हालांकि उनका मानना है कि प्रतिरक्षा बहुत लंबे समय तक रहती है।
इससे पहले प्रारंभिक संक्रमणों से अतिरिक्त एंटीबॉडी उत्पादन को लेकर शोध किया गया था, जिसमें पाया गया था कि संक्रमण के बाद एंटीबॉडी का स्तर जल्दी गिर जाता है और वह अल्पकालिक इम्यूनिटी प्रदान करता है।
शोध टीम का मानना है कि उन निष्कर्षो पर अल्पकालिक प्लाज्मा कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था और वे लंबे समय तक रहने वाले प्लाज्मा कोशिकाओं और उनके द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी को ध्यान में रखने में असफल रहे।
भट्टाचार्य ने कहा, "हमने जिन संक्रमित व्यक्तियों पर अध्ययन किया है, वे पिछले सात महीनों पहले संक्रमित हुए थे, इसलिए यह सबसे लंबी अवधि है, ऐसे में हम इम्यूनिटी क्षमता की पुष्टि कर सकते हैं।"
भट्टाचार्य ने आगे कहा, "हम जानते हैं कि जो लोग पहले सार्स कोरोनावायरस से संक्रमित थे, जो कि सार्स-कोव-2 के समान वायरस है, उनमें संक्रमण के 17 साल बाद भी इम्यूनिटी देखी जा रही है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर| अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा की गई भविष्यवाणी के बाद सोशल मीडिया में चर्चा शुरू हो गई है कि 2020 में बांग्लादेश प्रति व्यक्ति जीडीपी में भारत से आगे निकल जाएगा। जैसे ही भारत की विकास दर में गिरावट आएगी वह प्रति व्यक्ति जीडीपी में बांग्लादेश से पीछे हो जाएगा। हालांकि आईएमएफ ने यह भी कहा है कि अगले साल भारत में इसमें बढ़ोतरी होगी।
मंगलवार को जारी हुई आईएमएफ की वर्ल्ड इकॉनॉमिक रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2021 को समाप्त होने वाले इस वित्तीय वर्ष में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी में 10.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इससे भारत दक्षिण एशिया का तीसरा सबसे गरीब देश बन जाएगा, जो गरीबी के मामले में केवल पाकिस्तान और नेपाल से पीछे होगा।
अब बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और मालदीव की भारत की तुलना में प्रति व्यक्ति जीडीपी अधिक होगी।
डॉलर के लिहाज से देखें तो बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2020 में 4 फीसदी बढ़कर भारत की 1,877 से बढ़कर 1,888 डॉलर हो जाने की उम्मीद है।
इन आंकड़ों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा, "बीजेपी के नफरत भरे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की 6 साल की ठोस उपलब्धि बांग्लादेश भारत को पछाड़ने के लिए तैयार है।"
वहीं शेयर बाजार विशेषज्ञ और एनम होल्डिंग्स के निदेशक मनीष चोखानी ने ट्वीट किया, "आज का विशेष। हमारे दोनों पड़ोसी आगे बढ़ रहे हैं। हम उन्हें शुभकामना देते हैं और उम्मीद करते हैं कि हमारी उपलब्धियां हमारी आकांक्षाओं को पूरा करेंगी!
चोखानी ने एक क्लिप भी साझा की, जिसमें दिखाया गया है कि भारत और चीन की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और शेयर बाजारों को बांग्लादेश ने पीछे छोड़ दिया। अपने इस ट्वीट में उन्होंने व्यापार और शेयर बाजार के लीडर्स समीर अरोड़ा, नीलेश शाह, आनंद महिंद्रा, हर्ष गोयनका और हर्ष मारिवाल को टैग किया है।
बता दें कि 5 साल पहले तक भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी बांग्लादेश से 40 फीसदी अधिक थी। पिछले 5 वर्षों में बांग्लादेश की ग्रोथ रेट भारत से तीन गुना बड़ी हो गई है। भारत की 3.2 प्रतिशत की तुलना में बांग्लादेश की दर 9.1 प्रतिशत हो गई है। (आईएएनएस)
मैक्सिकन सांसद एंटोनियो गार्सिया ने संसद में अपने कपड़े उतार दिए और कहा- आपको मुझे नग्न देखने में शर्म आती है, लेकिन आपको अपने देश को नग्न, नंगे, हताश, बेरोजगार और भूखे देखकर शर्म नहीं आती है जिसका पैसा आपने छीन लिया है, लूट लिया है और चोरी कर लिया है ताकि आपका परिवार आनंद लें।
इस सांसद ने ऐतिहासिक ऊर्जा निजीकरण बिल विधेयक का विरोध करने के लिए मतदान से पहले अपने कपड़े उतारकर विरोध प्रदर्शन किया। विरोध करने वाले सांसद एंटोनियो गार्सिया वामपंथी डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशन पार्टी से सांसद हैं। विरोध प्रदर्शन के समय वह केवल अंडरवियर पहने हुए थे। गार्सिया ने अंडरवियर पहनकर ही विधेयक पर बहस में हिस्सा लिया। गार्सिया की अपनी प्रतिद्वंदी सांसदों के साथ झड़प भी हुई थी। जिसमें उन्हें कुछ खरोंचे आई थीं। उसके बाद उन्हें अस्पताल भेजा गया।
सैन फ्रांसिस्को, 14 अक्टूबर। ट्विटर ने अेमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ब्लैक समर्थकों और उनके दोबारा चुने जाने के कैंपेन वाले कई अकाउंट को अपने प्लेटफार्म के नियम तोड़ने के लिए सस्पेंड कर दिया है। वाशिंगटन पोस्ट में बुधवार को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, क्लेमसन यूनिवर्सिटी के सोशल मीडिया रिसर्चर डेरेन लिनविल ने पाया कि इस तरह के दो दर्जन से ज्यादा अकाउंट सक्रिय हैं। इनमें से कई अपने ट्वीट में एक ही तरह की भाषा का प्रयोग किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, "कई के काफी सारे फोलोवर्स हैं और सभी को अब सस्पेंड कर दिया गया है।"
दो दर्जन से ज्यादा समान अकाउंट वाले नेटवर्क ने 265,000 रिट्वीट जेनरेट किए।
इनमें से कई अकाउंट ने अपने प्रोफाइल पिक्चर में ब्लैक आदमी की तस्वीर का उपयोग किया था, जिसे न्यूज रिपोर्ट या किसी अन्य सूत्रों से लिया गया था।
ट्विटर के प्रवक्ता ट्रेनटन कैनेडी ने एक बयान में कहा, "हमारी टीम इस तरह की एक्टिविटी की कड़ाई से खोज कर रही है और अगर ट्वीट्स को नियमों को उल्लंघन करता पाया गया तो, नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।"
ब्लैक ट्रंप समर्थकों वाला फर्जी अकाउंट्स बीते दो महीने से अपनी गतिविधि बढ़ा रहा था। (आईएएनएस)
काबुल, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान के दक्षिणी हेलमंद प्रांत में सेना के दो हेलीकॉप्टरों के टकराने की घटना में कम से कम 15 लोगों की मौत होने की आशंका है। टोलो न्यूज के मुताबिक, प्रादेशिक राजधानी लश्कर गाह के दक्षिण-पश्चिम में नवा-ए-बरकजाई जिले में मंगलवार मध्यरात्रि को दुर्घटना हुई।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, दो पड़ोसी प्रांतों के सैकड़ों तालिबानी आतंकियों के स्थानीय आतंकवादियों से मिल जाने और लश्कर गाह को अपने कब्जे में लेने की कोशिश करने के बाद प्रांत में हाल के दिनों में भारी संघर्ष देखने को मिला है।
इससे पहले, 24 सितंबर को उत्तरी बागलान प्रांत में तकनीकी खराबी के कारण अफगान वायु सेना का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें दो पायलट मारे गए थे। (आईएएनएस)