अंतरराष्ट्रीय
रूस, 20 अगस्त। रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी को बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी प्रवक्ता का कहना है कि शायद उन्हें ज़हर दिया गया है.
भ्रष्टाचार विरोधी नेता नवेलनी विमान यात्रा के दौरान बीमार पड़ गए. उनकी प्रवक्ता किरा यरमिश के मुताबिक़ विमान को ओम्स्क में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी. उन्होंने इसकी आशंका जताई है कि उनकी चाय में कुछ मिलाया गया था.
अस्पताल का कहना है कि एलेक्सी नवेलनी की स्थिति स्थिर लेकिन गंभीर बनी हुई है. 44 वर्षीय नवेलनी राष्ट्रपति पुतिन के कड़े आलोचक माने जाते हैं.
जून में संवैधानिक सुधारों पर हुई वोटिंग को उन्होंने बग़ावत कहा था और उसे संविधान का उल्लंघन बताया था. जनमत संग्रह में जीत के बाद पुतिन और दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बने रह सकते हैं.
प्रवक्ता ने क्या कहा
एंटी करप्शन फ़ाउंडेशन की प्रेस सेक्रेटरी किरा यारमिश ने ट्वीट में लिखा है- आज सुबह नवेलनी मॉस्को से टॉम्स्क लौट रहे थे. उड़ान के दौरान वो बीमार पड़ गए. विमान ने ओम्स्क में आपातकालीन लैंडिंग की.
उन्होंने संदेह जताया कि एलेक्सी नवेलनी को चाय में ज़हर दिया गया है. क्योंकि सुबह से उन्होंने सिर्फ़ चाय ही पी थी. यारमिश ने बताया कि डॉक्टरों का कहना है कि ज़हरीला पदार्थ गर्म तरल के साथ जल्द ही घुल गया. इस समय नवलेनी बेहोश हैं.
किरा यारमिश ने बाद में ये भी ट्वीट किया है कि एलेक्सी नवेलनी अब वेंटिलेटर पर हैं और कोमा में चले गए हैं. उनका कहना है कि अस्पताल में बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी भी मौजूद हैं.
उन्होंने बताया कि डॉक्टर शुरू में किसी भी जानकारी को साझा करने के लिए तैयार थे, लेकिन अब कह रहे थे कि टेस्ट में देरी हो रही है. यारमिश का आरोप है कि डॉक्टर जान-बूझकर समय लगा रहे हैं और ये नहीं बता रहे हैं, जो उन्हें पता है.
अन्य रिपोर्टों में क्या कहा गया है
तास समाचार एजेंसी ने ओम्स इमरजेंसी अस्पताल में मौजूद अपने सूत्रों के हवाले से बताया है कि एलेक्सी नवेलनी प्वाइज़निंग इंटेंसिव केयर में हैं.
हालाँकि बाद में अस्पताल के डिप्टी हेड फ़िजिशियन अनातोली केलिनिचेन्को ने मीडिया को बाद में बताया कि ये निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि नवेलनी को ज़हर दिया गया है. उन्होंने बताया कि नवेलनी की स्थिति गंभीर है.
सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में दिखाया गया है कि हवाई अड्डे के रनवे से उन्हें एक स्ट्रेचर पर एम्बुलेंस की ओर ले जाया जा रहा है.
एक अन्य वीडियो में उन्हें फ़्लाइट के दौरान पीड़ा में दिखाया गया है. ये वीडियो काफ़ी परेशान करने वाला है.
विमान में मौजूद यात्री पावेल लेबेदेव ने कहा, "उड़ान शुरू होने से पहले वो टॉयलेट में गए और वापस नहीं आए. वो बीमार लग रहे थे. उन्हें टॉयलेट से लाया गया और वो दर्द में चिल्ला रहे थे."
सोशल मीडिया पर एक और तस्वीर में उन्हें टॉम्स्क हवाई अड्डे के कैफ़े में एक कप से कुछ पीते देखा जा सकता है.
इंटरफ़ैक्स एजेंसी का कहना है कि कैफ़े के मालिक सीसीटीवी फ़ुटेज चेक कर रहे हैं ताकि सबूत उपलब्ध कराया जा सके.
कौन हैं एलेक्सी नवेलनी
नवेलनी को आधिकारिक भ्रष्टाचार को उजागर करने के कारण सुर्ख़ियाँ मिलीं. उन्होंने पुतिन के यूनाइटेड रूस को "बदमाशों और चोरों की पार्टी" कहा. कई बार वो जेल भी गए.
वर्ष 2011 में उन्हें गिरफ़्तार किया गया और 15 दिनों के लिए जेल भेजा गया. उन्होंने पुतिन की यूनाइटेड रसिया पार्टी पर संसदीय चुनाव में वोटों में धांधली का आरोप लगाया था और विरोध प्रदर्शन भी किया था. इसी के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.
जुलाई 2013 में कुछ समय के लिए उन्हें जेल भेजा गया था. उन पर गबन के आरोप लगे थे. उन्होंने इसे राजनीतिक बताया था.
वर्ष 2018 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने की कोशिश की थी, लेकिन धोखाधड़ी के आरोपों के कारण उन पर रोक लगा दी गई. नवेलनी ने इसे राजनीतिक क़दम बताया था.
जुलाई 2019 में अनाधिकृत रूप से विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने के कारण उन्हें 30 दिन की जेल हुई थी.
जेल में ही उनकी तबियत बिगड़ गई थी. उस समय भी ये आरोप लगे थे कि उन्हें ज़हर देने की कोशिश हुई थी.
वर्ष 2017 में उन पर हमला हुआ था. उस समय उन पर एंटिसेप्टिक डाई से हमला हुआ था. इस कारण उनकी दाहिनी आँख केमिकल बर्न से प्रभावित हुई थी.
पिछले साल ही उनका एंटी करप्शन फ़ाउंडेशन को विदेशी एजेंट घोषित किया गया था. इस कारण फ़ाउंडेशन को कड़ी जाँच प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है.(BBCNEWS)
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 20 अगस्त (आईएएनएस)| अपनी मां श्यामला गोपालन द्वारा सिखाए गए मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने का वादा करते हुए कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारी को औपचारिक रूप से स्वीकार करके इतिहास रच दिया।
प्रमुख अमेरिकी पार्टी से इतने बड़े पद के लिए नामित होने वाली वे पहली भारतीय-अमेरिकी और अफ्रीकी अमेरिकी हैं।
बुधवार की रात अपने नामांकन को स्वीकार करते हुए अपने भाषण में हैरिस ने कहा कि जब उसकी मां ने उन्हें जन्म दिया होगा तो उन्होंने शायद उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि मैं आपके सामने ये शब्द बोलने के लिए खड़ी होऊंगी कि "मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद के लिए आपका नामांकन स्वीकार करती हूं।"
इस दौरान हैरिस ने कहा, "एक और महिला हैं, जिनका नाम लोग नहीं जानते हैं, जिनकी कहानी साझा नहीं की गई है। जिनके कंधे की दम पर मैं खड़ी हूं, वह मेरी मां श्यामला गोपालन हैरिस हैं।"
हैरिस ने कहा कि उनकी मां ने उन्हें और उनकी बहन माया को "हमारी भारतीय विरासत को जानना और उस पर गर्व करना" और "मजबूत काली महिला होने पर गर्व" करना सिखाया।
नामांकन के दौरान जो वीडियो दिखाया गया, उसमें उनकी और उनकी मां की तस्वीरें शामिल थीं। वहीं उनकी बहन माया, भानजी मीना और उनकी सौतेली बेटी ने संयुक्त रूप से उन्हें एक सुरक्षात्मक बड़ी बहन, एक आंटी के तौर पर इंट्रोड्यूज किया जो एक रोल मॉडल और प्यार करने वाली "मोमाला" हैं।
सम्मेलन वर्चुअली किया गया था। लेकिन इसे उत्साहजनक बनाने के लिए देश भर के समर्थकों की क्लिपिंग को बैकग्राउंड में एक बड़ी स्क्रीन पर प्रोजेक्ट किया गया था। इस स्क्रीन को देखकर हैरिस ने वैसे ही हाथ हिला कर अभिवादन किया, जैसे वह सम्मेलन हजारों लोगों की उपस्थिति के बीच होने पर करतीं।
अधिवेशन में कई पॉलिटिकल स्टार्स ने भाषण दिए।
फिलाडेल्फिया में म्यूजियम ऑफ अमेरिकंन्स रिवॉल्यूशन से पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हैरिस को एक ऐसे नेता के रूप में समर्थन दिया "जो इस काम के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जो यह जानती हैं कि बाधाओं को कैसे दूर किया जाता है और जिसने ऐसा कैरियर बनाया जो दूसरे अमेरिकियों को अपने सपने जीने में मदद कर सके।"
वहीं राष्ट्रपति पद की पहली प्रमुख महिला दावेदार रह चुकीं हिलेरी क्लिंटन ने श्यामला गोपालन को "असाधारण मां" कहा।
गोपालगंज के 5 प्रखंड के 88 पंचायतों में बाढ़ का पानी कहर बरपा रहा है, जिससे करीब 4 लाख की आबादी प्रभावित है। गोपालगंज जिले के पांच प्रखंडों में बाढ़ ने कहर बरपाया है लेकिन फिलहाल एक भी राहत शिविर नहीं चलाए जा रहे हैं, हालांकि 39 सामुदायिक रसोई जरूर चलाने के दावा किए जा रहे हैं।
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 20 अगस्त (आईएएनएस)| पहली अश्वेत और दक्षिण एशियाई महिला के तौर पर एक प्रमुख अमेरिकी पार्टी से उप-राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित होकर कमला हैरिस ने इतिहास रच दिया है। इस मौके पर उन्होंने अपनी मां को बहुत याद किया।
बुधवार की रात विस्कॉन्सिन के चेज सेंटर में पार्टी के नेशनल कंवेंशन में अपनी मां के बारे में उन्होंने कहा, "काश आज रात वो यहां होतीं, लेकिन मुझे पता है कि वह आज रात मुझे देख रही हैं।"
हैरिस की मां श्यामला गोपालन भारत के तमिलनाडु राज्य की थीं, उनका करीब एक दशक पहले निधन हो चुका है। लेकिन अब भी वह कमला हैरिस के जीवन में एक ताकत बनी हुई हैं।
कैलिफोर्निया की इस सीनेटर के सबसे महत्वपूर्ण भाषणों में से एक में गोपालन का जिक्र बार-बार आया।
गहरे बरगंडी रंग के पैंटसूट में सजी हैरिस ने उप-राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में इस अहम कार्यक्रम में अपना शानदार भाषण दिया। कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, पूर्व विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन, सदन के सभापति नैन्सी पेलोसी और पूर्व प्रतिनिधि गैबी गिफर्डस भी शामिल थे।
इस मौके पर हैरिस ने उन मूल्यों पर भी बात की, जो उन्हें उनकी मां ने सिखाए थे। उन्होंने कहा, "विश्वास से चलना, ना कि केवल ²ष्टि से और अमेरिकियों की पीढ़ियों के लिए एक ऐसे विजन से काम करना जो कि जो बाइडन में है।"
हैरिस के माता-पिता 1960 के दशक की शुरूआत में बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डॉक्टरेट छात्रों के रूप में मिले थे।
जमैका निवासी उनके पिता डोनाल्ड हैरिस अर्थशास्त्र और उनकी मां ने पोषण और एंडोक्रिनोलॉजी का अध्ययन किया था।
अपनी विरासत का हवाला देते हुए हैरिस ने अपने संबोधन में कहा, "मेरे सामने पीढ़ियों के समर्पण का एक वसीयतनामा है।"
अपनी उम्मीदवारी स्वीकार करते हुए उन्होंने आगे कहा, "मैं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के उप-राष्ट्रपति के पद पर आपका नामांकन स्वीकार करती हूं।"
वायरस को लेकर ट्रम्प की अव्यवस्था पर हैरिस ने कहा, "लगातार फैलाई गई अराजकता ने हमें भटकने के लिए छोड़ दिया है, यह हमें भयभीत करती है।"
कैनबेरा 20 अगस्त (वार्ता) ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कोरोना वायरस वैक्सीन को सभी के लिए अनिवार्य करने संबंधी अपनी टिप्पणी वापस ले ली।
श्री मॉरिसन ने बुधवार को कहा था कि मेडिकल आधार पर वैक्सीन लगाने पर हमेशा कुछ छूट होती है लेकिन वह किसी पुख्ता प्रमाण पर होनी चाहिए।
श्री मॉरिसन की तरफ से यह टिप्पणी दरअसल ब्रिटेन स्थित मेडिकल कामोनी आस्त्राजेनेका के साथ ऑस्ट्रेलिया सरकार के कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने को लेकर समझौते के बाद आयी थी।
उन्होंने कहा कि यदि वैक्सीन सही साबित होती है तो ऑस्ट्रेलिया में इस दवा का विनिर्माण किया जाएगा तथा उन्होंने वादा करते हुए कहा कि सभी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों में कोरोना वैक्सीन का टीका निशुल्क लगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने हालांकि अपने इस बयान के बाद सिडनी रेडियो स्टेशन पर कहा कि कोरोना वैक्सीन सभी के लिए अनिवार्य नहीं होगी और उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2021 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिआई लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन आसानी से उपलब्ध होगी।
-अपूर्व कृष्ण
पाकिस्तान में इसराइल को लेकर क्या सोच है, इसका अंदाज़ा 15 साल पहले की एक घटना से मिलता है, जिसका ज़िक्र बीबीसी की उर्दू सेवा के पूर्व संपादक आमिर अहमद ख़ान ने अपने एक लेख में किया था.
जनवरी 2005 में पाकिस्तान के एक बड़े अख़बार द न्यूज़ ने इसराइल के उप प्रधानमंत्री शिमोन पेरेज़ का इंटरव्यू किया, जिन्होंने कहा कि इसराइल और पाकिस्तान को बिना शरमाए एक-दूसरे से खुलकर संपर्क करना चाहिए.
वो छपा, और अगले ही दिन आग-बबूला एक भीड़ ने कराची में अख़बार के दफ़्तर पर धावा बोल दिया, जमकर उत्पात किया.
उनकी नाराज़गी केवल इस बात से नहीं थी कि शिमोन पेरेज़ ने ऐसा क्यों कहा, उन्हें ज़्यादा एतराज़ इस बात पर था कि अख़बार ने किसी इसराइली राजनेता को अख़बार में बोलने कैसे दिया.
कुछ ऐसे ही हालात अब भी हैं, इसराइल की छवि पाकिस्तान में कोई बहुत नहीं बदली है, और यही वजह है कि इमरान ख़ान को इसराइल के बारे में ठीक वही कहना पड़ा है जो पाकिस्तान बरसों से कहता आया है.
इमरान ख़ान ने एक टीवी चैनल पर 13 अगस्त को संयुक्त अरब अमीरात और इसराइल के बीच संबंध बहाल होने को लेकर हुई ऐतिहासिक संधि पर अपनी बात बिल्कुल साफ़ शब्दों में रखी.
उन्होंने कहा," क़ायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना ने 1948 में साफ़ कर दिया था कि हम इसराइल को तब तक मान्यता नहीं दे सकते जब तक कि फ़लस्तीनियों को उनका हक़ नहीं मिलता."
उन्होंने आगे कहा, "जो फ़लस्तीनियों की टू नेशन थ्योरी थी कि उन्हें उनका अलग देश मिले. जब तक वो नहीं होता, और हम इसराइल को मान्यता दे देते हैं तो फिर कश्मीर में भी ऐसी ही स्थिति है, तो हमें वो मुद्दा भी छोड़ देना चाहिए. इसलिए पाकिस्तान कभी इसराइल को स्वीकार कर नहीं कर सकता."
कुछ अलग कहा इमरान ख़ान ने?
पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके टीसीए राघवन कहते हैं कि 'इमरान ख़ान ने जो कहा, ये तो वो बार-बार कहते रहे हैं, इसमें नया कुछ भी नहीं है'.
इस्लामाबाद में मौजूद बीबीसी के पूर्व पत्रकार और अख़बार इंडिपेंडेंट उर्दू के संपादक हारून रशीद बताते हैं कि इमरान ख़ान ने लगभग वही बातें दोहराई हैं, जो पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने 14 अगस्त को अपनी प्रतिक्रिया में कही थी.
उन्होंने कहा, "विदेश मंत्रालय ने क़ायदे आज़म का नाम नहीं लिया था, लेकिन उन्होंने कहा था कि इस फ़ैसले के दूरगामी परिणाम होंगे पाकिस्तान का रुख़ इस बात पर निर्भर करेगा कि फ़लस्तीनियों के अधिकारों का इस इलाक़े में कितना ख़याल रखा जाता है."
कश्मीर और फ़लस्तीनियों का मुद्दा एक कैसे?
इमरान ख़ान ने अपने इंटरव्यू में ये भी कहा कि इसराइल को मान्यता देने का मतलब होगा कश्मीर मुद्दे को छोड़ देना क्योंकि दोनों मुद्दे एक हैं.
उन्होंने अपने इंटरव्यू में इसपर विस्तार से कुछ नहीं बताया, लेकिन हारून रशीद का कहना है कि उनका इशारा इस बात से था कि दोनों ही मुद्दे संयुक्त राष्ट्र के मंच पर ले जाए गए थे, और एक से पीछे हटने का मतलब होगा दूसरे मुद्दे से भी पीछे हट जाना.
कश्मीर का मुद्दा 1948 में भारत की ही पहल पर संयुक्त राष्ट्र में गया, जब आज़ादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर लड़ाई छिड़ गई.
PHOTO CREDIT: TAUSEEF MUSTAFA
तब सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव संख्या 47 पास कर, वहाँ जनमत संग्रह करवाने के लिए कहा. लेकिन दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने को लेकर मतभेद की वजह से ये नहीं हो सका.
फिर संयुक्त राष्ट्र के ही हस्तक्षेप से नियंत्रण रेखा या एलओसी तय हुई और इसके दोनों तरफ़ के इलाक़े भारत और पाकिस्तान के नियंत्रण में चले गए.
लेकिन पाकिस्तान कश्मीर की स्थिति को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बताकर इसे लगातार विवादित मुद्दा बताता रहा है.
कुछ ऐसी ही स्थिति फ़लस्तीनियों और इसराइल के बीच बरसों से चल रहे विवाद की रही है. इस इलाक़े पर 1920 से शासन करने वाले ब्रिटेन ने 1947 में यहूदियों और अरबों का विवाद सुलझाने की ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र को सौंप दी थी और तबसे लेकर संयुक्त राष्ट्र दसियों प्रस्ताव पास कर चुकी है, लेकिन मामला अभी भी नहीं सुलझ सका है.
वैसे पूर्व उच्चायुक्त टीसीए राघवन का मानना है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की चिंता अभी इसराइल या कश्मीर से ज़्यादा कुछ और है इस बयान को उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
टीसीए राघवन ने कहा,"पाकिस्तान या इमरान ख़ान की सबसे बड़ी मुश्किल अभी ये है कि यूएई और सऊदी अरब के साथ जो उनके रिश्ते हैं वो एक नाज़ुक मोड़ पर खड़े हैं. इन देशों में जो बदलाव हो रहा है उसमें पाकिस्तान कुछ भी खुलकर ना कर पा रहा है, ना बोल पा रहा है."
मुशर्रफ़ के ज़माने में दोस्ती की कोशिश
पाकिस्तान इसराइल को कितना नापसंद करता है, उसकी एक मिसाल ये भी है कि पाकिस्तान के लोग अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट पर इसराइल की यात्रा नहीं कर सकते.
लेकिन ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान और इसराइल ने दूरी को कम करने की कोशिश नहीं की.
जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के शासनकाल में पाकिस्तान ने इसराइल के क़रीब जाने के लिए क़दम बढ़ाया था.
1 सितंबर 2005 को पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख़ुर्शीद महमूद कसूरी ने इसराइल के विदेश मंत्री सिल्वन शेलोम से मुलाक़ात की थी.
PHOTO CREDIT: MUSTAFA OZER
मुलाक़ात तुर्की के इस्तांबुल शहर में हुई. ये पहला मौक़ा था जब पाकिस्तान और इसराइल के नेताओं ने कोई मुलाक़ात की थी.
ये इतना संवेदनशील मुद्दा था कि ख़ुद राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने आकर कहा कि इसका ये मतलब नहीं है कि पाकिस्तान ने इसराइल को स्वीकृति दे दी है.
पाकिस्तान सरकार ने तब स्पष्ट किया कि 'संपर्क' हुआ है ना कि 'संबंध' बने हैं.
टीसीए राघवन याद करते हैं, "जनरल मुशर्रफ़ काफ़ी आगे निकल गए थे, वो शायद इसराइल के साथ कूटनीतिक संबंधों को बहाल भी कर देते, लेकिन तब उनके देश की अंदरूनी परिस्थितियाँ बदलने लगी थीं, तो वो जोखिम नहीं उठाना चाहते थे."
2005 की उस कोशिश के बाद पाकिस्तान और इसराइल के बीच नज़दीकी को लेकर कोई ख़बर नहीं आई.
हालाँकि, दो साल पहले एक कथित इसराइली विमान के इस्लामाबाद उतरने की ख़बर आई, जिसकी काफ़ी चर्चा हुई थी.
बीबीसी उर्दू ने इसकी छानबीन की तो पता चला कि लाइव एयर ट्रैफ़िक पर नज़र रखने वाली वेबसाइट फ़्लाइट रडार पर एक विमान के इस्लामाबाद आने और 10 घंटे बाद जाने के सबूत मौजूद हैं.
हालाँकि, पाकिस्तान सरकार ने इस बात से सीधे इनकार किया था कि इसराइल का कोई विमान उनकी सीमा में आया.
हारून रशीद बताते हैं, "आज तक स्पष्ट नहीं हो सका कि वो इसराइली विमान पाकिस्तानी एयरस्पेस में कैसे आया था और किस मक़सद से आया था."
यूएई संधि के बाद अटकलें
वैसे इसराइल-यूएई संधि के बाद अटकलें लग रही हैं कि ये एक शुरुआत है और अब इसराइल से दूर रहने वाले दूसरे देश भी यही रास्ता अख़्तियार करेंगे, जिनमें बहरीन और ओमान का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है.
तो क्या इसराइल से संबंध सामान्य करने का ये सिलसिला कभी पाकिस्तान तक भी जा सकता है?
टीसीए राघवन का कहना है, "ये परिस्थितियों पर निर्भर करता है, मुशर्रफ़ काफ़ी आगे चले गए थे, तो परिस्थितियाँ बदलती हैं. हालाँकि अभी एक-दो साल में ऐसा कुछ होनेवाला है, ऐसा मुझे नहीं लगता."
हारून रशीद कहते हैं, "बुनियादी मुद्दा फ़लस्तीनियों का है, अगर उसको दरकिनार कर सरकार कोई भी फ़ैसला लेती है तो आवाम भी ख़ुश नहीं होगी और ऐसे लोग तो विरोध पर उतर ही आएँगे जिनकी रोज़ी रोटी ही आज़ादी के नारों से चल रही है."(bbc)
बीजिंग, 19 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया भर में आतंक मचा रखा है। वैक्सीन आने का इंतजार कर रहे कई देशों में लगातार संक्रमण और मौत के मामले सामने आ रहे हैं। अब तक विश्व में 2 करोड़ बीस लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि मरने वालों की तादाद 7 लाख 72 हजार से अधिक हो गयी है। वायरस की दहशत के बीच कुछ विशेषज्ञों ने हर्ड इम्यूनिटी की बात की। जिससे लगा कि शायद पहले वायरस को फैलने दीजिए और इस तरह लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो जाएगी। पहले की रिपोर्ट्स में कहा गया था कि हर्ड इम्यूनिटी के लिए कम से कम 70 फीसदी लोग वायरस से प्रभावित होने चाहिए। हालांकि अब कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि 50 फीसदी में भी हर्ड इम्यूनिटी वाले चरण में पहुंचा जा सकता है। लेकिन विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ एजेंसी डब्ल्यूएचओ ने हर्ड इम्यूनिटी का इंतजार करने या उससे वायरस पर काबू पाने जैसे दावों के खिलाफ चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक माइक रयान के मुताबिक अब तक हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंचने के लिए कोई भी आवश्यक स्तर के बारे में नहीं जानता है।
मीडिया के साथ ऑनलाइन बातचीत में उन्होंने कहा, अभी हम उस जगह पहुंचने से बहुत दूर हैं और जब तक प्रभावी वैक्सीन नहीं आ जाती है तब तक राह आसान नहीं होगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि वैश्विक आबादी के रूप में अभी हम इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक प्रतिरक्षा के स्तर के बिल्कुल भी नजदीक नहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस दावे के बाद हर्ड इम्यूनिटी की आस लगाए बैठे लोगों को मायूस होना पड़ेगा। क्योंकि हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंचने में काफी वक्त लग सकता है, तब तक न जाने कितने लोग अपनी जान गंवा चुके होंगे।
इससे पहले न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार को दिए इंटरव्यू में कई वैज्ञानिकों ने दावा किया कि हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंचने की सीमा 70 फीसदी से बहुत कम होने की संभावना है। कहा गया है कि 50 फीसदी या शायद उससे भी कम।
उधर कोविड-19 को लेकर डब्ल्यूएचओ की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव ने कहा कि जब लोग हर्ड इम्यूनिटी के बारे में बात करते हैं, तो इसका मतलब है कि वैक्सीन का उपयोग करना। वहीं कितने लोगों को टीके लगाने की जरूरत होगी ताकि वायरस का प्रसार रोका जा सके।
(अनिल पांडेय-चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग )
इस्लामाबाद, 19 अगस्त (आईएएनएस)| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान के संस्थापक कायद-ए-आजम मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि जब तक फिलिस्तीनियों को उनके अधिकार नहीं मिल जाते, तब तक पाकिस्तान, इजरायल को मान्यता नहीं दे सकता। खान ने मंगलवार को एक निजी समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार के दौरान ये विचार व्यक्त किए।
द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, खान ने पाकिस्तान की विदेश नीति, पाकिस्तान-चीन दोस्ती, इजरायल, कश्मीर मुद्दा, अफगान शांति प्रक्रिया, अर्थव्यवस्था, क्षेत्र की स्थिति, राष्ट्रीय मुद्दों और राजनीति सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
इजरायल के बारे में सवाल पूछने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी अंतरात्मा कभी भी इजरायल को स्वीकार नहीं करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, इजरायल पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। पाकिस्तान कभी भी इजरायल को मान्यता नहीं दे सकता है। हमें इजरायल और फिलिस्तीन के बारे में सर्वशक्तिमान (ईश्वर) को भी जवाब देना होगा।
चीन के बारे में खान ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि हमारा भविष्य चीन के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि चीन हर अच्छे और बुरे समय में पाकिस्तान के साथ खड़ा है।
उन्होंने कहा, हम चीन के साथ अपने संबंधों को और मजबूत कर रहे हैं। चीन को भी पाकिस्तान की बहुत जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस साल मई में पाकिस्तान का दौरा करने वाले थे, लेकिन कोरोनावायरस के कारण उनकी यात्रा स्थगित कर दी गई। अब सर्दियों में उनके पाकिस्तान की यात्रा करने की उम्मीद है।
सऊदी अरब के साथ संबंधों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की भूमिका मुस्लिम दुनिया को विभाजित करने की नहीं है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की अपनी विदेश नीति है। उन्होंने यह भी कहा कि सऊदी अरब ने हर मुश्किल समय में पाकिस्तान की मदद की है।
इमरान खान ने कहा कि पहले अमेरिका युद्ध के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करता था, लेकिन आज दोनों शांति में भागीदार हैं। उन्होंने कहा, हम अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में भागीदार हैं।
खान ने कहा, मैंने अपने पूरे जीवन में संघर्ष किया है। जब मैं नौ साल का था, तब से संघर्ष कर रहा हूं। मैंने एक अस्पताल का निर्माण किया, लेकिन राजनीति एक बड़ा संघर्ष है। मैंने दो-पार्टी प्रणाली (टू पार्टी सिस्टम) के बाद पीटीआई का गठन किया। जब आप कोशिश करते हैं तो उतार-चढ़ाव का कोई डर नहीं होता।
उन्होंने कहा, जब मैं सत्ता में आया था, तो अर्थव्यवस्था दिवालियापन की कगार पर थी और संस्थान नष्ट हो गए थे। पाकिस्तान में व्यवस्था ऐसी है कि सब कुछ पैसे देकर किया जा सकता है; छोटे व्यापारियों के लिए बाधाएं हैं।
खान ने कहा, संभ्रांत (एलीट) वर्ग खुद को कानून से ऊपर समझता है। जब एनएबी (जवाबदेही ब्यूरो) उन्हें बुलाता है, तो वे कहते हैं कि देश बर्बाद हो गया है। इसीलिए कुलीन वर्ग लगातार दो वर्षों से सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश में है।
इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान का भविष्य उद्योग पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा, जब तक हम एक औद्योगिक देश नहीं बन जाते हैं, हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
माली, 19 अगस्त। माली के राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता ने मंगलवार देर शाम अपने इस्तीफे की घोषणा की. इससे पहले हथियारबंद विद्रोही सैनिकों ने कीता को उनके आवास से हिरासत में ले लिया था. यह सब कुछ बड़े ही नाटकीय अंदाज में हुआ. पिछले कुछ महीने से उनको पद से हटाने की मांग हो रही थी. कीता के इस्तीफे की घोषणा के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी जश्न मनाने लगे. इस बीच फ्रांस और अन्य सहयोगी देश इस सैन्य विद्रोह से सावधान हो गए हैं.
कीता ने राष्ट्रीय प्रसारक ओआरटीएम पर अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा, ''मैं नहीं चाहता कि मेरे सत्ता में बने रहने के लिए खून बहे.'' संबोधन के दौरान कीता ने चेहरे पर मास्क लगाए रखा था. वे चिंतित भी नजर आ रहे थे. उन्होंने कहा कि वे अपना इस्तीफा कार्यकाल के पूरा होने के तीन साल पहले दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मैंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है.'' साथ ही उन्होंने संसद भंग करने की घोषणा भी की. देश में विद्गोह उस समय में हुआ जब वह पिछले आठ सालों से इस्लामिक चरमपंथियों से जूझता आ रहा है और वहां कोरोना वायरस महामारी भी फैली हुई है.
2013 में कीता को लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया था और पांच साल बाद वे दोबारा निर्वाचित हुए. विद्रोही सैनिकों की कार्रवाई के बाद उनके पास विकल्प कम ही बचे थे, विद्रोही सैनिकों ने मंगलवार को काती में सैन्य अड्डे के शस्त्रागार से हथियार अपने कब्जे में ले लिए और उसके बाद राजधानी बामाको की ओर निकल पड़े. जिसके बाद विद्रोहियों ने राष्ट्रपति कीता और प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को बंधक बना लिया.आठ साल पहले भी इसी तरह का तख्ता पलट हुआ था और उस समय भी इसी बैरक के सैनिकों ने तख्ता पलट को अंजाम दिया था. बुधवार तक सेना की ओर से इस पर कोई बयान नहीं जारी किया गया है.
दूसरी ओर माली में राजनीतिक संकट पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की बिना शर्त तत्काल रिहाई की मांग की है. गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, "महासचिव ने माली के हालात की निंदा की है और देश में कानून के नियमों और संवैधानिक व्यवस्था की तुरंत बहाली के आदेश दिए हैं." इसके अलावा अफ्रीकी संघ और अमेरिका ने भी इस घटना की आलोचना की है.
माली में राजनीतिक उठापटक विवादित संसदीय चुनाव के बाद से ही शुरू हो गया था. चरमपंथ को संभालने में नाकाम रहने पर देश की जनता कीता की आलोचना करती आई है. सेना को पिछले एक साल से इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से जुड़े समूहों की वजह से मुंह की खानी पड़ी है.
कीता की हिरासत और उसके बाद इस्तीफे की घोषणा के बाद राजधानी में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी खुशी से झूम उठे. जून के महीने में पहली बार प्रदर्शनकारियों ने कीता के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. कीता के इस्तीफे की घोषणा के बाद एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ''माली की जनता थक चुकी है. हमने बहुत कुछ सहा है.''
मंगलवार दोपहर को ही राजधानी में सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था. दोपहर में बामाको में विद्रोहियों ने फायिरंग की थी. विद्रोहियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा देश के वित्त मंत्री, वरिष्ठ सैन्य और प्रशासनिक अधिकारियों को भी हिरासत में ले लिया है.(DW)
न्यूयॉर्क, 19 अगस्त(भाषा) । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में ओवल ऑफिस ‘कमान केंद्र’ बनने के बजाय अफरातफरी वाले ‘तूफान केंद्र’ में तब्दील हो गया है. उन्होंने कहा कि ट्रम्प के लिए राष्ट्रपति का मतलब घंटो टीवी के सामने बैठकर समय बिताना, लोगों को सोशल मीडिया पर गाली देना और अपने कृत्यों की जिम्मेदारी नहीं लेना है.
'हमारी बेरोजगारी दर तिगुनी है'
डेमोक्रेटिक पार्टी के चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘डोनाल्ड ट्रम्प कहते हैं कि हम विश्व का नेतृत्व कर रहे हैं. खैर हम दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिकीकरण वाली एकमात्र अर्थव्यवस्था हैं और हमारी बेरोजगारी दर तिगुनी है.’ उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में जो बाइडेन को औपचारिक रूप से पार्टी का राष्ट्रपति उम्मीदवार नामित किया गया.
'राष्ट्रपति चुनाव दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण काम है'
क्लिंटन ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण काम है और इस साल का चुनाव कोविड-19 महामारी की वजह से बहुत कठिन काम है जिसमें 1,70,00 लोगों की मौत हुई है और लाखों नौकरियां चली गई एवं छोटे कारोबार बर्बाद हो गए. कोविड-19 से निपटने के तरीके की आलोचना करते हुए क्लिंटन ने कहा, ‘पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वायरस नियंत्रण में है और जल्द ही यह खत्म हो जाएगा.’
'ट्रंप टीवी पर बताते हैं कि वह क्या शानदार काम कर रहे हैं'
उन्होंने कहा, ‘ जब यह नहीं हुआ तो वह रोजाना टेलीविजन पर आकर बताते कि वह क्या शानदार काम कर रहे हैं जबकि वैज्ञानिक हमें महत्वपूर्ण सूचनाएं देने का इंतजार करते रहे. जब उन्हें विशेषज्ञों की सलाह पसंद नहीं आई तो उन्होंने उसे नजरअंदाज किया.’
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका के लोग चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं और उन्हें फैसला करना है कि ट्रम्प की संविदा अवधि बढ़ानी है या किसी अन्य को नियुक्त करना है. उन्होंने कहा, ‘आप जानते हैं कि डोनाल्ट ट्रम्प अगले चार साल आरोप लगाने, धमकाने और अपमानित करने का काम करेंगे और आप यह भी जानते हैं कि दो बार के उपराष्ट्रपति जो बाइडेन दोबारा बेहतर के लिए काम करेंगे.’
अमरीका, 19 अगस्त (आईएएनएस)। डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने भारतीय-अमेरिकी सबरीना सिंह को अपने प्रेस सचिव के रूप में चुना है। वह 2016 राष्ट्रपति पद के चुनाव अभियान में पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की सूचना टीम में शामिल थीं। अमेरिकन बाजार की सोमवार को रिपोर्ट के अनुसार, सबरीना सिंह (32) ने इससे पहले दो डोमोक्रेटिक प्रसिडेंशियल उम्मीदवार- न्यूजर्सी की सीनेटर कोरी बुकर और पूर्व न्यूयार्क मेयर माइक ब्लूमबर्ग के प्रवक्ता के रूप में काम किया है।
सबरीना ने रविवार को ट्वीट कर कहा, मैं हैशटैग बाइडन हैरिस टिकट के लिए कमला हैरिस की प्रेस सचिव बनकर काफी उत्साहित हूं।
अमेरिकन बाजार के अनुसार, सबरीना सिंह अमेरिकी राजनीति में गहरी पैठ जमा चुके एक परिवार से आती हैं। उनके परदादा जे.जे सिंह इंडिया लीग ऑफ अमेरिका के प्रमुख थे, जो भारतीय-अमेरिकी समुदाय के हित में काम करने वाली एक गैर लाभकारी संस्था है।
साओ पाउलो, 19 अगस्त (आईएएनएस) ब्राजील में कोविड-19 से और 1,352 मौतें दर्ज की गई हैं, जिसके बाद संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या यहां 109,888 के करीब पहुंच गई। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में मंगलवार को कोविड-19 के 47,784 नए मामले सामने आए, जिससे संक्रमण की कुल संख्या 3,407,354 हो गई।
देश में साओ पाउलो इस बीमारी का केंद्र बना हुआ है, जहां अब तक 711,530 मामले और 27,315 मौतें दर्ज हुईं हैं, इसके बाद रियो डी जनेरियो में 14,728 मौतें हुईं और सीआरा में 8,196 मौतें दर्ज की गई हैं।
अमेरिका के बाद ब्राजील विश्व में कोविड -19 से सबसे अधिक प्रभावित दूसरा देश है।
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर मंगलवार को दुनिया में जो कुछ देखने को मिला उसमें प्रमुख बातें निम्नांकित रहीं-
फ्रांस ने ऐलान किया है कि एक से ज़्यादा कर्मचारियों वाले दफ़्तरों में मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य किया जा रहा है. यह प्रावधान आने वाले एक सितंबर से लागू हो जाएगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि 20 से लेकर 40 साल के युवा कोरोना का संक्रमण दुनिया भर में फैला रहे हैं. उन्हें सतर्कता बरतने की जरूरत है.
Brilliant! pic.twitter.com/E1QhjMTatZ
— Rohini Singh (@rohini_sgh) August 18, 2020
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामले एक करोड़ 15 लाख तक पहुंचने की आंशका है और इतना ही नहीं इस दौरान चार लाख लोगों की मौत की आशंका भी है.
जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा है कि बीते तीन सप्ताह में कोरोना संक्रमण के मामलों में दोगुनी वृद्धि को देखते हुए अब लॉकडाउन के प्रावधानों में रियायत नहीं दी जाएगी.
चीन की फर्मास्यूटिकल कंपनी सिनोफार्म ने साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन तैयार करने की उम्मीद जताई है. (बीबीसी)
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने मंगलवार को कहा है कि देश कोरोना की वैक्सीन का उत्पादन करेगा और सभी नागरिकों को मुफ्त में ये वैक्सीन देगा.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वीडिश-ब्रितानी कंपनी एस्ट्राज़ेनिका के साथ ऑस्ट्रेलिया ने एक करार किया है जिसके तहत ऑक्सफोर्ड की बनाई वैक्सीन अब उन्हें भी मिल सकती है.
उन्होंने कहा, “फिलहाल ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन दुनिया की सबसे उन्नत और भरोसेमंद वैक्सीन है. कंपनी के साथ करार के तहत हमने अपने सभी नागरिकों के लिए अब ये वैक्सीन सुनिश्चित कर ली है.”
अगर ये वैक्सीन कारगर साबित हुई तो हम बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करेंगे और सभी 250 लाख ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों तक मुफ्त में इसे पहुंचाएंगे.
ऑक्सफोर्ड में बनाई जा रही वैक्सीन दुनिया की उन पांच वैक्सीन में से एक है जिसकी तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और शोधकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल के ख़िर तक इसके नतीजे भी आ जाएंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कुछ और संभावित वैक्सीन बना रही टीमों से संपर्क कर रही है और साथ ही देश के भीतर भी वैज्ञानिकों को उनकी कोशिशों में मदद कर रही है.
हालांकि अब तक एस्ट्राज़ेनिका के साथ वैक्सीन की क़ीमत क्या होगी और देश में उसका उत्पादन कौन करेगा इसे लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाई है.(bbc)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 18 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने डेमोक्रेटिक पार्टी के वर्चुअल कन्वेंशन के पहले दिन 18 मिनट का भाषण दिया। इसमें उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल को लेकर एक ऐसे शख्स की तस्वीर खींची जो इस पद की "वजन और राष्ट्रपति पद की अद्भुत शक्तियों" को नहीं समझता है।
डार्क चॉकलेट के रंग की सिल्क की पोशाक पहने ओबामा ने अपने मुख्य भाषण में ट्रम्प को ऐसा व्यक्ति बताया जिसने 1.7 लाख से अधिक अमेरिकियों को मार डाला और अर्थव्यवस्था को "बुरी स्थिति" में पहुंचा दिया।
नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति पद के चुनावों से पहले ओबामा ने 2008 से 2016 तक व्हाइट हाउस में रहने के अपने व्यक्तिगत अनुभव के बारे में बताते हुए कहा, "मैं आज उन मुट्ठी भर लोगों में से एक हूं, जिन्होंने राष्ट्रपति पद के भारी बोझ और जबरदस्त ताकत को देखा है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह काम करना बहुत कठिन है। इसके लिए स्पष्ट मस्तिष्क से लिए जाने वाले निर्णयों की आवश्यकता होती है, जिसमें तथ्यों और इतिहास के जटिल और प्रतिस्पर्धी मुद्दों को सुनने की क्षमता हो। जो देश में रहने वाले 33 करोड़ लोगों में से हर एक की कीमत समझता हो।"
उन्होंने कहा, "डोनाल्ड ट्रम्प इस देश के लिए गलत राष्ट्रपति हैं। जैसा कि मैंने पहले कहा था कि राष्ट्रपति होने के नाते यह नहीं बदलता है कि आप कौन हैं बल्कि यह बताता है कि आप कौन हैं।"
बता दें कि ओबामा का यह भाषण जो बाइडन द्वारा उप-राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस को उम्मीदवार घोषित किए जाने से पहले रिकॉर्ड किया गया था, लिहाजा भाषण में उनका कहीं भी जिक्र नहीं था। भाषण के दौरान मिशेल ओबामा भावुक भी हो गईं थीं।
डेमाक्रेटिक कन्वेंशन में यह उनका चौथा भाषण था, पहली बार उन्होंने बराक ओबामा के 2008 के चुनाव अभियान के दौरान इस मंच पर भाषण दिया था।
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 18 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अगर पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडन और कैलिफोर्निया की सीनेटर कमला हैरिस उन्हें हरा देते हैं और शीर्ष पद पर काबिज हो जाते हैं, तो हैरिस बाइडन की बॉस होंगी।
गौरतलब है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बाइडन ने भारतीय-जमैकन मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है।
बाइडन को कई बार मानसिक रूप से कमजोर व थका हुआ बता चुके ट्रंप ने सोमवार को सवालयिा लहजे में कहा, " क्या आप बाइडन और उनकी बॉस कमला हैरिस की उन्मादी समाजवादी नीतियों के तहत हमारी अर्थव्यवस्था को कुचलना चाहते हैं?"
विस्कॉन्सिन के ओशकोश में एक रैली में बोलते हुए, ट्रंप ने बाइडन की मानसिक स्थिति का उल्लेख किया और कहा, "मानसिक तौर पर वह थक गए हैं।"
बाइडन के गलत बोलने के उदाहरणों और खुला प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने से इनकार करने के बाद, ट्रंप ने हैरिस और हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी पर निशाना साधा।
निर्वाचित होने पर, बाइडन जो जनवरी 2012 में 78 साल के हो जाएंगे, राष्ट्रपति पद संभालने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे, जबकि हैरिस 56 वर्ष की होंगी।
यह कहने के बाद कि हैरिस 'बॉस' होंगी, ट्रंप ने फिर उन्हें निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की प्राइमरी (आंतरिक चुनाव) शर्म के कारण छोड़ दी थी, जिसमें उनके समर्थन में मतदान संख्या 14 प्रतिशत से 2 प्रतिशत पर पहुंच गई।
उन्होंने हैरिस को औसत दर्जे की और गुस्सैल मिजाज महिला कहा।
ट्रंप ने कहा कि बाइडन समाजवाद के लिए ट्रोजन हॉर्स है, जिनका कोई सुराग नहीं है, लेकिन उनके आस-पास के लोग सख्त हैं और वे स्मार्ट हैं । उन्होंने कहा वे हैरिस की तरह ही औसत दर्जे के और गुस्सैल हैं।
ट्रंप ने नस्लीय असंवेदनशीलता के लिए हैरिस की आलोचना की, जब वह पार्टी के नामांकन के लिए उनके खिलाफ लड़ रही थी। ट्रंप ने कहा, "किसी ने भी कमला जितना बुरा व्यवहार बाइडन के साथ नहीं किया।"
उन्होंने कहा, "वह (बहस) मंच पर किसी भी मुकाबले में बुरी थीं। किसी ने भी बाइडन के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया या उनके सम्मान में कमी नहीं दिखाई। कमला के मन में उनके लिए कोई सम्मान नहीं था। अचानक वह कह रहा है कि वह बहुत अच्छे हैं। वह कुछ समय पहले ऐसा महसूस नहीं करती थी।"
ट्रंप ने कहा कि अगर बाइडन और हैरिस जीत गए, तो अमेरिका पर चीन की चलेगी।
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 18 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अगर पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडन और कैलिफोर्निया की सीनेटर कमला हैरिस उन्हें हरा देते हैं और शीर्ष पद पर काबिज हो जाते हैं, तो हैरिस बाइडन की बॉस होंगी।
गौरतलब है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बाइडन ने भारतीय-जमैकन मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है।
बाइडन को कई बार मानसिक रूप से कमजोर व थका हुआ बता चुके ट्रंप ने सोमवार को सवालयिा लहजे में कहा, " क्या आप बाइडन और उनकी बॉस कमला हैरिस की उन्मादी समाजवादी नीतियों के तहत हमारी अर्थव्यवस्था को कुचलना चाहते हैं?"
विस्कॉन्सिन के ओशकोश में एक रैली में बोलते हुए, ट्रंप ने बाइडन की मानसिक स्थिति का उल्लेख किया और कहा, "मानसिक तौर पर वह थक गए हैं।"
बाइडन के गलत बोलने के उदाहरणों और खुला प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने से इनकार करने के बाद, ट्रंप ने हैरिस और हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी पर निशाना साधा।
निर्वाचित होने पर, बाइडन जो जनवरी 2012 में 78 साल के हो जाएंगे, राष्ट्रपति पद संभालने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे, जबकि हैरिस 56 वर्ष की होंगी।
यह कहने के बाद कि हैरिस 'बॉस' होंगी, ट्रंप ने फिर उन्हें निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की प्राइमरी (आंतरिक चुनाव) शर्म के कारण छोड़ दी थी, जिसमें उनके समर्थन में मतदान संख्या 14 प्रतिशत से 2 प्रतिशत पर पहुंच गई।
उन्होंने हैरिस को औसत दर्जे की और गुस्सैल मिजाज महिला कहा।
ट्रंप ने कहा कि बाइडन समाजवाद के लिए ट्रोजन हॉर्स है, जिनका कोई सुराग नहीं है, लेकिन उनके आस-पास के लोग सख्त हैं और वे स्मार्ट हैं । उन्होंने कहा वे हैरिस की तरह ही औसत दर्जे के और गुस्सैल हैं।
ट्रंप ने नस्लीय असंवेदनशीलता के लिए हैरिस की आलोचना की, जब वह पार्टी के नामांकन के लिए उनके खिलाफ लड़ रही थी। ट्रंप ने कहा, "किसी ने भी कमला जितना बुरा व्यवहार बाइडन के साथ नहीं किया।"
उन्होंने कहा, "वह (बहस) मंच पर किसी भी मुकाबले में बुरी थीं। किसी ने भी बाइडन के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया या उनके सम्मान में कमी नहीं दिखाई। कमला के मन में उनके लिए कोई सम्मान नहीं था। अचानक वह कह रहा है कि वह बहुत अच्छे हैं। वह कुछ समय पहले ऐसा महसूस नहीं करती थी।"
ट्रंप ने कहा कि अगर बाइडन और हैरिस जीत गए, तो अमेरिका पर चीन की चलेगी।
मॉस्को 18 अगस्त (स्पूतनिक)। कोरोना वायरस प्रतिबंधों शुरूआत के बाद पहली बार रूस ने रक्षा मंत्रालय के हवाई जहाज की मदद से सीरिया दमिश्क में फंसे 26 रूसी बच्चों को निकाला है।
रूस में बच्चो के अधिकार आयुक्त अन्ना कुजनेत्सोवा ने कहा कि रूस के रक्षा मंत्रालय का विमान मॉस्को के पास चेलकोवस्की हवाई अड्डे पर दमिश्क के अनाथालयों से लाए गए 26 बच्चों को लेकर उतरा है।
इससे पहले की रिपोर्टो में कहा गया था कि 26 रूसी बच्चे मंगलवार को दमिश्क से अपने घर वापसी आ रहे है।
उन्होंने कहा कि उड़ान के दौरान बच्चों के साथ एक चिकित्सक भी मौजूदा था।
अभी तक कुल 157 बच्चों वापस घर लौट चुके है। इनमें पश्चिम एशिया के युद्ध क्षेत्र इराक से 122 और सीरिया से 35 बच्चे वापस लौट चुके है।(UNIVARTA)
अमरीका में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल डोमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने अमरीकी भारतीयों के लिए विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया है.
इसमें उन्होंने कहा है कि ”कोरोना महामारी से लड़ने से लेकर अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने और प्रवासन से जुड़े सुधारों के लिए भारतीय अमरीकी जो बाइडन और कमला हैरिस प्रशासन पर भरोसा कर सकते हैं.”
आगामी चुनावों में भारतीय मूल की कमला हैरिस उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं.
इससे पहले जो बाइडन ने अमरीकी मुसलमानों के लिए विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया था जिसमें कश्मीर के मुद्दे और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के बारे में कहा गया था. इस विज़न डॉक्यूमेंट से कई अमरीकी भारतीय नाराज़ हो गए थे.
भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर जो बाइडन और कमला हैरिस ने अमरीकी भारतीयों के नाम एक विशेष वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि अमरीकी और यहां रहने वाले भारतीय मिलकर देश को विकास के पथ पर ले जा सकते हैं.
समझा जा रहा है कि अमरीकी भारतीयों ख़ास कर कट्टर हिंदुओं का झुकाव मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ हो सकता है क्योंकि उन्हें भारत के समर्थक के रूप में देखा जाता रहा है. कश्मीर और विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून के मामले में ट्रंप प्रशासन अधिकतर चुप ही रहा है, जबकि प्रमिला जयपाल और बर्नी सैंडर्स जैसे डेमोक्रेट नेता इन विषयों पर बोलते रहे हैं.
साथ ही सितंबर 2019 में अमरीका के ह्यूस्टन में ट्रंप का शामिल होना और इसी साल फरवरी में ट्रंप का भारत दौरा भी ट्रंप के पक्ष में अमरीकी भारतीयों के झुकाव का कारण हो सकता है.
डेमोक्रेट्स के बीच भी अमरीकी भारतीयों के एक तबके का मानना है कि कुछ डेमोक्रेट नेताओं के बयानों का फायदा ट्रंप को मिल सकता है.
अमरीकी भारतीयों के विज़न डॉक्यूमेंट में क्या है ख़ास?
इस चुनावी दस्तावेज़ में कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व उप राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोनों देशों में और पूरे इलाक़े में आतंकवाद के मुद्दे पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर काम किया है. बाइडन का मानना है कि पूरे दक्षिण एशिया में सीमा पार से आंतकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
भारत के साथ मिलकर बाइडन प्रशासन भारत प्रशांत इलाक़े में स्थायित्व लाने की कोशिश करेगा ताकि चीन समेत कोई और देश अपने पड़ोसियों को धमका न सके.
हिंदू, सिख, मुसलमान, जैन और दूसरे संप्रदायों के सभी अमरीकी भारतीयों के ख़िलाफ़ हाल के दौर में नस्लीय हिंसा बढ़ी है. आज उन्हें ये भरोसा दिलाने की ज़रूरत है कि वॉशिंगटन में बैठे नेताओं का समर्थन उनके साथ होगा.
राष्ट्रपति के तौर पर जो बाइडन ख़ुद नफरत से प्रेरित हमलों के ख़िलाफ़ खड़े होंगे और इस तरह का क़ानून पारित कराएंगे जिसके तहत नफरत से प्रेरित अपराध करने वाले पर हथियार खरीदने और रखने की पाबंदी लगाई जा सके.
जो बाइडन ये सुनिश्चित करेंगे कि देश के प्रवासन नियमों में परिवार को साथ रखने पर ध्यान दिया जाएगा और परिवार के लिए वीज़ा के पहले से पड़े मामलों को जल्द निपटाया जाएगा. देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वो परमानेंट और नौकरियों के लिए वीज़ा की संख्या बढ़ाएंगे और विज्ञान तकनीक, इजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में काम करने के इच्छुक पीएचडी कर चुके छात्रों पर लगी रोक को हटाएंगे.
हाई स्किल्ड लोगों के लिए अस्थायी वीज़ा के नियमों में सुधार की कोशिश की जाएगी और देशों के आधार पर सीमित संख्या में ग्रीन कार्ड जारी की संख्या भी बढ़ाएंगे.
अमरीकी मुसलमानों के लिए विज़न डॉक्यूमेंट से बढ़ी थी नाराज़गी
हाल में जो बाइडन ने अमरीकी मुसलमानों के लिए जो विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया था उसमें कश्मीर और एनआरसी का ज़िक्र था जिससे कई लोग नाराज़ हो गए थे.
कई लोग इस चुनावी दस्तावेज़ को कश्मीर के मुद्दे पर कमला हैरिस के बयानों के साथ जोड़ कर देख रहे हैं. इस तरह के कई वीडियो यूट्यूब पर मौजूद हैं.
विज़न डॉक्यूमेंट में जो बाइडन ने कहा था, “भारत सरकार को ऐसे सभी कदम उठाने चाहिए जिससे कश्मीर में रहने वालों के अधिकारों कों को बहाल किया जा सके.”
“शांतिपूर्ण विरोध पर पाबंदी, इंटरनेट बंद करने या धीमा करने जैसे कदम उठाकर विरोध करने पर पाबंदियां लगाने पर गणतंत्र कमज़ोर होता है.”
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और उसके बाद लगे प्रतिबंधों को लेकर कमला हैरिस का रुख भारत सरकार के विपरीत रहा है.
सितंबर 2019 को टेक्सस के ह्यूस्टन में आयोजित एक इवेंट में उनसे कश्मीर में फ़ोन व इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध और लोगों को हिरासत में लेने के बारे में पूछे गए सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा था, “हम लोगों को ये बताना चाहते हैं कि वो अकेले नहीं हैं, हम नज़र बनाए हुए हैं. एक राष्ट्र के तौर पर ये हमारे मूल्यों का हिस्सा है कि हम मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बोलते हैं, और जहां ज़रूरी होता है, हम दख़ल भी देते हैं.”
विवादित एनआरसी पर इस डॉक्यूमेंट में कहा गया है, “असम में एनआरसी लागू करने और नागरिकता संशोधन के प्रस्तावित मसौदे को क़ानून बनाने के भारत सरकार के फ़ैसले को जो बाइडन दुर्भाग्यजनक मानते हैं.”
बाइडन के लिए बढ़ी चुनौतियां
इस दस्तावेज़ के जारी किए जाने के बाद कई हलकों से हिंदू धर्म को मानने वाले अमरीकी भारतीयों के लिए भी इसी तरह के चुनावी दस्तावेज़ की मांग होने लगी थी.
बाइडन के चुनाव अभियान के अनुसार अमरीका में क़रीब 13.1 लाख ऐसे अमरीकी भारतीय वोटर हैं जिनका रुझान आठ चुनाव क्षेत्रों में निर्णायक साबित हो सकता है.
बाइडन के चुनावी अभियान में कश्मीर और एनआरसी के ज़िक्र के बाद अब अमरीकी भारतीयों को अधिक तवज्जो दी जा रही है.
14 और 15 अगस्त को बाइडन ने अमरीकी भारतीयों और पाकिस्तानियों के लिए वर्चुअल कार्यक्रम भी आयोजित किए थे.
इधर चुनाव की तैयारियों में जुटा ट्रंप खेमा भी भारतीय अमरीकी वोटों के एक बड़े तबके के समर्थन की उम्मीद कर रहा है.
ट्रंप विक्ट्री इंडियन अमरीकन फाइनेंस कमिटी के एक आकलन के अनुसार “भारतीय अमरीकी वोटर्स में से क़रीब आधे वोट बाइडन की बजाय ट्रंप के पक्ष में जा सकते हैं.”
एक विश्लेषक के अनुसार “भारत में मुसलमानों के साथ क्या कुछ हो रहा है ये पूरी दुनिया देख रही है, इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को नुक़सान पहुंचा है... लिंचिंग, लोगों को मार देना, ये हमारी छवि का हिस्सा बन गई है.”(BBCNEWS)
मोगादिशु, 17 अगस्त (आईएएनएस)| सोमालिया में अल-शबाब आतंकी समूह द्वारा राजधानी मोगादिशु में समुद्र किनारे स्थित होटल पर हमला करने के बाद सुरक्षाबलों द्वारा जवाबी कार्रवाई की गई। पांच घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद होटल को आंतकियों के चंगुल से मुक्त करा लिया गया। घटना में एक पुलिस अधिकारी सहित कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के प्रवक्ता इस्माइल मुख्तार उमर ने कहा एक मशहूर होटल पर आतंकियों के हमले के बाद सुरक्षाबलों द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में अल-शबाब के पांच आतंकवादी भी मारे गए।
उमर ने एक बयान में कहा, "इलीट होटल पर हुए हमले में मारे गए लोगों की संख्या 16 है। मारे गए 16 लोगों में से पांच हमलावर हैं जबकि एक पुलिस अधिकारी बचाव अभियान में मारा गया ।"
इस हमले में सूचना और रक्षा मंत्रालयों के दो वरिष्ठ अधिकारियों की भी मौत हो गई।
उमर ने कहा कि 18 लोग घायल हुए हैं।
सरकारी अधिकारी ने कहा कि सोमाली विशेष बलों ने मालिक समेत होटल के अंदर 205 लोगों को बचाया है। होटल के मालिक एक सांसद हैं।
उन्होंने कहा कि यह जानने के लिए एक जांच शुरू की गई है कि कैसे अल-शबाब आतंकियों ने कड़ी सुरक्षा वाले होटल में प्रवेश करने में कामयाबी हासिल की।
हमला रविवार दोपहर को उस समय शुरू हुआ था जब आतंकवादियों ने होटल गेट पर एक कार बम विस्फोट किया और अंदर घुस गए।
विशेष बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू किया।
सुमित कुमार सिंह
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| भारत के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच चीन ने तिब्बत में तोप और बंदूकें भेजी है।
सूत्रों के मुताबिक, "तोप और बंदूक तैनाती तिब्बत की 4,600 मीटर की ऊंचाई पर जुलाई के अंतिम हफ्ते में ही की गई।"
ये भी पता चला है कि चीन ने 77 कांबैट कमांड के 150 लाइट कंबाइन्ड आर्म्स ब्रिगेड की तिब्बत के सैन्य जिले में तैनाती की है। कंबाइन्ड आर्म्स ब्रिगेड अमेरिकन ब्रिगेड कंबैट टीम का एडेप्टेशन है जिससे विभिन्न सैन्य बलों को एक साथ काम करने में मदद मिलती है। इस बीच चीन ने तिब्बत क्षेत्र में तैनाती कई गुना बढ़ा दी है और कंबाइन्ड आर्म्स ब्रिगेड की तैनाती भारत से लगे लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल के पास की गई है।
चीन ने ये तोप, बंदूक और दूसरे शस्त्रों की तैनाती लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल के तीन सेक्टर - पश्चिमी (लद्दाख), बीच में (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्व में (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) की है। चीन ने अपने जवानों को उत्तराखंड के लिपुलेख पास में भारत, चीन और नेपाल के तिराहे पर कालापानी घाटी के ऊपर भी तैनात कर दिया है।
भारत और चीन की सेना के बीच कई राउंड की बातचीत के बाद भी दोनों देशों में तनाव कम नहीं हुआ और वादा करने के बाद भी चीन की सेना सीमा से पीछे नहीं हटी।
इसके अलावा चीन ने सीमावती इलाकों में परमानेंट स्ट्रक्चर भी बना लिए हैं जो कि चीन द्वारा किए गए वादे के खिलाफ है।
15 जून को भारत और चीनी सेना के जवानों में हुई झड़प में भारत के 20 जवान मारे गए थे।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| मौजूदा समय में दुनिया के सबसे बड़े कर्जदाता देश चीन ने पिछले दो दशकों में 150 से अधिक देशों को ऋण दिया है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसने ऐसा बिना किसी बाधा या जरूरी औपचारिकताओं के किया है।
चीन पेरिस क्लब का सदस्य नहीं है जो ऋणदाता राष्ट्रों का एक अनौपचारिक समूह है जिसका उद्देश्य व्यावहारिक पुनर्भुगतान समाधान पेश करना है। यह आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) का भी हिस्सा नहीं है। पेरिस क्लब और ओईसीडी, दोनों आधिकारिक देनदारों के ऋण रिकॉर्ड को बनाए रखते हैं।
चीन की वित्तीय सहायता को प्रत्यक्ष ऋण के अलावा ट्रेड क्रेडिट, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अग्रिम के रूप में निर्देशित किया जाता है। हालांकि यह कोई रहस्य नहीं है लेकिन जो बहुत चिंताजनक है, वह है इसके उधार पैटर्न और रिकॉर्ड रखने में पारदर्शिता की कमी।
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू (एचबीआर) के अनुसार, चीन के बकाया दावे अब वैश्विक जीडीपी के पांच प्रतिशत से अधिक हो चुके हैं। इसके साथ ही ड्रैगन द्वारा अपने स्थानीय अधिकारियों और उधारदाताओं के माध्यम से अनौपचारिक रूप से ऋण का एक बड़ा हिस्सा भी दिया गया है, जिसका व्यावहारिक रूप से कोई हिसाब-किताब नहीं है।
रिपोर्ट बताती है कि लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर दिया गया है लेकिन विश्लेषकों ने इस आंकड़े पर सवाल उठाया है क्योंकि चीन अन्य देशों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की मात्रा पर चुप है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक विश्लेषक ने कहा, "चीन के आधिकारिक आंकड़े सही तस्वीर पेश नहीं करते हैं और कोरोना वायरस युग जैसे संकटों के काल में आर्थिक स्थिति, ऋण और पुनर्भुगतान के बारे में स्पष्ट और पारदर्शी जानकारी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। चीन के साथ मामला ऐसा नहीं है।"
कोरोना वायरस महामारी द्वारा चीन और दुनिया की वैश्विक अर्थव्यवस्था को गतिरोध में लाने से पहले चीन रेटिंग एजेंसियों की जांच से बचा हुआ था।
लेकिन, महामारी फैलने के साथ तस्वीर बदल गई। जून में विश्व बैंक ने अपने ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल 5.2 प्रतिशत तक सिकुड़ सकती है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे खराब स्थिति होगी।
चीनी ऋण लेने वाले कई देश ने कर्ज चुकाने में असमर्थता का संकेत दिया है। इसके बावजूद चीन नए गठबंधनों को बनाने के लिए नई सहायता प्रदान कर रहा है। नेपाल और बांग्लादेश इसकी मिसाल हैं।
एचबीआर ने रिपोर्ट में कहा है कि चीन अपने अंतरराष्ट्रीय उधार को रिपोर्ट नहीं करता है और चीनी ऋण हर तरह से पारंपरिक डेटा-एकत्रित करने वाले संस्थानों से बच जाते हैं। उदाहरण के लिए मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां या ब्लूमबर्ग जैसे डेटा प्रदाता, निजी कर्जदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। चूंकि चीन का कर्ज राज्य प्रायोजित है, इसलिए इनकी रडार स्क्रीन से बाहर है।
यह बिना हिसाब-किताब वाला कर्ज या जिसे एचबीआर ने 'छिपा हुआ ऋण' कहा है, अब कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बन गया है।
(यह सामग्री इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत की गई)(IANS)
वाशिंगटन, 16 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिका के आगामी 3 नवंबर के चुनाव के लिए राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक पार्टी दावेदार जो बाइडेन की रनिंग मैट भारतीय-अमेरिकी कमला हैरिस ने कहा कि उनकी मां 'वह हमेशा से उनमें अच्छी इडली के प्रति प्यार को जगाना चाहती थीं।' उनकी मां मूल रूप से चेन्नई की थीं। उन्होंने भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को एक वीडियो मैसेज में यह टिप्पणी की।
वीडियो की शुरुआत में वह कह रही हैं, "भारत के लोगों और भारतीय-अमेरिकियों, मैं आपको भारतीय स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देना चाहती हूं।"
उन्होंने कहा, "15 अगस्त, 1947 को पूरे भारत के पुरुषों और महिलाओं ने भारत देश की स्वतंत्रता की घोषणा का जश्न मनाया था। (और) आज 15 अगस्त, 2020 को, मैं आपके सामने अमेरिका के दक्षिण एशियाई मूल के उपराष्ट्रपति की पहली उम्मीदवार के रूप में खड़ी हूं।"
वीडियो में हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन, जो भारत की एक कैंसर शोधकर्ता थी और पिता डोनाल्ड हैरिस जो एक अफ्रीकी जमैकन अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे, का भी उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा, "जब मेरी मां श्यामला ने कैलिफोर्निया के विमान से यहां कदम रखा था, तब वह मात्र 19 साल की थीं। उनके पास बहुत कुछ नहीं था, लेकिन उन्होंने एक चीज को बहुत संभाल कर रखा, वह था अपने घर पर अपने माता-पिता से मिली सीख।"
हैरिस ने कहा, "उन्होंने उन्हें सिखाया जब आप दुनिया में अन्याय देखते हैं, तो आपका दायित्व है कि आप इसके बारे में कुछ करें।"
अपनी मां के साथ की यादों को याद करते हुए हैरिस ने कहा, "बड़े होने पर मेरी मां, मेरी बहन माया और मुझे लेकर तब के मद्रास वापस आई थीं, क्योंकि वह चाहती थीं कि हम उस स्थान को समझें कि वह कहां से आई थीं और हमारा वंश कहां था।"
उन्होंने कहा, "और हां, जाहिर तौर पर वह हमारे अंदर इडली को लेकर प्यार जगाना चाहती थी।"
उन्होंने कहा, "मद्रास में मैं अपने नानाजी के साथ लंबी सैर पर जाती थी .. और वह मुझे उन नायकों की कहानियां सुनाते थे जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के जन्म के लिए जिम्मेदार थे।"
वीडियो के अलावा, हैरिस ने बधाई देने के लिए ट्विटर का भी सहारा लिया।
उन्होंने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, "भारतीय स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं! बीते 74 साल यह दर्शाते हैं कि हमारे लोगों ने न्याय की लड़ाई में कितनी प्रगति की है। मुझे आशा है कि आप आज मेरे जश्न में शामिल होंगे और फिर एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होंगे।"
बीजिंग, 16 अगस्त (आईएएनएस)| स्पेन की एल मुनदो वेबसाइट ने हाल में लेख जारी कर कहा कि विश्व के प्रमुख बहुराष्ट्रीय निगमों का मानना है कि विश्व अर्थव्यवस्था को 2022 से पहले महामारी के पहले के स्तर तक बहाल नहीं किया जा सकता है। यह अमेरिका ओवी परामर्श कंपनी की एक जांच में सामने आया है। जांच से जाहिर है कि अमेरिकी फॉर्च्यून पत्रिका के विश्व 500 शक्तिशाली बहुराष्ट्रीय निगमों के सीईओ में 75 प्रतिशत लोग मानते हैं कि 2022 से पहले विश्व अर्थव्यवस्था को महामारी के पहले के स्तर तक बहाल नहीं किया जा सकेगा।
इसके साथ ही विश्व के पहले 50 बहुराष्ट्रीय निगमों में से 90 प्रतिशत निगमों ने महामारी के दौरान खर्च को कम करने की योजना बनायी है। यह निगमों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने का प्राथमिक मिशन है।
विश्व बैंक द्वारा जून माह में जारी विश्व आर्थिक आउटलुक की रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 के झटके से अनुमान है कि 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की कटौती होगी। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे गंभीर आर्थिक मंदी है।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
काठमांडू, 16 अगस्त (आईएएनएस)| नेपाल के सिंधुपालचौक जिले में भूस्खलन में करीब 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 21 अन्य लापता होने की सूचना मिली है। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी। प्रभावित क्षेत्र में तलाशी और बचाव अभियान जारी है। जिले की जुगल ग्रामीण नगरपालिका में शुक्रवार को हुए भूस्खलन से लिडी गांव में 37 घर भी क्षतिग्रस्त हो गए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जिला पुलिस कार्यालय सिंधुपालचौक के पुलिस अधीक्षक प्रजवोल महारजन ने बताया कि मारे गए 18 लोगों में 11 बच्चे, चार महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं।
स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है।
महारजन ने कहा, "घटना में पास की एक पहाड़ी में भी दरार आ गई है और उस पहाड़ी के तराई में 25 घर स्थित हैं।"
उन्होंने कहा, "एक अन्य भूस्खलन के जोखिम को देखते हुए हमने लोगों को नजदीकी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है और वे टेंट में रह रहे हैं।"