अंतरराष्ट्रीय
सैन फ्रांसिस्को, 23 अगस्त (आईएएनएस)| ऐप्पल अपने आगामी आईफोन 12 को 5जी सपोर्ट के साथ पेश करने जा रहा है। ऐसे में नुकसान की भरपाई करने के चलते कंपनी की चाह बैटरी बोर्ड जैसे कुछ मामूली घटकों की लागत में कटौती करने की है। ऐप्पल के विश्लेषक मिंग-ची कुओ के मुताबिक, सब-6 गीगाहट्र्ज 5जी तकनीक को अपनाने से ऐप्पल की लागत में 5619.70 से 6368.99 रुपये तक का इजाफा हो रहा है जबकि मिलीमीटर वेव तकनीक का खर्चा 9366.16 से 10115.46 रुपये तक का बैठ रहा है।
मैक रूमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कीमतों में इस इजाफे को देखते हुए कंपनी अन्य किसी भी घटक पर लागत में कटौती करना चाह रही है।
कुओ का मानना है कि बैटरी बोर्ड में आपूर्तिकतार्ओं को कीमत में भारी कटौती देखने को मिल सकती है क्योंकि कंपनी इस क्षेत्र में हल्के-फुल्के लेयर्स के साथ कुछ साधारण और छोटे डिजाइन पर विचार कर रही है।
आईफोन 12 के लिए एक हाइब्रिड हार्ड और सॉफ्ट बैटरी बोर्ड पर बात चल रही है जिसकी कीमत कथित तौर पर आईफोन 11 सीरीज में इस्तेमाल किए गए पार्ट्स से 40-50 फीसदी तक सस्ता पड़ेगा।
कुओ का कहना है कि साल 2021 में आने वाले आईफोन 12 के अगले कई स्मार्टफोन पर भी यह क्रम जारी रहेगा। इनके लिए भी एक सॉफ्ट बोर्ड डिजाइन को ही अपनाया जाएगा जिससे आईफोन 12 के बोर्ड की कीमत की तुलना में अतिरिक्त 30-40 फीसदी तक की कमी आएगी।
कुओ के रिसर्च पेपर्स में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ऐप्पल की योजना अपने एयरपॉड्स के बोर्ड आपूर्तिकतार्ओं की लागत में कटौती करने की भी है।
साल 2021 के शुरूआती चरण में लॉन्च होने वाले एयरपॉड्स 3 के विनिर्माण लागत पर और भी कमी लाई जाने की संभावना है।
वाशिंगटन, 23 अगस्त (आईएएनएस)| जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, वैश्विक कोरोनोवायरस मामलों की कुल संख्या 2.3 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है, जबकि इससे हुई मौतों की संख्या 803,000 से अधिक हो गई हैं। यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि रविवार की सुबह तक कुल मामलों की संख्या 23,130,345 हो गई थी और इससे होने वाली मौतें 803,397 हो गई।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका संक्रमण के 5,666,121 मामलों और 176,345 मौतों के साथ दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में शीर्ष पर बना हुआ है।
ब्राजील 3,582,362 संक्रमण और 114,250 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से भारत तीसरे (2,975,701) स्थान पर है, इसके बाद रूस (949,531), दक्षिण अफ्रीका (607,045), पेरू (576,067), मैक्सिको (556,216), कोलंबिया (522,138), चिली (395,708), स्पेन (386,054), ईरान (356,792), अर्जेंटीना (336,802), ब्रिटेन (326,559), सऊदी अरब (306,370), बांग्लादेश (292,625), पाकिस्तान (292,174), फ्रांस (275,562), इटली (258,136), तुर्की (257,032), जर्मनी (233,861), इराक (201,050), फिलीपींस (187,249), इंडोनेशिया (151,498), कनाडा (126,560), कतर (116,765), बोलिविया (107,435), इक्वाडोर (107,089), यूक्रेन (105,337), कजाकिस्तान (104,313) और इजरायल (101,933) है।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश मैक्सिको (60,254), भारत (55,794), ब्रिटेन (41,509), इटली (35,430), फ्रांस (30,517), स्पेन (28,838), पेरू (27,245), ईरान (20,502), रूस (16,268), कोलंबिया (16,568), दक्षिण अफ्रीका (12,987) और चिली (10,792) हैं।
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों का आंकड़ा 8 लाख के पार, अब तक कुल 2.3 करोड़ से अधिक लोग हुए संक्रमित, 1.4 करोड़ हुए ठीक.
अमरीका में सबसे अधिक 1.75 लाख लोगों की मौत, उसके बाद ब्राज़ील में 1.13 लाख लोगों की मौत हुई.
शनिवार को भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 69,000 से अधिक मामलों का पता चला.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले 30 लाख के क़रीब, इसके कारण 55,794 लोगों की मौत.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कोविड-19 की महामारी दो सालों में हो सकती है समाप्त.
कोरोना वायरस का क़हर लगातार जारी है. इसके कारण पूरी दुनिया में हर रोज़ कुछ नई तब्दीलियां आ रही हैं. आइये कुछ बड़ी ख़बरों पर नज़र डालते हैं.
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार, पूरी दुनिया में कोविड-19 के कारण मौत का आंकड़ा 8 लाख के पार जा चुका है जबकि 2.3 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं. अमरीका में 1,75,000 लोगों की मौत हुई है. उसके बाद ब्राज़ील, मेक्सिको, भारत और ब्रिटेन में मौतें हुई हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कहा है कि कोविड-19 की महामारी दो सालों के अंदर समाप्त हो जाएगी. हालांकि, ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक ने चेताया है कि वायरस ‘हमारे साथ अलग रूप मेंभी हमेशा रह सकता है.’
WHO ने 12 साल से अधिक बच्चों के लिए नए नियम जारी करते हुए कहा है कि उन्हें भी बड़ों की तरह फ़ेस-मास्क पहनना चाहिए.
क्रोएशिया से आने वाले यात्रियों को अब ब्रिटेन में दो हफ़्ते क्वारंटीन में बिताने होंगे जिसे क्रोएशियाई अधिकारियों ने ठीक नहीं कहा है.
वायरस को दोबारा फैलने से रोकने के लिए दक्षिण कोरिया में नए राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लागू किए हैं.(bbc)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस महामारी में 12 साल से अधिक आयु के बच्चों के मास्क पहनने को लेकर नए नियम जारी किए हैं.
WHO ने कहा है कि जिन-जिन देशों में जो-जो नियम व्यस्कों के लिए लागू किए गए हैं वही नियम 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों पर भी लागू किए जाएं.
शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने स्वीकार किया है कि बच्चे वायरस को कितना फैलाते हैं यह अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन इसके सबूत हैं कि किशोर आयु के बच्चे व्यस्कों की तरह वायरस फैलाते हैं.
WHO ने कहा है कि 5 साल और उससे कम आयु के बच्चों को मास्क नहीं पहनना चाहिए. वहीं, 6 से 11 साल की आयु के बच्चों के लिए सलाह दी गई है कि परिजन उनको मास्क पहनाने और उतारने में मदद करें और उन जगहों के हालात के हिसाब से उनका ध्यान रखें.
साथ ही WHO का कहना है कि 60 वर्ष से कम आयु के लोगों को कपड़े का मास्क पहनना चाहिए जबकि इससे अधिक आयु के लोगों और बाकी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को मेडिकल मास्क पहनना चाहिए. (bbc)
ढाका, 23 अगस्त (आईएएनएस)| तत्कालीन विपक्षी आवामी लीग की नेता शेख हसीना ने 21 अगस्त, 2004 को उनकी पार्टी की रैली में ग्रेनेड हमले में लगभग अपनी जान गंवा ही दी थी। छायाकार (फोटो जर्नलिस्ट) एस. एम. गोर्की, जो अपने समाचार पत्र के लिए रैली को कवर कर रहे थे, उन्होंने उस दिन का लेखा-जोखा साझा किया है। उन्होंने उस डरावनी घटना के बारे में बताया है, जिसे उन्होंने खुद भी अनुभव किया था।
गोर्की ने शनिवार सुबह आईएएनएस को बताया, "अपा (शेख हसीना) पर भयानक ग्रेनेड हमले के दिन की यादें अभी भी मुझे परेशान करती हैं। मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकता।"
रैली में मौजूद गोर्की ने हसीना से कहा था कि वह उनकी एक अच्छी तस्वीर लेना चाहते हैं।
उस वक्त हसीना ने जवाब दिया, "आप तस्वीरें लेना बंद ही नहीं करते हैं! खैर आप लीजिए।"
गोर्की ने हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद कहा, "अपा जैसे ही मेरे कैमरे में पोज देने के लिए खड़ी हुईं तो 10 सेकंड के भीतर ही पहला ग्रेनेड फेंका गया था। इसके बाद हमारे पास तस्वीर लेने का समय ही नहीं था।"
छायाकार ने कहा, "अभी भी मैं जिंदा हूं, जबकि ग्रेनेड के 150 से अधिक स्प्लिंटर्स मेरे शरीर में घुस गए थे।" छायाकार ने कहा कि उस समय उनके इलाज का सारा खर्च हसीना की सहायता के बाद उनके अखबार 'डेली जुगांतर' द्वारा वहन किया गया था।
उन्होंने कहा, "हमें रैली की शुरूआत में विस्फोट के बारे में कोई पता नहीं था। संसद में तत्कालीन विपक्षी नेता अपा को निशाना बनाकर हमला किया गया था।"
भयानक नरसंहार के तुरंत बाद, हसीना को उनकी कार में ले जाया गया। सुरक्षा गार्ड लांस कॉर्पोरल (रिटायर्ड) महबूब की मौके पर ही मौत हो गई। इसके अलावा इस खूनी हमले में 24 लोगों की जान चली गई।
गोर्की को उनके कार्यालय की ओर से राजधानी के बंगबंधु एवेन्यू में अवामी लीग की शांति रैली और जुलूस को कवर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
वह रैली के दौरान ट्रक में अस्थायी मंच की सीढ़ियों के पास मौजूद थे। बाद में वह तस्वीरें लेने के लिए मंच पर चढ़ गए थे।
गोर्की ने कहा, "हम मंच पर थे। ग्रेनेड की पहली आवाज सुनने के बाद, ढाका सिटी कॉरपोरेशन के पूर्व मेयर मोहम्मद हनीफ, मोफज्जल हुसैन, शेख हसीना के निजी सुरक्षा गार्ड मामून और कई अन्य नेताओं और कार्यकतार्ओं ने उन्हें बचाया।"
उन्होंने कहा, "मंच के सामने खून-खराबा मचा हुआ था। यह पहचानना मुश्किल था कि कौन मारे गए और कौन घायल हुए। जब मुझे पुलिस संरक्षण में इलाज के लिए ले जाया गया, तो लोगों ने ईंट-पत्थर भी फेंकने शुरू कर दिए।
अमेरिका, 22 अगस्त। वीडियो शेयरिंग ऐप टिक टॉक ने हेट स्पीच नीति का उल्लंघन करने को लेकर कार्रवाई करते हुए 3,80,000 वीडियो डिलीट किए हैं. ऐप ने 64,000 टिप्पणियां और 1,300 अकाउंट हटा दिए हैं.
आपत्तिजनक सामग्री में नस्लीय उत्पीड़न, गुलामी और होलोकॉस्ट जैसी हिंसक त्रासदियां शामिल थीं जिसे टिक टॉक ने भड़काऊ भाषण वाली नीति का उल्लंघन मानते हुए अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया है. सोशल मीडिया ऐप टिक टॉक ने अमेरिका में 3,80,000 वीडियो के साथ साथ 1,300 टिप्पणियां को भी प्रतिबंधित किया है. ऐप ने साथ ही कहा है कि उसने इसी उल्लंघन के तहत 64,000 कमेंट्स डिलीट कर दिए हैं. चीन की बाइटडांस के पास टिक टॉक का स्वामित्व है. पिछले दिनों भारत में टिक टॉक समेत कई चीनी ऐप्स को सुरक्षा का हवाला देते हुए बैन कर दिया गया था.
टिक टॉक अमेरिका के सुरक्षा प्रमुख एरिक हान ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, "हमारा लक्ष्य टिक टॉक पर नफरत को खत्म करना है. यह संख्या भड़काऊ पोस्ट या नफरत से भरे व्यवहार को पकड़ने में सौ फीसदी सफलता दर को नहीं दर्शाती है लेकिन कार्रवाई के लिए हमारी प्रतिबद्धता का संकेत देती है." चीनी ऐप का कहना है कि उसने ऐसी सामग्री पर कार्रवाई की है जिसमें नस्लीय आधारित उत्पीड़न, "हिंसक त्रासदियों" जैसे कि होलोकॉस्ट और गुलामी प्रथा से इनकार किया गया था.
टिक टॉक पर लोग छोटे अवधि का वीडियो साझा करते हैं और यह अमेरिका में युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है. हालांकि बीते कुछ हफ्तों में यह राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नजरों पर चढ़ा हुआ है. ट्रंप का कहना है कि यह अमेरका की "राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है." ऐप पर यह भी आरोप लगे कि वह यूजर डाटा चीनी सरकार को देता है लेकिन टिक टॉक इन आरोपों से इनकार करता आया है.
ट्रंप ने टिक टॉक के खिलाफ कार्यकारी आदेश जारी कर समयसीमा दे दी है और बाइटडांस को अमेरिका में कारोबारा बेचने के लिए कहा है. अमेरिकी तकनीकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने टिक टॉक को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है जिस पर ट्रंप ने भी स्वीकृति दे दी है. टेक कंपनी ओरेकल ने भी टिक टॉक खरीदने में दिलचस्पी जाहिर की है.
हाल ही में कंपनी ने एक बयान में कहा था, "टिक टॉक ने कभी अमेरिकी यूजर डाटा को चीनी सरकार को नहीं दिया है और ना ही मांगने पर वह ऐसा करेगी." चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप टिक टॉक पर अमेरिकी अधिकारियों की ट्रैकिंग और कॉरपोरेट जासूसी के भी आरोप लगा चुके हैं. चीनी मैसेजिंग ऐप वीचैट पर प्रतिबंध का आदेश भी अमेरिका जारी कर चुका है.(DW.COM)
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
ढाका, 22 अगस्त। बांग्लादेश में झोपड़पट्टियों (मलिन बस्ती) में रहने वाले लोगों में कोरोनावायरस संक्रमण की दर केवल छह प्रतिशत पाई गई है।
इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी डिजीज कंट्रोल एंड रिसर्च एंड इंटरनेशनल सेंटर फॉर डायरियाल डिजीज रिसर्च में पाया गया कि मलिन बस्तियों में संक्रमण की दर अपेक्षाकृत कम है, क्योंकि अधिकांश निवासी जो परिधान श्रमिक (गारमेंट वर्कर) हैं, वह नियमित रूप से बीमारी की निगरानी कर रहे हैं और संक्रमण को लेकर काफी सचेत हैं।
जब मार्च में पहली बार देश में महामारी ने दस्तक दी तो सबसे बड़ा खतरा ढाका में लाखों रेडीमेड गारमेंट (आरएमजी) श्रमिकों और झुग्गियों में रहने वालों को लेकर था।
अकेले ढाका की कोरेल बस्ती (स्लम) में लगभग 3.5 लाख लोग रहते हैं और यहां सैकड़ों लोगों के लिए केवल दो शौचालय हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोधकर्ता लेलिन चौधरी ने शनिवार को आईएएनएस को बताया, "उनमें से कोई भी (झुग्गी में रहने वाले) मास्क नहीं पहनते हैं। लेकिन वे कम प्रभावित हुए हैं। इसीलिए ढाका में कोविड-19 को 'अमीर लोगों की बीमारी' का नाम दिया गया है।"
उन्होंने कहा, "जो लोग शर्ट और जूते नहीं पहनते हैं और धूप में अधिक समय बिताते हैं, वे प्रकृति के करीब हैं और उच्च प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) रखते हैं। जो लोग वातानुकूलित कमरों में रहते हैं और धूप में नहीं रहते तथा अधिक संरक्षित खाद्य पदार्थ खाते हैं, उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।"
आईईडीसीआर के सलाहकार मुश्ताक हुसैन ने कहा, "जो लोग रोजाना कमाकर खाते हैं और आरएमजी क्षेत्र के श्रमिक बड़े पैमाने पर कोविड-19 से प्रभावित नहीं हुए हैं। यह अभी तक मालिकों व परिधान क्षेत्र प्रशासन द्वारा उठाए गए प्रभावी रोकथाम उपायों के कारण संभव हुआ है।"
गाजीपुर के सिविल सर्जन एम. डी. खैरुज्जमान ने आईएएनएस को बताया, "हम झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों और आरएमजी श्रमिकों के बारे में बहुत चिंतित थे। इसके आधार पर, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए कि कारखाने थोड़े समय के भीतर स्वच्छता मानदंडों के अनुपालन में चलें।"
उन्होंने कहा, "अधिकांश आरएमजी कारखानों ने उचित स्वच्छता मानदंडों का पालन किया है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में श्रमिकों के बीच संक्रमण को थोड़े समय में नियंत्रण में लाया गया है। यदि ऐसा नहीं किया गया होता, तो शायद सभी की आशंकाएं सच हो जातीं।"
आईईडीसीआर की नवनियुक्त निदेशक, प्रोफेसर तहमीना शिरीन ने कहा, "आंकड़ों से, हम कह सकते हैं कि परिधान श्रमिकों और झुग्गी निवासियों के बीच संक्रमण दर अपेक्षाकृत कम है।"
विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण एशियाई पृष्ठभूमि के लोगों में गोरे लोगों की तुलना में एंटी-बॉडी की प्रतिशतता अधिक होती है।(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको भारत में अपने निवेश की योजना पर कायम है, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 15 अरब डॉलर का सौदा भी शामिल है। भले ही कोविड-19 महामारी के कारण मांग में कमी और तेल के गिरते भाव के चलते तेल कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं, मगर सऊदी अरामको की भारत में निवेश को लेकर रुचि अभी भी बनी हुई है।
अरामको ने आईएएनएस से एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि वो अपनी सभी भारतीय निवेश योजना में रुचि रखे हुए हैं और जल्द ही इस बारे में आगे की जानकारी (अपडेट) देंगे। इसमें आरआईएल की रिफाइनरी और रसायन व्यवसाय में 15 अरब डॉलर का प्रस्तावित निवेश शामिल है।
तेल की दिग्गज कंपनी ने अपने वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में शुद्ध आय में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, जिसके बाद सऊदी अरामको की निवेश योजना के बारे में संदेह जताया जा रहा था। कोरोनावायरस महामारी की वजह से ये साल तेल के बाजारों के लिए विनाशकारी साबित हुआ है और बड़े पैमाने पर वैश्विक अर्थव्यवस्था भी चरमराई हुई है।
कंपनी ने एक ई-मेल के जरिए पूछे गए सवाल पर कहा, "अरामको की भारत सहित एशिया में संभावित विकास के अवसरों का पता लगाने के लिए योजनाएं जारी हैं।"
कंपनी ने कहा, "हम अभी भी रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं और जब जरूरी होगा, इस संबंध में जरूरी अपडेट करेंगे।"
रिलायंस सौदे के अलावा, सऊदी अरामको ने दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता भारत में कई अन्य उपक्रमों में भी हिस्सा बनने की इच्छा जाहिर की है।
अरामको के लिए सरकारी रिफाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड में पूरी सरकार की हिस्सेदारी लेने के लिए विचार-विमर्श हुआ है। इससे सऊदी कंपनी को विशाल भारतीय खुदरा बाजार में वृद्धि के लिए बड़ी संभावनाएं मिलेंगी।
भारत सरकार महाराष्ट्र में प्रस्तावित 60 अरब डॉलर की तेल रिफाइनरी में भी अरामको के निवेश पर भी नजर बनाए हुए है। इसके साथ ही सरकार देश में इसके तेल विपणन और खुदरा बिक्री में भी निवेश को देख रही है। तेल की दिग्गज कंपनी भारत के रणनीतिक तेल भंडार में अपना कुछ तेल डालने के विकल्प भी तलाश रही है।
तेल बाजार के लिए चिंताओं के बावजूद, विश्लेषकों ने कहा है कि अरामको बाजार की परिस्थितियों को देखते हुए बेहतर रूप से तैयार है। एशिया के लिए निवेश योजनाओं को देखते हुए यह अच्छी खबर है।(IANS)
जिनेवा, 22 अगस्त (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक ट्रेडोस अधानोम घेब्रियेसस ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी दो साल के अंदर खत्म हो सकती है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस शुक्रवार को जिनेवा से एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि 1918 के स्पैनिश फ्लू को दूर होने में दो साल लग गए थे, लेकिन तकनीक में प्रगति कर चुकी वर्तमान दुनिया कोविड -19 महामारी को 'कम समय में' रोक सकती है।
उन्होंने कहा, "अधिक संपर्क के साथ बेशक वायरस को फैलने का एक बेहतर मौका मिला है।"
उन्होंने राष्ट्रीय एकता, वैश्विक एकजुटता के महत्व पर बल देते हुए आगे कहा, "लेकिन साथ ही, हमारे पास इसे रोकने की तकनीक भी है, और इसे रोकने के लिए ज्ञान भी।"
ट्रेडोस ने संबोधन के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) से जुड़े भ्रष्टाचार के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए इसे अपराध बताया।
उन्होंने कहा, "किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार स्वीकार नहीं किया जा सकता है।"
बीबीसी ने महानिदेशक के हवाले से कहा, "हालांकि, पीपीई से संबंधित भ्रष्टाचार .. मेरे लिए यह अपराध वास्तव में हत्या जितना जघन्य है, क्योंकि अगर स्वास्थ्य कार्यकर्ता पीपीई के बिना काम करते हैं, तो हम अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। और यह उन लोगों के जीवन को भी खतरे में डाल देता है जो वे सेवा करते हैं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेडोस ने यह भी कहा कि महामारी ने जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया के प्रयासों में तेजी लाने की नई प्रेरणा दी है।
उन्होंने आगे कहा, "इतिहास पर गौर किया जाए तो पाएंगे कि प्रकोप और महामारी अर्थव्यवस्था और समाज में परिवर्तन के कारण बने हैं, यह भी वैसा ही है, उनसे अलग नहीं।"
उन्होंने कहा, "हम देख सकते हैं कि इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट ने हमें अपनी दुनिया की एक झलक दी है कि हमारा आसमान और नदियां भी स्वच्छ हो सकती हैं, और हम बेहतर हरियाली भरे माहौल में वापस लौट सकते हैं।"
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने दोहराया कि "कोविड -19 एक सदी में एक बार आने वाला स्वास्थ्य संकट है। लेकिन यह भी सच है कि यह हमें सदी में बस एक बार मौका देता है कि हम अपने बच्चों को बेहतर दुनिया विरासत में दें, एक ऐसी दुनिया जिसकी कामना सब करते हैं।"
एथेंस, 22 अगस्त (आईएएनएस)| तुर्की द्वारा चोरा संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के निर्णय की आलोचना करते हुए ग्रीस ने इसे 'पूरी तरह से निंदनीय' करार दिया है। यह संग्रहालय 1,000 साल पुराना है और पहले यह बीजान्टिन ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च था। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को ग्रीस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रतिष्ठित हागिया सोफिया संग्रहालय को एक मस्जिद में परिवर्तित करने और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय आलोचना झेलने के बावजूद तुर्की अब 'अपने क्षेत्र के भीतर एक और यूनेस्को सांस्कृतिक विरासत स्मारक" का बेरहमी से अपमान कर रहा है।
बता दें कि इस्तांबुल में स्थित चोरा संग्रहालय को चौथी शताब्दी में एक मठ परिसर के हिस्से के रूप में बनाया गया था।
हुर्रियत डेली न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, चोरा का 1077-81 के दौरान बड़े पैमाने पुनरूद्धार किया गया था। 12 वीं शताब्दी में आए भूकंप में इसका आंशिक रूप से पतन होने के बाद फिर से इसे बनाया गया था।
यह प्रतिष्ठित स्थल एक मध्ययुगीन बीजान्टिन चर्च था जिसे 14 वीं शताब्दी के भित्तिचित्रों से सजाया गया था जो ईसाई दुनिया में बेहद कीमती माने जाते हैं।
ओटोमन साम्राज्य द्वारा इस्तांबुल पर 1453 की विजय के बाद यह कारी मस्जिद में परिवर्तित हो गया था। फिर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह कारी संग्रहालय बन गया। अमेरिकी कला इतिहासकारों के एक समूह ने तब मूल चर्च के मोजैक को बहाल करने में मदद की और 1958 में इसे सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए खोल दिया।
चोरा संग्रहालय को मस्जिद में बदलने का इस्तांबुल का निर्णय 5 वीं शताब्दी के हागिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में बदलने के ठीक एक महीने बाद आया है। यह भी एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
इसके बाद ग्रीस समेत कई देशों ने इस निर्णय की निंदा की थी।
हागिया सोफिया में जुमे की पहली नमाज कई दशकों के बाद 24 जुलाई को आयोजित की गई थी।
-अरुणोदय मुखर्जी
भारत और चीन के बीच बिगड़ते रिश्ते इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पिछले कुछ सालों में भले ही दोनों देशों में गर्मजोशी दिखी थी, लेकिन उनके बीच कुछ मूलभूत विवाद अभी भी बने हुए हैं.
ऐसे में दोनों देशों के आपसी रिश्तों के भविष्य को लेकर भारत की विदेश नीति की भूमिका काफ़ी अहम हो जाती है.
भारत की पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव कहती हैं, "पिछले 45 सालों में एलएसी पर एक भी गोली नहीं चली थी लेकिन गलवान की घटना के कारण अब सबकुछ बिखरा हुआ नज़र आ रहा है."
पिछले एक दशक में भारत का चीन के प्रति दोस्ताना रवैया रहा है, चीन ने भारत में निवेश किए हैं और व्यापार करता रहा है.
सीमा पर विवाद के बाद भी भारत का चीनी मोबाइल एप्स पर बैन लगाना भी एक सीमित क़दम था.
यूरेशिया समूह के अध्यक्ष इएन ब्रेमर मानते हैं कि भारत सीमा पर विवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहता.
उन्होंने बीबीसी को बताया, "ये बहुत साफ़ है कि भारत की सेना चीनी सेना की गोलीबारी की क्षमता के आसपास भी नहीं है और वह सीमा पर चीन के साथ विवाद को बढ़ाना नहीं चाहते, लेकिन भारत के पास एक बहुत लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं और चीन के ख़िलाफ बोलकर अपनी राष्ट्रवादी छवि को निखारना उन्हें राजनीतिक फ़ायदा पहुंचाता है, इससे देश में इंडस्ट्री को भी मदद मिलती है और भारतीयों के लिए चीन के ख़िलाफ अपने पसंद के क्षेत्र में वापस आने का यह एक प्रभावी तरीका है."
भारत चीन के बीच व्यापार
भारत और चीन के बीच सामानों के आपसी व्यापार के विकास की कहानी उत्साहजनक है. साल 2001 में इसकी लागत केवल 3.6 अरब डॉलर थी. साल 2019 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 90 अरब डॉलर का हो गया. चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है.
ये रिश्ता एक तरफ़ा नहीं है. अगर आज भारत सामान्य दवाओं में दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है तो इसमें चीन का भी योगदान है क्योंकि सामान्य दवाओं के लिए कच्चा माल चीन से आता है. व्यापार के अलावा दोनों देशों ने एक दूसरे के यहाँ निवेश भी क्या है लेकिन अपनी क्षमता से कहीं कम.
साल 1962 के युद्ध और लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल में सालों से जारी तनाव के बावजूद आपसी व्यापार बढ़ता आया है.
भारत की तरफ़ से ये शिकायत रहती है कि द्विपक्षीय व्यापार में चीन का निर्यात दो-तिहाई है.
भारत चीन के बीच 50 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटे को देखते हुए, इससे अधिक कठोर कदम उठाना भारते को उल्टा पड़ सकता है. भारत के ज़रुरी है कि वो संभल कर क़दम उठाए, इलाके में अपने भू राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के साथ साथ आर्थिक ज़रुरतों का भी ध्यान रखना होगा.
चीन और भारत एक दूसरे के उत्पादकों के लिए बड़े बाज़ार हैं. साथ ही अमरीका और पश्चिमी देशों के लिए भी ये दोनों देश सबसे बड़े और आकर्षक बाज़ार हैं.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के 2019 के आँकड़ों के अनुसार विश्व की सामूहिक अर्थव्यवस्था लगभग 90 खरब अमरीकी डॉलर की है, जिसमें चीन का योगदान 15.5 प्रतिशत है और भारत का योगदान 3.9 प्रतिशत है.
विश्व की अर्थव्यवस्था के 22-23 प्रतिशत हिस्से पर दुनिया की 37 प्रतिशत आबादी की देखभाल की ज़िम्मेदारी है.
बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट भारत के लिए चुनौती
इसके साथ ही चीन का बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट जिसके तहत पड़ोसी देशों में भी हाइवे, रेलवे ,पोर्ट बना रहा है, भारत के आने वाल वक्त में चुनौती साबित हो सकता है.
इयान ब्रेमर के मुताबिक , "इन देशों पर चीन का बहुत प्रभाव होगा. भारतीय अपने आप को बैकफुट पर पाते हैं. चीन एक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है जहां सरकार के इशारे पर बहुत सारे
निवेश हो रहे हैं और सरकार को राजनीतिक लाभ मिल रहा है. भारत के लिए एक बढ़ती हुई चुनौती है."
इस इलाके में स्थिरता इस बात का बहुत बड़ा योगदान होगा कि आने वाले कुछ समय में दोनों देश आपस में एक दूसरे के साथ कैसे काम करते हैं.
चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर या सीपेक भी चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत बनाए जा रहे व्यापारिक नेटवर्क का हिस्सा है.
सीपेक के तहत पाकिस्तान में इंफ़्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनमें चीन का 62 अरब डॉलर का निवेश है. चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की सभी परियोजनाओं में सीपेक को सबसे महत्वपूर्ण मानता है.
15 जून को गलवान में हुई थी हिंसक झड़प
15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष में भारत के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी. चीन ने हताहतों के बारे में आधिकारिक रूप से अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है. तब से सीमावर्ती इलाक़े में दोनों देशों की ओर से सैनिकों का जमावड़ा है.
दोनों देशों में सैनिक और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है और तनाव कम करने की भी दावा किया जा रहा है.
हालाँकि पिछले महीने जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख़ में कहा था कि दोनों देशों में बातचीत जारी है और समस्या का हल निकल जाना चाहिए. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि ये मामला कहाँ तक हल होगा, इसकी गारंटी वे नहीं दे सकते.
15 जून की घटना के बाद भारत और चीन के बीच कई स्तर पर बातचीत हुई है. दोनों देशों की सेनाएँ कई इलाक़ों से पीछे भी हटी हैं, लेकिन अब भी कुछ इलाक़ों को लेकर दोनों देशों में बातचीत जारी है.(bbc)
दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में खुदाई करने वालों की एक जोड़ी ने सोने की दो डलियां खोद निकाली हैं, जिनकी क़ीमत लगभग 250,000 अमरीकी डॉलर यानी एक करोड़ 87 लाख रूपये से कुछ अधिक बताई जा रही है.
ब्रेंट शैनॉन और एथन वेस्ट को ये सोने की डलियाँ विक्टोरिया राज्य के टार्नागुल्ला शहर के पास खुदाई के दौरान मिली.
उनकी इस खोज को चर्चित टीवी शो 'ऑस्ट्रेलियाई गोल्ड हंटर्स' पर दिखाया गया. यह कार्यक्रम गुरुवार को प्रसारित हुआ था.
इस जोड़ी ने मेटल डिटेक्टरों का इस्तेमाल कर सोने का पता लगाया और उस इलाक़े में की खुदाई कर सोना निकाला. सोना निकालने की पूरी प्रक्रिया को टीवी पर प्रसारित भी किया गया.
सीएनएन से बात करते हुए एथन वेस्ट ने कहा, "यह निश्चित रूप से हमारी सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक है. एक ही दिन में इतनी बड़ी दो डलियों की खोज, वाक़ई आश्चर्यजनक है."
इस कार्यक्रम को प्रसारित करने वाले 'डिस्कवरी चैनल' के अनुसार, एथन वेस्ट और उनके पिता ने मिलकर कुछ ही घंटों में सोने की इन डलियों को खोज निकाला जिनका वजन क़रीब साढ़े तीन किलो है.
इन दोनों का वज़न मिलाकर क़रीब साढ़े तीन किलो है
इस टीवी शो में ऑस्ट्रेलिया के सुदूर इलाक़ों में सोने की खोज करने वाली जोड़ियों का काम दर्शकों का दिखाया जाता है. कार्यक्रम में ये दिखाया जाता है कि खोजकर्ता ज़मीन में दबे सोने को कैसे ढूंढते हैं.
ऑस्ट्रेलियाई टीवी शो 'सनराइज़' से बात करते हुए ब्रेंट शैनॉन ने कहा, "हम एक मौक़ा लेकर देखना चाहते थे. वो सिर्फ़ एक खाली ग्राउंड था, जिसका मतलब यह भी था कि वहाँ पहले कोई खुदाई नहीं हुई."
एथन वेस्ट के मुताबिक़, चार साल में खुदाई करते हुए उन्हें सोने के 'शायद हज़ारों' टुकड़े मिले हैं.
डिस्कवरी चैनल ने यह भी कहा है कि सोने की खोज करने वाले अपने अनुमानित मूल्य की तुलना में सोने की डली के लिए 30 फीसदी तक अधिक भुगतान कर सकते हैं.
साल 2019 में एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति ने मेटल डिटेक्टर का उपयोग करते हुए 1.4 किलो सोना निकाला था. इसकी अनुमानित क़ीमत लगभग 69,000 अमरीकी डॉलर यानी 51 लाख रुपये से अधिक थी.
ऑस्ट्रेलिया में सोने का खनन 1850 के दशक में शुरू हुआ था और आज भी यह देश में एक महत्वपूर्ण उद्योग है.
एक स्थानीय वेबसाइट के अनुसार, टार्नागुल्ला शहर की स्थापना भी 'विक्टोरिया गोल्ड रश' के दौरान हुई थी और इसी वजह से यह एक धनी शहर है जहाँ बहुत से खोजकर्ता अपना भाग्य आज़माने के लिए पहुँचते रहे हैं.(bbc)
सैन फ्रांसिस्को, 22 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमिशन (एफटीसी) ने इस सप्ताह फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग से पूछताछ की है। न्यूज वेबसाइट पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूछताछ प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों की जांच के तहत की गई है। जकरबर्ग से इस सप्ताह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दो दिनों तक पूछताछ की गई।
एफटीसी, जो एक साल से अधिक समय से फेसबुक पर एंटी ट्रस्ट जांच कर रही है, उसने रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की।
फेसबुक के एक प्रवक्ता ने द वर्ज को बताया, "हम अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमिशन की जांच में सहयोग करने और एजेंसी के सवालों का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
जुकरबर्ग ने पिछले महीने फेसबुक सहित चार बड़ी तकनीकी कंपनियों की हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी की एंटी ट्रस्ट जांच के संबंध में अमेरिकी कांग्रेस पैनल के सामने गवाही दी थी।
फेसबुक के सीईओ को इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के अधिग्रहण पर पैनल के कठिन सवालों का सामना करना पड़ा था।
एफटीसी ने पिछले साल फेसबुक पर रिकॉर्ड तोड़ पांच अरब डॉलर का जुमार्ना लगाया था, जो राजनीतिक एनालिटिक्स फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका और अन्य गोपनीयता उल्लंघनों से जुड़ा है। यह जांच गोपनीयता (प्राइवेसी) से संबंधित कंपनी की गतिविधियों को लेकर की जा रही थी और इस जांच में प्राइवेसी से जुड़े कई मामले सामने आए थे।
वाशिंगटन, 21 अगस्त | अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देशवासियों को चेतावनी देते हुए कहा कि देश का लोकतंत्र दांव पर लगा हुआ है, क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद के लिए 'स्पष्ट रूप से अनफिट' हैं। ओबामा की यह टिप्पणी डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन (डीएनसी) का हिस्सा थी, जो उन्होंने फिलाडेल्फिया में म्यूजियम ऑफ अमेरिकंस रिवॉल्यूशन से वर्चुअल तौर पर की।
पूर्व उप-राष्ट्रपति जो बाइडन को डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करने का मतदाताओं से आग्रह करते हुए ओबामा ने कहा, "मैं आपसे आपकी क्षमता पर विश्वास करने के लिए भी कह रहा हूं, जो कि नागरिकों के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाने की है और यह सुनिश्चित करने की है कि हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांत आगे भी जारी रहें। क्योंकि अभी जो दांव पर है, वह हमारा लोकतंत्र है।"
द हिल समाचार वेबसाइट के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "अगर यह प्रशासन जीत जाता है तो यह हमारे लोकतंत्र को आंसू बहाने पर मजबूर कर देगा। इसने ऐसा करके दिखाया है।" अपने संबोधन में ओबामा ने ट्रंप पर उनके चरित्र, प्रदर्शनकारियों के साथ किए गए व्यवहार, मीडिया पर हमलों और नौकरी के प्रति प्रतिबद्धता की कमी को लेकर भी हमला बोला।
ओबामा ने आगे कहा, "मुझे उम्मीद थी कि डोनाल्ड ट्रंप गंभीरता से काम करने में कुछ दिलचस्पी दिखा सकते हैं, वह कार्यालय की जिम्मेदारी महसूस कर सकते हैं लेकिन उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया। उन्होंने काम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, किसी की मदद करने के लिए अपने कार्यालय की अद्भुत शक्तियों का उपयोग करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।"
इस दौरान ओबामा ने अपने संबोधन में डेमोक्रेट राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बाइडन को अपना भाई बताते हुए उनके लिए जो स्नेह जताया, वह भी उल्लेखनीय रहा। बता दें कि इससे पहले उनकी पत्नी मिशेल ओबामा ने भी अपने भाषण में कहा था कि ट्रम्प 'हमारे देश के लिए गलत राष्ट्रपति' हैं। (navjivan)
सुमी खान
ढाका, 21 अगस्त (आईएएनएस)| बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शुक्रवार को कहा कि बीएनपी नेता खालिदा जिया ओर उनके बड़े बेटे तारीक रहमान ढाका में 2004 को हुए ग्रेनेड हमले में उन्हें मारना चाहते थे।
हसीना का ये बयान 21 अगस्त 2004 को हुए हमले की 16वीं बरसीं के अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए आया है। हमला ढाका के बंगबंधु ऐवन्यू में आवामी लीग द्वारा आयोजित आतंकवादी-रोधी रैली में किया गया था।
हमले में 24 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें मोहिला आवामी लीग की तत्कालीन अध्यक्ष और दिवंगत राष्ट्रपति जिल्लुर रहमान की पत्नी इवी भी शामिल थीं। हमले में 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
उन्होंने कहा, "खालिदा जिया और उसका बड़ा बेटा तारिक रहमान बंगबंधु ऐवन्यू में ग्रेनेड हमले में मुझे मारना चाहते थे। यह रैली सिलहट में तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायोग में बम हमले और देश में अन्य 500 से ज्यादा जगहों पर हुए हमलों के विरोध में आयोजित की जा रही थी।"
उन्होंने कहा, "मैं उनका मुख्य टारगेट थी।"
हसीना ने कहा, "बम हमले के पहले, उन्होंने कहा था कि आवामी लीग 100 सालों के लिए सत्ता में आने में सक्षम नहीं होगी।"
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि हत्याएं करवाना 'उनकी आदत है, क्योंकि वे देश की आजादी और लिबरेशन वार स्पिरिट में विश्वास नहीं करते हैं।'
उन्होंने कहा कि सत्ता उनके लिए भ्रष्टाचार के जरिए पैसे कमाने का औजार है।
2004 के जघन्य हमले को याद करते हुए, हसीना ने कहा कि तत्कालीन बीएनपी-जमात सरकार ने आतंकवादियों को एकत्रित किया और इस तरह के हमले के लिए प्रशिक्षण दिया और साथ ही आतंकवादियों को विदेश भाग जाने की सुविधा मुहैया कराई।
उन्होंने कहा, "तत्कालीन बीएनपी-जमात सरकार को लगा कि मैं ग्रेनेड हमले में मर जाऊंगी, लेकिन जब उन्हें पता चला कि मैं बच गई, उन्होंने आतंकवादियों को यहां से भागने की इजाजत दी।"
हमले के बाद, पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और आवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बचाने के बदले उनपर लाठियां बरसाईं।
हसीना ने कहा कि यहां तक कि बीएनपी-जमात समर्थित डॉक्टरों ने ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में घायलों का इलाज नहीं किया और साथ ही किसी पीड़ित को बंगबंधु शेख मुजीबर मेडिकल यूनिवर्सिटी में जाने की इजाजत नहीं दी गई, क्योंकि उसे बंद कर दिया गया था।
हमले में तत्कालीन विपक्षी नेता हसीना बाल-बाल बच गईं थीं, लेकिन इससे उनके सुनने की क्षमता में असर पड़ा था।
शुक्रवार को इसके अलावा 1971, 1975 और 2004 में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा गया।
आवामी लीग के महासचिव उबैदुल कादर ने बैठक में स्वागत भाषण दिया।
मॉस्को, 21 अगस्त (आईएएनएस)| रूस के चिकित्सकों ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कठोर आलोचक और विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी ज्यादा बीमार पड़ गए हैं और उन्हें अब इलाज के लिए जर्मनी भेजा जाएगा। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, तोम्स्क से मॉस्को तक अपनी हवाई यात्रा के दौरान नवेलनी की तबीयत इस कदर बिगड़ी कि वह गुरुवार से कोमा में हैं। अचानक तबीयत बिगड़ने के चलते साइबेरिया के ओम्स्क में फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी।
ओम्स्क के इमरजेंसी हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराने के बाद 44 वर्षीय नवेलनी के प्रवक्ता कीरा यर्मिश ने ट्वीट करते हुए कहा, "एलेक्सी को विषैला जहर दिया गया है।"
हालांकि तास समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल के उप मुख्य चिकित्सक अनातोली कालिनिचेंको ने पत्रकारों को बताया कि नवेलनी के रक्त में कोई जहर नहीं पाया गया है, इसलिए डॉक्टर्स को नहीं लगता है कि उन्हें जहर दिया गया होगा।
कालिनिचेंको ने कहा, "उनके सिस्टम में जहर होने का पता नहीं लगा है। बहरहाल, हमारे दिमाग में कहीं न कहीं यह बात अब भी रही है, लेकिन हमें नहीं लगता कि मरीज को जहर दिया गया है।"
इस बीच, अस्पताल के मुख्य चिकित्सक अलेक्जेंडर मुराखोव्सकी ने कहा कि नवेलनी की हालत में पहले से कुछ सुधार है, लेकिन अभी भी वह अस्थिर हैं।
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि नवेलनी के चलने-फिरने लायक होने से पहले कानूनी सवालात सुलझाए जाने की जरूरत है।
इस्लामाबाद, 21 अगस्त (आईएएनएस) | पाकिस्तान के संघीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार मंत्री अमीनुल हक ने फेसबुक की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि वो पाकिस्तान की तुलना में भारतीय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) के लिए पक्षपात करता है।
मंत्री ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि फेसबुक इंक की सामग्री विनियम नीतियों ने कथित तौर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी का पक्ष लिया है। रिपोर्ट का हवाला देते हुए हक ने आग्रह किया कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी को व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने साथ ही यह दावा भी किया कि यह अब अपने उपयोगकतार्ओं के प्रति निष्पक्ष नहीं है।
डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के बाद भारत में काफी विवाद देखने को मिला है। विपक्षी पार्टियां फेसबुक की ओर से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा मिलने का आरोप लगा रही हैं और इस मामले की जांच की मांग कर रहीं हैं। इस वजह से भारत में फेसबुक का जनसंपर्क (पब्लिक रिलेशन) और राजनीतिक ²ष्टिकोण (पॉलिटिकल अप्रोच) संकट में है।
गौरतलब है कि अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भाजपा के एक विधायक के भड़काऊ भाषण (हेट स्पीच) वाले पोस्ट पर कार्रवाई करने से फेसबुक की भारत में अधिकारी अंखी दास ने अपनी टीम को रोका था। उन्होंने भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से कारोबार को नुकसान होने की बात कही थी।
मंत्री हक ने कहा, कंपनी ने भाजपा नेताओं और कार्यकतार्ओं द्वारा साझा किए गए हेट स्पीच और सांप्रदायिक सामग्री को लगातार नजरअंदाज कर दिया था।
उन्होंने कहा, फेसबुक भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के लिए नरमी बरतता (सॉफ्ट कॉर्नर) है।
मंत्री ने कश्मीर राग अलापते हुए कहा कि दुनिया भर के उपयोगकतार्ओं द्वारा डाले गए पोस्ट जम्मू एवं कश्मीर की स्वायत्त स्थिति को रद्द करने के भारत सरकार के कदम की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को इस क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया था, जिसकी निंदा सोशल मीडिया के माध्यम से की गई।
उन्होंने कहा, कंपनी ने ऐसे पोस्ट साझा (शेयर) करने वाले अकाउंट्स को भी बंद कर दिया।
हक ने फेसबुक की आलोचना करते हुए कहा कि यह कश्मीरियों पर कथित भारतीय अत्याचारों को सार्वजनिक करने के बारे में सभी नियम-कायदों को मानता है, लेकिन जब क्षेत्रीय कार्यालयों में भारी निवेश और कर्मचारियों के भारतीय होने की बात आती है, तो वित्तीय लाभ के कारण फेसबुक प्रशासन सभी नैतिक मूल्यों और कोड को अपनाने की अनदेखी करता है।
मंत्री ने कहा कि फिलिस्तीन के इजरायल दमन से संबंधित पोस्ट पर भी फेसबुक ने इसी तरह की नीति अपनाई है।
मामले पर फेसबुक द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर टिप्पणी करते हुए, हक ने जोर दिया कि मामले को स्पष्ट करने के लिए कंपनी को व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत है। मंत्री ने यह सवाल भी उठाया कि भारत और पाकिस्तान में सोशल मीडिया दिग्गज की अलग और पक्षपाती नीतियां क्यों हैं।
डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट ने भारत में व्यापक बहस छेड़ दी है, जिससे फेसबुक की सामग्री विनियमन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
इस मामले पर फेसबुक ने स्पष्ट किया है कि वह किसी की राजनीतिक स्थिति के बावजूद हेट स्पीच को बढ़ावा न देते हुए इसे प्रतिबंधित करता है।
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 21 अगस्त (आईएएनएस)। डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने कहा है कि उनकी रनिंग मैट कमला हैरिस राष्ट्र के लिए सशक्त आवाज के साथ 'महान उपराष्ट्रपति' बनेंगी।
डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन के अंतिम दिन औपचारिक रूप से अपना नामांकन स्वीकार करते हुए गुरुवार रात को बाइडन ने अपने भाषण में अपनी विभिन्न पहचानों के बारे में बताया, जो पार्टी की एकता और अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण पर जोर देती हैं।
अगर वे चयनित होते हैं, तो अपने आगे के कार्यों को रेखांकित करते हुए बिडेन ने कहा, "मुझे यह अकेले नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि मेरे साथ से एक महान उपराष्ट्रपति होगी। सीनेटर कमला हैरिस। वह इस राष्ट्र के लिए एक सशक्त आवाज है।"
उन्होंने आगे कहा, "उनकी कहानी अमेरिकी कहानी है। वह हमारे देश में कई मार्गों पर आने वाली सभी बाधाओं के बारे में जानती है। महिलाएं, अश्वेत महिलाएं, अश्वेत अमेरिकी, दक्षिण एशियाई अमेरिकी, अप्रवासी सभी के बारे में।"
उन्होंने आगे कहा, "लेकिन वह हर उस बाधा को पार कर आगे बढ़ी, जिसका उन्हें सामना करना पड़ा। बिग बैंक्स या गन लॉबी के आधार पर कोई भी मजबूत नहीं है। इस मौजूदा प्रशासन को उसके अतिवाद, कानून का पालन करने में उसकी विफलता और मात्र सच कहने में उसकी विफलता के बारे में बताने के लिए कोई भी इतना सख्त नहीं है।"
उपराष्ट्रपति के लिए बुधवार को अपना नामांकन स्वीकार करते हुए, हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन और एक अप्रवासी के रूप में उनकी सक्रियता के प्रति समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
हैरिस ने कहा कि वह अपनी मां के विचारों और संस्कारों के साथ खड़ी थी और उन्होंने मुझसे सिखाए गए मूल्यों के लिए समर्पित होने का वादा लिया।
हैरिस ने अपने परिवार की बात की जिसमें उनकी बहन, भतीजी, सौतेले बच्चे, चाचा और चिट्टी शामिल थे।
बाइडन ने गुरुवार को कहा कि "कमला और मुझे दोनों को हमारे परिवारों से ताकत मिलती है। कमला के लिए पति डग (एम्हॉफ) और उनका परिवार है। मेरे लिए जिल और हमारा परिवार है।"
अपनी दिवंगत पहली पत्नी को याद करते हुए बिडेन ने कहा, "हर किसी व्यक्ति को अपने जीवन में सच्चा प्यार नहीं मिलता है। लेकिन मैं दो को जानता हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "एक कार दुर्घटना में मेरी पहली पत्नी को खोने के बाद, जिल मेरे जीवन में आई और हमारे परिवार को वापस एक साथ बांधा। और मुझे जो ताकत मिलती है वह सिर्फ मेरे परिवार से आ सकती है। हंटर(बेटा), एशले (बेटी) और मेरे सभी पोते, मेरे भाई, मेरी बहन। उन्होंने मुझे हिम्मत दी और मुझे ऊपर उठाया।"
उन्होंने अपने दूसरे बेटे ब्यू का भी उल्लेख किया, जिसका मस्तिष्क ट्यूमर के कारण निधन हो गया था।
उन्होंने कहा, "भले ही वह अब हमारे साथ नहीं है, लेकिन ब्यू मुझे हर दिन प्रेरित करता है।"
जेरूसलेम, 21 अगस्त (आईएएनएस)। इजरायल के सुरक्षा बाड़े के पास शुक्रवार को फिलिस्तीनी एनक्लेव से दागी गई दो रॉकेट गिरने के बाद जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने गाजा में हमास के कई ठिकानों पर हवाई हमले शुरू किए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के एक सैन्य प्रवक्ता ने बयान में कहा कि युद्धक विमानों ने इस्लामिक हमास आंदोलन से जुड़े भूमिगत संरचना और सुरंग निर्माण के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहे कंक्रीट निर्माण स्थल पर हमला किया।
दोनों तरफ से किसी के हताहत होने की तत्काल रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
दोनों के बीच तनाव तब बढ़ा जब गाजा पट्टी से आतंकवादी समूहों ने दक्षिणी इजरायल में आग लगाने वाले विस्फोटक सामग्री से भरे गुब्बारे भेजे।
इसके बाद से इजरायल बीते 11 दिनों से हमास के ठिकानों पर दैनिक हवाई हमले कर रहा है।
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 21 अगस्त (आईएएनएस)। डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने कहा है कि उनकी रनिंग मैट कमला हैरिस राष्ट्र के लिए सशक्त आवाज के साथ 'महान उपराष्ट्रपति' बनेंगी।
डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन के अंतिम दिन औपचारिक रूप से अपना नामांकन स्वीकार करते हुए गुरुवार रात को बिडेन ने अपने भाषण में अपनी विभिन्न पहचानों के बारे में बताया, जो पार्टी की एकता और अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण पर जोर देती हैं।
अगर वे चयनित होते हैं, तो अपने आगे के कार्यों को रेखांकित करते हुए बिडेन ने कहा, "मुझे यह अकेले नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि मेरे साथ से एक महान उपराष्ट्रपति होगी। सीनेटर कमला हैरिस। वह इस राष्ट्र के लिए एक सशक्त आवाज है।"
उन्होंने आगे कहा, "उनकी कहानी अमेरिकी कहानी है। वह हमारे देश में कई मार्गों पर आने वाली सभी बाधाओं के बारे में जानती है। महिलाएं, अश्वेत महिलाएं, अश्वेत अमेरिकी, दक्षिण एशियाई अमेरिकी, अप्रवासी सभी के बारे में।"
उन्होंने आगे कहा, "लेकिन वह हर उस बाधा को पार कर आगे बढ़ी, जिसका उन्हें सामना करना पड़ा। बिग बैंक्स या गन लॉबी के आधार पर कोई भी मजबूत नहीं है। इस मौजूदा प्रशासन को उसके अतिवाद, कानून का पालन करने में उसकी विफलता और मात्र सच कहने में उसकी विफलता के बारे में बताने के लिए कोई भी इतना सख्त नहीं है।"
उपराष्ट्रपति के लिए बुधवार को अपना नामांकन स्वीकार करते हुए, हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन और एक अप्रवासी के रूप में उनकी सक्रियता के प्रति समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
हैरिस ने कहा कि वह अपनी मां के विचारों और संस्कारों के साथ खड़ी थी और उन्होंने मुझसे सिखाए गए मूल्यों के लिए समर्पित होने का वादा लिया।
हैरिस ने अपने परिवार की बात की जिसमें उनकी बहन, भतीजी, सौतेले बच्चे, चाचा और चिट्टी शामिल थे।
बिडेन ने गुरुवार को कहा कि "कमला और मुझे दोनों को हमारे परिवारों से ताकत मिलती है। कमला के लिए पति डग (एम्हॉफ) और उनका परिवार है। मेरे लिए जिल और हमारा परिवार है।"
अपनी दिवंगत पहली पत्नी को याद करते हुए बिडेन ने कहा, "हर किसी व्यक्ति को अपने जीवन में सच्चा प्यार नहीं मिलता है। लेकिन मैं दो को जानता हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "एक कार दुर्घटना में मेरी पहली पत्नी को खोने के बाद, जिल मेरे जीवन में आई और हमारे परिवार को वापस एक साथ बांधा। और मुझे जो ताकत मिलती है वह सिर्फ मेरे परिवार से आ सकती है। हंटर(बेटा), एशले (बेटी) और मेरे सभी पोते, मेरे भाई, मेरी बहन। उन्होंने मुझे हिम्मत दी और मुझे ऊपर उठाया।"
उन्होंने अपने दूसरे बेटे ब्यू का भी उल्लेख किया, जिसका मस्तिष्क ट्यूमर के कारण निधन हो गया था।
उन्होंने कहा, "भले ही वह अब हमारे साथ नहीं है, लेकिन ब्यू मुझे हर दिन प्रेरित करता है।"
वाशिंगटन, 21 अगस्त (आईएएनएस)| जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, वैश्विक कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 2.25 करोड़ की संख्या पार कर गई है, जबकि इससे हुई मौतों की संख्या 792,000 से अधिक हो गई हैं।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (उररए) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि शुक्रवार की सुबह तक, कुल मामलों की संख्या 22,593,363 हो चुकी थी और इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 792,396 हो गई थी।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका 5,573,501 मामलों और संक्रमण से हुई 173,114 मौतों के साथ दुनिया में सबसे प्रभावित देशों की सूची में शीर्ष पर बना हुआ है।
ब्राजील 3,501,975 संक्रमण और 112,304 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से भारत तीसरे (2,836,925) स्थान पर है और इसके बाद रूस (939,833), दक्षिण अफ्रीका (599,940), पेरू (558,420), मैक्सिको (543,806), कोलंबिया (502,178), चिली (391,849), स्पेन (377,906), ईरान (352,558), ब्रिटेन (324,196), अर्जेंटीना (320,884), सऊदी अरब (303,973), पाकिस्तान (290,958), बांग्लादेश (287,959), फ्रांस (256,534), इटली (256,118), तुर्की (254,520), जर्मनी (231,292), इराक (192,797), फिलीपींस (178,022), इंडोनेशिया (147,211), कनाडा (125,625), कतर (116,224), इक्वाडोर (105,508) बोलिविया (105,050), कजाकिस्तान (103,815) और यूक्रेन (100,810) है।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश मेक्सिको (59,106), भारत (53,866), ब्रिटेन (41,489), इटली (35,418), फ्रांस (30,434), स्पेन (28,797), पेरू (26,834), ईरान (20,264), रूस (16,058), कोलंबिया (15,979), दक्षिण अफ्रीका (12,618) और चिली (10,671) हैं।
ट्रंप का छठां पूर्व सलाहकार, जिस पर अपराधिक जुर्म दर्ज
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन को अमरीका-मैक्सिको सीमा पर बन रही दीवार के लिए फ़ंड जुटाने के अभियान में गड़बड़ी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया, हालांकि बाद में उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.
अमरीकी न्याय मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि बैनन और तीन अन्य लोगों ने मिलकर वी बिल्ड द वॉल अभियान के दौरान लाखों डॉलर का हेरफेर किया है. इस अभियान में कुल 25 मिलियन डॉलर की रकम जमा की गई थी.
आरोपों के मुताबिक बैनन को इसमें एक मिलियन डॉलर की रकम मिली है और इसमें से कुछ पैसे उन्होंने अपने निजी खर्चों में इस्तेमाल किए हैं.
हालांकि अदालत में बैनन ने खुद को बेकसूर बताने वाली याचिका दाखिल की है.
बैनन को डोनाल्ड ट्रंप की 2016 की राष्ट्रपति चुनाव में जीत का प्रमुख आर्किटेक्ट माना जाता रहा है. बैनन की दक्षिणपंथी और 'बाहर से आए लोगों के ख़िलाफ़' वाली नीति के चलते ट्रंप अमरीका फ़र्स्ट अभियान शुरू कर पाए थे.
बैनन को 150 फुट लंबे यॉट से अमरीकी पोस्टल इंस्पेक्शन सर्विस के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया, इसी सर्विस के पास बिल्ड द वॉल अभियान से जुड़े आर्थिक गड़बड़ियों की जांच का जिम्मा है. अमरीकी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह यॉट चीनी अरबपति ग्यू वेंगुई का था.
वैसे बैनन अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के छठे पूर्व सलाहकार बन गए हैं जिन पर अपराधिक मामला दर्ज किया गया है. उनसे पहले ट्रंप के अभियान के चैयरमैन पॉल मानाफोर्ट, वरिष्ठ राजनीतिक सलाहकरा रोजर स्टोन, ट्रंप के पूर्व वकील माइकल कोहन, अभियान के पूर्व उप मैनेजर रिक गेट्स और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ़्लिन पर अपराधिक मुक़दमे चल चुके हैं.
बैनन की गिरफ़्तारी पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें बहुत बुरा लग रहा है. उन्होंने कहा कि उनका वी बिल्ड द वॉल अभियान से कोई लेना देना नहीं है.
उन्होंने कहा, "मैंने तब कहा था कि यह सरकार के लिए है, यह निजी लोगों के लिए नहीं है. लेकिन यह दिखावे की तरह लग रहा है. मुझे लगता है कि उस वक्त मुझे अपनी बात और दृढ़ता से रखनी चाहिए थी."
बैनन पर क्या आरोप है
'वी बिल्ड द वॉल' अभियान डोनाल्ड ट्रंप के 2016 के चुनावी अभियान की सबसे बड़ी घोषणा अमरीका-मैक्सिको के बीच दीवार को पूरा करने के लिए शुरू की गई थी.
बैनन पर आरोप है कि इस अभियान के लिए आम लोगों से जो पैसा जुटाया गया उसमें गड़बड़ियां की हैं. बैनन को अपने एक गैर सरकारी संगठन के माध्यम से इस अभियान के लिए एक मिलियन डॉलर मिले थे, जिसमें से हजारों डॉलर उन्होंने अपने निजी ख़र्चे में इस्तेमाल कर लिए.
बैनन पर जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं, उनमें आर्थिक गबन के अलावा मनी लॉड्रिंग के भी आरोप हैं और इन दोनों ही मामलों में अधिकतम 20-20 साल की सज़ा का प्रावधान है.
बैनन को गिरफ़्तारी के तुरंत बाद वीडियो लिंक के ज़रिए फ़ेडरल कोर्ट में पेश किया गया जहां उन्हें पांच मिलियन डॉलर की जमानत पर रिहा किया गया है. लेकिन वे ना तो देश से बाहर जा सकते हैं और नहीं ही उन्हें प्राइवेट प्लेन या बोट में यात्रा कर पाएंगे.
पूर्व इनवेस्टमेंट बैंकर बैनन डोनाल्ड ट्रंप के 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के समय में दक्षिण पंथी मीडिया वेबसाइट ब्रेटबार्ट को प्रमोट कर रहे थे और बाद व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के प्रमुख रणनीतिकार बने. उनका इतना असर था कि बैनन की सलाह पर ही अमरीका पेरिस जलावयु परिवर्तन से अलग हो गया था. अगस्त 2017 में उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा. इसके बाद वे फिर से दक्षिणपंथी वेबसाइट ब्रेटबार्ट से जुड़ गए लेकिन ट्रंप की नीतियों की आलोचना के चलते उन्हें वहां से भी हटना पड़ा.
उनकी आलोचनाओं पर ट्रंप ने कहा था, "स्टीव बैनन का ना तो मेरे या मेरे पद से कोई लेना देना है. जब उन्हें यहां से निकाला गया, तब उन्होंने ना केवल अपनी नौकरी गंवाई बल्कि अपना दिमाग़ी संतुलन भी खो दिया है."
अमरीका-मैक्सिको दीवार की स्थिति
यह दीवार डोनाल्ड ट्रंप के सबसे प्रमुख चुनावी घोषणाओं में शामिल था. उन्होंने तब कहा था कि दीवार अमरीका बनाएगा, मैक्सिको पैसा देना होगा. ट्रंप ने अपनी घोषणाओं में 2000 मील लंबी दीवार बनाने की बात कही थी लेकिन बाद उसे आधा कर दिया गया. कहा गया कि आधा हिस्सा पर्वत और नदी पूरी कर रहे हैं.
इस दीवार को बनाने का काम जारी है. ट्रंप प्रशासन का इरादा 2020 के अंत तक 509 मील तक दीवार को बना लेना है.(bbc)
-सैली नबील
हाल में ही दो साल के लिए जेल में डाल दी गईं एक सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर मवादा अल अदम की बहन रहमा कहती हैं, "हम बेहद शॉक में थे. उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था. मेरी बहन कोई अपराधी नहीं है. वे केवल मशहूर होना चाहती थीं."
22 साल की यूनिवर्सिटी छात्र मवादा को मिस्र के पारिवारिक मूल्यों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था.
टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर मशहूर गानों पर फैशनेबल कपड़े पहनकर लिप-सिंक करते नाचते हुए के वीडियो पोस्ट करने की वजह से उन्हें पिछले साल मई में गिरफ्तार कर लिया गया था. अभियोक्ता ने उनके वीडियोज को अभद्र माना था.
रहमा ने बताया, "मेरी मां अब बमुश्किल अपने बिस्तर से उठ पाती है. वे हर वक्त रोती रहती हैं. कई दफा वे रात में जाग जाती हैं और पूछती हैं कि क्या मवादा घर वापस आ गई हैं."
'टिकटॉक वाली लड़कियां'
मवादा उन पांच युवा लड़कियों में से एक हैं जिन्हें एक जैसी जेल की सजा दी गई है. इसके अलावा इन पर करीब 20,000 डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया है. इन पांचों को टिकटॉक वाली लड़कियां कहा जाता है. इनमें एक अन्य सोशल मीडिया स्टार हनीन होसाम भी शामिल हैं. बाकी तीन लड़कियों के नाम नहीं दिए गए हैं.
रहमा का कहना है कि उनकी बहन कई मशहूर फैशन ब्रैंड्स के लिए सोशल मीडिया पर मॉडलिंग करती थी. वे कहती हैं, "वे केवल बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी थीं. वे एक अदाकारा बनना चाहती थीं."
एनजीओ एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, अभियोजन अधिकारियों ने सबूत के तौर पर मवादा की 17 फोटोज का इस्तेमाल किया और बताया कि ये फोटोज अभद्र हैं. मवादा का कहना है कि ये फोटो उनके पिछले साल उनके चोरी हुए फोन से लीक हुई हैं.
मवादा क्यों?
17 अगस्त को अपील होनी है और रहमा को उम्मीद है कि उनकी बहन की कम से कम सजा घटा दी जाएगी.
वे गुस्से में पूछती हैं, "वही क्यों? कई अभिनेत्रियां बेहद खुले तरीके से कपड़े पहनती हैं. कोई उन्हें छूता भी नहीं है."
उनके वकील अहमद बहकिरी के मुताबिक, शुरुआती फैसला आने के बाद मवादा बेहोश हो गई थीं.
वे कहते हैं, "जेल कोई उपाय नहीं है. भले ही उनके कुछ वीडियोज हमारे सामाजिक नियमों और परंपराओं के खिलाफ क्यों न हों. जेल से अपराधी पैदा होते हैं. अधिकारियों को पुनर्वास पर ध्यान देना चाहिए."
अभिव्यक्ति की आजादी
मिस्र मुस्लिम बहुसंख्या वाला देश है. यहां रूढ़िवादी समाज है और ईजिप्ट के कुछ लोग इन टिकटॉक वीडियोज को अश्लील मानते हैं.
बचाव करने वालों के व्यवहार को अनुचित कहकर उनकी आलोचना की जाती है. अन्य लोगों का कहना है कि लड़कियां केवल मौजमस्ती कर रही थीं और उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए.
मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने इन लड़कियों को रिहा करने की मांग की है. इनका मानना है कि ये गिरफ्तारियां अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की दिशा में उठाया गया एक और कदम है और इसके जरिए सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है.
2014 में जबसे सेना समर्थित राष्ट्रपति अब्दल फतह सीसी सत्ता में आए हैं, तब से स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन राज्य की सख्त नीतियों की आलोचना करते आ रहे हैं.
ये कार्यकर्ता दसियों हजार राजनीतिक कैदियों की बात करते हैं जिनमें उदारवादी, इस्लामिस्ट्स, पत्रकार और मानव अधिकार वकील शामिल हैं.
राष्ट्रपति ने जोर दिया है कि मिस्र में जमीर वाला कोई भी कैदी नहीं है. साथ ही अधिकारी मानव अधिकार रिपोर्ट्स की साख पर सवाल उठाते हैं.
लिंगभेद
एक एनजीओ ईजिप्टियन कमीशन फॉर राइट्स एंड फ्रीडम्स के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर मोहम्मद लोट्फी कहते हैं, "महिलाओं को सोशल मीडिया पर केवल सरकार के निर्देशों के हिसाब से चलने की आजादी है." यह एनजीओ इन लड़कियों की रिहाई की मांग कर रहा है.
लोट्फी का मानना है कि यह केस सीधे तौर पर लैंगिक भेदभाव का मामला है. वे कहते हैं, "लड़कियों पर आरोप है कि उन्होंने ईजिप्ट के पारिवारिक मूल्यों को तोड़ा है, लेकिन किसी ने भी आज तक इन मूल्यों को परिभाषित नहीं किया है."
महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाले मुज्न हसन इस बात से सहमत हैं. वे कहते हैं, "यह बेहद लिंग-आधारित मामला है जो कि राज्य की पितृसत्तात्मक सोच को दिखाता है."
लोट्फी कहते हैं कि भले ही इन लड़कियों को छोड़ दिया जाए, लेकिन युवा लड़कियों में एक डर का संदेश भेज दिया गया है.
वे कहते हैं, "अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि आप अपनी मनमर्जी से कुछ भी कह या कर नहीं सकते हैं."
हाल के महीनों में सरकारी अभियोक्ताओं ने ऐसे कई बयान जारी किए हैं जिनमें 'डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के हमारे युवाओं के सामने मौजूद खतरों' को रेखांकित किया गया है. अभियोक्ताओं ने पेरेंट्स से अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए कहा है.
वर्ग और प्रभाव
मवादा के टिकटॉक पर 30 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. इंस्टाग्राम पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 16 लाख है. कुछ आलोचकों का कहना है कि अधिकारी लड़कियों के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं.
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स को लगता है कि कहीं इन इनफ्लूएंसर्स को इस वजह से तो अरेस्ट नहीं किया गया क्योंकि ये सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं और इनके कोई बड़े संपर्क नहीं हैं.
इनका तर्क है कि ऊंचे सामाजिक दर्जे वाली दूसरी लड़कियां सोशल मीडिया पर बिना किसी डर के इसी तरह से व्यवहार करती हैं.
लोट्फी कहते हैं, "उच्च दर्जे की लड़कियां आमतौर पर सत्ता से नजदीकी रखने वाले परिवारों से होती हैं. ऐसे में इनके सरकार विरोधी राय जाहिर करने के आसार नहीं होते हैं."
एमनेस्टी इंटरनेशऩल के मिडल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका के एक्टिंग रीजनल डायरेक्टर लिन मालूफ कहते हैं, "महिलाओं की ऑनलाइन निगरानी करने की बजाय सरकार को महिलाओं के खिलाफ होने वाली सेक्शुअल और जेंडर आधारित हिंसा को रोकने पर जोर देना चाहिए."(bbc)
ब्राज़ील की संसद ने राष्ट्रपति का मास्क-विरोध ख़ारिज किया
ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को ब्राज़ीली संसद में हार का सामना करना पड़ा जब प्रतिनिधियों ने स्कूलों, प्रार्थना की जगहों और कारोबारी जगहों पर मास्क लगाने के फ़ैसले पर उनके वीटो को नहीं माना.
ब्राज़ील की संसद ने जुलाई में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसके मुताबिक बंद जगहों पर भी फेस मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया था.
लेकिन बोलसोनारो ने इस प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे लोग अपने घरों में भी मास्क पहनने को बाध्य होंगे. उन्होंने संसद के प्रस्ताव पर वीटो लगाते हुए दावा किया कि कोरोना से बचाव में मास्क कारगर नहीं है.
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन कई बार यह कह चुका है कि मास्क के इस्तेमाल से संक्रमण के रुकने और लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिलती है.
बोलसोनारो मास्क के इस्तेमाल के आलोचक रहे हैं और जुलाई महीने में कोरोना पॉजिटिव होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए भी उन्होंने अपना मास्क हटा लिया था. (bbc)
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| अफगानिस्तान के हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों को न केवल भारत में, बल्कि अमेरिका में भी समर्थन मिला है।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में कांग्रेस की जैकी स्पीयर द्वारा सात अन्य लोगों द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया, जो कि अफगानिस्तान में उत्पीड़ित धार्मिक समुदायों को फिर से संगठित करना चाहते हैं।
पिछले सप्ताह पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है, सिख और हिंदू अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक और लुप्तप्राय अल्पसंख्यक हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है, हाल के वर्षों में सिखों, हिंदुओं और अफगानिस्तान में अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ लक्षित हिंसा के एक बड़े पैटर्न का पालन हो रहा है।
इन दोनों समुदायों के सदस्यों को अमेरिकी शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम के तहत फिर से बसाया जाएगा।
अफगान समाचार एजेंसी टोलो न्यूज के अनुसार, पिछले तीन दशकों में इन दो अल्पसंख्यक समुदायों में लगभग 99 फीसदी लोग अफगानिस्तान से पलायन कर चुके हैं।
एक समय अफगानिस्तान के प्राचीन शासकों ने हिंदुओं को नगण्य कर दिया था, जबकि सिक्खों, जिनका 500 साल पुराना इतिहास है, उनकी संख्या सिर्फ 600 रह गई, वे भी इस देश को छोड़ने वाले अंतिम मुट्ठी भर लोग हैं। इन दोनों समुदायों की संख्या महज 700 रह गई है, जो कि 1970 के दशक में 700,000 थी।
अफगानिस्तान के काबुल और जलालाबाद शहरों में ऐसे हमले भी हुए हैं, जिनमें इन समुदायों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इनमें एक हमला एक जुलाई, 2018 को जलालाबाद में हुआ था, जो कि आत्मघाती हमला था, जिसमें 19 सिख और हिंदू मारे गए थे। इसके अलावा इस साल 25 मार्च को काबुल में गुरुद्वारा गुरु हर राय साहिब के हमले में 25 लोग मारे गए।
जून में 20 अमेरिकी सीनेटरों के एक द्विदलीय समूह ने ट्रंप प्रशासन से अफगानिस्तान से सिख और हिंदू समुदायों को आपातकालीन शरणार्थी सुरक्षा देने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में सिख और हिंदू समुदाय अपने धर्म के कारण आईएसआईएस-के से एक संभावित खतरे का सामना कर रहे हैं। हम धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए आग्रह करते हैं कि आप इन धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएं।
गुरुद्वारा गुरु हर राय साहिब पर हमले ने न केवल पलायन की स्थिति को उजागर किया, बल्कि दो समुदायों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला।
जैसा कि भारत सरकार ने जुलाई में भयभीत समुदाय के लिए वीजा में तेजी लाई, कांग्रेसी जिम कोस्टा ने एक ट्वीट में भारत के रुख की सराहना करते हुए कहा, यह अफगानिस्तान के सिख और हिंदू समुदायों को आतंकवादियों के हाथों विनाश से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत सरकार ने 23 जुलाई को कहा था कि अफगान हिंदुओं और सिखों को भारत की यात्रा करने के लिए वीजा प्रदान करने के अलावा सरकार भारतीय नागरिकता के लिए उनके अनुरोध को भी देख रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि केंद्र सरकार को इन समुदायों से अनुरोध प्राप्त हो रहे थे कि वे भारत में आना चाहते हैं और यहां बसना चाहते हैं। उन्होंने कहा, कोविड-19 महामारी के बावजूद हम अनुरोधों को सुविधाजनक बना रहे हैं।